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Massage Girl in Shimoga: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Shimoga who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Shimoga that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Shimoga massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Shimoga who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Shimoga massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Shimoga massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Shimoga who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Shimoga employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Shimoga helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Shimoga

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Shimoga at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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सब को मेरा नमस्कार! Hindi Sex Stories

सीपी मेरा दोस्त है उसका नाम Hindi Sex Stories श्याम है. वो औरतों के कपड़े बनाता है, उसका काम औरतों के कपडे सीने का काम है. सीपी एक अच्छा लड़का है. वो सिर्फ अपने काम से मतलब रखता है. उसने बहुत सारी औरतों और लड़कियों के कपडे बनाये. सीपी कभी गलत नहीं सोचता है. सीपी कभी किसी औरत या लड़की के घर कपड़ों का नाप लेने नहीं जाता है, सभी उसकी दुकान पर आती हैं.

मैं कभी कभी सीपी की दुकान में जाता और जब सीपी औरतों के नाप लेता तो मेरी नजर औरतों के वक्ष पर जाती है. सीपी फिर मुझे डाँटता है और बोलता है- आदमी को अपने काम में गलत विचार नहीं लाना चहिए, नहीं तो वो कभी भी काम नहीं कर सकता है.

कुछ दिन पहले की बात है, मैं और पवन और सीपी साथ में बैठ कर चाय पी रहे थे और सीपी कुछ भी नहीं बोल पा रहा था. हमने पूछा- सीपी, क्या हुआ? आजकल तुम परेशान दिख रहे हो और ज्यादा मन लगाकर काम भी नहीं कर रहो हो?

सीपी कुछ नहीं बोला और उसकी आँख से आँसू आने लगे.

फिर मैंने पूछा- सीपी, तुझे अपनी दोस्ती की कसम है, जल्दी बोल, क्या हुआ?
फिर सीपी खामोश रहा और फिर थोड़ी देर बाद बोला- यार! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है और अब मैं यह काम भी नहीं कर सकता हूँ.
मैंने बोला- मुझे साफ-साफ बता कि क्या हुआ!
सीपी ने सारी बात बताई.

कुछ 10-15 दिन पहले एक लड़की, उसका नाम रानी है, आई और बोली- मुझे मेरे माप के कपड़े बना के दो!

वो लड़की इतनी सुन्दर थी कि पहले मैंने ऐसी लड़की पहले नहीं देखी थी क्योँकि मेरे यहाँ ज्यादातर औरतें आती हैं. वो अपने पापा के साथ आई थी. उसके पापा बैठ गये और फोन से बात करने लगे. मैं उसका माप ले रहा था, मैंने उसे छुआ तो वो लडकी मचल चुकी थी, वो बोली- पहली बार मुझे किसी लड़के ने छुआ है. पहले मेरे कपड़े औरतें ही बनाती थी.

और फिर और माप लिया और उसके स्तनों को छुआ तो वो लड़की कुछ अलग महसूस कर रही थी. फिर उसके नीचे का माप लिया तो वो लड़की कुछ अगल नजर से देख रही थी. फिर वो उसके पापा के साथ चली गई. मुझे वो लड़की अच्छी लगी थी पर मैं अपनी पत्नी से ही प्यार करता हूँ.

दो तीन दिन बाद रानी का फोन आया- मुझे शादी में जाना है, कृपा करके आप मेरे घर पर आकर मेरा माप ले लें!

पता नहीं क्या हुआ, मैं कभी किसी के घर पर माप लेने नहीं जाता हूँ पर मैं उसके घर गया.

उसने मुझे ठंडा पिलाया और मेरा पूरा शरीर ठंडा हो गया. फिर उसके पापा किसी काम के सिलसिले में बाहर चले गये.

अब वो घर पर अकेली थी. मैं उसका माप ले रहा था. पहले उसकी ब्रा का माप लिया तो उसने मुझे पकड़ लिया.
मैं बोला- ये गलत है!
फिर मैंने उसके नीचे का माप लिया तो वो बोली- पहले का साइज ठीक नहीं था, अच्छे से लो!

फिर उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये. उसका शरीर गोरा था, मैं उसके स्तनों को दबाने लगा.
वो बोली- क्या कर रहो हो? माप लो!
मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैं उसकी चूचियाँ मुँह से खा रहा था.
वो बोली- मत करो, छोड़ दो मुझे!
अब नहीं छोड़ सकता हूँ!
मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा.

फिर उसने अपना हाथ मेरी पैन्ट के अन्दर डाल दिया और बोली- क्या मैं आपका लण्ड मुँह में ले लूँ?
मैंने लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और वो चूसने लगी. अब हम दोनों पागल हो चुके थे.
फिर उसने बोला- लण्ड को मेरी चूत में डालो ना!

मेरे लण्ड की प्यास बढ़ गई और मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला.
उसके मुँह से आऽऽआ आ की आवाजें आने लगी और बोली- हाय! डालो! और जोर जोर से डालो राजा!
फिर मैंने अपना पानी उसके बूब्स पर गिरा दिया. फिर मैंने अपना मुँह धोया और अपनी दुकान पर चला गया.

अब मुझे बस यही लगता है कि मैंने ऐसी गलती क्यों की और अब मैं यह काम नहीं कर सकता!

तो दोस्तो, यह सीपी (श्याम) की देसी कहानी थी. Hindi Sex Stories

हाय ! Antarvasna

मेरा नाम राहुल वर्मा है। मैं Antarvasna आज आपको अपनी पहली कहानी भेज रहा हूँ। मेरी उमर २७ साल, कद ५’१०”, दिखने में सेक्सी हूँ ।

यह बात करीब ८ साल पुरानी है। तब मेरे बड़े भाई की शादी का अवसर था और घर में सब रिश्तेदार आए हुए थे। उनमें मेरे मामा की दो लड़कियाँ भी थी।

हम सब पास में सोते थे- मेरी मम्मी, मामी, दीदी, फ़िर मेरे मामा की छोटी लड़की, उसके बाद मेरी जान जिसका मैं नाम नहीं बता सकता, उसके पास मैं ! हम पर कोई कभी शक नहीं कर सकता था क्योंकि वो मुझसे ४ साल बड़ी थी। हम दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे पर कभी बोल नहीं सके।

शादी के दो दिन पहले की रात थी। हम सब लेट कर बातें कर रहे थे कि मैंने अचानक अपने पैरों पर कुछ महसूस किया। हाथ लगा कर देखा तो उसका पैर था।

मैंने उस से पूछा- यह क्या कर रही हो?

तो उसने बोला- सब को सो जाने दो, मैं बाद में बात करती हूँ।

मैंने कहा- ठीक है !

रात के करीब १:३० बजे होंगे, मैं भी सो गया था, उसने मुझे उठाया और पूछा कि वो मुझे कैसी लगती है।

मैंने कहा- अच्छी लगती हो !

तो उसने पूछा- कुछ करोगे नहीं ?

मैंने उससे पूछा- क्या करना है?

मुझे तब सेक्स के बारे में इतना कुछ पता नहीं था। तब उसने मेरा हाथ ले कर अपने सीने पर रख लिया। मैंने अनजान बनते हुए पूछा- यह क्या है? तब उसने कहा- क्यूँ ! कभी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया क्या?

तो फिर मैं बोला- नहीं ! आज पहली बार किसी के वक्ष पर हाथ रखा है।

मैंने उससे पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?

तो उसने बोला- कोशिश की थी अपने बॉय-फ्रेंड के साथ ! पर दर्द हो रहा था तो पूरा मजा नहीं ले सकी !

मैंने कहा- आज क्या इरादा है?

तो वो बोल पड़ी- आज पूरा तो होने से रहा ! क्यूँकि सब पास में सो रहे हैं इसलिए !

फिर उस रात तो सिर्फ ऊपर के काम से ही मन को मसलना पड़ा। लेकिन भैया की शादी के दिन मुझे किस्मत की चाभी मिल गई।

शादी के दिन क्या हुआ कि बारात हमारे गाँव से ४३ किलोमीटर दूर वाले गाँव में जानी थी। सुबह से मेरे तबीयत थोड़ी ख़राब थी तो मैं फेरे होते ही पापा के साथ शाम के ७ बजे वापिस हो रहा था। तभी भैया के किसी दोस्त ने मेरे मामा की लड़की के बारे में कोई फ़िकरा कस दिया और भैया ने सुन लिया। तो भैया ने उन दोनों को भी मेरे और पापा के साथ वापिस भेज दिया।

फिर क्या था, पापा जीप में आगे बैठे थे हम सब पीछे। मैं और वो बहुत खुश हो रहे थे कि आज घर पर कोई नहीं है, आज हमारा काम बन जायेगा। करीब ८:४५ को हम घर पहुँच गए। पापा हॉल में अकेले सो रहे थे। हम तीनों कमरे में अकेले थे। मेरी तबीयत ठीक नहीं होने के कारण वो मुझसे बात करते करते मेरा सर दबा रही थी, उसकी छोटी बहन थोड़ी देर बात करते करते सो गई।

अब क्या था, वहां भैया की सुहागरात हो रही थी, यहाँ मेरी !पहले हम दोनों ने एक घण्टे तक चूमा-चाटी की आपस में।

फ़िर उसने मेरी पैंट खोल दी। देखते ही देखते हम नंगे हो गए। मेरे लण्ड को जब उसने अपने मुंह में लिया तो २ सेकंड में ही मैं झड़ गया। मुझे शर्म आ रही थी कि मैं कुछ किये बगैर ही झड़ गया।

फिर उसने बोला कि कभी-कभी पहली बार जल्दी हो जाता है, परेशान मत हो, अभी तो रात पूरी बाकी है।

उसके इतना बोलते ही मुझ में नया जोश आ गया लेकिन मुझे १० मिनट लगे वापस तैयार होने में।

मैंने धीरे से अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा और धीरे धीरे से अन्दर डालने का प्रयत्न करने लगा लेकिन हर कोशिश नाकाम रही।

फिर उसने कहा- जोर लगा !

मैंने बोला- दर्द होगा !

तो उसने झट से कहा- तेरे लिए सहन कर लूंगी !

फिर क्या था, जोर के झटके से मेरा लण्ड का २ इंच उसकी चूत में, फिर २-३ झटकों में मेरा ५.५ इंच लम्बा लण्ड उसकी चूत में पूरा समां गया। दर्द के मारे उसकी आवाज नहीं निकल रही थी। फिर मैंने उस के स्तनों पर हाथ फेरना शुरू किया। थोड़ी देर बाद वो भी मज़े लूटने लगी। करीब १५ मिनट में मैं फिर झड़ गया, लेकिन वो नहीं झड़ी।

उस रात हमने ४ बार सेक्स किया, जिसमें वो सिर्फ एक बार ही झड़ी।

सुबह को देखा तो चादर पूरी खून में लाल हुई हुई थी। मैंने बाद में उसे देखा तो वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।

मैंने पूछा तो वो बोली- कुछ नहीं पहली बार सेक्स करने पर खून निकलता है।

तो दोस्तों कैसा लगा मेरा सेक्स का पहला पहला प्रयास !

अगली बार मैं आप को बताऊंगा कि मैंने आंटी को ट्रेन में कैसे चोदा ! Antarvasna

Hindi Sex Stories

होली का दिन मेरे लिये शुभ दिन बन Hindi Sex Stories कर आया। उस दिन मेरे मन की एक बड़ी इच्छा पूरी हो गयी। सुनील मेरे दूर के रिश्ते में मेरा चाचा ही लगता था उन दिनों वो भी आया हुआ था। मुझे सुनील बहुत अच्छा लगता था। मुझे ऐसा लगता था कि हाय ! कभी मैं उसके साथ चुदाई करूं। पर ऐसा मौका कभी नही मिला। मै उस पर दिल से मरती थी।

होली उसे हमारे साथ ही खेलना था। चाचा और चाची उसके आने से बहुत खुश थे। सुनील उम्र में मुझसे दो साल छोटा था। सुनील 19 साल का रहा होगा। शाम को होली जलने वाली थी… चाचा ने होली के बाद की रस्में पूरी की और अपनी रात की शिफ़्ट में काम करने को चले गये…

रात को अचानक मेरी नींद खुल गयी। मैंने करवट ली और फिर से आंखे बन्द कर ली। मुझे लगा कि कोई बात कर रहा है। चाची के कमरे से आवाज आ रही थी। चाचा तो थे नहीं…फिर किस से बात हो रही थी।

मेरी उत्सुकता बढ गयी। मै बिस्तर से उतरी और चाचा के कमरे के दरवाजे के छेद पर आंख लगा दी। सामने सुनील खड़ा था। मैंने समय देखा रात के लगभग 12 बज रहे थे। इतनी रात को…? अभी तक सोये नहीं थे। मैं स्टूल धीरे से दरवाजे के पास रख कर आराम से बैठ गई… मुझे लगा कि आज तक तो चाचा चाची की चुदाई देखती थी… शायद आज कुछ और नजारा दिख जाये…

मैंने बड़े आराम से छेद पर आंख लगा दी। सुनील पहले तो चाची से बात करता रहा… फिर उसने चाची के ब्लाऊज़ पर ऊपर से ही हाथ फ़ेरा। चाची ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूंचियों पर दबा दिया। मेरे शरीर पर चींटियां रेंगने लगी… तो सुनील भी चाची के साथ मजे करता है…

चाची का नाम गीता है… गीता ने अपना एक हाथ बढा कर उसका लन्ड पकड़ लिया… उनका कार्यक्रम शुरु हो चुका था… मेरी चूत भी गरम होने लगी… मैंने अपनी चूंचियां दबा ली… और देखती रही… न जाने कब मेरी उंगली मेरे चूत में घुस गयी… और अन्दर बाहर होने लगी… सुनील चाची को खूब मजे से चोद रहा था।

चाची अपना होली का त्योहार बड़े आनन्द से मना रही थी… कभी में अपने बोबे भींचती कभी चूत को उंगली से चोदती… मेरे मुख से भी कभी कभी आह निकल जाती… सिसकारियां फ़ूट पड़ती… अचानक में झड़ गयी… मैंने अपनी चूत दबा ली… और आकर बिस्तर पर लेट गयी… पर नींद कहां थी… आवाज़ें अभी भी आ रही थी… मैंने फिर से उठ कर देखा तो अब गान्ड चुदाई हो रही थी… मैं फिर तरावट में आने लगी… मेरी फ़ुद्दी फिर फ़ुदक उठी… हाय… मैंने अपनी चूत को दबाया और मन कड़ा करके बिस्तर पर आ गई।

कुछ ही देर में चाची के कमरे से आवाजें आनी बन्द हो गयी… मैं सोने की कोशिश करने लगी… सवेरे उठते ही देखा कि सभी सो रहे थे। सुनील भी अपने कमरे में सो रहा था। मैंने जल्दी से चाय बनाई… पहले सुनील को उठा कर चाय दी फिर चाची यानी गीता को चाय दी। गीता ने सुस्ताते हुये कहा,’ नेहा इधर बैठ…तुझसे कुछ पूछना है…’

‘हाऽ… आन्टी… कहो…’
‘एक बहुत पर्सनल सवाल है… सुनील के बारे में…’ गीता ने कहा। मैं एकदम से सहम कर गीता को देखने लगी।
‘सुनील के बारे में… हां… क्या?’

‘सुनील तुम्हारे बारे में कल पूछ रहा था… क्या तुम्हें वो अच्छा लगता है…’ मैं एकदम से झेंप गई।

‘आन्टी… हां अच्छा है… पर ऐसा क्यू पूछा…’
‘कल तुम रात को हमें उस छेद से देख रही थी ना…’ गीता ने तिरछी नजर से मुझे मुसकरा कर पूछा…
‘ना…नहीं तो… वो…तो…’ एकदम से सीधा वार हुआ।

‘हम दोनों को पता है…तुम देख रही थी… पर हमने तुम्हें देखने दिया…’ गीता ने मतलबी निगाहों से मुझे मुस्करा कर देखा।
‘आन्टी… सोरी… अब नहीं होगा…’
‘सुनील तुम्हारे साथ रात वाला काम करना चाहता है… बोलो है इच्छा…’

‘आन्टी… सच… ‘ मैंने शरमा कर गीता की गोदी में अपना मुहं छुपा लिया ‘पर आन्टी मुझे शरम आयेगी ना…’
‘जब दो दिल राज़ी तो वहां शरम का क्या काम… फिर मैं हू ना…’

सुबह सुबह होली खेलने के दिन मेरे लिये सुनील क पैगाम ले कर आया… मैंने गीता के गाल पर एक प्यार का चुम्मा ले लिया। गीता मुसकरा उठी… ‘ नेहा… बेस्ट ओफ़ लक…’

‘हटो आन्टी… आप बड़ी वो है…यानी अच्छी हैं…’ मैं खुशी से फ़ूली नहीं समा रही थी… मैंने तुरन्त कपड़े बदले और होली के लिये सफ़ेद ड्रेस पहन लिया। हल्का सा मेक अप किया और इठला कर सुनील के कमरे में गई…

‘चाय का कप?… ‘ मैंने सुनील से बड़ी अदा से कहा… सुनील मुझे देखता ही रह गया…उसने मुझे चाय का कप थमा दिया।

मैंने कहा- आज तो होली है… 8 बजे से हम तो होली खेलेंगे… तैयार रहना…

मेरी सहेलियां और गीता के मिलने वाले आने लगे थे। मिठाईयां खाई और खिलाई जा रही थी। सभी रंग में रंगे थे। मैं आज कुछ ज्यादा ही खुश थी… क्योंकि सुबह ही मुझे चुदाई का न्योता मिल गया था… रह रह कर मैं सुनील के पास जा कर उसे रंग लगा रही थी। सुनील भी अब शरारत करने लगा था… वो कभी मेरा हाथ पकड़ लेता… कभी मेरी पीठ पर धीरे से हाथ मारता। मुझे सिरहन होने लगती थी।

‘नेहा… एक काम करा दे… ये सामान ऊपर वाले कमरे में ले चल…’ गीता ने आवाज लगाई। मैं भाग कर अन्दर गई… और सामान ले कर गीता के साथ ऊपर कमरे में आ गई।

गीता ने पूछा- सुनील के क्या हाल है…?
‘आन्टी… बड़ी मस्ती कर रहा है…’

‘तेरी ऐसे करके… चूंचियां दबाई कि नहीं…’ गीता ने मेरी चूंची दबाते हुये कहा।

इतने में सुनील वहां आ गया… गीता ने सुनील को देखते ही कहा,’ले नेहा… सुनील आ गया… अब तू चुदेगी…’ फिर मेरे कान में बोली ‘तबियत से चुदवा लेना… इसका लन्ड सोलिड है…’

मैं शरमा गयी…

गीता ने सुनील को कहा,’आ गये तुम… अब ये रही नेहा… अब होली के मजे करो… मैं जा रही हूं… दरवाजा अन्दर से बन्द कर लेना…’

‘चाची…मत जाओ ना… मुझे शरम आयेगी…’

सुनील मुस्कराया… और बोला- अब चाची?… मेरे साथ होली तो खेलो… और नेहा…तुम बच कर कहां जाओगी’

कहते हुये सुनील ने मेरे चेहरे पर गुलाल लगा दी… उसके हाथ अचानक मेरी चूंचियों पर आ गये और मेरे कुरते में अन्दर हाथ डाल कर मेरे उभारों पर गुलाल मल दिया साथ में मेरे उभारों को भी मसल डाला… गीता ने देखा सुनील शुरु हो चुका है तो वो बाहर जाने लगी। इस हमले से मैं एकदम मस्त हो गयी। सुनील के मेरे उभारों को दबाने से मै उसे देखती रह गयी… मुझे शरम आने लगी पर साथ ही मैंने अपने उभारों को और आगे उभार दिया… उसे चूंचियां मसलने का पूरा मौका दिया। सुनील ने मेरे बोबे हाथों में भर लिये। मैं सिसक उठी।

‘सिर्फ़ तेरे बोबे ही तो मचका रहा है…अभी तो देखती जा…’ गीता ने कमरे को बन्द कर दिया। सुनील ने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया। मैं सिमट कर खड़ी हो गयी। सुनील ने मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया और अपनी बाहों में भर लिया । उसके लन्ड का कड़ापन मुझे चूत के आसपास चुभने लगा था।

मैंने जानकर कहा- मेरे पीछे मत दबाना… गुदगुदी होती है…’

‘अच्छा… कहां पर… यहां चूतड़ों पर…’ और उसने मेरे दोनो गोल गोल चूतड़ मसल डाले। मै और शरमा कर सिमटने लगी।

‘जानती हो… शरमाने वाली लड़की को चोदने से बड़ा आता है…’

‘हाय…ऐसे नहीं बोलो ना…’

इधर सुनील ने अब मेरे कुर्ते को उतार दिया। मेरे दोनो उरोज तन कर सामने आ गये। फिर उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे उतार दिया और मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया। नंगी होने से मुझे शरम आने लगी मैं नीचे बैठ गयी।

सुनील ने प्यार से मुझे उठाया और कहा,’नेहा… तुम्हारी जगह बिस्तर पर है… उठो…’

मैंने जैसे ही नजर उठाई… सुनील सामने नंगा खड़ा था। उसने कब खुद के कपड़े कब उतार लिये थे ये पता ही नहीं चला। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली और अब मुझे होने वाली चुदाई नजर आने लग गयी थी। उसका लन्ड खड़ा हुआ था।

मैंने धीरे से उसका लन्ड पकड़ लिया। और उसकी चमड़ी ऊपर सरका दी… उसका फूला हुआ लाल सुपाड़ा मेरे सामने था। मैंने जीभ से उसे चाट लिया। सुनील कराह उठा। उसका लन्ड कड़क होता जा रहा था। मैंने अब सुपाड़ा मुँह में भर लिया। और उसका लन्ड नीचे से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। सुनील ने मेरे बोबे पकड़ लिये और उन्हे धीरे मसलने लगा। बोबे पर से लाल गुलाल अब हटने लगा था।

उसने लन्ड मेरे मुंह से निकालते हुए सुनील ने कहा,’ झुक जाओ… घोड़ी बन जाओ… देखो नेहा… अब तुम चुदने वाली हो… तैयार हो ना…’

‘हाय रे… नंगी तो हूं ना…सुनील… ‘ मैंने कहा और शरमा गयी…

मैंने बिस्तर पर अपने दोनो हाथ रख लिये और गान्ड पीछे उभार कर गान्ड की दोनों गोलाईयां उसके सामने कर दी। उसने अपना लन्ड हाथ से सहला कर मेरी गोलाईयों के बीच दरार में रख दिया। उसका लन्ड जैसे ही मेरी दरारों में लगा मुझे झुरझुरी आ गयी। अब उसका लन्ड सरक कर मेरी गान्ड के छेद पर आ टिका था। उसकी इच्छा गान्ड चोदने की थी…

मेरी गान्ड उसके लिये पूरी तरह से तैयार थी। उसके दोनों हाथ मेरी चूंचियों पर आ कर जम गये थे। कुछ ही क्षणों में उसने मेरी चूंचियां भींचते हुये लन्ड पर जोर मारा… फ़क से उसका मोटा सुपाड़ा छेद में घुस पड़ा। मुझे हल्का सा दर्द हुआ। पर मोटे लन्ड का प्यारा सा अहसास हुआ। मेरी गान्ड में फंसा उसका लन्ड मुझे असीम आनन्द दे रहा था…

तभी उसका एक जोरदार धक्का पड़ा… मेरी चीख निकल गयी,’हायीईईऽऽऽ… ओह्… सोरी… ‘

‘नेहा… देखो ये कब से तुम्हारा दीवाना है…पूरा जाने दो अन्दर इसे…’
‘हाय सुनील… हां जाने दो…’
मेरी गान्ड पर उसने अपना थूक टपका कर उसे और चिकना बना दिया।
‘हाय मेरे राजा…थूक लगा कर चोदोगे…?’

सुनील हंस पड़ा… और उसका लन्ड मेरी गान्ड में अन्दर बाहर सरकने लगा। मेरे सारे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ पड़ी। मुझे उसके लन्ड का अन्दर बाहर जाना और रगड़ का अह्सास मस्त किये दे रहा था।

‘हाय सुनील… ये तुम्हारा लन्ड कितना प्यारा है… कैसा सरक रहा है…’

सुनील को ये सुनते ही और मस्त हो गया और मुझे अच्छा लग रहा है ये जानकर और भी जोश में आ गया। उसका लन्ड मेरी गान्ड में अब तेजी से उतरने लगा था। मेरी गान्ड चुद कर मस्त हो रही थी । मुझे हालांकि चुदाई जैसा तेज मजा तो नहीं आ रहा था…पर मैं सुनील को यही जता रही थी कि मैं आनन्द से पागल हुई जा रही हूँ।

‘हाय मेरे राजा चोद मेरी गान्ड को… पेल दे अपना लन्ड… हाय क्या लन्ड है…’

सुनील मेरे आनन्द को देख कर और ही मस्त हुआ जा रहा था। अब उसने मेरी गान्ड में से अपना लन्ड निकाल लिया… मुझे लगा कि शायद ये झड़ने वाला होगा… उसने अपने लन्ड को मेरी चूत पर मारा… मेरा चिकना पानी चूत में भरा था।

उसका गीला लन्ड मेरी चूत के बाहर फ़िसलने लगा फिर सरकता हुआ चूत में अन्दर बढ चला। अब सच में मेरी जान निकलने की बारी थी… तीखी मिठास के साथ मेरे चूत में उसका लन्ड अन्दर जा रहा था…ये था असली चुदाई का मजा। मै चिहुंक उठी। मुख से मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी।

‘हाय रीऽऽऽ सुनील…मेरी चुद गई रे… हाय घुसा दे राम…’

‘नेहाऽऽऽऽ… तुम्हारी चूत मुझे मार डालेगी मुझे…’ सुनील भी कराहता हुआ बोला। उसके हाथ मेरी चूंचियो को मींज रहे थे। वो कभी मेरे चूंचक खींचता कभी जोर से मसक डालता। मै निहाल हो उठी थी। मेरी चूत में गजब की मिठास भरती जा रही थी… मैं तेजी से सीमाएँ पार करने लगी… लगभग मेरे मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।

‘आये हाय रे…मेरे राजा… चोद दे रे… मेरी चूत तो गयी आज… हाय मै चुद गयी…’

‘मेरी रानी… तेरी चूत की मैं आज मां चोद दूंगा… साली को फ़ाड़ दूंगा…’

सुनील का धीरज भी छूटता जा रहा था। वो गालियों पर उतर आया था… यानी अब सब कुछ उसके आपे से बाहर था…

‘साली…रंडी… तेरी भोसड़ी मारूं… मेर लन्ड हाय रे…’

‘मेरे प्यारे सुनील।… हां हां…मेरी चूत का भोसड़ा बना दे… लगा…जोर से चोद्… हाय राम्…’

‘हाय मेरी छिनाल… तेरी बहन को…तेरी मां को… रे… आऽऽऽह… सबको चोदा मारू… मेरी नेहा…’

उसकी मीठी मीठी गालियां सुन कर मेरी चूत में जोरदार मिठास भरने लगी… मैं चरमसीमा पर पहुंचने लगी। उसकी नन्गी बातों ने मुझे झड़ने की ओर अग्रसर कर दिया। मैं अपने आप को रोकती रही…पर असफ़ल रही… मेरी चूत का पानी आखिर छूट ही पड़ा।

‘सुनील…आय राम…मैं तो गई… जरा जोर से झटके मार…’ उसने मेरी चूंचियां और दबाई और झटके मारने लगा… पर हाय रे…मै अब झड़ने लगी… मैं अपनी चूंचियां उससे छुड़ाने लगी…मेरी चूत अब बार बार लहरें मार मार कर अपना रस छोड़ रही थी। मै अब पूरी झड़ चुकी थी। मैं अब बस और नही चुदना चह्ती थी। पर उसने और जोर लगा कर लन्ड मेरी चूत में दबा दिया,’आह नेहा… मैं गया… आया… निकला रे…’ मैंने अपनी चूत में से उसका लन्ड तुरंत निकाल लिया।

‘ओह्…नहीं…रूको…ऽभी नहीं…’ पर मैंने लन्ड निकाल कर उसे मुठ में ऐसा दबाया कि उसके लन्ड ने मेरे हाथ में अपना वीर्य छोड़ दिया। मैं उसके लन्ड को दूध निकालने जैसे खींच कर दुहने लगी… उसके लन्ड से पिचकारी निकल कर मेरे हाथों को गीला कर रही थी…उसका सारा वीर्य उसके लन्ड पर मल दिया… और अपने गीले हाथों में उसका वीर्य अपने होंठो से चाट लिया… सुनील ने बड़े प्यार से मुझे देखा और अपने नंगे बदन से मेरा नंगा बदन चिपका लिया…हम कुछ पल ऐसे ही लिपटे खड़े रहे और प्यार करते रहे।

फिर सुनील अलग हो गया और अपने कपड़े पहनने लगा। मैंने भी जल्दी से कपड़े पहन लिये। सुनील ने ज्योंही दरवाजा खोला तो गीता सामने खड़ी थी…

‘अरे गीता… यहां कब से खड़ी हो…’

‘अरे सुनील जी… दिन को चुदाई कर रहे हो…बाहर पहरा दे रही थी…’ मैं सर झुका कर चुपके से निकलने लगी।

‘नेहा… चुदवा कर शरमा रही हो… अब इस चुदाई की हमें मिठाई तो खिला दो…’ गीता बड़ी बेशरमी से बोली।

‘रात को सब मिल कर खायें तो मजा आयेगा ना…’ गीता और सुनील दोनो हंस पड़े… मैंने शरमा कर अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया… गीता से प्यार से मुझे चूम लिया। Hindi Sex Stories

Antarvasna

मैं पूना की एक Antarvasna बड़ी कंपनी में इंजिनियर हूँ। मेरी आयु 51 वर्ष, कद 5’10″, रंग गोरा और बॉडी सुडौल है।

मेरी पत्नी का नाम गीता है, वो 50 वर्ष की 5’3″ लम्बी, भरे बदन की है।

हमारे दो बेटे हैं, बड़ा आकाश 25 वर्ष का है और बंगलौर में जॉब करता है, छोटा अम्बर 23 वर्ष का है और बंगलौर में ही एम बी ए कर रहा है।
दोनों भाई इकट्ठे अपने 3 बेडरूम के फ्लैट में रहते हैं, जो मैंने दो वर्ष पहले खरीदा था।

जब तक बेटे हमारे साथ पूना में रहते थे, तब तक मेरी पत्नी का दिन आसानी से कट जाता था।
दोनों बेटों के जाने के बाद उसके लिए दिन काटना भी भारी लगने लगा तो हमने सोचा कोई कि पेइंग-गेस्ट रख लें जिससे कुछ पैसा भी आएगा और गीता का मन भी लगा रहेगा।

जब पेइंग-गेस्ट रखने की बात चली तो मैंने और गीता ने तय किया कि हम लोग सिर्फ दो लड़कियों को रखेंगे क्योंकि लड़कों के साथ तो हम 25 वर्ष से रह ही रहे थे और चूँकि हमारी कोई बेटी नहीं थी इसलिए भी हमें लड़कियाँ रखने में ज्यादा रूचि थी।

खैर जहाँ चाह वहाँ राह!

जल्दी ही दो लड़कियाँ पेइंग-गेस्ट के रूप में हमारे घर में आ गईं।
एक का नाम राधिका और दूसरी का नाम मनमीत था।
राधिका आगरा और मनमीत लखनऊ की रहने वाली थी।

दोनों एम बी ए कर रही थीं लेकिन अलग अलग कॉलेज से। दोनों के कॉलेज आने जाने का समय अलग अलग था पर इससे हमें कोई दिक्कत नहीं थी।
अब गीता को घर में रौनक दिखने लगी थी।

देखते देखते छः महीने कैसे गुज़र गए, पता ही नहीं चला।

कहते हैं कि ऊपरवाले को जो करना होता है, वो वैसे हालात पैदा कर देता है।

हमारे यहाँ सब कुछ सामान्य चल रहा था कि राधिका के कॉलेज में एक महीने की छुट्टियाँ हो गईं और वो अपने घर आगरा चली गई।

इसके दो दिन बाद ही बंगलौर से आकाश का फ़ोन आया कि अम्बर की तबियत खराब है अगर हो सके तो मम्मी को भेज दीजिये ताकि उसकी देखभाल हो सके।

अगले दिन की पहली फ्लाईट से गीता बंगलौर चली गई.
अब घर में रह गए मैं और मनमीत।

हमारे घर के मुख्य द्वार की दो चाबियाँ हैं, एक मैंने अपने पास रखी और एक मनमीत को दे दी। इससे घर वापस आने जाने में कोई दिक्कत रही नहीं।

खाने के लिए मैंने टिफिन सर्विस वाले से कह दिया।
इस तरह गीता के न रहने पर भी मैंने सब व्यवस्था कर ली।

गीता को गए हुए दो दिन बीते थे कि रात को दो बजे मैं पेशाब करने के लिए उठा तो मनमीत के कमरे से बातें करने की आवाज आ रही थी।

चूँकि राधिका यहाँ थी नहीं इसलिए मैंने सोचा देखूं किस से बातें कर रही है।

मनमीत के कमरे के पास जाकर ध्यान से सुना तो पता चला कि अपनी किसी सहेली के साथ मोबाइल पर बात कर रही थी.
बात का सारांश यह था कि मनमीत की सहेली हमारे घर के खालीपन का लाभ उठाकर अपने बॉयफ्रेंड को हमारे घर लाकर चुदवाना चाहती थी, जिसका मनमीत यह कहकर विरोध कर रही थी कि मेरे आंटी-अंकल मुझ पर इतना विश्वास करते हैं कि पूरा घर मेरे हवाले कर देते हैं, मैं उनके साथ धोखा नहीं कर सकती।

यह सब सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन उनकी बातों का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ था।

मनमीत के उत्तर सुनकर यह अंदाज़ हो जाता था कि उसकी सहेली ने क्या कहा होगा। मनमीत की बातों को ध्यान से पढ़िये आप भी समझ जायेंगे।

“नहीं यार मैंने कह दिया न कि मैं तुम्हें अपने घर नहीं ला सकती!”

“हट, मैं क्यूँ चुदवाऊँ तेरे यार से?”

“होती है, लेकिन चूत में खुजली होने का मतलब ये तो नहीं कि मैं ऐरे गैरे नत्थू खैरे किसी से भी चुदवा लूँ?”

“तुम्हारी सोच गन्दी है तान्या, मैंने आज तक चुदवाना तो दूर किसी को अपनी चूत की झलक भी नहीं दिखाई है!”

“अमित अंकल ऐसे आदमी नहीं हैं, वो मुझे अपनी बेटी की तरह मानते हैं!”

“अमित अंकल अगर मेरे अंकल नहीं होते तो मैं उनसे शादी जरूर कर लेती।”

“वो मुझसे 25 साल बड़े हैं तो क्या हुआ, 50 साल भी बड़े होते तो भी कर लेती, तुम क्या जानो, वो बाहर से जितने सुन्दर हैं अन्दर से उससे भी ज्यादा सुन्दर हैं।”

“अरे यार मैंने कह दिया न मैं तुम्हें अपने घर नहीं ला सकती, तू समझती क्यूँ नहीं ?”

“तू कहे तो मैं अभी चली जाऊं अंकल के कमरे में, राधिका भी नहीं है और आंटी भी नहीं, बस मैं और अंकल दो ही लोग हैं घर में!”

“तू आ जा! अंकल से चुदवा कर देख ले कि वो चोद पाते हैं या नहीं!”

“तू फ़ोन रख यार, अपना भी मूड ख़राब कर रही है और मेरा भी, चूत भी पूरी तरह गीली हो गई है, उंगली मांग रही है।”

इतना कहकर मनमीत ने फ़ोन काट दिया और उठकर बाथरूम चली गई।

मैं लौटकर अपने कमरे में आया तो नींद मुझसे कोसों दूर जा चुकी थी, जिस मनमीत को मैं अपनी बेटी जैसी मानता था उसकी बातें सुनकर मेरा दिमाग घूम चुका था और मैं उसे चोदने की योजना बनाने लगा।

मैं सुबह नौ बजे घर छोड़ देता था जबकि मनमीत 11 बजे निकलती थी।
वो उठकर मेरे कमरे में आती, अखबार ले जाती और पढ़कर वापस मेरे कमरे में रख जाती।

आज मैं जानबूझ कर आठ बजे घर से निकल गया जब वो सो रही थी।

मैंने अपने तकिये पर 60 पेज की एक किताब रख दी थी, जिसमें चुदाई की कहानियाँ थीं, मैं मनमीत को यह बताना चाहता था कि मैं उतना सीधा नहीं हूँ जितना वो समझती है।

दोपहर को दो बजे मैं घर आया तो न्यूज़ पेपर और किताब दोनों अपनी अपनी जगह पर रखे हुए थे लेकिन उनकी प्लेसमेंट बदल गई थी।

मनमीत उस किताब को पढ़कर भी शायद यह दिखाना चाहती थी कि उसने वो किताब नहीं देखी है।

शाम को पांच बजे जब वो कॉलेज से लौटी, चाबी से दरवाजा खोलकर अन्दर आई तो मुझे घर में देखकर हैरान होते हुए बोली- आप आज जल्दी आ गए?

फिर उसने मुझसे चाय के लिए पूछा और चाय बनाने लगी।

एक बात मैंने नोटिस की कि वो मुझे बार बार आप कहकर संबोधित कर रही थी, आज उसने एक बार भी अंकल शब्द का प्रयोग नहीं किया था।

चाय पीने के बाद हम लोग टी वी पर क्रिकेट मैच देखने लगे।
मैं सोफे पर बैठा था और वो सोफे की साइड चेयर पर!

उससे मैंने अपने बगल में बैठने को कहा तो वो मेरे बगल में आकर बैठ गई।

मैंने उससे कहा- मनमीत, जब से तुम इस घर में आई हो मैं तुमसे एक बात करना चाहता हूँ लेकिन कभी मौका ही नहीं मिला, अगर तुम कहो तो कह दूं।
मनमीत बोली- कह दीजिये!

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और कहना शुरू किया- यह बात लगभग 25 वर्ष पहले की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था, मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी उसका नाम मनमीत था, वो भी तुम्हारी तरह लम्बी, गोरी और दुबली पतली सरदारनी थी। मैं उसे प्यार से मनु कहता था। हम दोनों घंटों इसी तरह हाथ पकड़ कर बातें करते रहते थे, कभी कभी मैं अपनी बांह इस तरह उसके गले में डालता तो वो अपना सिर इस तरह मेरे सीने से लगा देती थी।

इतना कहते कहते मैंने अपनी बांह उसके गले में डालकर उसका सिर अपने सीने से लगा दिया और फिर बोला- हम लोग थोड़ी बहुत शरारत भी कर लेते थे। मैं उसके स्तन दबाता तो वो उछल जाती थी।

यह कहते कहते मैंने उसका बायाँ स्तन दबा दिया और पूछा- तुम्हें बुरा तो नहीं लगा ना?

उसके उत्तर का इंतज़ार ना करते हुए मैंने उसके सिर पर चुम्बन किया और बोला- उसके सिर से भी मेहँदी की ऐसी ही खुशबू आती थी।

इतना कहकर मैं शांत हो गया जैसे मैं किन्हीं यादों में खो गया हूँ।

कुछ देर बाद वो बोली- फिर क्या हुआ?

मैंने कहा- कुछ नहीं! हमारे प्यार का आखिरी दिन आ गया, कॉलेज बस से हम लोग पिकनिक पर जा रहे थे, हमारी बस एक टैंकर से टकरा गई और 6 विद्यार्थी मर गए जिनमें मनमीत भी थी। जब तुम यहाँ आई और अपना नाम मनमीत बताया तो मुझे लगा मेरी मनमीत आ गई! वही नाम, वही रंग, वही रूप, वही सदा मुस्कुराता चेहरा। तुमसे और राधिका से जो पैसा अभी तक मैंने लिया है, उसमें से राधिका का पैसा तो मैंने खर्च कर लिया, तुम्हारे पैसे पहले दिन से यह सोचकर अलग रखता रहा कि जब तुम जाओगी तो तुम्हारे ही पैसों से तुम्हें कोई गिफ्ट ले दूंगा ताकि तुम मुझे याद रख सको।

भावुक होकर बोली- आपने यह कैसे समझ लिया कि एक मनमीत आपकी ज़िन्दगी से चली गई तो दूसरी भी चली जायेगी।

मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और चुम्बनों की बौछार कर दी।

शाम के सात बज चुके थे, मैंने मनमीत से कहा- चलो, बाहर खाना खाकर आते हैं।

रात को 9.30 पर खाना खाकर हम वापस आये तो मैंने गीता की अलमारी से उसका वो लाल सूट निकाला जो उसने अपनी शादी के दिन पहना था और अब इसलिए सम्भालकर रखा था कि आकाश की दुल्हन पहनेगी।

मैंने वो लाल सूट मनमीत को देते हुए कहा- मनु यह सूट पहन कर आओ! देखूं कैसी लगती हो!
जब सूट पहन कर मनमीत लौटी तो मुझ पर बिजली गिर गई।

बोली- कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- बहुत सुन्दर! बस एक कमी है!
उसने पूछा- क्या?

तो मैं उसे पकड़कर घर में बने मंदिर में ले गया और चुटकी भर सिंदूर उसकी मांग में भर दिया और उसे गोद में उठाकर अपने बेडरूम में ले आया और अपने पलंग पर बैठा दिया।

मैंने अपनी टी-शर्ट और पैंट उतार दी, अब मेरे शरीर पर सिर्फ छोटा सा अंडरवियर था, बनियान मैं पहनता ही नहीं।
मनमीत के पास जाकर मैंने उसे खड़ा किया और अपने सीने से लगा लिया।

मेरे नंगे सीने में में वो समा गई, उसके माथे पर एक चुम्बन देकर मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को दबाने लगा, वो मुझसे लिपटती जा रही थी।
उसका लाल रंग का दुपट्टा उतारकर मैंने कुर्सी पर फेंका तो देखा कि उसकी धड़कनों की वजह से उसके मम्मे उछल रहे थे।

धीरे धीरे उसका कुरता उतारा और फिर ब्रा के हुक खोल कर उसके मम्मे आज़ाद कर दिए।

उसके मम्मे जब मेरे सीने से लगे तो ऐसा लगा जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।

अब मैं पलंग पर बैठ गया और मनमीत का एक चुचूक अपने मुंह में ले लिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, जरीदार सलवार अपने आप उतर गई।

अब मनमीत के शरीर पर सिर्फ मैरून रंग की पैंटी थी, वो भी मैंने उतार दी।

मनमीत का नंगा जिस्म मुझमें जवानी का जोश भर रहा था, इतना जोश शायद पहली बार गीता को चोदते समय भी नहीं रहा होगा। मनमीत की चूत के होठों पर अपनी ऊँगली फेरी तो देखा चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी।

मैंने कमरे में आने से आधा घंटा पहले सेक्स की गोली खाई थी जो अपना पूरा असर दिखा रही थी, मेरा लंड तनकर लम्बा और 3 इंच मोटा हो चुका था।

अब ज्यादा देर करना मुनासिब नहीं था इसलिए मैंने मनमीत को पलंग पर लिटाया और तकिये पर एक पुराना टॉवेल बिछाकर तकिया मनमीत की गांड के नीचे रख दिया।
मनमीत की दोनों टांगें घुटनों से मोड़कर मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपारा मनमीत की चूत के मुंह पर रख दिया।

लंड के सुपारे को थोड़ी देर तक मनमीत की चूत पर रगड़ने के बाद मैंने पूछा- जान, डाल दूं?

मुंह से तो मनमीत कुछ नहीं बोली लेकिन आँखों से इशारा कर दिया कि हाँ डाल दो।

अब क्या हुआ कि पहले झटके में आधा और दूसरे झटके में पूरा लंड मनमीत की चूत के अन्दर हो गया, कल तक जो लंड गीता का था, आज मनमीत का हो चुका था।

लगभग बीस मिनट तक मनमीत की चुदाई करने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला, मनमीत की चूत फटने से जो खून निकला था उस से मेरा लंड सराबोर था।

पुराने तौलिए से लंड को पोंछकर उस पर कंडोम चढ़ाया क्योंकि मनमीत की चूत में डिस्चार्ज करना ठीक नहीं था।

लंड पर कंडोम चढ़ाकर मैं फिर से मनमीत पर चढ़ गया।

यकीन मानिए गीता को चोदने में कभी भी ये मज़ा नहीं मिला था।
आधे घंटे की चुदाई के बाद भी डिस्चार्ज नहीं हुआ था, वाह री गोली!

खैर चोदते चोदते धक्के मारते मारते वो पल भी आ गया जब मेरे लंड से पिचकारी छूटी और पूरा कंडोम मेरे वीर्य से भर गया।

उस रात में मैंने मनमीत को चार बार चोदा और हर बार चुदाई का समय बढ़ता गया।

अगले दिन हम दोनों ने छुट्टी की और दिन भर चुदाई का मजा लिया।

इसके बाद मैंने गीता को बंगलौर में बेटों के पास सेटल कर दिया और मनमीत आज मेरी पत्नी की हैसियत से मेरे साथ रह रही है। Antarvasna

sex stories in hindi

प्यारे दोस्तो, Sex Stories कैसे हैं आप!
अब मैं अपनी स्टोरी शुरु करता हूं
अगले दिन मेरी बहन मुझ से और मैं बहन से आंख नहीं मिला पा रहे थे.

तब मेरी मम्मी आयीं और बोली- अरे सुबह से उठे हो नहाये नहीं अभी कोई भी चलो सब नहाते हैं!

मैंने और सिस्टर ने कहा- ठीक है।

हम नहाने अंदर चले गये, हमने अपने कपड़े उतार दिये मुझे, मेरी बहन और मम्मी को कोई झिझक नहीं हुई तब मम्मी ने देखा मैं अपनी बहन से बात नहीं कर रहा हूं तो बोली क्या हुआ? बात क्यों नहीं कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं!
तब मम्मी बोली- कल की वजह से?
मैंने कहा- हाँ!
मम्मी ने कहा- क्या हुआ? इतना समझ कर भी ऐसे हो? चलो नहाओ रोज़ की तरह तब।

मेरी बहन ने मेरे ऊपर पानी डाला और मैंने भी फ़िर साबुन लगाया उसने मेरे पैर और मेरा लंड पकड़ लिया और मस्त हो गई फ़िर मैंने लगाया और उसकी चूचियाँदबाने लगा और अपना लंड उसकी चूत पर लगा दिया.

वो भी एक्साइटेड हो गई और बोली- अब शरम छोड़ो क्या हम नहीं कर सकते चुदाई?
तो मैंने कहा- कर सकते हैं, पर मम्मी से परमीशन ले लो!
तब मम्मी कहा- कर लो… पर कंडोम जरूर लगाना!
मैंने कहा- ठीक है!

तब मैंने पूछा- रात मजा आया था?
तो बोली- बहुत… अब मैं बाहर किसी और से नहीं चुदाई करवाऊँगी! जब घर में 2-2 लंड हैं तो मैंने फ़ैसला कर लिया है शादी के बाद भी पापा से और आप से चुदाई करवाती रहुंगी.

मैंने कहा- मैंने भी फ़ैसला किया है कि मैं भी मम्मी और तुम्हारी शादी के बाद भी करता रहुंगा.

मम्मी ने कहा- तुम्हारे पापा और मैंने भी फ़ैसला किया है, जब चाहो चुदाई करेंगे मिल कर!

तब मैंने अपनी बहन की चूत में तेल लगाया और मम्मी के…
फ़िर पहले मैंने अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाला और उसकी चुदाई की और चुदाई से पहले उसने मेरा लंड चूसा और मैंने उसकी चूत को फ़िर मैंने मम्मी की चुदाई की.

मेरी बहन की चूत अभी भी बहुत टाइट थी और एक दम गर्म।

मेरी मम्मी ने कहा कि अब कभी बाहर मत करना किसी और लड़के से और किसी और लड़की से फ़िर थोड़ी देर बाद।

मैं बाहर घूम कर आया और मैंने फ़िर अपनी बहन को बोला की मुझे आज तुम्हारी गांड मारनी है!
वो बोली- दर्द होगा!
तो मैं बोला- आराम से करुंगा दर्द होगा एक बार पर फ़िर आदत हो जायेगी और दर्द भी नहीं होगा मज़ा भी खुब आयेगा.

तब मैंने अपनी बहन की गांड पर तेल लगाया और पहले ऊँगली डाली फ़िर अपना लंड लगा दिया.
वह चिल्ला पड़ी- फ़ट गई मेरी गांड बहुत टाइट है आराम से डालो!

मैंने फ़िर धीरे 2 अंदर डाला और फ़िर खूब चुदाई की फ़िर उसे भी मज़ा आया तब उस रात हमने खूब चुदाई की.

एक दिन हम कहीं घूमने गये हमारे बेग में कपड़े थे पर बाहर बड़ी बारिश हो रही थी हमारे सारे कपड़े भीग गये बेग के भी हमने एक रूम ले लिया हमे 4-5 दिन रुकना था रात को हमने फ़ैसला किया कपड़े तो भीग गये हैं सब बिना कपड़ों के एक ही रज़ाई में सोयेंगे क्योंकि कोई और रास्ता नहीं है.

तब पापा मेरी बहन के साथ मैं मम्मी के साथ सोया और रात भर खूब चुदाई की कभी चूत मारी कभी गांड और फ़िर हमने चेंज किया मम्मी पापा के साथ और मैं मेरी बहन के साथ उसकी गर्म 2 चूत बड़ा मज़ा आया फ़िर मैंने गांड भी मारी और रात को ऐसे ही अंदर डाल कर सो गये हमने वहाँ 5 दिन रुकना था हम बाहर घूमने नहीं गये बस दिन रात चुदाई की। Sex Stories

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