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हाय ! मैं दीपक, आपने मेरी Antarvasna कहानी स्कूल में मस्ती का पहला भाग पढ़ा और मुझे मेल भेजे!
शुक्रिया !
अब अगला भाग :-
मै फ़िर से निधि को चोदने का अवसर ढूंढने लगा. स्कूल में नए साल की पार्टी थी.
कार्यक्रम ७.३० शाम को था. सभी लड़के, लड़कियां ७ बजे से आने शुरू हो गए थे.
मैं बेसब्री से निधि का इंतजार कर रहा था. वो ८ बजे अपनी सहेली के साथ आई, उसने नीले रंग की जींस और लाल रंग की टी शर्ट पहन रखी थी, जिसमें वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही थी.
मैं देखता ही रह गया. उसकी तनी हुई चूचियां देख मेरा लंड पैंट के अंदर ही नाग की तरह फुफकारने लगा.
पार्टी देर तक चलने वाली थी तो मैं बाहर जाकर ड्रिंक कर आया. आते ही निधि को ढूंढने लगा. वो अपनी सहेलियों के साथ डांस कर रही थी.
मैंने इशारे से उसे अपने पास बुलाया. थोडी देर में वो मेरे पास आई तो मैंने उसे कहा कि आज मैं तुम्हे फ़िर चोदूंगा.
वो बोली- सर यहाँ इतने लोग हैं, कैसे हो पाएगा?
मैंने उसे बताया कि बस इंतजाम कर दिया है, तुम स्कूल के पीछे वाले टॉयलेट में पहुँचो.
मैं सीधा वहां गया, वहां दिन में भी कम लोग आते थे, रात को तो किसी के आने का सवाल ही नहीं था. निधि आई तो मैं उसे लेकर अन्दर घुस गया और दरवाज़ा बंद कर लिया.
फ़िर मैंने निधि को बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा. शराब की गंध उसके नाक में चढ़ गई.
उसने कहा- सर आपने शराब पी रखी है.
मैंने कहा- जानेमन ! पीकर चोदने में जितना मज़ा आता है उतना कभी नहीं आता, आज देखना मैं तुम्हे कितना मज़ा देता हूँ.
इतना कह कर मैंने उसकी टी-शर्ट खोल दी और ब्रा के ऊपर से ही चूचियां दबाने लगा.
निधि ने मेरी जिप खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और सहलाने लगी.
मैंने उसकी जींस खोल कर जाँघों से नीचे सरका दी और पैंटी में हाथ डाल कर चूत सहलाने लगा.
बीच बीच में एक ऊँगली अंदर बाहर करने लगा. वो जोर जोर से सिस्कारियां भरने लगी.
फ़िर मैंने निधि को लंड चूसने को कहा. वो मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी.
मैं उसके सर को पकड़ कर उसके मुंह में अंदर बाहर करके चोदने लगा.
फ़िर मैं उसको फर्श पर लिटा कर उसकी चूत चाटने लगा. वो जोर जोर से आहें भरने लगी.
फ़िर मैंने उसकी टाँगें उठा के अपना लंड उसकी चूत से भिड़ा दिया और एक जोरदार धक्के से उसको निधि की चूत में घुसा दिया. उसकी आह निकल गई.
वो भी अपनी कमर उठा उठा कर धक्कों में मेरा साथ देने लगी और बड़बड़ाने लगी- ओ यस और जोर से सररर फाड़ दो मेरीई ई ई चुत्त्त जोर से सररर !
मैंने रफ्तार बढ़ा दी.
निधि भी नीचे से मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी. थोडी देर में उसने पानी छोड़ दिया पर मेरा काम नहीं हुआ था क्योंकि मैंने शराब पी रखी थी.
इसलिए मैं धक्के मारता रहा.
निधि गिडगिडाने लगी- सर निकाल लीजिए अपना लंड चूत से मुझे बुरा लग रहा है, दर्द हो रहा है.
मैंने कहा मेरा काम अभी नहीं हुआ है और मैं अपना मज़ा अधूरा नहीं छोड़ सकता.
प्लीज़ सर ! आप कुछ भी कर लीजिए पर लंड चूत से निकाल लीजिए, अब मैं सहन नहीं कर सकती.
मुझे यही चाहिए था क्योंकि मै उसकी गांड मारना चाहता था. मैंने थोड़ा सोचने का नाटक किया और कहा – तुम सब करने को तैयार हो जो मै चाहूँ?
तो उसने कहा – हाँ सर आप जो कहेंगे मैं करने को तैयार हूँ, लेकिन आप पहले लंड बाहर निकालो.
मैंने लंड बाहर खींच लिया और निधि को घुटनों के बल कर दिया और उसकी गाण्ड पर थूक लगा कर एक उंगली अंदर बाहर करने लगा.
मेरा ऐसा करने पर निधि बोली- सर ! आप यह क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा – अब मै तेरी गांड मारूंगा.
तो वो कुछ नहीं बोली. शायद उसे पता नहीं था कि गाण्ड मरवाने से उसका क्या हाल होगा।
फ़िर मैंने अपने लंड का अग्र भाग उसकी गाण्ड के छेद पर रखा और जोर से धकेलने लगा.
जैसे ही मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में घुसा, वो जोर जोर से चीखने लगी. वो रोने लगी थी और छोड़ देने को कह रही थी, पर मैंने अपना काम जारी रखा और उसे समझाया कि बस थोड़ा और दर्द होगा जैसे पहली बार चूत की चुदाई में हुआ था, फ़िर बहुत मज़ा आएगा।
बाहर संगीत की आवाज़ तेज़ होने के कारण उसकी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी. मैं और जोर लगा कर उसकी गांड में लंड घुसाने लगा.
जैसे जैसे मेरा लंड निधि की गांड में जा रहा था वैसे वैसे उसकी चीखें तेज़ होने लगी, लेकिन मैं पूरा लंड घुसा कर ही रुका.
फ़िर मैं लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. अब निधि की चीखें कुछ कम हो गई और वो भी धक्कों में मेरा साथ देने लगी.
१५-२० मिनट चोदने के बाद अपना पानी उसकी गांड में छोड़ मै उसके ऊपर ही ढह गया.
फ़िर मैंने अपना लंड निकाल लिया और उठ कर कपडे पहन लिए.
मैंने उसे भी कपड़े पहनने के लिए कहा. उसने उठने की कोशिश की पर उसकी गांड में काफी दर्द होने के कारण उससे उठा नहीं गया.
मैंने उसे सहारा दे कर उठाया और कपड़े पहनाए.
निधि को चलने में परेशानी हो रही थी, उसे इस हालत में पार्टी में ले जाना उचित ना होता, इसलिए मैं उसे चुपके से गाड़ी में बिठा कर उसके घर के पास छोड़ आया.
इसके बाद जब भी मुझे मौका मिलता मै निधि को चोदता. Antarvasna
दोस्तो, आप ही की तरह मैं भी अन्तर्वासना का एक Antarvasna रेगुलर पाठक हूँ, मैंने अन्तर्वासना में बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं.
इन कहानियों को पढ़ कर मैंने सोचा क्यूँ न मैं भी आपके साथ अपने कुछ अनुभव शेयर करूं!
मैं अपनी कॉलेज की छुट्टियों में अपनी सबसे छोटी चाची के घर गया हुआ था.
मेरे चाचा जी आर्मी में थे साल में सिर्फ़ कभी कभार ही घर आया करते थे. उन दिनों में सेकंड इयर के एक्जाम दे चुका था. इसलिए मेरी जवानी अपने सुरूर पर थी.
मेरी चाची को अभी कोई बच्चा नहीं था, उनकी शादी को अभी दो साल ही हुए थे.
लेकिन चाचा शादी से पहले ही आर्मी में थे इसलिए चाची के साथ ज्यादा टाइम साथ नहीं रह पाए थे.
पहले मैंने कभी अपनी चाची को ग़लत नजर से नहीं देखा था.
लेकिन एक दिन चाची बाज़ार गई हुई थी कि तभी अचानक बारिश शुरू हो गई.
मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़े से सेक्सी थे. जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था.
उस टाइम मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी. मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा.
तभी डोर बेल बजी, मैं अचानक घबरा गया, मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो!
लेकिन मुझे याद आया कि घर में तो कोई है ही नहीं… मैं बेकार में डर रहा था.
मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया.
बाहर चाची खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी.
मैंने दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही पीछे मुड़ा तो मेरी नज़र चाची की कमर पर पड़ी जहा पर उनकी गुलाबी साड़ी के बलाउज से उनकी काले रंग की ब्रा बाहर झांक रही थी.
चाची ने सामान सोफे पर रखा और मुझसे बोली- सावन, मेरा पूरा बदन भीग चुका है इसलिए तुम मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो?
मैं तौलिया ले आया तो चाची मुस्कुराते हुए बोली- सामान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं. इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
मैंने पूछा- क्या काम है?
चाची बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?
मैंने कहा- क्यूँ नहीं!
चाची सोफे पर बैठ गई.
मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके गोरे गालों पर बह रहा था.
मैं चाची के पीछे बैठ गया और उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा.
चाची का गोरा और भीगने के बाद भी गर्म बदन मेरे पैरो में हलचल पैदा कर रहा था.
बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया.
चाची ने कोई आपत्ति नहीं की.
धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी.
तभी अचानक चाची कहने लगी- मेरे बाल सूख गए हैं, अब मैं भीतर जा रही हूँ.
वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई, मैंने सोचा शायद कि चाची को मेरे इरादे मालूम हो गए.
कमरे में जाकर चाची ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए.
जल्दी में चाची ने दरवाजा बंद नहीं किया वो ड्रेसिंग मिरर के सामने खड़ी थी उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतार दिया.
मैंने अचानक देखा कि चाची बड़ी गौर से अपने बदन को ऊपर से नीचे तक ताक रही थी.
मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम.
जैसे बाहर पड़ रही बूँदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी.
अबकी बार चाची ने मुझे देख कर अनदेखा कर दिया.
शायद यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था.
मैं कमरे में अन्दर चला गया.
चाची बोली- अरे सावन, मैंने अभी कपड़े नहीं पहने, तुम बाहर जाओ.
मैं बोला- चाची, मैंने तुम्हें कपड़ों में हमेशा देखा लेकिन आज बिन कपड़ों के देखा है, अब तुम्हारी मर्ज़ी है तुम मेरे सामने ऐसे भी रह सकती हो.
और कहते हुए मैंने उनको बांहों में ले लिया.
उन्होंने थोड़ी सी न नुकर की लेकिन मैंने जयादा सोचने का टाइम नहीं दिया और बिंदास उनको किस करनी शुरू कर दी.
मैंने देखा कि उसने आँखें बंद कर ली.
इसमें उनकी सहमति छुपी थी.
मैं दस मिनट तक उसे किस करता रहा इस बीच गर्म होंट उसके गोरे बदन के ज़र्रे ज़र्रे को चूम गए.
अचानक चाची ने मुझे जोर से धक्का दिया और मैं नीचे गिर गया.
एक बार को में फ़िर डर गया लेकिन अगले ही पल मैंने पाया कि चाची मेरे ऊपर आकर लेट गई थी और मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
हम दोनों के बीच से कपड़ों की दीवार हट चुकी थी. मेरा लंड पूरी तरह तैनात खड़ा था.
तभी उसने मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपने नर्म होंटो से छुआ और अपने मुँह में ले लिया.
वो मेरे ऊपर इस तरह बैठी थी की उसकी चूत बिल्कुल मेरे होंठों पर आ टिकी थी.
मैंने चूत को बिंदास चाटना शुरू कर दिया.
उसके मुँह से मेरा लंड आजाद हो गया था और आआह्छ…आआ… ऊऊ… ऊओफ्फ की आवाज उसके मुख से आने लगी थी.
और तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
वो मुझ से बोली- ऊह … मेरे सेक्सी सावन मेरी चूत तुम्हारे इस सुडोल लंड को लिए बिना नहीं रह सकती प्लीज सावन, अपने इस प्लेयर को मेरी चूत के प्ले ग्राउंड में उतार दो ताकि ये अपना चुदाई गेम खेल सके.
चाची अब मेरे लंड को लेने के तड़पने लगी थी.
मैंने भी उसी वक्त चाची को बांहों में भरा और उठा कर बेड पर लिटा दिया.
चाची की चूत रसीली हो रखी थी.
मैं चाची के ऊपर लेट गया मेरा लंड चाची के चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था.
चाची ने चूत को अपने दोनों हाथो से खोल दिया और मैंने धीरे से चाची की चूत में अपना लंबा लंड डालना शुरू कर दिया.
काफी दिनों से चाची की चुदाई नहीं हुयी थी इसलिए चाची की चूत एक दम टाईट थी.
मैंने जोर से झटका लगाया और लंड पूरी तरह चूत की आगोश में समां चुका था.
चाची के मुँह से आआह्ह्छ मार डाला की आवाज़ निकल गई और मुझे थोड़ी देर हिलने से मना कर दिया कुछ देर बाद वो नीचे से हल्के हल्के झटके लगाने लगी.
अब मुझे भी चूत का मजा आने लगा और मैंने चाची की चुदाई शुरू कर दी जितनी में अपनी चाची की चुदाई करता वो उतनी सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकलने लगी- आह्ह… आःछ… ऊऊ… ईशहश… आआ… ऊऊ ओफ़ फफफ… ऊऊ फफफ फ… अआआछ ह्ह्ह. धीरे धीरे चूत लूस होने लगी.
हम दोनों ने कम से कम आधे घंटे तक चुदाई की.
आधे घंटे बाद अचानक चाची मुझसे जोर से लिपट गई और उसकी चूत थोड़ी देर के लिए टाईट हो गई.
कुछ और झटके लगाने के बाद मेरे लंड ने अपना वीर्य चूत में छोड़ दिया ओर चाची फ़िर से मुझे लिपट गई.
मैं इसी तरह दस मिनट तक चाची के ऊपर लेटा रहा.
उस दिन की बरसात से लेकर और अब तक ये आपका सेक्सी सेक्सी सावन अपनी चाची के प्यासे बदन पर हर रोज़ बरसता रहा है और इतना ही नहीं उस दिन के बाद मेरी चाची और ज्यादा सेक्सी और खूबबसूरत लगने लगी है.
अब अपनी चाची के अलावा आपका सेक्सी सावन बहुत सी फिमेल की प्यास मिटा चुका है. Antarvasna
जब मेरा ट्रान्सफर Antarvasna जयपुर से जालन्धर हुआ तो अपने एक दोस्त की वजह से मुझे एक कर्नल साहब की कोठी में पेइंग-गेस्ट के रूप में रहने का ठिकाना मिल गया। कर्नल साहब करीब १० साल पहले भगवान को प्यारे हो गए थे, घर में उनकी ७० वर्षीया पत्नी, ४० वर्षीय पुत्र तथा ३६ वर्षीया बहू कुल जमा तीन प्राणी रहते थे। रहने के लिहाज से घर और घर वाले बहुत अच्छे थे। कर्नल साहब की पत्नी का नाम रणवीर कौर था, वो एक बहुत ही शिष्ट, सौम्य, गंभीर और आकर्षक महिला थीं, उनको देखकर बार बार मन में एक ही बात आती थी कि काश ये मेरी माँ होतीं। उनके पुत्र का नाम महिंदर सिंह था, वह सुंदर, लम्बा और योग्य आदमी था। महिंदर की पत्नी का नाम मंजीत कौर था, वह गोरी, सुंदर और सेक्स से भरपूर महिला थी। दुर्भाग्य से इनके कोई संतान नहीं थी।
यहाँ रहते हुए मुझे २ महीने हो गए तो मैं मंजीत का दीवाना हो चुका था, जब वो चलती तो उसके भारी भारी चूतड़ मेरे लंड को खड़ा कर देते। ४-६ दिन में एक बार मुठ मार कर अपनी गर्मी निकालने के अलावा और कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था।
एक दिन पता चला कि दिल्ली में मंजीत के भाई की शादी है और वो अपने पति के साथ १५ दिन के लिए दिल्ली जा रही है। मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी जान निकाल ली हो।
जिस दिन ये लोग दिल्ली गए, मैं शाम को घर आया तो माँ जी अकेली थी, माँ जी को वो लोग बीजी कहते थे, इसलिए मैं भी बीजी कहने लगा। मैंने कहा- बीजी, जो काम मेरे लायक हो बता दीजिएगा, मैं कर दूंगा।
मैंने खाना बनाने में बीजी की मदद की, दोनों ने खाना खाया और मैं अपने कमरे में चला गया। मेरा और बीजी का कमरा अगल-बगल था और दोनों के बीच एक कॉमन बाथरूम था जिसका दरवाजा दोनों कमरों में खुलता था।
मैं अभी लेटा ही था कि जोर से कुछ गिरने की आवाज आई, मैं बाहर आया तो देखा किचन में बीजी गिर गई हैं, मैंने जल्दी से उन्हें उठाया और सहारा देकर उनके कमरे में लाकर बेड पर लिटा दिया। बीजी लगभग ५’६” लम्बी और टीवी / फिल्म स्टार रीमा लागू की तरह भरे बदन की थीं। लेटने के बाद भी बीजी का कराहना कम नहीं हो रहा था, मेरे पूछने पर बताया कि बांह और कूल्हे पर बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने देखा कि उनकी दाहिनी बांह कुहनी के पास काफी लाल थी।
बीजी ने कहा- पुत्तर, सम्मने बारी विच मूव पई ऐ, कड से ल्या !
मैंने मूव निकाली और बीजी से कहा- लाइए, मैं लगा देता हूँ।
बांह पर मूव लगाने के बाद मैंने कहा- बीजी, आप उल्टे लेटो, मैं हिप पर भी लगा दूं !
एक पल की हिचक के बाद बीजी पलटीं और बोलीं- ला दे पुत्तर, रब्ब तेरा भला करे, तैन्नू सुखी रखे, जे आज्ज तूं नां हुंदा ते मैं ताँ उठ के कमरे विच बी नई आ पादीं।
बीजी पेट के बल लेट गईं तो मैंने उनके गाऊन को कमर तक उठा दिया, उनकी केले के तने जैसी चिकनी, सुडौल और गोरी गोरी टाँगे देखकर मेरा मन मचल गया। मरून कलर की पैंटी उनके जिस्म की शान में चार चाँद लगा रही थी। मैंने तुंरत अपने आप को कोसा, खुद को काबू में किया कि ये तो माँ है।
बीजी की कमर पर कुछ नहीं दिखा तो मैंने पूछा कहाँ दर्द है बीजी ?
बीजी ने अपने दाहिने चूतड़ पर हाथ रखकर कहा- ऐत्थे !
मैंने बीजी की पैंटी थोड़ी नीचे खिसकाई तो देखा मेरी हथेली के बराबर जगह एकदम लाल थी, मैंने छुआ तो बीजी कराह उठीं। मैंने पैंटी थोड़ा और और नीचे खिसकाई ताकि मूव अच्छे से लग सके। हलके हलके हाथों से मूव लगाई और पैंटी ऊपर करके गाऊन नीचे कर दिया। मैंने बीजी से कहा- मैं आपके लिए हल्दी डालकर दूध लाता हूँ, आप पियोगे तो सारा दर्द चला जाएगा।
किचन में जाकर दो गिलास दूध गरम किया, एक गिलास खुद पी लिया और दूसरे में हल्दी डालकर बीजी के लिए ले आया। बीजी को सहारा देकर उठाया और वो धीरे धीरे दूध पीने लगीं। बीजी दूध पी रही थीं और मेरी आँखों के सामने बार बार उनकी गोरी टाँगें और चूतड़ आ रहे थे। मैंने तय कर लिया कि आज बीजी की बजानी है। बीजी के दूध पीने के बाद उनसे खाली गिलास लेकर किचन में रखा और आकर बीजी से पूछा- अब दर्द कैसा है?
तो बोली- अज्जे ते औंवे ई हैगा पुत्तर।
मैंने कहा- बीजी, एक बार मूव फिर लगवा लो, सुबह तक आराम आ जाएगा।
हाथ का सहारा देते हुए बीजी को उल्टा किया और उनका गाऊन कमर से और थोड़ा ऊपर तक उठा दिया। मूव की ट्यूब उठाई और अपने पास रखकर बीजी की पैंटी नीचे खिसकाने लगा। पैंटी नीचे खिसकाते खिसकाते उनके घुटनों तक कर दी। अपनी हथेली पर मूव ली और उनके चूतड़ों पर मलने लगा। मेरा ध्यान मूव मलने में कम और चूतड़ सहलाने में ज्यादा था। इस बीच मेरा लंड ७० साल की औरत को चोदकर एक नया अनुभव करने के लिए तैयार हो चुका था और लुंगी के अन्दर फड़फड़ा रहा था।
जब मैं काफी देर तक सहलाता रहा तो बीजी ने कहा- पुत्तर ! तेरे अंकल जी नू गए १० साल हो गे ने, आज्ज तूं मैंन्नू ओन्ना दी याद ल्या दित्ती ऐ ! ओ वी ऐन्जे ई सहलांदे रहंदे सी ! मैंन्नू बौह्त चान्हदे सी, रोज जैतून दे तेल नाल मेरियां लत्तां दी मालश करदे सी ! फ़ेर लत्तां से विच ई वड़ जांदे सी। मैं ओन्ना नूँ प्यार नाल पुच्चु कहंदी सी ते ओ वी मैंन्नू प्यार नाल पुच्चु कहंदे सी।
मैंने कहा- बीजी, क्या मैं आपको पुच्चु कह सकता हूँ ?
कहने लगी- आहो पुच्चु ! तूं मैंनू पुच्चु कह सकना ऐ।
मेरा काम लगभग बन चुका था।
मैंने कहा- पुच्चु ! वो जैतून का तेल कहाँ रखा है ?
बीजी ने अलमारी के ऊपर वाले खाने की ओर इशारा कर दिया। मैं उठा बाथरूम गया, पेशाब किया और अपना अंडरवियर उतार कर रख आया। जैतून के तेल का डिब्बा निकाला, बीजी यानि अपनी पुच्चु की पैंटी उतार दी और टांगों पर जैतून के तेल से मालिश करने लगा।
कुछ देर बाद मैंने कहा- पुच्चु, आप सीधे हो जाओ तो आगे भी कर दूं।
वो सीधी होकर पीठ के बल लेट गईं। मैं उनकी टांगों के बीच बैठ गया और हल्के हल्के हाथों से उनकी जांघो को सहलाने लगा, धीरे धीरे मैं थोड़ा सा आगे खिसक गया और लुंगी में से अपना लंड बाहर निकाल कर पुच्चु की चूत से छुआया तो बड़ी सेक्सी आवाज में बोलीं- की कर रहया ऐ पुच्चु ?
मैंने लंड को अन्दर सरकाते हुए कहा- कुछ नहीं पुच्चु।
मेरा पूरा लंड ७० साल की बीजी की चूत में चला गया था, ताज्जुब यह था कि बीजी की चूत किसी २० साल की कुंवारी चूत से कम नहीं थी।
उस रात बीजी को दो बार चोदा, हम दोनों संतुष्ट होकर सोये। उस दिन से आज तक हमें जब भी इच्छा होती है रात को बाथरूम के रास्ते एक कमरे में आ जाते हैं और मजे लेते हैं। Antarvasna
मेरा नाम राज है। मैं भोपाल का रहने वाला हूँ। मैं आप को अपनी Hindi sex storiesबताने जा रहा हूँ।
हमारे घर मैं, मम्मी और भैया तीन लोग ही थे। भैया का नाम मोहन है, भैया बहुत ही गुस्से वाले हैं।
वो बात बात पर गुस्सा करते थे इसलिये मैं उनसे बहुत डरता था। भैया मुझसे 6 साल बड़े हैं। मम्मी मुझे बहुत प्यार करती थी।
ये उस समय की बात है जब भैया की शादी हो गयी थी। भाभी का नाम किरण था और वो अभी उम्र में छोटी ही थी।
भाभी मुझे बहुत प्यार करती थी और मेरी देखभाल भी करती थी। उनसे मुझे मम्मी और भाभी दोनो का प्यार मिलता था।
भाभी के आ जाने के कुछ दिन बाद मैंने देखा कि भैया भाभी से बहुत डरने लगे। वो उनकी हर बात, चाहे सही हो या गलत, तुरन्त ही मान लेते थे।
एक दिन भाभी ने मम्मी से कहा- अब आप रहने दो, आज से मैं ही राज को तेल लगाऊँगी और नहलाऊँगी भी!
मम्मी ने कहा- मैं तो इसकी छुन्नी पर भी तेल लगा कर खूब मालिश करती हूँ। तू कैसे करेगी।
भाभी ने कहा- तो क्या हुआ, मैं राज की देखभाल ठीक वैसे ही करूंगी जैसे कि आप करती हैं।
भाभी मेरी देखभाल मम्मी की तरह से करने लगी।
वो मेरे सारे कपड़े उतार देती और फिर मम्मी की तरह से मेरे सारे बदन पर तेल लगाती थी, उसके बाद मेरी छुन्नी पर भी तेल लगा कर मालिश करती थी।
फिर वो मुझे अपने साथ बाथरूम ले जाती और अपने सारे कपड़े भी उतार कर एकदम नंगी हो जाती, उसके बाद वो मुझे अपने साथ ही नहलाती थी।
भैया की शादी के 6 महीने के बाद ही मम्मी का स्वर्गवास हो गया तो मैं उदास रहने लगा।
मैं कई दिनों तक स्कूल नहीं गया।
भाभी ने मुझे प्यार से समझाया- राज, तुम घबराओ मत, मैं तुम्हारी देखभाल ठीक उसी तरह से करूंगी जैसे तुम्हारी मम्मी किया करती थी।
मैं धीरे धीरे भाभी से एकदम घुलमिल गया और मम्मी को भूल गया।
अब मुझे मम्मी कि याद नहीं सताती थी।
जब कभी मैं शरारत करता तो भैया मुझ पर गुस्सा हो जाते थे।
जैसे ही भैया मुझ पर गुस्सा होते तो भाभी उन्हें घूर कर देखती और वो तुरन्त ही चुप हो जाते।
धीरे धीरे 3 साल गुजर गये।
मेरी छुन्नी भी अब थोड़ी बड़ी हो चुकी थी। भाभी जब तेल लगने के लिये मुझे एकदम नंगा कर देती तो मुझे शरम आती थी।
फिर जब वो मेरे सारे बदन पर तेल लगने के बाद मेरी छुन्नी पर तेल लगा कर मालिश करती तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था, तब मैं और ज्यादा शरमा जाता था।
वो कभी कभी मेरी छुन्नी को चूम भी लेती थी।
भाभी मुझसे अकसर मजाक में कहा करती थी- तेरी छुन्नी तो जवान आदमियों की तरह हो गई है।
मुझे अब तेरी शादी करनी पड़ेगी। मुझे तेरी छुन्नी बहुत अच्छी लगती है।
उनकी बात सुनकर मैं शरमा जाता था।
मैंने भाभी से कहा- अब मैं बड़ा हो गया हूँ मैं खुद ही नहा लूंगा।
वो बोली- क्यों अब तुझे शरम आती है।
मैंने कहा- हाँ। वो बोली- बदमाश कही का, आज तक मैं तेरी छुन्नी पर तेल लगा कर मालिश करती रही और तुझे अपने साथ नहलाती रही। मुझे आज तक शरम नहीं आयी और तू अब शरमा रहा है। मैं तेरी शादी होने तक खुद ही तेरी छुन्नी कि तेल लगा कर मालिश करूंगी और नहलाऊँगी भी। अगर बदमाशी करेगा तो मैं तुझे मारूंगी भी और तेरे भैया से कह दूंगी, फिर तुझे बहुत डांट पड़ेगी।
मैं भैया से बहुत डरता था इस लिये मैं चुप हो जाता था। भाभी अभी भी मेरे लण्ड को छुन्नी ही कहती थी।
धीरे धीरे मेरी छुन्नी पूरी तरह से लण्ड बन गयी।
भाभी अभी भी मुझे भैया का डर दिखा कर मेरी छुन्नी पर तेल लगाती और मुझे नहलाती भी थी।
भाभी के हाथ लगाने पर मेरा लण्ड बहुत सख्त हो जाता था। भाभी को तेल लगाने पर और भी मस्ती आने लगी थी।
एक दिन मैंने भाभी से कहा- अब तो मैं जवान हो गया हूँ। मेरी छुन्नी भी अब लण्ड बन गयी है। जब तुम मेरे लण्ड पर तेल लगाती हो तो मुझे कुछ कुछ होने लगता है, सख्त भी हो जाता है। अब मैं खुद ही नहा लिया करुंगा।
वो मुसकुराते हुये बोली- ठीक है, अब मैं तुझे नहीं नहलाऊँगी और ना ही तेल लगाऊँगी। अब तो खुश है ना।
मैंने कहा- हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ।
उसके बाद मैं खुद ही अपने सारे बदन पर तेल लगने लगा और नहाने भी लगा।
धीरे धीरे 2 साल और गुजर गये। अब मेरा लण्ड पूरे शवाब पर आ चुका था और 8″ लम्बा और खूब मोटा हो गया था।
मैं अब भी एकदम नंगा ही नहाता था। मैं भाभी से ज्यादा शरमाता भी नहीं था इस लिये मैं बाथरूम का दरवज़ा खुला छोड़ कर ही नहाता था।
भाभी भी मुझसे जरा सा भी नहीं शरमाती थी। वो पहले कि तरह ही एकदम नंगी ही नहाती थी और नहाने के बाद बाथरूम से नंगी ही बाहर आ जाती थी।
एक दिन मैं नहा रहा था और भाभी बाथरूम के पास से गुजर रही थी तो उनकी निगाह मेरे लण्ड पर पड़ी।
उन्होंने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये मजाक किया और कहा- बाप रे, तेरी छुन्नी तो अब एकदम खतरनाक हो गयी है। इतनी बड़ी छुन्नी मैंने आज तक नहीं देखी है। तू जवान भी हो गया है। अब तो तेरी शादी करनी ही पड़ेगी।
मैं शरमा गया और मैं टावेल लपेटने लगा।
भाभी बोली- पहले तो खूब मज़े से अपनी छुन्नी पर तेल लगवाता था। अब शरम आ रही है।
मैंने शरमाते हुये कहा- भाभी, जाओ ना।
वो बोली- अब बाथरूम का दरवाज़ा बन्द कर के नहाया कर, नहीं तो तेरी छुन्नी को मेरी नज़र लग जायेगी।
मैंने मजाक किया और कहा- तुम हमेशा इसे छुन्नी ही कहती रहोगी। ये तो अब छुन्नी से इतना बड़ा और मोटा लण्ड बन गया है। अब इसे लण्ड ही कहा करो।
वो बोली- अच्छा बाबा, अब मैं इसे लण्ड ही कहूँगी। मैं जाती हूँ, तू नहा ले।
भाभी चली गयी।
मैं नहाने लगा।
एक दिन भाभी उदास बैठी थी, मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं।
मैंने ज़िद करते हुये कहा- बताओ ना?
वो बोली- 6 साल गुजर गये और आज तक मैं माँ नहीं बन पाई। सारा दोष तेरे भैया का ही है।
मैंने कहा- क्या किया भैया ने?
वो बोली- वो मुझे मां बनाने के लायक ही नहीं हैं।
मैंने पूछा- क्यों?
वो बोली- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- आज तक तो मुझसे नहीं शरमाती थी, कब से शरम आने लगी?
वो बोली- बात ही कुछ ऐसी है।
मैंने कहा- बताओ ना?
वो कहने लगी- तेरा लण्ड देख कर मैं सोचती हूँ कि काश तेरे भैया का भी ऐसा होता तो आज मेरी कोख सूनी ना रहती। मुझे उनसे मज़ा भी नहीं मिल पाता।
मैंने कहा- इसमें मैं क्या कर सकता हूँ।
वो बोली- अगर मैं तुझसे एक बात कहूँ तो तू बुरा तो नहीं मानेगा क्योंकि वो बात कुछ ठीक नहीं है और मुझे ऐसा करना भी नहीं चाहिये।
मैंने कहा- तुम मेरे लिये इतना सब कुछ करती हो, क्या मैं तुम्हारे कुछ भी नहीं कर सकता। तुम बताओ तो सही?
वो बोली- इतने साल मैंने केवल तुझे पल-पोस कर कर बड़ा करने में गुजार दिये और कभी मां बनने के बारे में सोचा ही नहीं।
मैंने कहा- तुम बताओ तो सही कि मुझे क्या करना है?
भाभी बोली- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- जब मैं शरमाता था तब तो तुम मुझ पर गुस्सा होती थी। अब तुम शरमा रही हो तो मुझे क्या करना चाहिये, बताओ।
मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ी और बोली- मैं मां बनना चाहती हूँ और साथ ही साथ मैं चुदाई का मज़ा भी लेना चाहती हूँ। अगर तेरा कोई दोस्त हो और उसका लण्ड तेरे जैसा हो तो…
इतना कह कर वो चुप हो गई।
मैंने कहा- मैं समझ गया भाभी, लेकिन अगर भैया को पता चल गया तो?
वो बोली- वो क्या कर लेंगे। तू तो जानता ही है कि मैं जब उन्हें घूर कर देखती हूँ तो वो चुप हो जाते हैं। वो मेरी हर सही या गलत बात को मान भी लेते हैं। वो ऐसा क्यों करते हैं मैं आज तुझे बताती हूँ। तेरे भैया का लण्ड बहुत छोटा है। उनका लण्ड ठीक उतना ही बड़ा है जितना 13 साल के उमर में तेरा था। उनका चुदाई का काम भी बड़ी मुश्किल से 2 मिनट में ही खत्म हो जाता है। इसीलिये वो मुझसे डरते हैं।
मैंने कहा- अब मैं समझा कि वो तुमसे इतना डरते क्यों हैं।
भाभी ने कहा- मुझे तेरे भैया से कोई डर नहीं है।
मैंने कहा- आस पास के लोग क्या कहेंगे।
वो बोली- मैं यहाँ थोड़े ही चुदवाऊँगी। तेरे दोस्त के पास ही चलूंगी और तू मेरे साथ चलेगा।
मैंने कहा- मेरा एक दोस्त है, संजय। वो अकेले ही रहता है। मैं उससे बात कर लूँ, फिर तुम्हें उसके पास ले चलूँगा।
भाभी ने कहा- मुझे तेरे जैसा लण्ड भी चाहिये।
अब मैं भाभी से ज्यादा शरमाता भी नहीं था। मैंने तुरन्त ही अपनी लुंगी उतार दी और कहा- फिर मेरे लण्ड से ही काम चला लो। इधर उधर जाने कि क्या जरूरत है।
भाभी ने मेरे लण्ड पर अपने हाथ से हल्की सी चपत लगाते हुये कहा- तू इसे अपने पास ही रख। यह मेरे लिये पुराना हो चुका है। मुझे नया लण्ड चाहिये।
मैंने कहा- मैंने एक बार संजय का लण्ड देखा था। उसका मुझसे ज्यादा लम्बा और मोटा है।
वो बोली- फिर ठीक है। तू उस से बात कर ले लेकिन वो किसी से कहेगा तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं वो किसी से नहीं कहेगा। फिर एक महीने के बाद ही वो अपने घर भी जाने वाला है। उसके बाद वो यहाँ वापस नहीं आयेगा। उसका घर तो यहाँ से 200 किलोमीटर दूर है।
भाभी ने कहा- फिर ठीक है।
मैं संजय के पास चला गया। मैंने संजय से बात की तो वो बहुत खुश हो गया।
एक घण्टे में मैं घर वापस आ गया।
भाभी बड़ी बेसब्री से मेरा इन्तजार कर रही थी, जैसे ही मैं घर के अन्दर पहुँचा तो वो बोली- काम हो गया?
मैंने कहा- हाँ, वो तैयार है।
भाभी ने पूछा- कब चलना है?
मैंने कहा- जब तुम चाहो।
भाभी बहुत ज्यादा जोश में आ चुकी थी और बोली- अभी चलूं?
मैंने कहा- चलो।
दोपहर के 11 बज रहे थे। भाभी ने भैया को फोन कर के बता दिया कि वो अपनी एक सहेली के यहाँ जा रही हैं, शाम के 5 बजे तक वापस आयेगी।
मैं भाभी को लेकर संजय के पास आ गया।
संजय भाभी को देख कर मुसकुराने लगा तो भाभी भी मुसकुरा दी।
संजय ने कहा- यहीं या कमरे में?
भाभी ने कहा- नहीं कमरे में।
भाभी ने मुझसे कहा- तू यहीं बैठ कर टीवी देख।
मैंने कहा- जब मुझे लाईव शूटिंग देखने का मौका मिल रहा है तो फ़िल्म क्यों देखूँ। मैं तुम्हारे साथ ही चलता हूँ।
वो बोली- मारूंगी अभी।
मैंने कहा- अच्छा बाबा जाओ।
मैंने टीवी पर एक फ़िल्म लगा दी और फ़िल्म देखने लगा।
भाभी संजय के साथ कमरे में चली गयी।
5 मिनट बाद ही कमरे से भाभी की चीखने और चिल्लाने की आवाजें आने लगी।
मैं समझ गया कि अन्दर क्या हो रहा है। संजय का लण्ड 10′ लम्बा और बहुत ही मोटा था। बहुत देर तक भाभी की चीखने और चिल्लाने की आवाज़ आती रही फिर धीरे धीरे उनकी आवाज़ आनी कम हो गई।
थोड़ी देर बाद ही भाभी की आहें और सिसकारियाँ सुनाई देने लगी।
15 मिनट के बाद संजय लुंगी पहने हुये पसीने से लथपथ कमरे से बाहर आया और बोला- जा, तुझे तेरी भाभी बुला रही हैं।
मैं कमरे के अन्दर गया तो भाभी बेड पर एकदम नंगी पड़ी हुई थी, केवल एक छोटे से कपड़े से उनकी चूत ढकी हुई थी।
उनके बाल बिखरे हुये थे, वो पसीने से एकदम लथपथ थी और उनकी सांसें बहुत तेज चल रही थी।
उन्होंने अपने पैरों को मोड़ कर फैला रखा था।
मैंने पूछा- क्या है?
वो बोली- मेरे पास आ।
मैं उनके पास जा कर बैठ गया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- तूने तो मुझे फंसा ही दिया।
मैंने पूछा- आखिर हुआ क्या?
वो बोली- मैंने तुझसे कहा था कि मुझे तेरे लण्ड के जैसा लण्ड चाहिये लेकिन तेरे दोस्त का तो बहुत ही ज्यादा लम्बा और मोटा है। मैं तो समझती थी कि थोड़ा सा फरक होगा।
मैंने पूछा, काम हो गया?
वो बोली- अभी आधा ही हुआ है।
मैंने कहा- आधा का क्या मतलब है।
वो बोली- दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी। बड़ी मुशकिल से मैं उसका आधा लण्ड ही अन्दर ले पायी हूँ। मैंने मजाक करते हुये कहा- अगर मैं होता तो एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर घुसा देता। वो बोली- तब तो मैं मर ही जाती।
इतना कह कर भाभी ने मेरे गालों को चूम लिया और बोली- संजय का लण्ड बहुत ही अच्छा है।
मैंने पूछा- मज़ा आया।
वो बोली- बहुत थोड़ा सा। जब वो पूरा अन्दर घुसा कर चोदेगा तब मज़ा आयेगा।
मैंने कहा- अबकि बार पूरा अन्दर ले लेना।
वो बोली- दर्द बहुत हो रहा था नहीं तो मैं पूरा अन्दर ले लेती। आज तूने मुझसे पहली बार कुछ कहा है और मैं तेरी बात टालूंगी नहीं। मैं अबकि बार पूरा का पूरा अन्दर ले लूगी भले ही कितना भी दर्द हो।
मैंने कहा- मुझे अपनी चूत तो दिखा दो।
वो बोली- बदमाश कही का, तू मेरी चूत देखेगा।
मैंने कहा- तो क्या हुआ। तुम मेरे सामने एकदम नंगी नहाती हो। तुम्हारा कुछ मुझसे छुपा है क्या।
वो बोली- अच्छा बाबा, बाद में दिखा दूंगी। पहले मुझे पूरा अन्दर तो ले लेने दे।
भाभी मुझसे बाते करती रही। अब हम दोनो में ज्यादा शरम नहीं रह गयी थी।
तभी संजय कमरे में आ गया और बोला- मैं फिर से तैयार हूँ।
भाभी ने मुझसे कहा- अब तू जा बाहर। मैंने मजाक किया, नहीं, मैं यही रहूँगा।
भाभी बोली- मुझे तेरे सामने शरम आयेगी ना।
मैंने कहा- अब काहे की शरम?
वो बोली- शरम खत्म होने में थोड़ा समय तो लगेगा ही। अब जा ना।
मैं कमरे से बाहर चला आया।
2 मिनट में ही फिर से भाभी की चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ आने लगी। इस बार वो कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चीख और चिल्ला रही थी।
लगभग 10 मिनट तक उनकी चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ आती रही, उसके बाद उनकी चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ धीरे धीरे शान्त हो गयी।
लगभग 20 मिनट के बाद संजय बाहर आ गया तो मैं भाभी के पास चला गया।
भाभी की हालत बहुत ज्यादा खराब दिख रही थी। उनका सारा बदन पसीने से एकदम लथपथ था और उन्होंने अपने पैरो को मोड़ कर पूरी तरह से फैला रखा था। उनके बाल बिखरे हुये थे। वो एकदम नंगी पड़ी हुयी थी केवल उनकी चूत एक छोटे से कपड़े ढकी हुयी थी।
मैंने पूछा- काम हो गया।
वो बोली- हाँ, लेकिन बहुत दर्द हुअ। तेरे कहने की वजह से मैंने इस बार पूरा अन्दर ले लिया नहीं तो मुझे अभी एक बार और करवाना पड़ता। उसका लम्बा होने के साथ साथ बहुत ज्यादा मोटा भी तो है।
मैंने मजाक किया- मज़ा तो आया ना?
वो बोली- बदमाश कहीं का।
मैंने कहा- बताओ ना?
उन्होंने शरमाते हुये कहा- थोड़ा सा।
मैंने कहा- वो क्यों?
वो बोली- इस बार दर्द बहुत हो रहा था ना।
मैंने कहा- फिर तो तुम्हारी चूत की हालत एकदम खराब हो गयी होगी?
वो बोली- बहुत ही ज्यादा खराब हो गयी है। मैं तो अब शायद 2-3 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पाऊँगी।
मैंने कहा- अब तो दिखा दो।
वो बोली- अभी नहीं।
मैंने कहा- फिर कब?
वो बोली- एक बार और करवा लेने दे तब मेरी चूत का मुँह एकदम खुल जयेगा। उसके बाद देख लेना।
मैंने कहा- ठीक है, मैं थोड़ी देर और सबर कर लेता हूँ।
लगभग 30 मिनट के बाद संजय फिर आ गया तो मैं बाहर चला आया।
इस बार भाभी की चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ ज्यादा देर तक नहीं आयी।
थोड़ी ही देर में उनकी सिसकारियाँ सुनाई देने लगी।
लगभग 20 मिनट के बाद ही संजय फिर से बाहर आ गया तो मैं कमरे में चला गया।
भाभी का चेहरा इस बार कुछ खिला हुआ था।
मैंने कहा- लगता है इस बार मज़ा आ गया।
वो बोली- हाँ, लेकिन तेरा दोस्त तो 10-15 मिनट से ज्यादा कर ही नहीं पाता नहीं तो मुझे और मज़ा आता।
मैंने कहा- अब तो दिखा दो।
वो बोली- शरम आती है।
मैंने कहा- अभी तो तुमने कहा था कि अगली बार दिखा दूंगी।
भाभी ने शरमाते हुये कहा- अच्छा बाबा, देख ले लेकिन अगर कही तुझे जोश आ गया तो।
मैंने कहा- मैं भी चोद दूंगा।
वो बोली- ठीक है, चोद देना।
मैंने भाभी कि चूत पर से कपड़ा हटा दिया। उनकी चूत कि हालत एकदम खराब हो चुकी थी। उनकी चूत का मुँह बहुत ज्यादा चौड़ा हो चुका था और उनकी चूत डबल रोटी कि तरह सूज गयी थी। उनकी चूत से ज्यूस टपक रहा था जिसमें थोड़ा सा खून भी मिला हुआ था। बेड कि चादर भी उन दोनो के ज्यूस से एकदम खराब हो चुकी थी।
मैं देर तक भाभी कि चूत को देखता रहा तो वो बोली- अब रहने भी दे। कब तक देखेगा। मैंने कहा- मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वो बोली- मेरी जान ही निकल गयी और तुझे अच्छा लग रहा है।
मैंने कहा- मज़ा भी तो आया।
वो बोली- हाँ, ये तो है।
मैंने कहा- फिर देखने दो ना।
वो बोली- ठीक है, जी भर कर देख ले।
मैंने कहा- मुझे भी जोश आ रहा है।
वो बोली- अगर तेरा दिल करता है तो तू भी अपनी प्यास बुझा ले।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत मेरे लण्ड के लायक नहीं है।
वो बोली- क्यों, क्या खराबी है मेरी चूत में।
मैंने कहा- ये तो कुछ ज्यादा ही चौड़ी हो गयी है।
भाभी कुछ नहीं बोली।
लगभग 35 मिनट के बाद संजय फिर आ गया तो मैं बाहर चला आया। इस बार भी भाभी के चीखने कि आवाज़ ज्यादा देर तक नहीं आयी।
इस बार भी संजय 20 मिनट में ही कमरे से बहर आ गया तो मैं कमरे में चला गया।
इस बार भाभी एकदम नंगी पड़ी थी। उन्होंने अपनी चूत को भी नहीं ढका था।
मैंने पूछा, अब शरम नहीं आ रही है।
वो बोली- अब कहे कि शरम। अब तो तू मेरी चूत को देख ही चुका है।
मैंने कहा- वो तो मैं बरसो से देख रहा हूँ।
मैंने भी कि चूत को देखते हुये कहा- ये तो पहले से भी ज्यादा सूज गयी है।
भाभी ने कहा- आ, बैठ जा मेरे पास।
मैं उनके पास बैठ गया। उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहने लगी, तूने मुझे आज वो मज़ा दिलया है कि मैं सारी जीन्दगी इसे नहीं भुला पाऊँगी। मुझे अब लग रहा है कि मैं भी मा बन जाउँगी।
मैंने कहा- अब घर चलोगी या और भी चुदवाना है।
वो बोली- अब आज और नहीं।
मैंने कहा- फिर घर चलो।
वो बोली- चल।
भाभी उठने की कोशिश करने लगी तो उनके मुँह चीख निकल गयी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- बहुत दर्द हो रहा है, घर कैसे जाउँगी।
मैंने कहा- फिर क्या करोगी।
वो बोली- थोड़ा गर्म पानी ले आ, मैं अपनी चूत की सिकाई कर लेती हूँ। इस से दर्द कम हो जयेगा।
मैंने कहा- अभी लाता हूँ।
मैं थोड़ी ही देर मैं गर्म पानी ले कर भाभी के पास आ गया। मैंने कहा- पानी लाया हूँ, सिकाई कर लो। वो सिकाई करने के लिये उठना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी। मैंने उनकी इतनी बुरी हालत देखी तो मैंने कहा- कहो तो मैं ही सिकाई कर दूं।
वो बोली- तू मेरी चूत की सिकाई करेगा।
मैंने कहा- तो क्या हुआ।
भाभी ने शरमाते हुये कहा- ठीक है, तू ही सिकाई कर दे।
मैंने गर्म पानी से भाभी कि चूत कि सिकाई शुरु कर दी। जोश के मारे मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया।
भाभी ने मेरा लण्ड देखा तो बोली- तेरा क्यों खड़ा हो गया।
मैंने कहा- चूत पर हाथ लगने से मुझे भी थोड़ा जोश आ गया है।
वो मुसकुरते हुये बोली- गड़बड़ मत करना।
मैंने कहा- होटल का खाना खाने के बाद घर का खाना थोड़े ही अच्छा लगता है। आखिर में घर का खाना ही खाना पड़ेगा।
वो बोली- अगर मेरा मन हुआ तो मैं घर का खाना भी खा लूंगी।
लगभग 20-25 मिनट कि सिकई के बाद मैंने कहा- अब उठ कर देखो, उठ पाती हो या नहीं। भाभी उठने की कोशिश करने लगी तो उनके मुँह से हल्की सी आह निकल गयी लेकिन वो उठ गयी।
मैंने कहा- अब चलो घर।
वो बोली- थोड़ी सिकई और कर लेने दे। उन्होंने मेरे हाथ से गर्म पानी और कपड़ा ले लिया और अपनी चूत कि सिकई करने लगी। 10-15 मिनट बाद वो बोली- अब घर ले चल मुझे।
भाभी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं भाभी को सहारा दे कर घर ले आया। अगले 2 दिनो तक भाभी संजय के पास नहीं गयी।
तीसरे दिन भाभी मुझसे कहने लगी, आज रात तेरे भैया से बात हो रही थी। मैंने उनसे बता दिया कि मैंने तेरे एक दोस्त से चुदवाया है। पहले तो वो थोड़ा नाराज़ हुये और फिर कहने लगे कि अगर तुझे चुदवाना ही था तो क्या राज बुरा था। राज का लण्ड भी तो खूब लम्बा और मोटा है। मैंने उनसे कह दिया कि मुझे राज से चुदवने में शरम आयेगी तो वो बोले फिर ठीक है तुम्हारी मरजी जीस से भी मन कहे चुदवाओ।
फिर मैंने उनसे कहा कि मैं कल से 10 दिनो के लिये संजय के पास जाउँगी तो वो बोले, चली जाओ। अब तू मुझे संजय के पास पहुचा दे। 10 दिनो के बाद मुझे लेने आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है, चलो पहुचा देता हूँ।
मैं भाभी को संजय के घर छोड़ कर आने लगा तो मैंने संजय से कहा- भाभी का ख्याल रखना।
वो बोला- तू चिंता मत कर।
मैंने भाभी से मजाक करते हुये कहा- कम से कम 50 रन जरूर बनाना।
उन्होंने मुसकुरते हुये कहा- मैं 51 रन बना दूंगी, तू चिंता मत कर। समय से मुझे लेने आ जाना।
मैंने कहा- मैं आ जाऊँगा।
10 दिन के बाद मैं भाभी को लेने संजय के घर गया। भाभी मुझे देखकर बहुत खुश हो गयी।
मैंने मुसकुराते हुये पूछा, कितने रन बने।
वो थोड़ा उदास हो कर बोली- तू मुझे घर ले चल, मैं तुझे बाद में बता दूंगी। मैं भाभी को लेकर घर चला आया।
घर पहुचने पर मैंने भाभी से पूछा, अब बताओ कि कितनी बार चुदवाया।
वो बोली- केवल 44 बार लेकिन मैं मा नहीं बन पाऊँगी।
मैंने पूछा- वो क्यों।
वो बोली- संजय कल घर जा रहा है, अब वो यहाँ नहीं आयेगा।
मैंने कहा- इतने दिन तुमने उस से चुदवाया है, अब तो उसका बच्चा भी तुम्हारे पेट में आ भी गया होगा।
वो बोली- मुझे आज सुबह ही महीना आ गया। अगर उसका बच्चा मेरे पेट में आ गया होता तो मुझे महीना थोड़े ही आता।
मैंने कहा- एक पंडित जी हैं, मैं तुम्हे उनके पास ले चलता हूँ।
वो बोली- फिर देर काहे कि, अभी चल।
मैं भाभी को लेकर पंडित के पास आ गया।
पंडित ने भाभी कि कुंडली देखी और कहा- कुंडली के हिसाब से तुम्हारी जीन्दगी में 4 मरद आयेंगे। पहले के 3 मरद तुम्हें बच्चा नहीं दे पायेंगे। चौथे मरद से ही तुम्हें बच्चा होगा। तुम्हारी कुंडली से ये भी पता चलता है कि तुम अपने देवर के बच्चे कि मां बनोगि और तुम्हें जुड़वा लड़के पैदा होंगे लेकिन सावधान रहना। जब तक तुम्हारी जीन्दगी में 3 मरद नहीं आ जाते तब तक तुम अपने देवर से बच्चा पैदा करने की कोशिश मत करना नहीं तो तुम कभी भी माँ नहीं बन पाओगी।
भाभी ने मेरी तरफ़ इशारा करते हुये कहा- लेकिन पंडित जी, मेरा तो एक ही देवर है और वो ये है। मैंने ही इसे पालपोस कर बड़ा किया है फिर मैं कैसे इससे मा बनने के बारे में सोच सकती हूँ।
पंडित जी ने कहा- बेटी जरा सोचो। अगर तुम्हारी शादी 24 साल की उमर में हुयी होति तब ये 20 साल का होता, तब तो तुम इसके बच्चे कि माँ बनने को कोशिश करती या नहीं।
भाभी ने कहा- तब तो मैं जरूर कोशिश करती।
पंडित जी ने कहा- बात तो आखिर वही हुयि, फरक केवल इतना ही है कि तुम्हारी शादी जल्दी हो गयी और उस समय ये छोटा था। अगर तुम मा बनना चाहती हो तो तुम्हें इसकी मदद ही लेनी पड़ेगी। तुम्हारी कुण्डली देखने से ये भी पता चलता है कि तुम दोनो में बहुत ही ज्यादा प्रेम होगा। अब तुम ही बताओ कि मैं सही कह रहा हूँ या गलत।
भाभी ने कहा- पंडित जी, आप एकदम सही कह रहे हैं। मैं अपने देवर को बहुत प्यार करती हूँ और वो भी मुझे बहुत प्यार करता है।
भाभी ने मेरी तरफ़ इशारा करते हुये कहा- पंडित जी, मैं इसकी कुण्डली भी लायी हूँ, देख लीजीये। पंडित जी ने बहुत देर तक मेरी कुण्डली देखी और बोले, बेटी, इसकी कुण्डली तो बहुत ही अच्छी है। इस से तो 4 जुड़वा बच्चे पैदा होंगे यानि कि कुल मिला कर 8 बच्चे।
भाभी हंसने लगी तो पंडित जी बोले- बेटी, हंसो मत, मेरी बात ध्यान से सुनो। एक जुड़वा बच्चा तो इसकी अपनी बीवी से होगा लेकिन एकदम आखिर में। बाकी के 3 जुड़वा बच्चे 3 सगी बहनो से पैदा होगे। एक जुड़वा बच्चा तो तुमसे पैदा होना है। बाकी बचे 2 जुड़वा बच्चे। क्या तुम्हारी कोई सगी बहन भी है।
भाभी ने कहा- मेरी 2 बहने और भी है। एक मुझसे 2 साल बड़ी और एक 2 साल छोति।
पंडित जी ने कहा- बेटी मेरी बात का बुरा मत मानना। तुम्हारी दोनो बहनो को भी इस से 2 जुड़वां बच्चे पैदा होगे। अगर तुम अपनी दोनो बहनो कि कुण्डली ले आओ तो मैं एकदम साफ़ साफ़ बता दूंगा।
भाभी ने कहा- मैं अभी मंगा देती हूँ।
भाभी ने मुझसे कहा- आलमारी में रीना और रोशनी कि कुण्डली रखी है, जा कर ले आ।
थोड़ी ही देर मैं घर से कुण्डली ले आया। पंडित जी ने दोनो कुण्डली देखी और बोले, अब मेरी समझ में सारी बात आ गयी।
भाभी ने कहा- बताये पंडित जी।
पंडित जी कहने लगे- तुम्हारी बड़ी बहन कि जिन्दगी में 2 मरद आयेंगे। पहला तो उसका पति होगा और दूसरा उसका देवर। उसको भी अपने देवर से ही बच्चा पैदा होगा वो भी जुड़वां। रीना की कुण्डली से ये भी पता चलता है कि उसका कोई सगा देवर नहीं होगा। क्या ये बात सही है।
भाभी ने कहा- एकदम सही है।
पंडित जी ने कहा- फिर तुम्हारे देवर से ही रीना को भी जुड़वां बच्चा पैदा होगा। अब रही रोशनी कि बात। उसकी कुण्डली से भी ठीक यही बात सामने आती है। उसे भी अपने देवर से ही जुड़वां बच्चे पैदा होगे और उसके भी कोई सगा देवर नहीं होगा। क्या मैं सही कह रहा हूँ।
भाभी ने कहा- एकदम सही कह रहे हैं आप।
पंडित जी ने कहा- फिर रोशनी को भी तुम्हारे देवर से ही जुड़वां बच्चा पैदा होगा। लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है।
भाभी ने कहा- वो क्या पंडित जी?
पंडित जी ने कहा- रोशनी कि जीन्दगी में कुल 21 मरद आयेगे। पहला मरद तो उसका पति होगा और आखिरी मरद तुम्हारा देवर। लेकिन उसकी जिन्दगी में बाकि के 19 मरद कहाँ से आयेगे ये मैं नहीं बता सकता। खैर छोड़ो जाने दो। भविष्य में क्या होने वाला है वो तो केवल ईश्वर ही जानता है।
मैं भाभी के साथ घर आ गया।
भाभी ने कहा- तेरे भैया ठीक ही कह रहे थे कि मुझे तुझ से ही चुदवा लेना चाहिये था। मैं तो अब तुझसे ही चुदवा कर बच्चा पैदा करूंगी।
मैंने कहा- वो तो ठीक है भाभी लेकिन अभी तो तुम्हारी जिन्दगी में केवल 2 मरद ही आये हैं, पहले तीसरा तो आ जाने दो।
वो बोली- देखा जायेगा लेकिन अब तो तू खुश हो जा।
मैंने कहा- वो किस लिये। भाभी ने कहा- तुझे मेरी और मेरी दोनो बहनो कि चुदयी करने का मौका जो मिलने वाला है।
मैंने कहा- आने दो सालियों को, उन्हें भी चोद दूंगा।
भाभी हसने लगी और बोली- तू मेरी बहनो को गाली दे रहा है।
मैंने कहा- मेरी ये जुर्रत कि मैं तुम्हारी बहनो को गाली दूंगा।
भाभी ने कहा- अभी तुमने कहा ना कि आने दो सालियों को उन्हें भी चोद दूंगा।
मैंने कहा- मैंने कोई गलत बात थोड़े ही कही है, आखिर वो दोनो मेरी सालियाँ ही तो हैं।
मेरी बात सुनकर भाभी जोर जोर से हसने लगी।
5 दिन बाद भाभी ने नहाया। उसके बाद वो एकदम नंगी ही बेड रूम में आयी और श्रृंगार करने लगी। उन्होंने बहुत प्यारी सी खुशबू भी लगायी।
मैंने कहा- तुम्हारा इरादा तो आज खतरनाक लग रहा है। आज किस का कतल करने का इरादा है।
वो बोली- तेरा।
मैंने कहा- अभी तो 2 ही हुये हैं, तीसरा तो आ जाने दो।
इतना सुनते ही वो मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने पूछा, क्या हुआ, रो क्यों रही हो।
वो बोली- मुझे तुझसे बच्चा चाहिये।
मैंने कहा- वो तो ठीक है लेकिन पंडित जी कि बात याद है ना।
वो रोते हुये कहने लगी- मेरी जीन्दगी में तीसरा मरद पहले ही आ चुका है। जब तू मुझे संजय के पास छोड़ कर घर चला आया तो दूसरे दिन उसका एक दोस्त महमूद आ गया था। मैं लाख मना करती रही लेकिन महमूद ने भी मुझे जबरदस्ती चोद दिया। मैं चिल्लती रही लेकिन उन दोनो ने मेरी एक ना सुनी। उसके बाद मैंने संजय से कहा कि मैं घर जा रही हूँ। संजय ने महमूद को घर भेज दिया। उसके बाद ही मैंने उस से इतने दिनो चुदवया।
भाभी की बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने कहा- जब मैं तुम्हें लेने गया था तब ही बताना चाहिये था। मैं संजय कि अच्छी तरह से खबर लेता। भाभी ने कहा- मैं कोई बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहति थी। अब जो होना था वो तो हो ही चुका है। मुझे माफ़ कर दे। इतना कह कर वो मेरे कनधे पर सिर रख कर रोने लगी। मैंने उन्हें समझा बुझा कर चुप कराया। थोड़ी देर बाद वो नोरमल हो गयी।
मैंने पूछा- मुझे अपनी चूत नहीं दिखाओगी?
वो मुसकुरा कर बोली- सारा का सारा बदन तो तेरे सामने एकदम खुला पड़ा है। आज से मैं खुद को तेरे हवाले कर रही हूँ। अब तू मेरे बदन का जैसे भी चहे इस्तेमाल कर और मुझे मा बना दे।
मैंने कहा- मैं एक बात कहना चाहता हूँ।
वो बोली- अब क्या है।
मैंने कहा- जब तुम्हारे पेट में बच्चा आ जयेगा तब तुम नहीं चुदवाओगि। मैं चहता हूँ कि पहले हम दोनो खूब जी भर के जवानी का मज़ा उठा ले। उसके बाद बच्चा पैदा करेंगे।
वो बोली- ये तो बहुत ही अच्छा रहेगा। मैं आज से ही पिल्स लेना शुरु कर दूंगी।
मैंने कहा- फिर मैं कहाँ से शुरु करूं।
वो बोली- जहाँ से तेरा मन कहे। मैंने कहा- तुमने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बहुत मालिश की है और इसे चूमा भी है। लेकिन आज तक तुमने कभी मेरा लण्ड नहीं चूसा, चूसोगी इसे।
वो बोली- क्यों नहीं चूसुन्गी।
भाभी ने तुरन्त ही मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है?
वो बोली- बहुत ज्यादा क्यों कि आज तक मैंने किसी का लण्ड नहीं चूसा है और आज पहली बार लण्ड चूस रही हूँ वो भी अपने प्यारे देवर का।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी चूत को चाटना चहता हूँ।
वो बोली- तो फिर चाट जल्दी से। आज तक किसी ने मेरी चूत भी नहीं चाटी है।
मैंने कहा- क्या कह रही हो।
वो बोली- एकदम सही कह रही हूँ। आज तक तेरे भैया कभी मेरी चूत ही नहीं चाटी।
मैंने पूछा- और संजय ने?
वो बोली- उसने भी कभी मेरी चूत नहीं चाटी। वो तो लण्ड खड़ा होने के बाद सीधे जुट जाता था और झड़ने के फौरन बाद हट जाता था। उसे केवल मेरी चुदायी करने से मतलब था और वो ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट ही चुदायी कर पाता था।
मैं भाभी के उपर 69 कि पोजीशन में हो गया। वो मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उनकी चूत चाटने लगा। मैंने पूछा, ठीक से चाट रहा हूँ ना?
वो बोली- तू तो बहुत ही अच्छी तरह से चाट रहा है। और तेजी से चाट, बहुत मज़ा आ रहा है।
मैंने भाभी कि चूत को और ज्यादा तेजी से चाटना शुरु कर दिया। 2 मिनट में ही भाभी कि चूत से ज्यूस निकल आया तो मैंने कहा- लगता है बहुत जोश में हो।
वो बोली- आज अपने देवर का लण्ड जो अन्दर लेने वाली हूँ।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत का ज्यूस चाट लूं। वो बोली- जैसी तेरी मरजी। मैं भाभी कि चूत का ज्यूस चाटने लगा तो वो सिसकारी लेने लगी।
थोड़ी देर बाद मेरे लण्ड का ज्यूस भी उनके मुँह में निकलने लगा। उन्होंने सारा ज्यूस निगल लिया और बोली- जिन्दगी में आज मुझे पहली बार लण्ड के अमृत का स्वाद चखने को मिला है।
मैंने पूछा- अच्छा लगा?
वो बोली- बहुत ही अच्छा था।
मैंने फिर से भाभी कि चूत को चाटना शुरु कर दिया और वो मेरा लण्ड चूसने लगी। 5 मिनट के बाद ही भाभी फिर से झड़ गयी तो मैंने उनकी चूत का सारा ज्यूस चाट लिया।
वो बोली- आज तक मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला, तू तो एकदम पक्का खिलाड़ी लग रहा है।
मैंने कहा- तुमने ही तो बनाया है।
तभी मुझे बदमाशी सूझी। मैंने अपनी एक अंगुली भाभी की गाण्ड के छेद पर रख दी और कहा- मैं इसका मज़ा भी लेना चाहता हूँ। वो बोली- फिर तू यहीं से शुरु कर दे। मुझे भी आज तक इसका मज़ा नहीं मिला है। मैंने कहा- इसका मज़ा भी लूंगा लेकिन बाद में। वो बोली- अभी क्यों नहीं। मैंने कहा- पहले तुम्हारी चूत का मज़ा तो ले लूं।
हम दोनो ऐसे ही बातें करते रहे। थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो भाभी ने कहा- अब बरदाश्त नहीं हो रहा है, शुरु हो जा।
मैंने कहा- मैं नहीं चोदूंगा।
वो बोली- क्यों। मैंने कहा- तुम ही चोदो।
वो बोली- मैं ही चोद देती हूँ लेकिन चिल्लाना मत।
मैंने कहा- मैं कोई औरत थोड़े ही हूँ कि मुझे दर्द होगा और मैं चिल्लाऊँगा।
वो बोली- मैं अपने देवर को चोदूंगी तो पूरि मस्ती से चोदूंगी। ऐसा धक्का लगाऊँगी कि तुझे तेरी नानी याद आ जायेगी।
मैंने कहा- कसम से, तब तो बहुत मज़ा आयेगा।
इतना कह कर मैं बेड पर लेत गया। भाभी मेरे ऊपर आ गयी। मैं पूछा, किसी को चोदा है कभी?
वो बोली- कभी नहीं लेकिन आज तुझे पहली बार चोदने जा रही हूँ।
मैंने कहा- चोदने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
वो बोली- अभी पता चल जायेगा।
भाभी ने मेरा लण्ड अपनी चूत में डाल लिया और जोर जोर के धक्के लगने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्यों कि आज पहली बार मेरे लण्ड ने चूत को टच किया था और कोई औरत मुझे चोद रही थी।
थोड़ी देर बाद भाभी ने कहा- कैसा चोद रही हूँ?
मैंने कहा- बहुत ही अच्छी तरह से।
वो बोली- तू जानता नहीं है कि मैं कितनी सेक्सी हूँ।
मैंने कहा- तुम कब से सेक्सी बन गयी।
वो बोली- जब से मैं तेरे लण्ड की मालिश कर रही हूँ।
मैंने कहा- तो फिर पहले क्यों नहीं चुदवाया।
वो बोली- शरम आती थी।
वो जोर के धक्के लगाती रही और थोड़ी देर बाद ही झड़ गयी।
उसके बाद वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरे होठों को चूमते हुये बोली- देखा मैं तेरी नानी याद करा दी।
मैंने कहा- मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ।
वो बोली- मैंने तेरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर डाल के और धक्का लगा लगा के अपनी चूत का पानी निकल दिया।
मैंने कहा- मेरा पानी निकलो तब पता चलेगा।
वो बोली- वो मेरा काम नहीं है। मुझे मज़ा लेना था मैंने ले लिया। तुझे मज़ा लेना है तो मेहनत तो तुझे ही करनी पड़ेगी।
मैंने कहा- वो तो है। अब देखो मैं तुम्हें कैसे तुम्हारी नानी याद दिलाता हूँ।
मैं भाभी के ऊपर आ गया। मैंने उनके पैरो को मोड़ कर उनके कन्धे के पास सटा दिया और दबा कर जोर से पकड़ लिया। वो एकदम दोहरी हो गयी और उनकी चूत एकदम उपर उठ गयी। उसके बाद मैंने उनकी चुदायी शुरु कर दी। मैंने बहुत जोर जोर के धक्के लगने शुरु किये तो भाभी बोली- मेरी सारी हड्डियाँ तोड़ दलेगा क्या।
मैंने कहा- अभी तो ये शुरुआत है। आगे आगे देखो मैं क्या करता हूँ।
मैंने पूरे ताकत से साथ बहुत जोर जोर के धक्के लगते हुये भाभी को चोदना शुरु किया तो वो बोली- उयीईई… मां… तू तो बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा है।
मैंने कहा- अभी तो तुमने मा को ही याद किया है, थोड़ी ही देर में नानी को भी याद करोगी।
वो हंसने लगी।
मैंने पूछा, मज़ा आ रहा है?
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है। तेरे दोस्त का लण्ड भले ही तुझसे ज्यादा लम्बा और मोटा था लेकिन उसने कभी भी उसने मुझे इतनी अच्छी तरह से नहीं चोदा।
मैंने कहा- मुझसे चुदवाने के बाद तुम उसे भूल जओगी।
वो बोली- मैं तो इतनी देर की चुदायी में ही उसे भूल गयी।
मैं भाभी को पहली पहली बार में ही इतनी अच्छी तरह से चोद देना चाहता था कि वो उन दोनो को एकदम भूल जाये। तभी भाभी के मुँह से जोर जोर कि सिसकरी निकलने लगी, रज्जज्ज… मैं… तो… गयीईईह्ह्ह्ह…… इसके साथ ही भाभी कि चूत से ज्यूस निकलने लगा। उनकी चूत से इस बार बहुत ढेर सारा ज्यूस निकला।
मैं रुका नहीं, मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी। भाभी का सारा बदन पसीने से लथपथ हो गया। मेरा सारा बदन भी पसीने से नहा गया। मेरे चेहरे का पसीना भाभी के चेहरे पर टपा टप गिरने लगा।
मैं जोर जोर के धक्के लगता हुअ भाभी को चोदता रहा। 5 मिन्ट भी नहीं बीते थे कि वो फिर से झड़ गयी और बोली- उस दिन तू कह रहा था ना कि अगर मैं होता तो एक ही बार में पूरा अन्दर घुसा देता।
मैंने कहा- हाँ, कहा तो था। भाभी ने कहा- आज मैं समझ गयी कि तू एकदम सही कह रहा था।
मुझे भाभी कि चुदायी करते हुये लगभग 10 मिनट और बीते थे कि वो फिर से झड़ गयी। जब उनकी चूत का सारा ज्यूस निकल गया तो मैंने कहा- मैं उस दिन एकदम सही कह रहा था, कहो तो कर के दिखा दूं।
भाभी ने कहा- वो कैसे, तेरा तो पूरा अन्दर घुस ही चुका है।
मैंने कहा- कभी गाण्ड मरवायी है।
वो बोली- कभी नहीं।
मैंने कहा- गाण्ड मरवाने के लिये तैयार हो।
वो बोली- एकदम तैयार हूँ।
मैंने कहा- कहो तो एक ही बार में पूरा का पूरा लण्ड तुम्हारी गाण्ड में घुसा कर दिखा दूं।
वो बोली- दिखा दे।
मैंने कहा- बहुत चिल्लाओगी।
वो बोली- चिल्लाने दे ना।
मैंने कहा- बहुत दर्द होगा।
वो बोली- होने दे ना।
मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाला। मेरा लण्ड भाभी कि चूत के ज्यूस एकदम भीगा हुअ था। मैंने भाभी कि चूत पर से थोड़ा सा ज्यूस उनकी गाण्ड के छेद पर लगा दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड के छेद पर रख दिया और कहा- तैयार हो जाओ।
वो बोली- मैं तैयार हूँ।
मैंने एक धक्का मारा तो वो जोर से चीखी। मेरे लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड में घुस गया था। मैंने दूसरा धक्का मारा तो मेरा लण्ड उनकी गाण्ड को चीरता हुआ 3′ तक अन्दर घुस गया। वो जोर जोर से चिल्लाने लगी। मैंने तीसरा धक्का मारा तो उनकी गाण्ड से खून निकल आया और मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में 5′ अन्दर घुस गया।
मैं रुका नहीं। मैंने बहुत जोरदर 2 धक्के और लगा दिये तो पूरा का पूरा लण्ड उनकी गाण्ड में समा गया। वो जोर जोर से चिल्ला रही थी और उनकी आंखो से आंसू निकल आये। दर्द के मारे उनका बुरा हाल हो रहा था। मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरु कर दी।
थोड़ी देर तक वो चिल्लाती रही फिर धीरे धीरे शान्त हो गयी। 5 मिनट में ही भाभी को मज़ा भी आने लगा। मैंने पूछा, अब क्या ख्याल है।
वो बोली- तू तो बहुत ही खराब आदमी है।
मैंने कहा- क्यों, मज़ा नहीं आया?
वो बोली- मज़ा तो आया लेकिन दर्द भी तो हुआ।
मैंने कहा- वो तो होना ही था लेकिन जितना होना चाहीये था उतना तो नहीं हुआ होगा।
वो बोली- और जोर जोर से धक्के लगा। मैंने कहा- वो तो लगाऊँगा ही।
मैंने और ज्यादा जोर जोर के धक्के लगने शुरु कर दिये। थोड़ी ही देर में भाभी एकदम मस्त हो गयी। 10 मिनट तक उनकी गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से निकल कर उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चुदायी शुरु कर दी।
5 मिनट में ही भाभी फिर से झड़ गयी और बोली- कितनी बार मेरी चूत का पानी निकलेगा।
मैंने कहा- तुम देखती जाओ।
मैंने उनकी चूत से अपना लण्ड निकल कर उनकी गाण्ड में डाल दिया। 5 मिनट गानद मरने के बाद मैंने फिर से उनकी चुदायी शुरु कर दी। 10 मिनट कि चुदायी में ही वो फिर से झड़ गयी तो मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरु कर दी।
भाभी बोली- लगता है कि तू आज मेरी चूत का भुरता बना देगा। मैंने कहा- इसी को तो असली चुदायी कहते हैं। वो बोली- वो तो मैं आज समझ ही गयी क्यों कि तेरा दोस्त ने तो मुझे ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट तक ही चोदा था। मैंने कहा- देखती जाओ, अभी तो मैं बहुत देर तक चोदने वाला हूँ।
5 मिनट तक उनकी गाण्ड मारने के बाद मैंने फिर से उनकी चुदायी शुरु कर दी। 10 मिनट में ही भाभी फिर से झद गयी और बोली- अब रहने दे, मैं एकदम थक गयी हूँ।
मैंने पूछा, नानी याद आयी या नहीं।
वो बोली- नानी की बात कर रहा है तू, मुझे तो नानी कि मम्मी भी याद आ गयी, अब रहने दे।
मैंने कहा- अभी मेरे लण्ड का पानी कहाँ निकला है।
वो बोली- फिर जल्दी से निकाल।
मैंने कहा- वो मेरे बस में नहीं है।
वो बोली- फिर किस के बस में है।
मैंने कहा- तुम्हारे।
वो बोली- मैं क्या कर सकती हूँ।
मैंने कहा- तुम भी नीचे से धक्का लगओ।
वो बोली- तूने तो मेरा पैर जोर से पकड़ रखा है। मेरा पैर छोड़ेगा तब ही तो धक्के लगाऊँगी।
मैंने भाभी के पैर छोड़ दिये तो उन्होंने भी अपना चूतड़ उठा उठा कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने और ज्यादा जोर जोर के धक्के लगने शुरु कर दिये।
10 मिनट की चुदायी के बाद मैं झड़ गया। वो भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी। मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बहर निकला और हट गया। वो बोली- तेरा लण्ड तो बहुत ही खतरनाक है।
मैंने कहा- तुमने ही तो इसे तेल लगा लगा कर इतना खतरनाक बनया है। मैं तुम्हारी दोनो बहनो को भी ऐसे ही चोदुंगा।
वो बोली- जरूर चोदना लेकिन मुझे आज चुदवाने में जो मज़ा आया है ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था। मैं तो आज दोबारा चुदवाने के लायक ही नहीं रही।
मैंने कहा- मैं तो आज कम से कम 2 बार और चोदुंगा।
वो बोली- अच्छा बाबा, चोद लेना। लेकिन तू ये तो बता कि तुझे झड़ने में इतनी देर क्यों लगती है।
मैंने कहा- किसी से कहोगी तो नहीं।
वो बोली- बिल्कुल नहीं।
मैंने कहा- तुम मेरे लण्ड पर तेल लगा कर कितनी देर मालिश करती थी।
वो बोली- 15-20 मिनट।
मैंने कहा- जब मैं तुम्हें चोद रहा था तो 15-20 मिन तक तो मुझे यही लग रहा था कि मेरे लण्ड कि मालिश हो रही है। उसके बाद मुझे धीरे धीरे जोश आना शुरु हुआ। लगभग 15 मिन के बाद मैं पूरे जोश में आ गया। जोश में आने के बाद मैंने 20-25 मिनट तक ही तो तुम्हारी चुदायी की।
वो बोली- अब मैं समझी कि तू इतनी देर तक कैसे चोद पाता है।
मैंने उस दिन भाभी को 2 बार और चोदा। अगले 3 महीने तक मैं भाभी की चुदायी करता रहा और उनकी गाण्ड भी मारता रहा।
एक दिन भाभी बोली- बच्चा नहीं पैदा करना है।
मैंने कहा- करना क्यों नहीं है।
वो बोली- अगर तुझे पूरा मज़ा मिल गया हो तो मैं पिल्स लेना बन्द कर दून।
मैंने कहा- ठीक है, बन्द कर दो।
भाभी ने पिल्स लेनी बन्द कर दी। लगभग 40 दिन गुजर गये लेकिन उनको महीना नहीं आया। दोस्तों के पास जाने पर पता चला कि वो मां बनने वाली है। भाभी बहुत खुश हो गयी।
उन्होंने घर आ कर ये बात भैया को बतायी तो भैया बहुत ही खुश हो गये और बोले, मैं कहता था ना कि राज से काम चला लो, बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं है।
भाभी ने कहा- सोरी, मुझे माफ़ कर दो। मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। भैया ने कहा- जब बच्चा पैदा हो जायेगा तब ही मैं तुम्हें माफ़ करुंगा
भाभी ने घर का काम करने के लिये एक नौकरानी रख ली। उसका नाम मधु था और उसकी उमर लगभग 35 साल की थी। मैंने भाभी से कहा- तुमने ये क्या किया। जवान नौकरानी रखती तो मेरा काम भी हो जाता।
भाभी बोली- अब कुछ दिन आराम कर लो वरना सेहत खराब हो जायेगी। समय पूरा हो जाने के बाद भाभी को जुड़वां बच्चे पैदा हुये। उन दोनो कि शकल मेरे जैसी ही थी। भैया बहुत खुश हो गये।
भाभी ने भैया के पैर पकड़ लिये और कहा- अब तो मुझे माफ़ कर दो। भैया ने भाभी के माथे को चूम लिया और कहा- मैंने आज तुम्हारी सारी गलती माफ़ कर दी। अब तो खुश हो जाओ।
भाभी ने कहा- अब तो मैं बहुत खुश हूँ।
भैया ने कहा- एक बात और है।
भाभी ने कहा- कहिये।
भैया ने कहा- जब घर में ही अच्छा खाना मिल रहा हो तो होटल जाने की क्या जरूरत है। समझ रही हो ना मेरी बात।
भाभी ने मेरी तरफ़ देखा और मुसकुराने लगी। मैं शरमा गया। भैया जब कमरे से बाहर जाने लगे तो बड़े प्यार से मेरे गाल पर हलकी सी चपत लगा गये। आज जिन्दगी में पहली बार भैया मेरे साथ प्यार से पेश आये थे।
1 महीने के बाद बच्चे की खुशी में घर पर दावत थी। भाभी की दोनो बहने रीना और रोशनी भी आयी थी। उस दिन तो मेहमानो कि धूम रही। दूसरे दिन रीना और तीना को छोड़ कर सारे मेहमान चले गये। दोपहर में हम सब आपस में हंसी मजाक कर रहे थे। तभी भैया बोले, मैं मारकेट जा रहा हूँ, कुछ काम है। शाम तक आ जाऊँगा।
भैया मारकेट चले गये। उनके जाने के बाद मैं भाभी के बगल में बैठ गया। रीना और रोशनी मुझसे हंसी मजाक करने लगी। तभी भाभी उन दोनो को पंडित जी कि कही हुयी बात बताने लगी। मैं तुरन्त उठ कर खड़ा हो गया और भाभी से कहा- तुम लोग बातें करो मैं बाहर जा रहा हूँ। भाभी ने शरारत भरे अन्दाज़ मैं कहा- मेरे प्यारे प्यारे बच्चो के पापा जी, चुपचाप बैठ जाओ, वरना…… मैंने कहा- वरना क्या।
वो बोली- वरना बहुत मारूंगी।
मैंने कहा- एक तरफ़ तो अपने बच्चो का पापा कहती हो और दूसरी तरफ़ मारने की धमकी भी देती हो। ये बहुत गलत बात है।
भाभी ने कहा- मेरी दोनो बात सही है। तू मेरे बच्चो का पापा भी है और मेरा देवर भी। मैं तुझे भाभी के हक से मारूंगी भी। चुपचाप बैठ जा। मैं भाभी के पास बैठ गया।
भाभी ने पंडित जी कि सारी बात रीना और रोशनी को बता दी। उन्होंने संजय और महमूद के बारे में भी उन दोनो को बता दिया। भाभी बोली- लेकिन पंडित जी कि ये बात मेरी समझ में नहीं आयी कि रोशनी की जिन्दगी में 19 मरद और कहाँ से आयेंगे। मुझे तो पंडित जी कि ये बात सही नहीं लगती। तभी रोशनी भाभी से लिपट कर रोने लगी। भाभी ने पूछा, तुझे क्या हुआ। वो रोते हुये कहने लगी कि पंडित जी कि बात एकदम सही है।
6 महीने पहले कि बात है। एक दिन मैं शहर से जा रही थी। रास्ते में अचानक मेरी तबियत खराब हो गयी। अन्धेरा होने लगा तो मैं एकदम परेशान हो गयी। तभी मुझे एक बस आती दिखायी दी। मैंने बस वाले को रुकने का इशारा किया तो बस रुक गयी। मैं बस में चढ गयी। उस बस में फ़ुटबॉल के 16 खिलाड़ी थे। उन खिलाड़ियों के साथ उनका कोच भी था। बुस में एक क्लीनर भी था। वो कुल मिलकर 19 लोग थे। लगभग 30 मिनट के बाद एकदम अन्धेरा हो गया तो उन्होंने एक सुनसान जगह पर बस रोक दी। उसके बाद उन सब ने मेरे साथ एक एक कर के…… इतना कह कर रोशनी जोर जोर से रोने लगी।
रीना और भाभी ने तीना को समझा बुझा कर चुप कराया।
उसके बाद हम इधर उधर कि बातें करने लगे। एक घन्टे में रोशनी एकदम नोरमल हो गयी। वो फिर से हंसी मजाक करने लगी। रोशनी और रीना मुझसे पहले से ही एकदम खुल कर बात करती थी और मुझसे छेड़छाड़ करती रहती थी। थोड़ी देर बाद रोशनी मेरी तरफ़ इशारा करते हुये बोली- मेरी जिन्दगी में 20 मरद तो आ गये, आज इसका नम्बर है। मेरी शादी को भी इतने साल गुजर गये लेकिन मैं मां नहीं बन पायी। दीदी, तुम इस से कह दो कि ये मुझे भी मां बना दे।
भाभी ने कहा- तू तो कल घर चली जायेगी। एक दिन में ही ये तुझे कैसे मा बनायेगा।
रोशनी बोली- फिर मैं एक महीने तक यहीं रुक जाती हूँ। क्यों कि जब मैं यहाँ आयी थी उसके 3 दिन पहले ही मैंने नहाया था और तब से मैं उनके साथ सोयी नहीं।
मैंने मजाक करते हुये कहा- तुम तो बहुत ही गन्दी औरत हो। इतने दिन हो गये और तुमने नहाया ही नहीं। रोशनी ने मेरे गाल जोर से काट लिये और बोली- बुद्धू, मैं रोज रोज नहाने वाली बात थोड़े ही कर रही हूँ। भाभी और रीना हसने लगे।
भाभी ने रीना से पूछा, मां बनने के बारे में तेरा क्या ख्याल है।
रीना बोली- तेरे पति कि तरह से ही मेरे पति का लण्ड भी एकदम छोटा है और वो भी 2 मिनट में ही झड़ जाते हैं। तूने अभी बताया था कि इसका लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा है। अगर मैंने इस से कराया तो मेरे पति को पता चल जायेगा, फिर मैं उन्हें क्या जवाब दूंगी। मुझे तू ऐसे ही रहने दे।
भाभी ने कहा- पंडित जी बात गलत नहीं हो सकती। आज ना सही देर सबेर तू भी इसके बच्चे कि ही मा बनेगी। रीना बोली- देखा जायेगा। रोशनी बोली- दीदी, तुमने बताया था कि ये बहुत ही अच्छी तरह से चोदता है। मैं तो पूरे जोश में आ गयी हूँ और मेरी चूत भी गीली हो चुकी है। इसके पहले कि जीजू बाजार से वापस आ जायेन मैं इसे दूसरे कमरे में ले जाती हूँ और कम से कम एक बार तो मज़ा ले ही लेती हूँ।
मैंने मजाक किया, क्यों, अपनी दीदी के सामने शरम आती है। वो बोली- भला मुझे क्यों शरम आने लगी। अगर तेरे में हिम्मत है तो मुझे चोद कर दिखा दीदी के सामने।
भाभी ने कहा- रोशनी, इसे चैलेन्ज मत कर, ये बहुत ही खराब आदमी है। ये तुझे हमारे सामने भी चोद सकता है।
रोशनी बोली- मैं इसे बरसों से जानती हूँ। इसमें इतनी हिम्मत नहीं है। दीदी, तुम्हें याद है ना जब तुम्हारे कहने पर मैंने एक बार इसके लण्ड पर तेल लगाया था ये कितना शरमा रहा था। ये मुझे तुम सब के सामने नहीं चोद सकता। मैंने भाभी से कहा- इसे समझा दो, नहीं तो मैं इसे यहीन पर चोद दूनगा।
तीना ने मुझे चिधते हुये कहा- रहने दे, रहने दे। मैंने भाभी से कहा- समझाओ इसे, नहीं तो गड़बड़ हो जायेगी। रोशनी बोली- क्या गड़बड़ करेगा तू। मैंने कहा- मैं अभी बताता हूँ इसे।
मैं पहले से ही जोश में आ चुका था और मेरा लण्ड भी खड़ा हो चुका था। मैंने अपनी लुन्गी उतार कर फेक दी और भाभी और रीना के सामने ही रोशनी को पटक दिया। उसके बाद मैंने रीना का पेटीकोट उठा कर एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। रीना शरमा गयी और उसने अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया लेकिन भाभी मुझे देखती रही। उन्होंने मुझे इशारा कर दिया कि मैं अपना काम जारी रखूं।
मैंने रोशनी की चुदायी शुरु कर दी। 2 मिनट में ही रोशनी पूरी मस्ती में आ गयी। उसने मुझसे चूतड़ उठा उठा कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने भी उसे पूरे जोश और ताकत के साथ खूब जोर जोर के धक्के लगाते हुये चोदना शुरु कर दिया।
20-25 मिनट कि चुदायी के बाद रोशनी बोली- ओह राज, तुमने तो मुझे इतनी देर में ही एकदम पागल कर दिया है। मैं 2 बार झड़ भी चुकी हूँ, अब रहने भी दो। मैंने कहा- रोशनी रानी, ये तो शुरुआत है, अभी तो बहुत देर लगेगी।
भाभी बोली- मैं कह रही थी ना कि इसे चैलेन्ज मत कर लेकिन तू नहीं मानी, अब भुगतो।
हाय मेरा नाम शिवानी है. मेरी उम्र Sex Stories 18 साल है। मैं लखनऊ के पास के गाँव की रहने वाली हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी और सोचा कि मुझे भी अपनी बात सबको बतानी चाहिए। इसलिए आज मैं आपको एक व्यक्तिगत अनुभव सुनाने वाली हूँ।
हमारे गाँव में बहुत से कच्चे मकानों के बीच हमारा मकान पक्का है जिसमें मेरा, मेरे भाई का, मम्मी पापा का सबका अलग अलग कमरा है।
एक रात की बात है, मैं लगभग 11 बजे बाथरूम जाने के लिए उठी। बाथरूम मम्मी के कमरे को पार करने के बाद पड़ता है। जब मैं उस कमरे के सामने से गुज़री तो मुझे मम्मी के कराहने और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने जैसी आवाज़ें सुनाई पड़ी।
मैं एक बार को तो डर गई, पर मैंने हिम्मत रखते हुए चाबी के छेद से झांका तो मैं दंग रह गई। कमरे में पापा मम्मी बिल्कुल नंगे खड़े थे। पापा मम्मी की चूचियाँ दबा रहे थे और बार बार उनके चूतड़ों पर जोर से चपत सी मारते जा रहे थे।
पहले तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया पर फ़िर मैंने ध्यान से देखा कि पापा मम्मी से चिपटे हुए हिल भी रहे थे। तभी वे थोड़ा सा घूमे तो मेरी बुद्धि घूम गई। पापा ने अपना लण्ड शायद मम्मी की चूत में डाल रखा था और वहीं धक्के मार रहे थे।
मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था। मेरी कोलेज़ की सहेली ने एक बार मुझे अपनी चुदाई की कहानी सुनाई थी। आज़ अचानक वही चुदाई मुझे अपने घर में होती दिखाई दी।
पता नहीं क्यों, पर वो नज़ारा देख कर मेरी चूत में खुज़ली सी होने लगी और मुझे अपनी सांसें कुछ भारी सी लगने लगी। मैं वहाँ पर पूरा कार्यक्रम देखकर बाथरूम जाकर अपने कमरे में तो आ गई पर मुझे फ़िर नींद नहीं आई।
वो दृष्य मेरी आंखों के सामने नाचने लगा। मैंने अपनी सलवार और कच्छी उतार दी और एक हाथ से अपनी चूचियाँ दबाते हुए अपने पैन को चूत में डाल कर चलाया। फ़िर पैन के बज़ाए दूसरे हाथ की उँगली डाली। थोड़ी देर बाद मेरी चूत में से कुछ सफ़ेद सा निकला और मुझे पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई।
सुबह मम्मी की आवाज़ ‘ कोलेज़ नहीं जाना है क्या! जल्दी उठ!’ से मेरी आँख खुली, तो जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आई।
मुझे रात की बात अभी भी याद आ रही थी, पर मैं कोलेज़ जाने के लिए तैयार होने लगी। मैं कच्छी और ब्रा पहन कर ही नहाती हूँ पर उस समय मेरी उत्तेज़ना बढ़ गई और मैं पूरी नंगी होकर नहाई और उँगली, साबुन की सहायता से अपनी चूत का पानी निकाला।
तरोताज़ा होकर, नाश्ता कर मैं कोलेज़ के लिए घर से निकल गई। थोड़ी सी दूर सड़क से बस मिल जाती है, वहीं से मैंने बस पकड़ी जो रोज़ की तरह ठसाठस भरी थी। जैसे तैसे गेट से ऊपर चढ़ कर थोड़ा बीच में आ गई। तो वो रोज़ की कहानी चालू। आप तो जानते ही होंगे, जवान लड़की अगर भीड़ में हो तो लोग कैसे फ़ायदा उठाते हैं, और आप उन्हें कुछ कह भी नहीं सकते।
वही मेरे साथ होता है। मेरे पीछे से कोई मेरे चूतड़ दबाने सा लगा, तो एक अन्कल मेरे कन्धे पर बार बार हाथ रख कर खुश होने लगे। एक महाशय सीट पर बैठे थे, भीड़ की वज़ह से मेरी साईड उनके सिर से दबी थी, जो उन्हें भी मज़ा दे रही होगी।
इतने में मेरी ही क्लास का एक लड़का जो बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था और केवल मेरे लिए ही इस बस से आता-जाता था, अपने गाँव से बस में चढ़ा। लन्बा तगड़ा तो खैर वो है ही, हैण्डसम भी है। पर मैं उसे ज्यादा भाव नहीं देती थी। आज़ तो वो सबको हटाता हुआ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने उसे देखा पर मैं कोई आपत्ति करने की स्थिति में नहीं थी। कुछ कहा तो बोला- बस में भीड़ ही इतनी है।
मुझे चुप हो जाना पड़ा। मुश्किल से पाँच मिनट बीते होंगे कि अचानक ड्राईवर ने बड़े जोर से ब्रेक लगाए और पता नहीं क्यों ड्राईवर मादरचोद, बहनचोद जैसी माँ बहन की गालियाँ किसी को बकने लगा। शायद कोई बस के आगे आ गया होगा।
लेकिन उसके अचानक ब्रेक मारने से थोड़ सा बैलैंस तो सबका बिगड़ ही गया था। राहुल, मेरा क्लासमेट गिरते गिरते बचा। उसके हाथ में मेरी दाईं चूची आ गई थी, या वो जानबूझ कर उसे पकड़ कर लटका। पर इतना जरूर हुआ कि उसने उसे कायदे से दबा मसल जरूर दिया। मुझे गुस्सा आया, पर मैं कुछ कहती, उससे पहले ही वो वैरी सोरी कहने लगा। तो मुझे भी लगा कि शायद अनायास ही यह हो गया होगा।
वो फ़िर मेरे से सट कर खड़ा हो गया। बस चलने लगी। इतने में मैंने अपने चूतड़ों के बीच अपनी गाण्ड में कुछ चुभता सा दबाव महसूस किया। पहले तो मैंने इस पर खास ध्यान नहीं दिया अप्र मैं समझ गई कि राहुल का लण्ड मेरे चूतड़ों की गरमी खा कर खड़ा हो गया है और वो ही मुझे चुभ रहा है।
यह सोच कर मुझे रात वाला नज़ारा फ़िर याद आ गया और मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। अब मैं बिल्कुल बिना हिले कपड़ों के ऊपर से ही अपनी गाण्ड का तिया-पाँचा कराने लगी।
कुछ देर बाद ही कोलेज़ जाने वली सड़क पर बस रुकी और कोलेज़ जाने वाले सभी लोग उतरने लगे। मैं और राहुल साथ साथ ही उतरे। उतरने के बाद भी आज़ तो वो मेरे साथ ही चलने लगा। कुछ मिनटों बाद मैंने उससे मुस्कुरा कर कह ही दिया कि आप जो बस में कर रहे थे, वो अच्छी बात नहीं है। इस पर वो नाटक करते हुए बोला कि मैंने तो कुछ नहीं किया और कहते कहते ही मेरे चूतड़ों को भी दबाने लगा। मुझे भी अच्छा सा लगा पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा।
अचानक ही हम कोलेज़ जाने वाले मोड़ से कोलेज़ की बजाए जंगल वाली सड़क पर मुड़ गए। शुरू में तो मुझे मज़े मज़े में पता ही नहीं चला पर थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा तो बोला- कोलेज़ में तो रोज़ ही जाते हैं, चलो आज एक नया नज़ारा दिखाता हूँ।
उसकी बात का मतलब समझते हुए भी मैं उसके साथ चलने लगी, सच में तो मुझे रात से लग रहा था कि कोई मेरी चूत को चोद डाले, जैसे पापा मम्मी को चोद कर मज़ा दे रहे थे।
एक जगह बिल्कुल सुनसान थी। दूर दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी हमें गन्ने के खेत के बीच में कुछ खाली हिस्सा नज़र आया। वो मुझे वहीं ले गया और मुझसे लिपट कर जगह जगह मुझे चूमने चाटने लगा। इससे मेरी उत्तेज़ना और बढ़ गई। इसके बाद जब उसने मेरी चूचियों को दबाना-मसलना शुरू किया तो मुझे जैसे ज़न्नत दिखाई देने लगी। वो एक हाथ से मेरी चूचियाँ और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को बारी बारी दबा रहा था।
अचानक उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं मना करने की स्थिति में नहीं थी, सो मैंने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो मेरा कुर्ता आराम से उतार सके। उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खींच दिया। सलवार बिना लगाम के घोड़े की तरह झट से नीचे गिर गई। अब मैं उसके सामने केवल ब्रा और पैन्टी में रह गई थी।
मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन उत्तेज़ना शर्म पर हावी हो गई थी। सो मैं चुपचाप तमाशा देखती रही। उसने पहले तो मेरे सीने को फ़िर नाभि को ऐसे चूसना शुरू कर दिया मानो कुछ मीठा उस पर गिरा हो और वो उसे चाट कर साफ़ कर रहा हो।
मैं बुरी तरह उत्तेज़ित हो रही थी कि उसने मेरी कच्छी के ऊपर से एक उँगली मेरी चूत में घुसेड़नी शुरू कर दी। मुझे दर्द का भी अहसास हुआ पर मैं उसे मना ना कर सकी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था लेकिन मैं बेशर्म हो कर अपनी चूचियाँ अपने आप दबाने लगी थी।
उसने धीरे धीरे मेरी पैन्टी और ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया और मुझे मादरजात नंगी कर दिया। मैं तड़प रही थी और उसे मज़ा आ रहा था।
वो अभी तक पूरे कपड़ो में खड़ा था। मुझे गुस्सा आया और मैंने उसे गाली दे देकर कहना शुरू कर दिया कि अपने कपड़े भी तो उतार। वो झटके से मुझसे अलग हुआ और बिजली की रफ्तार से उसने अपने कपड़े उतार दिये। कच्छा उतारते के साथ मेरी हालत खराब हो गयी। उसका लण्ड मेरे पापा के लण्ड से कम से कम दुगुना लग रहा था। उसकी लम्बाई कम से कम 8 इंच और गोलाई कम से कम 3 इंच से तो किसी भी तरह कम नहीं थी।
उसने अपना हथियार मेरे हाथ में देकर मुझसे सहलाने को कहा। मैं उसे हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी तो उससे डर कुछ कम लगने लगा। फिर उसने मुझे नीचे बैठाया और अपना लण्ड मेरे मुँह में देने लगा। मुझे बहुत घिन्न आ रही थी कि इसी से ये मूतता होगा और अपना पेशाब मुझे पिलाने की तैयारी में है और सच में उसने मेरे मुँह में डालते डालते पेशाब की तेज धार मेरे मुँह और सारे चेहरे पर डाल दी और हंसने लगा।
पहले तो मुझे बहुत घिन्न आयी पर पता नहीं क्यों कैसे मुझे अपने ऊपर पड़ती गर्म पेशाब से अचानक नहाने में बड़ी उत्तेजना का अनुभव होने लगा। मैं उसके पेशाब को चाटने भी लगी और अपनी चुचियों पर भी मला। मुझे सच इसमें बहुत मजा आया। इसके बाद लण्ड में बची बूंदो को खराब न जाने देने के इरादे से मैंने उसका मोटा लण्ड अपने मुँह में बिना उसके कहे डाल लिया और चूसने लगी।
मुझे तो खैर उसमें बहुत मजा आ ही रहा था, मैंने महसूस किया कि उसे भी इसमें बहुत मजा आया होगा क्योंकि उसका लण्ड पहले से अधिक सख्त और गर्म महसूस हो रहा था। वो मेरा सिर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। अब मेरी चूत में उत्तेजना बढती जा रही थी। यह बात मैंने पूरी बेशर्मी से उसको बतायी तो वो अपना लण्ड मेरी चूत में डालने को तैयार हो गया। वो मुझे जमीन पर लिटाकर मेरे उपर आ गया।
उसके लण्ड का अगला भाग जिसे शायद सुपाड़ा कहते हैं जैसे ही मेरी चूत से टकराया लगा कि जैसे गर्म सरिया या रॉड सी मेरी चूत पर छुआ दी हो। सच अगर चूत में लण्ड डलवाने की इतनी खुजली न मची होती तो मैं तुरन्त उसे वहाँ से हटा देती, लेकिन मैं अपनी चूत के हाथो मजबूर थी। अब उसने चूत पर लण्ड का दबाब बढ़ाना शुरू किया। मुझे दर्द का एहसास हुआ तो मैंने थूक लगाकर डालने की सलाह दी जिसे उसने तुरन्त मान लिया।
उसने सुपाड़े पर थूक लगाकर जोर का झटका मेरी चूत के छेद पर मारा, पर निशाना मिस हो गया और लण्ड मेरे पेट के निचले हिस्से की खाल को जैसे चीरता हुआ उपर आया। मैंने उसे अपने पर्स में निकालकर अपनी कोल्ड क्रीम की ट्यूब उसे दी और उसके लण्ड पर लगाने को कहा, अबके उसने लण्ड के साथ साथ मेरी चूत को भी क्रीम से भर दिया, उँगली डाल डाल कर क्रीम अन्दर पहुँचा दी। मेरी हालत प्रति क्षण खराब होती जा रही थी।
मैंने उससे कहा कि मैं रास्ता दिखाती हूँ तुम जोर का धक्का मारो।
फिर मैंने उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और दबाया। इशारा समझकर उसने शायद पूरी ताकत से धक्का मार दिया। उस समय ऐसा लगा कि उसने धक्का नहीं मुझे मार दिया। एक झटके में उसका आधे से ज्यादा महालण्ड मेरी चूत में समा गया था। मेरी चूत निश्चित ही फट गयी थी और वह दर्द का अहसास हुआ जो आज तक कभी भी जिन्दगी में नहीं हुआ। मैं सिर पटकने लगी।
सारी उत्तेजना जाने कहाँ हवा हो गयी थी, मैं उससे लण्ड निकालने की रो-रोकर विनती करने लगी, लेकिन उसे तरस न आया, वो तो उल्टा मेरी चुचियों को चूसने और काटने लगा। पर उसने लण्ड को वहीं रोक दिया। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम सा महसूस होने लगा तो मैंने उसे बताया। अब उसने लण्ड को धीरे धीरे गति देनी चालू की। उसने धक्के अब भी मेरी चूत को फाड़े दे रहे थे। भंयकर दर्द हो रहा था लेकिन ये उस जानलेवा दर्द के आसपास भी नहीं था जो पहले झटके में शायद क्रीम के कारण हो गया था।
थोड़ी ही देर में मुझको भी मजा सा आने लगा। उसके धक्के अभी भी दर्द पैदा कर रहे थे पर उस दर्द में भी एक अलग आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी चूत में से पता नहीं क्या कुछ निकल कर रिस रहा था। पर उसका चूमना चाटना और बीच बीच में काटना अलग ही था। मैंनें इतना आनन्द अनुभव किया जो जिन्दगी में पहले नहीं किया था। पर बात उससे आगे की भी थी। करीब 20 मिनट बाद उसने अचानक धक्कों की स्पीड बढा दी। मैंने भी सहयोग करने का निश्चय करके नीचे से चूतड़ उछालने लगी।
दोनों अपने वेग में थे कि अचानक मेरी चूत में कुछ संकुचन सा हुआ और मैंनें उसको कस के चिपटा लिया, अपने नाखून उसकी कमर में गाड़ दिये। तभी मैंनें अपनी चूत में कुछ गर्म गर्म लावा सा गिरता हुआ महसूस किया।
कुछ ही मिनटों में हम दोनों शान्त हो गये थे। पर आखिर के वो एक-दो मिनट में जो आनन्द आया उसके सामने शायद जन्नत का सुख भी फीका हो। मैं उसकी मुरीद हो गयी। उसने उसके बाद लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया, मैंने उसे बड़े प्यार से चाट-चाट कर साफ किया।
फिर जब मैंनें बैठकर अपनी चूत रानी को देखा तो मेरे मुँह से चीख सी निकल गयी। चूत का भोसड़ा तो बन ही गया था साथ ही उसमें से खून भी रिस रहा था। मैं यह देखकर डर गयी थी। पर उसने हिम्मत बंधायी। पता नहीं उसने मुझे वापस लिटाकर मेरी चूत में कपड़े से और क्रीम से क्या क्या किया पर सुकून था कि खून रूक गया था। अब थकान बहुत महसूस हो रही थी। सो थोड़ी देर लेटी रही।
फिर उसके सहारे से उठी और बदन झाड कर कपड़े पहने। कपड़े पहनकर उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा तो उसने फिर एक बार मेरे निचले होंठ को चूसना शुरू कर दिया और चुचियों को दबाने लगा। मुझे बहुत आनन्द आया और सच में अगर घर वापिस लौटने में टाइम का ख्याल नहीं होता तो मैं उसे हटने को कभी नहीं कहती।
उसके बाद हमने उस जंगल वाले कालेज की कई क्लासेज अटेण्ड की। पर अब गन्ना कट जाने से हमें बड़ी दिक्कत हो गई है। खैर, भगवान ने चाहा तो उसका इन्तजाम भी हो जायेगा। अच्छा मैं अपनी कहानी यहीं पर बन्द करती हूँ।
सम्पादक महोदय से गुजारिश है कि मेरा नाम भले ही छाप दें पर मेरे गाँव और जिले का नाम साइट पर न दें नहीं तो मेरी पूरे कालेज में बदनामी हो सकती है। मैं जानती हूँ मेरे कालेज कई लड़के लड़कियाँ अर्न्तवासना पर कहानियाँ पढने के शौकीन हैं। Sex Stories
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