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हेल्लो Antarvasna । मैं आप सब के सामने पहली बार एक स्टोरी पेश करने जा रहा हूं। उम्मीद है यह स्टोरी मेरे सभी पढ़ने वालों को बेहद पसंद आयेगी।
और खास कर लड़कियों और आंटियों को।
तो सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूं। मैं संजू कोलकाता , बंगाल . मुझे क्लास १० से ही सेक्स करने की इच्छा बहुत ज़ोर की थी। मैं हमेशा एक शादी शुदा औरत के साथ ही पहली बार सेक्स करना चाहता था क्योंकि वो बहुत एक्सपेरिएंस और सहयोगी होतीं हैं।
बात उस समय की है जब मैं १२वीं में पढ़ा करता था। मैं अंगरेजी के ट्युशन के लिये एक सर के घर जाता था। हम लोग ५ दोस्त एक साथ जाते थे। टीचर हम सब को दोपहर ३ बजे बुलाते थे और ५ बजे छोड़ते थे। हम लोग रोज ट्युशन जाते थे। सर भी शादी शुदा थे और सर की बीवी एक दम मस्त थी और बहुत ही खूबसुरत थी। जिस दिन से मैने उसे देखा था, मैं बस उसी के बारे में सोचता था। उसका नाम रेखा था। वो एक बंगाली टीचर था। मैं आपको बता दूं कि रेखा हर दोपहर अपने बेडरूम में सोती थी और सर हमें होल मे पढ़ाते थे। उसके उठने का समय ४.३० शाम था। वो हर रोज ४.३० के लगभग सो कर उठती थी और गाउन पहन कर बाथरूम के लिये जाती थी जो एक कोमन बाथरूम था, होल में। हम जहां पढ़ते थे वो प्लेस बाथरूम के जस्ट पास ही था। और वो टोइलेट करती थी तो उसका मूत इतना प्रेसर के साथ निकलता था कि उसकी आवाज़ हमारे कानों तक जाती थी। बस यही तमन्ना मन में होती थी कि एक बार उसके साथ सेक्स करने को मिल जाये तो ज़िंदगी हसीन हो जाये।
ऐसे ही दिन गुज़रते गये, और कुछ दिन बाद हमारे सर जो वहां के एक स्कूल में टीचर थे, उनका ट्रांसफ़र हो गया। तभी सर ने हमें कहा कि उनका ट्रांसफ़र हो गया है इस लिये हम किसी और टीचर का बंदोबस्त कर लें। फ़िर सर ने एक ओप्शन और रखा कि उनकी बीवी भी वोही सब्जेक्ट पढ़ाती है, अगर हम चाहे तो उनसे ट्युशन ले सकते हैं। क्योंकि सर का ट्रान्सफर टैमपरेरी बसिस पर हुआ था और उन्हें अभी फ़ैमिली ले जाने का ओर्डर और फ़्लैट नहीं मिला था। इस लिये सर अकेले जा रहे थे।
मेरे सभी दोस्तों ने मना कर दिया और दूसरे टीचर को ज्वोइन कर लिये। मगर मैं रेखा मैडम से ट्युशन लेने को राजी हो गया। सर ने भी मुझे थेंक्स कहा। जब सर जाने लगे तो उन्होने मुझे कुछ बाते बताईं कि मैं अपनी टीचर का ध्यान रखुं, अगर उन्हे कोई चीज़ चाहिये तो उन्हे ला दूं,। और मैने सर को भरोसा दिलाया कि मैं ऐसा ही करुंगा। फ़िर सर चले गये। मैडम घर में एक दम अकेली। उनको कोई बच्चा भी नहीं था। फ़िर मैं मैडम से ट्युशन लेना शुरु कर दिया और कुछ ही दिन में मैं मैडम का दोस्त भी बन गया और मैडम मेरी दोस्त बन गयी। मैं मैडम का बहुत ख्याल रखता था और मैडम मुझे एक स्टुडेंट की तरह बहुत प्यार भी करती थी। धीरे धीरे १ महीना बीत गया। फ़िर एक दिन मैने मैडम से कहा मैडम आपको सर की याद नहीं आती, मैडम ने कहा याद तो बहुत आती है मगर कोई और रास्ता भी तो नहीं है। फ़िर मैने मैडम को हिम्मत करके कहा मैडम एक बात पूछूं तो मैडम ने कहा तुम मुझसे कुछ बोलो उससे पहले मैं तुम्हे एक बात बोलना चाहती हूं। तो मैडम ने कहा कि “जब हम दोनो एक दूसरे का इतना ख्याल रखते हैं और दोस्त भी हैं तो फ़िर आजसे तुम मुझे मैडम नहीं बल्कि रेखा बोलोगे। और वैसे भी तुम पूरे दिन मेरे घर में ही तो रहते हो इसलिये मुझे मैडम सुनना अच्छा नहीं लगता।” मैं राज़ी हो गया।
फ़िर रेखा ने कहा कि तुम कुछ पूछ रहे थे तो मैने बहुत हिम्मत कर के कहा कि रेखा …। फ़िर मैं चुप हो गया और आधी बात में ही रुक गया। तो रेखा बोली क्या बात है और मैने कुछ नहीं कहा। फ़िर उसने मुझे अपनी कसम दी और बोली कहो ना नहीं तो मुझसे बात मत करना और मुझसे ट्युशन भी मत पढ़ने आना। मैने फ़िर कहा कि तुम बुरा तो नहीं मानोगी तो उसने कहा नहीं फ़िर मैं बोला कि तुम्हे क्या सेक्स करने का मन नहीं करता। ऐसा केहने पर रेखा चुप हो गयी और मेरी तरफ़ आश्चर्य से देखी। मैं डर गया था और मैने उसे सोरी कहा तो उसने कहा कि तुम्हे सोरी नहीं बल्कि मुझे तुम्हे थैंक्स कहना चाहिये। तुम्हे मेरा कितना ख्याल है और मेरे पति को मेरा ज़रा सा भी ख्याल नहीं। और उसने मुझे मेरे गाल पर एक किस दिया। फ़िर हमने साथ में डिनर किया और मैं अपने घर चला गया।
फ़िर कुछ दिन बाद, मैं एक दिन रेखा के घर गया मगर वो घर में दिखाई नहीं दे रही थी। मैं हर एक रूम देख रहा था मगर वो कहीं नहीं थी फ़िर मैने एक बाथरूम का गेट खोला और मैने वो देखा जो मैने कभी सोचा भी नहीं था। बाथरूम का गेट लोक नहीं था और जैसे ही मैने गेट खोला तो देखा कि रेखा अपने बाथरूम के कमोड पेन में बैठी थी। उसका गाउन, ब्रा और पेंटी पास ही में रखी थी। वो एक दम न्युड थी और उसने अपने लेफ़्ट हैंड की तीन उंगलियां अपनी चूत में घुसा रखी थी और राइट हैंड से अपनी चूची को दबा रही थी। उसकी आंखें बंद थी और वो मज़ा ले रही थी। मैं करीब ५ मिनट तक बिना कुछ कहे उसे देखता रहा। मेरा लंड पूरा खड़ा और हार्ड हो गया था और मेरा मन कर रहा था कि अभी उसे चोद दूं। मगर मैने अपने आप को सम्भाल कर रखा। कुछ देर बाद मैने कहा “रेखा – यह क्या!” रेखा बिल्कुल डर गई और अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने गाउन से अपने जिस्म को ढकने लगी और मेरी तरफ़ देखती हुई अपने रूम में चली गयी। मैं होल में एक सोफ़े पर बैठ गया।
कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आयी और मेरे पास बैठ गयी और कहने लगी “तुम्हे क्या पता एक शादी शुदा औरत इतने दिन अपने पति के बगैर कैसे रह सकती है। सेक्स तो हर एक को चाहिये” और ऐसा कह कर मुझ से लिपट कर रोने लगी। फ़िर मैने उसे सम्भाला। फ़िर उसने मुझे यह बात किसी से नहीं कहने को कहा, उसके पति से भी नहीं। मैं राज़ी हो गया। फ़िर मैने कहा कि अगर तुम्हे सेक्स कि इतनी ही चाहत है तो मैं तुम्हारी यह चाहत पूरी कर सकता हूं। ऐसा कहने पर वो और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी और मुझे फ़िर से एक चुम्मी दी और कहा “सच? क्या तुम मुझे प्यार करोगे। और मेरे पति को भी नहीं बताओगे। तुम कितने अच्छे हो”। ऐसा कह कर वो मुझे चूमने लगी और मैं भी उसे कस कर अपनी बाहों में दबाने लगा। और कुछ देर तक हम वैसे ही रहे। फ़िर मैं जाने की लिये उठने लगा तो उसने कहा कहां जा रहे और। मुझे कब प्यार करोगे। मैने कहा मैं शाम को ८ बजे आउंगा। और फ़िर चला गया।
मैं शाम को उसके घर पहुंचा और अंदर गया तो देखा कि उसने एक बहुत ही सुंदर ट्रांसपेरेंट साड़ी पहन रखी है। उसकी बड़ी बड़ी चूची उसके ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रही थी। उसका पेट पूरा दिखाई दे रहा था। क्योंकि वो शादी शुदा थी, उसका जिस्म पूरा हरा भरा था। और मुझे ऐसी ही औरत अच्छी लगती थी। उसकी कमर बड़ी बड़ी थी और गोल भी थी। वो पूरी गोरी नहीं थी पर उसका रंग बहुत ही मस्त था। वो बहुत ही सुंदर और गरम औरत थी। उसका होंठ बड़े बड़े और आंख मोटी मोटी थी। उसकी उंगली लम्बी लम्बी थी। वो सर से पैर तक चोदने लायक थी। उसे देख कर ऐसा लगता था जैसे वो चुदवाने के लिये बिल्कुल तैयार है।
वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और अपना बेडरूम लोक कर लिया। उसके बाल खुले थे। मैने उसे कहा, कि आज मैं उसे हर तरह से खुश और उसकी सेक्स की गरमी को थंडा कर दूंगा। वो मुस्कुरा कर बोली चलो देखते हैं। उसके ऐसा कहने पर मेरा लंड और गरम हो गया। और मैने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमने लगा। फ़िर मैने उसे बेड पर बिठाया और उसके पेट पर अपना हाथ फ़ेरने लगा। वो भी फ़िर जोश में आने लगी और मेरे सिर के बाल को सहलाने लगी। मैने उसकी चूंचियों को अपने एक हाथ से जोर से पकड़ लिया और दबाने लगा। वो पहले तो थोड़ा दर्द से कंराहने लगी फ़िर शांत हो गयी और मैं उन्हे दबाता रहा और ऐसा करते करते उसके साड़ी के पल्लू को ऊपर से गिरा दिया। और धीरे धीरे उसकी साड़ी खोल दी। वो अपने लहंगे में और ब्लाउज में थी। फ़िर उसने मेरे शर्ट और पैंट को उतार दिया। मैं सिर्फ़ अंडरपैंट में था। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर सो गयी और मेरी छाती को चूमने और चाटने लगी। उसके ऐसा करने पर मुझे लगा कि ये पूरी अनुभवी है।
और मुझे फ़िर उसके चूत की गर्मी का भी अंदाजा हो गया। वो मुझे कुछ देर तक चूमती रही और कहा कि तुम मेरी चूची का मज़ा नहीं लेना चाहते और ऐसा कहते कहते उसने अपना ब्लाउज उतार दिया। उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूची को देख कर मैं हैरान रह गया। उसके निप्पल ब्राउन रंग की थे और उसकी चूची का रंग बिल्कुल गोरा था। मैने उसे एकबार में बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर उसकी एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को दबाने लगा। वो ज़ोर से आहैं भरने लगी और मुझे और ज़ोर से दबाने को कहा। मैने ऐसा ही किया। उसने मेरे सिर को पीची से पकड़ कर जोर से अपनी चूची पर रगड़ने लगी। ऐसा लगता था जैसे वो अपनी पूरी चूची मेरे मुंह में भर देना चाहती हो। कुछ देर बाद मैने उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार कर फ़ेंक दिया।
वो एक सुंदर फूलों वाली गुलाबी रंग की पेंटी पहनी हुई थी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि अभी अपना गरम लंड उसकी चूत में घुसा दूं। उसकी गोरी जांघे मोटी मोटी और अच्छी शेप में थी। मैने उससे पूछा कि तुम अपने पति के साथ सेक्स कैसे करती हो, तो उसने कहा कि वो मुझे ज्यादा मज़ा नहीं देते। मेरी चूची को कुछ देर चूसते हैं और अपना लंड मेरी चूत में डाल देते हैं और कुछ ही देर में झड़ जाते हैं। मुझे तो झड़ने का मौका ही नहीं मिलता। तुमने मुझे जिस दिन बाथरूम में उंगली करते देखा था वो तो मैं उनके होते हुए भी करती हूं। मैने कहा और कुछ नहीं करती हो। उसने कहा और होता ही क्या है। तो मैने उसे कहा कि तुम्हे तो अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। उसने कहा सच, अगर ऐसा है तो जल्दी करो न।
और ऐसा कहने पर मैने उसकी पेंटी को धीरे धीरे उतार दिया। मैने उसे बिल्कुल नंगी कर दिया था। मैने पहलि बार किसी औरत की चूत को ऐसे देखा था। उसकी चूत बिल्कुल कड़ी थी। उसपर हल्के हल्के ब्राउन रंग के बाल चारों तरफ़ थे। मैने फ़िर अपना अंडरपैंट उतारा तो मेरा भी मोटा और ७” लम्बा लंड देख कर वो बोली कि ऐसे लंड से चुदवाने का मज़ा मुझे पहली बार आयेगा। मैने कहा इसे टेस्ट करना चाहोगी। उसने कहा मुझे घिन आयेगी। तो मैने कहा कर के तो देखो। फ़िर मैने उसे बिना कुछ कहे उसके दोनो पैर को चौड़ा किया और उसके पैरों के बीच बैठ कर उसकी चूत में एक चुम्मी दे दी। ऐसा करने पर उसने कहा, तुम ऐसा मत करो। तुम्हे घिन आयेगी। मैने कहा, इसी में तो सारा मज़ा है।
फ़िर मैने उसे अपनी जीभ से चाटना शुरु किया और उंगली से उसको फ़ैलाने लगा। ऐसा करने पर उसे बहुत दर्द हो रहा था। उसने मुझे ऐसा नहीं करने को कहा मगर मैं कहां सुनने वाला था। वो जोर जोर से सिसकियां भर रही थी। और मैं पूरे जोर से उसके चूत को चूस रहा था। उसके चूत में एक बहुत ही सुंदर खुशबू आ रही थी। उसकी चूत बहुत गरम थी। मैं करीब १५ मिनट तक उसकी चूत को चूसता रहा। कुछ देर बाद उसे अच्छा लगने लगा। मैने उससे पूछा अब कैसा लग रहा है तो उसने कहा अब कुछ अच्छा लग रहा है। मैने फ़िर अपनी दो उंगली उसके गरम चूत में घुसा दी मगर उसकी चूत इतनी कड़ी थी कि वो अंदर नहीं जा रही थी। मैं आप सब को एक बात बता दूं। मैं बहुत सारी ब्लु फ़िल्म देखता हूं और मुझे मालूम है कि किस लड़की को किस तरह चोदना चाहिये। तो चूंकि उसकी चूत में मेरी उंगली नहीं जा रही थी तो मैने उसकी चूत पर अपना थोड़ा सा मूत गिरा दिया। उसने पूछा ये क्यों तो मैने कहा ये इसलिये ताकि तुम्हे दर्द नहीं हो। और ऐसा करने पर उसकी सूखी चूत गीली हो गयी और मेरी उंगली आसानी से अंदर चली गयी और मैं उसे जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। ऐसा करते करते उसका जिस्म काँपने लगा और उसने कहा कि तुम अपना मुंह और उंगली वहां से हटा लो, मैं अब झड़ने वाली हूं। मैने कहा मैं उसे पीना चाहता हूं इतना कहते कहते वो झड़ गयी और मैं उसके पूरे रस को पी गया और एक बूंद भी नहीं गिराया।
उसने कहा तुमने मुझे बहुत संतुष्ट किया है और मैं भी अब तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूं। उसने भी मेरा लंड अपने मुंह में लिया और उसकी चमड़ी को पीछे करके उसके अंदर वाले सेंसिटिव पार्ट को अपने जीभ से रगड़ने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। वो मेरा पूरा ७” लम्बा लंड अपने मुंह में लेना चाहती थी। उसके चूसते कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला था इस लिये मैने अपना लंड उसके मुंह से निकालना चाहा मगर वो भी वही करना चाहती थी जो मैने किया मगर मेरे थोड़ा तनने से मेरा लंड उसके मुंह से बाहर निकल गया और मैं वहीं झड़ गया और मेरा सारा रस उसके पूरे मुंह में पिचकारी की तरह छिटक गया, कुछ उसके होठों पर, कुछ उसके गाल पर और चारों तरफ़। वो उस पूरे रस को अपने होठों और उंगली से चाटने लगी और उसका पूरा मज़ा लेने लगी।। फ़िर उसने मुझे थेंक्स कहा और मेरे लंड को अपने होठों से चाट कर साफ़ कर दिया। और अब मुझे अपना लंड चूत में घुसाने को कहा। मैने ऐसा ही किया।
मैने धीरे धीरे अपने लंड को उसके चूत में घुसाने लगा मगर उसके घुसने से पहले ही वो चीख पड़ी। फ़िर मैने थोड़ा और जोर लगाया और ४” उसके चूत में डाला। उसका दर्द और बढ़ गया। वो और जोर से छटपटाने लगी और मुझे बस करने को कहा। उसने कहा “मेरे पति का लंड तो सिर्फ़ ५” का ही है और अब मैं तुम्हारा ९” लम्बा लंड कैसे घुसाउंगी।” मैने कहा तुम उसकी चिंता मत करो और एक और झटका लगाया और मेरा ७” लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े मगर मैं रुका नहीं और धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत बहुत गरम थी। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा। कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। वो अपनी कमर को मेरे साथ साथ आगे पीछे करने लगी।
चूंकि हम दोनो अभी अभी झड़े थे इसलिये दोबारा इतनी जल्दी झड़ना मुम्किन नहीं था। इस लिये मज़ा और ज्यादा आने लगा। ऐसा करते करते कुछ देर बाद वो झड़ गयी। उसकी गरम चूत गीली हो गयी। और वो शांत पड़ गयी। मगर मैं रुका नहीं और मैं उसे चोदता रहा। उसने मुझे अब रुकने को कहा मगर मैं रुका नहीं और अपना काम करता रहा। लगभग १० मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और मैने अपना पूरा माल उसकी चूत में गिरा कर शांत हो कर उसकी बाहों में सो गया। वोह मुझे चूमती रही और मेरे ऊपर लेट गयी। कुछ देर बाद मैने उसे कहा, अभी तो और एक मज़ा बाकी है। उसने कहा वो क्या। तो मैने कहा, अभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा जिसमे तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा। उसे उसके बारे में कुछ नहीं मालुम था। उसे लगा इसमे भी बहुत मज़ा आयेगा और वो राज़ी हो गयी।
फ़िर मैने उसे उसके बेड के एक कोने मे कुत्ते की तरह खड़े होने को कहा और उसके दोनो हाथ बेड के ऊपर रख दिये। उसका पैर ज़मीन पर और उसकी कमर बीच में। फ़िर मैने उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया ताकि वो कुछ गीली हो जाये। फ़िर मैं अपने होठों से उसकी गांड चाटने लगा और उसे पूरी तरह गीली कर दिया। उसे अच्छा लग रहा था। फ़िर मैने अपना लंड अपने हाथों में लेकर उसके गांड के छेद पर लगाया और अपने हाथों से पकड़ कर एक धक्का मारा। मेरे धक्के मारते ही वो चीख पड़ी और कहा मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैने कहा थोड़ा सहन करो। पहली बार है ना। और फ़िर बार बार धक्का लगाता रहा, बार बार वो चीखती रही और बार बार मेरा लंड कुछ अंदर जाता रहा। ऐसा करते करते मेरा लंड ४” अंदर चला गया। उसने मुझसे रोते हुए उसे छोड़ देने को कहा। मगर मैने उसे समझाया कि बस कुछ देर बाद है उसे मज़ा आयेगा।
ऐसा कहने पर वो मान गयी और मैने फ़िर एक जोरदार धक्का लगा कर अपना लंड १.५” और अंदर ठेला। ऐसा करते करते मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया और वो जोर जोर से सिसकियां भरने लगी। फ़िर मैने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरु किया और कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा। फ़िर मैने उसकी चूची को पीछे से पकड़ कर दबाने लगा और उसकी गांड भी मारने लगा। ऐसा करते करते मैं फ़िर से झड़ गया और अपना पूरा रस उसकी गांड में दाल दिया। और फ़िर उसे बेड में लेकर लेट गया और उसकी चूची चूसने लगा।
फ़िर मैं बेड पर लेट गया और उसे मैने अपने लंड पर बैठाया और रेखा ने धीरे धीरे मेरा सारा लंड अपनी गांड में घुसवा लिया। वो मेरे लंड पर नाचने लगी और मज़ा लेने लगी। उसने फ़िर अपनी लम्बी उंगली की बड़े बड़े नैल्स से मेरे गांड के आस पास के एरिया को खरोंचने लगी। ऐसा करने पर मुझे बहुत आराम लग रहा था। फ़िर उसने मेरी गांड के छेद पर अपने मुंह का थूक गिराया और अपनी उंगली मेरे मुंह से गीली कर के मेरी गांड में अपनी उंगली घुसाने लगी। मुझे पहली बार बहुत दर्द हुआ और कुछ देर बाद मज़ा आने लगा और वो करीब १५ मिनट तक ऐसा करती रही।
ऐसा करते करते हम दोनो कब सो गये हमे मालूम ही नहीं चला। फ़िर सुबह हुई और हम दोनो एक दूसरे के जिस्म से लिपटे हुए उठे। और जब भी मौका मिलता मैं उसे दिन में भी चोदने लगता। हम दोनो फ़िर हर रोज़ एक साथ सोने लगे और मैने उसे हर एक पोस मे चोदा और मज़ा दिया। हम ब्लुफ़िल्म भी साथ देखते और उस स्टाइल में एक दूसरे को चोदते। मैने उसकी गांड मार मार कर उसकी कमर को चौड़ा कर दिया था जिससे वो और भी सुंदर लगती थी।
मैने अपनी एक पुरानी ख्वाइस भी पूरी करनी चाही। मैने उसे कहा कि जब मैं सर से पढ़ता था और जब तुम दोपहर को सोने के बाद टोइलेट करने जाती थी तो तुम्हारा प्रेसर सुनकर मुझे तुम्हारे चूत को चाटने का मन करता था। तब उसने कहा कि तुम अपनी इच्छा अभी पूरी कर लो। और फ़िर वो बाथरूम में गयी, उसने मूतना शुरु किया उसी प्रेसर के साथ और मैने उसके मूतते हुए अपना मुंह उसके चूत से सटाया। उसका सारा मूत मेरे मुंह पर गिरने लगा और मैं उसका मज़ा लेने लगा।
Antarvasna
इस तरह जब मेरा मन करता मैं रेखा को चोदने लगता और वो भी पूरी चाहत के साथ मुझसे चुदवाती।
हाय Antarvasna , मेरा नाम राजेश है। मैं कोलेज में लास्ट ईयर में पड़ता था। मेरी उम्र 24 है। मैं बीच की छुट्टियों में मेरे गांव गया।
गांव में हमारा बड़ा घर है। वहाँ मेरी मां और पापा रहते हैं। मेरे पापा एक बिल्डर है। मेरी मां हाउसवाइफ़, हम बहुत अमीर घराने से हैं हमारे घर में नौकर-चाकर बहुत हैं।
मैं अपने गांव गया। दोपहर में मेरे घर पहुंचा। खाना हुआ और थोड़ी देर सोया, शाम को मां के साथ थोड़ी बातें की और गांव घूमने चला गया। रात करीब मैं 8 बजे घर आया।
मेरी माँ का मूड ठीक नहीं था, मैंने मां को पूछा- मां, पापा कहाँ है?
मां ने कुछ जवाब नहीं दिया।
मेरी मां बहुत गुस्से वाली हैं, वो जब गुस्सा में होती है तब वो गंदी गालियाँ भी देती है, लेकिन वो नौकरों के साथ ऐसा नहीं करती, गालियाँ नहीं देती।
मां ने कहा- चल, तू खाना खा ले… आज अपना बेटा आया, फ़िर भी ये घर नहीं आये। तू खा… हम बाद में फ़ार्म हाउस पर जायेंगे। वहाँ पर तेरे पापा का काम चल रहा है।
मैंने खाना खाया और हम निकले।
पापा ने मेरी मां को स्कूटर दी थी, हमारा फ़ार्म हाउस हमारे घर से एक घंटे पर ही था। मां ने स्कूटर निकाला, मैं मां के पीछे बैठ गया।
हाँ… मेरे मां का नाम प्रिया है उसकी उम्र 45 है लेकिन वो सुंदर है, वो टिपीकल हाउस वाइफ़ है, सेहत से परफ़ेक्ट, थोड़ी मोटी।
“आओ वहाँ चलें!” मां ने पंजाबी ड्रेस पहना था।
मैं मां के पीछे था, हम चल दिये, मैंने मेरे हाथ स्कूटर के पीछे टायर पर पकड़े थे।
मां बीच-बीच में कुछ बोल रही थी लेकिन कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, शायद वो बहुत गुस्से में थी।
एक घंटे में हम फ़ार्म हाउस पर पहुंच गये.
फ़ार्म हाउस के गेट पर वाचमैन था.
उसने मां को सलाम ठोका और कहा- साहब यहाँ नहीं हैं, वो शहर में गये हैं.
वो हमें गेट में आने नहीं दे रहा था।
मां ने ‘ठीक है’ बोला और स्कूटर स्टार्ट की।
हम थोड़े ही आगे गये और मां ने स्कूटर रोक दिया, उसे कुछ शक हुआ, उसने मुझे कहा- तू यहाँ रुक, मैं आती हूं!
माँ बंगले की तरफ चलने लगी और वाचमैन का ध्यान नहीं… ये देख कर अंदर चली गई और बंगले की खिड़कियों से ताक-झांक करने लगी।
मैंने देखा कि मां क्यों नहीं आ रही है और मैं भी वहाँ चला गया।
मैंने देखा मां बहुत देर वहाँ खड़ी थी और खिड़की से अंदर देख रही थी। वो करीब 10-15 मिनट यहाँ खड़ी थी।
मैं थोड़ा आगे गया और मां आई और कहा- साले, तुझे वहाँ रुकने को बोला तो आगे क्यो आया? चल बैठ हमें घर जाना है!
मां को इतना गुस्से में नहीं देखा था।
मैं बैठा, रास्ते में बारिश चालू हुई, मेरे हाथ पीछे टायर पर थे गांव में रास्ते में लाइट नहीं थी.
तभी मां की गांड मेरे लंड को लगने लगी. मैं थोड़ा पीछे आया लेकिन मां भी थोड़ा पीछे आई और कहा- ऐ, ऐसा क्यों बैठा है, ठीक से मुझे पकड़ कर बैठ!
मैंने मेरे दोनों हाथ मां के कंधे पर रखे लेकिन खराब रास्ते की वजह से ठीक से बैठ नहीं रहे थे।
मां ने कहा- अरे, पकड़ मेरी कमर को, और आराम से बैठ…
मैंने मां की कमर पर पकड़ा, लेकिन धीरे धीरे मेरा हाथ मेरे मां के बूब्स पर लगने लगे, वो उसके बूब्स… क्या नर्म-नर्म मखमल की तरह लग रहे थे और मेरा लंड भी 90 डिग्री तक गया… वो मेरी मां के गांड को चिपकने लगा।
मां भी थोड़ी पीछे आयी। ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड मां के गांड में घुस रहा है।
हमारा घर नजदीक आया, हम उतर गये। करीब रात 11.45 को हम घर आये।
मां ने कहा- तू ऊपर जा, मैं आती हूं।
मां ऊपर आयी, वो अभी भी गुस्से में लग रही थी। मालूम नहीं, क्यों वो बीच बीच में कुछ गालियाँ भी दे रही थी लेकिन वो सुनाई नहीं दे रहा था।
मां के कहा- आ, मैं तेरा बिस्तर लगा दूं।
उसने उसकी चुन्नी निकाली और वो मेरे लिये बिस्तर लगाने लगी.
मैं सामने खड़ा था वो मेरे सामने झुकी… और मैं वहीं ढेर हो गया उसके बूब्स इतने दिख रहे थे कि मेरी आंखें बाहर आने लगी, उसके वो बूब देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था.
उसने काला ब्रा पहना था उसका सेंटर हुक भी आसानी से दिख रहा था.
तभी मां ने अचानक देखा और बोला- तू यहाँ सो जा!
लेकिन मेरा ध्यान नहीं था, वो मेरे सामने झुकी और मेरा ध्यान उसके बूब्स पर था.
ये बात समझ गयी और वो ज़ोर से चिल्लाई- राजेश, मैंने क्या कहा सुनाई नहीं दिया क्या? तेरा ध्यान किधर है… साले मेरे बाल देख रहा है?
यह सुन कर मैं डर गया लेकिन मैं समझ गया कि मां को लड़कों की भाषा मालूम है।
उसने बिस्तर लगाया और कहा- मैं आती हूं अभी!
वो नीचे गई, मैंने देखा उसने हमारे बंगले के वाचमैन को कुछ कहा और ऊपर मेरे रूम में आ गई।
हम दोनों अभी भी बारिश के वजह से गीले थे।
मां मेरे रूम में आई, दरवाजे की कड़ी लगाई और उसने अपनी पंजाबी ड्रेस की सलवार निकाल कर बेड पर रख दी.
मैं मेरा शर्ट निकाल ही रहा था इतने में मां मेरे सामने खड़ी हो गई।
मां ने मेरी शर्ट की कोलर पकड़ी और मुझे घसीट कर मुझे बाथरूम में ले गयी।
मेरे कमरे में एक ही प्राइवेट बाथरूम था।
मां फ़िर बाहर गयी और मेरे कमरे की लाइट बंद करके मेरे सामने आ के खड़ी हो गयी।
उसने मेरी तरफ देखा, कपड़ा लिया और मेरे बाथरूम के खिड़की के शीशे पर लगा दिया ताकि बाथरूम में लाइट थी और बाहर से कोई अंदर ना देखे इस लिये शायद।
फ़िर से उसने मेरी तरफ देखा… वो अभी भी गुस्से में लग रही थी, तुरंत ही उसने मेरे गालों पर एक जोर का तमाचा मारा.
मैं मां के ही तरफ गाल पर हाथ रख कर देख रहा था लेकिन तुरंत ही उसने मेरे गालों को चूमा और अचानक उसने उसके होंठ मेरे होंठों पर लगा कर मुझे चूमना चालू किया.
मैं थोड़ा हैरान था लेकिन मैंने भी मां के वो बड़े-बड़े बूब्स ढके थे और मां के बारे में सेक्स का सोचने लगा था।
चूमते चूमते उसने फ़िर से मेरी तरफ देखा, वो रुक गई और पूरी ताकत लगा के उसने अपना ही ड्रेस फ़ाड़ डाला और मेरा भी शर्ट खोल दिया जब उसने ड्रेस फ़ाड़ा।
ऊऊ मय… मय… मय… मय… मैं सोच भी नहीं सकता था कि मां के बूब्स इतने बड़े होंगे वो तो उसके ब्रा से भी बाहर आने की तैयारी में थे फ़िर वो मुझे चूमने, चाटने लगी।
उसने मुझे चड्डी उतारने को कहाँ- साले, अपनी चड्डी तो उतार!
अपनी चड्डी उतारी मैंने और मैं अपनी मां पे चढ़ गया, मैं भी उसके बूब्स को चाटने लगा, चूमने लगा और जोर से दबाने लगा.
मैंने भी मां का ब्रा फ़ाड़ डाली… मैं भी एकदम पागलों की तरह मां के बूब्स दबाने लगा। मैं उन्हे दबाने लगा.
मां की मुंह से आवाजें निकलने लगी- आआऊ ऊओ ईइम्म ऊऊओ… सलीए आआअ… ऊऊआयी ईईइ’
इतने में उसने मुझे धक्का दिया और एक कोने में छोटी बोतल पड़ी थी उसमें उसने साबुन का पानी बनाया, और शोवर चालू किया और कहा- मैं जैसा बोलती हूं वैसा कर!
वो पूरी तरह जमीन पर झुकी और दोनों हाथों से अपनी गांड को फ़ैलाया और कहा- वो पानी मेरी गांड में डाल!
मैंने वैसा किया, साबुन का पानी मां के गांड में डाला।
मां उठी और मेरे लंड को पकड़ा और साबुन लगाया दीवार की तरफ मुंह कर के खड़ी हुई और कहा- साले, भड़वे चल तेरा लंड अब मेरी गांड में घुसा!
जैसा कि मैंने कहा था कि मेरी माँ कभी-कभी गालियाँ भी देती है।
मैंने मेरा लंड मां के गांड पर रखा और ज़ोर का झटका दिया।
मां चिल्लाई- आआअ म्मम्मू ऊऊउ आआअ, साले भड़वे बता तो सही तो डाल रहा है!
साबुन की वजह से मेरा लंड पहले ही आधे से ज्यादा घुस गया, और मैं भी मां को जोर के झटके देने लगा।
मां चिल्लाई- साले, भड़वे ईई… आआअ… ऊऊउ.. आअ’
मैं भी थोड़ा रुक गया।
मां बोली- दर्द होता है, इस का मतलब ये नहीं के मजा नहीं अता आआअ… मार और जोर से मार बहुत मजा आता है… भड़वे बहुत्तत्तत सालों के बाद मैईई आज चुदवा रही हूं।
‘आअम्मी आआईई अऊऊ… मार मार मार आआ’ वो भी जोर से कमर हिला के मुझे साथ दे रही थी और मेरे झटके एकदम तूफ़ानी हो रहे थे…
मेरी हाइट 5’5″ और मां की 5′
हम खड़े-खड़े ही चोद रहे थे, उसकी गांड मेरी तरफ, मैं उसकी गांड मार रहा था उसका मुंह उस तरफ और हाथ दीवार पर थे मेरा एक हाथ से उसकी बुर में उंगली डाल रहा था और एक तरफ उसके बाल दबा रहा था.
इतने में उसने मेरी तरफ साइड में मुंह किया और एक हाथ से मेरे गाल पकड़े और मेरे होंठों पर उसके होंठ लगाये हम एक ‘कामसूत्र’ के पोज़ में खड़े थे…
वो भी मेरे होंठों को चूम कर बोली- तूऊऊ… थोड़ी देर पहले मेरे बोल देख रहा था ना… मादरचओद है रे तूऊऊ मैं अभी तुझे पुराआआ मादरचोद बना ऊऊउ गीईई… आआ…
तभी मैं मां को बोला- आज इतने गुस्से मैं क्यों हो?
मां बोली- साले सब मर्द एक जैसे ही होते हैईईइं… आआईईइ ऊऊउ… जानता है… हम जब फ़ार्महाउस पर गये तब आ…आऐईईइ मैंने क्या देखा आ… खिड़की ईईए…ईइ से?
मैं एक तरफ झटके दे रहा था इसलिये मां बीच-बीच में आवाजें निकाल रही थी।
मैंने पूछा- क्या देखा तूने?
मां ने कहा- तेरा बाप… किसी और औरत को चोद रहा था आआ ईई ऊऊ आआअ मैं हमेशा इंतज़ार करती थी… अब मुझे समझ में आया, वो बाहर चोदता है आआ… ईई… ऊऊओ…
मैं रुक गया, तभी वो बोली- तू रुक मत आआऐ ईईऊओ… चोद मुझे भड़वे अपनी मां को चोद। आज से तेरी मां हमेशा के लिये तेरी हो गई… अज्ज आआअ तू ही मेरा सनम हैईई… आऊऊ ओइम्मम्म… अच्छा लगता है
तभी मैंने मां के गांड में और ज़ोर का झटका दिया, वो भी उसकी गांड ज़ोरो से आगे पीछे हिला रही थी।
आखिर में मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरे लंड का पानी मां की गांड में डाल दिया।
मां चिल्लाई- आअ ऊ ऊ ऊओ ऊ ऊ म्मम्मीईईइ… कितना पानी है तेरे में… खतम ही नहीं हो रहा है आआऔ ऊऊ… क्या म्मस्त लग रहा हैईइ… सालाआआ मादर चोद… सही चोदा तूने मुझे ईईए।
थोड़ी देर हम एक-दूसरे को ऐसे ही चिपकाये रहे और हम पलंग चले पर गये और सो गये…
थोड़ी देर के बाद मेरी नींद खुली, मां मेरे पास ही सोई थी, हम दोनों अभी भी नंगे ही थे.
मैं मां के बुर में उंगली डालने लगा तभी मां की नींद खुली और वो बोली- क्या फ़िर से चोदेगा?
मैंने बोला- मुझे तेरी बुर चाहिये! तेरी गांड तो मिल गयी लेकिन तेरी बुर चाहिये!
और मां की बुर में उंगली डालने लगा उसे सहलाने लगा.
मुझे कंट्रोल नहीं हुआ, मैंने मां के दोनों पैर ऊपर किये और मेरा लंड मां के बुर पर रखा और ज़ोर से धक्का मारने लगा।
मैंने झटके देना चालू किया.
तभी मां भी कमर हिला के मुझे साथ देने लगी मेरे झटके बढ़ने लगे.
मां चिल्लाने लगी- आआअ… छह्हहद और्रर… चओद… फ़ाड़ डाल मेरी बुर, तेरे बाप ने तो कभी चोदा नहीं लेकिन तू चओद और चोद, मजे ले मेरीईई बुर के आआअऊऊ औऊऊउ ईई… और तेज़्ज़, और तेज़ज़ आआईइ मिओआआ… आआअ ऊऊओ…
मां भी ज़ोर से कमर हिलाने लगी और मैं मां के बोल और ज़ोरो से दबा रहा था.
मां बोली- चोद रे, मादरचोद और चोद्द, दबा मेरे बोल्ल और दबाआआअ और चाट और काट… मेरे बोल को… और उन्हे बड़ी कर दे ताकि मेरा ब्लाउज़ से वो बाहर आये दबा और दबा चल डाल पानी अब… भर डाल अपनी मां की बुर पानी से आआऊओ… तेरे गर्म्मम पानी से आआऊऊओ!
तभी मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरा लंड का पानी मां के बुर में डाल दिया.
मां चिल्लाई- आआअ… ईईइ क्याआअ… गर्म पानी हैईई… ये है असली जवानीईईइ… आज से तू मेरा बेटा नहीं मेर… ठोक्या है, आज से तू मुझे ठोकेगा। आअऊऊ ओईई… क्या पानी है सालों बाद मिल्ला आआअ… आज एक बात अच्छी हो गयी, तेरे पापा उस रंडी के साथ सो गये लेकिन उनकी ही वजह से मुझे मेरा ठोक्या मिल गया… आज से तू ही मुझे ठोकेगा।
थोड़े ही दिन में मैं शहर चला गया और मेरे कोलेज में चला गया, छुट्टियों में मां मेरा और मैं मां का इंतज़ार करने लगा।
बाद में हम हमेशा एक दूसरे को चोदने लगे. Antarvasna
मैं दिल्ली का रहने वाला Sex Stories हूँ और मुझे सेक्स की बातें अच्छी लगती है।
मेरी कहानी कुछ एक साल पुरानी है। जब मैं नेट में कुछ काम कर रहा था तब कोई साईट खुल गई जो दोस्त बनाती है।
वहाँ जाने से मुझे कुछ दोस्त मिल गए। वहाँ से मैंने लड़कियों से बातें करनी चालू की।
और वहाँ एक लड़की बहुत आज़ाद किस्म की निकली। हम करीबन एक साल सेक्सी बातें करते रहे।
उसके बाद एक दिन उसने मेरा फ़ोन नम्बर माँगा तो मैंने उसे अपना फ़ोन नम्बर दे दिया।
उसके पहले मैंने उससे कई बार उसका फ़ोन नम्बर माँगा था पर उसने मना किया था, और आज उसने अपने आप से मेरा नम्बर माँगा तो मैंने उसे दे दिया।
फ़िर एक दिन उसने मुझे कहा- उसकी चूत में बहुत खुजली हो रही है उसे मिटाओ ना !
मैंने उसे बुलाया एक जगह और हम दोनों ने जम के चुदाई की।
मैंने उसे बहुत आनंद दिया, वो मेरे लंड की दीवानी हो गई।
उसने मेरा सारा पानी अपने मुँह में लिया और निगल गई।
तब मुझे भी उसकी चूत का रसपान करने में बहुत मजा आया।
वो मुझे फ़िर से मिलने को मना करके चली गई।
उसके जाने के बाद मुझे आज तक उसकी चूत की बहुत याद आ रही है।
मैं दूसरी चूत के लिए आज भी ऑनलाइन रहता हूँ अगर कोई लड़की मिल जाए तो।
मैं अभी तक खुल के नहीं लिखा पाया हूँ। पर वादा करता हूँ अगर कोई और मिलेगी तब शायद कुछ ज्यादा लिख पाऊंगा आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे उत्तर देना प्लीज़ Sex Stories
मेरा नाम मोहित है। मैंने अभी अपनी Antarvasna इंजीनियरिंग पूरी की है।मैं अब एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता हूँ।
जहाँ मैं काम करता हूँ वहाँ एक से एक लड़कियां आती हैं।
मैं दिखने में बहुत आकर्षक हूँ, मैं जिम जाता हूँ इसलिए बढ़िया तंदुरुस्त शरीर बहुत ही आकर्षक है इसलिए ज्यादातर लड़कियां मेरी तरफ़ आकर्षित हो जाती हैं।
मेरी कंपनी में एक बहुत ही सुंदर लड़की है जो मुझे अक्सर देखा करती थी लेकिन मैं उससे ज्यादा भाव नहीं देता था।
ऑफिस में मेरी सीट बहुत ही बढ़िया जगह पर थी, एकदम गर्ल्स टॉयलेट के सामने, इसलिए कई बार आती जाती लड़कियां मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी क्यूंकि मेरी नज़रें बहुत कुछ बयान करती थी।
एक दिन जब मैं ऑफिस से छुटी के वक्त जा रहा था अपनी गाड़ी में, तो अचानक उसी लड़की ने मुझे लिफ्ट के लिए हाथ दिया।
मैंने भी ताव में आकर गाड़ी रोक दी।
उसने कहा- आप मुझे मेट्रो स्टेशन तक छोड़ सकते हैं मैं बहुत जल्दी में हूँ।
मैंने कहा- ओके सिट!
वो मेरे साथ आकर बैठ गई।
वह उस दिन मेरा पसंदीदा काला टॉप नीली जींस पहन कर आई थी।
उसके उभार देख कर अचानक मैं थोड़ा ललचा सा गया था लेकिन मैंने ऐसा कुछ ज़ाहिर नही होने दिया।
उसके साथ बहुत मज़ाक किया, वो बहुत इम्प्रेस हो गई और जाते वक्त अपना फ़ोन नम्बर मुझे दे गई लेकिन मैंने उसे फिर भी कॉल नही किया।
अचानक एक दिन श्याम को मैंने देखा कि उसके नम्बर से मुझे कॉल आ रही है तो मैं हैरान रह गया।
मैं समझ नहीं पाया कि उसे मेरा नम्बर कहाँ से मिला।
मैंने कॉल उठाई तो कहने लगी- मोहित, आज मेरा बर्थडे है और मैंने एक पार्टी रखी है, अगर तुम थोड़ा टाइम निकाल कर घर पर आ सकते हो तो मुझे बहतु अच्छा लगेगा।
तो मैंने कहा- आ तो जाता पर मुझे तुम्हारा घर नहीं पता, मैं कैसे आऊँगा।
वो कहने लगी- टेक माय एड्रेस!
उसने अपना एड्रेस बताया।
मैं टाइम पर पहुँच गया।
मैंने उसके दरवाजे की घंटी बजाई।
वो काला सूट पहने हुए थी और बेहद खूबसूरत लग रही थी।
मैंने कहा- हैप्पी बर्थडे जानवी! यू आर लुकिंग गुड!
उसने मुझे अन्दर आने को कहा।
अन्दर आकर मैंने देखा कि अन्दर कोई नही है।
मैंने पूछा- और कोई नही है घर में?
उसने कहा- मम्मी अभी बाहर गई है और पापा मेरे लिए कुछ सामान लेने गए हैं, आते ही होंगे।
फ़िर मैंने पूछा- और कोई तुम्हारा दोस्त नहीं आया तो कहने लगी कि आते ही होंगे।
आज उसे देख कर मैं मदहोश सा महसूस कर रहा था।
वो थोड़ी देर में मेरे लिए कुछ खाने को ले आई और मेरे पास आकर बैठ गई।
मैंने उससे फ़िर एक बार कहा कि आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो!
इतना कहते ही वो मेरे पास आ गई और मुझे गाल पे किस करके बोली- थैंक्यू!
उसकी ये हरकत काम कर गई मैंने आव देखा न ताव और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ़ खींचा और एक किस उसके होंठों पर दे दी।
वो मेरी इस हरकत से एकदम घबरा गई और कहने लगी- ये तुम क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जानवी, तुम आज मुझे मत रोको!
और मैंने उससे एक और बार किस कर डाला।
वो मुझे दूर धकेलने लगी लेकिन उसके हुस्न का जादू सा मुझ पर चल गया था.
मैंने फट से उसकी चुचियों को पकड़ लिया और उसके होंठों को पागलों की तरह चूमने लगा।
अब वो भी मान गई उससे भी मज़ा आने लगा।
मैंने कहा- जानवी डार्लिंग! आइ लव यू!
उसने कहा- ये सब ठीक नही!
मैंने उसे पकड़ कर सोफे पर डाल दिया और झट से उसके बोबों को दबाने लगा।
क्या टाइट चुचे थे, छेड़ते ही मज़ा आ गया।
मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी कमर से नीचे यौनमंडल में फंसा दिया।
वो सिहर उठी, उसके रोंगटे खड़े हो गए।
अब उससे भी मज़ा आ रहा था।
मैंने मौका देखते ही उसकी मदमस्त गांड पर हाथ फेर दिया।
उसके जिस्म से एक अच्छी सी खुशबू आ रही थी।
मैंने कहा- तुम्हें बुरा तो नही लगा रहा ना?
तो कहने लगी- मैंने तुमसे झूठ कहा था कि मेरा जन्मदिन है बल्कि मैं भी यही चाहती थी।
मैं हस पड़ा और मैंने उसके यौनमंडल में ऊँगली घुसा दी लेकिन अब भी उसका कपड़े मेरे आड़े आ रहे थे।
तो मैंने फट से उसकी सलवार नीचे को खींच दी।
मैंने कहा तुम्हारे घर वाले तो नहीं आ जायेंगे?
वो बोली- मैंने सब सेटिंग कर रखी है वो दो दिन के लिए बाहर गए है जान!
अब मेरा रास्ता साफ़ था।
मैंने उसकी कच्छी पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया।
उसे मज़ा आने लगा.
मेरा एक हाथ अब भी उसकी चुचियों पर था.
मैंने उसका कमीज़ भी उतार दिया.
जैसे ही मैंने उसके बोबो को देखा तो देखता ही रह गया। इतने बड़े गोल मटोल चुचे मैंने पहले नही देखे थे।
मैंने कहा- तुस्सी छा गए!
ये कहते ही वो हस पड़ी।
उसने काले रंग की पैन्टी पहनी थी।
मैंने उसके चुचों को मसलते हुए उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया।
वो पहले से उबाल में थी। उसकी योनि अकड़ के फूल चुकी थी जैसे किसी ने हवा भर दी हो।
मैंने हाथ फिराया तो थोड़ा सा पानी मेरे हाथ पर लग गया।
मेरा लंड खड़ा हो गया.
उसने भी हिम्मत करके मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगी।
वो एक नम्बर की झूठी और चुदक्कड लग रही थी मुझे।
अब मैंने खींच कर उसकी कच्छी उतार दी।
वाह! क्या बुर पायी थी उसने, एकदम गोरी साफ़।
मैंने उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया.
अब उससे मज़ा आने लगा तो मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए।
वो मेरी बॉडी देख कर दंग रह गई कहने लगी- जैसी सोची वैसी ही पायी। तूने मुझ बहुत तड़पाया है मोहित राजा! आज मैं अपनी सारी प्यास बुझाऊंगी।
इतना कहकर उसने मेरा कच्छा नीचे खींच दिया और मेरा तडकता हुआ 7 इंच का लंड बाहर आ गया।
इतना मोटा लंड देख कर वो घबरा गई और कहने लगी- अब आएगा खेल में मज़ा!
कहकर उसने मेरा लंड अपने मुह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
वाह, क्या मज़ेदार था वो पल!
वो मेरा लंड अपने हलक में भी ले जा रही थी.
मैंने भी उसके चुचे दबाना शुरू कर दिया आह … ऊह… उम्म… सो गुड!
और उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।
जब मैं बस झड़ने ही वाला था, तब मैंने उससे रोका.
पर वो न रुकी और सारा रस पी गई.
मैंने भी उससे उठा कर लेटा दिया अब वो अपनी योनि खुजाने लगी।
मैं समझ गया और मैंने अपनी जीभ उसके योनि से सटा दी और उसके दाने को ज़ोर से चूसने लगा.
उसकी तड़प बढ़ गई।
वो अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी- हा …येही …हाँ …बस यहीं … मेरे राजा …अब मेरे शरीर की आग बुझा दो अब नही रहा जाता आह …ओह …मोहित माय डीयर!
लेकिन मैं भी पूरा शैतान था इतनी आराम से नही माना, उसकी गांड में अब मैंने ऊँगली घुसा दी और चूत चाटता रहा।
अब वो पागल हो गई और अपने चूतड़ हवा में झुलाने लगी।
मैंने एक हाथ उसके मुंह में भी डाल दिया क्यूंकि वो अब चिल्लाने लगी थी।
वो शरबत बना के लायी थी मेरे लिए, मैंने उस पर नज़र गड़ाई और थोड़ा सा शरबत उसके चुचों पर डाल दिया और पीने लगा।
वो मेरी इस हरकत पर हस पड़ी, बोली- तुम बहुत किताबें पढ़ते हो क्या?
मैंने कहा- बस जान तुम्हारे लिए!
वो हंस पड़ी।
मैंने अब उससे सीधा लेटा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया।
वो डर गई।
मैंने कहा- डरो मत, मैं तुम्हारा ख्याल रखूँगा!
मैंने उसकी यौनमंडल पर अपना लंड फिराया और एक झटके से आधा लण्ड पेल दिया।
वो चिल्लाने ही वाली थी कि मैंने उसके मुंह में अपना हाथ दांतों के बीच में डाल दिया और उसके कंधे पर हाथ रख कर एक और झटके के साथ अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया।
ये करते ही उसकी चीख निकल गई और आँखों से आंसू बहने लगे।
वो एक कुवांरी लड़की थी.
मैं तो यूंही उसे पुराना माल समझ रहा था।
वो रोने लगी- इसस … नही … आ ..राम .. से!
मैंने अब अपना लंड बाहर निकाला तो उसकी चूत से बहुत सा खून बाहर आ गया।
उसकी चूत एकदम लाल हो गई.
मैंने एक बार फ़िर उससे चोदना शुरू कर दिया।
उसका शरीर अकड़ने लगा लेकिन उसके धक्के कम नही हुए- हाँ ..धीरे …से!
मैंने उससे धीरे धीरे झुकाना शुरू कर दिया अपनी और और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख दिया.
अब उसका दर्द बढ़ गया और मज़ा भी!
वो अपनी तरफ़ से धक्के लगाने लगी- हा …हा …हए…माँ … मैं गई!
और इतना कह कर वो झड़ गई और थोड़ी देर में मैं भी ठंडा हो गया।
वो मुझ पर गिर गई और मुझे चूमने लगी- आइ लव यू मोहित!
“आइ लव यू टु जानवी …” इतना कह कर मैंने उसे उल्टा लिटा दिया और उसके शरीर पर मालिश करने लगा.
वो फ़िर मुझ से लिपट गई, मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया.
मैंने उसे झुका दिया और उसके गांड पे थूक दिया.
“ये क्या कर रहे हो?”
मैंने उसकी गाडं को मसला तो उसे मज़ा आने लगा. मैंने अब अपना लंड उसकी गांड पर रखा और अन्दर घुसाना चाहा.
पर उसकी गांड बहुत टाइट थी आराम से नही घुस रहा था।
मैं अब सीधा लेट गया और उससे ऊपर आने को कहा.
वो मान गई और उसने अपनी गांड मेरे लंड पे टिका दी.
वाह क्या जन्नत थी!
मैंने उससे रोक कर अपने आप से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
उसे अब मैं बहुत अच्छा लग रहा था हम्म …हम्म …इस …हम्म …हा ..गर्र …हम्म .. इस!
और 15 मिनट में मैं झड़ गया.
उसके बाद हम दोनों ने साथ में शोवर लिया और मैं अपने घर चला गया। Antarvasna
फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा मैंने 19 साल की उम्र में कॉलेज के लड़के के साथ लिया. गाँव से निकल कर शहर के कॉलेज में प्रवेश लिया और जल्दी ही एक दोस्त बना लिया.
सभी को नमस्कार, मेरा नाम अनुक्ति है मुझे घर पर सभी अनु नाम से ही बुलाते हैं.
मैं मध्य प्रदेश से हूँ.
मेरे घर पर मैं, पापा और मम्मी हैं.
पापा और मम्मी दोनों सरकारी नौकरी करते हैं.
दोस्तो, इस वेबसाइट की सेक्स कहानियां मैं 2011 से पढ़ती आ रही हूँ पर आज पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रही हूँ.
यह 2013 की बात है.
मैं स्कूल की पढ़ाई गांव से पूरी कर चुकी थी. मैं कॉलेज में पढ़ने के लिए शहर में आई थी.
शहर आते वक्त मेरे साथ स्कूल की दोस्त छवि ही थी जिसने मेरे कॉलेज में दाखिला लिया था.
बाकी सभी सहेलियां शहर में तो थीं पर अलग कॉलेज और कोर्स में थीं.
इधर कॉलेज के हॉस्टल में हम दोनों साथ में ही रहती थी.
कॉलेज में हमारे नए दोस्त बन गए थे.
क्लास में मेरी बहुत लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गई थी.
मेरी क्लास में ही ऋषि भी था.
वह देखने में लंबा, तगड़ा और मिलनसार लड़का था.
मेरी दोस्ती ऋषि से थी.
हम बहुत कम समय में एक दूसरे से बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे.
ऋषि और मैं फोन पर एक दूसरे को मैसेज भेज कर बातें करते थे.
हमारे बीच कभी कभी नॉनवेज बातें भी हो जाती थीं.
छवि भी इस बात को जानती थी.
उसने तो 3 महीनों में ही अपना एक ब्वॉयफ्रेंड भी बना लिया था.
इसी तरह से कॉलेज का एक सेमेस्टर निकल चुका था.
हर लड़की चाहती है कि उसे हर लड़का देखे.
मैं ज़्यादातर सलवार कमीज़ ही पहन कर कॉलेज जाया करती थी. मैं जानबूझ कर थोड़ा गहरे गले वाला कुर्ता पहनती थी ताकि जरा सा ही झुकने पर मेरा क्लीवेज दिख जाए.
ऋषि देखने में अच्छा लड़का था.
उसके पापा एक फैक्ट्री के मलिक थे.
उसकी एक छोटी बहन थी जो 12 वीं में थी.
उसकी मम्मी भी पापा के बिज़नेस में हाथ बंटाती थीं.
उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, यह बात हमें भी कुछ दिनों पहले ही पता चली थी जब हम सभी फ्रेंड्स ऋषि के बर्थडे पर उसके घर गए थे.
ऋषि के घर का वैभव देख कर साफ पता चलता था कि उसके पापा रईस आदमी हैं.
पर ऋषि ने कभी भी अपने धन का घमंड नहीं किया था.
वह दिल का साफ और अच्छा इंसान था.
ऋषि और मैं अक्सर क्लास बंक करके गार्डन में बातें करते रहते थे.
धीरे धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ती गईं.
वह मेरे करीब आने की कोशिश करता, मुझे छूने की कोशिश भी करता.
मैं भी उसे मना नहीं करती थी.
उसने वैलेंटाइन पर मुझे प्रपोज किया.
मैंने भी कुछ ज्यादा सोचा नहीं और हां कर दी.
ऐसे ही समय गुजरता रहा.
कभी कभी वो मुझे मौका पाकर छेड़ता, मेरी गांड को मसल दिया करता था.
उसका ये स्पर्श अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था.
हम दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे को किस भी कर लिया करते थे.
वह मेरे मम्मे दबाने का मौका भी कभी नहीं छोड़ता था.
फिर धीरे धीरे अब बात किस से बढ़कर बूब्स दबाने और चूसने तक आ चुकी थी.
मुझे कोई ऐतराज नहीं था. असल में मैंने ही फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा ले लेना चाहती थी.
ऋषि चाहता था कि मैं लंड चूसूं … पर मैंने मना कर दिया, मैंने उसका लंड कभी नहीं चूसा था.
बस इसी तरह चल रहा था.
ऋषि सेक्स के लिए आतुर हुआ जा रहा था.
पर मैं एक अनजाने डर की वजह से उसे मना करके टाल दिया करती थी.
कुछ दिन बाद ऋषि ने कहा- आज रविवार है. पास में ही कहीं घूमने चलते हैं.
मैं भी फटाफट तैयार हो गयी.
वह मुझे लेने के लिए आया और हम दोनों बाइक पर घूमने के लिए निकल गए.
मैं छवि को बोल कर आई थी कि ऋषि के साथ में बाहर घूमने जा रही हूँ.
मैंने ऋषि से पूछा- कहां चलना है?
तो उसने बताया- शहर से पास में ही बहुत बड़ा तालाब है. वहां चारों ओर जंगल हैं, घने पेड़ हैं, प्रकृति का नज़ारा है. मजा आएगा, वहीं चलते हैं.
मैं राजी हो गई.
वहां जाकर देखा तो कुछ ही लोग थे.
उनमें भी ज़्यादातर कपल दिख रहे थे.
तालाब के दूसरी ओर पानी बह रहा था तो वहां कुछ लोग नहा भी रहे थे.
हम भी वहीं चले गए.
ऋषि ने कहा- क्या विचार है?
मैंने कहा- मैं नहीं आती.
वह मुझे ज़बरदस्ती खींच कर पानी में ले गया.
और हम दोनों पानी में मस्ती करने लगे.
वह मुझ पर पानी उड़ाता और गीला करने की कोशिश करता.
थोड़ी देर बाद हम दोनों थक कर वहीं पेड़ के नीचे बैठ गए और बातें करने लगे.
भीड़ कम होती गयी.
ऋषि ने कहा- अनुक्ति, चलो थोड़ा आगे आस-पास घूम कर आते हैं.
मैंने कहा- यहां क्या ही घूमेंगे?
पर वो नहीं माना और हम दोनों पैदल ही आगे बढ़ गए.
वहां कोई नहीं दिख रहा था.
थोड़ा और आगे गए तो एक बड़ी चट्टान के पीछे झाड़ियों में पेड़ के नीचे हमने एक कपल को देखा.
वो दोनों कपड़े पहन रहे थे.
उन्होंने हमें नहीं देखा.
फिर ऋषि ने कहा- चलो अनु, उनके निकलते ही वहीं चलते हैं.
मैं समझ गयी थी कि वहां पर जाने के बाद क्या होना है.
पर बिना कुछ कहे मैं भी चल दी.
वहां जाने के बाद ऋषि मेरे करीब आया और कहा- अनु यहां अच्छा मौका है.
मैंने कहा- यहां खुले में किसी ने देख लिया तो … नहीं बिल्कुल नहीं!
उसने कहा- ठीक है, पर किस तो कर ही सकते हैं.
इतने में उसने मेरे होंठों में अपने होंठों को डाल दिया.
उसके दोनों हाथ मेरे गर्दन को पकड़े थे और मेरे हाथ उसकी कमर को.
उसने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक डाल दी और मैंने भी.
मैं अपने बारे में बता दूँ कि मेरी उम्र उस समय 19 साल से थोड़ी ज़्यादा ही थी.
मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच की थी और 32-27-34 का मेरा फिगर था.
मैं काले रंग का टॉप पहने थी. वह बटरफ्लाई आस्तीन वाला था और उसके साथ मैंने जींस पहनी थी.
ऋषि की हाइट 5 फुट 10 इंच की थी.
वह जिम करता था तो बॉडी भी अच्छी थी.
उसकी उम्र भी 20 के आस पास ही थी.
उसकी छाती पर हल्के बाल थे पर वह छाती को क्लीन नहीं करता था.
उसके लंड का साइज़ सच बोलूं तो 5.5 इंच का ही था.
बाकी सेक्स स्टोरी की तरह 8 या 10 इंच का नहीं था.
वह मुझे चूमने लगा.
करीब 5 मिनट के बाद उसने कहा- यहां जगह साफ़ है, आराम से बैठ जाओ.
मैंने कहा- नहीं, कपड़े खराब हो गए तो प्राब्लम हो जाएगी. हॉस्टल भी जाना है.
उसने कहा- ठीक है.
तब उसने मुझे किस किया और मेरे मम्मे दबाने लगा.
फिर उसने कहा- अनुक्ति आज तो लंड चूस लो प्लीज़.
उसके बहुत कहने पर मैंने कहा- ठीक है … पर तुम मुँह में नहीं झड़ोगे!
उसने कहा- ठीक है.
उसने अपनी जींस और अंडरवियर घुटनों तक उतार दी.
वह वहीं पेड़ के नीचे पत्थर पर टेक लेकर बैठ गया और उसने मुझे लंड चूसने के लिए इशारा किया.
मैंने अपने हाथ से उसके 5.5 इंच और 2.5 इंच मोटे लंड को पकड़ा.
तो ऋषि बोला- तुमने सेक्स क्लिप्स पॉर्न में देखा ही है.
मैंने हां में इशारा करते हुए मुँह में लंड को लिया और चूसने लगी. मुझे स्वाद कुछ अच्छा नहीं लगा.
फिर भी धीरे धीरे करके मैं मुँह से लंड चूसने लगी.
वह जैसे दूसरी दुनिया में चला गया हो, आंखें बंद करके सिसकारियां लेने लगा.
मैं भी उसके लंड को मुँह में पूरा ले लेती और बाहर करती तो जीभ से उसके टोपे को चाट लेती.
उसका रंग हल्का गुलाबी सा हो गया था.
फिर कुछ देर में उसने मेरे सर को धक्का देकर अलग किया और अपना सारा माल बाहर निकाल दिया.
उसने मुझसे कहा- टेस्ट करना चाहोगी?
मैंने कहा- नहीं.
उसने कहा- प्लीज एक बार देख लो, अच्छा लगे तो ठीक … नहीं तो कोई बात नहीं.
मैंने जीभ से थोड़ा चखा तो गर्म और नमकीन सा स्वाद आया.
अच्छा या बुरा कुछ समझ में नहीं आया.
ऋषि ने कहा- डार्लिंग लंड को थोड़ा सा चाट कर साफ कर दो प्लीज.
मैंने अपने मुँह से उसके लंड को चाट कर साफ कर दिया.
मुझे स्वाद ठीक लगा.
उसने अपने कपड़े पहन लिए.
तो मैंने कहा- अब चलते हैं.
उसने कहा- अनु अभी कहां, रुको तुमने आज तक अपनी चूत के दर्शन नहीं कराए हैं.
मैंने कहा- पर यहां खुले में नहीं बिल्कुल भी नहीं.
उसने मुझे खींच कर अपने करीब किया और मुझे किस करके कहा- अनुक्ति, प्लीज आज अपने मम्मे और चूत के दर्शन करा दो, यहां कोई नहीं है.
मैंने कहा- देखो कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
उसने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं हूँ … सब संभाल लूंगा.
उसने मेरी जींस खोल दी और मेरे टॉप के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा.
वह उसमें ऊपर से हाथ डालने लगा.
मैंने कहा- ऐसे तो तुम टॉप फाड़ दोगे.
तब मैंने जींस को नीचे किया ही था कि उसने झटके से मेरी पैंटी को घुटनों तक नीचे खिसका दिया.
फिर उसने कहा- मम्मे चूसना है.
मैंने टॉप को ऊपर किया और साथ ही ब्रा को भी, जिससे बिना उतारे मेरे बूब्स वो चूस सके.
पहली बार उसने मेरे बूब्स को पूरी तरह ढंग से देखा था और चूत को भी.
चूत में हल्के हल्के बाल थे.
वह मेरे बूब्स को एक बच्चे की तरह पीने की कोशिश करने लगा.
मुझे भी मजा आने लगा.
मेरे दोनों बूब्स को चूसने के बाद उसने उन्ह हटाया ही था कि मैंने टॉप और ब्रा ठीक कर ली.
उसने कहा- अनु अब तुझे जींस उतारनी पड़ेगी.
मैं भी उतावली हो रही थी तो जींस उतार दी.
उसने कहा- अनु एक टांग पत्थर पर रखो.
वह मेरे नीचे आकर बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा.
उसकी खुरदुरी जीभ मेरे अन्दर आग लगा रही थी.
वह अपनी उंगली से मेरी चूत को अन्दर बाहर कर रहा था.
इसी तरह मेरी चूत ने पानी निकाल दिया और ऋषि ने उसे चाट कर चूत को साफ़ कर दिया.
फिर फटाफट कपड़े पहन कर हम दोनों वहां से निकल आए.
अब वासना की भूख दोनों को लग चुकी थी तो वापस हॉस्टल की ओर जाते समय ऋषि ने कहा- अनु, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है.
मैंने भी हामी भरी लेकिन फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स के लिए कोई सेफ जगह चाहिए थी.
होटल के लिए मैंने मना कर दिया था.
ऋषि अपने दोस्त के फ्लैट के लिए जुगाड़ करने लग गया.
बस फिर जुगाड़ हो गया.
मैंने ऋषि से कहा- मैं बिना प्रोटेक्शन के नहीं करूंगी.
उसने कहा- ठीक है अनु.
उस दिन पहले रास्ते में रुक कर हम दोनों ने खाना खा लिया और उसने मेडिकल से प्रोटेक्शन के लिए कंडोम ले लिया.
फिर हम दोनों फ्लैट पर पहुंच गए.
दोस्त ने चाभी दी और कहा- फ्री हो जाओ तो कॉल कर देना.
वह किसी काम से बाहर चला गया.
ऋषि ने अन्दर से दरवाजा लॉक किया और मुझसे लिपट गया.
पहले उसने मेरे टॉप को निकाल दिया और मेरी नाभि को चूमा. ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा.
ब्रा को खोलने से पहले उसे ऊपर की ओर खिसका कर बूब्स को चूमने लगा और फिर खड़े खड़े ही मुझे दीवार पर टिकाते हुए पलटा दिया.
मेरी ब्रा को पीछे से खोल कर वहीं फेंक दी.
उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए.
उसका लंड खड़ा होने लगा था.
वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया और पलंग पर आते ही मेरी जींस उतार दी.
फिर वह मेरे दूध अपने दोनों हाथों से मसलने लगा और उनका रसपान करते हुए निप्पल को काट देता, जिससे मुझे दर्द के साथ साथ उत्तेजना भी बढ़ जाती.
वह मेरे कान गले गर्दन गालों को भी चूमता जिससे मैं और उत्तेजित हो जाती.
मेरी नाभि को चूमते हुए उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
वह पूरी बॉडी पर किस करने लगा.
मेरे मुँह से हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं.
उसने कहा- अनु अब 69 करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
वह मेरी चूत चाटता और अपनी उंगली रगड़ने लगता.
इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, जैसे मेरे शरीर में करंट का झटका लग रहा हो.
मैं भी उसके लंड को चूस रही थी.
मेरी चूत गीली हो चुकी थी.
वह फिर उठा और जींस से कंडोम का पैकेट निकाल कर मुझे दे दिया.
मैंने पैकेट से कंडोम निकाल और ऋषि के लंड को पहना दिया.
बस उसने मुझे सीधा लेटाया और दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया, लंड को मेरी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा.
जिससे मैं पागल सी हो गयी.
फिर उसने चूत को थोड़ा सा अपने हाथ से खोला और अपना लंड मेरी चूत पर सैट कर दिया.
मेरा दिल धक धक करने लग गया था क्योंकि वो कभी भी झटके से लंड अन्दर डालने वाला था.
उसने कहा- अनु रेडी!
मैंने इशारे में कहा- हम्म्म.
उसने झटके से लंड अन्दर किया.
वो अभी लगभग आधा ही गया था कि मेरी एकदम से जोरदार चीख निकली.
उसने लंड को झट से बाहर किया और अन्दर पूरी ताकत के साथ डाला.
इस बार शायद लगभग पूरा चला गया था.
उसने फिर से एक बार लंड निकाल कर अन्दर डाला और मुझे चूमा.
मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.
उसने कहा- पहली बार में होता है अनु!
फिर वह लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
अब दर्द धीरे धीरे कम हो रहा था और मजा आने लगा था.
वह स्पीड में मुझे चोदता जा रहा था.
मुझे भी मजा आ रहा था.
वह मेरे मम्मे दबाता हुआ लंड को स्पीड से अन्दर बाहर कर रहा.
कुछ देर मैं पहले झड़ गयी और वो मेरे बाद.
वह मेरे ऊपर ऐसे ही लंड अन्दर डाल कर पड़ा रहा और मुझे किस करता रहा.
कुछ देर में उसका लंड छोटा सा हो गया और वह उसे बाहर निकाल कर बाथरूम में चला गया.
मैं बैठी और उंगली चूत की तरफ़ बढ़ाई तो उंगली पर लाल लाल खून सा था.
मेरी चूत फट चुकी थी.
तभी ऋषि आया और मेरी उंगली में लाल खून देखकर बोला- अब तुम वर्जिन नहीं रही.
मैं बाथरूम में गयी.
जब मैं वापिस आई तो मैंने देखा ऋषि मेरी ब्रा पैंटी अपने हाथ में लिए देख रहा था.
मैंने कहा- लाओ दो इधर.
उसने कहा- नहीं, ये मैं ले जाऊंगा. पहली निशानी है. इसमें तुम्हारी चूत की खुशबू है और ब्रा में भी.
मैंने कहा- फिर मैं!
उसने कहा- मैं तुम्हें दूसरी गिफ्ट कर दूंगा.
मैंने अपने कपड़े पहन लिए.
ऋषि बोला- अनु मजा आया?
मैंने कहा- आया तो सही, पर दर्द अब भी महसूस हो रहा है.
उसने कहा- ठीक हो जाओगी.
मैंने पूछा- मैं वर्जिन थी, तुम?
ऋषि ने कहा- मेरा भी पहला सेक्स था … बस मुठ मार लिया करता था.
मैं कुछ नहीं बोली.
उसने कहा- मैं तुम्हें फैशनेबल ब्रा पैंटी दूँ?
तो मैंने कहा- क्यों?
उसने कहा- थोड़ा सेक्सी पहनो.
मैंने कहा- घर?
उसने कहा- घर जाओ तो घर के हिसाब से … और यहां रहो तो यहां के हिसाब से.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर उसने मुझे हॉस्टल छोड़ा और मेरी चाल देखकर छवि मुस्करा दी.
उसने कहा- अनु, आज तो चाल ही बदल गयी.
हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थीं, एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाती थीं.
उसे मैंने बताया कि आज मेरी पहली चुदाई कैसे हुई.
वह खुश हुई और बोली- आगे अब तो चुदाई में मजे ही आने हैं.
क्योंकि वह चुद चुकी थी उसके ब्वॉयफ्रेंड से … तो उसे सब मालूम था.
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