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मैं आज अपनी सच्ची कहानी पहली बार Sex Stories आप सबको बताना चाहता हूँ। मैं ३६ साल का ५’११” लंबा ख़ूबसूरत मुंबई में रहता हूँ।
बात १ साल पहले की है. सुरुति नाम था उसका, टेली कालर थी वो, पहली बार जब उसका फ़ोन आया तो मैंने ज्यादा बात नहीं की उससे और ३५ मिनट में कॉल करने को कहा. ठीक ३५ मिनट के बाद उसका कॉल आया तो मैंने उसे कोम्प्लिमेंट दिया और इस तरह हमारी बातों का सिलसिला शुरू हुआ. वो रोज मुझे ऑफिस मैं ठीक उसी समय काल करने लगी और धीरे धीरे हम एक दूसरे को अच्छी तरह जानने लगे तो सोचा कि एक दिन हम कहीं मिलें
तो उसने कहा कि इस रविवार को वो अपनी एक सहेली की शादी में अलिबौग जा रही है चाहो तो तुम भी आ जाओ. हमने एक दूसरे को अभी तक देखा भी नही था इसलिए मिलने की तड़प काफी थी. दोनों तरफ़ आग लगी थी. हमने गेटवे से फेर्री मै जाने का प्लान बनाया और तय समय पे गेटवे पे मिलने का वादा किया.
रविवार के दिन सुबह जल्दी से उठ कर मैं तय जगह पर पहुँच कर उसका इंतज़ार करने लगा. तभी मैंने देखा एक बहुत ही ख़ूबसूरत लड़की ३५-३२-३६ साइज़ वाली मेरी तरफ़ आ कर बोली- विन्स !
मैं तो एक पल के लिए सब कुछ भूल गया और उसे देखने मैं सब कुछ भूल गया, उसने टोका और कहा- कहाँ खो गए !
तो मैंने कहा- इस खूबसूरती में खो गया तो वो शरमा गई और बोली खोने के लिए और भी बहुत कुछ है, अभी यहाँ से चलो.
पूरे सफर में हम एक दूसरे के अंग से अंग रगड़ रहे थे। उसने बताया कि उसकी सहेली की शादी तो एक बहाना था, उसे तो मुझसे मिलना था, मैंने भी अपने दिल की बात उसको बताई तो वो मुझसे लिपट के बोली हम इतने दिनों तक क्यों नही मिले?
मैंने कहा- कोई बात नही देर आए दुरुस्त आए तो उसने पूछा- क्या मतलब?
मैंने कहा थोडी देर मै पता चल जाएगा.
हम अलिबौग पहुँच के थोड़ी देर बीच पे घूमे और पानी में मस्ती करने लगे तो उसके कपड़े गीले हो गए, जिससे उसके छाती के उभार सफ़ेद रंग के कपड़ों में काफी साफ़ दिखाई दे रहे थे. उसने मुझे कहा क्या देख रहे हो?
तो मैंने कहा- कहाँ दिख रहे है तो वो बोली- झूठे ! मुझे पता है तुम क्या देख रहे हो और मुझसे जोर से चिपक गई. उसके बदन की गर्मी से मेरे सारे बदन में करंट सा दौड़ गया और मैंने भी जोर से उसे बाहों में भर लिया. हम १० मिनट तक ऐसे ही खड़े रहे. फिर हमें ध्यान आया कि हम बीच पे हैं। उसने कहा भूख लगी है और कपड़े भी गीले हो गए हैं.
मैं तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रहा था.तुंरत नजदीक के एक होटल मैं जा के एक कमरा बुक कर लिया और हम दोनों रूम में आ गए. मैंने उससे कहा अपने कपड़े बदल ले नही तो ठण्ड लग जायेगी. तो वो बोली वो तो तुम्हे भी लग जायेगी.हम दोनों ही बदल लेते हैं, खुला ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं तुंरत उसे बाथरूम में ले गया और उसके होठों को चूसने लगा, वो भी साथ देने लगी और धीरे धीरे मैं उसके बब्बो को मसलने लगा तो वो सिस्कारियां भरने लगी और गरम हो गई. धीरे धीरे मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया और ख़ुद भी नंगा हो गया. उसके भरे भरे बब्बे देख के मेरा लण्ड तन के खंभे के जैसे खड़ा हो गया तो सुरुति की आँखे एकटक उसे ही देख रही थी।
मैंने पूछा क्या कभी देखा नही क्या तो वो बोली नहीं आज पहली बार देख रही हूँ सिर्फ़ सुना था कि मोटा और लंबा होता है, आज देख के मजा आ गया और मेरे लण्ड को छूकर बोली- माय गोड ! कितना बड़ा है यह !
फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर खूब रगड़ रगड़ के नहाये और बाहर बेड पे आ गए. सुरुति बोली आज तुम मुझे चाहे जैसे प्यार करो जो चाहे वो करो. मैंने कहा- हम ६९ पोसिशन में आ के एक दूसरे का चाटते हैं तो वो शरमा के बोली- पहले आप करो मैं साथ देती हूँ।
मैंने उसे बिस्तर पे लेटा के उसकी कुंवारी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो वो सिसकियाँ लेने लगी और पूरा कमरा आह ऊह से भर गया. वो अपनी गांड उठा उठा के अपनी चूत चटवा रही थी. थोडी देर बाद बोली- मुझे भी चॉकलेट खानी है तो मैंने अपने लंड को उसके मुंह की ओर किया और कहा- खा लो.
उसने तुंरत कहा- एक मिनट रुको और अपने बैग से कैडबरी डेरी मिल्क का एक बड़ा पैक ले आई और बोली अब लाओ और उसने डेरी मिल्क का एक टुकड़ा मुंह में लिया और थोड़ा खा के फिर लंड के नजदीक जा के बड़े ही प्यार से सुपाडे पे चॉकलेट का सिंगार किया और चाटने लगी। लंड मिक्स विद चॉकलेट गज़ब का स्वाद बोलते हुए वो लंड को एक सीखी हुई चुद्दकड़ के जैसे चूस रही थी। मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था मैंने भी थोडी चॉकलेट मुंह में ली और ६९ पोसिशन में चूत चॉकलेट का मजा लेने लगा. हम दोनों में जैसे होड़ लगी थी कौन कितना अच्छा चूस रहा है. इस बीच अचानक वो बोली- अन्दर कुछ तो हो रहा है जैसे कुछ बाहर आ जाएगा !
तो मैंने कहा- आने दो ! मैं तैयार हूँ पीने के लिए.
वो पूरी तरह से गांड हिला हिला के चुसवा रही थी और चूस रही थी. उसकी चूत से रस की फुहार निकली और मैंने पूरी पी ली। वो निढाल हो के बोली राजा ये क्या था? जो भी था बहुत मजा आया.
“असली मजा तो अब आएगा” मैं बोला तुम लंड चूसती रहो, मेरा भी रस निकलने वाला है।
तो उसने लपालप लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया और पूरा का पूरा मुंह में ले लिया, मेरे रस की फुहार पूरी चूस ली उसने.
सुरुति बोली- राजा मजा आ गया ! मुझे नही पता था लंड तो लंड उसका रस विद चॉकलेट कितना मजेदार होता है. पूरी जवानी के इतने दिन इस सुख से मैं कैसे वंचित रह गई.”
रानी क्यों घबराती हो, आज ऐसे चोदूंगा कि जितना खोया है उससे ज्यादा आज मिल जाएगा.
“सच” बोल के सुरुति चिपक गई फिर से लंड से, और सहलाते हुए बोली- हाय कहाँ था तू मेरे शेर ! कब से चूत तुम्हारे इंतज़ार में थी.
उसने लंड को चाटकर तुंरत ही फिर से घोड़े जैसे किया और बोली- राजा आ जा और चोद मुझे, फाड़ दे मेरी चूत को, बहुत तड़पा रही है मुझे, चूस मेरे इन बब्बो को दबा दबा के और पूरा दूध पी लो इनका !
आज मेरे लंड राजा को सुरुति की चूत मुबारक हो !
मैंने भी तुंरत लंड को चूत पे रखा और धीरे से धक्का दिया, पर सुरुति की कसी हुई कुंवारी चूत में मेरा घोड़े वाला लंड थोड़े ही आसानी से जाता !
वो तो चुदवाने के लिए मरी जा रही थी- हरामखोर ! खुली हुई चूत है, फिर भी तड़पा रहा है, डाल जल्दी से मुझसे नहीं रहा जाता है अब तो !भोसड़ा बना मेरी कुंवारी चूत को !
दो धक्के में लंड चूत में समां गया, सुरुति दर्द से कराह उठी लेकिन बोली- राजा छोड़ो मत ! चोदों मुझे !
८-१० धक्कों में ही वो मस्त हो गई और गांड उठा उठा के मजे लेने लगी। मैं भी मस्त हो के उसे चोद रहा था। अलग अलग आसन लगा के साली को चोदा।
वो भी मदमस्त घोड़ी के जैसे लंड से चुदवा रही थी,”मजा आ गया ! साले लन ऐसा होता है? पता होता तो हम फ़ोन पे फालतू ही गांड मरवा रहे थे। जानू पहले क्यों नही बताया कि चुदाई ऐसी होती है। बहनचोद ! क्या चीज़ है ये लंड और चूत ! मजा आ गया ! आज जिन्दगी का असली सुख मिला है ! जी भर के चोदों मुझे ! बब्बे चूसो मेरे ! चूत का भोसड़ा बना दो ! जैसे चाहो वैसे लो मेरी चूत को ! आज से ये तुम्हारी गुलाम है साली ! लंड राजा आजा !”
३० मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से गरम गरम रस निकलने को तैयार हुआ तो धक्के और बढ़ गए- सुरुति रानी मैं अब आने वाला हूँ, संभालना ! मेरा घोड़ा तैयार है रस मलाई निकलने को !”
“मेरी चूत भी तैयार है खाने को.”वो बोली.
कुत्ते कुतिया की पोसिशन में उसको ले के जोर जोर से १५-२० कस के शोट लगाये- साली ले ! मैं आ रहा हूँ ! कहते हुए पूरा रस चूत मैंने उड़ेल दिया उसकी चूत के अन्दर तक.
सुरुति के चेहरे से खुशी झलक रही थी. उस दिन शाम तक हमने ५ बार चोदा और फिर शाम को खाना खा के फिर से अगली चुदाई का कार्यक्रम तय कर के मुंबई के लिए निकल पड़े…
अगली बार क्या हुआ? और कहाँ? किसके साथ हुआ? मैं आपके विचार जानकर लिखूंगा. Sex Stories
मेरा ईमेल पता है
मम्मी और पापा आज सवेरे दिल्ली जाने वाले थे। मैं Hindi Sex Stories घर पर अकेली थी। पापा ने पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी को कहा था की वो मेरी और घर की देखभाल करें। शर्मा जी की बेटी मेरी सहेली है। उसका भाई राहुल२० साल का है और कॉलेज में पढता था। वो मम्मी – पापा के जाने के बाद अपनी किताबें ले कर घर पर आ गया था। उसे बैठक का कमरा दे दिया था।
दो जवान जिस्म और एकांत…फिर पूरी आज़ादी। कुछ तो होना ही था। वो शुरू से ही मुझे पसंद करता था। वो मुझसे बात करने के लिए बार बार मेरे कमरे में आ जाता था। मैं मन ही मन उसकी बात समझती थी और मुस्कुराती थी। मुझे भी वो अच्छा लगता था।
जिस समय वो मेरे कमरे में आया उस समय मैं बाथरूम में नहाने घुसी ही थी। मैंने बाथरूम के दरवाजे के छेद में से झांक कर देखा तो वो बाथरूम की तरफ़ ही देख रहा था। मैं कपड़े उतरने लगी। तभी मुझे लगा कि राहुल दरवाजे के पास आ गया है। मुझे मौका मिल गया उसे पटाने का।
मैंने चुपके से देखा कि बाथरूम के दरवाजे के उसी छेद से… एक आँख झिलमिला रही थी। मैं समझ गयी कि वो मुझे अब देख रहा है। मैंने उसे अपनी और आकर्षित करने के लिए अनजान बनते हुए अपना टॉप उतारा… मेरी चुंचियाँ उछल कर बाहर आ गयी। मैंने चुन्चियो को धीरे से सहलाया और नोकों को मसल दिया।
फिर मैंने छेद की ओर अपनी पीठ करते हुए अपना पजामा उतर दिया। पेंटी भी उतर दी। मेरे चूतडों की गोलाईयां और गहराइयाँ उसकी नजरों के सामने थी। ऐसा करते समय मेरे बदन में सनसनी फ़ैल रही थी, क्योकि मुझे पता था कि राहुल मुझे नंगा देख रहा है। मैंने अपना बदन अब उसके सामने कर दिया जिस से उसे मेरी छूट साफ़ दिख जाए। उसकी नजरे अभी भी छेद में चमक रही थी।
मैंने झरना खोला और गरम गरम पानी मेरे शरीर पर पड़ने लगा। मैंने कभी अपनी चुंचियाँ मलती, तो कभी अपनी चूत साफ़ करती। मैं चाहती थी वो मुझे देखे और उत्तेजित हो जाए। मैं नहा चुकी तो मैंने दरवाजे के छेद के पास अपनी चूत सामने कर दी। मेरी चुंचियाँ कड़ी होने लगी थी।
मुझे लगा कि उसे अब मेरी चूत साफ़ नजर आ रही होगी। मैंने अपना बदन तोलिये से पोंछ कर कपड़े पहनने शुरू किए। अब उसकी आँख वहाँ नहीं थी।
मैं बाथरूम से बाहर आयी और अनजान बनते हुए बोली-‘अरे… राहुलकब आए..?’
‘बस अभी ही आया हूँ…’ उसका झूठ पकड़ में आ रहा था। उसका लंड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।
‘क्या बात है… तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है…’ मैं बालों पर कंघी कर रही थी। उसे छेड़ने में मुझे मजा आ रहा था। मैं उसके सामने बैठ गयी और झुक कर पंखे की हवा में बाल सुखाने लगी। उसकी नजरों के सामने मेरी उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी।
उसकी नजरें मेरे स्तनों पर गड़ गयी।
मैंने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा… और उसके गर्माते शरीर पर सीधे चोट की…’विनोद… अन्दर क्या देख रहे हो …झांक कर ?’
‘हाँ… नही… क्या…?’ वो बुरी तरह झेंप गया।
‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ राहुलएकदम से शरमा गया।
‘नेहा… वो… नही… सो… सॉरी…’
‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’
‘नेहा… अच्छी लग रही थी…सॉरी कहा न ‘
मैं उसके पैंट पर से लंड के उभर को देख रही थी। उसने ऊपर हाथ रख लिया।
‘नही देखो… इधर.. ‘ वो शरमा गया। मैं मुस्कुरा उठी।
‘तो कान पकडो…’
राहुलने अपने कान पकड़ लिए… ‘बस…ना…’
हाथ हटाने पर लंड का उभार फिर से दिखने लगा।
मैं हंस पड़ी।
वो देखो… जो है वो तो दिखेगा ही… ‘
अब राहुलको समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। उसका लंड का आकार तक दिखने लगा था। राहुलउठ कर मेरे पास आ गया। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा-‘नेहा…तुम्हारी भी तो उभार है… एक बार दिखा दो…’
‘अरे…मैं तो मजाक कर रही थी… तुम अन्दर देख रहे थे… इसलिए मजाक किया था…’
राहुलसे रहा नही गया उसने एकदम से मेरे गालों को चूम लिया। मैं शरमा गयी…
‘विनोद… ये क्या कर रहे हो…’
उसने तुंरत ही मेरे होंट पर अपने होंट रख दिए। मैंने सोचा अब इसे और आगे बढ़ने दो। मुझे मजा आने लगा था।
उसने मेरे भारी स्तनों को पकड़ लिया। उसने स्तनों को मसलना चालू कर दिया। मैं सिमटी जा रही थी। पर उसके हाथों ने मेरे उभारों को मसलना जारी रखा। मैं अपने को बचाती भी रही…पर उसे रोका भी नहीं।
जब उसने मेरे उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब मैंने जान कर के उसे पीछे की ओर धक्का दे दिया-‘बहुत बेशरम हो गए हो…’ मेरे हाथ से कंघी नीचे गिर गयी। मैं जैसे ही उठ कर कंघी उठाने को झुकी, मेरे पजामे में से मेरी गांड की गोलाईयां उभर कर राहुलके सामने आ गयी। राहुलबोल उठा-‘नेहा बस ऐसे ही रहो…’ मैं जान कर के वैसे ही झुकी रही।
‘क्या हुआ…?’
उसने मेरे नरम नरम गोल चूतडों को हाथ से सहला दिया। गोलाईयां सहलाते हुए उसके हाथ दोनों फाकों की दरार में घुस पड़े ओर फिर अपनी उंगली घुसा कर मेरी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं वैसे ही जान कर के झुकी रही। अब उसके हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढ गए।
मैं सिहर उठी। जैसे ही उसने चूत दबी… चूत का गीलापन उसके हाथ में लग गया। अब उसने मेरी चूत को भींच दिया। मैंने जल्दी से उसका हाथ हटा दिया। और सीधी खड़ी हो गयी।
राहुलमुस्कुराया ‘नेहा… मज़ा आ गया… तुम्हें कैसा लगा…?’
‘अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो… कालेज़ नहीं जाना क्या…?’ मैंने भी उसे मुस्कुरा कर कहा।
हम दोनों ने दोपहर का खाना खाया। फ़िर राहुलकालेज़ चला गया। मैंने अपने कपड़े बदले, पैन्टी और ब्रा उतार दी और सिर्फ़ स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन लिया। मैंने सोचा कि अब जब राहुलआएगा तो मुझे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा। मैंने हमेशा की तरह अपनी गाण्ड में क्रीम लगा कर चिकनी कर ली और बिस्तर पर लेट गई। राहुलके बारे में सोचते सोचते जाने कब मुझे नींद आ गई।
अचानक मेरी नींद खुल गई। मुझे अपनी पीठ पर एक जिस्म का भार महसूस हुआ। मैं सिहर उठी और समझ गई कि यह राहुलहै पर मैंने आंख नहीं खोली। राहुलमेरी पीठ पर सवार था और उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड पर स्पर्श हो रहा था।
मैं नीचे दबी हुई थोड़ी इधर उधर हुई तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर टिक गया। मैंने अपनी टांगें थोड़ी और फ़ैला दी।
‘नेहा… तुम बहुत अच्छी हो…’
‘आऽऽऽह… विनोद…’ उसके लण्ड की सुपारी से चिकनाई निकलने लगी जो मेरी गाण्ड को भी चिकना कर रही थी। उसके लण्ड ने अपनी मर्दानगी दिखानी शुरू कर दी, उसके चूतड़ों ने लण्ड पर जोर लगाया और सुपारी छेद में आराम से घुस गई।
‘आऽऽऽऽह… अन्दर गया…ऽऽ विनोद…’ मेरे मुंह से सिसकारी फ़ूट पड़ी। उसने हल्का सा जोर लगाया तो लण्ड गाण्ड की गहराईयों में रगड़ खाता हुआ उतरने लगा। अब मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी और टांगें पूरी खोल दी। अब उसके लण्ड का जोर पूरा लग रहा था।
मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी चुन्चियों पर रख दिए. मैं कोहनियों पर हो गयी और आगे से शरीर को थोड़ा ऊपर कर लिया. उसने अब मेरी चुंचियां पकड़ ली और मसलने लगा. मेरे ऊपर वो चिपका हुआ था. लंड उसका मेरी गांड में पूरा घुसा था पर वो अभी धक्के नहीं मार रहा था. वो मुझे चूमने चाटने में लगा था. उसके होंट मेरे होंट तक नहीं पहुँच पा रहे थे. मैं मस्ती में नीचे दबी पड़ी थी.
अब उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रखे और मेरे बदन को उसने मुक्त कर दिया. अब उसने धीरे धीरे धक्के मारने चालू कर दिए. मैं फिर से बिस्तर पर चिपक कर लेट गयी. और आराम से आंखे बंद कर ली. मैं पूरे मन से गांड चुदाई का आनंद ले रही थी. उसकी स्पीड अब तेज हो गयी थी. उसके लंड से चिकनाई भी निकल रही थी.
‘नेहा… आःह्ह… मजा आ रहा है…’
‘हाँ रे…सी सीई.. आः…’ मैं नीचे लेटे लेटे आँखें बंद करके सिस्कारियां भरती रही. मेरे अन्दर अब मीठी मीठी सी गुदगुदी बढने लगी. नीचे मेरी चूत भी बहुत पानी छोड़ रही थी. सारे बदन में वासना की रंगीन कसक सी बढ रही थी. मुझे ऐसा महसूस होने लगा था की राहुलमेरे अंग अंग को दबा दे , उसे मसल डाले… मेरा सारा कस बल निकाल दे.
‘विनोद… करते रहो…जोर से…करो… हाय…’ ऐसा लगा आवाज़ मेरी अंतरात्मा से निकाल रही हो. उसके धक्के मेरी गांड में ऐसे आराम से चल रहे थे जैसे कि चूत चुद रही हो. उसी सरलता से… उसी तेजी से…मजा भी उसी के समान आ रहा था…
‘हाय… आ अहह हह… नेहा… मैं गया… निकला मेरा…नेहा…’
उसके लंड ने मेरी गांड के अन्दर ही सारा वीर्य भर दिया. मेरी गांड में उसका लंड फूलता पिचकता का सा अहसास दे रहा था. उसका पूरा वीर्य निकल चुका था. राहुलमेरे ऊपर ही लेट गया. उसका लंड सिकुड़ कर अपने आप धीरे से गुदगुदी करता हुआ बाहर आ गया. वो एक तरफ़ लुढ़क गया. मेरी गांड में से वीर्य टपक टपक कर बिस्तर पर चूने लगा. मैं वैसे ही उलटी लेटी रही.
मैंने आँख खोली और गहरी साँस ली. मैं तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी. तौलिये से अपनी गांड साफ़ की, फिर राहुलका लंड भी साफ़ किया. अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर लेट गयी. राहुलने अपनी आँख खोली… और मुस्कराया… मैंने उसे चूमना चालू कर दिया. एक हाथ नीचे ला कर उसका मुरझाया हुआ लंड पकड़ लिया. और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी…
उसके लंड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. मैंने उसे अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी. कुछ ही देर में उसका लंड चोदने के लिए तैयार था. मैं राहुलके ऊपर लेट गयी. अपनी दोनों टांगे फैला दी.
लंड का स्पर्श मेरी चूत के आस पास लग रहा था. मैंने उसके होंट अपने होटों में दबा लिए. हम दोनों अपने आप को हिला कर लंड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे. उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड लिया. मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी.
अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी. उसका लंड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया. वो मेरी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया. मेरे मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकाल पड़ी…’विनोद… अ आह हह हह हह… सी ई स स स ई एई…’
‘मजा आ रहा है न नेहा…’
‘विनोद… आआह्ह्छ… करते रहो…आ आह हह ह… लगाओ धक्का… आ अह ह्ह्ह्छ..’
मेरे मुख से आहें फूट पड़ी. गांड चुदाने से मेरी उत्तेजना पहले ही बढ़ी हुयी थी. अब उत्तेजना और भी बढाती जा रही थी. उसके लंड के मोटेपन का चूत में अहसास हो रहा था. लंड जड़ तक जा रहा था. मैं आनंद से सराबोर हो गयी थी. सिस्कारियां… आहे… फूट रही थी. मेरे चूतड ऊपर से तेजी से चल रहे थे. मैंने उसके हाथ अपनी चुन्चियों पर रख दिए. उसने मेरे स्तनों को मसलना…मरोड़ना… चालू कर दिया. उसने जैसे ही मेरी नोकों को मसलना और खींचना चालू किया. मेरी तो जान निकलने लगी.
‘जोर से खींच… मेरे राजा… मसल दे… आः ह्ह्छ… मेरे धक्के तेज होने लगे… मैं चरम सीमा पर पहुँचने लगी थी.
‘विनोद…हाय… मैं गयी… हाय… मैं गयी…सी सी ई… अरे..विनोद… रे…’
मैंने अचानक ही उसके हाथ मेरी चुन्चियो पर से हटा दिए…और चूत का पूरा जोर उसके लंड पर लगा दिया.
‘आ आह्ह ह्ह्ह… विनोद… निकला…निकला… हाय… रे…निकला… हाय… छूट गयी..रीई… आह्ह्ह्छ…’
मैं झड़ने लगी… मेरे चूत की लहरें उसके लंड पर लग रही थी. मैं पूरी झड़ चुकी थी. मैं तुंरत उठी और उसका लंड चूत में से निकाल गया. मैंने उसे अपने हाथों में लेकर कस के दबा लिया…और तेजी से दबा कर मुठ मारने लगी… जोश में उसके चूतड ऊपर उठे और उसके लंड ने फुहार छोड़ दी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ छोड़ रहा था. मैंने उसका सारा वीर्य उसके लंड पर लगा कर उसकी मालिश करने लगी. थोड़ा वीर्य उसके चूतडों पर और उसकी गांड के छेद पर भी मल दिया.
वो शान्ति से आँखे बंद करके लेट गया था. उसने थकान से अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उठ कर बाथरूम में नहाने चली गयी. मैं जब बाहर आयी तो राहुलने बिस्तर की चादर बदल दी थी. अब वो कपड़े पहन रहा था.
‘नेहा तुम आराम करो… मैं चाय बना कर लता हूँ.’
मैंने घड़ी देखी…दिन के 4 बज रहे थे. मैं बिस्तर पर लेट गयी. वो चाय कब लाया मुझे पता नहीं चला। मैं गहरी नींद में सो गयी थी…
पाठक अपने विचार भेजें ! Hindi Sex Stories
हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ Hindi Sex Stories कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के लिये हमारे साथ यहां आ गया था। मेरा देवर राहुल कॉलेज में था उसे सुबह जाना होता था और 12 बजे तक वापस आ जाता था। मैं दोनों का नाश्ता और खाना सुबह ही तैयार देती थी। राहुल सवेरे उठ कर मुझे जगा देता था, कई बार मैं कम कपड़ो में सोती थी, तब राहुल मुझे बहुत गौर से देखता रहता था। शायद वो मेरे बोबे निहारता था। अगर कभी कभी रात को पति से चुदाने के बाद मैं ऐसे ही सो जाती थी। मुझे अस्तव्यस्त कपड़ों में राहुल का मुझे ऐसे निहारना रोमांचित कर देता था। पर वो तो दिन भर अपने आप को इन चीज़ो से अनजान ही बताता था। वो भी जब कभी पेशाब करता था तो मौका देख कर लण्ड को ऐसे निकाल कर करता था कि उसका लण्ड मुझे दिख जाये। मैं भी उसके लण्ड की छवि मन में उतार लेती थी और वो मेरे मन में बस जाता था। अपने ख्यालो में मैं उस लण्ड से चुदती भी थी।
जब वो करीब 12 बजे दिन को लौटता था तो उसे खाना परोसते समय मैं झुक कर अपने स्तन के दर्शन जरूर कराती थी, वो भी तिरछी नजरों से मेरे सुडौल स्तनों का रसपान करता था। पजामे में से उसका लण्ड जोर मारता स्पष्ट दिखाई देता था।
जब दोनों तरफ़ आग लगी थी तो देरी किस बात की थी। जी हां … हमारे रिश्तों की दीवार थी, मेरी उम्र की दीवार थी … उसे तोड़नी थी … पर कैसे ??? देखने दिखाने का खेल तो हमने बहुत खेल लिया था … अब मन करता था कि आगे बढ़ा जाये, कुछ किया जाये … … शायद ऊपर वाले को भी हम पर दया आ गई थी … … यह दीवार अपने आप ही अचानक टूट गई।
दिन में खाना खा कर राहुल अपने बिस्तर पर लेटा था। मैं भी अपने कमरे में जा कर लेट गई थी। मन तो भटक रहा था। मेरे हाथ धीरे धीरे चूत पर घिस रहे थे। मीठी मीठी सी आग लग रही थी। मेरा पेटीकोट भी ऊपर उठा हुआ था। हाथ दाने को सहला रहा था। अचानक मुझे लगा को कोई है? मैंने तुरन्त नजरें घुमाई तो राहुल दरवाजे पर नजर आ गया। मैंने जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लिया और बैठ गई। राहुल डर गया और जाने लगा … शायद वो कुछ देर से मुझे देख रहा था …
“ए राहुल … इधर आ … ” मैंने उसे बुलाया ” देख भैया को मत कहना जो तूने देखा है।”
“नहीं भाभी, नहीं कहूंगा … आपकी कसम !”
“ले ये 50 रु रख ले बस … !” मैंने उसे रिश्वत दी। राहुल की आंखे चमक उठी, उसने झट से पैसे रख लिये।
“आप बहुत अच्छी है भाभी … !” उसका लण्ड अभी भी उठान पर था, मुझे ये सब करता देख कर वो उत्तेजित हो चुका था।
“तुझे अच्छा लगा ना … ” मैंने शरम तोड़ना ही बेहतर समझा।
“हां … भाभी, पर आप भी मत कहना भैया से कि मैंने आपको ये सब करते हुये देख लिया है।”
मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई … तो सब इसने देख लिया है … मैं समझी थी कि बस थोड़ा सा ही देखा होगा। मुझे लगा कि अब राहुल मुझसे चुदाई के बारे में फ़रमाईश करेगा। पर हुआ उल्टा ही … राहुल की सांसे तेज हो गई थी … उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था … राहुल मेरे कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया। मुझे लगा कि आज मौका है, लोहा गर्म है, माहौल भी है … कोशिश कर लेनी चाहिये।
इसी कशमकश में 15 मिनट निकल गये। हिम्मत करके मै उठी और धीरे से उसके कमरे में झांका। वो किन्हीं ख्यालो में खोया हुआ था या उसे वासना की खुमारी सी आ रही थी। पजामे में उसका लण्ड खड़ा था और उसके हाथ उस पर कसे हुये थे। आंखे बन्द थी और वो शायद हौले हौले मुठ मार रहा था। शायद मेरे नाम की ही मुठ मार रहा था। आनन्द में मस्त था वो। मैं दबे पांव उसके बिस्तर के पास आई और उसके बालों पर हाथ फ़ेरा। उसने अपनी आंख नहीं खोली, शायद वो इसे सपना समझ रहा था। मैंने अपना होंठ उसके होंठो से मिला दिये और उसे चूमने लगी। वो तन्द्रा से जागा। उसके होंठ कांप उठे और अपने आप खुल गये।
” भाभी … आप … !” उसके हाथ मेरी कमर में आ गये, उसकी वासना से भरी आंखे गुलाबी हो रही थी।
“राहुल मत बोल कुछ भी … तू मुझे प्यार करता है ना … !” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लग गई, ताकि उसके इन्कार की गुन्जाइश नहीं रहे।
“भाभी … हाय मेरा लण्ड … मैं मर गया … मत करो ना … !” उसकी झिझक अभी बाकी थी। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।
“तू कितनी बार मुठ मारेगा … आजा आज अपनी कसर निकाल ले, कितना मोटा लण्ड है तेरा … !” उसके लण्ड को मैंने जबरदस्ती कस कर पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। आखिर उस पर वासना सवार हो ही गई। उसने विरोध करना छोड़ दिया और लण्ड को मेरे हवाले कर दिया। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसे अपने जिस्म के नीचे दबा लिया। अपना पेटीकोट भी ऊपर करके नंगी चूत उसके पजामे में खड़े कड़क लण्ड के ऊपर रख दी और हौले हौले घिसने लगी। राहुल उत्तेजना से तड़प उठा। उसने मेरे कठोर स्तन थाम लिये और सहलाने लग गया। मेरे स्तन कड़े होते जा रहे थे। चूचक भी कड़क हो कर फूल गये थे। चूत से पानी रिसने लगा था। मेरे शरीर का बोझ उस पर बढ़ने लगा।
“राहुल पजामा उतार दे ना … हाय रे देख तेरे लण्ड की क्या हालत हो रही है।” मुझे चुदाने की जोर से इच्छा होने लगी थी। चूत में जोर की मिठास भरने लगी थी।
“भाभी, आप भी पेटीकोट उतार दो ना … मुझे आपका सब देखना है … ” उसकी बेताबी देखते बनती थी, लगता था कि राहुल की भी प्रबल इच्छा हो रही थी कि अपनी भाभी की मस्त चूत और गाण्ड की प्यारी प्यारी गोलाइयाँ देखे।
“सच राहुल … मेरी चूत देखेगा, … मेरी चूंचिया देखेगा … सुन, अपना लण्ड मुझे दिखायेगा ना !” मेरी बेताबी बढ़ने लगी। चूत का पानी साफ़ करते करते पेटीकोट भी गीला हो गया था।
“हां, मेरी भाभी … जो चाहोगी आप कर लेना।” राहुल नंगा होने को बेताब लग रहा था। उसकी कमर चोदने की स्टाईल में कुछ कुछ ऊपर नीचे हो रही थी।
मैंने धीरे से उसका पजामा उतार दिया। उसका मस्त तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। थोडी सी गोल सी चमड़ी में से उसका सुपाड़ा झांक रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की चमड़ी खींच कर लाल सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी स्किन लगी हुई थी , मतलब उसने किसी को नहीं चोदा था, फ़्रेश माल था। मेरा प्यार उस पर उमड पड़ा।
“राहुल, प्लीज अपनी आंखे बन्द कर लो, मुझे अब कुछ करना है … !” मैंने राहुल से वासनामय स्वर में कहा। राहुल ने चुपचाप अपनी आंखे बन्द कर ली। मैंने थूक का बड़ा सा लौन्दा उसके सुपाड़े पर रख दिया और उसे मलने लगी। उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैंने अब झुक कर उसका मस्त लण्ड मुख में ले लिया और मुख में लण्ड अन्दर बाहर करके अपना मुख चोदने लगी। वो मस्ती में सिमट गया और … आहें भरने लगा।
“अपनी टांगे उठाओ राहुल … थोड़ी और मस्ती करनी है … !” मुझे उसकी गाण्ड को अंगुली से चोदने की इच्छा होने लगी।
“लो उठा ली टांगें … ” उसने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। उसकी गाण्ड खुल गई।
मैंने उसकी गाण्ड को सहलाने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के फ़ूल को छूने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के छेद में थूक लगा कर एक अन्गुली धीरे से अन्दर सरका दी। राहुल चिहुंक उठा। धीरे धीरे अंगुली अन्दर बाहर करने लगी … राहुल झूम उठा।
“भाभी … आप तो सब कुछ जानती है … कितनी अच्छी है … कितना मजा आ रहा है … मेरा लण्ड रगड़ दो ना !” उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, आहें फ़ूट पड़ी।
“मजा आ रहा है ना … !” मैंने दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड कर मुठ मारना चालू कर दिया। पर ये क्या … वो टांगे समेट कर एठने लगा और उसका वीर्य छूट पड़ा। ढेर सारा वीर्य निकलता गया … मैंने फ़ुर्ती से लण्ड को अपने मुख में ले लिया और गटागट पीने लगी। उसकी गाण्ड में से अन्गुली निकाल ली। उसकी सांसे उखड़ रही थी। वो अब धीरे धीरे अपनी सांसें समेट रहा था, अपने आप को कन्ट्रोल कर रहा था।
अब कपड़े उतारने की मेरी बारी थी। मैं भी बेकाबू हो रही थी। मैं चाह रही थी कि वो भी मेरे जिस्म से खेले। मेरी चूंचियो को दबाये,, खींचे, घुमाये, मेरी चूत से खेले मेरी गाण्ड की गोलाईयाँ दबाये औए गाण्ड में मेरी ही तरह अंगुली करे। मैंने राहुल से कहा,” राहुल … अब आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लो … कहो कहां से शुरू करोगे … ?” मेरे मुख से बोल नहीं वासना उमड़ रही थी।
“भाभी … मुझे तो आपके बोबे यानी चूंचियाँ बहुत जोरदार लगती हैं … जाने सपनो में कितनी बार दबा चुका हूँ।” राहुल ने शान्त स्वर में इकरार किया। और कुछ ही पल में उसने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार दिये। उसने प्यार से मेरे मद मस्त बदन को निहारा और मेरे चूचियों को सहलाने लगा। मेरे कड़े चूचक उबल पडे। मेरे निपल को उसने घुमाना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सीत्कार निकल पडी।
“राहुल … हाय … मसल दे रे मेरी चूंची … ” मैं झनझनाहट से तड़प उठी। मैंने प्यार से उसके चेहरे को चूम लिया। तभी उसका कुंवारा लण्ड धीरे धीरे खडा होता हुआ दिखने लगा। मैं तनमयता से लण्ड को एक्शन में आते देखने लगी। उसे देख कर मेरी चूत तड़प उठी। खड़ा होते होते उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। मुझे लगने लगा कि बस अब राहुल मेरी चूत मार ही दे और मेरी चूत फ़ाड दे। लेकिन अभी उसके होंठो के बीच मेरे चूचक दबे हुये थे जिसे वो खींच खींच कर चूस रहा था या कहिये कि पी रहा था। उसमें से थोड़ा थोड़ा सा दूध आ रहा था।
अब उसके एक हाथ ने नीचे से मेरी चूत दबा दी। मैं हाय कर उठी … चूत के पानी से उसका हाथ गीला हो गया। अब धीरे धीरे बदन चूमता हुआ चूत की ओर बढ़ने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। कुछ ही क्षणों में मेरी फूली हुई चूत पर उसके होंठ जम गये थे। राहुल की जीभ बाहर निकल कर चूत के द्वार खोल कर कर अन्दर का रसपान करने लगी। मेरी कलिका फ़ुदक उठी, कठोर हो कर तन गई। जीभ का स्पर्श मुझे तेज मिठास दे रहा था। उब उसकी जीभ ने मेरी कलिका को होंठो के बीच दबा लिया था और उसको चूस रहा था। अचानक राहुल की एक अंगुली मेरी कोमल गाण्ड में घुस गई। और अन्दर बाहर होने लगी। ये सब कुछ मेरे सहनशक्ति के बाहर था । मेरे मुख से एक सीत्कार निकल पड़ी और उसके बालों को पकड़ कर मैंने उसके सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपना पानी उगलने लगी। मैं झड़ चुकी थी।
“हाय राहुल … मेरा तो दम निकल गया रे … मैं तो गई … आह्ह्ह्ह्ह् … मेरी मां री … …!! ” राहुल ने अपनी नशीली आंखों से मुझे देखा और मेरे ऊपर आ गया। मुझे चूमने लग गया।
“हाय मेरी भाभी, आप तो बडी मस्त हैं … काश आप मुझे पहले मिली होती … आपके नाम के कितनी बार मुठ मारी मैंने !”
” हां राहुल, मैंने भी तो कई बार तीन तीन अंगुलिया चूत में घुसेड़ कर कर पानी निकाला है तेरे नाम का … !”
” बस भाभी, अब देर ना करो … अपना भोसड़ा फ़ैला दो … मुझे अब अपनी मनमर्जी करने दो !” उसकी उत्तेजना बढ़ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी। अब मुझे जी भर के चुदना था। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपना भोसड़ा चौड़ा दिया। पर उसकी मंशा कुछ और ही थी। उसने मुझे एक झटके में उल्टा कर दिया।
“भाभी, मेरा लण्ड तो आपकी गोल गोल लचकदार गाण्ड देख कर फ़ूलता है … पहले इसका नम्बर लगाऊंगा !” मुझे पता था कि उसका लण्ड अभी कुंवारा है, चोदने का अनुभव भी नहीं है अभी तो … फिर गाण्ड क्या मारेगा।
“देख अभी नहीं, बाद में गाण्ड मार लेना … अभी तो अपने लौड़े से मेरी चूत मार दे …! “
” नहीं भाभी … पहले गाण्ड का मजा, मेरा तो गाण्ड को देख कर ही माल निकल जाता है … प्लीज!”
मेरे गाण्ड का फ़ूल अब दबने लगा। उसने अपना लण्ड पकड़ा और उसने अपना सुपाडा खोला और थूक लगा कर हाथ से लण्ड को छेद पर फिर से दबाने लगा। मेरी गाण्ड नरम थी और गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, सो छेद खुला हुआ था और बड़ा भी था। उसका सुपाड़ा मेरे छेद में अन्दर आकर फ़ंस गया। राहुल ने मर्दानगी के स्वर में कहा,”भाभी, तैयार हो ना … लो ये मेरा मोटा लण्ड … ।” और उसने पूर जोर लगा कर लण्ड अन्दर पेल दिया।
मुझे मस्ती आ गई … और राहुल के मुख से चीख निकल गई। उसका पूरा लण्ड अन्दर तक बैठ गया था। मैंने तुरन्त ही गाण्ड सिकोड़ ली ली और उसके लण्ड को कैद कर लिया। मुझे पता था अब वो तड़पेगा, दर्द से कराहेगा। मुझे वही मजा लेना था।
“बस … बस … हो गया … अब ऐसे ही रहना … तू तो सच्चा मर्द है रे … ! देख एक ही झटके में मेरी गाण्ड मार दी।” उसे शायद मेरा मर्द कहना अच्छा लगा। उसने अपनी चीख अब बन्द कर दी। मेरी पीठ पर अब वो लेट गया। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को फिर से ढीला कर दिया।
“राहुल एक और मर्द वाला शॉट लगा दे बस … ” मैंने उसकी मर्दानगी जगाई। भला वो पीछे रहने वाला था। उसने एक जोरदार झटका मारा, फिर एक चीख निकल गई। पर उसने सहन कर ली। मैंने अपने पांव और खोल कर उसे राहत दी। वो भी अपनी मर्दानगी दिखाते हुए अब कमर चलाने लगा। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैंने मस्ती में आंखे बन्द कर ली। मुझे उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं था। बस सटासट चुद रही थी। मेरी गाण्ड में लौड़ा लेने की पुरानी आदत थी सो गाण्ड हिला हिला कर उसका लण्ड गाण्ड में भरने लगी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसका जलता हुआ गरम लौड़ा गाण्ड में मिठास भर रहा था। पर शायद उसे अब चोदने की लग रही थी। मेरे चिकनी चूत का मजा लेना चहता था। सो उसने अब अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर मेरे भोसड़े में घुसा दिया। उसे भी आराम मिला चिकनी चूत में। मुझे भी एक गहरा सा आनन्द दायक मीठा तेज मजा आया। ये चुदाई का मजा था। चूत में लण्ड जब घुसता है तो जन्नत नज़र आ जाती है। मैंने अपनी ग़ाण्ड थोड़ी ऊपर कर ली और चूत में गहराई तक लण्ड लेने लगी।
“राहुल, मेरे मर्द, लगा और जोर से, जड़ तक फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को … साली बहुत प्यासी है …! “
“मुझे मर्द कहा, मेरी भाभी … तुझे आज मर्द का पूरा मजा दूंगा भाभी … ले मेरा लण्ड और ले … “
“हाय रे … मैं मर गई राहुल … पेल और पेल … दे और दे … मैं मर जाउंगी मेरे राजा … “
उसका लण्ड अपने पूरे शबाब पर था, गहराई तक चोद रहा था। मेरी चूत का पानी निकल कर लण्ड को पूरा गीला कर चुका था, और फ़च फ़च की मधुर आवाजें कमरे में गूंजने लगी।
“जोर मार मेरे राजा … आह्ह्ह … मजा आ रहा है … लगा और जोर से … हाय रे … मर गई रे … ”
“हां, भाभी … मस्त मजा आ रहा है … आपकी चूत ने तो आज मेरे लण्ड को स्वर्ग दिखा दिया … हाय रे … ले और ले मेरा लौडा … “ उसकी गति भी बढ़ती जा रही थी और मुझे सारे बदन में वासना की मीठी मीठी तड़प बढ़ती जा रही थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमटी जा रही थी। मेरे पूरे जिस्म में तूफ़ान आ आने वाला था। मैं होश खोती जा रही थी। राहुल का शरीर मुझ पर कसता जा रहा था। अचानक उसकी रफ़्तार बढ़ गई। मेरी सिसकारी निकल पडी। और मैं कसमसा उठी। मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरा पानी चूत से छूटने लगा। उसके हाथ मेरे बोबे पर कस गये और उसके तन्नाये हुये कड़क लण्ड ने भी मेरे चूत के अन्दर अपना लावा उगलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत ने और उसके लौड़े ने एक साथ जोर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराई में जाकर अपना रस छोड़ रहा था, झटके खा कर वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। मैं भी चूत का जोर लण्ड पर लगा रही थी और अपना पानी निकालने में लगी थी। दोनों ही झड़ते जा रहे थे और आनन्द में मगन हो रहे थे। अब राहुल ने अपना बोझ मुझ पर डाल दिया और उसका लण्ड सिकुड़ने लगा। अपने आप ही वो चूत से बाहर निकल गया।
हम दोनों ही चुदाई से तृप्त हो कर एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे और चूमते जा रहे थे। अचानक मेरी नजर उसके लण्ड पर पडी, उसमें सूजन आ चुकी थी, ऊपर की चमड़ी कहीं कहीं से फ़ट चुकी थी। मुझे उसकी मर्दानगी पर गर्व था।
“राहुल, तू तो सच्चा मर्द निकला रे … अब आ तेरे लौड़े की ड्रेसिन्ग कर दूं !” मुझे उस पर दया भी आई। पर मुझे उससे आगे भी चुदना था सो उसे मर्द कह कह कर उसे जोश भी दिलाना था, कुछ ही देर में मैंने उसके लण्ड को साफ़ करके उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी। राहुल मर्द के नाम पर एक बार तो फिर चोदने के लिये तैयार हो गया, पर मैंने उसे प्यार से समझा दिया और अपनी गोदी में उसका सर रख कर उसे प्यार करने लगी। Hindi Sex Stories
मैं अन्तर्वासना की एक Hindi Sex Stories नियमित पाठक हूँ। मैंने एक बात पर ध्यान दिया कि यहाँ तांत्रिक की कोई कहानी नहीं है जबकि तांत्रिकों को लेकर कई मनघड़न्त कहानियाँ हैं हमारे देश में।
यह कहानी है आज से पाँच सौ साल पहले के भारतवर्ष की। उस ज़माने में इस देश में तांत्रिकों और औझाओं का बड़ा दबदबा था। बड़े बड़े राजा-महाराजा किसी न किसी तांत्रिक की शिष्य थे। ऐसे ही एक राजा थे महाराजा प्रताप सिंह !
वे विलासपुर के महाराजा थे। यह कहानी उनकी बेटी राजकुमारी सुजाता की है। राजकुमारी सुजाता सर्वगुण-सम्पन्ना थी। वो सुन्दर, सुशील, शांत और सब कलाओं में निपुण थी। उसका कद 5 फीट 2 इंच, रंग सांवला, घट की तरह वक्ष और ढोल की तरह नितम्ब थे। इतनी भारी भरकम नितम्ब लेकर वो ज्यादा तेज़ नहीं चल पाती थी, बिलकुल राजहंस की तरह वो चलती थी। जब गाना गाती थी तो ऐसा लगता था जैसे सारी कायनात (दुनिया) गूंज उठी हो।
राजकुमारी सुजाता जब उन्नीस साल की हो गई तब महाराजा प्रताप सिंह ने उसके स्वयम्बर का प्रबंध किया।
उनके तांत्रिक गुरुदेव बाबा गोरबनाथजी उन्हें सलाह दी कि स्वयम्बर के एक सप्ताह पहले वे सुजाता को गोरबनाथजी के पास भेजें। राजा उन पर पूर्ण विश्वास करते थे। राजा ने सुजाता को भेजने का प्रबंध किया।
उस रात बहुत बारिश हो रही थी। सुजाता अकेली एक घोड़े पर सवार हो कर गोरबनाथजी के आश्रम आई। आश्रम में बाबा के भक्तों ने सुजाता को एक कुटिया में बिठाया और एक लड़की आकर सुजाता के पैर धोने लगी। उस लड़की नाम अंजना था। कुछ ही देर में दोनों में दोस्ती हो गई।
सुजाता(सु): मुझे क्या करना है यहाँ?
अंजना(अ): तुमको पता नहीं? तुम्हें किसी ने नहीं बताया?
सु: नहीं !
अ: तुम्हें इस पवित्र गंगा-जल से नहाना पड़ेगा, तब तुम शुद्ध होगी।
सु: उसके बाद?
अ: तुम नग्न अवस्था में बाबा के पास जाओगी, तब बाबा तुम्हें नीवी पहनायेंगे।
सु: नग्न होकर? नहीं बाबा, मुझसे यह काम नहीं होगा।
अ: तो फिर तुम कभी भी माँ नहीं बन पाओगी ! बाबा की सेवा करनी होगी तुम्हें आज रात को ! तब बाबा तुम्हें आर्शीवाद देंगे, तब तुम माँ बनोगी।
सु: अच्छा, ठीक है ! सेवा करूंगी !
अ: यह हुई न बात ! जाओ उस पवित्र गंगाजल से नहा कर आओ !
यह कहकर अंजना सुजाता को एक जलप्रपात के पास ले आई, सुजाता के सारे कपड़े उतार दिए और उसे नहलाना शुरू किया।. उन दोनों में से किसी को नहीं पता चला कि और भी कोई है जो इस स्नान-दृश्य को बड़े गौर से देख रहा है।
नहाने के बाद सुजाता नग्न अवस्था में जब बाबा गोरबनाथ के पास पहुँची तो बाबा की आँखें फटी की फटी रह गई। इतनी सुन्दर नारी बाबाजी ने पहले कभी नहीं देखी थी। मन ही मन वे सुजाता के यौवन की तारीफ़ कर रहे थे।
उसका उन्नत वक्ष-स्थल, मदमस्त कर देने वाले पृष्ट-उभार देखकर ही बाबाजी गरम होने लगे। उन्होंने तय किया कि आज इस नारी की मस्त जवानी का रस खूब पियूँगा।
अंजना नीवी लाई। बाबाजी काम्पते हुए हाथ से उस सुंदरी सुजाता को नीवी पहनाने लगे। सुजाता मुस्कुराई।
पहली बार किसी मर्द की हाथ का स्पर्श पाकर सुजाता एक अजीब सी आनंद में खो गई। ऐसा क्या जादू था उस स्पर्श में ! बाबा का जादूभरा स्पर्श पाकर सुजाता खिल उठी। बाबाजी उसके मन की बात को समझ कर मुस्कुराए- आ जाओ जान आज की मदमस्त रात तुम्हारी इस मदमस्त जवानी के नाम !
बाबा गोरबनाथ बड़े सिद्ध पुरुष थे। उनके पास कई सिद्धियाँ थी। उनमें से एक है वशीकरण ! वो किसी भी प्राणी चाहे वो इंसान हो या जानवर, किसी को भी अपने वश में कर सकते थे। दरअसल बात यह थी कि बाबाजी ने महाराजा प्रताप सिंह को अपने वश में किया हुआ था। वे स्पर्श से, आँख से और बातों से भी वशीकरण कर सकते थे। सुजाता को उन्होंने अपने स्पर्श से वशीभूत किया। अंजना अब सुजाता को लेकर एक पास वाली कुटिया में गई।
उस कुटिया में गुलाब की महक थी, एक चारपाई थी, उस चारपाई पर एक थाली थी, थाली में एक गिलास था जिसमें शरबत था। अंजना के कहने पर सुजाता ने वो शरबत पी लिया और धीरे धीरे उसे एक अजीब सा नशा छाने लगा। दरअसल वो एक खास किस्म का नशीला शरबत था, उसे जो पीता उसे ही नशा हो जाता। आज से ५ साल पहले बाबाजी ने इसी शरबत को पिलाकर राजा को वश किया। आज राजकुमारी सुजाता की बारी है।
आधी सोई आधी जगी सुजाता को अंजना बाबा की यज्ञ भूमि पर लाई। बाबा ने उसके सर पर हाथ रखके एक मंत्र का उच्चारण किया और सुजाता जाग गई। उसे सब कुछ अच्छा लगने लगा। आज तक जो कुछ उसे बुरा लगता था वो भी अच्छा लगने लगा। उसने बाबा गोरबनाथ को कामुक नजर से देखा और अपने आप ही घुटनों के बल बाबाजी के सामने बैठ गई और धोती से उनका लण्ड निकालकर देखने लगी। बाबा गोरबनाथ की उम्र पैन्तालीस साल थी पर लुंड दस इन्च का था। सुजाता ने जिंदगी में पहली बार इतना मोटा और लम्बा लण्ड देखा पर उसे डर नहीं लगा। ऐसा ही असर था बाबाजी के मंत्र का ! सुजाता पूरी तरह से उनके वश में थी, वो अपने होश खो चुकी थी।
वो बाबाजी का मोटा लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी। बाबाजी तो तब सातवें आसमान पर थे। जब उन्हें लगा कि अब वो झड़ने वाले हैं तो उन्होंने कहा- अच्छा राजकुमारी जी, अब चूसना बंद कीजिये। आपने मेरी कामेच्छा को जगाकर मुझ पर बहुत दया दिखाई है, अब इस बालक को आपकी सेवा करने का अवसर दीजिये। अब कृपया विपरीत आसन में लेट जाईये इस बालक के ऊपर !
सुजाता ने मुस्कुराकर कहा- ठीक है बालक ! चलो लेट जाओ !
बाबाजी लेट गए अपनी चारपाई पर ! उसके ऊपर 69 पोज़िशन में सुजाता लेट गई। बाबाजी सुजाता की चूत को चाट रहे थे, चूस रहे थे। सुजाता आनंद में झूम रही थी और ऊहऽऽ आह कर रही थी और बाबाजी का मोटा लण्ड चूस रही थी। बाबाजी भी चिल्ला रहे थे- आह क्या बात है, आह ऊ आअ हह आह !
इतने में सुजाता दो बार झड़ी। कोई साधारण लड़की होती तो निढाल पड़ जाती पर बाबाजी के मंत्र के जोर से उसकी ताक़त और कामेच्छा बिल्कुल कम नहीं हुई।
अब बाबाजी भी इतना चूसने के बाबजूद झड़नेवाले नहीं थे, उनकी अजीब शक्ति थी। ये जो वो सुजाता के साथ कर रहे हैं इसे भैरभी साधना कहते हैं। इसमें नारी होती है देवी माँ जो अपने भक्त की कामना पूरी करती है, भक्त उन्हें जिस रूप में चाहे पूजा कर सकता है। यहाँ बाबा गोरबनाथ उन्हें कामदेवी के रूप में पूज रहे हैं।
बाबाजी ने अब कहा- हे माते, अब आप पद्मासन में अपने बालक की काम-इच्छा पूरी कीजिये, मेरा लिंग धारण करके मेरी वासना पूरी कीजिये !
सुजाता ने कहा- जैसी तेरी इच्छा बालक ! आज मैं तेरी हर मनोकामना पूरी करूंगी, अपने बालक की हर मनोकामना उसकी माँ ही पूरी करती है ! चल तैयार हो जा !
बाबाजी ने पद्मासन में बैठ गए और सुजाता उनके ऊपर आसन जमा कर बैठ गई. सुजाता की योनि ने बाबाजी के लण्ड को आसानी से ले लिया। कमाल का मान्त्रिक है बाबा गोरबनाथ।
पद्मासन में एक दूसरे को धक्के लगाते- लगाते दोनों ही सिसकारियाँ भर रहे थे। सुजाता को बहुत आनंद आ रहा था, वो चिल्ला रही थी- आ आ अह ऊ ओहऽऽ !
तभी अचानक बाहर उल्लू ने आवाज लगाई। बाबाजी को पता चल गया कि क्रिया का अंतिम चरण आ गया है, उन्होंने उसी हालत में सुजाता के कान में एक और मंत्र पढ़ दिया और सुजाता पर से पहले के मंत्र का असर ख़त्म हो गया।
सुजाता आखरी बार चीखी- ऊ ऊओह्ह्ह्ह ! ई ऊऊ मा आऽऽ !
कहते कहते वो जोर से झड़ने लगी। उस समय बाबाजी ने धक्के मारना बंद किया और एक पात्र में सुजाता का योनि-रस भरने लगे। पात्र पूरा भर चुका था। तभी सुजाता ने बाबाजी के लण्ड पकड़ कर दो बार मुठ मारी और बाबा ने भी अपना माल उसी पात्र में गिरा दिया। बहुत ही गाढ़ा और गर्म था बाबाजी का रस।
अब दोनों निढाल पड़ गए और एक दूसरे की बाहों में सो गए।
कुछ देर बाद जब बाबाजी उठे, उन्होंने सुजाता को उठाया और कहा- अब यह पवित्र शर्बत पी लो !
शर्बत और कुछ नहीं दोनों का मिलाजुला रस जो बाबा ने उस पात्र में भरा था। सुजाता ने वो पी लिया और फिर बाबा ने कहा- जाओ बेटी ! महल लौट जाओ ! अब तुम सुखी और सौभाग्यवती होगी। मेरा आर्शीवाद तुम्हारे साथ है !
सुजाता घोड़े पर सवार हो कर महल लौट रही थी, अब वो एक नई सुजाता थी- काम-क्रीड़ा में निपुण !
बाबा के मंत्र ने उसे हमेशा के लिए बदल दिया।
कहानी कैसी लगी? अपनी राय जरूर भेजें ! Hindi Sex Stories
मैं पूना में रहता Hindi Sex Stories हूँ। आज मैं जो घटना बताने जा रहा हूँ वो मेरी जिदंगी मे घटी सची घटना है।
एक महीने पहले की बात है, मैं ऑफ़िस से निकलने के बाद बस स्टॉप पर खड़ा था। अचानक मेरे सामने एक कार आकर रूकी। मैंने देखा पर गाड़ी के शीशे काले होने के कारण अंदर का कुछ दिखाई नहीं दिया। गाड़ी के शीशे नीचे हुए तो मैं चोंक गया क्योंकि अंदर जो लड़की थी वो हमारे बाजू वाले ऑफ़िस की मालकिन नेहा थी। उसने मुझे अंदर बैठने का इशारा किया। मैं तुरंत ही अंदर बैठ गया। मैं सोच रहा था कि यह सपना है या हकीकत! क्योंकि नेहा से सिर्फ़ बात करने के लिये सब तरसते थे और मैं आज उसकी गाड़ी में उसके पास बैठा था। गाड़ी चल पड़ी। उसने शीशे बंद कर दिए।
नेहा के बारे में कुछ बता दूँ। नेहा की उमर 25 साल। मुझसे 4 साल बड़ी। रंग गोरा भूरी भूरी सी आंखें और फ़िगर के बारे में क्या बताऊँ, एकदम कयामत है, कहीं पर भी जरूरत से ज्यादा या कम नहीं है। कुल मिलाकर सोनाली बेंद्रे जैसी दिखती है। और बात रही मेरी, तो मैं एक साधारण 21 साल का लड़का हूँ। बहुत स्मार्ट नहीं पर दिखने में अच्छा हूँ। मेरा स्वभाव एकदम शांत है। शायद इसीलिए आज तक मुझसे एक भी लड़की नहीं पटी। जाने दो, अब कहानी की ओर चलते हैं।
गाडी के अंदर ए सी चालू था। मौसम भी अच्छा था। उसने अचानक पूछा- तुम्हें गाड़ी चलानी आती है?
मैंने हाँ कहा तो उसने गाड़ी साईड में रोक ली। उसने मुझे गाड़ी चलाने को कहा। मैं गाड़ी चलाने लगा। उसने कुछ रोमांटिक गाने लगाए। गाड़ी तेजी से आगे बढ़ रही थी। उसने गाड़ी धीरे चलाने को कहा। वो मुझे बार-बार देख रही थी। कोई कुछ नहीं बोल रहा था। पहल उसी ने की।
नेहा- तुम कहाँ रहते हो?
मैं- हडपसर में! आप?
नेहा- मैं चंदन नगर में।
मैं- तो फ़िर हडपसर क्यों जा रही हैं?
नेहा- बस आज तुम्हारे साथ जाने का मन हुआ!
यह सुनकर तो मैं चौंक ही गया। मेरे दिमाग में घंटी बजने लगी। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसकी आंखो में एक चमक थी और उसकी सांसें तेजी से चलने लगी थी। उसने गाड़ी साइड लेने को कहा। वहाँ पास में एक गार्डन था। नेहा ने मेरी तरफ़ देखा ओर कहा- चलो थोड़ी देर गार्डन में बैठते हैं।
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे साथ आज क्या हो रहा है। मैं बस पागलों की तरह उसकी तरफ़ देख रहा था। उसने मेरा हाथ पकड़ा और चलने लगी। मैं भी उसके साथ चलने लगा। मैं बस सोच रहा था कि आगे क्या होने वाला है।
हम एक पेड़ के नीचे बैठ गए। वो जगह काफ़ी सुनसान थी। सामने की झाड़ी में एक प्रेमी-युगल था। वो दोनों चुम्बन कर रहे थे। उन्हें शायद पता ही नहीं था कि हम वहाँ थे। वो तो बस एक दूजे में ही खोए हुए था। धीरे धीरे लड़के का हाथ लडकी के टॉप के अंदर जाकर उसके स्तन दबाने लगा था। यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया जो कि 6′ का है (मैं सब लोगों की तरह झूठ नहीं बोलना चाहता)। मैं यह पूरी तरह से भूल गया था कि मैंनेहा के साथ हूँ। मेरी नजर उधर जाते ही मुझे होश आया। वो मेरी तरफ़ ही देख रही थी। मेरी नजर शर्म के मारे झुक गई।
नेहा- तुम अभी क्या देख रहे थे?
मैं-?
नेहा- मैं नहीं जानती थी कि तुम ऐसे निकलोगे।
मेरी तो जैसी जान ही निकल गई। वो उठी और जाने लगी। मैंने उसे सॉरी बोला पर वो नहीं रुकी और जाकर गाड़ी में बैठ गई। मैं ड्रायविंग सीट पर आ गया। मैंने फ़िर से उसे सॉरी बोला पर वो कुछ नहीं बोली।
मैं गाड़ी चालू करने लगा, तभी मेरे लण्ड को कुछ स्पर्श हुआ। मैंने नीचे देखा तो वो नेहा का हाथ था। मैं उसकी तरफ़ देखने लगा। उसने मेरी ज़िप खोली और मेरे लण्ड को बाहर निकाला जो कि घबराहट की वजह से छोटा हो गया था। वो उसे सहला रही थी।
मैं- आप क्या कर रही हो?
नेहा- मुझे मत रोको। मैं इसके लिए तरस रही हूँ। मैं तुम्हारे साथ इसके लिए ही आई थी। मैंने जबसे तुम को देखा है तबसे तुम्हें अपने ऊपर लेने को तरस रही हूँ। इसीलिए मैं तुम्हें यहाँ लाई थी।
यह सुनकर मेरी हिम्मत बढ़ गई। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैं जैसे स्वर्ग में था। मैंने भी उसे जोर से चूमना शुरु कर दिया और उसके मुँह में अपनी जबान सरका दी। इसका असर मेरे लण्ड पर होने लगा जोकि अब भी उसके हाथ में था। वो धीरे धीरे अपनी असली रूप में आने लगा। हम इतनी जोर से चूमा-चाटी कर रहे थे कि गाड़ी में चप-पच ऐसी आवाजें आ रही थी।
मैंने अपना एक हाथ उसके वक्ष पर रख दिया और उसे दबाने लगा। वो आहें भरने लगी। मेरा लण्ड भी पूरा खड़ा हो गया था। उसने मुझसे कहा कि आराम से बाद में करेंगे, अभी जल्दी से अपने लण्ड को मेरी बुर में डाल दो।
उसने जल्दी से अपने पैंट और पेंटी को निकाल दिया। मैंने सीट पीछे की और सीट को सीधा कर उस पर लेट गया। मेरा लण्ड तो उसकी चिकनी बुर को देख कर उछल रहा था। वो मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई और मेरे लण्ड को अपने हाथों से सही जगह लगा कर जोर से उस पर बैठ गई। मेरा लण्ड अंदर जाते ही जोर से चिल्लाई। मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था।
उसने मेरे होटों पर अपने होंट रख दिये और हम फ़िर से किस करने लगे। मैं अपने हाथों से उसके दोनों स्तनों को दबा रहा था। वो जोर जोर से मेरे लण्ड के ऊपर ऊपर-नीचे हो रही थी और जोर जोर से आह आह्ह अहह अह कर रही थी। वो शायद बड़ी जल्दी में थी। वो झड़ने के करीब थी और मैं भी। वो जोर से ऊपर नीचे होने लगी। अचानक वो सिकुड़ने लगी। उसने मुझे जोर से पकड़ रखा था। मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी थी। वो शांत हो गई पर मैं अभी तक झड़ा नहीं था।
मैंने उसे अपनी जगह लिटा दिया मैं उसके ऊपर आ गया। मैंने अपना लण्ड उसकी बुर में डाल दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा। मेरा भी समय करिब आ गया था। 5-7 झटके मारने के बाद मैं उसकी बुर में झड़ गया। तकरीबन 30 मिनट तक हमारी चुदाई चली होगी।
उस दिन के बाद जब भी हमें चोदने का मन हो तो मैं उसके घर जाकर उसको रात भर खूब चोदता हूँ। हफ़्ते एक बार तो मैं उसके घर जरूर जाता हूँ। और जब हम ऑफ़िस में हों तो वहाँ पर भी हमारा मन हुआ तो मैं टेरेस पर उसे चोदता हूँ! वो कैसे! मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा। पर आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइए। Hindi Sex Stories
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