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Massage Girl in Agartala: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Agartala who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Agartala that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Agartala massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Agartala who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Agartala massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Agartala massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Agartala who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Agartala employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Agartala helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Agartala

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Agartala at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

रात के साढ़े ग्यारह बज रहे Sex stories थे, होस्टल सुनसान सा हो गया था, मैं बैठ के कुछ पढ़ रही थी तो पड़ोस के रूम में रहनेवाली सोनू आयी।सुनीता भी सोयी नहीं थी। सोनू सुन्दर थी और बातें बहुत अच्छी अच्छी करती थी। मैने उसे देखके चोंक गयी क्योंकि वो सिर्फ़ एक हाफ़ पैंट और ब्रा में थी। मैने कहा, “क्या हुआ सोनू, कपड़े कहां गये?” तो वो हंसी और सुनीता बोली ये तो उसकी नाइट ड्रेस है। वो सीधी गयी औरसुनीता के साथ बैठके बातें करने लगी और मैने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया। वो दोनो हंस रही थीं, थोड़ी देर बाद सोनू बोली, “क्या यार हमेशा पढ़ती रहती है? क्या कलेक्टर बनने का इरादा है?” मैने अपनी किताब को बंद करके बोली “नहीं अभी सोने जा रही हूं, सुबह स्कूल में बच्चों के एक्ज़ाम जो लेने है?” वो फिर हंसती हुई बोली, “तू तो ऐसे पढ़ रही थी मानो बच्चों का नहीं तेरा एक्ज़ाम हो।”

मैं रूम से बाहर आ गयी थी गरमी थी इसीलिये नहाने का सोचा, तो सुनीता बोली, तबियत खराब हो जायेगी, पर सोनू बोली नहाले, मैं नहाने चली गयी। मैं जरा देर तक नहाती हूं। तो शायद आधे घंटे में मैने नहाना खत्म करके रूम में आयी तो सोनू थी। मैने कहा, “कल ओफ़िस नहीं है तुम्हारा? इतनी देर हो गयी अभी तक सोने नहीं गयी।” वो मुझे देखके बोली, “तुम नहाके और भी सुन्दर लगती हो। हाय ये कपड़े उतार दो और यहां आ जाओ ऐश करते है। कल की किसको पड़ी है, जो भी है आज ही है।” मैने हंस दी और बोली “आप लोगों को और कोई काम धंधा है के नहीं?

रात के बारह बजा चुके है और नींद नही है?”

पर जैसे ही मैं मुड़ी और अपने कपबोर्ड से नाइटी निकालने गयी तो सोनू पीछे से आके मुझे जकड़ लिया और राजकुमार स्टाइल में बोली, “जानेमन आज तो हम ऐश करेंगे ही करेंगे।” मैं थोड़ी देर उसे देखी और शरमाती सी बोली, “हाय मैं मर जाउंगी जी।” सब हंस पड़े।

मोना आके दरवाज़े की कुंडी लगा दी और अपने कपड़े खोल दिये, वैसे भी सुनीता बहुत ही सुन्दर थी, इसलिये मुझे बहुत पसंद थी। सोनू बिस्तर के नीचे से एक किताब उठाके लायी, जिसमें लेस्बियन के फोटो थे। और मैने कुछ कहना नहीं था, हम तीनो एक साथ गले मिलने लगे। और एक दूसरे को कस के पकड़ लिया।सुनीता सोनू को किस करने लगी तो सोनू के हाथ मेरे स्तनों पे आ गये और जैसे कि मैने पहले भी कहा था मेरे स्तन काफी सेंसिटिव हैं, इसलिये मैं सिकुड़ सी गयी, तोसुनीता मेरी छाती को चाटने लगी और सोनू मेरे बायें स्तन को अपने मुंह में लेके चूसने लग गयी। और मुझे बिस्तर पे लिटा के दोनो मेरे छाती से सिमट गयी थी।

दोनो मुझे चूस रही थी। तो मैने अपने एक हाथ सेसुनीता की ब्रा का हुक को खोल दिया और उसका स्तनो को हाथों में लेके मसलने लगी। सोनू बहुत तेज़ थी, जैसे हीसुनीता मेरे स्तनो को जोर जोर से चाटने चूसने लगी सोनू नीचे गयी और मेरी चूत पे अपने जीभ रख दिया और मैं जल गयी। वो इतनी अच्छी चूसेगी मैने कल्पना नहीं की थी, वो मेरी चूत को चूसती रही चूसती रही औरसुनीता उठके गयी और सोनू की हाफ़ पैंट तो नीचे खींच ली और उसकी चूत से लिपट गयी। ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था के हम तीन थे और तीनो चूस रहे थे चुसवा भी रहे थे। मैनेसुनीता की चूत पे मुंह डाला और चूसने लगी।सुनीता एक बार बोली के चूत के ऊपर जो छोटी सी एक उंगली जैसी चीज़ होती है उसको क्लाइटोरिस कहते हैं और उसको चूसने में मज़ा आता है, तो मैं कहां रुकने वाली थी, मैने अपनी जीभ से ही उसकी स्लिट को चाटने लगी तो वो जोर जोर से सिसकियां लेने लगी। सोनू बोली, “क्या सारा मज़ा तु ही लेगी क्या? अब पोजिशन बदल देते हैं, कहके वोसुनीता की चूत पे चली गयी और पानी चूत को मेरे सामने दे दी।

मोना की चूत बहुत चिकनी है क्योंकि वो हमेशा उसके बाल साफ़ कर देती थी, सोनू के चूत में छोटे छोटे बाल थे पर उस समय जो मज़ा हमें आ रहा था उसमें जो भी करे अच्छा लगता था। सोनू की क्लाइटोरिस बहुत बड़ी थी और मेरे मुंह में जैसे ही मैने उसे अपने जीभ और दांत से काटा तो वो करांह उठी और बोली, “हाय, ये क्या कर दिया तूने मेरी तो जान ही निकाल दी।” पर मैने चूसना जारी रखा।सुनीता मेरी चूत को चाट रही थी और मेरी स्लिट को ढूंढ रही थी शायद पर नहीं मिल रही थी। तो वो अपनी उंगली मेरी चूत में घुसेड़ने लगी। मरे बदन में कम्पन हुआ, मैने पूरी थरथरा गयी। और सोनू को जोर जोर से चूसने लगी। आधे घंटे के बाद, निचली मंजिल से उषा दीदी पुकारी, “मोना। सो गयी क्या?” तोसुनीता ने चूसना छोड़ के उठ गयी और सोनू भी। बाहर जाकेसुनीता नीचे खड़ी उषा दीदी से बातें करने लगी थी के सोनू बोली, “उसे जाने दे, हम करते हैं, बस और थोड़ी देर फिर में चली जाउंगी”।

हम दोनो ६९ में हो गये और एक दूसरे को चूसने लगे। मैने एक उंगली सोनू की चूत में डालना चाहा लेकिन उसने मना कर दिया। मैने पूछा क्या हुआ तो बोली, “नहीं, इसके अन्दर कुछ मत डाल, ये मेरे पति के लिये है, सिर्फ़ वो इसमें अपना लौड़ा डालेगा।” मैं हंस दी और जोर जोर से चूसने लगी। लेकिन सोनू के चूसने में जो मज़ा मुझे आ रहा था, मुझे यूं लग रहा था मानो मेरे अन्दर से कुछ निकल जायेगा, उषा दीदी बोली थी कि सेक्स करने के बाद चूत से पानी निकलेगा, पर मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था। इसलिये पता नहीं था, पर उस रात, सोनू की जीभ ने वो कमाल कर दिया और मुझे लगा जैसे मेरी चूत में से पानी निकल रहा है।

मैं दीवानी सी हो गयी और सोनू को चूसने लगी तो वो भी थरथरा गयी और थोड़ी देर बाद शायद उसका भी पानी निकल गया। हम दोनो उठे और बाथरूम जाने लगे। वहां अपने आप को साफ़ करते हुए बोली, “सोनू, तूने ये ठीक नहीं किया मेरे साथ, अगर ये सब करना था तो पहले बता देती तो मुझे दो बार नहाना नही पड़ता न?” वो हंसी और बोली, “तो नहाने में तुझे थकान लगती है क्या, तो चल मैं तुझे नहला देती हूं।” और उस रात उन्होने मुझे नहला दिया। रात को रूम में आते आते नीचे सेसुनीता बुला रही थी, “आभा आभा, नीचे आ उषा दीदी बुला रही हैं।”

मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और नीचे गयी तो उषा दीदी के रूम में सीडी चल रही थी, और सिर्फ़ उषा दीदी औरसुनीता ही थी वहां। रात के एक बजने वाले थे और मुझे सुबह स्कूल भी जाना था इसलिये मैने ऊपर जाने को कहा तो उषा दीदी बोली, “यहीं सो जा मैं सुबह तुझे उठा दूंगी।” Sex stories

फिर उसके बाद क्या हुआ ये अगले हिस्से में लिखूंगी।

Antarvasna

आज घर में काफ़ी खुशी का माहौल Antarvasna था। लेकिन मैं सबसे ज्यादा खुश था और होऊँ भी क्यों ना, मेरी शादी जो थी।

शादी के बाद मैं अपनी बीवी सोना को लेकर अभी घर आया था। सोना ने अपना पहला पैर घर के अन्दर रखा और अपने पैर से चावलों का बर्तन गिरा दिया। मेरी माँ और मेरी बहनें उसे लेकर अन्दर चली गई। घर में सब लोग अपने काम में लगे हुए थे, लेकिन मैं रात का इन्तज़ार कर रहा था।

आज मेरी सुहाग रात जो थी।

रात हुई और मैं अपने कमरे में आया, सोना बैड पर मेरा इन्तज़ार कर रही थी, मैंने दरवाजे की कुंडी अन्दर से बन्द कर दी। शायद सोना ने मुझे देखा और अपनी नज़रें झुका लीं। मैं बैड के पास आया और सोना के पास बैठ गया।

बातें करते करते मैंने अपना हाथ सोना की जाँघ पर रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया, अब मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा उठाया और उसके गालों पर चूम लिया। उसने अपनी आँखे बन्द कर लीं। अब मैंने उसके होंठों पर चूमा।

उफ़ऽऽ!!

क्या गुलाब की पंखुड़ी जैसे मलाईदार होंठ थे। मैंने उसके होंठो को चूसना शुरु किया और धीरे धीरे अपने हाथ उसके शरीर पर चलाने लगा। उसकी साँसें तेज होने लगी। मैंने उसके उरोजों पर हाथ रखा और उनको दबाने लगा उसके मुँह से सी… सी… की अवाजें निकलने लगी।

वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु किये, पहले साड़ी, फिर ब्लाउज और फिर पेटिकोट अब वो सिर्फ़ लाल रंग की ब्रा और पैन्टी में थी। उसको इस तरह से देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। उफ़! क्या गजब का बदन था उसका! दूध की तरह सफ़ेद बदन और उसके ऊपर लाल रंग की ब्रा और पैन्टी! सोना बिल्कुल अप्सरा की तरह लग रही थी।

मेरा लंड एकदम खड़ा हो चुका था और पैन्ट फाड कर बाहर आने को बेताब था। मैंने अपना अन्डरवियर छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये और सोना ऊपर आकर उसको बेतहाशा चूमने लगा। अब मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसके दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दिया। क्या मस्त बूब्स थे उसके! एकदम टाईट!

मैं उसके दोनों कबूतरों को चूसने लगा। उसके मुँह से सी… सी… उफ़… हाय… की आवाजें निकलने लगी।

वो कहने लगी- जानेमन और जोर से चूसो! मसल दो इनको!

अब मैंने उसकी पैन्टी को भी उतार दिया। क्या चूत थी उसकी! एकदम गुलाबी! एक भी बाल नहीं था! उसकी चूत की दोनों फांके फडक रही थी।

मैंने पागलों की तरह उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। उसने अपनी दोनों टाँगों को उठा कर मेरे कन्धों पर रख दिया और मेरा सर अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा दिया और बोलने लगी- और जोर से चाटो! आज मेरा सारा पानी निकाल दो मेरे सैंया!

मैं भी उसकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा। मेरा मन ऐसा कर रहा था कि उसकी चूत में ही घुस जाऊँ! मैंने चाट चाट कर उसका सारा पानी निकाल दिया।

अपना अन्डरवियर भी मैंने उतार दिया और अपना 7 इन्च लम्बा और 3 इन्च मोटा लंड उसके हाथ में दे दिया। उसने मेरे लंड को देखा और कहा- इतना मोटा लंड मेरी चूत के अन्दर कैसे घुसेगा?

मैंने कहा- जानेमन घुसेगा तो बाद में, पहले इसका स्वाद तो लो!

उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी। उसने मेरे लंड की चमड़ी को ऊपर से अलग किया और मेरे लंड के सुपाड़े को चूसने लगी। उसके इस तरह से लंड चूसने से मैं पागल हो गया।

अब हम 69 की पोजिशन में आ गये। हाय! क्या चूतड़ थे उसके! एक दम गोल और मोटे मोटे! मैन उसके चूतड़ों को मसलना शुरु कर दिया जिससे वो और उत्तेजित हो गई और जोर जोर से मेरे लंड को चूसने लगी। उसके इस तरह चूसने से मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया।

अब मैंने अपने लंड और उसकी चूत को साफ़ किया और उसको उठा कर बैड पर चित लिटा दिया। मैंने उसकी दोनों टाँगों को अपने कन्धों पर रखा और अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर लगा कर धक्का दिया।
उसके मुँह से आह निकल गई।
उसकी चूत बहुत टाईट थी जिसकी वजह से मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था।

अब मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया जिससे मेरा आधा लंड चूत के अन्दर घुस गया। सोना के मुँह से चिल्लाने की आवाजें निकलने लगी।

उसने कहा- प्लीज बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- थोड़ा तो दर्द होगा ही!
अब मैंने थोड़ा और ज़ोर से धक्का लगाया जिससे मेरा पूरा लंड चूत के अन्दर घुस गया, सोना ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी।

मैंने तुरन्त उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया जिससे उसके मुँह से आवाज नहीं निकले। मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा, फिर धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु किये।

उसका भी दर्द अब थोड़ा कम हो गया था। अब वो भी चुदाई में साथ देने लगी और अपने चूतड़ों को उठा उठा कर धक्के लगाने लगी। मेरे भी धक्के तेज होने लगे थे। पूरे कमरे में बस सी…सी… आह… आह… की आवाजें सुनाई दे रही थी।

सोना भी बोलने लगी- और ज़ोर ज़ोर से चोदो! फाड़ दो मेरी चूत को! आज की रात मत रुकना!

और मैं भी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था। अब मैंने सोना को अपने ऊपर लिया और उसकी चूत में अपने लंड को पेल दिया। अब वो मुझे चोद रही थी। मैं भी उसके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे से धक्के लगा रहा था। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा मुझे पता चल गया कि अब वो झड़ने वाली है।

मैं झटके से उसके ऊपर आ गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। उसने मेरे सारे बदन को जकड़ लिया। मेरे शरीर पर उसके नाखूनों के खरोंचों के निशान पड़ चुके थे। ज़ोर से आवाज करती हुई वो झड़ गई।

अब मैंने और ज़ोर से धक्के लगाने शुरु कर दिये। करीब 10 मिनट तक मैं उसको चोदता रहा अब मैं भी झड़ने के करीब आ रहा था। मैंने उसके दोनों ऊरोज़ो को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्के लगाते हुए झड़ गया और उसके ऊपर ही निढ़ाल पड़ गया।

सोना बोली- समीर तुम्हारा लंड तो कमाल का है! क्या ज़बरदस्त चुदाई करता है।

मैं बोला- जानेमन अभी चुदाइ पूरी कहाँ हुई है! अभी तो पूरी रात पड़ी है।
वो बोली- सच! क्या पूरी रात तुम मुझे ऐसे ही चोदोगे?

मैंने कहा- बिल्कुल और अभी तो तुम्हारी गांड भी मारनी है। तुम्हारे चूतड़ों ने तो मुझे पागल कर दिया है। जब तक तुम्हारी गांड नहीं चुदेगी तब तक सुहाग रात का मज़ा ही कहाँ पूरा होगा।

अब वो मेरे लंड से खेलने लगी। और मेरी दोनों चूंचियों को चूसने लगी। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। वो मेरे लंड को अपने हाथों से आगे पीछे करने लगी।

मैंने उसको उठाया और घोड़ी बना दिया और उसकी चूत को चाटने लगा। मैं अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को भी चोदने लगा।

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी गांड में दबा दिया। मैंने अपने थूक से उसकी गांड को गीला कर दिया और अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर लगा कर ज़ोर से धक्का दिया, मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया।
उसने अपनी गांड को दबा कर कस लिया जिससे मेरा लंड ना आगे हो रहा था और ना ही पीछे। शायद उसको भी गांड मराने में मज़ा रहा था।

अब मैंने ज़ोर से धक्का दिया जिससे मेरा पूरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
अब मैंने धक्के लगाने शुरु किये और वो भी साथ देने लगी, वो भी अपने चूतड़ों को हिला हिला कर धक्के लगाने लगी।
पूरा कमरा धप… धप… की आवाजों से भर गया था।

सोना के मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। उसके मुँह से निकली सिसकारियों की आवाज से मेरे अन्दर उत्तेजना भर गई और मैं और ज़ोर से धक्के लगाने लगा। उसके चूतड़ों से जब मेरी जांघ टकराती तो ऐसा लगता जैसे तबले पर थाप पड़ रही हो।

अब मैंने उसको बिस्तर पर सीधा लिटाया और उसके पैरों को अपने कंधो पर रख कर उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया। मेरा लंड बिना किसी अड़चन के पूरा अन्दर घुस गया और मेरे धक्के फिर से शुरू हो गये। अब मेरे धक्कों में तेजी आती जा रही थी मेरा सारा शरीर अकड़ने लगा और मैं आनन्द की चरम सीमा पर पहुँच कर उसकी गांड में ही झड़ गया।

मैंने अपना लंड उसकी गांड में से निकाला तो फक की आवाज से मेरा लंड बाहर निकल गया और मेरे वीर्य की बूंदें बाहर निकल कर चादर पर गिरने लगी।

सोना को भी बहुत मज़ा आया गांड चुदवा कर। सवेरे के 4 बज चुके थे हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गये। हमारे बिस्तर की चादर पर पड़ी हुई खून और वीर्य की बूंदें सोना की कुंवारी चूत और रात के खेल की सारी कहानी बयान कर रहे थे। Antarvasna

हाय दोस्तो, Antarvasna

खासकर प्यारी-प्यारी महिलाओ, आज Antarvasna मैं अपने जीवन के एक यादगार हसीन दिन की दास्तान सुना रहा हूँ … आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप सब गीले और मस्त हो जायेंगे।

यह बात सन 1996 के दिसम्बर के पहले सप्ताह की है। मैं उन दिनों लख्ननऊ में रहता था और अक्सर बनारस के पास अपने गाँव जाया करता था, वहाँ मेरा लंगोटिया यार डी पी रहता था। हम जब भी मिलते खाने-पीने का दौर चलता।

उस रात को उसने बताया कि कुछ दिन पहले वह और उसके गाँव का एक लड़का चंदौली की नीलम नाम की एक लड़की को अपने फ़्लैट पर स्कूटर से ले आये थे और दिन भर में दोनों ने 3-3 बार चुदाई की थी। लड़की मस्त थी और जम के चुदवाई कराई थी। अगर मैं चाहूँ तो वो कोशिश करके उसको ला सकता है, पर इसके लिये हमें अपनी मारुति कार से चन्दौली चलना पड़ेगा, कार देखकर वह आसानी से तैयार हो जायेगी। (उन दिनो मारुति का क्रेज़ था)।

डी पी ने बताया कि लौण्डिया बहुत ही चुदक्कड़ है तथा थोड़ा बहुत व्हिस्की भी पीती है, थोड़ी व्हिस्की पीकर बहुत ही मज़ा देगी। यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अगले दिन हम दोनों चन्दौली गये और मुझे गली में छोड़कर वह नीलम से मिलने उसके घर चला गया। किसी तरह मौका पाकर उसने मेरे बारे में बताया और साथ में बनारस चलने को कहा। उसने अगले दिन सुबह चलने को कहा तो हम लोग पास ही स्थित अपने गाँव चले गये। नीलम को मैं देख तो पाया नहीं था पर अगले दिन उसके साथ मस्ती की कल्पना से ही मुझे रात भर नींद नहीं आई और रात भर लण्ड महाराज तने ही रहे। दरअसल कई सालों से बीबी के अलावा कोई दूसरी लड़की या औरत मिली ही नहीं थी … स्वाद बदलने की कल्पना से ही मैं बेचैन था।

खैर अगले दिन हम दोनों दोस्त चन्दौली गये और पिछले शाम की तरह मैं गली में अपनी कार में बैठा रहा और डी पी उसके घर में चला गया। करीब आधे घण्टे बाद वह बाहर आया और बोला कि एक समस्या आ गई है। दरअसल नीलम को कुछ बहाना बना के घर से जाना था तो उसका छोटा भाई जो दसवीं में पढ़ता था वह भी कार देखकर साथ चलने की जिद करने लगा तो घर वालों ने कहा उसको भी लेती जाओ। नीलम ने डी पी को इशारा किया कि लेते चलो कोई रास्ता निकल आयेगा ।

उसने कहा कि थोड़ा रिस्क तो है पर चलते हैं कोई न कोई रास्ता तो निकलेगा ही।

कुछ देर बाद हम चारों चल दिये। डी पी नीलम के साथ कार में पीछे बैठा और रास्ते में ही उसने मेरे बारे में बताकर साथ रात गुजारने की पेशकश की तो वह झट तैयार हो गई (बाद में उसने बताया कि मेरा भव्य व्यक्तित्व देखकर उसका मन खुद ही मुझसे चुदवाने को मचलने लगा था) वैसे वह तो जान ही रही थी कि डी पी इसी काम के लिये बनारस ले जा रहा है। हाँ उसने साफ़ कह दिया कि उस दिन की तरह दोनों को नहीं झेल पायेगी, दरअसल वह मुझसे पूरी मस्ती के मूड में थी। डी पी ने भी उसे बता दिया कि मैं काफ़ी शौकीन हूँ तथा किसी अच्छे होटल में ही रात गुजारूँगा, अच्छा खाना … अच्छी शराब और नीलम का शबाब … बस मस्ती ही मस्ती … ।

उन दोनों ने योजना बनाई कि डी पी अपनी दुकान पर पाण्डेपुर उतर जायेगा और हम तीनों दिन भर सारनाथ घूमेंगे तथा शाम को डी पी नीलम के भाई को अपने फ़्लैट पर यह कह कर लेता जायेगा कि मुझे नीलम को किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से किसी जरूरी काम के सिलसिले में मिलाना है। दरअसल नीलम उन दिनों थोड़ी-2 राजनीति और समाजसेवा में शुरुआत कर रही थी तथा उसके अभिभावक भी उसके बाहर आने-जाने तथा कभी-2 रात में भी बाहर रुक जाने पर आपत्ति नहीं करते थे। रात बाहर रुकने के लिये वह कोई न कोई बहाना बना देती थी और हम दोनों उन्हें छोड़ कर किसी होटल में जाकर रात गुजारेंगे, उसके भाई को डी पी कुछ बहाना बना कर हमारे फ़्लैट पर न लौटने का कारण बता कर फ़ुसला लेगा।

नीलम करीब 22 साल की दुबली पतली सी गोरी लड़की थी, उसका चेहरा मोहरा औसत ही था वह देखने में कोई खास तो नहीं लग रही थी पर बुरे काम के लिये बुरी नहीं थी … और डी पी ने उसके चुदवाने की जो तारीफ़ की थी तथा जिस बाँकी नज़र से वो मुझे देख रही थी … आ … ह … ह … ह … मेरा दिल तो बल्ले-बल्ले कर रहा था।इधर कई सालों से बस अपनी धर्मपत्नी के साथ धर्म की चुदाई ही करता रहा, कभी स्वाद बदलने का मौका ही नहीं मिला, इसलिये भी मैं अत्यन्त उत्तेजित था … बस अब मन्जिल कुछ घण्टों की दूरी पर थी … बस एक काँटा नीलम का भाई था, डी पी के बनाये प्लान के मुताबिक शाम को वह सेट हो जाये तो रात अपनी थी।

हम तीनों दिन भर सारनाथ घूमते रहे। बीच-2 में उसके भाई को कहीं किसी बहाने से भेजकर हम सम्भावित मस्ती की बातें भी कर ले रहे थे। दोनों का ही इन्तज़ार में बुरा हाल था। एक बार तो उसको कहीं भेज कर हम दोनों कार लेकर फ़ुर्र हो गये और करीब आधे घण्टे बाद लौटे और बहाना बना दिया कि आशापुर चले गये थे सर दर्द की दवा लेने।

नीलम ने बड़ी ही बेबाकी से बताया कि उसे सेक्स की बड़ी प्यास रहती है परन्तु अच्छे साथी तथा मौका नहीं मिल पाता। मेरे यह कहने पर कि तने लण्ड के कारण मेरा बुरा हाल है, वह बोली कि मेरी भी तो पैण्टी गीली हो रही है, क्या करूँ?

मैंने पूछा कि गरम होने पर कैसे शान्त होती हो तो वो बोली- जब कोई उपाय नहीं होता तो काफ़ी देर तक ठण्डे पानी से नहाती हूँ तो तन की गरमी शान्त हो जाती है।

लन्च के समय वह मेरे बगल में बैठी तथा अपनी जाँघों से मेरी जाँघ रगड़ती रही तथा मौका पाकर पैण्ट के उपर से मेरे लण्ड को सहला देती। उसकी हरकतों से मैं तो पागल हो रहा था और शाम होने का इन्तज़ार बहुत खल रहा था। यही हाल कमोबेश नीलम का भी था। मन तो कर रहा था कि नीलम को लेकर सारनाथ के आस पास के किसी अरहर या गन्ने के खेत में घुस जाँऊ … और …

तो भैया किसी तरह दिन ढला और शाम हुई और हम वापस पाण्डेपुर पहुँचे और डी पी उसके भाई को लेकर अपने फ़्लैट पर चला गया और मैं नीलम को लेकर होटल की तलाश में। चूँकि शाम हो चुकी थी अतः 2-3 होटलों में जगह नहीं मिलने के बाद कैन्टोमेन्ट के एक अच्छे होटल में अपने बज़ट में कमरा मिल गया। तकरीबन आठ बजे हम कमरे में चेक-इन किया और दरवाजा बन्द करते ही नीलम मुझसे जोर से चिपट गई और लगी मुझे चूमने … वाह क्या चीज थी नीलम भी … क्या प्यास था उसकी आँखों में … क्या उत्तेजना थी … मैं तो एकदम गरमा गया और उसे जोर से अपने सीने में भींच कर उसके गालों पर चुम्बनों की बौछार कर दी।

वह भी दोगुने जोश से पलटवार कर रही थी … यानि मेरे गालों पर और होठों पर अपने चुम्बनों की बौछार शुरू कर दी … खड़े-खड़े ही हम दोनों गुत्थम-गुत्था होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे … दोनों मानो एक दूजे के होंठों को खा जाना चाहते हों। होठों का ज्वार कुछ कम हुआ तो दोनों बिस्तर पर आये और मैंने उसकी चूँचियों को ऊपर से दबाना शुरू किया। नीलम की चूँचियाँ छोटी-2 थी, पर उत्तेजना से कड़ी हो गई थी। मैंने उसकी शमीज उतार दी, अन्दर वह किशोरियों वाली अन्डर-शमीज पहने थी … कोई जवान की तरह ब्रा नहीं पहने थी, यह देख कर मुझे हँसी आ गई तो उसने पूछा- हँस क्यों रहे हो ?

मैंने कहा- तुम्हारी अन्डर-शमीज देख कर मुझे लग रहा है कोई स्कूल की छोकरी को फ़ुसला कर गलत काम कर रहा हूँ।

इस पर नीलम बोली- चूँचियाँ छोटी-2 हैं, अतः ब्रा नहीं पहनती, परन्तु आपको मुझसे पूरी मस्ती मिलेगी ! मैं कोई कुवाँरी नहीं हूँ, खेली-खाई हूँ, चूँचियों की कसर मेरे निप्पल चूस-2 कर निकाल लीजिये … चाहे जितने जोर से चूसिये, मैं उफ़्फ़ नहीं करूँगी … चाहो तो निप्पल काट लो मेरे राजा … अब देर मत करो मेरे ठाकुर साहब ..

यह कह कर उसने अपना निप्पल मेरे मुँह में घुसा दिया … और मैं लगा चूसने ! उसकी घुण्डियों को दाँतो से हौले-2 काटता हुआ !

और नीलम उत्तेजना से पागल हो के मेरा पैण्ट खोल के अण्डरवीयर से लण्ड बाहर निकाल कर हाथों से सहलाने लगी … मैं भी सलवार के ऊपर से उसकी पैण्टी के अन्दर उसके गरम होती चूत को सहलाने लगा … ओफ़्फ़् … सहलाते ही नीलम मचल उठी और जोर-2 से मेरे लण्ड को दबाने लगी और मेरे कपड़े उतरने लगी। और बोली- अब नहीं सहा जाता ! जल्दी से मेरी बुर में अपना लण्ड पेल कर मेरी बुर की प्यास बुझाइये मेरे सरकार … अब और नहीं सहा जाता !

मैंने उसकी सलवार और पैन्टी उतार के उसे पूरा नंगा किया और उसको सीधा लिटा कर दोनों टाँगें उठा कर बुर को ऊपर उठा कर उसकी बुर के मुँह पर अपना टनटनाया लण्ड रगड़ने लगा … नीलम तो जैसे पागल हो गई … मेरे गले में बाँहें डालकर जोर से मेरा एक चुम्मा लेकर बोली … अब पेलो नाऽऽऽऽ आऽऽऽऽआ … क्यों तड़पा रहे हो राजाऽआऽआऽआ …

मैंने उसकी चूत के मुँह पर लण्ड रखा और लण्ड को घुसाया …

सुपाड़ा जाते ही वो सिसकारी मारते हुए बोली … आआ आआहह हहह … रुको मत मेरे दोस्त ,पूरा लौड़ा पेल दो एक साथ … ओह … ह … ह … ह … चिन्ता मत करो राजा मैं देखने में बच्ची जरूर लगती हूँ पर कोरी नहीं हूँ, पेल दो जोर से … भले ही फ़ट जाये नीलम की बुर … बस क्या था, मैं तो बौखला गया और एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया …

उसने उफ़्फ़ करके मुझे जकड़ लिया और मेरे सीने से चिपट गई और मेरे निप्पल को चाटने लगी। मैं थोड़ी देर वैसे ही लण्ड देव को चूत की गुफ़ा में डालकर विश्राम करने लगा, जब एकाध मिनट तक कोई हरकत नहीं हुई तो नीलम खुद ही अपनी चूत को हिलाने लगी और मेरे गालों को सहलाते हुए कान में बोली- राजा जी, अब और ना तड़पाओ … अब चोद डालो नीलम को … मारो धक्का … अब मत रुको जानू …

बस भैय्या, मैं तो शुरू हो गया और दे दनादन धक्का लगा कर नीलम की बुर को चोदने … हचा … हच् … हच् … हच् … हच् … फ़च् … फ़च् … फ़चा … फ़च् … फ़च् … फ़च् … सटा-सट् … सट … पूरा कमरा फ़च-फ़च और नीलम की सिसकरियों से गूंज उठा … वो जोर-2 से अपने चूतड़ उठा कर मुझे जकड़ कर मेरे होंठ चूसने लगी और मुझे ललकारते हुए अपनी बुर को फ़ाड़ देने के लिये उकसाने लगी।

बड़ी देर तक मैं नीलम की बुर की चुदाई करता रहा। कमरे में बस हमारे साँसो तथा फ़चा-फ़च … और बीच-2 में उसकी सिसकारियों की आवाज आ रही थी। ज्यादा गीली होने पर मैंने तौलिये से अपना लण्ड और उसकी चूत साफ़ की और फ़िर से चोदना शुरू किया..

काफ़ी देर बाद हम दोनों ही लगभग एक साथ झड़े और उसने मुझे जकड़ लिया और हम दोनों लस्त-पस्त होकर सो गये।

शेष अगले भाग में ! Antarvasna

Indian Sex Stories

दोस्तों मेरा नाम श्याम है। मैंने अन्तर्वासना Indian Sex Stories में पहले भी अपनी एक चुदाई के बारे में लिखा था।

मुझे बचपन से ही लड़कियों का साथ पसंद था, लड़को में कम बैठता था। मैं बहुत चिकना हूं और मेरे शरीर पर बाल नहीं हैं, मेरी गोल मोल गाण्ड है गुलाबी होंठ ! लड़की से ज्यादा मटक के चलता हूँ।

अब पिछ्ले भाग से आगे :

अगले दिन मम्मी पापा दिल्ली गए थे, घर मैं दादा-दादी और छोटी बहन थी।

मैंने कहा- आज मैं प्रीत के घर नोट्स बनाऊंगा, कल सुबह आ जाऊंगा।

मैं उसके बताये समय के मुताबिक जब मोची निकल गया तो मैं अंदर घुस गया तो अन्दर वो दूसरा बंदा था, उसने मुझे पकड़ कर खींच लिया, मैं डर सा गया।

वो बोला- डरता क्यूँ है? मैं ही हूँ !

उसने अपना पाजामा उतार फेंका और सिर्फ़ कच्छे और शर्ट में उसने झट से मेरी पैन्ट खोल कर घुटनों तक सरका दी और मेरा कच्छा भी उतार दिया और हाथ मेरी गोल गाण्ड पे फेरता हुआ बोला- क्या मस्त गाण्ड है ! क्या चिकनी जांघें हैं !

मैंने कहा- मुझे जाने दो !

वो बोला- साले एक बार मजा ले ! फ़िर तू ख़ुद मरवाने आया करेगा !

मैंने कहा- नहीं !

उसने मुझे नीचे पड़े कम्बल पिर पटक दिया मेरे पास आ कर मेरी शर्ट उतार कर मेरे मम्मों को दबाने लगा। मेरी छाती मर्द नहीं औरत जैसे कूली-फ़ूली है।

प्लीज़ छोड़ दो !

उसने अपना कच्छा उतार दिया, उसका काला लण्ड देख मेरी फट गई। उसका ख़ुद का रंग भी काला ही था, बिहारी था, पंजाब में काम करने आया था।

उसने सर से दबाते हुए मेरे मुहं में अपना लण्ड ठूंस दिया। मैं भी चूसने लगा। उसका लण्ड मोटा कम लंबा ज्यादा था इस लिए मुझे चूसने में आसानी लगी।

वो मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा और उसमें ऊँगलीबाज़ी करने लगा, थूक लगा के उसने मेरी गाण्ड खुली की।

तब मैंने सोचा- श्याम ! आज चुदा ही ले !

मैंने ख़ुद को डीला छोड़ विरोध करना छोड़ दिया।

उसके बाद उसने मुझे सीधा ही लिटा के बीच में बैठ तकिया मेरे कूल्हों के नीचे रख उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पे रख दिया और मेरे निपल चूसने लगा, कभी होंठ चूसता !

उसने एक धक्का मारा और लण्ड का सुपाड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया। मेरी तो जान ही निकाल दी उसने !

मैं बोला- छोड़ !

वो बोला- कोई नहीं सुनेगा !

उसने मुझे पहले ही कस लिया था, दूसरे झटके में आधा लण्ड घुस गया, मैं रोने लगा उसको दया न आई और उसने २ धक्के और मार अन्दर तक पेल डाला। मेरी गाण्ड फट गई।

उसने एकदम सारा लण्ड निकाल लिया और कपड़े से खून साफ़ करके पास पड़ा सरसों का तेल लगा फ़िर घुसा दिया। अब उसने दो मिनट रुकते हुए धक्के मारने चालू किए। उसकी रगड़ से मुझे मस्ती मिलने लगी और ख़ुद उकसाने लगा। तेल की वजह से उसने अब मुझे जन्नत दिखा दी, उसकी हर रगड़ से मुझे लगता कि मैं हवा में उड़ रहा हूँ।

साथ मैं वो मेरे निपल चुटकी से मसल देता !

हाय ! चोद मुझे और चोद ! फाड़ दे बाकी बची गाण्ड !

हाय ! साला गाण्डू ! इतने दिन से तड़फा रहा था ! इतनी मस्त चीज़ निकलेगा, पता होता तो कब से चोद देता तु्झे ले खा लण्ड खा लण्ड !

हाय डालता जा !

वो बोला- रांड खाती जा !

फाड़ डाल हां !

बोला- घोड़ी बन जा, असली मुद्रा में डालता हूँ !

पीछे से डालते हुए वो सुपर फास्ट ट्रेन की तरह पेलने लगा।

अचानक से उसने स्पीड और तेज कर दी। स्पीड तेज करते ही वो ढीला सा पड़ गया, उसका माल- गरम माल मेरी गाण्ड में गिरता साफ़ पता चल रहा था। सारा दर्द-खुजली उसने मिटा डाली। हम एक दूसरे की बाँहों में लेट गए।

कुछ देर में मैंने ख़ुद उसका लण्ड मुँह में ले खड़ा कर दिया और खूब चूसने के बाद मैं घोड़ी बन गया। उसने डाल दिया और अब वो जल्दी झड़ने वाला कहाँ था मैं उसके ऊपर बैठ उछलने लगा, चुदने लगा।

पूरी रात अलग अलग तरीकों से चोदता गया। उसने ४ बार मेरी गाण्ड में पानी छोड़ा, गाण्ड का भुरता बना डाला लेकिन इतना मजा आया।

उसकी बात सच निकली कि एक बार गाण्ड मरवा ! ख़ुद कहेगा !

सुबह होने को थी, वो बोला- अब न सो गाण्डू ! आंख लग गई तो लेट हो जाएगा साले !

मैं रौशनी होने की इन्तज़ार करता हुआ उसके लण्ड को लुंगी से निकाल उसकी जांघों पे सर रख चूसने लगा।

उसका लण्ड फ़िर से ऐंठने लगा तो वो बोला- मत जगा इसको ! वरना तेरी सूजी गाण्ड मैं फ़िर डाल दूंगा !

मैं न रुका और चूसता रहा। उसके सुपाड़े को होंठों में अटका कर मजे लेने लगा। मस्ती में उसने थोड़ी गाण्ड नंगी कर छेद पे रखा, फ़िर पेल दिया। कपड़े पहने ही उसने मुझे १० मिनट की चुदाई दी। उसका झड़ा नहीं। मैं ख़ुद हट गया और चलने लगा।

उसने कहा- अब कब आयेगा?

मैंने कहा- शाम को !

वो बोला- आज शाम को उसका एक साथी भी होगा, उसकी शिफ्ट बदल रही है !

मैंने उसकी यह बात सुनी नहीं, निकल आया और किसी कारण शाम को मैं नहीं जा पाया।

उसके बाद एक हफ्ता मैं उस से नहीं मिला।

एक दिन मैं वापिस आते उसके कमरे में चला गया। मैं सीधा अन्दर गया। वहाँ उसका दोस्त भी था तो मैं वापिस चलने लगा।

तभी उसने दोस्त से कहा- यह गाण्डू है, मरवाता है, चूसता भी बहुत है !

दोनों ने मुझे रोक लिया और फ़िर क्या हुआ अगली बार लिखूंगा किस तरह मैं गाण्डू बन गया। अब तक मैं आठ मर्दों के लण्ड ले चुका हूँ।

अगर मेरी चुदाई अन्तर्वासना ने छाप दी तो मैं आपको अपने लिए हर लण्ड के बारे में लिखूंगा।

प्लीज़ ! मेरी विनती है कि मेरी चुदाई ज़रूर छाप देना। बड़ी मेहनत से टाइप करनी पड़ती है। Indian Sex Stories

मेरा नाम सुजाता है, मैं राजकोट के एक गाँव से हूँ। मेरे पति लखनऊ में सरकारी पद पर कार्यरत हैं इसलिए साल में मुश्किल से 25-30 दिन हम साथ गुजारते हैं।
हमारे दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की, दोनों ही दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।

दोस्तो, मैं बाकी लड़कियों या औरतों की तरह नही कहूँगी कि मेरा फिगर ऐसा है वैसा है।
मेरे जिस्म का सही आकार इस तरह से है- मेरे मम्मे 34″ हैं, कमर 38″ और मेरे चूतड़ 42″ के हैं, मेरे मम्मे थोड़े ढीले से ही हैं।

मेरे पति मुझे शुरू से ही संतुष्ट नहीं कर पाते थे, उनका दो मिनट में ही वीर्यपात हो जाता था किन्तु शुरू में मैं इसे ही अपना नसीब मानकर अपनी जिंदगी बिता रही थी।

बात उन दिनों की है जब मेरे पति का लखनऊ तबादला हुआ। तब हम एम पी के एक शहर में रहते थे किन्तु इनका ट्रान्सफर हो जाने के बाद मैं अकेली रह गई थी घर पर।
तब मेरे पति ने मुझे मेरे पति के पिताजी यानि कि मेरे ससुर के पास रहने का सुझाव दिया।
वो एक गाँव में रहते हैं, वहाँ हमारी कुछ पुश्तैनी ज़मीन भी थी। ससुर जी अकेले ही घर रहते थे, सासू माँ की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी। ससुर जी की आँखों की रोशनी और सुनने की क्षमता भी अब कम सी हो गई थी।

मैं अपने ससुर जी के पास रहने आ गई। वहीं मेरी मुलाकात संजू जी से हुई।
हुआ यूँ कि अगले दिन मैं छत पर कपड़े सुखाने गई तो मेरी नज़र सामने वाली छत पर पड़ी।
उस वक़्त संजू जी कसरत कर रहे थे, उन्होंने ऊपर कुछ नहीं पहना था, उनका कसरती जिस्म देखकर तो जैसे मैं मंत्रमुग्ध सी हो गई थी।
5’10” का कद, चौड़ा सीना, उठे हुए चौड़े कंधे, सुंदर चेहरा और उनके कोई तोंद भी नहीं थी, उनको देखकर दिल में कुछ कुछ सा होने लगा था… जब नज़रें मिली तो हम दोनों मुस्करा दिए।

फिर थोड़ी देर बाद वो घर पर आ गये और ससुर जी से बात करने लगे, तब ससुर जी ने हमें मिलवाया।
संजू भी घर पर अकेले रहते हैं, उनकी बीवी 5 साल पहले गुजर चुकी है, दोनों लड़के एम पी से बाहर कहीं जॉब करते हैं।

अब उनका हमारे घर आना जाना काफी ज्यादा हो गया, जल्दी ही हम दोनों की नजदीकियाँ भी बढ़ने लगी।
एक तरफ मैं थी जिसके पति ने कभी न तो पूरी तरह संतुष्ट किया था न ही साथ रहते हैं। दूसरी तरफ संजू जी जिनकी बीवी भी 5 साल पहले उन्हें छोड़ कर जा चुकी थी।
आग दोनों तरफ लगी थी दोस्तों।

एक दिन मैं रसोई में खाना बना रही थी, ससुर जी खेतों में घूमने गये थे, संजू जी रसोई में आये और मेरी कमर मे पीछे से हाथ डाल दिया। मैंने भी थोड़ा शरमाने का एहसास कराया।
किन्तु संजू जी भी जानते थे कि अभी कोई नहीं है घर पर… मैं बाहर जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी और खींच लिया और मैं सीधे उनके सीने से जा लगी।

उन्होंने बिना एक पल गँवाए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
मैं भी जन्मों से प्यार की प्यासी की तरह उनके होंठों को चूमने लगी।
करीब दस मिनट तक हम यों ही एक दूसरे को चूमते रहे।

इतने में ससुर जी के कदमों की आहट हुई तो हम अलग हुए, तब मैंने उन्हें आज रात हमारे स्टोररूम में आने को कहा।
हमारे घर का स्टोर रूम करीब दो कमरों की जगह में बना है जिसमें आराम करने की सारी सुविधाएँ मौजूद हैं।

रात में ससुर जी को खाना खिलाकर अब तो बस उनके आने का इंतजार था।
थोड़ी देर में संजू जी चुपचाप स्टोररूम में आये, आते ही उन्होंने रूम का दरवाजा बंद किया और मुझे अपनी मजबूत बाहों में कस के जकड़ लिया।
मेरी रूह को तो जैसे इसी पल का इंतजार था।
उन्होंने अपने होंठों में मेरे होंठों को ले लिया और दस मिनट तक मुझे चूमते चूसते रहे।
फिर उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरा ब्लाउज भी उतार दिया। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरे 34 साइज़ के मम्मे उनके सामने झूलने लगे।

उन्होंने मेरा एक मम्मा अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे, साथ ही दूसरे मम्मे को अपने हाथ से मसलने लगे।
मेरी एक लम्बे अरसे की प्यास आज बुझ रही थी तो मेरे मुँह से अपनेआप मादक सिसकारियाँ निकलने लगी- ऊम्म्म उम्म्म आहाह्ह आह्ह ऊम्म।
फिर उन्होंने मुझे पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया और अपने कपड़े भी उतार दिए।
जैसा उनका शरीर बलवान और मजबूत था, वैसा ही उनका लिंग भी करीब 8″ लम्बा और 3″ मोटा, मेरे पति से डेढ़ गुना।
उसे देखते ही मेरी आँखों में चमक आ गई।

तब उनका इशारा पाकर मैंने उनके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरु किया।
उसके बाद उन्होंने मुझे लिटाया और अपना बलवान लिंग मेरी चूत पर सेट किया, एक धक्के में ही आधा लिंग चूत में प्रवेश करा दिया। मेरी तो एकदम चीख ही निकल गई।

फिर उन्होंने समझते हुए मेरे मम्मों को सहलाया, मेरे होंठों को चूसा और फिर धीरे धीरे मेरी चूत में अपना लिंग डालने लगे।
दो मिनट बाद मैं भी अपने चूतड़ों को उठाकर उनका साथ देने लगी।

तब उन्होंने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू किये, करीब 15 मिनट तक ऐसे ही मेरी जमकर चुदाई की। इस बीच मेरा तो एक बार पानी भी निकल चुका था पर अभी तक उनका लिंग एकदम तना हुआ था।

फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर पीछे से मेरी चूत में अपना बलिष्ठ लिंग डालकर मेरी चुदाई शुरू की, वो तेज़ तेज़ धक्के मारते रहे।
ऐसे ही बीस मिनट तक मेरी धुआंधार चुदाई की, इसके बाद उन्होंने मुझे अपने ऊपर बैठाकर भी चोदा, करीब 45 मिनट तक मेरी जमकर चुदाई करने के बाद उनके लिंग ने अपना कामरस बाहर निकाला।

उस रात मुझे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मेरी चूत की संतुष्टि की है, मैं तीन बार झड़ी थी, मेरी हालत तो ऐसी हो गई थी कि मैं उठकर वाशरूम तक भी नहीं जा सकती थी।

उस रात हमने एक बार और चुदाई की थी। सुबह ससुर जी के उठने से पहले संजू जी अपने घर चले गये।
तब से आज तक संजू जी और मैं एक दूसरे की काम वासना की तृप्ति करते हैं।
संजू जी मेरे पति के न होने पर मेरा हर तरह से ख्याल रखते हैं।

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