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सेक्स की दुनिया में आपका Indian Sex Stories स्वागत है। मैं आज आपको अपनी सेक्सी और सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
तो मेरी ये कहानी पढ़ने वाले और वाली सभी लौड़ों और चूतों को मेरा बार बार सलाम !
मैं अलवर में रहता हूँ। जब मैं १८ साल का लड़का था तब मेरे घर पे टीवी नही था तो मैं शुक्र और शनिवार को मेरी पड़ोसन के घर पे टीवी देखने जाता था। मेरी पड़ोसन एक २३ साल की कुंवारी लड़की थी।
एक दिन की बात है जब मैं उसके घर सोफ़े पे बैठ के टीवी देख रहा था तब वो मेरी पड़ोसन आ कर मेरे पास में सोफे पे लेट गई।
हमने साथ बैठ के काफी सारी पिक्चर देखी होंगी, पर उस दिन वो नाइटगाऊन में काफी खूबसूरत लग रही थी. मैंने उसकी ओर देखा तो उसने मेरी ओर ताका। फिर उसके हाथ से अपने कपड़े को सही करके बैठ गई। मैं उसकी और ताकता ही रहा गया क्योंकि उसके कपड़े में से उसका आधा शरीर दिख रहा था और उसकी चूची काफी सुंदर से लग रही थी।
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया- काश ! इसकी चूची मुझे दबाने मिल जाए !
तभी मैंने देखा कि उसने मेरी ओर देख के मुझे एक सेक्सी स्माइल दी। तो मैं उसकी और देखता ही रह गया क्योकि उसने अपने हाथ से अपना कपड़ा थोड़ा हटाया ताकि मैं उसकी चूची देख सकूँ।फिर वापिस हम दोनों पिक्चर देखने लगे तभी पिक्चर में एक ऐसा सीन आया कि उसमें हिरोइन अपनी जांघ हीरो को दिखाती है।
बस उसी तरह वो मुझे अपनी जांघ दिखाने लगी. मैं भी उसकी जांघ को देखता रहा।
फिर पिक्चर में एक किस का सीन आया तो उसने मेरे सामने देख के वापिस सेक्सी स्माइल दी। फिर मैं अपने आप पे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था क्योकि उसका मुंह मेरे लंड के काफी करीब था और वो बार बार मेरे लंड के साथ अपना सर टकरा रही थी. इतने में ही टीवी में फ़िर किस का सीन आया तो उसने मुझे देख के मुझे बोला- पिक्चर काफी अच्छी है।
तो मैंने बोला- क्यों ऐसे सीन बहुत अच्छे लगते हैं?
तो वो बोली- तुम तो कैसी गन्दी बाते कर रहे हो !
मैंने बोला- सॉरी ! बस अब ऐसी बात नही करूँगा।
फिर वो पिक्चर देख रही थी। अब उसकी चूची मुझे काफी साफ दिख रई थी और अब मैं उसको दबाने का ही सोच रहा था कि उसको ऐसा लगा कि उसकी ब्रा में कुछ घुस गया है।
उसने मुझे कहा- देखो तो ! तुम्हें कुछ दिख रहा है?
मैंने देखा कि उसके एकदम सफ़ेद से बुबले मुझे दिख रहे थे और उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी।
वो मैंने देखी और मैं बोला- हाँ दिख तो रहा है पर ख्याल नहीँ आता कि क्या है !
वो बोली- तो क्या करूँ?
फिर मैं बोला- तुम अपनी ड्रेस निकाल दो तो मैं देख पाऊँ !
वो बोली- कोई देख लेगा !
तो मैं बोला- कोई नहीं देख पायेगा क्योंकि हम लाइट बंद कर देंगे।
फिर वो बोली- तो दिखाई कैसे देगा?
मैं बोला- मेरे को देखना है कि तेरे को?
तो वो मुझे बोली- तेरे को !
तो मैंने कहा- वैसे करो ! मज़ा आयेगा !
फिर उसने पहले लाइट बंद कर दी और बाद में अपना ड्रेस निकाल कर बोली- कहाँ है? ज़रा ज़ल्दी देख लो !
मैं अपने दोनों हाथ उसकी ब्रा में डाल के उसके चुचे दबा रहा था। तो वो बोली- ज़ल्दी करो वरना कोई आ जायेगा !
मैं बोला- मिलने तो दो !
फिर हम दोनों एक सोफे पे लेट गए। वो बोली मुझे एक मर्द जैसे भी लड़की को खुश कर सकता हो, वैसा करो ! मैं तुम्हारे लिए तुम जो कहोंगे वो करुँगी पर एक शर्त पर कि तुम हर शुक्र और शनि को हमारे घर पे टीवी देखने ज़रूर आओगे।
मैंने बोला- अच्छा! फ़िर मैंने उसको किस किया, वो भी उसके लिप्स पे ! तो उसको थोड़ा सा मज़ा आया और मुझे भी अच्छा महसूस हो रहा था तभी मैंने उसको उसके मुँह पे और उसके पूरे बदन को मेरी किसो से नहला दिया। उससे उसको काफी मज़ा आया और वो बोली- तुम्हें कैसा लग रहा है? मैंने बोला- तुम सोच नही सकोगी कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ !
और मैं उसको काफी सारी किस करने के बाद में उसके पायजामा का नाड़ा खोलने लगा तो वो शरमा कर मेरे सामने देखने की बजाए अपनी चूची पे देखने लगी क्योंकि उसकी चूची को मैं काफी देर से दबा रहा था और उसकी चुचियाँ काफी कड़क हो गई थी।
मैंने उसका पायजामा निकाल दिया था तब मैंने देखा तो उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। फ़िर मैंने काफी देर तक उसकी चुचियाँ दबाई। फ़िर मैंने देखा तो उसकी पैन्टी थोड़ी सी भीगी लग रही थी तब मुझे पता चला कि वो झड़ गई थी।
फिर मैं उसको उठा के उसके बेडरूम में ले गया और वहाँ पे जा के उसको उसके बेड पे लेटा दिया और उसकी पैन्टी निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा।
तब वो भी थोड़ी सी गरम हो रही थी और वो मेरा लण्ड मेरे पैंट के बाहर से ही पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने भी तब गरम होकर अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया और हम दोनों ६९ की पोजीशन में आ गए और हमने करीब १५ मिनट तक एक दूसरे की चुसाई की। फ़िर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मैं केवल अंडरवियर में आ गया और उसने अपने हाथ से मुझे इशारा किया कि अब और मत तड़पाओ ! ज़ल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालो !
मैं समझ गया। तब मैंने अपने लंड की सुपारी उसकी चूत के ऊपरी हिस्से में रख दी और अहिस्ते से उसे रगड़ने लगा। फिर उसने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत का रास्ता बताते हुए कहा कि यहाँ डालो !
तब मैंने उसको एक जोरदार झटका दिया, वो चिल्ला उठी और बोली- अहिस्ते से करो !
पर मेरा लण्ड उसकी चुत में समाने के लिए काफी उतावला हो रहा था। मैंने उसके मुँह पे अपना मुँह रख कर उसको किस करता रहा और बढ़िया से झटके देता रहा्। तब मैंने देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकाल गए थे।
फिर मैंने मेरी स्पीड थोड़ी सी कम कर दी। पर बाद में मैंने देखा कि वो भी मेरे झटके के साथ में अपने चूतड़ उठा कर साथ दे रही थी। फिर मैं भी उसकी जम कर चुदाई करने लगा। पर तब मैंने देखा तो उसकी चूत में से खून निकल रहा था। मैं समझ गया और मैंने उसको बोला कि पहली बार थी तो बोलना चाहिये ना ! मैं थोड़ा आराम से करता !
वो बोली- मुझे अहिस्ते से नहीं चाहिए, इसलिए नहीं बताया।
तो मैंने बोला- फ़िर आंख से आंसू क्यों निकल रहे थे?
वो बोली- तुम्हारा इतना बड़ा लंड लेकर मेरी बुर फट गई थी इस लिए ! और वो बोली- अब थोड़ा और ज़ोर से चोदो ! मैं बस अब झड़ने वाली हूँ !
फ़िर मैंने उसको झटका देना चालू किया उसको काफी सारा मज़ा आया और वो बोली- और ज़ोर से बस ऐसे ही चोदो ! आज मेरी चूत को फाड़ डालो और डाल दो अपना लंड मेरी चूत में !
फ़िर मैंने उसकी जम कर चुदाई की।
वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ !
मैं बोला- रुको !
फिर मैंने उसका पूरा चूत-रस अपने मुँह में भर लिया।
वो बोली- तुम कब झड़ने वाले हो?
मैं बोला- एक बढ़िया सा झटका मार लेने दो !
फ़िर मैंने उसको कुतिया की स्टाइल में दस मिनट तक चोदा, उसे काफी अच्छा महसूस हुआ।
बस अब मैं झड़ने वाला हूँ !
वो बोली- तुम आज तुम्हारे लावा से मेरा मुँह भर दो !
तब मैंने मेरे वीर्य से उसका मुँह भर दिया। उसके बाद हम दोनों करीबन आधा घंटा साथ में नंगे सोते रहे।
फ़िर वो बोली- एक बार और !
मैं बोला- हर शुक्र और शनि तो करेंगे !
तो वो बोली- मज़ा आयेगा !
और तबसे लेके हमने एक भी शुक्र और शनि नही छोड़ा।
आज उसकी शादी हो गई है पर आज भी मैं ज़ब भी सूरत जाता हूँ या वो अलवर आती है, तब हम दोनों मिलते है और मैं उसकी जमकर चुदाई करता हूँ !
तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी ये कहानी ?
आप अपने मेल मुझे इस पर दो
एक बार फ़िर मिलेंगे यहाँ पर ही मेरी नई स्टोरी के साथ !
तब तक सभी लौड़ों और चूतो को मेरा सलाम ! Indian Sex Stories
मेरा नाम मोहित है। मैं इन्दौर में Hindi Sex Storiesरहता हूँ। मेरी उमर अभी ५२ वर्ष है। मैं एक सरकारी नौकरी में हूँ। मैने कुछ ही दिनों से अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। मुझे भी अपनी आप बीती लिखने की इच्छा हुई। मुझे ये बताने में जरा भी संकोच नहीं है कि ये सब मैने नेहा वर्मा के कहने पर उसे बताया। और उसी ने मेरी आप बीती आप लोगों को बताने को कहा और आप तक पहुंचाया।
यूं तो मेरी आप बीती आप लोंगो को बहुत साधारण सी लगेगी… क्योंकि ऐसा बहुत से लोगों के साथ होता है। सच तो यह है कि नेहा की कहानी “अंकल की प्यास” कुछ कुछ मुझे अपनी सी लगी।
मैने अदिति से लव मेरिज की थी। वो बहुत ही सेक्सी लड़की थी। हमने अपनी जिन्दगी में बहुत सेक्स का लुफ़्त उठाया, जैसा कि सभी लुफ़्त उठाते है। मेरी बचपन की गलत आदतों से मेरा लण्ड पिछले कई साल से कुछ ढीला पड़ गया था। अब धीरे धीरे रही सही कसावट भी जाती रही। बाज़ार में मिलने वाली सभी दवाईयों को मैं आजमा चुका था।
मेरा डाक्टर दोस्त ने भी खासे एक्सपेरिमेंट मेरे ऊपर किये…पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। एक बार तो मैने क्रीम का भी उपयोग किया …. पर उसका तो और ही उल्टा प्रभाव हुआ। नीम हकीमों के पास भी गया…कई बार तो मेरी तबियत भी इतनी खराब हो गई कि मुझे होस्पिटल में भरती होना पड़ा। इसलिये मेरा आपसे भी ये अनुरोध है कि आप भी अगर ऐसी कोई समस्या से पीड़ित हो तो कृपया नीम हकीम के चक्करों में ना पड़े।
मेरी इस हालत का असर मेरी पत्नी पर भी हुआ। अब वो मेरे से दूर रहने लगी। सेक्स की बात तक नहीं करती थी। मेरे हाथ भी लगाने से उसे अच्छा नहीं लगता था। धीरे धीरे मेरे सुनने में भी आने लगा कि अदिति के किसी दूसरे के साथ लग गई है। घर में इस बात को लेकर मैं उलझ भी पड़ता था। कइ बार मैने पत्नी से विनती भी की कि मुझे भी बहुत इच्छा होती है…. मुझे ऊपर से सहला कर या मुठ मार कर….या लण्ड चूस कर मेरा वीर्य निकाल दिया करो। पर उसका कहना था कि ऐसे करने से उसके तन बदन में आग लग जाती है….उसे कौन चोदेगा फिर। मेरा कहना था कि फिर मैं कहां जाऊं। किससे कहूं…. किसके साथ अपनी प्यास बुझाऊं।
अब तो ये हाल है कि मेरी पत्नी मुझसे ज्यादा बात ही नहीं करती। अब अलग कमरे में सोता हूँ…. बस देर रात तक मैं पोर्न साईट देखता रहता हूँ और मुठ मार कर अपना माल निकाल देता हूँ। अब तो इसकी मुझे आदत सी हो गई है।
इन्हीं दिनों मेरी मुलाकात नेहा से हुई। वो किसी समय में अदिति की छात्रा थी। उसमें मुझे कोई बात अलग सी लगी। उसके बात करने का अन्दाज़ और उसकी सहानुभूति का अन्दाज़ भी अलग था ….कहा जाये तो बहुत मधुर स्वभाव की जान पड़ी। हालांकि वो तो मेरे से बहुत छोटी थी। करीब २५ साल की होगी। फ़िगर और सेक्स अपील उसमे बहुत थी। मुझे वो सुन्दर भी बहुत लगती थी।
एक दिन बातों बातों में उसने मुझे पूछ ही लिया “अंकल…. आप अलग क्यो रहते हैं…. ये कमरा तो शायद बैठक है….” ये सीधे मेरे दिल पर चोट थी।
“ऐसी कोई बात नहीं है…. बस मैं लिखता पढ़ता बहुत हूँ….इसलिये मुझे डिस्टर्बेन्स नहीं चाहिये….”
“पर आन्टी तो आपको बुरा भला कहती है….कि बुढ्ढा तो किसी काम का नहीं है…. बस परेशान करता रहता है….” नेहा ने मुझसे हंसी में कहा। फिर एक चोट दिल पर लगी। मेरी आंखे कब गीली हो गई मुझे पता ही नहीं चला। पर मेरे छलकते आंसू नेहा की नजरों से नहीं छुप सके।
मै ऊपर से मुस्कराते हुए बोला….”अदिति….बहुत प्यारी है….वो तो मजाक में कहती है….देख मैं बुढ्ढा लगता हूँ….” अपनी लड़खड़ाती आवाज को मैं खुद भी नहीं छिपा सका।
“सॉरी अंकल…. मेरा मतलब ये नहीं था….सच में सॉरी….” उसने मेरा हाथ थाम लिया। मैं अपने आंसू नहीं रोक पाया पर दो बून्दें टपक ही पड़ी। नेहा को शायद दुख हुआ।
मेरे माथे को चूमती हुई बोली,”आप तो मेरे पिता समान है…. पर मैं तो आपको बोय फ़्रेंड मानती हूँ ना….” मैने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। मैने भी हालात को सम्हालने की कोशिश की।
“हाय….मेरी गर्लफ़्रेन्ड…. ” मैने उसके उसके गाल चूम लिये।
“अंकल…. कैसी भी बात हो ….प्लीज़ मुझे बताईये ना….”
“अरे छोड़ ना….जख्मो को कुरेदेगी तो फिर से घाव रिसने लगेगा….”
“एक अन्दर की बात बताऊं….आप को शक है ना कि मैं कामुक कहानियाँ लिखती हूँ….हां अंकल मैं ही वो नेहा हूँ….”
“सच…. देखा मेरा आईडिया सही था ना…. तब मै तुम्हे सब बता सकता हूँ।” मैने उसे धीरज से पूरी कहानी बताई…. नेहा ने मेरी इज़ाज़त लेकर उसे अपने छोटे से रेकोर्डर में रेकॉर्ड कर लिया।
“अंकल बुरा ना माने तो मैं एक बात कहू….”
” हां….हां….कहो मेरी गर्ल फ़्रेन्ड….” मैने उसे हल्का सा मजाक करते हुए कहा।
“आपने बताया कि आप में कमजोरी आ गई है…. मुझे लगता है आप इन्टरकोर्स कर सकते है…. बस आंटी का रूखापन आपको मार गया है….”
” हो सकता है…. आज कल उसके और आनन्द के चर्चे भी हो रहे है…. शायद वो उससे खुश भी है….” मैने अदिति की एक तरह से शिकायत की। पर नेहा का इरादा कुछ और ही था। उसने सीधा मुझ पर वार किया -“मैं कुछ आप पर ट्राई करूं….” उसने मेरी पेन्ट के ऊपर से मेरे लण्ड पर हाथ रखते हुए कहा।
मैं एकदम से शरमा सा गया….असंमजस की स्थिति में हो गया कि अचानक ये क्या….। पर दिमाग ने सोचा कि इससे मेरा क्या लेना देना…. करने दो….ज्यादा से ज्यादा मुझे गाली दे कर चली जायेगी और क्या होगा। मेरी सोच कुछ अलग होने लगी। शायद कुछ स्वार्थ समाने लगा था या मैं मजे का मौका नहीं छोड़ना चाह रहा था।
“क्या…. जैसे…. ” उसका हाथ मेरे लण्ड पर कसता जा रहा था। मुझे तेज सिरहन आने लगी थी। मैने उसे निराशा से कहा -“नेहा…. छोड़ो ना…. कोई फ़ायदा नहीं है….”
जवाब में उसने मुस्कराते हुए अपने होंठ मेरे होंटो पर चिपका दिये…. मुझे धकेल कर सोफ़े पर लेटाने लगी। मेरे हाथों को उसने अपनी छातियों पर रख दिया। मेरी इच्छायें बलवती होने लगी। अन्दर का मर्द जाग उठा। मेरा ठन्डा खून एकाएक उबल पड़ा। मैंने उसे कस लिया। नेहा ने भी ऐसा दिखाया कि जैसे उसे नशा सा आ गया हो।
“मैं आपको खुश कर रही हूँ….कुछ इनाम दोगे….?”
“हाय….नेहा…. तुम कितनी अच्छी हो….”
“अंकल…. अपना पजामा उतारो ना….” नेहा ने भी अपनी जीन्स उतार दी…. आश्चर्य ….मेरा लंड खड़ा हो चुका था….
नेहा बिस्तर पर लेट गई और अपने दोनों पांव ऊपर उठा लिये। उसकी गोल गोल गाण्ड और चूत रोशनी में चमक उठी। उसकी जवानी और नीचे के कटाव गजब के थे…. फूल जैसी चूत की दो पन्खुड़ियां खिल उठी।
“अंकल ….आओ न….” नेहा ने मुझे चोदने का न्योता दिया। मैं लपक कर उसके दोनो पांवो के बीच आ गया…. मेरे अन्दर नई उत्तेजना थी….लण्ड को खड़ा देख कर और जवान लड़की को देख कर मेरी उत्तेजना फ़ूटी पड़ रही थी। मेरा सुपाड़ा भी फूल कर लाल हो गया। पर उसी समय मुझे अपना कोन्फ़ीडेन्स डगमगाता हुआ दिखाई दिया और मेरा लण्ड मुझे ठन्डा होता जान पड़ा। मैने अपना लण्ड नेहा की चूत में लगाया और धक्का दिया। पर हाय…. वो अन्दर नहीं गया और फ़िसल कर नीचे आ गया। मैने फिर से ट्राई किया पर नहीं घुसा।
मैं घोर निराशा में डूब गया। मैं धीरे से उठा और बिस्तर से नीचे आ गया। मेरा मुँह उतर गया था। नेहा तुरन्त बिस्तर से उतर आई और अपनी जीन्स पहन ली।
“अंकल …. आप बिलकुल ठीक है….इतना कठोर था…. बस आप कोन्फ़ीडेन्स छोड़ देते है….”
“नही….नेहा सॉरी…. तुम बेकार ही ये सब कर रही हो….”
“नहीं अंकल…. बस आप मुझे अच्छे लगते है…. मेरा तो मन आप पर आ गया है….” नेहा ने मुझे प्यार करते हुए कहा।
“क्याऽऽऽ….तुम्हारा दिमाग तो सही है न…. मै बुढ्ढा ५२ साल का और अभी तो तुम ….”
“आपकी गर्लफ़्रेन्ड…….. अच्छा अंकल कल मैं इसी समय फिर आऊन्गी…. आंटी तो स्कूल जाती है ना इस टाईम….” नेहा इठलाते हुए चली गई।
मैं सोचता रहा कि क्या कुछ जादू हो गया…. नेहा एक दम से मुझसे कैसे प्यार करने लगी…. हुहं मरने दो…….. साली चालू होगी….। वरना कोई क्या ऐसे ही चुदने को तैयार हो जायेगी ??
अगले दिन ठीक उसी समय नेहा आ गई। मैने सोच लिया था कि आज ये जितना मजा देगी उसका मैं उसे पेमेंट कर दूंगा। आते उसने सवधानी से सभी ओर देखा….
“कोई नहीं है…. ” मैने हंस कर कहा। और वो मुझसे लिपट गई…. उसने फिर से मुझे उत्तेजित करना चालू कर दिया। इस बार मैने सोच लिया था कि मजे करूंगा और उसे कुछ रूपये दे दूंगा। मैने भी उसके बोबे मसलने शुरु कर दिये। उसने मेरा पायजामा खोल दिया।
आज वो साड़ी पहन कर आई थी। उसने साड़ी समेत अपना पेटिकोट ऊंचा कर लिया और बिस्तर पर लेट गई। मुझे ख्याल ही नहीं रहा कि मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। बस मैं उसके ऊपर चढ गया और लण्ड नेहा की चूत में घुसा डाला।
“हाय अंकल…. मैं तो चुद गई…. कस के चोद दो….प्लीज….धक्के लगाओ…. हाय रे….”
मैं उसकी नंगी भाषा से और उत्तेजित हो उठा। और मस्त हो कर उसे चोदने लगा। मुझे लगा कि सारी जन्नत मेरे नीचे है…. सारी नसें खिंच कर लण्ड में भरने लगी। शरीर में फ़ुरहरी छूट गई…. और…. मेरे लण्ड ने फ़ुहार छोड़ दी। नेहा ने मुझे कस कर पकड़ लिया…. मै झड़ता रहा …. लगा मेरे शरीर की एक एक बूंद निकल गई है…. मैं हांफ़ उठा था।
अचानक मुझे मह्सूस हुआ….अरे ये कैसे हो गया….क्या मैने अभी अभी चुदाई की थी। नेहा अपनी साड़ी ठीक कर रही थी।
“थेंक यू माय बॉय फ़्रेंड…. फ़ोर ए नाईस फ़क….” नेहा ने मुस्करा कर कहा।
“नेहा….पर ये सब…. हो गया ना….”
“आप मर्द है….अभी आप सब कुछ कर सकते हो…. पर कल मैं फिर आ रही हूँ…. कल जरा और जोरदार फ़क….थोड़ा ज्यादा देर तक…. ठीक है ना….।”
मैं नेहा से लिपट पड़ा। मैने जेब से उसे १००० रु का नोट निकाल कर दिया….
“नेहा प्लीज मना मत करना…. अपने लिये मेरी तरफ़ से कोई गिफ़्ट ले लेना….”
” बस अंकल…. मेरी बोली लगा दी ना आपने….”
“नेहा नहीं….नहीं…. क्या मैं अपनी गर्लफ़्रेन्ड को कोई गिफ़्ट नहीं कर सकता….?” मैने अपनी नजरे शर्म से झुका ली….जिसमे गलती का अहसास भी था और ग्लानी भी थी….शायद पकड़े जाने की….
“अंकल लाओ ये रुपये अब मेरे…. पर देखा आप कहते थे ना…. आंटी आपको बुढ्ढा कह्ती थी…. अरे अपनी मर्दानगी बता दो उसे…. “
“नेहा …. पर ये अचानक ही कैसे हो गया….”
“एक जैसे लाईफ़…….. एक जैसी रोज की चुदाई…. ज़िन्दगी में एकरसता…. कोई नयापन नही…. नया आसन नही…. वगैरह….ना तो आपमे कोई कमी है और ना ही आंटी में….”
मैं उसे देखता ही रह गया। इतनी सी उमर मे….इतना ज्ञान…. फिर क्या नेहा ने सिर्फ़ मेरा आत्मविश्वास उठाने के लिये ये सब किया।
“अब मैं जाती हूँ…. अंकल कल मैं इसी समय फिर आऊंगी…. याद रहे…. कल कस के चुदाई करना…. कि मुझे नानी याद आ जाये….”
वो लहराती हुई चली गई…. मैं दरवाजे पर खड़ा उसे देखता रह गया…. जिसे मैं शुरु से अपनी बेटी की तरह प्यार करता था उसने मुझे ये सब करके मेरी ज़िन्दगी में फिर से एक आत्मविश्वास जगाया। मुझे अपना बॉय फ़्रेन्ड बना कर मुझे बता दिया कि मैं अभी भी सब कुछ कर सकता हूँ।
ये थी मोहित की आप बीती सच्ची कहानी…. जिसमे मैने अपने आपको हिरोइन के रूप में रखा है। इन दोनो चरित्रों के नाम बदले हुए है। ये आप बीती मुझे एक मेल द्वारा प्राप्त हुई थी। पर मेरा मानना है कि ये एक अस्थाई वासना का रूप है…. जो कि एक जवान लड़की को देख कर आग की तरह भड़क जाती है….तो जल्दी बुझ भी जाती है। एक नयापन जिन्दगी में आता है…. । नसों में नया जोश….नया खून दौड़ पड़ता है…. लण्ड एक बारगी तो फ़ड़फ़ड़ा उठता है…. और आगे….Hindi Sex Stories
मेरा नाम पायल Antarvasna Sex Stories है, मैं तेईस साल की और एक बच्चे की माँ हूँ।
मेरे स्वभाव में दो बातें शामिल हैं, एक तो मुझे गुस्सा बहुत आता है, दूसरा मैं काफी उत्तेजक तथा कामुक हूँ।
क्रोध में मैं अपना मानसिक संतुलन खो बैठती हूँ, इसी गुस्से की वज़ह से मैं तीन वर्ष पूर्व मायके आ गई थी, पति के लाख मनाने पर भी वापस नहीं गई।इसकी एक खास वजह यह थी कि वे मुझे ठीक तरह चोद कर संतुष्ट नहीं कर पाते थे, ऐसा समझ लीजिये कि वे मेरी चुदाई इच्छा पूरी नहीं कर पाते थे, उनके पास रह कर भी मेरी भावनाएं इधर उधर भटकती थी।
मायके आकर मैंने एक नौकरी पकड़ ली थी। यहाँ मेरी मुलाक़ात एक युवक से हुई जो देखने में सुन्दर और स्वभाव से बहुत चंचल था।
छोटी छोटी मुलाकातों में उसकी ओर खिंचती चली गई। उसका नाम प्रशांत था। प्रशान्त की चाहत ने दिल में एक आग और तड़प पैदा कर दी।
प्रशान्त को मालूम था कि मैं शादीशुदा और एक बच्चे की माँ हूँ। पता नहीं कहाँ से मेरे दिल में यह डर बैठ गया कि प्रशान्त मेरे प्रेम को ठुकरा न दे।
ऑफिस में कई बार उससे बात होती थी मगर दिल का हाल होठों पर आने से पहले ही मेरे होंठ काँप उठते थे।
मेरी एक सहकर्मी है जिसका नाम जिमी है, वह गोवा की रहने वाली है, वो आधुनिक ख्यालों की है।
एक दिन बातों बातों में पता चला कि उसका तलाक हो चुका है। मैंने उसे अपनी परेशानी बताई। बस उस दिन से जिमी से मेरी दोस्ती हो गई, दरअसल मुझे एक ऐसे ही दोस्त की तलाश थी।
एक दिन प्रशान्त मेरे पास खड़ा होकर एक फाईल देख रहा था, उसे देख कर मेरी कामना भड़क रही थी, दिल में आग सी लगी थी। प्रशान्त उस आग से बेखबर था।
मैं अपने ख्यालों में ऐसा खोई बैठी थी कि मुझे इस बात का अहसास नहीं रहा था कि जिमी मेरा चेहरा देख कर मेरे दिल की बात पढ़ रही है।
मेरे हाथ में भी फाईल थी, प्यार में अन्धी होकर जिसे मैंने उल्टी पकड़ रखी थी, फाईल उल्टी है या सीधी मुझे इस बात का अहसास ही नहीं था, बस इतना जरूर पता था कि मेरी जांघों के बीच मेरी चूत तड़प रही है और अपनी जांघों को भींच कर उसे दबाना है, उसे भींच भींच कर मैंने नींबू की तरह निचोड़ दिया था, चूत के रस की चिपचिपाहट मुझे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रही थी।
कुछ देर बाद प्रशान्त वहाँ से चला गया, मगर कुछ ही देर में जालिम मेरी चूत में एक आग सी भड़का गया, समझ में नहीं आ रहा था कि अब मैं इस चूत की आग को कैसे ठंडा करूँ, तभी मेरी नजर अपनी अँगुलियों पर गई जिनके बीच एक मोटा सा पेन फंसा था।
‘ओह, प्रशान्त काश तुम मेरे दिल की बात समझ सकते, काश मैं तुम्हें दिखा पाती कि इस पेन की तकदीर तुमसे कितनी अच्छी है!’
(मैं मन ही मन बड़बड़ा रही थी)
अब मैं वहाँ रूक नहीं सकती थी, मैंने पेन संभाला और चुपचाप बाथरूम की ओर चल दी। मैं अपनी कल्पनाओं में इतनी खो गई थी कि इस बात का पता भी नहीं चला कि दबे पांव कोई मेरे पीछे पीछे आ रहा है। मैं प्रशान्त को देख कर उत्तेजना में इतनी पागल हो जाती थी।
उस दिन भी ऐसा ही मामला था, मैं जल्द से जल्द बाथरूम में जाकर उस पेन के साथ अपनी कल्पनाओं में खो जाना चाहती थी।
बाथरूम में पहुँच कर मैंने अपनी साड़ी अपने पेट तक उठा कर पकड़ ली, मुझे पेन्टी पहनने की आदत बिल्कुल नहीं है, (मजबूरन मासिक के दिनों में पेन्टी का सहारा लेना पड़ता है), मुझे इस बात का ख्याल ही नहीं रहा कि दरवाजे की कुण्डी नहीं लगाई है।
मैंने अपनी एक टांग उठा कर अपना पैर दीवार से सटा लिया अब मैं झुक कर अपनी चूत साफ़ देख सकती थी, उसका गीला गीला अहसास मुझे पागल बना गया। मैंने पेन सीधा पकड़ कर उसका मोटा भाग चूत की ख़ास जगह पर रखा तो उसकी फुदफुदाहट मुझे महसूस हुई- सीई .ई.. ई… मत तड़प मेरी रानी… यूँ न तड़प!
मैंने उसे पेन से सहलाया- हूँ… अब तेरा इस पेन के सिवा दूसरा सहारा नहीं है मेरी बिल्लो, मैं मजबूर हूँ… कि तेरे लिये इसके अलावा कुछ और नहीं कर सकती, आज तो तू इसी से अपना छोटा सा दिल बहला ले… कल से यहाँ तेरे लिये एक मोटी मोमबत्ती लाकर रख दूंगी!
मैं पागलों की तरह अपनी बेजुबान चूत से बातें कर रही थी, उसकी फूलाहत और छोटा सा मासूम मुंह मुझसे देखा नहीं जा रहा था, मैंने चूत के छोटे से मुँह पर पेन भिड़ा कर जैसे ही आगे धकेला कि धड़ाम से किसी ने दरवाजा खोला, मेरा मुंह दरवाजे की तरफ ही था, मेरी चूत में आधा पेन घुस चुका था और आधा मैंने पकड़ रखा था।
अचानक दरवाजा खुलने से मैं डर गई, सामने जिमी खड़ी थी- वाह… पायल वाह… तू इस बेचारी चूत को अच्छा पागल बना रही है, ऐसे तो तू इसका सत्यानाश कर डालेगी!
उसका इशारा मेरी चूत की तरफ था।
‘ऊँ ऽऽ… फिर क्या करूँ? मैंने कहा- इस बेचारी को तो कोई सहारा ही नहीं दे रहा, बस अब तो ले देकर इसकी किस्मत में ऐसी चीजें ही रह गई हैं!
मैंने अपनी चूत मे फंसा पेन निकाल कर उसे दिखाया।
‘ऐसी बात नहीं है पायल, इसकी तो मैं ऐसी चुदाई करवा दूंगी कि इसका दिल हमेशा खुश रहेगा।’
मैंने मचल कर कहा- क्या यह नेक काम हो सकता है?
‘अरे हाँ यार, अपनी ऑफिस में तो ऐसे ऐसे लंगूर है जो हर समय चूत चाटने को तैयार रहते हैं, जैसे वो अपना बूढ़ा चपरासी बाबू लाल!’ जिमी ने कहा।
‘नहीं मेरी चूत का दिल तो किसी और पर है!’ मैंने कहा।
‘हाँ बाबा मैं जानती हूँ कि तेरी चूत का दिल प्रशान्त पर आ गया है, बड़ा गलत आदमी चुना है इसने! वो तो एकदम सन्यासी टाइप का आदमी है।’
‘फ़िर कैसे बात बनेगी?’ मैंने कहा- यह कमीनी (चूत) तो उसी के इश्क की लात खाना चाहती है, ये कमीनी प्यार करने लगी है उसकी लात से!
‘वाह.. ..वैरी गुड!’ वह मेरी चूत की तरफ देख कर मुस्कराई- क्या इसने उसकी लात को देखा है?
‘नहीं रे!’ मैंने एक ठंडी सांस ली- बस यह इसकी कल्पना ही समझ ले!
‘काफी अक्लमंद लगती है यह!’ वह मेरे पास आकर झुकी और मेरी चूत को बड़ी बारीकी से देखने लगी, उसका यूँ मेरी चूत को देखना मुझे अच्छा लग रहा था, उसके देखने से मेरी पागल दीवानी चूत में सरसराहट बढ़ गई।
‘हूँ… इसकी अक्ल ठिकाने लगाने का मैं कोई बंदोबस्त करती हूँ, छोड़ इस पेन को! चल टेबल पर बैठते है और सोचते हैं कि इसके होश कैसे उड़ाए जाएँ!’ वह मुझे खींचते हुए बोली।
‘हाँ जिमी कुछ सोच यार! बेचारी तीन साल से आंसू बहाते हुए मेरा हर जुल्म बर्दाश्त कर रही है!’ मैंने कहा।
वह मुझे बाथरूम से खींच लाई और बाबूलाल को दो कॉफी लाने का आर्डर कर दिया, मेरे पूरे बदन में अब भी कसमसाहट हो रही थी।
आज का दिन बहुत बुरा था, आज मेरी बदनसीबी में एक छोटा सा पेन भी काम न आया, जिमी गहरी सोच में डूबी थी, उसके सोचने का ढंग बता रहा था कि वह आज हर हाल में मेरी और मेरी चूत की तबियत हरी कर देना चाहती है।
‘कितने दिनों से तेरी गाड़ी का बोनट तप रहा है?’ उसने मुझसे पूछा।
‘तीन साल से यार, बुरा हाल है मेरा!’ मैंने उसे बताया।
‘किसी आदमी से तेरा पाला नहीं पड़ा?’ उसने हैरान होकर पूछा।
‘हूँ.. किसी आदमी से तो मेरा पाला नहीं पड़ा!’
मैंने कहा- हाँ तीन बेंगन और बीस मोमबत्तियाँ जरुर तोड़ चुकी हूँ मैं!
‘ठीक है, तुम्हारी बूर की हालत देखते हुए मैं इस नतीजे पर पहुँची हूँ कि फिलहाल तुम्हें बाबूलाल के पानी से अपना बोनट ठंडा करवाना होगा!’ उसने हंसते हुए कहा।
‘क्यों मजाक कर रही है यार, उस बुड्ढे के बस का है क्या मेरी चूत को ठंडा करना, क्यों मेरी तपती चूत पर नमक छिड़क रही हो?’ मैंने गुस्से में कहा।
‘मैं कौन होती हूँ तुम्हारी चूत में नमक छिड़कने वाली, वो तो आलरेडी नमकीन है!’ वो हंस कर बोली।
‘तो क्या तुम मेरी चूत का मजाक उड़ा रही हो?’ मैंने फिर गुस्से से कहा।
‘नहीं रे, तुम मेरी बात का गलत मतलब निकाल रही हो, मैं तो खुद बाबूलाल से अपनी चूत की गर्मी निकलवाती हूँ वो साठ साल का बूढा नहीं, साठ साल का जवान है!’ उसने मुझे समझाते हुए कहा।
‘ हुंह… ऐसे बुड्ढे तो टी.वी. पर च्यवनप्राश के विज्ञापन में ही दीखते हैं, मेरी गर्मी तो प्रशान्त जैसा गठीला जवान ही निकाल सकता है!’ मैंने तड़प कर कहा।
‘देख पायल, मैंने तुझसे अभी कहा कि मैं भी उससे अपनी चूत मरवाती हूँ, आदमी मेरा जांचा परखा है, फिर उसमे एक ख़ास बात है जो बहुत कम मर्दों में पाई जाती है।’ उसने कहा।
‘अच्छा,ऐसी क्या खास बात है उसमें?’ मैंने हैरान होकर पूछा।
‘उसका पेन 10′ लंबा और 3′ मोटा है मेरी रानी!’ उसने जवाब दिया।
‘हूँ… कोरी बकवास! ऐसी बात सिर्फ गधों और घोड़ों में देखी जाती है, एक आदमी का इतना बड़ा सामान कैसे हो सकता है?’ मैंने कहा।
‘तो क्या मैं झूठ बोल रही हूँ?’ वो गुस्से में बोली।
‘अभी तक तो मुझे यही लगता है, एक आदमी का लंड इतना बड़ा हो ही नहीं सकता है।’ मैंने जवाब दिया।
‘देख पायल, मैंने तेरी चूत को बारीकी से देखा, मेरी पारखी नजरें बता रही है कि 3 साल में वह पागल हो चुकी है, क्योंकि जब तुमने उसकी मुंह पर पेन फंसाया था तो उसके मुंह से सफेद बुलबुले छुट रहे थे, जब कोई कुतिया जून के महीने में पागल होती है तो उसका मुंह 24 घंटे खुला रहता है, इस समय तेरी चूत की हालत एक पागल कुतिया जैसी ही है।’ उसने मुझे समझाते हुए कहा।
उसकी बात सुन कर मैं सोच में पड़ गई, सचमुच उसकी हालत ऐसी ही थी। उसका मुंह हर समय खुला रहता था और चिपचिपी लार बहती रहती थी। क्या सचमुच मेरी चूत एक पागल कुतिया जैसी हो गई है? इस सवाल ने मुझे हिला कर रख दिया।
‘अब मैं क्या करूँ जिमी?’ मैंने घबरा कर पूछा।
‘घबराने की कोई बात नहीं है, तेरी पगली चूत का इलाज बाबूलाल जैसा बूढ़ा डाक्टर ही कर सकता है, उसका इंजेक्शन लम्बा और मोटा है, उसकी मार से ही इसका दिमाग ठीक होगा और सारी गर्मी बाहर निकलेगी।’ उसने मुझे समझाते हुए कहा।
‘ठीक है यार, देख लेते हैं तेरे बाबूलाल को भी!’ मैंने अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा।
तभी बाबूलाल कॉफी लेकर आ गया, कॉफी टेबल पर रखने के बाद बोला- और कोई सेवा मेडम?
‘बाबूलाल आज रात तुम्हारा चुदाई का खेल जमाना है।’ जिमी ने कहा।
मैं उन दोनों का मुंह देखने लगी।
‘आज मूड नहीं है मेडम!’ बाबूलाल ने कहा।
बड़ी हैरत की बात थी, एक मर्द एक औरत की खुली ऑफर ठुकरा रहा था।
‘क्यों…?’ जिमी ने आँख निकाल कर पूछा।
‘अब तुम्हारी चूत की धज्जियाँ उड़ चुकी है, अब मजा नहीं आता है!’ बाबूलाल बोला।
‘धज्जियाँ उड़ाने वाला भी तो तू ही है, तू मेरी बात ठुकरा नहीं सकता!’ जिमी एकदम गुस्से में बोली।
‘खेल जम जाएगा मगर…!’ बाबूलाल हंसता हुआ बोला।
‘क्या मगर? जिमी ने आंखें निकाली।
‘आज कल थोड़ी कड़की है, दारू तक के फ़ाके हैं!’ बाबूलाल मायूस होकर बोला।
जिमी ने मुझसे 500 रु. लेकर बाबूलाल को देते हुए कहा- टाइम का ध्यान रखना! ठीक 10 बजे!
बाबूलाल चला गया, ऑफिस का टाइम खत्म हो चुका था, मैं घर चली आई, घर आकर मैं खूब रगड़ रगड़ कर नहाई, कोई दस बार अपनी चूत को साबुन से धोया, आदत के अनुसार साड़ी के नीचे पेन्टी नहीं पहनी।
घर में मैंने कह दिया कि जिमी के साथ शादी में जा रही हूँ।
ठीक 9.00 पर मैं जिमी के घर पहुँच गई, उस दिन चूत की बौखलाहट मेरे नियंत्रण से बाहर थी, वह मेरी जाँघों के बीच ऐसे फुदक रही थी जैसे लोहे के पिंजरे में चूहा फुदकता है।
मैं जिमी के घर पहुंची और यह देख कर हैरान हो गई कि वो घर में सिर्फ ब्रा और पेन्टी में घूम रही थी तथा उसने दारु भी पी रखी थी, उसकी गोल गोल बड़ी बड़ी चूचियाँ टाइट ब्रा के बंधन से मुक्त होने के लिए फड़फड़ा कर एक दूसरे से टकरा रही थी।
‘क्या वो आ गया?’ मैंने सोफे पर बैठते हुए पूछा।
‘नहीं बस आता ही होगा, आदमी टाइम का बड़ा पक्का है।’ जिमी ने कहा।
‘टाइम क्या हुआ है?’ मैंने उत्साहित होकर पूछा।
‘अभी तो सवा नौ ही हुए हैं!’ जिमी ने कहा,’ बस अब दस भी बज जायेंगे, बेटी, तुम्हारी इस चूत के बारह बजाने वाला आने ही वाला है!’ उसने मेरी चूत की तरफ इशारा किया और हंसने लगी।
‘यह कमीना बाबूलाल कब आएगा, बुरा हाल हो रहा है मेरा!’ मैं बेसब्र होकर बोली।
‘रूक, जब तक बाबूलाल नहीं आता मैं तेरी खुजली मिटाती हूँ।’ यह कह कर वो कमरे में चली गई।
जब वह वापस हॉल में आई तो उसके हाँथों में एक लंबा और मोटा डंडा था जिसके दोनों तरफ़ लंड के सुपाड़े की तरह गोल गोल बने हुए थे।
‘अब देख मैं क्या करती हूँ!’ वो बोली।
‘क्या इस डंडे से मेरी चूत को मारेगी?’ मैंने घबरा कर पूछा और अपनी जांघें भींच ली।
‘नहीं यार, मेरी समझ में यह नहीं आता कि तुझ जैसी पागल औरत को शादी का टिकट किसने दे दिया, एक बच्चे की माँ होकर भी पागलों जैसी बात करती है।’
‘ओह.. माफ़ करना यार अब समझ में आ गया कि यह डंडा हमारे किस काम आ सकता है!’ मैंने झेंपते हुए कहा।
‘अब समझ में आ गया है तो अपनी साड़ी भी उतार फेंक!’ उसने अपनी पेन्टी और ब्रा उतार कर फेंकते हुए कहा।
मैंने भी अपने शरीर के एक एक कपड़े को नोच कर फेंक डाला। वे कपड़े अपने शरीर पर मुझे ही बुरे लग रहे थे।
अब हम एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, जिमी मेरे गुलाबी बदन को गौर से देखते हुए बोली- वाह!… क्या मस्त चूची है तेरी!’ और जोर जोर से चूचियाँ दबाने लगी- लगता है इन्हें बहुत कमी के साथ दबाया गया है!
उसने चूची दबाते हुए कहा, उसके हाथ का स्पर्श मुझे रोमांचित कर गया।
‘माल तो तेरे पास भी बढ़िया है!’ मैंने भी उसकी चूची दबाई तो वो मुझसे लिपट गई।
‘सीई… ई… ई.. .बस… अब और ना दबा… इन्हें यार! मेरा अंग अंग फड़क उठता है!’ जिमी सीसीयाते हुए बोली।
‘हाय… मेरे अंदर की आग मुझे झुलसा रही है… जिमी…’ मैं उसकी चिकनी गांड को मसलते हुए बोली।
पाँच मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के अंगों को सहलाती और नोचती रही। हम दोनों की चूचियाँ फुला कर एक दूसरे से सटी हुई थी, चुचूक से चुचूक रगड़ खा रहे थे।
फिर मुझे छोड़ कर वह डंडा उठा लिया जिमी ने, मेरी आँख भी उस पर जा टिकी, वह एकदम गोल और चिकना था।
‘इसकी लम्बाई कुछ ज्यादा नहीं है क्या?’ मैंने पूछा।
‘हाँ करीब 12 इंच है, मेरे हिसाब से 6-6 इंच हम दोनों के हिस्से आ जायेगा!’ जिमी डंडे को देखते हुए बोली।
हम दोनों आमने सामने ही खड़ी थी, जिमी ने बीच में वह डंडा फंसा कर उसका एक भाग अपनी…
शेष अगले भाग में शीघ्र ही! Antarvasna Sex Stories
हमारे यहाँ एक नौकरानी है गंगू बाई नाम की. उसकी उमर भी 20 साल की Sex Stories है. उसका रंग साँवला है और फ़ेस कटिंग एकदम अमीशा पटेल की तरह है। उसके बूब्स एकदम बड़े है और उसकी गांड है एकदम बाहर है. मैं उसको चोदने का ख्वाब बहुत पहले से देखता हूं.
मेरा ये सपना पूरा हुआ जब मेरी मम्मी औस्ट्रेलिया मेरे पापा के पास गयी।
उस दिन मैं घर में था सुबह गंगू बाई आयी तो मैंने दरवाज़ा खोल दिया.
वो अपना काम करने लगी.
मैं तभी अपने बेडरूम में जा के एकदम नंगा हो गया. उसको चोदने का ख्याल आते ही मेरा लंड एकदम टाइट हो गया. मेरे लंड का साइज़ 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है। मैं रात में ही वियाग्रा की गोली लाया था, मैंने उसको खा लिया।
फिर मैंने गंगू बाई को आवाज़ मारी.
वो जब मेरे बेडरूम में आयी तो हैरान हो गयी. मुझे नंगा देख कर हँस के वो किचन में भाग गयी.
मैं उसके पीछे गया. जैसे ही मैं किचन में गया तो वो मुझसे बोली- तुम्हारा इरादा क्या है?
मैं बोला- गंगू बाई रानी, मुझे तेरी चूत को चोदना है.
यह सुनते ही वो मेरी तरफ़ आयी और बोली- इतना कहने में इतने दिन लगा दिये?
मैं उसको फिर गोद में उठा के बेडरूम में ले गया. वहाँ मैंने उसको नंगा कर दिया. उसके बूब्स एकदम पिंक और रसीले थे. मैं झट से उसके बूब्स अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और एक बूब को अपने हाथ से मसलने लगा.
वो आह्ह उह्ह कर रही थी.
मैंनेदस मिनट तक उसके दोनों बूब्स को चूस के और मसल के लाल कर दिया.
तभी मुझे मेरे लंड पे कुछ गीला लगा. मैंने देखा तो उसकी चूत से पानी निकल रहा था।
मैं झट से उसकी चूत पे मुँह डाल के चाटने लगा उसकी चूत के दाने (क्लिट) को अपनी जीभ से चाटने लगा तो वो जोर जोर से चिल्लाने लगी और तड़पने लगी।
अपनी एक उंगली मैंने उसकी चूत में डाल दी। उसकी चूत एकदम टाइट थी। जैसे ही मैं उंगली अंदर बाहर कर रहा था तभी उसका पानी निकल गया.
मैंने सारा पानी चाट लिया और फिर उठ गया.
उसकी गांड के नीचे मैंने दो तकिये रख दिये और उससे कहा- देख आज़ इस लंड से तेरी चूत को चोदूँगा. तूने कभी ऐसी चुदाई करवाई है?
उसने कहा- नहीं.
तो मैंने कहा- तुझे दर्द होगा, सहन करना, फिर बहुत मज़ा आयेगा.
यह कह के मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत में डालने लगा वो बहुत ही टाइट थी जैसे ही मैंने एक धक्का लगाया वो जोर जोर से रोने लगी।
एक और धक्का लगाया मैंने तो वो चिल्लाने लगी और कहने लगी- छोड़ दो मुझे, मुझे नहीं चुदवाना।
मैंने एक और धक्का लगाया तो मुझे लगा कोई चीज़ मेरे लंड को उसकी चूत में रोक रही है.
मैं समझ गया कि उसकी सील है.
मैंने दोनों हाथों से उसके कंधों को पकड़ा और एक जोरदार धक्का लगाया. मेरा लंड उसकी चूत की सील फाड़ते हुए ४ इंच अंदर चला गया.
उसकी चूत से खून आने लगा और पानी भी.
मैं रुक गया.
वो बहुत ही जोर से चिल्ला रही थी और रो रही थी.
मैंने उसके बूब्स को मसलना चालू किया. दस मिनट के बाद वो शांत हो गयी, मैं फिर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
दस मिनट तक मैं धीरे धीरे धक्के लगा रहा था, जब मुझे लगा उसे मज़ा आ रहा है.
तभी मैंने एक जोरदार धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया.
उसकी चूत से पानी निकलने लगा. जैसे ही मैंने थोड़ा लंड को बाहर निकाला उसकी चूत से खून निकलने लगा.
मैं रुक गया. दस मिनट के बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये.
मैंने उसे पूछा- अब कैसा लग रहा है?
वो बोली- दर्द तो कम हुआ है पर मज़ा नहीं आ रहा!
यह सुन के मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. थोड़ी देर में उसकी चूत का पानी गिर गया.
मैंने उसे और जोर से चोदना शुरू कर दिया क्योंकि मैंने वियाग्रा खाया था. तो मुझे मालूम था कि मेरा पानी लेट गिरेगा.
मैं उसको और 30 मिनट तक चोदता रहा.
वो भी बोलती रही- चोद मुझे शान … चोद मुझे … और जोर से आहह उहह शान. हह चोद रे चोद मुझे रंडी बना दे रे चोद मुझे. आह्हह मेरा पानी निकल रहा है आहह उहह!
और उसकी चूत का पानी ४ बार निकल गया।
तभी मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे उठने को कहा.
वो उठ नहीं पा रही थी.
उसको मैंने अपनी गोद में लिया और दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. उसकी चूत से खून और पानी टपक रहा था. उसके झांट के बाल एकदम गीले हो गये थे.
मैंने उसको खड़ा किया और अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुँह पर रख के उसके पैर अपने हाथ में ले लिये।
अभी वो पूरी तरह से हवा में थी।
दीवार से चिपक के मैंने झट से एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा. उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था. दस मिनट में ही उसका पानी निकल गया. मेरे हाथ दुख रहे थे तो मैं उसको बेड पे लिटा के आँधी की तरह चोदने लगा.
मैंने उसको आधा घंटा वैसे ही चोदा. मैं पूरा पसीना हो गया था. वो कम से कम 8 बार अपनी चूत का पानी छोड़ चुकी थी.
तभी मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है. मैंने अपने लंड निकाल के उसके मुँह में डाल दिया. वो उसे एकदम लोलीपोप की तरह चूसने लगी. तभी मेरा माल उसके मुँह में निकल गया और उसने उल्टी कर दी.
मैं उसको गोद में उठा के बाथरूम में ले गया और उसके साथ नहाने लगा. मेरा लंड एकदम टाइट था वियाग्रा की वजह से।
उसके बाद मैंने उसको बाथरूम में भी चोदा पर यह अगली बार में। Sex Stories
मैं उस समय लगभग hindi Sex Stories अट्ठारह साल की थी, तब का यह किस्सा है। मेरे माता-पिता किसी की शादी में बाहर गए हुए थे।
उस दिन मैं एक सेक्सी प्रोग्राम टीवी पर देख रही थी। उसमें एक लड़का लेटा था तथा एक लड़की उसके पास बैठ कर उसके बदन से मस्ती कर रही थी। फिर लड़की ने अपना कुरता खोल दिया, अब वो ब्रा में थी। फिर लड़के से उसने अपनी ब्रा का हुक खुलवा लिया। फिर लड़की ने लड़के के कमीज के सारे बटन खोल दिए। अब लड़का उसके स्तनों से खेलने लगा। लड़की को बड़ा मजा आ रहा था, लड़के का लंड भी उठ गया था तथा वो ऊपर को तन गया था। लड़के ने लड़की की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया। अब लड़की ने भी लड़के की पैंट के बटन खोल कर उसकी चड्डी में हाथ डाल दिया।
मैं यह सब देख रही थी तथा बहुत मजा आ रहा था। मेरी भी चूत अभी गीली हो रही थी। मैंने अपनी चूत में अंगुली डाली तो बड़ा मजा आया। मैंने सोचा कि बिस्तर पर लेट कर मजा लूँगी लेकिन इसी वक्त मुझे लगा कि मरे पीछे भी कोई टीवी देख रहा है। मैंने जल्दी से टीवी बंद किया और पीछे देखा। मेरे अंकल जो फौज में काम करते थे, वो भी देख रहे थे। मैं उनको देख कर मुस्करा दी और बिस्तर पर चली गई, मैं नींद का बहाना करने लगी।
आधे घंटे बाद मुझे लगा कि मेरे साथ कोई सोया हुआ है। मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह फौजी अंकल ही होंगे। उन्होंने अपने शरीर को मेरे शरीर से छुआ दिया। मैंने नींद का बहाना जारी रखा। धीरे धीरे उन्होंने अपना हाथ मेरे वक्ष पर रखा। फिर थोड़ी देर के बाद वो अपने हाथ को फिराने लगे। एक चूची से दूसरी चूची तक धीरे धीरे हाथ फिराते रहे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।
धीरे धीरे वो अपने हाथ को मेरी कमर पर ले गए और फिर वो अपना हाथ मेरी टांगों के बीच में ले गए। उन्होंने मेरी चूत पर अपना हाथ फेरा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।
अब वो मेरी कुर्ती के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगे। वो अपने हाथ मेरी कमर के नीचे डाल कर मेरी कुर्ती की ज़िप तक पहुँचाना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए। मैं धीरे से टेढ़ी हो गई। इसका फायदा उन्होंने उठाया और जल्दी से मेरी कुर्ती की ज़िप खोल दी। इसके बाद उन्होंने मेरी कुर्ती को भी उतार दिया।
मैंने फिर भी नींद का बहाना जारी रखा।
अब मेरी कमर पे सिर्फ ब्रा थी। अंकल मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरी चूची को दबाने लगे। अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मेरे तन-बदन में आग लग रही थी।
इसी बीच मेरे हाथ के पास एक कड़क चीज थी, यह अंकल का लंड था। अंकल अपना हाथ मेरे नंगे बदन पर घुमाने लगे, मेरे बदन पर चूमने लगे। अब उनका हाथ मेरी सलवार तक पहुँच गया और वो मेरा नाड़ा खोलने की कोशिश करने लगे। उनसे नाड़ा खुला नहीं और उल्टा उलझ गया।
अब मैं सोचने लगी कि क्या किया जाए !
किस तरह नींद में रह कर नाड़े को खोला जाए?
मैंने नींद में ही कहा- दरवाजा खुला न रहे ! नहीं तो बिल्ली आकर सब दूध पी लेगी।अंकल जल्दी से उठ कर दरवाजा बंद करने चले गए. मैंने जल्दी से अपना नाड़ा खोल कर इस तरह थोड़ा सा बांध दिया कि आसानी से खुल सके।
अंकल दरवाज़ा बंद करके आये। थोड़ी देर बाद हाथ फिरा का मेरा नाड़ा भी खोल दिया। अभी सलवार उतारने के लिए मुझे फिर अंकल की मदद करनी जरुरी थी। अंकल ने मेरी सलवार को नीचे खिसकाना चालू किया तो मैं थोड़ा सा ऊपर हो गई ताकि मेरी सलवार आसानी से उतर सके। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। अंकल का लंड भी बहुत बड़ा और कड़ा हो गया था जो कि मेरे बदन, जांघ से तथा मेरे हाथ से छू रहा था। अंकल कभी मेरी ब्रा में हाथ डालते तो कभी मेरी पैंटी में !
मैं अब तरपने लगी थी। अब अंकल ने अपने होंट मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगे। अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और उनको चूमने लगी।
अंकल ने पूछा- यह तुमको अच्छा लग रहा था?
मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा था।
उन्होंने बोला- अब मैं जो करूँगा वो तुम्हें बहुत ज्यादा मजा देगा।
उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी। फिर अपनी लुंगी भी खोल दी। उनका लंड एक दम कड़ा और लम्बा था। फिर उन्होंने मुझे पूछा- वैसलीन या घी कहाँ रखा है?
मैंने उनको पूछा- यह क्यों चाहिए?
तब उन्होंने बताया- तुम पहली बार चुदवा रही हो, इसलिए जरुरी है। इससे मेरा लंड तुम्हारी चूत में आराम से घुस जायेगा।
मेरी चूत तथा अपने लंड पर वैसलीन लगा कर वो मेरा चुम्मा लेने लगे तथा जोर जोर से मेरे वक्ष की मालिश करने लगे।
उन्होंने कहा- अब तुम अपने दोनों पांव फ़ैला लो !
मैंने दोनों पांव फ़ैला लिए।
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया, फिर धीरे धीरे उसे दबाने लगे। मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा था तथा दर्द भी हो रहा था। फिर उन्होंने थोड़ा सा लंड और दबा दिया।
अंकल बोले- घबराओ नहीं ! पहली बार दर्द होता हैं लेकिन इतना मजा आता है कि पूछो मत !
सही था, मैं तो पूरा लंड लेना चाहती थी। थोड़ी सी देर में उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मुझे भी दर्द हुआ तथा खून भी निकला लेकिन इतना मजा आया कि पूछो मत।
अब अंकल ऊपर-नीचे होने लगे और मैं भी अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। बहुत ज्यादा मजा आ रहां था…
कुछ मिनट तक ऊपर-नीचे करने के बाद अंकल एकदम अकड़ से गए और इसी बीच मेरे चूत के अन्दर भी जूस निकल गया।
इसके बाद तो अंकल मुझे एक जगह लेकर गए, वहाँ हमने चुदाई का बहुत मजा लिया। लेकिन यह सब अगली कहानी में लिखूंगी। hindi Sex Stories
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