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Massage Girl in Satara: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Satara who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Satara that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Satara massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Satara who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Satara massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Satara massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Satara who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Satara employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Satara helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Satara

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Satara at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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(Padhai Ke Sath Chut Chudai)अन्तर्वासना

हाय, अन्तर्वासना के सभी पाठकों और पाठिकाओ, आपकी सेवा में मैं विक्की मित्तल एक बार फिर से अपनी चुदाई के तजुर्बे के साथ हाजिर हूं, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

लगता है मेरी कहानी ‘शीतल की चुदाई’ काफ़ी पाठको ने पढ़़ी है, क्योंकि मेरे पास बहुत से पाठक पाठिकाओ के जवाब आये है जिनमे लिखा है उन्हे मेरी कहानी बहुत पसन्द आई है और मैं अपनी दूसरी कहानी भी जल्द ही भेजूं। इसके लिये आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद। लगता है कि पढ़ने वालों में लड़कियों और औरतों की संख्या अधिक है, क्योंकि लिखने वालो में लड़किया अधिक है। कुछ लड़कियों ने तो यहां तक लिखा है कि अपनी नई कहानी में उनको लेकर यानि उन्हे नायिका बना कर कहानी लिखूं।

यहां पर मैं बताना चाहूंगा कि शीतल की चुदाई मेरी कोई कल्पना मात्र नहीं है बल्कि ये वास्तव में मेरा पहला तजुर्बा है, और आज भी है। बस अन्तर इतना है कि उसकी अब शादी हो चुकी है। वह ससुराल में अपने पति के साथ बहुत ही खुशहाली का जीवन व्यतीत कर रही है।

आगे भी मैं जो कहानी भेजूंगा वो भी कोई कल्पना नहीं होगी बल्कि वास्तविक घटना होगी जो कि मेरे साथ घट चुकी होगी। मैं अपनी पाठिकाओं का दिल तोड़ना नहीं चाहता हू, इसलिये मैं उनसे विनती करूंगा कि जो ये चाहती कि मैं उन पर कहानियाँ लिखू वो अपने शरीर का विवरण अवश्य ही भेजे जिससे मुझे कहानियाँ लिखने में सहूलियत होगी।

सम्पूर्ण विवरण से तात्पर्य है कि वे अपनी बॉडी की बनावट, कद काठी, कूल्हे भारी हैं या हल्के, चूचियो का साईज़, छोटी है या बड़ी, उनका रंग, चूत क्लीन शेव्ड है या झांटों से भरपूर है। आपकी खास आदते और पसन्द वगैरह। जब आप अपना शरीर का पूरा परिचय दे देंगी तो तो अवश्य ही आपके लिये एक बहुत ही सेक्सी और बहुत ही एक सुन्दर सी कहानी लिख पाऊंगा।

हां तो मैं आज अपनी जीवन का दूसरा तजुर्बा कहानी के रूप में लिख कर भेज रहा हूं। कुछ लड़के और लड़कियाँ या महिलाये ऐसी भी होंगी जिन्होने ने मेरी पहली कहानी नहीं पढ़़ी होगी या इस साईट में अभी सम्मिलित हुये हो तो मैं उन्हे अपना परिचय देना जरूरी समझता हूँ। मेरी उम्र लगभग 29 वर्ष, रंग एक दम गोरा है, मेरी हाईट पांच फ़ुट दस इन्च है। हालांकि मेरी बॉडी थोड़ी भारी है पर लम्बाई के कारण मैं मोटा नहीं लगता हूं। मेरी पर्सनाल्टी बहुत ही चार्मिंग है, मैं बहुत सुन्दर हू, लड़किया मेरी तरफ़ आसानी से आकर्षित हो जाती है।

बचपन से लेकर अब तक काफ़ी लड़कियाँ मेरी दोस्त बन चुकी है। मैंने आई आई टी रुड़की से इन्जीनियरिंग करने के बाद आई आई एम अहमदाबाद से एम बी ए किया है। और अब में दिल्ली में अपनी ही एक पारिवारिक ओर्गेनाईजेशन में काम करता हूं। हां तो दोस्तों, लगता हैकि अब आप काफ़ी बोर होने लगे है इसलिये मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।

बात उन दिनो की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़़ता था। और उस समय मेरी उमर 18 वर्ष की थी पर मेरी कद काठी की वजह से मैं 18-20 वर्ष का लगता था। हमारी ही कोलोनी में एक लड़का और रहता था जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनो लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा उसके अलावा एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे।

मेरे दोस्त का नाम मनोज है और उसकी बहन का नाम कोमल था। वो बी एस सी पार्ट फ़र्स्ट में पढ़़ रही थी।

कोमल बहुत ही खूबसूरत थी। उसका रंग एकदम गोरा चिट्टा था। उसकी हाईट लगभग 5 फ़ुट चार इन्च होगी। आँखें एकदम काली और बड़ी बड़ी, मानो हर समय उसकी आंखे कुछ कहना चाहती हो। जब वो आंखो में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी तो वो गजब ही ढा देती थी।

शरीर 36-24-38 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी थी। उसका साईज तो लगभग 36/38 रहा होगा पर एकदम कठोर और कसी हुई थी। चूतड़ तो बस क्या कहने एकदम भरे भरे और सुडौल।
जब चलती थी तो उसकी चूतड़ों को देख कर लगता था कि मानो दो बड़ी बड़ी गेंद या फ़ुटबॉल आपस में रगड़ खा रहे हो।

वो आम तौर पर टाईट सलवार कमीज या चूड़ीदार पजामा और कुर्ती पहनती थी, जिसमे उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी। खास तौर पर तो उसके चूतड़ों उभार तो मस्त नजर आता था। कभी कभी वो स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उमर का तो पता ही नहीं चलता था।

मैं तो शुरू से ही पढ़़ने में बहुत होशियार था खास कर गणित तो मेरा फ़ेवरेट विषय था। मनोज गणित में बहुत कमजोर था तो वो मेरे साथ ही पढ़़ाई करता था। साथ में कोमल भी आकर पढ़़ाई करती थी।

अधिकतर पढ़़ाई तो रात को हमारे घर पर ही होती थी, क्योंकि उसके परिवार में काफ़ी सदस्य थे। इसलिये मनोज और कोमल रात को मेरे घर ही आ जाया करते थे। हम सभी काफ़ी देर तक पढ़़ाई करते रहते थे। एक साथ पढ़़ाई करने की वजह से मैं और कोमल काफ़ी घुल मिल गये थे और एक दूसरे के साथ फ़्री हो कर बातें भी करते थे। वैसे भी पड़ोस में रहने के कारण एक दूसरे के परिवार में मेरा काफ़ी आना जाना रहता था।

क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँमेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थी और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थी। कोमल भी मेरी तरफ़ बहुत ही आकर्षित थी और कई बार मम्मी से मजाक में कहा करती थी कि मेरा दूल्हा तो विक्की है ना। मैं तो विक्की से ही शादी करूंगी। मम्मी हंस देती थी। कोमल मुझसे भी कहती थी कि विक्की आज तो तू बड़ा स्मार्ट और सुन्दर लग रहा है, है ना बिल्कुल दूल्हे राजा जैसा। आजा मेरे साथ शादी करले और मैं जोर से हंस देता था।

मैं भी उसको पसन्द करता था और अनेकों बार रात में उसको ध्यान में रख कर जोर से हस्त मैथुन भी कर लेता था। मैं तो मन ही मन उसको चोदना चाहता था पर कहने से डरता था कि कहीं वो सुन कर बुरा ना मान जाये और मेरे साथ रात को पढ़़ना बन्द ना कर दे। बस वैसे ही दिन कट रहे थे। दशहरा आने वाला था, दशहरे की छुट्टियाँचल रही थी।

एक बार मनोज से मेरी कुछ कहा सुनी हो गई और बात यहां तक बढ गई कि उसकी और मेरी बोल चाल बन्द हो गई। लड़ाई के बाद मनोज रात को पढ़़ने भी नहीं आया, केवल कोमल ही आई। पर उसने कोमल को ये नहीं कहा कि मेरा उसका झगड़ा हो गया है, बल्कि कहा कि उसकी तबियत खराब है इसलिये वो रात को पढ़़ने नहीं जायेगा।

कोमल को उस रोज कुछ समझ नहीं आया लेकिन जब दूसरे दिन भी जाने मना कर दिया और कोमल को भी जाने से रोकने लगा तो उसका माथा ठनका और फिर कोमल ने कह दिया कि तू जाये या ना जाये वो तो विक्की के यहां ही पढ़़ाई करेगी। फिर वो मेरे घर आ गई। हम दोनो लगभग एक घन्टे पढ़़ते रहे, कोई एक दूसरे से कुछ नहीं बोला। हम दोनो ही आमने सामने बैठ कर पढ़़ रहे थे कि अचानक उसने आंखे उठा कर मेरी तरफ़ देखा।

‘क्या तेरे और मनोज की लड़ाई हुई है’

मैं चुप ही रहा और मेरी आंखो में पानी आ गया। इस पर वो उठ कर मेरे पास आ गई। मेरी दाईं तरफ़ बैठ कर अपने दोनो हाथों से मेरी कोहली भर ली और मेरा सर अपने सीने से लगा लिया, पहले तो मैं चौंक गया फिर मैं समझा कि मेरी आंखो में पानी आने के कारण वो मुझे दुलार रही है। मेरा सर उसकी बाईं चूंची के ऊपर रखा था। मैं उसकी नर्म चूंची का गुदगुदापन उसके कुरते के ऊपर से महसूस कर रहा था जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

पहले तो कुछ पल हम चुप बैठे रहे फिर वो बोली कि जब तुम एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते तो लड़ते क्यूं हो, वो भी तुम्हारे बिना तुम्हारी ही तरह उदास है। चिन्ता ना करो कल को मैं तुम्हारी बोलचाल फिर से करवा दूंगी। यह कहकर उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भींच लिया। फिर बोली चलो अब मुस्करा दो। जैसे ही उसने मुझे कस कर भींचा उसकी बाईं चूंची पर मेरा गाल आ गया। वो उसे दबाने लगी जिससे मेरा लण्ड बहुत तेजी के साथ सख्त हो कर फ़नफ़नाने लगा।

उन दिनों हालांकि थोड़ी सी गर्मी थी सो मैंने निकर और बनियान ही पहना हुआ था। जब मेरा लण्ड ऊपर नीचे होकर फ़ड़फ़ड़ाने लगा और वो निकर के ऊपर से ही उसकी जांघ या हल्का सा ऊपर उसको लग गया तो वो बोली कि तेरी जेब में क्या है जो मुझे चुभ रहा है। मैंने हंसते हुये कहा कि कुछ नहीं। लेकिन वो बोली कि कुछ तो जरूर है जो जेब में हिल रहा है, ला मैं भी देखूं। यह कह कर उसने मेरे लण्ड को निकर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी।

अब तो मैं भी सब कुछ समझ गया और मैंने भी जोश में आकर कोमल के होंठ के ऊपर अपने होंठ रख दिये और तेजी के साथ चूसने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ कोमल के मुंह में डालने की कोशिश करने लगा जिस पर उसने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में आने दिया। वो भी मेरी जीभ बड़े जोश के साथ चूसने लगी। हमारी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे में खोये हुये थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुये तो कोमल ने पूछा इधर अंकल या आण्टी तो नहीं आयेंगी।

मैंने कहा नहीं आयेंगी क्योंकि वो जानते है कि हम तीनों यहां पढ़़ाई कर रहे हैं और उन्हे मनोज के नहीं आने की बात मालूम नहीं है जो चिन्ता करे और दूसरे यह कि वो जल्दी सो जाते हैं। अब तक तो वो सो गये होंगे।

फिर भी कोमल बोली कि दरवाजे की कुण्डी लगा लो और मैंने कुण्डी लगा दी। अब वो एक दम से मुझसे लिपट गई और बोली कि विक्की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने भी कहा कि प्यार तो मैं भी करता हूं। पर तुम मेरे से 1-2 साल बड़ी हो इसलिये लगता है कि शादी नहीं हो पायेगी!

तो कोमल बोली कि हर प्यार की आखिरी मंजिल शादी नहीं होती है कई बार कुर्बानी भी देनी होती है। शादी नहीं होगी तो क्या हुआ हम एक दूसरे को प्यार तो कर सकते है ना। और ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिये और उन्हे चूसने लगी। हम दोनो खड़े हुये थे और एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुये थे। एक दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। कभी कोमल की जीभ मेरे मुंह में होती तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में होती।

अब उसने एक हाथ नीचे करके निकर के ऊपर से ही मेरा सख्त लण्ड पकड़ लिया था। वो उसे सहलाने लगी और बोली कि बहुत उछल कूद मचा रहा है। अब देखती हू इसमें कितना दम है।

अब मैंने भी अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना चालू कर दिया था। एक हाथ से मैं उसकी चूंची दबा रहा था तो दूसरे से मैं उसके गोल गोल नर्म चूतड़ो को दबा रहा था। सच में उसके चूतड़ बहुत ही गठीले थे। मेरे मेरे हाथ उसकी चूंचियों और चूतड़ों के गोलो को जोर से द्बा रहे थे और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी वो ऊऊओह्हह ऊऊओह्हह आआह्ह अह्ह हह्हह आआअय ययययिईईए स्ससीईईइ स्स स्सस्ससी ईई कर रही थी और ये सुन सुन कर मेरा लण्ड फ़टा जा रहा था। लगता था कि कुछ देर अगर यूं ही हाल रहा तो लण्ड मेरी निकर फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।

मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरते हुये ऊपर से ही उसकी गाण्ड में अंगुली कर दी, कोमल एक दम चीख पड़ी और बोली- ऐसा मत करो मुझे दर्द होता है।

मैंने कहा कोई बात नहीं मैं सिर्फ़ हल्के हल्के से करूंगा दर्द नहीं होगा। मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। हम दोनो थोड़ी देर तक यूं ही एक दूसरे का शरीर टटोलते रहे और चुम्बन लेते रहे। जब बरदाश्त करना मुश्किल हो गया तो हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये। कोमल बोली कि ओफ़्फ़ोह पहले लाईट तो बुझा दो तो मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं तुम्हारा शरीर रोशनी में देखना चाहता हूँ। वो बोली मुझे शरम आती है।

तो मैंने उसे कहा कि जिसने की शरम उसके फ़ूटे करम और जो भी कुछ हो मैं लाईट ऑफ़ नहीं करूंगा। रोशनी में हीं चोदूंगा। यह कह कर मैंने उसके कुर्ती के बटन खोलने शुरू कर दिये। बटन खोलने के बाद मैंने उसकी कुरती झटके से उतारनी शुरू कर दी। कोमल बोली कि कि क्या मेरे कपड़े उतारने का इरादा है, जरा आराम से उतारो ना। ये कह कर उसने अपने हाथ उठा कर उसे उतार दी।

अब उसने सिर्फ़ शमीज, उसके नीचे ब्रा, पजामा और पेन्टी पहनी हुई थी। मैं तो पहले ही बनियान और निकर में था। कोमल ने निकर में नीचे से हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली मैं जानती हू कि तुम्हारा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है, इसलिये शुरू में जरा आहिस्ता आहिस्ता करना। मैंने पूछा तुम्हे कैसे पता कि मेरा लण्ड लम्बा और मोटा है। तो बोली मैंने तुम्हे कई बार छिप कर तुम्हे लण्ड को पकड़ कर पेशाब करते हुये देखा है तो मैं हंस पड़ा।

फिर मैंने उसकी शमीज उतार दी। जोश के कारण उसकी शमीज फ़टते फ़टते बची। कोमल बोली कि कपड़े जरा आराम से उतारो ना, इस तरह बेसबर हो कर कपड़े ना फ़ाड़ो। मैंने हंसते हुये कहा कपड़े तो नहीं पर चूत जरूर फ़ाड़ने का इरादा है। वो भी चेलेन्ज देती हुई बोली कि देखते है कौन किसकी फ़ाड़ता है। यह कह कर उसने मेरी निकर उतार दी और मेरे तन्नाते हुये लण्ड को हल्के से दबा दबा कर सहलाने लगी। इधर मैंने भी उसका पजामा उतार दिया था और अब वो भी काली पेण्टी और ब्रा में खड़ी थी।

उसका दूधिया बदन ट्यूब लाईट में चांदी की तरह चमक रहा था। और अब मुझे अपने ऊपर संयम रखना मुश्किल होने लगा॥ मैंने उसका सारा बदन चाटना आरम्भ कर दिया और अपने हाथों से उसकी चूंचियाँऔर चूतड़ दबाता रहा। और कोमल आअह्ह्ह ऊऊओह्ह ऊऊह्ह्ह ह्हहा आआयईईए सस्सीईईइ करते हुये सिसकारी भरती रही।

अब मैंने उसको कहा कि मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर चूसो परन्तु उसने बिल्कुल मना कर दिया और कहा कि उसे लण्ड चूसने में बहुत घिन आती है मैंने उसे अपना लण्ड दिखाया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मेरा लण्ड ये देखो बिल्कुल साफ़ सुथरा है। मैं रोज नहाते समय और तुम्हारे आने के पहले इसे अच्छी तरह से सफ़ाई करता हूं फिर मैं भी तो तुम्हारी चूत मस्ती से चूसूंगा। इसमें बड़ा मजा आता है।

विक्की तुम तो बड़े एक्सपर्ट लगते हो लगता है कि पहले भी तुम कई लड़कियाँचोद चुके हो। मैंने सर हिलाते हुये मना किया और बताया कि ये मैंने पोन्दी [मस्त राम की सेक्स पुस्तक] में पढ़़ा है और ब्ल्यू फ़िल्मों में भी ऐसा दिखाया जाता है। फिर वो तैयार हो गई और बोली कि एक शर्त है तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में मत झाड़ना वर्ना मुझे उल्टी हो जायेगी और जैसे ही लण्ड झड़ने को आये तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में से फ़ौरन निकाल लेना। ये कह कर वो मेरा लण्ड चूसने लगी।

अभी तक मैंने उसकी चूंचिया। और चूतड़ ही दबा रहा था। वो बोली कि तुम भी मेरी चूत को चूसो।
अब मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी भी उतार दी। वाकई में उसकी चूंचियाँ बहुत बड़ी थी, मगर थी एक दम सुडौल, बिल्कुल दो छोटे से पहाड़ की तरह से तनी हुई, जिसके निपल एकदम सीधे कड़े और तने हुये थे, एक दम दूधिया रंग के थे। उसके निप्पले गुलाबी थी बिल्कुल वो अनार के दाने के बराबर मोटे थे। हम दोनो वहीं पर लेट गये और 69 की पोजीशन में आ गये। मैंने कोमल की चूत देखी तो मैंने कहा कि कोमल ये क्या है तुमने चूत के बाल क्यों बढा रखे है इन्हे शेव क्यों नहीं करती हो।

तो वह बोली कि मैं झाण्ट शेव तो करती हू लेकिन काफ़ी दिनो में, बात ये है कि मुझे रेजर से शेव करते हुये डर लगता है और फिर काफ़ी समय जो लगता है ना। इसलिये काफ़ी दिनों के बाद मैं शेव करती हूं। चलो आगे से मैं तुम्हारी झांटे शेव कर दिया करूंगा तो कोमल इस बात के लिये सहमत हो गई।

मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ फ़िराया तो वो गीली गीली सी लगी और हल्का सा पानी उसकी झांटो पर भी लगा हुआ था॥ पहले तो मैंने अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करनी चालू की तो वो तेजी के साथ आआअह्ह ऊओह्हह ऊऊहह आययईई आअयईई स्सस्ससीईई करने लगी और बोली कि बस अब चूसना शूरु करो ना।

मैंने भी उसकी चूत के होंठ खोल कर अपना मुंह उसकी गुलाबी चूत से लगा दिया और तेजी के साथ चाटने लगा। जैसे ही मैं उसकी चूत चाटने लगा वो अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह से सटाने लगी और कहने लगी कि ह्हह्हा अन्नन ह्हहाआ आन्नन्न ह्हाआआ स्सस्सश ह्हआ आबआअस शह्हह ऐसेय ही ह्हहाआ आअन्नन्न आईस्ससीई ययई ह्ह्हहीईई और अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और गाण्ड को ऊपर उछालने लगी।
अभी उसकी चूत को चाटते हुये पांच मिनट ही हुये होंगे कि वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि ह्हआन्नन्न ब्बाहहूउत आस्सछहआ लल्लाआह्ह आग्गग रर्रहाआ हहाआऐईइ मम्मीईर्रर्रा न्नीइकलने व्वाआल्लाअ है ऊययईईए म्ममी ईरर्रराआ न्ननीकआल्ल रर्रराआआ अहाआआ ह्हाआआ आआऐईई ल्लूऊऊओ मम्माऐईईन्न ज्ज्झ हह्हा रर्रआह्हीई ह्हूऊन और यह कहते हुये उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया और मैंने अपना मुंह एक दम हटा लिया।

इधर कोमल भी काफ़ी जोर शोर से मेरा लण्ड चूस रही थी। मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हू तो मैंने उसको बता दिया तो उसने भी फ़ौरन अपने मुंह से मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया। फिर अपने हाथ से ही चार पांच झटके मारे कि मेरा भी वीर्य भी निकल गया और इतने जोरो से निकला कि काफ़ी वीर्य उसकी टांगो और चूत के आस पास गिरने से उसे गीला कर दिया।

फिर हम दोनो साथ साथ उठ कर बाथरूम में गये और मैं वहां पेशाब करने लगा तो कोमल ने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया और सुपाड़े पर से चमड़ी हटा कर बोली कि अब पेशाब करो।
वो हाथ में पकड़े रही तो मेरा कुछ पेशाब उसके शरीर पर भी पड़ा। इसके बाद वो मेरे सामने उकड़ू बैठ गई और पेशाब करने लगी, तो मैंने भी अपनी अंगुलियों से उसकी चूत के होंठ फ़ैला दिये और कहा कि वो अब पेशाब करे। उसने भी बहुत मोटी धार के साथ पेशाब करना शुरू कर दिया, उसकी धार भी काफ़ी दूर तक जा रही थी।

फिर हम दोनों ने एक दूसरे के शरीर को टॉवेल से साफ़ किया और बाहर आ गये। इस छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और कोमल भी गर्माने लगी थी। हम फिर से एक दूसरे को चूमने चाटने लग गये और कोमल मेरा लण्ड सहलाने लग गई। बीच बीच में वो मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी। फिर जल्दी ही एक बार और 69 की पोजीशन में आ गये और अब कोमल मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं कोमल की चूत को चाट रहा था।

थोड़ी देर बाद कोमल बोली कि विक्की अब आ जाओ, मुझ पर चढ जाओ और मुझे चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।
ये सुन कर मैं उसकी दोनो टांगो के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे कि उसकी चूत थोड़ी सी और ऊपर को उठ गई। अब मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगा कर छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुंह से एक चीख निकल गई। आअयईई म्म्माआआरर ग्गयईए ववीइक्कयई म्मीएर्रर्रीईइ सह्हूऊओत प्पप्फहात ग्ग्गयई।

मैंने अपने होठो को कोमल के होंठो पर कस कर रख दिया ताकि वो फिर से ना चीख सके और बोला कोमल इस तरह से मत चीखो नहीं तो कोई उठ ज़ायेगा और हम पकड़े जायेंगे। वो बोली कि बहुत जोर से दर्द हो रहा है मैंने कहा कि पहली बार ऐसा ही होता है और बाद में बड़ा मज़ा आता है मैं यह कह कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और होंठ चूसने लगा।

इस तरह से उसको कुछ आराम सा मिला और बोली कि हां अब दर्द कुछ कम हो रहा है। मैं 4-5 मिनट यूं ही पड़ा रहा और उसकी चूचियाँचूसता रहा और दबाता रहा जिस से उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था और चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी। अब मैंने उसके होंठो को अपने होंठो में दबा कर एक बहुत ही जबरदस्त धक्का मारा और मेरा लण्ड लगभग 6-7 इन्च उसकी चूत में घुस गया और उसकी चीख घुट कर रह गई। मैं फिर रुक गया और उसकी चूची चूसने और दबाने लगा।

कोमल को अभी काफ़ी दर्द हो रहा था और वोह कह रही थी कि विक्की अपना लण्ड अब निकाल ले मेरी तो चूत फटी जा रही है। मैंने कहा कि बस थोड़ी देर बरदाश्त करो फिर तुम्हे मज़ा ही मज़ा मिलेगा और यह कह कर उसकी चूचियाँचूसने लगा और एक हाथ से मैं उसकी चूत का दाना भी मसलने लगा जिस से उसको कुछ मज़ा आया और वो बोली कि अब फिर से दर्द कुछ कम होने लगा है। यह सुन कर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शूरु कर दिये। अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब कोमल ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया था कि अचानक वो सारी की सारी तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।

अब कोमल की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था। बस मैंने कस कर एक धक्का और मारा और सारा का सारा लण्ड कोमल की चूत में घुस गया और फिर से उसके मुंह से एक चीख निकल गई। इस बार मैं उसके होंठो को अपने होंठो से दबाना भूल गया था सो मैंने फ़ौरन हाथ उसके होंठ पर रख दिया और चीख घुट कर रह गई। मैं 5-7 मिनट यूं ही उसके उपर पड़ा रहा और कभी उसकी चूचियाँ चूसता तो कभी होंठ चूसता या फिर हाथों को उसकी जांघो पर फेरता जिस से कि कोमल को कुछ आराम मिल सके। थोड़ी देर में उसका दर्द गायब हो गया और वो नीचे से उपर को गाण्ड उछालने लगी तो मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा आ रहा है इस लिये मैंने भी उसको आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने शुरु कर दिये।

जब मैं कुछ देर यू ही आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारता रहा तो कोमल एकदम से उत्तेजित हो कर बोली कि अब उसे मज़ा आ रहा है और अब जोर जोर से धक्के लगाओ। यह सुन कर मैंने अपने धक्को कि रफ़्तार बढानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं कोमल को तेजी के साथ चोदने लगा।

अब कोमल पूरा मज़ा ले रही थी और मुंह से बड़बड़ा रही थी हाय बड़ा मजा आ रहा है विक्की जोर से चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में हहाय …स्ससीईइ सस्सीईई ऊऊफ़्फ ऊफ़्फ़फ़्फ़ हहाआऐईई मैईइ आस्ससम्म आन्न मेन्नन ऊऊद्दद्ददीई ज्जाआ र्ररह्हहि ह्हूओन म्म्माआररी और यह कहते हुये कोमल ने अपनी कमर और गाण्ड को तेजी से हिलानी शुरू कर दी और स्सस्सीईई स्सस्ससीईई करते हुये झड़ गई।

मैं अभी तक जोर शोर के साथ धक्के मार रहा था। कमरे में फचा फच की आवाज आ रही थी और मैं धमाधम धक्के मारे जा रहा था। थोड़ी देर बाद कोमल फिर से स्सस्सीईइ स्सस्सीईइ स्ससीईईइ करते हुये झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था। मैं पूरा का पूरा पसीने पसीने हो गया लेकिन धक्के लगाता ही रहा। लग भग 20 -25 मिनट तक फ़ुल स्पीड से धक्के लगने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूं और मेरे मुंह से भी अनाप शनाप निकलने लगा कि हाय म्ममेर्ररि र्राअन्ननि म्ममीर्रराअ न्नीइकल्लने ययई व्वाआआलआ हैईई तो कोमल एक दम बोली कि अपना लण्ड बाहर निकाल लो इसे चूत के अन्दर नहीं झाड़ना है वरना गड़बड़ हो सकती है सो मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया और कोमल से कहा कि हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे पीछे करो तो उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाता रहा तो दूसरा हाथ उसके चूतड़ों और गाण्ड पर फेरने लगा। कभी-2 जोश के कारण मैं अपनी अंगुली उसकी गाण्ड में भी अन्दर करने लगा। कोमल तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ऊऊफ़्फ़ ऊऊफ़्फ़ ह्हाआऐई ह्हाआआऐई करता हुअ झड़ गया।

मैंने झड़ते-2 जोश में अपना मुंह उसकी चूचियों में जोर से दबा दिया और उसकी गाण्ड में अपनी पूरी अंगुली अन्दर कर दी तो वो चिल्ला पड़ी और बोली कि क्या मेरी चूचियों को ही काट खाओगे और यह कह कर मेरा सिर अपनी चूचियों में जोर से दबा लिया। हम कुछ देर यूं ही पड़े रहे और फिर उठे तो देखा कि कोमल की चूत से खून निकल आया था जो उसकी चूत और झाण्टों पर लगा था। खून को देख कर कोमल डर गई और बोली कि विक्की लगता है कि मेरी चूत फट गई है और अब क्या होगा।

तो मैंने समझाया कि डरने की कोई बात नहीं है सभी को पहली बार ऐसा ही होता है और यह कह कर मैंने एक रूमाल से उसकी चूत और झांटो से खून साफ़ कर दिया और उसके बाद हम दोनो उठ कर बाथरूम में गये जहां पर पहले तो कोमल ने मेरा लण्ड पकड़ कर मुझ को पेशाब कराया और फिर मैंने कोमल को अपने सामने उकड़ू बैठा कर अपनी अंगुलियों से उसकी चूत को चौड़ाया और पेशाब करने को कहा। जब वो पेशाब करने लगी तो पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी अंगुली करनी शूरु कर दी और वो पेशाब करती रही। फिर हम लोगो ने अपने-2 कपड़े पहने और कोमल को उसके घर छोड़ आया।

कोमल को छोड़ने से पहले यह वायदा लिया कि अगली बार हम दोनो इकट्ठे ही बगल के बाल और झांटे साथ साथ बनायेंगे जिससे उसने कबूल कर लिया। दोस्तों, यह एक घटना है और वो रूमाल जिस से मैंने कोमल कि चूत का खून सफ़ किया था आज भी मैंने सम्भाल कर रखा हुआ है। तो यह था मेरा चुदाई का दूसरा तज़ुरबा। अब आप पढ़़ कर फ़ैसला करे कि ये आपको कैसी लगी। आप अपने कमेण्ट्स मुझे ई मैल अवश्य करे।

अखिर में मैं एक बात और कहूंगा कि मैंने बहुत सी लड़कियों की चूत चोदी है और उन्होंने भी बड़े मजे ले कर चुदवाई भी करवाई है परन्तु आज तक किसी लड़की ने अपनी गाण्ड नहीं मरवाई है। मेरी बहुत ही इच्छा है कि मैं किसी लड़की की गाण्ड मारूं पर कोई भी तैयार नहीं होती है और कहती है कि बहुत दर्द होता है। हमें गाण्ड नहीं मरवानी है। एक बार तो मैंने ही एक कॉल गर्ल बुलवाई और उससे कहा कि मैं उसकी गाण्ड मारना चाहता हूं और 5000 रुपये तय रात से अधिक दूंगा सिर्फ़ गाण्ड मारने के लिये। तो वो राजी नहीं हुई। पर जब मैंने उसे 5000 का लालच और दिया तो वो तैयार हो गई और गाण्ड मरवाने के लिये झुक गई।

जैसे ही मैंने गान्ड पर थूक लगाया और लण्ड को उसकी गाण्ड पर रख कर धक्का लगाया तो लण्ड उसकी गाण्ड में घुसते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि हाय मैं मर गई। मेरी तो गाण्ड ही फ़ट गई। मुझे नहीं मरवानी अपनी गाण्ड मुझे नहीं चाहिये तुम्हारे 5000 रुपये अगर चूत चोदनी है तो चोद लो मगर मैं गाण्ड नहीं मरवाऊंगी।

लेकिन जब मैं अन्तर्वासना पर गाण्ड मराने की कहनियाँ पढ़़ता हूं तो देखता हू कि लड़कियाँ और औरते बड़ी खुशी से गाण्ड मरवाना पसन्द करती हैं और गाण्ड मरवा कर पूरा मज़ा लेती है। ऐसे ही आज तक किसी भी लड़की या औरत ने मेरा लण्ड तो जरूर चूसा है पर उसका वीर्य किसी ने भी नहीं पिया और तो और मुंह में भी नहीं झड़वाया और झड़ने से पहले ही लण्ड को अपने मुंह से बाहर कर दिया।, जब कि कहानियों में लड़कियाँ और औरते लण्ड चूसती हुई झड़ने पर बड़े स्वाद के साथ वीर्य को पी जाती हैं और उन्हे कतई घिन नहीं आती है।

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उस दिन जब हम बिग Sex Stories बाज़ार में थे तो अचानक मेरी पत्नी की नज़र एक सुंदर सी औरत पर पड़ी और उसने आवाज़ लगाई- रागिनी!

सुन कर उस औरत ने पीछे मुड़ कर देखा और मेरी बीवी को देख कर जोर से चिल्लाई- हाय संगीता.. कितने दिनों के बाद मिली तू!

दोनों सहेलियाँ एक दूसरे से बात करती रही और मैं रागिनी को देख रहा था.. मैं तो अपनी पलक झपकाना ही भूल गया था.. इतनी खूबसूरत.. क्या फिगर है..
ऐसा लगा जैसे सब कुछ एकदम सांचे में तराश कर लगाया हो! उसकी नोकदार चूचियाँ.. पतली कमर और उभरे हुए नितम्ब.. उफ़ एक तो मैं वैसे ही बहुत सेक्सी हूँ और ऐसे फिगर वाली सुंदर औरतें मेरी कमजोरी है।

उसने काले रंग का सलवार सूट पहना था, जिसमें से उसके बदन का हर कटाव एक दम साफ़ नज़र आ रहा था। उसके गोरे रंग पर काला ड्रेस मानो उसके बदन की रेखाओं को उजागर कर रहा था, उसकी गोलाई और उभार से मेरी नज़र हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।

तभी मेरी बीवी ने पलट कर मेरी तरफ़ देखा और कहा- यह रागिनी है मेरी कॉलेज की दोस्त!
मैंने हेलो कहा, उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया।

अब मैंने उसने होंठो को देखा.. एकदम रस भरे गुलाबी होंठ. मानो कह रहे हो- आओ मेरा रस चूस लो!

इस पहली मुलाकात में ही रागिनी ने मेरे लंड को मानो चोदने की दावत दे दी थी। यह सोच मुझे परेशान करने लगी कि इसे कैसे चोदा जाए! एक तरफ़ मैं सोच रहा था कि ये मेरी बीवी की ख़ास सहेली है.. कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए इसे चोदने के चक्कर में।

सच तो यह था कि मेरी बीवी भी काफी सेक्सी है लेकिन रागिनी उससे भी ज्यादा सेक्सी और सुंदर थी। उसे मेरे बिस्तर में ले कर नंगी करके चोदना ही मेरा सपना बन गया उस पहली मुलाकात के बाद।

उस दिन तो दोनों ने मिलकर ही शौपिंग की लेकिन उसके बाद भी अक्सर दोनों साथ साथ ही घूमने जाती।

रागिनी को नंगी करके चोदने का सपना सपना ही रहेगा, ऐसा मुझे लगने लगा था क्योंकि वो बहुत ही नपे तुले स्टाइल में बात करती थी, कभी कोई वाहियात बात या कोई गन्दा मजाक नहीं करती थी। उसकी बातों से पता चलता था कि वो अपने पति को भी बहुत प्यार करती है और उसके साथ खुश भी है।

कभी कभी रात में अपनी बीवी को चोदते हुए मैं कल्पना करता था कि मेरी बांहों में रागिनी है और मैं उसे चोद रहा हूँ। रागिनी की बातों से लगता था कि वो थोड़ी पुराने ख्यालात की है और बहुत ही शर्मीली भारतीय गृहिणी है।

उसके बाल बहुत लंबे थे जो मुझे ज्यादा पसंद हैं। शरीर मानो अजंता की कोई मूर्ति हो। उसकी चूचियाँ, उसके चूतड़ और उसकी गदराई जांघें जो उसकी सलवार से महसूस होती थी। उसका चेहरा अंडाकृति था, गोरा और भरा हुआ।

सबसे बड़ी बात जो मुझे बाद में पता चली कि उसके दो बच्चे हैं। उसके शरीर की बनावट से वो 25 साल की युवती लगती थी जबकि उसकी उमर थी 35 साल। मुझे उसके पतली कमर के साथ डोलते हुए चूतड़ बहुत विचलित करते थे, मैं सोचता था कि उसे नंगी करने के बाद उसके गोरे गदराये चूतड़ कितने प्यारे लगेंगे.. उन्हें सहलाने में और दबाने में कितना मजा आएगा!

और कमर से ऊपर नज़र जाते ही.. उफ़ उसकी भरी हुई छातियाँ.. उसके स्तन एकदम कसे हुए थे.. दो बच्चों की माँ लेकिन स्तन जैसे बीस साल की कुंवारी लड़की के.. 36 साइज़ होगा उनका.. दोनों उसके ब्लाऊज़ या कुरते के अन्दर एक दूसरे से चिपके हुए रहते थे.. जिसके कारण उसके बीच की घाटी बहुत ही उत्तेजक दिखाई देती थी। सब कुछ मिला कर मेरे जैसे कामी पुरूष के लिए वो एक विस्फोटक औरत थी…

ऐसे ही दिन गुजर रहे थे। अचानक मेरी बीवी के पिताजी की तबियत ख़राब होने का समाचार आया, उसने मेरे बेटे को साथ लिया और दूसरे दिन सुबह की बस से चली गई।

इस बात को करीब एक हफ्ता हो गया। मैं घर में अकेला ही था। मेरे ऑफिस में भी मार्च के महीने के लिए बहुत काम था, मुझे छुट्टी भी नहीं मिली थी इसलिए सुबह जल्दी ही ऑफिस जाना पड़ता था।

एक दिन सुबह प्रात: कालीन विधि व स्नान करने के बाद मैं काफी की चुस्की ले रहा था कि दरवाजे की घण्टी बजी। मैंने हाथ में लिया हुआ पेपर रखा, मैं सोच रहा था कि इतने सुबह कौन आ गया। दरवाजे पर जाकर पहले खिड़की से बाहर देखा.. वहाँ और कोई नहीं, मेरे सपनों की मलिका रागिनी खड़ी थी।

मैंने दरवाजा खोला, मैं सोच रहा था कि इतनी सुबह वो मेरी बीवी से मिलने क्यों आई है जबकि उसे मालूम था कि मेरी बीवी पिछले हफ्ते अपने पिता के यहाँ गई हुई है और अभी वहीं रहेगी।

मैंने दरवाजा खोला और कहा- गुड मोर्निंग रागिनी!’
वो वहीं चुपचाप खड़ी रही..
मैंने कहा- वहीं खड़ी रहोगी क्या? हेल्लो भी नहीं कहोगी?’
‘हाय’ उसने कहा।
वो मुस्कुराई- संगीता कहाँ है? रागिनी ने पूछा।

‘तुम्हें संगीता ने पिछले हफ्ते फोन करके बताया था ना कि वो अपने पिता के यहाँ जा रही है, उसके पिताजी की तबियत ठीक नहीं थी। खैर तुम इतनी सुबह सुबह कैसे आई?’ उससे बात करते हुए मेरी नज़रें उसकी उभरी हुई चूचियों पर बार बार जा रही थी और नीचे मेरे लंड में तनाव आ रहा था। वो मेरे शोर्ट में टेंट न बना ले इसलिए मैं एक हाथ से उसे दबाने की कोशिश में लगा था और हल्के से मसल भी रहा था।

वो अन्दर आई, मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा। फ़िर अन्दर जाकर उसके लिए एक कप काफ़ी ले कर आया और उसे दिया। फ़िर उसके सामने बैठते हुए मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए कहा- इतनी सुबह सुबह भी तुम काफी खूबसूरत लग रही हो! और मजाक में कहा- शायद मुझे कुछ हो जाए तुम्हें देख कर!’

रागिनी मेरे इस दुस्साहस पर कुछ बोली नहीं, इसलिए मुझे भी आश्चर्य हुआ। मेरी हिम्मत और बढ़ी, उसने काफ़ी ख़त्म की और कहा- मैं चलती हूँ।’

मैंने कहा- तो आप यहाँ सिर्फ़ अपनी सहेली से मिलने आई थी? वो नहीं है तो एक बुढ्ढे को अकेला छोड़ कर जा रही हो?’
‘ओह, आप बुढ्ढे हो?’ और वो मुस्कुराई।
मैंने उसे मुस्कुराते देखा, उसकी यह मुस्कराहट कुछ अलग थी।

‘क्या यही मौका है.. जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था.. क्या मेरा सपना सच होने वाला है?’ मैंने सोचा।

वो उठी और कमरे में घूम कर देखा. मैंने अब बाहर का दरवाजा बंद कर दिया। यह पहला मौका था कि हम दोनों एक बंद कमरे में अकेले थे। मैं सोफे पर उसके साथ बैठ गया। हम अपनी घर की बातें करने लगे।

कुछ इधर उधर की बात करने के बाद बात मेरी बीवी के बारे में होने लगी। हमारी शादी को 15 साल हो चुके थे। मैंने बताया कि अब वो अपने बच्चे में ज्यादा ख्याल देती है, मेरी जरुरत को इनता महत्व नहीं देती और सेक्स के प्रति भी बहुत उदासीन हो चुकी है। अब हमारे बीच में कुछ नया नहीं है जिसके लिए हम ज्यादा परेशान हों या व्याकुल रहें।

रागिनी ने कहा- फ़िर भी आप अपनी बीवी और बच्चे का बहुत ख्याल रखते हो और संगीता भी खुश है।

मैं उसकी इस बात पर खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया। फ़िर मैंने उससे पूछा- रागिनी अब तुम अपने परिवार के बारे में बताओ, तुम्हारे पति भी तुम लोगों का बहुत ख्याल रखते हैं, तुम्हें खुश रखते हैं! है ना?’ मैंने कहा।

मैंने रागिनी के चेहरे पर उदासी देखी।

एक गहरी साँस लेकर उसने कहा- सभी यही सोचते हैं कि हम लोग खुश हैं।
‘रागिनी क्या बात है? तुम दुःखी लग रही हो, तुम्हारे चेहरे से लग रहा है कि तुम खुश नहीं हो?’
‘नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. सब कुछ ठीक ही है।’ उसने कहा।
‘नहीं रागिनी.. तुम कुछ छुपा रही हो! क्या तुम मुझे बताना नहीं चाहोगी?’

‘मेरी समस्या यह है कि मेरी बीवी अब मुझमें रुचि नहीं लेती। तुम समझ रही हो न कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? उसे मेरी फिकर करनी चाहिए लेकिन फ़िर भी हम दोनों के बीच कोई तनाव नहीं है, हालाँकि हमारे बीच प्यार और सेक्स वाली बात अब इतनी ज्यादा नहीं है, मैं उससे दूर जाना चाहता हूँ, लेकिन जा नहीं पाता। मुझे लगता है कि शायद वो फ़िर से मुझे समझ ले!’

रागिनी मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी, उसने कहा- मैं सब समझ रही हूँ!

कुछ देर में हमारी बातें बहुत गंभीर होने लगी, भावुकता आने लगी बातचीत में! मैं थोड़ा भावुक होने लगा। तब रागिनी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और मुझे समझाने की कोशिश करने लगी। उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में गर्मी सी आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा।

अब मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा- रागिनी, मैं यह कहना नहीं चाहता था लेकिन अब बिना कहे रहा नहीं जाता, जिस दिन पहली बार मैंने तुम्हें देखा था, उसी दिन से मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ, और यही सच है!’

यह सुनते ही उसने मेरी तरफ़ देखा उसकी नज़रों में थोड़ा आश्चर्य था, उसने कहा- तुम बहुत बदमाश हो! अच्छा हुआ कि यहाँ तुम्हारी बीवी नहीं है और उसने यह सुना नहीं! अगर वो यह सुन लेती तो मुझसे बात करना बंद कर देती और मुझे ग़लत समझती!’

‘क्या तुम उसे यह बताने वाली हो?’ मैंने उससे मजाक में पूछा।
‘मैं नहीं कहूँगी लेकिन…’ उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया।

‘रागिनी क्या मैं तुमसे कुछ रिक्वेस्ट कर सकता हूँ? तुम उसे मानोगी?’
‘यह तो आपके रिक्वेस्ट पर निर्भर करता है!’
‘अगर मैं तुमसे कुछ मांगू तो?’
‘क्या?’
‘क्या तुम मुझे एक चुम्बन दोगी? अगर मैं मांगू तो?’

‘यह आप क्या कह रहे हैं? मैंने आपके लिए ऐसा कभी सोचा भी नहीं!’ उसने गुस्से से नहीं लेकिन बहुत धीमे से और मेरी बात पर चौंकते हुए कहा।

‘प्लीज़ रागिनी सिर्फ़ एक.. तुम्हारे इन रस भरे होंठो का एक चुम्बन ही तो मांग रहा हूँ मैं! समझो मैं भीख मांग रहा हूँ।’

‘भीख मांगने से कोई फायदा नहीं है, मैं इसके लिए आपको मना करने वाली नहीं!’ और वो मुस्कुरा दी।

उसके सफ़ेद दांत उसके सुंदर चेहरे पर और चार चाँद लगते हुए दिखे- ठीक है! लेकिन सिर्फ़ एक ही दूंगी.. और इस बात का पता न तो आपकी बीवी को और ना मेरे पति को चले! आप वादा करो कि किसी से यह बात नहीं कहोगे!’ उसने कहा।

मेरी हिम्मत बढ़ी मैं उठा और उसके बाजू में जा कर बैठ गया, उसके एकदम करीब। मैंने देखा मेरी इस हरकत से वो थोड़ी सी सिमट गई। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसने नज़रें झुका ली और अपने दोनों हाथ मसलने लगी।

मैंने अपना चेहरा बढ़ाया और उसके गालों पर से बालों को एक ऊँगली से हटाया, वो सिहर उठी।

मैंने तभी अपने होंठ उसके फूले हुए गालों पर रख दिए और ‘पुच्च’ से एक चुम्बन लिया।

वो कसमसाई और तिरछी नज़र से सिर्फ़ मेरी तरफ़ देखा उसने किसी प्रकार का विरोध या सहमति नहीं दिखाई। मैं जब उसके और करीब खिसका तो उसने कहा- बस!’

मैंने कहा- यह चुम्बन नहीं था, यह तो सिर्फ़ तुम्हें छू कर देखा मैंने होंठों से!

अब मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा, मैं उसके दाहिने तरफ़ बैठा था, मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा। वो शायद इसके लिए तैयार नहीं थी, वो मेरी गोद में गिरने लगी। मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। अब वो मुझे आगे बढ़ने से रोकने का हल्का प्रयास कर रही थी।

मैंने कहा- तुम्हें तो मालूम है कि असली चुम्बन कैसे और कहाँ लिया जाता है.. और तुम ख़ुद यह करने के लिए तैयार हुई हो..

कहते हुए मैं उसकी बांहों को अपनी ऊँगली से हल्के हल्के नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाने लगा। उसके कंधे पर दबाव बढ़ाते हुए फ़िर से उसके गालों पर कान के ठीक पास में चूमा और जीभ से उसके कान को सहलाया..

उसकी सांसे बिखरने लगी, वो मेरी तरफ़ शरमाई नज़र से देख रही थी..

उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला। अब मैंने उसके चेहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर अपने होंठ रख दिए। मैंने बहुत हल्के से उसके होंठों पर ‘चु..ऊ..क.- करके चुम्बन कर दिया।

मैं उसकी बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया। उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे इसलिए वो अपना आँचल संवार नहीं पाई और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए! वैसे मैं उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चूचियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था.

मैंने उसके गालों को हल्के हल्के ‘पुच्च.. पुच्च.. ‘ करते हुए चूमना जारी रखा था… फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फ़ुसफुसाकर कहा.. ‘रागिनी तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हें पाने के लिए मैं बहुत बेताब हूँ!’

कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए.. उसके मुँह से सी.आह्ह.. की आवाज़ निकली। मैं उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था। वो थोड़ा सा कसमसाई।

अब मैंने उसकी साड़ी को उसके वक्ष से पूरी तरह हटा दिया। वो हल्का विरोध कर रही थी.. ‘नहीं..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो!’

मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांई चूची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया.. मैंने पंजे में चूची पकड़ी और हल्के से दबाया तो उसके मुँह से आ…आ..आह.. निकल पड़ी…

मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा- बस संजय.. इसके आगे नहीं..! इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते हैं…!’

मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे। उसका हाथ मेरे हाथ पर था। लेकिन कोई हरकत नहीं थी..

ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है, मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की… आह्ह..

उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूचियों पर काले रंग का ब्रा..

मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया, वो सोफे पर पीछे झुक गई जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर आए थे। मैंने उसकी चूची पर चूमा और उसके मुँह सेसी. .सी.. स्..स्.. स्. आह.. ऐसी कराहें निकलने लगी..

उसकी लाजवाब चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके मैं सपने देखा करता था..

मैंने उसके गालों पर फ़िर से चूमते हुए उसके कान में कहा- रागिनी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़!’

उसने कुछ कहा नहीं.. वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी होगा, यह मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना..

अब मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को ढकना चाहा लेकिन मैंने उसके हाथ पकड़ लिए।

मैं उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था.. उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है .. यह सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे।

मैंने कहा- रागिनी, मुझे इन्हें जी भर के देखने और प्यार करने दो..

कहते हुए मैंने उसके गुलाबी चुचूक को हाथ लगाया, मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुँह से आउच.. की आवाज़ निकली..

मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी… मेरे हाथ की उँगलियाँ उसकी चूचियों पर भ्रमण कर रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साड़ी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था।

‘संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा? बोलो!

‘फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नहीं आयेगा! और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा।’ कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर एक लंबा चुम्बन लिया..

उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा..

आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी चुचूक…

मैंने अपनी बनियान निकाल दी। मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी स्तनाग्र रगड़ने खाने लगे…

उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा- तुम बहुत बदमाश हो! एक दम गंदे!’ और फ़िर मेरे सीने से लग गई..

वो अपनी चूचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी, मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना चेहरा उसकी चूचियों पर रखा और उसके निपल मुँह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था..

उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया.. और ‘आह्ह.. बस.. उफ़.. संजय..’ करने लगी..

लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मैं अब जोर से चूसने लगा.. मैंने हल्के से उसके बाएँ निपल में काट लिया ..ऊईई… उफ्फ्फ्फ़… बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नहीं..’ कहते हुए वो उठने लगी।

मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा- नहीं रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जी भर कर प्यार करने दो!’

और मैं फ़िर से उसके निपल मुँह में लेकर एक एक कर चूसने लगा।
‘आआआ आआह्ह्ह.. हाँ.. संजय.. जोर से… उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है..’ कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी।

मैंने अब उसकी साड़ी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साड़ी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी… कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा… वो मचल उठी..

मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरी.. वो उछल पड़ी.. मैं चाहता था कि उसके उछलने से उसकी चूचियाँ भी उछलें .. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुई थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो! एकदम सख्त..!

दोस्तो, आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी उसके इस रूप को देख कर…

उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे… मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगा…

‘आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश.. इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी.. संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाओ.. चूसो..’

और उसने एक हाथ से अपनी चूची पकड़ी और मेरे मुँह में डालने लगी… उसके पैर उसी तरह हिल रहे थे.. वो अपने चूतड़ ऊपर कर रही थी.. और अचानक उसने मुझे जोर से भींच लिया.. और आह्ह..आह्ह.. आह… करते हुए अपने पैरों को पूरा लंबा कर दिया..

मैं समझ गया कि वो झड़ गई है..

अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और अपना मुँह उसकी बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वो मादक खुशबू.. पसीने और पाऊडर की मिली-जुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर जीभ फेरते हुए चाटने लगा।

उसे गुदगुदी होने लगी..

मैंने दोनों बगलों को करीब दस मिनट तक चाटा.. वो मचलती रही..

फ़िर मैं दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मैं पूरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुँह में ले सकता, उतना मुँह में लेता और चूसता.. दोनों चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी, दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये, वहाँ पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे…

रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मैं उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मैं नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर चूमा.. वो थोड़ी उछल पड़ी..

मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ के नीचे डाल दिए। उसके चूतड़ किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था… मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नहीं.. बस.. मैं.. मर जाऊँगी. इ.इ.इ.इ.’ और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई..

मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगा.. मुझे मालूम था कि अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से..

मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसकी चूचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर चिपका दिए.. और जोरों से चूसने लगा.. उसके मुँह से उम् ऽऽ उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे.. मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था..

इस पोज़ में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मैं नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई। मैंने दोनों चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसके निपल मुँह में लिए.. कभी कभी मैं उसकी कमर को भी सहला देता था..

मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैं अपना मुँह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभि का चुम्बन लेते हुए उसकी जांघों को हाथों से फैलाया.. पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया।

मेरे होंठ उसकी जांघों पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही.. पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुई चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और ‘पुच्च..पुच्च.’ किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी।

अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया- नहीं संजय.. ये मत करो.. प्लीज़, अपनी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. यह ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे हैं .. रुक जाओ संजय!’

उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया और उठ कर खड़ी होने लगी।

‘रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है!’ कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया..
पेटीकोट नीचे खिसका..

शेष कहानी अगले भाग में! Sex Stories

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प्रेषक : राहुल गुप्ता Antarvasna

चतुर्थ भाग से आगे : लंच के Antarvasna बाद विशाल भैया अपने किसी दोस्त से मिलने चले गए और मैं मम्मी के साथ घर के काम में लग गई।

शाम को विशाल भैया अपने दोस्त प्रदीप के साथ आये जो यहीं लखनऊ में रहते थे। वह भी बीबीडी से बी टेक कर रहे थे और साथ ही प्रईवेट फर्म में नौकरी करते थे। वह बहुत स्मार्ट थे, गोरा रंग,
सुगठित बदन खिलाड़ियों जैसा, कद 5’7″ कुल मिलाकर वह बिल्कुल मॉडल लगते थे। हम लोग उनसे पहले भी कई बार मिल चुके थे हम लोगों में शिष्टाचार का अदान प्रदान हुआ। फिर मम्मी ने प्रदीप से शिकायत भरे अन्दाज़ में कहा- जब विशाल आता है, तभी तुम भी आते हो, ऐसे भी कभी-2 आ जाया करो…।

प्रदीप भैया ने तिरछी नज़र से मेरी तरफ देखा और सेक्सी मुस्कराहट के साथ बड़े नाटकीय ढंग से मम्मी को सम्बोधित किया- आज के बाद आप को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा आंटी जी ! जब भी मुझे छुट्टी मिलेगी, मैं आप लोगों से मिलने अवश्य आऊंगा।

इस पर सभी लोग ठहाका लगाते हुए ड्राइंग रूम में बैठ गए और इधर उधर की बातें करने लगे। मैं उठ कर सबके लिए चाय बनाने किचन चली गई। जब मैं चाय ले कर वापस ड्राइंग रूम आई, वहाँ पर सब लोग शांत बैठे थे और प्रदीप भैया गौर से मुझे देखने लगे।

मैं समझ गई कि इस बीच मम्मी और विशाल भैया ने मेरे बारे में सब कुछ प्रदीप भैया को बता दिया होगा। और शायद मुझे वीर्य पिलाने के लिए प्रदीप भैया से आग्रह किया हो। इसीलिए प्रदीप भैया मेरी अविकसित चूचियों की तरफ बड़े गौर से देख रहे थे।

खैर मैंने सबको चाय एवं नाश्ता दिया।

प्रदीप भैया चाय पीते हुए बोले- यार रश्मि, तुम चाय बहुत बढ़िया बनाती हो !

इस पर मम्मी बोली- यह खाना भी बहुत अछा बनाती है ! आज तुम रश्मि के हाथ का बना खाना खा कर ही जाना…!

बीच में विशाल भैया बोले- हाँ यार ! चलो मुर्गा ले कर आते हैं ! बहुत दिनों से घर का बना मुर्गा नहीं खाया है।

मम्मी बोली- हाँ ठीक है ! जाओ, तुम लोग मुर्गा ले कर आओ, हम लोग खाने की तैयारी करते हैं।

भैया लोग मार्केट चले गए, थोड़ी ही देर में मुर्गा ले कर आ गए। मैं और मम्मी खाना बनाने में लग गए और भैया लोग ड्राईंग रूम में बैठ कर गप्प लड़ाने लगे।

थोड़ी ही देर में फूफा जी भी आ गए, फ़ूफा जी अक्सर शाम को ड्रिंक किया करते थे। इसलिए वो अपने साथ एक बोतल व्हिस्की भी ले आए और मुझे आवाज दे कर पुकारा- रश्मि… जरा तीन ग्लास और कुछ नम्कीन ले आना।

मैं समझ गई कि आज भैया लोगों को भी फूफा जी पिलायेंगे।

खैर मैं तीन ग्लास, नमकीन और पानी का जग ले कर ड्राइंग रूम पहुचीं। वहाँ पर फ़ूफा जी बोतल खोल रहे थे और भाइयों से बोल रहे थे- तुम लोग अब बड़े हो गए हो, शरमाना छोड़ो और हमारे साथ पियो।

जी फूफा जी… !

भाइयों को जैसे उनकी मन की मुराद पूरी हो गई।

इसके बाद ये सब लोग ड्रिंक करते रहे और हम लोग खाना बनाने में लगे रहे।

थोड़ी ही देर बाद जब खान तैयार हो गया, मम्मी ने किचान से ही आवाज लगाई- आप लोगों की ड्रिंक अगर खत्म हो गई हो तो खाना लगाया जाये…?

जवाब में फ़ूफा जी की आवाज आई- हाँ भाई… खाना लगाओ … बहुत भूख लगी है।

फिर सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। मैंने सबको खाना परोसा।

प्रदीप भैया पहला कौर खाते ही बोले- तुमने मुर्गा बहुत अछा बनाया है !

फिर सभी लोग खाने की तारीफ करने लगे।

खाना खाने के बाद प्रदीप भैया बोले- यार विशाल मैं चल रहा हूँ ! वरना मकान मालिक दरवाजा नहीं खोलेगा।

विशाल भैया बोले- यार आज तुम यहीं रुक जाओ, कल सुबह यहीं से कॉलेज चले जाना।

इस पर मम्मी बोली- हाँ ! यहीं रुक जाओ, इतनी रात में कहां जाओगे?

प्रदीप भैया कुछ रुक कर बोले- ठीक है आँटी !

इसी बीच फूफा जी मम्मी के बेडरूम में सोने चाले गए क्योंकि उनको कुछ ज्यादा ही चढ़ गई थी। वो जब भी आते थे वहीं मम्मी के साथ सोते थे।

फिर विशाल भैया बोले- ऐसा है कि हम लोग ड्राइंग रूम में सो जाते हैं…।

मम्मी बोली- नहीं ! तुम तीनों रश्मि के कमरे में सो जाओ… यहां ड्राइंग रूम में परेशानी होगी।

मम्मी यह कहते हुए अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गई।

मम्मी की बात सुन कर मैं बहुत उत्साहित हो गई और सोचने लगी कि आज तो प्रदीप भैया का भी लंड देखने को मिलेगा।

खैर मैं विकास भैया से बोली- आप लोग मेरे कमरे में चलिए, मैं मेन-गेट लॉक करके आती हूँ।

मैंने बाहर के सारे दरवाजे बन्द किए और फिर मम्मी के बेडरूम की तरफ से अपने कमरे जाने लगी। इतने में मम्मी के कमरे से कुछ अजीब सी, पर जानी पहचानी आवाजें आने लगी। मैंने खिड़की से झांक कर देखा- फूफा जी बेड पर सीधे नंगे लेटे हुए थे और मम्मी की चूत चाट रहे थे और मम्मी फूफा जी का लंड को लॉलीपाप की तरह चूस रही थी। दोनों 69 पोजीशन में थे और दुनिया से बेखबर सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे।

यह देखकर मेरा हाथ अनायास ही बुर को सहलाने लगा, थोड़ी देर तक मैं उन लोगों की चुदाई देखती रही, मेरी बुर पानी छोड़ने लगी जिससे मेरी सलवार भीगने लगी। फिर मुझसे रहा नहीं गया और भाग कर अपने कमरे में आ गई जहाँ पहले से ही भैया लोग बिस्तर पर लेटे थे।

मुझे देखकर विशाल भैया बोले- कोई लुंगी हो तो प्रदीप को दे दो ताकि वह अपने कपड़े बदल सके। कल फिर यही पहन लेगा।

मैंने कहा- लुंगी तो नहीं है ! आप चाहें तो मेरा लॉन्ग स्कर्ट पहन लें, वो भी लुंगी ही जैसी है !

यह कह कर मैं हंस दी…

इस पर विशाल भैया बोले- हाँ यार ! पहन ले ! मजा आयेगा।

मैंने उनको स्कर्ट दी, फिर प्रदीप ने मुझसे कहा- तुम बाहर जाओ, मैं कपड़े बदल लूँ… !

इस पर विशाल भैया बोले- यार रश्मि से क्या परदा ।

अभी हम सब लोग नंगे हो जायेंगे ! यह कहते हुए विशाल भैया खुद अपना स्लीपिंग सूट उतारने लगे और मुझसे बोले- रश्मि… तुम भी अपने कपड़े उतारो… नहीं तो प्रदीप शरमाएगा।

मैं तो यही चाहती थी, मैंने तुरन्त अपनी सलवार और कुर्ता उतार दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी थी, विशाल भैया भी नंगे हो चुके थे और अपने खड़े लंड से खेल रहे थे। यह देख कर प्रदीप भी अपने सारे कपड़े उतारने लगे। पहले उन्होंने अपनी शर्ट और बनियान उतारी फिर पैन्ट उतारी, जैसे ही प्रदीप ने अपनी चड्ढी उतारने के लिए हाथ बढ़ाया, वैसे ही विशाल भैया बोले- रुको प्रदीप, तुम्हारी चड्ढी रश्मि उतारेगी !

फिर मुझसे बोले- चलो, इसकी इसकी चड्ढी उतारो !

मैं प्रदीप भैया के पास पहुंची और उनकी चड्ढी नीचे सरका दी, उनका लंड पूरी तरह खड़ा था, सुपाड़े की त्वचा नीचे थी, गुलाबी रंग का सुपारा चमक रहा था, उनका लंड फूफा जी के लंड से भी बड़ा था लगभग 8″ लम्बा और 4″ मोटा ! बिल्कुल घोड़े के लंड की तरह था।

इसको देखते ही मेरे मुँह से अनायास निकल गया- ओह माई गॉडऽऽ ! आपका तो लंड बहुत मोटा और लम्बा है… प्रदीप भय्य्य्या…!

इस पर विशाल भैया मुझसे बोले- यार रश्मि… हम लोगों को ‘भैया’ मत कहा करो। सेक्सी फीलिंग की ऐसी की तैसी हो जाती है।

इस पर प्रदीप भी बोले- हाँ ‘भैया’ ना बोला करो, कम से कम चुदाई के माहौल में तो बिल्कुल नहीं !

मैंने कहा- ठीक है ! मैं नहीं कहूँगी, लेकिन बाहर सबके सामने तो कहना ही पड़ेगा।

इस पर विशाल बोले- हाँ, सबके सामने तुम कह सकती हो।

इसके बाद प्रदीप और विशाल दोनों हंसते हुए कहने लगे- हम लोग अब बहनचोद नहीं कहलाएंगे और रश्मि… तुम, भैया चोद नहीं कहलाओगी।

इस पर हम सब हंसने लगे।

फिर विशाल बोले- ऐसा है कि आज हम लोग तुमको एक साथ चोदेंगे।

मैंने पूछा- वो कैसे?

विशाल बोले- अभी बताता हूँ… ऐसा करो प्रदीप ! तुम लेट जाओ। रश्मि… तुम प्रदीप की टांगों के बीच में डॉगी स्टाइल से प्रदीप का हलब्बी लंड चूसो और मैं तुम्हारी चूत को चोदता हूँ ! इस तरह से तुम्हारी चूत रँवा हो जाएगी और जब प्रदीप तुम्हें चोदेगा तो तुमको कोई परेशानी नहीं होगी। ठीक है?

मैंने कहा- ठीक है।

फिर प्रदीप लेट गए, मैं कुतिया की तरह पोजीशन बना कर प्रदीप का लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन उसका सुपाड़ा इतना बड़ा था कि मेरे मुँह में पूरा घुस ही नहीं रहा था। फिर मैंने सुपारे को कोन-आइस्क्रीम की तरह चाटना शुरू किया। प्रदीप का लंड और टाइट हो गया। प्रदीप के मुँह से अह्ह्ह्…ओह्ह्ह निकलने लगा। मैं उनका लंड लगातार चूसे जा रही थी। इधर विशाल फर्श पर खड़े हो कर मेरी चूत में दो उंगलियाँ डाल कर अन्दर बाहर करने लगे।

तकरीबन एक मिनट के बाद वो तीन उंगलियाँ डाल कर अन्दर बाहर करने लगे। मेरी चूत बहुत टाइट थी, सिर्फ एक बार की चुदी थी, वो भी विशाल के पतले लंड से। शायद इसीलिए विशाल अपनी उंगलियों से चोद कर मेरी चूत को प्रदीप के लंड के काबिल बना रहे थे लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

फिर अचानक विशाल अपनी चार उंगलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगे। मुझे दर्द होने लगा।

मैंने चीखते हुए विशाल से कहा- दर्द हो रहा है, क्या मेरी चूत आज ही फाड़ डालोगे ?

विशाल बोले- अभी दर्द गायब हो जायेगा।

फिर वो उंगली अन्दर बाहर करने की स्पीड और बढ़ाते हुए मुझसे बोले- तुम्हारी चूत को आज हम लोग भोसड़ा बना देंगे ताकि तुम्हें आगे कोई परेशानी ना हो।

खैर ! जैसा कि विशाल ने कहा था वैसा ही हुआ।

थोड़ी ही देर में दर्द काफूर हो गया और अब मेरी चूत कस कर पानी छोड़ने लगी। फिर विशाल ने अपना लंड मेरी चूत में डाला और चोदना शुरू किया। उनका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुस रहा था जो कि काफी लम्बा था लेकिन पतला होने के कारण मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था। फिर भी मजा आ रहा था। इधर पूरी तरह से प्रदीप के लंड को चूसते चूसते मेरा मुँह भी ज्यादा खुलने लगा और अब मैं उसका पूरा सुपाड़ा अपने मुँह के अन्दर ले कर चूस रही थी। प्रदीप की हालत बिगड़ती जा रही थी और कमर उचका उचका कर मेरे मुँह को चोदने की कोशिश कर रहे थे। इतने में उनके मुँह से निकला- आह्ह्ह्… ! मैं तो खलास होने वाला हूँ ! रश्मि तुम लंड से मुँह मत हटाना…

और प्रदीप मेरे मुँह में झड़ने लगे। प्रदीप के लंड से इतना वीर्य निकला कि मेरा पूरा मुँह भर गया और थोड़ा सा बाहर भी बह कर निकलने लगा। मैं तुरन्त पूरा वीर्य पी गई और जो बह कर नीचे प्रदीप के लंड पर और उनकी झांटो पर गिर गया था उसको भी मैं चाट गई।

इधर विशाल मेरी चूत में लगातार धक्के मारे जा रहा था और ओह्ह्ह्… आह्ह्ह्ह्… की आवाजें निकाल रहा था, शायद वह भी झड़ने वाला था। फिर एक दम से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मुझसे बोला- ले जल्दी से मेरे लंड को चूस ! माल निकलने वाला है !

मैं प्रदीप के लंड को छोड़ कर विशाल की तरफ घूमी और जल्दी से उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और लगी कस कर चूसने।

कोई 30-40 सेकेंड में विशाल भी झड़ने लगा। विशाल का वीर्य उतना नही निकला जितना प्रदीप का निकला था, लेकिन विशाल का वीर्य ज्यादा स्वादिष्ट था और मुझे अपनी चूत के रस का भी स्वाद मिल रहा था। इन दोनो का वीर्य पी कर मेरा तो पेट ही भर गया था।

जब मैंने पलट कर प्रदीप की तरफ मुँह किया तो देखा कि प्रदीप अपने लंड को फिर खड़ा करने में लगा था। मैं समझ गई कि प्रदीप भी मेरी चूत को चोदना चाहता है।

मैंने उनसे कहा- मैं अभी आ रही हूँ…

और मैं नंगी ही टॉयलेट की तरफ भागी क्योंकि मुझे बहुत तेज पेशाब लगी थी। जब मैं टॉयलेट से लौट रही थी तो मैंने सोचा कि मम्मी के बेडरूम में झांक कर देखा जाए कि यहाँ क्या चल रहा है !

क्रमश: …………….. Antarvasna

Antarvasna

पल्लव जानू हाय ! मेरी Antarvasna भावना जैसी सभी चुद्दकड़ भाभियों को मेरे लण्ड का सलाम !दोस्तो ! मैं अपनी एक हकीकत बताता हूँ !

मेरी एक विधवा भाभी भावना है जो दो बच्चों की माँ होने के बावजूद अपने पति के मरने के तीन साल बाद मुझे सेक्सी निगाहों से देखती थी और हुआ ऐसा कि उसका टैस्ट लेने के ख्याल से एक रात मैं उसके कमरे में गया जब सारे लोग सो गए थे। वो जाग रही थी। बातों ही बातों में मैंने उसे अपना लण्ड चुसवा दिया। वह छिणाल भी मेरा लण्ड चूस कर गरम हो गई।

फ़िर क्या था, अगले दिन से तो वो मुझे ऐसे देखने लगी जैसे मेरे लण्ड से अपना मुंह, गाण्ड और बुर चुदवा कर मेरे लण्ड को भी खा जाएगी। वो मुझ से रात में मिलने की योजना बनाने लगी।

एक रात उस छिणाल ने अपना दरवाजा खुला रखा और पेट में दर्द के बहने मुझे बुलाया। मैं उसके कमरे में गया तो देखा कि नीचे बिछावन तैयार है। मैंने पूछा कि कहाँ है दर्द तो बोली कि लेट कर दिखाती हूँ पर पहले दरवाजा तो बंद कर दूँ कोई आ जायेगा। उसने दरवाजा बंद किया और लेट कर मुझे बुलाया।

जब मैं नजदीक गया तो उसने मुझे पकड़ लिया और कहा कि देवरजी कल रात से से आप मेरे भरतार (पति ) हो गए हैं। जो आपके भइया बाकी छोड़ गए हैं उसे आप पूरा करो। अभी मेरी उमर तो 32 ही है। भला ये भी कोई बिना चुदवाए रहने की उमर है। आपने कल अपना लंड चुसवा कर मुझे गर्म कर दिया है। अब तो मुझे अपना बुर चोदवाना ही होगा। तुम नहीं तो कोई और सही। पर इससे तुझे गुस्सा होगा सो तुम ही मुझे चोदते रहो अब सारी उमर। जब जी चाहे।

उसकी ये सारी बातें सुन कर मेरे लंड में भी ताव आ गया था। वह तन कर रोड जैसा हो गया था। मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने कहा- तुम भी खोल दो ना। और मेरे सारे कपड़े खोल दिए। मैंने कहा कि भाभी जान आज मैं तेरे भोंसडे जैसी बुर को चोद कर और भोंसडा बनाऊंगा पर पहले तेरे मुंह में पेलूँगा फ़िर गांड मरूँगा, तब तेरी बुर को।

उसने कहा कि मालिक जो करना है करना पर पहले एक बार इसे चोद दो। देखो ना साली तेरे लंड को देख कर कैसे पानी छोड़ रही है। अब आ जाओ ना। यह कह कर मुझे अपने ऊपर ले लिया। और मेरे लंड को अपनी बुर में घुसाने लगी और से धक्का देने लगी।

साली के बुर में मेरे लंड को घुसने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि 3 की माँ जो थी। पर भोंसड़ी की एक्सपर्ट थी। लंड के भीतर घुसते ही पैर पर पैर चढा लिया। अब उसकी बुर के सिकुड़ने के कारण उसे और मुझे मज़ा आने लगा।

वो पागलों की तरह बकने लगी- आ… ओह। मेरे राजा। मेरे प्यारे देवर राजा। आज तुम मेरे भरतार बने हो। जोर जोर से चोदो। साली मेरी बुर बहुत दिनों से प्यासी है। आह। ओह। ओह मेरे मालिक घुसा दो अपना सारा लंड इसमें। इसका कचूमर निकल दो। आह जरा टॉर्च से देखो इस बुर को। कैसे टपटप तेरे लंड को निगल रही है।

मैंने भी देखा मेरा लंड तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था। मैंने कहा कि साली आज से तुम मेरी भाभी तो रही नहीं, तुझे कुतिया बनाकर चोदुंगा।

उसने कहा- हाँ, मुझे कुतिया बना दो। जैसे जैसे चाहो तुम इस हरामजादी बुर को चोदो। तेरे भाई ने ऐसे कभी नहीं चोदा। वो तो साला फुच फुच कर चोदता था मुझे। सिर्फ़ बच्चा पैदा करना जानता था। ओह। आह। आह। मज़ा। मज़ा आ रहा है। राजा मैं तो गई…एई।

मैंने कहा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। तो उसने मुझसे 2-4 तेज़ झटके लगवाए और झट से मेरा लंड निकाल कर मुंह में ले लिया और कहा कि देवर जी आप अब मेरे मुंह की चुदाई करें, और टपटप मेरा लंड खाने लगी क्योकि वह जानती थी कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। वह मेरे लंड से निकले धात (वीर्य) को पीकर उसका भी स्वाद लेना चाहती थी।

मैंने कहा ओह। मेरी प्यारी चुदक्कड़ भाभी मैं झड़ने वाला हूँ तो उसने कहा कि राजा अपना धात बर्बाद मत करना। इसे मेरे मुंह में ही रहने दो। मैं अपने यार का रसपान करना चाहती हूँ।

इतने में मेरे लंड ने उजला गाढा द्रव छोड़ दिया। इसे मेरी छिनाल भावना भाभी ने अन्तिम बूंद तक पी लिया। और कहा कि देवरजी अब तो तुम मेरे भरतार (पति) हो गए हो। जब मैं बुलाऊँ आ जाना। मैं खांस कर तुझे इशारा करुँगी। आज तो तुमने मुझे धन्य कर दिया।

तो दोस्तों, भाभियों, कैसी लगी मेरी यह सच्ची कहानी। इसके बाद मैंने फ़िर नए नए स्टाइल से कैसे कैसे चोदा यह बताने कि उत्सुकता है मुझ में पर सोचता हूँ कि पता नहीं कैसी लगी मेरी यह कहानी। सो मुझे उत्साहित करने के लिए मुझे मेल करें ! Antarvasna

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