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उधर श्वेता ने उनके लिंग Hindi Sex Stories को फिर लोहे की गर्म रॉड की शक्ल दे दी थी और अब स्वयं ही अपनी योनि उस पर टिका कर धीरे धीरे धक्के देने लगी थी। लिंग-मुंड के उसकी योनि में प्रवेश करते ही वह सिसक उठी- उफ….माई डीयर…. डबराल ! ….. उफ … ! कम आन कोमल ! तू इधर आकर मेरे स्तनों को संभाल… ज़रा ! डबराल यार को दूसरा काम करने दे…. श्वेता ने मुझसे कहा।
मैंने तुंरत उसके स्तनों को अपनी हथेलियों में संभाला और उसके अधरों का रसपान करने लगी, डबराल सर की मशीन आन हो गई थी, कमरे में अब श्वेता की कामुक चीखें गूंजने लगी थी।
मैंने देखा कि श्वेता की योनि में डबराल सर का लिंग आसानी से आगे पीछे हो रहा था लेकिन फिर भी लिंग की मोटाई के आगे उसकी योनि भी एक तंग सुरंग थी।
थोड़ी देर में ही डबराल सर पुनः चरम सीमा पर आ गये और इस बार उन्होंने जब श्वेता की योनि से लिंग निकाला तो मैने उसे अपने मुँह में ले लिया, लिंग कई बार मेरे हलक से टकराया और फिर कुछ गर्म बूंदें मेरे हलक में गिरी, मैं उस स्वादिष्ट पदार्थ को पी गई, इस तरह मेरे विज्ञान में पास होने के बहाने से मैने प्रथम यौनसंबंध का सुख पाया।
कई दिनों तक मैं लंगडा कर चलती रही, श्वेता मेरी इस हालत को देख कर मुस्करा देती। डबराल सर ने अब किसी भी बात पर हम दोनों को क्लास रूम में डांटना छोड़ दिया था। मेरे घर में मेरी मां ने मेरी लंगडाहट पर एक बार प्रश्न उठाया तो मैंने सीढ़ियों से गिर जाने का बहाना कर दिया। उन्होंने फिर नहीं पूछा।
इस घटना के पन्द्रह दिनों के बाद जब मेरी हालत ठीक हो गई थी।
स्कूल हाफ में मैं लंच कर रही थी, तब श्वेता ने बताया कि तुझे चपरासी पूछ रहा था। तुझे प्रिंसीपल साहब ने बुलाया है।
मैंने प्रश्न किया- क्यों….?
तो उसने अनजाने पन का ढोंग कर दिया, मैं जल्दी-जल्दी लंच निपटा कर प्रिंसीपल साहब के ऑफिस पहुंची तो वहां अधेड़ उम्र के प्रिंसीपल को अपने इन्तजार में पाया।
कोमल….. दरवाजे की सिटकनी चढ़ा दो, मुझे तुमसे कुछ स्पेशल बात करनी है ! …प्रिंसीपल ने कुर्सी पर बैठे बैठे कहा।
मैंने उनकी आज्ञा का पालन किया।
इधर आओ हमारे पास !…… प्रिंसीपल ने दूसरी आज्ञा दी।
मैं उनके निकट पहुँच गई।
हमें पता है तुमने मिस्टर डबराल को केवल इस लिये खुश किया है कि उसने तुम्हारे विज्ञान में पास होने का वादा किया है, लेकिन हम भी तो कुछ अहमियत रखते हैं, क्या हमें तुम्हारा हुस्न देखने का हक़ नहीं है ! प्रिंसीपल ने ऐसा कहा तो उनकी आँखें चमक उठीं और भद्दे होंठों पर मुस्कान दौड़ गई।
जी…..मैं पीछे को सिमटी, मेरे जेहन में खतरे की घण्टियाँ बज उठीं और यही विचार दिमाग में आया कि यहाँ से तुंरत भाग लेना चाहिये, इसी विचार के तहत मैं पलटी मगर प्रिंसीपल के शक्तिशाली हाथों ने मेरी कमर पकड़ ली और मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया, मैं चीखने को हुई तो उनकी एक हथेली मेरे खुले मुँह पर आ जमी, उनके ठंडे से स्वर में ये शब्द मुझे खामोश कर गये कि अगर तुमने हमारा सहयोग नहीं किया तो हम तुम्हारे करेक्टर को गलत साबित करके तुम्हारा रेस्टीकेशन कर देंगे।
मैं विवश हो गई, इस विवशता में एक बात का हाथ और था वह यह कि प्रिंसीपल के हाथ ने मेरी शर्ट में छुपे मेरे स्तनों को क्षण भर में ही मसल डाला था और उस मसलन ने मुझे आनंद से झंकृत कर दिया था, पन्द्रह दिन बाद आज फिर एक प्यास महसूस हो गई थी।
मुझे शान्त जान प्रिंसीपल मेरी शर्ट के बटन खोलते चले गये, उन्होंने मेरी शर्ट के पल्लों को इधर उधर कर के मेरी समीज को स्तनों के ऊपर कर दिया और मेरे तने हुए स्तनों को मसलने लगे, मैं हल्के हल्के सिसकारने लगी, मैने उनकी गोद में ही मुद्रा बदली और अब मेरे स्तन उनके सीने से भिड़ने लगे, प्रिंसीपल मेरे कांपते लरजते अधरों को भी चूसने लगे थे, मेरे हाथ उनकी पीठ पर चले गये थे, मेरा युवा शरीर तो जैसे पुरुष शरीर के स्पर्श को तलाश ही रहा था, उनके हाथ मेरी स्कर्ट के भीतर मेरे नितंबों और जाँघों को सहला रहे थे, उनकी साँसें गर्म होने लगी थी और फिर उन्होने अपने होंठों को मेरे अधरों से हटा कर मेरी गर्दन को चूमते हुए मेरे स्तनों पर ले आये, उनकी इस क्रिया ने मुझे और अधिक उत्तेजित कर डाला।
ओह सर ! …… क्यों तड़पा रहे हैं ! …… ऐसे कुर्सी पर कैसे कुछ होगा? उफ…ओह….आह ! मैं उनके कान मैं सरसराई।
ओह…. ! तुम ऐसा करो ! टेबल पर लेट कर अपनी टांगें नीचे लटका लो…..उठो…..! प्रिंसीपल ने कहा।
तो मैं उनकी गोद से उतर कर टेबल पर अधलेटी सी हो गई।
प्रिंसीपल ने खडे होकर मेरी स्कर्ट ऊपर करके मेरी पेंटी को भी जरा ऊपर को करके मेरी योनि को सहलाया और भंगाकुर को भी छेड़ दिया, मैं मचल उठी, मेरे मुख से कामुक ध्वनि फूटी और मैंने खड़े होकर उनके हाथों को पकड़ कर अपने स्तनों पर रख लिया, उनके हाथों ने मेरे स्तनों को मसलते हुए मुझे पीछे को ही लिटा दिया और पेंटी को जरा सा योनि छिद्र से हटा कर अपने लिंग-मुंड को योनि के मुख में फंसा कर धक्का दिया तो मुझे ऐसी पीड़ा हुई जैसे मेरी जांघें फट जायेंगी।
मैं चीख पड़ी, मैने दर्द के मारे फिर उठने का प्रयास किया तो उन्होंने हाथों के दबाव से मुझे उठने नहीं दिया और एक और धक्का मारा, मुझे दर्द तो हुआ पर गजब का आनंद भी आया, उनका लिंग दो तीन इंच तक मेरी योनि में उतर गया था।
सर….. ! उफ…. ! लगता है…. ! ओह…….. ! लगता है कि आपका लिंग बहुत मोटा है…… क्या लंबा भी ज्यादा है…..? मैने अपने स्तनों पर जमे उनके हाथों को दबा कर कहा।
नहीं….हाँ मोटा तो काफी है, लेकिन लंबाई आठ इंच से ज्यादा नहीं है, उन्होंने लिंग को और आगे ठेल कर पीछे करके फिर ठेलते हुए कहा।
बस…..आठ इंची….तब तो आप खूब जोर जोर से धक्के मारिये….. ! ऑफ़…. ! तभी मजा आयेगा ! मैं उत्तेजना के वशीभूत होकर बोली।
अच्छा…. ! तुम्हें तेज तेज शॉट पसंद है ! तब तो यहाँ से हटो और दीवार से हाथ टिका कर खड़ी हो जाओ …. ! यहाँ तो टेबल गिर जायेगी, उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल कर कहा।
मैं मेज से उठ कर दीवार पर पंजे जमाकर उनकी और पीठ करके खड़ी हो गई तो उन्होंने मेरे नितंबों को सहलाते हुए अपने मोटे ताजे लिंग को मेरी योनि में डाल दिया और फिर तेज तेज धक्के मारने लगे, मेरा पूरा शरीर जोर जोर से हिल रहा था, उनकी जांघें मेरे नितंबों से आवाज के साथ टकरा रही थी, वे धक्के मारते मारते हांफने लगे, लेकिन खूब धक्के मारने पर भी वे स्खलित नहीं हो रहे थे, यहाँ तक कि वो आगे को शाट मारते तो मैं पीछे को हटती, मुझे लिंग के योनि में होते घर्षण से और लिंग की संवेदनशील नसों से भंगाकुर पर होते घर्षण से मैं आनंद की चरम सीमा तक पहुच गई थी। मैं उन्हें और प्रोत्साहित कर रही थी, और अन्दर तक करो सर…… ! और अन्दर तक…… ! और जोर से….! उफ… उफ… ओह…..यस्…. ! आई लव इट…. ओ… मैं हर तरह से उनके साथ सहयोग करते हुए बोली।
मेरी साँसें भी तूफानी हो चकी थी।
और फिर प्रिंसीपल सर अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गये, मेरे गर्भाशय में एक शीतलता सी छाती चली गई, तब पता चला मुझे की पुरुष के खौलते वीर्य की धार जब स्त्री के गर्भ से टकराती है तो कैसा अदभुत आनंद प्राप्त होता है ! मैं पागलों की भांति प्रिंसीपल से लिपट गई और उनके लिंग को भी बेतहाशा चूमा। कुछ देर बाद अपने वस्त्र ठीक करके मैं प्रिंसीपल रूम से निकल गई।
अभी बात खत्म नहीं हुई !
आगे आगे देखिए क्या क्या होता है ! Hindi Sex Stories
मेरी कहानी आज से तीन साल पहले Antarvasna की है, एक बार मैंने एक बस स्टैंड पर एक लड़की को देखा।
मैंने उससे पूछा- आप दिल्ली की हो?
उसने कहा- हाँ !
फिर हम उस बस से ऑफ़िस तक गये। ऐसे ही लगातार २ साल हो गये। एक दिन मैंने पूछा- कहीं घूमने चलते है।
उसने कहा- ठीक है, हम लोग ऊटी चल सकते हैं !
मैने झट से ट्रॅवेल एजेंट को फोन करके दो टिकेट बुक करा दिए।
बस में बैठते ही धीरे से उसका हाथ अपने हाथ में रख लिया और सहलाने लगा। मेरा हाथ सहलाना उसको भी अच्छा लग रहा था। अभी तक बस में बाकी लोग सो चुके थे, मैं हिम्मत करके अपना हाथ उसकी चूचियों तक ले गया। और धीरे धीरे मसलने लगा, वो मुस्कुरा रही थी। मैंने सोचा बस काम बन गया और सुबह तक हम लोग ऊटी पहुच गये।
फिर अपने होटल के कमरे मे जाके मैंने उसको गले से लगा लिया, वो गरम हो रही थी, धीरे से मैं उसे कम्बल के अंदर ले गया और धीरे धीरे उसके टॉप को उतार दिया, और जीन्स को भी अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी ही पहनी थी, उसकी गुलाबी रंग की पैन्टी मुझे पागल कर रही थी, मैने धीरे से अपना लण्ड निकाल के उसके हाथ पर रख दिया।
वो बोली- इतना बड़ा ! और इतना गरम !
मैने कहा- जान सिर्फ़ आपके लिए है !
मैं शहद घर से ले के गया था। मैं उसके चुचूकों पर शहद लगा कर चूसने लगा। फ़िर उसकी चूत में भी शहद भर दिया और अपने लण्ड पर भी शहद लगा लिया।
अब वो मेरा लौड़ा चूस रही थी और मैं उसकी फ़ुद्दी चाट रहा था।
अचानक उसने कहा- प्लीज़ ! अब मुझे चोद दो !
वो पागलों की तरह मेरा लण्ड चूस रही थी और अब उससे सहन नहीं हो रहा था। वो मेरा लण्ड ले के अपनी चूत में रगड़ने लगी।
मैंने कहा- ज़रा रुको जान !
मैंने अपने आप उसकी चूत के छेद में अपना लण्ड लगाया और एक झटके में ही अन्दर डाल दिया। मैंने पहले से टीवी की आवाज़ तेज कर रखी थी, वो दर्द से चिल्ला रही थी और मैं उसे पागलो की तरह उसे चोद रहा था, वो मुझे नोच रही थी।
यह सिलसिला लगातार ३ दिन तक चला।
तीन दिन में कम से कम मैंने २० बार चुदाई की और एक बार तो उसकी गाण्ड भी मारी।
तो कैसी लगी मेरी कहानी आप लोगों को Antarvasna
सबसे पहले मैं दोनों हाथों का समागम Hindi Sex Stories करते हुए गुरूजी का धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी ‘बुलबुल के साथ सेक्स’ प्रकाशित की और उन तमाम लड़के-लड़कियों, दोस्तों का भी धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मुझे ई-मेल किए।
तो दोस्तो पेश है मेरी नई कहानी !
सुनीता !
उसके रूप के बारे में बस इतना ही कहूँगा कि लगता है भगवान ने गलती से उसे नीचे भेज दिया। वो तो वो मेनका है कि अगर एक बार जिसे देख ले बेहोश हो जाए ! एक अट्ठारह साल की लड़की जो बला की खूबसूरत हो, आपको तो पता ही है उसके चाहने वाले कितने होंगे।
तो दोस्तो बात तब की है जब मै दसवीं मे पढ़ता था और वो जब वो स्कूल में आती थी तो ऐसा लगता था कि मानो बहार आ गई हो ! मैं उसे दिल ही दिल में प्यार करता था पर क्या कहूँ यार हम सब की यही परेशानी है कि हम कहने से डरते हैं !
एक बार मैने उसे पत्र लिखा और उसे कैसे दूँ, यही सोच रहा था कि तब तक वो मेरे पास आ गई, और मैंने झट से पत्र को अपनी किताब में रख लिया। फिर मुझ से बात करके वो चली गई, मै उस पत्र की बात भूल गया। फिर वो मुझसे वही पुस्तक मांगने आई। मुझे याद न रहने की वजह से मैंने वो किताब उसे दे दी।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे जब किताब वापस की तो मुझे याद आया- यार ! उसमें तो मेरा पत्र था !
मैंने जब किताब को खोला तो देखा कि वो पत्र वैसे ही है जैसे था, पर मुझे डर सा लगने लगा कि कुछ गड़बड़ ना हो जाए।
अगले दिन मैं स्कूल नहीं गया। मुझे शक था कि उसने मेरा पत्र पढ़ लिया है।
वो मेरे घर आई मेरी बहन से मिलने के लिए !
मुझे थोड़ा बुखार था, मैं सो रहा था। वो आई और मुझसे पूछा- पूनम कहाँ है?
मैंने बोला- अंदर है !
वो बोली- आज स्कूल क्यूँ नहीं आए?
मैंने कहा- यार, देखने से भी नहीं पता चल रहा क्या?
तो बोली- बुखार सच का है या झूठ मूठ का बहाना बना रखा है !
तब तक मेरी बहन आ गई और फिर दोनों अंदर चली गई। जब थोड़ी देर बाद वो जाने लगी तो मेरे पास आकर बैठ गई।
मेरी बहन भी बोली- आज मनीष बहुत बीमार है, इसीलिए स्कूल नहीं गया।
फिर उसने अपना हाथ मेरे सर पे रखा और बोली- बुखार तो अभी तक है ! दवाई ली या नहीं? कल फिर स्कूल नहीं जाना !
यार मुझे बहुत जोर से गुस्सा आ रहा था। मैंने मन ही मन सोचा- साली डाँट तो ऐसे रही है जैसे मेरी घरवाली हो !
फिर जब वो दोनों आपस में बातें करने लगे। तो मैं कंबल के नीचे से उसका हाथ दबाने लगा। उसने मेरी तरफ देखा और इशारे करने लगी कि पूनम यहीं है।
पर मैं कहाँ मानने वाला था। मैंने उसका हाथ कंबल के अंदर करके दबाने लगा तो वो भी अपना हाथ टाईट कर के मेरा साथ देने लगी मेरी तो मानो मैं तो यही सोच रहा था कि मुझे यूँ ही कुछ दिनों तक बुखार रहे और मैं उसके हाथ के साथ खेलता रहूँ, पर कुछ देर बाद वो चली गई और मै बिस्तर पे पड़ा रहा।
उसके जाने के बाद मैं बिस्तर से उठा और थोड़ा टहलने लगा। फिर सुबह मैं ठीक हुआ तो स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगा कि इतने में मेरे मामा जी आए और बोले कि चलो आज सब बाहर चलते हैं !
मेरा भी मूड हो रहा था बाहर जाने का पर मैने मना कर दिया।
यार कैसे-कैसे तो पटी है और ये मौका अगर हाथ से गया तब तो मैं लण्ड पकड़े ही रह जाऊँगा और कोई नहीं मिलेगा चोदने को !
तो दोस्तो, मैं उस दिन, जब घर वाले बाहर चले गए, तो मैं स्कूल के लिए तैयार हो के निकलने लगा और घर में ताला लगाने लगा, तो मैंने देखा- सुनीता इधर ही आ रही है।
आते ही बोली- आज तुम्हारे घर वाले कहाँ गए?
मैंने कहा- यार ! वो आज घूमने गए हैं !
उसने कहा- तुम नहीं गए?
मैंने कहा- तुम्हारे बगैर क्या फायदा जाने का कहीं !
तो हंसने लगी और बोली- अच्छा चलो, मुझे पानी पीना है ! पिलाओगे?
मैने कहा- बस पानी?
तो वो हंसने लगी। मेरी तो नियत खराब हो रही थी और वो हंस रही थी। मैने सोचा- बेटा, आज मौका अच्छा है ! लग जा काम पे।
मैने उसे बिठाया और किचन में पानी लाने चला गया। मैं जब अंदर आया तो वो भी साथ आने लगी। मैंने कहा- मैं लाता हूँ न यार !
तो बोली- नहीं ! तुम कुछ मिला के पिला दोगे तो?
मैंने कहा- अरे नहीं यार ! तुम्हें पिला के नहीं बिना पिलाए सब कुछ करने का इरादा है !
तो बोली- क्या-क्या ?
मैने कहा- कुछ नही !
नहीं ! आपने कुछ बोला था !
मैंने कहा- तुम पानी पियो ! कुछ खाओगी ?
तो बोली- क्या खिलाओगे?
मैंने कहा- कहाँ से खाओगी?
तो बोली- कहाँ से खिलाओगे?
मैं बोला- जहाँ से तुम खाना चाहो !
तो बोली- ठीक है ! तो फिर चले?
मैने कहा- कहाँ?
तो बोली- खाने !
यार, मैं तो बस बातों से मजा ले रहा था, पर यह तो सच में मजा देने आई थी !
फिर कहती- आज सिर्फ चूमना!
मैने कहा- क्यो जी? आज व्रत है क्या?
तो बोली- नहीं तो !
मैंने कहा- तो क्या बात है?
बोली- कौन्डम है? तो अभी करते हैं ! नहीं तो कल !
तो मैंने कहा- इस कल कल में पता चले कि तुम्हारी शादी हो जाए और तुम चली जाओ यहाँ से !
फिर बोली- है क्या?
मैने कहा- क्या?
तो बोली- कौन्डम !
मैने बोला- है न !
तो बोली- तुम कौन्डम रखते हो? छि-छि !!
मैने कहा- अरे यार, ये मेरा नहीं, मेरे भाई का है ! उन्होंने भाभी के लिए लिया था पर मेरे हाथ लग गया।
तो दोस्तो ! मैंने उसे अपने बेड पे चलने के लिए कहा, तो बोली- मेरे पांव में दर्द है !
मैं उसे गोद में उठा के अपनी बिस्तर पे ले जाने लगा तो उसने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए।
वाह-वाह-वाह क्या बताऊँ यार ! क्या चूसती है होठ ! मुझे पता नहीं था यार जब कोई लड़की आप के होंठ को चूसे तो इतना आनंन्द आता है।
फिर मैंने आराम से उसे बिस्तर पे रखा और उसका साथ देने लगा और उसके मस्त-मस्त मोम्मे को मसलने लगा। यार दिल तो ऐसा कर रहा था इनको काट के रख लेता हूँ रात को अकेले में दबाऊँगा ! पर क्या करूँ साली काटने थोड़े ही देगी।
दोस्तो वो तो पूरी वासना में डूबी हुई थी और साथ में मेरी हालत तो जैसे मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी उतारने लगी और बोली- मनीष ! क्या तुम वो करोगे जो मैं करूँगी?
मैंने कहा- आपका औरडर सर आंखों पर मैडम !
तो वो मेरा लन्ड अपने मुँह में लेके चूसने लगी।
वाह ! क्या बताऊँ यार, दिल तो कर रहा था कि इसके मुँह में ही सारा का सारा डाल दूँ पर क्या करूँ यार! वो जो कर रही थी बहुत मजा आ रहा था। मेरा तो एकबार उसके मुंह में ही हो गया।
फिर मैंने कहा- अब मेरी बारी !
मैं उसकी चूत को चाटने लगा और वो क्या आवाज निकाल रही थी यार ! पूरे कमरे में मानो अजीब सी आवाज गूंज रही हो आऽऽ इइइइइ आउ उउउउउउउउउउउ आउउउउउउ आााााा
क्या कहूँ यार! क्या आवाजें थी ! मजा आ रहा था ! यार उसकी आवाज को सुन के !
फिर अचानक वो जोर-जोर से चूत को उछालने लगी, मैं और जल्दी-जल्दी चाटने लगा। फिर उसकी चूत से सफेद पानी निकला और वो शान्त हो गई। फिर मेरे ऊपर आके लेट गई। मैं नीचे से ही अपना लन्ड निकाल के उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा और वो आहहह आहहहहहह करने लगी। फिर उसने मेरा लन्ड अपने हाथ में लेकर चूत के मुँह पे लगा लिया और हिलाने लगी और फिर उस के ऊपर बैठ गई। एक ही झटके में ऐसा लगा मानो मैं स्वर्ग में आ गया। फिर मैं नीचे से उसे पूरा सहयोग देने लगा और वो ऊपर से जोर-जोर से हिलने लगी और आहहहहआहहहहह आहहहहह एएएएएएएहहहहहह करने लगी।
कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर आ गया और फिर जोर-जोर से धक्का लगाने लगा। कुछ देर बाद हम दोनों अपनी चरम-सीमा पर पहुँच चुके थे। उस दिन हमने ४ बार काम किया और फिर वो अपने घर चली गई आज की क्लास ले के।
दोस्तो, आप को मेरी कहानी कैसी लगी?
मुझे अवश्य लिखिएगा और अपने सुझाव हमें जरूर बताईएगा। Hindi Sex Stories
हाय, अन्तर्वासना के सभी पाठकों और पाठिकाओ, आपकी सेवा में मैं विक्की मित्तल एक बार फिर से अपनी चुदाई के तजुर्बे के साथ हाजिर हूं, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
लगता है मेरी कहानी ‘शीतल की चुदाई’ काफ़ी पाठको ने पढ़़ी है, क्योंकि मेरे पास बहुत से पाठक पाठिकाओ के जवाब आये है जिनमे लिखा है उन्हे मेरी कहानी बहुत पसन्द आई है और मैं अपनी दूसरी कहानी भी जल्द ही भेजूं। इसके लिये आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद। लगता है कि पढ़ने वालों में लड़कियों और औरतों की संख्या अधिक है, क्योंकि लिखने वालो में लड़किया अधिक है। कुछ लड़कियों ने तो यहां तक लिखा है कि अपनी नई कहानी में उनको लेकर यानि उन्हे नायिका बना कर कहानी लिखूं।
यहां पर मैं बताना चाहूंगा कि शीतल की चुदाई मेरी कोई कल्पना मात्र नहीं है बल्कि ये वास्तव में मेरा पहला तजुर्बा है, और आज भी है। बस अन्तर इतना है कि उसकी अब शादी हो चुकी है। वह ससुराल में अपने पति के साथ बहुत ही खुशहाली का जीवन व्यतीत कर रही है।
आगे भी मैं जो कहानी भेजूंगा वो भी कोई कल्पना नहीं होगी बल्कि वास्तविक घटना होगी जो कि मेरे साथ घट चुकी होगी। मैं अपनी पाठिकाओं का दिल तोड़ना नहीं चाहता हू, इसलिये मैं उनसे विनती करूंगा कि जो ये चाहती कि मैं उन पर कहानियाँ लिखू वो अपने शरीर का विवरण अवश्य ही भेजे जिससे मुझे कहानियाँ लिखने में सहूलियत होगी।
सम्पूर्ण विवरण से तात्पर्य है कि वे अपनी बॉडी की बनावट, कद काठी, कूल्हे भारी हैं या हल्के, चूचियो का साईज़, छोटी है या बड़ी, उनका रंग, चूत क्लीन शेव्ड है या झांटों से भरपूर है। आपकी खास आदते और पसन्द वगैरह। जब आप अपना शरीर का पूरा परिचय दे देंगी तो तो अवश्य ही आपके लिये एक बहुत ही सेक्सी और बहुत ही एक सुन्दर सी कहानी लिख पाऊंगा।
हां तो मैं आज अपनी जीवन का दूसरा तजुर्बा कहानी के रूप में लिख कर भेज रहा हूं। कुछ लड़के और लड़कियाँ या महिलाये ऐसी भी होंगी जिन्होने ने मेरी पहली कहानी नहीं पढ़़ी होगी या इस साईट में अभी सम्मिलित हुये हो तो मैं उन्हे अपना परिचय देना जरूरी समझता हूँ। मेरी उम्र लगभग 29 वर्ष, रंग एक दम गोरा है, मेरी हाईट पांच फ़ुट दस इन्च है। हालांकि मेरी बॉडी थोड़ी भारी है पर लम्बाई के कारण मैं मोटा नहीं लगता हूं। मेरी पर्सनाल्टी बहुत ही चार्मिंग है, मैं बहुत सुन्दर हू, लड़किया मेरी तरफ़ आसानी से आकर्षित हो जाती है।
बचपन से लेकर अब तक काफ़ी लड़कियाँ मेरी दोस्त बन चुकी है। मैंने आई आई टी रुड़की से इन्जीनियरिंग करने के बाद आई आई एम अहमदाबाद से एम बी ए किया है। और अब में दिल्ली में अपनी ही एक पारिवारिक ओर्गेनाईजेशन में काम करता हूं। हां तो दोस्तों, लगता हैकि अब आप काफ़ी बोर होने लगे है इसलिये मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।
बात उन दिनो की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़़ता था। और उस समय मेरी उमर 18 वर्ष की थी पर मेरी कद काठी की वजह से मैं 18-20 वर्ष का लगता था। हमारी ही कोलोनी में एक लड़का और रहता था जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनो लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा उसके अलावा एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे।
मेरे दोस्त का नाम मनोज है और उसकी बहन का नाम कोमल था। वो बी एस सी पार्ट फ़र्स्ट में पढ़़ रही थी।
कोमल बहुत ही खूबसूरत थी। उसका रंग एकदम गोरा चिट्टा था। उसकी हाईट लगभग 5 फ़ुट चार इन्च होगी। आँखें एकदम काली और बड़ी बड़ी, मानो हर समय उसकी आंखे कुछ कहना चाहती हो। जब वो आंखो में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी तो वो गजब ही ढा देती थी।
शरीर 36-24-38 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी थी। उसका साईज तो लगभग 36/38 रहा होगा पर एकदम कठोर और कसी हुई थी। चूतड़ तो बस क्या कहने एकदम भरे भरे और सुडौल।
जब चलती थी तो उसकी चूतड़ों को देख कर लगता था कि मानो दो बड़ी बड़ी गेंद या फ़ुटबॉल आपस में रगड़ खा रहे हो।
वो आम तौर पर टाईट सलवार कमीज या चूड़ीदार पजामा और कुर्ती पहनती थी, जिसमे उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी। खास तौर पर तो उसके चूतड़ों उभार तो मस्त नजर आता था। कभी कभी वो स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उमर का तो पता ही नहीं चलता था।
मैं तो शुरू से ही पढ़़ने में बहुत होशियार था खास कर गणित तो मेरा फ़ेवरेट विषय था। मनोज गणित में बहुत कमजोर था तो वो मेरे साथ ही पढ़़ाई करता था। साथ में कोमल भी आकर पढ़़ाई करती थी।
अधिकतर पढ़़ाई तो रात को हमारे घर पर ही होती थी, क्योंकि उसके परिवार में काफ़ी सदस्य थे। इसलिये मनोज और कोमल रात को मेरे घर ही आ जाया करते थे। हम सभी काफ़ी देर तक पढ़़ाई करते रहते थे। एक साथ पढ़़ाई करने की वजह से मैं और कोमल काफ़ी घुल मिल गये थे और एक दूसरे के साथ फ़्री हो कर बातें भी करते थे। वैसे भी पड़ोस में रहने के कारण एक दूसरे के परिवार में मेरा काफ़ी आना जाना रहता था।
क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँमेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थी और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थी। कोमल भी मेरी तरफ़ बहुत ही आकर्षित थी और कई बार मम्मी से मजाक में कहा करती थी कि मेरा दूल्हा तो विक्की है ना। मैं तो विक्की से ही शादी करूंगी। मम्मी हंस देती थी। कोमल मुझसे भी कहती थी कि विक्की आज तो तू बड़ा स्मार्ट और सुन्दर लग रहा है, है ना बिल्कुल दूल्हे राजा जैसा। आजा मेरे साथ शादी करले और मैं जोर से हंस देता था।
मैं भी उसको पसन्द करता था और अनेकों बार रात में उसको ध्यान में रख कर जोर से हस्त मैथुन भी कर लेता था। मैं तो मन ही मन उसको चोदना चाहता था पर कहने से डरता था कि कहीं वो सुन कर बुरा ना मान जाये और मेरे साथ रात को पढ़़ना बन्द ना कर दे। बस वैसे ही दिन कट रहे थे। दशहरा आने वाला था, दशहरे की छुट्टियाँचल रही थी।
एक बार मनोज से मेरी कुछ कहा सुनी हो गई और बात यहां तक बढ गई कि उसकी और मेरी बोल चाल बन्द हो गई। लड़ाई के बाद मनोज रात को पढ़़ने भी नहीं आया, केवल कोमल ही आई। पर उसने कोमल को ये नहीं कहा कि मेरा उसका झगड़ा हो गया है, बल्कि कहा कि उसकी तबियत खराब है इसलिये वो रात को पढ़़ने नहीं जायेगा।
कोमल को उस रोज कुछ समझ नहीं आया लेकिन जब दूसरे दिन भी जाने मना कर दिया और कोमल को भी जाने से रोकने लगा तो उसका माथा ठनका और फिर कोमल ने कह दिया कि तू जाये या ना जाये वो तो विक्की के यहां ही पढ़़ाई करेगी। फिर वो मेरे घर आ गई। हम दोनो लगभग एक घन्टे पढ़़ते रहे, कोई एक दूसरे से कुछ नहीं बोला। हम दोनो ही आमने सामने बैठ कर पढ़़ रहे थे कि अचानक उसने आंखे उठा कर मेरी तरफ़ देखा।
‘क्या तेरे और मनोज की लड़ाई हुई है’
मैं चुप ही रहा और मेरी आंखो में पानी आ गया। इस पर वो उठ कर मेरे पास आ गई। मेरी दाईं तरफ़ बैठ कर अपने दोनो हाथों से मेरी कोहली भर ली और मेरा सर अपने सीने से लगा लिया, पहले तो मैं चौंक गया फिर मैं समझा कि मेरी आंखो में पानी आने के कारण वो मुझे दुलार रही है। मेरा सर उसकी बाईं चूंची के ऊपर रखा था। मैं उसकी नर्म चूंची का गुदगुदापन उसके कुरते के ऊपर से महसूस कर रहा था जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
पहले तो कुछ पल हम चुप बैठे रहे फिर वो बोली कि जब तुम एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते तो लड़ते क्यूं हो, वो भी तुम्हारे बिना तुम्हारी ही तरह उदास है। चिन्ता ना करो कल को मैं तुम्हारी बोलचाल फिर से करवा दूंगी। यह कहकर उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भींच लिया। फिर बोली चलो अब मुस्करा दो। जैसे ही उसने मुझे कस कर भींचा उसकी बाईं चूंची पर मेरा गाल आ गया। वो उसे दबाने लगी जिससे मेरा लण्ड बहुत तेजी के साथ सख्त हो कर फ़नफ़नाने लगा।
उन दिनों हालांकि थोड़ी सी गर्मी थी सो मैंने निकर और बनियान ही पहना हुआ था। जब मेरा लण्ड ऊपर नीचे होकर फ़ड़फ़ड़ाने लगा और वो निकर के ऊपर से ही उसकी जांघ या हल्का सा ऊपर उसको लग गया तो वो बोली कि तेरी जेब में क्या है जो मुझे चुभ रहा है। मैंने हंसते हुये कहा कि कुछ नहीं। लेकिन वो बोली कि कुछ तो जरूर है जो जेब में हिल रहा है, ला मैं भी देखूं। यह कह कर उसने मेरे लण्ड को निकर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब तो मैं भी सब कुछ समझ गया और मैंने भी जोश में आकर कोमल के होंठ के ऊपर अपने होंठ रख दिये और तेजी के साथ चूसने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ कोमल के मुंह में डालने की कोशिश करने लगा जिस पर उसने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में आने दिया। वो भी मेरी जीभ बड़े जोश के साथ चूसने लगी। हमारी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे में खोये हुये थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुये तो कोमल ने पूछा इधर अंकल या आण्टी तो नहीं आयेंगी।
मैंने कहा नहीं आयेंगी क्योंकि वो जानते है कि हम तीनों यहां पढ़़ाई कर रहे हैं और उन्हे मनोज के नहीं आने की बात मालूम नहीं है जो चिन्ता करे और दूसरे यह कि वो जल्दी सो जाते हैं। अब तक तो वो सो गये होंगे।
फिर भी कोमल बोली कि दरवाजे की कुण्डी लगा लो और मैंने कुण्डी लगा दी। अब वो एक दम से मुझसे लिपट गई और बोली कि विक्की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने भी कहा कि प्यार तो मैं भी करता हूं। पर तुम मेरे से 1-2 साल बड़ी हो इसलिये लगता है कि शादी नहीं हो पायेगी!
तो कोमल बोली कि हर प्यार की आखिरी मंजिल शादी नहीं होती है कई बार कुर्बानी भी देनी होती है। शादी नहीं होगी तो क्या हुआ हम एक दूसरे को प्यार तो कर सकते है ना। और ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिये और उन्हे चूसने लगी। हम दोनो खड़े हुये थे और एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुये थे। एक दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। कभी कोमल की जीभ मेरे मुंह में होती तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में होती।
अब उसने एक हाथ नीचे करके निकर के ऊपर से ही मेरा सख्त लण्ड पकड़ लिया था। वो उसे सहलाने लगी और बोली कि बहुत उछल कूद मचा रहा है। अब देखती हू इसमें कितना दम है।
अब मैंने भी अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना चालू कर दिया था। एक हाथ से मैं उसकी चूंची दबा रहा था तो दूसरे से मैं उसके गोल गोल नर्म चूतड़ो को दबा रहा था। सच में उसके चूतड़ बहुत ही गठीले थे। मेरे मेरे हाथ उसकी चूंचियों और चूतड़ों के गोलो को जोर से द्बा रहे थे और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी वो ऊऊओह्हह ऊऊओह्हह आआह्ह अह्ह हह्हह आआअय ययययिईईए स्ससीईईइ स्स स्सस्ससी ईई कर रही थी और ये सुन सुन कर मेरा लण्ड फ़टा जा रहा था। लगता था कि कुछ देर अगर यूं ही हाल रहा तो लण्ड मेरी निकर फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।
मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरते हुये ऊपर से ही उसकी गाण्ड में अंगुली कर दी, कोमल एक दम चीख पड़ी और बोली- ऐसा मत करो मुझे दर्द होता है।
मैंने कहा कोई बात नहीं मैं सिर्फ़ हल्के हल्के से करूंगा दर्द नहीं होगा। मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। हम दोनो थोड़ी देर तक यूं ही एक दूसरे का शरीर टटोलते रहे और चुम्बन लेते रहे। जब बरदाश्त करना मुश्किल हो गया तो हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये। कोमल बोली कि ओफ़्फ़ोह पहले लाईट तो बुझा दो तो मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं तुम्हारा शरीर रोशनी में देखना चाहता हूँ। वो बोली मुझे शरम आती है।
तो मैंने उसे कहा कि जिसने की शरम उसके फ़ूटे करम और जो भी कुछ हो मैं लाईट ऑफ़ नहीं करूंगा। रोशनी में हीं चोदूंगा। यह कह कर मैंने उसके कुर्ती के बटन खोलने शुरू कर दिये। बटन खोलने के बाद मैंने उसकी कुरती झटके से उतारनी शुरू कर दी। कोमल बोली कि कि क्या मेरे कपड़े उतारने का इरादा है, जरा आराम से उतारो ना। ये कह कर उसने अपने हाथ उठा कर उसे उतार दी।
अब उसने सिर्फ़ शमीज, उसके नीचे ब्रा, पजामा और पेन्टी पहनी हुई थी। मैं तो पहले ही बनियान और निकर में था। कोमल ने निकर में नीचे से हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली मैं जानती हू कि तुम्हारा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है, इसलिये शुरू में जरा आहिस्ता आहिस्ता करना। मैंने पूछा तुम्हे कैसे पता कि मेरा लण्ड लम्बा और मोटा है। तो बोली मैंने तुम्हे कई बार छिप कर तुम्हे लण्ड को पकड़ कर पेशाब करते हुये देखा है तो मैं हंस पड़ा।
फिर मैंने उसकी शमीज उतार दी। जोश के कारण उसकी शमीज फ़टते फ़टते बची। कोमल बोली कि कपड़े जरा आराम से उतारो ना, इस तरह बेसबर हो कर कपड़े ना फ़ाड़ो। मैंने हंसते हुये कहा कपड़े तो नहीं पर चूत जरूर फ़ाड़ने का इरादा है। वो भी चेलेन्ज देती हुई बोली कि देखते है कौन किसकी फ़ाड़ता है। यह कह कर उसने मेरी निकर उतार दी और मेरे तन्नाते हुये लण्ड को हल्के से दबा दबा कर सहलाने लगी। इधर मैंने भी उसका पजामा उतार दिया था और अब वो भी काली पेण्टी और ब्रा में खड़ी थी।
उसका दूधिया बदन ट्यूब लाईट में चांदी की तरह चमक रहा था। और अब मुझे अपने ऊपर संयम रखना मुश्किल होने लगा॥ मैंने उसका सारा बदन चाटना आरम्भ कर दिया और अपने हाथों से उसकी चूंचियाँऔर चूतड़ दबाता रहा। और कोमल आअह्ह्ह ऊऊओह्ह ऊऊह्ह्ह ह्हहा आआयईईए सस्सीईईइ करते हुये सिसकारी भरती रही।
अब मैंने उसको कहा कि मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर चूसो परन्तु उसने बिल्कुल मना कर दिया और कहा कि उसे लण्ड चूसने में बहुत घिन आती है मैंने उसे अपना लण्ड दिखाया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मेरा लण्ड ये देखो बिल्कुल साफ़ सुथरा है। मैं रोज नहाते समय और तुम्हारे आने के पहले इसे अच्छी तरह से सफ़ाई करता हूं फिर मैं भी तो तुम्हारी चूत मस्ती से चूसूंगा। इसमें बड़ा मजा आता है।
विक्की तुम तो बड़े एक्सपर्ट लगते हो लगता है कि पहले भी तुम कई लड़कियाँचोद चुके हो। मैंने सर हिलाते हुये मना किया और बताया कि ये मैंने पोन्दी [मस्त राम की सेक्स पुस्तक] में पढ़़ा है और ब्ल्यू फ़िल्मों में भी ऐसा दिखाया जाता है। फिर वो तैयार हो गई और बोली कि एक शर्त है तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में मत झाड़ना वर्ना मुझे उल्टी हो जायेगी और जैसे ही लण्ड झड़ने को आये तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में से फ़ौरन निकाल लेना। ये कह कर वो मेरा लण्ड चूसने लगी।
अभी तक मैंने उसकी चूंचिया। और चूतड़ ही दबा रहा था। वो बोली कि तुम भी मेरी चूत को चूसो।
अब मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी भी उतार दी। वाकई में उसकी चूंचियाँ बहुत बड़ी थी, मगर थी एक दम सुडौल, बिल्कुल दो छोटे से पहाड़ की तरह से तनी हुई, जिसके निपल एकदम सीधे कड़े और तने हुये थे, एक दम दूधिया रंग के थे। उसके निप्पले गुलाबी थी बिल्कुल वो अनार के दाने के बराबर मोटे थे। हम दोनो वहीं पर लेट गये और 69 की पोजीशन में आ गये। मैंने कोमल की चूत देखी तो मैंने कहा कि कोमल ये क्या है तुमने चूत के बाल क्यों बढा रखे है इन्हे शेव क्यों नहीं करती हो।
तो वह बोली कि मैं झाण्ट शेव तो करती हू लेकिन काफ़ी दिनो में, बात ये है कि मुझे रेजर से शेव करते हुये डर लगता है और फिर काफ़ी समय जो लगता है ना। इसलिये काफ़ी दिनों के बाद मैं शेव करती हूं। चलो आगे से मैं तुम्हारी झांटे शेव कर दिया करूंगा तो कोमल इस बात के लिये सहमत हो गई।
मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ फ़िराया तो वो गीली गीली सी लगी और हल्का सा पानी उसकी झांटो पर भी लगा हुआ था॥ पहले तो मैंने अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करनी चालू की तो वो तेजी के साथ आआअह्ह ऊओह्हह ऊऊहह आययईई आअयईई स्सस्ससीईई करने लगी और बोली कि बस अब चूसना शूरु करो ना।
मैंने भी उसकी चूत के होंठ खोल कर अपना मुंह उसकी गुलाबी चूत से लगा दिया और तेजी के साथ चाटने लगा। जैसे ही मैं उसकी चूत चाटने लगा वो अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह से सटाने लगी और कहने लगी कि ह्हह्हा अन्नन ह्हहाआ आन्नन्न ह्हाआआ स्सस्सश ह्हआ आबआअस शह्हह ऐसेय ही ह्हहाआ आअन्नन्न आईस्ससीई ययई ह्ह्हहीईई और अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और गाण्ड को ऊपर उछालने लगी।
अभी उसकी चूत को चाटते हुये पांच मिनट ही हुये होंगे कि वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि ह्हआन्नन्न ब्बाहहूउत आस्सछहआ लल्लाआह्ह आग्गग रर्रहाआ हहाआऐईइ मम्मीईर्रर्रा न्नीइकलने व्वाआल्लाअ है ऊययईईए म्ममी ईरर्रराआ न्ननीकआल्ल रर्रराआआ अहाआआ ह्हाआआ आआऐईई ल्लूऊऊओ मम्माऐईईन्न ज्ज्झ हह्हा रर्रआह्हीई ह्हूऊन और यह कहते हुये उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया और मैंने अपना मुंह एक दम हटा लिया।
इधर कोमल भी काफ़ी जोर शोर से मेरा लण्ड चूस रही थी। मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हू तो मैंने उसको बता दिया तो उसने भी फ़ौरन अपने मुंह से मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया। फिर अपने हाथ से ही चार पांच झटके मारे कि मेरा भी वीर्य भी निकल गया और इतने जोरो से निकला कि काफ़ी वीर्य उसकी टांगो और चूत के आस पास गिरने से उसे गीला कर दिया।
फिर हम दोनो साथ साथ उठ कर बाथरूम में गये और मैं वहां पेशाब करने लगा तो कोमल ने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया और सुपाड़े पर से चमड़ी हटा कर बोली कि अब पेशाब करो।
वो हाथ में पकड़े रही तो मेरा कुछ पेशाब उसके शरीर पर भी पड़ा। इसके बाद वो मेरे सामने उकड़ू बैठ गई और पेशाब करने लगी, तो मैंने भी अपनी अंगुलियों से उसकी चूत के होंठ फ़ैला दिये और कहा कि वो अब पेशाब करे। उसने भी बहुत मोटी धार के साथ पेशाब करना शुरू कर दिया, उसकी धार भी काफ़ी दूर तक जा रही थी।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे के शरीर को टॉवेल से साफ़ किया और बाहर आ गये। इस छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और कोमल भी गर्माने लगी थी। हम फिर से एक दूसरे को चूमने चाटने लग गये और कोमल मेरा लण्ड सहलाने लग गई। बीच बीच में वो मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी। फिर जल्दी ही एक बार और 69 की पोजीशन में आ गये और अब कोमल मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं कोमल की चूत को चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद कोमल बोली कि विक्की अब आ जाओ, मुझ पर चढ जाओ और मुझे चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।
ये सुन कर मैं उसकी दोनो टांगो के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे कि उसकी चूत थोड़ी सी और ऊपर को उठ गई। अब मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगा कर छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुंह से एक चीख निकल गई। आअयईई म्म्माआआरर ग्गयईए ववीइक्कयई म्मीएर्रर्रीईइ सह्हूऊओत प्पप्फहात ग्ग्गयई।
मैंने अपने होठो को कोमल के होंठो पर कस कर रख दिया ताकि वो फिर से ना चीख सके और बोला कोमल इस तरह से मत चीखो नहीं तो कोई उठ ज़ायेगा और हम पकड़े जायेंगे। वो बोली कि बहुत जोर से दर्द हो रहा है मैंने कहा कि पहली बार ऐसा ही होता है और बाद में बड़ा मज़ा आता है मैं यह कह कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और होंठ चूसने लगा।
इस तरह से उसको कुछ आराम सा मिला और बोली कि हां अब दर्द कुछ कम हो रहा है। मैं 4-5 मिनट यूं ही पड़ा रहा और उसकी चूचियाँचूसता रहा और दबाता रहा जिस से उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था और चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी। अब मैंने उसके होंठो को अपने होंठो में दबा कर एक बहुत ही जबरदस्त धक्का मारा और मेरा लण्ड लगभग 6-7 इन्च उसकी चूत में घुस गया और उसकी चीख घुट कर रह गई। मैं फिर रुक गया और उसकी चूची चूसने और दबाने लगा।
कोमल को अभी काफ़ी दर्द हो रहा था और वोह कह रही थी कि विक्की अपना लण्ड अब निकाल ले मेरी तो चूत फटी जा रही है। मैंने कहा कि बस थोड़ी देर बरदाश्त करो फिर तुम्हे मज़ा ही मज़ा मिलेगा और यह कह कर उसकी चूचियाँचूसने लगा और एक हाथ से मैं उसकी चूत का दाना भी मसलने लगा जिस से उसको कुछ मज़ा आया और वो बोली कि अब फिर से दर्द कुछ कम होने लगा है। यह सुन कर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शूरु कर दिये। अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब कोमल ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया था कि अचानक वो सारी की सारी तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।
अब कोमल की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था। बस मैंने कस कर एक धक्का और मारा और सारा का सारा लण्ड कोमल की चूत में घुस गया और फिर से उसके मुंह से एक चीख निकल गई। इस बार मैं उसके होंठो को अपने होंठो से दबाना भूल गया था सो मैंने फ़ौरन हाथ उसके होंठ पर रख दिया और चीख घुट कर रह गई। मैं 5-7 मिनट यूं ही उसके उपर पड़ा रहा और कभी उसकी चूचियाँ चूसता तो कभी होंठ चूसता या फिर हाथों को उसकी जांघो पर फेरता जिस से कि कोमल को कुछ आराम मिल सके। थोड़ी देर में उसका दर्द गायब हो गया और वो नीचे से उपर को गाण्ड उछालने लगी तो मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा आ रहा है इस लिये मैंने भी उसको आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने शुरु कर दिये।
जब मैं कुछ देर यू ही आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारता रहा तो कोमल एकदम से उत्तेजित हो कर बोली कि अब उसे मज़ा आ रहा है और अब जोर जोर से धक्के लगाओ। यह सुन कर मैंने अपने धक्को कि रफ़्तार बढानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं कोमल को तेजी के साथ चोदने लगा।
अब कोमल पूरा मज़ा ले रही थी और मुंह से बड़बड़ा रही थी हाय बड़ा मजा आ रहा है विक्की जोर से चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में हहाय …स्ससीईइ सस्सीईई ऊऊफ़्फ ऊफ़्फ़फ़्फ़ हहाआऐईई मैईइ आस्ससम्म आन्न मेन्नन ऊऊद्दद्ददीई ज्जाआ र्ररह्हहि ह्हूओन म्म्माआररी और यह कहते हुये कोमल ने अपनी कमर और गाण्ड को तेजी से हिलानी शुरू कर दी और स्सस्सीईई स्सस्ससीईई करते हुये झड़ गई।
मैं अभी तक जोर शोर के साथ धक्के मार रहा था। कमरे में फचा फच की आवाज आ रही थी और मैं धमाधम धक्के मारे जा रहा था। थोड़ी देर बाद कोमल फिर से स्सस्सीईइ स्सस्सीईइ स्ससीईईइ करते हुये झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था। मैं पूरा का पूरा पसीने पसीने हो गया लेकिन धक्के लगाता ही रहा। लग भग 20 -25 मिनट तक फ़ुल स्पीड से धक्के लगने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूं और मेरे मुंह से भी अनाप शनाप निकलने लगा कि हाय म्ममेर्ररि र्राअन्ननि म्ममीर्रराअ न्नीइकल्लने ययई व्वाआआलआ हैईई तो कोमल एक दम बोली कि अपना लण्ड बाहर निकाल लो इसे चूत के अन्दर नहीं झाड़ना है वरना गड़बड़ हो सकती है सो मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया और कोमल से कहा कि हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे पीछे करो तो उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाता रहा तो दूसरा हाथ उसके चूतड़ों और गाण्ड पर फेरने लगा। कभी-2 जोश के कारण मैं अपनी अंगुली उसकी गाण्ड में भी अन्दर करने लगा। कोमल तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ऊऊफ़्फ़ ऊऊफ़्फ़ ह्हाआऐई ह्हाआआऐई करता हुअ झड़ गया।
मैंने झड़ते-2 जोश में अपना मुंह उसकी चूचियों में जोर से दबा दिया और उसकी गाण्ड में अपनी पूरी अंगुली अन्दर कर दी तो वो चिल्ला पड़ी और बोली कि क्या मेरी चूचियों को ही काट खाओगे और यह कह कर मेरा सिर अपनी चूचियों में जोर से दबा लिया। हम कुछ देर यूं ही पड़े रहे और फिर उठे तो देखा कि कोमल की चूत से खून निकल आया था जो उसकी चूत और झाण्टों पर लगा था। खून को देख कर कोमल डर गई और बोली कि विक्की लगता है कि मेरी चूत फट गई है और अब क्या होगा।
तो मैंने समझाया कि डरने की कोई बात नहीं है सभी को पहली बार ऐसा ही होता है और यह कह कर मैंने एक रूमाल से उसकी चूत और झांटो से खून साफ़ कर दिया और उसके बाद हम दोनो उठ कर बाथरूम में गये जहां पर पहले तो कोमल ने मेरा लण्ड पकड़ कर मुझ को पेशाब कराया और फिर मैंने कोमल को अपने सामने उकड़ू बैठा कर अपनी अंगुलियों से उसकी चूत को चौड़ाया और पेशाब करने को कहा। जब वो पेशाब करने लगी तो पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी अंगुली करनी शूरु कर दी और वो पेशाब करती रही। फिर हम लोगो ने अपने-2 कपड़े पहने और कोमल को उसके घर छोड़ आया।
कोमल को छोड़ने से पहले यह वायदा लिया कि अगली बार हम दोनो इकट्ठे ही बगल के बाल और झांटे साथ साथ बनायेंगे जिससे उसने कबूल कर लिया। दोस्तों, यह एक घटना है और वो रूमाल जिस से मैंने कोमल कि चूत का खून सफ़ किया था आज भी मैंने सम्भाल कर रखा हुआ है। तो यह था मेरा चुदाई का दूसरा तज़ुरबा। अब आप पढ़़ कर फ़ैसला करे कि ये आपको कैसी लगी। आप अपने कमेण्ट्स मुझे ई मैल अवश्य करे।
अखिर में मैं एक बात और कहूंगा कि मैंने बहुत सी लड़कियों की चूत चोदी है और उन्होंने भी बड़े मजे ले कर चुदवाई भी करवाई है परन्तु आज तक किसी लड़की ने अपनी गाण्ड नहीं मरवाई है। मेरी बहुत ही इच्छा है कि मैं किसी लड़की की गाण्ड मारूं पर कोई भी तैयार नहीं होती है और कहती है कि बहुत दर्द होता है। हमें गाण्ड नहीं मरवानी है। एक बार तो मैंने ही एक कॉल गर्ल बुलवाई और उससे कहा कि मैं उसकी गाण्ड मारना चाहता हूं और 5000 रुपये तय रात से अधिक दूंगा सिर्फ़ गाण्ड मारने के लिये। तो वो राजी नहीं हुई। पर जब मैंने उसे 5000 का लालच और दिया तो वो तैयार हो गई और गाण्ड मरवाने के लिये झुक गई।
जैसे ही मैंने गान्ड पर थूक लगाया और लण्ड को उसकी गाण्ड पर रख कर धक्का लगाया तो लण्ड उसकी गाण्ड में घुसते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि हाय मैं मर गई। मेरी तो गाण्ड ही फ़ट गई। मुझे नहीं मरवानी अपनी गाण्ड मुझे नहीं चाहिये तुम्हारे 5000 रुपये अगर चूत चोदनी है तो चोद लो मगर मैं गाण्ड नहीं मरवाऊंगी।
लेकिन जब मैं अन्तर्वासना पर गाण्ड मराने की कहनियाँ पढ़़ता हूं तो देखता हू कि लड़कियाँ और औरते बड़ी खुशी से गाण्ड मरवाना पसन्द करती हैं और गाण्ड मरवा कर पूरा मज़ा लेती है। ऐसे ही आज तक किसी भी लड़की या औरत ने मेरा लण्ड तो जरूर चूसा है पर उसका वीर्य किसी ने भी नहीं पिया और तो और मुंह में भी नहीं झड़वाया और झड़ने से पहले ही लण्ड को अपने मुंह से बाहर कर दिया।, जब कि कहानियों में लड़कियाँ और औरते लण्ड चूसती हुई झड़ने पर बड़े स्वाद के साथ वीर्य को पी जाती हैं और उन्हे कतई घिन नहीं आती है।
डेल्ही गर्ल सेक्स कहानी उन दिनों की है, जब मैं 12वीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए पंजाब के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवा चुका था.
हमारे घर के सामने भी हमने एक घर ले रखा है जो हम किराए पर दे देते थे.
उस समय उस घर में दिल्ली से एक बैंक मैनेजर और उनकी पत्नी अपनी दो बेटियों बड़ी तनु और छोटी शिल्पा के साथ रहने के लिए आए.
उनका तबादला हमारे शहर में हुआ था.
वे हमारे घर में अपने परिवार के साथ रहने लगे.
मैनेजर साहब को मैं अंकल और उनकी पत्नी को आंटी कहता था.
अंकल एक साधारण व्यक्तित्व के मालिक और अच्छे स्वभाव के आदमी थे और उनकी पत्नी रीना आंटी बहुत ही गोरी-चिट्टी और मिलनसार महिला थीं.
उनकी बड़ी बेटी तनु देखने में बिल्कुल फिल्म स्टार प्रियंका चोपड़ा की तरह दिखती थी.
तनु ने हमारे ही शहर के एक कॉलेज में बीए के प्रथम वर्ष में दाखिला लिया था.
पड़ोसी होने के नाते हमारा उनके घर में अक्सर आना-जाना रहता था और आंटी भी बेझिझक घर के कामों के लिए मुझे बोल दिया करती थीं.
वैसे तो तनु के बारे में मैंने कभी भी गलत नहीं सोचा था.
लेकिन एक दिन मैं वैसे ही उसके घर में गया.
तब तनु नहा कर निकली थी और गीले बालों में बहुत खूबसूरत लग रही थी.
उसको यूं देखकर मेरे मन में तनु को चोदने के ख्याल आने शुरू हो गए.
उसी दिन से ही मैं तनु को पटाने के तरीके खोजने लगा और उसको अपनी कल्पनाओं में नंगी करके मुठ मारने लगा.
अब मैं जानबूझकर उनके घर ज्यादा आने जाने लगा और हंसी मजाक में तनु से खुलने की कोशिश करने लगा लेकिन कोई भी बात आगे बढ़ ही नहीं रही थी.
तनु भी जवानी की दहलीज पर थी और मेरी हरकतों को बखूबी समझ रही थी परंतु उसने कभी भी मुझसे अपने दिल की बात जाहिर करने की कोशिश नहीं की.
एक दिन मैंने सोचा कि आज जो हो जाए, तनु से बात करके ही रहूंगा.
यही सोच कर मैं तनु के घर चला गया.
आंटी किचन में काम कर रही थीं और शिल्पा अभी अपनी ट्यूशन से वापस नहीं आई थी इसलिए मुझे और तनु को कुछ समय अकेले बैठने का मिल गया.
मैं हिम्मत जुटाकर धीमी आवाज में बोला- तनु, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी!
तनु खिलखिला कर हंसी- बुद्धू, इतने दिन लगा दिए इस बात को कहने में! मैं तुम्हें शुरू से ही पसंद करती हूं.
बस उसी दिन से हम लोगों का छुप-छुपकर छत पर मिलना और लंबी लंबी बातें करना शुरू हो गया.
शुरू शुरू में तो हम दोनों अपनी लाइफ की और कॉलेज की बातें ही शेयर किया करते थे लेकिन धीरे-धीरे टॉपिक सेक्स पर भी आना शुरू हो गया.
थोड़ा बहुत चूमा चाटी और एक दूसरे पर हाथ फेरना शुरू हो गया.
हम दोनों के बीच सेक्स करने की कामना बलवती होने लगी थी. बस एकांत नहीं मिल पा रहा था.
किस्मत से कुछ ही दिनों में उसकी नानी जी की मौत हो गई जिसमें तनु के मम्मी पापा, शिल्पा के साथ दिल्ली चले गए.
तनु कॉलेज का बहाना बनाकर घर पर ही रुक गई.
चूंकि उनका घर भी हमारे साथ वाला ही था इसलिए मुझे रात को छिपकर उनके घर जाने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी.
हमने रात का समय तय किया और अपने अपने घर में अपने रूटीन के कामों में लग गए.
हम दोनों ही बेसब्री से रात का इंतजार करने लगे.
मैं रात को 10:30 बजे छिपकर दीवार फांद कर उनके घर चला गया.
उधर वह मेरे आने का इंतजार कर रही थी.
वह टी-शर्ट और कैपरी पहन कर बालों की पोनीटेल किए हुए बहुत ही ज्यादा प्यारी लग रही थी.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
वह भी शर्माती हुई थोड़ा थोड़ा साथ दे रही थी.
मैं- तनु, अगर तुम मेरा साथ दोगी तो तुम्हारे यह पल यादगार बन जाएंगे और तुम बहुत एंजॉय करोगी.
तनु- मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी. लेकिन मैंने सुना है किस फर्स्ट टाइम सेक्स करने पर काफी दर्द होता है और खून भी बहुत निकलता है.
मैं- थोड़ा दर्द तो तुम्हें बर्दाश्त करना पड़ेगा लेकिन यह मेरा वादा है कि तुम्हें मजा भी बहुत ज्यादा आएगा.
दोबारा से स्मूच करते हुए मैंने उसकी टी-शर्ट को उतार दिया.
पिंक कलर की ब्रा और काली कैपरी में खड़ी वह ऊपर वाले की खास तौर से तराशी हुई मूर्ति लग रही थी.
तनु- विवेक, प्लीज लाइट बंद कर दो, मुझे बहुत शर्म आ रही है.
मैं- तुम इन पलों का पूरी तरह से आनन्द उठाओ और मुझसे क्या शर्माना?
उसके होंठों से उसके कान की लौ चूमते हुए धीरे धीरे मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा, जिससे वह बड़ी मीठी आवाज में सिसकारियां लेने लगी.
मैंने उसे प्यार से बेड पर बिठाया और उसकी कैपरी उतार दी और उसको मैचिंग ब्रा पैंटी में देखकर मेरा लंड फटने को हो रहा था.
वह देखने से भी साक्षात काम की देवी लग रही थी.
मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके खूबसूरत चूचों पर टूट पड़ा.
एक को मुँह में ले लिया और दूसरे को दबाना शुरू कर दिया.
मैं काफी देर तक बारी बारी से उसकी चूचियों को चूसता और दबाता रहा जिससे उसकी हालत भी काफी खराब हो रही थी और वह बेड पर दोनों तरफ अपना सिर घुमा रही थी.
चूचियों से नीचे आते हुए मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल कर चूसना शुरू किया.
उसकी सिसकारियां काफी तेज हो गईं और वह मेरे बाल नोंचने लगी.
मैंने उसकी बगलों को देखा तो उसकी एक कांख में अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
इससे उसे काफी गुदगुदी हो रही थी और मजा भी आ रहा था.
वह खिलखिलाने लगी थी.
फिर मैंने नीचे आकर देखा कि उसकी पैंटी योनि रस से काफी गीली हो चुकी थी और मादक सुगंध आ रही थी.
धीरे-धीरे मैंने प्यार से उसकी पैंटी उतारनी शुरू की जिसमें उसने अपनी गांड उठा कर सहयोग किया.
उसकी छोटे-छोटे रोंए जैसे सुनहरी बालों वाली बुर देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया.
बुर के आपस में चिपके हुए होंठ और उस पर बुर रस की हल्की हल्की बूंदें उसकी बुर को बहुत खूबसूरत बना रही थीं.
मैंने उसकी जांघों के अन्दर के हिस्सों पर चूमना शुरू किया और धीरे-धीरे उसकी बुर की तरफ बढ़ना शुरू किया.
जैसे ही मैंने अपनी जीभ की नोक से उसकी भग्नासा को छुआ.
उसने लंबी आह भरी और खुद ही अपनी चूचियों को मसलने लगी.
ऐसी सील बंद बुर को चाटने का एक अलग ही मजा होता है.
उसमें से निकल रहा रस आपके कामुक भाव को कई गुणा बढ़ा देता है.
मैं भी जैसे-जैसे उसकी बुर चाट रहा था, वैसे वैसे मेरा सेक्स का नशा और बढ़ता जा रहा था.
जैसे ही तनु झड़ने के करीब हुई तो मैंने चाटना छोड़ दिया क्योंकि उसे मैं बहुत ज्यादा गर्म कर लेना चाहता था.
उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उसकी टाइट बुर को अपनी एक उंगली से चोदना शुरू किया.
उसकी बुर इतनी टाइट थी कि एक उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.
लेकिन थोड़ी देर लगातार चलाने से मेरी एक उंगली आराम से उसकी बुर के अन्दर जानी शुरू हो गई और उसे मजा भी आना शुरू हो गया.
ऐसे करते-करते धीरे-धीरे मैंने दो उंगलियों से उसकी बुर को थोड़ा ढीला किया और लंड के लिए रास्ता बनाना शुरू किया.
इतनी देर से मेरा 6.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड फटने को हो गया और उसकी नसें भी काफी उभर कर बाहर आ गईं.
फिर मैंने जमीन पर कंबल बिछाकर तनु को कंबल पर दो तकिया लेकर लेटने के लिए कहा.
ऐसा मैंने इसलिए किया क्योंकि जब भी हम किसी सील बंद और कुंवारी लड़की के साथ पहली बार सेक्स करते हैं तो बेड पर गद्दे पर लड़की को पीछे खिसकने की जगह मिल जाती है. जिससे थोड़ा अन्दर गया लंड बाहर आ जाता है और लड़की दोबारा डलवाने से घबराती है.
मैंने तनु को कंबल पर लेटाया और उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखा, जिससे उसकी बुर का मुँह ऊपर की तरफ हो गया.
इस तरह से लेटने से सेक्स करने में आसानी रहती है.
उसकी दोनों टांगों के बीच बैठकर मैंने अपना लंड उसकी बुर की फांकों के साथ घिसना शुरू किया जिससे उसकी बुर से पानी बहना शुरू हो गया और वह सेक्स करने के लिए मानसिक रूप से भी तैयार हो गई.
मैंने उसकी बुर और अपने लंड पर काफी सारा थूक लगाया और धीरे-धीरे लंड का सुपारा उसकी बुर में घुसा दिया.
मैं- तनु तुम ठीक हो … तुम्हें ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा?
तनु- मैं ठीक हूं क्योंकि मुझे लग रहा है कि तुमने जैसे उंगलियों से रगड़ रगड़ के मेरी बुर को सुन्न ही कर दिया है.
उसके साथ बातें करते करते मैंने अपने लंड पर दबाव बनाना जारी रखा.
लगभग डेढ़ इंच तक मेरा लंड उसके बुर में घुस चुका था.
दर्द तनु के चेहरे पर नजर आ रहा था लेकिन वह दर्द बर्दाश्त करती हुई मुझे सहयोग दे रही थी.
आगे बढ़ने से पहले मैंने धीरे धीरे उसकी एक चूची को पीना और दूसरी को सहलाना शुरू किया.
फिर जैसे ही मुझे लगा कि इसका दर्द अब कम है, तो मैंने पूरा दबाव बनाते हुए एक झटके से पूरा लंड उसकी बुर में उतार दिया.
पूरा लंड अन्दर जाते ही तनु की आंखें फैल गईं और वह दर्द से छटपटाने लगी.
मैंने उसकी एक चूची को मुँह में भर लिया और दूसरी को मसलने लगा.
दूसरे हाथ से उसकी कमर और टांगों को सहलाता रहा.
थोड़ी देर प्यार से सहलाने और चूचियों को मसलने के बाद वह सामान्य होना शुरू हो गई और नीचे से धीरे धीरे अपनी गांड हिलाने लगी.
मेरे पूछने पर तनु ने बताया कि उसे अभी काफी दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- थोड़ी देर में यह दर्द भी हो जाएगा. अब दर्द वाला काम लगभग खत्म हो चुका है.
उसने कहा कि तुम एक बार बाहर निकाल लो, मैं दोबारा करने से मना नहीं करूंगी.
मुझे उसकी इसी बात पर काफी प्यार आया और मैंने अपना लंड उसकी बुर से बिल्कुल बाहर निकाल दिया.
लंड के बाहर निकालते ही उसकी बुर से थोड़ा-थोड़ा खून आना शुरू हो गया.
खून देखकर वह जरा घबरा गई.
पर जब मैंने उसे समझाया कि यह बिल्कुल सामान्य है. अब तुम कैसा महसूस कर रही हो!
खून के बाद उसकी बुर से सफेद पानी निकलना शुरू हुआ तो उसने कहा- अब मैं काफी हल्का महसूस कर रही हूं. अब तुम दोबारा शुरू कर सकते हो.
दोबारा शुरू करने के बाद भी मैंने तेज तेज धक्के मारने शुरू नहीं किए क्योंकि मैं चाहता था कि तनु पूरी तरह से सामान्य हो जाए और अपने फर्स्ट सेक्स का भरपूर मजा ले.
तनु- अब खुश हो, कर लिया किला फतह?
मैं- ऐसा कुछ नहीं है हम दोनों ही अभी गैर तजुर्बेकार हैं. इसीलिए मैं चाहता था कि यह फर्स्ट टाइम सेक्स हम दोनों के लिए एक अच्छी यादगार बने.
मैंने तनु को अभी तक यही बताया था कि मैंने जिंदगी में कभी सेक्स नहीं किया है. फर्स्ट टाइम तुम्हारे साथ ही करूंगा.
जबकि मैं पहले भी कई लड़कियों के साथ सेक्स कर चुका था.
इसके बाद मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए.
जिससे उसे भी मजा आना शुरू हुआ.
उसकी बुर से मेरे लंड के साथ थोड़ा थोड़ा खून और पानी बाहर की तरफ आना शुरू हो गया जो उसकी गांड को भिगोता हुआ कंबल तक जा रहा था.
तनु की बुर मैं अब मेरे लंड की जगह बन गई थी इसलिए अब मैंने जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए.
धक्के तेज महसूस होते ही तनु ने मेरे पेट पर हाथ लगाकर मुझे थोड़ा धीरे धक्के मारने के लिए कहा.
ऐसे ही थोड़ी देर धक्के मारने के बाद मैंने तनु से पोजीशन चेंज करके ऊपर आने के लिए कहा.
‘जान लंड की सवारी करना चाहोगी?’
जवाब में तनु ने कहा कि अब से मैं तुम्हारी हूँ … तुम जो चाहोगे, मैं वही करूंगी.
मैं नीचे लेट गया.
डेल्ही गर्ल सेक्स करने के लिए मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर में डाल कर मेरे ऊपर बैठ गई और धीरे धीरे धक्के मारने लगी.
उस पर मैंने भी नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.
दोहरे धक्के लगने की वजह से तनु 2 मिनट में ही लंबी सिसकारी लेते हुए झड़ गई और बुर में लंड फंसाए हुई ही मेरे सीने पर अपना सर रख कर लेट गई.
थोड़ी देर बाद अपनी सांसों को काबू करती हुई वह उठी और अपने बिखरे बालों को ठीक करती हुई मेरी आंखों में देखकर मुस्कुराने लगी.
मुझे उसके चेहरे पर उस समय एक अलग ही संतुष्टि और ताजगी नजर आ रही थी.
मैं- तुम्हारा तो हो गया है … अब आगे क्या करना है!
तनु- तुम जैसा ठीक समझो, वैसे कर लो.
फिर मैंने तनु को डॉगी पोजिशन में आने को कहा और पीछे से उसकी बुर में लंड ठोक कर तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए.
शुरू शुरू में तनु को दर्द हो रहा था लेकिन बाद में उसे भी मजा आना शुरू हो गया.
धक्के लगाते हुए मैं उसके गोरे चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रहा था जिससे मुझे काफी मजा आ रहा था.
तनु ने कहा- जमीन पर इस पोजीशन में मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है. अब बाकी का काम बेड पर कर लेते हैं.
मैंने उसे बेड के किनारे पर घोड़ी बनने को कहा और खुद जमीन पर खड़े खड़े उसकी बुर में लंड डाल दिया.
हम काफी देर से सेक्स कर रहे थे जिससे तनु भी काफी थक चुकी थी और मैं भी थक चुका था.
इसलिए मैंने तेज तेज धक्के लगाते हुए अपना माल उसकी गांड के ऊपर छोड़ दिया और हम दोनों बेड पर एक दूसरे के साथ चिपक कर लेट गए.
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