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Massage Girl in North Tripura: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in North Tripura who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in North Tripura that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The North Tripura massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in North Tripura who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your North Tripura massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This North Tripura massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in North Tripura who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in North Tripura employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in North Tripura helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in North Tripura

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in North Tripura at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

दोस्तो, पिछले भाग में अपने पढ़़ा कि Sex Stories आंटी ने किस तरह मुझसे चुदाई करवाई. अब आप आगे की दास्ताँ सुनिए :

एक बार चुदाई का खेल खेलने के बाद आंटी और मेरी प्यास ज्यादा बढ़ गई. लेकिन दो तीन दिनों तक हमें कोई मौका नहीं मिला. दो तीन दिन बाद एक दिन सुबह सुबह मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था कि अचानक आंटी मेरे कमरे में आ गयीं.

मैं उस समय नहा कर निकला था इसलिए मेरे बदन पर केवल अंडरवियर ही था. अन्दर आते ही आँटी ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरा मुरझाया हुआ लंड निकाल लिया और मुंह में भर लिया.

आँटी के मुंह में जाते ही मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया.

थोड़ी देर मेरा लण्ड चूसने के बाद आँटी अलग हो गयीं और अपने बड़े बड़े बूब्स के बीच में हाथ डाल कर दो गोलियाँ निकाली और मेरे हाथ पर रखते हुए बोलीं ‘पप्पू ये गोली खाना खाने के बाद एक अभी और एक शाम को ले लेना. तुम्हारे अंकल की आज रात की पारी है मैं तुझे रात को 11 बजे रोशनी बन्द करके इशारा कर दूँगी तू तैयार रहना. आज तुझे नया खेल सिखाऊंगी.’
इतना कह कर आँटी जल्दी से मेरे कमरे से बाहर चली गयीं और मेरी मॉम से बातें करने लगी.

मैंने गोलियों को देखा तो वो गोलियाँ सेक्स पॉवर बढ़ाने की गोलियाँ थी. मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैं जल्दी से तैयार हो कर नाश्ते के लिए बैठ गया. नाश्ता करने के बाद मैंने एक गोली खाई और कॉलेज चला गया.पूरे दिन कॉलेज में मेरा मन नहीं लगा.

शाम को भी मैंने जल्दी खाना खा कर गोली खा ली और कमरे में आ कर आँटी के इशारे की प्रतीक्षा करने लगा.

गोलियों का असर शुरू हो चुका था और मेरा लण्ड आँटी की बड़ी बड़ी छातियाँ और सफाचट चूत को याद करके खड़ा हो रहा था. हमारे घर में सब लोग जल्दी सो जाया करते हैं इसलिए मैं अपने आँगन में खड़ा हो कर आँटी के इशारे का इंतजार करने लगा.

जैसे ही आँटी ने लाइट बन्द करके मुझे इशारा दिया मैं तुंरत ही उनके घर में कूद गया.
आँटी ने मेरे लिए दरवाजा खुला छोड़ रखा था. मैं पलक झपकते ही आँटी के लिविंग रूम में जा पहुँचा.

आँटी मुझे देखते ही मुझसे लिपट गई और मेरे होठों को अपने होठों में भर कर चूसने लगीं. मैंने भी बिना देर किए अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी जिसे उन्होंने चूसना शुरू कर दिया. मेरे हाथ अब तक आँटी के गाऊन के अन्दर मचल रहे बूब्स तक पहुँच चुके थे.

मैंने उनके बूब्स को दबाना और मसलना चालू कर दिया. कुछ देर तक हम लोग इसी हालत में खड़े रहे और चुम्मा चाटी करते रहे. मैंने खड़े खड़े ही आँटी के गाऊन के हुक खोल दिए और आँटी ने मेरे पजामे का नाड़ा खोल दिया. थोडी ही देर में हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गए.

मैंने आँटी से कहा,’ आँटी आप तो मुझे कोई नया खेल बताने वाली थीं.’ आँटी ने सिस्कारियाँ लेते हुए कहा,’ हाँ राजा …. अभी जल्दी क्या है अभी तो पूरी रात बाकी है. आज तो पूरी रात तुम्हारे लण्ड के नाम है. नए नए तरीके से चुदाई करेंगे और अपनी प्यास बुझाएंगे. बड़ी मुश्किल से ये मौका मिला है.’

आंटी अन्दर से एक दरी ले आयीं और नीचे बिछा कर उस पर सीधी चित्त लेट गयीं. आंटी ने मुझ से कहा कि आ पप्पू अब तू मेरे पैरों की तरफ़ मुंह कर के मेरे ऊपर लेट जा. मैंने भी आज्ञाकारी शिष्य की तरह उनकी बात मानी और उनके पैरों की तरफ़ मुंह कर के उल्टा लेट गया.

अब मेरा मुंह आंटी की खूबसूरत चूत के सामने था और मेरा लंड आंटी के मुंह के बिल्कुल पास. आंटी ने मेरे साढ़े सात इंच लंबे लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. मुझे उनकी इस अदा में जन्नत का मज़ा मिलने लगा. आंटी मेरे मोटे लंड को अपने मुंह मैं अन्दर बाहर करते हुई चूस रहीं थीं.

मैं आंटी की चूत के पास मुंह ले जाकर देख रहा था। तभी आंटी बोलीं,’अरे यार ये देखने की नहीं चूसने की चीज़ है. इसे अपने मुंह में ले और चूस. क्या कभी कोई ब्लू फ़िल्म नहीं देखी क्या. चल शुरू हो जा !’

मैं भी आंटी का आदेश पाते ही आंटी के क्लीन शेव चूत को मुंह में भरने की कोशिश करने लगा लेकिन चूत बड़ी थी और मेरे मुंह में चूत नहीं आ रही थी. मैंने आंटी की फूली हुई चूत की दरार में अपने जीभ डाल दी. अब मैं आंटी की चूत को जीभ से कुरेदने लगा.

थोडी देर चूत में जीभ फिरते ही चूत के मुंह में से पानी आना चालू हो गया, मतलब आंटी की चूत गीली हो गई थी और पानी छोड़ने लगी थी.
उनके नमकीन पानी का स्वाद चखते ही मुझे एक नशा सा होने लगा. उधर आंटी मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने मैं लगीं थीं.

अब मेरी समझ मैं आ गया था की आंटी कौन से नए खेल के बारे मैं बात कर रहीं थीं. आंटी की चूत चूसते चूसते मेरी जीभ आंटी की चूत के दाने से टकरा गई.
दाने पर जीभ टच होते ही आंटी ने नीचे से चूतड़ उछालने शुरू कर दिए और मेरा लंड मुंह से निकाल कर बोली,’हाँ राजा ! ऐसे ही इस दाने.. को चाटो..चूसो इसे… अपने होठों में भर कर चूस मेरे राजा !’

मैंने फिर से आंटी का कहना माना और उनकी चूत की दरार को ऊँगली से चौड़ा करके दाने को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. दो मिनट बाद ही आंटी की हालत ख़राब हो गई. अपने मुंह से लंड निकाल कर उन्होंने जोर जोर से सिस्कारियाँ लेना शुरू कर दिया.

पूरा कमरा उनकी मदमस्त सिस्कारियों से गूंजने लगा. आंटी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं और जोर जोर से बडबडा रही थीं- शाबाश मेरे राजा.. वाह पप्पू.. तू तो जादूगर है रे… आज तूने मेरी बरसों की ख्वाहिश पूरी कर दी… रुकना मत राजाजजजा चूसता रह… पीजाजजजा मुझे .ले ले पी…पूरा पी’
आंटी ने अब नीचे से चूत उछाल उछाल कर मेरे मुंह पर मारना शुरू कर दिया था. मैं भी आंटी को पूरा मज़ा देने के लिए अपनी जीभ उनकी चूत में घुसाकर जीभ से उनको चोदने लगा.

थोडी ही देर में आंटी झड़ने लगी और मेरे मुंह का स्वाद कुछ बदलने लगा. लेकिन मुझे उनकी चूत से निकलने वाला रस बहुत स्वादिष्ट लगा और मैंने तब तक उनकी चूत को चूसना और चाटना बंद नहीं किया जब तक की आंटी ने ख़ुद मुझे रोक नहीं दिया.

आंटी का काम तो हो चुका था लेकिन मेरा लंड अभी तक वैसा ही खड़ा था. मैंने आंटी से कहा ‘ आपका काम तो मेरी जीभ ने करवा दिया अब मेरे काम का क्या होगा?’

आंटी बोली ‘चिंता मत कर ! पप्पू तूने मेरी इच्छा पूरी की है, मैं भी तेरी हर इच्छा पूरी करूंगी. ला अपना लंड मेरे मुंह के पास ला !’

मैंने तुंरत अपना लंड आंटी के मुंह में डाल दिया. अब आंटी मेरे लंड को बड़े प्यार से मुंह में भर कर चूसने लगीं. कभी मेरे सुपाडे को जीभ से चाटने लगती, कभी पूरे लंड को आइस क्रीम की तरह चाटने लगीं. करीब पाँच दस मिनट तक लंड चूस पर भी मेरा पानी नहीं निकला और उसी बीच मेरी निगाह आंटी की गांड पर गई.

मैंने आंटी से कहा ‘आंटी अगर आप बुरा न माने तो मैं आज आपकी गांड मार सकता हूँ?’

आंटी ने हँसते हुऐ कहा ‘क्यों नहीं मेरे राजा ! तुम मेरे किसी भी छेद में लंड डाल सकते हो. लेकिन मैंने बहुत दिनों से गांड में लंड नहीं डलवाया है इसलिए पहले थोड़ा तेल लगा लो, नहीं तो मेरी गांड के साथ साथ तुम्हारा लंड भी छिल जाएगा.’

मैंने तुंरत तेल की शीशी उठाई और काफी सारा तेल लेकर आंटी की गांड के छेद पर लगाया और अपने लंड पर भी चुपड़ लिया. आंटी ने घोडी बनकर गांड मेरे हवाले कर दी. मैंने उनकी गांड पर निशाना लगाया और अपने लंड पर दबाव डाला.

आंटी को थोड़ा सा दर्द हुआ और आंटी चिल्लाईं ‘धीरे धीरे पप्पू ..धीरे करो’

मैंने आंटी की बात पर ध्यान नहीं दिया अब मैं अपने आपे में नहीं था इसलिए मैंने आव देखा न ताव ज़ोर का एक झटका दिया और अपना आधा लंड आंटी की टाइट गांड के अन्दर डाल दिया.

आंटी दर्द के मारे चीख उठीं. लेकिन पूरे घर में कोई नहीं था इसलिए चिंता की कोई बात नहीं थी. मैंने आंटी के मुंह में अपनी ऊँगली डाल दी और एक और करारा धक्का देकर अपना पूरा लंड आंटी की गांड में डाल दिया.

आंटी दर्द के मारे परेशान हो रहीं थीं इस लिए मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया. पाँच दस धक्कों के बाद ही आंटी को मज़ा आने लगा. और उनका दर्द कम होने लगा. आंटी की गांड का छेद काफी टाइट था इसलिए मैं भी थोड़े से धक्कों का बाद ही झड़ने की स्थिति में आ गया.

मैंने आंटी से कहा,’ आंटी मेरा रस कहाँ डलवाना है. गांड में या मुंह में?’

आंटी ने तुंरत उत्तर दिया,’नहीं मेरे राजा आज तो तुम्हारा रस मैं अपने मुंह में ही लूंगी !’

मैंने अपना लंड आंटी की गांड में से निकाल कर उनके मुंह में डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा. आठ दस बार में ही मेरे लंड से पिचकारी छूट गई जो सीधी आंटी के मुंह से होती हुई उनके गले में चली गई.

आंटी ने बिल्कुल भी बुरा नहीं माना और उस रस की एक एक बूँद अपनी जीभ से चाट ली और मेरा लंड पूरा साफ़ कर दिया. अब हम दोनों थोड़ा शांत हो चुके थे.

आंटी ने कहा ‘पप्पू ! अब मैं तुम्हारे लिए दूध लाती हूँ. दूसरी शिफ्ट थोडी देर बाद करेंगे। ‘

दोस्तों दूसरी शिफ्ट की कहानी अगली बार. आप मुझे ज़रूर बताएं कि आप को मेरा अनुभव कैसा लगा. Sex Stories

वैसे मैं पुणे से हूँ.
मैं दिल्ली यूपीएससी की तैयारी करने गया था.

वहां गए हुए मुझे एक ही महीना हुआ था कि मैं बीमार पड़ गया था.
मुझे वहां का खाना हजम नहीं हो रहा था और बार बार पेट खराब हो रहा था.

जब डॉक्टर से चेकअप करवाया तो पता चला पेट में इन्फेक्शन हुआ है.
इसलिए मैं वापस घर चला गया.

जैसे ही घर वापस आया तो घरवालों ने कहा- अगर ऐसी तबीयत खराब करनी है तो पढ़ाई मत करो.

मेरा शरीर इतना दुबला हो गया था कि लग रहा था कि मुझे कोरोना होकर गया हो.
मैंने पापा से कहा- पापा, मुझे वहां का खाना बिल्कुल पसंद नहीं आया. खाना पच ही नहीं रहा.

वैसे बता दूँ कि हमारा परिवार संयुक्त परिवार है.
हमारा एक घर पुणे में है और एक पुणे के पास गांव में है.

मेरे चाचा-चाची, दादाजी और दादीजी गांव वाले घर में रहते हैं और पुणे वाले फ्लैट में मम्मी-पापा, भाई, मेरा चचेरा भाई और चचेरी बहन रहते हैं.

मेरे भाई और बहन पुणे में रह कर अपनी कॉलेज और स्कूल की पढ़ाई करते हैं.

मैंने पापा से जब यह कहा कि वहां का खाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.
तब पापा ने कहा- ठीक ही और उधर किसी दूसरी जगह रह कर ट्राई करके देख ले, अगर पसंद आया तो ठीक … वरना वापस आ जाना और यहां से पढ़ाई कर लेना.

मैं जब वापस गया तब मैंने एक हफ्ते में 5 जगह जाकर उनकी मेस को ट्राई किया.
पर मुझे कोई पसंद नहीं आया.

मेरी पढ़ाई भी अच्छी तो नहीं कहूँगा, हां पर ठीक हो रही थी … तो वापस जाने का बिल्कुल मन नहीं था.

मेरे दादाजी ने पापा से कहा- अगर उसकी पढ़ाई उधर से ठीक हो रही है, तो उसकी चाची को उसके पास भेज देना. इससे उसका खाना भी अच्छा हो जाएगा और तबीयत भी ठीक रहेगी. यहां मेरा खाना उसकी दादी बना लेगी. इधर दो ही लोगों का खाना तो लगेगा.

जब ये बात पापा ने मुझे बताई, तब मैंने हामी भर दी क्योंकि वहां पढ़ाई का बहुत सही माहौल था.

मैंने एक फ्लैट देख लिया और जो जो जरूरी सामान लगने वाला था, वह सब चाँदनी चौक से खरीद लिया.
इसलिए सब कुछ बहुत सस्ते में निपट गया.

लगभग 15 दिन बाद मेरी चाची दिल्ली आ गयी थीं और दस ही दिन में हमारा सब कुछ सैट हो गया था.

मैं सुबह नाश्ता करके 9 बजे लाइब्रेरी चला जाता था.
दोपहर में एक बजे खाना खाने आता था और रात का खाना लगभग साढ़े सात बजे होता था.

अच्छे से दिन गुजर रहे थे. कभी कभार मोमोज वगैरह खाने चाची के साथ चला जाता था.
हमारे फ्लैट में मैंने वाईफ़ाई लगवाया था, तो कभी कभार रूम पर ही पढ़ाई कर लेता था.

बीच बीच में मेरा हस्तमैथुन भी हो जाता था. सब कुछ बहुत सही चल रहा था. तीन महीने तक मेरे किसी भी विचार में चाची नहीं आई थीं.

एक बार की बात है, जब मैं लंड हिला रहा था तो चाची ने मुझे देख लिया था.
मुझे तब पता नहीं लगा था, बाद में चाची ने बताया था.

एक बार ऐसे ही गूगल पर सर्फिंग करते समय मुझे अन्तर्वासना का पता चला था.

वहां एक सेक्स कहानी में मैंने मामी की चुदाई पढ़ी थी.
तब ऐसा खास कुछ ध्यान नहीं गया था पर मेरी नज़र चाची के मम्मों को देखने लगी थी.

अब मैंने ध्यान दिया था कि चाची के बूब्स बहुत बड़े है. हमारी बातें सामान्य ही होती रहती थीं.

अन्तर्वासना की कहानियों में मेरी रुचि बढ़ने लगी थी और साथ ही चाची की चूचियों को देखने का लगाव, सब इतनी तेज़ी से हुआ कि क्या बताऊं.

अब चाची को देखने का मेरा नज़रिया पूरी तरह से बदल गया था.
उसी चक्कर में मैं ज़्यादा समय फ्लैट पर बिताने लगा था.

एक बार चाची ने कहा कि मुझको कुछ कपड़े लेने हैं तो बाजार चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, सरोजिनी मार्केट चलते हैं.

दो दिन बाद हम दोनों बाजार चले गए.
हम दोनों मेट्रो से गए थे.

वहां चाची ने कुछ कपड़े ले लिए.
उनको अपने लिए कुछ अन्दर पहनने वाले कपड़े खरीदने थे पर वे मेरी वजह से थोड़ा झिझक रही थीं.

मुझे समझ में आ गया क्योंकि वे बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.

मैं- चाची आपको कुछ और लेना है क्या?
चाची ने झिझकते हुए कहा- नहीं … अभी और कुछ … नहीं लेना … बस जरा …

मैंने पहले ही फ्लैट पर देखा था कि चाची की ब्रा एक साइड से थोड़ी फट सी गयी थी.
पर मैं भी बात करने में थोड़ा डर रहा था.

लेकिन इतनी दूर आ गए थे और थोड़ी समझदारी भी आ चुकी थी, तो हिम्मत करके मैंने बात को आगे बढ़ाई- चाची, आप देख लीजिए. यहां और भी बहुत कुछ मिलता है … और बहुत सस्ता मिलता है.
चाची- नहीं राज … मुझे और कुछ नहीं लेना!
वे अभी भी थोड़ा अटक अटक कर बात कर रही थीं.

मैं- अरे कपड़ों से याद आया, मुझे अंडरवियर और बनियान लेना है. वह सब और ले लेते हैं, फिर वापस चलते हैं.
चाची- ठीक है.

जब मैंने मेरी अंडरवियर और बनियान ले लिए.
तो ऐसे ही मैंने चाची से थोड़ा खुल कर बात करने की कोशिश की और कामयाब भी हो गया- अरे चाची आपको भी अगर इनरवियर्स लेने हो, तो आप भी ले सकती हैं. यहां सब मिलता है.

चाची पहले तो एकदम से हक्की बक्की होकर देखने लगीं पर कुछ समय बाद वे भी बोलने लगीं- अरे हां, वह भी लेना है.
मैं- ठीक है, आप लेकर आओ. मैं यहीं हूँ शायद आपको मेरा वहां आना सही ना लगे.

चाची- ऐसा कुछ नहीं, तुम भी चलो. इनसे मोलभव कौन करेगा?
जब हम वहां गए तो चाची ने उस दुकानदार से कहा कि उन्हें 30 की ब्रा चाहिए.
तो दुकानदार चाची के चूचे देखता हुआ बोला- जी आपको 30 नहीं 32 साइज़ आएगा!

तभी पता नहीं मुझे क्या हो गया, मैंने बोल दिया- हां, तभी तो पहले वाली ब्रा फट गई है!
पर ये सब मैंने बहुत धीरे बोला, सिर्फ़ चाची को सुनाई दिया था.

यह सुनकर वे भी एकदम से मेरी तरफ देखने लगी थीं.
मुझे लगा अब वे गुस्सा करेंगी.

पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और 32 की ब्रा ले लीं.
चाची ने 3 पीस ले लिए थे.

फिर अब हम दोनों वापस आने लगे.
मेट्रो स्टेशन से थोड़ा पैदल चलना पड़ता है तो मैंने एक ई-रिक्शे को रोक लिया और हम दोनों उस पर बैठ गए.

जब हम दोनों रिक्शे में थे तो उधर का रास्ता थोड़ा खराब था.
रिक्शा अपना संतुलन खो रहा था और वह पूरी तरह से एक तरफ को झुकने लगा था.

चाची ने खुद को संभालने के लिए मेरी जांघ पर हाथ रखा और जोर से पकड़ लिया.

जब रिक्शा ठीक हुआ, तब मुझे लगा कि अब चाची हाथ उठा लेंगी.
पर उन्होंने अपना हाथ वहीं लगाए रखा.

मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वे अपना हाथ धीमे धीमे वहीं पर सरका रही थीं.
उनका लक्ष्य शायद मेरा लंड था.

यह सोच कर ही मेरे अन्दर तो एकदम से झटका सा लगा और अन्दर तक सनसनी सी फैल गई.
मेरा लंड खड़ा होने लगा.

धीरे धीरे उनका हाथ भी लंड के बहुत करीब आने लगा था.

अब तो उनका हाथ सिर्फ़ नाम के लिए जांघ पर था, बाकी तो मेरे लौड़े से टच होने लगा था.
शायद उनको भी लंड की तपिश महसूस हुई होगी और उसकी हलचल का भी अहसास हो गया था.

उन्होंने मुझे देखा और एकदम अलग सा भाव दिया.
उनके चेहरे पर थोड़ी अलग सी मुस्कान स्माइल आ गई थी.

पर उसके बाद चाची ने अपना हाथ हटा लिया था.
हम दोनों मेट्रो से सफर करने के बाद कुछ ही देर बाद अपने फ्लैट पर पहुंच गए.

मैंने चाची से कहा- चाची दुकान पर जो हुआ, उसके लिए सॉरी!
चाची- क्या हुआ? किस बारे में बोल रहे हो तुम?

मैं- अरे चाची, वह आपकी ब्रा फट गई है, मैंने उस बारे में बोल दिया था न!
चाची- अरे राज उसमें क्या है. सच पूछो तो मैं खास उसी की वजह से शॉपिंग के लिए गयी थी. आज पर तुम्हारे सामने कैसे कहूँ, इस वजह से मुझे शर्म आ रही थी.

मैं- अरे उसमें क्या है यार, हम दोनों इतनी बातें तो कर ही सकते हैं. वैसे भी हम लोग एक ऐसे शहर में हैं, जहां यह सब एक साधारण सी बात है. हम लोग इतनी बातें तो कर ही सकते हैं.
चाची- हां सही है राज!

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
अब हम दोनों आपस में थोड़ा खुल कर बातें कर लेते थे.

एक दिन चाची बाहर सब्जी लेने गयी, तो मुझे लगा कि उनको आने में अभी वक्त लगेगा.
मेरा भी हिलाने का बहुत मूड था.

मैंने अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ना चालू किया और कहानी पढ़ कर एकदम से मूड बन गया.
मेरा नहाना भी रह गया था तो मैं कच्छे में ही हो गया था.

मैं अपने बेडरूम में बैठ कर अपने लंड को सहला रहा था.
मैंने अपने 6.5 इंच के लंड को बाहर निकाला और धीरे धीरे हिलाने लगा.

मुझे पता ही नहीं चला कि चाची कब अन्दर आ गई थीं.

मेरा ध्यान जैसे ही उन पर गया, मैं एकदम से बौखला गया.
चाची ने यंग बॉय मास्टरबेशन का नजारा देख लिया था.

उस वक्त मुझे कुछ नहीं सूझा और मैं तुरंत बाथरूम में भाग गया.
मैं बहुत ज्यादा डर सा गया था.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे उनको मुँह दिखाऊं.
उस वक्त हुआ यह था कि चाची पैसे लेकर जाना भूल गयी थीं, इसलिए वे वापस आ गयी थीं.

मैं नहा कर तुरंत लाइब्रेरी चला गया और उनको मैसेज कर दिया कि दोपहर का मेरा खाना मत बनाना चाची, मैं दोस्त के साथ खाना खाने बाहर जा रहा हूँ.

उन्होंने मेरा मैसेज बस देखा और बिना कुछ कहे रह गईं.
अब मेरी और ज्यादा फटी.

रात को जब मैं फ्लैट पर गया तब चाची मोबाइल चला रही थीं.
मैं जाकर चुपचाप अपने बेड पर बैठ गया.

चाची ने मेरी तरफ देखा तो मुझे लगा कि अब वे बहुत गुस्सा करेंगी.

चाची- क्या हुआ राज … सुबह के गए अब आ रहे हो?
मैं चुप रहा.

चाची- बोलो कुछ!
मैं- सॉरी चाची.

चाची- अरे यार वह तो सब नॉर्मल है … तुम इतना क्यों टेंशन ले रहे हो.
मैं- मैं बहुत डर गया था इसलिए दोपहर में भी नहीं आया.

चाची- पागल हो यार तुम … इतना डरने की क्या बात है इसमें! तुम्हीं ने तो कहा था कि हम दिल्ली में रह रहे हैं, यहां ये सब नॉर्मल है. तुम लोगों को हफ्ते में 2 से 3 बार तो हिलाना ही चाहिए. उसी वजह से तुम्हारा मूड भी फ्रेश हो जाता है और पढ़ाई में भी कोई ग़लत असर नहीं पड़ता.
ये सब बातें सुनकर तो मेरे कान बजने लगे थे और मैं एकदम से किसी और दुनिया में खो गया था.

चाची मेरे कंधे को हिलाती हुई बोलीं- राज तुम किसी भी फालतू चीज़ का टेंशन मत लो … तुम बेवजह टेंशन ले रहे हो!
मैं- फिर से सॉरी चाची!

चाची- हां चल ठीक है … कोई बात नहीं, वैसे तुम पर अगर गुस्सा करना होता तो तभी कर देती जब तुम रात को अपने चादर के अन्दर हिला रहे थे, मैं तब भी जागी हुई थी.
मैं- अरे यार मतलब आप पहले ही मुझे पकड़ चुकी हैं?

हम दोनों थोड़ा सहज होकर हल्का हल्का सा हंसने लगे.
चाची मेरे साथ थोड़ा और खुल कर बातें करने लगीं.

Antarvasna Hindi sex stories

इस बार उन्होने Antarvasna ने मेरी पैंट की ज़िप खुद खोली और मेरी बुर पर हाथ फिराया। बुर पर हाथ लगते ही मैं बेचैन हो गई। वो मेरी फूली हुई बुर को मुट्ठी में लेकर भींच रहे थे। मैने बेबसी से अपना सिर थोड़ा सा ऊपर उठा कर भैया का सुपाड़ा चूमा और उसे मुंह में लेने की कोशिश की परंतु उसकी मोटाई के कारण मैने उसे मुंह में लेना उचित न समझा और उसे जीभ निकालकर चाटने लगी।

मेरी गर्म और खुरदरी जीभ के स्पर्श से भैया बुरी तरह आवेशित हो गये। उन्होने आवेश में भरकर मेरी गीली बुर को टटोलते हुये एक झटके से बुर में उंगली घुसा दी। मैं सिसकी भरकर उनके लंड सहित कमर से लिपट गयी। मेरा दिल कर रहा था कि भैया फ़ौरन अपनी उंगली को निकाल कर मेरी बुर में अपना लंड ठूंस दें।

मेरी ये इच्छा भी जल्द ही पूरी हो गयी। भैया मेरी टांगों में हाथ डालकर अपनी तरफ खींचने लगे थे। मैने उनकी इच्छा को समझ कर अपना सिर उनकी जांघों से उतारा और कम्बल के अंदर ही अंदर घूम गयी। अब मेरी टांगें भैया की तरफ थीं और मेरा सिर बर्थ के दूसरे तरफ था। भैया ने अब अपनी टांगों को मेरे बराबर में फैलाया फिर मेरे कूल्हों को उठा कर अपनी टांगों पर चढ़ा लिया और धीरे धीरे कर के पहले मेरी पैंट खींच कर उतार दी और उसके बाद मेरी पैंटी को भी खींच कर उतार दिया अब मैं कम्बल में पूरी तरह नीचे से नंगी थी। अब शायद मेरी बारी थी मैं ने भी भैया के पैंट और अंडर वियर को बहुत प्यार से उतार दिया। अब भैया ने थोड़ा आगे सरक कर मेरी टांगों को खींच कर अपनी कमर के इर्द गिर्द करके पीछे की ओर लिपटवा दिया।

इस समय मैं पूरी की पूरी उनकी टांगो पर बोझ बनी हुयी थी। मेरा सिर उनके पंजों पर रखा हुआ था। मैने ज़रा सा कम्बल हटा कर आसपास की सवारियों पर नज़र डाली सभी नींद में मस्त थे। किसी का भी ध्यान हमारी तरफ़ नहीं था। फिर मेरी नज़र भैया की तरफ पड़ी उनका चेहरा आवेश के कारण लाल भभूका हो रहा था वो मेरी ओर ही देख रहे थे न जाने क्यों उनकी नज़रों से मुझे बहुत शरम आयी और मैने वापस कम्बल के अंदर अपना मुंह छुपा लिया।

भैया ने फिर मेरी बुर को टटोला। मेरी बुर इस समय पूरी तरह रस से भरी हुई थी फिर भी भैया ने ढेर सारा थूक उस पर लगाया और अपने लंड को मेरी बुर पर रखा उनके गर्म सुपाड़े ने मेरे अंदर आग दहका दी फिर उन्होने टटोल कर मेरी बुर के मुहाने को देखा और अच्छी तरह सुपाड़ा बुर के मुंह पर रखने के बाद मेरी जांघें पकड़ कर हल्का सा धक्का दिया मगर लंड अंदर नहीं गया बल्कि ऊपर की ओर हो गया।

भैया ने इसी तरह एक दो बार और कोशिश किया वो आसपास की सवारियों की वजह से बहुत सावधानी बरत रहे थे। इस तरह जब वो लंड न डाल सके तो खीज कर अपने लंड को मेरी बुर के आस पास मसलने लगे। मैने अब शरम त्याग कर मुंह खोला और उन्हें सवालिया निगाहों से देखा। वो बड़ी बेबस निगाहों से मुझे देख रहे थे। मैने सिर और आंखों के इशारे से पूछा “कया हुआ?”

तब वो थोड़े से नीचे झुक कर धीरे से फुसफुसाये, “आस पास सवारियां मौजूद हैं इसलिये मैं आराम से काम करना चाहता था मगर इस तरह होगा ही नहीं, थोड़ी ताकत लगानी पड़ेगी।”

“तो लगाओ न ताकत भैया” मैं उखड़े स्वर में बोली।

“ताकत तो मैं लगा दूंगा परंतु तुम्हे कष्ट होगा क्या बरदाश्त कर लोगी?”

“आप फ़िक्र न करें कितना ही कष्ट क्यों न हो मैं एक उफ़ तक न करूंगी। आप लंड डालने में चाहे पूरी शक्ति ही क्यों न झोंक दें।”

“तब ठीक है मैं अभी अंदर करता हूं” भैया को इतमिनान हो गया।

और इस बार उन्होने दूसरी ही तरकीब से काम लिया। उन्होने उसी तरह बैठे हुये मुझे अपनी टांगों पर उठा कर बिठाया और दोनो को अच्छी तरह कम्बल से लपेटने के बाद मुझे अपने पेत से चिपका कर थोड़ा सा ऊपर किया और इस बार बिल्कुल छत की दिशा में लंड को रखकर और मेरी बुर को टटोलकर उसे अपने सुपाड़े पर टिका दिया। मैं उनके लंड पर बैठ गयी। अभी मैने अपना भार नीचे नहीं गिराया था। मैने सुविधा के लिये भैया के कंधों पर अपने हाथ रख लिये।
भैया ने मेरे कूल्हों को कस कर पकड़ा और मुझसे बोले, “अब एक दम से नीचे बैठ जाओ”

मैं मुस्कुराई और एक तेज़ झटका अपने बदन को देकर उनके लंड पर चपक से बैठ गयी। उधर भैया ने भी मेरे बदन को नीचे की ओर दबाया। अचानक मुझे लगा जैसे कोई तेज़ धार खंजर मेरी बुर में घुस गया हो। मैं तकलीफ़ से बिलबिला गयी। क्योंकि मेरी और भैया की मिली जुली ताकत के कारण उनका विशाल लंड मेरी बुर के बंड दरवाज़े को तोड़ता हुआ अंदर समा गया और मैं सरकती हुयी भैया की गोद में जाकर रुकी।

मैने तड़प कर उठना चाहा परंतु भैया की गिरफ़्त से मैं आज़ाद न हो सकी। अगर ट्रेन में बैठी सवारियों का ख्याल न होता तो मैं बुरी तरह चीख पड़ती। मैं मचलते हुये वापस भैया के पैरों पर पड़ी तो बुर में लंड तनने के कारण मुझे और पीड़ा का सामना करना पड़ा। मैं उनके पैरों पर पड़ी पड़ी बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी।

भैया मुझे हाथों से दिलासा देते हुये मेरी चूचियों को सहला रहे थे। करीब १० मिनट बाद मेरा दर्द कुछ हल्का हुआ तो भैया कूल्हों को हल्के हल्के हिला कर अंदर बाहर करने लगे।

फिर दर्द कम होते होते बिल्कुल ही समाप्त हो गया और मैं असीमित सुख के सागर में गोते लगाने लगी।

भैया धीरे से लंड खींच कर अंदर डाल देते थे। उनके लंड के अंदर बाहर करने से मेरी बुर से चपक चपक की अजीब अजीब सी आवाज़ें पैदा हो रही थीं। मैने अपनी कोहनियों को बर्थ पर टेक कर बदन को ऊपर उठा रखा था और खुद थोड़ा सा आगे सरक कर अपनी बुर को वापस उनके लंड पर ढकेल देती थी।

इस तरह से आधे घंटे तक धीरे धीरे से चोदा चादी का खेल चलता रहा और अंत में मैने जो सुख पाया उसे मैं बयान नहीं कर सकती।

भैया ने टोवल निकाल कर पहले मेरी बुर को पोंछा जो खून और हम दोनो के रज और बीज से सनी हुई थी उसके बाद मैने उनके लंड को पोंछा और फिर बारी बारी से बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुये और कपड़े पहने।

मेरे पूरे बदन में मीठा मीठा दर्द हो रहा था। यहींन से हम दोनो भाई बहन न होकर प्रेमी प्रेमिका बन गये। अब जब भी भैया घर आते मुझे बिना चोदे नहीं मानते हैं मुझे भी उनका इंतज़ार रहता है। मगर अभी तक किसी और को मैने अपना बदन नहीं सौंपा है और न कोई इरादा है Antarvasna

प्रेषक : सुरेश कुमार Hindi Sex Stories

सभी अन्तर्वासना के पाठकों Hindi Sex Stories को सुरेश का एक बार फिर नमस्कार ! मुझे आप लोगों की काफी ईमेल मिली और मैंने भी सभी को जवाब दिया। मैं आज आपको अपने जीवन का एक और वाकया बताना चाहता हूँ जो मेरे साथ कुछ ही दिन पहले हुआ।

एक दिन सुबह मेरे दोस्त राज का फ़ोन आया- सुरेश ! आज एक जुगाड़ आया है, अगर तुम अपना गैंगबैंग करना चाहते हो तो तुंरत फार्म हाउस आ जाओ !

शनिवार का दिन था, मैं भी फ्री था, मैंने अपनी गाड़ी उठाई और उसके फार्म-हाउस पहुँच गया। वहाँ राज और विकी पहले से ही मौजूद थे और शराब का दौर चल रहा था। उनके साथ एक बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की बैठी थी। उन्होंने मुझे भी शामिल होने के लिए कहा और मैं भी उनके साथ बैठ गया और बीयर का कैन ले लिया। उन्होंने मुझे उस लड़की से परिचय कराया। उसका नाम रीना था। वो गुडगाँव के किसी कॉल-सेण्टर में काम करती थी और पार्ट-टाइम यह काम भी करती थी। लड़की काफी बोल्ड थी- एकदम बिंदास स्मोकिंग और ड्रिंकिंग कर रही थी और काफी घुलमिल कर बात कर रही थी, ऐसा नहीं लग रहा था कि वहाँ कोई अनजाना हो !

विकी ने उसको अपने पास बुलाया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। इसी दौरान राज से भी नहीं रुका गया और उसने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिये। मैं भी इंसान था, मैं भी कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था, सो मैंने भी उसकी स्कर्ट की तरफ कूच किया और उसको खोल दिया। कुछ ही सेकंडो में वो गुलाबी ब्रा और चड्डी में थी। हमने भी अपने कपड़े उतार दिये और उसको चूमने लगे। जिसको जो मिला उसने वहीं अपना काम शुरू कर दिया। उसकी टांगों को मैं किस कर रहा था, स्तन राज के कब्जे में थे, होठों पर विकी का कब्जा था। सब अपने काम में मस्त थे। बंदी(लड़की) भी सभी को पूरा साथ दी रही थी। बिल्कुल वैक्सिंग किया हुआ जिस्म था। ऐसा लगा जैसे किसी स्वर्ग की अप्सरा के जिस्म पर तीन शैतान टूट पड़े हों।

लेकिन वो भी पूरा एन्जॉय कर रही थी। मैंने उसकी चड्डी उतार दी। राज ने उसकी ब्रा खोल दी। उसका प्रेम-छिद्र मेरी नजरों के सामने था। एकदम गुलाबी रंग की चूत देख कर मेरा मन करने लगा कि इसको चूस लूँ !

मैं यह सोच ही रहा था कि उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर मेरा मुँह लगा दिया। मेरी झिझक ख़त्म हो चुकी थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा। वो भी मेरे सर को पकड़ कर जोर-जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी। ऊपर राज उसके दोनों स्तन चूस रहा था। विकी जाने क्यों उसके होठों पर ही लगा हुआ था। पांच मिनट में ही उसकी चूत में से पानी आने लगा और वो एकदम से झड़ गई।

तभी विकी ने अपना लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया और वो उसको लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। देखने से ही लगता था कि वो चूसने में कितनी अनुभवी है। मैंने भी अपना लंड निकला और उसकी चूत में घुसा दिया। अब राज बेचारा अपना लंड हाथ में पकड़ कर खड़ा हो गया और बोला- मैं कहाँ डालूँ ?

तभी रीना ने कहा- अभी एक छेद बाकी है !

अब बेचारे ने तेल लगाकर अपना लंड तैयार किया। मैं नीचे लेट गया, रीना मेरे लंड पर आ गई, विकी मेरे सर की तरफ खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। अब राज के लिये रास्ता खुला था। उसने तेल लगाकर अपना लंड उसकी गांड में डालना शुरू किया तो वो चिल्लाने लगी, गालियाँ देने लगी- बहनचोद ! धीरे घुसा ! फाड़ेगा क्या भोसड़ी के ?

पर बहुत देर हो चुकी थी, उस हरामी ने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया था। अब वो और मैं दोनों धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर- बाहर करने लगे। जब वो अंदर करता तो मैं बाहर और जब मैं अंदर तो वो बाहर ! रीना बहुत मस्त तरीके से अपनी गांड आगे पीछे करके हमारे दोनों लंड ले रही थी। वो पागलों की तरह गालियाँ देती जा रही थी और कह रही थी- बहुत मजा आ रहा है बहनचोदो ! मुझे चोदने में असली मजा तो सालो मुझे आ रहा है तीनो का लंड एक साथ लेने में !

अब हमारी भी हिम्मत और स्पीड धीरे-धीरे तेज होने लगी और हम तीनों ने आपस में कहा कि एक साथ तीनों करेंगे और हमने अपना सारा माल एक साथ उसकी चूत, गांड और मुँह में डाल दिया और रीना भी दूसरी बार स्खलित हुई !

कुछ देर उसी हालत में रहने के बाद हमने अपना लंड बाहर निकाला। रीना भी काफी थकी सी लग रही थी। हम बाथरूम में गए और अपना लंड धोकर फ़िर दारू पीने लगे। तभी राज ने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और हमारा मूड दोबारा बनाने लगा।

दस ही मिनट बाद हम दोबारा बिस्तर पे थे। इस बार मुझे रीना की गांड मिली, राज ने उसके मुँह पर कब्जा किया और विकी ने उसकी चूत पर !

और हम फिर शुरू हो गए ! इस बार का राउंड लगभग चालीस मिनट तक चला। इस दौरान रीना तीन बार झड़ी और हम भी अपना सारा माल उसके तीनों छेदों में डाल कर झड़ गए !

हमने होटल से लंच मंगवाया और चारो ने मिलकर बिना कपड़े पहने नंगे ही खाया।

एक घंटा आराम करने के बाद अब हम तीसरे राउंड के लिये तैयार थे !

इस बार मेरा लंड रीना के मुँह में था, राज के लंड ने चूत के दर्शन किये, विकी अब गांड मार रहा था। इस बार चुदाई साठ मिनट तक चली।

रीना बहुत ही हिम्मत वाली लड़की थी जो हम तीनों का पूरा साथ दिए जा रही थी, गजब की चुदासु थी वो, और हम भी चोदूओं की तरह उसको चोदे जा रहे थे। उसकी चूत एकदम फूल कर डबलरोटी जैसी हो गई थी, उसका मुँह लाल हो चुका था, गांड बिल्कुल खुल चुकी थी, पर वो थी कि चुदवाए जा रही थी और हम थे कि चोदे जा रहे थे। साठ मिनट में वो पाँच बार और झड़ी और हम तीनों तीसरी बार फिर एकसाथ उसके तीनों छेदों में झड़ गए।उसके तीनों छेदों में से वीर्य बाहर निकल रहा था। बिस्तर को देख कर ऐसा लगता था कि जैसे कुश्ती का मैच हुआ हो !

हम चारो बिल्कुल थक चुके थे ! हम सो गए। हमारी आँख शाम को आठ बजे खुली। तब रीना सिगरेट पी रही थी, वो बोली- अब मेरे जाने का समय हो गया है, सो मेरी पेमेंट कर दो। राज ने एक दस हज़ार की गड्डी निकाली और उसको दे दी और उसने ख़ुशी-खुशी वो अपने पर्स में डाल ली और बोली- मुझे राजीव चौक पर ड्राप कर दो !

मैंने अपनी गाडी स्टार्ट की और उसको राजीव चौक पर ड्राप करने चल पड़ा।

रास्ते में मैंने उससे पूछा- तुम यह सब किसी मजबूरी में करती हो या क्या कारण है?

तो वो बोली- कुछ मुझे शौक है, कुछ मज़बूरी भी !

उसने बताया कि उसको कई बार उसके बॉय-फ्रेंडस ने चोदा है, वो भी मुफ़्त में ! तो अगर चुदना ही है तो पैसा लेकर चुदा जाए ताकि आम के आम और गुठलियों के दाम ! तो क्या बुरा है ! मेरे पास उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं था, सो राजीव चौक पहुँच कर मैंने उसको हज़ार के पाँच नोट और दिये और गुड बाय किस करके दोबारा मिलने का वादा करके मैं अपने घर आ गया।

आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताएँ ! अगर किसी लड़की ने तीन लंड एक साथ लिये हों तो जरुर लिखे ! Hindi Sex Stories

प्रेषक : राज हेल्लो दोस्तो, Antarvasna Stories

मैं राज मध्यप्रदेश के एक Antarvasna Stories महानगर में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ और हमेशा सोचा करता था कि अपने यौन-अनुभव भी कभी अन्तर्वासना में भेजूंगा।

यूँ तो मैं सेक्स कई बार कर चुका हूँ पर मैं अपने जीवन के कुछ सर्वोत्तम पल आपके साथ बांटना चाहूँगा।

यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था जब मैं गयारहवीं कक्षा में था। मैं एक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ मगर तब तक जीवन में कभी कोई लड़की नहीं पटाई थी। मेरा एक दोस्त था विवेक ! हालांकि हम एक स्कूल में नहीं पढ़ते थे मगर बचपन में साथ खेले और घर पास-पास होने की वजह से हमारी दोस्ती काफी अच्छी थी। हम अक्सर एक दूसरे के घर आते जाते रहते थे। विवेक की एक छोटी बहन थी जो गजब की खूबसूरत थी। मगर हाय री मेरी किस्मत- वो भी मेरे एक दोस्त नीरज से पटी हुई थी।

जब भी उसको देखता था, तो लगता था कि एक मौका तो मिले अभी पकड़ कर बस चोद डालूँ ! दिखने में जितनी सेक्सी थी उतने ही तीखे उसका तेवर थे, चलती थी तो कमर ऐसे मटकाती थी जैसे कोई फ़िल्मी हिरोइन रैंप पर मॉडलिंग करने उतरी हो ! गोरा रंग, लम्बाई ५ फ़ुट ४ इंच के लगभग थी, लम्बे बाल, भरा हुआ बदन, वक्ष-आकार 34 और एकदम चिकनी थी। हाथ रखो तो फिसल जाये ! नीरज एक रईस बाप की औलाद था और उस पर खूब पैसे लुटाता था। दिव्या और नीरज जब भी साथ में होते, या विवेक के गैरहाजिरी में जब कोई मेसेज पहुँचाना होता तो नीरज के लिए मैं ही पोस्टमैन का काम करता।

शुरू शरू में तो मज़ा आता था, बाद में मुझे गुस्सा आने लगा। यह बात दिव्या भी समझ रही थी कि मैं उसके प्रति आकर्षित हूँ, मगर कहती कुछ नहीं थी, शायद इसलिए कि मेरा उसके घर आना-जाना था, और वो हमेशा अपने प्यार को सच्चा प्यार दिखाती थी और कहती थी कि मैं शादी नीरज से करूंगी। सो मैं भी कुछ नहीं कहता, बस अपने काम से मतलब रखता था। कभी कभी मौका मिलता तो इधर उधर से ताक-झांक कर लेता था जैसे कभी मेज़ पर बैठी तो नीचे झुक के चड्डी का रंग देखना, या सामने बैठ के उसके वक्ष को घूरना, मौका मिले तो हाथ भी लगा देता था, मगर कभी उसने कुछ कहा नहीं, बस घूर के देखती थी। भाई का दोस्त होने की वजह से कुछ कहती नहीं थी। शायद डरती थी कि कहीं मैं उसके और नीरज के बारे में विवेक को बता न दूँ।

सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, परीक्षा ख़त्म हो गई थी और अब करियर बनने का समय था। इत्तेफाक से मैंने और दिव्या ने एक ही कोचिंग में प्रवेश लिया और हम दोनों साथ में आते-जाते थे। इसी बीच मैंने एक बार उसको प्रोपोज़ किया मगर उसने मुझे नीरज से पिटवाने की धमकी दी और मैं चुप हो गया। मगर सोचा कि जब मौका मिलेगा तो देख लूँगा !

एक दिन मेरी किस्मत खुल गई।

स्कूल शुरु हो चुके थे और बारिश का मौसम था। मैंने अपने स्कूल के दोस्तों के साथ फिल्म देखने की योजना बनाई। फिल्म थी दिल !

जल्दी पहुंचने की वजह से हम लोगों को पीछे की सीट मिल गई। फिल्म का इंटरवल हुआ लाइट जली तो देखा दिव्या सामने की सीट में थी मगर नीरज के साथ नहीं, किसी और के साथ !

पहले तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर बाद में समझ में आ गया कि यह तो बड़ी चालू है।

खैर मैं भी चुप रहा और ऐसे बैठ गया कि वो मुझे ना देख पाए लेकिन मैं उसे देख सकूँ।

फिल्म के मध्यांतर के बाद मैंने देखा कि वो लड़का उसको इधर-उधर हाथ लगा रहा था और वो हिल-डुल रही थी। समझते देर नहीं लगी कि उनकी चूमा-चाटी चल रही है।

फिल्म ख़त्म हुई तो मैंने अपने दोस्तों से बहाना बना लिया कि मुझे कुछ खरीदना है, तुम लोग घर निकल जाओ।

अब मैंने अपनी बाइक स्टैंड से निकाली और दिव्या और उसके दोस्त का गेट से निकलने का इंतज़ार करने लगा। वो निकले, मैं उनका पीछा करने लगा। थोड़ी दूर ही एक पार्क है, जहाँ दिन के समय कोई आता जाता नहीं है, वो लोग उसमें चले गए, मैंने भी साइड में गाड़ी लगा दी।

मैंने देखा कि वो दोनों कोने में बैठ गए। मैं भी एक पेड़ पर चढ़ कर तमाशा देखने लगा कि देखें क्या करते हैं।

थोड़ी देर बाद लड़का उसके स्तन दबाने लगा। वो भी गरम हो गई थी, लड़के ने उसकी शर्ट अस्त-व्यस्त कर दी थी और उसका एक स्तन बाहर निकाल के चूस रहा था।

मैंने मौका देखा और एकदम से उनके सामने आ गया और दिव्या को एक झापड़ रसीद किया। वो एकदम से सकते में आ गए। दिव्या का एक स्तन अभी भी बाहर था। मैंने उस लड़के को भी दो झापड़ मारे और सीधे दिव्या को डाँटने लगा, कहा- घर चल ! मम्मी पापा और सबको बताऊँगा !

उस लड़के ने सोचा कि मैं कोई उसके घर का हूँ, वो वहाँ से भाग गया। अब मैं और दिव्या वहाँ अकेले रह गए। उसने बहाना बनने की कोशिश की तो मैंने पिक्चर हाल से लेकर अब तक का पीछा करने की सारी बात बता दी और यह भी कहा कि नीरज को सारी बात बता दूँगा और तेरे घर में भी !

वो डर गई और मुझसे माफ़ी मागने लगी।

अब मेरी बारी थी, मैंने उसको धीरे से सहलाया और कहा- ठीक है, पर जो कहूँगा वो करना पड़ेगा !

उसने मुझे तिरछी निगाहों से देखा और कहा- ठीक ! फिर नीचे देखकर कहा- ठीक है, मगर वादा करो कि किसी को कुछ नहीं कहोगे !

मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसके वक्ष पर हाथ रख दिया और दबाते हुए कहा- अब बोलो क्या सब कुछ?

तो उसने कहा- हाँ !

अरे मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी। उसको बाइक पर बिठाया और सीधे उसको लेकर उसके घर पहुँचा। मुझे पता था कि अंकल- आंटी जॉब पर गए होंगे और विवेक चार बजे स्कूल से आएगा… मतलब लगभग दो घंटे थे मेरे पास…

अब हम घर के अन्दर आये, तब तक वो सामान्य हो गई थी। मैंने उससे कहा- एक ग्लास पानी ला दो !

उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर लिया और सीधे उसके पीछे रसोई में चला गया। उसके हाथ में ग्लास था, मैंने पानी पिया और उसको पकड़ लिया।

उसने कहा- राज नहीं, मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो और यहाँ से जाओ…

मैंने कहा- अच्छा ठीक है, जाता हूँ, शाम को आऊँगा और सबको सब कुछ बता दूंगा !

यह कह कर मुड़ गया…..

उसने कहा- तुम ऐसा नहीं करोगे….

तो मैंने कहा- तू कुछ भी करे तो ठीक ! और मैं तुमको प्यार करना चाहता हूँ तो तुमको गलत लगता है…….

वो रोने लगी, मैंने आगे बढ़कर उसके आँसू पौंछे और कहा,”पगली… मैं भी तुमको बहुत चाहता हूँ…. मगर तुमने कभी समझा ही नहीं…….

तो उसने कहा कुछ नहीं मगर प्यार से मुझे पप्पी दे दी……

अब क्या था ! हो गई बल्ले बल्ले……..

मैंने उसको बेडरूम में चलने को कहा तो उसने बोला- कोई आ जायेगा तो क्या करेंगे?

मैं बोला- बोल देना कि ट्यूशन का होमवर्क कर रहे थे।

इसके पहले वो कुछ कह पाती, मैंने उसको अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले आया।

उसने कहा- राज ! कोई आ गया तो क्या होगा? मैंने कहा- मैंने दरवाजा बंद कर दिया है और अब तुम कुछ मत सोचो !

फिर मैंने उससे बेड पर बैठाया और उसके वक्ष पे हाथ फ़ेरते हुए उसके शर्ट के बटन खोल दिए। दिव्या शांत लेटी हुई थी, उसके बदन में कोई भी हरक़त नहीं हो रही थी। अच्छा तो नहीं लग रहा था, मगर मैं यह अवसर जाने नहीं देना चाहता था, सो शर्ट खोलने के बाद उसका स्कर्ट भी खोल दी और अब वो सिर्फ मेरे सामने ब्रा-पेंटी में थी। देर न करते हुए मैंने उसके दोनों अधोवस्त्र भी अलग कर दिए।

वाह, क्या सीन था ! वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी, उसके दोनों स्तन लाजवाब थे, गोल-गोल और उन पर गुलाबी चुचूक देख कर मज़ा आ रहा था।

मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके और उसके पास लेट गया और उसके बालों को सहलाया और गाल पर चूम लिया। मैं यह जान गया था कि अब बाज़ी मेरी है।

मैंने उससे कहा- दिव्या ! अब मेरे तुम्हारे बीच कोई पर्दा नहीं रहा ! तुम मेरा साथ दो और जीवन के मज़े लूटो ! आखिर तुम भी तो यही करना चाहती थी !

ये कहते ही मैं उसके रसीले होंठों को चूमने लगा एक हाथ से उसके गोले मसल रहा था और दूसरे से उसकी जांघ ! और चूत से खेलने लगा।

धीरे धीरे उसके बदन में भी हरक़त होने लगी। तब मैंने उसे कहा- अपनी टाँगे फ़ैलाओ !

तो उसने साथ दिया, मैंने भी देर न करते हुए अपनी जीभ सीधे उसकी चूत में डाल दी और चाटने लगा। थोड़ी देर में वो कसमसाने लगी और उसका पानी चूने लगा।

मैं बोला- तुम भी मेरा पप्पू मुँह में लो !

और यह कहते ही उसके होंठों में मैंने अपना लण्ड रख दिया। मेरे लण्ड को देखते ही वो डर गई क्योंकि मेरे लण्ड का आकार सात इंच का है और काफी तगड़ा है।

वो वोली- इतना मोटा? क्या तुमको कोई बीमारी है?

मैंने कहा- नहीं पगली, यह तो सामान्य है !

तो उसने कहा- नीरज का तो छोटा सा है ! ( दिल में ख़ुशी हो रही थी कि अब वो मुझसे खुल रही है और बात भी कर रही है)

मैंने कहा- तो तुमने उसके साथ सेक्स कर लिया है?

तो वो बोली- नहीं, एक बार उसको सु-सु करते देखा था।

मैंने कहा- अच्छा !

फिर वो बोली- तुम कुछ करना नहीं ! नहीं तो मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा मेरे हिसाब से बहुत बड़ा है !

मैंने कहा- कोशिश करने में क्या जाता है, वैसे लड़कियों की योनि में यह आराम से फिट हो जाता है, प्रकति का नियम है।

तो बोली- नहीं राज ! मुझे डर लग रहा है।

मैंने कहा- अच्छा इसको चूसो तो सही !उसने मुँह खोला और धीरे धीरे करते हुए पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया। मेरा एक हाथ अब भी उसके स्तन मसल रहा था और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।

लगभग पाँच मिनट के बाद मैंने बोला- अब लेटो !

तो वो मना करने लगी।

मैंने बोला- कुछ नहीं होगा !

थोड़ा मनाने के बाद वो मान गई और टाँगें फैला ली, मैंने ऊँगली से उसकी चूत को चौड़ा किया और अपना सुपारा उसमें टिका दिया और धीरे से अन्दर डाला। लगभग एक इंच तक वो वोली- नहीं ! दर्द हो रहा है !

मैंने बोला- पप्पू राजा अपनी जगह बना रहा है, अब मज़ा आएगा ! और बोलते ही तेज़ झटका दिया। लगभग आधा लण्ड अंदर था। वो चीख पड़ी- हाय मर गई ! मरी मैं तो !

मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसके ऊपर लेट कर धीरे धीरे हिलने लगा।

अब उसको भी अच्छा लग रहा था, मगर मुझे अन्दर कोई चीज़ अड़ सी रही थी। फिर मैंने उसके होटों पे अपने होंठ रख दिए और पूरा जोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड एकदम अन्दर चला गया, वो चीख रही थी, उसकी आँखों से आंसू आ गए थे।

मैं शांत हो गया और उसके ऊपर हाथ फेरने लगा। दो-तीन मिनट तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया तो वो बोली- बहुत दर्द ही रहा है ! प्लीज़ निकाल लो !

मैंने कहा- हाँ ! पर अब तो जो होना है हो गया ! तुम मेरी हो गई हो !

उसने भी मुस्कुराते हुए अपनी मुंडी साइड में छिपाने की कोशिश की।

मैंने कह दिया- अब चलो, जिन्दगी के मज़े लूटते हैं !

वो कुछ नहीं बोली। मैं अब अपना शरीर आगे-पीछे करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और अजीब अजीब सी मुखाकृतियाँ बनाते हुए सिसकियाँ ले रही थी। मेरे शरीर के धक्कों के साथ उसके स्तन भी ऊपर-नीचे हो रहे थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

लगभग 15 मिनट के बाद मुझे कुछ होने लगा। इससे पहले कि कुछ समझ पाता, मेरे लण्ड से पिचकारी फ़ूट पड़ी। मेरा वीर्य उसकी चुद में ही गिर गया।

अब मैं निढाल हो गया, धीरे से अपना लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसका बिस्तर खून से लाल था, मेरे लण्ड में भी काफी जलन हो रही थी, दोनों ने एक साथ जो अपना कुवांरापन खोया था और दुनिया के सबसे कीमती सुखों में से एक प्राप्त कर लिया था।

हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और अब उसने अपना सर मेरी छाती पर रख दिया और दोनों आराम से लगभग दस मिनट तक वैसे ही पड़े रहे। बातों ही बातों में मैंने उससे उस लड़के के बारे में जानकारी हासिल कर ली और उसको कहा- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा और यदि तुम ठीक रही तो आगे चल के तुमसे शादी भी कर लूँगा।

उसने मुझे पहली बार अपने मन से एक पप्पी दी, मुझे बहुत अच्छा लगा।

तभी समय देखा तो साढ़े तीन हो रहे थे। मैं उठा और कहा- अब विवेक आने वाला है, अब मुझे जाना चाहिये !

वो भी उठी मगर लड़खड़ा गई, मैंने उसे सहारा दिया, वो सीधे बाथरूम गई, मैं भी साथ-साथ गया, देखा कि वो बैठ के मूत रही थी। फिर उसने सबसे पहले बेडशीट उठाई और पानी में डाल दी।

मैंने पूछा- क्या तुम नोर्मल हो?

उसने कहा- हाँ, थोड़ा दर्द है !

मैंने कहा- ठीक है ! मैं जाता हूँ ! और चला गया।

शाम को मैं विवेक और नीरज से मिला, उनको कहा- दिव्या को एक लड़का छेड़ता है, जो उसके साथ पास वाली ट्यूशन में है।

हम लोग मिल गए और फिर अगले दिन तीन चार और दोस्तों को लेकर उस लड़के की जम से धुनाई की। वो मुझे दिव्या का भाई समझ रहा था और माफ़ी मांग रहा था।

इस तरह रास्ते का एक कांटा साफ़ हो गया। अब नीरज की बारी थी… मुझे मालूम था कि बहुत जल्द उसके मम्मी पापा उसका पढ़ने के लिए दिल्ली भेजने वाले हैं और वो यदि चला गया तो दिव्या मेरी कही कोई बात नहीं टालेगी।

और फिर हुआ भी वही… अगले साल वो दिल्ली चला गया। फिर मैंने लगभग तीन साल तक दिव्या के साथ मज़े किये, मगर हम दोनों अलग अलग कॉलेज में ले लिए।

एक दिन मैंने फिर उसको किसी और के साथ देखा, उसी समय उसके पास गया और दो तमाचे जड़े और कहा- अब सब ख़त्म ! हालांकि उसके बाद भी हम जिंदगी मज़े लेते रहे !

फ़िर उसकी शादी हो गई, मेरी भी शादी हो चुकी है…

मगर साल में मुझे उससे एक बार सम्भोग करने का मौका मिल ही जाता है ! वो भी मज़े में और मैं भी !

बाय दोस्तो ! अगली कहानी के साथ मैं बहुत जल्द आऊँगा। Antarvasna Stories

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