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मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई चूत थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.
आज मैं आपको अपना Sex Stories असली xxxi अनुभव सुनाने जा रहा हूँ उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आयेगा।
मेरा नाम रोहित है और मेरठ में रहता हूँ। यह जून के शुरू की बात है। तब मेरी परीक्षाएँ ख़त्म हो चुकी थी। मेरी इंग्लिश की मैडम बहुत सेक्सी हैं, उनका नाम शगुफ्ता है। वे अट्ठाईस वर्ष की हैं। उनका कद सवा पाँच फ़ीट, कसा शरीर है, उनकी चूचियाँ बहुत बढ़िया हैं और वो कपड़े भी ऐसे पहनती कि उसके जिस्म का कुछ हिस्सा नज़र आता, क्लास में आती उसके चुचूक खड़े होते थे। कसी कमीज़ पहनती और ब्रा भी कसी, तो चुचूक खड़े होने की वजह अपने निशान उस पर बना लेते। फिर पढ़ाई तो भाड़ ही में जानी थी। मैं रोज़ ख्यालों में उसके साथ प्यार करता।
खैर मैं इंग्लिश पेपर लेकर उसके घर पेपर पर विचार-विमर्श करने गया। कितनी खूबसूरत लग रही थी शलवार-कमीज़ में। उसकी कमीज़ थोड़ी छोटी थी। उनके घर में इतना शोर नहीं था। लगता था जैसे कोई भी न हो। उनके पति आर्मी में हैं, वो शायद कहीं गए हुए हों।
उन्होंने मुझ से कहा- मैं किताब लाती हूँ फिर देखते हैं कि तुम्हारा पेपर कैसा हुआ।
उन्होंने मुझे अपने कमरे से आवाज़ दी और कहा- यहाँ आ जाओ।
मैं चला गया।
किताब ऊपर वाली शेल्फ़ पर पड़ी थी कमरे में। उफ़ क्या सीन था- मैडम किताब को लेने के लिए ऊपर होतीं और उनकी शर्ट भी ऊँची हो जाती, उनकी कमर नज़र आती। मेरा तो उसी वक़्त खड़ा हो गया। मैं उनके पास गया और मैंने मजाक करते हुए कहा- मैडम, मैं आप को उठाता हूँ, आप किताब उतार लें।
और जो उत्तर मुझे मिला उसकी मुझे बिल्कुल भी आशा नहीं थी।
उन्होंने कहा- हाँ! ठीक है! मुझे तुम ऊपर उठाओ।
मैंने जल्दी में जवाब दिया- जी मैडम!
उन्होंने कहा- ठीक है आज मैं तुम्हारा जोर देखूं!
मैं तो चाहता ही यह था। मैं मान गया।
मैडम काफ़ी भारी थी मगर मैंने उन्हें उठा ही लिया। उनकी गांड मेरी पेट से लग रही थी, वो अभी किताब को ऊपर ढूंढ रही थी कि मुझसे पूछने लगी कि थके तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं!
मैंने उसे थोड़ा सा नीचे किया और उसकी गांड अब मेरे खड़े हुए लंड के साथ लगने लगी। उसने कुछ भी नहीं कहा। इससे लग रहा था कि मेरी बरसों की खवाहिश पूरी होने जा रही है।
मैंने पूछा- मैडम, किताब मिली या नहीं?
उसने कहा- सबर करो!
मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उनकी कमीज़ के नीचे ले जाना शुरू किया। उनको लगा कि मैं थक गया हूँ और वो फिसल रही हैं।
खैर मैडम को लगने लगा कि मेरा लंड तो बस मेरी चड्डी फाड़ने लगा था।
उन्होंने फ़ौरन मुझे कहा- तुम मुझे उतार दो!
मैंने उन्हें जल्दी उसे उतार दिया। उफ्फ्फ! उनके खड़े चुचूक देखकर मेरे अन्दर करंट आ रहा था।
उन्होंने कहा- किताब नहीं मिल रही! मैं तुम्हारे लिए कुछ पीने को लाती हूँ! फिर ऐसे ही पेपर देख लेंगे।
मैं कहा- ओ के!
वो किचन में चली गई। मैं अब कमरे में अकेला था। मैंने अपने लंड को जल्दी हाथ लगाया और दबाया ताकि जल्दी ही मुठ निकले और मुझसे मैडम के साथ कोई ग़लती न हो जाये।
मैं अभी अपना लण्ड दबा ही रहा था कि मैडम शरबत लेकर आई। वो कब रसोई से निकली, कुछ पता नहीं चला।
उन्होंने मुझे लंड दबाते देख लिया, मैंने जल्दी अपने लंड पर से हाथ उठा लिया। किसी हद तक मैं भी चाहता था कि मैडम मुझे देखे।
वो एकदम से डर गई। मैडम ने मुस्कुराते हुए पूछा- यह क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- कुछ नहीं!
वैसे मैं भी कुछ खिसिया गया था। मैंने शरबत लिया और वो दरवाज़े की तरफ बढ़ी और दरवाज़ा बंद कर दिया।
मैंने हैरान होकर उन्हें देखा, उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरे पास आ कर बैठ गई। वो इतना पास बैठी कि मैं दूर नहीं हो सकता था। मैंने उनकी आँखों में देखा तो ऐसे लग रहा था कि अब वो सेक्स की तलाश में हैं। मैंने उनको छूना चाहा लेकिन डर रहा था।
उसके बाद उन्होंने मुझसे पेपर लिया और फेंक दिया और पूछा- तुमने पहले कभी किया है?
मैंने पूछा- क्या?
उन्होंने कहा- अंजान मत बनो!
मैं दिल ही दिल में खुश हुआ और उन्हें जवाब दिया- जी हाँ! एक बार!
उन्होंने पूछा- x, xx या xxxi
मैंने जानबूझ कर उनसे पूछा- इनका मतलब क्या है?
उन्होंने कहा- सिर्फ चूमा-चाटी, मसलना-रगड़ना या सब-कुछ?
मैंने फ़ौरन जवाब दिया- जी मैडम!
मुझसे बिल्कुल भी कण्ट्रोल न हुआ और मैंने उन्हें जल्दी से दोनों हाथों से पकड़ा और सोफे पर लिटा दिया और अधीर हो कर होंठों को चूमने लगा। उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और मैं गर्म हो गया। फ़िर फ्रेंच किस भी की। मेरा लण्ड तो पूरा सख्त हो गया।
उन्होंने मेरे मुँह पर बहुत चुम्बन लिए। उनके मम्मे तो शर्ट में भी थोड़े थोड़े नज़र आ रहे थे। वो भी गरम हो गए और मेरी चूमा-चाटी उन्हें और गरम करती गई। उन्होंने सोफा सख्ती से पकड़ लिया और मुझे करने दिया जो मैं करना चाहता था। मैंने उनकी शर्ट उतारी और अपनी भी। वो इतनी गरम हो चुकी थी कि लाल हो रही थी। मैंने उनकी सलवार उतारी और उनके बड़े बड़े चूतड़ों को दबाने लगा।
मेरा लंड भी गरम था और उसकी चूत भी गरम थी। बस मैंने उसकी ब्रा पीछे से खोली और उतार कर फेंक दी, मैडम के चुचे जैसे आजाद हो गए हों और ज्यादा खड़े हो गए। मैंने उनके चूचों को बहुत ज्यादा दबाया और चूसा। उफ्फ्फ! वे इतने स्वादिष्ट थे।
मैंने शर्ट-पैंट पहनी हुई थी। मैंने अपनी पैंट उतारी और अंडरवियर भी! और कहा- मैडम! प्लीज़ उल्टी हो जाएँ।
उन्होंने मुझसे कहा- चोदोगे मुझे?
मैंने कहा- अब कण्ट्रोल नहीं होता।
उनके मम्मे सोफे पर दब गए और मैं और अपना धैर्य खोते हुए मैडम की कमर पर चूमने लगा, उनकी कमर पर हाथ फेरा, उन्हें मजा आया। मैं उनकी कमर पर लेट गया और मेरा लंड उनकी योनि से छू गया। फ़िर सीधा करके उनके चुचूकों को चूसना शुरू किया और पैरों को ऊपर की ओर कर दिया और अपना लंड उनकी चूत में डाला।
क्या तंग योनि था। फिर भी मैंने आसानी से अंदर किया, थोड़ा गया और उन्हें मजा आया। वो आह ऽऽ.. ओह ऽऽ.. औरऽऽ और ऽऽ जैसी आवाजें निकाल रही थी। मैंने और जोर लगाया और पूरा लंड अन्दर डाल दिया, वो चीखी लेकिन उन्होंने मुझे नहीं रोका। मैंने अब अंदर-बाहर, अंदर-बाहर करना शुरू किया।
मैंने उन्हें 20-25 मिनट चोदा, मेरा वीर्य निकल आया और मैडम का भी .. उफ्फ्फ्फ़ क्या दिन था । मैंने सोचा भी न था।
मैडम ने मुझे कहा- अब तुम चूचों के बीच में डालो!
अपना लंड मैंने चूचों के बीच में रख कर आगे-पीछे किया। मुझे बहुत मजा आया। मैंने उनके पूरे जिस्म पर चूमा-चाटी की और फिर कपड़े पहने।
फ़िर एक जोरदार चुम्मा लेकर पूछा- मैडम आप चाहती हैं कि मैं फिर आऊँ?
मैडम ने कहा- हाँ! मुझे अपना फोन नंबर दो! जब घर पे कोई नहीं होगा तो तुम्हें बुलाऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है ।
मगर उन्होंने यह भी कहा- तुम मुझे फोन नहीं करोगे!
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने अपना मोबाइल नंबर दिया।
अब तक मैं उनके साथ तीन दफा कर चुका हूँ।
आपको मेरी xxxi कहानी पसंद आई या नहीं… बताना ज़रूर! Sex Stories
यह कहानी मुझे श्री Antarvasna Stories मुकेश श्रीवास्तव ने भेजी है जिसे उन्होंने मुझे कहानी के रूप में लिखने की विनती की है। जरा सुने तो कि श्रीवास्तव जी क्या कह रहे हैं!
भाभी, भैया और मैं मुम्बई में रहते थे। मैं उस समय पढ़ता था। भैया अपने बिजनेस में मस्त रहते थे और खूब कमाते थे। मुझे तब जवानी चढ़ी ही थी, मुझ तो सारी दुनिया ही रंगीली नजर आती थी। जरा जरा सी बात पर लण्ड खड़ा हो जाता था। छुप छुप कर इन्टरनेट पर नंगी तस्वीरे देखता था और अश्लील पुस्तकें पढ़ कर मुठ मारता था। घर में बस भाभी ही थी, जिन्हें आजकल मैं बड़ी वासना भरी नजर से देखता था। उनके शरीर को अपनी गंदी नजर से निहारता था, भले ही वो मेरी भाभी क्यो ना हो, साली लगती तो एक नम्बर की चुद्दक्कड़ थी।
क्या मस्त जवान थी, बड़ी-बड़ी हिलती हुई चूंचियाँ! मुझे लगता था जैसे मेरे लिये ही हिल रही हों। उसके मटकते हुये सुन्दर कसे हुये गोल चूतड़ मेरा लण्ड एक पल में खड़ा कर देते थे।
जी हाँ… ये सब मन की बातें हैं… वैसे दिल से मैं बहुत बडा गाण्डू हूँ… भाभी सामने हों तो मेरी नजरें भी नहीं उठती हैं। बस उन्हें देख कर चूतियों की तरह लण्ड पकड़ कर मुठ मार लेता था। ना… चूतिया तो नहीं पर शायद इसे शर्म या बड़ों की इज्जत करना भी कहते हों।
एक रात को मैं इन्टर्नेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरें देख कर लेटा हुआ लण्ड को दबा रहा था। मुझे इसी में आनन्द आ रहा था। मुझे अचानक लगा कि दरवाजे से कोई झांक रहा है… मैं तुरन्त उठ बैठा, मैंने चैन की सांस ली।
भाभी थी…
‘भैया, चाय पियेगा क्या…’ भाभी ने दरवाजे से ही पूछा।
‘अभी रात को दस बजे…?’
‘तेरे भैया के लिये बना रही हूँ… अभी आये हैं ना…’
‘अच्छा बना दो…!’
भाभी मुस्कराई और चली गई। मुझे अब शक हो गया कि कहीं भाभी ने देख तो नहीं लिया। फिर सोचा कि मुस्करा कर गई है तो फिर ठीक है… कोई सीरियस बात नहीं है।
कुछ ही देर में भाभी चाय लेकर आ गई और सामने बैठ गईं।
‘इन्टरनेट देख लिया… मजा आया…?’ भाभी ने कुरेदा।
मैं उछल पड़ा, तो भाभी को सब पता है, तो फिर मुठ मारने भी पता होगा।
‘हाँ अ… अह्ह्ह हाँ भाभी, पर आप…?’
‘बस चुप हो जा… चाय पी…’ मैं बेचैन सा हो गया था कि अब क्या करूँ । सच पूछो तो मेरी गाण्ड फ़टने लगी थी, कहीं भैया को ना कह दें।
‘भाभी, भैया को ना कहना कुछ भी…!’
‘क्या नहीं कहना… वो बिस्तर वाली बात… चल चाय तो खत्म कर, तेरे भैया मेरी राह देख रहे होंगे!’
खिलखिला कर हंसते हुए उन्होंने अपने हाथ उठा अंगड़ाई ली तो मेरे दिल में कई तीर एक साथ चल गये।
‘साला डरपोक… बुद्धू…! ‘ उसने मुझे ताना मारा… तो मैं और उलझ गया। वो चाय का प्याला ले कर चली गई। दरवाजा बंद करते हुये बोली- अब फिर इन्टर्नेट चालू कर लो… गुड नाईट…!’
मेरे चेहरे पर पसीना छलक आया… यह तो पक्का है कि भाभी कुछ जानती हैं।
दूसरे दिन मैं दिन को कॉलेज से आया और खाना खा कर बिस्तर पर लेट गया। आज भाभी के तेवर ठीक नहीं लग रहे थे। बिना ब्रा का ब्लाऊज, शायद पैंटी भी नहीं पहनी थी। कपड़े भी अस्त-व्यस्त से पहन रखे थे। खाना परोसते समय उनके झूलते हुये स्तन कयामत ढा रहे थे। पेटीकोट से भी उनके अन्दर के चूतड़ और दूसरे अंग झलक रहे थे। यही सोच सोच कर मेरा लण्ड तना रहा था और मैं उसे दबा दबा कर नीचे बैठा रहा था। पर जितना दबाता था वो उतना ही फ़ुफ़कार उठता था। मैंने सिर्फ़ एक ढीली सी, छोटी सी चड्डी पहन रखी थी। मेरी इसी हालत में भाभी ने कमरे में प्रवेश किया, मैं हड़बड़ा उठा। वो मुस्कराते हुये सीधे मेरे बिस्तर के पास आ गई और मेरे पास में बैठ गई। और मेरा हाथ लण्ड से हटा दिया।
उस बेचारे क्या कसूर… कड़क तो था ही, हाथ हटते ही वो तो तन्ना कर खड़ा हो गया।
‘साला, मादरचोद तू तो हरामी है एक नम्बर का…’ भाभी ने मुझे गालियाँ दी।
‘भाभी… ये गाली क्यूँ दी मुझे…?’ मैं गालियाँ सुनते ही चौंक गया।
‘भोसड़ा के! इतना कड़क, और मोटा लण्ड लिये हुये मुठ मारता है?’ उसने मेरा सात इन्च लम्बा लण्ड हाथ में भर लिया।
‘भाभी ये क्या कर रही आप…!’ मैंने उनक हाथ हटाने की भरकस कोशिश की। पर भाभी के हाथों में ताकत थी। मेरा कड़क लण्ड को उन्होंने मसल डाला, फिर मेरा लण्ड छोड़ दिया और मेरी बांहों को जकड़ लिया। मुझे लगा भाभी में बहुत ताकत है। मैंने थोड़ी सी बेचैनी दर्शाई। पर भाभी मेरे ऊपर चढ़ बैठी।
‘भेन की चूत… ले भाभी की चूत… साला अकेला मुठ मार सकता है… भाभी तो साली चूतिया है… जो देखती ही रहेगी… भाभी की भोसड़ी नजर नहीं आई…?’ भाभी वासना में कांप रही थी। मेरा लण्ड मेरी ढीली चड्डी की एक साईड से निकाल लिया। अचानक भाभी ने भी अपना पेटिकोट ऊँचा कर लिया। और मेरा लण्ड अपनी चूत में लगा दिया।
‘चल मादरचोद… घुसा दे अपना लण्ड… बोल मेरी चूत मारेगा ना…?’ भाभी की छाती धौंकनी की तरह चलने लगी। इतनी देर में मेरे लण्ड में मिठास भर उठी। मेरी घबराहट अब कुछ कम हो गई थी। मैंने भाभी की चूंचियाँ दबाते हुये कहा- रुको तो सही… मेरा जबरन चोदन करोगी क्या, भैया को मालूम होगा तो वो कितने नाराज होंगे!’
भाभी नरम होते हुए बोली- उनके रुपयों को मैं क्या चूत में घुसेड़ूगी… हरामी साले का खड़ा ही नहीं होता है, पहले तो खूब चोदता था अब मुझे देखते ही मादरचोद करवट बदल कर सो जाता है… मेरी चूत क्या उसका बाप चोदेगा… अब ना तो वो मेरी गाण्ड मारता है और ना ही मेरी चूत मारता है… हरामी साला… मुझे देख कर चोदू का लण्ड ही खड़ा नहीं होता है!’
‘भाभी इतनी गालियाँ तो मत निकालो… मैं हूँ ना आपकी चूत और गाण्ड चोदने के लिये। आओ मेरे लण्ड को चूस लो!’
भाभी एक दम सामान्य नजर आने लग गई थी अब, उनके मन की भड़ास निकल चुकी थी। मेरा तन्नाया हुआ लण्ड देख कर वो भूखी शेरनी की तरह लपक ली। उसका चूसना ही क्या कमाल का था। मेरा लण्ड फ़ूल उठा। उसका मुख बहुत कसावट के साथ मेरे लौड़े को चूस रहा था। मेरे लण्ड को कोई लड़की पहली बार चूस रही थी। वो लण्ड को काट भी लेती थी। कुछ ही समय में मेरा शरीर अकड़ गया और मैंने कहा- भाभी, मत चूसो! मेरा माल निकलने वाला है…!’
‘उगल दे मुँह में भोंसड़ी के…!’ उसका कहना भी पूरा नहीं हुआ था कि मेरा लण्ड से वीर्य निकल पड़ा।
‘आह मां की लौड़ी… ये ले… आह… पी ले मेरा रस… भेन दी फ़ुद्दी…!’ मेरा वीर्य उसके मुह में भरता चला गया। भाभी ने बड़े ही स्वाद लेकर उसे पूरा पी लिया।
भाभी बेशर्मी से अब बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत उघाड़ दी। उसकी भूरी-भूरी सी, गुलाबी सी चूत खिल उठी।
‘चल रे भाभी चोद… चूस ले मेरी फ़ुद्दी… देख कमीनी कैसे तर हो रही है!’ तड़पती हुई सी बोली।
मुझे थोड़ा अजीब सा तो लगा पर यह मेरा पहला अनुभव था सो करना ही था। जैसे ही मुख उसकी चूत के पास लाया, एक विचित्र सी शायद चूत की या उसके स्त्राव की भीनी सी महक आई। जीभ लगाते ही पहले तो उसकी चूत में लगा लसलसापन, चिकना सा लगा, जो मुझे अच्छा नहीं लगा। पर अभी अभी भाभी ने भी मेरा वीर्य पिया था… सो हिम्मत करके एक बार जीभ से चाट लिया। भाभी जैसे उछल पड़ी।
‘आह, भैया… मजा आ गया… जरा और कस कर चाट…!’
मुझे लगा कि जैसे भाभी तो मजे की खान हैं… साली को और रगड़ो… मैंने उसे कस-कस कर चाटना आरम्भ कर दिया। भाभी ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा मुख अपने दाने पर रख दिया।
‘साले यह है रस की खान… इसे चाट और हिला… मेरी माँ चुद जायेगी राम…!’ दाने को चाटते ही जैसे भाभी कांप गई।
‘मर गई रे! हाय मां की…! चोद दे हाय चोद दे…! साला लण्ड घुसेड़ दे!… मां चोद दे… हाय रे!’ और भाभी ने अपनी चूत पर पांव दोहरे कर लिये और अपना पानी छोड़ दिया। ये सब देख कर मेरा मन डोल उठा था। मेरा लण्ड एक बार फिर से भड़क उठा।
भाभी ने ज्योंही मेरा खड़ा लण्ड देखा- साला हरामी… एक तो वो है… जो खड़ा ही नहीं होता है… और एक ये है… फिर से जोर मार रहा है…’
‘भाभी, मैंने यह सब पहली बार किया है ना…! मुझे बार-बार आपको चोदने की इच्छा हो रही है!’
‘चल रे भोसड़ी के… ये अपना लण्ड देख…साला पूरा छिला हुआ है… और कहता है पहली बार किया है!’
‘भाभी ये तो मुठ मारने से हुआ है… उस दो रजाई के बीच लण्ड घुसेड़ने से हुआ है… सच…! ‘
‘आये हाये… मेरे भेन के लौड़े… मुझे तो तुझ पर प्यार आ रहा है सच… साले लण्ड को टिका मेरे गाण्ड के गुलाब पर… मेरे चिकने लौण्डे!’ भाभी ने एक बार फिर से मुझे कठोरता से जकड़ लिया और घोड़ी बन गई। अपनी भूखी प्यासी गाण्ड को मेरे लौड़े पर कस दिया।
‘चल हरामी… लगा जोर… घुसेड़ दे…तेरी मां की… चल घुसा ना…!’ मेरे हर तरफ़ से जोर लगाने पर भी लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था।
‘भोसड़ी के… थूक लगा के चोद…नहीं तो तेल लगा के चोद… वाकई यार नया खिलाड़ी है!’ और भाभी ने अपने कसे हुये सुन्दर से गोल गोल चूतड़ मेरे चेहरे के सामने कर दिये। मैंने थूक निकाल कर जीभ को उसकी गाण्ड पर लगा दी और उसे जीभ से फ़ैलाने लगा। भाभी को जोरदार गुदगुदी हुई।
‘भड़वे… और कर… जीभ गाण्ड में घुसा दे… हाय हाय हाय रे… और जीभ घुमा… आह्ह्ह रे… गाण्ड में घुसा दे…बड़ा नमकीन है रे तू तो!’ उसकी सिसकारियाँ मुझे मस्त किये दे रही थी।
‘भाभी… ये नमकीन क्या?’ मैंने पूछा तो वो जोर से हंस दी।
‘तेरे लौड़े की कसम भैया जी… जीभ से गाण्ड मार दे राम…’ मैंने भी अपनी जीभ को उसकी गाण्ड में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा। मैंने अपनी अपनी एक अंगुली उसकी चूत में भी घुसा दी। भाभी तड़प सी उठी।
‘आह मार दे गाण्ड रे… उठा लौड़ा… मार दे अब…भोसड़ी के ‘
मैंने तुरंत अपनी पोजिशन बदली और और उसकी गाण्ड के पीछे चिपक गया और तन्नाया हुआ लण्ड उसकी गाण्ड की छेद पर रख दिया और जोर लगाते ही फ़क से अन्दर उतर गया।
‘मदरचोद पेल दे… चोद दे गाण्ड… साली को… मरी भूखी प्यासी तड़प रही थी… चोद दे इस कमीनी को…’
मेरी कमर अब उसे चोदते हुये हिलने लगी थी। मेरा लण्ड तेजी से चलने लगा था। उसकी गाण्ड का छेद अब बन्द नहीं हो रहा था। जैसे ही मैं लण्ड बाहर निकालता, वो खुला का खुला रह जाता। तभी मैं जल्दी से फिर अपना लण्ड घुसेड़ देता… हाँ एक थूक का लौन्दा जरूर उसमें टपका देता था। फिर वापस से दनादन चोदने लगता था। बीच बीच में वो आनन्द के मारे चीख उठती थी। घोड़ी बनी भाभी की चूत भी अब चूने लग गई थी। उसमें से रति-रस बूंद बूंद करके टपकने लगा था। मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल कर उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
‘भोसड़ी के…धीरे से… मेरी चूत तो अभी तो साल भर से चुदी भी नहीं है… धीरे कर!’
‘ना भाभी… मत रोको… चलने दो लौड़ा…’
‘हाय तो रुक जा… नीचे लेट जा… मुझे चोदने दे अब…’
‘बात एक ही ना भाभी… चुदना तो चूत को ही है…’
‘अरे चल यार… मुझे मेरे हिसाब से चुदने दे…भोसड़ी तो मेरी है ना…’ उसके स्वर में व्याकुलता थी।
मेरे नीचे लेटते ही वो मुझ पर उछल कर चढ़ गई और खड़े लण्ड पर चूत के पट खोलकर उस पर बैठ गई। चिकनी चूत में लण्ड गुदगुदी करता हुया पूरा अन्दर तक बैठ गया। उसके मुख से एक आह निकल पड़ी। अब उसने मेरा लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर जोर लगा कर और भी गहराई में उतारने लगी। हर बार मुझे लण्ड पर एक जोर की मिठास आ जाती थी।
उसके मुँह से एक प्रकार की गुर्राहट सी निकल रही थी जैसे कि कोई भूखी शेरनी हो और एक बार में ही पुरा चुद जाना चाहती हो। अब तो अपनी चूत मेरे लण्ड पर पटकने लगी… मेरा लण्ड मिठास की कसक से भर उठा। उसके धक्के बढ़ते गये और मेरी हालत पतली होती गई… मुझे लगा कि मैं बस अब गया… तब गया… पर तभी भाभी ने अपने दांत भींच लिये और मेरे लण्ड को जोर से भीतर रगड़ दिया और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। चूत की रगड़ खाते ही मेरी जान निकल गई और मेरे लण्ड ने चूत में ही अपना यौवन रस छोड़ दिया…
उसकी चूत में जैसे बाढ़ आ गई हो। मेरा तो वीर्य निकले ही जा रहा था… और शायद भाभी की चूत ने भी चुदाई के बाद अपना रस जोर से छोड़ दिया था। वो ऊपर चढ़ी अपना रस निकाल रही थी और फिर मेरे ऊपर लेट गई। सब कुछ फिर से एक बार सामान्य हो गया…
‘भाभी आपकी चुदाई तो…’
भाभी ने मेरे मुख पर हाथ रख दिया- अब नहीं… गालियाँ तो चुदाई में ही भली लगती है…अब अगली चुदाई में प्यारी-प्यारी गालियाँ देंगे!’
‘सॉरी, भाभी… हाँ मैं यह पूछ रहा था कि जब आप को मेरे बारे में पता था तब आपने पहल क्यों नहीं की?’
‘पता तो तुझे भी था… मैं इशारे करती तो तू समझता ही नहीं था… फिर जब मुझे पक्का पता चल गया कि तेरे मन में मुझे चोदने की है और तू मेरे नाम की मुठ मारता है तो फिर मेरे से रहा नहीं गया और तुझ पर चढ़ बैठी और मस्ती से चुदवा लिया।’
‘भाभी धन्यवाद आपको… मतलब अब कब चुदाई करेंगें…?’
‘तेरी मां की चूत… आज करे सो अब… चल भोसड़ी के चोद दे मुझे…! ‘ और भाभी फिर से मुझे नोचने खसोटने के लिये मुझ पर चढ़ बैठी और मुझे नीचे दबा लिया और मुझे गाल पर काटने लगी। मैं सिसक उठा और वो एक बार फिर से मुझ पर छा गई…
मेरा लण्ड तन्ना उठा… मेरा चेहरा उसने थूक से गीला कर दिया और मेरे गालों को काटने लगी… मेरा लण्ड उसकी चूत में फिर से घुस पड़ा… Antarvasna Stories
दोस्तो, मुझे बहुत खुशी हुई कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई. बहुत सारे मेल मिले और आगे की कहानी लिखने के लिए कहा गया.
तो अब मैं आप को आगे की कहानी बताता हूँ.
बस से उतरने के बाद हम अपने अपने रास्ते निकल गए. लेकिन एक बात मेरे दिल में थी कि भले ही मैं आज कुछ नहीं कर पाया लेकिन जब भी पुनः मौका मिलेगा मैं भाभी को जरूर हासिल करूँगा.
स्कूल चालू हो गया और मेरा इंतजार भी चालू हो गया कि कब दिवाली की छुटियाँ आएगी और मुझे मेरे घर जाने का मौका मिलेगा.
जैसे तैसे दिन बीत गए और मैं दिवाली की छुटियों के लिए अपने घर आ गया. आते ही मैं भाभी के घर चला गया जो मेरे घर के बगल में ही था. घर पर कोई नहीं था, उनके बच्चे अपने मामा के गाँव गए थे और पति काम पर गए थे.
बहुत देर तक हम बातें करते रहे लेकिन कोई भी बात हमारे बस के कारनामे के पास भी नहीं भटक रही थी और भाभी तो एकदम मासूम बनी थी जैसे कुछ भी नहीं हुआ था. और डर के मारे मैं भी कोई बात नहीं कर पा रहा था.
ऐसे ही बहुत दिन बीत गए, मैं रोज़ भाभी के घर पर जाता था जब उनके पति काम पर चले जाते थे.
एक दिन मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो, भाभी से पता करवा के रहूँगा कि उसके दिल में क्या है और उसको पटा के रहूँगा. बहुत देर मैं चुप ही बैठा था और भाभी अपनी धुन में कोई गाना गुनगुना रही थी.
आखिर मैंने चुप्पी तोड़ी और भाभी से पूछा- भाभी सच बात बताना! क्या उस रात हम जब बस से जा रहे थे, उस वक्त आप सच में सोई थी?
“क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
“नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था! बताओ ना!”
“मैं तो सोई थी, लेकिन ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
मैं जान गया कि भाभी जानबूझ कर अंज़ान बन रही थी.
“ऐसा हो ही नहीं सकता! क्या कोई औरत इतना कुछ होने तक कैसे सो सकती है? ”
“क्या हुआ था उस रात?”
“भाभी जी, आपको सब पता है कि क्या हुआ था! आप सब जान कर अनजान बन रही हैं!”
“आशीष तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा है!”
“भाभी जी उस रात जो भी मैंने किया, आपको सब पता है और आप जानबूझ कर अंज़ान बन रही हैं!”
अब भाभी जान चुकी थी कि मना करने से कुछ फायदा नहीं, सो वो बोली- आशीष उस रात जो भी हुआ वो सब गलती से हुआ होगा, मेरा इरादा तो कुछ भी नहीं था. तो तुम जो भी हुआ, उसे भूल जाओ, तुम अभी बहुत छोटे हो!”
“भाभी जी मैं इतना भी छोटा नहीं हूँ! आप जानती हो इस बात को! आपने हाथ में पकड़कर देखा था!”
“और अगर आपका इरादा गलत नहीं था तो आपने मुझे तब ही रोकना था! तब मैं इतना कुछ कर रहा था, तब तो आप बड़े मजे ले रही थी?”
“और मुझे जब आप की जरूरत है तब मुझे याद दिला रही हो कि मैं अभी छोटा हूँ?”
“उस रात बस में जब आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और आखिर मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी, तब मैं छोटा नहीं था?”
“देखो आशीष ऐसी बात मत करो! मैं मानती हूँ कि मेरी गलती है! मुझे माफ़ करो!”
“भाभी बस एक बार मेरी खातिर! वो गलती एक बार फिर करो ना!”
“मैं बहुत सपने लेकर आया हूँ! दिन-रात बस आपका ही ख्याल था! जाने कितनी रातों को सोया नहीं हूँ! मुझे बस एक बार वही सब करने दो जो उस रात हुआ! मैं आज के बाद कभी भी फिर कुछ नहीं मांगूगा!”
“आशीष मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन की हालत कैसी होगी, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ, मेरे बच्चे भी हैं! अगर किसी को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!”
“भाभी अगर आप मुझे एक बार के लिए हाँ नहीं करोगी तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी! मैं पागल हो जाऊँगा!”
“आशीष , मेरी बात को समझो! मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ!”
“भाभी, बस एक बार! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा! मैं दोबारा आपसे कुछ नहीं मांगूंगा!”
“ठीक है आशीष !”
मैंने भाभी के पास कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा, हाँ बोलने के सिवा! लेकिन वो मन से तैयार नहीं थी, यह बात मैं जान गया था, लेकिन मेरे लंड में जो आग लगी थी उसे मैं ही जानता था.
तो जैसे ही भाभी ने- ठीक है कहा, मैंने उनको बाहों में ले लिया.
“रुको आशीष , अभी नहीं! दोपहर में आ जाना! अभी कोई आ जायेगा तो मुसीबत होगी!”
मैं दोपहर में उनके घर पहुँच गया. घर पर कोई नहीं था, मेरे घर के अन्दर जाते ही भाभी घर के बाहर आ गई, थोड़ी देर बाहर ही रुक कर ‘कोई देख तो नहीं रहा’ इसका जायजा लिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद किया.
जैसे ही दरवाजा बंद किया मैंने लपक के उनको अपनी बाहों में लिया. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि मैंने अपने होंट उनके होंटों पर रख दिए और उनका मुँह बंद कर दिया.
“भाभी अब कुछ मत कहो! मैं जिस पल का इंतजार कर रहा था, वो अब आया है! इस पल को जीने दो मुझे!”
अब कमरे में मेरी गहरी सांसों के सिवा कोई आवाज नहीं थी. मैं पागलों की तरह भाभी को चूम रहा था और वो बस मेरा जोश देख कर हैरान होकर मुझे देख रही थी. भाभी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हो रही थी, वो तो बस पुतला बनकर खड़ी थी. लेकिन मैं जानता था कि यह ज्यादा देर नहीं चलेगा, वो भी मेरे साथ मजे लेंगी क्योंकि उस रात बस में वो भी तो गर्म हो गई थी.
तो मैं उनको चूमता ही जा रहा था और अब मेरे हाथों ने अपना काम चालू कर दिया था. मैं धीरे धीरे उनके मम्मे दबा रहा था.
क्या मम्मे थे उनके! आज दिन के उजाले में मुझे उनके दर्शन होने वाले थे.
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए.
अब वो बड़ी-बड़ी और गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके लिए मैं पागल हो गया था.
मैं एक हाथ से दबा रहा था और एक को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. मैं पूरे जोश में था क्योंकि मेरी पहली बार जो थी! मेरे जोश ने भाभी की वासना भी भड़कानी शुरु कर दी थी, उनकी सिसकारियाँ अब चालू हो गई थी और वो भी मुझे चूमने लगी थी.
मैं जोर जोर से उनकी चूची दबा रहा था और चूस रहा था. अब मेरा हाथ उनकी साड़ी खोलने लगा था और उनका हाथ मेरी ज़िप खोलने लगा था. अब मेरा लंड उनके हाथ में था और वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगी थी.
“भाभी धीरे कीजिये न! कहीं मेरा पानी न निकल जाये!”
इस दरमियान मैंने उनकी साड़ी खोल दी थी और पेंटी निकालकर उनको पूरा नंगी कर दिया था. अब ज्यादा देर खड़े रहकर कुछ नहीं किया जा सकता था सो हम उनके बेडरूम में आ गये.
मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और उनके पीछे बैठकर पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा. अब जो नशा उन पर चढ़ रहा था वो देखने लायक था.
वो मेरे बाल पकड़ कर नोच रही थी!
मैंने धीरे से एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा. वो पागल हो रही थी. धीरे से मैंने एक उंगली चूत के अंदर डाली और हिलाने लगा और एक हाथ से चूची दबाना चालू रखा.
धीरे से उनको लिटा कर मैं उनके ऊपर आ गया था और उनकी चूची को जोर से चूसने लगा था, वो पागल हो रही थी और मुझे जोरों से भींच रही थी.
“आशीष , वो करो ना! जो उस रात को किया था!”
वो चूत चाटने के लिए कह रही थी, पर शरमा कर बोल नहीं पा रही थी.
“क्यों भाभी भैया नहीं चाटते क्या?”
“अरे वो चाटते तो क्या कहना था! वो तो ठीक से मुझे दबाते भी नहीं! सिर्फ़ अपना लंड चुसवाते हैं और फिर खड़ा हो गया तो अन्दर घुसा के चोदना चालू कर देते हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं हूँ ना! आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा कि आप जिंदगी भर याद रखोगी!”
मैंने जैसे ही उनकी चूत चाटना चालू किया, वो तो मचलने लगी और सिसकने लगी. शायद उनको चूत चटवाने में बहुत ही मजा आ रहा था.
“भाभी क्या आप मेरा लंड मुँह में नहीं लोगी?”
“क्यों नहीं आशीष , जब उनका ले सकती हूँ तो तुम्हारा तो पूरा खा जाऊँगी! आखिर तुमने मुझे इतना सुख जो दिया है!”
मैं हैरान था, यह वही भाभी है जो थोड़ी देर पहले मुझसे चुदवाना नहीं चाह रही थी.
और फिर भाभी ने जो मेरा लंडा चूसना चालू किया! मैं आपको बता नहीं पाउँगा कि कितना मजा आ रहा था!
वो पूरी लगन से मुझे खुश करने में लगी थी.
अब 69 में आकर हम दोनों पूरा मजा उठा रहे थे.
“आशीष अब सहन नहीं हो रहा हैं! जल्दी कुछ करो!”
“ठीक है भाभी जी!”
मैं उनके दोनों पैरों के बीच बैठा गया और अपना लंड उनके हाथ में दिया. उन्होंने धीरे से मेरा लंड हिलाया और अपनी चूत पर रख दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था कि उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया.
“भाभी, बहुत जल्दी है क्या?”
“आशीष , तुम्हें क्या बताऊँ! तुमने तो मुझे पागल कर दिया है! बहुत माहिर हो गए हो! मुझे तो लगा था कि तुम अभी बच्चे हो.”
“भाभी इस बच्चे को आपने ही बड़ा बना दिया है, रोज़ रात को सपने में जो आपको चोदता था!”
और मैंने अपनी गाड़ी चालू कर दी. भाभी भी नीचे से कमर उठा उठा कर मजा ले रही थी.
“आशीष , जोर से करो ना! प्लीज!”
“हाँ भाभी जी, आप तो बहुत जल्दी में हो! पर मैं पूरा मजा लेना चाहता हूँ आपको तड़पाना चाहता हूँ!”
“आपने जो मुझे इतना तड़पाया है!”
मैं धीरे धीरे शॉट लगा रहा था और भाभी नीचे तड़प रही थी, मुझे कस के पकड़ रही थी और पागलों की तरह चूम रही थी.
“आशीष , तुम नीचे आ जाओ!”
अब मैं नीचे था और भाभी मेरे ऊपर थी. वो क्या जोरों से लंड को अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उनकी चूचियों को जोर से दबा रहा था और चूस रहा था.
“खा जाओ आशीष इनको! तुम्हारे भैया को इनकी जरूरत नहीं है शायद! वो तो शायद मुझसे उब गए हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं इनका ख्याल रखूँगा!”
“आशीष …! मैं तो गई आशीष ! हऽऽस्सऽऽऽ!”
वो जल्दी से मेरे ऊपर से उठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उठकर उनकी चूत को सहलाने लगा था.
आशीष ! स्स्स्स ऽऽऽ!! हय! मैं गई आशीष आऽऽस्स!
और वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी थी.
“आशीष आज तुमने मुझे फिर अपनी नई नई शादी की याद दिला दी है!”
“भाभी आप तो खुश हो गई! लेकिन मेरा क्या? मैं तो अभी खाली नहीं हुआ हूँ!”
यह सुनते ही भाभी ने मेरा लंड चूसना चालू किया और ऐसा कमाल दिखाया कि…
“भाभी, मेरा निकलने वाला है! आप हट जाइये!”
“नहीं आशीष ! तुम आज मेरे मुँह में ही झड़ जाओ!”
“आऽऽअऽऽऽ! भाभी! मैं तो गया भाभी आऽऽस्स!”
भाभी ने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. भाभी मेरा पूरा वीर्य गटक गई थी और अभी भी मेरे लंड को चूसे जा रही थी…
“क्यों आशीष ? हो गए खाली?”
“हाँ भाभी! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया!”
“अरे यह क्या आशीष ? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है?”
“क्या मालूम भाभी! लेकिन मैं एक राऊँड और पूरा कर सकता हूँ!”
यह कह कर मैंने भाभी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा.
आगे की कहानी अगले भाग में!
Hindi Sex Stories
मैं रेलगाडी में मुंबई से हावडा जा रहा Sex Storiesथा. मेरे सामने वाली सीट पर एक सुंदर महिला बैठी थी. उसने नीली साडी पहनी हुई थी, वो पतली दुबली थी मगर उसके दूध बड़े बड़े थे, ऐसा लगता था मानो अभी ब्लाउज़ फाड़ कर बाहर आने को बेताब हैं। उसका रंग भी बिल्कुल दूध की तरह सफ़ेद था। उसकी उमर कोई 28 साल की होगी।
मैंने ध्यान दिया कि वो मुझे बहुत देर से देख रही है तो मैंने भी उसकी तरफ़ देख कर थोड़ा मुस्करा दिया।
फिर वो मुझसे अपनी टिकट दिखाते हुए पूछी कि ज़रा देखो मेरा रिज़र्वेशन है कि नहीं?
मैंने देखा उनका वेटिंग टिकेट था।
मैंने कहा कोई बात नहीं आप मेरे सीट में सो जाना।
फिर मैंने उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम रूपा है।
रूपा की खूबसूरती देख कर मेरे मुंह और लंड दोनों ही जगह से पानी निकल रहा था।
मैं मन ही मन उसे चोदने का प्लान बनाने लगा। ये सरदी की रात थी इसलिये सभी लोग कम्बल ढक कर सो रहे थे।
रात को हम खाना खाने के बाद मैंने रूपा से कहा के आप सो जाओ मैं बैठता हूं।
उसने कहा नहीं तुम भी कम्बल ओढ कर सो जाओ। और फिर वो ट्रेन की उस छोटी सी सीट पर इस तरह से लेट गये कि उसकी गांड मेरी तरफ़ थी और चेहरा दूसरी तरफ़।
फिर मैं उसके सर की तरफ़ पैर को रख कर लेट गया और मैं उसकी गांड की तरफ़ मुंह घुमा कर सो गया। अब लंड बिल्कुल उसकी गांड की दरार में था उसकी गोल गोल गांड और मेरा लंड एक दूसरे से चिपके हुए थे।
रूपा के गोरे गोरे पैर भी बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने थे।
मेरे लंड को समझाना अब मुश्किल हो रहा था।
मैंने अपने हाथ उसके पैरों पर रख कर थोड़ा सहलाना शुरु किया और गर्म गर्म सांसो के साथ उसके पैरों को चूमने लगा।
थोड़ी देर बाद वो मेरी तरफ़ मुड़ गयी। अब उसका चेहरा भी मेरे पैरों की ओर था।
उसने मेरे पैरों को ज़ोर से पकड़ का अपने बूब्स से रब करना शुरु कर दिया।
फिर मैंने भी उसके पैरों को सहलाते हुए जांघ तक जा पहुंचा और जब मैं उसकी चूत पर हाथ रखा तो ऐसा लगा मेरा हाथ जल गया। उसकी चूत भट्टी की तरह गर्म हो रही थी और गर्म गर्म चूत बिल्कुल गीली हो रही थी।
मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगलियाँडालनी शुरु कर दी, उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे जिनको मैं अपनी ऊँगलियों से सहला रहा था।
फिर धीरे धीरे कम्बल के अन्दर ही मैं अपना मुंह उसके चूत तक लेकर गया और उसकी चूत को पीने की कोशिश करने लगा।
उसने अपने एक पैर को उठा कर मेरे कंधे पर रख दिया। अब उसकी बुर बिल्कुल मेरे मुंह में थी मैं अपनी जीभ को उसके बुर के चारों तरफ़ घुमाना शुरु कर दिया वो भी अपनी कमर धीरे धीरे हिलाना शुरु कर दी।
मैंने भी अपने पैर को उठा कर अपना लंड उसकी तरफ़ बढ़ा दिया।
वो बड़े प्यार से लंड को चूसने लगी।
हम अब बिल्कुल 69 की पोजिशन में थे लेकिन ऊपर नीचे नहीं थे बल्कि साइड बाइ साइड थे और हम जो भी कर रहे थे धीरे धीरे कर रहे थे क्योंकि ट्रेन में किसी को पता न चले।
वो अब कुछ ज्यादा ही ज़ोर से अपने कमर को उठा का अपने बुर को मेरे मुंह में रगड़वा रही थी।
अचानक उसने मेरे सर को अपने हाथ से अपनी बुर में ज़ोर से दबा दिया और कमर को मेरे मुंह में दबा दिया और ढीली पर गयी।
मैं उसके बुर की गर्मी धीरे धीरे अपने मुंह से चाट चाट कर साफ़ किया। वो अब भी मेरे लंड को चूस रही थी। मैं भी अब जोर जोर से अपने लंड को उसके मुंह में घुसा रहा।
मेरे लंड का पानी भी अब बाहर निकलने वाला था मैंने ज़ोर से उसके बुर में अपना मुंह घुसा दिया और मेरे लंड से पानी निकलना शुरु हुआ तो 8-10 झटके तक निकलता ही रहा।
उसने मेरे लंड के पानी को पूरा अपनी मुंह में लेकर पी गयी।
थोड़ी देर के बाद मैं उठा और टोइलेट गया।
मैंने अपनी पैंट उतार दी फिर अपनी चड्ढी भी उतार दी। अपने लंड को अच्छी तरह से साफ़ किया और पैंट पहन ली।
वापस आकर मैंने अपनी चड्ढी बैग में डाल दी। फिर वो भी टोइलेट जाकर आयी।
और मेरी तरफ़ मुंह करके सो गयी और कम्बल ढक ली। अब उसके बूब्स मेरी छाती से लग रहे थे। मैंने उसके ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। वो ब्रा नहीं पहनी थी। ब्रा को शायद टोइलेट में ही उतार कर आयी थी।
मैं उसके गोल गोल बूब्स को अपने हाथ से दबाने लगा और उसके निप्पल को मुंह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा।
उसने अपने एक हाथ से अपनी साड़ी को उठा कर कमर के ऊपर रख लिया।
अब उसकी कमर के नीचे कुछ भी नहीं था, मेरा हाथ उसके मक्खन जैसी जांघों को तो कभी उसके बुर को प्यार से सहला रहा था और रुपा अपने हाथों से मेरे लंड को सहला रही थी।
ऐसा काफ़ी देर तक चलता रहा।
मेरा लंड एक बार फिर से उसकी बुर की गहराई को नापने के लिये मचलने लगा था। मैंने धीरे से रूपा से पलट कर सोने को कहा। रुपा धीरे से पलट गयी। अब उसकी नंगी गांड की दरार मेरे लंड से चिपकी हुई थी।
मैंने धीरे से अपने लंड को हाथ से पकड़ कर पीछे से उसकी गांड के छेद में रखा और एक हल्का सा धक्का मारा। मेरा लंड उसकी गांड में आधा घुस गया लेकिन वो दर्द से कराह उठी।लेकिन वो चीखी नहीं। वो जानती थी कि ट्रेन में सब सो रहे लोगों को शक न हो जाये।
मैंने धीरे से एक और धक्का मारा और लंड पूरा का पूरा अन्दर घुस गया। फिर मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलने लगा। रूपा की चिकनी चिकनी गांड मेरे पेट से रगड़ खा रही थी। और मैं उसे चोदे जा रहा था।
फिर चार पांच मिनट के बाद मैंने अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। और जोर जोर से रूपा को चोदने लगा।
रूपा भी अपनी गांड हिला हिला कर चुदवा रही थी।
अचानक रूपा अपनी गांड को मेरे लंड पे जोर से दबा कर रुक गयी। मेरा लंड भी पिचकारी की तरह पानी छोड़ना शुरु कर दिया। लंड और बुर दोनों का पानी गिर जाने के बाद दोनों शान्त हो गये।
लेकिन हमारी चुदाई सुबह तक चलती रही। हमने रात भर में सात बार चुदाई की। और किसी को पता भी नहीं चला।
फिर सुबह मेरा स्टेशन आ गया। और मैं उतर गया। उसे आगे जाना था तो वो चली गयी और जाते जाते अपना फोन नम्बर भी दे गयी। Sex Stories
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