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Massage Girl in Sangrur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Sangrur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Sangrur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Sangrur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Sangrur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Sangrur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Sangrur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Sangrur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Sangrur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Sangrur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Sangrur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Sangrur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Antarvasna

मैं जयपुर का Antarvasna रहने वाला 21 साल का नौजवान हूँ। हमारे जयपुर में 14 जनवरी (मकर संक्रान्ति ) के दिन पतंगें उड़ती हैं। हम लोग पूरी जनवरी महीने में छत पर ही रहते और पतंगें उड़ाते थे।

हम पतंग उड़ाते हुए बहुत मजे करते थे। मैं इस बार अपने दोस्त तरुण के घर की छत से ही पतंगे उड़ा रहा था। उसका घर मेरे घर से एक किलोमीटर दूर है। तरुण के छत के पीछे वाली छत पर रोज़ एक खूबसूरत लड़की आती थी।

मैंने तरुण से उसका नाम पूछा तो बोला- इसका नाम रक्षिता है।
और साथ में यह भी बताया कि यह किसी को लाइन नहीं देती है।
मैंने कहा- मैं इस खूबसूरत रक्षिता से दोस्ती करना चाहता हूँ !
तो वो बोला- तू पागल तो नहीं हो गया? जिस लड़की ने आज तक हमसे दोस्ती नहीं की, वो तुझ से क्या करेगी?

मैं बोला- चल लगी हज़ार की शर्त ! मैं इससे दोस्ती करके रहूँगा।
वो बोला- ठीक है…
अब आप लोगों को उसका आकर्षक फिगर बताता हूँ… उसके वक्ष का आकार 36 और शक्ल मानो करीना सामने आ गई हो…
मैं उसके नाम पर रोज़ मुठ मारता था।

बात 11 जनवरी 2009 की है, उस दिन में पतंग उड़ा रहा था। किस्मत से उस दिन हवा भी रक्षिता के घर की तरफ थी। मैंने देखा कि वो कपड़े सुखाने छत पर आई है तो मुझे एक आईडिया आया और मैंने उसके छत पर रखे गमलों में अपनी पतंग अटका दी।
और आवाज लगाई- मैडम, मेरी पतंग सुलझा दो…
उसने पहले तो मेरी तरफ गुस्से से देखा फिर पतंग हटाती हुई बोली- मिस्टर, मेरा नाम रक्षिता है !

मैं बोला- अच्छा नाम है ! और मेरा नाम रोहित है… और मैंने यह पतंग जानबूझ कर अटकाई थी क्योंकि मुझे आपसे दोस्ती करनी है…

फिर वो गुस्से भरे लाल चेहरे से बोली- तुमने सिर्फ दोस्ती करने के लिए मुझे परेशान किया? दोस्ती के बारे में सोच कर बताउँगी।
मैं बोला- ठीक है…

अगले दिन में छत पर उसका इन्तज़ार कर रहा था, करीब दो बजे छत पर आई। तब मैं अकेला ही छत पर था।
वो आकर बोली- मुझे लगता है कि तुम एक अच्छे इन्सान हो क्योंकि तुमने उसी समय सच्चाई बता दी… इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि मुझे तुमसे दोस्ती करना मंजूर है…
मैं ख़ुशी से उछल पड़ा…फिर मैंने उससे उसका फ़ोन नंबर लिया…

बाद में मैंने तरुण से पूछा- रक्षिता के घर में कौन कौन है?
वो बोला- यह अपने भाई और भाभी के साथ रहती है।

मुझे लगा कि मुझे इसके भाई से दोस्ती करनी चाहिए जिससे रक्षिता के घर में घुस सकूँ !
मैं तरुण से बोला- यार, मुझे रक्षिता के भाई से मिला दे…
तरुण बोला- मिला तो दूंगा, पर आगे बात तुझे ही संभालनी पड़ेगी..
मैंने कहा- ठीक है।

शाम को जब उसका भाई आया तो तरुण ने उससे मुझे मिलवाया…
अगले दिन 13 जनवरी थी तो मैंने रक्षिता के भाई से पूछा- कल मैं आपके साथ आपकी छत पर पतंग उड़ा सकता हूँ?
तो बोले- हाँ क्यों नहीं ! मुझे भी कोई साथी मिल जाएगा..

अगले दिन हम दोनों 9 बजे छत पर पतंग उड़ाने चले गए…
हमने 2-3 पतंगें उड़ाई, तब रक्षिता हमारे लिए कुछ खाने के लिए ले आई…
जब वो आई, तब उसका भाई पतंग उड़ा रहा था, उसका ध्यान हमारी तरफ नहीं था।

मैंने उसे आँख मार दी और उसने मुस्कान दिखाई…
अब तो मैं उसी चोदने के बारे में सोचने लगा…
फिर वो नीचे चली गई।

उसका भाई साढ़े दस बजे ऑफिस जाने के लिए तैयार हो कर चला गया और जाते हुए बोल गया- जब तक इच्छा हो, उड़ा लेना और किसी चीज की जरुरत हो तो मांग लेना !
मैंने कहा- ठीक है…

भैया के जाने के करीब एक घंटे बाद रक्षिता ऊपर आई, बोली- जल्दी पतंग उतारो ! मुझे तुम्हें कुछ दिखाना है जल्दी नीचे आओ…
मैंने जल्दी से पतंग उतारी और बोला- क्या दिखाना है?
बोली- अंदर तो चलो !

और वो मुझे अपने कमरे में ले गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- रोहित, मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो ! मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ।

ऐसा एकदम से सुनकर मैं तो दंग रह गया। फिर सोचा कि अब जल्दी चूत मिल जाएगी।
मैं बोला- मुझे भी तुम्हें देखते ही प्यार हो गया था ! चलो, अब मैं ऊपर जा रहा हूँ, भाभी ने देखा तो मुश्किल हो जाएगी।
वो बोली- वो पड़ोस में गई हैं…
मुझे एक मस्त किस कर ना…
मैं बोला- ले मेरी जान !

और कसके उसे पकड़ा और एक लम्बा किस दिया.. किस देते देते मैं उसके स्तन भी दबा रहा था। अब वो गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी गांड दबाना शुरू किया।
तभी अचानक घंटी बजी, मैं तो सीधे छत पर भाग गया और पतंग उड़ाने लगा।
अगले दिन मकर संक्रान्ति थी..

मैं अगले दिन सुबह 8 बजे छत पर जाने वाला था पर कोहरा होने के कारण मैं 9-30 पर छत पर गया…अपनी नहीं रक्षिता की..

उस दिन उसने गहरे नीले रंग की कसी जींस पहनी थी और गुलाबी रंग का कसा टॉप पहना था। क्या मस्त लग रही थी ! मुझे तो इच्छा हो रही थी अभी बाहों में लेकर चोदना शुरू कर दूँ..

वहाँ पर करीब 12 बजे तक रक्षिता के भैया पतंग उड़ा कर अपने दोस्त के घर चले गए साथ में भाभी को भी लेकर गए…
मुझे तो मजा आ गया…

मुझे अब रक्षिता को चोदने का मौका मिलने वाला था..
भैया के जाते ही मैं रक्षिता से लिपट गया…और उसे बहुत लम्बा किस दिया… और गांड पकड़ कर उसे अपने हाथों से उठा लिया…

थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया .. उसकी जींस में से ही चूत को सहलाने लगा…उसे मजा आने लगा और वो आहें भरने लगी…
मैं अब उसके स्तनों को भी टॉप में से ही दबाने लगा थोड़ी देर में उसकी चूत गीली हो गई…

वो बोली- जानू ! मेरी चूत में से मस्त माल निकल चुका है… अब आप अपने मस्त से लौड़े से मेरी चूत का उदघाटन करोगे…
मैं बोला- जानेमन, इतनी जल्दी भी क्या है… पहले पूरे मजे तो ले लो ! फिर तेरी चूत का भी उदघाटन करेंगे…
वो बोली- आप जैसा कहें मेरे जानू…

फिर मैंने उसे फिर से किस किया और..उसके वक्ष को उसके टॉप से आज़ाद किया… उसके स्तन क्या तो मस्त थे ! मैंने उसके चुचूक को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया…
उसे बहुत मजा आया और वो आहें भरने लगी- जानू, तुम तो बहुत मस्त चूसते हो… चूसते रहो…

फिर मैंने उसकी जींस को उतार फेंका, अब वो सिर्फ पैंटी में थी और बहुत मस्त लग रही थी उसकी काली पैंटी ! वो बिल्कुल अप्सरा लग रही थी…

फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत को चूमने लगा… उसकी चूत में से मस्त खुशबू आ रही थी… वो आहें भरने लगी- अआहछ आह्ह
फिर मैंने उसे कहा- जान अब मुझे भी तो इन कपड़ों से आजाद करो !
बोली- ये लो जानू…

फिर उसने मेरा टी-शर्ट उतार फेंका और मेरे सीने पर चूमने लगी…
मुझे काफी मजा आ रहा था, साथ साथ मैं उसकी चूचियाँ भी दबा रहा था..
फिर उसने मेरी जींस उतारी और बोली- अब यह मस्त लंड आज़ाद होगा…

और उसने मेरा अन्डरवीयर उतारा और मेरे फड़फड़ाते साढ़े सात इंच के लंड को निकाला और मुँह में ले लिया और उसे मजे से चूसने लगी।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था…15 मिनट बाद मेरा पानी निकला और वो चूसने लगी… मुझे काफी मजा आया..

फिर 10 मिनट में हमने कुछ खाया और फिर मैंने उसकी चूत में अपना लौड़ा डाला ..
वो पहली बार चुद रही थी इसलिए मैंने उसकी चूत में आराम से अपना लंड डाला। थोड़ा अन्दर जाने के बाद वो चिल्लाई- रोहित, निकालो इसे ! मुझे दर्द हो रहा है !
मैं बोला- थोड़ी देर बाद अच्छा लगेगा…थोड़ा सहन कर लो इसे…
वो बोली- ठीक है…

फिर मैंने चुदाई चालू रखी… थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो बोली- रोहित, और तेज़ चोदो ! फाड़ दो मेरी चूत को…
मैंने और तेज़ चोदना शुरू किया। थोड़ी देर में वो झड़ गई .. मुझे काफी मजा आ रहा था, मैं लगातार चोदता रहा… थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया। उसने मेरा पानी अपने मुँह में पी लिया। फिर मैंने उसकी गांड भी मारी। हमने काफी मजा किया…

पर उसकी भाभी ने हमें पकड़ लिया और फिर मैंने उसे भी लंड का स्वाद चखाया…उसकी भाभी की चुदाई अगली कहानी में…
मुझे मेल करना मत भूलना… Antarvasna

कहानी का पिछला भाग: किराये का घर-1 Hindi Porn Stories

मैं शाम को सोनम का इन्तज़ार Hindi Porn Stories करता रहा. सात बजने पर मैंने अपनी पेन्ट कमीज़ उतार कर पज़ामा और बनियान पहन ली. मुझे लगा कि अब वो नहीं आयेगी.
तभी नीचे गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ सुनाई दी. मैंने झांक कर देखा तो सोनम के पापा गैराज़ से गाड़ी निकल कर सड़क पर ले आए थे और शायद तनूजा और सोनम की प्रतीक्षा कर रहे थे, शायद कहीं जा रहे थे.
मेरा मन उदास हो उठा.

इतने में मेरा मोबाईल बज उठा. सोनम का फोन था.
सोनम के कुछ बोलने से पहले ही मैं बोल पड़ा- कहाँ हो जानम! कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा! कहीं जा रहे हो तुम लोग?
‘मैं नहीं, मम्मी और पापा जा रहे हैं, उनके जाते ही मैं ऊपर आती हूँ…!’

मैं खुश हो उठा. मेरे मन तार बज उठे… सोनम जैसी कमसिन… कुंवारी लड़की के साथ मजे करने के ख्याल से ही मेरे लण्ड में उफ़ान आने लगा. मैंने अंडरवियर पहले ही नहीं पहन रखी थी. लण्ड का कड़ापन पजामे में से साफ़ उभरने लगा था. इतने में किसी के ऊपर आने की आवाज आई… तो देखा तनूजा थी.

तनूजा को देखते ही मैंने फ़ोन बंद कर दिया.

‘हम लोग थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं इनके दोस्त के घर और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है बाज़ार से!… तुम घर का ख्याल रखना…!’ अचानक उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी…’अरे वाह! मुझे देखते ही ये तो खड़ा हो गया…!’

उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले कर मसल दिया. मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी.
‘अभी आती हू बाज़ार से… ये रात की शिफ़्ट पर चले जायेंगे… तब तक लण्ड पकड़े रहो हाथ में…’ शरारत से मुस्कराते हुए बोली.
‘अब मेरे लण्ड को छोड़ तो दो…’

‘हाय कैसे छोड़ दूं… मस्त मुस्टन्डा है…’ और झुक कर मेरे लण्ड को दांतो से काट लिया और लहराती हुई चली गई. मेरा हाल बुरा हो चला था. नीचे से कार के जाने की आवाज आई और कुछ ही क्षणों में सोनम ऊपर आ गई… छोटी सी स्कर्ट में वो काफ़ी अच्छी लग रही थी.

‘मैं आ गई भैया…’ वो इठलाते हुए बोली.
‘भैया नहीं राहुल!… मुझे मेरे नाम से बुलाओ सोनम!’ मैंने समझाया.

सोनम की नज़र मेरे पूरे शरीर पर घूम रही थी कि उसने मेरे पज़ामे पर वहीं हाथ रख दिया जहाँ अभी अभी सोनम की मम्मी तनूजा ने काटा था.
‘यह क्या है लाल लाल? कुछ गुलाबी सा!’ सोनम ने पूछा.
‘क्या है?’ मुझे भी कुछ मालूम नहीं था.

सोनम ने पज़ामे के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ कर कुछ ऊँचा उठा कर दिखाया. मैं चौंक गया. यह तो तनूजा के होंठों की लिपस्टिक का निशान था जो अभी कुछ क्षण पहले ही वो छोड़ गई थी.

मैंने उसे टालते हुए कहा- ‘पता नहीं! ऐसे ही कुछ लग गया होगा.’
‘नहीं यह तो शायद लिपस्टिक का निशान है! अच्छा! समझ गई! अभी अभी मम्मी ऊपर आई थी, तभी उन्होंने यह किया होगा! मम्मी भी ना बस! सुबह मन नहीं भरा उनका?’ सोनम बोली.
‘छोड़ो ना…! अब यह सब तो चलता ही रहेगा! चलो अब सुबह वाला खेल खेलें… तुम तो देखती ही रह गई सुबह और तुम्हारी मम्मी सारे मज़े ले गई!’ मैंने कहा.
हाँ चलो! वही बड़ों वाला खेल…’ सोनम चहकते हुए बोली.

मुझे लगा आज ये चुद कर ही जायेगी. मजा आ जायेगा…! मैंने प्यार से उसकी कमर में हाथ डाल दिया और चूतड़ों को सहला दिया. उसने भी स्कर्ट के अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी.
‘बोलो सोनू… क्या करूँ?’
‘कुछ भी… मुझे क्या पता? पर तुम्हारा ये खड़ा क्यों है…?’ उसने मेरा लण्ड पकड़ते कहा.
‘पकड़ ले सोनम…जोर से मसल दे…’ मैंने उसके चूतड़ सहलाने चालू रखे. एक हाथ स्कर्ट के अन्दर उसके नंगे चूतड़ो पर फ़िसलने लगा.

‘भैया… जोर से दबाओ ना… मुझे जाने कैसा अच्छा सा लग रहा है!’ उसकी जिस्म में कंपकपी छूट रही थी.
‘साली! तुझे कहा ना! मुझे भैया नहीं पकंज कह!’ मेरी सांसे भी बढ़ गई थी. उसकी नंगी जांघे आज ज्यादा सेक्सी लग रही थी. एक कमसिन कुंवारी लड़की को चोदने का ख्याल ही मेरे रोंगटे खड़े कर रहा था. उसने मेरा पज़ामा उतार दिया और नीचे से नंगा कर दिया. मेरा लण्ड अब मैदाने जंग में खड़ा था.
‘राहुल…अब पापा की तरह मेरे साथ खेलो ना… मेरे पर चढ़ जाओ और मेरी छाती को मसलो…’
‘सच सोनम…आ जाओ… यहाँ सो जाओ…’

मैंने उसका स्कर्ट और टोप उतार दिया. उसकी गोरी और छोटी सी नीबू सी उभरी हुई अनछुई चूंचियाँ, सीधी तनी हुई खड़ी थी. उसकी पहली चुदाई मैं करने वाला था. मैं उसके नीचे आ कर बैठ गया और लण्ड उसकी पनीली और चिकनी चूत पर रख दिया. मैंने लण्ड ने धीरे से जोर लगा कर उसकी चूत की पंखुड़ियो को चीरते हुए द्वार पर दस्तक दी. सोनम खुश हो उठी…
‘भैया अब मैं चुद जाऊँगी ना… जैसे सुबह मम्मी चुदी थी…’
‘फ़िर भैया? भैया नहीं सैंया करते हैं ये काम मेरी जान!’ मैंने सोनम को डाँट लगाई.
‘अच्छा बाबा अब आगे भी कुछ करेंगे मेरे सैंया या यूँ ही डाँट डपट चलेगी!’ सोनम रूआंसी सी बोली.

‘हा मेरी बेबी… ये लो…’ मैंने धीरे से लण्ड अन्दर घुसा दिया. उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. मैंने हौले से थोड़ा और घुसाया.
‘जोर से घुसाओ ना… कितना कड़ा हो रहा है तुम्हारा लण्ड…’ मुझे डर था कि झिल्ली फ़टने से कहीं वो डर ना जाये.
‘सोनू… देखो अब जब तुम्हारी झिल्ली फ़टेगी तो थोड़ा दर्द होगा… देखो झेल लेना… फिर मजा ही मजा है…!’
‘अब चोदो ना… सब सह लूंगी… मुझे पता है दर्द होता है…कितना होता है जरा देखूं तो…’ मैं मुसकरा उठा. तो ये पहले से तैयार है.

मैंने धीरे धीरे और जोर लगा कर अन्दर डाला. मुझे भी लगा कि जैसे नरम सा कुछ छुआ हो… हल्का सा और जोर लगाया तो उसे थोड़ा सा दर्द हुआ.
‘हुआ ना दर्द…’
‘ना ऐसा तो कोई खास नही.’ मैंने और धीरे से घुसाया तो चूत चिकनी सी लगी. सोनम चिहुंक उठी.
‘हुआ ना दर्द…अब तो…’
‘नहीं नहीं…हाँ हुआ तो पर खास नही…’

मुझे ताज्जुब हुआ लण्ड आधा घुस चुका था…पर उसे कुछ नहीं हुआ था. अब मेरी सीमा टूट चुकी थी. मैंने जोर लगा कर अब धीरे धीरे पर बिना रुके पूरा लण्ड घुसा डाला.
‘आह्… अब हुआ थोड़ा सा दर्द…’

मैंने सोचा ये तो चुदी चुदाई है…बस नाटक कर रही है. अगला धक्का मैंने फिर मारा… और फिर मारता ही गया. वो मस्ती से झूम उठी. उसकी चूत मेरे लण्ड को लपेट रही थी. घर्षण बढ़ता ही जा रहा था. उसकी कमर जबरदस्त उछाले मार रही थी. मैंने भी लण्ड के झटके मारने चालू कर दिये… वो दांत भींच कर चुदवा रही थी.

‘मेरी रानी…तू तो बड़ी चुदक्कड़ निकली रे…तेरी जवान चूत तो कमाल की है…क्या गजब की चिकनी है…’
‘बोलो मत!… बस लगाओ जोर से और मस्त हो जाओ… तुम्हारे सुख में मेरा सुख है…’
‘बड़ा अच्छा डायलोग है रानी…तूने तो मेरा दिल ले लिया…’

मैं अपनी पूरी तेजी पर था. सोनम भी मुँह कठोर बना कर आंख बन्द कर…दांत भींच कर चुदा रही थी. उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे… पर जोश गजब का था. मुझे लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है… मेरा शरीर जैसे अकड़ने लगा…सारी नसें खिंचने लगी. इतने में सोनम ने मुझे कस के थाम लिया और चूत ऊपर उठा कर चीखी…

‘हाय…मैं मर गई! क्या हो रहा है मुझे!… मैय्या री…चोद दिया रे…भैया…हाय…भींच लो मुझे…मैं तो गई…उईईईऽऽऽ’ और उसकी चूत की कसावट के साथ मेरा वीर्य भी निकल पड़ा. दोनों के चूत और
लन्ड का मिलन दबाव के साथ एक हो रहा था. जैसे दोनों एक होना चाहते हो. हम दोनों अब एक दूसरे पर चिपक कर लेट गये. और लम्बी लम्बी सांसे भरने लगे. कुछ ही देर में मैं उठ खड़ा हुआ. उसने भी करवट बदली… ये क्या…चादर पर खून ही खून… पर उसे तो कोई खास दर्द भी नहीं हुआ था…फिर ये इतना खून तो कुंवारी चूत से ही…
‘सोनम ये खून…’
‘झिल्ली फ़टी ना तो खून तो आयेगा ही…’
‘पर तुम्हें तो दर्द हुआ ही नहीं था…’
‘हुआ था… पर तुमने इतने प्यार से झिल्ली फ़ाड़ी थी…दर्द ज्यादा नहीं हुआ…सह गई…तुम्हारा मजा खराब हो जाता ना…’
‘क्या… सोनू… तूने मेरा इतना ख्याल रखा…’
मैंने प्यार से उसे गले लगा लिया.

उसने भी अपने ऊपर एक बार और गिरा लिया. अब सोनम चुद कर तैयार हो चुकी थी… उसने मेरा दिल जीत लिया था.
‘तेरी मम्मी आने वाली होगी… तू अब जा… अब मम्मी को भी तो चोदना है ना…’
‘नहीं मुझे और चोदो…’ सोनम मचलने लगी.
आज नहीं कल चुदाई करेंगे…देखो अभी चादर भी गन्दी हो गई है और तुमने ही धोनी है…!’ मैंने सोनम को समझाया.

सोनम मान गई और उसने अपने कपड़े सम्भाले और ठीक से पहन लिये. मेरी चादर को सावधानी से लपेटा और लेकर नीचे चली गई.

थोड़ी देर बाद सोनम फ़िर आ गई ऊपर खाना ले कर… मैंने अपना डिनर लिया… और आराम करने लगा. सोनम मेरे पास बैठी कभी मुझे चूमती और कभी अपनी चूंची मेरी छाती पर रगड़ती. खाना खा कर मेरे में नई ताकत आ गई थी. अब मैं अपने आप को फ़्रेश महसूस कर रहा था.

इतने में कार की आवाज आई. तनूजा आ चुकी थी. सोनम लपक कर खाने के बरतन उठा कर नीचे जाने लगी. तनूजा ऊपर ही आ रही थी.
‘अरे खाना खा लिया… जा सोनम तू बरतन लेजा नीचे!… हेल्लो…मेरे राजा…’ तनूजा चहकते हुए बोली.
‘आ गई…? सोनम के पापा कहाँ हैं? उन्हें छोड़ कर तुम सीधा ऊपर आ गई…?’ मैंने पूछा.
‘हाँ! उन्हें कह कर आई हूँ कि तुम्हें खाना खाने के लिए बुलाने जा रही हूँ, पर तुम तो पहले ही खाना खा चुके हो!’ तनूजा बोली.
‘हम दोनों तो बाहर ही खा कर आए हैं और वो अब ड्यूटी पर जा रहे हैं… अब मैं बिल्कुल फ़्री हूँ… आज की रात हमारी सुहागरात होगी… खूब चोदना मुझे…’ अपनी रात भर की आज़ादी से वो खुश नजर आ रही थी. ‘पर आज तुम्हें मेरे दिल की एक तमन्ना पूरी करनी होगी.’

‘आज्ञा दो मेरी रानी…’
‘तुम्हें गालियाँ आती हैं ना!… चोदते समय अपन दोनों खूब गालियाँ बकेंगे…जैसे इसके पापा देते हैं…’
‘और कहिये…’
‘और हाँ…’ फिर शरमाते हुए बोली…’ गाण्ड मार सकते हो…प्लीज… मुझे अच्छा लगता है…’
मेरे मन में तरंगें उठने लगी…कही मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं. गाण्ड मारना मुझे भी अच्छा लगता था…फिर ऊपर से गालियाँ… आज तो मजा आ जायेगा. इतने में सोनम वापस आ गई.
मैंने तनूजा से कहा- ‘इसे नीचे भेज दो…फिर प्रोग्राम चालू करते हैं!’
‘पहले इसे शान्त करना पड़ेगा…फिर जायेगी ये…’ तनूजा बोली.

मैंने सोनम को प्यार से उसके कोमल होंठों को चूमा…और इशारा किया तो वो समझ गई.
‘तो मैं एक घन्टे बाद आ जाऊँगी… प्लीज इस बार मुझे भी मज़े लेने हैं इस खेल के! दोगे ना…?’
‘अच्छा प्लीज अभी नीचे जाओ…मैं चुद जाऊँ तो आ जाना बस…’ तनूजा ने जरा जोर से कहा. सोनम नीचे चली गई.

सोनम के जाने के बाद मैंने तनूजा को कहा- साली! अपना भोंसड़ा तो दिखा जिसे तू चुदवा कर गई थी मेरे से! अब तक दुःख रहा होगा तेरा भोंसड़ा?’
‘मादरचोद… मेरी भोंसड़ी देखेगा तू…’ उसने अपना भोंसड़ा अपनी साड़ी ऊपर करके दिखाया.
‘तेरी बहन की चूत… ले देख ये रहा मेरा लौड़ा… ये तेरी गाण्ड चोद देगा अब!’ मैंने भी उसका जवाब गाली दे कर पूरा किया.

उसने अपनी साड़ी उतार फ़ेंकी और पेटीकोट भी उतार दिया. उसका भोसड़ा चमक उठा. क्लीन शेव चिकना लाल फूला हुआ. उसका ब्लाऊज और ब्रा मैंने प्यार से उतार दिया. मैंने भी अपना पजामा और बनियान उतार दी. उसका गोरा जिस्म चिकना और लुनाई से भरा था. उसकी गोरे गोरे चूतड़ चमक रहे थे. मैंने उन्हे प्यार से सहलाया.
‘आज गाण्ड की मां चोद दे राजा… बड़ी तरस रही है लवड़ा लेने को…’

मैंने तेल की शीशी उठाई और उसे झुका कर घोड़ी बना दिया और गाण्ड में तेल भर दिया.
‘लो हो गई तैयार तेरी प्यारी गाण्ड…अब देख मेरे लौड़े का कमाल. ‘
तनूजा ने तुरन्त मेरा लण्ड पकड़ा और चमड़ी ऊपर करके लाल सुपाड़ा बाहर निकाल दिया…
‘ये हुई ना बात…अब जाने दे मेरी लपलपाती गाण्ड मे…’ तनूजा मुस्कराई.

मैंने लण्ड को गाण्ड के छेद पर रखा. गाण्ड का फ़ूल खिला हुआ था… पहले से थोड़ी खुली थी. मैंने अपना लौड़ा छेद पर दबा दिया. फ़क से अन्दर उतर गया और उतरता ही गया. तेल का चिकनापन और अभ्यस्त गाण्ड में एक ही झटके में जड़ तक पहुंच गया. गाण्ड की नरम चमड़ी, लण्ड को रगड़ाती हुई मीठा सा अहसास दे गई. गाण्ड का ऐसा आरामदेह चुदना भी मजा दे रहा था.
‘आह मेरी गाण्ड रे… चुद गई गाण्ड रे… भोंसड़ी के लगा धक्के…’
‘मेरी कुतिया… देख मेरा लण्ड अभी कुत्ते की तरह फ़ंसाता हूँ… तेरी माँ चोद दूंगा…रानी!’
‘साले! तू मेरी माँ कैसे चोदेगा! वो तो गई ये दुनिया छोड़ के! अब तू सोनम की माँ चोद! कमीने!’ तनूजा ने कहा.

‘सोनम क्या मैं तो सोनम को ही चोद दूंगा साली तू देखती जा, तेरे सामने तेरी सोनम को नंगी करके चोद दूंगा!’
‘चोद क्या दूंगा! चोद दिया साली को!’
‘तेरी लण्ड टुकड़े कर के कच कच करके खा जाऊ हरामी के पिल्ले… तुझे मना किया था ना! कितना रोई होगी मेरी बच्ची! मेरी चूत से तेरा मन नहीं भरा था जो उस कच्ची कली को मसल दिया तूने छोकरी चोद! हाँ लगा जोर…चोद दे…इस खड्डे को…’ उसे पसीना आने लग गया था.

वो मस्त हुई जा रही थी. अपनी गाण्ड हिला हिला कर उसका जवाब भी मिल रहा था. मैं जम कर जोर जोर से चोद रहा था. मेरा लण्ड लगता था बस छूट ही जायेगा. मैंने अब अपना लण्ड निकाला और पीछे से ही उसकी चूत में पेल दिया.
‘हाय रे मैं मर गई…मजा आ गया…चूत मार दी रे… चोद इस रंडी को…राजा…’
‘हाय मेरी रानी…तुझे रंडी की तरह ही चोदूंगा मै… साली की चूत फ़ाड़ के रख दूंगा…’ मैं गालियों से अति उत्तेजना का शिकार हो चुका था.
‘मेरे राजा, फ़ुद्दी चोद…निकाल दे कचूमर मेरे भोंसड़े का…’ वो नशे में बोले जा रही थी… मैंने हाथ नीचे डाल कर उसका दाना मसल दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूंची खींचने लगा.
‘मर गई भोंसड़ी के… मा चोद दी तूने मेरी चूत की…मैं गई…चोदू रे…मार दे…चोद दे… निकाल दे सारा पानी…हाय रेऽऽऽऽ’ एक चीख के साथ वो झड़ने लगी…

मेरा लण्ड ने भी उसी समय पिचकारी छोड़ दी. मैंने उसकी कमर जोर से पकड़ ली और जोर लगा कर सारा माल उड़ेलने लगा. वीर्य पूरा निकलते ही मेरा लण्ड भी चूत से बाहर आ गया. मैं पास ही बिस्तर पर गिर पड़ा, साथ ही तनूजा भी मेरे ऊपर आ गिरी. सांसे जोर जोर से चल चल रही थी… आज कुछ ज्यादा ही हो गया था. मेरा जिस्म अब टूटने लगा था.

‘राजा… थक गये ना… ये गाण्ड होती ही ऐसी चीज़ है…साली सारा रस निकाल देती है’
‘तनूजा मेरी तो माँ चुद गई आज… तूने भोसड़ी की… मेरा सारा ही माल निकाल दिया…’
‘बस अब गाली नही…सिर्फ़ चोदते समय… मजा आता है…’
‘हाँ मेरी रानी…सॉरी… पर मजा आ गया…’
थोड़ी देर तनूजा और मैं लेटे रहे.

तभी तनूजा ने पूछा- सचमुच चोद दिया तूने मेरी लाड़ली सोनम को क्या?’
‘नाराज मत हो तनूजा…तेरी सोनम भी अभी थोड़ी देर पहले ही चुदी है…’
‘चलो अच्छा हुआ…उसकी झिल्ली फ़टी तो… मैंने सोचा कि उसे दर्द होगा…इसलिये मना करती थी…पर अब उसे चाहे जितना चोदना…’
‘थेंक्स तनूजा… मुझसे नहीं तो वो कहीं ओर चुदवा लेती…इसीलिये मैंने उसे चोद कर सील तोड़ने का आनन्द ले लिया…’

तनूजा उठी और मेरे पर चादर डाल दी और अपने कपड़े पहन कर मेरे पास ही लेट गई. कुछ ही देर में सोनम भी आ गई. और मेरे पास वो भी लेट गई. तनूजा ने कहा- सोनम…चुद गई रे तू तो…’
‘मम्मीऽऽऽ…’ शरम से उसने मुँह छुपा लिया. तनूजा अब उसे बार बार छेड़ रही थी… और सोनम ने शरम के मारे मुँह छुपा लिया. Hindi Porn Stories

(Mere Mama Ka ghar-1) Antarvasna

Antarvasna stories मेरा नाम राकेश है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ, 20 साल का हूँ। कॉलेज में पढ़ता हूँ।

पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने ननिहाल अमृतसर घूमने गया हुआ था।

मेरे मामा का छोटा सा परिवार है। मेरे मामाजी पंकज सेठ 45 साल के हैं और मामी हरिता 42 के अलावा उनकी एक बेटी है कणिका 18 साल की।
मस्त क़यामत बन गई है वो!
अब तो अच्छे-अच्छों का पानी निकल जाता है उसे देख कर।
वो भी अब मोहल्ले के लौंडे लपाड़ों को देख कर नैन-मट्टका करने लगी है।

एक बात खास तौर पर बताना चाहूँगा कि मेरे नानाजी का परिवार लाहौर से अमृतसर 1947 में आया था और यहाँ आकर बस गया।
पहले तो सब्जी की छोटी सी दुकान ही थी पर अब तो काम कर लिए हैं। कॉलेज के सामने एक जनरल स्टोर है जिसमें पब्लिक टेलीफ़ोन, कम्प्यूटर और नेट आदि की सुविधा भी है। साथ में जूस बार और फलों की दुकान भी है।

अपना दो मंजिला मकान है और घर में सब आराम है। किसी चीज की कोई कमी नहीं है।
आदमी को और क्या चाहिए। रोटी कपड़ा और मकान के अलावा तो बस सेक्स की जरूरत रह जाती है।

मैं बचपन से ही बहुत शर्मीला रहा हूँ मुझे अभी तक सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था।
बस एक बार बहुत पहले मेरे चाचा ने मेरी गांड मारी थी।

जब से जवान हुआ था अपने लंड को हाथ में लिए ही घूम रहा था। कभी कभार नेट पर अन्तरवासना पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ लेता था और ब्लू फ़िल्म भी देख लेता था।
सच पूछो तो मैं किसी लड़की या औरत को चोदने के लिए मरा ही जा रहा था।

मामाजी और मामी को कई बार रात में चुदाई करते देखा था। वहीं 42 साल की उम्र में भी मेरी मामी हरिता एकदम जवान पट्ठी ही लगती है। लयबद्ध तरीके से हिलते मोटे मोटे नितम्ब और गोल गोल स्तन तो देखने वालों पर बिजलियाँ ही गिरा देते हैं।

ज्यादातर वो सलवार और कुर्ता ही पहनती है पर कभी कभार जब काली साड़ी और कसा हुआ ब्लाउज पहनती है तो उसकी लचकती कमर और गहरी नाभि देखकर तो कई मनचले सीटी बजाने लगते हैं। लेकिन दो दो चूतों के होते हुए भी मैं अब तक प्यासा ही था।

जून का महीना था। सभी लोग छत पर सोया करते थे।

रात के कोई दो बजे होंगे, मेरी अचानक आँख खुली तो मैंने देखा मामा और मामी दोनों ही नहीं हैं। कणिका बगल में लेटी हुई है।

मैं नीचे पेशाब करने चला गया। पेशाब करने के बाद जब मैं वापस आने लगा तो मैंने देखा मामा और मामी के कमरे की लाईट जल रही है।

मैं पहले तो कुछ समझा नहीं पर ‘हाई.. ई.. ओह.. या.. उईई..’ की हल्की हल्की आवाज ने मुझे खिड़की से झांकने को मजबूर कर दिया।

खिड़की का पर्दा थोड़ा सा हटा हुआ था, अन्दर का नजारा देख कर तो मैं जड़ ही हो गया।

मामा और मामी दोनों नंगे बेड पर अपनी रात रंगीन कर रहे थे।
नीचे मामा लेटे थे और मामी उनके ऊपर बैठी थी।

मामा का लंड मामी की चूत में घुसा हुआ था और वो मामा के सीने पर हाथ रख कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी और.. आह.. उन्ह.. या.. की आवाजें निकाल रही थी।

उसके मोटे मोटे नितम्ब तो ऊपर नीचे होते ऐसे लग रहे थे जैसे कोई फ़ुटबाल को किक मार रहा हो।
उनकी चूत पर उगी काली काली झांटों का झुरमुट तो किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसा था।

वो दोनों ही चुदाई में मग्न थे। कोई 8-10 मिनट तक तो इसी तरह चुदाई चली होगी। पता नहीं कब से लगे थे।

फ़िर मामी की रफ्तार तेज होती चली गई और एक जोर की सीत्कार करते हुए वो ढीली पड़ गई और मामा पर ही पसर गई।
मामा ने उसे कस कर बाहों में जकड़ लिया और जोर से मामी के होंठ चूम लिए।

‘हरिता डार्लिंग ! एक बात बोलूँ?’
‘क्या?’
‘तुम्हारी चूत अब बहुत ढीली हो गई है बिल्कुल मजा नहीं आता !’

‘तुम गांड भी तो मार लेते हो, वो तो अभी भी टाइट है ना?’
‘ओह तुम नहीं समझी?’
‘बताओ ना?’

‘वो तुम्हारी बहन बबिता की चूत और गांड दोनों ही बड़ी मस्त थी ! और तुम्हारी भाभी जया तो तुम्हारी ही उम्र की है पर क्या टाइट चूत है साली की? मज़ा ही आ जाता है चोद कर !’

‘तो यह कहो ना कि मुझ से जी भर गया है तुम्हारा !’
‘अरे नहीं हरिता रानी, ऐसी बात नहीं है दरअसल मैं सोच रहा था कि तुम्हारे छोटे वाले भाई की बीवी बड़ी मस्त है। उसे चोदने को जी करता है !’

‘पर उसकी तो अभी नई नई शादी हुई है वो भला कैसे तैयार होगी?’
‘तुम चाहो तो सब हो सकता है !’
‘वो कैसे?’

‘तुम अपने बड़े भाई से तो पता नहीं कितनी बार चुदवा चुकी हो अब छोटे से भी चुदवा लो और मैं भी उस क़यामत को एक बार चोद कर निहाल हो जाऊँ !’
‘बात तो तुम ठीक कह रहे हो, पर अविनाश नहीं मानेगा!’
‘क्यों?’
‘उसे मेरी इस चुदी चुदाई भोसड़ी में भला क्या मज़ा आएगा?’
‘ओह तुम भी एक नंबर की फुद्दू हो ! उसे कणिका का लालच दे दो ना?’
‘कणिका? अरे नहीं, वो अभी बच्ची है!’

‘अरे बच्ची कहाँ है ! पूरे अट्ठारह साल की तो हो गई है? तुम्हें अपनी याद नहीं है क्या? तुम तो दो साल कम की ही थी जब हमारी शादी हुई थी और मैंने तो सुहागरात में ही तुम्हारी गांड भी मार ली थी !’

‘हाँ, यह तो सच है पर !’
‘पर क्या?’

‘मुझे भी तो जवान लंड चाहिए ना? तुम तो बस नई नई चूतों के पीछे पड़े रहते हो, मेरा तो जरा भी ख़याल नहीं है तुम्हें?’
‘अरे तुमने भी तो अपने जीजा और भाई से चुदवाया था ना और गांड भी तो मरवाई थी ना?’
‘पर वो नए कहाँ थे मुझे भी नया और ताजा लंड चाहिए बस ! कह दिया?’

‘ओह ! तुम तरुण को क्यों नहीं तैयार कर लेती? तुम उसके मज़े लो ! मैं कणिका की सील तोड़ने का मजा ले लूँगा !’
‘पर वो मेरे सगे भाई की औलाद है, क्या यह ठीक रहेगा?’
‘क्यों इसमें क्या बुराई है?’

‘पर वो नहीं.. मुझे ऐसा करना अच्छा नहीं लगता !’

‘अच्छा चलो एक बात बताओ, जिस माली ने पेड़ लगाया है क्या उसे उस पेड़ के फल खाने का हक नहीं होना चाहिए? या जिस किसान ने इतने प्यार से फसल तैयार की है उसे उस फसल के अनाज को खाने का हक नहीं मिलना चाहिए? अब अगर मैं अपनी इस बेटी को चोदना चाहता हूँ तो इसमें क्या गलत है?’

‘ओह तुम भी एक नंबर के ठरकी हो। अच्छा ठीक है बाद में सोचेंगे?’

और फ़िर मामी ने मामा का मुरझाया लंड अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

मैं उनकी बातें सुनकर इतना उत्तेजित हो गया था कि मुट्ठ मारने के अलावा मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा था। मैं अपना सात इंच का लंड हाथ में लिए बाथ रूम की ओर बढ़ गया। फ़िर मुझे ख़याल आया कणिका ऊपर अकेली है। कणिका की ओर ध्यान जाते ही मेरा लंड तो जैसे छलांगें ही लगाने लगा। मैं दौड़ कर छत पर चला आया।

कणिका बेसुध हुई सोई थी। उसने पीले रंग की स्कर्ट पहन रखी थी और अपनी एक टांग मोड़े करवट लिए सोई थी, इससे उसकी स्कर्ट थोड़ी सी ऊपर उठी थी। उसकी पतली सी पेंटी में फ़ंसी उसकी चूत का चीरा तो साफ़ नजर आ रहा था। पेंटी उसकी चूत की दरार में घुसी हुई थी और चूत के छेद वाली जगह गीली हुई थी।

उसकी गोरी गोरी मोटी जांघें देख कर तो मेरा जी करने लगा कि अभी उसकी कुलबुलाती चूत में अपना लंड डाल ही दूँ।
मैं उसके पास बैठ गया और उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा।

वाह.. क्या मस्त मुलायम संग-ए-मरमर सी नाज़ुक जांघें थी।

मैंने धीरे से पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अंगुली फ़िराई।
वो तो पहले से ही गीली थी। आह.. मेरी अंगुली भी भीग सी गई।

मैंने उस अंगुली को पहले अपनी नाक से सूंघा। वाह.. क्या मादक महक थी।

कच्चे नारियल जैसी जवान चूत के रस की मादक महक तो मुझे अन्दर तक मस्त कर गई। मैंने अंगुली को अपने मुँह में ले लिया। कुछ खट्टा और नमकीन सा लिजलिजा सा वो रस तो बड़ा ही मजेदार था।

मैं अपने आप को कैसे रोक पाता। मैंने एक चुम्बन उसकी जाँघों पर ले ही लिया, फ़िर यौनोत्तेजना वश मैंने उसकी जांघें चाटी। वो थोड़ा सा कुनमुनाई पर जगी नहीं।
अब मैंने उसके उरोज देखे। वह क्या गोल गोल अमरुद थे। मैंने कई बार उसे नहाते हुए नंगी देखा था। पहले तो इनका आकार नींबू

जितना ही था पर अब तो संतरे नहीं तो अमरुद तो जरूर बन गए हैं। गोरे गोरे गाल चाँद की रोशनी में चमक रहे थे। मैंने एक चुम्बन उन पर भी ले लिया।

मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही कणिका जग गई और अपनी आँखों को मलते हुए उठ बैठी।

‘क्या कर रहे हो भाई?’ उसने उनीन्दी आँखों से मुझे घूरा।
‘वो.. वो.. मैं तो प्यार कर रहा था !’
‘पर ऐसे कोई रात को प्यार करता है क्या?’

‘प्यार तो रात को ही किया जाता है!’ मैंने हिम्मत करके कह ही दिया।
उसके समझ में पता नहीं आया या नहीं !
फ़िर मैंने कहा- कणिका एक मजेदार खेल देखोगी?’
‘क्या?’ उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।

‘आओ मेरे साथ !’ मैंने उसका बाजू पकड़ा और सीढ़ियों से नीचे ले आया और हम बिना कोई आवाज किये उसी खिड़की के पास आ गए। अन्दर का दृश्य देख कर तो कणिका की आँखें फटी की फटी ही रह गई। अगर मैंने जल्दी से उसका मुँह अपनी हथेली से नहीं ढक दिया होता तो उसकी चीख ही निकल जाती।

मैंने उसे इशारे से चुप रहने को कहा।
वो हैरान हुई अन्दर देखने लगी।

मामी घोड़ी बनी फ़र्श पर खड़ी थी और अपने हाथ बेड पर रखे थी, उनका सिर बेड पर था और नितम्ब हवा में थे। मामा उसके पीछे उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगा रहे थे। उनका 8 इंच का लंड मामी की गांड में ऐसे जा रहा था जैसे कोई पिस्टन अन्दर बाहर आ जा रहा हो। मामा उनके नितम्बों पर थपकी लगा रहे थे। जैसे ही वो थपकी लगाते तो नितम्ब हिलने लगते और उसके साथ ही मामी की सीत्कार निकलती- हाईई… और जोर से मेरे राजा ! और जोर से ! आज सारी कसर निकाल लो ! और जोर से मारो ! मेरी गांड बहुत प्यासी है ये हाईई…’

‘ले मेरी रानी और जोर से ले… या… सऽ विऽ ता… आ.. आ…’ मामा के धक्के तेज होने लगे और वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगे।

पता नहीं मामा कितनी देर से मामी की गांड मार रहे थे। फ़िर मामा मामी से जोर से चिपक गए। मामी थोड़ी सी ऊपर उठी। उनके पपीते जैसे स्तन नीचे लटके झूल रहे थे। उनकी आँखें बंद थी और वह सीत्कार किये जा रही थी- जियो मेरे राजा मज़ा आ गया !’

मैंने धीरे धीरे कणिका के वक्ष मसलने शुरू कर दिए। वो तो अपने मम्मी पापा की इस अनोखी रासलीला देख कर मस्त ही हो गई थी। मैंने एक हाथ उसकी पेंटी में भी डाल दिया।

उफ़… छोटी छोटी झांटों से ढकी उसकी बुर तो कमाल की थी, नीम गीली।

मैंने धीरे से एक अंगुली से उसके नर्म नाज़ुक छेद को टटोला। वो तो चुदाई देखने में इतनी मस्त थी कि उसे तो तब ध्यान आया जब मैंने गच्च से अपनी अंगुली उसकी बुर के छेद में पूरी घुसा दी।

‘उईई माँ…!!’ उसके मुँह से हौले से निकला- ओह… भाई यह क्या कर रहे हो?’
उसने मेरी ओर देखा। उसकी आँखें बोझिल सी थी और उनमें लाल डोरे तैर रहे थे।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया।

हम दोनों ने देखा कि एक पुच्क्क की आवाज के साथ मामा का लंड फ़िसल कर बाहर आ गया और मामी बेड पर लुढ़क गई।

अब वहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं रह गया था। हम एक दूसरे की बाहों में सिमटे वापस छत पर आ गए।

Antarvasna कहानी जारी रहेगी।

प्रेषक : राहुल Hindi Sex Stories

आइये, आपको एक बार Hindi Sex Stories और मैं प्यार की रूहानी दुनिया में कुछ समय के लिये ले चलता हूँ, यहाँ आपको प्यारा नरम सा सेक्स भी मिलेगा, उत्तेजना भी मिलेगी, आपका लण्ड भी खड़ा होगा और आपसी रिश्तो की उल्झन भी नजर आयेगी …

मैं पन्जिम से मडगांव की तरफ़ आ रहा था। शाम ढल चुकी थी। बादलों के कारण मौसम में ठण्डक आ गई थी। अचानक रास्ते में मुझे एक लड़की नजर आई। वो पंजों के बल उछल उछल कर मुझे रुकने का इशारा कर रही थी। बरसात होने वाली थी। काले बादल सर पर आ चुके थे। ऊंचा सा स्कर्ट पहने और गहरे गले का टॉप पहने कोई मॉडर्न गर्ल थी। मैंने उसके पास ही गाड़ी रोकी … कार का दरवाजा खोल कर मैंने अन्दर आने का इशारा किया। वो लपक कर सामने बगल वाली सीट पर आ गई।

“थेन्क्स जो … नाईस ऑफ़ यू … “

“आप मुझे जानती हैं … आप का परिचय … ?”

“मैं शैली … यहीं पास में होटल में काम करती हूँ … आप कल शाम को यहाँ रुके थे ना … “

“ओह हाँ … मैंने 50 रुपये टिप में दिये थे … ऐसे मौसम में बाहर नहीं निकलना चाहिये … “

” रात भर मैं यहाँ क्या करती … सोचा बाहर आ कर कोशिश करूँ … देखा, आप मिल गये ना … यहाँ पास में मन्दिर में रुकना … मुझे कुछ काम है।” उसने सामने मन्दिर की तरफ़ इशारा किया। बरसात चढ़ी हुई थी, मेरा मन रुकने को नहीं था, बस 50 किलोमीटर ही दूर था मडगांव। फिर भी मैंने मन्दिर की तरफ़ गाड़ी मोड़ ली। बूंदा बांदी शुरू हो गई थी। बादलो की गड़गड़ाहट और तेज बिजलियाँ कौंध रही थी। गाड़ी मन्दिर परिसर में खड़ी करके हम दोनों मन्दिर के अन्दर चले आये।

“जल्दी करना शैली … “

“बस दो मिनट … “

इतने में अन्दर से एक लड़का भागता हुआ आया … उसके हाथ में छाता था और शायद वो घर जा रहा था।

“मन्दिर में कोई नहीं है … चलो … ” लड़के ने भागते हुए कहा “बारिश जोर की आयेगी … ”

“अरे मुझे पण्डित जी से काम है … ” शैली ने जोर से चीख कर कहा।

” वो नहीं है … चाबी वहीं हैं … आप इन्तज़ार कर लो … ” वो तेजी से सीढ़ियां उतर कर चला गया।

“मुझे पता है … आओ जो … ” वो मुझे देख कर मुस्कराई …

इतने में बरसात तेज हो गई। हवा में शैली का छोटा सा स्कर्ट बार बार कमर के ऊपर उड़ कर आ रहा था। उसकी छोटी सी पेन्टी में से उसके उभरे हुए चूतड़ साफ़ दिखने लगे थे। मैंने अपना दिल थाम लिया … साली चुदने लायक है … मैंने लण्ड को दबा कर समझाने का प्रयास किया। फिर मैंने निराशा से बाहर देखा और रुकने में ही भलाई समझी। मन्दिर के साथ ही पुजारी का कमरा था,हमने पुजारी का कमरा खोला … और अन्दर आ गये।

आते ही शैली बिस्तर पर लेट गई, लेटते ही उसकी स्कर्ट फिर से ऊपर हो गई। उसकी चिकनी सलोनी गोरी मांसल जांघें चमक उठी। मेरी पैन्ट के ऊपर से लण्ड का उभार देख कर वो भी इतराने लगी और जान करके अपनी टांगें फ़ैला ली। चूत के स्थान पर एक गीला धब्बा उभर आया था।

“शैली , स्कर्ट नीचे कर लो … सब दिख रहा है।” मैंने झिझकते हुए कहा।

“अच्छा … तो देखो ना … कैसी हूँ नीचे से … ” उसने मुझे निमंत्रण देते हुए कहा, अपनी चूत को हाथ से दबाते हुई बोली … गीला धब्बा और फ़ैल गया … चूत का रस निकल रहा था।

“तराशी हुई चिकनी जांघे, गोरी सुन्दर् … छोटी सी पेन्टी … और उभरी और गीली हुई … “

“हाय … ” उसने जल्दी से स्कर्ट ऊपर डाल लिया … “आप तो मेरे अन्दर ही घुसे जा रहे हैं … “

“आपने पूछा था ना … कोई दूसरा होता तो … वो जाने क्या कर डालता … ये गीली … “

“और आप कुछ भी नहीं करते क्या … और गीली क्या … ” खुला न्योता दे रही थी … अगर मैंने कुछ नहीं किया तो वो समझेगी कि मेरे में कुछ कमी है।

“क्यों नहीं करता … । जैसे ये आपके बड़े बड़े सेक्सी चूंचे … और ये गीली चूत … ” मैंने उसके पास जाकर उसके चूंचे दबा दिये।

“रुको … 5000 रुपये लूंगी … ” मुझे भड़का कर उसने कमाई की दर बता दी।

“मंजूर है … पर फिर मैं जो चाहूँगा वो करूंगा … चाहे पिछाड़ी ही मार दूँ !”

“और सुनो … उसके अलावा, मैं जो चाहूँ वो भी करोगे ना … आ जाओ ना … समय कीमती है … शुरू हो जाओ … और निकाल दो मेरी हसरतें … आपकी हसरतें … ” वो बड़े ही प्रोफ़ेशनल अन्दाज में बोली।

“चलो कपड़े उतारें … शैली” बाहर बरसात पूरा जोर पकड़ चुकी थी।

मैंने अपने कपड़े उतार दिये … उसके तो कपड़े वैसे ही ना के बराबर थे। मेरा तन्नाया हुआ लण्ड देख कर उसके मुख से अनायास ही निकल पड़ा …

“माई गॉड … … ये लण्ड है या मूसल … इसका तो पूरा मजा लूंगी मैं तो … ” मुझे समझ में नहीं आया, मेरा लण्ड तो साधारण था, हां खड़े होने के बाद आठ या साढ़े आठ इन्च का हो जाता होगा।

उसकी नंगी चूत गीली थी, हाथ लगाया तो लसलसी सी, चिकनाई से भरी हुई थी … मेरा हाथ उसने झटक डाला।

“यहाँ खड़े हो जाओ जो … ” खुद एक कुर्सी पर नंगी बैठ गई और मेरा लण्ड पकड़ लिया। उसके ठण्डे और नरम हाथों ने मेरे लण्ड को और कड़क कर दिया। मेरे लण्ड को वो हल्के हल्के मलने लगी। मुझे मीठा मीठा सा मजा आने लगा। मैंने उसके बाल पकड़ लिये और दूसरे हाथ से उसकी चूची सहलाने लगा। वो कभी कभी मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस भी लेती थी। मेरा सुपाड़ा उसके थूक से भीग जाता था।

“साला … चूत में घुसेगा तो मुझे मस्त ही कर डालेगा … और गाण्ड को तो मजे आ जायेंगे … “

“शैली, अब जरा मुठ मार के मजा दे यार … “

“ये लो … क्या कड़क लौड़ा है … चूसने में भी मजा आ रहा है … ” और उसने अपने हाथ में लण्ड को ठीक से बांध लिया और जोर से दबा लिया … ।

“तैयार हो जो … तेरा लण्ड अब तो गया … ” उसके हाथों ने कस कर हाथ जड़ तक रगड़ा और फिर बाहर तक दबा कर रगड़ मारी … मुझे लगा कि माल निकाला …

“हां शैली अब लगा कि मुठ मारा है … चल जल्दी जल्दी कर … फिर चुदाई भी तो करनी है …

“जल्दी क्या है जो … ये भयंकर बरसात है, सुबह तक तो चलेगी … तब तक क्या करोगे … “

और उसका भारी हाथ मेरे लौड़े को रगड़ मारते हुये मुठ मारने लगा। मुझे मस्ती चढ़ने लगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि उसके हाथों में इतनी ताकत कहां से आ गई। मेरा जिस्म वासना से भर कर तन गया। लण्ड को मैंने और उभार लिया। शैली जम कर मुठ मार रही थी।

“बस कर शैली … देख मेरा माल निकल जायेगा … “

“जो … निकाल दे माल … निकाल दे … मजा आ जायेगा … ” उसने अपने हाथों को और तेज कर दिया। मेरा लण्ड उफ़ान पर आ गया।

“शैली … रुक जा रे … देख निकल जायेगा … “

उसने हाथ रोक दिया और लण्ड को मुँह में ले लिया … और एक विशेष तरह से लण्ड को मोड़ कर मुठ मारा … तीन चार स्ट्रोक में मेरी हालत खराब हो गई।

“मा … दी फ़ुद्दी … मां चुद गई मेरी तो … हाय रे … ओह्ह्ह्ह्ह्ह” और मेरे लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया, वीर्य उसके हलक में सीधा उतर गया और वो गट से पी गई। अब वो मेरे लण्ड को जोर जोर से चूस रही थी, मानो लण्ड की सफ़ाई कर रही हो … ।

मैं बिस्तर पर लम्बी सांसें भरता हुआ लेट गया। मेरे लेटते ही वो मेरे ऊपर आ गई। और मुझे लिपटा कर चूमने लगी।

“जो मजा आया ना … तेरा लण्ड मस्त है रे … मुठ मारने में बहुत मजा आया … ।”

शैली अपनी चूत मेरे लण्ड पर घिसने लगी … उसकी शेव की हुई चूत के कड़े बाल मेरे लण्ड पर चुभ रहे थे और खरोंचें मार रहे थे। बड़ा मजा आ रहा था।

“शैली तुमने कहां से सीखी ये सब मस्ती वाली हरकतें …? “

“यह तो मैं अस्सी नब्बे सालों से कर रही हूँ … ।” और हंस दी … “तुम्हें जब सौ साल का अनुभव हो जायेगा ना, तो तुम भी एक्स्पर्ट हो जाओगे … “

“हां जैसे सत्तर साल का तो हूँ ही … !” और हम दोनों हंस पड़े।

“सच कहती हूँ रे … साला मजाक समझ रहा है … ” वो हंस के अजीब से स्वर में बोली।

“सच है … चूत 20 साल की, बोबे 15 साल के … जवानी 25 साल की … गाण्ड 20 साल की … और नशीली आंखें … जोशीला बदन … माल निकाल देने वाली अदायें … 20 साल और जोड़ लो हो गया 100 का आंकड़ा।”

“हाय तुमने तो ये बोल कर मेरे बदन में आग लगा दी। आह्ह्ह्ह्ह्ह, साला लौड़ा चूत में घुस ही गया ना”

मेरा लौड़ा जाने कब कड़ा हो गया और शैली ने जोर लगा कर अपनी चूत में घुसेड़ लिया था। मुझे भी चूत का गरम गरम अहसास होने लगा। उसने अपनी चूंचियां उठा कर मेरे मुँह में घुसेड़ दी और मैं उसकी चूची एक एक करके दोनों चूसने लगा। अचानक उसके चूचियों में से दूध आने लगा। मीठा मीठा सा … स्वाद भरा … मैं दूध पीने लगा … उसने अपनी चूत का धक्का जोर से मारा और मेरा पूरा लण्ड चूत ने समा लिया।

“कैसा लगा मेरे जो … दूध का मजा … चूत का मजा … ?”

“इतना सारा दूध निकल रहा है … मजा आ रहा है … पी जाऊँ क्या … तुम्हारा कोई बच्चा है ना … ?”

“कुछ भी मत कहो … तुम ही हो मेरे सब कुछ … बस पी लो … ” और चूत उछाल उछाल कर लण्ड पर मारने लगी। उसकी छाती में से दूध भी बहने लगा। मेरा लण्ड मस्ती में भर गया थ। मेरा पेट दूध पी कर भर चुका था। जाने कितना दूध था उसकी छातियों में …

“जो … राजा तुम्हारा पेट भर गया क्या …? “

“क्या ?? शैली तुम भी ना गजब की हो … ” मैंने भी अपना लण्ड ऊपर चूत पर मारते कहा।

उसका दूध निकलना बन्द हो गया था और अब वो रुक गई थी …

“जो लण्ड निकालो तो … मुझे सू सू आ रही है … ” मेरे लण्ड निकालते ही वो मुझसे लिपट गई और थोड़ा सा जोर लगाया तो पेशाब होने लगा। जाने कैसे मेरे लण्ड में भी तरावट आ गई और मेरे लण्ड से भी पेशाब निकल पड़ा। पेशाब निकलते ही मुझे बड़ा आराम सा लगा। हम दोनों ही पेशाब करने लगे। मुझे लगा कि साथ ही मैं झड़ भी गया हूँ … वीर्य भी साथ निकल गया है … एक अजीबो गरीब अहसास … जो मुझे कभी नहीं हुआ था।

“शैली यह क्या हुआ … मेरा तो माल ही निकल गया … “

“मेरे दूध का असर था … मैं भी झड़ गई हूँ … तुमने मुझे आज पूरा सन्तुष्ट कर दिया है … अब तुम सो जाओ।”

“आअह्ह्ह्ह्ह्ह, ये क्या … मुझे गहरी नींद आ रही है … ।”

“मेरे प्यारे जो, तुम्हारे पापा, मेरे मित्र थे … अपनी मां से पूछना … मुझे तुम्हारे नाना ने मार डाला था … पर मैं तुमसे, तुम्हारे पापा से प्यार करती थी … तुम्हारे अन्दर मुझे डेविड हन्टर नजर आते है … तुमसे चुद कर यूँ लगता है जैसे डेविड ही हो … मुझे तुम्हारा हमेशा इन्तज़ार रहेगा।” जैसे मुझे कोई दूर से बोल रहा हो … मेरी पलकें बंद होती जा रही थी … मैं सोना नहीं चाह रहा था। शैली मेरे ऊपर लेटी हुई मुझे चूमे जा रही थी … । उसके प्यार की गर्मी से मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला।

सुबह पन्डित मुझे जगा रहे थे … मेरा सर भारी था, पन्डित जी ने मुझे कॉफ़ी पिलाई … मेरा सर थोड़ा हल्का हुआ। अचानक मुझे रात वाली घटना याद हो आई … मैंने तुरन्त बिस्तर की ओर देखा … वो एक दम साफ़ सुथरा था … कोई पेशाब का दाग नहीं था।

“अब आप जाईये जो साहब … भाभी को मेरा प्रणाम कहना … !”

मैंने उन्हें धन्यवाद कहा।

मैं बाहर निकल आया … मौसम साफ़ था … मैंने कार स्टार्ट की और मडगांव की ओर चल पड़ा।

घर आ कर मैंने मां से शैली के बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि शैली एक बहुत अच्छी लड़की थी, सुन्दर थी, पर मेरी शादी पापा से होने वाली थी। मेरे पापा को पता चला कि उनका किसी शैली नाम की बार गर्ल से प्यार था और शारीरिक सम्बन्ध भी था। तो वे भड़क उठे। एक बार पापा ने उन्हें आपत्ति जनक हालत में पकड़ लिया, शैली की तो डर मारे पेशाब निकल गई थी, उसके पेट में बच्चा भी था , पर तुम्हारे नाना बड़े बेरहम निकले और शैली की वहीं हत्या कर दी। उसे वो समुद्र में फ़ेंक आये … तुम्हारें पापा को दादा ने बहुत मारा था … … ।

मां बोलती रही … मैं वहाँ से दुखी मन से उठ कर बाहर आ गया … और मजबूर शैली के बारे में सोचने लगा … क्या प्यार करना गुनाह है ??? मैंने सोचा कि शैली से उस रात ही माफ़ी मांग लूंगा, पर उसकी सेक्स की इच्छा, पापा का प्यार जो उसे मुझमें नजर आता है, बच्चे को दूध पिलाने की चाह, पापा जैसा शरीर की चाह … ये तो उसकी ही इच्छा थी … फिर क्या कहूँ उससे … मैं उलझता ही जा रहा था … Hindi Sex Stories

प्रेषिका : उषा Sex Stories

कोठे की कुतिया में आपने Sex Stories पढ़ा कि मौसी ने किस तरह से मुझे एक रंडी बना दिया था।

अब पढ़िए कि किस तरह से मौसी ने मेरी चूत और गांड का भोंसङा बना दिया।

मैं और मोनी मौसी के साथ एक पारदर्शी मैक्सी पहन कर ऊपर की तरफ चले गए जहा मोंटी अंकल हमारा इंतजार कर रहे थे। अंकल को देखकर मौसी बोली- डार्लिंग मस्त लोंडिया तुम्हरे लिए बचाकर रखी हुई है, छूते ही मस्तिया जाओगे और तुम्हारा चेला कहाँ है? मोनी को उसके लिए बचाकर रखा है।

अंकल बोले- टीनू आ रहा है, वो जरा दारू का इंतजाम कर रहा है।

मौसी ने पहले ही मुझे काफी बातें सिखा दी थी कि ग्राहक की सेवा कैसे की जाती है। मैं अंकल के पास जाकर बेठ गई और उनके लौड़े को जींस के ऊपर से रगड़ने लगी।

अंकल मेरे चूतड़ मसलते हुए बोले- मौसी, तुम यह झबले क्यों पहना लाती हो ?

मौसी के इशारे पर मैंने अपनी मैक्सी उतार दी।

अंकल मुस्कराए और बोले- समझदार है !

उन्होंने आगे से मेरी उभरी हुई चूत पर हाथ फेर कर कहा- साली की पाव रोटी तो बड़ी चकाचक है ! ज्यादा चुदी भी नहीं लगती है !

मौसी बोली- बिलकुल ताजा माल है ! पीछे से तो पूरी कुंवारी है आगे से भी लंड छुली हुई है बस। आज तुम्हें इसकी चूत का भोंसड़ा बनाना है।

अंकल गरम हो रहे थे उन्होंने जींस में से लौड़ा निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया। थोड़ा सहलाने के बाद मैंने अंकल का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरी चूत चुदने को पगला रही थी। मौसी बाहर जाने लगीं और मुझसे बोली- अंकल जैसे कहें वैसा करना ! अगर अंकल खुश नहीं हुए तो तेरी चूत और गांड की भोंसड़ी तो बनाउंगी ही, साथ ही साथ चेहरा भी इतना सुंदर कर दूँगी कि कोई तुझे चोदने के दो रुपए भी नहीं देगा।

मौसी मोनी को लेकर बाहर चली गई और बोली- अंकल, मौज करो ! टीनू को दूसरे कमरे में बैठा दूँगी।

अंकल का लंड बहुत सुंदर था। आट इंच लम्बा लंड किसी भी औरत की चूत चोद चोद कर फाड़ने के लिए काफी था।

मैं अंकल का लंड मुँह में आगे पीछे करते हुए मस्ती से चूस रही थी। सच मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अंकल ने मेरे चूतड़ थपथपाते हुआ कहा- थोड़ा अपनी चूत चुसवा ! बहुत मस्त लग रही है।

उन्होंने मेरी टाँगें खींच कर अपने मुँह की तरफ कर ली अब मैं और अंकल 69 कि अवस्था में एक दूसरे के ऊपर थे, अंकल नीचे से मेरी चूत के होंठ चूस रहे थे और मेरे मुँह में उनका लौड़ा गरम हो रहा था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए चूत और लंड की चुसाई का मज़ा ले रहे थे।

थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे ऊपर से हटा दिया और सीधे पलंग पर लेटा दिया और अपने तने हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी चूत पर फिराने लगे। मैं चुदने के लिए बुरी तरह से पगलाने लगी। मेरे मुँह से ऊह आह आह आह अंकल चोदो मुझे चोदो जैसी आवाजें निकलने लगी।

अंकल ने थोड़ी देर में अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी दोनों चूचियां दबाकर कर एक जोर का झटका दिया। मैं एकदम से बुरी तरह से चिल्ला उठी। अंकल का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस चुका था। मेरी चीख निकल गई- उईऽऽ मर गई ! मर गई ! मर गई, छोड़ो ! बहुत दुःख रही है छोड़ो !

अंकल ने मेरे दूध भोंपू की तरह दबाते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में मुझे चुदने में मजा आने लगा। अब मैं मस्त होकर चिल्ला रही थी, मेरे मुँह से ऊ ऊहं ऊहं ओह आह आह अहह बड़ा मज़ा आया और चोदो चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है जैसे आवाजें निकलने लगी।

अंकल चोदने में बहुत माहिर थे, कभी धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करते थे और कभी तेज कर देते थे। बराबर वो चूचियां और चुचक भी मसल रहे थे और होठों पर भी काट रहे थे। उनकी चुदाई में एक मज़ा था। मेरे होठों में अपने होंठ डालते हुए अंकल बोले- कुतिया थोड़ी गांड हिला हिला कर लंड अंदर ले ! बहुत मज़ा आयेगा।

मैं अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी। अब मेरी चुदने की मस्ती बढ़ गई थी, चुदने का मज़ा दुगना हो गया था। थोड़ा चोदने के बाद अंकल ने मुझे तिरछा कर दिया और मेरी टांग उठाकर पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और पीछे से मेरी चूत में धीरे धीरे धक्के मारने लगे।

मैं इस समय चरम सीमा का अनुभव कर रही थी, मेरी चूत बहुत तेज धार से पानी छोड़ रही थी। अंकल ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया। मेरी चूत पूरी वीर्य से भर गई थी। मुझे आज चुदाई में एक चरम सीमा का आनंद आया।

बहुत दिनों के बाद मैं चुदी थी, चुदने के बाद मैं मस्तिया कर लेट गई। अंकल उठे और उन्होंने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और कमरे में रखे फ़्रिज से दारू की बोतल निकाल ली और दारू का ग्लास बना लिया। मूवी में दो हब्शी एक लड़की की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे। अंकल अपना लौड़ा सहलाने लगे, थोड़ी देर में अंकल का लंड फिर खड़ा हो गया था। उन्होंने मुझे इशारा किया, मैं उठकर अंकल के पास आ गई। अंकल ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया।

उनका लौड़ा पूरा तन गया था। उन्होंने दारू का ग्लास मुझे पकड़ा दिया और मेरी टांगें चौड़ी कर थोड़ा नीचे को फिसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। अब मैं अंकल के लौड़े पर बैठी हुई थी। एक हाथ से अंकल दारू का ग्लास पकड़े हुए थे और एक हाथ से कभी मेरी चूत का दाना सहला देते और कभी चुचक दबा देते। ब्लू फिल्म मैं भी बड़े प्यार से देख रही थी अंकल ने मेरी चूत में अपना लौड़ा फिट कर रखा था। बीच बीच में वो एक दो धक्के मुझे उचका के मार देते थे। मेरा बदन एक बार फिर गरम होने लगा था।

हम दोनों सोफा कुर्सी पर बैठे थे जिसके हत्थे नहीं थे। अंकल ने मेरी चुचकों पर चुटकी काटी और मेरे स्तन दबाते बोले- जरा साइड में देख !

साइड में एक बड़ा शीशा लगा हुआ था, मैं नंगी शीशे में देखकर शरमा गई। अंकल ने मुझे बैठे हुए ही कुर्सी मोड़ दी अब मैं शीशॆ के सामने थी और नंगी उनके लंड पर बैठी हुई अपने को देख रही थी। मैं पूरी रंडी बनी हुई थी अंकल ने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी।मेरी चूत और उसमें घुसा हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था। अंकल मुझे कमर से पकड़ कर धीरे धीरे उछालने लगे और बोले- थोड़ा लौड़े पर कूद ले ! मौसी की रंडियां इतनी शर्माती तो नहीं हैं ! मस्ती से चुदवा, नहीं तो मौसी से शिकायत करनी पड़ेगी।

मौसी का नाम सुनकर मैं डर गई और उनके लौड़े पर उछल-उछल कर खुद चुदने लगी। आज तक मैं अपने पति से कभी रौशनी में नहीं चुदी थी। अब यहाँ चूत चौड़ी कर खुद चुद रही थी और अपनी चुदाई शीशे में देख रही थी। अंकल भी अब अपना लौड़ा गांड हिला हिला कर तेजी से पेल रहे थे, लेकिन मुझे चुदाई में जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं चुदाई की मस्ती में नहा रही थी। अंकल ने कुछ देर बाद मुझे सोफे के नीचे बैठा दिया और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अपना सारा लंड रस मेरे मुँह में उतार दिया। मेरा मुँह अंकल के लंड रस से भर गया जिसे मुझे अपने अंदर लेना पड़ा इसके बाद अंकल ने मुझे छोड़ दिया। मैं पेशाब करने बाथरूम में चली गई बाथरूम में दरवाज़ा नहीं था केवल पर्दा पड़ा था।

रात के तीन बज़ रहे थे, अंकल ने दूसरी ब्लू फ़िल्म लगा ली और मुझे बगल में बैठा लिया। उन्होंने मेरे गले में हाथ डाल लिया और थोड़ी देर बाद बोले- जा जरा मेरी पैंट की जेब में एक थैली पड़ी होगी, उसे लेकर आ।

मैं थैली लेकर आ गई। उसमें एक गोली का पत्ता था और एक ट्यूब रखी थी। अंकल ने एक गोली निकाल कर खा ली और ट्यूब साइड में रख ली। ब्लू देखते हुए अंकल मेरी चूचियां दबा रहे थे और चूचक नोच रहे थे। मैं अब थक रही थी और मेरी चूत की प्यास शांत हो चुकी थी।

थोड़ा इतरा कर मैं बोली- डार्लिंग, नींद आ रही है, सोने जाने दो न !

अंकल बोले- बस अभी से? अभी तो तुम्हरी गांड भी नहीं मारी है। अच्छा एक काम करो इस ट्यूब से क्रीम निकाल कर मेरे लौड़े पर मलो, मरती क्या नहीं करती ! मैं झुककर अंकल के लौड़े पर क्रीम मलने लगी। अंकल ने क्रीम से सनी दो ऊँगली एक साथ मेरी गांड में अंदर तक घुसा दी। मैं अनमने मन से उई उई करते हुए अपनी गांड में ऊँगली घुसवा रही थी और अंकल के लौड़े और सुपाड़े पर क्रीम की मालिश कर रही थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे लौड़ा चूसने के लिए बोल दिया। अब अंकल का क्रीम लगा चिकना लौड़ा मैं मुँह में चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स मस्ती की जगह मैं जैसे कोई सेक्स की मजदूरी कर रही हूँ।

अंकल अब ऊँगली की जगह अपने पैन को मेरी गांड में आगे पीछे कर रहे थे। मुझे लग रहा था कि अब मेरी गांड फाड़ी जाएगी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे फिर बगल मैं बैठा लिया। अंकल का लंड तनतना रहा था। लेकिन अब मेरा चुदने का मन नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आने लगी। मैं उठी और मुस्करा के बोली- अंकल पेशाब कर के आती हूँ !

अंकल कुटिलता से मुस्कराए और बोले- ठीक है !

मैं उठी और बाथरूम में चली गई।

जब मैं पेशाब कर के उठी तो देखा अंकल पीछे खड़े थे और उनका लंड उछाल मार रहा था। अंकल ने पीछे से कमर से मुझे पकड़ लिया और बोले पीछे का माल तो तेरा बड़ा मस्त है, चल झुक जरा तेरी गांड तो चोद दूँ ! क्या मस्त दिख रही है !

अंकल की पकड़ बड़ी मजबूत थी, मुझे कुतिया की तरह झुकना पड़ा। मैंने अपने हाथ इंग्लिश टोइलेट सीट पर लगा दिए। उन्होंने अपनी दो उंगलियाँ मेरी गांड में डाल दी और कस कस के गोल गोल गांड के अंदर घुमा दी। मैं ऊई ऊई कर के कराह उठी। अंकल ने ढेर सारा थूक मेरी गांड पे डाल कर अपना सुपारा मेरी गांड के मुँह पर रख दिया और एक तेज झटका मारकर सुपारा मेरी गांड में घुसा दिया। मेरी चीख निकल गई और मैं चिल्ला उठी- उई उई मर गई मर गई !

लेकिन रंडी तो बजने के लिए ही बनी है, अंकल अब अपना लंड मेरी गांड में घुसा रहे थे, चिकना लंड मेरी गांड में अंदर तक घुसता जा रहा था। मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था। अंकल ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में ठूस दिया था मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाउंगी। मैं चीख कम और रो ज्यादा रही थी। मेरे दोनों चूतड़ फाड़ दिए गए थे। अगले दो मिनट बाद ही में बहुत तेजी से चिल्ला उठी। अंकल ने पूरा लंड बाहर खींच कर फिर दुबारा एक झटके में अंदर डाल दिया था। मेरी चीख बहुत तेज थी। पूरी नीचे गली तक गई होगी क्योंकि रात के तीन बज़ रहे थे और एक शांति सी थी। लेकिन यहाँ तो रोज लड़कियां बजती थीं इसलिए मुझे उम्मीद नहीं थी कि कोई मुझे बचायेगा अब कोठे की कुतिया के दोनों छेद फट गए थे, अंकल ने मेरी गांड बजाना शुरू कर दी थी। वाकई चुदाई तो मेरी अब हो रही थी, अभी तक तो मैं चूत लौड़े की मस्ती ले रही थी जो शरीफ औरतें रोज़ अपने पति से लेती हैं। चुदाई क्या होती है यह तो बस रंडी ही जानती है।

वाकई मौसी ने मुझे कुतिया बनाकर कोठे पर चुदवा दिया था। मेरे मुँह से बार बार उई मर गई फट गई बचाओ छोड़ो मुझे छोड़ो ऊ मर गई ऊ ओई ऊ ओई ऊ ओई फट गई की आवाजें निकल रही थीं अंकल ने दस मिनट तक मेरी गांड बुरी तरह से ऐसे चोदी जैसे कि सड़क की कुतिया की कुत्ते चोदते हैं। उसके बाद उन्होंने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं बाथरूम में ही लेट गई थी। अंकल ने मुझे उठाकर पलंग पर डाल दिया।

अब मेरी गांड और चूत दोनों फट गई थीं। अंकल मेरी बगल में लेट गए थे।

आधे घंटे बाद मौसी एक आदमी और एक रंडी जिसका नाम शोभा था, के साथ अंदर आई और बोली- अंकल, क्या हुआ ? ठंडे पड़ गए?

अंकल मुस्कराए और बोले- तीन राउंड निपटा चुका हूँ, तेरी कुतिया ठंडी पड़ी है।

अंकल उठकर पलंग के पास सोफा कुर्सी पर बैठ गए। मौसी ने मेरी चूत पे हाथ फिराया और बोली- तेरी मुनिया तो बड़ी चकाचक हो रही है। बड़े आराम से लेटी हुई है, लगता है जैसे कि हनीमून के मज़े ले रही हो ! चल उठ और धंधा कर साली ! जब तक तेरी मुनिया बुरी तरह से सुजेगी नहीं, तब तक चुद ! उसके बाद तुझे खुद ही नींद आ जाऐगी। चल उठ और ग्राहक के लिए ग्लास बना। मैं खड़ी हो गई। जानी पलंग पर बैठ गया।

शेष दूसरे भाग में ! Sex Stories

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