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सबसे पहले अन्तर्वासना Sex Stories सेक्स स्टोरीज साईट का धन्यवाद लोगों के बिस्तर में खेले जाने वाले जायज़ और नाजायज़ संबंधों को हम लोगों के समक्ष जाहिर करने के लिए!
कई लोग सोचते होंगे कि शायद यहाँ पर मनगढ़ंत कहानियाँ होती हैं लेकिन दोस्तो, यह कलयुग है, घोर कलयुग! इन सभी किस्सों में सचाई सौ परसेंट होती है।
अब अंतर्वासना के पाठकों को वंदना की गीली चूत का प्रणाम!
मैं एक तेतीस साल की ज़िन्दगी को जी लेने वाली सोच की मालिक हूँ। मुझे जिंदगी अपने ढंग से मस्ती के साथ जीना अच्छा लगता है। मैं एक पढ़ी-लिखी महिला हूँ, तेतीस साल की
जिंदगी में अब तक मैं बहुत से लौड़े ले चुकी हूँ।
किशोर कमसिन थी जब मैंने अपनी सील तुड़वाई थी और फिर उसके बाद कई लड़के कॉलेज लाइफ तक आये और मेरे साथ मजे करके गए। मैं खुद भी कभी किसी लड़के के साथ सीरियस नहीं रही थी।
अब मैं एक सरकारी स्कूल में कंप्यूटर की वोकेशनल स्कीम के तहत कंप्यूटर लेक्चरर हूँ, वो भी सिर्फ लड़कों के स्कूल में! वैसे तो वहाँ मेरे अपने कुछ ख़ास सहयोगियों के साथ स्कूल से बाहर अवैध संबंध हैं। मैं अपने पति से अलग रहती हूँ, मेरी दो बेटियाँ हैं जो अपने पापा के साथ दादा-दादी के घर में ही रहती हैं। अकेलेपन ने मुझे और गाड़ दिया था, पतिदेव ने मुझे समझाने के बजाये छोड़ ही दिया जिससे मैं और अय्याश होने लगी हूँ। बत्तीस हज़ार मेरी तनख्वाह है, अकेली रहती हूँ, हर सुख-सुविधा घर में मौजूद है। पति के अलग होने के बाद मैं और बिगड़ चुकी हूँ और अपने साथियों को रात-रात भर अपने घर रखती हूँ।
आज मैं आपके सामने अपनी एक सबसे अच्छी चुदाई के बारे लिखने लगी हूँ ज़रा गौर फरमाना!
मुझे गहरे-खुले गले के सूट पहनना पसंद है और वो भी छातियों से कसे हुए, पीठ पर जिप, कमर से कसे, पटियाला सलवार!
जून-जुलाई की बात है, सब जानते हैं पंजाब में कितनी गर्मी पड़ती है इन दिनों! स्कूल बंद थे लेकिन आजकल हमारे महकमे में एजुसेट एजूकेशन ऑनलाइन क्लास लगती है, उसके तहत पांच दिन का सेमीनार लगा। बाकी सारा स्कूल बंद था। साइंस ग्रुप में सिर्फ पांच लड़के हैं। गर्मी बहुत थी पहले ही जालीदार मुलायम सा सूट डाला था बाकी पसीने से मेरा सूट बदन से चिपक जाता!
पांच में से तीन लड़के सिरे के हरामी हैं, उनकी नज़र तो मेरी चूचियों पर टिकी रहती, बस मेरे जिस्म को देख देख अन्दर ही आहें भरते होंगे!
पहला दिन ऐसे निकला, दूसरे दिन मैंने और पतला सूट पहना और खुल कर अपने गले की नुमाईश लगाई। मुझे शुरु से ही इस तरीके से लड़कों को अपना जिस्म दिखाना अच्छा लगता था। इससे मुझे बहुत गर्मी मिलती थी। वो आज मुझे देख देखते ही रह गए। गर्मी की वजह से मैं आज कंप्यूटर लैब में बैठ गई, ए.सी लैब थी। मैंने उनको छुट्टी कर दी और खुद लैब में चली गई। दरवाज़ा थोडा बंद कर मैंने अन्तर्वासना की साईट खोल ली साथ में ही एक और अडल्ट वेबसाइट! वहाँ कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते मेरी चूत गीली हो गई और मम्मे तन गए। देखते और पढ़ते हुए मेरा हाथ मेरी सलवार में घुस गया। मैंने अपना नाड़ा थोड़ा डीला कर लिया और अपनी चूत में उंगली करने लगी। दरवाज़े को कोई कुण्डी नहीं लगाईं थी क्यूंकि स्कूल में सिर्फ मैं ही थी इसलिए कुण्डी नहीं लगाईं थी।
पर्स से सी.डी निकाल कर लगाई और देखने लगी। अब मैं आराम से मेज पर आधी लेट गई और अपना कमीज़ उठाकर मम्मे दबाने लगी। मुझे क्या मालूम था कि मैं तो सिर्फ कंप्यूटर पर मूवी देख रही हूँ, तो कोई और मेरी लाइव मूवी देख रहा है। तभी किसी का हाथ मेरे कंधे पर आन टिका। मैं घबरा गई, मेरा रंग उड़ने लगा।
वो तीनों हरामी लड़के मेरे पीछे खड़े थे।
तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
मैडम! आप इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो?
शट- अप एंड गेट लोस्ट फ्रॉम माय लैब!
वो बोले- मैडम, लैब सरकारी है आपकी नहीं! हमें तो कुछ प्रिंट्स निकालने थे। क्या पता था कि कुछ और दिख जाएगा!
उनसे बातें करते हुए अपनी सलवार और कुर्ती वहीं रहने दी। तभी विवेक नाम का लड़का घूम मेरे सामने आया और मेरी जांघों पर हाथ फेरता हुआ बोला- क्या जांघें हैं यार!
उसका स्पर्श पाते ही मैं बहकने लगी, नकली डांट लगाने लगी।
विकास ने अपना हाथ मेरी कुर्ती में डालते हुए मेरे चूचूक मसल दिए और राजेश ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जिप खोल अन्दर घुसा दिया। उसका लिंग हाथ में पकड़ कर ही मैंने अब बेशर्म होने का फैंसला लिया। एक दम से मेरे में बदलाव देख वो थोड़ा चौंके।
मादरचोद कमीनो, हरामियो! कुण्डी तो लगा लो!
भोंसड़ी वालो! एक जना जाकर स्कूल के मेन-गेट को लॉक करके आओ!
तीनों ने मुझे छोड़ा और मेरे बताये सारे काम करने निकल गए। मैंने अब मूवी की आवाज़ भी तेज़ कर दी और सलवार उतार पास में पड़ी कुर्सी पर फेंक दी, फिर कमीज़ भी उतार कर फेंक दी। पर्स से कोल्ड क्रीम निकाली, उसको चूत पर लगाया और गांड में भी लिपस्टिक लगाई।
जब वो आये, मैं सिर्फ ब्रा-पेंटी में मेज़ पर लेटी थी। तीनों ने मेरे इशारे पर अपनी अपनी पैंट उतार डाली और शर्ट भी। तीनों को उंगली के इशारे से पास बुलाया और ब्रा खोलते हुए बारी-बारी तीनों के कच्छे उतार दिए।
हरामियों के क्या लौड़े थे- सोचा नहीं था कि बारहवीं क्लास के लड़कों के इतने बड़े लौड़े होंगे। एक एक कर तीनों के चूसने लगी। विकास और राजेश के एक साथ मुँह में डलवाए और विवेक मेरी पेंटी उतार मेरी शेव्ड चूत चाटने लगा। उसके चाटने से मेरा दाना और फड़कने लगा, चूचूक तन गए।
राजेश ने झट से मुँह में चूचूक लेकर चूसना शुरु किया। विकास ने भी दूसरा चूचूक मुँह में लेकर काट सा दिया- हरामी! ज़रा प्यार से चूस! बहुत कोमल हैं!
बोला- साली कुतिया कहीं की! मैडम, साली बहन की लौड़ी! रांड कहीं की!
उसने लौड़ा मेरे हलक में उतार दिया, मैं खांसने लगी। बोले- चल कुतिया तेरा चोदन करते हैं!
विवेक ने मेरी गांड पर थप्पड़ जड़ दिए, मेरे बाल नौचकर मेरे हलक में लौड़ा उतार दिया।
पागल हो गए हो कुत्तो!
हाँ!
बुरी तरह से मेरी छाती पर दांतों के निशान गाड़ डाले। विवेक ने मेरी चूत में डाल दिया, राजेश और विकास मेरा मुँह चोदने लगे, साथ में मेरे चूचूक रगड़ने लगे।
अहऽऽ उहऽऽ!
उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत चीर रहा था- ले साली कुतिया! बहुत सुना था तेरे बारे में तेरे मोहल्ले से! वाकई में तू बहुत प्यासी और चुदासी औरत है!
हाँ कमीनो! हूँ मैं रांड! क्या करूँ? मेरे खसम का खड़ा न होवे! हाय और मार बेहन चोद मेरी! विवेक जोर लगा दे सारा!
उसने साथ में अपनी दो ऊँगलियों को मेरी गांड में घुसा दिया और कोल्ड क्रीम लगाते लगाते 4 ऊँगलियों को घुसा दिया।
चूत से निकाल एक पल में गांड में डाल दिया- चीरता हुआ लौड़ा घुसने लगा- मेरी फटने लगी!
उसने वैसे ही उठाया और नीचे कारपेट पर मुझे ले गया। खुद सीधा लेट गया, मैं उसकी तरफ पिछवाड़ा करके उसके लौड़े पर बैठती गई और लौड़ा अन्दर जाता रहा। वो वॉलीबाल की तरह उछल रहा था कि राजेश ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। विकास ने मुँह में डाल रखा था।
हाय कमीनी अब बोल के दिखा- बहुत बकती है साली क्लास में!
सही में मैं कुतिया बन चुकी थी, मैं खांसने लगती तब वो निकालता। लेकिन राजेश के होंठों की मेरी चूत पर हो रही करामात मेरी सारी तकलीफ ख़तम कर देती। विवेक गांड मारता जा रहा था कि राजेश खड़ा हुआ और आगे से आकर विवेक की जांघों पर बैठ गया और अपना आठ इंच का लौड़ा चूत पे रगड़ने लगा।
हाय हाय डाल दे तू भी साले!
उसने अपना मोटा लौड़ा चूत में घुसाना शुरु किया तब विवेक रुक गया। लेकिन जैसे ही उसका पूरा घुस गया, दोनों हवाई जहाज की स्पीड पर मेरी ठुकाई करने लगे। मुँह से सिसकियाँ फ़ूट रही थी- हाय! चोदो मुझे!
विकास ने फिर से मुँह में डाल दिया और हो गया शुरु!
राजेश तेज़ होता गया, विवेक उससे भी ज्यादा तेज़ हो गया तो राजेश रुक गया। विवेक ने राजेश को हटा दिया और एकदम से मुझे पलट कर नीचे किया और तेजी से चोदने लगा।
अह उह करता करता उसने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ना शुरु किया- सारी खुजली ख़त्म!
अब राजेश सीधा लेट गया और मेरी गांड में डाल दिया, विकास ने राजेश की तरह मेरी चूत में घुसा दिया। विवेक का लौड़ा मेरी गीली गाण्ड से भर कर निकला था दोनों के रस से लथपथ मैंने मुँह में डाल सारा चाट लिया, एक बून्द भी नहीं जाने दी मैंने!
विवेक पास में लेट हाँफने लगा। राजेश ने भी वैसे ही रफ़्तार खींची, विकास को उतार दिया और घोड़ी बना के गांड में डाल फिर चूत में डालते हुए रफ़्तार पकड़ी। विकास ने मुँह में ठूंस दिया। दोनों हाथों से नीचे से भैंस के थनों की तरह लटक रहे कसे हुए मम्मों को पकड़ कर झटके दिए। एक भैंस की तरह मानो मेरा दूध चो रहा हो! ज़बरदस्त तरीके से पकड़ रखे थे उसने और पीछे दन दना दन झटके मारते हुए उसने एक दम से मेरे घुटनों को खिसकाते मुझे कारपेट पर गिरा दिया लेकिन लौड़ा बाहर नहीं आने दिया। मेरे मम्मे कारपेट से रगड़ खाने लगे। थोड़ी चुभन होने लगी। लौड़ा भी कस गया लेकिन वो नहीं रुका।
दोनों एक साथ झड़े। उसने सारा माल मेरी बच्चेदानी के मुँह के पास निकाल दिया। न जाने कितने वक्त के बाद मैंने किसी को बिना कंडोम चूत में छूटने का मौका दिया। एक साथ दोनों का कम जब मिला- मैंने आंखें मूँद ली और उसके साथ चिपक गई! फिर अलग हुए तो उसने मुँह में डाल कर साफ़ करवाया। विकास उठा और मुझे फिर से पटक कर मेरे ऊपर सवार हो गया। सबमें से विकास का लौड़ा सबसे लम्बा मोटा और फाड़ू था। उसने बेहतरीन तरीके से मेरी चूत मारी, झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। इतने में विवेक का फिर खड़ा हो चुका था।
लेकिन विकास क्या चोदू था- उसने मुझे फिर से झाड़ दिया और गांड में डाल दिया और सारा लावा वहीं छोड़ दिया।
विवेक का तन चुका था, राजेश तैयार था।
पूरा दिन स्कूल की लैब में ए.सी के सामने तीनों ने न जाने कितनी बार मुझे रौंदा!
घड़ी देखी तो शाम के साढ़े पांच बज चुके थे और छः बजे चौकीदार स्कूल में आता था। उसको सब मालूम था मेरे बारे में, क्यूंकि एक दो बार मेरे साथी टीचर ने उसके कमरे में मुझे चोदा था। लेकिन वो तीनों नहीं चाहते थे कि चौकीदार उन्हें देखे!
हम निकल रहे थे, मैंने अपनी स्कूटी स्टार्ट की ही थी कि चौकीदार ने उन्हें निकलते देख लिया। मेरी स्कूटी बंद हो गई, सेल्फ ख़राब था। मैंने उसको कहा- स्टार्ट कर दो किक से!
बोला- मैडम मेरे लौड़े को कब मौका दोगी आप? आज फिर से लड़कों से ठुकवा बैठी हो! मैं कौन सा कम हूँ? माना पोस्ट चौकीदार की है लेकिन कौन सा काला कलूटा हूँ? पूरा मजा दूंगा! किक मारते मारते यह सब बोल रहा था। उसने एक दम से अपना लौड़ा निकाला और बोला- देखो इसको! अभी सोया हुआ है फिर भी कितना मोटा है! जब आपका हाथ लगेगा तो दहाड़ेगा यह!
सही में उस जैसा लौड़ा आज तक नहीं देखा था। वो था भी खुद छः फुट तीन इंच लम्बा-चौड़ा मर्द था, सुडौल मजबूत शरीर का मालिक था।
स्कूटी स्टार्ट हुई- मैडम जवाब देती जाओ?
मैंने गौगल्ज़ लगाते हुए कहा- रात ग्यारह बजे मेरे घर आ जाना! इंतज़ार करुँगी!
वो खुश हो गया।
दोस्तो, यह थी अंतर्वासना पर मेरी मन मोहक चुदाई!
रात को घर में क्या-क्या हुआ?
वो लिखूंगी अगले भाग में! Sex Stories
खासकर प्यारी-प्यारी महिलाओ, आज Antarvasna मैं अपने जीवन के एक यादगार हसीन दिन की दास्तान सुना रहा हूँ … आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप सब गीले और मस्त हो जायेंगे।
यह बात सन 1996 के दिसम्बर के पहले सप्ताह की है। मैं उन दिनों लख्ननऊ में रहता था और अक्सर बनारस के पास अपने गाँव जाया करता था, वहाँ मेरा लंगोटिया यार डी पी रहता था। हम जब भी मिलते खाने-पीने का दौर चलता।
उस रात को उसने बताया कि कुछ दिन पहले वह और उसके गाँव का एक लड़का चंदौली की नीलम नाम की एक लड़की को अपने फ़्लैट पर स्कूटर से ले आये थे और दिन भर में दोनों ने 3-3 बार चुदाई की थी। लड़की मस्त थी और जम के चुदवाई कराई थी। अगर मैं चाहूँ तो वो कोशिश करके उसको ला सकता है, पर इसके लिये हमें अपनी मारुति कार से चन्दौली चलना पड़ेगा, कार देखकर वह आसानी से तैयार हो जायेगी। (उन दिनो मारुति का क्रेज़ था)।
डी पी ने बताया कि लौण्डिया बहुत ही चुदक्कड़ है तथा थोड़ा बहुत व्हिस्की भी पीती है, थोड़ी व्हिस्की पीकर बहुत ही मज़ा देगी। यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अगले दिन हम दोनों चन्दौली गये और मुझे गली में छोड़कर वह नीलम से मिलने उसके घर चला गया। किसी तरह मौका पाकर उसने मेरे बारे में बताया और साथ में बनारस चलने को कहा। उसने अगले दिन सुबह चलने को कहा तो हम लोग पास ही स्थित अपने गाँव चले गये। नीलम को मैं देख तो पाया नहीं था पर अगले दिन उसके साथ मस्ती की कल्पना से ही मुझे रात भर नींद नहीं आई और रात भर लण्ड महाराज तने ही रहे। दरअसल कई सालों से बीबी के अलावा कोई दूसरी लड़की या औरत मिली ही नहीं थी … स्वाद बदलने की कल्पना से ही मैं बेचैन था।
खैर अगले दिन हम दोनों दोस्त चन्दौली गये और पिछले शाम की तरह मैं गली में अपनी कार में बैठा रहा और डी पी उसके घर में चला गया। करीब आधे घण्टे बाद वह बाहर आया और बोला कि एक समस्या आ गई है। दरअसल नीलम को कुछ बहाना बना के घर से जाना था तो उसका छोटा भाई जो दसवीं में पढ़ता था वह भी कार देखकर साथ चलने की जिद करने लगा तो घर वालों ने कहा उसको भी लेती जाओ। नीलम ने डी पी को इशारा किया कि लेते चलो कोई रास्ता निकल आयेगा ।
उसने कहा कि थोड़ा रिस्क तो है पर चलते हैं कोई न कोई रास्ता तो निकलेगा ही।
कुछ देर बाद हम चारों चल दिये। डी पी नीलम के साथ कार में पीछे बैठा और रास्ते में ही उसने मेरे बारे में बताकर साथ रात गुजारने की पेशकश की तो वह झट तैयार हो गई (बाद में उसने बताया कि मेरा भव्य व्यक्तित्व देखकर उसका मन खुद ही मुझसे चुदवाने को मचलने लगा था) वैसे वह तो जान ही रही थी कि डी पी इसी काम के लिये बनारस ले जा रहा है। हाँ उसने साफ़ कह दिया कि उस दिन की तरह दोनों को नहीं झेल पायेगी, दरअसल वह मुझसे पूरी मस्ती के मूड में थी। डी पी ने भी उसे बता दिया कि मैं काफ़ी शौकीन हूँ तथा किसी अच्छे होटल में ही रात गुजारूँगा, अच्छा खाना … अच्छी शराब और नीलम का शबाब … बस मस्ती ही मस्ती … ।
उन दोनों ने योजना बनाई कि डी पी अपनी दुकान पर पाण्डेपुर उतर जायेगा और हम तीनों दिन भर सारनाथ घूमेंगे तथा शाम को डी पी नीलम के भाई को अपने फ़्लैट पर यह कह कर लेता जायेगा कि मुझे नीलम को किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से किसी जरूरी काम के सिलसिले में मिलाना है। दरअसल नीलम उन दिनों थोड़ी-2 राजनीति और समाजसेवा में शुरुआत कर रही थी तथा उसके अभिभावक भी उसके बाहर आने-जाने तथा कभी-2 रात में भी बाहर रुक जाने पर आपत्ति नहीं करते थे। रात बाहर रुकने के लिये वह कोई न कोई बहाना बना देती थी और हम दोनों उन्हें छोड़ कर किसी होटल में जाकर रात गुजारेंगे, उसके भाई को डी पी कुछ बहाना बना कर हमारे फ़्लैट पर न लौटने का कारण बता कर फ़ुसला लेगा।
नीलम करीब 22 साल की दुबली पतली सी गोरी लड़की थी, उसका चेहरा मोहरा औसत ही था वह देखने में कोई खास तो नहीं लग रही थी पर बुरे काम के लिये बुरी नहीं थी … और डी पी ने उसके चुदवाने की जो तारीफ़ की थी तथा जिस बाँकी नज़र से वो मुझे देख रही थी … आ … ह … ह … ह … मेरा दिल तो बल्ले-बल्ले कर रहा था।इधर कई सालों से बस अपनी धर्मपत्नी के साथ धर्म की चुदाई ही करता रहा, कभी स्वाद बदलने का मौका ही नहीं मिला, इसलिये भी मैं अत्यन्त उत्तेजित था … बस अब मन्जिल कुछ घण्टों की दूरी पर थी … बस एक काँटा नीलम का भाई था, डी पी के बनाये प्लान के मुताबिक शाम को वह सेट हो जाये तो रात अपनी थी।
हम तीनों दिन भर सारनाथ घूमते रहे। बीच-2 में उसके भाई को कहीं किसी बहाने से भेजकर हम सम्भावित मस्ती की बातें भी कर ले रहे थे। दोनों का ही इन्तज़ार में बुरा हाल था। एक बार तो उसको कहीं भेज कर हम दोनों कार लेकर फ़ुर्र हो गये और करीब आधे घण्टे बाद लौटे और बहाना बना दिया कि आशापुर चले गये थे सर दर्द की दवा लेने।
नीलम ने बड़ी ही बेबाकी से बताया कि उसे सेक्स की बड़ी प्यास रहती है परन्तु अच्छे साथी तथा मौका नहीं मिल पाता। मेरे यह कहने पर कि तने लण्ड के कारण मेरा बुरा हाल है, वह बोली कि मेरी भी तो पैण्टी गीली हो रही है, क्या करूँ?
मैंने पूछा कि गरम होने पर कैसे शान्त होती हो तो वो बोली- जब कोई उपाय नहीं होता तो काफ़ी देर तक ठण्डे पानी से नहाती हूँ तो तन की गरमी शान्त हो जाती है।
लन्च के समय वह मेरे बगल में बैठी तथा अपनी जाँघों से मेरी जाँघ रगड़ती रही तथा मौका पाकर पैण्ट के उपर से मेरे लण्ड को सहला देती। उसकी हरकतों से मैं तो पागल हो रहा था और शाम होने का इन्तज़ार बहुत खल रहा था। यही हाल कमोबेश नीलम का भी था। मन तो कर रहा था कि नीलम को लेकर सारनाथ के आस पास के किसी अरहर या गन्ने के खेत में घुस जाँऊ … और …
तो भैया किसी तरह दिन ढला और शाम हुई और हम वापस पाण्डेपुर पहुँचे और डी पी उसके भाई को लेकर अपने फ़्लैट पर चला गया और मैं नीलम को लेकर होटल की तलाश में। चूँकि शाम हो चुकी थी अतः 2-3 होटलों में जगह नहीं मिलने के बाद कैन्टोमेन्ट के एक अच्छे होटल में अपने बज़ट में कमरा मिल गया। तकरीबन आठ बजे हम कमरे में चेक-इन किया और दरवाजा बन्द करते ही नीलम मुझसे जोर से चिपट गई और लगी मुझे चूमने … वाह क्या चीज थी नीलम भी … क्या प्यास था उसकी आँखों में … क्या उत्तेजना थी … मैं तो एकदम गरमा गया और उसे जोर से अपने सीने में भींच कर उसके गालों पर चुम्बनों की बौछार कर दी।
वह भी दोगुने जोश से पलटवार कर रही थी … यानि मेरे गालों पर और होठों पर अपने चुम्बनों की बौछार शुरू कर दी … खड़े-खड़े ही हम दोनों गुत्थम-गुत्था होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे … दोनों मानो एक दूजे के होंठों को खा जाना चाहते हों। होठों का ज्वार कुछ कम हुआ तो दोनों बिस्तर पर आये और मैंने उसकी चूँचियों को ऊपर से दबाना शुरू किया। नीलम की चूँचियाँ छोटी-2 थी, पर उत्तेजना से कड़ी हो गई थी। मैंने उसकी शमीज उतार दी, अन्दर वह किशोरियों वाली अन्डर-शमीज पहने थी … कोई जवान की तरह ब्रा नहीं पहने थी, यह देख कर मुझे हँसी आ गई तो उसने पूछा- हँस क्यों रहे हो ?
मैंने कहा- तुम्हारी अन्डर-शमीज देख कर मुझे लग रहा है कोई स्कूल की छोकरी को फ़ुसला कर गलत काम कर रहा हूँ।
इस पर नीलम बोली- चूँचियाँ छोटी-2 हैं, अतः ब्रा नहीं पहनती, परन्तु आपको मुझसे पूरी मस्ती मिलेगी ! मैं कोई कुवाँरी नहीं हूँ, खेली-खाई हूँ, चूँचियों की कसर मेरे निप्पल चूस-2 कर निकाल लीजिये … चाहे जितने जोर से चूसिये, मैं उफ़्फ़ नहीं करूँगी … चाहो तो निप्पल काट लो मेरे राजा … अब देर मत करो मेरे ठाकुर साहब ..
यह कह कर उसने अपना निप्पल मेरे मुँह में घुसा दिया … और मैं लगा चूसने ! उसकी घुण्डियों को दाँतो से हौले-2 काटता हुआ !
और नीलम उत्तेजना से पागल हो के मेरा पैण्ट खोल के अण्डरवीयर से लण्ड बाहर निकाल कर हाथों से सहलाने लगी … मैं भी सलवार के ऊपर से उसकी पैण्टी के अन्दर उसके गरम होती चूत को सहलाने लगा … ओफ़्फ़् … सहलाते ही नीलम मचल उठी और जोर-2 से मेरे लण्ड को दबाने लगी और मेरे कपड़े उतरने लगी। और बोली- अब नहीं सहा जाता ! जल्दी से मेरी बुर में अपना लण्ड पेल कर मेरी बुर की प्यास बुझाइये मेरे सरकार … अब और नहीं सहा जाता !
मैंने उसकी सलवार और पैन्टी उतार के उसे पूरा नंगा किया और उसको सीधा लिटा कर दोनों टाँगें उठा कर बुर को ऊपर उठा कर उसकी बुर के मुँह पर अपना टनटनाया लण्ड रगड़ने लगा … नीलम तो जैसे पागल हो गई … मेरे गले में बाँहें डालकर जोर से मेरा एक चुम्मा लेकर बोली … अब पेलो नाऽऽऽऽ आऽऽऽऽआ … क्यों तड़पा रहे हो राजाऽआऽआऽआ …
मैंने उसकी चूत के मुँह पर लण्ड रखा और लण्ड को घुसाया …
सुपाड़ा जाते ही वो सिसकारी मारते हुए बोली … आआ आआहह हहह … रुको मत मेरे दोस्त ,पूरा लौड़ा पेल दो एक साथ … ओह … ह … ह … ह … चिन्ता मत करो राजा मैं देखने में बच्ची जरूर लगती हूँ पर कोरी नहीं हूँ, पेल दो जोर से … भले ही फ़ट जाये नीलम की बुर … बस क्या था, मैं तो बौखला गया और एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया …
उसने उफ़्फ़ करके मुझे जकड़ लिया और मेरे सीने से चिपट गई और मेरे निप्पल को चाटने लगी। मैं थोड़ी देर वैसे ही लण्ड देव को चूत की गुफ़ा में डालकर विश्राम करने लगा, जब एकाध मिनट तक कोई हरकत नहीं हुई तो नीलम खुद ही अपनी चूत को हिलाने लगी और मेरे गालों को सहलाते हुए कान में बोली- राजा जी, अब और ना तड़पाओ … अब चोद डालो नीलम को … मारो धक्का … अब मत रुको जानू …
बस भैय्या, मैं तो शुरू हो गया और दे दनादन धक्का लगा कर नीलम की बुर को चोदने … हचा … हच् … हच् … हच् … हच् … फ़च् … फ़च् … फ़चा … फ़च् … फ़च् … फ़च् … सटा-सट् … सट … पूरा कमरा फ़च-फ़च और नीलम की सिसकरियों से गूंज उठा … वो जोर-2 से अपने चूतड़ उठा कर मुझे जकड़ कर मेरे होंठ चूसने लगी और मुझे ललकारते हुए अपनी बुर को फ़ाड़ देने के लिये उकसाने लगी।
बड़ी देर तक मैं नीलम की बुर की चुदाई करता रहा। कमरे में बस हमारे साँसो तथा फ़चा-फ़च … और बीच-2 में उसकी सिसकारियों की आवाज आ रही थी। ज्यादा गीली होने पर मैंने तौलिये से अपना लण्ड और उसकी चूत साफ़ की और फ़िर से चोदना शुरू किया..
काफ़ी देर बाद हम दोनों ही लगभग एक साथ झड़े और उसने मुझे जकड़ लिया और हम दोनों लस्त-पस्त होकर सो गये।
शेष अगले भाग में ! Antarvasna
मेरा नाम राहुल है और Hindi Sex Stories मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
मेरे परिवार में मेरी मम्मी, मेरे पापा, बड़ी बहन राखी, और फिर मैं हूँ।
मेरे पापा की रात की नौकरी रहती है इसलिए आप अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि उन्हें रात में सम्भोग, मतलब चुदाई करने का मौक़ा नहीं मिलता है। इसलिए वह दिन में ही चुदाई करते हैं। अगर आप मेरी मम्मी को देखोगे तो कहोगे कि क्या पटाखा है। लाजवाब, जन्नत है। ठीक वैसी ही मेरी बहन राखी भी है, वो तो बिल्कुल बम है। घर में तीन कमरे हैं। एक मेरा, एक राखी का और एक मम्मी-पापा का।
एक दिन मम्मी-पापा उनके कमरे में सो रहे थे और मैं अपने कमरे में। तभी मैंने सुना कि मम्मी के कमरे से रोने की आवाज़ आ रही है। तभी मैंने खिड़की से देखा कि वहाँ चुदाई चल रही थी। मैं उनकी चुदाई के दृश्य देख मज़ा लेने लगा। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था। मेरी उम्र २० वर्ष है, मगर मैंने आज तक चुदाई नहीं देखी थी, बस उसके बारे में सुना था।
मैं यह बताने के लिए राखी के कमरे में गया कि मम्मी क्यों रो रही है। मगर जैसे ही मैं मुड़ा मैंने पाया कि राखी भी चुदाई के मज़े ले रही है। उसकी उम्र २२ साल है, और फिगर ३६-२४-३६ है। वह कमरे में बिल्कुल नंगी पड़ी थी और एक मोमबत्ती को अपनी चूत में डाल रखा था। मैंने मौक़ा देख अपनी मोबाईल में वह शूट कर लिया। फिर कमरे में घुस गया। मुझे देख वह हड़बड़ गई।
मैंने कहा,”दीदी, घबराओ मत। मैं भी तो तुम्हारा भाई हूँ। अगर तुम्हें इतनी चुदास उठ रही थी, तो मुझे बुला लेती।
राखी- राहुल, कैसी बात कर रहा है?
राहुल- नहीं, मैं सही कह रहा हूँ। चलो दोनों ही मज़े लेते हैं।
राखी- नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकती।
राहुल- ठीक है तो मैं यह फिल्म दोस्तों को भेज देता हूँ।
राखी- नहीं, ऐसा मत करो। ठीक है, चलो दोनों साथ में मज़े लेते हैं। वैसे मैंने आजतक किसी लड़के के साथ मज़े नहीं लिए हैं।
राहुल- अरे मैंने भी आजतक किसी लड़की के साथ मज़े नहीं लिए हैं।
फिर क्या था। राखी ने मेरे कपड़े उतारने शुरु कर दिए।
मेरे कपड़े उतरते ही राखी बोली- राहुल, ये क्या? तुम्हारी झाँट तो बिल्कुल जंगल ही रही हैं। और लंड तो बिल्कुल नौ इंच का है।
मैंने कहा- हाँ, आज तक तु्म्हारे लिए ही तैयार करता आ रहा था।
यह सुनकर राखी हँस पड़ी।
मैंने कहा- चुप! आराम से! बगल के कमरे में मम्मी-पापा भी हैं।
फिर राखी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।
तभी मुझे पेशाब लग आई, तो मैंने उसके मुँह में ही पेशाब कर दिया और वह पूरा पी गई। तभी मैं वहाँ से पानी पीने के बहाने आया और एक कैप्सूल खा लिया। फिर वापिस आकर हमारा कार्यक्रम चालू हो गया।
उसने 15 मिनट तक मेरा लंड चूसा। फिर मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरु किया जो 5 मिनट तक चलता रहा फिर बारी थी उसकी चूत की। जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो उसकी चीख निकलने वाली थी तभी मैंने राखी के मुँह पर हाथ रख दिया नहीं तो फँस गए होते।
अब हमारी चुदाई चालू हो गई। मैंने उसे आधे घंटे तक चोदा। राखी छिनाल भी पूरी थी, झड़ने ही नहीं दे रही थी। मैंने अपना 9 इंच का लण्ड अन्दर दे रखा था और बार-बार अन्दर-बाहर कर रहा था। उसे दर्द के साथ-साथ असीम आनन्द का अनुभव भी हो रहा था। तभी मुझे लगा कि वह झड़ने वाली है, तो मैंने उसे बाँहों में भर लिया और 9 इंच का लण्ड उसकी चूत में समा दिया। तभी मेरा लंड भी उसकी चूत में झड़ गया। हम साथ में झड़ चुके थे।
इसके बाद मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दिया। उसे दर्द तो हो रहा था पर मज़ा भी आ रहा था, इसलिए वह चुप थी। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदा, जिसमें मुझे बहुत मज़ा आया।
उस दिन के बाद मम्मी-पापा जब भी बाहर जाते हैं, हम दोनों घर में नंगे घूमते हैं और हर समय चुदाई करते हैं। वह मुझे नहलाती है और मैं उसे। मेरा लंड हमेशा उसकी चूत में रहता है। अब मेरा लंड दस इंच का हो चुका है। मुझे मेरे दोस्त बहनचोद भी कहते हैं। हमें सबसे ज़्याद मज़ा तब आता है, जब मम्मी-पापा घर पर नहीं होते. Hindi Sex Stories
हाय मेरा नाम विक्की है, मैं 26 साल Hindi Porn Stories का हूँ और मैं दिल्ली में रहता हूँ।
मैंने इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। मैं भी अपना एक अनुभव आपसे बताना चाहता हूँ।
यह बात आज से लगभग दो-ढाई साल पहले की है, हमारे घर में एक किरायेदार रहने आए। उनमें तीन लोग ही थे पति पत्नी और उनका छोटा भाई। मैं उनको भाई भाभी बोलता था। दोनों भाई ऑटो चलाते थे, दिन में बड़ा भाई और रात को छोटा भाई ऑटो चलाते थे।
एक रविवार, मेरी ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं अपने दोस्तों से मिलने निकल गया। शाम को जब में घर आया तो देखा कि एक लड़की मेरे घर के आँगन में मेरी मम्मी और बहन के साथ बैठ कर बात कर रही है।
मैंने सोचा कि बहन की कोई फ्रेंड होगी तो मैं सीधा बाथरूम में जाकर अपने हाथ मुँह धोकर आया। मैंने महसूस किया कि वो लड़की मुझे घूर घूर कर देख रही थी। मैं मम्मी की वजह से उसको नहीं देख रहा था। फ़िर वो उठ कर चली गई तो मैंने मम्मी से पूछा कि यह लड़की कौन है?
मम्मी ने बताया कि यह उन भइया की बहन संजू है।
यारों क्या मस्त माल थी वो ! लम्बाई 5.4′ भरा भरा बदन सांवला रंग एक दम ब्लैक ब्यूटी थी वो ! 2-3 दिन ऐसे ही निकल गए मैं कही भी जाता थो वोह मुझे घूर घूर कर देखती। उसकी आँखों में मुझे वासना दिखाई दी।
ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया और फ़िर से रविवार आ गया। उस दिन मेरी बहन कुछ चादर पर कुछ फूल पत्ती बना रही थी। मम्मी भी उसका साथ दे रही थी और वो लड़की संजू, वो चारपाई पर बैठी थी और मेरी बहन नीचे जमीन पर, मम्मी भी उसके साथ चारपाई पर ही बैठी थी।
मैं बाहर से घूम कर आया तो देखा कि सब बैठे हैं, मैं भी बैठ गया कुर्सी पर और मैंने अपने पांव चारपाई पर फैला दिए। तो चादर मेरे पांव के नीचे दब गई। मेरी बहन गुस्सा हो कर बोली कि चादर पांव के ऊपर कर ले नहीं तो गन्दी हो जायेगी।
मैंने ऐसा ही किया तो मेरा पाँव अचानक संजू के हाथ पर लगा। मैंने अपना पांव हटा लिया तो वो मेरी तरफ़ देखने लगी जैसे कह रही हो कि क्योँ हटा लिया। मैं मुस्करा दिया और दूसरी तरफ़ देखने लगा कि कहीं किसी का ध्यान मेरी तरफ़ तो नहीं, पर किसी ने नहीं देखा।
मुझे मजा आने लगा, मै धीरे से उसके कमर की साइड में अपनी पांव से सहलाने लगा। चादर पांव के ऊपर होने से किसी को कुछ पता नहीं चला और उसने भी कुछ नहीं कहा। मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं पांव की उँगलियों से उसकी बाजू पर और पेट पर चिकोटी काटने लगा उसने कुछ नहीं कहा।
तभी मेरे पापा आ गए और सब लोग उठ गए। फ़िर तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं जब उसको अकेले देखता तो कभी उसकी चूची दबा देता कभी उसकी गांड में ऊँगली करता और वोह कुछ नहीं कहती।
एक दिन मैं घर पर ही था और वो भी अकेली थी। मेरी मम्मी मार्केट गई थी। मुझे मौका मिल गया। मैं उसके कमरे में गया और उसको पकड़ लिया और जल्दी से उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी। वो कुछ नहीं बोली। फ़िर मैंने उसको किस करना चालू कर दिया। वो भी साथ देने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, मैं तो पागल ही हो गया।
उसकी कठोर चूचियों को देख कर मैंने उनको खूब चूसा और दबाया।
वो बोली- जल्दी करो अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।
मैं उसकी चूत में ऊँगली डालकर चोदने लगा। उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी और मजा ले रही थी अपनी कमर को उठा उठा कर। तभी जोर से चिल्लाई और झड़ गई। मैंने उसका सारा रस चाट कर साफ़ किया और फ़िर अपना 6′ लंबा और 3.5′ मोटा लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा। फ़िर उसको मजा आने लगा और वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी।
मैं समझ गया कि अब उसको मजा आने लगा है। मैंने अपनी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसको तेज तेज चोदने लगा। 10 मिनट बाद वो मुझसे लिपट गई और मुझे नोचने लगी। मैं समझ गया कि इसका पानी निकलने वाला है। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और 5 मिनट बाद ही हम दोनों ने अपना रस छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया, उसकी आंखे बंद थी, उसके चहरे से पता लग रहा था कि वो पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी है।
तभी डोरबेल बज उठी। मैं जल्दी से उठा और अपना लोअर पहन कर दरवाजा खोला, तो मम्मी थी। उस दिन तो बच गए। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चली गई। फ़िर उसके बाद उसके भाई ने भी घर खाली कर दिया और मेरा उसके साथ कोई लिंक नहीं रहा।
तो दोस्तो, यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव. मैं आजकल अकेला हूँ, Hindi Porn Stories
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