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Xxx कार सेक्स कहानी में मैंने मेरी साली के साथ और मेरी बीवी ने अपनी बहन के पति के साथ चलती चार में सेक्स का मजा लिया.
फ्रेंड्स, मैं आपका दोस्त आपके सामने अपनी बीवी की एक और सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.
इससे पहले आपने मेरी बीवी और मेरी साली की अदला बदली कर चुदाई की कहानी
बीवी साली की अदला-बदली
पढ़ी थी.
यह सेक्स कहानी उसी का अगला भाग है.
नए पाठकों के लिए बता दूं कि मेरी बीवी का नाम वीना है. वह बड़ी ही गदरायी हुई माल है.
मेरी साली का नाम रानी है. मेरी साली का पति शशिकांत है.
आपने मेरी अम्बोली वाली चुदाई की कहानी पढ़ी ही होगी, यदि नहीं पढ़ी है … तो प्लीज एक बार ज़रूर पढ़ें ताकि आपको इस कहानी से पूर्व की घटना की जानकारी हो जाए.
पिछली बार आपने पढ़ लिया था कि हम चारों ने आपस में लंड चुत बदल कर चुदाई का भरपूर मजा लिया था, पर हमारी बीवियों ने हम दोनों को यह अहसास कराया था कि उन्हें कुछ नहीं मालूम है कि नशे में क्या हुआ था.
अब आगे Xxx कार सेक्स कहानी:
जब हम सब सुबह सोकर उठे तो वीना और रानी दोनों को ही हैंगओवर था और उनका सर दर्द कर रहा था.
उन दोनों पर रात में दारू का असर कुछ ज्यादा ही हो गया था.
वे दोनों थोड़ी थकान महसूस कर रही थीं.
मेरी साली रानी ने अपने पति शशिकांत से कहा- यार, बड़ा सर दर्द हो रहा है. कल का तो मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब सोई.
मैं और शशिकांत एक दूसरे को देख कर हल्की हल्की मुस्कान दे रहे थे कि रानी को सब पता है लेकिन कितनी बन रही है.
दूसरी तरफ मेरी पत्नी वीना को कुछ कुछ याद था.
उसको यह पता था कि जो उसने पिया, वह कोई कोल्डड्रिंक नहीं थी.
उसने मुझसे पूछा- कल रात को मैंने क्या पिया था?
मैंने कहा- कोल्डड्रिंक पी थी और सब ठीक था. शायद यात्रा के कारण तुम थक गई होगी तो कुछ महसूस हुआ होगा.
वे दोनों भी चुप हो गईं और आपस में बात करने लगीं.
आज हम चारों कुछ दूसरे टूरिस्ट स्पॉट देखने जाने वाले थे.
मैंने सिगरेट के कश लगाते हुए शशिकांत से कहा- तुम सिर्फ़ शॉर्ट्स पहन लेना … और एक्सट्रा अंडरवियर मत लेना.
वह मेरी बात को समझ गया कि आज कुछ नया होने वाला है.
मैंने भी वही किया.
हम दोनों ने घूमने जाते वक़्त बैग से उन दोनों की एक्सट्रा ब्रा और पैंटी निकाल कर रूम में रख दीं.
जब हम लोग निकले तो आज के प्लान के हिसाब से हम पहले साइट सीन स्पॉट्स देखने जाने वाले थे, बाद में पानी वाले स्पॉट्स थे.
वीना और रानी दोनों ने टी-शर्ट और जीन्स पहनी थी.
उन्होंने एक अतिरिक्त ड्रेस भी ले लिया था.
हम जब साइट सीन देखने गए तो मौसम पूरा ठंडा था और कुहरा भी था.
मैंने शशिकांत को पहले ही कह दिया था कि आज इन दोनों को गर्म करना है.
यह सुनकर शशिकांत भी रानी के साथ कुछ रोमांटिक सा कर रहा था.
वह अपनी पत्नी को जानबूझ कर ठीक उसी वक्त किस कर रहा था जब मेरी पत्नी वीना उसकी तरफ देख रही होती.
जब रानी वीना की ओर देखती तो मैं भी वीना को किस करता, उसकी कमर में हाथ डालता.
मैंने रानी को दिखाते हुए एक दो बार वीना के बूब्स भी प्रेस किए.
उस सीन को देख कर रानी अपने होंठ काटने लगती थी.
वह लगातार कामुक हो रही थी.
पहले दो स्पॉट को देखने जाने के समय रानी कार में शशिकांत के साथ बैठी थी.
शशिकांत कार में ही साइड से रानी के बूब्स को सहलाते हुए मसल रहा था.
वह सब मेरी बीवी वीना देख रही थी और गर्म हो रही थी.
जब हम सब तीसरी जगह पर पहुंचने वाले थे तो शशिकांत ने मुझे पीछे आने को कहा.
मैं वीना के साथ बैठ गया और वह आगे ड्राइवर के बाजू में बैठा था.
उस वक्त तक वीना काफी उत्तेजित हो चुकी थी.
मैं वीना के बाजू में बैठ कर उसकी बांहों में हाथ डाल कर बैठ गया और कुछ ही देर बाद उसके मम्मों को सहलाते हुए मसलने लगा था.
अब यह सीन साइड में बैठी रानी देख रही थी.
मैंने रानी की कामुक नजरों को पढ़ कर धीरे से रानी के गाल को हाथ लगा दिया.
वह मुझे देखने लगी तो उसी वक्त मैं वीना को चूमने लगा.
वीना पहले से ही उत्तेजित थी तो वह मुझे जकड़ कर लिपटने लगी.
उसी का फायदा उठा कर मैंने रानी के कंधों को हाथ लगा कर अपनी तरफ खींचा और उसके कंधों को चूम लिया.
उस वक्त तक हम लोग वॉटर स्पॉट से एक किलोमीटर दूर तक आ गए थे.
उधर से कार आगे नहीं जा सकती थी तो अब हमें पैदल जाना था.
जब हम सब उतर कर कुछ दूर तक चलने लगे.
वीना और रानी हाथ में कपड़ों का एक छोटा बैग लेकर आई थीं.
मैंने शशिकांत से कहा कि मैं पेशाब के लिए जाऊंगा, तुम वीना के हाथ से बैग लेकर उसे कार में रख कर आगे निकल जाओ.
उसने वीना से बैग ले लिया और उसे कार में रखवा कर वीना और रानी के साथ बातें करता हुआ आगे को गया तो मैं पीछे से आया और रानी के हाथ में हाथ लेकर उससे बातें करने लगा.
शशिकांत वीना के साथ आगे निकल गया.
वे दोनों आपस में चिपक कर मस्ती करते हुए जा रहे थे.
रानी यह देख कर मुस्कुरा रही थी.
उसकी मुस्कान बता रही थी कि वह फिर से मेरे साथ सेक्स करने को चुदासी हो रही है.
मैं रानी के साथ धीमी रफ्तार से चलने लगा था.
जब हम लोग वाटर स्पॉट तक पहुंचे, तब तक वीना के साथ शशिकांत पानी में उतर चुका था.
यह कुछ फिसलन भरी जगह थी.
वीना ने शशिकांत को कसके पकड़ लिया था.
शशिकांत भी वीना की इस बात का सही फ़ायदा उठा रहा था.
मैं रानी के साथ पानी में उतरा और उसे फिसलन से संभलने के लिए सहारा दिया.
सहारे का बहाना बनाती हुई रानी ने मुझे अपने आलिंगन में भर लिया था.
उसने बताया कि मुझे तैरना नहीं आता है.
उससे घबराहट के चलते संतुलन भी नहीं हो रहा था.
मैंने भी रानी की कामुक देह का स्पर्श पाया और अपने कड़क होते लंड से उसे कुरेदने लगा.
उधर पानी में भीगने के बाद वीना और रानी के बूब्स कपड़ों के ऊपर से ही नुमाया होने लगे थे.
मैंने उस दौरान कई बार रानी के मम्मों को अपने सीने से दबाया.
वह भी मेरे साथ मजे लेने लगी.
यही सब वीना के साथ भी चल रहा था, शशिकांत उसके साथ रगड़ सुख लेने लगा था.
पानी में एक घंटा तक मस्ती से खेलने के बाद हम सब बाहर निकल आए.
हम जब चेंज करने को हुए तो मैंने वीना से पूछा- मेरी अंडरवियर नहीं लाई हो?
उसने कहा- मैंने सब बैग में डाला था, लेकिन बैग में कुछ नहीं है!
शशिकांत ने भी अपनी पत्नी रानी से पूछा तो उधर भी कोई जवाब नहीं था.
हमारे पूरे कपड़े भीगे हुए थे.
हम सब सिर्फ अंडरवियर ही पहने हुए थे.
उन दोनों ने भी साथ में लाया हुआ ड्रेस बिना ब्रा पैंटी के ही पहन लिया.
गाड़ी पर आने के बाद हम दोनों ने कहा – हम सब पीछे ही बैठेंगे.
रानी और वीना बीच में बैठी थीं. मैं सू सू करने के बहाने पीछे ही रह गया था.
जब आया तो मैं रानी के बाजू में और शशिकांत वीना के बाजू में बैठ गया था.
मैंने ड्राइवर से कहा- आराम से चलाओ, अगर सनसैट देखने मिला तो ओके, नहीं तो वापस आ जाएंगे.
पानी में भीगने के बाद हम सब कम जगह में चिपक कर बैठे थे.
आपस में एक दूसरे के जिस्म की गर्मी से बड़ा सुख मिल रहा था.
ठंड भी नहीं लग रही थी.
सनसैट पॉइंट के रास्ते में हम सब बातें करते हुए चलने लगे.
मैंने गाड़ी में जीरा वाले पेय के साथ वोदका को मिला कर रखा हुआ था.
सबने बारी बारी से सिप करना शुरू किया और नशे के सुरूर से गर्माहट के साथ साथ मस्ती भी बढ़ने लगी.
मैंने रानी का हाथ पकड़ा और उससे मज़ाक करने लगा.
उसी तरह से शशिकांत भी वीना का हाथ पकड़ कर उसे अपनी टांगों के बीच में ले रहा था.
मैंने अपना हाथ रानी के कंधे पर रखा और उसे अपनी छाती से चिपका लिया.
शशिकांत ने भी वीना के साथ ऐसा ही किया.
उन दोनों ने Xxx कार सेक्स का रत्ती भर भी विरोध नहीं किया.
उनका मन भी एक दूसरे के साथ सैट होने लगा था.
दारू से झिझक भी खत्म हो गई थी.
शशिकांत जब बाहर देख रहा था, तब मैंने रानी को एक किस किया और उसको इशारा किया.
उसके बाद कुछ मिनट बाद वीना को शशिकांत ने किस किया.
रानी मेरे हाथ को पकड़ कर बैठी थी.
कुछ देर बाद हम लोग सनसैट स्पॉट पर पहुंचे लेकिन सनसैट हो चुका था.
वहां से हम वापिस आने लगे.
आते वक़्त ट्रॅफिक ज्यादा था तो गाड़ी धीमी गति से चल रही थी.
शशिकांत से अब जरा भी नहीं रुका जा रहा था.
बाहर अंधेरा हो गया था, उस वजह से कुछ भी साफ नहीं दिखाई से रहा था.
उसने वीना की टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर सहलाना शुरू कर दिया.
साथ ही उसने वीना का एक हाथ अपने लंड पर भी रखवा लिया था.
वीना नशे में होने के कारण सोने की एक्टिंग करने लगी.
वह शशिकांत की ओर झुक गई.
शशिकांत ने भी वीना का हाथ अपने शॉर्ट्स में डाल कर लंड पर रखवा लिया.
उसी के साथ खुद उसका हाथ वीना की टी-शर्ट में चलने लगा था.
वह मजे से मेरी बीवी वीना के बूब्स को मसल रहा था और वीना उसके लंड को सहला रही थी.
शशिकांत ने अपना लंड शॉर्ट्स से बाहर निकाल दिया.
वीना उसकी गोदी में लेट गई और वह शशिकांत के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी थी.
यह मुझे हैरान कर देने वाला था कि वीना ने आज तक कभी मेरा लंड नहीं चूसा था, वह आज अपने जीजा जी का लंड चूस रही थी.
शशिकांत उसके बूब्स दबा रहा था.
मैं रानी की टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर उसके दूध सहला रहा था और उसकी स्कर्ट को ऊपर करके उसकी चूत को रगड़ रहा था.
मैंने शशिकांत से कहा कि वीना की टी-शर्ट खोल दे.
उसने ड्राइवर की ओर इशारा किया.
मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
मैं रानी के मम्मों को दबा रहा था.
उसके टाइट बूब्स मुझे पागल कर रहे थे.
फिर मैंने देखा कि वीना शशिकांत के लंड को चूसने में मस्त थी.
शशिकांत का लंड मुझसे बड़ा था.
वीना पूरे मन से लंड चूस रही थी.
इधर रानी भी मेरे शॉर्ट्स में हाथ डाल कर मेरे लंड को निकाल कर उससे खेलने लगी थी.
वह मेरी गोटियों को सहलाती हुई चूसने लगी.
मुझे मस्त मज़ा आ रहा था.
शशिकांत भी पूरे मज़े में था.
मेरी बीवी वीना को अपने जीजा जी का बड़ा लंड मिलने से फुल मजा आ रहा था.
वह मस्ती से शशिकांत का लंड चूस रही थी.
कुछ ही देर की लंड चुसाई के बाद शशिकांत ने अपना माल वीना के मुँह में छोड़ दिया था.
आश्चर्य की बात थी कि वीना लंड का रस निगल भी गई थी … और झड़े हुए लंड को चाट चूस कर साफ करने लगी थी.
लंड साफ करने के बाद वह अपनी टी-शर्ट को सही करती हुई नींद होने का नाटक करती हुई ड्राइवर से पूछने लगी- अभी होटल पहुंचने में कितनी देर और लगेगी?
तो ड्राइवर ने कहा- जाम ज्यादा है. मेरे ख्याल से अभी 30 मिनट से ज्यादा लग जाएगा.
वीना यह सुनकर फिर सोने का ड्रामा करती हुई रानी पर गिर गई.
उसने अपने पैर शशिकांत की टांगों के ऊपर फैला दिए.
शशिकांत ने उसका इशारा समझ लिया और धीरे से उसकी स्कर्ट को हटा कर चुत चुदाई की रास्ता साफ कर ली.
उसने अपने खड़े लंड को वीना की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया था.
वीना शशिकांत की टांगों पर अपनी चूत पसारे हुए चढ़ी थी.
ठीक उसी तरह ही रानी मेरी तरफ मुँह करके मुझे ढकलती हुई मुझसे चिपक गई.
मैं उसके नीचे आ गया था.
मैंने भी उसकी चूत में लंड पेल दिया था.
रानी की चूत पूरी तरह से रसीली थी.
हम दोनों धीमी रफ्तार में चुदाई का मजा ले रहे थे.
रूम में पहुंचने में अभी भी 15 मिनट का रास्ता बाकी था.
हाय !मेरा नाम मोहन है, मैं जयपुर से हूँ।मैं आज Indan Sex Stories अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, इससे पहले सभी प्यासी चूतों को मेरे लंड का सलाम !
मेरे दोस्त ने एक लड़की से दोस्ती करी हुई थी। उस लड़की के साथ उसकी एक दोस्त आती थी, मुझे उसकी दोस्त बहुत पसंद थी वो बेचारी जब भी उसके साथ आती थी अकेले तरसती रहती थी मन मेरा भी बहुत करता था उससे बोलने के किए।
एक दिन मुझे मौका मिल गया उससे बात करने का। मैंने उसको विश किया। आग उसके अन्दर भी जल रही थी ! जब भी मेरा दोस्त अपनी फ्रेंड के साथ अंदर किस्सिंग कर रहा होता था, वो शोला बन जाती थी।
मैंने उसको लॉन्ग ड्राइव पे साथ चलने के लिए प्रोपोज़ किया। मेरे मन ही मन में लड्डू फूट रहे थे। हम कार में बैठे, कुछ खाने का लिया, वो चाह रही थी मैं उसे स्पर्श करूँ, मैं चाह रहा था वो शुरुआत करे, फिर मैंने सैंडविच निकाले, उसको खिलाने के लिए उसके लिप्स के पास ले गया, मैंने महसूस किया कि वो सैंडविच कम खा रही है, मेरी ऊँगली ज्यादा। बस फिर क्या था मैंने तो उसके लिप्स को चूसना चालू किया वो तड़पने लग। इतनी देर में एक होटल आ गया। हम दोनों कार से उतरे और एक कमरा लिया।
वो तो जाते ही बेड पे आँखे बंद कर के लेट गई मै समझ गया रास्ता साफ़ है। मैं भी उसके उपर लेट गया उसकी टीशर्ट में से उसके बूब्स हाथ में ले के मसलने लग गया। वो सिसकारियाँ भरने लग गई, उसने मुझे अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया। उसके सख्त स्तन मुझे चुभने लग गए। कसम खा कर कहता हूँ कि इतने सख्त स्तन मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखे थे। और चूचूक तो ऐसे गुलाबी कि पूछो मत, बिल्कुल गुलाबी मैंने जैसे ही मुह में लेकर चूसना शुरू किया वो पागलों की तरह मुझे चूमने लग गई। उसने मेरे कपड़े कब उतार दिए मुझे पता ही नहीं चला।
उसने मेरा सख्त लंड मुँह में ले के चूसना चालू किया। वो पागलों की तरह चूसे जा रही थी मेरा भी मन उसकी गर्मागर्म चूत चूसने का कर रहा था फिर बड़ी मुश्किल से मैंने उसको पोसिशन बदलने के लिए तैयार किया। अब हम ६९ की पोसिशन में थे। मैंने उसकी चूत का रस जैसे ही मुँह में लिया, वो अपनी चूत को मेरे लंड के पास ले आई। मेरा तना हुआ गर्मागर्म लंड अपनी चूत के मुँह पर लगा लिया। चूत इतनी कसी हुई कि लंड छिलने जैसा हो गया वो तड़पने लग गई और बोली- और जोर से ! और जोर से !और जोर से ! बोले जा रही थी। फिर हमने पोसीशन बदली, उसको घोड़ी बनाया, उसको तस्सल्ली से खूब चोदा।
इस बीच मैंने क्या महसूस किया कि वो मेरे लंड को पकड़ के अपनी गांड में डालने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसकी मदद की और जोर जोर से धक्के मारना शुरू किया। वो मेरे लंड को एक बार आगे चूत में डाले, एक बार पीछे ले ! ऐसे करते करते वो डिस्चार्ज हो गई अब वो मुझे तृप्त लग रही थी, फिर हम साथ-साथ फ़व्वारे के नीचे नहाए और हल्के नाश्ते के बाद फिर चुदाई का आनंद लिया।
अब उसकी शादी हो गई है। पर आज भी जब वो हमारे शहर में आती है तो मुझसे जरूर चुद के जाती है !
मेल करें, मेरा इमेल है Indian Sex Stories
मैं एक इन्टरमीडिएट कालेज में Hindi Sex Stories अध्यापिका हूं। ये मात्र 12 वीं कक्षा तक का कालेज है। शाम को अक्सर मैं अपनी सहेली के साथ भोपाल ताल के किनारे घूमने निकल जाती हूं।
ऐसे ही एक दिन मैं अपनी सहेली के साथ ताल के किनारे घूम रही रही थी। 12वीं कक्षा की एक छात्रा और एक छात्र मिल गये। ये दोनों मेरी कक्षा में नहीं थे। दूसरे सेक्शन में थे।
मैंने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपने नाम हिना और राम बताए।
हिना ने मुझे कहा कि उसे बायलोजी विषय में कुछ पूछना है।
मैंने उसे कहा कि कल घर आ जाना, मैं बता दूंगी। राम और हिना दूसरे दिन घर पर आ गये।
मुझे लगा कि इनकी प्रोब्लम कुछ और ही है। मैंने पूछा- ‘हिना ये राम तुम्हारा दोस्त है क्या…?’
‘हाँ मैम… इसे भी आपसे कुछ पूछना था…’ वो कुछ शरमाती सी बोली।
मैं एकदम भांप गई कि मामला प्यार का है।
‘या कुछ और बात है… कह दो…मैं भी तुम्हारी उम्र से गुजरी हूं’ मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा। पर सही लगा…
‘हाँ… मैम वो… हम तो आपके पास इसलिए आये थे कि हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय साथ रहे!… प्लीज मैम नाराज मत होना…’ उसके चेहरे से लगा कि वो मुझसे विनती कर रही हैं।
‘पर ये कोई मिलने की जगह है?’
‘मैम वो… निशा मैम ने बताया था कि आप हमें मदद कर देगीं…’
ओह तो ये बात है… निशा भी अपने बोय फ़्रेंड के साथ एक बार चुदवाने आई थी तो मैंने भी उसी से चुदवा लिया था। मेरे मन में भी एक हूक सी उठी… ये दोनों अपनी जिस्म की प्यास बुझाने आये हैं… क्यों ना मैं भी इस बात का फ़ायदा उठाऊँ।
‘तो तुम मिलना चाहते हो… मेरा क्या फ़ायदा होगा इसमें…’ मैंने तिरछी निगाहों से उसे परखा।
‘मैम मुझे मालूम है… निशा जी ने मुझे सब बता दिया है… इसीलिये तो मैंने आपसे सब कह दिया… आपकी सारी शर्तें इसे भी और मुझे भी मन्जूर है…’ उसने अपना सर झुकाये सारी बातें मान ली।
‘तो ध्यान रहे…शर्तें… कल दिन को स्कूल के बाद सीधे ही यहाँ आ जाना…’ मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा।
हिना खुशी से उछल पड़ी… मैंने हिना को चूम लिया…
मैंने कहा-‘राम तुम भी आओ जरा…’
मैंने राम के होंठ पर एक गहरा चुम्मा ले लिया… मेरे बदन में तरावट आने लगी… राम ने भी जोश में मुझे किस कर लिया।
दूसरे दिन राम और हिना स्कूल में मेरे चक्कर लगाते रहे… मैं उन्हें मीठी सी मुस्कान दे कर उनका हौंसला बढ़ाती रही… सच तो ये था कि मेरी चूत में भी कुलबुलाहट मचने लग गई थी… सोच सोच कर ही रोमांचित हो रही थी कि 19 साल के जवान लड़के के लन्ड से चुदवाने को मिलेगा।
मैंने स्कूल से आते ही एयर कंडीशन चला दिया। लंच करके मैं आराम करने लगी। मैं जाने कब सो गई।
अचानक मुझे लगा हिना ने मेरे हाथ पकड़ लिए और राम ने मुझे उल्टी लेटा कर मेरी चूतड़ की फ़ांकों को खोल दिया और अपना लन्ड मेरी गान्ड में घुसाने लगा। पर उसका लन्ड छेद में घुस ही नहीं रहा था। वो बहुत जोर लगा रहा था… मेरी गान्ड में इस जोर लगाने से गुदगुदी लगने लगी थी। हिना चीख उठी… मार दे गान्ड मैम की…छोड़ना मत… उसकी चीख से मैं अचानक उठ बैठी… ओह… मैं सपना देखने लगी थी।
वास्तव में दरवाजे पर बेल बज रही थी…दिन को करीब 3 बजे थे…वो दोनों आ गये थे। मैंने अपना मुख धोया और हम तीनों कमरे में ही बैठ कर थोड़ी देर तक बातें करते रहे। उन दोनों की बैचेनी देखते ही बनती थी…
‘मैम… मुझे राम से कुछ बातें करनी है…’
‘हाँ हाँ… जरूर करो… पर बातें कम करना… और…’ मैंने मजाक किया।
और हिना को बेड रूम में ले गई और सब बता दिया। राम को भी मैंने अन्दर आने का इशारा किया। हिना तो बेड रूम देखते ही खुश हो गई… और बिस्तर पर लोट गई।
इधर राम को मैंने बुला कर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंठो को चूमना चालू कर दिया। उसने भी मेरी कमर मे अपना हाथ कस दिया। उसके लौडे की चुभन मेरे चूत के आस पास होने लगी। मैंने धीरे से उसका लन्ड पकड़ लिया। उसके हाथ मेरे बोबे पर जम गये और उन्हें दबाने लगे। हिना जल्दी से आई और राम को खींचने लगी…
‘राम… आओ ना…’ राम खिंचता हुआ चला गया…पर मेरे बदन की गर्मी का अह्सास राम को मिल गया था। उसने राम को अपने से लिपटा लिया।
‘अरे… क्या ऐसे ही करोगे… कपड़े तो उतार दो…चुदाई का मजा नहीं लोगे क्या…’ मैंने उन्हे कहा.
‘नहीं…नहीं… चुदाई नहीं… बस ऐसे ही ऊपर से…’ हिना ने कहा तो मुझे आश्चर्य हुआ।
‘तब क्या मजा आयेगा… क्यों राम…’
राम ने मेरा साथ दिया और हम दोनों ने मिल कर हिना को नंगी कर दिया… राम ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उन्हें देख कर मैंने भी अपना गाऊन उतार दिया और नंगी हो गई। राम का जवान लन्ड देख कर मेरी चूत में पानी उतरने लगा।
हिना भी जवान लड़की थी… उसके जवान जिस्म को देख कर कोई भी पिघल सकता था। राम हिना से लिपट गया। और उसे बिस्तर पर पटक दिया। उसके ऊपर चढ गया और बेतहाशा चूमने लगा। दोनों का जोश देखते ही बनता था। एक दूसरे मे समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। पर हाँ हिना अपनी चूत से उसके लन्ड को दूर रख रही थी। राम जैसे ही अपना लन्ड उसकी चूत पर दबाता वो चूत को झटका दे कर हटा देती थी।
ये सब देख कर मेरी वासना बढती जा रही थी। मैंने अपनी चूत में दो अंगुलियाँ डाल ली और अपनी चूत चोदने लगी। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। अब मैंने सोचा कि पहले इन्हें निपटा दूं। मैं उठी और दोनों को सहलाने लगी। फिर मैंने हिना के चूत का दाना धीरे धीरे मलना शुरु किया। हिना को और मस्ती चढने लगी। मैं घिसती रही…मलती रही… इतने में हिना झड़ने लगी… मैंने हाथ हटा लिया… उसकी चूत में से पानी आ रहा था… इसी दौरान राम का लन्ड मैंने हिना की चूत पर रख दिया। राम तो जोश में था ही… उसका लन्ड हिना की चूत में उतर गया…
हिना तड़प उठी…’अरे ये क्या… हटो…हटो… उसने जल्दी से उसका उफ़नता हुआ लन्ड चूत से निकाल दिया…
राम भी तडप उठा… उसे तो अब चूत चाहिये थी… हिना अलग हट कर उठ गई।
‘देखो…मैम…मैंने मना किया था…तब भी इसने क्या कर डाला…’
‘कोई बात नहीं हिना…ला मैं इसे सम्भालती हूं…’ मैंने अपनी बारी सम्हाली और राम को दबोच लिया और उसे अपने नीचे दबा लिया… उसके खड़े लन्ड पर मैंने अपनी चूत रख कर दबा दी… आऽऽऽऽऽअह्ह्ह्ह्ह…लन्ड मेरी चिकनी चूत मे धंसता चला गया… राम ने भी अपने चूतड़ ऊपर की ओर उठा दिए… और उसका लन्ड पहले झटके में ही जड़ तक बैठ गया। मेरे मुख से आनन्द के मारे सिसकारी निकल पड़ी…
ना जाने कब से मैं इस चुदाई का इन्तजार कर रही थी। मैंने अपने चूतड़ थोड़े से ऊपर उठाये और दूसरा झटका दिया…फ़च की अवाज के साथ लन्ड गहराई तक चोद रहा था। राम आनन्द के मारे नीचे से झटके मार रहा था। दोनों ही हर झटके पर आहें भरते थे… हिना भी हमे देख कर उत्तेजित होने लगी थी… शायद उसने ऐसी चुदाई पहली बार देखी थी। उसने अपनी एक अंगुली मेरी गान्ड में फ़ंसा दी और गोल गोल घुमाने लगी। मैं तो इस डबल चुदाई से मस्त होने लगी। दोनों तरफ़ से मजा आने लगा था।
‘हिना…मजा आ रहा है…क्या मस्त लन्ड है…’
‘मैम आपकी चूत बड़ी प्यारी है… देखो ना लन्ड सटासट अन्दर बाहर जा रहा है…’
‘चोदे जा मेरे राजा… हाय… मैं तो मर जाऊँगी राम…’
राम ने मेरी चूंचियाँ मसल मसल कर बेहाल कर दी थी… अब मैं अति उत्तेजना का शिकार होने लगी… मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊँगी। मेरे धक्के अब जोर से और अन्दर तक दबा कर जा रहे थे। और अचानक मेरा बदन लहरा उठा… और मेरा रस निकलने लगा। मैंने उसके लन्ड पर अपनी चूत गड़ा दी…और उस पर पूरी झुक गई।
‘हिना प्लीज… मेरी गान्ड से अंगुली निकाल दे…’ हिना ने अंगुली बाहर निकाल दी। मैंने राम से अपने बोबे जोर लगा कर छुड़ा लिये। पर मुझे वो छोड़ने को तैयार नहीं था…
‘राम… देख हिना तेरा इन्तजार कर रही है… अब छोड़ दे मुझे…’ हिना के नाम ने उस पर जादू सा असर किया।
उसने हिना का नाम सुनते ही मुझे छोड़ दिया… और प्यार से वो दोनों एक बार फिर से लिपट गये। पर हिना ये भूल गई थी कि राम की चुदाई पूरी नहीं हुई थी। राम ने प्यार से हिना को चिपका लिया और पलटी मार कर अपने नीचे दबोच लिया… चिड़िया फ़ड़फ़ड़ाती रह गई…
हिना जब तक कुछ समझती तब तक मैंने राम का लन्ड हिना की चूत के छेद पर रख दिया था। राम ने धक्का मारा तो सीधा गहराईयों में उतरता चला गया। दूसरे धक्के में लन्ड जड़ तक बैठ गया था। हिना के मुख से चीख निकलती उससे पहले मैंने उसके मुख पर तौलिया रख दिया।
उसकी झिल्ली फ़ट चुकी थी। हिना को मालूम हो गया था कि उसका कौमार्य जाता रहा था। मैंने अब उसके मुँह से तौलिया हटा लिया था। उसके आंखों में आंसू आ गये थे। मैंने तौलिया अब हिना की चूत के नीचे रख दिया था। खून बाहर आने लगा था। मैं उसे पोंछती जा रही थी।
राम इन सभी बातों से बेखबर तेजी से चुदाई कर रहा था… राम अब हाँफ़ने भी लगा था… हिना भी अब सामान्य होने लगी थी। उसे भी अब मजा आने लगा था। मैंने देखा कि अब हिना के चूतड़ भी धीरे धीरे उछलने लगे थे और चुदाई में साथ दे रहे थे…
मैंने हिना कि चूंचियाँ मसलनी चालू कर दी… उसके निपल को भी घुमा घुमा कर हल्के से खींच रही थी। हिना की सिसकरियाँ निकलने लगी थी। उसकी आहें तेज हो गई थी। वो बार बार राम को अपनी ओर खींच रही थी। इतने में हिना चरमसीमा पर पहुंचने लगी। उसके मुख से अस्पष्ट शब्द निकलने लगे थे।’मांऽऽऽऽऽऽरी… मर जाऊँगी… हाय चोद दे… राम रे…’
मैं उसकी चूंचियों को और जोर से मसलने लगी… हिना के चेहरे का रंग बदलने लगा… अपने होंठ बार बार काट रही थी… अचानक उसका शरीर ने एक ऐठन ली और आहाऽऽऽऽऽ करते हुए वो झड़ने लगी…मैंने उसकी चूंचियाँ छोड़ दी।
राम भी अब गया! तब गया! हो रहा था… अचानक उसने भी अपने लन्ड का जोर चूत पर लगा कर पिचकारी छोड़ दी… दोनों ही साथ साथ झड़ रहे थे… राम और हिना दोनों ने आपस मे एक दूसरे को जोरों से जकड़ लिया था। कुछ ही समय बाद दोनों ही निढाल पड़े थे। और हाँफ़ रहे थे। हिना की चूत में से अब धीरे धीरे वीर्य निकलने लगा था… मैंने तौलिया उसकी चूत के नीचे घुसा दिया… राम बिस्तर से नीचे उतर आया और अपने कपड़े पहनने लगा। हिना थोड़ी गम्भीर लग रही थी।
‘दीदी मेरी तो झिल्ली फ़ट गई ना… अब क्या होगा…’
‘क्यो घबराती है…झिल्ली फ़टने के बहुत से कारण होते हैं…’ मैंने उसे बताया… खेलने से… साईकल चलाने से… किसी एक्सीडेन्ट से झिल्ली फ़ट सकती है…इसलिये डरने की कोई बात नहीं है।
‘और फ़िर तुम्हारी उमर अब चुदाने की हो गई है… तो अब इसे फ़ट जाने दो और जिंदगी का मजा लो…’
‘मैम हम क्या आपके पास रोज़ ट्यूशन पढने आ सकते हैं…?’ हिना ने घुमा कर प्रश्न पूछा।
‘हा… जरूर अगर पढ़ना हो तो फ़ीस लगेगी एक की 500 रू और अगर आज जैसी पढाई करनी हो तो 250 रू…’
हम तीनों ही हंस पड़े… हिना ने किचन में जा कर चाय नाश्ता ले आई… और आगे का कार्यक्रम बनाने लगे… Hindi Sex Stories
एक बहुत पुराने गाने कि तलाश थी मुझे। इसे मुकेश Hindi Porn Storiesऔर लता ने गाया था। फ़िल्म का नाम मुझे याद नहीं था। सिर्फ़ गाने के बोल ही याद थे। कुछ इस तरह था वो गाना—छोड़ गये बालम, मिझे हय अकेला छोड़ गये। सीडी, कैसेटों की दुकानों मे काफ़ी ढूंढा, पर नहीं मिला। किसी ने कहा कि शायद लैमिन्ग्टन रोड पर मिल जाये।
मैं लैमिन्ग्टन रोड गया। इत्त्फ़ाक से पहली ही दुकान से यह गाना मिल गया, पर वहाँ क्या हुआ, ये बताता हूं।
मैंने दुकान मे देखा कि कैश काउन्टर पर एक आदमी को छोड़ कर बाकी सब लड़कियां हैं। मैं सीडी के काउन्टर पर गया तो लड़की ने मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया और बोली-यस सर ! वट कैन आई डू फ़ोर यू?
ये मेरी बुरी आदत है कि जब भी मैं किसी लड़की को देखता हूं तो न चाहते हुए भी मेरी नज़र सबसे पहले उसकी छाती पर पड़ती है। यहाँ भी ऐसा ही हुआ, मेरी नज़र उसके बूब्स पर पड़ी पर मैं सम्भल गया। उसने भी मेरी इस हरकत को भाम्प लिया और अपने दुपटटे से दिलकश कबूतरों को ढकते हुए फ़िर बोली-कैन आई हेल्प यू?
जी तो चाहा कि कह दूं- इन कबूतरों को पालना चाहता हूं, लेकिन कहा- जी, मैं एक बहुत पुराना गाना तलाश रहा हूं, अगर यहाँ मिल जाये?
वो झट से बोली- गाने के बोल बताइये।
छोड़ गये बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये,
कुछ सोचते हुए वो बोली- मुझे तो ऐसा कोइ गाना याद नहीं आ रहा है- ठहरिये, मैं सर से पूछती हूं।
यह कह कर वो उस अधेर आदमी के पास गई जो कैश काउंटर पर बैठा था। थोड़ी देर बाद वो वापस आकर बोली- है हमारे पास- ये फ़िल्म बरसात का गाना है- आप रुकिये, मैं यह सीडी लाती हूं। वो उपर गई और एक सीडी लाई, बोली- पर आपको इस गाने के लिये पूरी सीडी खरीदनी पड़ेगी-इसमें कुछ और पुरा्नी फ़िल्मों के गाने भी हैं।
कोइ बात नहीं लेकिन देखिये इसमें वो गाना है य नहीं
जरूर होगा– इस सीडी में बरसात फ़िल्म के गाने भी हैं
हाँ, लेकिन देखो वो पर्टिकुलर गाना है भी या नहीं
वो सीडी के कवर पर लिखे गानो कि लिस्ट देखने लगी और बोली- क्या बोल बताये थे आपने?
छोड़ गये बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये–
वो एक एक गाना पढने लगी–दुम– नही–दम भर जो इधर मुंह फ़ेरे–बरसात में हमसे मिले… हवा मे उड़ता जाये– चोद गये–ओह सारी– छोड़–
छोड़ गये बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये– ये लीजिये। वो जल्दी से सीडी मेरे हाथ मे देते हुए बोली और फ़िर दूसरी और देखने लगी।
मैं अपनी हंसी रोक ना सका–वो शर्म से लाल हो गई और बोली- सारी।
मैंने कहा- कोइ बात नही- मुझे दोबारा हंसी आ गई।
वो नर्वस होते हुए बोली- देखो ना छोड़ की स्पेलिन्ग ऐसी होती है क्या-? सी डबल एच लिखना चाहिये ना- यहाँ सिन्गल एच ही है
हाँ सच कहा आपने– आपने तो चोद पढा– कई लोग तो इसे चोद– मैं कहते कहते रुक गया।
वो कैश काउंटर की तरफ़ और फ़िर अपनी साथी लड़कियों की ओर देखते हुए बोली- और कुछ?
जी बस — इतना काफ़ी है– अच्छा लगा।
व्हाट?
अच्छा लगा कि इतना ढूंढने के बाद आखिर यह गाना मिल ही गया।
और कुछ?
नहीं बस-कितने पैसे हुए?
मैं बिल बना देती हूं आप काउंटर पे पेमेंट कर दें।
जब मैं घर आया तो सोचने लगा-उसके बूब्स तो ईरानी होटल की डबल रोटियों जैसे थे- होंठ भी कम सेक्सी ना थे॥ अगर ये होंठ मेरे लन्ड को कोमलता से दबा लें तो क्या हो? मेरे शरीर में झुरझुरी सी आ गई।
रात को सपने में मैं उसे लेकर किसी हिल स्टेशन चला गया। मैंने देखा-हम दोनों नंगे ही पहाड़ियों की सैर कर रहे है। मैं कभी उसके कन्धे पर हाथ रख कर चलता तो कभी उसकी कमर मे बाहें डाल कर्। मेरा हाथ फ़िसल कर उसकी गान्ड पर रुक जाता। उसकी छातियां तजमहल के गुम्बद लग रहे थी पीछे से उसके गोल गोल कोमल चूतड़ यूं उपर नीचे हो रहे थे जैसे कोइ सी-सा ऊपर नीचे झूल रहा हो। मैं अपना लन्ड उसकी गांड की दरार में घुसाना चाहता था लेकिन घुस नहीं पा रहा था मैंने खूब जोर लगाया तो वो चिल्लाई- पागल हो गये हो क्या? मैंने उसकी बात अनसुनी कर दी और एक बार फ़िर जोर से झटका दिया, ताकि लन्ड अपनी मन्जिल तक पहुंच जाये। झटके से वो गिर पड़ी और मैं भी उसी के साथ चारों खाने चित्त हो गया। लन्ड पथरीली जमीन से टकराया और मैं चीख पड़ा– बहनचोद !!!
आंख खुली तो मैं पलंग से गिर कर जमीन पर पड़ा था। घरी मे टाइम देखा तो सुबह के साढे छह बजे थे। लन्ड जबरदस्त अंदाज में खड़ा था और किसी चूत की फ़िराक मे धीरे धीरे हाँफ़ रहा था। मुझे हाथ से ही लन्ड को शांत करना पड़ा। नहा धो कर कमरे से निकला तो घर वालों को काफ़ी हैरानी हुई कि नौ बजे उठने वाला लड़का आज इतनी जल्दी कैसे उठ गया।
” क्या आज कालेज जल्दी जाना है?” बड़े भाई ने पुछा।
” हाँ आज एक्स्टरा क्लास है-” और मैं क्या कहता। जब कह दिया तो घर से बाहर निकलना भी था। मेरे कदम फ़िर लैमिन्ग्टन रोड की तरफ़ उठ गये।
दुकान बंद थी। बाजू के पान वाले से पूछा तो वो बोला-‘दस बजे खुलती है दुकान” मैंने घड़ी देखी। अभी साढे नौ ही बजे थे। मैं दूर जाकर खड़ा हो गया। जैसे तैसे दस बजे। दुकान खुली, वो लगभग सवा दस आई। जब वो दुकान मे घुस रही थी तो मैंने देखा कि उसकी गान्ड के उभार बिलकुल सपने मे देखी हुई गान्ड कि तरह ही थे। मैं सोचने लगा कि सुबह का सपना वाकैई सच होता है !
थोड़ी देर में मैं दुकान के अन्दर गया। उसकी नज़र मुझ पर पड़ी औए उसके भाव देख कर मुझे यह अंदाजा हुआ कि उसने मुझे पहचान लिया है।
मैं सीधे उसके पास गया। वो जबरन मुस्करा के बोली- यस सर?
”मुझे एक और सीडी चाहिये”
कौन सी?
एक पुरानी फ़िल्म की॰॰॰अगर आपके पास हो तो॰॰॰
फ़िल्म का नाम?
राजा हरिशचंद्र
उसने सिर हिलाया और बोली- सर को पूछती हूं।
आज वो मुझे कुछ खूबसूरत भी नज़र आयी। बड़े बूब्स तो मेरी कमजोरी हैं ही।
जल्दी ही वो वापिस आयी और बोली-ईतनी पुरानी फ़िल्म के गाने नहीं हैं
ओह ! बैड लक, मैं निराश हो कर बोला।
और कुछ?
नहीं॰॰॰यही चाहिये था॰॰॰खैर थोड़ी देर बाद आउंगा।
क्यों? उसने पूछा।
क्यों मतलब? आपकी दुकान में कोइ क्यों आता है?
अच्छा, सोरी सर ! यू आर मोस्ट वेलकम!
कालेज के बाद फ़िर उसी दुकान में पहुंचा। अबकी बार वो दूर से ही मुस्काई। जब मैं उसके पास पहुंचा तो वो खुद बोली- कोइ और पुरानी फ़िल्म?
हाँ॰॰॰फ़िल्म चुदाई की सीडी चहिये।
व्हाट???॰॰॰ वो ऐसे बोली जैसे बिजली का करंट लग गया हो।
क्या हुआ? मैंने भी हैरानी जताई।
क्या कह रहे हैं?
कोइ अजीब बात कह दी मैंने?
किस फ़िल्म की सीडी चाहिये आपको?
जुदाई फ़िल्म की !
जुदाई ?
हाँ ! ॰॰॰आपने क्या सुना?
नहीं नहीं ठीक है॰॰॰जुदाई की सीडी होगी ही॰॰॰
लेकिन मुझे पुरानी चुदाई की सीडी चाहिये॰॰॰
वो फ़िर चौंक गई और मुझे शक भरी नज़रों से देखने लगी॰॰॰
मैंने पूछा- अब क्या हुआ?
कुछ नहीं॰॰॰पुरानी मतलब्॰॰॰? उसमे एक्टर कौन थे?
जितेन्द्र और शयद रेखा॰॰॰ मैंने युं ही कह दिया।
वो उपर की मन्जिल पर गई, थोड़ी देर बाद नीचे आयी, कैश काउंटर पर गई, दो तीन मिनट बाद आयी और बोली-सोरी सर्॰॰॰नई जुदाई कि सीडी है॰॰॰ पुरानी नहीं।
मैं फ़िर अपने को निराश जताने लगा॰॰॰वो मुझे धयान से देखने लगी।
फ़िर मैंने अपने दोस्त करण का नम्बर मिलाया और बोला॰॰॰
हाँ भैया॰॰॰जुदाई कि सीडी तो नहीं मिली॰॰॰क्या करूं?
उधर से करण बोला- अबे क्या बोल रहा है तू?
अच्छा दूसरी दुकान में देखूं ओके ओके जी जी॰॰॰
करण फ़िर हैरानी से बोला- कहाँ है तू॰॰॰क्या बोल रहा है?
कौन सी? ॰॰॰लन्ड्॰॰॰लन्डन्॰॰॰ कौन सा लन्दन?
मैंने चोर नज़रो से देखा, उसका चेहरा लाल हो गया था
जी ॰॰॰ नाईट इन लन्डन्॰॰॰ अच्छा॰॰॰पुछता हूं भैया॰॰॰
मैंने फ़ोन काटा और लड़की से पूछा- नाईट इन लन्डन् की सीडी या कैसेट होगी आपके पास?
उसने सीडी तलाश कर मुझे दे दी और आदत के अनुसार बोली- और कुछ?
नहीं बस्॰॰ बिल बना दीजिये।
वो सर झुका कर बिल बनाने लगी।
अगले दिन मैं फ़िर उसकी दुकान में पहुंच गया। आज उसने गुलाबी साड़ी पहनी थी। होठों पर हल्के रंग की लिप्स्टिक भी थी। वो उम्र में मुझ से कुछ बड़ी शायद तीस बत्तीस की लग रही थी। ब्लाउज का गला सामान्य से कुछ बड़ा ही था, जिसमे से उसकी बड़ी बड़ी छातियां गजब ढा रही थी।
यस सर ! उसने मुस्कुराते हुए पुछा- सीडी?
हाँ पुरानि फ़िल्म की सीडी या कैस्सेट जो भी हो!
फ़िल्म का नाम ?
गांड है तो जहान है॰॰॰ मैंने जानबूझ कर गांड शब्द का इस्तेमाल किया।
वो घूर कर मुझे देखने लगी।
है तो दे दीजिये।
क्या नाम बताया आपने?
जान है तो जहान है॰॰॰
इस नाम की तो कोई फ़िल्म नहीं आई।
आप सर से पूछिये।
ठीक है॰॰ वो कैश काउंटर तक गई। थोरी देर बाद आ कर बोली- सर आपसे बात करना चाह्ते हैं
मैं थोड़ा घबरा गया कि कहीं साले को शक तो नहीं हो गया। मैं उस तक गया तो उसने पूछा- इतना पुराना पुराना गाना कयको मांगता तुमको?
मेरेको नाइ मेरा भाई को मांगता॰॰॰ वो कोइ रिसर्च कर रहा है।
आप एच एम वी में जाके पूछो ना॰॰॰
फ़िर मैंने पूछा- अच्छा आपके पास वो गाना है॰॰॰चूतक चूतक चूतिया॰॰॰?
वो हंसने लगा॰॰॰अरे! ये क्या बोलता॰॰चूतक चूतक नही तूतक तूतक्॰॰॰
लेकिन ये तो नया गाना है तुम्हारा भाई क्या करेगा इसका?
भाई को नही॰॰ ये तो मुझे चाहिये।
अच्छा उधर सोना से पूछ लो।
सोना कौन?
अरे वही सेल गर्ल्॰॰॰
अच्छा तो उसका नाम सोना है॰॰
मैं उसके पास पहुंचा- सोना॰॰वो पोप भन्ग्ड़ा है आपके पास्॰॰॰तूतक तूतक तूतिया॰॰॰
वो मेरी तरफ़ देख कर बोली- मेरा नाम किसने बताया आपको?
चन्दू साब ने॰॰॰
कौन चंदू साब?
वो जो काउंटर पे बैठे हैं
अरे वो तो मेहता साब हैं
अच्छा मुझे मालूम नही था।
चूतक चूतक चूतिया है आपके पास?
वो सपाट नज़रों से मुझे देखते हुए बोली॰॰ अब मैं समझ गई॰॰तुम जानबूझ कर गलत बोल रहे थे अब तक
नही है ये गाना॰॰॰ वो नाक फ़ुला कर बोली और दूसरी तरफ़ मुंह कर लिया।
उस दिन मैंने सोच लिया कि आज इसे रास्ते मे पकड़ूंगा।
शाम को सात बजे दुकान बंद हो गई और वो बाहर निकली।
मैं उसके पीछे हो लिया।
थोड़ी देर पीछा करने के बाद ग्रांट रोड स्टेशन आने से पहले ही उसके पास पहुंच कर धीरे से कहा॰॰॰हाय !
वो चौंक कर मुझे देखने लगी। थोड़ी घबरा भी गई।
मैंने फ़िर हाय कहा।
वो बोली-क्या बात है, क्या काम है?
सोरी, मैं जरा लेट हो गया, आपकी दुकान तो बंद हो गई।
हाँ, अब उसके कदम तेज़ हो गये थे।
अरे ! आप दौड़ क्यों लगा रही हैं?
मुझे जल्दी है। सात बीस की टरेन पकड़नी हैकहाँ रहती हैं आप ?
कहाँ रहती हैं आप ?
उसने जवाब नही दिया
दरअसल मुझे एक और पुरानी फ़िल्म की सीडी चाहिए थी अर्जेंट
अब कल आइये
हाँ वो तो अब कल ही
यहाँ दूसरी दुकाने भी हैं वहाँ ट्राई कीजिये
हाँ, मगर वहाँ आप तो नही मिलेंगी ना
व्हाट? क्या मतलब ?
मैंने हिम्मत करके कहा…देखिये सच कहता हूँ… अब तक जितनी भी शोपिंग मैंने आपकी दुकान से की है सिर्फ़ आपसे मिलने के लिए…
वो रुक गई और मेरी आँखों में देख कर बोली…तुम्हारे इरादे अच्छे नही लगते.
हाँ वो तो है…
क्या मतलब ?
अब मतलब तो आप समझ ही गई होंगी .. मैं आपको डिनर मतलब लंच पर ले जाना चाहता हूँ
…
…काफी पापड़ बेलने पड़े उसे पटाने के लिए। आख़िर वो रास्ते पर आ ही गई. .. पता चला कि उसका तलाक हो चुका है.
ससुराल वालों ने निकल दिया है घर से. मायका दिल्ली में है और वो अपने माँ बाप के पास रहना नही चाहती। यहाँ बोरिविली में एक चल में किराये पर रहती है.
काफी कोशिशों के बाद मैंने उसे अपने साथ सोने के लिए राजी कर लिया. अब वो काफी खुल चुकी थी. बोली-कहाँ ले जाओगे?..अपने घर ?
नही वहाँ तो मेरी फॅमिली रहती है.
फ़िर?
किसी होटल में.
मैंने एक अच्छे होटल में कमरा बुक कर लिया. उस दिन उसने काम से छुटी ले ली थी। मुझे ये सोच कर मजा आ रहा था की मैं सारा दिन उसे चोदूंगा। उसकी चूत चाटुन्गा, वो मेरा लंड अपने कोमल होठों से मसलेगी.
तयशुदा दिन हम होटल में पहुंचे। कमरा पहले से ही बुक था. दोपहर के दो बज रहे थे. हमने बियर पी और खाना खाया .फ़िर मेरे सब्र का पैमाना भर गया.मैंने उसे कहा…सोना, हर रात को मैं तुम्हे सपने में चोदता हूँ आज वो दिन आ ही गया जब सचमुच…
वो बोली..मैं भी बिना मर्द के कई दिनों से प्यासी हूँ अभी तक बैंगन ,लोकी से काम चला रही थी, आज मर्द का लंड मिलेगा.. पर
पर क्या?
अभी तो तुम इतने मर्द नही लगते। कितना बड़ा है तुम्हारा?
देखोगी?
हाँ दिखाओ…
मैंने झट से कपडे उतारे लंड तमतमा कर फडफडा रहा था वो बड़े गोर से मेरे लंड को देखने लगी और फ़िर कहा…चलेगा !
अरे 6 इन्च के लोडे को देख कर कह रही हो… चलेगा… दोडेगा बोलो ना…
6 इंच का लोडा क्या खाक दोडेगा ? दोड़ने के लिए तो कम से कम 8 इंच का घोड़ा चाहिए!
मुझे गुस्सा आ गया और मैं बोला-पहले आजमा तो लो,इस 6 इंच के टट्टू को क्या सरपट दोड़ता है.
अच्छा?
ये कह कर वो आगे झुक गई और अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ किया, उसका पकड़ना था की मेरा फ़ड़फ़ड़ाता हुआ लंड आधा इंच और लम्बा हो गया. वो धीरे धीरे लंड के सुपाड़े को सहलाने लगी। मुझे हल्का हल्का नशा आने लगा था।
उसने मुझे बेड पे लिटा लिया और मेरि दोनों टांगो के बीच बैठ कर मेरा लन्ड चूसने लगी। मैं उसके मुलायम होठों को अच्छी तरह महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं किसी और दुनिया मे हूं। मेरे जिस्म मे चींटियां रेंगने लगी। उसने अपनी गति बढा दी और जल्दी जल्दी लन्ड को चूसने लगी। थोड़ी देर मे लन्ड से धड़ाधड़ पानी निकलने लगा जिसे उसने गड़प से पी लिया। लन्ड कुछ देर शान्त बना रहा। मैं भी बेड पर निढाल सा पड़ा था। वो उठ कर बोली- क्यो मर्द?… बस क्या?… और कुछ करना है?
जानेमन्… अभी तो पूरा दिन बाकी है… बस एक मिनट्… अभी तैयार हो जाता हूं… ये कह कर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिये। वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मैं उसे घूम घूम के चारों ओर से देखने लगा। वो हन्स कर बोली… ऐसे क्या देख रहे हो ?
देख रहा हूं, सपने मे जो हसीना देखी थी, वही अब सामने है… वही रंग रूप, वही उतार चढाव, वही चूत्… वही गांड वही चूची वही जांघ…
तुम सचमुच माल हो यार !
कमाल है यार माल देख के भी धमाल नही कर रहे हो… वो हंसने लगी। मैं उससे लिपट गया। कमरे मे म्युजिक बज रहा था हम अपने आप धीरे धीरे नाचने लगे। मैं उससे यूं लिपटा हुआ था जैसे उसके अन्दर ही समा जाउंगा। वो बहुत भावुक हो रही थी।
मैंने उसे बेद पे लिटा दिया। उसने खुद अपनी टांगे ऊपर कर ली, जिससे उसकी चूत खुल गई। उसकी चूत देख कर लग रहा था कि उसके पति ने उसे ज्यादा नहीं चोदा था। गुलाबी रस भरी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी। मेरे मुंह मे पानी आ गया। मैं उसकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के होठों पर रख दी। वो सिसक पड़ी। होले होले मैं उसकी चूत कि पूरी दरार चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी। तड़फ़ने लगी। मैंने अपनी जीभ की नोक उसकी चूत के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मैं जोर जोर से चूत रगड़ने लगा। उसकी सिसकियां चीखों मे बदल गई।
मैंने उसे उल्टा किया। पीछे का नज़ारा और भी मज़ेदार था। पतली कमर के नीचे सुंदर सी गोल गान्ड्। मैंने उसकी चूत से बहुत सारा रस निकाला और उसकी गान्ड मे मल दिया। गान्ड चिकनी हो गई और चमकने लगी। मैं धीरे धीरे उसकी गान्ड की मसाज करने लगा। कभी मेरी उन्गलियां उसकी गान्ड मे तो कभी उसकी चूत में।
चूत का रस था कि निकला ही जा रहा था और मैं उसी के रस से उसके सारे शरीर की मालिश कर रहा था। उसे बड़ा ही आनन्द आ रहा था। मैं उसकी गांड मे अपनी बीच की उंगली घुसाने लगा। दो तीन मिनट में पूरी उन्गली अन्दर घुस गई और मैं बड़े आराम से अपनी उंगली से उसकी गांड की चुदाई करने लगा।
उसकी सिसकारी बद नही हो रही थी। गांड मे उंगली का मज़ा शायद वो पहली बार ले रही थी। आखिर उससे रहा नही गया और वो बोली… अपना लन्ड डाल दो मेरी गांड मे… पेल दो… खूब जोर जोर से… रुको नही एक भी पल्…
मैं तुरन्त पीछे से उसके उपर चढ गया। उसकी कमर के नीचे हाथ डाल कर थोड़ा उपर उठाया। उसकी गांड ऊँट की पीठ की तरह ऊपर हो गई। गांड का छेद साफ़ दिखाई दे रहा था। धीरे सेमैंने अपना लन्ड उसकी गांड के छेद पर रखा तो अपने आप ही अन्दर जाने लगा। मैंने बस थोड़ी ही मेहनत की और हल्का सा धक्का दिया, लन्ड गांड के अन्दर यूं गया जैसे सांप बिल मे फ़ुर्र से घुस जाता है। मुझे अपना सपना याद आ गया जिसमे मैंने लाख कोशिश की थी गांड मे लन्ड घुसाने की, मगर सफ़ल ना हो सका था। वो हल्के से चीखी भी… मगर फ़िर चुप हो गई। मैं अपना लन्ड उसकी गांड मे अन्दर बाहर करने लगा। वो सी सी की आवाज़ निकालने लगी। फ़िर ये आवाज कुछ ऊँची हो गई। मेरी नस नस को मज़ा मिल रहा था और शायद उसे भी, क्योंकि वि भी हाय्… उफ़्… मर गई कहती जा रही थी।
मक्खन की तरह कोमल गांड मे मेरा लोहे का सा लन्ड अन्दर बाहर हो रहा था। जब वो अपनी गांड के दोनों पाटों से दबाती तो मैं अन्दर बाहर नही कर पाता। जब वो अपनी पकड़ ढीली कर देती तो मैं तुरन्त अपने लन्ड को उसकी गांड से बाहर निकालता और फ़िर फ़चाक से अन्दर डाल देता। ये खेल उसे बहुत अच्छा लग रहा था। वो अपनी गांड उचका उचका कर मेरी हिम्मत बढा रही थी
यह खेल 10 -15 मिनट ही चला। तब मेरे लन्द ने अपना सारा रस उसकी गांड मे उतार दिया। पूरा रस निकलने तक मैं उसकी गांड मे धक्के मारता रहा। जब अन्तिम बूंद भी निकल गई तो मैंने अपना लन्ड उसकी गांड से बाहर निकाला, जो उस वक्त भी लाल लाल और तमतमाया हुआ था।
वो सीधे लेट कर जोर जोर से सांस लेने लगी। यही मेरी हालत थी। कुछ देर हम यूं ही पड़े रहे। अचानक दरवाजे की घंटी बजी। सोना नंगी ही बाथरूम भागी। मैंने जल्दी से कपड़े पहने, बलों को सीधा किया और दरवाजा खोला। दरवाजे पर रूम बोय कम वेटर खड़ा था।
क्या बात है? मैंने पूछा।
साहब, कुछ नाश्ता वाश्ता…॥
यार कुछ चाहिये होगा तो इन्टरकोम से बोल देन्गे।
सोरी सर ! मगर आपकी तरफ़ से कोइ मैसेज नही आया तो मैंनेजर ने भेजा कि… शायद आपको कुछ चाहिये हो ?
मैंने घड़ी देखी… शाम के 5 बज रहे थे. मुझे हैरानी हुई कि इतनी जल्दी 5 कैसे बज गये। खैर मैंने उसे बीयर और चिकन पकौड़ा लाने को कहा। वो आधे घंटे बाद नाश्ता लाया। तब तक हमने इन्तजार करना ही मुनासिब समझा।
भरपेट नाश्ता करने के बाद मैंने वेटर से खाली डिशेज ले जाने को कहा और उसके जाते ही मैंने फ़िर दरवाजा बंद कर लिया।सोना भी उसी इन्तजार मे थी। उसने फ़टाफ़ट कपड़े उतारे और मैंने भी।
एक बार फ़िर उसने मेरे लन्ड को अपने भीगे मुंह मे ले लिया। बीयर और पकौड़े से तरबतर जीभ ने मेरे लन्ड मे आग सी लगा दी।
वो अपनी जीभ से मेरे लन्ड को सराबोर करने लगी। छह इन्च के लन्ड का यही फ़ायदा है कि वो किसी से भी मुंह मे पूरी तरह समा जाता है। अपने मुंह के अन्तिम सिरे तक वो मेरे लन्ड को लीलती रही और बाहर निकालती रही। मेरे लन्ड को यह वरदान पहले नही मिला था। वैसे तो तीन चार लड़कियों ने सकिन्ग की थी मेरी… पर आज जो अनुभव मिल रहा था वो किसी अनुभवी नारी का ही काम था। लड़कियों ने तो मेरे लन्द को ऐसे चूसा था जैसे लोलीपोप चूस कर फ़ेंक देती हैं। उन्हें तो पानी निकालना भी नही आता था। कई बार उन्होने अपने हाथों से ही मेरे लन्ड को तृप्ति दी थी।
सोना अपने हलक तक मेरा लन्ड ले रही थी।
मैंने उसे दोबारा उल्टा लिटाया और कमर के नीचे से हाथ डाल कर घोड़ी बनने पर मजबूर किया। मैंने उसे ऐसे ऐडजस्ट किया कि चूत बिल्कुल सीध मे आ जाये। उसकी टांगो को और फ़ैलाया। गुलाबी चूत दिखाई देने लगी हल्की हल्की झांटे चूत के आस पास ऐसे खड़ी थी जैसे किसी खजाने की रखवाली के लिये सुरक्षा कर्मी खड़े हों। घुटनों के बल खड़े हो कर उसकी गोरी जांघों पर हाथ फ़ेर कर मैंने उसकी चूत मे अपने लन्द को लगाया और धक्का दिया। आशा के विपरीत मेरा लन्ड उसकी चूत मे फ़ंसने लगा। चूत काफ़ी टाईट थी। ये सोच कर मुझे बहुत मज़ा आया। मैं धीरे धीरे धक्के मार कर अपने लन्ड को उसकी चूत मे पूरी तरह घुसाने की कोशिश करने लगा। इसके लिये मुझे उसकी कमर को पकड़ कर आगे पीछे भी करना पड़ा। थोड़ी कोशिश मे ही मेर लोड़ा टाईट चूत मे अन्दर बाहर होने लगा। दोगी स्टाईल मेरा फ़ेवरेट आसन है। इसमे जो मज़ा आता है वो करने वाले को ही मालूम है। तना हुआ लन्ड चिकनी चूत मे जा रहा था, आ रहा था। चूत के अन्दर की नर्म हडडी मेरे लन्ड के निचले भाग की मालिश कर रही थी। मेरे मुंह से लगातार आह आह की आवाजें आ रही थी। सोना का भी यही हाल था। मैं उसकी गांड को पकड़ कर आगे पीछे कर रहा था। लन्ड को ऐसी सेवा कभी कभी ही मिलती है… और शायद चूत को भी।
अब मैंने वैसे ही उसे डोगी स्टाईल में थामा। उसकी गान्ड को मजबूती से पकड़ कर मैं धीरे से पीठ के बल लेट गया। लन्ड उसकी चूत में ही था। वो मेरा लन्ड लिये उसी तरह धीरे से मेरी जांघों पर बैठ गई। उसने अपनी दोनों टांगें मेरी जांघों के आसपास रख दीं और सम्भल कर बैठ गई। अपने आप को एडजस्ट किया और फ़िर उपर नीचे होने लगी। मेरा लन्ड उसकी चूत में जाकर बाहर निकल रहा था। वो बराबर उपर नीचे हो रही थी। उसका स्टेमिना अच्छा था। यह आसन उसके लिये शायद काफ़ी मज़ेदार साबित हुआ। उसकी चूत से धड़ाधड़ पानी निकलने लगा और मेरी जांघों और लन्ड को तर करने लगा। उसने अपनी रफ़्तार बढा दी। अब वो चीखने लगी थी।
चकाचक धकाधक छकाछक्… लन्ड चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और वो उसी गति से चीख रही थी। अचानक वो धम्म से मेरी लांघों पे बैठ गई और उसके मुंह से बड़ी जोर से आ…ह निकला। वो पूरी तरह झड़ चुकी थी मगर मैं बाकी था।
उसने अपनी चूत से मेरे लन्ड को निकालने की कोशिश की, मगर मैंने ऐसा नही होने दिया। मैंने मजबूती से उसकी गान्ड को पकड़ा और आगे पीछे करके उसे हिलाने लगा। मेरा लन्ड उसकी चूत में ही था। मुझे उसका सहयोग नहीं मिल रहा था। इसलिये मेरा लन्ड उसकी चूत से बाहर आ गया और वो झट से बेड पे उलटी लेट गई। मेरा पानी निकलना अभी बाकी था। मैं भला उसे ऐसे कैसे छोड़ देता।
मैं फ़ौरन पीछे से उसके उपर चढ गया। पहले तो वो कसमसाई, मगर फ़िर ढीली पड़ गई। मैंने अपने तने हुए चिकने लन्ड को उसकी गान्ड में उतारना चाहा। इसके लिये मुझे उसकी गान्ड को ऊपर उठाना था, मगर वो उठने के लिये राज़ी नहीं हो रही थी। मैं उसकी मजबूरी समझ रहा था। आखिर मैंने दोनों तकिये उठाये और उसके पेट के नीचेए रख दिये। इससे उसकी गान्ड कुछ ऊपर हो गई।
मैंने उसकी गान्ड के दोनों पाटों को अपने अंगूठों से हटाया तो भूरे रंग का छेद नज़र आने लगा।
बस यही थी मेरी- मेरी लन्ड की मन्जिल्…॥
अपने तमतमाए लन्ड को मैंने उसकी गान्ड के संकरे छेद पर रखा। अंगूठे से दोनों फ़ांकों को फ़ैलाए रखा, ताकि छेद छुप ना जाये।
लन्ड बिल्कुल गान्द के छेद पर था। गीला और चिकना तो वो था ही। धीरे से थोड़ा सा लन्ड अन्दर को किया। हल्के हल्के धक्के मार के मैंने अपना पूरा का पूरा लन्ड उसकी गान्ड में उतार ही दिया। पूरा लन्ड कभी कभी ही गान्ड में समाता है, वरना आधे लन्ड की चुदाई से ही काम चलाना पड़ता है। उसे तकलीफ़ जरूर हुई पर उसने प्रोटेस्ट नहीं किया। बीस पच्चीस धक्कों से ही मेरा काम बन गया। उसकी पूरी गान्ड मार कर मैं निहाल हो गया। सारा बचा खुचा पानी निकल गया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया।
रात को लगभग दस बजे घर आकर मैंने हिसाब लगाया तो पता चला कि पांच हज़ार खर्च हो गये हैं। ये पैसे मैंनें अपने जेब खर्च से बचा कर रखे थे।
सोना से दोबारा मिलने का वादा तो कर लिया था, पर दोबारा पांच हज़ार जमा करने के लिये मुझे क्य क्य पापड़ बेलने पड़ेंगे, वो मुझे ही मालूम है… सोना को नहीं Hindi Porn Stories
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