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इससे पहले कि Antarvasna मैं आगे की कहानी बताऊँ, मैं आपको अपने बारे में बताती हूँ।
मेरी उम्र 18 साल है और कद 5 फ़ुट 5 इंच है। रंग भी काफी गोरा है, मेरे वक्ष भी कसे हुए हैं, इतने बड़े नहीं पर बिल्कुल गोल हैं और मेरे चुचूक काफी लम्बे हैं। गोरी चूचियों पर सांवले रंग के चुचूक बहुत खूबसूरत दिखते हैं। मुझे देख कर लोग कहते हैं कि मैं मॉडल बन सकती हूँ।
मेरे भैया भी खूब लम्बे और सुन्दर हैं। उन पर तो मेरी सारी सहेलियाँ मरती हैं। मैं भी उनको अंदर से चाहती हूँ पर यह तो भाई बहन का प्यार है। मुझे मालूम न था कि यह चाहत और भाई बहन का प्यार उस दिन बाथरूम में किस रूप में बदलेगा।
भैया ने मेरी पेशाब वाली जगह से अपना मुँह हटाया और मेरी तरफ देखा। मुझे तो बेहोशी सी आई हुई थी। मेरी टांगों में जैसे कोई दम ही नहीं था, मेरे सारे जिस्म में खुमारी सी छा गई थी।
इतने में भैया ने लेटे-लेटे ही अपने हाथ मेरी टी-शर्ट के नीचे डाले और मेरे मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया।
मैंने महसूस किया कि उनके छूने से मेरे चुचूक एकदम तन गए हैं और मीठा मीठा सा दर्द हो रहा है।
भैया बोले- क्या मैं तेरी टी-शर्ट भी उतार दूँ?
मैंने कहा- भैया, मैं तो फिर बिल्कुल नंगी हो जाऊंगी !
भैया बोले- तू कहती हो तो मैं भी अपने कपड़े उतार देता हूँ।
मैंने कहा- भैया मुझे जिंदगी में इतना मज़ा कभी नहीं आया ! आप जो बोलेंगे मैं कर दूँगी।
फिर भैया ने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। मैंने नीचे कोई ब्रा नहीं पहनी थी, मैं अब भैया के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
फिर भैया ने भी अपने बाकी के कपड़े उतार दिए।
हम एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे।
कुछ देर हमने एक दूसरे को ऐसे ही देखा और फिर भैया मेरी तरफ बढ़े और मेरे नंगे जिस्म को अपने नंगे जिस्म से चिपका लिया। उनके होंठ मेरे होंठों से जुड़ गए। उनकी पेशाब वाली चीज़ मेरी पेशाब वाली जगह को छूने लगी।
मेरे जिस्म में फिर से आग सी लग गई, मैंने कहा- भैया, तुम्हारी पेशाब वाली चीज़ फिर बड़ी हो रही है !
भैया बोले- पगली, इसे पेशाब वाली चीज़ नहीं कहते।
फिर क्या कहते हैं भैया? मैंने पूछा।
मेरे भैया अपना मुँह मेरे कान के पास लाये और बोले- इसे लंड कहते हैं।
अपनी जीभ मेरे मुँह में डालते हुए फुसफुसाए- बोल न मेरी बहन, एक बार ! क्या कहते हैं इसे?
मैंने कहा- ओह भैया, यह तुम्हरा लंड फिर कितना मोटा हो गया है और मेरी पेशाब वाली जगह पर मस्ती कर रहा है।
भैया बोले- पगली तेरी पेशाब वाली जगह को चूत कहते हैं।
भैया, तुम्हारा लंड मेरी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा है।
क्या तुझे मेरा लंड अच्छा लगा?
हाँ ! मैंने अपनी नज़र नीचे करके बोला।
तो ले ले ना हाथ में !
मैने उनका लंड हाथ में ले लिया जो अब तक फिर से इतने मोटा और लम्बा हो गया था, कम से कम नौ इंच का होगा।
चल अब बिस्तर पर चलते हैं ! और मेरे कुछ कहने से पहले ही मेरे भैया ने अपना हाथ मेरी नंगी कमर में डाला और मुझे अपने बेडरूम की तरफ ले गए। मैंने अभी भी उनका मोटा लंड अपने दायें हाथ से पकड़ा हुआ था।
बिस्तर पर जा कर मेरे भैया ने पूछा- तुझे अब तक सबसे अच्छा क्या लगा?
मैंने अपनी आंखे नीचे करके कहा- जब मेरी चूत से वो पानी जैसी लेस निकल रही थी तो मैं तो जैसे जन्नत में थी और तुम्हारे लंड से जब पिचकारी छुटी तो उस लेस का स्वाद भी मुझे बहुत अच्छा लगा।
तब भैया बोले- तो पिएगी और मेरे लंड की पिचकारी?
मैंने फिर आंखे नीचे कर के अपनी गर्दन हाँ में हिलाई।
मेरे भैया बोले- तो ले ले मेरे लंड को अपने मुँह में और इसे लॉलीपोप जैसे चूस !
मैंने कहा- भैया, पर यह तो गन्दा होता है, मैं इसे कैसे मुँह में ले लूँ?
भैया बोले- मेरी प्यारी छोटी बहन ! यह गन्दा नहीं होता, यह तो ऐसी चीज़ है जिसके बगैर आदमी और औरत रह ही नहीं सकते।
मेरे भैया ने फिर अपना हाथ मेरे सर पर रखा और उसे अपने लंड की ओर ले गए।
उनका लंड अब मेरे मुँह के पास था। लंड का आगे का मोटा वाला भाग चमक रहा था, उसमें से फिर से लेस जैसा कुछ निकल रहा था। मुझ से रहा नहीं गया और मैंने उसको अपनी जीभ से चाट लिया। उस लेस को चाटते ही मालूम नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने एकदम सो वो मोटा लंड अपने मुँह में डाल लिया और उसे चूसने लगी।
मेरे भैया तो जैसे पागल हो गए और बोले- हाँ मेरी जान हाँ ! प्लीज़ चाट इसे और निकाल ले मेरा जूस और पी जा इसे ! ओह मेरी बहन ..मेरी रंडी बन जा और चूसती रह इसे उम्र भर !
अपने भैया के मुँह से ऐसी बात सुनकर मैं और भी गर्म हो गई और जोर से उनके लंड को चूसने लगी।
मेरे भैया बोले- ओह मेरी जान ! अपनी एक ऊँगली मेरी गांड के छेद में डाल दे !
मैंने वैसा ही किया। अब भैया का लंड मेरे मुँह में था और मेरी एक ऊँगली उनकी टट्टी वाली जगह में थी।
उनके हाथ मेरे दोनों मम्में दबा रहे थे, मेरे टांगों के बीच से भी पानी जैसी लेस निकल रही थी।
अचानक भैया एकदम से अकड़ गए और बोले- ओह मेरी जान, मेरी बहन, मेरी रंडी ! मेरा छुटने वाला है !
और मैंने ऊँगली उनकी टट्टी वाली जगह में और जोर घुसाई तो वो बोले- हाँ मेरी जान, घुसा दे अपनी ऊँगली मेरी गांड में !(तब मुझे पता चला कि टट्टी वाली जगह को गांड कहते हैं)
उसी वक्त भैया ने अपने लंड को मेरे मुँह में एक झटका दिया और बहुत तेज़ पिचकारी छोड़ी। गर्म गर्म लेस उनके लंड से निकला और मेरे मुँह में गया। वो इतनी तेज़ी से आया था कि मुँह से बाहर भी निकल गया।
पर मैं तो एक एक एक बूंद को चाटने लगी, जो लेस मेरे मुँह से बाहर निकला था उसे मैं अपनी ऊँगली से अपने मुँह में डालने लगी और मेरे भैया का लंड मेरे मुँह में छोटा होने लगा पर मैंने उसे मुँह में ही रखा और धीरे धीरे चूसती रही जब तक कि आखरी बून्द उसमें से नहीं निकल चुकी थी। अब तक मेरी चूत से भी दो बार लेस छुट चुकी थी।
आगे की कहानी बाद में ! Antarvasna
दोस्तो, मेरा नाम मनोज है Sex Stories और मैं अन्तर्वासना कहानी पढ़ता हूँ तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी आपनी आपबीती बात बताऊँ!
आज मेरी उम्र 21 साल की है और जो कहानी मैं आप लोगो को सुनाने जा रहा हूँ वो करीब 3 साल पुरानी है. आज तक आप लोगों ने सुना होगा कि एक लड़के ने लड़की का जबर चोदन किया तो क्या एक लड़की लड़के का जबर चोदन नहीं कर सकती?
जी हाँ! मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था!
मेरे एक दोस्त की चार बहनें है, चारों की शादी हो चुकी है पर तीन साल पहले वो चारों शादीशुदा नहीं थी. एक का नाम सोनू, दूसरी का नाम मोनू, तीसरी का नाम बबली और चौथी का नाम गीता है. गीता मेरी गर्लफ्रेंड थी और आज भी है. हम 7-8 लोग रोज़ छुपन छुपाई खेलते थे.
एक दिन हम बस पाँच लोग ही थे, मैं और वो चार लड़कियाँ!
सोनू बाजी दे रही थी और हम चार लोग छुपे हए थे, मैं और मेरी गर्लफ्रेंड एक साथ ही थे, वो बहुत ही सेक्सी थी वो मुझसे धीरे धीरे चिपकने लगी, मुझे होटों पर चूमने लगी. मुझे पहली बार किसी के होटों पर चूमा था. हम दोनों बेड के नीचे छुपे थे, वो धीरे धीरे मेरे ऊपर चढ़ने लगी, मुझे डर लगने लगा वो धीरे धीरे मेरे लंड की ओर अपना हाथ बढ़ाने लगी, मेरी पैंट की जिप खोल दी और मेरा लंड पकड़ लिया. मैं और डर गया!
मैंने उससे पूछा- यह क्या कर रही है तू?
तो वो बोली- आप चुपचाप लेटे रहो!
और उसने मेरे होटों पर आपने होंट रख दिए और मेरा मुँह बंद कर लिया. वो धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगी और मेरा लण्ड खड़ा हो गया. अब मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा था. उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी पर मजा भी बहुत आ रहा था. वो मेरा लण्ड चूसती रही.
तभी उसकी तीन बहनें और आ गई और मैं और वो दोनों ही बहुत डर गए थे. उसकी तीनों बहनें गुस्से से मुझे और उसे देखने लगी. अब हम पाँचों एक दूसरे की ओर देखने लगे. वो तीनों बहनें धीरे से मुस्कुराई ओर बोली- बेड के नीचे क्या कर रहे हो तुम दोनों? चलो बाहर चलो! गीता तू क्या अकेले ही सारा मजा ले लेगी! हमें नहीं लेने देगी क्या!
और चारों बहनों ने मुझे बेड पर लिटा दिया, फिर सोनू बोली- तुम तीनों मज़े लो, मैं बाहर देखती हूँ कि कोई आना जाये! ठीक है?
सोनू बाहर चली गई, गीता तो मेरे लंड से ही चिपकी रही, मोनू मुझे होटों पर किस करने लगी और बबली मेरे हाथ की बड़ी उंगली को अपनी चूत में डालने लगी पर मैं तो कुछ कर ही नहीं पा रहा था. अब गीता झड़ने वाली थी इसलिए उसने अपने कपड़े उतारे, अपनी चूत मेरे लंड पर रख दी और मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी. उसकी चूत बहुत ही टाइट थी मेरे लंड में दर्द होने लगा था पर चुदाई में बहुत मजा आ रहा था इसलिए मैं सारा दर्द सहन कर रहा था.
मोनू जोकि मेरे होटों को चाट रही थी, अब उसने भी अपने कपड़े उतार दिए थे पर अपनी चूत के मुँह को मेरे होटों पर रगड़ने लगी. मैंने भी उसकी चूत को जीभ से चाटना चालू कर दिया. तब तक बबली भी अपने कपड़े उतार चुकी थी. बबली तो बस मेरी उंगली से ही अपनी चूत चुदवा रही थी. तीनों ने मुझे अपने नीचे दबा रखा था.
मैं बहुत परेशान हो चुका था. मैंने तीनों को अपने ऊपर से हटाया और गुस्से में कहा- साली रंडियो! एक एक कर के आओ! कुत्तियो आओ!
तब मैंने पहले अपनी गर्लफ्रेंड गीता को पकड़ा और बेड पर दोनों हाथ रखवाये और घोड़ी बना कर उसे चोदना शुरू किया. 15 मिनट तक चोदा, फिर मैं झड़ गया. सारा का सारा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया. वो भी झड़ चुकी थी, मैंने उसे कमरे से बाहर जाने को कहा तो वो बोली- क्यों जाऊँ?
मैंने बोला- तेरी दो बहनों को भी तो चुदना है!
तो गीता बोली- तो मेरे सामने ही चोदो न!
मैंने बोला- नहीं, तू चुदाई देखेगी तो फिर से चुदाने के लिए तैयार हो जायेगी और मुझमें इतनी ताकत नहीं है कि बार बार चोद पाऊँ!
और मैंने गीता को बाहर का रास्ता दिखाया. अब मोनू की बारी थी, वो बहुत देर से बेचैन थी. मेरा लंड ढीला पड़ गया था, मैंने मोनू से कहा- मोनू, मेरी जान! मेरे लंड को खड़ तो कर! जान, तभी तो तुझे चोद पाऊँगा!
इतना बोलने की ही देर थी कि उसने मेरा लण्ड पकड़ा और झट से मुँह में लेकर चूसने लगी. धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा हो रहा था और बबली खड़ी खड़ी सब देख रही थी और अपनी बारी का इंतजार कर रही थी, अपनी चूत में उंगली भी कर रही थी. मैंने मोनू की एक टांग अपने कंधे पर रखी और दूसरी टांग जमीन पर ही थी, मैंने उसे एक हाथ से कमर पर पकड़ रखा था, एक हाथ से उसके चुचे दबा रहा था और जोर जोर के धक्के मरता जा रहा था. वो बहुत चिल्ला रही थी, मैंने उसके चुचे दबाना बंद कर उस हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया और फिर 15-20 मिनट में मैं एक बार फिर झड़ गया और सारा वीर्य उसकी ही चूत में झाड़ दिया. लंड के निकलते ही उसने मेरा लंड फिर से चूसना शुरु कर दिया. मुझे लगा कि शायद वो अभी झड़ी नहीं है. फिर मैं जल्दी से उसकी चूत में उंगली करने लगा. 5 मिनट के बाद वो भी झड़ गई और बाहर चली गई.
अब बबली की बारी थी. बबली की चूत और गांड दोनों ही बहुत अच्छी थी. दोनों ही चीज बिना बाल के थी. पहले तो मैंने उसकी चूत में उंगली की, धीरे धीरे एक उंगली उसकी गांड में भी डाल दी. वो सिसकियाँ लेने लगी पर मेरे लंड पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. वो काम वासना के अंतिम चरण पर थी इसलिए उसने मुझसे कहा- मनोज प्लीज़! मुझ से ओर देर तक रुका नहीं जायेगा, मुझे जल्दी से चोदो!
मैंने कहा- रंडी, अभी तो मेरा लंड खड़ा ही नहीं है तो कैसे चोदूँ तुझे!
तभी उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. धीरे धीरे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उसे बेड पर लिटाया, दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी और लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर एक जोर का धक्का मारा. वो बहुत जोर से चिल्लाई. आवाज़ सुन कर बाहर से आवाज़ आई- क्या हुआ बबली? तेरी चूत फट गई क्या?
मैं जोर जोर के धक्के लगाता रहा, वो चिल्लाती रही पर मैं तो अपने जोश में था, मैं कहाँ रुकने बाला था, धक्के मारता रहा, मारता रहा. मुझे उसकी गांड बहुत ही सुन्दर लग रही थी तो मैंने चूत को छोड़, गांड पर निशाना साधा. मैंने उसकी गांड पर बहुत सा थूक फेंका और उंगली से पूरी गांड पर लगा दिया. धीरे धीरे उंगली उसकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा. गांड जब थोड़ी नरम हुई तो मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में डाल दिया.
वो फिर चिल्लाई और अपनी गांड को टाइट कर लिया. मेरा लंड अब उसकी गांड में फंसा था, मुझे भी दर्द हो रहा था. मैं धीरे धीरे उसकी गांड में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था. वो धीरे धीरे नर्म होती जा रही थी और मेरी स्पीड धीरे धीरे तेज़ होती जा रही थी.
अब वो पूरी तरह से नर्म हो चुकी थी, मैं जोर जोर से धक्के लगा रहा था, वो धीरे धीरे चिल्ला रही थी. मैंने उसकी गांड और चूत बहुत देर तक मारी और अलग अलग तरीकों से उसे चोदा. वो तो दो बार पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो तीसरी बार झड़ गई और उसके साथ ही मैं भी झड़ने वाला था. मैंने अपना लंड जल्दी से बाहर निकला और उसके मुँह में डाल दिया. वो उसे चूसने लगी और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. वो मेरा सारा का सारा वीर्य पी गई. अब तीनों बहनें खुश थी, तीनों कमरे में आई और मुझे चूमने लगी. तीन ने तो मुझे चोद दिया पर चौथी का क्या? अभी तो वो भी तो बाकी है दोस्तो!
चौथी का क्या हुआ, मैं आप लोगों को जरूर बताऊँगा पर तब जब आप लोग मुझे बतायेंगे कि मेरी आपबीती कहानी कैसी लगी आपको! Sex Stories
मैं एक इन्टरमीडिएट कालेज में अध्यापिका हूं। ये मात्र 12 वीं कक्षा तक का कालेज है। शाम को अक्सर मैं अपनी सहेली के साथ भोपाल ताल के किनारे घूमने निकल जाती हूं।
ऐसे ही एक दिन मैं अपनी सहेली के साथ ताल के किनारे घूम रही रही थी। 12वीं कक्षा की एक छात्रा और एक छात्र मिल गये। ये दोनों मेरी कक्षा में नहीं थे। दूसरे सेक्शन में थे।
मैंने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपने नाम सोनल और किशोर बताए।
सोनल ने मुझे कहा कि उसे बायलोजी विषय में कुछ पूछना है।
मैंने उसे कहा कि कल घर आ जाना, मैं बता दूंगी। किशोर और सोनल दूसरे दिन घर पर आ गये।
मुझे लगा कि इनकी प्रोब्लम कुछ और ही है। मैंने पूछा- ‘सोनल ये किशोर तुम्हारा दोस्त है क्या…?’
‘हाँ मैम… इसे भी आपसे कुछ पूछना था…’ वो कुछ शरमाती सी बोली।
मैं एकदम भांप गई कि मामला प्यार का है।
‘या कुछ और बात है… कह दो…मैं भी तुम्हारी उम्र से गुजरी हूं’ मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा। पर सही लगा…
‘हाँ… मैम वो… हम तो आपके पास इसलिए आये थे कि हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय साथ रहे!… प्लीज मैम नाराज मत होना…’ उसके चेहरे से लगा कि वो मुझसे विनती कर रही हैं।
‘पर ये कोई मिलने की जगह है?’
‘मैम वो… निशा मैम ने बताया था कि आप हमें मदद कर देगीं…’
ओह तो ये बात है… निशा भी अपने बोय फ़्रेंड के साथ एक बार चुदवाने आई थी तो मैंने भी उसी से चुदवा लिया था। मेरे मन में भी एक हूक सी उठी… ये दोनों अपनी जिस्म की प्यास बुझाने आये हैं… क्यों ना मैं भी इस बात का फ़ायदा उठाऊँ।
‘तो तुम मिलना चाहते हो… मेरा क्या फ़ायदा होगा इसमें…’ मैंने तिरछी निगाहों से उसे परखा।
‘मैम मुझे मालूम है… निशा जी ने मुझे सब बता दिया है… इसीलिये तो मैंने आपसे सब कह दिया… आपकी सारी शर्तें इसे भी और मुझे भी मन्जूर है…’ उसने अपना सर झुकाये सारी बातें मान ली।
‘तो ध्यान रहे…शर्तें… कल दिन को स्कूल के बाद सीधे ही यहाँ आ जाना…’ मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा।
सोनल खुशी से उछल पड़ी… मैंने सोनल को चूम लिया…
मैंने कहा-‘किशोर तुम भी आओ जरा…’
मैंने किशोर के होंठ पर एक गहरा चुम्मा ले लिया… मेरे बदन में तरावट आने लगी… किशोर ने भी जोश में मुझे किस कर लिया।
दूसरे दिन किशोर और सोनल स्कूल में मेरे चक्कर लगाते रहे… मैं उन्हें मीठी सी मुस्कान दे कर उनका हौंसला बढ़ाती रही… सच तो ये था कि मेरी चूत में भी कुलबुलाहट मचने लग गई थी… सोच सोच कर ही रोमांचित हो रही थी कि 19 साल के जवान लड़के के लन्ड से चुदवाने को मिलेगा।
मैंने स्कूल से आते ही एयर कंडीशन चला दिया। लंच करके मैं आराम करने लगी। मैं जाने कब सो गई।
अचानक मुझे लगा सोनल ने मेरे हाथ पकड़ लिए और किशोर ने मुझे उल्टी लेटा कर मेरी चूतड़ की फ़ांकों को खोल दिया और अपना लन्ड मेरी गान्ड में घुसाने लगा। पर उसका लन्ड छेद में घुस ही नहीं रहा था। वो बहुत जोर लगा रहा था… मेरी गान्ड में इस जोर लगाने से गुदगुदी लगने लगी थी। सोनल चीख उठी… मार दे गान्ड मैम की…छोड़ना मत… उसकी चीख से मैं अचानक उठ बैठी… ओह… मैं सपना देखने लगी थी।
वास्तव में दरवाजे पर बेल बज रही थी…दिन को करीब 3 बजे थे…वो दोनों आ गये थे। मैंने अपना मुख धोया और हम तीनों कमरे में ही बैठ कर थोड़ी देर तक बातें करते रहे। उन दोनों की बैचेनी देखते ही बनती थी…
‘मैम… मुझे किशोर से कुछ बातें करनी है…’
‘हाँ हाँ… जरूर करो… पर बातें कम करना… और…’ मैंने मजाक किया।
और सोनल को बेड रूम में ले गई और सब बता दिया। किशोर को भी मैंने अन्दर आने का इशारा किया। सोनल तो बेड रूम देखते ही खुश हो गई… और बिस्तर पर लोट गई।
इधर किशोर को मैंने बुला कर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंठो को चूमना चालू कर दिया। उसने भी मेरी कमर मे अपना हाथ कस दिया। उसके लौडे की चुभन मेरे चूत के आस पास होने लगी। मैंने धीरे से उसका लन्ड पकड़ लिया। उसके हाथ मेरे बोबे पर जम गये और उन्हें दबाने लगे। सोनल जल्दी से आई और किशोर को खींचने लगी…
‘किशोर… आओ ना…’ किशोर खिंचता हुआ चला गया…पर मेरे बदन की गर्मी का अह्सास किशोर को मिल गया था। उसने किशोर को अपने से लिपटा लिया।
‘अरे… क्या ऐसे ही करोगे… कपड़े तो उतार दो…चुदाई का मजा नहीं लोगे क्या…’ मैंने उन्हे कहा.
‘नहीं…नहीं… चुदाई नहीं… बस ऐसे ही ऊपर से…’ सोनल ने कहा तो मुझे आश्चर्य हुआ।
‘तब क्या मजा आयेगा… क्यों किशोर…’
किशोर ने मेरा साथ दिया और हम दोनों ने मिल कर सोनल को नंगी कर दिया… किशोर ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उन्हें देख कर मैंने भी अपना गाऊन उतार दिया और नंगी हो गई। किशोर का जवान लन्ड देख कर मेरी चूत में पानी उतरने लगा।
सोनल भी जवान लड़की थी… उसके जवान जिस्म को देख कर कोई भी पिघल सकता था। किशोर सोनल से लिपट गया। और उसे बिस्तर पर पटक दिया। उसके ऊपर चढ गया और बेतहाशा चूमने लगा। दोनों का जोश देखते ही बनता था। एक दूसरे मे समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। पर हाँ सोनल अपनी चूत से उसके लन्ड को दूर रख रही थी। किशोर जैसे ही अपना लन्ड उसकी चूत पर दबाता वो चूत को झटका दे कर हटा देती थी।
ये सब देख कर मेरी वासना बढती जा रही थी। मैंने अपनी चूत में दो अंगुलियाँ डाल ली और अपनी चूत चोदने लगी। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। अब मैंने सोचा कि पहले इन्हें निपटा दूं। मैं उठी और दोनों को सहलाने लगी। फिर मैंने सोनल के चूत का दाना धीरे धीरे मलना शुरु किया। सोनल को और मस्ती चढने लगी। मैं घिसती रही…मलती रही… इतने में सोनल झड़ने लगी… मैंने हाथ हटा लिया… उसकी चूत में से पानी आ रहा था… इसी दौरान किशोर का लन्ड मैंने सोनल की चूत पर रख दिया। किशोर तो जोश में था ही… उसका लन्ड सोनल की चूत में उतर गया…
सोनल तड़प उठी…’अरे ये क्या… हटो…हटो… उसने जल्दी से उसका उफ़नता हुआ लन्ड चूत से निकाल दिया…
किशोर भी तडप उठा… उसे तो अब चूत चाहिये थी… सोनल अलग हट कर उठ गई।
‘देखो…मैम…मैंने मना किया था…तब भी इसने क्या कर डाला…’
‘कोई बात नहीं सोनल…ला मैं इसे सम्भालती हूं…’ मैंने अपनी बारी सम्हाली और किशोर को दबोच लिया और उसे अपने नीचे दबा लिया… उसके खड़े लन्ड पर मैंने अपनी चूत रख कर दबा दी… आऽऽऽऽऽअह्ह्ह्ह्ह…लन्ड मेरी चिकनी चूत मे धंसता चला गया… किशोर ने भी अपने चूतड़ ऊपर की ओर उठा दिए… और उसका लन्ड पहले झटके में ही जड़ तक बैठ गया। मेरे मुख से आनन्द के मारे सिसकारी निकल पड़ी…
ना जाने कब से मैं इस चुदाई का इन्तजार कर रही थी। मैंने अपने चूतड़ थोड़े से ऊपर उठाये और दूसरा झटका दिया…फ़च की अवाज के साथ लन्ड गहराई तक चोद रहा था। किशोर आनन्द के मारे नीचे से झटके मार रहा था। दोनों ही हर झटके पर आहें भरते थे… सोनल भी हमे देख कर उत्तेजित होने लगी थी… शायद उसने ऐसी चुदाई पहली बार देखी थी। उसने अपनी एक अंगुली मेरी गान्ड में फ़ंसा दी और गोल गोल घुमाने लगी। मैं तो इस डबल चुदाई से मस्त होने लगी। दोनों तरफ़ से मजा आने लगा था।
‘सोनल…मजा आ रहा है…क्या मस्त लन्ड है…’
‘मैम आपकी चूत बड़ी प्यारी है… देखो ना लन्ड सटासट अन्दर बाहर जा रहा है…’
‘चोदे जा मेरे राजा… हाय… मैं तो मर जाऊँगी राम…’
किशोर ने मेरी चूंचियाँ मसल मसल कर बेहाल कर दी थी… अब मैं अति उत्तेजना का शिकार होने लगी… मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊँगी। मेरे धक्के अब जोर से और अन्दर तक दबा कर जा रहे थे। और अचानक मेरा बदन लहरा उठा… और मेरा रस निकलने लगा। मैंने उसके लन्ड पर अपनी चूत गड़ा दी…और उस पर पूरी झुक गई।
‘सोनल प्लीज… मेरी गान्ड से अंगुली निकाल दे…’ सोनल ने अंगुली बाहर निकाल दी। मैंने किशोर से अपने बोबे जोर लगा कर छुड़ा लिये। पर मुझे वो छोड़ने को तैयार नहीं था…
‘किशोर… देख सोनल तेरा इन्तजार कर रही है… अब छोड़ दे मुझे…’ सोनल के नाम ने उस पर जादू सा असर किया।
उसने सोनल का नाम सुनते ही मुझे छोड़ दिया… और प्यार से वो दोनों एक बार फिर से लिपट गये। पर सोनल ये भूल गई थी कि किशोर की चुदाई पूरी नहीं हुई थी। किशोर ने प्यार से सोनल को चिपका लिया और पलटी मार कर अपने नीचे दबोच लिया… चिड़िया फ़ड़फ़ड़ाती रह गई…
सोनल जब तक कुछ समझती तब तक मैंने किशोर का लन्ड सोनल की चूत के छेद पर रख दिया था। किशोर ने धक्का मारा तो सीधा गहराईयों में उतरता चला गया। दूसरे धक्के में लन्ड जड़ तक बैठ गया था। सोनल के मुख से चीख निकलती उससे पहले मैंने उसके मुख पर तौलिया रख दिया।
उसकी झिल्ली फ़ट चुकी थी। सोनल को मालूम हो गया था कि उसका कौमार्य जाता रहा था। मैंने अब उसके मुँह से तौलिया हटा लिया था। उसके आंखों में आंसू आ गये थे। मैंने तौलिया अब सोनल की चूत के नीचे रख दिया था। खून बाहर आने लगा था। मैं उसे पोंछती जा रही थी।
किशोर इन सभी बातों से बेखबर तेजी से चुदाई कर रहा था… किशोर अब हाँफ़ने भी लगा था… सोनल भी अब सामान्य होने लगी थी। उसे भी अब मजा आने लगा था। मैंने देखा कि अब सोनल के चूतड़ भी धीरे धीरे उछलने लगे थे और चुदाई में साथ दे रहे थे…
मैंने सोनल कि चूंचियाँ मसलनी चालू कर दी… उसके निपल को भी घुमा घुमा कर हल्के से खींच रही थी। सोनल की सिसकरियाँ निकलने लगी थी। उसकी आहें तेज हो गई थी। वो बार बार किशोर को अपनी ओर खींच रही थी। इतने में सोनल चरमसीमा पर पहुंचने लगी। उसके मुख से अस्पष्ट शब्द निकलने लगे थे।’मांऽऽऽऽऽऽरी… मर जाऊँगी… हाय चोद दे… राम रे…’
मैं उसकी चूंचियों को और जोर से मसलने लगी… सोनल के चेहरे का रंग बदलने लगा… अपने होंठ बार बार काट रही थी… अचानक उसका शरीर ने एक ऐठन ली और आहाऽऽऽऽऽ करते हुए वो झड़ने लगी…मैंने उसकी चूंचियाँ छोड़ दी।
किशोर भी अब गया! तब गया! हो रहा था… अचानक उसने भी अपने लन्ड का जोर चूत पर लगा कर पिचकारी छोड़ दी… दोनों ही साथ साथ झड़ रहे थे… किशोर और सोनल दोनों ने आपस मे एक दूसरे को जोरों से जकड़ लिया था। कुछ ही समय बाद दोनों ही निढाल पड़े थे। और हाँफ़ रहे थे। सोनल की चूत में से अब धीरे धीरे वीर्य निकलने लगा था… मैंने तौलिया उसकी चूत के नीचे घुसा दिया… किशोर बिस्तर से नीचे उतर आया और अपने कपड़े पहनने लगा। सोनल थोड़ी गम्भीर लग रही थी।
‘दीदी मेरी तो झिल्ली फ़ट गई ना… अब क्या होगा…’
‘क्यो घबराती है…झिल्ली फ़टने के बहुत से कारण होते हैं…’ मैंने उसे बताया… खेलने से… साईकल चलाने से… किसी एक्सीडेन्ट से झिल्ली फ़ट सकती है…इसलिये डरने की कोई बात नहीं है।
‘और फ़िर तुम्हारी उमर अब चुदाने की हो गई है… तो अब इसे फ़ट जाने दो और जिंदगी का मजा लो…’
‘मैम हम क्या आपके पास रोज़ ट्यूशन पढने आ सकते हैं…?’ सोनल ने घुमा कर प्रश्न पूछा।
‘हा… जरूर अगर पढ़ना हो तो फ़ीस लगेगी एक की 500 रू और अगर आज जैसी पढाई करनी हो तो 250 रू…’
प्रिय पाठको, मैंने Sex Stories अपनी पहली कहानी “तू तो कुछ कर” में अपनी मैडम के बारे में ज़िक्र किया था मगर मैंने यह तो बताया ही नहीं कि वो लगती कैसी थी। वो एक कमाल की औरत जिसका कद 5’6″ के आसपास है और उसकी आँखें बिलकुल नशे से भरी हुई, उसके होंठ ऐसे कि किसी ने संतरे में लाल रंग कर दिया हो और वो भी ऐसा जिसका रस कभी ख़त्म ही न हो। उसका रंग गेंहुआ, चेहरे पर कोई दाग नहीं, उसके स्तन इतने प्यारे और कोमल कि जैसे बस इन्ही का गद्दा बना कर सो जाओ, उसकी जांघों के बीच में चूत का छेद जैसे बड़ी सफ़ेद पहाड़ी में एक गुफा जो सीधा स्वर्ग में खुलती है, उसकी पसीने से भरी वो कमर जिसे देख किसी साधु का भी ईमान डगमगा जाये, उसके ब्लाऊज़ से झांकते उसके वो मम्मे जैसे कह रहे हों- हमें आज़ाद करो, हम फंस गए हैं, वो उसकी ब्रा के खुलते ही उसकी चूचियों का धड़ाम से बाहर गिरना जैसे की सालों से आज़ाद नहीं हुई हो, उसके होंठों का लंड पर ऐसा एहसास जैसे कोई मखमल के कपड़े से तुम्हारा लंड सहला रहा हो।
खैर अब मेरे मुँह पर चूत लग चुकी थी। मैं अब नई नवेली मुल्ली की तरह हो गया था, रोज़ मन करता था कि बस अपना चप्पू चलाता ही रहूँ। मगर ऐसा संभव नहीं था क्योंकि वो शादीशुदा औरत थी और एक बच्चे की माँ भी। थोड़ा सा समाज का ख्याल तो रखना ही पड़ता था। कई दिन हो गए थे मुझे उस पसीने की महक दोबारा लिए हुए।
तभी एक दिन सुबह मैडम का फ़ोन आया कि आज उनके पति दो दिन के लिए बाहर जाने वाले हैं। तो मैडम चाहती थी कि मैं उन्हीं के साथ रहूँ। मगर ऐसा नहीं हो सकता था, खैर मैंने अपने घर वालों को बोल दिया कि मैं सुबह ट्यूशन जा रहा हूँ और एक्स्ट्रा क्लास लेने के बाद अपने दोस्त के घर पढ़ाई करने चला जाऊंगा।
मैं सीधा मैडम के घर गया और साथ कुछ कंडोम भी ले गया ( इसे इस्तेमाल करने में शर्म नहीं करनी चाहिए)।
फिर क्या था, मैं जैसे ही उनके कमरे में घुसा तो देखा कि कमरा महक रहा है जैसे किसी सुहागरात में महकता है। मैडम की आँखों में चमक थी, उनकी आँखों में कई दिनों की भूख दिख रही थी। फिर उन्होंने कमरे का दरवाजा बन्द करते हुए मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मुझे चूमने लगी। मैंने उनके हाथों को रोक दिया और उनसे कहा- आज कुछ अलग करने का मूड है !
उन्होंने पूछा- क्या ?
तो मैंने कहा- आपकी गांड मारने का मन है !
वो बोली- पहले आगे का कार्यक्रम पूरा कर लेते हैं, तब पीछे भी जाएँगे !
मगर वो जानती है की मैं अभी छोटा हूँ, मेरा स्टेमिना कम है और वो मुझे आगे ही इतना थका देंगी कि मैं पीछे जा ही नहीं पाउँगा। मैंने जिद करके उन्हें मना ही लिया और मैंने उन्हें घोड़ी की अवस्था में बिस्तर पर टिका दिया और खुद उनके पीछे आ गया और मैं यह जान चुका था कि जब तक औरत के शरीर पर कुछ कपड़े बाकी हैं तो उसकी लेने में बड़ा मज़ा आएगा, मगर अगर तुमने उसे पूरा नंगा कर दिया तो वो मज़ा नहीं आ पाता।
इसीलिए मैंने मैडम के शरीर पर उनकी ब्रा और पैंटी छोड़ दी ताकि थोड़ा फील आ सके। उसके बाद मैंने जैसे ही अपना लंड उनकी गांड पर टिकाया तो वो उनके छेद के ऊपर ही अटक गया, और मैं समझ गया कि यह ऐसे अन्दर नहीं जाएगा। मैंने कहीं से वैसलिन ढूँढी और उनकी गांड के छेद पर और अपने लंड पर लगाई, एक हाथ से मैडम का मम्मा पकड़ा और एक हाथ उनके कंधे पर रखा और झट से उनके अन्दर तक बाड़ दिया।
वो तड़प उठी और उनकी उस तड़प को देख कर मैं और उत्तेजक हो गया, मैंने उनकी गांड में 8-10 धक्के मारे और उनके बगल में ही लेट गया और उनसे लिपट के उन्हें प्यार करने लगा। मगर वो एक खेली-खाई औरत थी, वो कहाँ थकने वाली थी। तो उन्होंने मेरे लण्ड को जगाने के लिए चूसना चालू किया। फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गई और बोली- अब मेरी बारी !
और उन्होंने मुझसे धक्के लगवाने चालू किये। उनके वो उछलते हुए दो बम और उनकी आँखों में छलकती हुई हैवानगी मुझे पागल कर रही थी। मगर साथ ही मैं थकता भी जा रहा था। फिर आखिर मैंने उन्हें अपने से लिपटा लिया और सोचा कि वो मान जाएगी मगर वो कहाँ मेरे कहे में आने वाली थी।
हम पसीने-2 हो रहे थे, वो मेरे में हिम्मत नहीं रही थी। जब मैं बहुत थक गया तो मुझे उनसे मिन्नत करनी पड़ी- आज बस इतना ही !
उनमें ऐसी हैवानियत मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। खैर हम बहुत देर तक एक दूसरे से प्यार करते रहे। उन्होंने मुझे बाद में मुझे खुली छूट दी कि मैं कुछ भी कर लूँ उनके साथ !
मगर मेरी तो फटी पड़ी थी !
फिर वो नहाने चली गई, मैं बिस्तर पर ही पड़ा रहा और थक कर सो गया।
फिर हम पूरे दिन नंगे ही रहे।
जब मैं थक कर सोया हुआ था तब कुछ घंटे बाद मैंने महसूस किया कि कुछ मुलायम सी चीज़ मेरे मुँह को छू रही है, तो मैंने पाया कि मैडम जी मेरे मुँह में अपने मम्मे देने की कोशिश कर रही थी। मुझे तो जैसे यह एक सपना लग रहा था कि सोकर उठते ही एक मम्मा मेरे मुँह में !
आऽऽहाऽऽ ! क्या एहसास था वो !
फिर मैंने मैडम के मम्मे बहुत देर तक चूसे। मेरी क्या आदत है कि जब मैं कोई चीज़ चूसता हूँ तो पूरा मज़ा लेता हूँ उसका। मैंने बहुत देर तक उन थनों को चूसा और मदहोश होता चला गया। फिर उसके बाद मैडम बोली- हम एक काम करते हैं ! एक खेल खेलते हैं।
खेल यह था कि वो मेरी आँखों पर पट्टी बांधेंगी और फिर मेरे मुँह में एक एक करके अपने जिस्म का एक एक हिस्सा छुएंगी और मुझे पहचानना होगा कि वो कौन सा हिस्सा है।
मुझे ठीक लगा और उन्होंने मेरी आँखों पर एक पट्टी बांध दी। फिर उन्होंने पहले अपना कन्धा मेरे मुँह से छुआ, फिर अपनी कोहनी, फिर अपने रसीले होंठ, फिर अपना मम्मा, और फिर आखिर में अपनी चूत मेरे मुँह पर लगाई और फिर मैंने उनकी चूत को बहुत देर चूसा, जो कि गीली थी।
फिर हमने सोचा कि अगर खेलना ही है तो टाइम बाँट लेते है- जैसे हर आधे घंटे कुछ खास करेंगे, जैसे एक बार सिर्फ चूमा-चाटी, एक बार सिर्फ गांड मारना, एक बार सिर्फ चुदाई, एक बार सिर्फ चूचे चोदना, एक बार फ्री स्टाइल बिना चुदाई के !
जो नियम तोड़ेगा उसे दूसरे से अपने मुँह पे मुतवाना पड़ेगा।
चुम्बन वाले वक़्त में तो हमने बस माँ बहन ही कर दी कि अगर कोई हमें देख लेता तो बस उसकी फट ही जाती, जैसे हमने सारी जान उसमें ही लगा दी।
अब आई गांड की बारी तो मैंने उसे घोड़ी बनाया और गांड मारनी चालू की तो वो इसका आनन्द लेने लगी और उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। उसकी सिसकियाँ सुनकर मेरे अन्दर को चोदुमल बाहर आता जा रहा था और मेरी स्पीड तेज़ हो गई जिससे उसकी सिसकी चीख में बदलने लगी और वो बोलने लगी- बस राज निकाल ले, वरना सिलाई उधड़ ही जाएगी मेरी गाण्ड की !
उसकी बात सुनकर मुझे उसकी गांड के छेद पर तरस आ गया जोकि काफ़ी खुल चुका था। मगर कसम से ! क्या गांड थी वो ! जो एक बार देख ले बस सीधा मारने का मन करे !
तो इसी के साथ ही मैं उससे शर्त जीत गया था क्योंकि वो वक़्त से पहले ही हार मान चुकी थी। फिर मैंने उसका मुँह अपने लंड के पास किया और एक तेज़ धार उसके मुह पर मार दी।
फिर आई चुदाई की बारी : मैं थकता जा रहा था और वो चुदक्कड़ औरत मुझ पर चढ़ गई और उसने मेरा लंड अपनी चूत के अन्दर डलवा लिया जोकि किसी भट्टी की तरह गरम थी और बस फिर बस धक्के पे धक्के ! सबसे ख़ास बात उसमें यह थी कि वो मेरे सारे धक्के झेल गई और साथ ही मुझे ब्रेक भी दे रही थी। मगर मैं नया था और थक कर हट गया। जिसका मतलब मैं हार गया था, तो उसने मेरा मुँह अपनी चूत के पास किया और फिर एक मोटी सी धार मेरे मुँह पर मार दी। उस बार ऐसा लगा कि जैसे मुझ पर अमृतवर्षा हो रही है।
खैर किसी तरह मैंने अपने आप को संभाला और फिर आई उसके चूचे चोदने की बारी ! यह हम पहली बार कर रहे थे। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाने के बजाये घुटनों पर बैठाना ज्यादा सही समझा। फिर उसने अपने दोनों चूचों से मेरा लंड पकडा और चुदाई चालू की। थोड़ी देर मुझे उसमें ज्यादा मज़ा नहीं आया तो मैंने उनसे सहमति लेकर अपना अगला काम चालू किया जहाँ हम आज़ाद थे कुछ भी करने को !
तो पहले तो थोड़ी देर 69 में आये और उसके बाद हम लोगों ने चूमा-चाटी चालू कर दी तो इस बार मुझे ऐसा लगा कि वो सिर्फ अपनी भूख नहीं मिटा रही थी बल्कि उनके मन में कुछ और था, जैसे वो मुझे शायद अलग नज़र से देखने लगी, उनकी आँखों में तृप्ति के साथ थोड़ा प्यार भी नज़र आया, जैसे कि वो मुझे आजमा रही थी। उनका स्पर्श बदलता जा रहा था, वो सेक्स नहीं मेरे साथ प्यार कर रही थी।
हम जो पहले बहुत उत्तेजित हो गए थे, वहीं अब हम शांति से एक दूसरे को सिर्फ प्यार कर रहे थे। वो मुझसे लिपट कर लेट गई और मुझे ऐसे ही रहने को कहा। वो बीच बीच में कभी मेरे बालों पर हाथ फिराती, कभी मेरे गालों को चूमती।
मैं ढंग से समझ नहीं पाया कि यह अचानक क्या हुआ है।
बाकी की कहानी अगले भाग में !
और अब आप मुझे अपने विचार ज़रूर भेजना कि आपको यह कहानी कैसी लगी Sex Stories
मैंने जवानी Hindi Sex Stories की दहलीज़ पर कदम रखा ही था कि मेरे सामने मेरी जवानी का लुफ़्त उठाने के लिये लोगों की नजरें उठने लग गई थी। उनकी नजरें जैसे मेरे उभारों को मसल कर रख देना चाहती थी। जिसे देखो उसकी नजरें मेरी उभरती हुई चूंचियों पर ही पड़ती थी, मानो अन्दर मेरी नंगी चूंचियों को टटोल रही हो। फिर उनकी नजरें सीधी मेरी टाईट जीन्स में चूत को ढूंढती थी, कि शायद वहां कुछ नजर आ जाये। सबसे अधिक मेरे सुडौल चूतड़ों को लोगों की नजरें सहलाती थी। क्या बच्चे, क्या जवान और फिर बूढ़े तो कमाल ही करते थे, उनकी आंखों में चमक आ जाती थी और बड़ी आस भरी नजरों से मेरी जवानी को ताकते थे।
उनकी इस कमजोरी को मैं जानती थी, और जान कर के मैं इस बात का आनन्द उठाती थी। मैं भी उसके लण्ड की ओर चुपके से देखा करती थी और उसके उठान को देख कर मेरी चूत भी फ़डक उठती थी। उनके ढीले पेण्ट में से कुछ तो हिलते हुये दिख ही जाता था। बूढों में ये खास बात होती है कि वे लड़कियों की बात अपने मन में ही रखते हैं और युवा और जवान इसे सभी को बताते हैं।
घर पर आकर मैं वासना की मारी मोमबत्ती को ऊपर से लौड़े का शेप देकर उसे कभी गाण्ड में तो कभी चूत में घुसा लेती थी। इसी चक्कर में मेरी चूत की झिल्ली फ़ट चुकी थी, पर मैंने यह मोमबत्ती चूत और गाण्ड में घुसेड़ना बन्द नहीं किया। पर मुझे इसको घुसेड़ने से पत्थर जैसा अह्सास होता था। चूत का दाना मल कर और चूंचियों की घुन्डियाँ मसल मसल कर अपना रति-रस निकाल ही लेती थी। मेरी उमर के जवान युवक युवतियाँ इस बात को समझते होंगे कि जवानी मात्र एक बला है और ये सभी को चोदने या चुदवाने को प्रेरित करती है। पर लण्ड कोई मिलता ही नहीं था। बस मर्द कहने को ये मेरे शर्मा अंकल ही थे जिनसे मैं चुदने का भरकस प्रयत्न कर रही थी। उनकी पत्नी लगभग तीन वर्ष पहले एक बीमारी में चल बसी थी। तब से वो कुंवारा सा जीवन यापन कर रहे थे।
उन्हीं बूढ़ों में से … बूढ़े तो नहीं पर हां… उसके नजदीक ही थे… मेरे मकान मालिक भी थे। कहने को तो वो मुझे बेटी कहते थे पर जवान लड़कियों में मर्दों को पहचानने की एक खास नजर होती है। मैं भी उन्हें खूब पहचानती थी। उनके बेटी कहने का अन्दाज मेरे दिल को घायल कर देता था। क्योंकि कहीं पे निगाहे कहीं पे निशाना रहता था। मुझे लगता था कि अंकल की यह वासना भरी कभी तो उन्हें मुझे चोदने पर विवश करेगी। शायद यही रिश्ता बना कर मेरे नजदीक रहना चहते थे। मेरे कॉलेज से आने के बाद मुझे वो खाना खिलाते थे फिर मैं सो जाती थी। शाम को शर्मा अंकल कार में घूमने जाते थे और मुझे जरूर पूछते थे।
झील की पाल पर वो दूसरे बुजुर्ग लोगों के साथ घूमते थे और मैं जवान लडकों के झुण्ड के बीच इठलाती हुई टहलती थी। अधिकतर तो यह होता था कि कोई ना कोई मेरी क्लास का साथी मिल जाता था, और अन्य लड़के बेचारे आह भरते हुए मेरी अदा पर फ़्लेट हो जाते थे। मेरे उभरे हुए मटके जैसे गोल-गोल चूतड़ उनके दिल में कहर ढाते थे। मुझे याद है कि एक बार मेरे पीछे एक मेरा क्लास का साथी पिट भी चुका था… यानि मेरे पीछे झगडा…।
उन जवान बूढों के बीच भी मैं खूब इतराया करती थी और उनकी चहेती बन गई थी। वे तथाकथित बूढ़े कभी कभी मुझे बेटी कहकर मेरे गालों पर प्यार भी कर लेते थे और उनकी तबीयत फिर से रंगीन होने लगती थी। मुझे मालूम था कि यह प्यार नहीं है, उसमें मुझे वासना की महक आती थी। फिर आता था दौर सामने बनी दुकानों पर आईसक्रीम या चाट खाने का, अंकल मुझ पर खूब खर्चा करते थे। वहां से सीधे घर पर आते थे। जब कभी मैं अंकल के साथ नहीं होती थी तो वो मुझे जरूर पूछा करते थे।
अंकल घर पर आकर मुझे कमरे में छोड़ने आते थे, फिर मैं उन्हें एक गरमा-गर्म चाय पिलाती थी। इस दौरान मैं उनकी दिल की इच्छा पूरी कर देती थी। उन्हीं के सामने मैं अपने कपड़े बदलती थी, उन्हें जानबूझ के अपने जवान सुडौल चूतड़ पेण्टी के ऊपर से दिखाती थी। शमीज के ऊपर से ही उन्हें मेरे छोटे छोटे उभरते हुये मम्मे भी दर्शाती थी और घर के कपड़े पहन लेती थी। उन्हें यह दर्शाती थी कि जैसे मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं मालूम। पर उन्हें क्या पता था कि मैं उन्हें मजबूर करके चुदवाऊंगी और साथ में पैसे भी वसूलूंगी। और एक दिन ऐसा आ ही गया कि शर्मा अंकल ने मुझे लपेटने की कोशिश की और मैं झम से उनकी गोदी में जा गिरी और हो गया वासना का गर्मा-गर्म खेल। फिर तो मैं खूब चुदी और आज तक उन्हें नहीं छोड़ा है। जानते हो इसका राज… जी हां वो मेरी सारी जरूरतें पूरा करते थे।
आज भी मैं शर्मा जी के सामने कपड़े बदल रही थी। हमेशा की तरह उनका लण्ड खड़ा हो गया। मेरी जवानी की गहराईयों और उभारों को वो बडी बेदर्दी से नजरें जमा कर अन्दर तक देख रहे थे। वासना के मारे मेरी भी चूत के पास पेण्टी गीली हो गई थी। मैंने जानकर अपनी चूत का गीलापन उन्हें दिखाया। गीलापन देख कर उनकी आंखे चमक उठी। अब शायद उनके मन में आया होगा कि इस पार या उस पार। उन्होंने अचानक ही कहा “अरे नेहा बेटी, देख ये तेरे पांव पर क्या लगा है…!”
उनका नाटक मुझे मालूम था। मैं जान कर के उनके बहुत पास चली आई कि उन्हें मेरे शरीर का स्पर्श भी हो जाये। पहले तो मुझे शरम सी लगी, फिर मैंने अपना दिल कड़ा करके अपनी छोटी सी स्कर्ट जांघ तक उठा कर कहा,” ये यहां…?”
और उन्होंने मेरी जांघ सहला दी। उनका लण्ड खड़ा हो कर सलामी दे रहा था।
“अंकल ये तो तिल है… ये देखो यहाँ पर भी है… ये देखो !” मैंने अपना स्कर्ट और ऊंचा करके चूतड़ तक उठा दिया। ऐसा करने में मुझे बहुत शरम आई। मेरे गोरे गोरे चूतड़ देख कर उनसे रहा नहीं गया। मैंने उन्हें जानकर के उकसाया। उन्होंने अपना हाथ मेरे तिल पर फ़ेरते हुये एक चूतड़ पर भी घुमा दिया। चूतड़ पर हाथ लगते ही मेरा पूरा शरीर जैसे झनझना गया। मुझे लगा कि ये बुड्ढा तो अब मुझे चोद के ही मानेगा। मैंने अपनी चूंची पर तिल भी अपनी कमीज पूरी ऊपर उठा कर दिख दी। और मेरा दिल जोर से धड़क उठा। मेरे छोटे छोटे चूचुक देख कर अंकल तो पागल से हो गये। मैंने आंखे बंद कर ली, बस इन्तज़ार था चूचियों के पकड़े और दबाये जाने का… जैसे इन्तज़ार सफ़ल हुआ… उन्होने इस बार भी चूची के तिल को मेरी चूंची के साथ सहला दिया। उनका लण्ड पूरे उफ़ान के साथ पटकियाँ मार रहा था।
“अरे हां रे तेरे तो बहुत से तिल हैं…” उनकी आंखे फ़टी जा रही थी और लण्ड पैण्ट में ही तम्बू बना रहा था।
“अंकल और हाथ से सहलाओ ना… मुझे तो अच्छा लगने लगा है।” मैंने घायल पंछी के गले पर जैसे चाकू रख दिया। शर्मा जी अब बदहवास से होने लगे। उन्होने मुझे अपनी जांघो पर बैठा लिया और मेरी चूंचियां बड़े प्यार से सहलाने लगे। पंछी फ़ड़फ़ड़ा उठा…
“बेटी, तुम्हारे मम्मे तो बड़े प्यारे प्यारे हैं, रोज ही मुझसे मालिश करवा लिया करो!”
मेरी चूत में गीलापन और बढ़ गया। मैं अंकल की गोदी में बैठ गई। बैठते ही उनका खड़ा लण्ड मेरी गाण्ड से टकरा गया। मै उस पर अपनी गाण्ड दबा कर बैठ गई। अंकल कुत्ते की तरह लण्ड को बार बार उठाकर यहाँ-वहाँ मारने लगे। अब तो अंकल का लण्ड लग रहा था कि चूत में घुस ही जायेगा। पंछी अब काबू में था, अब कही नहीं जा सकता था वो।
“नेहा बिटिया, जरा ठीक से बैठ ना… अभी लग रही है !” अंकल में कसमसाते हुये कहा।
“अंकल मजा आ रहा है… और आप भी है ना इस उम्र में भी शरमाते हो !” मैं चोट पर चोट किये जा रही थी।
” ओहो… तू तो कितनी शरारती है… ये ले … बस अब तो मुझे भी मजा आया ना?”
शर्मा जी ने अपनी पैण्ट की जिप खोल दी और अपना तन्नाया हुआ नंगा लण्ड मेरी नंगी चूतड़ों की दरार में फ़िट कर दिया। मुझे उनके भारी लण्ड का नक्शा चूतड़ों के बीच महसूस होने लगा। मुझे दिल में एक मीठी सी गुदगुदी हुई और मैंने अपने अपने बदन को उनके ऊपर ढीला छोड़ दिया। जोश में अंकल ने मेरे होंठो को अपने होंठो से चूम लिया। मुझे विरोध ना करते देख कर अंकल के होंठ फिर से मेरे होंठो पर जम गये और मेरे नरम नरम अधरों का रसपान करने लग गये। मुझसे भी रहा ना गया, मैंने अपनी आंखे बंद कर ली और स्वर्ग जैसे सुख को भोगने लगी। आनन्द से भर उठी।
अंकल का लौड़ा मेरी गाण्ड में जोर मारने लगा था। मेरी गाण्ड में बड़ी तेज गुदगुदी सी होने लगी थी। मुझे मोमबत्ती की तरह उनका लण्ड गाण्ड में घुसता नजर आया।
“नेहा बेटी, आज मुझे आण्टी की याद आ गई… वो भी मेरी गोदी में मेरे लण्ड को ऐसे ही गाण्ड में घुसेड़ कर बैठती थी।” अंकल के लण्ड की टोपी पर चिकनाई की कुछ बूंदे निकल आई थी।
“अंकल, क्या मैं पेण्टी उतार दूँ… पूरा ही लण्ड गाण्ड में घुसेड़ दीजिये… मन में मत रखिये। आपका तो इतना चिकना हो रहा है !”
जाने कैसे मेरे मुख से यह निकल पड़ा। अंकल ने मुझे प्यार से खड़ा किया और आधी उतरी हुई पेण्टी नीचे खींच कर उतारने लगे।
” ये पेण्टी तो गीली हो गई है … क्या बहुत मजा आ रहा था ना।” अंकल ने चोदने के मूड़ में कहा।
“हाय अंकल … ऐसे मत कहिये ना… बस मुझे आण्टी वाला आनन्द दे दीजिये !” मैं उनके ये कहने से वास्तव में शरमा गई थी।
“नेहा, एक राज की बात बताऊं, आण्टी तो सालों से ठण्डी ही रहती थी, उनके जिस्म को हाथ भी नहीं लगाने देती थी, आखिर के दिनों में तो यूँ समझो कि हम भाई बहन की तरह रहते थे, भले ही वो मुझे राखी ही बांध दे !”
यह उनका मजाक था या वास्तविकता थी, पर उनका यह कथन उनके दिल की पीड़ा दर्शा रहा था। पर मैं तो मात्र लण्ड की भूखी थी। मैंने हंस कर उनकी बात टालते हुये उन्हें फिर से रूमानी दुनिया में ले आई। अंकल ने अपना लण्ड बाहर ही रखते हुये अपना पैण्ट और चड्डी उतार दी।
“लण्ड से खेलोगी…?”
“कैसे अंकल?”
“इसे हिलाओ, इसे मुठ मारो, इसकी चमड़ी ऊपर नीचे करो, मेरे लाल लाल सुपाड़े को सहलाओ, उसे प्यार करो, चूसो, टट्टों की चमड़ी को चुटकियों से मसलो, गोलियों को धीरे धीरे सहलाओ… ”
“इससे मजा आता है क्या …?”
“हां बहुत आनन्द आता है, लण्ड फ़ूल कर कड़क हो जाता है और फिर इसे चूत में लेने से असीम आनन्द आता है !”
“अरे वाह … यह तो मुझे मालूम ही नहीं था…” मेरा दिल खुशी के मारे उछलने लगा था। हाय इस अंकल की तो मैं…
“तो आओ बिस्तर पर आराम से सब कुछ करेंगे…” अंकल बिस्तर पर जा कर लेट गये।
मैंने कूलर चला दिया और साथ में सीलिंग फ़ेन भी। नंगे शरीर पर मस्त ठण्डी हवा आग का काम रही थी। मैंने अलमारी से अपनी लण्ड के आकार वाली मोमबती भी निकाल ली। अंकल यह सोच सोच कर ही अपना लण्ड कड़क किये जा रहे थे कि उन्हें अब सालों बाद शारीरिक सुख मिलने वाला है। मुझे उनकी इस हालत पर दया आ गई। उनके कहे अनुसार मैं एक एक करके उनके लण्ड के साथ खेलती रही। बीच बीच में उन्हें चूम भी लेती थी, उनकी गाण्ड में अंगुली भी कर देती थी। उनके टट्टों के साथ खेलने लगती थी, फिर हाथ में लेकर लण्ड पर मुठ मारने लगती। मैंने उनका लण्ड फ़िल्मों की तरह मुख में ले लिया और मुठ मार मार कर चूसने लगी। उनके चूतड़ भी ऊपर उठ उठ कर जैसे मुख को चोदने लगे। तभी मैंने मोमबत्ती को अपने थूक से गीला किया और उनकी गाण्ड में घुसाने लगी।
“अरे, ये क्या कर रही हो…? अच्छा धीरे से घुसाना… तो मजा आयेगा”
“अंकल आपने कभी ऐसा किया है?”
” नहीं मोमबत्ती तो नही, पर जवानी में मैंने कई बार गाण्ड मरवाई है और मारी है !”
और मैंने धीरे से उनकी गाण्ड में मोमबत्ती घुसेड़ दी। और लण्ड पर मुठ मारने लगी। लण्ड को चूसती भी जा रही थी। वो ज्यादा देर तक खेल को सह नहीं पाये और हाय कहते हुये उन्होंने अपना वीर्य छोड़ दिया। सारा वीर्य मेरे मुख में भरने लगा, मुझे बड़ी घिन आई, पर फ़िल्मों में जैसा देखा था मैंने उसे पीने की कोशिश की… सफ़ेद सफ़ेद सा, चिकना सा, लसलसा सा… पर एक बार तो मैं गटक गई। फिर किसी छिनाल की तरह उनका लण्ड पूर साफ़ कर दिया।
अंकल 50 वर्ष के थे… सो थक गये थे और उन्हें नींद आ गई। उनका शरीर अच्छा था, मुझे लगा कि 50 वर्ष शायद अधिक नहीं होते है… उनका बलिष्ठ लण्ड अभी भी किसी घोड़े की तरह ठुमक रहा था । मैं बाथ रूम में जाकर नहाई और फ़्रेश हो कर बाहर आ गई और कम्प्यूटर पर बैठ गई। रात को ग्यारह बजे उनकी नींद टूटी। उन्होंने उठ कर मुझे खाना खाने को कहा और अपने कमरे में चले गये। वहाँ से वो नहा धो कर खाना खाने बैठ गये। डिनर के बाद उन्होने मेरी बांह पकड़ी और अपने बेड रूम की तरफ़ ले चले। मैं खुशी से झूम उठी…
“अंकल अब क्या करोगे?… ठहरो मोमबत्ती तो ले लूं !” यह बात सुन कर अंकल मुस्करा उठे।
“अभी तक किया ही क्या है… अब सुहागरात के मजे ले लें !”
“ये सब नहीं यार अंकल, अब तो बस वही हो जाये…”
“हां उसी को तो सुहाग रात कहते हैं…!”
“क्या… चुदाई को सुहागरात कहते हैं … सीधे सीधे चुदाई की रात नहीं कहते?”
मेरे और अंकल के कपड़े एक एक करके उतरते जा रहे थे। अब दोनों ही मदरजात नंगे खड़े थे और हां साथ में उनका लण्ड भी खड़ा था। उनकी हालत देख कर मेरी हालत भी बिगड़ती जा रही थी। अंकल ने मुझे मुस्करा कर देखा और अपने हाथ खोल दिये, मैं पगली सी उनकी बाहों के घेरे में आती चली गई। अंकल के मुख से ठण्डी सी आह निकली। उनकी बाहें मेरी कमर पर कसती चली गई। उनका लोहे जैसा लण्ड मेरी चूत में गड़ने लगा। मैं अपनी चूत धीरे से सेट करके लण्ड लीलने का प्रयत्न करने लगी।
मेरी हालत किसी बिन चुदी कुतिया की तरह हो रही थी… चूत लण्ड मांग रही थी। चूंचियां कठोर हो गई थी। निपल कड़े हो गये थे। शरीर में तरावट आ चुकी थी। अंगुलियों की चुटकियां मेरे कड़े निपल में च्यूटी भर रही थी। पर करण्ट चूत में आ रहा था। चूत पानी से लबालब भर चुकी थी। मेरी आंखे भारी हो चली थी। मन में पहली बार लौड़ा लेने के अहसास से बदन लहक रहा था। मेरी ऐसी हालत देख कर अंकल ने प्यार से मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी टांगें ऊपर की ओर उठने लगी।
“अंकल वो मोमबत्ती देना…!”
“अब इसकी जरूरत नहीं है… ये मेरा मोमबत्ता जो है !”
“नहीं अंकल, ये तो आपकी गाण्ड के लिये है…” अंकल हंस पड़े… वो समझ गये थे कि उन्हें भी ये मोमबत्ती अपनी गाण्ड में घुसानी पड़ेगी।
मैंने मोमबत्ती हाथ में ली और अंकल से कहा,”अंकल प्लीज… अब मत तड़पाओ…” अंकल एक जवान की तरह उछल कर मेरी टांगों के बीच में आ गये और उनका लण्ड हाथ में पकड़ कर चूत की पलकों पर रख दिया। मैंने भी चूत की पलकें खींच कर खोल दी। लण्ड ने गुलाबी चूत को देख कर फ़ुफ़कार भरी और अपना सर झुका कर आदर सहित टोपा अन्दर कर लिया। लण्ड का पहला प्यारा सा अहसास … मुझे मदहोश कर रहा था।
अंकल ने अपने तने हुये भारी लण्ड को जोर लगा कर अन्दर सरकाया। चिकनी चूत लण्ड पा कर लहलहा उठी। मैंने भी अपनी चूत ऊपर उठा कर लण्ड का तहे दिल से स्वागत किया। अंकल का पूरा लण्ड लीलने में मुझे कोई परेशानी आई।
“नेहा… तुम तो चुदी चुदाई लगती हो…!”
“हां अंकल… इस मोमबती ने मेरी चूत चोद चोद कर इण्डिया गेट बना दिया है !”
अंकल ने चूत को इण्डिया गेट नामकरण का मुस्कराते हुये स्वागत किया और अपना शरीर का सारा भार मेरे ऊपर डाल दिया। लण्ड जड़ तक बैठ चुका था। उनका हर एक धक्का बच्चे दानी पर ठोकर मार रहा था। उनका भारी जिस्म मुझे हल्का लग रहा था। लोहे जैसा लौड़ा मेरे बदन में घुसा हुआ सब सहने की ताकत दे रहा था। मेरी टांगें उनकी कमर में उठी हुई कस चुकी थी। मेरे मुख से बराबर मस्ती भरी चीखें और आहें निकल रही थी। मुझे लण्ड के द्वारा पहली चुदाई का आनन्द भरपूर आ रहा था। उनके हाथ मेरे कठोर चूंचियों को मसल मसल कर मीठी सी तरावट भरी गुदगुदी कर रहे थे। तभी मेरा हाथ उठा और अंकल के पिछवाड़े पर आ गया और उनकी गाण्ड के छेद में मैंने मोमबती घुसेड़ दी, जिसे अंकल ने एक खिलाड़ी की तरह सिसकारी भरते हुये झेल लिया। मैंने थोड़ी और कोशिश करके आधी से अधिक मोमबत्ती उनकी गाण्ड में घुसेड़ दी।
“आह्ह्ह मेरी नेहा, मेरी गाण्ड में मोमबत्ती और चुदाई का तालमेल कितना कितना ज्यादा मजा देता है…” अंकल का लण्ड और फ़ूल गया था। गाण्ड में फ़ंसा लण्ड उन्हें भी गुदगुदा रहा था। जोश में आ कर उन्होने अब अपना लण्ड कस कस कर चूत पर मारना आरम्भ कर दिया। हम दोनों की हाल एक जैसी थी। मैं पहली बार चुद रही थी और अंकल का लण्ड भी कई वर्षों बाद किसी चूत को चोद रहा था। सारा जिस्म चुदाई की मधुर कसक भरी मिठास से लबरेज हो चुका था। रति-रस बाहर आने को तड़प रहा था। मेरे दांत भिंचे जा रहे थे… शरीर में कसावट आने लगी थी। गरम चूत धुंआ सा उगलने लगी थी। शर्मा जी की सांसे जोर जोर से चल रही थी। पसीना सा छूटने लगा था। मैंने अंकल की गाण्ड में घुसी मोमबत्ती को जोर से पकड़ लिया और जोर लगा दिया। मोमबत्ती गाण्ड की गहराईयों में और धंसती चली गई।
“अंकल जीऽऽऽऽऽ, मारो लौड़ा कस कर मारो … हाय रे मेरी तो निकली रे… अंकल जी … अरे अरे रे अऽऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह, उईईईईईऽऽऽऽऽ”
और मेरी चूत मचल उठी। रति-रस छूट गया। मैं जोर से झड़ गई। मेरा कसाव मोमबत्ती पर बढ़ता ही गया। अंत में अंकल के मुख से हाय निकल गई और उनके लण्ड ने यौवन रस की बाढ़ ला दी। उन्होंने अपना लण्ड बाहर खींच लिया था और अब भरपूर पिचकारियों की बौछार कर रहे थे। मैंने मोमबत्ती उनकी गाण्ड से निकाल दी। उनके लण्ड से ढेर सारा वीर्य निकला … उनका लण्ड अभी भी वीर्य निकालने के लिये जोर मार रहा था और दो एक बूंदे तो फिर भी निकलती ही जा रही थी। उनका बिस्तर वीर्य और मेरी चूत के पानी से काफ़ी गीला हो चुका था। अंकल मेरे जिस्म से हट कर एक तरफ़ निढाल से लुढ़क गये। उनकी सांस धौंकनी की तरह चल रही थी। दिल की धड़कन बहुत तेज थी। मुझे अंकल की संतुष्टि पर बहुत चैन आया… उन पर प्यार भी बहुत आया। मेरे मन के भीतर कहीं लग रहा था कि उन्हें अभी भी उनके भीतर वासना भरी कसक छुपी हुई है। उन्हें एक औरत की बेहद जरुरत है, बहन की नहीं… अंकल थकान से फिर भर चुके थे। रात बहुत निकल चुकी थी। मैं भाग कर अपने कमरे में चली आई। कोई देखने वाला, सुनने वाला कोई नहीं था, नंगी ही धम्म से बिस्तर पर कूद पड़ी और तकिया दबा कर सोने के लिये आंखे बंद कर ली…
जवान हो या बुड्ढा… लण्ड सभी के होता है … कहते हैं ना बड़े बूढे ज्यादा समझदार होते हैं … इसी का फ़ायदा उठाओ और उनसे खूब चुदो … आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है… उन्हें इस बात की अधिक चिन्ता रहती है… तो मेरी सहेलियों… इन्हें भी अपना साथी बनाओ… ना… ना… जीवन साथी नहीं … सिर्फ़ चुदाई का साथी Hindi Sex Stories
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