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मेरा नाम विकास वर्मा है, मैं Hindi Sex Stories दिल्ली से हूँ. मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं इसलिये मैं भी अपनी एक कहानी लिखने जा रहा हूँ जो कि सच्ची है.
बात उन दिनों की है जब मैंने बारहवीं के इम्तिहान दिए थे. मेरे भाई-भाभी मुम्बई में रहते हैं, मैं रिजल्ट निकलने तक मुम्बई चला गया. मैं दिल्ली से कभी बाहर नहीं गया था, यह मेरा पहला मौका था पर मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि पहला मौका हमेशा के लिये यादगार रहेगा.
मैं मुम्बई स्टेशन पर पहुंचा, मेरा भाई मुझे लेने के लिए वहाँ पर आया था. मैं उनके साथ घर चला गया. जब घर पहुंचा तो भाभी से मिला और फिर मैंने फ़्रेश होकर खाना खाया, मेरी भाभी और भाई बहुत अच्छे हैं.
पड़ोस में एक सेक्सी भाभी रहती हैं, उनके पति मेरे भाई के साथ ही काम करते हैं. मेरी उनसे भी जान पहचान हो गई और मैं उनके घर भी जाने लगा और सुजाता भाभी (पड़ोस वाली भाभी) को भी अपनी भाभी की तरह इज़्ज़त देता था. सात-आठ दिनों में मैं उससे घुल-मिल गया जैसे वहीं पर सालों से रहा हूँ और उन्हें जानता हूँ.
मेरा भाई और पड़ोस के भाई एक ही पोस्ट पर काम करते हैं सो उनको काम से मुम्बई से 15 दिनों के लिए बाहर जाना था. वो चले गये. मेरी भाभी को भी एक सहेली की शादी में पुणे जाना था, वो उनकी सबसे अच्छी सहेलियों में से एक थी, उनको 1 सप्ताह के लिये जाना था, सो वह अपने कपड़े सम्भाल रही थी.
भाभी ने मुझसे कहा- तुम भी मेरे साथ पुणे चलो!
पर मुझे न जाने क्यों पुणे जाने का मन नहीं था, मैंने भाभी से कहा- मुझे वहाँ कोई नहीं जानता, आप जाओ.
उन्होंने कहा- नहीं! चलो!
और मुझे पर जोर देने लगी.
फिर मैंने बहुत मना किया तो वो मान गई.
फिर उन्होंने मुझसे सुजाता भाभी को बुलाने के लिये कहा. मैंने भाभी को बुलाया और भाभी ने सुजाता से कहा- मैं शादी में जा रही हूँ, तुम विकास के लिये खाना बना देना.
सुजाता भाभी ने कहा- कोई बात नहीं! अगर आप नहीं कहती तो भी मैं विकास के लिये खाना बना देती.
और फिर भाभी अगले दिन चली गई. मैं घर में अकेला था सुजाता भाभी ने मुझे नाश्ता करने के लिये कहा और मैं उनके घर चला गया. नाश्ता करने के बाद मैं अपने फ़्लैट में जाने के लिये हुआ तभी सुजाता भाभी ने मुझे कहा- विकास, वहाँ अकेले क्या करोगे? यहीं पर रहो!
और मैं भी सोच रहा था कि वहाँ क्या करुंगा और फिर हम दोनों बात करने लगे. बातों बातों में उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेंड है?
मैंने कहा- भाभी, अभी तो मैं बच्चा हूँ, मेरी कोई गर्लफ़्रेंड कैसे हो सकती है?
वो हंसने लगी.
पता नहीं क्यों अब मुझे उनमें रुचि होने लगी थी. मैंने उनके वक्ष की तरफ़ देखा. उनके स्तन काफ़ी बड़े हैं उनकी फ़ीगर 38-29-38 होगी. वो हमेशा घर में रहती हैं तो हल्के कपड़े पहनती हैं, उनकी ब्रा साफ़ नज़र आती है.
जब वो हंस रही थी, मैंने भी पूछा- भाभी, तुम्हारा कोई ब्वोयफ़्रेंड है या शादी से पहले कोई था?
तो वो चुप हो गई और कहने लगी- नहीं विकास.
हमने बाते की और दोपहर और रात का खाना खाया. रात को मैं अपने फ़्लैट में सोने के लिये जा रहा था तो भाभी ने एक बार फिर मुझसे कहा- यहीं सो जाओ! मैं अकेली हूँ. मुझे डर लगता है. उन्होंने मुझे सोने के लिये कमरा दिखाया और कहा- अगर रात कोई प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना, क्योंकि वहीं पर फ़्रिज है.
मैंने कहा- ओके.
फिर मैं सो गया.
यारो, मुझे रात कभी प्यास नहीं लगती पर न जाने क्यों उस रात मुझे प्यास लगी और मैं भाभी के कमरे में चला गया. कमरे में अंधेरा था, मैंने मोबाइल की लाइट ऑन की और मुझे फ़्रिज़ मिल गया. मैंने फ़्रिज़ से बोतल निकाली, पानी पिया और फिर बोतल रखी. जैसे ही फ़्रिज़ बंद कर रहा था कि मुझे बेड पर भाभी सो रही थी, फ़्रिज़ की लाइट से वो दिख रही थी, अचानक मेरी नज़र उनके बदन पर गई. मैंने देखा कि वो नाइटी पहन कर सो रही है. नाइटी से उनकी नंगी टाँगें दिख रही थी. ओह माय गॉड! उनकी टाँगें कितनी चिकनी थी. फिर मेरी नज़र ऊपर गई तो देखा कि उनकी छाती से नाइटी खुली है और उनकी ब्रा दिख रही है.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं फ़्रिज बंद करके अपने कमरे में चला गया. उनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं उनको चोदने की सोच कर अपने कमरे से निकला पर उनके कमरे पर जाते ही मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि मैं उन्हें भी भाभी की तरह मानता था और मेरे कदम रुक गये.
रात भर सपने में वो ही नज़र आई. रात को देर से सोया इसलिये सुबह नींद नहीं खुली 10 बज रहे थे भाभी ने मेरे कमरे में आ कर मुझे उठने को कहा. उन्होंने पूछा- तबीयत तो ठीक है?
मैंने कहा- हाँ सही है.
देर से क्यों उठे?
मैंने कहा- पता नहीं भाभी, आज नींद कुछ ज्यादा ही आ गई.
उन्होंने कहा- ओके! और कहा कि अपने फ़्लैट में फ़्रेश होकर आ जाओ फिर हम नाश्ता करेंगे.
मैंने कहा- सही है!
फिर मैं चला गया और नहा-धोकर मैं भाभी के फ़्लैट में आया. फिर वहीं रात हो गई. भाभी ने वही कहा- प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना! और चली गई.
मुझे रात को नींद नहीं आ रही थी और पानी लेने के लिये फिर उनके कमरे में चला गया. फिर वही सीन, यार, मुझे भाभी को चोदने को मन कर करने लगा पर हिम्मत नहीं कर पाया.
अगले दिन वही रात में फिर मैं पानी के लिये गया. इस बार सीन कुछ और था भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी और उनका एक स्तन साफ़ दिख रहा था. मेरे लंड में तनाव आ गया. पहली बार मेरे लंड में इतना तनाव आया था. मैं अपने कमरे में आ गया और मुझसे से रहा नहीं गया और मैंने पहली बार ज़िंदगी में मुठ मारा.
अगले दिन फिर वही रात! फिर भाभी ने कहा- प्यास लगे तो मेरे कमरे में आ जाना!
और स्माइल दे गई.
मुझे इस बार स्माइल सीधा दिल पर चुभ गई. आधे घंटे के बाद मैं उनके रूम में गया, मैंने देखे आज नज़ारा कुछ और है! भाभी पेंटी और ब्रा में हैं बस अब मुझसे नहीं रहा गया, मैंने नाइट लाइट ऑन की. अब उनका शरीर लाल लाइट में पूरा लाल लग रहा था. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने भाभी के पैर को छुआ, फिर स्तन! और स्तनों को धीरे धीरे दबाने लगा. फिर पेंटी में हाथ डाला और चूत पर हाथ फेरा, मैं बहुत गरम हो गया था पर अब भी भाभी को चोदने की हिम्मत नहीं कर पर रहा था. मुझे लगा कि अब बहुत हो गया, ज्यादा डर भी रहा था कि भाभी को पता चल जायेगा. फिर मैं बेड से अपने कमरे की तरफ़ जाने के लिये उठा तो अचानक भाभी ने मेरे हाथ पकड़ लिया और बहुत ही धीरे आवाज़ में कहने लगी- मुझे गरम करके कहाँ जा रहे हो? मुझे ठंडा तो करो.
अब तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था, सीधे ही भाभी के होंठों को चूसने लगा. एक हाथ वक्ष पर और एक हाथ चूत पर!
भाभी भी मेरे होंठों को चूसने लगी और उन्होंने मेरी पैंट के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो कि पूरी तरह से चूत में जाने के लिये बेचैन था. मैंने भाभी की ब्रा और पेंटी और अपने कपड़े भी उतार दिए. मैं और भाभी पूरी तरह से नंगे थे.
अब मैं उनके स्तनों को चूसने लगा, फिर उनकी चूत को चाटने लगा और वो तड़प उठी. उन्होंने मेरे लंड को मुंह में ले लिया, चूसने लगी.
फिर उन्होंने मुझसे लंड चूत में डालने का इशारा किया. मैंने उनकी चूत में लंड डाल दिया. फिर क्या! मेरा लंड छः इन्च का है. मैंने धक्का मार-मार कर पूरा लंड चूत में डाल दिया. भाभी आवाज़ निकाल रही थी- अह्ह उह मर गई अहह ए ए जोर से!
फिर मैंने भाभी से कहा- भाभी! निकलने वाला है! क्या करुं?
उन्होंने कहा- मेरे मुंह में दे दो!
मैंने उनके मुंह में दे दिया और उन्होंने पूरा माल निगल लिया. हमने भाभी के आने तक रोज़ सेक्स का मजा लिया. फिर भाभी आ गई और हमरा चूत मारने का सिलसला खत्म हो गया.और फिर भाई और उसके पति भी आ गये लेकिन अब हम सब बन्द कर चुके थे ताकि किसी को कोई शक न हो.
फिर मैं दिल्ली आ गया लेकिन आने से पहले मैं सुजाता भाभी से मिला और उनको अपना कोन्टक्ट नम्बर दिया.
वो मुझे अपना दोस्त मानती हैं और हम दोनों कोन्टक्ट में रहते हैं. Hindi Sex Stories
मेरी Hindi sex stories अपने दोस्त की मदद करने का ये सुनहरा मौका मिला कि अपने तो मजे ही मजे हो गए उधर दोस्त की माँ, इधर बुआ और आखिर में दोस्त की बहन की मदमस्त चुदाई का मौका मिला..
दोस्त की माँ को कैसे चोदा
प्यारे पाठकों और पाठिकाओं (चूत वालियों और लण्ड वालों) में रामू सबसे पहले मैं सभी चूत वालियों और लण्ड वालों को धन्यवाद देता हूँ.
मेरी कहानियाँ लोगों को काफ़ी पसन्द आई और मुझे ई-मेल के जरिये सभी का काफ़ी उत्तर मिला.
लोगों ने मुझे और सत्य कथा लिखने का हौसला दिया. इसलिए फिर से आप लोगों के पास एक सच्ची कहानी पेश कर रहा हूँ, आशा है पिछली कहानियों की तरह यह कहानी भी आप लोगों को पसन्द आएगी.
यह कहानी मेरे दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई की है. यह बात आज से 9-10 वर्ष पहले की है जब मेरी उम्र 20-21 साल की थीं. उन दिनों मैं मुम्बई में रहता था.
मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार प्रदीप रहने आया. वो किराये के मकान में अकेला रहता था. मेरी हमउम्र का था इसलिए हम दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. वो मुझ पर अधिक विश्वास रखता था क्योंकि मैं एक सरकारी कर्मचारी था और उससे ज्यादा पढ़ा लिखा था. वो एक निजी फैक्ट्री मे मशीन ऑपरेटर था.
उसके परिवर में केवल 4 सदस्य थे. उसकी विधवा माँ 41 साल की, विधवा बुआ (यानी कि उसकी माँ की सगी ननद) 35 साल की और उसकी कुँवारी बहन 18-19 साल की थीं. वे सब उसके गाँव में रहकर अपनी खेती बाड़ी करते थे.
दीवाली की छुट्टियों में उसकी माँ और बहन मुम्बई में 1 महीने के लिये आए हुए थे. दिसम्बर में उसकी माँ और बहन वापस गाँव जाने की जिद्द करने लगे. लेकिन काम अत्यधिक होने के कारण प्रदीप को 2 महीने तक कोई भी छुट्टी नहीं मिल सकती थीं. इसलिए वो परेशान रहने लगा.
वो चाहता था कि किसी का गाँव तक साथ हो तो वो माँ और बहन को उसके साथ भेज सकता है. लेकिन किसी का भी साथ नहीं मिला.
प्रदीप को परेशानी में देख कर मैंने पूछा, क्या बात है प्रदीप? आज कल तुम ज्यादा परेशान रहते हो!
प्रदीप: क्या करूं यार, काम ज्यादा होने के कारण मेरे ऑफ़िस में मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं मिल रही है और इधर माँ गाँव जाने की जिद कर रही हैं. मैं चाहता हूँ कि, अगर कोई गाँव तक किसी का साथ रहे तो माँ और बहन अच्छी तरह से गाँव पहुँच जायेंगी और मुझे भी चिन्ता नहीं रहेगी. लेकिन गाँव तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा है ना ही मुझे छुट्टी मिल रही है, इसलिए मैं काफ़ी परेशान हूँ.
रामू: यार अगर तुम्हे ऐतराज ना हो तो, मैं तुम्हारी परेशानी का हल कर सकता हूँ और मेरा भी फ़ायदा हो जायेगा.
प्रदीप: यार, मैं तुम्हारा यह एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूँगा! अगर तुम मेरी परेशानी हल कर दो तो. लेकिन यार, तुम कैसे मेरी परेशानी हल करोगे और कैसे तुम्हारा फ़ायदा होगा?
यार, सरकारी दफ्तर के अनुसार मुझे साल में 1 महीने की छुट्टी मिलती है. अगर मैं छुट्टी लेता हूँ तो मुझे गाँव या कही भी जाने का, आने जाने का किराया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती है. अगर मैं छुट्टी ना लूँ तो, 1 महीने की छुट्टी समाप्त हो जाती है और कुछ नहीं मिलता है.
प्रदीप: यार, तुम छुट्टी लेकर माँ और बहन को गाँव पहुँचा दो, इस बहाने तुम मेरा गाँव भी घूम आना!
अगले रामू से मैंने छुट्टी के लिए आवेदन पत्र दे दिया, और मेरी छुट्टी मंजूर हो गई.
प्रदीप ने साधारण टिकट लेकर हम दोनों को रेलवे स्टेशन पहुँचाने आया. हमने टीटी से विनती कर के किसी तरह बर्थ की 2 सीट ले ली.
गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुई.
रात करिब 10 बजे हमने खाना खाया और गपशप करने लगे. बहन ने कहा, भैया मुझे नींद आ रही है! और वो उपर के बर्थ पर सो गई.
कुछ देर बाद माँ भी नीचे के बर्थ पर चादर ओढ़ कर सो गई और कहा कि, तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जाना.
माँ की चूत और झांटों के दर्शन
मुझे भी थोड़ी देर बाद नींद आने लगी, और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया. सोने से पहले मैंने पैंट खोल कर शोर्ट पहन लिया.
माँ अपने बाईं तरफ़ करवट कर के सो गईं. कुछ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी उनकी चादर ओढ़ कर सो गया.
अचानक! रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि, माँ की साड़ी कमर के उपर थीं और उनकी चूत घनी झांटों के बीच छुपी थीं. उनका हाथ मेरे शोर्ट पर लण्ड के करीब था.
यह सब देख कर मेरा लण्ड शोर्ट के अन्दर फड़फड़ाने लगा. मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि, क्या करूँ. मैं उठकर पेशाब करने चला गया.
जब वापस आया मैंने चादर उठा कर देखा कि, माँ अभी तक उसी अवस्था में सोई थीं. मैं भी उनकी तरफ़ करवट कर के सो गया. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थीं.
मेरे लण्ड से माँ की चूत का मिलन
बार बार मेरी आँखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी. थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया. वहाँ 5 मिनट तक ट्रेन रुकी थी और, मैं विचार कर रहा था कि क्या करूँ!
जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाईट चली गई. मैंने सोचा कि, भगवान भी मेरा साथ दे रहा है.
मैंने अपना लण्ड शोर्ट से निकल कर लण्ड के सुपाड़े की टोपी नीचे सरका कर सुपाड़े पर ढेर सारा थूक लगा कर सुपाड़े को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा.
गाड़ी के धक्के के कारण आधा सुपाड़ा उनकी चूत में चला गया लेकिन, माँ की तरफ़ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद में थीं, या वो जानबूझ कर कोई हरकत नहीं कर रही थीं.
मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
एक बार तो मेरा दिल हुआ कि, एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लण्ड चूत में डाल दूँ. लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिम्मत नहीं हुई.
गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लण्ड ने ढेर सारा फ़व्वारा उनकी चूत और झांटों के ऊपर निकाल दिया.
अब मैं अपना लण्ड शोर्ट में डाल कर सो गया.
करीब सवेरे 7 बजे माँ ने उठाया और कहा कि, चाय पिलो और तैयार हो जाओ क्योंकि 1 घन्टे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ़्रेश हो कर तैयार हो गया.
स्टेशन आने तक माँ बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम प्रदीप के घर पहुँचे.
वहाँ पर प्रदीप की बुआ ने हमारा स्वागत किया और कहा- नहा धोकर नाश्ता कर लो.
हम नहा धोकर आँगन में बैठ कर नाश्ता करने लगे.
करीब 11:00 बजे बुआ ने माँ से कहा- भाभी जी आप लोग थक गए होंगे, आप आराम कीजिये मैं खेत में जा रही हूँ और मैं शाम को लौटूंगी.
माँ ने कहा, ठीक है! और मुझसे बोली, अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर लो नहीं तो बुआ के साथ जा कर खेत देख लेना.
मैंने कहा कि, मैं आराम नहीं करुगा क्योंकि मेरी नींद पूरी हो गई है! मैं बुआ जी के साथ खेत चला जाता हूँ, वहाँ पर मेरा समय भी पास हो जायेगा.
मैं और बुआ खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगों ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था. खेत की एक कोने मे एक छोटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी न था.
खेत पहुँच कर बुआ जी काम में लग गईं और कहा कि, तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लुंगी भी है चाहे तो, लुंगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद कर दो.
मैं मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लुंगी बनियान पहनकर बुआ जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी-कभी मेरा हाथ बुआ जी के चूतड़ पर भी टच होता था.
कुछ देर बाद बुआ जी से मैंने पूछा- बुआ जी यहाँ कहीं पेशाब करने की जगह है?
बुआ जी बोली- मकान के पीछे झाड़ियों में जाकर कर लो.
मैं जब पेशाब कर के वापस आया तो देखा बुआ जी अब भी काम कर रही थीं.
थोड़ी देर बाद बुआ जी बोलीं- आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फ़िर काम में लग जाएँगे.
अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और बुआ दोनों ने पहले हाथ पैर धोये फिर खाना खाने बैठ गए. बुआ जी मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थीं.
बुआ की चूचियों और चूत के दर्शन
खाना खाते समय मैंने देखा कि, मेरी लुंगी जरा साईड में हट गई थी. जिस कारण मेरी चड्डी से आधा निकला हुआ लण्ड दिखाई दे रहा था और बुआ जी की नज़र बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा और, बीच बीच में उनकी नज़र मेरे लण्ड पर ही जा रही थीं.
खाना खाने के बाद बुआ जी बरतन धोने लगीं जब वो झुक कर बरतन धो रही थीं तो मुझे उनके बड़े बड़े बूब्स साफ़ नज़र आ रहे थे. उन्होंने केवल ब्लाऊज़ पहना हुआ था. बरतन धोने के बाद वो कमरे में आकर चटाई बिछा दी और बोलीं चलो थोड़ी देर आराम करते है. मैं चटाई पर आकर लेट गया.
बुआ बोलीं- बेटा! आज तो बड़ी गर्मी है!
कह कर उन्होंने अपनी साड़ी खोल दी और केवल पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ़ करवट कर के लेट गईं.
अचानक! मेरी नज़र उनके पेटीकोट पर गई. उनकी दाहिनी ओर की कमर पर जहाँ पेटीकोट का नाड़ा बंधा था वहा पर काफ़ी गेप था और, गेप से मैंने उनकी कुछ कुछ झांटे दिखाई दे रही थी.
अब मेरा लण्ड लुंगी के अन्दर हरकत करने लगा. थोड़ी देर बाद बुआ जी ने करवट बदली तो मैंने तुरंत आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा.
थोड़ी देर बाद बुआ जी उठीं और मकान के पीछे चल पड़ीं. मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया. खिड़की बंद थीं, लेकिन उसमे एक सुराख था.
मैं सुराख पर आँख लगाकर देखा तो मकान का पिछला भाग साफ़ दिखाई दे रहा था. बुआ वहाँ बैठ कर पेशाब करने लगी.
सब करने के बाद बुआ जी थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर, उठकर मकान के अन्दर आने लगी. फ़िर मैं तुरंत ही अपनी स्थान पर आकर लेट गया.
बुआ जी जब वापस मकान में आईं तो, मैं भी उठकर पिछली तरफ़ पेशाब करने चला गया. मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ़ लण्ड पकड़ कर पेशाब करने लगा.
मैंने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और बुआ जी की नज़र मेरे लण्ड पर थी.
मालिश के समय बुआ की चुदाई का विचार
पेशाब करके जब वापस आया तो देखा, बुआ जी चित लेटी हुई थीं. मेरे आने के बाद बुआ बोलीं बेटा आज मेरी कमर बहुत दुख रही है. क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो?
मैंने कहा- क्यों नहीं!
उसने कहा, ठीक है! सामने तेल की शीशी पड़ी है उसे लगा कर मेरी कमर की मालिश कर देना, और फिर वो पेट के बल लेट गईं. मैं तेल लगा कर उनकी कमर की मालिश करने लगा.
वो बोली- बेटा थोड़ा नीचे मालिश करो.
मैंने कहा- बुआ जी थोड़ा पेटीकोट का नाड़ा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटीकोट पर तेल भी नहीं लगेगा.
बुआ जी ने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया. अब मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा. उन्होंने और थोड़ा नीचे मालिश करने को कहा. मैं थोड़ा नीचे की तरफ़ मालिश करने लगा.
थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली, बस बेटा और नाड़ा बंद कर लेट गईं. मैं भी बगल में आकर लेट गया. अब मेरे दिल और दिमाग ने बुआ को कैसे चोदा जाए!
यह विचार करने लगा. आधे घण्टे के बाद बुआ जी उठी और साड़ी पहन कर अपने काम में लग गईं.
शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुँचे. घर पहुँचकर मैंने कहा- माँ मैं बाजार जा रहा हूँ और 1 घण्टे बाद आ जाऊँगा.
यह कहकर मैं बाजार की ओर निकल पड़ा.
कहानी जारी रहेगी.
कहानी का अगला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-2 Hindi sex stories
हाय दोस्तो, मैं अन्तरवासना का Sex Stories नियमित पाढ़क हूँ और मैं इस पर छपने वाली हर कहानी को बड़े ही मजे से पढ़ता हूँ।
तो चलो आते हैं मेरी कहानी पर।
मेरा नाम देव है और मैं दिखने में ठीक-ठाक और 20 साल का एक अच्छा लड़का हूँ। मैंने कभी भी किसी लड़की को गलत नजर से नहीं देखा था।
यह घटना लखनऊ की है और मेरे पापा की पोस्टिंग के बाद मैं बटिण्डा(पंजाब) चला गया। इस घटना के बाद मेरा लडकियों के प्रति नजरिया बदल गया।
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवी कक्षा में पढ़ता था। चूँकि मैं सांइस विषय से था इसलिए मुझे लड़कियों के साथ पढ़ने का काफी मौका मिलता था। मैं और मेरी कुछ 2 या 3 लडकियाँ दोस्त अक्सर गेम्स के समय थोड़ा पढते थे और थोड़ा मौज-मस्ती किया करते थे।
यह बात मेरी ही क्लास के कुछ लड़के और लड़कियों को अच्छी नहीं लगती थी और वह मुझे कभी-कभार इस बात को लेकर मजाक भी किया करते थे।
मेरी ही क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम पूजा था। वह दिखने में एकदम किसी फिल्म की हीरोइन की तरह लगती थी, उसकी आँखों में एक अजब सा नशा दिखाई पढ़ता था। वह अभी कच्ची उम्र यानि कि करीब 18 साल की रही होगी और वह देखने में गोरी और चिकनी थी। वह मुझसे जब भी मिलती तो मुस्कुरा देती और मुझसे शरारत भरे सवाल पूछती कि तुम उन लड़कियों के साथ क्या करते रहते हो? वगैरह-वगैरह और मैं कह देता था कि बस पढ़ता ही तो हूँ और क्या करता हूँ। उस समय मैं उसकी शरारत भरी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था और उसे अक्सर टाल जाता था।
ऐसे ही महीने बीतते गये और मेरे फाइनल पेपर के लिए कुछ महीने शेष रह गये। तब मुझे भी अन्य विद्यार्थीयों की तरह पेपर में अच्छे नंबर लाने के लिए एक कोचिंग सेन्टर में प्रवेश लेना पडा़। एक दिन मैं थोड़ा सा बिमार पड़ गया और मैं उस दिन कोंचिग क्लास नहीं ले पाया। मेरी आदत थी कि मैं कोचिंग शुरु होने से पहले ही वहाँ पहुँचकर अपने दोस्तों के साथ थोड़ी यहाँ-वहाँ की बातें करता था।
अगले दिन रोज की तरह मैं कोचिंग गया तो मेरे दोस्तो ने बताया कि कल ही तुम्हारे स्कूल की एक लड़की ने यहाँ ऐडमिशन लिया है और उसका नाम पूजा है। मेरी तो यह सुन कर सिटी-पिटी गुम हो गई। मैन सोचा कि अब वह मुझे यहाँ भी चिढ़ायेगी।
मैं उसकी शरारतों से बहुत ही डरता था। अभी कुछ ही देर हुई थी कि वह कोचिंग क्लास में आ गई। मैंने उसे वहाँ देखा तो देखते ही रह गया, वह पीले पटियाला सूट में एकदम पटाका लग रही थी। उसने मुझे देखते ही हाय किया और मैंने उसे अनदेखा करते हुए यहाँ-वहाँ देखने लगा। जब क्लास खत्म हो गई और मैं वहाँ से जाने लगा तो उसने मुझे पीछे से रोका और मुझे आवाज दी। मैं वहाँ ही रुक गया।
उसने कहा- तुम भी यहाँ पढ़ते हो?
तो मैंने कहा- हाँ!
उसने कहा- कबसे?
मैंने कहा- 10 दिन से।
उसने कहा- क्या हम साथ चल सकते हैं?
तो मैंने बहाना बना दिया और वहाँ से चला गया। दरअसल उसका घर मेरे घर के रास्ते में ही पड़ता था।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गये और एक दिन क्लास के समय पूजा की तबीयत अचानक खराब हो गई। सर ने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- कुछ नहीं! बस सर दर्द हो रहा है! और वह एक तरफ सर झुका कर बैठ गई।
जब क्लास खत्म हो गई तो भी वह वैसे ही बैठी हुई थी। सर उसके पास गये और उसकी तबीयत देखकर कहा- क्या कोई इसके घर के पास रहता है?
तो उसकी सहेलियों में से एक ने मेरा नाम बताया।
सर ने मुझे कहा- अब तुम इसको घर तक पहुँचाओगे।
मैं भी क्या करता, मुझे भी हाँ करनी पड़ी। हम दोनों साइकिल से ही जाते थे तो रोज की तरह मैंने साइकिल उठाई और आज पूजा को साथ लेकर चलने लगा।
पहले तो मैंने उससे कुछ नहीं कहा, क्योंकि घर थोड़ी दूर था इस लिए उसने ही पहले शुरुआत करते हुए पढ़ाई कैसी चल रही है वगैरह-वगैरह के बारे में पूछा। रास्ते में बातें करते करते अब मैं उससे थोड़ा नजदीक आ गया था। उसने अपने घर के बारे में बताते हुए कहा कि उसको घर में रहना बहुत बेकार लगता है क्योंकि उसके मम्मी-पापा हमेशा लड़ते रहते थे। मेरी बातों ही बातों में उससे दोस्ती हो गई।
अब मैं जानने लगा कि वह इतनी भी दिल की बुरी नहीं है जितना कि मैं उसको समझता था। अब तो क्या था वह रोज मेरे साथ कोचिंग जाने और आने लगी। अब वह मेरे लिए दोस्त से बढ़कर थी। परीक्षा शुरु होने में अभी दो हफ्ते शेष रह गये थे और अब हम लोग घर में रहकर ही परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे।
एक दिन अचानक मुझे उसका फोन आया और उसने कहा कि उसके सर के दिए हुए कुछ नोटस खो गये हैं और मुझसे मेरे नोटस मँगवाये। मैं कुछ ही देर बात उसके घर पहुँच गया।
उसने मेरा स्वागत किया और कुछ चाय-बिस्किट वगैरह लाकर टेबल पर रख दी।
मैंने उससे पूछा- क्या घर पर कोई नहीं है?
तो उसने कहा- चाचा जी के लड़के की शादी है इसलिए सब कानपुर गये हुए हैं!
अब वह मुझे अपने कमरे में ले गई और उसने मेरे नोटस ले लिए और फिर हम दोनों कुछ बाते करने लगे। आज मैंने उसकी आँखों में कुछ अजीब से शरारत देखी।
बातें करते-2 उसने मुझे कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
उसकी यह बात सुन कर मेरा दिल उछलने लगा क्योंकि दिल ही दिल में मैं भी उसको चाहने लगा था। उसकी यह बात सुनकर मैंने भी उसे अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसी समय टीवी पर ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ आ रही था और उसमें पल-पल हर पल वाला गाना चल रहा था। आप लोग तो जानते ही होंगे कि वह कितना प्यारा रोमांटिक गाना है।
गाने को देखकर पूजा मुझसे लिपट गई और कहने लगी- देव मुझे इतना प्यार दो कि मैं आज तुम्हारे प्यार से भर जाऊँ।
उसने मेरे औंठों पर अपने गुलाबी औंठ रख दिया। इतना प्यार पाकर मेरे अन्दर का मर्द भी जाग गया और मैंने भी उसे जी भरकर चाटना-चूमना शुरु कर दिया। इतना प्यार पाकर हम दोनों काम वासना की ज्वलंत अग्नि में जलने लगे। हम दोनों का शरीर गर्मी से जला जा रहा था।
अब मैंने हिम्मत दिखाते हुए उसके कमीज को अलग कर दिया। वह थोड़ा शरमाने लगी। मैंने कहा- जान, अब क्यों शरमाती हो, मैं तो तुम्हारा ही हूँ। फ़िर सलवार निकालने के बाद तो उसके शरीर पर केवल ब्रा और पेन्टी ही शेष बाकी रह गये थे। उसके रसीले यौवनयुक्त शरीर को देखकर मैं पागल हुए जा रहा था।
उसने कहा कि मुझे ही नंगा किये जा रहे हो। अपने शरीर को भी तो दिखाओ?
मैंने कहा- अभी लो जान!
और मैं झट से नग्न अवस्था में उसके सामने खड़ा हो गया, उसने मेरे शरीर को ऊपर से नीचे तक निहारा और प्यार से मेरे छाती पर अपने औंठों का घुमाने लगी।
मेरा 6 इंच का लंड देखकर उसके मुँह खुला का खुला रह गया। मैं तो बस पागल ही हुए जा रहा था। अब मैं उसकी ब्रा को उठाने लगा तो उसने अपने हाथ आगे कर लिए। धीरे धीरे मैंने आगे बढ़ते हुए उसकी ब्रा को उसके कोमल से शरीर से अलग कर दिया। वह अब किसी परी की तरह लग रही थी। मैंने अब उसके स्तन चूसने प्रारंभ किये। हाय!! कितने सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी मैं आपको बता नहीं सकता।
वह अब सिसकियाँ लेने लगी… हाय!! ऐसे ही! हाँ ऐसे ही!…हाय!!
यह सब उसके मुख से निकल रहा था। कुछ देर तक चूची का रस चूसने के बाद मैंने उस कच्ची कली की पैन्टी भी उतार दी।
अब उसके शरीर पर एक धागा तक शेष ना बचा था। उसके इस नग्न छरहरे कामुक बदन को देखकर तो शायद कामदेव भी शरमा जाए।
मैंने अब उसकी चूत को निहारा, बिल्कुल गुलाबी सा रंग, एक भी बाल न था उसकी चूत पर। अब तो सारा काम मुझे ही करना था।
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरु किया, पहले तो उसे कुछ गुदगुदी सी हुई फिर उसे मजा आने लगा, मैं अब एक अँगुली उसकी गुलाबी चूत के मुहाने पर रखकर अन्दर-बाहर करने लगा।
वह तो मानो पागल हो गई और कामवासना की आग में जलने लगी और कहने लगी- हाँ राजा!! ऐसे ही हाँ ऐसे ही!! ऊम… ऊमममम… ऊईईईईईई…
अब उसे बर्दाशत नहीं हो रहा था… थोड़ी देर बाद मैंने सोचा- अब बस बहुत खेल लिया अब इस लंड की प्यास भी बुझाई जाए और मैं अपने लंड को आगे लेकर उसकी चूत की ओर बढ़ा़।
उसने कहा- इतना बडा! मेरी चूत में कैसे जाएगा?
मैंने कहा- जानम! तुम बस देखती जाओ…!
उसने कहा- दर्द होगा?!
मैंने कहा- तुम्हें बिल्कुल भी दर्द न होने दूँगा।
यह सुनकर उसकी जान में जान आई। अब मैंने लंड को उसके योनि-द्वार पर रखा और हल्के से झटका मारा, लंड अभी थोड़ा सा ही अन्दर गया होगा कि उसकी चीख निकल पड़ी- हाय!!!! मर गईईईईई… आआआआ…
मैंने सोचा- लगता है गई भैंस पानी में। थोड़ी देर तक हम इसी अवस्था में रहे। उसकी कुंवारी चूत जानकर मैं पास ही पड़ी एक क्रीम उठाकर उसकी चूत के अन्दर बाहर लगाने लगा।
उसके कहा- यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- जान घबराओं मत, इसको लगाने से तुम्हें दर्द की अनुभुति कम होगी और मेरा लंड आसानी से तुम्हारी इस प्यारी चूत में समा जायेगा।
उसने कहा- ठीक है!
उसकी तरफ से हरी झंडी मिलते ही मैंने फिर से एक बार चूत पर अपने लंड की दस्तक दी और मारा एक जोरदार शॉट, ऐसा करते ही उसकी चूत की सील फट गई और उसकी चूत का खून रिस-रिस कर चूत के छेद से बाहर बहने लगा और वह जोर से चिल्लाई-… हाय!! माँ मर गईईईई ईईईईईई…
हाय!!, मैंने सोचा कि यह क्या हो गया!!
मैंने जल्दी से नैपकिन लाकर उसकी चूत की सफाई करी। थोड़ी देर बात मैंने उससे कहा- क्या फिर से शुरु करें।
उस समय तक उसका दर्द कुछ कम हो गया था। मैंने उसे अपनी कसम दी तो वह मान गई।
मैंने अब फिर से एक बार डरते हुए लंड डाल दिया, वह अबकी बार थोड़ा कम चिल्लाई, मैंने अब हौले-हौले चुदाई शुरु कर दी।
थोड़ी देर बाद उसको भी मजा आने लगा और वह कहने लगी- हाँ राजा ऐसे ही ऐसे ही… उममम… आआआ… हाय…
अब मैंने भी अपने पूरे जोर से चोदना चालू रखा।
मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ।
लगभग 15 मिनट की तेज चुदाई के बाद में झड़ने लगा, उसने कहा- बस थोड़ी और देर! मैं भी झडने वाली हूँ।
मैंने कहा- ले! मैं गया! और मैं अपने पूरे तेज के साथ उसकी चूत में झड़ गया और वह भी मेरे साथ झड़ गई। हम दोनों का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और हम लगभग आधे घन्टे तक एक दूसरे के ऊपर ही चिपकर लेटे रहे।
फिर आधे घन्टे बाद मैंने उसे उस दिन फिर दो बार चोदा वह भी अलग-2 स्टायल में।
दूसरे ही दिन पूजा के मम्मी-पापा शादी से आ गये। फिर पेपर के बाद मेरे पिताजी की पोस्टिंग आ गई और उसके बाद फिर मैं उससे कभी नहीं मिल पाया।
यह थी मेरे पहले सेक्स की सच्ची कथा अन्तर्वासना डॉट कॉम पर। आशा करता हूँ कि आपको पसंद आयेगी।
किसी भी प्रकार की गलती के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। Sex Stories
हैलो दोस्तो, नमस्कार!
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मुझे इसकी कई चुदाई कहानियाँ अच्छी लगीं, कई तो बहुत ही अच्छी लगीं.
मुझे पहले तो यह लगा कि लोग झूठी कहानियाँ लिख कर दे देते हैं पर जब से एक ऐसा ही हादसा मेरे साथ हुआ है तब से मैं मान गया कि कोई ऐसे ही लिख कर उसे क्या मिलता होगा. पर नहीं, मुझे आज ये सारी कहानियाँ सही लगती हैं.
यह मेरी पहली कहानी है जो मैं आप सबको सुनाने जा रहा हूँ और मेरा पहला अनुभव भी है.
मेरा नाम संदीप है, मैं 22 साल का हूँ. मुझे कभी सेक्स में रूचि ना थी लेकिन मेरे एक दोस्त ने जबसे मुझे ब्लू-फिल्म दिखाई है तब से मेरी कोशिश रहती थी कि कोई ऐसा मिले जिसके साथ मैं सेक्स कर सकूँ लेकिन कुछ नहीं उखाड़ पाया.
उन्हीं दिनों मेरा दोस्त जो मेरे पड़ोस में ही रहता था, उसकी शादी पक्की हो गई और 15 दिनों में उसकी शादी हो गई.
मैं उसकी शादी में नहीं जा पाया था क्योंकि मैं मुंबई मेरे चाचा के यहाँ था.
जब मैं वापस आया तो वो शाम को मिला, मैंने कहा- कैसी रही शादी.. और सुहागरात.!
पहले वो कुछ नहीं बोला फिर उसने कहा- चल, तुम्हें मेरी पत्नी से मिलाता हूँ.
मैं और मेरा दोस्त उसके घर गए, वहाँ उसकी पत्नी अकेली थी.
मैं अन्दर गया, मैंने देखा उसकी बीवी बहुत सुन्दर और सेक्सी लग रही थी, उसकी फ़िगर तो ऐसी थी कि पूछो मत…
वो मेरी ही उमर की थी. उसका नाम दिव्या था मुझे तो वो औरत नहीं, लड़की ही लग रही थी.
मैंने मेरे दोस्त को कहा- यार, तेरी बीवी तो बहुत मस्त लग रही है.
मैंने भी दुआ की कि मुझे बीवी दो तो ऐसी फ़िगर और सुन्दर वाली ही देना.
मैंने उससे बात की तो उसकी आवाज़ भी सेक्सी थी.
वो भी बार-बार मुझसे ही देख रही थी.
मैं वहाँ से चला आया.
फिर एक दिन मैं जब अपनी बाइक को धो रहा था, तभी वो घर से कुछ कपड़े और बर्तन लेकर मेरे यहाँ धोने आ गई.
जब वो नीचे की तरफ़ झुकती थी तो तभी मैंने उसके प्यारे से मम्मों को देख लिया. मैं उसे कुछ कह नहीं पाया मुझे मजा आ रहा था. मैं अपनी बाइक को धोता रहा और वो मुझे देखती रही.
लेकिन उसने कुछ ऐसा किया कि उसके मम्मे मुझसे साफ़ नज़र आने लगे.
उसके मम्मे जब देखता था तो मेरे में 400 वोल्ट का झटका एक साथ दौड़ता था.
इस तरह कई दिन तक मैं कई बार उसके मम्मों को देख चुका था, पर वो कुछ कहती ही नहीं थी.
और एक दिन आया जब मेरी किस्मत खुली, वो घर पर आई और मुझसे बोली मेरे घर पर टीवी में कुछ दिख नहीं रहा है, आप चल कर ठीक कर दीजिए ना!
मैं जैसे ही टीवी वाले रूम में गया तो उसने दरवाजा बन्द कर दिया.
मुझे मालूम नहीं चला कि उसने दरवाजा बन्द किया है.
तब उसके घर पर कोई नहीं था.
मैं टीवी को देख रहा था, उसने मुझे पीछे से आकर बांहों में पकड़ लिया. मैं मन ही मन में खुश हो रहा था.
मैंने पूछा- यह क्या कर रही हो?
तो वो बोली- जो तुम्हें दिख रहा है.
उसने मुझे चुम्बन करना शुरू कर दिए मेरे होंठों को वो बुरी तरह से चूमने लगी.
मैं भी जोश में आ गया और उसको चुम्बन करने लगा. उसको अपनी बांहों में दबाने लगा. उसको मैंने खींच कर सोफ़े पे लेटा दिया और मैं उसके ऊपर छा गया और उसको चूमना शुरू कर दिया.
10 मिनट तक मैं उसको चूमता रहा, फिर मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया, उसके बाद मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी. जैसे ही मैंने ब्रा खोली तो उसके मम्मे उछल कर बाहर आ गए. मैं उसे देखकर उसके मम्मों को दबाने लगा, कितने दिनों के बाद इसके पूरे के पूरे मम्मे देखने को और दबाने को मिले.
फिर मैंने उसके चूचुकों को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
वो ‘आआह्ह… ह्हह्ह… हाआआ… आह्हह्ह… ह्हहाह्ह… ह्हह…’ कर रही थी, मैं उसे चूसता ही रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी साड़ी हटा कर उसको सिर्फ पेंटी में ला दिया.
उसकी चूत बहुत गरम हो गई थी तो उसकी पेंटी गीली हो चुकी थी, मैं पेंटी को उतार कर उसकी चूत को फैला कर चाटने लगा.
वो सिसकारी भर रही थी- अहाआआ अस्सस्स शह्हह्हस..
उसने कहा- ऐसा तो तेरा दोस्त भी नहीं करता है.
उसे और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था क्योंकि मैंने चूत पहली बार देखी थी.
वो पूरी नंगी थी. पहली बार ऐसी नंगी लड़की को देख कर मेरा लण्ड जो सो रहा था वो कड़ा हो चुका था. उसने मुझे बैठा कर मुझसे नंगा कर दिया.
मेरा लण्ड देखते ही वो बोली- इतना लम्बा तो तेरे दोस्त का भी नहीं है. मुझे मजा आएगा तेरे लण्ड से चुदवाने में.
मेरा लण्ड उसके हाथों में आते ही झटके मारने लगा. वो बहुत कड़ा हो चुका था.
उसने कहा- तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा और लम्बा है.
मैंने कहा- 9 इन्च का है.. मुँह में लेगी!
वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी.
मुझे बहुत मजा आ रहा था. थोड़ी देर वो चूसती रही.
मैंने उसे सोफ़े पर लेटा दिया और फिर से उसकी चूत को चाटने लगा. वो सिसकारियाँ भर रही थी. फिर मैं उठा और उसके दोनों पैरों को फैला दिया. उसने अपने हाथों से चूत को और फैला दिया. मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर घिसने लगा.
वो बोली- अब डाल भी दे.. कितना तड़पाएगा.
मैंने कहा- तड़पने में ही मजा है मेरी जान!
और मैंने धक्का लगा कर उसकी फैली हुई चूत में लण्ड को 3 इन्च तक घुसा दिया.
वो चिल्लाई- ऊऊऊउ माँ ..इऊऊउ ऊईईई ई मा आआआअ घह्हह्ह ह्हस्स स्स गया अ आअ आआआ.’
मैंने धक्के मारना बन्द किया वो शान्त हो गई और मैंने उसको चुम्बन करना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिए.
वो ‘अह्हाआअ हह्ह ह्हहा उफ़्फ़फ़ फ़्फ़ू फ़्फ़ उफ़्फ़फ़’ कर रही थी.
तभी मैंने एक जोर से धक्का लगा कर मेरे लण्ड को मैंने 7 इन्च तक उसकी चूत में घुसा दिया. वो चिल्ला नहीं सकी क्यूँकि उसका मुँह मेरे मुँह में था और मैं उसको जोर-जोर से चुम्बन करता रहा और धक्के लगाता रहा.
तभी वो बोली- फाड़ डाल मेरी चूत को.. यह ऐसा लण्ड ही मांगती है.
उसके यह कहने से मुझमें जोश आ गया. मैंने फिर से बेदर्दी से धक्का लगा कर मेरे पूरे 9 इन्च के लण्ड को उसकी चूत में घुसा दिया.
वो इस बार जोर से चिल्ला उठी- ‘आआ आआआ आआअह्ह ऊउई ईईई!
मैं समझ गया कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका है.
वो बोली- मैं तुम्हारा लण्ड और नहीं सह पा रही हूँ इसे बाहर निकाल लो.
मैंने कहा- तुमने खुद मेरे लण्ड को न्यौता दिया है, तो उसकी भूख मिटाने के बाद ही मैं यह बाहर निकालूँगा.
वो कुछ नहीं बोली.. मैं उसे लगातार धक्के लगा रहा था.
ऐसा 15 से 20 मिनट तक मैं उसको उसी पोजीशन में चोदता रहा.
उसे भी मजा आ रहा था, वो आपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी.
मैंने उसे और जोर से चोदना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और शान्त पड़ गई.
फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया, सोफ़े के सहारे वो खड़ी हो गई, मैंने उसके पीछे से उसकी चूत में लण्ड डाल दिया.
इस बार मेरा लण्ड एक ही धक्के में पूरा का पूरा उसकी चूत में चला गया. फिर उसे मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा. मुझे तो पसीना आ गया था.
मैं उसके मम्मे को दबाते जा रहा था. तकरीबन 25 मिनट तक ऐसे ही मैंने उसको चोदा. तब तक वो दो बार और झड़ चुकी थी, पर मेरा पानी तो अभी भी नहीं निकला था.
मैंने अपनी गति और बढ़ा दी और फुल स्पीड से चोदना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर के बाद मैंने कहा- मेरा पानी निकलने वाला है, उसे कहा निकालूँ?
वो बोली- मेरी चूत में ही पानी छोड़!
मैंने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया. फिर उसको मैं अपनी बाँहों में लेकर सोफ़े पे लेट गया. थोड़ी देर बाद वो उठी और चूत से मेरा लण्ड निकाल कर उसको चूसने लगी. बाद मैं वो मुझे बाथरूम में ले गई और मेरे लण्ड को साबुन से साफ़ किया.
उसने मुझे पूछा- मजा आया!
मैंने कहा- बहुत मजा आया..
तभी वो बोली- तुम्हारा लण्ड तो अभी भी खड़ा है.. क्यूँ!
मैंने कहा- अभी भी भूखा लगता है.
तो उसने कहा- तो फिर चलो शुरू हो जाओ.
मैं यह सुनकर तो खुशी के मारे उछल पड़ा.
बस दोस्तो, यह चुदाई कहानी है मेरी… यकीन आए या ना आए पर है.
आपके विचारों का स्वागत है.
यह बात उस समय की है जब Hindi Porn Stories मैं कंप्यूटर का कोर्स कर रहा था। मुझे उस समय कंप्यूटर ठीक करने के लिए लोगों के घर पर भी जाना पड़ता था।
एक बार की बात है, मेरे एक सीनियर ने मुझे एक पता दिया और कहा कि इस घर में जाकर इनकी प्रॉब्लम देखना है। मैंने जाने से पहले वहाँ काल किया तो उन्होंने कहा कि दो बजे के बाद आना।
मैं उनके घर अढाई बजे गया तो एक बहुत ही प्यारी सेक्सी लड़की ने दरवाजा खोला, उम्र कोई अट्ठारह-उन्नीस साल होगी। मैंने उससे पूछा कि कम्प्यूटर में क्या प्रॉब्लम है तो उसने कहा की काम करते समय कंप्यूटर कभी भी बंद हो जाता है।
मैंने कंप्यूटर ऑन किया और चेक किया तो पता लगा कि वायरस के कारण परेशानी हो रही थी। मैंने वायरस हटा दिया और उसे चेक करने को कहा। लेकिन उससे पहले उसने कहा कि आप क्या लोगे- चाय या ठंडा?
मैंने उसे कहा कि पहले चेक कर लो फिर देखते हैं।
उसने चेक किया और कहा कि आप कोई मूवी लगा कर छोड़ दो, कुछ देर में अगर बंद नहीं होता है तो ठीक है।
मुझे उसमें कहीं भी कोई मूवी नहीं दिखी तो मैंने उससे कहा- मूवी तो नहीं है!
तो उसने आकर एक फाइल खोल दी, वो अंग्रेजी मूवी थी।
वो लगाकर किचन में चली गई। कुछ देर में उसमें सेक्स के सीन आने लगे तो मैंने फाइल को बंद कर दिया।
उसने आकर कहा- प्रॉब्लम आई?
मैंने कहा- प्रॉब्लम तो नहीं आई!
तो उसने कहा कि मूवी बंद क्यों कर दी?
उसने फिर से मूवी चालू कर दी।
जैसे ही मूवी में सेक्स के सीन आये तो मैं उठकर बाहर जाने लगा।
उसने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- अगर ऐसी मूवी देखेंगे तो कुछ हो जायेगा!
वो बोली- कुछ नहीं होगा!
मैं भी बैठ गया लेकिन कुछ देर बाद वो मेरे साथ वाली कुर्सी के पास आकर खड़ी हो गई। अब मुझसे भी सब्र नहीं हो रहा था सो मैंने भी उसे पकड़ अपनी गोद में बिठा लिया। वो कुछ नहीं बोली। मैंने उसके वक्ष पर हाथ रख दिया तो बोली- यही प्रॉब्लम है! फिल्म पूरी नहीं देख पाती! अकेले में देखकर फिल्म बंद करनी पड़ती है!
अब वो खुल कर मेरा साथ दे रही थी। बोलने के बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में अन्दर कर दी। अब मैं भी उसे चूसने लगा। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसके स्तनों को मसलते हुए उसके पेट तक चला गया। मैंने फ़ौरन उसका टॉप उतार दिया।
कसम से ऐसे स्तन अपने जीवन में कभी नहीं देखे। जैसे ही वो ब्रा से आजाद हुए, मैंने एक चुचूक को मुंह में भर लिया। उसे भी जवानी का मजा आने लगा। उसने जोश में आकर मेरी पैंट के अन्दर हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी।
अब हम दोनों अपने बस में नहीं थे। मैंने बिना देर किये उसका स्कर्ट उतार दिया और उसकी क्रीम रंग की पैंटी उतार दी। उसकी चूत पे हल्के से बाल थे। मैंने उसकी चूत में एक ऊँगली डाल दी। उसने एक हल्की सी आह भरी। अब वो अपने पंजे के बल बैठ कर मेरी पैंट खोल के मुझे पूरा नंगा किया, एक झटके से वो मेरा लंड पकड़ कर अपने मुंह में लेकर प्यार से चूसने लगी। मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था।
अब वो कहने लगी- फिल्म को पूरा करो!
मैंने उसे वहीं सोफे पे लिटाया और उसके चुचूक चूसने लगा। साथ में उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और वो आह आह कर रही थी।
वो बोली- अब सब्र नहीं हो रहा है, कर दो पूरा!
मैंने उसकी टाँगें उठाकर अपने लंड को उसकी बुर के मुंह पर रखा और एक हल्का सा धक्का दिया। लेकिन वो कुंवारी थी इसलिए लंड आसानी से नहीं गया तो मैंने उससे कहा- थोड़ा दर्द होगा!
तो वो बोली- परवाह मत करो! लेकिन आज खुश कर दो!
इस बार मैंने उसे कमर से पकड़ के लंड को बुर के मुंह में रखकर तेजी से धक्का दिया मेरा लंड सीधे उसके बुर में तीन इंच तक चला गया। उसके आंसू आ गए और निकालने को कहने लगी। लेकिन मैं कुछ देर रुका और उसके स्तन चूसने लगा। इससे उसे दर्द कुछ कम लगा और नीचे से कमर उठाने लगी।
फिर मैं उसके होठों को चूमने लगा और उसकी कमर को कस के पकड़ के एक जोर से धक्का मारा। इस बार मेरे पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में चला गया लेकिन होंठों पर होंठ रखे होने के कारण उसकी आवाज बाहर नहीं आ पाई। थोडी देर शांत रहने के बाद वो बोली- अब जितनी तेजी से कर सकते हो, करो!
फिर मैं भी जोर से अन्दर बाहर करने लगा और वो भी इस काम में मेरा साथ देने लगी, वो कहने लगी- मेरे अन्दर से कुछ निकल रहा है!
थोड़ी देर में मुझे भी लगा कि मेरा भी निकल रहा है तो मैंने उसके मुंह में दे दिया। वो प्यार से चूसने लगी। मैंने उसके मुंह में अपना सारा रस दे दिया, वो भी प्यार से पी गई। इसके बाद उसने मेरे लंड को चाट के साफ कर दिया तो मैंने पूछा- अब तो कोई प्रॉब्लम नहीं कंप्यूटर में?
तो वो हंस के बोली- अब प्रॉब्लम होगी तो काल कर दूँगी।
मैंने उससे कहा- कंप्यूटर ठीक करने का चार्ज ऑफिस में देना होता है!
तो वो बोली- ऑफिस के चार्ज के अलावा तुम्हारा इनाम भी लो!
उसने मुझे दो सौ रूपये ऑफिस के और मुझे एक प्यारा चुम्बन और एक हजार रूपये दिए और कहा- प्रॉब्लम होने पर आ जाना!
मैंने भी उसे एक किस देकर वादा किया और वहां से चला गया।
उसके बाद उसने अपनी एक सहेली को बुलाया और मैंने उसकी भी प्रॉब्लम ख़त्म की लेकिन वो फिर कभी!
मुझे आप सबके जवाब का इन्तजार रहेगा। Hindi Porn Stories
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