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कहते हैं कि किसी औरत Hindi Sex Stories को गैर-मर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिये क्योंकि मर्द उसे पकड़ कर चोदने की ही सोचेगा।
कैसे इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ – यही ख्याल उसके मन में कुलबुलायेगा।
दोस्तो, मेरे साथ ऐसा ही हुआ।
गर्मी के दिन थे और भरी दोपहर थी।
मैं अपने घर में अकेला था क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई थी।
मैंने घर में कुछ ज़रूरी काम करने के लिये ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी।
काम निबटा कर मैं बेडरूम में ठंडी बीयर का आनन्द ले रहा था।
करीब एक बजे दरवाजे पर हुआ टिंग-टोंग!
मैंने दरवाजा खोला तो सामने मानो एक अप्सरा खड़ी थी।
पैंतीस-छत्तीस साल की साँवली और गज़ब की सुंदर औरत साड़ी पहने हुए और हाथों में कागज़ और कलम लिये हुए कोयल का आवाज़ में बोली- माफ़ कीजियेगा! क्या कोई लेडी हैं घर में?
मैंने कहा- जी नहीं, मैं बेचलर हूँ और अकेला ही रहता हूँ। आप कौन हैं?
उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदें थी, वह बोली- ज़रा एक ग्लास पानी मिलेगा?
मैंने कहा- हाँ, क्यों नहीं?
वह ज़रा सा अंदर आयी।
मैंने पानी का ग्लास देते हुए पूछा- क्या बात है, आप हैं कौन?
पानी पी कर वह बोली- जी, मेरा नाम सना खान है और मुझे एक कनज़्यूमर कंपनी ने भेजा है सर्वे के लिये। क्या आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दे देंगे?
मैंने कहा- जी कोशिश कर सकता हूँ। आप प्लीज़ यहाँ बैठ जाइये।
वह सोफ़े पर बैठ गयी और हमारे घर का दरवाजा अभी खुला ही था।
मैंने दूसरे सोफ़े पर बैठ कर कहा- पूछिये जो पूछना है।
वो बोली- जी आपका नाम और आपकी उम्र क्या है?
“जी मैं प्रताप सिंह हूँ और उम्र छब्बीस साल!” मैंने जवाब दिया।
“आप अपने घर की ज़रूरत की चीजें कहाँ से खरीदते हैं?”
इस तरह वो सवाल पर सवाल पूछती रही और मैं जवाब देता गया।
कुछ देर बाद मैंने पूछा- इस तरह इतनी गर्मी के मौसम में भी आप क्या सब घरों में जाकर सर्वे करती हैं?
“जी, जॉब तो जॉब ही है ना!”
“तो आप शादी शुदा होकर (उसने बड़ी सी अंगूठी पहनी हुई थी) भी जॉब कर रही हैं?”
अब वो भी थोड़ी-सी खुल सी गयी, बोली- क्यों, शादी शुदा औरत जॉब नहीं कर सकती?
“जी यह बात नहीं, घर-घर जाना, जाने किस घर में कैसे लोग मिल जायें?”
उसने जवाब दिया- वैसे तो दिन के वक्त ज्यादातर हाऊसवाइफ ही मिलती हैं। कभी-कभी ही कोई मेल मेंबर होता है।
“तो आपको डर नहीं लगता।”
“जी अभी तक तो नहीं लगा। फिर आप जैसे शरीफ इंसान मिल जायें तो क्या डर?”
‘शरीफ इंसान’ – एक बार तो सुन कर अजीब लगा।
इसे क्या मालूम कि मैं इसे किस नज़र से देख रहा था।
साड़ी और ब्लाऊज़ के नीचे उसकी चूचियाँ तनी हुई थीं और मेरे लंड में खुजली सी होने लगी।
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हाथों की अँगुलियाँ लंबी-लंबी मुलायम सी!
वैसे ही मुलायम से सैक्सी पैर ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में कसे हुए।
देख-देख कर लंड महाराज खड़े हो ही गये।
मन में ज़ोरों से ख्याल आ रहा था कि क्या गज़ब की अप्सरा है।
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तभी वह बोली- अच्छा, थैंक्स फ़ोर एवरीथिंग। मैं चलती हूँ।
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चली जायेगी तो हाथ से निकल ही जायेगी।
अरे प्रताप, हिम्मत करो, आगे बढ़ो, कुछ बोलो ताकि रुक जये।
इसकी चूत में अपना लंड नहीं डालना है क्या? चूत में लंड? इस ख्याल ने बड़ी हिम्मत दी।
“माफ़ कीजियेगा सना जी, आप जैसी खूबसूरत औरत को थोड़ा केयरफुल रहना चाहिये।” मैंने डरते हुए कहा।
“खूबसूरत?”
मैं थोड़ा सा घबराया, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला- जी, खूबसूरत तो आप हैं ही। बुरा मत मानियेगा। आप प्लीज़ अब तो चाय पीकर ही जाइये।
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वह हंसते हुए बोली- ठीक है… लेकिन इतनी गर्मी में चाय की बजाय कुछ ठंडा ज्यादा मुनासिब होगा!
मैंने कहा- क्यों नहीं… क्या पीना पसंद करेंगी… नींबू शर्बत या पेप्सी… वैसे मैं भी आपके आने के पहले चिल्ड बीयर ही पी रहा था!
“तो फिर अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मैं भी बीयर ही ले लूँगी!”
मुझे उससे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई।
मैंने उसे फिर बैठने को कहा और किचन में जाकर दो ग्लास और फ्रिज में से बीयर की दो ठंडी बोतलें निकाल कर ले आया।
हम दोनों बीयर पीने लगे और इधर मेरा लंड उबल रहा था।
पहली बार किसी औरत के साथ बैठ कर बीयर पी रहा था और वो भी इतनी सुंदर औरत – और मुझे पता नहीं था कि कैसे आगे बढ़ूँ।
तभी वो बोली- आप अकेले रहते हैं… शादी क्यों नहीं कर लेते?
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“आप प्लीज़ बार-बार ऐसे ना कहिये। और मुझे सना जी क्यों कह रहे हैं। मैं उम्र में आपसे बड़ी ज़रूर हूँ लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं!” वो इतराते हुए अदा से मुस्कुरा कर बोली।
दोस्तो, यह हिंट काफ़ी था मेरे लिये!
मैं समझ गया कि ये अब चुदवाने को आसानी से तैयार हो जायेगी।
हमारी बीयर भी खत्म होने आयी थी।
“ठीक है, सना जी नहीं … सना … तुम भी मुझे आप-आप ना कहो! वैसे तुम कितनी खूबसूरत हो, मैं बताऊँ?”
“कहा तो है तुमने कई बार। अब भी बताना बाकी है?”
“बाकी तो है। अपनी बीयर खत्म करके बस एक बार अपनी आँखें बन्द करो … प्लीज़!”
दो-तीन घूँट में जल्दी से बीयर खतम करके उसने आँखें बंद की।
मैंने कहा- आँखें बंद ही रखना!
अब मैंने उसे कुहनी से पकड़ कर खड़ा किया और हल्के से मैंने उसके गुलाबी-गुलाबी नर्म-नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
एक बिजली सी दौड़ गयी मेरे शरीर में! लंड एकदम तन गया और पैंट से बाहर आने के लिये तड़पने लगा।
उसने तुरन्त आँखें खोलीं और अवाक सी मुझे देखती रही और फिर मुस्कुरा कर और शर्मा कर मेरी बाँहों में आ गयी।
मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
कस कर मैंने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया।
ऐसा लग रहा था बस यूँ ही पकड़े रहूँ।
फिर मैंने सोचा कि अब समय नहीं बर्बाद करना चाहिये।
पका हुआ फल है, बस खा लो।
तुरंत अपनी बाँहों में मैंने उसे उठाया (बहुत ही हल्की थी) और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
उसकी आँखों में प्यास नज़र आ रही थी।
साड़ी और सैंडल पहने हुए बिस्तर पर लेटी हुई वो प्यार भरी नज़रों से मुझे देख रही थी।
ब्लाऊज़ में से उसके बूब्स ऊपर नीचे होते हुए देख कर मैं पागल हो गया।
आहिस्ते से साड़ी को एक तरफ़ करके मैंने उसकी दाहिनी चूची को ऊपर से हल्के से दबाया।
एक सिरहन सी दौड़ गयी उसके शरीर में!
वो तड़प कर बोली- प्लीज़ प्रताप! जल्दी से! कोई आ ही ना जाये।
“घबराओ नहीं, सना डार्लिंग … बस मज़ा लेती रहो। आज मैं तुम्हे दिखला दूँगा कि प्यार किसे कहते हैं। खूब चोदूँगा मेरी रानी!” मैं एकदम फ़ोर्म में था।
यह कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया और होंठों को कस-कस कर चूसने लगा।
फिर मैंने कहा- चुदवाओगी ना?
आह! गज़ब की कातिलाना मुस्कुराहट के साथ बोली- प्रताप! तुम भी… बहुत बदमाश हो… तो क्या बीयर पी कर यहाँ तुम्हारे बिस्तर पे तीन पत्ती खेलने के लिये तुम्हारे आगोश में लेटी हूँ! अब इस भरी दोपहर में दर-दर भटकने की बजाय यही अच्छा है।
“सना रानी, बदमाश तो तुम भी कम नहीं हो!” और उसके नर्म-नर्म गालों को हाथ में ले कर होंठों का खूब रसपान किया।
मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था।
चूत मुझे महसूस हो रही थी और उसकी चूचियाँ … गज़ब की तनी हुई … मेरे सीने में चुभ-चुभ कर बहुत ही आनंद दे रही थी।
दाहिने हाथ से अब मैंने उसकी बाँयी चूची को खूब दबाया और एक्साईटमेंट में ब्लाऊज़ के नीचे हाथ घुसा कर उसे पकड़ना चाहा।
“प्रताप, ब्लाऊज़ खोल दो ना!”
उसका यह कहना था और मैंने तुरन्त ब्लाऊज़ के बटन खोले और उसे घुमा कर साथ ही साथ ब्रा का हुक खोला और पीछे से ही उसके बूब्स को पूरा समेट लिया।
आहा … क्या फ़ीलिंग थी, सख्त और नर्म दोनों, गर्म मानो आग हो।
निप्पल एकदम तने हुए।
जल्दी-जल्दी मैंने ब्लाऊज़ और ब्रा को हटाया; साड़ी को परे किया और पेटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे हटाया।
पिंक पैंटी और सफेद हाई-हील के सैंडल पहने हुए सना को नंगी लेटी हुई देख कर तो मैं बर्दाश्त ही नहीं कर सका।
मैंने अब अपने कपड़े जल्दी-जल्दी उतारे।
लंड तन कर बाहर आ गया और ऊपर की तरफ़ हो कर तड़पने लगा।
उसका एक हाथ लेकर मैंने अपने फड़कते हुए लंड पर रख दिया।
“उफ हायल्ला कितना बड़ा और मोटा है!” वह बोली और आहिस्ता-आहिस्ता लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।
शादीशुदा औरत को चोदने का यही मज़ा है; कुछ सिखाना नहीं पड़ता।
वो सब जानती है और आमतौर पर शादी शुदा औरतें फैमली प्लैनिंग के लिये पिल्स या कोई और इंतज़ाम करती हैं तो कंडोम की भी ज़रूरत नहीं।
मैंने आखिर पूछ ही लिया- सना डार्लिंग, कंडोम लगाऊँ?
वो मुँह हिलाते हुए मना करते हुए खिलखिलायी- सब ठीक है। मैं पिल्स लेती हूँ।
मैंने अब उसके बदन से उस पिंक पैंटी को हटाया और इत्मीनान से उसकी चूत को निहारा।
एकदम साफ चिकनी सुंदर सी चूत थी। कुछ फूली हुई थी।
मैंने उसके ऊपर हाथ रखा और हल्के से दबाया।
अँगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छूरी।
रस बह रहा था और चूत एकदम गीली थी।
मैं जैसे सब कुछ एक साथ कर रहा था। कभी उसके होंठों को चूसता, चूचियों को दबाता – कभी एक हाथ से कभी दोनों से!
एकदम टाइट गोल और तनी हुई चूचियाँ।
उसके सोने जैसे बदन पर कभी हाथ फिराता।
फिर मैंने उसकी चूचियों को खूब चूसा और अँगुलियों से उसकी बूर में खूब अंदर बाहर करके हिलाया।
“सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।”
पहली बार उसके मुँह से अब सुना- चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।
मज़ा लेते हुए मैंने पूछा- क्या चोदूँ जानेमन? एक बार फिर से कहो ना! तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।
“अब चोदो ना … इस … इस चूत को!”
“अब मैं तेरी गर्म-गर्म और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।”
मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया।
उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया।
दोस्तो, मानो मैं जन्नत में आ गया।
मैं बोल ही उठा- उफ़, क्या चूत है सना … मज़ा आ गया।
उसने भी उत्तेजित होकर कहा- चोद दो प्रताप … बस अब इस चूत को खूब चोदो।
दोस्तो … चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया।
झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।
“सना … बहुत मजेदार चुदाई थी यार! तुम तो गज़ब की चीज़ हो।”
“मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।” वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली।
उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी।
दोस्तो, फिर बीस मिनट बाद पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के!
फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा।
मैंने शायद उसकी चूचियाँ और चूत और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा।
इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था।
बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत!
कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा- सना, अब तो तुम्हें और कई बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?
मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!
अब वह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली- प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!
उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया।
फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी।
कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी। Hindi Sex Stories
कोठे की कुतिया में आपने Sex Stories पढ़ा कि मौसी ने किस तरह से मुझे एक रंडी बना दिया था।
अब पढ़िए कि किस तरह से मौसी ने मेरी चूत और गांड का भोंसङा बना दिया।
मैं और मोनी मौसी के साथ एक पारदर्शी मैक्सी पहन कर ऊपर की तरफ चले गए जहा मोंटी अंकल हमारा इंतजार कर रहे थे। अंकल को देखकर मौसी बोली- डार्लिंग मस्त लोंडिया तुम्हरे लिए बचाकर रखी हुई है, छूते ही मस्तिया जाओगे और तुम्हारा चेला कहाँ है? मोनी को उसके लिए बचाकर रखा है।
अंकल बोले- टीनू आ रहा है, वो जरा दारू का इंतजाम कर रहा है।
मौसी ने पहले ही मुझे काफी बातें सिखा दी थी कि ग्राहक की सेवा कैसे की जाती है। मैं अंकल के पास जाकर बेठ गई और उनके लौड़े को जींस के ऊपर से रगड़ने लगी।
अंकल मेरे चूतड़ मसलते हुए बोले- मौसी, तुम यह झबले क्यों पहना लाती हो ?
मौसी के इशारे पर मैंने अपनी मैक्सी उतार दी।
अंकल मुस्कराए और बोले- समझदार है !
उन्होंने आगे से मेरी उभरी हुई चूत पर हाथ फेर कर कहा- साली की पाव रोटी तो बड़ी चकाचक है ! ज्यादा चुदी भी नहीं लगती है !
मौसी बोली- बिलकुल ताजा माल है ! पीछे से तो पूरी कुंवारी है आगे से भी लंड छुली हुई है बस। आज तुम्हें इसकी चूत का भोंसड़ा बनाना है।
अंकल गरम हो रहे थे उन्होंने जींस में से लौड़ा निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया। थोड़ा सहलाने के बाद मैंने अंकल का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरी चूत चुदने को पगला रही थी। मौसी बाहर जाने लगीं और मुझसे बोली- अंकल जैसे कहें वैसा करना ! अगर अंकल खुश नहीं हुए तो तेरी चूत और गांड की भोंसड़ी तो बनाउंगी ही, साथ ही साथ चेहरा भी इतना सुंदर कर दूँगी कि कोई तुझे चोदने के दो रुपए भी नहीं देगा।
मौसी मोनी को लेकर बाहर चली गई और बोली- अंकल, मौज करो ! टीनू को दूसरे कमरे में बैठा दूँगी।
अंकल का लंड बहुत सुंदर था। आट इंच लम्बा लंड किसी भी औरत की चूत चोद चोद कर फाड़ने के लिए काफी था।
मैं अंकल का लंड मुँह में आगे पीछे करते हुए मस्ती से चूस रही थी। सच मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अंकल ने मेरे चूतड़ थपथपाते हुआ कहा- थोड़ा अपनी चूत चुसवा ! बहुत मस्त लग रही है।
उन्होंने मेरी टाँगें खींच कर अपने मुँह की तरफ कर ली अब मैं और अंकल 69 कि अवस्था में एक दूसरे के ऊपर थे, अंकल नीचे से मेरी चूत के होंठ चूस रहे थे और मेरे मुँह में उनका लौड़ा गरम हो रहा था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए चूत और लंड की चुसाई का मज़ा ले रहे थे।
थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे ऊपर से हटा दिया और सीधे पलंग पर लेटा दिया और अपने तने हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी चूत पर फिराने लगे। मैं चुदने के लिए बुरी तरह से पगलाने लगी। मेरे मुँह से ऊह आह आह आह अंकल चोदो मुझे चोदो जैसी आवाजें निकलने लगी।
अंकल ने थोड़ी देर में अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी दोनों चूचियां दबाकर कर एक जोर का झटका दिया। मैं एकदम से बुरी तरह से चिल्ला उठी। अंकल का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस चुका था। मेरी चीख निकल गई- उईऽऽ मर गई ! मर गई ! मर गई, छोड़ो ! बहुत दुःख रही है छोड़ो !
अंकल ने मेरे दूध भोंपू की तरह दबाते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में मुझे चुदने में मजा आने लगा। अब मैं मस्त होकर चिल्ला रही थी, मेरे मुँह से ऊ ऊहं ऊहं ओह आह आह अहह बड़ा मज़ा आया और चोदो चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है जैसे आवाजें निकलने लगी।
अंकल चोदने में बहुत माहिर थे, कभी धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करते थे और कभी तेज कर देते थे। बराबर वो चूचियां और चुचक भी मसल रहे थे और होठों पर भी काट रहे थे। उनकी चुदाई में एक मज़ा था। मेरे होठों में अपने होंठ डालते हुए अंकल बोले- कुतिया थोड़ी गांड हिला हिला कर लंड अंदर ले ! बहुत मज़ा आयेगा।
मैं अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी। अब मेरी चुदने की मस्ती बढ़ गई थी, चुदने का मज़ा दुगना हो गया था। थोड़ा चोदने के बाद अंकल ने मुझे तिरछा कर दिया और मेरी टांग उठाकर पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और पीछे से मेरी चूत में धीरे धीरे धक्के मारने लगे।
मैं इस समय चरम सीमा का अनुभव कर रही थी, मेरी चूत बहुत तेज धार से पानी छोड़ रही थी। अंकल ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया। मेरी चूत पूरी वीर्य से भर गई थी। मुझे आज चुदाई में एक चरम सीमा का आनंद आया।
बहुत दिनों के बाद मैं चुदी थी, चुदने के बाद मैं मस्तिया कर लेट गई। अंकल उठे और उन्होंने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और कमरे में रखे फ़्रिज से दारू की बोतल निकाल ली और दारू का ग्लास बना लिया। मूवी में दो हब्शी एक लड़की की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे। अंकल अपना लौड़ा सहलाने लगे, थोड़ी देर में अंकल का लंड फिर खड़ा हो गया था। उन्होंने मुझे इशारा किया, मैं उठकर अंकल के पास आ गई। अंकल ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया।
उनका लौड़ा पूरा तन गया था। उन्होंने दारू का ग्लास मुझे पकड़ा दिया और मेरी टांगें चौड़ी कर थोड़ा नीचे को फिसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। अब मैं अंकल के लौड़े पर बैठी हुई थी। एक हाथ से अंकल दारू का ग्लास पकड़े हुए थे और एक हाथ से कभी मेरी चूत का दाना सहला देते और कभी चुचक दबा देते। ब्लू फिल्म मैं भी बड़े प्यार से देख रही थी अंकल ने मेरी चूत में अपना लौड़ा फिट कर रखा था। बीच बीच में वो एक दो धक्के मुझे उचका के मार देते थे। मेरा बदन एक बार फिर गरम होने लगा था।
हम दोनों सोफा कुर्सी पर बैठे थे जिसके हत्थे नहीं थे। अंकल ने मेरी चुचकों पर चुटकी काटी और मेरे स्तन दबाते बोले- जरा साइड में देख !
साइड में एक बड़ा शीशा लगा हुआ था, मैं नंगी शीशे में देखकर शरमा गई। अंकल ने मुझे बैठे हुए ही कुर्सी मोड़ दी अब मैं शीशॆ के सामने थी और नंगी उनके लंड पर बैठी हुई अपने को देख रही थी। मैं पूरी रंडी बनी हुई थी अंकल ने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी।मेरी चूत और उसमें घुसा हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था। अंकल मुझे कमर से पकड़ कर धीरे धीरे उछालने लगे और बोले- थोड़ा लौड़े पर कूद ले ! मौसी की रंडियां इतनी शर्माती तो नहीं हैं ! मस्ती से चुदवा, नहीं तो मौसी से शिकायत करनी पड़ेगी।
मौसी का नाम सुनकर मैं डर गई और उनके लौड़े पर उछल-उछल कर खुद चुदने लगी। आज तक मैं अपने पति से कभी रौशनी में नहीं चुदी थी। अब यहाँ चूत चौड़ी कर खुद चुद रही थी और अपनी चुदाई शीशे में देख रही थी। अंकल भी अब अपना लौड़ा गांड हिला हिला कर तेजी से पेल रहे थे, लेकिन मुझे चुदाई में जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं चुदाई की मस्ती में नहा रही थी। अंकल ने कुछ देर बाद मुझे सोफे के नीचे बैठा दिया और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अपना सारा लंड रस मेरे मुँह में उतार दिया। मेरा मुँह अंकल के लंड रस से भर गया जिसे मुझे अपने अंदर लेना पड़ा इसके बाद अंकल ने मुझे छोड़ दिया। मैं पेशाब करने बाथरूम में चली गई बाथरूम में दरवाज़ा नहीं था केवल पर्दा पड़ा था।
रात के तीन बज़ रहे थे, अंकल ने दूसरी ब्लू फ़िल्म लगा ली और मुझे बगल में बैठा लिया। उन्होंने मेरे गले में हाथ डाल लिया और थोड़ी देर बाद बोले- जा जरा मेरी पैंट की जेब में एक थैली पड़ी होगी, उसे लेकर आ।
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अंकल बोले- बस अभी से? अभी तो तुम्हरी गांड भी नहीं मारी है। अच्छा एक काम करो इस ट्यूब से क्रीम निकाल कर मेरे लौड़े पर मलो, मरती क्या नहीं करती ! मैं झुककर अंकल के लौड़े पर क्रीम मलने लगी। अंकल ने क्रीम से सनी दो ऊँगली एक साथ मेरी गांड में अंदर तक घुसा दी। मैं अनमने मन से उई उई करते हुए अपनी गांड में ऊँगली घुसवा रही थी और अंकल के लौड़े और सुपाड़े पर क्रीम की मालिश कर रही थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे लौड़ा चूसने के लिए बोल दिया। अब अंकल का क्रीम लगा चिकना लौड़ा मैं मुँह में चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स मस्ती की जगह मैं जैसे कोई सेक्स की मजदूरी कर रही हूँ।
अंकल अब ऊँगली की जगह अपने पैन को मेरी गांड में आगे पीछे कर रहे थे। मुझे लग रहा था कि अब मेरी गांड फाड़ी जाएगी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे फिर बगल मैं बैठा लिया। अंकल का लंड तनतना रहा था। लेकिन अब मेरा चुदने का मन नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आने लगी। मैं उठी और मुस्करा के बोली- अंकल पेशाब कर के आती हूँ !
अंकल कुटिलता से मुस्कराए और बोले- ठीक है !
मैं उठी और बाथरूम में चली गई।
जब मैं पेशाब कर के उठी तो देखा अंकल पीछे खड़े थे और उनका लंड उछाल मार रहा था। अंकल ने पीछे से कमर से मुझे पकड़ लिया और बोले पीछे का माल तो तेरा बड़ा मस्त है, चल झुक जरा तेरी गांड तो चोद दूँ ! क्या मस्त दिख रही है !
अंकल की पकड़ बड़ी मजबूत थी, मुझे कुतिया की तरह झुकना पड़ा। मैंने अपने हाथ इंग्लिश टोइलेट सीट पर लगा दिए। उन्होंने अपनी दो उंगलियाँ मेरी गांड में डाल दी और कस कस के गोल गोल गांड के अंदर घुमा दी। मैं ऊई ऊई कर के कराह उठी। अंकल ने ढेर सारा थूक मेरी गांड पे डाल कर अपना सुपारा मेरी गांड के मुँह पर रख दिया और एक तेज झटका मारकर सुपारा मेरी गांड में घुसा दिया। मेरी चीख निकल गई और मैं चिल्ला उठी- उई उई मर गई मर गई !
लेकिन रंडी तो बजने के लिए ही बनी है, अंकल अब अपना लंड मेरी गांड में घुसा रहे थे, चिकना लंड मेरी गांड में अंदर तक घुसता जा रहा था। मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था। अंकल ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में ठूस दिया था मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाउंगी। मैं चीख कम और रो ज्यादा रही थी। मेरे दोनों चूतड़ फाड़ दिए गए थे। अगले दो मिनट बाद ही में बहुत तेजी से चिल्ला उठी। अंकल ने पूरा लंड बाहर खींच कर फिर दुबारा एक झटके में अंदर डाल दिया था। मेरी चीख बहुत तेज थी। पूरी नीचे गली तक गई होगी क्योंकि रात के तीन बज़ रहे थे और एक शांति सी थी। लेकिन यहाँ तो रोज लड़कियां बजती थीं इसलिए मुझे उम्मीद नहीं थी कि कोई मुझे बचायेगा अब कोठे की कुतिया के दोनों छेद फट गए थे, अंकल ने मेरी गांड बजाना शुरू कर दी थी। वाकई चुदाई तो मेरी अब हो रही थी, अभी तक तो मैं चूत लौड़े की मस्ती ले रही थी जो शरीफ औरतें रोज़ अपने पति से लेती हैं। चुदाई क्या होती है यह तो बस रंडी ही जानती है।
वाकई मौसी ने मुझे कुतिया बनाकर कोठे पर चुदवा दिया था। मेरे मुँह से बार बार उई मर गई फट गई बचाओ छोड़ो मुझे छोड़ो ऊ मर गई ऊ ओई ऊ ओई ऊ ओई फट गई की आवाजें निकल रही थीं अंकल ने दस मिनट तक मेरी गांड बुरी तरह से ऐसे चोदी जैसे कि सड़क की कुतिया की कुत्ते चोदते हैं। उसके बाद उन्होंने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं बाथरूम में ही लेट गई थी। अंकल ने मुझे उठाकर पलंग पर डाल दिया।
अब मेरी गांड और चूत दोनों फट गई थीं। अंकल मेरी बगल में लेट गए थे।
आधे घंटे बाद मौसी एक आदमी और एक रंडी जिसका नाम शोभा था, के साथ अंदर आई और बोली- अंकल, क्या हुआ ? ठंडे पड़ गए?
अंकल मुस्कराए और बोले- तीन राउंड निपटा चुका हूँ, तेरी कुतिया ठंडी पड़ी है।
अंकल उठकर पलंग के पास सोफा कुर्सी पर बैठ गए। मौसी ने मेरी चूत पे हाथ फिराया और बोली- तेरी मुनिया तो बड़ी चकाचक हो रही है। बड़े आराम से लेटी हुई है, लगता है जैसे कि हनीमून के मज़े ले रही हो ! चल उठ और धंधा कर साली ! जब तक तेरी मुनिया बुरी तरह से सुजेगी नहीं, तब तक चुद ! उसके बाद तुझे खुद ही नींद आ जाऐगी। चल उठ और ग्राहक के लिए ग्लास बना। मैं खड़ी हो गई। जानी पलंग पर बैठ गया।
शेष दूसरे भाग में ! Sex Stories
सबसे पहले तो मैं गुरूजी Antarvasna को धन्यवाद कहना चाहूँगा कि उन्होंने हमें अपने उदास और वीरान जीवन में अन्तर्वासना की रंगीनियाँ भरने का मौका दिया। मैं पिछले दो सालों से अन्तर्वासना को रोज़ ही देखता हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने कई कहानियाँ पढ़ी हैं और आज मैं उनसे प्रेरणा लेकर अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
मेरी यह कहानी सच्ची है और मेरे साथ बीते हुए पलों को मैं आप के साथ बाँटना चाहता हूँ।
पहले मैं अपना परिचय दे रहा हूँ : मेरा नाम शिमत है, दिल्ली का रहने वाला, 21 साल का, और मैं 5 फीट 7 इंच का हूँ। मेरा रंग गोरा है, मेरा लण्ड 8 इंच का है, मैं देखने में ठीक लगता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं मेरे मामा के घर गया हुआ था। वैसे तो मैं मामा के घर जाकर सिर्फ़ मजे ही करता था मतलब सिर्फ खाना-पीना अपने में ही मस्त रहता था।
मैंने कभी भी किसी लड़की की आज तक चूत नहीं देखी थी और मैं चूत देखने को बहुत लालयित था। मैं सोचता था कि कभी मुझे चूत के दर्शन करने को मिलेंगे क्या ! और मैं मुठ मार लिया करता था।
मैं एक दिन मेरे मामा के लड़के के कमरे में बैठा टीवी देख रहा था और वहाँ पर मामा की बेटी भी बैठी थी कि अचानक एक पप्पी का दृश्य आ गया। मैं थोड़ा सा शरमा गया और दीदी उठ कर चली गई, मैं वहीं पर बैठा रह गया। थोड़ी देर बाद मैंने टीवी बंद कर दिया और मैं किचन में जाकर कुछ खाने को देख रहा था, दीदी भी वहीं थी।
दीदी हंस के बोली- क्या चाहिए?
मैंने कहा- दीदी, मुझे कुछ खाने को चाहिए !
दीदी बोली- मैं अभी कुछ बना देती हूँ !
तो मैंने कहा- आप क्या बनाएँगी ?
तो दीदी बोली- जो तू कहे !
तो मैं बोला- गाजर का जूस बना दो !
दीदी गाजर लेने के लिए नीचे झुकी तो मेरा ध्यान उनके स्तनों पर चला गया और मैं देखता ही रह गया। फिर मैं नजर चुरा के चला गया और बाहर निकल आया।
थोड़ी देर बाद दीदी जूस लेकर आई और बोली- तेरा जूस तैयार है !
मैंने जूस पी लिया, अपने कमरे में जा कर बैठ गया और कम्प्यूटर चला कर मैं इंटरनेट पर गेम खेलने लगा। पर मेरा ध्यान तो वहीं वक्ष पर था। मैंने गेम खेलना बंद कर दिया और मैंने मामा के लड़के के नाम वाला फोल्डर खोल लिया और देखने लगा तो पता चला कि वो तो ब्लू फिल्म्स देखता है, तो मैं भी देखने लगा और अपने लण्ड को दबाने लगा। धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और मैं देखता रहा मैंने ध्यान ही नहीं दिया।
जब मैंने मॉनीटर में ध्यान से देखा तो ऐसा लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है और मैंने डर कर कम्प्यूटर बंद कर दिया। जैसे ही मैं पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि दीदी एकदम वहाँ से भाग कर बाथरूम में घुस गई। मैं शरमा कर बाहर आ गया। अब मुझे अजीब सा लग रहा था कि दीदी मेरे बारे में क्या सोचेंगी और मैं डर कर रात को खाना खाने के बाद अपने कमरे में जाकर लेट गया। पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं बाथरूम में पेशाब करने गया तो मैंने वहाँ पर दीदी की ब्रा और पैंटी देखी। मैं तो वहीं पर पागल हो गया और मैं और सब चीजों को सूंघने लगा। मुझे मज़ा आने लगा और मैं यह भूल गया कि मैंने बाथरूम के दरवाज़े की कुण्डी नहीं लगाई है। मैं उन दोनों कपड़ों को सूंघता रहा।
फिर पीछे से आवाज आई- शिमत, क्या कर रहे हो ?
मैं डर गया और पीछे मुड़ कर देखा तो दीदी वहाँ पर खड़ी थी। मैंने वो ब्रा और पैंटी दोनों झट से नीचे फेंक दी और छत पर जाकर बैठ गया। वहीं पर बैठा रहा तो आधा घंटे बाद अचानक दीदी वहाँ पर आई और बोली- तुम यहाँ छत पर क्या कर रहे हो ?
तो मैं बोला- दीदी, कुछ नहीं ! मैं तो बस ऐसे ही यहाँ चला आया था।
दीदी बोली- नीचे अपने कमरे में चलो !
मैं बोला- दीदी, मुझे नींद नहीं आ रही ! मैं यहाँ पर बैठ जाता हूँ, जब नींद आएगी तो मैं चला जाऊंगा।
दीदी बोली- ठण्ड लग जायगी ! चलो नीचे !
मुझे डर लग रहा था, मैं डरता हुआ नीचे चला गया और अपने कमरे में जाने लगा तो दीदी बोली- कहाँ जा रहे हो?
मैं बोला- दीदी मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ !
दीदी बोली- वहाँ पर मम्मी चली गई हैं, तुम मेरे कमरे में आ जाओ !
मैं डरता हुआ दीदी के कमरे में चला गया। वहाँ पर दो चारपाई थी तो मैं एक पर सो गया और लाइट बंद कर दी।
अचानक मुझे लगा कि मेरी चारपाई पर कोई आ गया है। मैंने देखा कि दीदी मेरी चारपाई पर बैठी है और दीदी का हाथ मेरे लण्ड पर रखा हुआ था।
मैं बोला- दीदी, आप क्या कर रहे हो ?
दीदी बोली- साले, इतना शरीफ मत बन ! तुझे सब पता है कि मैं क्या कर रही हूँ।
दीदी बोली- जब तू मेरे स्तन देख रहा था, तब तू क्या कर रहा था?
मैं बोला- दीदी, वो तो गलती से दिख गए थे !
तो दीदी बोली- साले तू मेरी पैंटी क्यों सूंघ रहा था?
मैं बोला- चलो छोड़ो, अब तो मज़े ले लो !
दीदी बोली- अब आया न लाइन पर !
तो मैंने झट से दीदी के स्तन पकड़ लिए और दबाने लगा। दीदी बोली- साले, हाथों में जान नहीं है क्या ? जोर से दबा !
तो मैं जोर से दबाने लगा फिर दीदी मैंने दीदी के होठों पर पप्पी ली और दीदी के होठों को जोर से चूमने लगा। दीदी को मज़ा आने लगा, वो भी मेरे होठों को जोर से चूमने लगी और मैं इतना मदहोश हो गया कि मैंने होठों को चाटना शुरू कर दिया। दीदी भी पागल हो गई और मेरे होठों को वो भी चाटने लगी।
मैंने दीदी के हाथों को अपने लण्ड पर रख दिया और कहा- मेरी मुठ मारो !
तो दीदी भी जोर से मुठ मारने लगी। फिर मैंने दीदी के पेट पर हाथ फेरा और दीदी के पेट को चूमने लगा। मैंने दीदी के पेट को चूम चूम कर गीला कर दिया और फिर दीदी की कमर को चूमने लगा। दीदी के बदन पर एक भी बाल नहीं है वो एक दम चिकनी हैं।
दीदी तड़फ़ने लगी और बोली- जल्दी से कुछ कर, नहीं तो मैं मर जाउँगी।
मैंने दीदी की गांड पर जीभ लगा दी। दीदी तो बिलकुल पागल हो गई और बोली- मैं तो मर गई, क्या गरम जीभ है तेरी ! और लगा !
मैंने दीदी की गांड को भी चाटना शुरू कर दिया। फिर क्या था, दीदी को तो होश नहीं था, वो तो पागल हो रही थी।
गुलाबी चूत से रिस रिस कर नमकीन पानी निकल रहा था, उसे चाटने में मुझे भी मजा आ रहा था और दीदी अपनी गांड उठा उठा कर मुखचोदन करा रही थी।
मैंने जैसे ही उसकी चूत पर जीभ लगाई तो वो तो पागल ही हो गई और बोली- जोर से चाट ! जल्दी से मेरी मार ! नहीं तो मैं मर जाउंगी !
तो मैंने अपना लण्ड निकाल कर उनके मुँह में डाल दिया और वो लण्ड देखते ही चिल्ला उठी- यह क्याऽऽऽ ?
मैंने कहा- लण्ड !
बोली- इतना बड़ा ऽऽ? मैं मर जाऊंगी !
मैंने कहा- एक बार मुँह में लेकर तो देख !
दीदी बोली- मजा आ रहा है !
वो मेरे लण्ड को कुत्ते की तरह चाट रही थी। फिर मैंने अपना लण्ड उनके मुँह में से निकाल कर उनकी चूत में डाल दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा।
वो बोल रही थी- और जोर से मार !
और सिसकियाँ भरने लगी- आआआआ ऊऊऊऊऊऊओ जोर से मार साले !
तो मैंने उनकी गांड में डाल दिया तो वो बोली- मार दिया कुत्ते ! आराम से मार !
मैंने और जोर से शुरू कर दिया।
दीदी बोली- साले, बाहर निकाल ! दर्द हो रहा है !
तो मैं बोला- दीदी, बस थोड़ा और !
दीदी बोली- साले, मेरी गांड फट जायगी !
फिर मैंने बाहर निकाला और चूत में डाल दिया। फिर दीदी बोली- जोर से मार !
तो मैंने जोर से झटके मारने शुरू कर दिया। दीदी के मुँह से निकल रहा था- आआआआअ ऊऊऊऊओ आआआ ऊऊऊऊऊ !
मैंने फिर से दीदी के मुँह में डाल दिया और बोला- चूस !
दीदी मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चाट रही थी। दीदी अपना आपा खो बैठी थी और मेरे लण्ड को बुरी तरह चूस रही थी।
दीदी लण्ड चूसने के बाद बोली- शिमत, मुझे पागल बना दे ! मुझे बस चोदता जा ! मैं आज जी भर के चुदना चाहती हूँ।
मैंने फिर से लण्ड दीदी की चूत में डाल दिया और दीदी को कहा- अब मुझ में इतना दम नहीं है कि झटके मार सकूँ। आप ही कूद लो मेरे लण्ड पर !
दीदी मेरे लण्ड पर कूदने लगी, मैंने कहा- चूत में मज़ा नहीं आएगा ! आप अपनी गांड में फिर घुसवा लो !
दीदी बोली- मेरी गांड फट जाएगी !
तो मैंने कहा- कुछ नहीं होता !
तो दीदी ने गांड में घुसवा लिया और मैंने जोर से झटका मार कर दीदी की गांड में घुसा दिया। दीदी धीरे-धीरे से झटके मारने लगी और मज़ा आने लगा। मुझ में फिर से जोश आ गया और मैंने दीदी की गांड में जोर-जोर से झटके मारने शुरू कर दिया।
मैंने लंड को बाहर निकाला और वापस ज़ोऱ से अंदर डाला और धीरे धीरे से चोदने लगा, साथ में चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो बोली- प्लीज़ मुझे मत पूछो !
मैंने उससे कहा- दीदी, तुमको आज मैंने एक बहन से पत्नी बना दिया है, तुम्हारी आज प्रौन्नति हुई है, तुझे चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसा मज़ा तो मुझे कभी नहीं आया !
उसने भी मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया। वाह क्या मुलायम होंठ थे, जैसे संतरे की नर्म नाज़ुक फांकें हों। कितनी ही देर हम आपस में जकड़े रहे, एक दूसरे को चूमते रहे। अब मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फिराना चालू कर दिया। उसने भी मेरे लंड को कस कर हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। मैंने जब उसके स्तन दबाये तो उसके मुँह से सीत्कार निकालने लगी- ओह…।
अब उसने अपने पैर ऊपर उठा कर मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए थे। मैंने भी उसका सिर अपने हाथों में पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। जैसे ही मैं ऊपर उठता तो वो भी मेरे साथ ही थोड़ी सी ऊपर हो जाती और जब हम दोनों नीचे आते तो पहले उसके नितम्ब गद्दे पर टिकते और फिर गच्च से मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में समां जाता। वो तो मस्त हुई आह उईई माँ ही करती जा रही थी।
अब मैं उसके मुँह को पकड़ कर चूमने लगा और उसका मुँह खोलकर जीभ अंदर डाल कर घुमाने लगा। एक हाथ उसकी चूत पर ही फिरा रहा था। अब चूत से भी पानी आने लगा था और मेरे हाथ गीले हो गए। मैंने गीला हाथ उसे दिखाते हुए कहा- दीदी, देखा अब तेरी चूत भी साथ दे रही रही है !
अब मैंने उसकी चूत को पूरा मुँह में ले लिया और जोर की चुसकी लगाई। अभी तो मुझे दो मिनट भी नहीं हुए होंगे कि उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने अपने पैर ऊपर करके मेरी गर्दन के गिर्द लपेट लिए और मेरे बालों को कस कर पकड़ लिया। इतने में ही उसकी चूत से काम रस की कोई 4-5 बूँदें निकल कर मेरे मुँह में समां गई। आह, क्या रसीला स्वाद था। मैंने तो इस रस को पहली बार चखा था। मैं उसे पूरा का पूरा पी गया।
फिर मेरा छुटने को हो गया तो मैंने कहा- दीदी, मेरा छुट रहा है !
तो वो बोली- मेरे मुँह में छोड़ दे।
तो मैंने उनके मुँह पर छोड़ दिया और शान्त हो गया।
थोड़ी देर बाद अचानक अपने लंड पर किसी के स्पर्श से मैंने आंखे खोली तो देखा कि दीदी उससे खेल रही है और उसे खड़ा करने की कोशिश कर रही है। मेरे आँख खोलते ही मुझे अर्थपूर्ण दृष्टि से देखा। मैं समझ गया कि अब भी दीदी की चाहत पूरी नहीं हुई तो मेरा फिर से खड़ा हो गया और मैंने फिर से दीदी की चूत में घुसा दिया। इस बार मैंने लण्ड चूत पर रखा और धीरे-धीरे नीचे होने लगा और लण्ड चूत की गहराइयों में समाने लगा। चूत बिल्कुल गीली थी, एक ही बार में लण्ड जड़ तक चूत में समा गया और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। अब मेरे झटके शुरु हो गए और दीदी की सिसकियाँ भी…
दीदी आआआहहहह अअआआआहहह करने लगी। कमरा उनकी सिसकियों से गूँज रहा था। जब मेरा लण्ड उनकी चूत में जाता तो फच्च-फच्च और फक्क-फक्क की आवाज़ होती। मेरा लण्ड पूरा निकलता और एक ही झटके में चूत में पूरा समा जाता। दीदी भी गाँड हिला-हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी, अब तो खाट भी चरमराने लगी थी। पर मेरी गति बढ़ती जा रही थी। हम दोनों पसीने से नहा रहे थे जबकि सर्दी का मौसम था।
और फिर दीदी बोली- धीरे मार ! तूने तो मेरी चूत ही फ़ाड़ दी।
मैंने कहा- अभी तो कुछ नहीं हुआ है, अभी तो काम बाकी है !
मैंने तुरंत दीदी की गांड में घुसा दिया। फिर क्या था, दीदी चिल्लाने लगी और बोली- साले, तूने तो आज मेरी गांड भी फ़ड़ दी और मेरी चूत भी !
मैंने कहा- अभी तो चूचियाँ भी बाकी हैं !
मैंने झट से चूचियों पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें दबाने और चूसने लगा और मुंह में लण्ड की पिचकारी मार दी।
अब जब भी मैं मामा के घर जाता हूँ और जब हमें मौका मिलता है तो हम सेक्स कर लेते हैं और म़जा ले लेते हैं।
कभी घोड़ी-कुतिया तो कभी किचन में एक टांग पर। कुल मिलाकर दीदी के साथ बिताये वो हर पल आज भी मेरी आंखों के सामने आते हैं तो बस उसे चोदने की इच्छा जागृत हो जाती है।
उम्मीद है कि मेरी पहली कहानी आप सभी को पसंद आई होगी।
मुझे अपनी राय बताएँ इस कहानी पर ! मैं इंतजार करूँगा। Antarvasna
मेरा नाम संजीव Hindi Sex Stories है। मेरी उम्र 24 साल है। यह कहानी मेरी जिन्दगी का असली और सत्य अनुभव है। उन दिनों मैं जयपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र था। मैं जुलाई 2008 जयपुर में आया था। मैंने जयपुर आने से पहले कभी चुदाई नहीं की थी। चुदाई करने की कसक मेरे दिल में हमेशा से ही थी लेकिन न जाने क्यों 24 की उम्र में आते आते मुझे अपने नाग की तरह फुनकते लंड को थामना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा था। मुठ मारने से भी में अब बोर हो गया था। मुझे चूत की बहुत जरूरत थी और इस बार किस्मत ने भी मेरा भरपूर साथ दिया।
मेरी कक्षा में सिर्फ दो लड़कियाँ थी। उन दोनों में से एक थी गार्गी ! गार्गी क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी। उसी दिन मुझे लगा कि गार्गी की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है।
अगले दिन गार्गी ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है। कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी। मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली।
फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद गार्गी और मैं बाइक पर चल दिए। मैंने बाइक की स्पीड १०० से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था। उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ। लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा। मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था।
उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि गार्गी का फ़ोन आ गया। अब मैंने गार्गी से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा। लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था।
अगले दिन क्लास में गार्गी मेरे आगे बैठी थी तो उसकी सलवार से उसकी पैन्टी दिख रही थी। उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। अब तो मेरा लंड फ़ुफ़कारने लगा।
क्लास छुटने के बाद मैं गार्गी को कॉफ़ी के लिए कैंटीन ले गया। बात बात में उससे पता चला कि उसका अभी कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है। अब तो मुझे गार्गी की चूत की सुरंग और मेरे लंड की तोप का मिलन साफ़ नजर आ रहा था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई।
एक दिन शाम के 4 बजे लैब में कोई नहीं था। मैंने गार्गी को अपने दिल की बात कह दी। उसने भी हामी भर दी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और इमरान हाश्मी स्टाइल में गार्गी के होंठों का सारा रस चूस लिया। अब मेरे हाथ धीरे धीरे उसके वक्ष पर पहुँच गए। मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया। उसके स्तन डनलप के गद्दे से कम नहीं लग रहे थेऔर मेरा लंड तो उस वक़्त हीरे से भी सख्त हो रहा था। उसने भी मेरा लंड अपने कोमल हाथो में ले लिया और सहलाने लगी। अपने हॉस्टल में मैंने खूब ब्लू फिल्म देखी थी और मैंने लैब के कंप्यूटर में गूगल से ढूंढ कर ब्लू फिल्म चला दी।
अब मैंने फिल्म की नक़ल करते हुए अपना लंड गार्गी के मुँह में दे दिया। पहले तो गार्गी ने मना किया फिर मान गई और वो लंड चूसने लगी। मेरा लंड पहली बार किसी लड़की के मुँह में गया था। एक मिनट के अंदर ही मैं झड़ने लगा और मैंने गार्गी के मुँह के ऊपर वीर्य बारिश कर दी और वो उसको ऐसे चूसने लगी जैसे अमृत की बारिश हो रही हो।
मैं झड़ चुका था लेकिन गार्गी की आग अभी बाकी थी। उसने अपनी चूत में ऊँगली करके अपनी आग बुझाई।
अगले दिन मुझे गार्गी को संतुष्ट करना था इसलिए मैं अगले दिन पॉवर कैप्सूल और कंडोम लेकर गया। लेकिन अगले दिन लैब में क्लास चल रही थी और मैंने लंच के बाद कैप्सूल खा लिया था। शाम के चार बज रहे थे और मेरा लण्ड नाग के फन की तरह जींस को फाड़ के बाहर आने को कर रहा था। आज किस्मत ने मेरा साथ दिया। एक टीचर को बाहर जाना था दो घंटे के लिए उसने मुझे अपने ऑफिस की चाबी दे दी क्योंकि टीचर का कुछ काम करना था। इधर मुझे अपने लंड की आग बुझानी थी।
मैं गार्गी को लेकर ऑफिस में आ गया। मेरे ऊपर अब तो कैप्सूल का पूरा असर हो चुका था। ऑफिस में घुसते ही मैंने गार्गी को बाहों में भर लिया और टूट पड़ा। मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को चूसने लगा और गार्गी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। आज मेरा लंड सात इंच से बढ़ कर आठ इंच का हो गया था। गार्गी की चूचियाँ दबाने में बहुत मजा आ रहा था, उसके स्तन काफी गुदगुदे थे।
मैंने अपना लंड उसके दोनों स्तनों के बीच में रख दिया और हिलाने लगा। अब मेरा हाथ अपने आप गार्गी की पैन्टी पर पहुँच गया और मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। गार्गी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एक दम गोरी गोरी थी। मैं चूत को सहलाने लगा।
अब उसकी चूत गीली होती जा रही थी, मुझे लगा कि गार्गी की सुरंग में तोप दागने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा और मैंने कंडोम चढ़ा के डाल दिया अपना लण्ड गार्गी की चूत में !
जैसे ही पहल झटका लगा, गार्गी कर गई- उहऽऽ ह्ह अह्ह्ह्हह्ह. और उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो दर्द से कराहने लगी पर आज मेरा लण्ड कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसकी एक टांग कुर्सी पर रखी और एक टांग को अपने हाथ में रख के झटके पे झटके देने लगा। उधर गार्गी दर्द से उफ्फ्फ अहह उफ़ आह्ह मर गई … और धीरे से डालो ..कहने लगी।
और जब तीन चार बार लंड चूत में घुस कर बाहर आ गया तो गार्गी को मजा आने लग गया।
अब गार्गी कहने लगी- और डालो … और डालो !पाँच मिनट तक मैंने गार्गी को खूब पेला। अब मेरा झड़ने वाला था कि तभी टीचर आ गया। लंड की आग में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था। उसने हमें दरवाज़े के छेद में से देख लिया था। लेकिन जब तक मैंने अपने लंड से गार्गी की चूत को तृप्त नहीं कर दिया, मैं ठोकता रहा और अंत में मैं झड़ने लगा। फिर जल्दी जल्दी गार्गी और मैंने कपड़े पहने लेकिन टीचर हमें देख चुका था।
दरवाजा खोला तो टीचर ने गार्गी से कहा- मुझे भी अपनी चूत दे दे ! नहीं तो सबको बता दूंगा !
गार्गी मेरी तरफ देखने लगी, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था। टीचर ने भी गार्गी को ठोका और उसकी नई और गोरी गोरी चूत का मजा लूटा।
आज भी गार्गी और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर गार्गी की ले लेता है।
लेकिन क्या करें ! हमे भी ऑफिस चुदाई करने को मिल जाता है।
दोस्तो, कहानी कैसी लगी, बताना जरूर ! Hindi Sex Stories
मैं उन दिनों अपने चाचा Sex Stories जान के यहाँ वाराणसी आई हुई थी। उनके लड़का सुनील बड़ा ही खूबसूरत था। गोरा चिट्टा, दुबला सा, लम्बा सा, उसे देखते ही मेरा दिल उस पर आ गया था।
यूँ तो कानपुर में मुझे चोदने वाले कम नहीं थे, पर उनमें ज्यादातर तो गाण्ड मारने के शौकीन थे। गाण्ड मरवाने में मुझे अच्छा तो लगता था पर असल में तो चूत चुद जाये उसका तो कोई मुकाबला ही नहीं है ना।
सुनील को देख कर मुझे उससे चुदवाने की इच्छा बलवती होने लगी। सुनील भी मेरी हसीन जवानी पर फ़िदा तो था, पर रिश्ते में उसकी बहन जो लगती थी मैं !!!
उसे यह पता नहीं था कि कानपुर में तो कोई यह रिश्ता रखता ही नहीं था। उसे यह बात बताना जरूरी था वरना तो मुझे देख कर बस मुठ ही मार कर रह जायेगा। रात को मैं बिस्तर के अन्दर ही घुस कर उसके नाम की अंगुली चूत में घुसा कर पानी निकाल देती थी।
कहावत है ना, दिल को दिल से राहत होती है, यह बात हम में ज्यादा दिनों तक अन्दर नहीं रह पाई। एक दूसरे की नजरें आपस में लड़ती और दिल का फ़ूल खिल उठता था। नजरें आपस में आपस में सब कुछ कह जाती थी, पर दिल तड़प कर रह जाते थे।
मैं जान बूझ कर के कसी जीन्स और तंग और चिपका हुआ बनियान-नुमा टॉप सिर्फ़ उसके लिये ही पहनती थी, इसमें मेरे जिस्म की सारी गोलाईयाँ उभर कर सामने दिखने लग जाती थी। मेरी मस्त चूंचिया देख कर तो वो अपनी नजरें हटा ही नहीं पाता था। अब मैं हिम्मत करके उसे देख कर मतलब से मुसकराया करती थी।
उस बेचारे को यह नहीं पता था कि मैं उसे सिर्फ़ अपनी वासना शान्त करने के लिये काम में लाना चाहती हूँ, एक नया जिस्म, एक नया मस्त कड़क लण्ड, नई जवानी, नया अनुभव, नया सुख, नई मस्ती… सभी को यही तो चाहिये ना।
एक दिन शाम को सभी घर वाले शादी के खाने पर गए हुए थे। मैंने सोचा- खाने का समय नौ बजे का होता है तो मैं देरी से चली जाऊंगी। पर वहाँ पर घर वालों का कार्यक्रम बदल गया, वो लोग जल्दी खाना खाने के बाद दूसरी शादी में भी हाजिरी देना चाह रहे थे। उन्होने सुनील को मुझे लेने घर भेज दिया।
मैं उस समय अकेलेपन का फ़ायदा उठा कर कम्प्यूटर पर अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ रही थी। किसी को आया देख कर मैंने कम्प्यूटर बन्द कर दिया और बाहर आ गई। अकेले सुनील को देख कर मैं चौंक गई। मन में सोचा कि शायद इसको मेरे अकेले होने का फ़ायदा उठाना है, इसलिये इसने मौका देख कर इधर आया है। मैं भी इस मौके को नहीं जाने देना चाह रही थी। मैं दिल ही दिल में इसके लिये मैं अपने आप को तैयार करने लगी।
मैं ढीला ढाला पुराना सा कुरता पहने थी और अच्छी भी नहीं लग रही थी, मुझे अपने आप पर बहुत खीज आई।
“अरे ! ऐसे ही हो अब तक, तैयार तो हो लो, जल्दी चलना है।” उसने मेरे जिस्म को ऊपर से नाचे तक देखा।
“हां, अन्दर आ जाओ, अभी तैयार हो जाती हूँ !” मैं उसे मतलब से घूरने लगी।
“मैं कुछ मदद करूं क्या, कुछ लाना हो तो ?”
“बस दरवाजा बन्द कर दो… और कुछ नहीं !” उसने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया।
“बस, ठीक है ना… सुनो बानो, नाराज नहीं हो तो एक बात कहूं ?” उसने हिम्मत दिखाई और मेरा दिल धक धक करने लगा।
“अरे कहो ना, भाई हो, शरमाते क्यूँ हो ?” भाई का शब्द सुनते ही उसका सारा जोश ठण्डा पड़ गया।
“नहीं बस यूँ ही, कुछ नहीं !” उसका प्यारा सा मुखड़ा लटक गया।
“अच्छा भाई नहीं दोस्त हो बस, अब कहो…”
“मैं चाहता हूँ कि बस एक बार … बस एक बार… मेरे गाल पर प्यार कर लो !”
“बस इतनी सी बात …?”
मुझे लगा मौका है, बात आगे बढ़ा लो …
मैं उसके पास गई, और उसके गाल पर एक गहरा सा चुम्मा ले लिया।
“थेंक्स… अच्छा लगा !”
“बस एक ही… एक दो बार और कर दूँ …” मैंने एक किस गाल पर और दूसरा होंठ पर कर दिया। इतना उसे भड़काने के लिये बहुत था।
“मुझे भी करने दो ना सिर्फ़ एक बार !” मैंने अपनी आंखे बन्द कर दी और चेहरा ऊपर कर दिया।
उसने धीरे से मेरे निचले होंठ दबा कर चूस लिये और उसके हाथ मेरी कमर पर कस गए।
उसका लम्बा किस खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरे मन की कली खिल उठी। मैंने सोचा कि ये तो गया काम से, चक्कर में आ ही गया। हो सकता है शायद वो यह सोच रहा हो कि उसने मैदान मार लिया।
“सुनील, बस कर न, कोई आ जायेगा….हाय अब्बा…. चल छोड़ दे अब !”
“बानो, बस थोड़ा सा और…. ! ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा ना, सब घर में रहते हैं और आप ऊपर मेरे कमरे में आती ही नहीं हैं !”
“हायऽऽ बसऽऽ मेरे अरमान जाग जायेंगे, सुनील, बस कर !” मैंने उसे और भड़काया।
मेरा मन खुशी के मारे उछल रहा था। उसे छोड़ने का दिल बिल्कुल ही नहीं कर रहा था। हम दोनों प्यार में एक दूसरे से लिपट पड़े। वो मेरे होंठो को बेतहाशा चूमने लग गया था, जैसे सब्र का बांध टूट गया हो। उसका जिस्म मेरे जिस्म से रगड़ खा कर उत्तेजित होने लगा था। जाने कब उसके हाथ मेरे उभरे अंगों तक पहुंच गए और उसे सहलाने और दबाने लगे।
ढीले कुरते का यह फ़ायदा हुआ कि उसके हाथ मेरी नंगी चूंचियों तक सरलता से पहुंच गये और अब मुझे भरपूर मजा दे रहे थे। मेरी चूत गीली हो उठी।
“सुनील अब तक तू कहाँ था रे ? मुझसे दूर क्यों रहा था? हाय तुझे पा कर मुझे कितना अच्छा लग रहा है ! कब से तो मैं तुझे लाईन मार रही थी !” मैंने अपनी दिल की बात उससे कह दी।
“मैं भी कबसे आपको प्यार करता हूँ… मैंने भी तो कितनी बार आपको देखा, पर हिम्मत नहीं होती थी … बानो सच तुम मेरी हो, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है !”
“हाय सुनील, सच में मुझे प्यार करोगे… करो ना… मेरे दिल की हसरत निकाल दो, प्लीज !” मुझे लग रहा था कि शादी वादी की ऐसी की तैसी, अभी टांगे चौड़ी करके उसका लण्ड घुसा लूँ।
“देर हो जायेगी बानो, रात को आ जाना ऊपर मेरे कमरे में… मुझे भी अपनी दिल की हसरतें पूरी करनी हैं !”
“मेरे सुनील… !” और एक बार फिर से हम लिपट कर चुम्मा चाटी करने लगे।
उसके लण्ड का भी बुरा हाल था और मेरी चूत तो पानी टपकाने लगी थी। प्यार और वासना की एक मिली जुली आग लगी हुई थी, जिस्म मीठी आग में झुलसने लगा था। लग रहा था कि अभी चुदवा कर सारा पानी निकाल दूँ पर मेरे रब्बा ….हाय…. अभी इस आग में मुझे थोड़ी देर और जलना था।
रात को लगभग घर लौटते लौटते साढ़े ग्यारह बज रहे थे। मेरा मन सब जगह खाली खाली सा लग रहा था, बस सुनील ही नजर आ रहा था। इंतजार खत्म हुआ। हम सभी कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करने लगे …
और मैं ….
जी हाँ, चुदने की तैयारी कर रही थी। चूत में और गाण्ड में चिकनाई लगा कर मल रही थी। चूंचियो में भी क्रीम लगा कर उसे खुशबूदार और चमकदार बना लिया था। बस एक हल्का सा नाईट गाऊन ऊपर से यूँ ही लटका लिया और समय का इन्तजार करती रही।
साढ़े बारह बजे तक जब मुझे यकीन हो गया कि अपने अपने कमरों में सब सो गये होंगे। तब मैं दबे पांव बैठक में से निकल पड़ी। पास के कमरे में सिसकारियों की आवाज से लगा कि भाभी और भैया का चुदाई का कार्यक्रम चल रहा था। आज सब औरते फ़्रेश थी, घर के काम से छुट्टी थी, सारी ताकत को चुदाई में लगा रही थी।
मैं बरामदे की सीढ़ियों से ऊपर आ गई। सुनील के कमरे की लाईट जली हुई थी। मैंने दरवाजा खोला तो सुनील तौलिया लपेटे खड़ा था। शायद अभी नहाया था, साबुन की खुशबू से मैंने अन्दाजा लगाया। मुझे ये अच्छा लगा,कि अब मैं उसके साफ़ सुथरे शरीर का पूरा आनद ले पाउंगी।
“बानो, तेरा तो अन्दर का सब कुछ दिख रहा है, बड़ी मस्त लग रही है तू !”
“तू भी तो मस्त लग रहा है, ये सिर्फ़ तौलिया ही है ना या अन्दर और भी है कुछ?” मैंने उसका तौलिया खींच लिया।
वो नंगा हो गया। उसका कड़क लण्ड सीधा खड़ा था। मेरा मन डोल उठा चुदने के लिये।
“चल आ मस्ती करें ! शावर के नीचे पानी में चलें, गीली गीली में करने से मजा आयेगा !”
मैंने देखा उसकी सांसे उखड़ने लगी थी। उसकी धड़कनें बढ़ गई थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और जा कर शावर के नीचे खड़ी हो गई। मैंने उसका लण्ड पकड़ा और नीचे बैठ गई। उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की स्किन फ़टी हुई थी, मतलब वो पूरा मर्द था, किसी को चोद चुका था।
“किसी के साथ किया था… बता ना !” मैंने लण्ड मुँह में लेते हुए कहा।
“नहीं अभी तक तो नहीं … पर ये क्या कर रही हो, हटो !” उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। शायद उसे ये अच्छा नहीं लगा।
“क्यूँ क्या हुआ….मजा नहीं आ रहा है क्या ?”
“बस ये नहीं करो…” मुझे बाहों से पकड़ कर उठा लिया, और हम पानी की बौछार में फिर से लिपट पड़े।
“अच्छा पर तुमने कुछ तो किया है ना, अन्दर तो घुसाया ही है तुमने?”
“बानो, तुमने तो पकड़ लिया मुझे ! पर सच में ! वो यूसुफ़ है ना वो बड़ा खराब है !”
“अच्छा, क्या गाण्ड मरवाई थी उसने ?” मैंने उसे और खोलने की कोशिश की।
“चुप बानो, ऐसे क्या बोलती है !” उसने मुझे ऐसे कहने से मना किया।
“बोल ना, गाण्ड मारी थी उसकी…?” मुझे तो मजा लेना था।
“हाँ, कोशिश की थी, पर जोर से लग गई थी यहाँ पर ! बहुत तकलीफ़ हुई थी !”
“तो फिर क्या उसने तेरी गाण्ड चोदी थी ?”
“अब तुमने गाली बोली तो ठीक नहीं होगा !” उसने मुझे आगाह किया। पर मैं तो वासना में बह निकली थी। मुझे चुदाई की ऐसी बातें ही चाहिये थी।
“बता ना ! तूने गाण्ड मराई थी ना?” मैंने फिर जिद की।
“हाँ, उसने मेरी गाण्ड मार दी थी, बहुत दर्द हुआ था !” उसने शिकायत भरे लहजे में कहा।
“मुझे गीली करके चूत मारेगा या गाण्ड मारेगा?” मेरी चूत लपलपा उठी, चिकना पानी भर गया चूत में।
मेरी बातों को सुनकर वो नाराज हो गया और वहां से कमरे में आ गया और बिस्तर पर लेट गया।
“बानो क्या हो गया है तुम्हें ? ऐसी गालियाँ क्यूँ निकाल रही हो?” उसने फिर से शिकायत की।
पर मुझे अपना मजा लेना था।
मैं उसके पास आ गई और अपनी एक टांग ऊपर उठा कर उसके गले के पास रख दी और अपनी भीगी हुई चूत को उसके मुँह से लगा दिया। मेरी चिकनी चूत का पानी उसके मुँह के आस पास लग कर फ़ैल गया। वो कुलबुला उठा।
“सुनील, चल चूस ले, मुझे मस्त कर दे भेन-चोद, ये दाना हौले से मसल डाल !” मैं अपनी असलियत पर आती जा रही थी।
“चल हट ना, तू तो बेशरम हो गई है !”
“भोसड़ी के ! गाण्ड मरवा सकता है, चूत से परहेज कर रहा है? चूतिया है तू तो !”
मैंने उसके दुबले शरीर को कस कर भींच लिया। और उस पर चढ़ गई। उसका लौड़ा तो पहले से ही तन्ना रहा था। उसे अपनी चूत में दबा लिया और देखते ही देखते वो चूत में घुस गया।
“हरामी साले ! बड़े नखरे दिख रहा है रे ! एक लौड़ा क्या मिल गया तेरे को ! तो क्या खुदा हो गया है रे? मादरचोद ! तेरे जैसे सौ लौड़ों से चुद चुकी हूँ मैं !!” मैं उत्तेजना में बह चली।
मै ऊपर को धक्के लगाने लगी।
“अरे छोड़ दे रण्डी, छिनाल मुझे ! तेरी भेन चोदूँ ! साली हरामी, हट जा !”
“लगा ले जोर, तुझे आज मैं नहीं छोड़ने वाली, साला बड़ा आया था आशिकी झाड़ने।” मैंने उसे और कस कर जकड़ लिया। उसने भी अपनी ताकत लगा दी। जैसे जैसे वो ताकत लगाता, उसका लण्ड भी जोर मारता।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरे में जाने कहा से इतनी ताकत आ गई कि उसे मैंने बुरी तरह से दबा लिया। वो कराह उठा। मेरी चूत तेजी से भड़क उठी, और कस कस के उसके लौड़े पर चूत पटकने लगी। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
अचानक मेरा पानी निकल पड़ा और मैं झड़ने लगी। मैंने उसे और जोर से नीचे भींच लिया।
“बानो मेरी सांस रुक रही है, छोड़ दे प्लीज !” मुझे अचानक लगा कि अरे मैंने ये क्या कर दिया। सुनील का तो जैसे जबरन चोदन कर ही कर दिया। मैंने उसका कड़क लण्ड बाहर निकाला और उस पर से हट गई।
सुनील थका सा उठा, पर उठते मुझ पर झपट पड़ा और मुझे बिस्तर पर उल्टा पटक दिया।
“तेरी मां का भोसड़ा, अब बताता हू मैं….” उसने मुझे गाली देते हुये मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ दिया। पर उसे क्या पता था कि मैं तो पूरी तैयारी से आई थी। लण्ड गाण्ड में घुसते ही मुझे मजा आ गया।
“हाय रे…. मेरी गाण्ड बजायेगा ना, देख धीरे बजाना, लग जायेगी मुझे !”
“हरामी तेरी माँ चुद जायेगी अब, तेरी गाण्ड फ़ाड़ कर रख दूंगा…. साली चुद्दक्कड़ …. मेरी माँ चोद दी तूने…. तेरी तो फ़ोड़ कर रख दूंगा !” गुस्से में वो कस के गाण्ड चोद रहा था। मुझे मस्त किये दे रहा था। मुझे इसी तरह की चुदाई चाहिए थी। मुझे ऐसी ही तूफ़ानी तरीके से चुदना अच्छा लगता था।
हां मेरे चूंचे जरूर उसने रगड़ कर रख दिये थे जो टीस रहे थे। पर उसमें भी मजा था। वो मेरे चूंचे अभी भी बुरी तरह से खींचे जा रहा था। बहुत दर्द होने लगा था। गाण्ड में भी आस पास दुखने लगा था। मेरे गालों पर उसने काट लिया था। मेरे चूचुकों को दांतो से कुचल दिया था।
और अब वो अंतिम चरण में था। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने फ़ुफ़कार भरी और पिचकारी छोड़ दी, ढेर सारा वीर्य निकल पड़ा और मेरे चूतड़ो पर फ़ैल गया। वो बार बार जोर मार कर लौड़े से अपना वीर्य बाहर फ़ेंक रहा था। कुछ ही पलो में वो पूरा झड़ गया।
मैं तुरन्त उसे धक्का दे कर अलग हो गई और खड़ी हो गई।
“मजा आया मेरे सुनील?”
“आप बहुत खराब हैं बानो, तुम भी युसुफ़ की तरह ही निकली…. देख मेरा लौड़ा, अब दर्द कर रहा है।”
“तू तो साला न तो लण्ड पीने दे और ना ही चूत का रस पीए, तो फिर जबरदस्ती करनी ही पड़ती है ना ! कोई एक और साथ में होती तो तेरे से जबरदस्ती अपनी रसीली चूत चुसवाती।”
“हाँ और ये लण्ड में दर्द जो हो रहा है, साली ऊपर से मुझे पूरा चोद दिया।” उसने अपना लौड़ा मुझे दिखाया। उसकी शिकायत पर मैं हंस पड़ी।
“दर्द तो तूने मेरी गाण्ड फोड़ी है ना उसका है, मेरी चूत तो देख अब तक रस से भरी खान है, लग ही नहीं सकती है तुझे।”
“तू अब जा बानो, मेरी तो तूने आज ऐसी तैसी कर दी !”
“और ये देख तूने तो मेरे चूचे लाल कर दिये, देख दोनों सूज के दुगने मोटे हो गए हैं, मर साले … सुन सुनील, कल फ़िर ऐसे ही एक दूसरे को बजायेंगे !” कह कर मैं हंसी और धीरे से दरवाजा खोल कर दबे पांव नीचे अपने कमरे में आ गई।
मैंने जल्दी से अन्दर पेंटी पहनी और ब्रा डाल ली और बिस्तर में घुस गई। सब कुछ याद करके मुझे हंसी आ रही थी और खुशी भी हो रही थी सुनील को चोद कर, आज चुदाई करके मुझे मजा आ गया था, ऐसा जबरदस्ती वाला सुख मुझे जाने फिर कब मिलेगा।
मेरे चेहरे पर सुकून और शान्ति थी, चेहरे पर मुस्कान थी, दिल राजी था कि आज सुनील से चुदवा लिया, उसे फ़ड़फ़ड़ाता देख कर मजा भी आया था, पर हरामी ने मेरे चूंचो पर उसकी कसर निकाल दी थी…
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