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Massage Girl in Mount Abu: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Mount Abu who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Mount Abu that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Mount Abu massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Mount Abu who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Mount Abu massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Mount Abu massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Mount Abu who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Mount Abu employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Mount Abu helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Mount Abu

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Mount Abu at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

मेरी उम्र २५ साल है, पेशे Sex Stories से एक डॉक्टर हूँ। कॉलेज ख़तम किये छः महीने ही हुए हैं। मैंने अपनी डिग्री शिमला से की है। मैं कॉलेज से ही उम्र में बड़ी उम्र की औरतों का बहुत शौकीन हूँ।

एक बार मैं घर से शिमला जा रहा था बस में। रास्ते में एक बहुत खूबसूरत लड़की बस में चढ़ी और मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई। रंग एकदम गोरा और भरी भरी काया ! बस फिर क्या था, मैं सोचने लगा कि कैसे उसके साथ बैठूं !

एक स्टाप पर जाकर जब बस रुकी तो मैं कुछ लेने के बहाने बस से उतरा और उसे कहा कि मेरी सीट का ख्याल रखे। पर जब मैं वापिस चढ़ा तो वहाँ कोई मोटा सा अंकल बैठा हुआ था। बस मैं उसे भला बुरा कहता हुआ उस लड़की के साथ बैठ गया।

अब वो मुझे घूर कर देखने लगी। मैं भी चुपचाप उसे अनदेखा करके बैठ गया। फिर धीरे से उसकी तरफ देखा, उसके स्तन उसके बिन बाजू के ब्लाऊज़ से दिख रहे थे। मैं अपने आप पर काबू न कर पाया और मेरा लण्ड झटके मारने लगा।

पर जैसे उसने मुझे घूर कर देखा, मेरी हिम्मत नहीं हुई दोबारा उसकी आँखों में देखने की।

करीब एक घंटे बाद उसने मुझे खुद बोला- मैंने आपको पहले कहीं देखा है !

मैं सकपका गया। मैंने पूछा- कहाँ?

वो बोली- नहीं जानती, पर देखा ज़रूर है।

मेरे दिल में ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे।

मैंने उसे कहा- शायद आपने मुझे मेडिकल कॉलेज में देखा होगा।

तब वो बोली- हाँ ! मैं अपनी बहन को चेक करवाने आई थी।

बस फिर क्या था, बातों का सिलसिला शुरु हो गया। अब मैं समझा कि वो मुझे घूर कर देख नहीं रही थी बल्कि पहचानने की कोशिश कर रही थी।

जब उसने मुझे बताया कि वो दो बच्चों की अम्मा है तो मैं हक्का-बक्का रह गया।

फिर उसने मुझे अपनी सारी कहानी सुनाई कि कैसे उसकी शादी छोटी उम्र में हो गई और उसका अकेलापन।

जैसे कोई मरीज डॉक्टर से कोई बात नहीं छुपाता वैसे ही वो अपनी हर बात बताती गई!

और मैं भी एक अच्छे डॉक्टर की तरह उसकी हर बात सुनता गया।

जब वो बस से उतरी तो उसने मुझे अपना फ़ोन नम्बर दिया और अपने घर की तरफ चली गई और मैं अपने हॉस्टल की तरफ !

तब तक मेरे दिमाग में कुछ भी उल्टा सीधा नहीं था। अब घर से इतने दिनों बाद आया था तो दोस्तों के साथ मिलकर शाम को थोड़ी सी शराब पी ली और फिर अपने कमरे में सोने चला गया। तभी मेरी आँखों के सामने नीरू का चेहरा घूमने लगा (नीरू जो लड़की मुझे बस में मिली) उसके गोल मटोल स्तन, उसकी दिल को चीर देने वाली हँसी, उसका भोला सा चेहरा और उसकी भारी गाण्ड ! यह सब मेरी आँखों के सामने घूमने लगे।

मैंने मोबाइल निकाला और लगा दिया नंबर !

रात के १२ बज रहे थे, मैंने सोचा कि वो सो गई होगी तो मैंने फ़ोन काट दिया।

थोड़ी देर बाद उसका फ़ोन आया और मुझे पूछने लगी कि फ़ोन क्यूँ किया?

मैंने कहा- बस तुम्हारी याद आ रही थी, इसलिए कर लिया। पर सॉरी मुझे समय का ख्याल नहीं रहा !

वो बोली- नहीं ! मैं जाग रही थी !

मैंने पूछा- वो क्यूँ?

वो बोली- बस मुझे भी तुम्हारी याद आ रही थी !

बस मेरा मन खुश हो गया। थोड़ी देर और बातें चली और उसने बताया कि वो अकेली सोती है अपने पति के साथ नहीं।

इस तरह मैंने उसे अगले दिन मिलने के लिए बुला लिया।

वो दूसरे दिन ठीक मेरे बताये हुए समय पर पहुँच गई जब हॉस्पिटल बंद होने का वक़्त होता है।

मैंने उससे पूछा- कहाँ चलें?

वो बोली- तुमने बुलाया है ! तुम हो ले चलो कहीं भी !

मैं अपनी फुद्दुपंथी पे इतना पछताया कि किसी कमरे का इंतजाम भी नहीं किया था मैंने।

मैंने नहीं सोचा था कि वो आते हो मुझसे ऐसे बोलेगी, पर क्या कर सकते थे, मैं उसे हॉस्पिटल के पीछे एक सुनसान जगह पर ले गया और कहा- तुम बहुत खुबसूरत हो नीरू ! मैं तुम्हें चाहने लगा हूँ !

तो वो यह बात सुन कर डर गई और बोली कि उसके दो बच्चे हैं और वो उनसे बहुत प्यार करती है। वो इन बन्धनों से बंधी हुई है।

पर मेरे उसे समझाने पर कि मैं किसी को नहीं पता लगने दूंगा हमारे बारे में, उसने मुझे चूमने दिया। धीरे धीरे मैं उसके वक्ष को चूमने लगा। मुझे पता हो नहीं चला कब मेरा हाथ उसके पिछवाड़े पर चला गया और वहां उंगली करने लगा।

वो बहुत उत्तेजित हो गई थी। वो मुझसे छिटकते हुए बोली- बस, बहुत हो गया ! तुम हद पार कर रहे हो !

वैसे बात भी सही थी, वहां कोई भी आ सकता था। मैंने उसे जाने दिया और वो भागते हुए वहाँ से चली गई।

फिर रात को मैंने उसे फोन किया और अपने किये पर सॉरी बोला। उसे मिलने के लिए बुलाया फिर से !

पहले तो उसने ना-नुकुर की पर उसके दिल में जो मेरे लण्ड को चखने की चाह थी, शायद वोही खाज उसे मेरे पास मिलने के लिए ले आई।

इस बार मैं पूरी तरह से तैयार रहना चाहता था। वो बुधवार का दिन था और मैं बुधवार को नॉन-वेज़ खा लेता हूँ। वो आई और चुपचाप मेरे साथ चलने लग पड़ी। हम मेरे दोस्त के कमरे पर पहुंचे, हॉस्टल तो ले जा नहीं सकता था नहीं तो जोर आजमाइश वाला चोदन हो जाता उसका।

कमरे पर पहुँचते हो मैंने उसका पर्स एक कोने में फ़ेंक दिया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया। वो थोड़ा शरमाई।

मैंने पूछा तो बोली- डर लगता है !

मैंने उसे कहा- दो बच्चों की माँ होकर डर लगता है तुझे?

तो बोली- यह बात नहीं है ! डर लगता है कहीं तुमसे प्यार न हो जाए !

मैंने उसे समझाया कि डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, देख, मैं ठहरा अकेला लोंडा अभी, और कल को मेरी शादी हो जायेगी, और मैं हूँ डॉक्टर तो सोसाइटी में तो कभी नहीं पता लगने दूंगा। बाकी सब तुम पर है कि तुम सुख चाहती हो या नहीं !

वो यह सब सुनते हो मेरी बाँहों में लिपट गई, मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया और न जाने कब उसके स्तन मेरे हाथों मैंने आ चुके थे, और मैं पहुँच गया स्वर्ग वाटिका में।

धीरे-धीरे मेरा हाथ उसके नाड़े की तरफ बढ़ गया। मैंने हलके से उसका नाड़ा खींच दिया। जिस काले सूट की मैं तारीफ कर रहा था वो अब बेडशीट का काम कर रहा था और उसकी लाल कच्छी आवाज़ दे दे कर मुझे बुला रही थी कि आओ और मुझे उधेड़ दो।

मेरे लण्ड का आकार जो कभी ७ इंच से बड़ा नहीं हुआ था, आज १ इंच ज्यादा होने की दौड़ में था।

वो मेरे ऊपर अपने भारी पिछवाड़े को सटा कर बैठी हुई थी। मैंने उसके नंगे स्तन अपने मुँह में लेकर जैसे हो चबाये कि वो सिस्कारियां भरने लगी, उसकी ऐसी आवाजें सुनकर मेरा बुरा हाल हो गया। मेरा लण्ड तो मानो जैसे सुन्न हो गया। बस मुझे तो उसका भरा हुआ शरीर ऐसे लग रहा था कि एक एक हिस्सा खा जाओ।

उसकी मेमने की तरह गदराई हुई फुदी के सुनहरे बाल !

उन्हें अपनी जीभ से सहलाते हुए मैं फुदी के द्वार पर पहुंचा, पर वहीं पर उसने मुझे रोक लिया और वो सी सी सी करती हुई मुझसे लिपट गई, मेरे कान में धीरे से फुसफुसाती हुई बोली- इतनी ख़ुशी इकट्ठी मत दो कि मैं संभाल न पाऊँ !

इससे पहले वो कुछ और बोल पाती उसकी आँखों से आंसू बह निकले, उधर आँखों से आंसू और इधर फुदी से आंसू !

अब मैं समझ नहीं पा रहा था मैं किन आंसुओं पर ध्यान दू..

फिर मैंने चुने फुदी के आंसू और अपनी दो उँगलियों से उसकी फुदी सहलाने लगा और उसे औंधे मुंह लेटा कर अपना लण्ड-बाबा उसकी फुदी पे लगाया। मेरा लण्ड उसके अंदर जाता गया और वो मेरी तरफ धक्के लगाते हुए और अंदर अंदर, बस थोड़ा और, सी सिस इस सी ,, उईईईम उइंमा बस थोड़ा और बस थोड़ा और,,,, आज मुझे मत छोड़ना अधूरी….

मैं बरसों की प्यासी हूँ ! मुझे भर दो अपने गरम लौड़े से…

इतना कुछ सुनने के बाद भी मेरा लण्ड था कि बस लगा हुआ था बुरी तरह से… तभी नीरू पूरा जोर लगा कर मुझे अपनी और खींचने लगी… मैं समझ गया कि वो झड़ रही है… मैंने सोचा फटाफट अपना काम भी निपटा लो वरना फिर उसे पता नहीं कब इतनी पॉवर आये, पहले तो मैं उसे खाना चाहता था, पर अब शायद वोही मुझे खा रही थी… उसकी सिस्कारियों के दौरान मेरी चमड़ी पे उसने अपने नाखूनों से कई घाव कर दिए थे, बहुत जंगली थी वो…

तो दोस्तो, मैंने कई बार मजे लिए उससे पर मैं उसे आज भी नहीं भूल पाया हूँ….. वो जहाँ भी रहे खुश रहे…हमे मिले हुए पूरा एक साल हो गया है… मैं आज भी उसे याद करता हूँ… और इसी तलाश में हूँ कि वैसी कोई मस्त फुदी फिर मिल जाए …

आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ज़रूर लिखें… Sex Stories

कहानी का पिछला भाग: किराये का घर-1 Hindi Porn Stories

मैं शाम को सोनम का इन्तज़ार Hindi Porn Stories करता रहा. सात बजने पर मैंने अपनी पेन्ट कमीज़ उतार कर पज़ामा और बनियान पहन ली. मुझे लगा कि अब वो नहीं आयेगी.
तभी नीचे गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ सुनाई दी. मैंने झांक कर देखा तो सोनम के पापा गैराज़ से गाड़ी निकल कर सड़क पर ले आए थे और शायद तनूजा और सोनम की प्रतीक्षा कर रहे थे, शायद कहीं जा रहे थे.
मेरा मन उदास हो उठा.

इतने में मेरा मोबाईल बज उठा. सोनम का फोन था.
सोनम के कुछ बोलने से पहले ही मैं बोल पड़ा- कहाँ हो जानम! कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा! कहीं जा रहे हो तुम लोग?
‘मैं नहीं, मम्मी और पापा जा रहे हैं, उनके जाते ही मैं ऊपर आती हूँ…!’

मैं खुश हो उठा. मेरे मन तार बज उठे… सोनम जैसी कमसिन… कुंवारी लड़की के साथ मजे करने के ख्याल से ही मेरे लण्ड में उफ़ान आने लगा. मैंने अंडरवियर पहले ही नहीं पहन रखी थी. लण्ड का कड़ापन पजामे में से साफ़ उभरने लगा था. इतने में किसी के ऊपर आने की आवाज आई… तो देखा तनूजा थी.

तनूजा को देखते ही मैंने फ़ोन बंद कर दिया.

‘हम लोग थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं इनके दोस्त के घर और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है बाज़ार से!… तुम घर का ख्याल रखना…!’ अचानक उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी…’अरे वाह! मुझे देखते ही ये तो खड़ा हो गया…!’

उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले कर मसल दिया. मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी.
‘अभी आती हू बाज़ार से… ये रात की शिफ़्ट पर चले जायेंगे… तब तक लण्ड पकड़े रहो हाथ में…’ शरारत से मुस्कराते हुए बोली.
‘अब मेरे लण्ड को छोड़ तो दो…’

‘हाय कैसे छोड़ दूं… मस्त मुस्टन्डा है…’ और झुक कर मेरे लण्ड को दांतो से काट लिया और लहराती हुई चली गई. मेरा हाल बुरा हो चला था. नीचे से कार के जाने की आवाज आई और कुछ ही क्षणों में सोनम ऊपर आ गई… छोटी सी स्कर्ट में वो काफ़ी अच्छी लग रही थी.

‘मैं आ गई भैया…’ वो इठलाते हुए बोली.
‘भैया नहीं राहुल!… मुझे मेरे नाम से बुलाओ सोनम!’ मैंने समझाया.

सोनम की नज़र मेरे पूरे शरीर पर घूम रही थी कि उसने मेरे पज़ामे पर वहीं हाथ रख दिया जहाँ अभी अभी सोनम की मम्मी तनूजा ने काटा था.
‘यह क्या है लाल लाल? कुछ गुलाबी सा!’ सोनम ने पूछा.
‘क्या है?’ मुझे भी कुछ मालूम नहीं था.

सोनम ने पज़ामे के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ कर कुछ ऊँचा उठा कर दिखाया. मैं चौंक गया. यह तो तनूजा के होंठों की लिपस्टिक का निशान था जो अभी कुछ क्षण पहले ही वो छोड़ गई थी.

मैंने उसे टालते हुए कहा- ‘पता नहीं! ऐसे ही कुछ लग गया होगा.’
‘नहीं यह तो शायद लिपस्टिक का निशान है! अच्छा! समझ गई! अभी अभी मम्मी ऊपर आई थी, तभी उन्होंने यह किया होगा! मम्मी भी ना बस! सुबह मन नहीं भरा उनका?’ सोनम बोली.
‘छोड़ो ना…! अब यह सब तो चलता ही रहेगा! चलो अब सुबह वाला खेल खेलें… तुम तो देखती ही रह गई सुबह और तुम्हारी मम्मी सारे मज़े ले गई!’ मैंने कहा.
हाँ चलो! वही बड़ों वाला खेल…’ सोनम चहकते हुए बोली.

मुझे लगा आज ये चुद कर ही जायेगी. मजा आ जायेगा…! मैंने प्यार से उसकी कमर में हाथ डाल दिया और चूतड़ों को सहला दिया. उसने भी स्कर्ट के अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी.
‘बोलो सोनू… क्या करूँ?’
‘कुछ भी… मुझे क्या पता? पर तुम्हारा ये खड़ा क्यों है…?’ उसने मेरा लण्ड पकड़ते कहा.
‘पकड़ ले सोनम…जोर से मसल दे…’ मैंने उसके चूतड़ सहलाने चालू रखे. एक हाथ स्कर्ट के अन्दर उसके नंगे चूतड़ो पर फ़िसलने लगा.

‘भैया… जोर से दबाओ ना… मुझे जाने कैसा अच्छा सा लग रहा है!’ उसकी जिस्म में कंपकपी छूट रही थी.
‘साली! तुझे कहा ना! मुझे भैया नहीं पकंज कह!’ मेरी सांसे भी बढ़ गई थी. उसकी नंगी जांघे आज ज्यादा सेक्सी लग रही थी. एक कमसिन कुंवारी लड़की को चोदने का ख्याल ही मेरे रोंगटे खड़े कर रहा था. उसने मेरा पज़ामा उतार दिया और नीचे से नंगा कर दिया. मेरा लण्ड अब मैदाने जंग में खड़ा था.
‘राहुल…अब पापा की तरह मेरे साथ खेलो ना… मेरे पर चढ़ जाओ और मेरी छाती को मसलो…’
‘सच सोनम…आ जाओ… यहाँ सो जाओ…’

मैंने उसका स्कर्ट और टोप उतार दिया. उसकी गोरी और छोटी सी नीबू सी उभरी हुई अनछुई चूंचियाँ, सीधी तनी हुई खड़ी थी. उसकी पहली चुदाई मैं करने वाला था. मैं उसके नीचे आ कर बैठ गया और लण्ड उसकी पनीली और चिकनी चूत पर रख दिया. मैंने लण्ड ने धीरे से जोर लगा कर उसकी चूत की पंखुड़ियो को चीरते हुए द्वार पर दस्तक दी. सोनम खुश हो उठी…
‘भैया अब मैं चुद जाऊँगी ना… जैसे सुबह मम्मी चुदी थी…’
‘फ़िर भैया? भैया नहीं सैंया करते हैं ये काम मेरी जान!’ मैंने सोनम को डाँट लगाई.
‘अच्छा बाबा अब आगे भी कुछ करेंगे मेरे सैंया या यूँ ही डाँट डपट चलेगी!’ सोनम रूआंसी सी बोली.

‘हा मेरी बेबी… ये लो…’ मैंने धीरे से लण्ड अन्दर घुसा दिया. उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. मैंने हौले से थोड़ा और घुसाया.
‘जोर से घुसाओ ना… कितना कड़ा हो रहा है तुम्हारा लण्ड…’ मुझे डर था कि झिल्ली फ़टने से कहीं वो डर ना जाये.
‘सोनू… देखो अब जब तुम्हारी झिल्ली फ़टेगी तो थोड़ा दर्द होगा… देखो झेल लेना… फिर मजा ही मजा है…!’
‘अब चोदो ना… सब सह लूंगी… मुझे पता है दर्द होता है…कितना होता है जरा देखूं तो…’ मैं मुसकरा उठा. तो ये पहले से तैयार है.

मैंने धीरे धीरे और जोर लगा कर अन्दर डाला. मुझे भी लगा कि जैसे नरम सा कुछ छुआ हो… हल्का सा और जोर लगाया तो उसे थोड़ा सा दर्द हुआ.
‘हुआ ना दर्द…’
‘ना ऐसा तो कोई खास नही.’ मैंने और धीरे से घुसाया तो चूत चिकनी सी लगी. सोनम चिहुंक उठी.
‘हुआ ना दर्द…अब तो…’
‘नहीं नहीं…हाँ हुआ तो पर खास नही…’

मुझे ताज्जुब हुआ लण्ड आधा घुस चुका था…पर उसे कुछ नहीं हुआ था. अब मेरी सीमा टूट चुकी थी. मैंने जोर लगा कर अब धीरे धीरे पर बिना रुके पूरा लण्ड घुसा डाला.
‘आह्… अब हुआ थोड़ा सा दर्द…’

मैंने सोचा ये तो चुदी चुदाई है…बस नाटक कर रही है. अगला धक्का मैंने फिर मारा… और फिर मारता ही गया. वो मस्ती से झूम उठी. उसकी चूत मेरे लण्ड को लपेट रही थी. घर्षण बढ़ता ही जा रहा था. उसकी कमर जबरदस्त उछाले मार रही थी. मैंने भी लण्ड के झटके मारने चालू कर दिये… वो दांत भींच कर चुदवा रही थी.

‘मेरी रानी…तू तो बड़ी चुदक्कड़ निकली रे…तेरी जवान चूत तो कमाल की है…क्या गजब की चिकनी है…’
‘बोलो मत!… बस लगाओ जोर से और मस्त हो जाओ… तुम्हारे सुख में मेरा सुख है…’
‘बड़ा अच्छा डायलोग है रानी…तूने तो मेरा दिल ले लिया…’

मैं अपनी पूरी तेजी पर था. सोनम भी मुँह कठोर बना कर आंख बन्द कर…दांत भींच कर चुदा रही थी. उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे… पर जोश गजब का था. मुझे लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है… मेरा शरीर जैसे अकड़ने लगा…सारी नसें खिंचने लगी. इतने में सोनम ने मुझे कस के थाम लिया और चूत ऊपर उठा कर चीखी…

‘हाय…मैं मर गई! क्या हो रहा है मुझे!… मैय्या री…चोद दिया रे…भैया…हाय…भींच लो मुझे…मैं तो गई…उईईईऽऽऽ’ और उसकी चूत की कसावट के साथ मेरा वीर्य भी निकल पड़ा. दोनों के चूत और
लन्ड का मिलन दबाव के साथ एक हो रहा था. जैसे दोनों एक होना चाहते हो. हम दोनों अब एक दूसरे पर चिपक कर लेट गये. और लम्बी लम्बी सांसे भरने लगे. कुछ ही देर में मैं उठ खड़ा हुआ. उसने भी करवट बदली… ये क्या…चादर पर खून ही खून… पर उसे तो कोई खास दर्द भी नहीं हुआ था…फिर ये इतना खून तो कुंवारी चूत से ही…
‘सोनम ये खून…’
‘झिल्ली फ़टी ना तो खून तो आयेगा ही…’
‘पर तुम्हें तो दर्द हुआ ही नहीं था…’
‘हुआ था… पर तुमने इतने प्यार से झिल्ली फ़ाड़ी थी…दर्द ज्यादा नहीं हुआ…सह गई…तुम्हारा मजा खराब हो जाता ना…’
‘क्या… सोनू… तूने मेरा इतना ख्याल रखा…’
मैंने प्यार से उसे गले लगा लिया.

उसने भी अपने ऊपर एक बार और गिरा लिया. अब सोनम चुद कर तैयार हो चुकी थी… उसने मेरा दिल जीत लिया था.
‘तेरी मम्मी आने वाली होगी… तू अब जा… अब मम्मी को भी तो चोदना है ना…’
‘नहीं मुझे और चोदो…’ सोनम मचलने लगी.
आज नहीं कल चुदाई करेंगे…देखो अभी चादर भी गन्दी हो गई है और तुमने ही धोनी है…!’ मैंने सोनम को समझाया.

सोनम मान गई और उसने अपने कपड़े सम्भाले और ठीक से पहन लिये. मेरी चादर को सावधानी से लपेटा और लेकर नीचे चली गई.

थोड़ी देर बाद सोनम फ़िर आ गई ऊपर खाना ले कर… मैंने अपना डिनर लिया… और आराम करने लगा. सोनम मेरे पास बैठी कभी मुझे चूमती और कभी अपनी चूंची मेरी छाती पर रगड़ती. खाना खा कर मेरे में नई ताकत आ गई थी. अब मैं अपने आप को फ़्रेश महसूस कर रहा था.

इतने में कार की आवाज आई. तनूजा आ चुकी थी. सोनम लपक कर खाने के बरतन उठा कर नीचे जाने लगी. तनूजा ऊपर ही आ रही थी.
‘अरे खाना खा लिया… जा सोनम तू बरतन लेजा नीचे!… हेल्लो…मेरे राजा…’ तनूजा चहकते हुए बोली.
‘आ गई…? सोनम के पापा कहाँ हैं? उन्हें छोड़ कर तुम सीधा ऊपर आ गई…?’ मैंने पूछा.
‘हाँ! उन्हें कह कर आई हूँ कि तुम्हें खाना खाने के लिए बुलाने जा रही हूँ, पर तुम तो पहले ही खाना खा चुके हो!’ तनूजा बोली.
‘हम दोनों तो बाहर ही खा कर आए हैं और वो अब ड्यूटी पर जा रहे हैं… अब मैं बिल्कुल फ़्री हूँ… आज की रात हमारी सुहागरात होगी… खूब चोदना मुझे…’ अपनी रात भर की आज़ादी से वो खुश नजर आ रही थी. ‘पर आज तुम्हें मेरे दिल की एक तमन्ना पूरी करनी होगी.’

‘आज्ञा दो मेरी रानी…’
‘तुम्हें गालियाँ आती हैं ना!… चोदते समय अपन दोनों खूब गालियाँ बकेंगे…जैसे इसके पापा देते हैं…’
‘और कहिये…’
‘और हाँ…’ फिर शरमाते हुए बोली…’ गाण्ड मार सकते हो…प्लीज… मुझे अच्छा लगता है…’
मेरे मन में तरंगें उठने लगी…कही मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं. गाण्ड मारना मुझे भी अच्छा लगता था…फिर ऊपर से गालियाँ… आज तो मजा आ जायेगा. इतने में सोनम वापस आ गई.
मैंने तनूजा से कहा- ‘इसे नीचे भेज दो…फिर प्रोग्राम चालू करते हैं!’
‘पहले इसे शान्त करना पड़ेगा…फिर जायेगी ये…’ तनूजा बोली.

मैंने सोनम को प्यार से उसके कोमल होंठों को चूमा…और इशारा किया तो वो समझ गई.
‘तो मैं एक घन्टे बाद आ जाऊँगी… प्लीज इस बार मुझे भी मज़े लेने हैं इस खेल के! दोगे ना…?’
‘अच्छा प्लीज अभी नीचे जाओ…मैं चुद जाऊँ तो आ जाना बस…’ तनूजा ने जरा जोर से कहा. सोनम नीचे चली गई.

सोनम के जाने के बाद मैंने तनूजा को कहा- साली! अपना भोंसड़ा तो दिखा जिसे तू चुदवा कर गई थी मेरे से! अब तक दुःख रहा होगा तेरा भोंसड़ा?’
‘मादरचोद… मेरी भोंसड़ी देखेगा तू…’ उसने अपना भोंसड़ा अपनी साड़ी ऊपर करके दिखाया.
‘तेरी बहन की चूत… ले देख ये रहा मेरा लौड़ा… ये तेरी गाण्ड चोद देगा अब!’ मैंने भी उसका जवाब गाली दे कर पूरा किया.

उसने अपनी साड़ी उतार फ़ेंकी और पेटीकोट भी उतार दिया. उसका भोसड़ा चमक उठा. क्लीन शेव चिकना लाल फूला हुआ. उसका ब्लाऊज और ब्रा मैंने प्यार से उतार दिया. मैंने भी अपना पजामा और बनियान उतार दी. उसका गोरा जिस्म चिकना और लुनाई से भरा था. उसकी गोरे गोरे चूतड़ चमक रहे थे. मैंने उन्हे प्यार से सहलाया.
‘आज गाण्ड की मां चोद दे राजा… बड़ी तरस रही है लवड़ा लेने को…’

मैंने तेल की शीशी उठाई और उसे झुका कर घोड़ी बना दिया और गाण्ड में तेल भर दिया.
‘लो हो गई तैयार तेरी प्यारी गाण्ड…अब देख मेरे लौड़े का कमाल. ‘
तनूजा ने तुरन्त मेरा लण्ड पकड़ा और चमड़ी ऊपर करके लाल सुपाड़ा बाहर निकाल दिया…
‘ये हुई ना बात…अब जाने दे मेरी लपलपाती गाण्ड मे…’ तनूजा मुस्कराई.

मैंने लण्ड को गाण्ड के छेद पर रखा. गाण्ड का फ़ूल खिला हुआ था… पहले से थोड़ी खुली थी. मैंने अपना लौड़ा छेद पर दबा दिया. फ़क से अन्दर उतर गया और उतरता ही गया. तेल का चिकनापन और अभ्यस्त गाण्ड में एक ही झटके में जड़ तक पहुंच गया. गाण्ड की नरम चमड़ी, लण्ड को रगड़ाती हुई मीठा सा अहसास दे गई. गाण्ड का ऐसा आरामदेह चुदना भी मजा दे रहा था.
‘आह मेरी गाण्ड रे… चुद गई गाण्ड रे… भोंसड़ी के लगा धक्के…’
‘मेरी कुतिया… देख मेरा लण्ड अभी कुत्ते की तरह फ़ंसाता हूँ… तेरी माँ चोद दूंगा…रानी!’
‘साले! तू मेरी माँ कैसे चोदेगा! वो तो गई ये दुनिया छोड़ के! अब तू सोनम की माँ चोद! कमीने!’ तनूजा ने कहा.

‘सोनम क्या मैं तो सोनम को ही चोद दूंगा साली तू देखती जा, तेरे सामने तेरी सोनम को नंगी करके चोद दूंगा!’
‘चोद क्या दूंगा! चोद दिया साली को!’
‘तेरी लण्ड टुकड़े कर के कच कच करके खा जाऊ हरामी के पिल्ले… तुझे मना किया था ना! कितना रोई होगी मेरी बच्ची! मेरी चूत से तेरा मन नहीं भरा था जो उस कच्ची कली को मसल दिया तूने छोकरी चोद! हाँ लगा जोर…चोद दे…इस खड्डे को…’ उसे पसीना आने लग गया था.

वो मस्त हुई जा रही थी. अपनी गाण्ड हिला हिला कर उसका जवाब भी मिल रहा था. मैं जम कर जोर जोर से चोद रहा था. मेरा लण्ड लगता था बस छूट ही जायेगा. मैंने अब अपना लण्ड निकाला और पीछे से ही उसकी चूत में पेल दिया.
‘हाय रे मैं मर गई…मजा आ गया…चूत मार दी रे… चोद इस रंडी को…राजा…’
‘हाय मेरी रानी…तुझे रंडी की तरह ही चोदूंगा मै… साली की चूत फ़ाड़ के रख दूंगा…’ मैं गालियों से अति उत्तेजना का शिकार हो चुका था.
‘मेरे राजा, फ़ुद्दी चोद…निकाल दे कचूमर मेरे भोंसड़े का…’ वो नशे में बोले जा रही थी… मैंने हाथ नीचे डाल कर उसका दाना मसल दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूंची खींचने लगा.
‘मर गई भोंसड़ी के… मा चोद दी तूने मेरी चूत की…मैं गई…चोदू रे…मार दे…चोद दे… निकाल दे सारा पानी…हाय रेऽऽऽऽ’ एक चीख के साथ वो झड़ने लगी…

मेरा लण्ड ने भी उसी समय पिचकारी छोड़ दी. मैंने उसकी कमर जोर से पकड़ ली और जोर लगा कर सारा माल उड़ेलने लगा. वीर्य पूरा निकलते ही मेरा लण्ड भी चूत से बाहर आ गया. मैं पास ही बिस्तर पर गिर पड़ा, साथ ही तनूजा भी मेरे ऊपर आ गिरी. सांसे जोर जोर से चल चल रही थी… आज कुछ ज्यादा ही हो गया था. मेरा जिस्म अब टूटने लगा था.

‘राजा… थक गये ना… ये गाण्ड होती ही ऐसी चीज़ है…साली सारा रस निकाल देती है’
‘तनूजा मेरी तो माँ चुद गई आज… तूने भोसड़ी की… मेरा सारा ही माल निकाल दिया…’
‘बस अब गाली नही…सिर्फ़ चोदते समय… मजा आता है…’
‘हाँ मेरी रानी…सॉरी… पर मजा आ गया…’
थोड़ी देर तनूजा और मैं लेटे रहे.

तभी तनूजा ने पूछा- सचमुच चोद दिया तूने मेरी लाड़ली सोनम को क्या?’
‘नाराज मत हो तनूजा…तेरी सोनम भी अभी थोड़ी देर पहले ही चुदी है…’
‘चलो अच्छा हुआ…उसकी झिल्ली फ़टी तो… मैंने सोचा कि उसे दर्द होगा…इसलिये मना करती थी…पर अब उसे चाहे जितना चोदना…’
‘थेंक्स तनूजा… मुझसे नहीं तो वो कहीं ओर चुदवा लेती…इसीलिये मैंने उसे चोद कर सील तोड़ने का आनन्द ले लिया…’

तनूजा उठी और मेरे पर चादर डाल दी और अपने कपड़े पहन कर मेरे पास ही लेट गई. कुछ ही देर में सोनम भी आ गई. और मेरे पास वो भी लेट गई. तनूजा ने कहा- सोनम…चुद गई रे तू तो…’
‘मम्मीऽऽऽ…’ शरम से उसने मुँह छुपा लिया. तनूजा अब उसे बार बार छेड़ रही थी… और सोनम ने शरम के मारे मुँह छुपा लिया. Hindi Porn Stories

Xxx ओरल चूत लिक कहानी में मेरी साली मेरे घर आई हुई थी. एक दिन मैंने उसे चूत में उंगली करती देख लिया. बस मुझे मौक़ा मिल गया. मैंने उसे पकड़ लिया और उसकी चूत चाटी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम हितेश है. मैं गुजरात से हूँ.

मैं आपके लिए अपनी एक सच्ची घटना लिख रहा हूँ.
मेरी यह पहली कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आएगी. फर्स्ट टाइम लिख रहा हूँ तो थोड़ा मसाला कम मिलेगा लेकिन सच्ची कहानी है.
साली साहिबा की Xxx ओरल चूत लिक कहानी पांच महीने पहले की है.

चलो दोस्तो, पहले थोड़ा परिचय कर लेते हैं.
हमारे घर में मम्मी – पापा, मेरी पत्नी और मैं!

मैं प्राइवेट जॉब करता हूं तो हम दोनों शहर में रहते है, मेरी आयु 28 साल, मीडियम बॉडी, 5 फुट की हाइट!

मैं और मेरी पत्नी Sex लाइफ को खूब एंजॉय करते हैं.
अकसर मैं कई बार नींद में अपनी पत्नी को चूत को चाटता था.
यह मेरी आदत थी और मजा भी खूब आता था.
मैं चूत चाटने में माहिर था, मेरी बीवी को चटवाने में बड़ा मजा आता था.
अगर कोई एक बार मेरे से चूत चटवा ले तो वह दुबारा चटवाने पुनः से आयेगी.

बात उन दिनों की है जब मेरी साली हमारे यह कुछ दिनों के लिए रहने के लिए आई थी.
उसकी आयु 20 वर्ष थी.

वह काफी सेक्सी है. उसकी पतली कमर है, उसका जिस्म 34-28-32 का है मानो एकदम आलिया भट्ट!

उसके शरीर की खुशबू, उनकी नशीली आंखें, उसके रसीले होंठ, पतली कमर, गोल सुडौल चूचे … देख कर ही कितनों का पानी निकल जाता होगा।

वह अक्सर जीन्स और टीशर्ट पहना करती है और उन कपड़ों में भी मादक लगती है।

पहले अपनी साली को लेकर मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं थे.
परंतु एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद से सब बदलने लगा.

हमारे घर में 2 कमरे हैं जिनमें एक में हम और दूसरे में साली सोती थी।

मेरी पत्नी कुछ काम से पड़ोस में गई थी तो घर पर मैं और साली अकेले थे.
मैं छत पर घूमने गया और साली कमरे में अकेली थी।

जब मैं अचानक नीचे आया तो साली साहिबा के कमरे में से कुछ आवाज आ रही थी.
तो मैंने नजदीक जाकर देखा.

उसने कमरे के दरवाजे की कुंडी नहीं लगाई थी.
झांक कर देखा तो क्या नजारा था दोस्तो … क्या बताऊं … साली साहिबा मोबाइल में कोई वीडियो चला रही थी और बेड पर लेट कर अपनी जीन्स खोल कर अपने एक हाथ से चूत में उंगली आगे पीछे कर रही थी।

कभी वह उंगली मुंह में डालती, कभी चूत में!
वह अपनी मस्ती में मस्त होकर उस पल का मजा ले रही थी.

क्या चूत थी … एकदम चिकनी कुंवारी चूत … एकदम नई चूत … एक भी बाल नहीं था उसकी चूत पर!
जी कर रहा था कि अभी पूरी चाट लूं और पूरा रस पी लूं।

तभी उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी और वह शर्माती हुई थोड़ी ठीक ठाक हो गई.
वह पूरी गर्म थी.
तो मैंने उसी का फायदा उठाया.

मैं अंदर गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा.

वह पहले तो मना करने लगी लेकिन वह भी गर्म थी तो खुद को रोक नई पाई और मुझे चूमने लगी कभी कान के पीछे, कभी गर्दन पर, कभी होठों पर!

वह भी मादक आवाजें निकाल रही थी- ओह जीजाजी, किस मी … आह आह!
मैं भी पूरे जोश में था.

फिर उसने मेरी शर्ट उतारनी चालू कर दी.
बदले में मैंने भी उसका टी शर्ट उतारा और उसे ब्रा में देख कर मेरा दिमाग एकदम पागल हो गया था.
मैं उसके पेट पर उसे चूमने लगा.
उसे काफी गुदगुदी होने लगी थी.

मैं उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा और काफी देर तक दबाने के बाद उसकी ब्रा की हुक खोल दी.

उसके चूचे एकदम से उछल कर मेरे सामने ऐसे आ गए जैसे उन्हें काफी दबा कर जकड़ा हुआ हो.

उन्हें आजाद करके मैं उसके एक चूचे को चूसने लगा और निप्पल पर दांतों से काटने लगा.

साली साहिबा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … ओह्ह … स्स्स … आराम से … काटो मत … ऊईई … दर्द हो रहा है … उफ्फ आआआ!
मैं- थोड़ा सा दर्द तो झेल लो मेरी साली साहिबा, इनका दूध पीना है मुझे!

वो सेक्सी हॉट गर्ल भी बहुत मज़े ले रही थी और मेरे बालों में हाथ फेर रही थी.

मैंने उसकी जींस को निकाला और उसके पैरों पर चूमने लगा.
चूमते चूमते उसकी जांघों तक आ गया और पैंटी उतारी.

उसकी चूत का नजारा देखा तो देखता रह गया … ऐसी गुलाबी एकदम साफ चिकनी चूत।
उसकी पैंटी साइड में करके मैं उसकी सील पैक चूत पे उंगली करने लगा.

इससे उसको काफी मजा आ रहा था और वह जोर जोर सांसें लेने लगी थी.

मैंने साली की चूत को हल्का सा होंठ का स्पर्श किया और उसकी चूत पर जीभ फिराने लगा.
वह कामुक आवाजें निकाल रही थी.

फिर मैंने धीरे धीरे पूरे होंठ उसकी चूत पर लगा दिये.
वह फर्स्ट टाइम अपनी चूत चटवाने का आनंद ले रही थी।

फिर मैं पूरे जोश के साथ पूरी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा.
वह मादक सिसकारी ले रही थी- और चाटो जीजा जी … और जीभ को अंदर घुसाओ … पूरा खा जाओ!
ऐसे बोली जा रही थी.

और मैं यहां रुकने वाला कहाँ था- आज तो तेरी पूरी चूत खाकर ही तुझे जाने दूँगा।

वह बोली- कही नहीं जाना मुझे … बस ऐसे ही मेरी चूत चाटे जाओ!
ऐसे ही काफी देर चूत चाटने के बाद वह झड़ने वाली थी तो बोली- मैं आने वाली हूँ … मेरी चूत के रस की एक भी बूंद बाहर नहीं जानी चाहिए जीजाजी … पूरा पी जाओ!

मैंने भी पूरा मुंह घुसा दिया.
वह अकड़ के झड़ने लगी।

मैंने एक एक कतरा रस पी लिया.
क्या स्वाद था कुंवारी चूत का … एकदम टेस्टफुल!
मैंने पूरी चूत चैट कट साफ कर दी।

तब तक टाइम काफी हो गया था तो मेरी बीवी के आने का डर था, वह कभी भी आ सकती थी तो हम दोनों फटाफट ठीक ठाक होकर फिर नॉर्मल हो गए.

इसके बाद से तो मेरी साली को चूत चटवाने का इतना शौक चढ़ गया कि उसने रात तक अलग अलग तरीके से 2 बार मेरे से चूत चटवाई.

उसके बाद जब भी मौका मिलता था तो वह Xxx ओरल चूत लिक करवा के अपनी चूत का रस मुझे पिला देती थी.

फिर मैंने भी कहा- मेरा रस कब लोगी?
तो उसने मुझे एक वादा किया कि मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी!
मैंने पूछा- वो क्या?
तो उसने कहा- उसी वक्त बताऊंगी.

तो मैंने भी हाँ कर दी।

वह बोली- ठीक है! तो बहन शाम को बाहर जायेगी तब देखेंगे।

शाम हो गई, मेरी बीवी बाजार गई।

तब मेरी साली आंखों पर बाँधने के लिए एक पट्टी ले के आई और मेरी आंखें बन्द कर दी.
गअब मैं कुछ भी नहीं देख पा रहा था।

अब वह पूरी नंगी होकर अपनी चूत फैला कर बिस्तर पर लेट गयी. चूत में उसने बहुत सारी चॉकलेट लगा ली और मुझे नजदीक लाकर मेरा मुंह पकड़ कर सीधा अपनी चूत पर लगा दिया और दबा दिया.
मैं तो सोच में पड़ गया कि यह क्या हुआ!

फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और वह मजे लेने लगी.
वह बोल रही थी पूरी आवाज के साथ- पूरी चाट लो … पूरी चॉकलेट चाट कर साफ करनी है।

मैंने भी पूरी जोश के साथ उसकी चूत को कहता और सारी चॉकलेट चाट कर साफ कर दी.

उसने फिर दोबारा चूत के अंदर तक लिक्विड चॉकलेट भर ली और बोली- जीभ से निकाल कर खा जाओ!

क्या सीन था … एकदम बड़ा मजे वाला!

मैंने भी पूरी जीभ अंदर तक घुसा दी.
वह भी उछल उछल कर अपनी चूत चटवा रही थी.

और फिर साली झड़ गई और मैंने पूरा रसपान कर लिया।

तो दोस्तो, यह मेरी सच्ची कहानी है जो मैंने पहली बार लिखी है.
कहने कैसी लगी आपको?
Xxx ओरल चूत लिक कहानी पर आपकी राय जरूर देना, मेल जरूर करना.

प्रेषक : अमित Hindi Porn Stories

कामिनी की इस घटना को दो दिन बीत Hindi Porn Stories गये थे। इन दो दिनों में मैं विजय से दो बार मिल चुका था। कामिनी के कारण उससे मेरी भी दोस्ती थी। मैंने उसे यह नहीं मालूम होने दिया कि कामिनी की चुदाई के बारे में मुझे मालूम है। आज सवेरे ही मैंने विजय के घर जाने की योजना बनाई। इस बारे में मैंने नेहा को बता दिया था कि विजय की मां और बहन आई हुई हैं, उनसे मिलने जा रहा हूँ।

मैं कॉलेज जाने से पहले उसके घर चला गया। बाहर बरामदे में एक सुन्दर सी लड़की झाड़ू लगा रही थी। मैंने अन्दाज़ा लगाया कि यह विजय की बहन होगी। जैसे ही मैं फ़ाटक के अन्दर घुसा… उसने मेरी तरफ़ देखा और देखती ही रह गई।

मैंने उसे नमस्ते किया तो वो कुछ नहीं बोली। मैं सामान्यतया मुस्कुराता रहता हूँ,”मैं विजय का दोस्त हूँ …. “

“जी… आईये… ” वो कुछ शरमाती सी बोली। मुझे वो अन्दर ले गई और कहा-आप बैठिये… मैं पानी लाती हूँ।

“आप उसकी बहन है ना…” मैंने मुस्कराहट बिखेरते हुए कहा।

वो एकदम से शरमा गई… और मुझे तिरछी निगाहों से देखती हुई अन्दर चली गई। उसकी पतली छरहरी काया और उसके उभार और कटाव भरे पूरे थे। किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते थे। वो पानी ले कर आ गई।

“आपका नाम जान सकता हूँ ….?”

उसका अन्दाज़ कुछ अलग सा था। मुझे लगा कि वो उमर में विजय से बड़ी है।

इतने में एक मधुर अवाज और आई,”ये मेरी मम्मी है …. मै विजय की बहन हूँ …. दिव्या ….!”

मैं बुरी तरह से चौंक गया …. ये कैसे हो सकता है? “जी ….माफ़ करना …. आप तो इतनी छोटी लगती है कि …. मैं तो समझा कि ….!”

“आप ठीक कह रहे हैं …. मेरी कम उम्र में ही शादी हो गई थी …. फिर ये भी एक एक्सीडेन्ट में गुजर गये थे ….” (उसका मुझे घूरना बन्द नहीं हुआ।) वो एकटक मुझे देखे जा रही थी।

“ओह!!! …. माफ़ करना …. यह सुन कर दुख हुआ …. पर आप तो दिखने में किसी लड़की जैसी ही लगती हैं ….” वो फिर से शरमा गई ….

“आप चाय पीजिये …. इतने में विजय आ जायेगा ….!” उसके हाव भाव ये बता रहे थे कि मैं उसे अच्छा लग रहा हूँ …. मैंने सोचा कि और आगे बढ़ा जाये !

“आप अभी ही इतनी सुन्दर लग रही हैं तो जब बाहर जाती होगी तो और भी अच्छी लगती होंगी ….!” उसका चेहरा लाल हो उठा। बिल्कुल किसी कुंवारी लड़की की तरह वह अदाएँ दिखा रही थी। फिर से उसने मुस्कराते हुए मुझे देखा …. मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। वो सामने किचन में चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे किचन में आ गया।

मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ रखा। उसने तुरन्त ही पलट कर मुझे देखा और बोली- “यह क्या कर रहे रहे हो ….”

“सॉरी मैं अपने आपको रोक नहीं पाया, क्योंकि आप में गजब का आकर्षण है !”

वो मुस्करा दी। मेरी हिम्मत और बढ़ गई।

“आप बहुत खूबसूरत हैं …. ” उसके चेहरे पर पसीन छ्लक आया।

“आप भी तो हैं …. हाय” उसके मुँह से निकल पड़ा। मेरे हाथ उसकी चिकनी कमर पर फ़िसलने लगे। उसका शरीर कांप उठा, वो लरजने लगी और झूठ में ही मेरे से दूर होने की कोशिश करने लगी।

“जी ….चाय ….” उसका चेहरा तमतमा रहा था ….हम चाय ले कर फिर से बैठक में आ गये ….”आपका नाम क्या है ….?”

“मेरा नाम जो हन्टर है ….और आपका ….?”

“जी ….म….मैं सरोज ….” वो हिचकती हुई सी बोली …. “आप दिव्या को रोज पढ़ाने आयेंगे ना …. ऐसा विजय कह रहा था ….!” मैं सकपका गया। क्योंकि पढ़ाने की बात मुझे नहीं पता थी।

“मै आपको सरोज ही कहूँगा …. क्योंकि आपको आण्टी कहना आपके साथ ज्यादती होगी !” सुनते ही उसने अपना चेहरा हाथों में छुपा लिया।

“पर वो दिव्या ….?”

“हां …. हां मैं आ जाऊंगा ….उसे भी पढ़ा दूंगा” मैंने मौके को हाथ से गंवाना उचित नहीं समझा। मैंने चाय समाप्त की और खड़ा हो गया। वो भी खड़ी हो गई और मेरे समीप आ गई। मैंने इधर उधर देखा कि कोई नहीं है तो मैंने सरोज का हाथ पकड़ लिया। वो खुद ही धीरे से मेरे सीने से लग गई। मैंने उसे लिपटाते हुए अपनी बाहों में कस लिया। उसने अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और अपनी आंखे बन्द कर ली। मुझे कुछ समझ में नहीं आया पर मेरे शरीर में तरावट आने लगी थी, वासना जागने लगी थी। स्वत: ही मेरे होंठ आप ही उसके होंठो की ओर बढ़ गये। कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मैंने अब उसके उरोजो को थाम लिया। वो कसक उठी।

“हाय …. मत करो …. सीऽऽऽ …. हाय रे” उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने धीरे धीरे उसके स्तन दबाने और मसलने चालू कर दिये। उसकी बाहों का कसाव और बढ़ चला था। अब मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ दबाने शुरू कर दिये थे। अब उसका भी एक हाथ मेरे लण्ड पर आ चुका था और कस कर पकड़ लिया था।

“हाय …. छोड़ दो ना …. आऽऽऽऽह …. क्या कर रहे हो ….?” इन्कार में इकरार था ….मेरा लण्ड उसने कस के पकड़ रखा था। कह तो रही थी छोड़ने को और बेतहाशा लिपटी जा रही थी। बाहर फ़ाटक की आवाज आई तो वो मेरे से छिटक के दूर हो गई ….

“कल सवेरे नौ बजे आना …. मैं इन्तज़ार करुंगी ….!” इतने में दिव्या अन्दर आ गई। एकबारगी तो वो ठिठक गई …. शायद उसने माहौल भांप लिया था। मैंने अब दिव्या को निहारा। वो एक जवान लड़की थी …. जीन्स पहने थी …. अपनी मां की तरह चुलबुली थी …. तो इसे पढ़ाना है …. लगा कि मेरी तो किस्मत अपने आप ही मेहरबान हो गई है …. आया था कि इन पर इम्प्रेशन जमा कर पटाऊंगा। पर यहां तो सभी कुछ अपने आप हो रहा था। मैं मुस्करा कर बाहर आ गया।

अगले दिन सवेरे नौ बजे मै विजय के यहाँ पहुंच गया। विजय कहीं जाने की तैयारी कर रहा था।

“थेंक्स यार …. तुमने दिव्या को पढ़ाने के लिये हां कर दी …. मैं जरा हेप्पी से मिलने यहीं पान की दुकान तक जा रहा हूँ ….” कह कर वो चला गया।

दिव्या मेज़ पर बैठी पढ़ाई कर रही थी। मुझे देखते ही उसने अपने पास ही एक कुर्सी और लगा दी।

अन्दर से सरोज ने मुझे देखा और शरमाती हुई मुस्करा दी …. दिव्या ने फिर से एक बार इस बात को देख लिया। मैं कुछ देर तक तो पढ़ाता रहा …. फिर मुझे महसूस हुआ कि उसका ध्यान पढ़ाई पर नहीं मेरी ओर था।

“मुझे मत देखो …. …. इधर ध्यान लगाओ ….” पर दिव्या ने सीधे वार करते हुए मेरी जांघ पर हाथ रख दिया ।

“आपने कल मम्मी को किस किया था ना ….” वो फ़ुसफ़ुसाई, मैं बुरी तरह से चौंक गया।

“क्या ??? ….क्या कहा ….” मैं हड़बड़ा गया.

“मम्मी ने मुझे बताया था …. मैं और मम्मी सब बातें एक दूसरे को बताती है …. मुझे भी किस करो ना ….” मुझे एक बार तो समझ में नहीं आया कि ऐसे मौके पर क्या करना चाहिये……उसके हाथ मेरे लण्ड की तरफ़ बढ रहे थे। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैल रही थी। अचानक वो मेरे से लिपट पड़ी। दरवाजे से सरोज सब देख रही थी। मेरी नजर ज्योंही दरवाजे पर पड़ी सरोज ने अपनी एक आंख दबा कर मुस्करा दी। मैंने इसमें उसकी स्वीकृति को समझा और दिव्या का कुंवारा शरीर मेरी आगोश में आ गया।

उसकी उभरती जवानी पर मेरे हाथ फ़िसलने लगे। वो बेतहाशा अब मुझे चूमने लगी। मेरा हाथ उसकी स्कर्ट में घुस पड़ा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पेन्टी में हाथ डाल कर उसकी चूत दबा दी। जवाब में उसने भी मेरा लण्ड दबा दिया। सरोज ने अन्दर से इशारा किया तो मैंने उसे छोड़ दिया। दिव्या लगभग हांफ़ते हुए अलग हो गई। उसकी आंखो में वासना के लाल डोरे लगे खिंच चुके थे। सरोज चाय बना कर ले आई।

“दिव्या ….कॉलेज में देर हो जायेगी …. तैयार हो जाओ ….” सरोज ने दिव्या को आंख मारते हुए कहा। दिव्या मुस्कराते हुए उठी और लहरा कर चल दी। वो समझ चुकी थी कि मम्मी अब गरम हो चुकी है अब उन्हें चुदाई चाहिये। मैंने चाय समाप्त की और प्याला मेज़ पर रख दिया।

“सरोज …. जरा सा और पास आ जाओ ….” मैंने आज मौके का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोचते हुए अपनी मनमोहक मुस्कराहट बिखेर दी। उसकी आंखें झुक गई। पर उठ कर चुप से मेरी गोदी में बैठ गई। जैसे ही वो मेरी जांघो पर बैठी उसके चूतड़ो का स्पर्श हुआ। वो अन्दर पेन्टी नहीं पहने थी। उसके लचकदार चूतड़ का स्पर्श पा कर मेरा लण्ड फ़ुफ़कार उठा। हम दोनों अब एक दूसरे को चूम रहे थे। मेरा हाथ जैसे ही उसके बोबे पर पड़ा …. उसके बोबे बाहर छलक पड़े। उसके ब्रा भी नहीं पहनी थी ….यानि चुदने के लिये वो बिल्कुल तैयार थी। मेरा लण्ड उसके चूतड़ों पर लगने लगा था। कुछ ही देर में वो बैचेन हो उठी ….

“सुनो जी …. अब देरी किस बात की है ….”कह कर वो बुरी तरह लाल हो गई। मैं उसकी इस अदा पर मर गया …. मैंने उसे गोदी में से उतार कर खड़ा कर दिया और अपनी पेन्ट उतार दी …. वो शरम से सिमटी जा रही थी …. पर उसने बिस्तर पर आने की देर नहीं की। उसके मन की हलचल मैं समझ रहा था ….लगता था बरसों की प्यासी है ….।

मेरा लण्ड देखते ही वो मचल उठी। उसने मेरा लण्ड अपने हाथो में ले लिया और पकड़ कर दबाने लगी …. लण्ड की चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी, इसके कारण मेरा सुपाडा रगड़ खाने लगा ….मुझे तेज मजा आया ….मीठी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी । उसने मेरी तरफ़ देखा …. मैं उसे प्यार से देख रहा था ….

“हाय रे ….मेरी तरफ़ मत देखो ना …. उधर देखो ….” और शरमाते हुए मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर लिया। दोनों हाथो से मेरे चूतड़ भींच लिये और पूरा लण्ड मुँह में भर कर अन्दर बाहर करने लगी। सुपाड़ा जोर से चूस रही थी ….एक तरह से अपने मुँह को चोद रही थी। मेरे मुख से आह निकल रही थी …. कुछ देर तक यही सिलसिला चलता रहा।

उसने फिर कहा-“सुनो जी ….अब देर किस बात की है …. ” फिर से एक बार शरमा गई और फिर वो कहने लगी, “तुम्हे देखते ही मुझे लगा कि तुम मेरे लिये ही बने हो ….तुम्हारे में गजब की कशिश है !”

“सरोज तुम बहुत सेक्सी हो …. देखो मुझे कैसे बस में कर लिया ….”

“मैं बहुत महीनों से प्यासी हूँ ….और मेरी बेटी …. उसकी नजरें भी भटकने लगी थी …. मैंने उसे रंगे हाथो पकड़ लिया था …. तब से मैंने उसे अपना राजदार बना लिया और अब हम सही लड़का देख कर दोनों ही अपनी प्यास शान्त करती हैं ….”

मुझे उसकी बातों से कोई सरोकार नहीं था …. मुझे तो एक बदले दो दो चूत बिना मांगे ही मिल रही थी।

वो कहती जा रही थी ….”विजय से मैं परेशान रहती हूँ ! वो जाने क्या करता है? जाने कहां से नशे की चीज़े लाता है और बेचता है …. हमारे मना करने पर वो हम दोनों को पीटता है ….।”

सरोज की सारी बातें मैं ध्यान में रख रहा था पर उसे यही दर्शा रहा था कि मैं सेक्स में ही रुचि ले रहा हूँ।

“बस सरोज अब चुप हो जाओ, मैं अब से तुम्हारे साथ हूँ …. मजे लो अब ….मेरा देखो न कितना बुरा हाल है ….” मैंने उसकी चूत पर अपना तन्नाया हुआ लण्ड का दबाव देते हुए कहा। उसका शरीर वासना से कसक रहा था। उसकी तड़प मुझे महसूस हो रही थी। मैंने उसके बोबे दाबते हुए नीचे जोर लगाया …. लण्ड चूत में उतरता चला गया। उसकी कसी हुई चूत मेरे लण्ड के चारों ओर मीठा सा घर्षण दे रही थी। उसने अपनी चूत को और ऊपर की ओर उभार ली। मेरा लण्ड अभी भी थोड़ा बाहर था। उसके मुख से सिसकारी निकलती जा रही थी। मुझे लगा कि मेरा लण्ड उसकी चूत की पूरी गहराई में घुस चुका था। पर लण्ड अभी भी बाहर था।

“अब धीरे से बाहर निकाल कर अन्दर और दबाओ ….” उसने सिसकते हुए कहा।

मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और अन्दर और दबा दिया। उसे हल्का स दर्द हुआ …. फिर भी बोली,”ऐसा और करो ….”

“पर आपको दर्द हो रहा है ना ….?”

इसी दर्द में तो मजा है ….पूरा घुसेगा तो ही शान्ति मिलेगी ना ….!” उसने दर्द झेलते हुए कहा।

मैंने फिर से लण्ड दबाया …. पर इस बार झटके से पूरा डाल दिया। उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई।

“हाय रे ….! मर गई ….! ये हुई ना मर्दो वाली बात …. ! बस अब थोड़ा रुको ….!” वो अपने स्टाईल में बताते हुए चुदवाने लगी।

उसने कहा,”अब मेरी चूतड़ के नीचे तकिया रख दो …. फिर बस एक धक्का और ….”

“देखो बहुत दर्द होगा ….”

“आज होने दो ….बिना दर्द के मजा नहीं आता है ….”

मैंने उसकी गाण्ड के नीचे तकिया घुसा दिया , उसकी चूत ऊपर की ओर उठ गई और मैंने इस बार पूरा जोर लगा कर लण्ड को चूत में गड़ा दिया। दर्द से उसने दांत भींच लिये और मैंने अब उसके बोबे थामें और मसलते हुए धीरे धीरे पर गहराई तक चोदने लगा। वो पसीने में नहा चुकी थी। उसका सारा बदन उत्तेजना से कांप रहा था। मैं भी अपना आपा खोता जा रहा था। उसकी टाईट चूत मेरे लण्ड को लपेट कर सहला रही थी।

उसने कहा,”राजा …. तेजी से चोदो ना ….आज मुझे मस्त कर दो ….”

मेरे धक्के तेज होते गये। उसकी सिसकारियाँ बढ़ती गई। वो अपने पूरे जोश से अपने चूतड़ हिला हिला कर चुदवा रही थी। अचानक मुझे लगा कि उसका कसाव मेरे पर बढ़ गया है …. और वो झड़ने लगी।

मैंने उस ओर ध्यान नहीं दिया ….और चुदाई जारी रखी। झड़ कर भी वो उसी जोश में चुदवाती रही …. मैंने उसे चूम चूम कर उसका चेहरा अपने थूक से गीला कर दिया था। वो भी बराबरी से मुझे चाट रही थी। अचानक उसने मुझे इशारा किया और वो मेरे ऊपर आ गई। आसन बदल लिया। वो मेरे पर झुक गई और लण्ड चूत में घुसा कर जबरदस्त धक्के मारने लगी। उसके बोबे जोर जोर से उछल रहे थे। मैंने दोनों बोबे को कस के मसलना शुरू कर दिया। उसके धक्के इतने जबर्दस्त थे कि उसे भी शायद तकलीफ़ हो रही होगी। लगता था जन्म-जन्म की प्यास बुझाना चाहती थी।

कुछ ही देर में मैं भी चरमसीमा पर पहुंच गया और और चूत के अन्दर ही लण्ड ने अपनी पिचकारी छोड़ दी। वो कब झड़ गई मुझे पता नहीं चला। पर हाफ़ते हुए मेरे पर लेट गई। उसका जिस्म पसीने में तर था। हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए कुछ देर पड़े रहे। फिर मैं धीरे से उठा।

“सरोज तुम तो चुदाई में मस्त हो …. मेरा सारा माल निकाल दिया ….” सरोज फिर से शरमा गई।

“मैं तो दो बार झड़ गई …. हाय राम …. मेरा पेटीकोट तो दे दो ….” उसने झट से कपड़े पहन लिये।

मैंने भी कपड़े पहने और पूछा,”बाथरूम किधर है ….” उसने उंगली से इशारा कर दिया। मैं बाथरूम में गया और अपना मुख धो लिया ….तभी मेरी नजर हैंगर पर टंगे जैकेट पर पड़ी। वो विजय का था। मैंने तुरन्त उसकी तलाशी ली। उसमें कोई शायद नशे की कोई चीज़ थी। उसमें एक पिस्तौल भी था। सारी चीज़े यथावत रख कर मैं बाहर आ गया।

“अच्छा अब मैं चलता हूँ ….” उसने मुस्करा कर हामी भर दी ….

मैं जैसे ही बाहर निकला, मेरा मन एकदम धक से रह गया, दिव्या एक कुर्सी पर बैठी कोई मेग्ज़ीन देख रही थी।

“त् ….त् …. तुम ….कॉलेज नहीं गई ….?”

“और यहां की चौकीदारी कौन करता ….??? …. कल आओगे ना ….” उसने एक सेक्सी नजर डालते हुए कहा।

“कल ….तुम्हारी बारी है …. तैयार रहना ….!” मै धीरे से झुक कर बोला…

उसकी मुस्कान और झुकी झुकी नजरें उसकी स्वीकृति दर्शा रही थी ….।

समय देखा साढ़े दस बज रहे थे …. मैंने अपनी मोटर साईकल उठाई और सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचा। अंकल मेरा ही इन्तज़ार कर रहे थे।

मैंने उन्हें एक एक करके सब बताना शुरु कर दिया,”अंकल, विजय के अलावा, हैप्पी, सुरजीत और मोन्टी है, चारों एक ही गांव के है …. हेप्पी टूसीटर चलाता है और नशे की चीजें बेचता है। मोन्टी किसी एजेन्ट से ये नशीली चीज़े लाता है। सुरजीत अवैध दारू के पाऊच लाता है और पानवाले के पास रखता है। विजय के पास भी घर पर ये नशे की चीज़े हैं और एक पिस्तौल भी है। और …. ….”सारी रिपोर्ट बताता रहा और रिपोर्ट देने के बाद मैंने उनसे एक दिन का समय और मांगा।

अंकल ने सारी बाते समझ ली थी। अंकल शहर के एस पी थे ….उन्हें शक तो पहले ही था पर नेहा के कहने पर उन्होंने कार्यवाही का वचन दिया था। उन्होंने जरूरी बातें अपनी डायरी में नोट कर ली।

मैं यहाँ से सीधा कामिनी से मिलने नेहा के घर चला आया था …. आज वो बहुत बेहतर लग रही थी …. चल फिर रही थी …. उसमें ताकत आ गई थी।

मैंने जब अपनी बात उसे बताई तो वह सन्तुष्ट नजर आई, पर खुद को रोने से नहीं रोक पाई। अंतत: वो फ़फ़क के फिर रो से पड़ी।

टूटा हुआ मन, आहत भावनाएं ! Hindi Porn Stories

प्रेषिका : मोनिशा Antarvasna Stories

अजय अपनी गर्ल फ़्रेन्ड Antarvasna Stories को साथ लेकर चोदने के लिये गेस्ट हाऊस पहुँचा, अपने कमरे की चाबी लेकर जाने के लिये सीढ़ियाँ चढ़ ही रहा था कि सामने से आते युगल पर उसकी नजर पड़ी। सामने उसके दोस्त की बहन राधिका किसी अजनबी के साथ बाहर आ रही थी। अजय की समझ में आ चुका था कि राधिका चुदवा कर आ रही है। अजय को देख कर राधिका का चेहरा फ़क हो गया। मगर अजय जैसे कुछ भी ना देखने का अभिनय करते हुये अपनी गर्ल फ़्रेन्ड को ले कर कमरे में आ गया। वे दोनों लगभग दो घण्टे तक चुदाई करके होटल से बाहर निकले।

अजय लखनऊ से दिल्ली आ कर नौकरी कर रहा था। राधिका भी दिल्ली में किसी सोफ़्ट्वेयर कम्पनी में काम कर रही थी। दिल्ली में उन्होंने एक दूसरे को पहली बार देखा था, जबकि अजय का लखनऊ में राधिका के घर आना जाना था। राधिका का भाई अजय का दोस्त था।

अजय और उसकी गर्ल फ़्रेन्ड जब होटल से निकले तो उसने देखा कि राधिका रिक्शा स्टेण्ड के पास खड़ी उसी को देख रही थी। अजय ने राधिका को देखा और मुस्करा दिया।
राधिका भी मुस्करा दी और बोली,”मुझे तुमसे बात करनी है… प्लीज इधर आओ !”
“ओह, क्यों नहीं, बताओ कि तुम कैसी हो और दिल्ली में कहाँ रहती हो?”
“एक सहेली के साथ एक फ़्लेट किराये पर लिया है… ”
“चलो, कहीं कॉफ़ी पीते हैं, वहीं बातें करेंगे।”
दोनों एक कॉफ़ी हाऊस में पहुँच गये।

अजय बताने लगा,”मै भी तुम्हारी तरह एक दोस्त के साथ किराये पर मधुवन सोसाइटी में एक फ़्लैट में रहता हूँ, यहाँ से दो किलोमीटर दूर है।”
“और वो लड़की … ?”
“उह्ह्ह, वो तो मेरी एक दोस्त है, घर पर मेहमान आये हुये थे तो हम दोनों यहाँ आ गये। देखो किसी को घर में बताना मत !”
राधिका ने अजय की आँखों में झांका, उसे कुछ अपनापन सा लगा।
“अजय मैं तुम्हारा अहसान मानूंगी, प्लीज मेरी भी कोई बात घर में किसी को मत बताना, बोलो ना, मानोगे मेरी बात?”

“अरे राधिका, मै कोई तुम्हारा दुशमन थोड़े ही हूँ, अगर मेरी वजह से तुम पर कोई आंच आये तो लानत है मुझ पर, मैं भी चोर, तू भी चोर !”
“थैन्क्स अजय, तुमने मेरे दिल का बोझ उतार दिया !”

बातों बातों में राधिका थोड़ा खुलने लगी थी। वो भी अभी चुद कर आई थी, सो अजय ने सोचा कि ये तो पट सकती है। वैसे भी राधिका को घर में उसकी भारी और चौड़ी गाण्ड देख कर उसका लण्ड जोर मारने लगता था। उसे लग रहा था कि उसे चोदना अब और आसान है और राधिका भी जान चुकी थी कि वो रंगे हाथ पकड़ी गई है। उसे लगा कि अब फ़ासला अधिक नहीं है।
“हम दोनों यहाँ पहली बार मिले मिले हैं, चलो आज मैं तुम्हें खाना खिलाऊंगा, घर पर तो तुमने कई बार खिलाया है।”
“पर कहाँ चलें… ?” राधिका थोड़ा सा हिचकचाई।
“होटल में तो मजा नहीं आयेगा, खाना लेकर फ़्लैट पर चलें, अच्छा रहेगा ना … फिर किसी की नजर में भी नहीं आयेंगे !”

“तुम्हारा दोस्त क्या कहेगा… ?” वो भी कुछ कुछ आश्वस्त हो चुकी थी।
“वो तो अपने जीजू और बहन के साथ चार दिन के लिये अब तक तो जा चुका होगा।”
“तो चलो, मैं अपनी सहेली को फोन कर देती हूँ कि मुझे आज देर हो जायेगी।”
“हाँ ये भी कह देना कि आज रात ना भी आ पाऊँ तो चिन्ता मत करना।”

राधिका ने मुझे तिरछी नजरों से देखा और मुस्करा दी। अजय भी यह देख कर मुस्करा दिया। दोनों ने एक दूसरे के दिल की बात समझ ली थी।

अजय सामने के होटल में जाकर दो तन्दूरी चिकन और कुछ चपातियाँ ले आया, रास्ते से उसने एक व्हिस्की की बोतल भी ली और फिर दोनों घर पहुंच गये।
अजय ने खाने का सामान राधिका को दे दिया और कहा,”मै अभी स्नान करके आ रहा हूँ… तब तक तुम खाना लगाओ।”
“हाँ पहले तुम नहा लो, फिर मैं भी पानी डाल लूंगी। कितनी गर्मी है ! है ना?”

“अरे तो फिर क्या बात है… आ जाओ, साथ ही नहा लेते हैं… तुम अपना मुख उधर कर लेना और मैं दूसरी तरफ़ कर लूँगा।”
“धत्त … तुम देख लोगे !” उसकी तिरछी नजर कह रही थी कि नहीं देखोगे तो मैं बुरा मान जान जाऊँगी।
“तुम्हारी कसम, नहीं देखूँगा !” उसने भी जैसे आँख मार कर बता दिया था कि एक बार कपड़े तो उतारो…
“तो ठीक है चलो… ! ” उसने अपने कपड़े उतार दिये और ब्रा और पेन्टी में आ गई।

अजय ने भी कपड़े उतार लिये और मात्र छोटे से अंडरवियर में आ गया। राधिका ने एक नजर अजय के लण्ड पर डाली। उसे देख कर उसे वो बहुत बड़ा लगा। अजय भी राधिका के मस्त उभारों को देखने लगा था। उसका हाल तो राधिका की जवानी देख कर ही खराब हो गया था।

“ना… ना… कोई जरूरत नहीं है मुँह उधर करने की… !” राधिका की नजर अब भी उसके मोटे फ़ूले हुये लण्ड पर थी। अजय ने उसका मतलब भांप लिया और उसे एक झटके में फ़व्वारे के नीचे ले लिया। दोनों भीगने लगे थे, पर उनके दिलों में आग भड़कने लगी थी। अजय ने राधिका के गीले बदन को अपनी बाहों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। इसी बीच राधिका की ब्रा का एक भाग कंधे से उतर गया और उसका एक स्तन बाहर निकल पड़ा। जोश में अजय ने उसके स्तन भींच दिये। जवाब में बस राधिका के मुख से एक सिसकारी निकल पड़ी।

अजय का भारी लण्ड तन कर सीधा खड़ा हो गया। राधिका ने भी तड़प कर उसे खींच कर अंडरवियर से उसे बाहर निकाल लिया। उसे तो वो एनाकोन्डा जैसा मोटा लगा,”अजय, यह तो ! हाय राम ! कितना मोटा है ! बिल्कुल एनाकोन्डा की तरह !”

“बस तुम्हारा ही है, इसे एक बिल चाहिये समाने के लिये !”
“चलो फिर कोशिश करते हैं इसे बिल में समाने की !” राधिका मचलते हुये बोली।

दोनों ही हंस पड़े। वे दोनों नहा कर बाहर आ गये और वैसे ही आधे नंगे से गीले ही बैठ गये। अजय ने व्हिस्की के दो पेग बनाया और पी गये। कुछ ही देर में दोनों में दारू की तरावट आने लगी।
“राधिका, वहाँ होटल में तुम चुदाने गई थी ना?”
“जब मालूम है तो पूछते क्यों हो… जब प्यास लगे तो बुझानी तो पड़ती है ना !”
“उस मादरचोद को तो मजा आ गया होगा, भेन का लौड़ाऽऽ मेरी राधिका को चोद गया !”
“धत्त, ऐसे क्या कहते हो, चूत को चुदानी ही पड़ती है ना … तू भी चोद ले … ”
“वो तो भोसड़ी की, चुदेगी ही, मेरा लण्ड देख कितना जोर मार रहा है !”

“जरा पास ना , हाय तेरे एनाकोन्डा को मै अपनी चूत में छुपा लूँ… तू भी कितना चिकना है… साले के चिकने गालों को काट खाऊँऽऽ … ”
“तेरी मां की भोंसड़ी, आ बैठ जा मेरे एनाकोण्डा पर… ”

अजय का मन राधिका के चूतड़ों पर आ चुका था, दूसरा पेग पीते हुये उसकी पिछाड़ी को उसने दबा दिया। उसकी पसन्द की थी उसकी मोटी गाण्ड ! उसे खींच कर उसके चूतड़ों पर अजय ने अपने दांत गड़ा दिये। राधिका भी अपने चूतड़ों को बार बार दांत से कटवा कर मस्ती से मचल रही थी।

“हाय राधिका, तेरी गाण्ड ने तो मेरा जीना दुश्वार कर दिया था, आज मिली है, कसम से पूरी तबीयत से मारूँगा, गाण्ड मरवाओगी ना मेरी जान?”

राधिका अपनी गाण्ड मटकाते हुए बोली,”आह्ह्ह, नेकी और पूछ पूछ ! मारो मेरे चोदू बालमा, तुम्हें कसम है जानू ! मेरी चूत को अपने दोस्त की नहीं, दुश्मन की चूत समझ कर चोदना !”

“सोच लो रानी ! फिर मुकर मत जाना?” अजय अपने एमाकोन्डा जैसे लण्ड को हाथ में लेकर गरूर से बोला।

“मुकर भी जाऊँ तो भी तुम मुझ पर रहम मत करना, एक राण्ड की तरह फ़ोड़ना मुझे !” राधिका इठलाती हुई बोली।

“हाय मेरी रण्डी यह हुई बात, चल झुक जा भेन की लौड़ी, तेरी गाण्ड में मेरा लण्ड घुसे तो चैन आए !” यह कहते हुये राधिका को फ़र्श पर खड़ा करके बेड पर पर उसे झुकाते हुये लण्ड को गाण्ड के छेद पर प्यार से टिकाया।
“अब तक कितने लण्ड पिलवाये हैं गाण्ड में मेरी रानी?”
“हाय राम , अब क्या कहूँ मैं, जिससे भी चुदवाती हूँ, हर एक ने मेरी को बजाये बिना नहीं छोड़ा… ”

“मैं भी नहीं छोड़ने वाला रण्डी, मां की भोसड़ी… ” कहते हुये अजय ने जो करारा थाप मारा कि पूरा लण्ड बिना थूक या तेल के गाण्ड में चाकू की तरह धंस गया।
आह्ह्ह्ह की चीख के साथ राधिका उछल कर बेड पर जा गिरी,”हाय मार डाला साले, भेन चोद, मेरी जान ही निकाल दी… ”
“मेरी रानी, इतना मस्त शॉट मारा था, इतनी दमदार गाण्ड ले कर किसी कमसिन की तरह चीखती हो।”

राधिका अपनी गाण्ड सहलाते हुये बोली,”सुनो मिस्टर, मैंने तुम्हें अपनी गाण्ड चोदने को कहा था, गाण्ड की मां चोदने को नहीं कहा था ! साले हरामजादे तुम तो मेरी गाण्ड को फ़ाड़ डालने पर आमदा हो?”
“कमाल करती हो रानी, तुम्हारी गाण्ड बिल्कुल नहीं फ़टेगी, पूरा चिकन तन्दूरी खा गई और मेरे लौड़े से घबरा गई?”
“मुर्गा तो मैंने, भोसड़ी के, मुँह से खाया था, गाण्ड से नहीं, समझे?”
“अब खा लिया है तो निकलेगा तो गाण्ड ही से ना, मेरी रण्डी !”
“लगता है मेरी गाण्ड को फ़ाड़ कर ही मुर्गा निकालोगे, क्यों है ना?”

“ओह्ह्ह हो, डार्लिंग अब कायदे से मारूंगा !” कह कर वो तेल की शीशी उठा लाया और अपने लण्ड पर और राधिका की गाण्ड में उसे अच्छी तरह से लगा दिया।

फिर लण्ड के लाल सुपारे को छिद्र पर सेट कर फिर से हौले धक्का मारा। लण्ड राधिका की गाण्ड में ऐसे उतर गया जैसे मक्खन पर में छुरी घुसती है, दूसरे शॉट में पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में फ़ंस गया। राधिका के चूतड़ों पर सने तेल के कारण लण्ड हर एक थाप पर चप-छपक की आवाज कर रहा था। दोनों हाथों से उसके स्तनों को तेल से मसलते हुये अजय गाण्ड का पूरा मजा ले रहा था,”कैसी हो मेरी रण्डी … गाण्ड चुदने का मजा आ रहा है ना?”
“मार दे रे हारामजादे, फ़ाड़ डाल इन चूतड़ों कोऽऽ ! बजा दे गाण्ड का बाजाऽऽ आ ऽऽ ह !”

राधिका की आंखों में दोगुना नशा था, एक तो अजय की पिलाई हुई व्हिस्की का, और दूसरा उसकी गाण्ड में फ़ंसे हुये एनाकोन्डा का… !
राधिका बिस्तर के सामने लगे आईने में देख कर रण्डी नम्बर एक जैसे भाव दिखा रही थी।

“हाय और मारो राजा, मेरे चोदू छैला, जोर से मारो मेरी गाण्ड, हाय रे तेरा मस्त लौड़ा, मैं तो हारामजादे रण्डी बन गई, हाय अजय मुझे गालियाँ दे ! भेनचोद, रण्डी, चुदैल, छिनाल बुला मुझे साले ! तेरी मां की चूत !”
अजय भी जोर जोर से मस्त करारे थाप मार रहा था।
“ले खा भोसड़ी की, मेरा लौड़ा खा जा, साली कुतिया तुझे तो एक दिन अपने रूममेट के साथ मिल कर चोदूंगा, भेन की लौड़ी, तुझे तो तेरी माँ के सामने चोद चोद कर तेरी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा, तेरी मां दी फ़ुद्दी… हाय क्या गाण्ड है तेरी तो साली, तुझे तो कॉल गर्ल होना चाहिये था छिनाल !”

राधिका भी बेशरमाई पर उतर आई थी। शराब का नशा, तिस पर चुदाई, वो तो बेहयाई पर आ चुकी थी,”गाण्डू, साले मुझे मेरी मां के सामने चोदेगा तो मम्मी भी नंगी हो कर तेरे नीचे लेट जायेगी, तेरे लण्ड को देख कर वो भी रण्डी बन कर तेरा लौड़ा खायेगी, मादरचोद साले चोद मुझे पटक पटक कर, रन्डी बना कर चोद सजना, आज हलाल कर दे मुझे, जैसे कसाई बकरे को हलाल करता है, तड़पने दे मुझे, तेरी तो भेन की चूत ! तेरी बहन चुदवा दूंगी तेरे लौड़े से !”

अजय इस प्रकार की बातों से मदहोश हो रहा था, उसकी रफ़्तार बढ़ गई। राधिका उसके नीचे मछली की भांति तड़प रही थी। वो राधिका के चूतड़ों से चिपट कर उसकी गाण्ड तबीयत से मार रहा था, लण्ड पेल रहा था। इतनी तन्दरुस्त और सुंदर भारी गाण्ड पर रहम करना उसकी बेवकूफ़ी ही होती।

राधिका भी उसे ऐसा कोई मौका नहीं दे रही थी कि वो उसकी गाण्ड को चोदना छोड़ दे। हर बात पर वो तो नहले पर दहला मार कर अपनी त्रिया चरित्र की मां चोद रही थी।

अचानक अजय ने राधिका के दोनों हाथ पकड़ कर पीछे खींच लिये और उसके ही दुपट्टे से ही बांध दिया और बोला,”देख मेरी राधिका, मेरी रण्डी, मेरी छिनाल, तुझे अब मैं कैसे हलाल करके चोदता हूँ, मेरी जान, मेरी दोस्त मुझे माफ़ कर देना !”

राधिका आंखे नचा कर और चूतड़ों को मटका कर बोली,”मेरे भैया की तरफ़ से मैं तुझे माफ़ करती हूँ। मेरे सरताज़, बस अब लगा दो पूरा जोर, मुझे कुतिया बना कर चोद दो और कुत्ते की तरह लण्ड गाण्ड में फ़ंसा दो, बरबाद कर दो मुझे, रण्डी से भी गई गुजरी कर दो हाय रे, मेरे चोदू रण्डवे, ऐसा चोदना कि गाण्ड और चूत में कोई फ़रक करना मुश्किल हो जाये !”

उसके बालों को पकड़ कर अजय ने अपनी ओर खींच लिया, और इस बार का शॉट करारा था। राधिका को लगा कि जैसे अजय के एनाकोन्डा ने उसकी गाड फ़ाड़ कर रख दी है। उसके मुख से एक चीख निकल पड़ी, उसे लगा कि कोई आग का गोला गाण्ड की गहराई को भी फ़ोड़ता हुआ भीतर सुलग उठा हो। उसकी चीख को नजर-अन्दाज करते हुए उसका दूसरा भरपूर शॉट फिर से लगा।

वो तड़प उठी,”भोसड़ी के, मार डालेगा क्या … साला लौड़ा है कि लोहे का गरम रॉड … धीरे कर हरामी… मेरी मां चोद दी इस लण्ड ने तो !”

“चुप रह, कुतिया, अरे लण्ड लेना है तो लपक लपक कर ले, साली ऐसे चीख रही है कि जैसे तेरी माँ को चोद रहा हूँ !”

अब अजय ने अपना मोटा लण्ड को खुला छोड़ दिया और उसकी गाण्ड पर पूरे जोर से पटकने लगा। कुछ ही देर में वो फिर से मस्त हो उठी और उसकी चूत लपलपाने लगी।

“बहुत हो गया मादरचोद … मेरी चूत तेरा बाप चोदेगा क्या ?”

“ओह हाँ ! थोड़ा बहुत माल चूत के लिये भी तो बचाना पड़ेगा ना… चल अब सीधी हो जा !”

“नहीं, बहुत चोद लिया तूने ! अब मेरी बारी है … चल मेरे नीचे हो कर चुद अब तू !”

राधिका ने अजय को अपने नीचे दबा लिया,”मादरचोद मेरी गाण्ड का तो तूने हलवा बना दिया, अब देख साले ! तैयार हो जा… मेरी चूत में कितना दम है तू ही देख ले !”

राधिका उसकी टांगों के बीच बैठ गई। उसका हाथी की सूण्ड जैसा लण्ड उसने हिलाया। लाल सुपारा पूरे उफ़ान पर था, उस पर रह रह कर वीर्य की बूंदें उभर आती थी। यह देख कर वो मुस्कराई। उसने लण्ड जोर से अपनी चूत के द्वार पर थपथपाया और मुठ में भर कर उसे अपने योनि-द्वार में फ़ंसा लिया।

“तेरी मां की चूत, हो जा तैयार… देख तेरे लण्ड का कमाल मेरी चूत में… !” और उसने उसे चूत में घुसेड़ लिया। उसे एक झटके से भीतर उतार लिया और सिसक उठी। लण्ड के भीतर गहराई में फ़ंसने के बाद राधिका ने बदला लेने की गरज से कहा,”ओ मेरी भेन के लौड़े, तैयार है चुदने के लिये… ?”

“ओह्ह्हो, बड़ा दम मार रही हो, मेरे एनाकोन्डा के सामने सब फ़ेल हो जाते हैं !”
“देखूँ तो सही… फिर लण्ड पकड़ कर हाय हाय मत करना ? !!”
और राधिका ने अपनी कला दर्शा दी। उसने अपनी चूत जोर से भींच ली।
“मजा आ रहा है ना मेरे सजना ? इस कड़क चूत का… !”
“आह, कैसी मीठी मीठी सी चुदाई है !”

भींची हुई चूत उसने ऊपर खींची। अजय चीख पड़ा… “अरे लण्ड की चमड़ी फ़ट जायेगी… तेरी माँ की बहन को चोदूँ, भोसड़ी की… आह !”
राधिका ने अपनी भिंची चूत से अन्दर एक धक्का मारा। वो फिर से कराह उठा।
“अरे मेरी मां, ठीक से चोद ना !”
“मेरी कैसी फ़ाड़ी थी … कुछ याद आया… ?”

राधिका को भी अन्दर चोट पहुंच रही थी, पर अजय को सबक तो सिखाना था ना ! उसने उसी अन्दाज में तीन चार धक्के लगाये, अजय निढाल सा हो गया।
“बस मेरे राजा… अब मजा लो !” राधिका ने भी अपनी जिद छोड़ दी। उसे भी तो मजा लेना था ना !

और राधिका ने मस्ती की फ़ुहार छोड़ दी और भचाभच उसके लण्ड पर चूत मारने लगी। अजय बहुत अधिक नहीं सह पाया और उसका वीर्य छूटने को हो गया।

तभी राधिका का रज निकल पड़ा… वो उससे लिपट कर अपना रज निकालने लगी… पर उसने होश नहीं खोये। उसने तुरन्त अजय का लण्ड चूत में से निकाल लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। उसके सुपारे पर उसने अपने अधर खोल कर रख दिये।

अजय ने वीर्य छोड़ने से पहले एक हुंकार सी भरी और तीर की भांति उसकी पहली धार राधिका के हलक तक पहुंच गई। उसने लल्दी जल्दी लण्ड को मसला और बाकी का ढेर सारा वीर्य अपने मुख में चूस लिया। अजय झड़ कर निढाल पड़ा था। दारू का नशा भी उस पर पूरा था। राधिका भी थक कर पास में लेट गई। कुछ ही देर में व्हिस्की ने अपना असर दिखा दिया और दोनों गहरी नींद में सो गये।

कमरे में मात्र खर्राटों की आवाजे आ रही थी। जहाँ जहाँ वीर्य के कतरे पड़े थे वो वहीं सूख गये थे। जब उठे तो शाम ढल चुकी थी। दोनों ने फिर से स्नान किया और एक एक करके व्हिस्की के कई जाम दोनों ने पी लिये और बचा हुआ तन्दूरी मुर्गा साफ़ कर गये। व्हिस्की का नशा उन दोनों पर एक बार और चढ़ गया … और फिर कुछ ही पलों में कमरे में सिसकारियाँ गूंज उठी। Antarvasna Stories

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