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Massage Girl in South Tripura: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in South Tripura who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in South Tripura that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The South Tripura massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in South Tripura who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your South Tripura massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This South Tripura massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in South Tripura who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in South Tripura employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in South Tripura helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in South Tripura

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in South Tripura at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Porn Stories

नमस्कार दोस्तो, मेरी कहानी को पढ़ कर बहुत Hindi Porn Stories लोगों ने मुझे मेल किया और मुझसे काजल के साथ और क्या सब हुआ, वो भेजने की माँग की।

जब एक बार काजल को मुझसे चुदाने का मजा मिल गया तब फ़िर क्या परेशानी होनी थी। हम दोनों उसके बाद खुल कर बेहिचक और बेझिझक एक दूसरे के साथ मस्ती करने लगे।

काजल होस्टल नहीं गई और मेरे साथ ही रहने लगी। पिछले चार महीने में हम दोनों ने सैकड़ों बार चुदाई का खेल खेला। कुछ नया ऐसा न हुआ कि आप सब को बताया जाए। मेरे दोनों दोस्त अनवर और सुमित भी आते तब भी कुछ खास न हुआ।

सुमित को एक नई लड़की मिल गई थी और वो उसके साथ व्यस्त था। अनवर ने भी काजल के साथ सेक्स करने की बात ना की, पर काजल अक्सर कहती कि पता नहीं कब आपके दोस्त लोग मेरे में अपना हिस्सा माँगेंगे। मैं

तब उसे समझाता कि वो ऐसे नहीं हैं, बहुत होगा तो एक दो बार वो तुम्हें कहेंगे पर अगर तुम ना कर दोगी तो वो जिद नहीं करेंगे।

पर अब करीब चार महीने बाद पिछले रविवार को सुबह ही अनवर मेरे घर आया। मैं अखबार पढ़ रहा था और काजल टीवी देख रही थी।
हम दोनों में से चाय कौन बनाए, यह अभी तय नहीं हुआ था। अनवर मेरे पास बैठ गया और इधर-उधर की बात करने लगा। फ़िर सुमित की बात आई कि वो कल रात भी अपनी गर्लफ़्रेंड के साथ था।

और तभी अनवर बोला- साले तुम दोनों की चाँदी है, रोज चूत से लण्ड की मालिश करते हो। अब मैं शादी ही कर लेता हूँ, मेरे साथ भी एक हमेशा रहेगी। आज एक महीना हो गया किसी को चोदे। ब्लू फ़िल्म देख कर मुठ मारता हूँ।

असल में पहले ऐसा नहीं था, तब हम तीनों के साथ कोई रेगुलर न थी। वो अब काजल को देख रहा था, पर कह नहीं पा रहा था।

मैंने काजल को कहा- सुन रही हो ना! कैसा बेचैन है! अब जरा बेचारे को चाय तो पिलाओ!

काजल मुस्कुराते हुए चाय बनाने चली गई।

वो अब मुझसे पूछने लगा- क्या काजल मुझे एक बार चाँस देगी?

मैंने भी कह दिया- खुद ही पूछ कर देख ले!

तभी काजल चाय ले कर आई। वो तब एक ढीली टी-शर्ट और बरमुडा पहने थी। नीचे कोई अन्तर्वस्त्र न था, इसलिए उसकी चुचियाँ चलने से फ़ुदक रही थी।

हम सब जब चाय पीने लगे तब वो बोला- काजल, प्लीज न मत कहना! बहुत मन हो रहा है, एक बार मेरे साथ कर लो ना!

वो एक दम से बोल गया था, सो काजल तुरंत जवाब न दे सकी।

अनवर ने फ़िर से काजल से कहा और तब काजल ने मुझे देखा।

मैंने भी तब कह दिया- मुझे कोई परेशानी नहीं है, अगर तेरा मन है तो हाँ कह दे।

अनवर अब काजल को देखे जा रहा था।

मुझे पता था कि काजल को भी एक बार का मन है कि देखे कि अलग लड़के से चुदवा के कैसा लगता है, क्योंकि वो अक्सर सेक्स करते समय ये सब बातें करती थी, और जब मैं कहता कि अलग अलग लड़की का स्वाद अलग अलग होता है, तब वो भी जोश में कहती कि वो भी अलग अलग लड़के का मजा लेगी।

काजल थोड़ा सोच कर बोली- ठीक है, जब भैया को एतराज नहीं है, तब एक बार आपके साथ कर लूंगी पर उसके बाद आप भी हमेशा मत कहिएगा। मैंने कई बार सुना है कि एक से करे रानी और बहुत से करे रंडी। आप रुकिए, नाश्ता कर के जाइएगा।

अनवर अब खुशी से चहक उठा- अभी नहीं कुछ, अब बस अभी करना है, उसके बाद ही नाश्ता-वाशता!

और जब तक कोइ कुछ समझे कहे, वो काजल के चेहरे को पकड़ उसके होंठ चूमने लगा।

काजल बस उम-उम कर रही थी, और अनवर उसके होंठों का रसपान कर रहा था।

मैं उसकी यह बेचैनी देख हँस पड़ा और कहा- ठीक है, भाई अब दोनों मस्ती करो, आज मैं नाश्ता ब्रेड-ऑमलेट तैयार करता हूँ, जल्दी तुम लोग खत्म करो ये सब!

अनवर एक बार बोला- थैंक्स!

और तब काजल का भी मुँह फ़्री हुआ और वो भी बोली- बाप रे! ऐसी बेचैनी का मुझे अन्दाज न था।

अनवर यह कहते हुए कि हाँ आज वह बहुत बेचैन है, एक बार फ़िर काजल से लिपट गया।

मैं अब वहाँ से उठ गया था, पर मुझे पता था कि अनवर को इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता, हम सभी दोस्त एक दूसरे के सामने पहले दो-चार बार भाड़े की लड़की यानि काल-गर्ल चोद चुके हैं।

मुझे काजल के मुँह से निकल रही सेक्सी आवाजें सुनाई दे रही थी। मुझे पता था कि अभी अनवर उसकी चूत को चूस रहा होगा।
हम तीनों में अनवर के चूसने की कला हमेशा ही लड़कियों को भाती रही है।

करीब 40-45 मिनट बाद मैं 10 स्लाईस ब्रेड और 3 ऑमलेट ले कर कमरे में आया। कमरे में आवाजें थोड़ी कम ही थी तो मुझे लगा कि अन्तर्वासना, बेचैनी के कारण अनवर एक बार फ़टाफ़ट चुदाई कर चुका होगा।

अब मेरे मन में भी था कि देखूँ कि काजल कैसे चुदवाती है। कम से कम अंत भी तो मैं देख सकता था।

पर जब कमरे में घुसा तब देखा कि अभी तो असल चुदाई शुरु भी नहीं हुई है। अनवर नीचे कालीन पर लेटा है और काजल उसके लण्ड को चूस रही है।

दोनों मादरजात नंगे थे। मेरी तरफ़ काजल की गाण्ड थी और वो झुकी हुई थी इसलिए उसकी गीली, गुलाबी चूत की धारी थोड़ी खुली हुई दिख रही थी।

मुझे भीतर आते देख काजल उठ गई और एक तरफ़ सिमट कर अपने दोनों जाँघों को भींच लिया तथा अपने हाथों से अपने चूचियों को ढकने लगी।

अनवर का 7′ का लण्ड अपने पूरे शवाब पर था। उसकी लाल सुपारी और सुडौलपन देखने लायक था। अनवर को तब पता नहीं चला कि मैं कमरे में आया हूँ।

वो बोला- आओ काजल जरा एक बार चूस कर मेरा झाड़ दो, उसके बाद चुदाई करुँगा। सिर्फ़ लण्ड चूसाने के लिए हीं मैं अपना झाँट साफ़ रखता हूँ ताकि किसी लड़की को इन बालों से परेशानी ना हो।

अब तक वो मुझे देख कर समझ गया कि काजल क्यों उसके लण्ड से हट गई है।

मुझे भी काजल का इस तरह मुझसे शर्माना अच्छा लगा। साफ़ था कि अभी भी काजल दिल्ली की आम लड़की की तरह राँड नहीं हुई थी, छोटे शहर के संस्कार अभी बाकी थे।

मैंने बात शुरु की- आओ अब पहले नाश्ता कर लो उसके बाद ये सब करना।

अनवर उठते हुए बोला- क्या साला! के एल पी डी हो गया, थोड़ा रुके क्यों नहीं संजीव यार?

मैंने हँस कर कहा- बहुत दिन बाद हुआ ऐसा के एल पी डी!

और तब वो भी हँसने लगा।

मैंने काजल को भी कहा- आ जाओ, अब तुम भी नाश्ता कर लो, फ़िर कर लेना ये सब।

अनवर ने उसका हाथ पकड़ कर उसे उठा दिया और फ़िर दोनों मेरे दाहिनी तरफ़ सोफ़े पर बैठ गये। काजल मेरे से दूर वाली तरफ़ थी।

अनवर ने अपने लण्ड को एक चपत लगाया और बोला- ले साले! के एल पी डी!

फ़िर काजल से बोला- समझी कुछ?

जब काजल ने न में सर हिलाया तब वो उसको समझा कर बोला- के एल पी डी माने- खड़े लण्ड पे धोखा!
अब यह सुन कर काजल भी मुस्कुराने लगी।

मैंने खाना शुरु कर दिया। काजल ने अपनी टी-शर्ट गोदी में रख ली जिससे उसकी चूत छुप जाए और एक स्लाईस उठा लिया।

अनवर ने भी खाना शुरु किया पर अपना हाथ बढ़ा उस कपड़े को काजल की गोदी से हटा दिया- मेरा के एल पी डी और तू शरमा रही है? यह नहीं चलेगा।

मुझे काजल का इस तरह शर्माना भा रहा था, सो मैंने भी थोड़ा कह दिया- यार अनवर, वो अपने भैया के सामने बैठी है, और अपनी एक आँख मारी।

अनवर खाते हुए बोला- चुप साले बहनचोद, रोज़ चोदते हो, गन्दी-गन्दी बात करते हो और अभी मेरे समय समझा रहे हो कि भैया के सामने बैठी है। जवानी का मजा लूटने दो साली काजल को!

मेरा अब मन कर रहा था कि मैं काजल को अनवर से चुदवाते देखूँ, सो मैं बोला- अबे साले भड़को मत, दो मजा उसको। मैं मना थोड़े कर रहा हूँ?

फ़िर मैंने काजल से कहा- हाँ काजल, बिल्कुल बिंदास हो कर लो मजा। अनवर लड़की की चूत खाने में माहिर है, साला 15 साल का था तब अपनी बुड्डी मामी की चूत चूसकर ही जवान हुआ। सौ से कम लड़कियाँ नहीं चोदी होंगी इसने, आज देखो कैसे बेचैन है।

अनवर ने हँस कर कहा- अरे 38-40 की थी मामी यार! ऐसी बूढ़ी नहीं थी।

मैंने भी कहा- अबे साले! काजल ने 19 भी पूरे नहीं किए हैं अभी!

काजल सब सुनते हुए खा रही थी। उसकी जाँघें अभी भी भिंची हुई थी जिससे उसकी चूत की फ़ाँक नहीं दिख रही थी, सिर्फ़ ऊपर के झाँट देख रहे थे।

यहाँ मैं आप लोगों को बता दूँ कि काजल के चूत और काँख पर खूब बाल हैं। (मैंने ये सब मस्तानी लौन्डिया में पहले लिखा था)

नाश्ता खत्म हुआ तब अनवर का लण्ड अपना आधा जोश खो चुका था, अनवर बोला- अब जल्दी से हाथ धो कर आ जाओ, तुमको फ़िर से मेरा लण्ड मस्त करना होगा, तभी सही मजा मिलेगा तुमको!

काजल सब प्लेट वगैरह ले कर बाहर निकल गई, तब मैंने अनवर से कहा- मैं सब देखना चाहता हूँ, पता नहीं काजल मानेगी या नहीं? देख नहीं रहे मेरे सामने कैसे चुप-चुप थी।

अनवर बोला- चिंता नहीं दोस्त, आज तुमको सब दिखेगा, साली को ऐसा मस्त कर दूंगा कि चौक पर पूरी दुनिया के सामने चुदवा लेगी, यहाँ तो बस तुम ही हो। बहुत मस्त लौन्डिया है काजल, इतना तो मुझे अभी तक समझ आ गया है। जब चुदेगी तब बिन्दास चुदेगी।

तभी काजल आ गई। उसने एक तौलिए को अपने वक्ष पर लपेट लिया था, जो उसकी आधी जाँघ भी ढ़के हुए था। अनवर फ़िर पहले की तरह काकीन पर लेट गया और लण्ड हाथ में ले हिला कर काजल को आने का न्योता दिया।

काजल भी पास बैठ तो गई पर सर नीचे किये हुए शायद मेरे जाने का इन्तजार करने लगी।

तभी अनवर सब भाँप बोला- आ काजल डीयर, देख तेरा खिलौना, तेरा लॉलीपॉप तेरे मुँह में जाने के लिए बेकरार है। अपने भैया की फ़िक्र छोड़ो और मस्ती करो।

मैंने भी काजल की हिम्मत बढ़ाई यह कहते हुए कि मैंने तुमको कई बार चोदा, पर आज तुमको किसी और से चुदवाते देखना चाहता हूँ!
उसके बदन से तौलिया खींच दिया। फ़िर मैंने उसकी दोनों चूचियों को मसल दिया और फ़िर वहीं सोफ़े पर काजल के बिल्कुल सामने बैठ गया।

अनवर ने काजल को अपने ऊपर खींच लिया और काजल को अपने पूरे बदन पर फ़ैला कर उसके होंठ चूसने शुरु कर दिये।

काजल अब भी अपने दोनों टाँगों को सटाए हुइ थी, उन दोनों के सर मेरी ओर थे। काजल की छाती अनवर के सीने पे दबी हुई थी।

अनवर अब काजल को वैसे ही चिपटाये हुए पलट गया और काजल अब उसके नीचे हो गई।
वो अब उसके चुम्मे का जवाब देने लगी थी।

अनवर 2-3 मिनट के बाद हटा और फ़िर उसकी दाहिनी चूची को चूसने लगा। वह अपने एक हाथ से उसकी बाँई चूची को हल्के से मसल भी रहा था।

काजल की आँखें बन्द थी और उसकी साँस गहरी हो चली थी। जल्द ही काजल अपने पैर को हल्के हल्के हिलाने, आपसे में रगड़ने लगी। उसकी चूत गीली होने लगी थी।

जैसे ही उसने एक सिसकारी भरी, अनवर उसके ऊपर से पूरी तरह हट गया और मुझे उसके पैरों की तरफ़ जाने का इशारा किया। मैं अब काजल की सर की तरफ़ से हट कर उसके पैरों की तरफ़ हो गया।

अनवर अब उसकी चूत पर झुका। होठों के बीच उसकी झाँटों को ले कर दो-चार बार हलके से खींचा और फ़िर उसकी जाँघ खोल दी।
उसकी चूत की फ़ाँक खुद के पानी से गीली हो कर चमक रही थी। अनवर अपने स्टाईल में जल्द ही चूत चूसने लगा और काजल के मुँह से आआअह आआअह ऊऊऊऊऊओह जैसी आवाज ही निकल रही थी।

अनवर चूसता रहा और काजल चरम सुख पा सिसक सिसक कर, काँप काँप कर हम लोगों को बता रही थी कि उसको आज पूरी मस्ती का मजा मिल रहा है।

जल्द ही वो निढ़ाल हो कर थोड़ा शान्त हो गई।

तब अनवर ने उसको कहा कि अब वो उसके लण्ड को चूस कर उसको एक पानी झाड़े। काजल शान्त पड़ी रही, पर अनवर उसके बदन को हलके हलके सहला कर होश में लाया और फ़िर उसको लण्ड चूसने को कहा।

काजल एक प्यारी से अदा के साथ उठी और फ़िर अनवर के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। वो अब मुझसे बिना शर्म किए खूब मजे लेने के मूड में थी। कभी हाथ से वो मुठ मारती, कभी चूसती और जल्द ही अनवर का लण्ड फ़ुफ़कारने लगा, फ़िर झड़ भी गया।

झड़ते समय अनवर ने पूछा- क्या वो माल खाएगी?

पर काजल ने ना में सर हिला दिया, तब अनवर तुरंत उठा और सारा माल काजल की चूची पर निकाल दिया।

झड़ने के बाद भी अनवर का लण्ड हल्का सा ही ढीला हुआ था, जिसको उसने अपने हथेली से पौंछ दिया और फ़िर काजल को कहा- अब इसको चूस कर फ़िर से तैयार कर!

काजल बोली- पानी से धो लीजिए ना थोड़ा, ऐसे तो सब मेरे मुँह में चला जाएगा!

मुझे पता था कि काजल ने अभी तक लण्ड के माल को चखा नहीं है। मैं सोच रहा था कि आज काजल को मर्द के माल का स्वाद मिल जाए तो मुझे भी मजा आएगा।

अनवर ने उसके अनुरोध की बिना परवाह किए कहा- चल आ जा अब, देर ना कर! नहीं तो अगली बार माल तेरी बुर में निकाल दूँगा!

फ़िर मेरी तरफ़ देख बोला- क्या यार बहन को अभी तक बताया नहीं कि मर्द का माल लौंडिया के लिये कैसा टौनिक है?

मैंने भी जड़ दिया- हाँ यार, यह साली बहन जी की बहन जी ही रहेगी, देख नहीं रहे हो आज तक झाँट भी साफ़ नहीं की, जबकि कई बार मैंने कहा भी कि मैं शेव कर दूँगा, पर देख लो! कहती है कि मम्मी कहती है कि कुँवारी लड़की को ये बाल नहीं साफ़ करना चाहिएँ, नहीं तो मर्द समझेगा कि बीवी अन्छुई नहीं है।

अनवर हँसने लगा- अब तक काजल अपने को कुँवारी समझ रही है, कमाल है? क्या इसकी माँ, जब यह घर जाएगी, तब इसको नंगा करके देखेगी?

और उसने अब काजल को नीचे लिटा दिया। फ़िर उसकी टाँगों को पेट की तरफ़ मोड़ दिया, खुद अपने फ़नफ़नाए लण्ड के साथ बिल्कुल उसकी खुली हुई बुर के पास घुटने पर बैठ गया। हल्के हल्के से लण्ड अब उसकी बुर के मुहाने पे दस्तक देने लगा था।

काजल अपनी आँख बन्द करके अपने बुर के भीतर घुसने वाले लण्ड का इन्तजार कर रही थी।

अनवर ने अपने लण्ड को अपने बाँए हाथ से उसकी बुर पर टिकाया और फ़िर उसको धीरे धीरे भीतर पेलने लगा।
काजल के मुँह से सिसकारी निकल गई और जब लण्ड आधा भीतर घुस गया, तब अनवर ने अपने वजन को बैंलेन्स करके एक जोर का धक्का लगाया और पूरा 7′ भीतर पेल दिया।

काजल हल्के से चीखी- उई ई ईईई ईईईए स्स्स्स्स् स माँ आआआह!

और काजल की चुदाई शुरु हो गई। जल्द ही वह भी अपनी बुर को अनवर के लण्ड के साथ ‘ताल से ताल मिला’ के अन्दाज में हिला हिला कर मस्त आवाज निकाल निकाल कर चुद रही थी।
साथ ही बोले जा रही थी- आह चोदो! वाह, मजा आ रहा है, और चोदो, जोर से चोदो, लूटो मजा मेरी बुर का, मेरी चूत का, बहुत मजा आ रहा है, खूब चोदो! खूब चोदो!

फ़िर जब अनवर ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ाई, काजल के मुँह से गालियाँ भी निकलने लगी- आआह मादरचोद! ऊऊ ऊ ऊओह बहनचोद! साले चोद जोर से चोदो रे साले मादरचोद।

अनवर भी मस्त हो रहा था, यह सब सुन सुन कर मस्ती में चोदे जा रहा था और काजल की गाली का जवाब गाली से दे रहा था- ले चुद साली, बहुत फ़ड़क रही थी, देख आज कैसे बुर फ़ाड़ता हूँ। साली कुतिया, आज लण्ड से तेरी बच्चादानी हिला के चोद दूँगा। साली बेटी पैदा करके उसको भी तेरे सामने चोदूँगा इसी लण्ड से! देखना तू!

दोनों एक दूसरे को खूब गन्दी गन्दी गाली दे रहे थे और चुदाई चालू थी।

थोड़ी देर बाद अनवर थक गया शायद, और उसने अब लण्ड बाहर निकाल लिया। तब काजल ने उसको लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई। वो अब ऊपर से उसके लण्ड पर कुद रही थी और मैं उसके सामने होकर देख रहा था कि कैसे लण्ड को उसकी बुर लील रही थी।

4-5 मिनट बाद अनवर फ़िर उठने लगा और फ़िर काजल को पलट कर उसको घुटनों और हाथों पर कर दिया फ़िर पीछे से उसकी बुर में पेल दिया, बोला- अब बन गई ना काजल तू कुतिया! साली चुद और चुद साली! मम्मी को अपना झाँट दिखा के बेवकूफ़ बना और यहाँ लण्ड खा गपागप गपागप गपागप। मादरचोद! भैया से चुदी, अब भतार से चुद चुद साली रन्डी। एक से चुदे बीवी, दो से चुदे कौन, बोल रन्डी, बोल साली कुतिया, बोल दो से चुदे कौन?

और वो बोल पड़ी- रन्डी रन्डी, साले बहनचोद तुम लोगों ने मुझे रन्डी बना दिया।

अनवर अब एक बार फ़िर लण्ड बाहर निकाल लिया और फ़िर उसको सीधा लिटा दिया। ऊपर से एक बार फ़िर चुदाई शुरु कर दी।

वो बोले जा रहा था- रन्डी,रन्डी, काजल कौन, काजल कौन?

काजल बोलती- काजल है रन्डी, काजल है रन्डी।

और करीब 30 मिनट के बाद काजल एक बार फ़िर काँपने लगी, वो फ़िर एक बार झर रही थी। तभी अनवर भी झरा- एक जोर का आआआआह और फ़िर पिचकारी काजल की झाँट पे। सारा सफ़ेद माल काली काली झाँटों पर फ़ैल गया।

दोनों निढ़ाल हो कर अब एक दम शान्त हो कर एक दूसरे के बगल में लेट कर शन्त हो गये। मेरा लण्ड भी यह सब देख अपना माल मेरी पैंट में निकाल चुका था। अब एक दम शान्ति थी।

करीब 5 मिनट तक वैसे ही रहने के बाद काजल उठी और अपने कपड़े ले कर बाथरुम में चली गई। अनवर भी अपने कपड़े पहनने लगा- यार बहुत मस्त माल है ये, थैंक्स!

मैंने कहा- हाँ यार, पर अब उसको परेशान नहीं करना, या चिढ़ाना मत।

अनवर बोला- क्या दोस्त, अभी तक तुझे लगता है कि मैं ऐसा कमीना हूँ? यार मुझे पता है कि लड़की को कैसे इज्जत देनी चाहिए।

काजल तब तक आ गई थी और बात भी सुनी थी, अनवर भी उसको बोला- हाँ, काजल तुम बिल्कुल दिल पर न लेना कोई बात। यह सब बस करते समय की बात है, जो भी मैं बोला! अब आगे से जैसा पहले था, वैसा ही रिश्ता रहेगा हम लोगों का!

काजल ने मुस्कुराते हुए कहा- मुझे पता है अनवर भैया, मैं चाय बनाती हूँ।

वो बाहर निकल गई, और हम दोनों दोस्त टीवी खोल कर बैठ इधर-उधर की बातें करते हुए चाय का इन्तज़ार करने लगे।

आपको यह कहानी कैसी लगी, बताना साथ ही यह भी बताना कि मुझे सिर्फ़ काजल के साथ किये गये मजे के बारे में लिखना चाहिए या कुछ और भी लिखना चाहिए?

वैसे अनवर के बारे में दो-चार बात है मजेदार बताने के लिए! Hindi Porn Stories

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Maine soch kr he rkha tha ki apni ke sath bahot enjoy krna hai pahele normal sex hua wo bed pr normal he thi kyu ki ek gaav se belong krti thi dheere dheere Maine mehnat shuru kr di 3month baad apni wife se ek raat kahene laga ki kch Maze daar krte hai kch naya us se uske x ke baare me pucha ek uski choot ke honto ko sahelate hue use kaha ki imagine kro wo tumhari chudai kr rha hai usne Mera hath hata kr gusse se so gyi fir har raat mai use ye sb kaheta hum sex me ek 2sre ko Galiya dete wo kamm deti thi bt dheere dheere Maine use convince kr he Lia ki swap ya fir 3sm mujhe cuckolding krni thi fir usne ek shart rakhi ki jo bh krege gaav se bahar fir humne kisi metro city shift hone ke Lie socha jaha meri wife sania ki job bhi lag Jaye aur freedom bhi fir Hume delhi ka offer aya aur ab yaha se kahani start: Sania ek gaav ki ladki hai jo salwar kameez pahe fir hai normal bra and panty. Conflict: Apne past se guilt, husband ke naye desires se dilemma. Seedha kahani pr aata hu lo hum shift ho rhe hain delhi humari train hai sham ki he humne 2tire ac ticket krwaya hai.. sania ko Maine ek raat pahele he deal yaad krwa di thi ki tum ab shuru ho jana train se he mai kaafi excited hu ki ab wo kya kregi usne mujh se promise Kiya hain ab wo uska Naya Roop dikhayegi wo thodi naraz bh hai gussa bhi kyu ki mai har roz chudai k waqt use kaheta hu ki kisi aur ko imagine kr kisi soch ki Hume koi dekh rha hai.. Bt usne kabhi bhav nh diya wo sirf mujhe ha me ha kr k baad me normal ho Jaya krti thi pr Maine 2sal me use convince kr he Lia. 7, Sham ke 6:30 baje Nagpur station platform no 7 pr humari delhi ki aa he rahi thi.. Train platform par ek ajeeb si garmi thi — na sirf hawaon mein, balki mere andar bhi. Hum dono — main aur Sania — 2-Tier AC coach ke gate ke paas khade the. Uske haathon mein ek simple sa sky-blue ka duppatta tha, jo baar-baar uske shoulders se fisal jaata, aur wo thoda gussa hokar usse sambhalti. Main uske chehre pe wohi purani sharam aur bechaini dekh raha tha — lekin is baar kuch aur bhi tha. Ek halki si bijli, ek aankhon mein chhupi hui himmat. Shayad us waade ka asar tha, jo usne kal raat diya tha. “Train se hi shuru kar do, ya phir pehle Delhi pahuchne do?” Maine uske kaan ke paas jhuk kar fusalane wale lehje mein kaha. Usne aankhon se mujhe dekha — thoda gussa, thoda sharmaahat, thoda darr. > “Tumhe to sab mazaak lagta hai…” usne dheere se kaha, “…lekin maine promise kiya hai. Par yaad rakhna, main rules banaungi.” Uska yeh dialogue mere liye chingari tha. Main chahta tha uska naya roop — wo Sania jo apni saari sharm chhod kar meri fantasy ka hissa ban jaye. Aur yeh safar, 18 ghante ka Delhi ka safar, us roop ka pehla stage banne wala tha. Coach mein chadhte hi maine dekha — humare cubicle mein sirf ek aur couple tha, 50s ke honge. Typical conservative types. Perfect. Main Sania ki aankhon mein aankhon daal kar bola, > “Yeh best time hai, unko shock dene ka. Ya sirf mujhe jalane ka…” Usne sirf ek chhoti si smirk di — aur apne bag se pani nikaalte waqt thoda jhuk gayi, jaise normal ho. Lekin us jhukhne mein wo duppatta bilkul fisal gaya. Uske tight salwar kameez ke neeche se wo curves jaise intentionally dikh rahe the. Mujhe samajh aa gaya — khel shuru ho gaya hai. Main jal raha tha. Uska sab kuch mera tha, lekin ab wo sab kuch duniya ko dikhane ka drama hone ja raha tha — mere samne. Train Nagpur se nikal chuki thi. Raat ke 10 baj rahe the. AC coach mein lights dim ho chuki thi, sirf ek halki si yellow light cubicle ke corner mein jal rahi thi. Bahar andhera tha, lekin andar… us andhere mein kuch aur hi roshni thi. Sania ne apna dupatta sirf ek taraf rakha tha — dusre shoulder se bilkul fisla hua, jaise usne jaan kar nahi sambhala. Uski white cotton kameez thodi fit thi — aur main dekh sakta tha, wo andar se bra nahi pehni thi. > “Thand lag rahi hai?” Maine jhuk kar uske kaan mein pucha, halki si muskurahat ke saath. Usne aankhon se mujhe dekha — us nazar mein innocence thi, lekin uske neeche ek chhupa hua challenge bhi. > “Lagni to chahiye tumhe… mujhe to aadat hai.” Uska tone soft tha, lekin usmein teasing thi. Tabhi ek attendant aaya blanket dene. Sania ne usse seedha aankhon mein dekha, aur bina zarurat ke apni kamar thodi si adjust ki — jaise us moment mein wo apne aapko thoda “show” kar rahi ho. Mujhe wo jalane lagi thi — uska har move ab deliberate lag raha tha. Pehli baar mujhe laga ke Sania sirf meri patni nahi rahi… wo ab meri fantasy banne ja rahi hai. Hum dono lower berth par the. Usne blanket liya aur mujhe andar baithne ko kaha, aur khud bahar side par baithi. Uski kamar mere face ke paas thi, aur jaise hi wo thoda lean hui window ke bahar dekhne ke liye — wo thoda aur uthi. Uska white cotton, tight fitting kameez light mein thoda translucent lag raha tha. Main sirf dekhta raha — jalta hua, chahta hua. > “Tum jal rahe ho na?” Usne bina mujhe dekhe kaha. > “Haan. Aur tum maze le rahi ho…” Maine uska haath pakad kar kaha, dheere se kheench kar apne paas bithaya. Usne ek second ke liye aankh band ki, fir bola: > “Bas shuruat hai... Nagpur abhi door gaya hai.” Mera Lund Mano phat jayega mujhe maza to aa raha tha lekin Jalan bh ho rhi thi.. Train ka engine rhythmic awaz kar raha tha — dhak-dhak-dhak — jaise har beat pe meri heartbeat tez hoti ja rahi thi. Raat ke 11:30 ho chuke the, aur coach mein sab log ya to so rahe the, ya mobile screen ke light mein kho gaye the. Main lower berth pe blanket ke andar tha. Sania mere paas aayi — uski aankhon mein ajeeb sa combination tha: sharm, himmat aur control. Wo dheere se andar aayi aur blanket mere saath share kar li. Ek second ke liye hamare chehre sirf 3 inch door the. Uski saans se blanket ke andar ka temperature badh gaya. > “Tumne kaha tha... train se hi shuru karun?” Uska tone ab koi sharam nahi chhupa raha tha. Maine sirf haan mein sir hilaaya. Agli hi second uska haath mere shirt ke andar gaya — thanda, lekin irade garam. Usne dheere se mere chest pe finger ghumai — jaise nayi duniya explore kar rahi ho. Phir uska haath neeche ki taraf gaya… Click. Mera belt khul gaya. Blanket ke andar kuch hone laga tha, jo koi dekh nahi sakta tha… lekin agar koi pass se guzarta, to us movement ko feel zarur karta. Sania ne pehli baar mujhe aankhon mein dekh kar kiya — bina dare, bina ruke. Uski saans tez ho rahi thi, lekin haath steady. Wo slow tease se mujhe torture kar rahi thi — jaise har second mein control uske haath mein jaa raha ho. Main haath badhata hoon, uska dupatta side karta hoon. Jaise hi main uske kurte ke neeche haath le jaata hoon — > “Nahi,” wo kehti hai, “aaj sirf main… tum sirf feel karo.” Wo mujhe kar raha hai — fully. Blanket ke andar meri kamar ke aas-paas uska har touch fire ki tarah lag raha hai. Har second mein wo mujhe jalane aur rulaane dono ka kaam kar rahi thi. Mere lips uske shoulder pe lagte hain, lekin wo kehti hai: > “Control… warna log jag jaayenge.” Aur tabhi — train rukti hai ek chhoti station pe. Bahar ek ladka platform pe aake khidki ke paas khada ho jaata hai. Sania us moment ka use karti hai — apni kamar halki si uthakar uske saamne se guzarti hai, us tarah jisme uski kamar ki curve seedha us ladke ki nazar tak jaye. Wo ladka confused hai… kuch samajh nahi raha… aur main blanket ke neeche uska toy bana hua hoon. Mujhe laga mera lund phat jayeunga — lekin yeh hi to game hai. Next part me hum delhi pahoch kr ky krege wo batauga.. koi real bull ho to msg kro email me ya koi couple

ऑफिस गर्ल चुदाई का मजा मुझे दिया मेरी एक नयी आई सहकर्मी ने! उससे मेरी दोस्ती हो गयी थी तो उसने मुझे अपने जन्मदिन पर घर बुलाया.

मेरा नाम राजवीर है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच है और मेरी बॉडी भी ठीक-ठाक ही है. मेरे लंड का साइज सामान्य से बड़ा है जो किसी भी औरत के बच्चेदानी तक आराम से पहुंच जाता है.

मैं एक होटल में काम करता हूँ और वहीं की एक लड़की को मैंने चोदा था.
वह सब कैसे हुआ, उसी Xxx ऑफिस गर्ल चुदाई कहानी को आज मैं आप सभी से साझा कर रहा हूँ.

उस लड़की का नाम मनीषा था.
वह मेरी होटल में जॉब के लिए आई और मेरे बॉस ने उसको काम पर रख लिया.

अब वह मेरे साथ काम करने लगी.
जब वह आई, तो मैं उसके पास नहीं बैठता था, उससे दूर ही रहता था.

धीरे धीरे मनीषा मुझे बात करने लगी.
फिर ऑफिस के काम की वजह से उसने मेरा नंबर भी ले लिया और हमारी बात होने लगी.

मैं अब भी मनीषा के पास नहीं बैठता था तो वह मुझे व्हाट्सैप पर मैसेज करती कि क्या हुआ, मेरे पास क्यों नहीं बैठ रहे हो, मुझसे दूर क्यों बैठे हो!

तो मैं उससे कह देता- मुझे अच्छा नहीं लगता, इसलिए दूर रहता हूँ.
मनीषा- अच्छा, मैं आपको अच्छी नहीं लगती?
मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है.
मनीषा- फिर कैसी बात है?
मैं- बस ऐसे ही.

वह मुझसे देर तक बात करना चाहती थी.
लेकिन मैं ही न जाने क्यों उससे अपने आपको दूर रखने की कोशिश करता था.

तब भी उसकी लगातार कोशिशों से धीरे धीरे हमारी बातें होने लगीं और मुझे वह काफी अच्छी लगने लगी.

उसकी आत्मीयता भरी बातें मुझे उसके करीब खींचती ले गईं और हम दोनों काफी अंतरंग होने लगे.
अब हमारा रोज मिलना भी होने लगा.

हालांकि अब तक हम दोनों के बीच प्यार जैसा कुछ भी इजहार नहीं हुआ था.
तब भी हमारे बीच दोस्ती कुछ ऐसी हो गई थी कि देखने वाला यही समझे कि हम दोनों लव कपल हैं.

कभी मनीषा मुझसे कहती कि चाय पिलाओ तो मैं उससे हंस कर कह देता कि नहीं आज तुम पिलाओ.

हम दोनों हंसी मजाक करते हुए एकदम बचपन के दोस्तों की तरह लड़ने लगते.

कभी वह मुझसे कहती कि आज यहां जाना है … आप मेरे साथ चलो.
मैं पहले मना कर देता कि मैं नहीं जा रहा हूँ. मेरे पास टाइम नहीं है.
तो वह मुझसे लड़ कर हक से चलने की कहने लगती.
फिर बस मैं उसको लेकर निकल जाता था.

इसी तरह वह मेरी जरूरत जैसी बन गई थी.

एक दिन उसने कहा- मेरा जन्मदिन है और मैंने पार्टी रखी है. आपको जरूर आना है.

मैं शाम को तैयार होकर उसकी पार्टी में गया.
लेकिन उधर पार्टी में कोई था ही नहीं!

मैंने उससे पूछा- बाकी सब लोग कहां हैं?
उसने कहा- कोई भी नहीं है, बस मैंने आपको ही बुलाया है.

मैंने उससे पूछा- केवल मुझे क्यों?
तो उसने कहा- मेरा यहां कोई नहीं है. मेरी फैमिली वाले सभी बाहर रहते हैं.
मैंने कहा- चलो, कोई बात नहीं. पार्टी करते हैं.

उसने केक के अलावा खाने में और भी बहुत कुछ बनाया था.

हम दोनों ने केक कटिंग की और मैंने उसको गिफ्ट दिया.
उसके बाद खाना खाया और मैं जाने की सोचने लगा.

मैंने उससे कहा- बहुत समय हो गया है, अब मैं चलता हूँ.
उसने कहा- आज यहीं रुक जाओ न!

मैंने कहा- नहीं, कल ऑफिस भी जाना है … और काम भी है.

फिर पता नहीं क्या हुआ, उसने मुझसे कहा- राजवीर, मैं आपसे आज कुछ मांग सकती हूँ … मेरा जन्मदिन है!
मैंने कहा- हां मांगो. मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगा.

उसने कहा- मैं आपको पसंद करती हूँ. इसलिए आज आप मेरे पास यहीं रुक जाओ!

मैंने उसकी आंखों में झाँकते हुए कहा- ठीक है, लेकिन अब से तुम मुझे आप नहीं कहोगी.
वह मेरे गले से लग गई और उसने मुझे किस किया.

मैं भी जवान लड़का हूँ, मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ और मैंने भी उसको किस कर लिया.

वह मेरे चुंबन के जवाब में चुंबन देने लगी.
हम दोनों एक दूसरे के साथ दो बिछुड़े प्रेमियों की तरह से प्यार करने लगे.

उस दिन उसने मुझसे कहा- तुम कुछ कहना भूल नहीं रहे हो?
मैंने कहा- क्या?
वह हंस दी और बोली- मैं क्यों बताऊं?

मैं उसकी आंखों में झाँकने लगा और वह भी मेरी आंखों में कुछ खोजने लगी.

कुछ ही देर तक उसकी आंखों में झाँकने से मैं एकदम से सिहर सा उठा और मुझे मानो उसकी आंखों ने ही वह बता दिया था कि मैंने अब तक मनीषा से अपने प्यार का इजहार नहीं किया है.
अगले ही पल मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और मैंने उसके हाथ को अपने होंठों से लगा कर चूमते हुए उससे पूछा- मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ मनीषा, क्या तुम मेरे प्यार को कुबूल करोगी!

उसने मुझे खींच कर उठाया और मेरे सीने से लिपट गई.
हम दोनों एक दूसरे में खोने लगे थे.

धीरे धीरे मैंने उसके और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
उसका बदन देखने लायक था.
तने हुए 34 इंच के दूध और 28 इंच की पतली कमर और 36 इंच की उठी हुई गांड देख कर मेरा दिल खुश हो गया था.

मैंने मन में सोचा कि आज यहां रुकना सफल हो गया. Xxx ऑफिस गर्ल चुदाई का मजा मिलेगा.

हम दोनों ने खूब चूमाचाटी की और बहुत देर देर तक एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच किया.
मैं एक हाथ से उसके मम्मों को धीरे धीरे दबा रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत पर चल रहा था.

उसका भी एक हाथ मेरे बालों में था, जिससे वह मुझे अपनी ओर खींचे हुई थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड की मालिश कर रही थी.

हम दोनों बिस्तर पर आ गए और हम दोनों ने 69 की पोजीशन ले ली.
वह मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था.

दस मिनट की चुसाई के बाद मेरा पानी उसके मुँह में गिर गया और उसका पानी मैंने चाट कर साफ कर दिया.
हम दोनों ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहे.

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत में उंगली करना शुरू किया और उसने मेरे लंड को उपर नीचे, जिससे मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया.

मैंने उसको नीचे लिटाया और उसकी चूत पर अपना लंड रख कर अन्दर डालने लगा.
लेकिन मेरा लंड उसकी चूत में गया ही नहीं.
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.

मैंने उसकी चूत पर थोड़ा सा थूक लगाया और अब लंड लगा कर दबाव डाला तो इस बार मेरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया.
वह आह आह करती हुई दर्द से कराहने लगी.
पर मैं लगा रहा और उसके मुँह से ज्यादा तेज आवाज न निकले इसलिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए थे.

अब मैंने पोजीशन सैट करते हुए एक और जोरदार धक्का लगाया तो इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में धँसता चला गया और सीधा बच्चेदानी के मुँह पर जा लगा.
अब चुदाई का खेल शुरू हो गया था.

पहले तो मैं कुछ देर तक ऐसे ही रुका रहा और उसके मम्मों को सहलाता रहा, उसके मुँह में जीभ डाल कर उसकी लार को पीता रहा.

इससे उसकी पीड़ा खत्म हो गई और उसकी चूत ने लंड से हार मान कर उसे अपनी गहराई में समा लिया.

लंड ने अपनी जगह हासिल कर ली थी तो मेरी कमर ने हिल कर लौड़े को सही से चूत में स्थापित कर दिया था.

कुछ पल बाद मैंने फिर से धक्के देना शुरू किये और उसको ताबड़तोड़ चोदने लगा.
कुछ ही देर में मैं पूरी ताकत से जोर जोर धक्के लगाना लगा.
अब उसको भी मजा आने लगा था और वह भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी.

कुछ बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा.
वह बन भी गई.

मैं उसकी सवारी करने लगा.

पूरे आधा घंटा की चुदाई के बाद मेरा लंड फूलने लगा और उसकी चूत में टाइट चलने लगा.
वह भी समझ गई थी कि मेरे लंड से लावा फूटने वाला है, तो वह भी जोर जोर से धक्के खाने लगी थी.

कुछ ही पल बाद मैंने उसकी चूत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया.
बाद में उसने बताया कि वह पूरी चुदाई के दौरान तीन बार झड़ चुकी थी.

फिर मैंने टाइम देखा, तो रात के 12 बज गए थे.
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उसको एक बार और चोदा.

फिर हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.

सुबह मेरी आंख 5 बजे खुली, तो वह मेरी बांहों में दबी हुई नंगी सो रही थी.
मैंने उसके पैर फैला दिए और उसकी चूत में एक बार फिर से लंड पेल दिया.

वह भी जाग गई और लंड से लोहा लेने लगी.
मैंने उसको बहुत देर तक खूब तेज तेज चोदा और उसकी चूत में ही अपना वीर्य टपका दिया.

उसके बाद मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया और कुछ देर बाद वह भी ऑफिस आ गई.
हम दोनों का ऑफिस का काम पूरे दिन चला.

शाम को 6 बजे बॉस को जानकारी हुई कि मनीषा का जन्मदिन कल निकल गया है तो उन्होंने उसके लिए केक मंगवाया और उसने केक कटिंग की और सबको खिलाया.
फिर सब अपने अपने घर चले गए.

वह वहीं थी.

मैंने उससे कहा- अब तुम भी जाओ और मैं भी निकलता हूँ.
उसने कहा- नहीं अभी रुको.

वह मुझे अपने साथ कमरे में ले गई और बोली- मैंने आपको सही से केक नहीं खिलाया है.

मैंने कहा- कोई बात नहीं, कल पार्टी दी थी न तुमने, तो बस हो गया.
लेकिन वह नहीं मानी.

उसने रूम का दरवाजा बंद करके अपने कपड़े उतार दिए और उसने अपने हाथों से अपने होंठों पर, अपने बूब्स पर और अपनी चूत पर केक लगा कर कहा- मैं तुमको ऐसे केक खिलाना चाहती थी.
मैंने उसको किस किया और उसके होंठों को चाटते हुए केक को खाया.

उसके बाद उसके बूब्स का केक खाया, फिर उसकी चूत का केक खाया.
अब मैंने उससे कहा कि मैं भी तुमको केक खिलाना चाहता हूँ.

वह भी समझ गई थी.
मैंने भी अपने लौड़े पर केक लगा कर उसके मुँह में दे दिया और उसके मुँह को चोदने लगा.

कुछ मिनट की लंड चुसाई के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया.
वापस कुछ मिनट की चुसाई के बाद मैंने उसको होटल के कमरे में चोदा और हमारी यह चुदाई 25 मिनट तक चली.

उसके बाद हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाए और मैंने उसको वहां पुनः चोदा.
उसके बाद हम दोनों कपड़े पहन कर बाहर आ गए.

इसके बाद मैंने उसको बहुत बार चोदा. कभी होटल में, तो कभी उसके रूम पर.

एक दिन मुझे पता चला कि वह अपने मामा से चुदाई करवाती है.
इसलिए मैंने उसको छोड़ दिया.

उसके बाद से मैंने अभी किसी को चोदा नहीं, मेरा लंड आज भी चूत के लिए प्यासा है.

प्रेषक : अंश  Antarvasna

हेल्लो मैं हरजीत, पंजाब से, मैं Antarvasna अन्तर्वासना पर लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। मुझे यह सारी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी ये सब पढ़ने के बाद मुझे मेरी कहानी लिखने का मन किया सो मैं लिख रहा हूँ।

मैं आप लोगों को मेरी ज़िन्दगी में हुई असली और सच्ची सेक्स कथा लिखने जा रहा हूँ। मेरे उसका आकार दस इन्च है। मैं आपको अपनी एक ट्यूशन पर मुझसे पढ़ने आने वाली लड़की की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूं।

जब मैं बाईस साल का था। मैं पार्ट-टाइम के ट्यूशन पढ़ाता था। पाँच साल पहले की बात है उस समय मेरी एक छात्रा थी हरिता। वह बहुत सेक्सी थी, कहने को ११वीं में थी मगर स्तनों का आकार देख कर लगता था कि पूरी जवान है, चलती थी तो कयामत ढा देती थी, पर मैने कभी भी अपनी किसी छात्रा को इस नज़र से नहीं देखा। पर मुझे मेरे कई अन्य विद्यार्थियों से पता लगा कि हरिता एक चुद्दकड़ किस्म की लड़की है। मुझे उन की बात पर विश्वास नहीं हुआ।

जब भी मैं उसके उभरे संतरे जैसे चुचियों को देखता था तो मेरे मन में एक ही ख्याल आता था कि अभी जाकर उनका सारा रस निकालकर पी जाऊं। स्कर्ट पहने हुए उसकी कमर एवं जांघों को देखकर मुंह में पानी आ जाता था। वह कभी भी अपने होंठों पर लिपस्टिक नहीं लगाती थी फिर भी उसके होंठ गुलाबी थे, हर वक्त उसके होंठों को चूसने का दिल करता था।

एक दिन के बात है, मैं पढ़ा रहा था तभी मुझे अपने पैरों पर कुछ अजीब सा महसूस हुआ। जब मैंने देखा तो हरिता अपने पैर से मेरे पैर को सहला रही थी और उसकी आँखों में एक अलग ही नशा था। उस दिन के बाद लगभग एक महीना बीत गया।

फिर एक दिन जब मैं पढ़ा रहा था तो मुझे जाँघ पर किसी के पैर महसूस हुये। मुझे सिगनल मिल चुका था। मैंने उसे बहाने से रविवार को बुलाया। वो दोपहर के समय आई। उसने जीन्स ओर टॉप पहना हुआ था। मैंने दरवाजा खोला जब वो अन्दर आई तो मैंने दरवाजा बन्द कर दिया, उसे उठा कर अपने बेडरूम में ले गया और उसे चूमने लग़ा। उसके बाद मैंने उसके एक स्तन को पकड़ कर दबाया, इतना मजा आया कि क्या बोलूं, उसके बाद मैं अपना हाथ जींस के ऊपर ही उसकी चूत पर फेरने लगा।

अब वो गरम होने लगी, मैंने सबसे पहले उसका टॉप उतारा, अन्दर ब्रा थी, उसके बाद जींस उतारी, फिर उठा कर बिस्तर पर ले गया। वहां अपनी जींस और शर्ट उतार दी। उसके बाद मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके मस्त गोरे गोरे टमाटर जैसे स्तनों को आजाद कर दिया।

उसके बाद मैं उसे दबाने लगा, वोह सिसकियाँ ले रही थी अह ह्ह्ह्ह्ह्छ …ऊओअया अआः … श बहुत मजा आ रहा है जान !

फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी और अपना अंडरवियर भी, वो मेरा लंड देख कर खुश हो गई। उसके बाद मैंने एक ऊँगली उसकी बूर में डाल दी।

वो बोली- हाई…….मै मर गई !

उसके बाद मैं ऊँगली करने लगा, एक हाथ से ऊँगली कर रहा था और एक से उसके बूब्स दबा रहा था।

अब वो पूरी तरह गरम हो गई थी। मैंने उसके बूर से ऊँगली निकाली और खड़ा हो गया। वो भी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया फिर उसने थोड़ी देर तक मेरा लंड चूसा। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया।

वोह चिल्लाई आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह . .. …….धीरे !

उसके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। उसके बाद मैं लेट गया और वो अपनी चूत मेरे लंड पर सेट करके बैठ गई। अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा, जब मैं झड़ने वाला था तो रुक गया और उसके बाद गोद में बिठा के फिर से मारने लगा। करीब १ घंटे तक हमने चोदा-चोदी का खेल खेला। मेरी चूत की प्यास उस दिन ठंडी हो गई। उसके बाद हम दोनों झड़ गए।

उसके बाद जब कभी भी हमे मौका मिला तो हमने हनीमून मनाया, मेरे पढ़ाने के कारण उसे ११वी में ९०% मार्क्स मिले और जब भी छुट्टी में आती है तो हम पूरा एन्जॉय करते हैं।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी Antarvasna

प्रेषिका : दिव्या Antarvasna

रात आने को थी… मेरा Antarvasna दिल धड़कने लगा था। मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी मां मेरे सामने ही चुदेगी ! कैसे चुदेगी … आह्ह्ह चाचा का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा ? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतरने लगा था।

रात का भोजन मैं और मम्मी साथ साथ कर रहे थे।

“मम्मी, एलू अंकल अच्छे है ना… “

“हूं, बहुत अच्छे है … प्यारे भी हैं !”

“प्यारे भी हैं … क्या मतलब … यानि आपको प्यारे हैं ?”

“अरे चुप भी रह ना, वो हमारा कितना ख्याल रखते हैं … घर को अपना ही समझते हैं ना !”

“मम्मी ! उन्हें यहीं रख लो ना … देखो ना उनका अपने अलावा और कौन है ? उनके तो कोई बच्चा भी नहीं है, बिल्कुल अकेले हैं… वो तो मुझे भी बहुत प्यार करते हैं।”

“हां, जानती हूँ… ” फिर मुझे वो मुस्करा कर देखने लगी। खाना खाकर मैं अपने कमरे में चली आई। कुछ ही देर में चाचा आ गये। मम्मी ने मुझे कमरे में झांक कर देखा, उन्हें लगा कि मैं सो गई हूँ। वो चुपचाप अपने कमरे में चली गई और कमरा भीतर से बन्द कर लिया। मैंने अपने लिये लाईव शो का इन्तज़ाम पहले से ही कर रखा था। उनके दरवाजा बन्द करते ही मैं चुपके से कमरे से बाहर आ गई और खिड़की को ठीक से देखा। अन्दर का दृश्य साफ़ नजर आ रहा था। मेरा दिल धड़क रहा था कि मां की चुदाई होगी।

मां धीरे धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थी। उनके पास आ कर वो रुक गई और अपनी बड़ी बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगी।

“माया, तुम कितनी सुन्दर हो … “

मां ने नजर नीची कर ली। अंकल ने आगे बढ़ कर मम्मी को प्यार से गले लगा लिया। मां तो जैसे उनसे चिपट सी गई। दोनों के लब एक दूसरे से मिल गये।

गहरे चुम्बनों का आदान प्रदान होने लगा। मां की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी, मां के भारी भारी चूतड़ों को अंकल ने दबा दिया। मां के मुख से एक प्यारी सी आह निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो हो रहा था। मम्मी ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपना पेटीकोट उनके लण्ड से टकरा दिया। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थी।

अंकल ने अपने दोनों हाथों से मम्मी की चूचियों को सहला कर दबा दिया। मम्मी सिमट सी गई।

“माया, मेरे लण्ड को प्यार करोगी… ?”

मम्मी धीरे से नीचे बैठ गई और उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया। उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का लण्ड बाहर आ गया। सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था। मां ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल दिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली। अंकल के हाथ मां के ब्लाऊज को खोलने में लगे थे। मम्मी ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपना ब्लाऊज उतार दिया।

हाय रे ! मम्मी के उरोज तो सच में बहुत सधे हुये थे। हल्का सा झुकाव लिये, चिकने और अति सुन्दर।

मम्मी ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगी। अंकल के हाथ मम्मी के बालों में चल रहे थे, उनके बाल खुल गये थे। उन्होने मां को अब उठा कर अब खड़ा कर लिया और उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरा दिया।

“माया, मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?”

पहले तो मां शरमा गई। फिर वो बिस्तर पर लेट गई और अपनी दोनों टांगें ऊपर खोल ली।

“हाय … माया … इतनी चिकनी, इतनी प्यारी … लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाये !”

“ऐसे मत बोलो, बस इसे चूम लो, फिर चाहे जो करो। भले ही उसे अन्दर उतार दो !”

मां को चुदने की बहुत लग रही थी, पर अंकल ने अपना मुख मम्मी की चूत पर लगा दिया। उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया। मम्मी अपनी चूत उछालने लगी। मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया। मैं अपने कमरे में से जा कर अंकल का दिया हुआ डिल्डो उठा लाई। पहले तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी।

मां तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी। पर अंकल चूत से चिपके हुये उसका रस चूसने में लगे थे।

“अब तड़पाओ मत … जैसा मैं कहूँ वैसा करो !”

“पीछे घूम जाओ, तुम्हारी चिकनी गाण्ड पहले मारूंगा !”

“ओह, तुम्हें गाण्ड मारना अच्छा लगता है… कोई बात नहीं … दोनों तरफ़ छेद है, किसी को भी चोद दो ! पर पहले मुझे मुठ मार कर दिखाओ ना !”

“ओह, जैसी माया जी की इच्छा… “

चाचा नीचे बैठ गए और मुठ मारने लगे। मां बहुत ध्यान से मुठ मारते हुये देखने लगी। मां के मुख से बीच बीच में सिसकी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को मुठ मारते रहे और मां ने अपनी चूत घिसना चालू कर दिया।

जैसे ही अंकल का वीर्य छलक पड़ा। मां के मुख से भी सीत्कार निकल पड़ी।

“इसमें आपको बहुत मजा आता है ना… ?” उनके लण्ड को मां ने हिलाया, मां ने अंकल को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे उनकी छाती पर घिसने लगी।

“माया, अब तुम्हारी बारी है … चलो शुरू हो जाओ !”

मां भी जमीन पर बैठ गई और अपनी चिकनी चूत को पहले तो सहलाने लगी। फिर चूत की धार को मसलने सी लगी। फिर मां ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगी। फिर उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी अंगुली घुसा ली और आह भरते हुये हस्तमैथुन करने लगी। मां जल्दी ही झड़ गई, वो शायद पहले ही उत्तेजित थी।

मां के झड़ते ही अंकल मां की चूत का रस चूसने लगे। मां ने उन्हें अपनी जांघों के बीच दबा लिया।

“अब देखो, मैं तैयार हूँ, अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूंगा… मजा आ जायेगा !”

मां ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी। अंकल तो गाण्ड मारने में उस्ताद थे ही। उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। मुझे देखने में बहुत आनन्द आ रहा था। मम्मी की गाण्ड अंकल ने बहुत देर तक बजाया। मम्मी भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रही।

मम्मी की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।

“जूस पियोगे या दूध लाऊँ?”

“अभी तो दूध ही पियूंगा, फिर जूस… “

मां जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, चाचा ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया।

“कहां जा रही हो, दूध नहीं पिलाओगी क्या ?”

और मां को गुदगुदाते हुये दूध पीने लगे।

हुंह … मां के खूब चूस चूस के पी रहा है … मेरे तो चूसता ही नहीं है !

मां गुदगुदी के मारे सिसकियाँ भरने लगी।

“बहुत प्यारे हो एलू तुम तो … कैसी कैसी शरारते करते हो… “

दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ खेल रहे थे… खेलते हुये उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। अंकल का लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था।

“अब देरी किस बात की है?” मां ने अनुरोध किया।

“बस हो गया ना … अब कल के लिये तो कुछ छोड़ो !”

“बस एक बार, मेरे ऊपर चढ़ जाओ … मुझे शांत कर दो !”

“कहीं कुछ हो गया तो … ?”

“कुछ नहीं होगा, मेरा ऑप्रेशन हो चुका है … अब तो आ जाओ !”

अंकल का चेहरा खिल गया। मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। अंकल उन टांगों के बीच में समा गये। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड मां की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड मां की चूत में घुसता चला गया। मां खुशी से झूम उठी। मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया, मैंने डिल्डो को धीरे से अपनी चूत में घुसा लिया, मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई।

मेरी मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा था। मां की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थी। दोनों गुत्थम-गुत्था हो गये थे। कभी अंकल ऊपर तो कभी मम्मी ऊपर ! खूब जम कर चुदाई हो रही थी। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था। वो एक काम की देवी लग रही थी। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो दोनों आज ही कर डालेंगे।

तभी दोनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा। अरे ! क्या दोनों झड़ चुके थे? सफ़र की इति हो चुकी थी। वो दोनों झड़ चुके थे।

मैं अपने कमरे में आ गई और चूत में डिल्डो को फ़ंसा कर अन्दर बाहर करने लगी। साथ में अंकल को गालियाँ भी देती जा रही थी- साला, बेईमान, झूठा ! मम्मी को तो बुरी तरह चोद दिया और मुझे… हरामी घास भी नहीं डालता है।

अब किसे क्या बताऊं, मैं भी तो जवान हूँ, मुझे भी तो एक मोटा, लम्बा, कड़क … हाय, हां … बस आपके जैसा ही… ऐसा ही तो लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ना है। प्लीज आईये ना !!! Antarvasna

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