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Massage Girl in Bangalore: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bangalore who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bangalore that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bangalore massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bangalore who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bangalore massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bangalore massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bangalore who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bangalore employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bangalore helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bangalore

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bangalore at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

ये कहानी आज से 6 महीने पहले की Antarvasna है जब हम अपनी दूसरी साली की शादी में गये थे बड़ौदा, मेरी पहली साली की शादी को 6 महीने हुए थे।

वो भी अपनी बहन की शादी की तैयारी के लिये आई थी।

मेरी साली का नाम है सोनू, हम सब शादी से 1 हफ़्ते पहले गये थे।
उसका पति नहीं आया था।
वो करीबन होगी 24 की।

वो भी मेरी बीवी की तरह ही बहुत सेक्सी थी, वैसे साली का फ़ीगर होगा 36-29-38 उसके बूब तो बहुत ही सेक्सी थे जब वो चलती थी तो उसके बूब्स हिलते थे ये देख कर कोई भी आदमी मचल जाये।

उसके पति की अक्सर नाइट ड्युटी रहती थी।

मैं जब भी उसके घर पर जाता तो उसको देखता ही रहता और उसको चोदने के बारे में सोचा करता के काश इस को चोद सकूँ।

एक दिन जब रात को सोने गये तो एक रूम में पूरा सामान पड़ा था इस लिये हम सब एक साथ ही सो गये। पहले मेरे बगल मे मेरी वाइफ़ तब साली।

रात को जब मैं पानी पीने उठा तो वापस आकर देखा तो मरी जगह पर मेरी वाइफ़ थी।

इसलिये में साली और मेरी वाइफ़ के बीच में सो गया।
मुझे नींद नहीं आ रही थी।

थोड़ी देर के बाद मेरी साली ने अपने पैर मेरे पैरों पर रख दिया।
उसने नाइटी पहनी थी और वो उसके घुटने तक ऊपर हो गयी थी।
मेरा लंड खड़ा हो गया और पूरा टेंट बन गया।
फिर मैंने भी अपना हाथ उसके ऊपर रख दिया।

थोड़ी देर के बाद जब वो कुछ न बोली तब मैंने अपने हाथ को थोड़ा ऊपर लेके उसके एक बूब पर रख दिया और धीरे से दबाने लगा।

वो धीरे से मेरे पास आ गई तो मुझे लगा रेस्पोंस मिल रहा है।
ओर मैंने फिर दूसरे बूब को दबाने लगा।

फिर वो मेरी तरफ़ घूम गई तो मैंने अपने हाथ उसके नाइटी में ऊपर से डाल कर उसके टिट्स को दबाने लगा।

वो मचलने लगी और मुझे कान में कहा स्टोर रूम में चलते हैं।

फिर वो उठके दूसरे रूम मे चली गई और मैं भी उसके पीछे चला गया और स्टोर रूम का दरवाजा बंद कर दिया।

उसको मैंने पीछे से पकड़ कर उसके बूब्स दबाने लगा।

उसने कहा- आहिस्ता, आहिस्ता।

फिर मैंने उसकी नाइटी को ऊपर उठा कर पूरा निकाल दिया और उसको किस करने लगा।

मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसके टिट्स को हाथ से दबाने लगा।

उसकी सांसे तेज हो रही थी।

उसने मुझे बूब्स चूसने को कहा और मैंने उसका दायाँ बूब्स चूसने लगा और पूरा चाटने लगा।

थोड़ी देर के बाद दूसरा बूब्स भी चूसा।

अब मैंने धीरे से उसका पेटीकोट को ऊपर कर के अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और बूब्स भी चूसता रहा।

उसकी चूत पर बाल नहीं थे और पूरी गीली हो गई थी।

थोड़ी देर के बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी और वो मचल गई।
अब वो सिसकियाँ ले रही थी और मैंने उसका पेटीकोट और पैंटी निकाल दिया और उसकी चूत को चाटने लगा।

उसके पानी का स्वाद बहुत अच्छा था। उसने मेरे पैजामे का नाड़ा खोल दिया और पैजामा और अंडरवियर उतार दिये।

वो मेरा लंड को देखती ही रह गयी और बोली ये तो उसके पति से बहुत बड़ा है और उस पर हाथ फ़ेरने लगी।

मैंने फिर से उसकी चूत को चाटने लगा और हम 69 कि पोजिशन में आ गये।

वहां पे कोई बिस्तर नहीं था इसलिये टाइल्स पर ही लेट गये।

मैंने उसके स्लिट को दांतो से थोड़ा सा दबाया और वो जोर से मचल पड़ी और फिर मैंने अपनी जीभ को उसके अंदर डाल कर अंदर बाहर हिलाने लगा।

वो सिसकिया भरने लगी और बहुत गर्म हो गई।

फिर वो मेरी बाहों में आ कर लिपट गई और धीरे से कहा कि अब मत तड़पाओ, अब मेरे अंदर जल्दी से डालो, मैं मर रही हूं।

तो मैं एक कुरसी पर बैठ गया और उसको आगे की तरफ़ झुका कर अपने लंड पर बिठा दिया और जोर से एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।

वो दर्द के मारे अपने होंठों को दबाये मुझे पीछे पकड़ लिया।

थोड़ी देर उसको ऐसे ही बिठाये मैं भी बैठा रहा।

फिर उसे मजा आने लगा और वो आगे पीछे होने लगी।

मैंने भी पीछे से धक्के देने शुरु कर दिये।

10 मिनट बाद उसकी रफ़्तार तेज हो गई और मेरा भी निकलने वाला था इसलिये मैंने भी जोर से धक्का लगाना शुरु कर दिया।

थोड़ी देर के बाद वो मुझे पर बैठ गई और मैंने भी उसके दोनो बूब्स को जोर सो दबाने लगा और हम दोनो ने एक साथ अपना पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहे।

फिर हम दोनो ने अपने कपड़े पहन कर एक लम्बी किस कर के वापस अपनी जगह पर आके सो गये।

हम दोनो पूरी रात नहीं सोये।

मैं भी उसके बगल में लेटे उसकी पैंटी में हाथ डाल कर चूत पर अपना हाथ फेरता रहा।

वो भी चादर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पूरी रात पकड़ कर सोयी रही।

जब तक हम वहां पर साथ रहे रोज कुछ बहाना निकाल कर बाहर चले जाते और कोई फ़र्म और खाली जगह पर जाके अपनी मोटर साइकल पर बैठ कर ही मजे लूटते रहे।अब वो प्रेग्नेंट हो गई है और मेरे ही बच्चे की मां बनेगी। Antarvasna

दूसरी साली को भी कैसे चोदा वो अगली कहानी में

Sex Stories

मैं दमन में रहता हूँ। हमारे Sex Stories पड़ोस में मेरा दोस्त सुरेश रहता है। सुरेश अकेला रहता है उसके परेंट्स गांव में रहते हैं। एक बार उसकी मामीजान किसी अधिवेशन के सिलसिले से दमन आयी और उसके घर पर करीब दो महीने रही। सबसे पहले उसके मामी के विषय में आप लोगों बता दूं।

मेरे दोस्त की मामी का नाम सौम्या है वो करीब 40 साल की सांवली सुडौल शादीशुदा महिला है। वैसे तो वो हाउसवाइफ़ है लेकिन गांव में मशहूर समाज सेविका है। उसके चूतड़ और बूब्स काफ़ी बड़े बड़े और भारी हैं, शकल सूरत से वो खूब सेक्सी और 30 साल से कम लगती है।

अकसर में शनिवार या रविवार जो कि मेरे छुट्टी के दिन हैं, सुरेश के साथ गुजारता हूँ। जब से उसकी मामीजान आयी है तब से मैं मामी से दो तीन बार मिल चुका हूँ। वो जब भी मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी, मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा छा जाता था या यूं कहिये उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो!
ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं बता नहीं सकता हूँ लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रों ही नज़रों से मुझे सेक्स की दावत दे रही हो।

मैं जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था, जैसे ‘हार्दिक तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं?’
मैंने कहा- मामी जी, क्या करूँ, आप ही बतायें?
वो बोली- तुम्हें खाली समय का और मौके का फायदा उठाना चाहिये।
मैंने कहा- जरूर फायदा उठाऊँगा अगर मौका मिले तो!
वो बोली- मौका तो कब से मिल रहा है लेकिन तुम कुछ समझते नहीं, न ही कुछ करते हो?

मैं उनकी बातें सुन कर चकराया और बोला- मामीजान, आप की बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही हैं।
वो बोली- देखो हार्दिक, आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है तो तुम्हें कुछ कुछ पार्ट टाइम जोब करना चाहिये ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और टाइम पास भी होगा।
इसी तरह की दोहरे शब्दों में मामी जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती तब सुरेश या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता।

एक दिन जब सुबह करीब 11 बजे सुरेश के घर पहुंचा तो घर पर उसकी मामी थी, सुरेश मुझे कहीं नज़र नहीं आया।
मैंने पूछा- मामी जी, सुरेश नज़र नहीं आ रहा है, कहां गया वो?
मामी- वो बाथरूम में कब से नहा रहा है। मैं उसी के बाहर निकलने का इन्तज़ार कर रही हूँ।
मैं- लेकिन वो तो ज्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं, तुरंत पांच मिनट में आ जाता है।

मामी हंसते हुए- अरे भाई, बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहां से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है।
मैं कोई जवाब नहीं दे सका, वो भी चुप रही।

थोड़ी देर बाद सुरेश बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया। उसके बाथरूम से आते ही मामी जी बाथरूम में गयी और मेरी तरफ़ नशीली नज़रों से देखती हुयी बोली- घबराना मत, मैं ज्यादा समय नहीं लगाऊँगी। आप लोग नाश्ते के लिये मेरा इन्तज़ार करना!

कहते हुए वो बाथरूम में घुस गयी, करीब 20 मिनट बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।

नाश्ता करते वक्त सुरेश ने कहा- यार, आज मुझे ओफ़िस के काम के सिलसिले में सूरत जाना है। और मैं कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस लौटूंगा। अगर सोमवार दोपहर को लौटूंगा तो तुम्हें कल फोन कर दूंगा। अगर तुम्हें ऐतराज़ न हो तो क्या तुम जब तक मैं नहीं आता हूँ मेरे घर रुक जाना ताकि मामी को बोरियत महसूस नहीं होगी न ही मुझे उनकी चिंता रहेगी क्योंकि वो दमन में पहली बार आयी हुई हैं।
मैंने कहा- ठीक है, नो प्रॉब्लम!

और वो साढ़े बारह बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया। मैं भी उसे ट्रेन में बिठाने के लिये बोरिवली गया जब वापस लौट रहा था तो एक रेस्तराँ में जाकर 3 पेग व्हिस्की पी और लौट कर सुरेश के घर गया।
घर पर मामी जी हाल में बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। मामीजान ने मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली- सुरेश को बैठने की सीट मिल गयी थी क्या?
मैंने कहा- हां… क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी।

वो बोली- मैंने खाना बना लिया है, भूख लगी हो तो बोल देना।
मैंने कहा- अभी भूख नहीं है, जब होगी तो बोल दूंगा।

मामी की निगाहों में अजीब नशा देख कर मैंने पूछा- मामी जी, आप करती क्या हैं?
थोड़ी देर तक मेरे नज़रों से नज़रें मिलाती रही, फिर बोली- समाज सेवा!
यह सुनते ही अचानक मेरे मुंह से निकल गया- कभी हमारी भी सेवा कर दीजिये ताकि हमारा भी भला हो जाये।

वो हल्के से मुसकुराई और बोली- तुम्हारी क्या प्रोब्लम है?
मैंने कहा- वैसे तो कुछ खास नहीं है लेकिन बता दूंगा जब उचित समय होगा।
वो मेरे आंखों में आंखें डालती हुए बोली- यहां तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं है, बेझिझक प्रोब्लम कह डालो शायद मैं तुम्हारी प्रोब्लम हल कर दूं?

मैंने कहा- आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो?
वो बोली- मैं जरूरतमंद लोगों की जरूरत पूरी करने की मदद करती हूँ, उनकी समस्या हल करती हूँ।
मैंने कहा- कि मेरी भी जरूरत पूरी कर दो न?
वो बोली- जब वक्त आयेगा तो कर दूंगी!

फिर वो चुप रही और मैगज़ीन पढ़ने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने पूछा- मामी जी आप क्या पढ़ रही हैं? कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस मैगज़ीन में?
वो मुस्कुराते हुए बोली- इस मैगज़ीन में बहुत अच्छा लेख है पत्नी और पति के सेक्स के विषय में!
फिर वो पढ़ने लगी।

थोड़ी देर बाद उसने पूछा- हार्दिक ये उत्तेजना का क्या मतलब होता है?
मैं सोचने लगा.
वो मेरी ओर कातिल निगाहों से देखती हुयी बोली- बताओ न?
मेरी समझ में नहीं आया कि हिंदी में उसे कैसे बताऊँ।

वो लगातार मेरी और देख रही थी, उसकी आंखों में नशा छाने लगा। मैं उसे गौर से देख रहा था, उसके होंठ खुश्क हो रहे थे, वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी।
मैंने सोचा अच्छा मौका है मामी को पटाने का।

वो इठला कर बोली- बताओ न क्या मतलब होता है?
उसकी इस अदा को देखते हुए मैंने कहा- शायद चुदास!
वो बोली- क्या कहा? क्या मतलब होता है?
मैंने कहा- क्या तुम चुदास नहीं समझती हो?
वो बोली- कुछ कुछ… क्या यही मतलब होता है?
मैंने कहा- हां शायद यानि कि… कैसे समझाऊँ तुम्हें मामीजी!
मैंने उलझ कर कहा।

वो हंसते हुए बोली- चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं?
मैं उसे एकटक देखने लगा, उसके होंठों पर चंचल मुस्कुराहट थी।
मैंने कहा- ठीक समझी आप!
वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोली- किस शब्द से बना है चुदास?

मैंने उसकी आवाज में कंपकपी महसूस की। मेरे दिल ने कहा ‘गधे, वो इतना चांस दे रही है, तू भी बन जा बेशरम… वरना पछतायेगा।
मैंने कहा- चुदास चोदना शब्द से बना है!
वो खिलखिला कर हंसने लगी और मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी।

मैं सोचने लगा कि अब क्या कयूँ?
अचानक उसने पूछा- ये वेजिना क्या होता है?
मेरे दिल ने कहा ‘साली जानबूझ कर ऐसे सवाल पूछ रही है।’ मैंने बिंदास होकर कहा- योनि को वेजिना कहते हैं।
वो फिर पूछने लगी- यह योनि क्या होता है।
मैंने कहा- क्या आप योनि नहीं जानती हो?
वो बोली- नहीं।
मैंने कहा- चूत समझती हो?
मामीजान ने झट से मुंह पर हाथ रखा और मैगज़ीन के पन्ने पलटती हुयी बोली- हा…

मैंने हिम्मत कर के कहा- चुदास की बहुत चाहत हो रही है।
वो हल्के से मुस्कुराते हुए कहा- चुदास की प्यास?
मैंने कहा- वाकई चुदास की प्यास लगी है।
वो बोली- मैं भी दो साल से प्यासी हूँ क्योंकि दो साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था।

मैंने कहा- ओह… इसका मतलब कि दो साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है।
वो सिर झुका कर बोली- आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं।
मैं बोला- अगर मिल जाता तो?
वो बोली- तो मैं अपनी चूत को उस लंड पर कुर्बान कर देती।
मैं बोला- आओ मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है।

मैंने तुरंत उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके होंठ में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा, मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे सहलाने लगी।
मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवीयर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया।

अब मामी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया और लोली पोप की तरह चूसने लगी।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
कभी वो मेरे लंड के सुपारे को चूसती, कभी जबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी.
ऐसा उसने करीब 15 मिनट तक किया।

आखिर में रहा न गया मैंने उसके मुंह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम दोनो सोफ़े पर आकर बैठ गये। मेरा लंड फिर सामान्य हो गया।

वो अब भी साड़ी पहने हुयी थी, मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जांघों को सहलाया फिर हाथ को उसकी चूत पर ले गया। उसकी पैंटी गीली हुयी थी, इतनी गीली थी जैसे पानी से भिगोयी हो। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया, वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।

फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला, उसकी चूत फूली हुयी और गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी। मैंने उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा जिस कारण वो बेकरार होने लगी।

अब मैंने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैंने पैंटी को पकड़ा और जांघों तक सरका दिया।
अब मामी ने खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गयी। उसके घुटने ऊपर थे और टांगें फैली हुयी थी। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़ साफ़ दिखायी दे रही थी।

मैंने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैंने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी। मैं धीरे धीरे अपनी उंगली उसके चूत में अंदर बाहर करने लगा, उसके मुंह से आअह्ह ह्हाअ ऊफ़्फ़ की आवाज निकल रही थी।

अब मैंने दो उंगलियां उसकी कोमल चूत में घुसाई। चिकनी चूत होने से दोनो उंगलियां आराम से अंदर बाहर हो रही थी। लगभग पचास साठ बार मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत की घिसाई की।
इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम में ले गया। वो आंखें बंद किये मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी। मैंने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटिकोट दोनो उतार दिये और हम बिल्कुल नंगे हो गये।
वो करवट लेकर लेट गयी, अब उसके चूतड़ साफ़ झलक रहे थे, मैंने उसकी गांड पर हाथ से सहलाया। क्या गांड थी… गोल मटोल गांड थी उसकी।

मैं करीब 5 मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा फिर उसकी कमर पकड़ कर चित लिटा दिया और जितना हो सका उतनी उसकी टांगें फैला दी, फिर उसकी चूत की दरार को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा।
उसके मुंह से हाअ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की नशीली आवाजें निकल रही थी। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत के एक एक भाग चाट रहा था, बीच बीच में चूत को जीभ से चोद रहा था।

वो बिल्कुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, वो बोली- अब हटो हार्दिक, मेरी चूत काफ़ी गरमा चुकी है। अपना लंड मेरी गरम गरम चूत में घुसेड़ दो राजा… उफ़्फ़… अपने लंड से मेरी चूत की गरमी और प्यास बुझा दो, मेरे हार्दिक, आज इतना कस कस कर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जाये।

जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया, उसने अपनी टांगें मोड़ ली, मैं उसकी उठी हुयी टांगों के बीच बैठ गया। मैंने उसकी टांगें अपने हाथ से उठा कर अपना लंड उसके चूत के मुंह में रखा जिस कारण उसके शरीर में झुरझुरी मच गयी।
लंड को चूत के मुंह में रखते ही चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा। मैंने कस कर एक धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। गरमा गरम चुत के अंदर लंड की अजीब हालत थी।

अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूल कर और मोटा हो गया। मेरे हर धक्के पर वो ऊऊफ़्फ़ आआह्ह ऊऊह्ह ह्हह की आवाजें निकालने लगी।
करीब बीस मिनट तक मैं उसके चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा, फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दनादन लंड को चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा.

मामी ने मुझे कस कर बाहों में जकड़ लिया, मैं समझ गया कि वो झड़ रही है।
मामी कराह रही थी, बोल रही थी- हाय! हार्दिक दो साल बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है। वाकयी तुम पक्के चुदक्कड़ हो। चोदो मुझे जोर जोर से चोद।

मेरा लंड फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर हो रहा था। पूरे कमरे में चुदाई की फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाजें गूंज रही थी। मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था. कुछ देर बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और वो निढाल होकर लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी।

करीब 50-60 धक्कों के बाद मेरे लंड ने आखिर जोरदार फ़व्वारा निकाला और उसकी चूत में समा गया। जब तक लंड से एक एक बूंद उसकी चूत में समाती रही, मैं धक्कों पर धक्के लगाता रहा। आखिर में मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजु में लेट गया। हम दोनों की सांसें तेज चल रही थी, वो दाहिनी करवट से लेटी हुई थी।

करीब 15-20 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मेरी नज़र मामी की गांड पर पड़ी, गांड का ख्याल आते ही लंड फिर से हरकत करने लगा।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रख कर घुसाने की कोशिश की। उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मैंने ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा उसकी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी गांड में घुस गयी.
उंगली घुसते ही वो कसमसाहट करने लगी, वो तड़प कर आगे खिसकी जिस वजह से उंगली गांड के छेद से बाहर निकल गयी.

मामी मुड़ कर बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मामी तुम्हारी गांड सचमुच खूबसूरत है।
वो बोली- उंगली क्यों घुसाते हो? लंड क्या सो गया है?

उसकी यह बातें सुनकर मैं खुश हुआ और उसे पेट के बल लिटा दिया और दोनो हाथों से उसकी चूतड़ को फ़ैला दिया जिस से उसकी गांड का छेद और खुल गया।
वो धीरे से बोली- हार्दिक, नारियल तेल, घी या कोई चिकनी चीज मेरे गांड और लंड पर लगा लो तो आसानी रहेगी।

मैंने कहा- मामीजान, इससे भी अच्छी चीज है मेरे पास… वेसलीन!
और मैं उठ कर ड्रायर से वेसलीन ले आया और ढेर सारी वेसलीन अपने लंड और उसकी गांड पर लगाई और उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। अब मैंने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर पुश किया, लंड का सुपाड़ा गांड में थोड़ा सा घुस गया। फ़िर थोड़ा जोर लगा कर और पुश किया तो सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया।

सुपाड़ा गांड में घुसते ही वो बोली- हार्दिक, थोड़ा आहिस्ते आहिस्ते डालो, दर्द हो रहा है, दो साल हो गये गांड मरवाये।

अब मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही धीरे धीरे गांड के अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही उसकी गांड का छेद पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। मुझे लगा अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जायेगा और ऐसा ही हुआ।
उसकी गांड का छेद चिकनाहट की वजह से लंड थोड़ा थोड़ा और अंदर समाने लगा।

दो तीन मिनट की मेहनत से मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा। उसकी टाइट गांड होने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी गांड मरवाने का मजा आ रहा था और मुंह से ऊफ़्फ़ आह्हा की आवाजें निकाल रही थी।

40-50 धक्कों के बाद मेरे लंड ने घुटने टेक दिये और उसकी गांड में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया, वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी।
अब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गये।

जब तक मेरा दोस्त नहीं आया, मैंने उसकी मामीजान की कई बार चूत और गांड मारी।

जब मैं वापस अपने घर लौटने लगा तो मामी बोली- कैसी रही मेरी समाज सेवा?
और मैंने हंस कर कहा- मामी जी, आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो!
फिर मैं घर लौट आया.
मेरी कहानी पर अपनी राय लिखें! Sex Stories

Indian Sex Stories

हैलो दोस्तों मेरे संबंध मेरी चाची के साथ Indian Sex Stories हैं जिनका नाम रोहिणी हैं। मैं अपनी चाची को खूब चौदता हूँ और जी भरकर गांड मारता हूँ। लेकिन मुझसे पहले भी उनका संबंध एक आदमी से रह चुका हैं उसी की कहानी आपको सुना रहा हूँ।

रोहिणी एक घरेलू महिला हैं जिसकी उम्र लगभग ४५ साल की और कद ५.२ इंच हैं। उसका वजन अधिक हैं जिससे वह मोटी ज्यादा दिखती हैं। इसके बावजूद वह एक गोरी चिट्टी सेक्सी महिला हैं जिसे देखकर हर दीवाने का लंड खड़ा हो जाये। उसकी तीन लड़कियाँ तथा एक लड़का हैं। दो लड़कियों की शादी हो गई हैं तथा एक लड़की रक्षा जिसकी उम्र १९ साल तथा लड़के राजू की उम्र १५ साल हैं।

इस उम्र में भी रोहिणी पर सेक्स का बुखार कम नहीं हुआ हैं उलटे और अधिक बढ गया हैं। रोहिणी के पति रमाकांत का वजन भी ज्यादा हैं और अब उनमें वो बात नहीं रही जो जवानी में होती हैं। इसलिये रोहिणी संतुष्ट नहीं होती हैं।

रोहिणी अपने नाम के अनुरूप ही सजती संवरती हैं और किसी महारानी से कम नहीं लगती। आज रोहिणी कुछ ज्यादा ही सज-संवर रही थी। पति ने पूछा तो बताया कि आज के दिन हम पहली बार मिले थे इसलिये सज-संवर रही हूँ। आज हम फिर हमारी सुहागरात की याद ताजा करेंगें।

रमाकांत मुस्कुराकर बोले- क्यों नहीं मेरी रानी। आज बहुत दिनों बाद हम सेक्स का मजा लेंगें।

ठीक हैं ठीक हैं ! पर जल्दबाजी मत करना। प्यार से रगड़ना मुझे ! वरना तुम पप्पी झप्पी लोगे और सो जाओगे। मेरी चूत प्यासी रह जायेगी।

अरे तुम चिंता मत करो ! आज मैं ताकत के कैप्सूल खा लूंगा और तुम्हें जी भर कर चौदूंगा।

दोनों हंसने लगे। रमाकांत ने आगे बढकर रोहिणी के रसीले होंठों को चूम लिया। शाम होते होते रोहिणी रमाकांत का इंतजार करने लगी। बच्चे रोहिणी से पूछने लगे कि आज क्या बात हैं जो आप इतना सज संवरकर बैठी हैं। किसी पार्टी में जाना हैं क्या?

अरे नहीं बच्चों ! बस आज मेरा मन बहुत खुश हैं इसलिये थोड़ा सज संवर लिया! रोहिणी बच्चो को समझाते हुए बोली।

पर रक्षा समझ गई कि आज कुछ गड़बड़ होने वाली हैं।

रात में सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गये। रोहिणी ने आज अपने कमरे में गुलाब जल छिड़क रखा था। भीनी-भीनी खुश्बू पूरे कमरे में महक रही थी। रमाकांत और रोहिणी दोनों अपने बिस्तर पर बैठे बातें करने लगे।

रोहिणी के हाथ रमाकांत के हाथों में थे। रमाकांत ने एक हाथ रोहिणी के बालों में डाला और रोहिणी के भीगे होंठों को चूसने लगे। रमाकांत ने रोहिणी की साड़ी खोल दी। रोहिणी ने भी तेजी दिखाई और रमाकांत के कपड़े खोल दिये। अब रोहिणी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी तो रमाकांत सिर्फ अण्डरवियर पहने थे। उनका लंड अण्डरवियर में से अपनी झलक दिखला रहा था। रमाकांत ने ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया। रोहिणी पूरी तरह नंगी हो गई क्योंकि उसने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी। रमाकांत रोहिणी के प्रत्येक अंग को चूमने लगे। रोहिणी उत्तेजित होने लगी। रमाकांत ने रोहिणी के बडे -बडे बूब्स को खूब चूसा। एक एक अंग को चूमते चूमते रमाकांत के होंठ रोहिणी की चूत को चूसने लगे। रोहिणी बुरी तरह उत्तेजित हो गई। रोहिणी ने एक हाथ से रमाकांत की अण्डरवियर में हाथ डाला और उनका लंड पकड लिया।

रोहिणी ने रमाकांत को उठाया और उनका लंड अपने मुंह में भर लिया। रमाकांत तड़पने लगे पर रोहिणी और जोर-जोर से लंड चूसने लगी। रमाकांत को झड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी और सारा वीर्य रोहिणी के मुंह में भर दिया। रोहिणी एक-एक बूंद चाट गई।

रोहिणी ने रमाकांत के होंठों को अपने होंठो के बीच दबा लिये और जोर जोर से चूसने लगी। गर्दन से नीचे आने पर रोहिणी ने रमाकांत के छोटे-छोटे निप्पल को बुरी तरह से चूस लिया। रमाकांत की तड़प बढ़ गई। रोहिणी रमाकांत के शरीर को चूमते हुए फिर लंड तक पहुंच गई और ढीले लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी। बहुत देर चूसने के बाद रमाकांत का लंड फिर से खड़ा होने लगा। रमाकांत जोश में आ गये और रोहिणी को बिस्तर पर लिटाकर अपना लंड रोहिणी की चूत में डाल दिया। रमाकांत धक्के पर धक्के लगाने लगे।

रोहिणी को मजा आने लगा और वह कहने लगी- आज तो इस चूत की धज्जियां उड़ा दो मेरे सरकार ! फाड़ कर रख दो इसे !

इतना सुनते ही रमाकांत ने जोर जोर से धक्के लगाना शुरू किये और सारा माल एक ही झटके में रोहिणी की चूत में भर दिया ।

रोहिणी अभी तक झड़ी नहीं थी। लेकिन रमाकांत का लंड ढीला हो चुका था। रोहिणी फिर से चूदाने के मूड में थी इसलिये फिर से उसने लंड को अपने मुंह में भर लिया। बहुत देर तक लंड चूसने के बाद भी लंड खड़ा नहीं हुआ। रोहिणी फिर मन मारकर लेट गई। रमाकांत थक गये थे इसलिये उन्हें फटाफट नींद आ गई लेकिन रोहिणी अभी भी प्यासी थी। उसने अपनी उंगलियों को ही चूत में डाल-डालकर अपना पानी निकाल लिया।

सुबह रमाकांत बडे फ्रेश लग रहे थे लेकिन रोहिणी अनमनी सी लग रही थी। रोहिणी ने रमाकांत से ज्यादा बात नहीं की और उन्हें खाना खिलाकर काम पर भेज दिया। दोनों बच्चे स्कूल चले गये। वह घर पर अकेली बोर होने लगी। वह बार-बार यहीं सोच रही थी कि कैसे अपनी प्यास बुझाई जायें। इनका लंड तो अब डालते से ही झड़ जाता हैं। क्या किसी और से चूदवा लूं? लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था। आज पहली बार किसी पराये मर्द के लिये उसके मन में ख्याल आया था।

रोहिणी अभी इसी सोच में पड़ी हुई सोफे पर लेटी थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी। रोहिणी ने दरवाजा खोला तो सामने एक आदमी खड़ा था, जिसकी उम्र लगभग ५० साल की होगी। उसकी सफेद दाढ़ी थी तथा सिर पर बाल बहुत कम थे। उसने बताया कि रमाकांत जी ने उसे टॉयलेट की सफाई के लिये भेजा हैं।

रोहिणी उस आदमी को टॉयलेट तक लेकर गई। रोहिणी ने उसका नाम पूछा तो उसने अपने नाम कालू बताया। कालू अपने काम में लग गया। कुछ ही देर में उसका सारा काम हो गया।

काम होने के बाद कालू के कपडे गीले हो चुके थे। वह बाथरूम में गया और अपने शर्ट और पेंट उतारकर शॉवर में नहाने लगा। उसने दरवाजा आधा ही बंद किया था। उसने अंदर कुछ नहीं पहना था। वह नंगा होकर शॉवर का आनंद लेने लगा।

काम हुआ या नहीं, यह देखने के लिये रोहिणी बाथरूम तक पहुंची। बाथरूम तक पहुंची तो उसके होश उड़ गये। कालू नंगा होकर नहा रहा था। उसका लंड देखकर उसकी सांसे तेज हो गई। कालू ने रोहिणी को देख लिया था पर वह यह जता रहा था कि उसने उसे देखा ही नहीं। रोहिणी से कुछ बोलते नहीं बनी। अभी भी उसकी सांसे तेज चल रही थी।

कुछ देर बाद रोहिणी संभली तो उसने कालू को बोला- यह तुम क्या कर रहे हो। तुम्हें सिर्फ सफाई के लिये बुलाया था, नहाने धोने के लिये नहीं।

कालू हकलाकर बोला- मुझे माफ कर दो मेमसाब ! मेरे कपड़े और बदन गंदे हो गये थे इसलिये सोचा कि दोनों को साफ कर लूं।

रोहिणी बोली- ठीक हैं, ठीक हैं। जल्दी करो। मैं अपने बेडरूम में जा रही हूं। काम हो जाये तो पैसे ले जाना।

कालू- जी मेमसाब।

कालू मन ही मन खुश हो रहा था कि मेमसाब उससे नाराज नहीं हुई। हो न हो उसे भी लंड की चाहत जरूर होगी वरना इतनी देर में तो कोई भी उसे खरी खोटी सुनाता और घर से निकाल देता।

इधर रोहिणी अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गई। उसके मन में कालू का नंगा शरीर ही दिख रहा था। वह अपने को काबू में नहीं रख पा रही थी। उसने अपने कपड़े खोले और गाउन पहन लिया ।

कालू नहाकर बाहर निकला। उसने कपड़े भी नहीं पहने और रोहिणी के कमरे की ओर चला आया। अंदर रोहिणी गाउन पहने अपने बिस्तर पर लेटी थी। वह आंखे बंद करके मन ही मन में कालू के बारे में सोच रही थी। कालू ने देखा कि दरवाजा हल्का सा खुला हैं। उसने अंदर झांका तो रोहिणी आंखे बंद करके लेटी थी।

इस अवस्था में देखकर उसके मन में भी सेक्स का बुखार चढ़ने लगा। उसका लंड तनतनाकर ७ इंच का हो गया। वह दबे पांव रोहिणी तक गया और उसके होंठों पर होंठ रख दिये।

रोहिणी बूरी तरह चौंक गई। वह सोच भी नहीं सकती थी कि कालू आकर उसके होंठों को चूम लेगा। उसने सोचा कि कालू को डांटकर भगा दे लेकिन अपनी हवस पर काबू नहीं रख पाई और कालू से चिपक गई। कालू ने भी उसे बाहों में भर लिया और उसकें होंठों का रस चूसने लगा। रोहिणी पर चूदवाने का नशा इस तरह चढ गया था कि वह एक भंगी के बदबूदार मुंह को अपने मुंह से लगाकर चूमाचाटी कर रही थी।

बहुत देर तक रोहिणी के होंठों की मां चोदने के बाद कालू ने रोहिणी का गाउन खोलकर उसे नंगा कर दिया। उसे रोहिणी की बड़ी लेकिन प्यारी सी चूत दिखाई दी जो पूरी तरह क्लीन शेव्ड थी। कालू ने चूत को अपने होंठों से लगाकर बूरी तरह चूसने लगा। रोहिणी पागल सी हो गई।

रोहिणी इतनी उत्तेजित हो गई थी कि वह एक भंगी से भी चूदवाने को तैयार थी। कालू का लंड देखकर रोहिणी खुश हो गई कि आज यह लंड उसकी प्यास बुझा देगा। कालू ने अपना लंड रोहिणी के मुँह में दे दिया। कालू भी तड़प उठा पर यह सोचकर उसे अपनी जिंदगी पर गर्व होने लगा कि एक भंगी भी किसी अप्सरा को, चाहे वह मोटी ही क्यों न हो, चौद सकता हैं।

आज हवस के नशे में एक मालदार महिला ने अपनी इज्जत एक भंगी के हाथों में दे दी। रोहिणी पूरी तरह गर्म हो गई थी। कालू उसे अब अपना सब कुछ नजर आ रहा था।

रोहिणी – आह कालू। अब देर मत करों। अपना लंड मेरी चूत में डालो और मेरी प्यास बुझा दे मेरे राजा ।

कालू ने रोहिणी की चूत का निशाना लगाया और एक ही झटके में पूरा लंड रोहिणी की चूत में डाल दिया। रोहिणी चीख पड़ी। आह कमीने धीरे से डाल ! मार डालेगा क्या !

कालू तो पागल हो गया था। इस स्वर्गीय आनंद में वह जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। रोहिणी का पूरा शरीर हिलने लगा। इतना आनंद तो उसे रमाकांत से चुदाई कराने पर भी कभी नहीं आया। कालू ने पूरी तरह से रोहिणी की चूत को भौंसड़ा बना दिया। आज रोहिणी तीन बार झड़ चुकी थी। कालू ने तेज झटके मारे और सारा माल रोहिणी की चूत में डाल दिया। रोहिणी अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थी।

दोनों एक साथ चिपककर लेटे रहे। थोड़ी देर बाद कालू फिर चालू हो गया। उसका लंड फिर खड़ा हो गया। उसने रोहिणी को उलटा लिटाया और उसकी गांड के छेद पर लंड रखकर धक्का लगाया। रोहिणी दर्द से चीखने लगी। दो तीन झटको में कालू ने लंड रोहिणी की गांड में घुसा दिया।

रोहिणी दर्द से चीख रही थी। कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा। कालू ने ५ मिनट तक रोहिणी की गांड मारी फिर तेज धक्कों के साथ अपने वीर्य से रोहिणी की गांड को भर दिया। कुछ देर तक कालू और रोहिणी चिपककर लेटे रहे। फिर कालू उठकर जाने लगा।

कालू ने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लिये। कालू जाने लगा तो रोहिणी ने कालू को होंठों पर लंबा चुम्मा दिया और ढेर सारे पैसे भी दिये। कालू खुशी-खुशी चला गया और रोहिणी पूरी तरह संतुष्ट होकर अपने कमरे में जाकर मीठी नींद में सो गई । Indian Sex Stories

मेरा नाम विक्की है. मैं इटारसी का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 23 साल है. मेरा लंड 6′ का है. अभी मैं भोपाल में रहता हूँ.
अन्तर्वासना की सब कहानियाँ पढ़ कर मैं भी अपनी एक बात बताना चाहता हूँ.

एक दिन मैं कंपनी के काम से नागपुर गया था. पूरे दिन में करके मैं शाम को घूमने निकलता था.

एक दिन शाम को एक रेस्टोरंट में गया. वहाँ बहुत भीड़ थी, एक मेज़ खाली था. मैं वहाँ पर बैठ गया. थोड़ी देर बाद सामने के मेज़ पर तीन औरतें आकर बैठ गई. सभी तीस की उम्र की होंगी. उनमें एक औरत बहुत खूबसूरत थी. उसने काली साड़ी पहनी थी. उसका जिस्म बहुत सुन्दर था. उसके बड़े-बड़े स्तन जैसे मेज़ पर ही पड़े थे, ऊपर से उसकी दरार दिख रही थी.

वो मेरी तरफ देख रही थी. पता नहीं नज़रों से कुछ बात हो रही थी. वो मुस्कुराई. मैं भी थोड़ा मुस्कुरा कर बाहर चला गया. वो मेरे पीछे बाहर आई. मैं खड़ा हुआ उसे देख रहा था. मैंने हि्म्मत की और थोड़ा उसके पास गया और उससे हाय किया. उसने भी हाय किया.
फिर मैंने थोड़ी बात की- आप कहाँ रहते हो, क्या करते हो?
वो एक घरेलू महिला थी.
मैंने कहा- मैं बाहर से आया हूँ, यहाँ होटल में ठहरा हूँ. अगर आप चाहें तो होटल में बैठ कर कुछ नाश्ता करें और बाते करें, फिर घूमने जायेंगे.
वो बोली- ठीक है, पर सिर्फ दस मिनट हैं मेरे पास.

हम दोनों होटल पर अपने कमरे में गए, थोड़ी देर बात की. फिर मैंने कोल्ड ड्रिन्क मंगाया. वो मेरे बेड पर एक तरफ़ और मैं दूसरी तरफ़ बैठा था.
मेरी नज़र उसके वक्ष पर ही थी. वो भी जानती थी पर कुछ कह नहीं रही थी.

थोड़ी देर बाद उसने कहा- मुझे जाना है, देर हो रही है.
मैंने कहा- सिर्फ पाँच मिनट रुकिए.

पर वो चलने लगी. अचानक मैंने उसके हाथ को पकड़ा, वो बोली- प्लीज़, मुझे जाना है.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर एक हाथ उसके कंधे पर रख दिया.
वो बोली- मुझे जाने दो!
पर चाहती तो वो भी वही थी.

मैंने देखा तो वो आँखें बंद करके जाने को कह रही थी. मैंने धीरे से उसके गाल पर चूम लिया. वो कसक उठी, उसने एक हाथ से मेरे मुँह को हटाया और कहा- प्लीज़, मुझे देर हो रही है.
मैंने उसकी कमर पर धीरे धीरे हाथ फिरा दिया. उसने कमर हिलाई और मुँह से स्स्स्स स्स्स्स आवाज़ निकालने लगी.

फिर उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा करा उसके वक्ष पर हाथ फिराने लगा. बहुत ही बड़े स्तन थे उसके, मेरे हाथों में भी नहीं आ रहे थे. मेरा लंड भी रेलवे इंजन की तरह धुंआ निकालने लगा. उसका एक हाथ पकड़ कर मैंने अपने लण्ड रखा.

उसने मेरी जिप खोलकर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया, थोड़ी देर चूसा. फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसकी साड़ी निकाली. उसने अन्दर सफ़ेद ब्रा और पेंटी पहनी थी. वो बहुत ही सेक्सी लह रही थी. मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराया, चूत बहुत गीली हो गई थी.

मैंने उसको नंगी करके बेड पे लेटा दिया, फिर उसकी चूत चाटने लगा. वो आआ ऊऊऊऊ… स्स्स्स्स… करने लगी.

फिर उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया. उसकी चूत का दरवाज़ा मेरे खड़े लंड को आमंत्रण दे रहा था. मैंने अपना सुपारा उसकी चूत के ऊपर रगड़ा तो वो बोली- जल्दी डालो! ऐसे तड़पाओ नहीं!
धीरे से लंड उसकी चूत में डाला और अन्दर-बाहर किया…
मुझे बहुत मजा आ रहा था. वो आआअ… स्स्स्स स्स्स्स चोदो! चोदो! कह रही थी.

मैं भी एक भूखे शेर की तरह उसकी चूत को घिसने लगा. थोड़ी देर बाद वो अपने आप झटके मारने लगी. मुझे मालूम था कि वो झड़ने वाली है. उसने जोर से मेरे लंड पर ही योनि-रस छोड़ दिया.
मैं तो अपनी मस्ती में चालू ही था. थोड़ी देर बाद वो दोबारा झड़ गई…

वो पूरी तरह थक गई थी, वो बोली- जल्दी करो! मुझ में हिम्मत नहीं!
फिर मैं भी झड़ गया.

फिर थोड़ी देर बात करके वो अपने घर चली गई. मैं वहाँ दो दिन रुका था, दो दिन में मैंने उसको 5 बार चोद लिया.
मानो या ना मानो उसको चोदने जितना मजा आज तक मुझे नहीं आया.
अब भी जब मैं नागपुर जाता हूँ तो उसको बहुत ही प्यार करता हूँ और सेक्स करता हूँ.

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कार में मैं और Indian Sex Stories रिया अन्जान थे, पर मुन्ना और बबलू अपनी गर्ल-फ़्रेन्ड्स के साथ थे। चूंकि कार रिया की थी सो उसे तो साथ आना ही था। मुझे तो मंजू ने कहा था। नैना बबलू के साथ थी। कार कच्ची सड़क पर हिचकोले खाती हुई चल रही थी। पीछे बैठे मन्जू और नैना मुन्ना और बबलू के साथ बड़ी ही बेशर्मी से अश्लील हरकतें कर रही थी। उन्हें देख कर मेरे मन में भी गुदगुदी होने लगी थी। पर मन मसोस कर चुपचाप बैक-मिरर से उनकी हरकतें देख रही थी।

तभी एक गार्डन जैसे स्थान पर रिया ने गाड़ी रोक दी। साथ में लगी हुई नदी बह रही थी। दूर दूर तक कोई नहीं था। हमने कार में से दरियां निकाल कर उस जन्गल जैसी जगह में बिछा ली। सारा सामान निकाल कर एक जगह लगा दिया। थर्मस से चाय निकाल कर पीने लगे। तभी बबलू और मुन्ना ने अपने कपड़े उतार दिये और मात्र एक छोटी सी अन्डरवियर में आ गए। दोनों ने ही नदी में छलांग मार दी…

मंजू और नैना भी पीछे पीछे हो ली। चारों पानी में उतर गये और खेलने लगे। बस मैं और रिया वहां रह गये थे। मैं तो जैसे उन सभी के बीच साधारण सी लग रही थी। ढीला ढीला कुर्ता पजामा, कहीं से कोई भी अंग बाहर नहीं झांक रहा था। इसके उलट मैना और मंजू तो अपनी छोटी छोटी स्कर्ट में अपना जैसे अंग प्रदर्शन करने ही आई थी। कुछ ही देर में नदी में छपाक छपक की आवाजें बन्द हो गई। दोनों ही जोड़े पानी के अन्दर कमर तक एक दूसरे के साथ अश्लील हरकतें करने लगे थे।

“कोमल उधर मत देखो … वो तो है ही ऐसे ! यही करने तो आए हैं यहाँ ये सब !” रिया ने मुझसे कहा।

“जी… जी हां… वो …” मेरे विचारों की श्रृंखला टूट गई थी, मेरे मन की गुदगुदी जैसे भंग हो गई।

“आओ , अपन उधर चलते हैं !”

मैं उसके साथ चुपचाप उठ कर चल दी। एक झाड़ी के झुरमुट के पीछे खड़े हुये ही थे कि मुन्ना और नैना नदी में उसी तरफ़ एकांत देख कर छुपे हुये थे। नैना ने मुन्ना का लण्ड पकड़ा हुआ था और उसकी स्कर्ट नैना के चूतड़ से ऊपर थे जिसे मुन्ना बेरहमी से दबा रहा था। उसे देख कर मेरा दिल जोर से धड़क उठा। रिया भी हतप्रभ सा रह गया। हम दोनों की नजरें जैसे उन पर जम गई। तभी मुझे अहसास हुआ कि रिया मेरे साथ में है। मैंने घबरा कर रिया की तरफ़ देखा। रिया अभी भी ये दृश्य देख कर सम्भला नहीं था। रिया का लण्ड जैसे अपने आप करवटें लेने लगा। रिया ने मेरी तरफ़ देखा… मेरी नजरें अपने आप झुक गई। मेरा मन भी डांवाडोल हो उठा। जवानी का तकाजा था… मेरा चेहरा लाल हो उठा। रिया की नजरों में लालिमा उभर आई। नैना और मुन्ना की अश्लील हरकतों से मेरी जान पर बन आई थी। लाज से मैं मरी जा रही थी।

“कोमल, यह तो साधारण सी बात है, दोनों जवान है, बस मस्ती कर रहे हैं !”

“ज़ी… नहीं वो बात नहीं … ” मैंने झिझकते हुये कहा। मेरे चेहरे पर पसीना उभर आया था। उसने पीछे से आकर मेरी बाह पकड़ ली। मेरा जिस्म पत्ते की तरह कांप गया। मैंने अपनी बांह उससे छुड़ाने की कोशिश की।

मेरा मन एक तरफ़ तो रिया की हरकतों से प्रफ़ुल्ल हो रहा था… तो दूसरी तरफ़ डर भी रही थी। मैंने सोचा कि अगर मैं रिया को छूट दे दूं तो वो फिर मुझे चोदने की कोशिश करेगा। बस यह बात दिल आते ही मेरा दिल धाड़ धाड़ करने लगा। उसी समय मुझे लगा कि रिया का हाथ मेरे कमर के इर्द गिर्द लिपट गया। मेरा अनछुआ शरीर पहली बार कोई अपनी बाहों में भर रहा था।

“ऐसे मत करिये जी… मैं मर जाऊंगी !”

“कोमल, यहां हमें कोई नहीं देख रहा है, बस एक बार मुझे किस कर लेने दो !”

“क्…क्…क्या कह रहे हो रिया… मेरी जान निकल जायेगी… हाय राम !”

मेरे ढीले ढाले कुर्ते पर उसके हाथ फ़िसलने लगे। उसका एक हाथ मेरे बालों को सहला रहा था। मुझे जैसे नींद सी आने लगी थी।

“मेरी मां… हटो जी… मुझे मत छुओ … ” मेरी सांसे तेज हो गई। शर्म के मारे मैं दोहरी हो गई। उसके हाथ अब मेरी छोटी छोटी चूंचियों पर आ गये थे जो पहले ही कठोर हो गई थी। निपल जैसे कड़े हो कर फ़टे जा रहे थे। उसके हाथों तक मेरे दिल की धड़कन महसूस हो रही थी। शरीर में मीठा मीठा सा जहर भरा जा रहा था। उसके अंगुली और अंगूठे के बीच मेरे निपल दब गये। उसे वो हल्के से मसल रहा था। मेरी सिसकियां मुख से अपने आप ही निकल पड़ी। मन कर रहा था कि बस मुझे ऐसा मजा मिलता ही रहे। दिल की कोयलिया पीहू पीहू कर कूक उठी थी।

उसका मैंने जरा भी विरोध नहीं किया। मैंने पास के पेड़ के तने से लिपट गई। उसका हाथ अब मेरे छोटे से चूतड़ो पर था। ढीले पजामे में मेरे चूतड़ के गोले नरम नरम से जान पड़े… कैसी मीठी सिरहन पैदा हो गई। मैं ऊपर से नीचे तक सिहर उठी।

“चलो, वहीं चल कर कर बैठते हैं … वो दोनों तो अपने आप में खोये हुये हैं। मैंने शरम से झुकी अपनी बड़ी बड़ी आंखे उठा कर रिया को देखा… उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था। उसके हाल पर मुझे दया भी आई… मेरी हालत भी सच में दया के काबिल थी…। हम दोनों वापस दरी पर जाकर बैठ गये। वहां कोई नहीं था, शायद वो चुदाई में लगे थे। उनकी चुदाई के बारे में सोच कर ही मुझे शर्म आने लगी थी।

रिया ने मेरा कंधा हाथ से थाम लिया और मुझे जोर लगा कर लेटा दिया। उसने मुझे अपने नीचे धीरे से दबा लिया और अपने अधर मेरे अधरों पर रख दिये। मैंने भी सोचा कि अब ज्यादा नखरे दिखाने से कोई फ़ायदा नहीं है… मेरे साथ की सहेलियां तो मस्ती से चुदवा रही है… मैं भी जवानी का मधुर मजा ले लूँ। यह सोच कर मैंने अपने आपको रिया के हवाले कर दिया। रिया को भी लगा कि अब विरोध समाप्त होता जा रहा है … और मैं चुदने के लिये मन से राजी हूं तब वो मुझ पर छाने लगा। मेरी आंखे उन्माद में बन्द होने लगी थी।

रिया ने कब अपने कपड़े उतार लिये मुझे पता ही नहीं चला। वो मेरे कपड़े भी एक एक करके उतारने लगा। जब ब्रा की बारी आई तो मैं शर्म से लाल हो गई थी। मेरे रोकते रोकते भी ब्रा उतर चुकी थी। मैंने दोनों हाथ आगे करके अपनी चूंचियां छुपा ली। पर अब मेरी पैन्टी को कौन सम्भालता। उसने उसे भी खींच कर उतार दी… मेरी चूत अब नीले गगन के तले खुली हुई थी। मैंने अपनी चूत छुपाई तो मेरी चूंचियां पहाड़ की तरह सीधी तनी हुई सामने आ गई। मेरे जवान जिस्म के कटाव और उभार रिया पर तलवार की भांति वार कर रहे थे।

मेरा कसा हुआ सुन्दर जिस्म था। चिकना और लुनाई से भरा हुआ चमकता हुआ जिस्म।

शायद दोनों से बहुत सुन्दर, उत्तेजना से भरा हुआ, कसकता हुआ शरीर।

“मर गई मेरी मां !!! मुझे बचा लो कोई…” उसका हाथ मेरी चूंचियों पर आ गया था। मैं नीचे दबी हुई शर्म से घायल हुई जा रही थी।

“कोमल जी… आपकी छाती तो बुरी तरह धड़क रही है…”

“रिया… अब बस करो ना … देखो तुमने मेरा कैसा हाल कर दिया है… छोड़ दो मुझे !”

मेरी चूत जैसे लण्ड लेने के लिये बेकाबू होती जा रही थी। मेरी उलझी हुई लटें अब वो समेट रहा था। उसने जल्दी से कण्डोम निकाला और लण्ड पर पहनाने लगा। मैंने तुरन्त ही उसे छीन कर एक तरफ़ फ़ेंक दिया। वो समझ गया कि मैं अपनी चुदाई में नंगा लण्ड खाना चाहती हूं। उसका कड़क लण्ड मेरे अनछुई योनि-द्वार पर दस्तक दे रहा था। मेरी चूत पानी छोड़ छोड़ कर बेहाल हो रही थी। रिया का भार मेरे शरीर पर बढ़ चला। उसका लण्ड ने बड़ी सज्जनता से चूत में प्रवेश कर गया। मैंने अपने वासना के मारे अपने होंठ काट लिये। रिया को अपनी ओर दबा लिया। उसका लण्ड मोटा और लम्बा था। सुपाड़ा भी नरम और गद्देदार था।

“मुझे अपना लो रिया… घुसा डालो… अब ना तड़पाओ मुझे…” मेरे मुख से अस्पष्ट से शब्द फ़ूट पड़े। उसका लण्ड धीरे धीरे से अन्दर की ओर बढ़ चला। वहां वह रुक गया… फिर हल्का सा जोर लगाया। मुझे चूत में हल्का सा दर्द हुआ। फिर और आगे बढ़ा… दर्द और बढ़ा। अब वो रुक सा गया… मुझे प्यार करने लगा। मेरी चूंचियां सहलाने लगा। मुझमें उत्तेजना बढ़ती गई। उसका हल्का जोर और लगा …

थोड़ा सा दर्द और हुआ… यूं धीरे धीरे करते करते उसका लण्ड मेरी चूत में पूरा फ़िट हो गया। तभी मेरी चूत से खून की धार सी निकल पड़ी… मुझे गीलापन लगने लगा था, पर मुझे यह भी मालूम था कि मेरी झिल्ली फ़ट चुकी है, पर दर्द अधिक नहीं हुआ। शायद ये प्यार से लण्ड को भीतर उतारने के कारण था। अगला शॉट भी बहुत ही हौले से उतारा। मुझे तो पहली बार में ही चुदाई दिल को भाने वाली लगी। कली खिल चुकी थी। भंवरे ने डंक मार दिया था और अब वो कली का यौवन रस पी रहा था। फ़ूल खिलने को बेताब था। अपनी पंखुड़ियां खोले भंवरे को कैद करने के प्रयत्न में था।

तभी मुझे अपनी साथियों की तालियां और हंसी सुनाई दी। वो चारों हम दोनों के घेरे खड़े थे… पर क्या करती… रिया का लण्ड चूत में पूरा घुसा हुआ था। मैं मुस्कराती हुई शर्म से रिया को खींच कर अपना चेहरा छुपाने की कोशिश करने लगी। फिर नहीं बना तो हाथों से मैंने अपना चेहरा छिपा लिया। रिया के धक्के अब चल पड़े थे… हर धक्के पर सभी साथी ताली बजा कर मेरा और रिया का उत्साह बढ़ा रहे थे। तभी मैंने देखा बबलू ने अपने लण्ड पर, मुझे देख कर मुठ मारने लगा था। कुछ ही देर में मंजू ने उसका लण्ड थाम लिया और बबलू की मुठ मारने लगी। तभी मुन्ना का भी छोटा सा और सलोना लण्ड नैना ने पकड़ कर चलाने लगी।

मुझे ये समां बहुत प्यारा लग रहा था। सभी मेरा साथ दे रहे थे। धीरे धीरे मेरी शर्म भी समाप्त होने लगी। मैं भी सबकी ताल में ताल मिलाने लगी। नीचे से अपनी चूत उछालने की कोशिश करने लगी। पर उछाल नहीं पाई, मुझे ऐसा कोई अनुभव नहीं था। पर शरीर में वासना भरी तरंगें चलने लगी थी। मेरा जिस्म जैसे काम देवता की गिरफ़्त में आ चुका था, मुझे आसपास आती हुई आवाजें भी सुनाई देना बन्द हो गई थी। बस चुदाई का सुनहरा आलम मुझ पर छा गया था। मैं आनन्द के सुख सागर में गोते खाने लगी थी। रिया का लण्ड भचाभच मुझे चोद रहा था। तभी जैसे मेरा जिस्म जैसे तरावट से भर गया और लगा कि जैसे चूत में मिठास भर गई हो… एक सिसकी के साथ मेरा रति-रस छूट पड़ा। तभी रिया भी का लण्ड भी मेरी चूत से बाहर आ गया और वो मुठ मारने लगा। मैंने अपना मुख खोल कर ज्योहीं एक भरपूर सांस ली मेरा मुख वीर्य की पिचकारियों से नहा उठा।

रिया के साथ साथ मुन्ना और बबलू भी अपने लण्ड की पिचकारियां मेरे मुख की ओर निशाना साध कर छोड़ रहे थे। नैना और मन्जू ने जल्दी से तौलिये से मेरा मुख साफ़ कर दिया। दरी पर मेरी चूत से निकला हुआ खून भी था। दरी को नदी में धो कर सूखने को डाल दिया।

कुछ ही देर में हम सभी साथ बैठ कर हंसी मजाक कर रहे थे। लन्च समाप्त करके हम सभी फिर से नदी में मस्ती करने का कार्यक्रम बना रहे थे।

“आज तो हमारी नई दोस्त कोमल का भी उदघाटन हुआ है… आज सभी उसे खुश करेंगे !”

“तो चलो, सामने का तो उदघाटन हो चुका है, अब पिछवाड़ी का नम्बर लगाते हैं… !”

“कोमल जी, आप कहे … आप किससे उदघाटन करवायेंगी…?”

“चलो हटो जी… मुझे कुछ नहीं करवाना… वो तो ये सब अपने आप हो गया था… सारा कसूर तो नैना का है… उसी ने मुझे फ़ंसा दिया था !”

“अरे कोमल, लड़की हो तो चुदना तो पड़ेगा ही ना… आज नहीं तो कल… किसी को दोष ना दो !”

“चलो, अब नदी में चलें… नंगे हो कर नहायेंगे…” सभी हुर्रे कहते हुये कपड़े उतार कर नदी में कूद पड़े… मुझे भी मन्जू धक्का देकर ले चली। पर मैंने अपनी ब्रा और पैन्टी पहन ली थी। मंजू और नैना तो बेशर्म हो कर नंगी हो हर नाच रही थी। अचानक मुन्ना ने मुझे पानी में खींच लिया। मैं हड़बड़ा कर उसकी बाहों में सिमटती चली गई। यह देख कर मन्जू रिया से लिपट गई और नैना ने अपना साथी बबलू को बना लिया। मुन्ना ने मुझे पानी के भीतर कमर तक ले लिया और मेरे जिस्म से खेलने लगा। मुझे ये सेक्स विहार रोमांचित कर गया। आज ही पहली चुदाई और फिर अब पानी में भी चुदाई। मुन्ना ने मेरी पैन्टी उतार दी और मेरी गाण्ड से चिपक गया। उसका लण्ड रिया जैसा मोटा और लम्बा तो नहीं था, छः इन्च लम्बा तो होगा ही। उसके लण्ड के स्पर्श से मैं फिर रोमांचित हो उठी। मेरे दोनों चिकने चूतड़ के गोलों के बीच वो घुसा जा रहा था।

“मुन्ना… ऐसे नहीं कर… बस नहाते हैं…”

“अरे नहीं कोमल, आज तो तेरी गाण्ड का भी मारनी है… बिलकुल अभी… चल पानी में ही गाण्ड चुदवा ले… देखना मजा बहुत आयेगा !”

“पर मुझे लाज आती है … फिर कभी !” मैंने शर्माते हुये कहा। मन तो गाण्ड चुदवाने का कर रहा था, पहला मौका जो था, लग रहा था … पूरे मजे ले लो, पता नहीं जिन्दगी में कभी नसीब हो ना हो। पर मेरा शरमाना काम नहीं आया… उसका लिन्ग मेरी गाण्ड के छेद पर चिपक चुका था, पर एक हल्के जोर की आवश्यकता थी।

मेरी गाण्ड में गुदगुदी सी हुई। मैं पानी में झुकती चली गई।

“मुन्ना, प्यार से लण्ड घुसाना, नया माल है… देख मजा आना चाहिये…” रिया ने हांक लगाई।

“अरे मरने दो ना… चुद चुद कर वो अपने आप हमारी जैसी हो जायेगी…” मंजू ने रिया को टोक दिया।

मुन्ना ने कहा,”मैंने लाल निशान देख लिया था।… प्यार से उदघाटन करूंगा !” मुन्ना हंस कर बोला। मेरा मन विचलित हो उठा। मुन्ना के लण्ड का जोर पर गाण्ड पर बढ़ता गया। मैंने भी अपनी गाण्ड का छेद ढीला छोड़ दिया। मुन्ना का लण्ड फ़ुफ़कारता हुआ अपनी विजय पताका फ़हराता हुआ अन्दर जा घुसा। मेरे बदन में एक दर्द भरी मीठी सी लहर दौड़ गई। सभी साथियों ने लण्ड प्रवेश पर तालियाँ बजा कर मेरा अभिवादन किया। मैं शर्म से जैसे मर गई। पर फिर भी इतनी तसल्ली तो थी ना ! पहले की तरह खुली चुदाई नहीं थी, बल्कि पानी के अन्दर थी। सो मैंने भी धीरे से हाथ लहरा कर सभी की बधाई स्वीकार की… सभी साथी अपने काम धन्धे पर लग गए। अब उन सबका ध्यान स्वयं की चुदाईयों पर था। बबलू और रिया का ने अपना ध्यान मन्जू और नैना को चोदने में केंद्रित कर लिया था। उसका दुबला पतला सा लण्ड मेरी गाण्ड में गजब की मिठास भर रहा था। मेरी चूत गाण्ड मराने की गर्मी से फिर लण्ड मांगने लग गई थी। लण्ड पतला होने से मुझे गाण्ड में बिल्कुल नहीं लग रही थी, वो तो सटासट चल रहा था। मैंने रिया की तरफ़ देखा और उसे इशारा किया…।

रिया मंजू को छोड़ कर मेरे पास आ गया। वो समझ गया था कि चूत में सोलिड वाला लण्ड चाहिये था। मुन्ना लपक कर मंजू को चोदने चला गया। रिया ने अपना मोटा और लम्बा लण्ड पीछे से ही मेरी चूत में प्रवेश करा दिया। मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा। फिर एक बार और रसभरी चुदाई चल पड़ी। पानी के अन्दर छप-छप का शोर हमें और भी मस्त किये दे रहा था। कुछ ही देर में मैं झड़ गई। पर रिया अभी भी टनाटन था। रिया के मोटे लण्ड ने मेरी चूत दो बार चोद दी थी। उसकी चुदाई बहुत ही सुन्दर थी। इधर मुन्ना झड़ चुका था और रिया अपना वीर्य निकालने के लिये फिर से मंजू के पास आ गया था।

हम सभी अब अपने अपने कपड़े पहन रही थी और मेक-अप कर रही थी। सारा सामान वो कार में साथ लेकर आई थी। उन्हें इन सभी चीजों का पुराना अनुभव जो था। कुछ ही समय में हम सभी बहुत ही सभ्य और गरिमामय लोग लग रहे थे। कार घर की तरफ़ लौट पड़ी। रास्ते में हमने कोल्ड ड्रिन्क भी पी… और आज की रंगीन पिकनिक के बारे में बतियाते रहे। उनका मुख्य बिन्दु मेरी चुदाई ही थी। सभी ने आज की मेरी सफ़ल चुदाई पर रात को होटल में डिनर का आमंत्रण दिया… मैं बहुत ही खुश थी आज की चुदाई को लेकर… Indian Sex Stories

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