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मैं ऍम बी ए का स्टुडेंट हूँ। मैं जिस कॉलेज Antarvasna में हूँ, वो इस शहर का सबसे मशहूर कॉलेज है। हमारे कॉलेज के बगल में ही हमारे कॉलेज ग्रुप का ही इंजीनियरिंग का भी कॉलेज है। मैंने आपको अपना नाम नहीं बताया मेरा नाम है राज। इंजीनियरिंग की एक मैडम है जिनका नाम अन्नु है, जो कि बहुत ही खूबसूरत है। जब से मैंने यहाँ प्रवेश लिया है और उनको देखा है हमेशा उनको कहीं न कहीं देखता रहता हूँ, कभी कभी वो भी देखती है तो मेरी आँखे उनसे टकराती हैं तो वो मुस्कुरा देती हैं, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ जाती है। उनका फिगर 36-28-34 है जो कि बहुत ही सेक्सी है। वो गोरी तो है ही।
मैं हमेशा उनके लंच टाइम पर कैंटीन पहुच जाता और उनको देखने लगता। मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो भी मुझे समझ रही है कि मैं उन्हें पसंद करने लगा हूँ, उनकी उम्र भी तो मेरे बराबर ही थी, वो अभी 24 की है, बी.ई ख़त्म करके ही पढ़ाना शुरू कर दिया है। हमेशा वो बहुत कसा हुआ ड्रेस पहनती है जिससे उनके पूरे उभार दीखते हैं। जिन्हें देख कर कैंटीन में ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। अब मैं हमेशा उनके पास जाने की सोचने लगा, मुझे जल्दी ही उनके पास जाने का मौका मिल गया।
एक दिन कॉलेज छूटने के बाद मैं अपनी बस में बैठ गया। आज बहुत भीड़ थी बस में। मैं डबल सीट पे बैठा था, मेरे साथ मेरा एक जूनियर बैठा था। तभी मुझे अन्नु मैडम दिखी वो आकर खड़ी हो गई। जगह नहीं थी तो मैंने अपने जूनियर को उठाया और बोला- मैडम यहाँ बैठ जाइये!
तो वो तुंरत आकर बैठ गई और बोली- थैंक यू!
मैं सिर्फ़ मुस्कुरा दिया।
हम लोग बीच में थे और चारो तरफ़ स्टुडेंट खड़े भी थे, सो हम लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। पर वो बाहर साइड थी तो उन प्रॉब्लम हो रही थी। बार बार उन्हें किसी से धक्का लगता तो उन्होंने बोला- प्लीज़ आप बाहर साइड आ जाइये, मुझे प्रॉब्लम हो रही है।
तो मैंने बोला- ठीक है आप अन्दर आ जाइये।
फिर वो अन्दर होके बैठ गई। बस जब भी मुड़ती तो मैं उनके ऊपर या वो मेरे ऊपर आती और हम लोग सॉरी बोलते।
अब मैंने अपना एक हाथ ऐसे कर लिया कि जब भी बस मुड़ती तो मेरी 2-4 ऊँगलियाँ उनकी चुचियों से टकरा जाती तो मैं उनको देखता वो मुस्कुरा देती। मैं समझ गया लाइन साफ़ है, बस मौका ढूंढो और चोदो। अब मैंने अपना एक हाथ उनकी जांघों पर रखा और थोड़ा सहलाया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के दबा दिया और मुझे रोक लिया, तभी बस रुकी उनका स्टाप आ गया तो उन्होंने बोला- उठो मुझे जाना है।
मैंने बोला- मुझे भी तो उतरना है।
फिर दोनों उतर गए तो वो मुझसे बोली- तुम क्यों उतरे? वैसे तुम्हारा नाम क्या है?
मैंने बोला- मेरा नाम राज है और मुझे आज तो आपसे कुछ लेना है सो मैं भी उतर गया।
तो वो गहरी मुस्कराहट से हुए बोली- क्या लेना है?
मैंने बोला- आपका नम्बर चाहिए, मुझे आपसे बात करनी है, बहुत जरूरी है, अब तो रहा ही नहीं जाता।
वो बोली- तो बोलो क्या बात है, अभी बोल दो।
मैं बोला- नहीं आप नम्बर दीजिये मैं आपको फ़ोन करूँगा।
तो उन्होंने अपना नम्बर दे दिया। मैंने उसी रात उन्हें कॉल किया और रात के 11 से लेकर 1 बजे तक बात करता रहा। उस रात मैंने उन्हें प्रोपोज़ भी कर दिया और दोस्तों मेरी तो किस्मत चमक गई उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।
अब तो मैं रात दिन सिर्फ़ उन्हें चोदने के बारे में सोचने लगा। वैसे बस में अब डेली मैं उन्हें कहीं न कहीं जरूर हाथ लगाता तो वो भी बुरा नहीं मानती, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ती।
एक दिन तो मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया जिससे वो झन्ना गई और तेज़ी से सांस लेने लगी पर कुछ बोली नहीं, इसी तरह दिन निकलते रहे। मैं मौका ही तलाशता रहा।
किस्मत ने भी जल्दी ही मेरा साथ दिया और वो एक दिन मुझे स्टाप पर खड़ी हुई मिल गई उस टाइम बहुत तेज़ बरसात हो रही थी और वो कॉलेज से आई थी। वो पूरी तरह से भीग चुकी थी। मैंने उनसे बोला- मेरा रूम पास में ही है, चलिए, आप यहाँ कब तक खड़ी रहेंगी, पानी भी बंद नहीं होने वाला, पहले तो वो मना करती रही फिर मान गई। मैंने उन्हें अपनी बाईक पे बैठाया और चल दिया। फिर मेरे रूम पहुंचे।
मेरा एक सिंगल रूम है और मैं अकेला ही रहता हूँ, ये उनको भी मालूम था, मैंने उन्हें बैठाया और बोला- आप कपड़े चेंज कर लीजिये। जब तक मैं नीचे से आता हूँ।
फिर मैं उन्हें एक तौलिया देकर चला गया। मैंने दूध लिया फिर अचानक मैं मेडिकल में गया और वहाँ से कंडोम ले लिया सोचा-आज तो मौका नहीं जाने दूंगा चोद के ही रहूँगा।
मैं रूम में पंहुचा तो देखा कि वो अपने बालों को पौंछ रही है, क्या सेक्सी लग रही है। मैं उन्हें पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके चाय बनने लगा और वो मुझे ही देख रही थी। मैं चाय बनाकर लाया और पलंग पर बैठ गया। पलंग ज्यादा बड़ा नहीं है सो अच्छे से नहीं बैठ सकते थे।
उन्हें अच्छे से बैठना था तो मैंने बोला- आप आराम से पैरों को फैला कर बैठ जाइए।
तो वो बैठ गई, चाय पीने लगे, मैं उनकी आँखों में देखने लगा तो वो बोली- क्या देख रहे हो?
मैं बोला- देख रहा हूँ आप कितनी खूबसूरत हैं और आज कितनी सेक्सी लग रही है, प्लीज़ आज मुझे कुछ करने दीजिये!
अन्नु बोली- तुम्हारा मतलब क्या है?
मैं बोला- वही जो आप समझ रही हैं, मैं कब से ऐसे मौके की तलाश में था जब आप मेरे साथ अकेली हो और फिर मैं आपको अच्छे से प्यार कर सकूं, आप भी आज मुझे प्यार करिए।
इतना बोलकर मैं उनके गालो को सहलाने लगा तो उन्होंने मुझे रोका तो नहीं पर बोली- नहीं ये ठीक नहीं है।
मैंने बोला- जिसमे आपको और मुझे मजा आए वही ठीक है।
फिर मैं अपने होंठ उनके होंठों के पास ले गया और पास और फिर मेरे और उनके होंठ जो चिपके की चिपकते गए,बहुत ही जोरदार किस्सिंग चालू हो गई, जबान से जबान टकराने लगी, मैं उनकी पूरी जीभ को चबा जाना चाहता था। वो भी मेरी पूरी हेल्प कर रही थी, मैंने उन्हें किस करते करते ऊपर से नंगी कर दिया, चूँकि उन्होंने मेरा रात का सूट पहन लिया था सो ब्रा तो थी नहीं। सो चुचियाँ तुंरत नंगी हो गई, जिन्हें देखकर मैं पगला गया और पागलों की तरह चुचियों को मसलने लगा, जिससे वो भी जल्दी ही उत्तेजित होने लगी।
फिर मैं रुका और उनसे बोला- आज पूरा दिन मैं और आप मिलकर चुदम-चुदाई का खेल खेलते हैं।
अन्नु बोली- अब तुमने मुझे गर्म कर दिया है तो पूरी प्यास तो बुझा ही देना!
मैंने पहले उसे और ख़ुद को पूरी तरह से नंगा कर दिया। उसके दूध जैसे गोरे बदन को देखकर मेरा लंड तुंरत फ़नफ़नाने लगा। मैंने उसकी चूत को देखा जो बालों से ढकी थी।
मैंने एक हाथ से उसके होंठो और एक हाथ से उसकी चूत को मसलना शुरू किया जिससे अन्नु स्स्स्स्स् स्स्स्स स्स्सस्श्ह्ह्ह् आआअ ह्हह्ह्ह्ह् की आवाजे निकलने लगी। उसे अब मजा आने लगा। वो मेरे अंगूठे को चूसने लगी। नीचे मेरा हाथ चिपचिपाने लगा, यानि की वो पूरी तरह से गर्म हो गई, तो बोली–राज प्लीज़ अब मुझसे नहीं रहा जाता, अपना लंड मेरी चूत में डालो वैसे ही बहुत खुजली हो रही है।
उसके इतना बोलते ही मैंने अपना लंड लिया और उसकी चूत का अन्नुना लगाया और जोर से धक्का मारा, वो आआअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह करके चिल्ला उठी, लंड भी फिसल गया, उसकी चूत बहुत तंग थी, वो पहली बार चुदवा रही थी। मैंने फिर से अन्नुना लगाया और जोर से धक्का मारा इस बार लंड बुर में फस गया वो फिर चिल्ला उठी, अब तो मैंने जोर जोर से धक्के मार मार कर उसके अन्दर पहुंचने लगा, वो चिल्लाती रही, अब तो उनके मुँह से केवल आआ आअह्ह्ह्ह ऊऊह्ह म्म्म्ममा आआअर्र ग्ग्ग्गाआ आऐईईइ ,राज मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लिज्जज्ज बहार निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने बोला- अन्नु कुछ नहीं होगा बस थोड़ा सा और दर्द फिर मजा ही मजा आएगा।
फिर से मैं धक्के मारने लगा और साथ ही उसके होंठो को अपने होंठो से चूसने लगा जिससे वो ज्यादा चिल्ला न पाए। अब मेरे लंड का सबसे मोटा हिस्सा घुसना शुरू हुआ तो वो मेरे होंठो को बहुत जोर से चबाने लगी। अब लंड पूरी तरह से उसकी चूत की जड़ो में घुस गया तो अन्नु बोली-पूरा घुस गया?
मैं बोला- हाँ पूरा घुसेड दिया मैंने। अब शुरू करूँ?
अन्नु बोली- हाँ अब मारो धक्के!
फिर मैंने उसे लगातार धक्के मारना शुरू किया। वो फिर से चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह्ह ह्ह्ह आआह्ह्ह
इतने में वो एक बार झड़ गई, जिससे उसकी चूत गीली हो गई और लंड थोड़ा अच्छे से अन्दर बाहर होने लगा। अब मेरे छोटे से रूम में केवल खचाखच फचफच आह्ह्ह्ह्छ ऊउउह्ह्छ की आवाजें आने लगी।
अब अन्नु भी पूरे जोश में आ गई। अपनी गांड उछाल उछाल के चुदवाने लगी, बोली- और जोर से डाल राज, आज मेरी चूत को पूरे बी ई का मजा दे दे, मैंने पूरे बी.ई. में नहीं चुदाया, मुझे नहीं मालूम था इतना मजा आता है। अब तो मैं डेली तुमसे चुदवाऊँगी और जोर से आआअह्ह ह्ह्ह्ह्ह!
उसकी बातों से मैं और जोश में आ गया और जोर से धक्के मारने लगा। करीब 50-55 धक्के मारने के बाद मैं उसके ऊपर गिर गया, मेरा पूरा वीर्य कंडोम में गिर गया, उसकी पूरी चूत खून से लाल हो गई। हम लोग थोड़ी देर ऐसे ही रहे। एक घंटे बाद मैं फिर तैयार हो गया और उसे चोदना शुरू किया।
मैंने उसकी गांड भी मारी, लेकिन वो कहानी बाद में, उस दिन मैं 5 कंडोम लेकर आया था और सभी मैं उपयोग में लाया, जमकर चुदाई की। Antarvasna
मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.
थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.
दोस्तो, मेरा नाम दीपक है. मेरी मां का नाम रूपा है.
मेरी मां 20-22 साल की लड़कियों से ज्यादा सेक्सी लगती हैं.
उनकी बड़ी बड़ी चूचियां और गांड देख कर कोई भी उन पर फिदा हो जाएगा.
मेरे पापा आर्मी के जवान हैं तो साल में बस 2 बार घर आते हैं.
जिसके कारण मेरी मां की शारीरिक भूख नहीं मिटती है.
यह Xxx मॅाम फक स्टोरी तब की है, जब मैं छोटा था. पापा के यहां न होने के कारण मां बहुत उदास रहती थीं.
एक दिन मेरी मां जब मुझे ट्यूशन से घर ले जाने आई थीं तब उनके साथ एक आदमी खड़ा था और उनसे बात कर रहा था.
मैंने मां से पूछा कि ये कौन हैं?
मां बोलीं- बाबू, ये तुम्हारे अंकल हैं.
मैं कुछ नहीं बोला और उन दोनों के साथ घर आ गया.
घर आकर मैं टीवी देखने लगा.
मां कुछ देर बाद मेरे पास आकर बोलीं- बाबू तुम यहीं रुको. अंकल और मुझे काम है, तो हम दोनों दूसरे रूम में जा रहे हैं.
मैंने पूछा- क्या काम है मां?
मां बोलीं- बाबू मुझे टांग में दर्द है तो अंकल मेरी मालिश कर देंगे.
मां और अंकल रूम में चले गए और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.
मैं टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मां की कुछ आवाज आने लगी.
तो मुझे लगा मां को ज्यादा दर्द हो रहा होगा.
मैं तब भी उन्हें देखने के लिए खिड़की के पास आ गया.
उधर से मैं अन्दर देखने की कोशिश करने लगा.
मैंने देखा कि मां और अंकल दोनों नंगे हैं.
मां बिस्तर में लेटी हुई हैं और अंकल उनके ऊपर चढ़े हुए थे.
अंकल ने मां की दोनों टांगों को फैला रखा था और पता नहीं क्यों आगे पीछे हो रहे थे.
मैंने ध्यान से देखा कि अंकल जिससे सुसु करते हैं, उसे मां की सुसु वाली जगह में लगा कर अन्दर बाहर कर रहे हैं.
मां आह उह की आवाज़ कर रही थीं.
ऐसा बहुत देर तक होने के बाद अंकल की नुन्नू से कुछ सफेद रंग का रस सा निकल गया.
मां ने उस सफेद रंग के रस को उंगली से उठाया और मुँह में लेकर खा लिया.
फिर मां अंकल की नुन्नू को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
ऐसे करते करते अंकल की नुन्नू से फिर से वही पदार्थ निकला, जो सब अंकल ने मां के मुँह में गिरा दिया.
मां ने अपनी जीभ से अंकल की सुसू को चाट कर साफ कर दिया.
उसके बाद वे दोनों बिस्तर से जैसे ही उठ कर कपड़े पहनने लगे, मैं तुरंत टीवी देखने चला गया.
मां ने दरवाजा खोला और बाहर आईं.
उनके बाद अंकल बाहर आए.
दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्कान देते हुए देखने लगे.
फिर अंकल में मां को मेरे सामने ही किस किया और चले गए.
रात को मैंने मां से पूछा- मां आप आह उउह क्यूं कर रही थीं?
मां बोलीं- बेटा, बहुत दर्द कर रहा था.
मैंने कहा- मां अंकल आपके अन्दर क्या डाल रहे थे. मैंने खिड़की से सब देख लिया था.
मां शर्माती हुई बोलीं- अंकल मुझे दवाई दे रहे थे.
हम दोनों ने खाना खाया और सो गए.
मैंने अगले दिन विद्यालय में यह बात एक बड़ी उम्र के अपने दोस्त को बताई.
वो बोला- अबे चूतिये … वे अंकल तेरी मां चोद रहे थे.
मुझे दोस्त ने सब कुछ बताया कि चोदना मतलब सेक्स करना होता है और सेक्स में क्या क्या होता है, वह सब उसने डिटेल में बताया.
अब मैंने ध्यान दिया कि अंकल जब भी घर आते थे, वे मेरी मां को लेकर कमरे में चले जाते थे.
मैं खिड़की से सब देखने लगा था.
एक दिन मैंने मां से कहा- मैं कमरे में रह कर देखना चाहता हूँ कि अंकल आपको कैसे दवा लगाते हैं.
मां ने पहले तो इंकार किया फिर उन्होंने सोचा कि ये तो छोटा है, ये क्या समझेगा. इसे देख लेने देती हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है, मैं देखती हूँ.
अगले दिन अंकल ने मेरे सामने मां को चोद दिया.
मां मेरे सामने अंकल के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में ले रही थीं.
अब ऐसा अक्सर होने लगा.
मैं भी अपनी मां को चुदवाते हुए देखता और आनन्द लेता.
बाद में मुझे मालूम चला कि अंकल का एक सैलून है.
एक दिन उनका एक स्टाफ मुझे घर छोड़ने आया.
मेरी मां ने उसको अन्दर बुलाया.
उन दोनों में थोड़ी बात हुई; फिर दोनों रूम में चले गए.
मां ने दरवाजा खुला रखा था.
मैंने अन्दर देखा तो मां उसके साथ भी सेक्स कर रही थीं.
मुझे पता चल चुका था मेरी मां की प्यास ऐसे नहीं मिटेगी.
कुछ सप्ताह बाद मां और मैं गांव से शहर आ रहे थे.
तब मां को उनके स्कूल का दोस्त मिला.
उसने मां को जाने से रोक लिया.
तब मां और मैं उस आदमी के घर चले गए.
उसके घर के कमरे में उसके साथ 5 और लड़के रहते थे.
सब मेरी मां का फिगर देख कर पागल हो गए थे.
सबने मां को चोदने का प्लान बना लिया था.
रात को जब मैंने सोने का नाटक किया.
मेरी मां मुझे सोता समझ कर उनके पास उनके कमरे में चली गईं.
मैं मां के पीछे उस कमरे की खिड़की के पास आ गया.
मैंने देखा कि छहों लड़के नंगे हैं और मां के साथ बिस्तर में बैठे हैं.
कोई मां का गाल चूम रहा था. कोई मां का दूध दबा रहा था.
फिर सबने मां को पूरी तरह नंगी कर दिया और एक लड़के ने कैमरा लगा दिया.
फिर शुरू हुआ मां का सबसे दर्द भरा चुदाई का खेल!
मां को बिस्तर में लेटाया, फिर एक ने मां की चुत चाटने का काम शुरू किया, एक ने मां के मुँह में लंड पेल दिया.
कुछ देर बाद दो लड़कों ने एक साथ मां की चुत में अपना लंड डाल दिया.
मां दर्द से चिल्ला रही थीं, पर सब आज मेरी मां को चोद कर उनके छेद फाड़ देना चाहते थे.
पूरे 3 घंटे तक मेरी मां की इतनी चुदाई हुई कि मां की चुत का भोसड़ा बन गया था.
मां को देख कर लग रहा था कि वे अभी और चुदाई करने को तैयार हैं.
लेकिन सब लड़के थक गए थे.
मां की और ज्यादा चुदाई नहीं हो पाई. मैं वापस बिस्तर पर आकर लेट गया.
कुछ देर बाद मां मेरे पास आकर सो गईं.
कुछ समय बाद एक लड़का अन्दर आया और मां को मेरी बगल में ही चोदने लगा.
कमरे में अंधेरा था, तो कुछ नज़र नहीं आया. लेकिन मैंने सब कुछ सुन लिया.
मां मजे से आआह उउउ उह्ह्ह कर रही थीं और बोल रही थीं- साले धीरे कर … बाबू जाग जाएगा.
अपनी मां की इतनी चुदाई देख कर मैं भी उन्हें चोदना चाहता था.
अगले दिन हम दोनों उस घर को छोड़कर अपने घर लौट आए.
मां को मैं कामुक नज़रों से देखने लगा.
मैं बस मां को अभी चोदना चाहता था.
मां रोज रोज कॉलोनी के कोई भी अंकल के साथ संभोग कर लेती थीं.
यह खेल जारी रहा.
जब मैं 19 साल का हुआ. मैंने अपनी मां को एक लड़के के चोदते हुए पकड़ा.
मां को शर्म महसूस हुई.
मैं मां से बात नहीं कर रहा था.
तब मां मेरे पास आईं और बोलीं- बेटा तुम्हारे पिता साल में दो बार आते हैं और मैं अकेला महसूस करती हूँ.
मैंने कहा- तो आप किसी के साथ संभोग कर लोगी क्या?
मां बोलीं- किसी के साथ तो करना ही होगा अन्यथा मेरी प्यास कौन मिटाएगा.
मैंने कहा- मैं करूंगा.
मां बोलीं- नहीं, तुम मेरे बेटे हो. मैं यह कैसे कर सकती हूं!
मैंने कहा- मेरे साथ करोगी तो बाहर पापा का नाम बदनाम नहीं होगा.
मां बोलीं- ठीक है. पर किसी को बताना नहीं!
मैंने खुश होकर अपनी मां को चूमा और कहा- किसी को पता नहीं लगेगा.
फिर मैंने अपनी मां की चूचियों को पकड़ा और एक को मुँह में लेकर व दूसरी को हाथ से दबाना शुरू कर दिया.
मां कराहने लगीं- उफ्फ … मेरे बेटे और अधिक जोर के साथ करो.
मेरी मां को पसीना आ रहा था, वे बहुत सेक्सी लग रही थीं.
मैंने उनके सारे कपड़े खोल दिए.
मैं उनका जिस्म देख कर खुश हो गया.
मेरी मां इतना चुदने के बाद भी कितनी सेक्सी हैं.
मैंने माँ की चुत देखी, वह झांट रहित एकदम साफ थी.
मैंने चुत में उंगली करना शुरू कर दिया.
मां जल्दी ही अपने चरम पर आ गई थीं.
उन्होंने रस छोड़ा तो मैंने उनकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
कुछ मिनट तक चाटने के बाद वे फिर से झड़ गईं.
फिर मां ने मेरी जींस खोली.
उन्होंने मेरा विशाल लौड़ा देखा तो मां बड़ी उत्साहित हो गई थीं.
वे मेरे लौड़े से चुदवाने के लिए एकदम से व्याकुल हो गईं.
मां ने मेरा लवड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
मेरी मां ने अपने बेटे के लंड को 20 मिनट तक चूसा.
तब जाकर मैं झड़ पाया.
मां ने कहा- मुझे मालूम होता कि मेरे बेटे का लौड़ा इतना मस्त है, तो मैं क्यों किसी गैर के लंड से अपनी चुत फड़वाती फिरती.
अब मैंने अपनी मां को पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया.
मां मेरे सामने नंगी पड़ी थीं.
मेरा सपना सच होने को था.
मैं मां पर चढ़ गया और अपने लौड़े को उनकी चुत में पेल दिया.
मां दर्द से चिल्लाने लगीं और मुझे धक्का देती हुई भागने को हुईं.
पर मैंने उन्हें हिलने भी नहीं दिया.
मैं उन्हें एक हिम मानव की तरह चोद रहा था.
मां ने चिल्लाना बंद नहीं किया.
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ रुक जाऊं क्या?
उन्होंने जवाब दिया- नहीं मेरे बेटे, यह पहली बार है जब मुझे इतना मज़ा आ रहा है … तुम बस करो.
यह सुनने के बाद मैं उन्हें और तेजी से चोदने लगा.
मैंने उन्हें एक घंटे से ज्यादा चोदा होगा.
उतनी देर में मां न जाने कितनी बार स्खलित हुई होंगी, मुझे पता नहीं.
मैं अपनी आंखें बंद करके Xxx मॅाम फक का मजा ले रहा था.
फिर मैं चरम पर आया और लौड़ा निकाल कर मैं मां के पेट के ऊपर ही झड़ गया.
मेरी मां मुझसे चुदवा कर बेहद खुश थीं.
उन्होंने भरपूर आनन्द लिया था.
मां ने मुझसे कहा- अब से तुम मेरी रोज चुदाई करोगे.
अब मैं 25 साल का हो गया हूं. मैं शादीशुदा भी हो गया हूं. मेरे 2 बच्चे भी हैं लेकिन मैं अभी भी अपनी Xxx मॅाम को चोदता हूँ.
मेरी पत्नी को भी मालूम है कि मेरी मां को लंड की भूख रहती है; वह मां की चुदाई को सामने बैठ कर देखती है.
सभी अन्तर्वासना-पाठकों को मेरा Sex Stories सलाम, मेरी तरफ़ से प्रणाम! मैं आपको बता दूँ कि मैं अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ। मैंने इसकी सारी कहानियाँ पढ़ी हैं और आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर!
मैं शैल जोधपुर का रहने वाला हूँ। दिखने में मैं बहुत सुन्दर और प्यारा हूँ। मेरा कद ६’२” है और मेरा लण्ड करीब ६.५ इन्च लम्बा और ३.५ इन्च मोटा है।
कोलेज में मेरी बहुत सी लड़कियों से दोस्ती रही है और शारीरिक सम्बंध भी रह चुके हैं। यह घटना पिछले साल नवम्बर की है उस वक्त मैं एक टेलिकॉम कंपनी में काम करता था। एक दिन मेरे बॉस ने मुझे एक मोबाइल नम्बर देते हुए कहा कि ये उनके किसी दोस्त का नम्बर है और मुझे उनके यहाँ इन्टरनेट कनेक्शन लगाने जाना होगा।
मैंने उस नम्बर पे फोन किया तो किसी महिला ने उठाया मैंने पूछा क्या मैं मिस्टर विशाल से बात कर सकता हूँ तो उन्होंने कहा कि वो तो ऑफिस गए हैं कहिये क्या काम है?
मैंने सारी बात बताई तो उन्होंने कहा कि कनेक्शन करने अभी आ सकते हैं। मैंने कहा मैं अभी एक घंटे में आ जाता हूँ।
मैं दिए हुए पते पे पहुँचा और घंटी बजाई, एक महिला ने आकर दरवाज़ा खोला, उसकी उम्र करीब २५-२६ साल की रही होगी और उसकी फिगर ३६-२८-३८ रही होगी, उसने गहरे हरे रंग की साड़ी पहनी थी, रंग दूध जैसा सफ़ेद! दोस्तों मैं क्या कहूँ! उसके जैसी खूबसूरत औरत मैंने अपनी जिन्दगी में कभी नहीं देखी थी, मेरी आँखें सीधी उसके बूब्स पे जाकर गड़ गई।
उसने कहा- क्या काम है?
मैंने सामान्य होते हुए कहा- मैं शैल!
उसने कहा- ओके! प्लीज़ आइये।
मैं उसके पीछे चल दिया, उसके बदन से आ रही खुशबू मुझे मदहोश बना रही थी। उसने मुझे बैठक में बिठाया और अपना लैपटॉप लेकर आई। मैं उसपे डाटा-कार्ड (इन्टरनेट कनेक्ट करने का डिवाइस) इंस्टाल करने लग गया, वो अन्दर से २ कोल्ड ड्रिंक लेकर आई और मेरे सामने सोफे पर बैठ गई। मेरी नज़रें बार बार उसके बूब्स पे जा रही थी, मेरा लण्ड तो अकड़ कर तम्बू के बम्बू हो गया था जैसे अभी पैंट फाड़ के बाहर आ जाएगा।
अचानक उसने मुझे कहा- क्या देख रहे हो?
मैं एकदम से सकपका गया।
उसने कहा- शरारती कहीं के! और एक प्यारी सी मुस्कान दी।
ये सुनकर मेरा हौंसला भी थोड़ा बढ़ गया, मैंने कहा- आप इतने खूबसूरत हो कि नज़रें हटाने को मन ही नहीं करता!
वो बोली- फ्लर्ट करने में काफी अच्छे हो! और खिलखिला कर हँस पड़ी। उसकी हँसी इतनी प्यारी थी न दोस्तों ऐसा लग रहा था जैसे चारों तरफ़ मोती बिखर गए हो।
मैंने इन्टरनेट कनेक्शन कर के उससे कहा कि कनेक्शन हो गया है, आप कृपया चेक कर लीजिये। और वो आकर मेरे पास बैठ गई, मैंने उसे समझाने के बहाने २-३ बार छू लिया और हर बार वो मेरी तरफ़ मुस्कुरा देती उसकी तरफ़ से हरी झंडी मिलते देख मैं मन ही मन इतरा रहा था, तभी उसने मेरे गाल पे हौले से किस कर दी और कहा तुम बहुत क्यूट हो!
मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई हो, मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा- मैं आपको एक बार हग करना चाहता हूँ!
तो उसने कहा बस इतनी सी बात!
मैं उठा और उसे कस के गले लगा लिया, दोस्तों ऐसा लग रहा था जैसे मुझे जन्नत मिल गई हो।
तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी, मेरे बॉस का फ़ोन आ रहा था, मैंने फ़ोन उठाया तो उन्होंने कहा कि ऑफिस में एक जरूरी मीटिंग है तो जल्दी से आ जाओ, मैं मन ही मन अपने बॉस को गालियां दे रहा था. मैंने कहा अभी जाना पड़ेगा तो वो बोली गर्म करके ऐसे प्यासा छोड़ के जाना अच्छी बात नहीं है मैंने उसे अपना सेल नम्बर देते हुए कहा कल मुझे फोन करना, और मैं ऑफिस चला गया।
अगले दिन सुबह ही उसका फ़ोन आया, उसकी आवाज़ में अलग ही कशिश थी, उसने मुझे कहा कि अभी मेरे घर आ जाओ मेरे पति ऑफिस गए हैं. मैं तैयार होकर उसके घर चला गया। मैंने रास्ते में मेडिकल स्टोर से ४-५ कंडोम ले लिए, मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि आज तो मस्त माल चोदने को मिलेगा।
मैं उसके घर पहुँचा और दरवाजे की घंटी बजाई। जैसे ही दरवाजा खुला मैं तो उसे देखता ही रह गया! उसने काले रंग की नाईटी पहन रखी थी जो कि बहुत ही बारीक थी, उसकी ब्रा और पैंटी भी नज़र आ रही थी, उन कपडों में वो क़यामत लग रही थी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला मैंने उसे गले लगा लिया, उसने कहा- क्या कर रहे हो? दरवाजा तो बंद कर लेने दो उसके बाद जो करना हो करो! फिर उसने दरवाजा बंद किया और मुझसे लिपट गई, दोस्तों उस वक्त मेरी क्या हालत हो रही थी मैं बयां नहीं कर सकता। मेरा लण्ड तो लोहे की छड़ जैसा कड़क हो गया था।
तभी उसने कहा कि सब कुछ यहीं करोगे या अन्दर भी चलोगे?
मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और उसे बेडरूम में ले गया, उसे बेड पे लिटा कर उस पे टूट पड़ा। उसके सारे बदन को चूमने चाटने लगा। इतनी देर में वो भी गरम हो चुकी थी। उसके मुंह से शी इ … शी ऐ की आवाजें आ रही थी तो माहौल को और भी उत्तेजक कर रही थी।
मैं अपने हाथ उसके बदन पे फिराते हुए उसके स्तनों पे ले गया और जोरों से दबाने लगा. मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे लगा दिए और उसे जोरों से चूमने लगा, चूमते चूमते उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, मैंने धीरे धीरे उसकी नाईटी उतार दी और उसने मेरी पैंट और शर्ट उतार दिए।
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी। मेरा लण्ड अंडरवियर के अंदर कोबरा सांप के जैसे फुफकार रहा था. उसने अपना हाथ मेरे लण्ड पे रखा और बोली ह्म्म्म … काफी बड़ा लण्ड है तुम्हारा तो! ज़रा बाहर तो निकालो इसे!
और मैंने अपना अंडरवियर निकाल दिया … अब मेरा लण्ड उसके हाथ में था और वो उसकी चमड़ी को धीरे धीरे ऊपर नीचे कर रही थी।
मैंने समय ना खोते हुए उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी. उसके बूब्स इतने प्यारे थे कि क्या कहूँ, एकदम गुलाबी, उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था शायद आज ही साफ की थी। मैं उसके बूब्स बुरी तरह दबा दबा के चूस रहा था और एक हाथ उसकी चूत पे फेर रहा था, मेरी उंगलियाँ उसके शिश्निका को मसल रही थी।
तभी मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी … उसकी चूत काफी कसी थी, शायद ज्यादा चुदी हुई नहीं थी, उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, मैं धीरे धीरे अपनी उंगली को अन्दर बाहर करने लग गया। वो मुंह से श हह ही ईई … शी ईई … आ अ आह ह्ह्ह आः … ऊन नंह आवाजें निकाल रही थी।
तभी मैं उठा और अपना मुंह उसकी प्यारी सी चूत पे रख दिया। अब मैं उसकी चूत चाट रहा था … पहले मैंने अपनी जीभ उसके क्लिट पे फिराई … जिस से वो ऐसे तड़प उठी जैसे जल बिन मछली, वो कहने लगी प्लीज़ अब चोद दो और बर्दाश्त नहीं होता, पर मैं उसे और तडपाना चाहता था, अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी. उसके मुंह से सीत्कार निकल गई. वो मेरी मिन्नतें करने लगी कि प्लीज़ अब बर्दाश्त नहीं होता … अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो और उसकी प्यास बुझा दो!
मैं उठा और कंडोम अपने लण्ड पे चढ़ाने लगा। तभी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा इसकी कहाँ जरुरत है!
मैंने कहा- तुम गर्भवती हो सकती हो!
ये सुनकर वो बहुत भावुक हो गई और कहने लगी कि मैं तो बच्चे के लिए तरस रही हूँ।
मैंने कहा- मैं समझा नहीं!
तो वो बोली कि उसके पति में कमी है, वो कभी बाप नहीं बन सकते।
उसने कहा कि वो मेरे बच्चे की माँ बनना चाहती है। ये सुन कर मुझे इतनी खुशी हुई कि मैं बयां नहीं कर सकता और मैंने अपने लण्ड-मुंड पर से कंडोम हटा दिया और उसके ऊपर लेट गया, उसे बेतहाशा चूमने लगा … वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैंने अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के मुँह पर रखा … उसकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे कमल के फूल की अधखुली पंखुडियां, मैंने अपना लण्ड इसकी चूत पे रखा और रगड़ने लगा … उसने कहा प्लीज़ अब अन्दर भी डाल दो। मैंने हौले से धक्का लगाते हुए अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत में डाल दिया … उसकी चूत ज्यादा खुली हुई नहीं थी इसलिए लण्ड घुसने में दिक्कत हो रही थी, १ मिनट रुक के मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाते हुए अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया …
वो इतनी ख़ूबसूरत लग रही थी कि मैं उसके चेहरे पे बिल्कुल भी दर्द नहीं देखना चाहता था। तभी उसने नीचे से अपनी कमर उठा के धक्के लगाने लग गई, मैं समझ गया कि अब उसे दर्द नहीं हो रहा है, मैं भी अब धीरे धीरे उसे चोदना शुरू कर दिया, उसकी चूत काफी गीली हो गई थी इसलिए फच-फच की आवाजें आ रही थी। मैं उसके होठों पे लगातार किस किए जा रहा था ,,,,मेरे हाथ उसके स्तनों को प्यार से मसल रहे थे।
उसके चेहरे पे एक संतुष्टि का भाव था और आँखों में खुशी के आंसू … उसने कहा कि उसके पति ने कभी उसे इतने प्यार से नहीं चोदा! तुम प्लीज़ आज मेरी प्यास बुझा दो …
अब मैं उठा और उसकी टाँगें उठा के मेरे कन्धों पे रख दी और लण्ड फिर से चूत में डाल दिया … अब मैं उसे स्पीड से चोद रहा था।
वो भी कह रही थी शैल प्लीज़ और ज़ोर से चोदो … आ अह हह ह श ह ह्ह्ह … ऊ उ ऊ ऊई ई ई मा … उन नन्ना … की आवाजों से पूरा कमरा गूँज रहा था। तभी उसने मुझे अपनी बाँहों में कस के पकड़ लिया और मेरे गाल पे एक ज़ोर से, मगर प्यार से सराबोर, काट लिया। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है …
मैंने धक्के मारने का काम और तेज कर दिया। तभी उसकी चूत ने गरम गरम पानी छोड़ दिया जो उसकी चूत से बहता हुआ बेडशीट तक पहुँच गया … झड़ने के कारण उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरा लण्ड आराम से उसकी चूत में फिसल रहा था … करीब २० मिनट उसे चोदने के बाद मैंने भी अपना ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में उड़ेल दिया और उस पे निढाल होकर गिर गया …
अब हम दोनों एकदूसरे को चूम रहे थे … मैंने उसके चेहरे कि तरफ़ देखा उसके चेहरे पे एक संतुष्टि थी … वो मुझे लगातार किस किए जा रही थी। फिर हम लोग आधे घंटे तक ऐसे ही लेटे रहे। … आधे घंटे बाद मेरा लण्ड फिर हरकत में आ गया … और इस बार मैंने उसे अपने ऊपर लेटा के चोदा, आधे घंटे तक चोद के मैं फिर से उसकी चूत में ही झड़ गया …
उस दिन मैंने उसे शाम तक ५ बार चोदा।
फिर उसके पति के आने का समय हो गया तो हम लोगों ने कपड़े पहने और बैठक में आ गए … वो अन्दर जाकर काफ़ी बना कर लाई, वो बहुत खुश लग रही थी। काफ़ी पीकर मैं जाने लगा तो वो मेरे गले लग कर रोने लगी और कहा कि तुमने मुझे आज वो खुशी दी है जो किसी ने नहीं दी, और मेरे होठों पे अपने होंठ रख कर चूमने लगी। मैं भी काफी भावुक हो गया। उसने मुझे कहा कि जब भी मैं बुलाऊँ तब जरुर आना …
फिर मैं हफ्ते में २-३ बार उसके घर जाने लगा और हम लोग खूब चुदाई करते, फिर अगले महीने जब मैं उसके घर गया तो वो बहुत शरमा रही थी मेरे काफी पूछने पे उसने शरमाते हुए बताया कि वो माँ बनने वाली है … ये सुनकर मुझे इतनी खुशी हुई … ऐसा लगा जैसे सारे जहाँ की खुशियाँ मिल गई हों। आज हमारा एक २ महीने का बच्चा है ..जो दिखने में बिल्कुल मेरे जैसा है … मैं बहुत खुश हूँ।
माफ़ करना दोस्तो, मैं आपको उसका नाम नहीं बता सकता जिसने मुझे इस दुनिया की सबसे बड़ी खुशी दी। Sex Stories
फर्स्ट ओरल सक का मजा मैंने तब लिया था जब मैं कॉलेज टूर में गयी थी. वहां मैंने लड़के लड़कियों के ग्रुप को सेक्स का मजा लेते देखा. उन्होंने मुझे भी खींच लिया और मैंने पहली बार लंड चूसा.
कहानी के दूसरे भाग
बेटी को यौन शिक्षा की शुरुआत
में आपने पढ़ा कि मेरी बेटी सेक्स के बारे में जानती तो थी पर उतना नहीं जितना उसे उस उम्र में जानना चाहिए तो मैंने उसे बताना शुरू किया, उसे कंडोम, लंड और चूत के बारे में बताया. उसके साथ लेस्बियन सेक्स करके उसे मजा दिया.
अब आगे फर्स्ट ओरल सक का मजा:
चारू झड़ने के बाद मुझ पर गुस्सा करने लगी- मौसी, आपने जो उंगली डाली थी अभी भी बहुत जलन हो रही है मुझे!
मैंने कंडोम चढ़ा खीरा उठाया और चारू को दिया- लो, तुम अब मेरी चूत मार लो।
चारू की आंखों में चमक आ गई।
उसने झट से खीरा मेरी चूत पर लगाया और एक ही झटके में पेल दिया।
मैं तो बस चिल्ला कर रह गई।
खीरा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया था और उसमे ऐसा दर्द उठा कि मेरा बदन ऐंठ गया।
6 इंच तक खीरा मेरी चूत में घुसा मेरी चूत को गहरा करने में लगा था।
चारू बेहद शैतानी अंदाज में मेरी चूत को खीरे से चोद रही थी।
डॉट वाला कंडोम होने की वजह से खुरदरापन इतना ज्यादा था कि मेरी चूत का हर कोना रगड़ खाकर झनझना रहा था।
चारू इतने जोर से मेरी चूत मार रही थी कि मुझे झड़ने में 5 मिनट भी न लगे।
मेरी चूत से झरना निकला तो चारू ने खीरा निकाल लिया.
लेकिन धार इतनी तेज थी कि चारू का बदन भीग गया।
मेरी चूत से कामरस के फव्वारे छूट रहे थे और वह झरने जैसे बह रही थी।
तब मैंने अपनी जीभ से उसका जिस्म चाट कर साफ किया।
इसके बाद हम दोनों ही ठण्डी हो गई थी।
चारू अब मुझसे लिपट गई और हमने चारू की बनियान से ही अपना बदन साफ किया।
फिर नंगे बदन ही एक दूसरे से लिपट कर लेट गई।
मां बेटी के बीच आज सारी दीवारें खत्म हो गई थी।
चारू- मौसी, आज के पहले आपने कभी किसी लड़की के साथ सेक्स किया है?
मैं- लड़की नहीं, लड़कियों के साथ किया है, ग्रुप में, मेरी चारों सहेलियों ने मिलकर मेरी ली थी।
चारू- इसीलिए आप सेक्स में इतनी एक्सपर्ट हो. अगर कोई मर्द आपको आज मिले तो क्या आप उसके साथ मजा करोगी?
मैं- ऐसा क्यों पूछ रही है तू?
चारू- मुझे आपको सेक्स करते हुए देखना है।
मैं- कोई तेरे सामने मेरी लेगा तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?
चारू- नहीं, मुझे मजा आयेगा क्यूंकि आप उस मर्द को भी मेरी तरह निचोड़ कर रख दोगी।
मैं- अगर तेरे पापा को पता चला तो वे मुझे घर से निकाल देंगे।
चारू- आप परेशान मत हो मौसी, मैं उनसे कुछ नहीं कहूंगी बल्कि मैं तो चाहती हूं कि आपके साथ साथ मैं भी किसी लड़के को निचोड़ कर अपनी प्यास बुझाऊं!
उसकी बात सुनकर मुझे हंसी आ गई।
मैं- चारू अभी तुम छोटी हो, अगर इस उम्र में सेक्स करोगी तो बहुत सी परेशानियां सामने आ जायेंगी, जैसे वजन बढ़ना, इन्फेक्शन, योनि का ढीलापन, मुंहासे वगैरह। तुम थोड़ा और सब्र कर लो फिर जी भर के जिंदगी के मजे लेना।
चारू ने कहा- ठीक है मौसी … लेकिन याद रखियेगा, आपने आज मुझे निचोड़ दिया है, अब मैं आपकी बेटी के साथ साथ लौड़ी भी हूं, इसलिए मैं आपके दूध निचोड़ूंगी भी और चूसूंगी भी!
यह कहकर उसने मेरे निप्पल पर काट लिया।
मैं आह भरी सिसकी लेकर उसका मुलायम बदन सहलाने लगी।
उसके नितम्बों के बीच के छेद पर उंगली फेर कर मैंने उसे आराम दिया.
और फिर चारू मेरे ऊपर चिपक कर लेट गई।
उसका नंगा बदन इतना मुलायम और रसभरा था कि कोई भी उसे छूकर उत्तेजित हो जाता, उसके गोलाकार नितंब मेरी हथेलियों से मालिश का मजा ले रहे थे।
चारू- वासू मौसी, आपने पहली बार सेक्स किसके साथ किया था?
मैं- एक लड़का था मेरे कॉलेज के पास का, उसके साथ प्रेम शुरू किया था, उसने ही मेरी सील तोड़ी थी। लेकिन तुम्हारे पापा से मुझे शादी करनी पड़ी और हम दोनों अलग हो गए।
चारू- सच! लेकिन सब कैसे हुआ, प्लीज बताइए।
मैंने उसे अपनी आप बीती सुनानी शुरू की।
चारू, बात तब की है जब मैं 12वीं में स्कूल में थी।
तब मैं तेरे जैसी थी, इतनी की उम्र की जितनी कि तुम अब हो.
मैं पढ़ाई में ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन मार्क्स ठीक आ जाते थे।
देखने में तो मैं बला की खूबसूरत हूँ ही।
मेरे हल्के नींबू जैसे स्तन अभी विकसित होना शुरू ही हुए थे, मेरे शरीर पर मांस पर्याप्त मात्रा में था और मेरे नितम्ब गोलाई लिए हुए मेरे रूप को आकर्षक बनाते थे।
बोर्ड एग्जाम हो चुके थे और सभी लोग छुट्टियां काट रहे थे।
एक दिन स्कूल की तरफ से टूर पर जाने की योजना बनाई गई।
टूर में हमें सिर्फ राजनगर के किले और जंगल में जाना था और टूर एक ही दिन का था।
मुझे भी जाने का अवसर मिला।
अगले दिन मैं अपने कपड़े और बाकी समान लेकर स्कूल के लिए निकल गई।
धीरज सर और मोनिका मैम को छात्रों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई।
हमारे साथ हमारे सीनियर क्लास के लड़के लड़की भी आए थे।
कुल 30 बच्चों का ग्रुप था।
धीरज सर और मोनिका मैम का चक्कर पूरे कॉलेज को पता था।
हमारे ग्रुप में कुछ तेज तर्रार लड़कियां थीं।
उनमें से एक लड़की थी रचना जो सबसे हॉट और सेक्सी थी।
उसकी दो सहेलियां थी रुचि और नेहा।
वे भी उसी के जैसी थी और उन तीनों के पीछे लड़कों की लाइन लगी रहती थी।
हम सभी बस में सवार हो गए।
फिर बस राजनगर के किले की तरफ़ चल दी।
बस में मेरी ही क्लास का एक लड़का भी था, रोहित जो चोरी छुपे मुझे देखता था लेकिन कुछ कहता नहीं था।
टूर एक दिन और एक रात का था।
बस राजनगर के किले के पास पहुंच गई तो हम सब लोग अपनी अपनी टीम में बंट गए।
लड़के धीरज सर के साथ थे और मेरी टीम मोनिका मैडम के साथ थी।
हम सखियां रचना को ही देख रहे थे।
उसका लम्बा गोरा मांसल जिस्म बहुत आकर्षक लग रहा था।
इंटर के लड़के उसी को ताड़ रहे थे, रचना भी उनको खूब लाइन दे रही थी।
घूमते घूमते शाम हो गई और हम लोग राजनगर के जंगल में आ गए।
धीरज सर और मोनिका मैम के बीच कुछ इशारा हुआ तो धीरज सर बोले- बच्चो, मोनिका मैम की तबीयत ठीक नहीं है, मैं इनको दवा दिलाकर लाता हूं, तब तक आप लोग यहीं रहिएगा और मेरे आने तक इधर उधर मत जाइएगा।
यह कहकर वह मोनिका मैम के साथ चले गए।
अब टीचर थे नहीं इसलिए सबको खुलकर नैन मटक्का करने का मौका मिल गया।
रचना ने कुछ लड़कों को इशारा किया और फिर पहले 5 लड़के और फिर कुछ देर बाद रचना और उसकी सहेलियां नेहा और रुचि भी जंगल में अंदर की तरफ चली गई।
मैंने अपनी सखियों से कहा- चलो हम लोग भी चलते हैं जंगल में, देखो रचना गई है। बहुत मजा आयेगा।
लेकिन मेरी सहेलियों ने मना कर दिया।
लेकिन मैं नहीं मानी और 10 मिनट बाद मैं भी जंगल में चली गई।
जंगल में बड़ी चट्टाने थी और मुझे कुछ आहट मिली तो मैं उन्ही की ओट में छिपकर सब देखने लगी।
देखा तो आंखें फटी रह गई।
रचना 3 लड़कों के साथ चुम्मा चाटी कर रही थी और उसकी सहेलियां नेहा और रुचि भी यही कर रही थी।
नेहा अपनी टांगें खोल कर चट्टान पर बैठी हुई थी और एक लड़का उसकी योनि को चाट रहा था।
रुचि भी एक लड़के को किस कर रही थी और वह लड़का रुचि के नितम्ब सहला रहा था।
सबसे ज्यादा तो रचना लगी थी इन सब कामों में!
उसने अपनी शर्ट के बटन खोल रखे थे और उसकी ब्रा नीचे सरकी हुई थी।
एक लड़का पीछे से उसके दोनों संतरे जैसे स्तनों को मसल रहा था और दो लड़के अगल बगल खड़े हो कर उसे किस कर रहे थे।
रचना के दोनों हाथों में दोनों लड़कों के लंड थे और वह उन्हें सहला रही थी।
वहां बिलकुल कामसूत्र का लाइव टेलीकास्ट चल रहा था।
तभी एक लड़के ने रचना और रुचि की पैंटी निकाल दी।
स्कर्ट पहने हुए वह लड़कियां अपनी ब्रा नीचे किए लड़कों से मजे ले रही थी।
तभी एक लड़के ने रचना को छोड़ा और जाकर नेहा के पास खड़ा हो गया।
नेहा इशारा समझ गई।
उसने लपक कर उस लड़के का लिंग अपने मुंह में भर लिया।
चारू, ये सीन देखकर तो मेरे तन बदन में आग लग गई।
मेरी सांसें तेज हो गई और मैं अब गीली होने लगी।
तभी एक और करतब हुआ।
एक लड़के ने रचना को उठा लिया और सर के बल कर दिया।
रचना का सर उस लड़के के लिंग के सामने आ गया।
तभी एक और लड़के ने रचना को सहारा दिया और फिर दोनों ने रचना के गुप्तांगों पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी।
रचना भी एक एक कर के उस दोनो का लिंग चूस रही थी।
उधर एक लड़का रुचि के स्तन पी रहा था और उसकी योनि सहला रहा था.
वहीं दूसरी तरफ दो लड़के नेहा पर लगे थे।
उनमें से एक नेहा का मुंह चोदन कर रहा था और एक लड़का नेहा की योनि को चूस रहा था।
इन गर्मागर्म नजारों को देखकर मुझे भी गर्मी लगने लगी।
हाथ पांव कांपने लगे और दिल की धड़कन आसमान छूने लगी।
तभी मुझे छींक आ गई और लोगों की नजर मुझपे गई।
मैं वहां जड़ खड़ी थी, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं।
सबने मुझे देखा तो मुस्कुरा कर एक दूसरे से धीरे धीरे कुछ कहने लगे।
फिर रचना, नेहा और रुचि मेरे पास आई।
उनके स्तन अभी भी खुले हुए थे।
जब रचना मेरे पास आई तो अहसास हुआ कि उसके स्तन कितने रस भरे हैं।
रचना- यहां क्या कर रही है वासु?
मैं हकलाती हुई बोली- मुझे माफ कर दो दीदी, मैं बस यहां से गुजर रही थी।
रचना- अच्छा, आ फिर तुझे सैर कराती हूं।
ये कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपने साथ उस चट्टान के पास ले आई।
सारे लड़के मुझे देखकर आनन्दित थे।
अभी कच्ची कली थी मैं इसलिए शरीर ज्यादा विकसित नहीं हुआ था।
रचना ने मेरी शर्ट खोली तो बनियान में मेरे स्तन आधे नींबू की तरह उभार लिए सामने आ गए।
एक लड़का बोला- इसकी तो चूचियां भी नहीं निकली अभी, इसमें मजा नहीं आयेगा।
तो रचना बोली- रुक जाओ जानेमन, चूत तो है ही, चलो देखते हैं।
यह कहकर उसने मेरी पैंटी सहलाई तो मुझे करंट सा लगा।
नेहा उन लड़कियों ने मेरी पैंटी निकाल दी और मैं कुछ न कह सकी।
मेरी योनि पर हल्के हल्के बाल आ गए थे।
रचना ने मेरी चूत का मुआयना किया और कहा- अभी सील पैक माल है ये!
यह बोलकर उसने जीभ निकाली और मेरी चूत को चाटने लगी।
उफ्फ पहली बार किसी की जुबान मेरी चूत से टकराई थी।
मैं आँखें बंद कर के इस लम्हे का मजा लेने लगी।
अब नेहा ने मेरी बनियान भी उठा दी और मेरे स्तन को बाहर कर दिया।
लड़कों ने मेरे नींबू दबा दिए तो मुझे दर्द हुआ।
मैं चिल्लाई- आह दीदी, दर्द हो रहा है।
रचना ने मेरी चूत छोड़ी और अपने होंठ मेरे होंठों से टिका दिए।
पहली बार किसी ने मुझे किस किया था वह भी एक लड़की ने!
मैं भी मजे लेकर उसे चूसने लगी।
सच कहूं तो वह चुम्बन मुझे आज भी याद है चारू!
इसके बाद नेहा और रुचि नीचे बैठ गई।
एक एक लड़का उन दोनों के पास गया और दोनों ने उनके लंड अपने मुंह में भर लिए।
उधर रचना दो लड़कों का लंड चूस रही थी।
यह नजारा ही ऐसा था कि कोई भी गीला हो जाए।
इसके बाद एक लड़का मेरे पास आया और बोला- तू भी चूस मेरा!
मैं डर के बोली- नहीं, मैं नहीं कर पाऊंगी।
तो उस लड़के ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया।
उसका गर्म लिंग पकड़ कर मुझे बेहद झटका सा लगा।
मैंने धीरे धीरे उसे सहलाना शुरु किया और फिर उसने मुझे भी घुटनों के बल बिठा दिया।
मेरे बाल पकड़ कर उसने अपना लिंग मेरे मुंह में डाल दिया।
उसका नमकीन स्वाद मेरे मुंह में घुल गया।
वह अब धीरे धीरे मेरे मुंह का चोदन करने लगा।
मेरे मुंह पर धक्के लगाते हुए उसने गले तक अपना लिंग मेरे मुंह में घुसेड़ना शुरू कर दिया।
उसका 5 इंच का काला लिंग मेरे मुंह में घुसता और निकालकर दोबारा अंदर घुस जाता।
उसका लिंग मेरी लार से अच्छी तरह भीग गया।
फर्स्ट ओरल सक का ये क्रम 5 मिनट तक चला फिर उसका बदन अकड़ने लगा।
उसने मेरे सर पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और फिर मेरे मुंह में झड़ गया।
एक गर्म तेल सा मेरे मुंह में गिरा और मुझे उसका नमकीन स्वाद मिल गया।
उस लड़के ने मेरा सर ऊपर उठा दिया और मेरे मुंह का वीर्य मेरे गले से अंदर उतर गया।
झड़ने के बाद वह लड़का ढीला हो कर मुझसे अलग हो गया।
मैंने देखा तो दोनों लड़के रचना के मुंह पर लंड रगड़ रहे थे और कुछ ही देर बाद झटकों के साथ उनका वीर्य रचना के चेहरे पर जा गिरा।
उधर नेहा और रुचि भी लंड को चूस चूस कर खाली कर चुकी थी।
रचना मेरे पास आई और अपने चेहरे पर लगा वीर्य मेरे स्तनों पर मल दिया और कहा- इसे लगा रहने देना बेबी, तुझे बहुत मजा आयेगा।
लड़के झड़ कर ठंडे हो गए थे इसलिए अब हमने चलने का फैसला किया।
अपने कपड़े पहनकर हम सब वापस बस में आ गए।
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