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घर पर खाना खाते खाते शाम के Sex Stories सात बज गये थे। मैने जो से कहा – “जल्दी करो वर्ना रात ज्यादा हो जायेगी…… फिर तुम्हारे पुराने वाले मकान को भी तो देखना है…”
अन्दर से मां बोली…- “उस पुराने मकान में मत जाना… सुबह जाना वहां पर…।”
“बस बस…ठीक है… हो गया…… ये बैग रख लो……”
जो जल्दी से उठा और कुछ सामान पेक किया और बोला,”चलो कामिनी ……”
हम दोनो ने अपना अपना सामान उठाया और नीचे आ गये। कार में सामान रखा और जो ने कार स्टार्ट कर दी।
“पहले समुन्दर के किनारे बीच पर चलते हैं……” मैं खुश थी कि आज बीच की सैर करने को मिलेगी। गाडी बीच की तरफ़ चल दी। मुझे लगा कि शायद बरसात होने वाली है। मैने मायूसी भरे शब्दों में कहा, “यार जो…… बरसात हो जायेगी तो फिर क्या मजा आयेगा………”
“नहीं होगी……यहां तो हमेशा ऐसा ही रहता है।”
लेकिन किस्मत खराब ही थी। बाहर वर्षा की फ़ुहारें पडने लगी थी। अचानक जो ने मुख्य सडक छोड दी। और एक सुनसान सी रोड पर आ गया।
“तुम ठीक कहती हो …… बारिश चढ रही है…… लगता है कुछ ही देर में तेज बरसात होने वाली है………”
एक बडे और सुन्दर मकान के सामने जो ने गाड़ी रोकी…… गेट कीपर अपना छाता लिये भाग कर आया …… करीब 65 साल का वो होगा…… कार में झान्कते हुए बोला…”साहब…किससे मिलना है……।”
“यहां एक पुराना बन्गला था……डा हन्टर का …कितनी दूर है……”
“यही है ………आप कौन है…?” जो ये सुन कर चकरा गया… मै जो को देख रही थी……वो कुछ परेशान सा दिखने लगा।
” मैं डा हण्टर का सबसे छोटा बेटा ……… जो हूं………”
“अरे…… जो बाबा ………आओ…आओ…उसने भाग कर मुख्य फ़ाटक खोल दिया …… बरसात तेज हो चुकी थी…। जो बडी असमन्जस की स्थिति में दिख रहा था। उसने गाड़ी मोड़ी और गेट के अन्दर कार लाकर सीधे पोर्च में छज्जे के नीचे खडी कर दी। बूढा गेट कीपर भी धीरे धीरे भागता हुआ आ गया … वो इतने में ही हांफ़ने लगा था।
“वो पुराना बन्गले का क्या हुआ……”
“वो तो डाक्टर साहब ने मरने से पहले ठीक करवाने को कहा था …… उसके लिये उन्होने जरूरत से ज्यादा पैसा दिया था………”
हम दोनो घर के अन्दर आ गये …… मेरी आंखे उसे देख कर फ़टी रह गयी………
“जो…… तुम यहां क्यों नहीं रहते हो…” गोवा की पुरानी इमारतें जिसे हेरीटेज प्रोपर्टीज कहते है… प्रसिद्ध हैं। पर जो भी उनमें से एक का मालिक है …मुझे नहीं पता था। इतने में मुझे उपर के कमरे में कुछ हलचल दिखाई दी…… बूढा भांप गया था।
“मेरा लड़का और बहू हैं………आपके कमरे की सफ़ाई कर रहे हैं…मैं आप के लिये कोफ़ी बना कर लाता हू…” बूढा बाहर चला गया।
जो उठा और ऊपर कमरे की ओर जाने लगा। मैं भी लपक कर जो दे साथ हो ली। सीढियां चढ कर जैसे ही हम खिडकी के पास पहुन्चे…… हमारी नजर खिडकी के अन्दर पडी। एकबारगी हम देखते रह गये। बूढे का लडका और बहू काम-क्रीड़ा में लिप्त थे। लडकी ने अपने दोनो हाथ सर पर रखे थे और अपने नन्गी चूंचियां आगे उभार कर आंखे बन्द करके खडी थी… और लडका उसके उरोजों को दबा रहा था…… मैने जो की बाहें कस कर पकड ली… लडके का लन्ड खडा था। वो लडका कुछ देर तक तो चूंचियों से खेलता रहा फिर उससे लिपट गया और अपने लन्ड को उसकी चूत पर मारने लगा।
नीचे कुछ आहट सुनाई दी… हम तुरन्त बिना किसी आवाज के नीचे आ गये। कोफ़ी आ गयी थी। ऊपर जो देखा था उससे मेरे दिल में वासना जागने लगी थी। बूढा कह रहा था –
“साहब… बाहर तो बरसात ……तेज हो गयी है … रात को यहीं रुक जाईये… कुछ चाहिये तो बेल हर रूम में है…बुला लीजियेगा…।” बूढा वहां से बाहर गेट पर अपने कमरे मे चला गया।
मैं थोडा रंग में आ रही थी… मैने जो का हाथ दबाया …जो ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। उसने अपने होन्ठ मेरे होन्ठों से लगा दिये। मेरे उरोजों को हल्के हल्के दबाने लगा। मुझे लगा कि कोई कमरे में है। मैने जो को अलग किया तो देखा वोही युगल जो कमरे में था मेरे सामने खडा था … मैं शरमा गयी। वो दोनो सामने खडे मुसकरा रहे थे।
“तुम यहां क्या कर रहे हो …… तुम कौन हो…”
” जी…मालिक मैं उनका दामाद हू ये उनकी लड़की है …” मैं समझ नहीं पाई…वो तो बहू और लडके की बात कर रहा था।
लडकी… ने इशारा किया तो वो बोला …
“मालिक… आप आये हैं है तो……ये आपकी सेवा करना चाहती है…और आपकी इच्छा हो हो तो मैं मालकिन कि सेवा कर दूं……” दोनो की मतलबी निगाहें कुछ इशारा कर रही थी।
“साफ़ साफ़ कहो …… हम किसी बात का बुरा नहीं मानते हैं…” मैं उनके इशारों को भांपते हुए बोली…
लडके ने जो के पास आ कर जो के कान मे कुछ कहा। जो ने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा … फिर मेरे से कहा …
“कामिनी ये कह रहा है कि ……ये रोज़ी को मेरे साथ मजे लेना है …… और तुम चाहो तो… सैम के साथ एन्जोय कर सकती हो…”
‘वोऊऽऽऽऽऽऽऽ …जो क्या बात है………पर तुम्हे कोई………”
” कामिनी जिन्दगी के मजे मिल रहे हैं तो ……भरपूर लो… आज की ही तो बात है………कुछ चेन्ज हो जाये…”
मेरे तो शरीर में सनसनी दौड़ गयी। नया माल……नया लन्ड… नई चुदाई…। जो से तो कितनी ही बार चुदा चुकी हूं … मजा आ जायेगा। मैने जो को आंख मार दी……
“तो फिर हो जाये …” इतने में एक आदमी और एक औरत साईड में से निकल कर बाहर चले गये। हमने उस ओर ध्यान नहीं दिया।
हम दोनो ऊपर के कमरे में चले आये। वहां दो शानदार गद्दे वाले बेड थे। हम चारो वहां का खुशनुमा माहौल देख कर फ़ूले नहीं समा रहे थे। मै बाथरूम में गयी और पानी से अपनी चूत और गान्ड साफ़ की और एक बडा तोलिया लपेट कर बाहर आ गयी। मैने देखा तो सैम और रोज़ी अपने पूरे कपडे उतार कर नन्गे खडे थे… सैम का शरीर कसा हुआ था उसका लन्ड भी मोटा और लम्बा था… रोज़ी भी मुझे बहुत सेक्सी लगी… रोज़ी का बदन गुआनी स्टाइल का था … उसके चूतड गोल गोल भरे हुए … पांव थोडे मोटे से छोटा कद ……उसे देख कर किसी भी मर्द का लन्ड खडा हो सकता था। मैं धीरे धीरे सैम के पास आ गयी… उसने मुझे प्यार से किस किया…… मेरा तोलिया उसने उतार कर एक तरफ़ रख दिया। मेरे शरीर फ़िगर देख कर सैम के मुख से आह निकल गयी।
“इतने प्यारे फ़िगर को चोदने को कितना मजा आयेगा…”
मैं तो उसकी ये बात सुनते ही आनन्द से भर गयी… “सेम … तुम भी कुछ कम नहीं हो……”
उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उसका शरीर बलिष्ठ था…उसके मसल्स कसे हुये थे… इतने में जो भी आ गया। जो ने अपना तोलिया एक तरफ़ रख कर रोज़ी को अपनि गोदी में बैठा लिया। सैम मुझे एक खिलोने की तरह उठा लिया। उसके ताकतवर शरीर का एक अलग ही मजा आ रहा था। मैने उसकी कमर में अपने पांव कस लिये। उसका लन्ड सीधे मेरी गान्ड पर लग रहा था। मैं उससे एक बेल की तरह लिपटी थी…… मेरे शरीर का बोझ उसे शायद बिल्कुल ही नही लग रहा था…वो मुझे उठाने के बाद भी लोहे की तरह तना हुआ था। मैने उसे तन्ग करने लगी……उसके गले में हाथ डाल कर मैने चूत को उसके लन्ड पर मारने लगी कि उसे बोझ लगे और मुझे उतार दे…पर उसके लोहे जैसे श्रीर पर कुछ असर नहीं हुआ। वो उतना ही आरम से खडा रहा और लन्ड को मेरे चूतडों कि दरारों में लगा दिया…… उसने एक हाथ मेरी चूतड पर रख कर मुझे थोडा सहारा दिया। मैं सोच में पड गयी कि इन्सान है या लोहे का पुतला। मेरे होंठ सैम के होंठो से से जुड गये…… उसके होंठ चूसने में गजब का मजा आ रहा था… उसका लोहे जैसा लन्ड मेरी गान्ड के छेद पर था। मुझे पता चल गया था कि वो मेरी गान्ड ही चोदेगा। मैने भी उसके लन्ड को गान्ड दे छेद पर सही तरीके से लगा दिया।
उसने मेरी चूंचियां बडे ही नरम तरीके से सहलायी। उसके हाथों में जादू था। उसके लन्ड का सुपाडा मेरी गान्ड में घुस गया… मेरी आह निकल गयी… पर तकलीफ़ जरा भी नहीं हुई…उसका लोहे जैसा लन्ड…कितना नरम था, गरम था … पर कड़ाई गजब की थी। मैने कहा- “सेम मुझे उतारो…… बिस्तर पर चोदना ना…”
सेम ने मुझे ऐसे ही लन्ड अन्दर डाले बिस्तर पर यूं रख दिया जैसे कोई खिलोना हो…… उसने तकिया ये कर मेरे चूतड के नीचे लगा दिया। मेरी गान्ड थोडी सी ऊंची हो गयी…… और सैम का काम बन गया। उसने हौले से लन्ड गान्ड में सरकाना चालू कर दिया। उसके मस्त लन्ड पर मैं मर मिटी थी। मीठी मीठी सी गुदगुदी करता हुआ अन्दर तक पूरा बैठ गया। उसने मेरी चूंचियां सहलाते हुए धीरे धीरे मसलना चालू कर कर दिया। मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। उसके धक्के बढ्ने लगे……… सैम में जादू था…… उसे चोदने की कला आती थी। उसके धक्के एक ही रफ़्तार से चल रहे थे…… मेरी चूत की हालत खराब हो रही थी…।
“सेम प्लीज़्…… अब मुझे चोद भी दो…।”
सेम मुस्कराया और उसने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया……… और चूत के द्वार पर रख दिया। मुझसे रहा नही जा रहा था……
“सेम … घुसेडो ना ………हाय्………जल्दी करो……”
उसने लन्ड अन्दर सरका दिया…… मेरी चूत निहाल हो गयी …… मेरी उत्तेजना बहुत बढ गयी थी …… मुझसे उसका भारी लन्ड नहीं सहा जा रहा था……… मुझे लगा कि मैं झडने वाली हूं ……… और मैं चरम सीमा पर थोडी सी चुदायी के बाद पहुन्च गयी थी……… मेरा पानी छूट पडा…… मै झडने लगी। मैने सुख के मारे अपने होंठ भींच लिया। उसका लन्ड अभी भी लोहे की रोड की तरह कडक था…… वो धीरे धीरे चोदता रहा …… उसे पता था कि मैं झड चुकी हूं। फिर भी उसका जादू भरा लन्ड बहुत धीरे धीरे चुदाई कर रहा था……… कुछ ही देर मैं फिर गर्माने लगी …… चूत फ़िर से फ़डफ़डाने लगी …… मुझ में फ़िर से उत्तेजना भरने लगी……… सैम सब समझ रहा था………कुछ ही देर में धक्को का जवाब धक्को से रही थी। दूसरी ओर ……… जो और रोज़ी का जोश देखते बनता था………।
सेम भी अब उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंचने वाला था……… उसका लन्ड कडकने लगा था……… मुझे साफ़ मह्सूस हो रहा था …… सैम की सारी पहलवानी मेरी चूत में झडने वाली थी। अचानक उसने मुझे जकड लिया और मेरे से लिपट गया……… मेरी चूत ने भी जोर लगाया…… और मैं एक बार फिर झडने लगी……… इतने में सैम क लन्ड फ़ुफ़कार उठा ……… मेरी चूत में उसकी पिचकारी छूट पडी………… उसका कडक लन्ड पिचकारी मारता रहा और ढीला पड गया…… जो और रोज़ी पहले ही झड चुके थे…… तभी बिजली चली गयी। सारे मकान मेइन अन्धेरा छा गया……… बाहर बरसात जम कर हो रही थी……… हमें वैसे भी लाईट का क्या करना था……… दो बार झडने के बाद मैं थक चुकी थी……… इतनी सुन्दर और मनमोहक चुदाई के बाद पूरी सन्तुष्टी के साथ मैं नीन्द दे आगोश में समाने लगी………
सवेरे मेरी आंख खुली…… मैं नन्गी ही सो गयी थी…… अलसायी सी मैने करवट बदली…… मैने जो देखा तो मैं चीख उठी …… मेरी बगल में और कोई नही बल्कि एक नरकंकाल पडा था। जो भी मेरी चीख सुन कर उठ गया…… वो भी दह्शत के मारे चीख उठा उसकी बगल में भी एक नरकंकाल पडा था। वो उछल कर खडा हो गया…… मै भी घबरा कर बिस्तर से नीचे आ गयी।
मैने कमरे को देखा…हम रात भर यहां थे ? … एक पुराना सा कमरा जगह जगह जाले…… धूल से भरा कमरा…… बिस्तर पर मिट्टी…… और… हमने जैसे तैसे कपडे पहने और बाहर भागे…… कमरे से बाहर निकलते ही …… हम सन्न रह गये ……… जो बोल उठा।-” हे भगवान ………ये क्या है…कबाडखाना……चमगादड़ की गन्दगी…… एक अजीब सी बदबू … हम दोनो के चेहरे पर हवाईयां उडने लगी। हम दोनो तेजी से बाहर भागे …… जो फ़ुर्तीला था … मैं पीछे रह गयी…… जो बाहर आते ही कार में बैठा और स्टार्ट कर दी…… उसने दूसरा कार का दरवाजा खोल दिया मैं भागते हुए आयी और कार में बैठ गयी। जो ने गाडी मोडी और बंगले से बाहर आ गया…… मैन रोड पर जो ने कार रोकी …हमने कार से उतर कर देखा …… वो चमचमाता हुआ बंगला कहां गया… उजाड वीराना…… काला…काई से भरा … टूटा फूटा घर ………बडे बडे जन्गली पेड्…झाडियां …… लगता था उसमे बरसों से कोई नही आया …… मैं डर के मारे सिहर उठी ……
“जो… चलो यहां से … मैं लगभग रो पडी…… मैने रात को किसके साथ चुदाई की थी और जो ने…… सैम और रोज़ी कौन थे……… जो स्तब्ध खडा था।
तभी पास से एक आदमी साईकल से निकला …
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” हां… सही पहचाना ………डाक्टर साब ने यहा नौकर की लडकी और उसके हसबेन्ड को मरवा डाला था … उनका दिल नौकर की बेटी पर था…।”
” शट अप … साले कुछ भी बोलने लग जाते है…” पर जो अन्दर ही अन्दर सब समझ गया था…… अनमने मन से वो कार में बैठा और गाडी स्टार्ट कर दी…
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मैं अपनी फ़र्स्ट इयर की पढ़ाई कर Antarvasna रहा था। मुझे याद है उस समय बरसात का मौसम था…. पापा ने मुझे बताया कि दीदी के साथ उदयपुर जाना है। दीदी की उम्र करीब 27 वर्ष की थी। जयपुर में भी एक दिन रुकना है। मुझे घूमने का वैसे ही बहुत शौक था। मैंने तो तुरन्त हां कह दी। फिर दीदी मुझे कई चीजें भी देती थी। पापा ने हमारा बस में रिजर्वशन करवा दिया था।
दिन की बस थी सो हमने खाना वगैरह खा कर बस में बैठ गये…. दीदी खिड़की वाली सीट पर थी। बस के चलने के बाद थोड़ी ही देर में बरसात शुरु हो गई थी। रास्ते भर दीदी पर खिड़की से छींटे आते रहे और बार बार वो रुमाल से अपने हाथों को और बोबे को पोंछती जाती थी। मैंने भी उनकी मदद की और एक दो बार मैंने भी दीदी बोबे को अपने रूमाल से साफ़ कर दिया। उन्होने मुझे घूर कर देखा भी…. हाथ लगाते ही दीदी के उभार लिये हुए चिकने और नरम बोबे मेरे दिल में बस गये।
बस के हिचकोले से वो बार बार मुझ पर गिर सी जाती थी। एक बार तो उनका हाथ मेरे लण्ड पर भी पड़ गया। मुझे लगा कि दीदी जान कर के मुझे उकसा रही है। मैं भी जवान था, मेरे दिल में भी हलचल मच गई। शाम होते होते हम जयपुर पहुंच चुके थे। टूसीटर ले कर हम सामने ही होटल में रुक गये और वहीं से दूसरे दिन का उदयपुर स्लीपर का रिजर्वशन करवा लिया। दीदी काऊंटर पर गई और कमरा बुक करवा लिया। मैंने सारा सामान एक साईड में रख दिया।
हमने खाना जल्दी ही खा लिया और होटल के बाहर टहलने लगे। दीदी मुझे कभी आईसक्रीम तो कभी कोल्ड ड्रिंक पिला कर मुझे खुश कर रही थी। मुझे लगा मुझे भी दीदी के बदन को हाथ लगा कर खुश कर देना चाहिये। सो मैंने टहलते हुए मजाक में दीदी के चूतड़ पर हाथ मार दिया। उस हाथ मारने में मुझे उनके गाण्ड का नक्शा भी महसूस हो गया। दीदी की गाण्ड पर मेरा हाथ लगते ही वो चिहुंक गई….मुझे फिर से उसने मुस्करा कर देखा, मुझे इस से ओर बढ़ावा मिला। मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था इस सेक्सी खेल में।
“शैतान….मारने को यही जगह मिली थी क्या….?” मतलब भरी निगाहों से मुझे देखते हुए उसने कहा।
“दीदी….मजा आया ना….! नरम गद्देदार है….!” मैंने उसे छेड़ा।
“चल हट…. ” कह कर दीदी ने भी मेरी चूतड़ पर एक चपत लगा दी।
“दीदी एक और चपत लगाओ ना….” मैंने शरारत से कहा।
“क्यो तुझे भी मजा आया क्या ?” दीदी मुस्कराने लगी।
“हां….लगता है खूब मारो और बल्कि दबा ही दो !” मैं भी थोड़ा खुल गया।
“जानता है मुन्ना….मेरी भी हनीमून मनाने की इच्छा होती है !”
ये सुनते एकाएक मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने अन्जान बनते हुए कहा,”ये कहां मनाते हैं? कैसे करते हैं?”
“होटल में और कहां….!” दीदी ने मेरी ओर देखते हुए कहा।
“होटल में….चलो ज्यादा से ज्यादा कुछ खर्चा हो जायेगा….पर तुम्हारी इच्छा तो पूरी हो जायेगी ना….”
“बुद्धू …. नहीं मालूम है क्या….?”
“दीदी….कोई बताये तो मालूम हो ना…. हाँ एक फ़िल्म आई थी….मैंने नहीं देखी थी !”
“पागल है तू तो …. तुझे सब सिखाना पड़ेगा…. बोल सीखेगा?” मुझे मालूम हो गया कि दीदी मुझसे चुदना चाहती है।
“हनीमून सीखने वाली बात है क्या?”
दीदी मेरी पीठ पर घूंसे मारने लगी।
रात के 9 बजने को थे। हम फिर से होटल के कमरे में आ गये और सोने की तैयारी करने लगे। अचानक मेरी नजर बिस्तर पर गई। एक ही सिंगल बिस्तर था। मुझे लगा दीदी ने जान बूझ कर के सिंगल बेड लिया है, मैंने अपना पजामा पहन लिया और अंडरवियर मैंने नहीं पहनी। मैं दीदी को अपना फ़ड़फ़ड़ाता लण्ड दिखाना चाहता था। मैंने झुक कर देखा तो पजामे में से मेरा झूलता हुआ लण्ड बाहर से ही नजर आ रहा था।
दीदी मेरी सब बातों को नोट कर रही थी और मुस्करा रही थी। मेरे झूलते हुए लण्ड को तिरछी नजरों से देख भी रही थी। मुझे भी अब शरीर में सनसनी होने लगी थी। लण्ड भी अब खड़ा होने लगा था। दीदी ने भी अपना नाईट गाऊन पहन लिया पर मेरी तेज निगाहों ने भांप लिया था कि अन्दर वो कुछ नहीं पहने थी। मुझे लगा कि दीदी आज सेक्सी मूड में हैं, और शायद हीट में भी हैं….दीदी ने अपने हाथों को उठा कर और अपनी चूंचियों को उभार कर एक भरपूर अंगड़ाई ली ….मुझे लगा कि मेरे दिल के सारे टांके टूट जायेंगे। मुझे महसूस हुआ कि मैं इसका फ़ायदा ले सकता हूँ। शायद मेरी किस्मत खुल जाये। दीदी बिस्तर पर लेट गई और बोली…”अरे मुन्ना….यहीं आजा तू भी….”
सुनते ही मेरा लण्ड कड़क गया। मैं भी लाईट बन्द करके दीदी की बगल में लेट गया। बिस्तर बहुत ही संकरा था। हम दोनों का बदन छू रहा था। मेरा हाथ उनके बदन पर यहाँ वहाँ लग जाता था पर वो कुछ नहीं कह रही थी। कुछ ही देर में वो सो गई। पर मेरे दिल में हलचल थी। लण्ड भी कड़ा हो रहा था।
अचानक दीदी ने नींद में अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया….मेरे जिस्म में झुरझुरी आ गई पर उसने किया कुछ नहीं। मैंने लण्ड को थोड़ा सा और कड़ा कर दिया और हिला दिया। पर दीदी ने कुछ नहीं किया। वो नींद में मेरे से और चिपक गई। उनका हाथ मेरे पेट पर से होता हुआ लण्ड पर था। मुझे दीदी के जवान जिस्म की अब महक आने लगी थी। मैंने भी अपनी हथेली उनकी चूचियों के ऊपर जमा दी और उनके सांस लेते समय उनकी उठती और गिरती छातियों को हल्के से दबा कर मजे ले रहा था।
शायद दीदी की नींद खुल गई थी या वो नाटक कर रही थी। उन्होने चुपके से मेरी तरफ़ देखा, और मेरी नजरें उनसे मिल ही गई। हम दोनों आपस में एक दूसरे को निहारने लगे। उसकी आंखों में निमंत्रण था, भरपूर वासना थी। मेरे हाथ उसने नहीं हटाये और ना ही मेरे लण्ड पर से उसका हाथ हटा। हम दोनों ने एक दूसरे की मौन स्वीकृति पा कर मैंने उसकी चूंची पर दबाव बढ़ा दिया और नीचे मेरे लण्ड पर उसके हाथ का कसाव बढ़ गया। दोनों के मुख से एक साथ सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी।
मेरा लण्ड मसलते हुए बोल पड़ी,”मुन्ना क्या कर रहा है….छोड़ दे ना….”
“दीदी…. हाय….आप कितनी अच्छी है…!.” मैंने गाऊन के अन्दर हाथ डाल दिया और चूंचियों का जायका लेने लगा, और मसलने लगा।
“मुन्ना….हाय कितना शैतान है रे तू….मेरे तो बोबे ही मसल डाले रे….!” दीदी ने मेरा पजामा का नाड़ा खींच दिया और अन्दर हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया।
“दीदी….जरा जोर से मसलो ना…. दबाओ और दबाओ….बहुत मजा आ रहा है….!”
“तू भी मेरे बोबे खींच खींच कर दबा डाल….हाय रे….तू अब तक कहां था रे….!” मैंने दीदी की चूंची निकाल कर मुख में भर ली और मैं दूध पीने लगा। मेरा दूसरा हाथ उनकी चूत पर पहुंच गया। मैंने उनकी चूत दबा दी।
वो तड़प उठी….”अरे छोड़ दे जालिम मेरी चूत….”
“दीदी….तू भी मेरा लण्ड छोड़ दे….हाय रे….!”
“मुन्ना….चल अपन दोनों हनीमून मना लें….!”
“कैसे….?”
मेरा गाऊन ऊपर करके मेरे से चिपक जा….हनीमून अपने आप हो जायेगा। “
“सच दीदी….” मुझे तो अब चोदने की लग रही थी। लण्ड बेकाबू होता जा रहा था। मैंने गाऊन ऊंचा करके लण्ड उसकी चूत पर गड़ा दिया। दीदी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर मेरे लण्ड का चिकना सुपाड़ा अपनी गीली चूत में फ़ंसा लिया और जोर लगा कर लण्ड अपनी चूत में अन्दर सरकाने लगी।
“ये लो मुन्ना….बन गया हनीमून…. अ….अ….आह्….स्सीऽऽऽऽऽऽऽ ….अह्ह्ह्ह्ह्….” लण्ड गहराई में धंसता चला गया। मेरे लण्ड के सुपाड़े में मिठास आने लगी। मैंने भी अपने चूतड़ का जोर लगा कर पूरा अन्दर तक घुसा डाला। दीदी तो चुद्दकड़ निकली….इतनी गहराई तक लण्ड लेने के बाद तो उसे और मस्ती चढ़ गई…. वो मेरे से चिपकती गई। मैंने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके ऊपर चढ़ गया। और उसकी नरम नरम चूत को चोदने लगा…. वो नीचे दबी सिसकती रही…. मैं आनन्द के सागर में डूब चला था। दीदी के कड़कती चूचियों को मसलता जा रहा था।
दीदी जैसे चुदाते समय भी तड़प रही थी, जैसे उसकी सारी इच्छायें पूरी हो रही हों…. कुछ ही देर में उसकी शरीर में जैसे ताकत भर गई हो….मुझे उसने बुरी तरह से भींच लिया….और सिसकी लेती हुई झड़ने लगी। मुझे भी लगा कि जैसे सारा संसार मेरे में सिमट रहा हो…. मेरे जिस्म ने ऐठन के साथ ही लण्ड से सारा वीर्य निकाल दिया। सारा वीर्य उसकी चूत में भरने लगा….मेरा लण्ड बार बार रुक रुक कर वीर्य छोड़ रहा था….जैसे सारा जिस्म निचोड़ लिया हो। मैं निढाल हो कर एक तरफ़ चित लेट गया। हम दोनों ही जाने कब सो गये।
सवेरे उठते ही नहा धो कर हमने नाश्ता किया। और घूमने निकल पड़े…. दिन भर में सारा काम निपटाया और रात की बस में बैठ गये। बस लगभग खाली थी। ठीक साढ़े नौ बजे बस रवाना हो गई। बस के चलने के बाद बस की लाईटें बन्द हो गई। अभी हम नीचे सीट पर ही बैठे थे जिसे हमें अजमेर में खाली करके स्लीपर में जाना था। सीट के साथ लगे पर्दे मैंने खींच दिये।
अंधेरे का फ़ायदा मैंने उठाते हुए दीदी के बोबे मसलने चालू कर दिये, दीदी ने भी मेरा लण्ड बाहर निकाल कर झुक कर चूसना शुरू कर दिया। वो मेरे सुपाड़े के रिंग को खास तरह से चूस रही थी। मेरा लण्ड बेहद कड़ा हो गया था। साथ में मैं सावधानी से इधर उधर भी देख लेता था कि कोई हमें देख तो नहीं रहा है….पर सब अलसाये हुए से आंखे बन्द किये पड़े थे। मैंने अब दीदी का सर अपने लण्ड पर जोर से दबा दिया और लण्ड से उसका मुँह चोदने लगा। मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हू, तो मैंने लण्ड दीदी के मुँह से लण्ड निकालने की कोशिश की पर दीदी लण्ड छोड़ने को तैयार नहीं थी…. मेरा वीर्य उसके मुँह में ही छूट पड़ा…. मै उसके सर को पकड़ कर उस पर दोहरा हो गया। मेरा सारा रस वो पी चुकी थी। मेरा एक दम साफ़ सुथरा लण्ड उसके मुह से बाहर निकला। मैंने जल्दी से अपनी पेन्ट की ज़िप चढ़ा दी। दीदी भी ठीक से बैठ गई। उसकी आंखे अभी भी शराबी लग रही थी।
अजमेर के बस स्टेण्ड पर बस आ गई थी….समय किस तेजी से निकला पता ही नहीं चला। यात्री बस में चढ़ रहे थे कुछ उतर रहे थे। हम भी कोल्ड ड्रिंक लेने के लिये उतर गये। हम दोनढ़ एक दूसरे से नजर मिला कर देखे जा रहे थे। आंखो ही आंखो में बातें हो रही थी।
तभी कंडक्टर ने कर तन्द्रा भंग की,”साहब जी….चलो या यहीं रहना है….?”
हम दोनों मुस्करा पड़े और बस की तरफ़ चल दिये। बस पूरी भर चुकी थी। हम दोनों आगे की डबल स्लीपर पर चढ़ गये…. हमने अपना सारा हिसाब जमाया और लेट गये…. पर्दा अच्छी तरह से खींच दिया। बस चल पड़ी। कुछ ही देर में बस की लाईट बंद हो गई और हमारे दिल में शैतान एक बार फिर से जाग उठा। बाहर अब हल्की सी बरसात होने लगी थी। ठण्डक बढ़ गई थी। हमने एक चादर ओढ़ ली।
कुछ ही देर में चादर के अन्दर कयामत टूट पड़ी। दीदी ने अपना कुर्ता ऊपर कर लिया और सलवार नीचे खींच ली। मैंने भी अपनी पैन्ट नीचे खींच ली। हम दोनों के लण्ड और चूत नीचे से खुले हुए थे। मैंने दीदी के चूतड़ों की दरार में अपना लण्ड दबा दिया। उसके गोल गोल मांसल चूतड़ की फ़ांके लण्ड के दबाव से खुलने लगी। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड के छेद से टकरा गया।
“भैया आज तो गाण्ड भी हनीमून मनायेगी….!”
“चुप रह दीदी…. तेरी गाण्ड फ़ाड़ने को मन कर रहा है….!”
“फ़ाड़ दे मेरे मुन्ना….”
उसकी गाण्ड के छेद पर लण्ड ने अपना पूरा दबाव डाल दिया। मेरे लण्ड का रिंग उस छेद में अन्दर जा कर फ़ंस गया। अब मैंने और दीदी ने आराम की पोजीशन बना ली दोनो एक दूसरे से सट गये। दीदी ने भी अपनी गाण्ड पीछे उभार कर ढीली छोड़ दी। मैंने दीदी के बोबे पकड़ लिये और लण्ड अन्दर सरकाने लगा। मेरा लण्ड फिर मिठास से भरने लगा। मैंने अब धीरे धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया। मुझे मजा आने लग गया। बस के झटके और सहायता कर रहे थे।
काफ़ी देर तक तक मैं उसकी गाण्ड मारने का मजा लेता रहा ….फिर मुझे लगा कि दीदी तो बेचारी अब तक प्यासी ही है। ये सोचते हुये मैंने अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर पीछे से ही उसकी चूत में घुसेड़ दिया। आनन्द की तेज सिसकारी दीदी के मुँह से निकल पडी…. मैंने तुरन्त उसके मुँह को दबा दिया….दीदी की नरम नरम चूत एक बार फिर मेरे लण्ड में उत्तेजना भरने लगी। चूत में अन्दर बाहर करने से दीदी और मुझे असीम आनन्द आने लगा। मैंने अब धक्के जमा कर जोर से मारने शुरू कर दिये। दीदी का जिस्म मसकने लगा…. बल खाने लगा….उसे जबरदस्त मस्ती चढ़ने लगी….जिस्म थरथराने लगा….
‘मुन्ना….मुझे जकड़ ले बोबे मसल दे…. राम रे….!” और दोहरी होते हुए झड़ने लगी…. अचानक मेरे लण्ड ने भी जोर से पिचकारी छोड़ दी। हम दोनों लगभग साथ ही झड़ने लगे थे…. एक दूसरे को हमने भींच रखा था……..। हम शान्त होने लगे थे। दीदी की चूत के पास वीर्य फ़ैल रहा था। मैंने तुरन्त चादर खींच ली और साफ़ करने लगा। पर उसकी चूत से रह रह कर वीर्य आता ही जा रहा था। मैंने अपना साफ़ रूमाल निकाला और उसे दीदी की चूत के अन्दर थोड़ा सा डाल कर रख दिया। दीदी ने अपना सलवार कुर्ता ठीक कर लिया। मैं भी पैन्ट पहन कर लेट गया। सवेरे बस उदयपुर पहुंच चुकी थी…. हमने टूसीटर वाले से किसी होटल में ले जाने को कहा….अब हम होटल में चाय नाश्ता कर रहे थे….
“मुन्ना ….अपना तो ये हनीमून का सफ़र हो गया….”
“दीदी बहुत मजा आता है ना…. होटल में….बस में…. कितना चोदा….मजा आ गया….” हम दोनों आगे प्लान बनाने लगे….काम का कम और हनीमून का अधिक …. उदयपुर बहुत सुन्दर जगह थी इसलिये हमने अपना प्रोग्राम दो दिन और बढ़ा लिया था….साथ में हनीमून के दिन भी बढ़ गये….
दोस्तो यह मेरी पहली कहानी है….कृपया अपने विचार भेजें….धन्यवाद। Antarvasna
मैं एक नए शहर में जब अकेले घूमने Hindi Sex Stories निकला तो मैं चलते चलते एक वेश्याओं की गली में पहुंच गया। मैंने देखा कि बहुत सी लड़कियाँ छोटे छोटे मकानों के सामने खड़ी थी। मैंने समझा कि सभी किसी त्यौहार की तैयारी करके कहीं जाने की तैयारी कर जा रहे होंगी। सभी सजे धजे थे । मुझे कुछ समझ न आया और आगे बढ़ता चला गया। गली में पहुंच कर देखा कि वहाँ सभी इशारों में बुला रहे थे। मैंने देखा कि एक आंटी मुझे बुला रही है। तो मैंने सोचा कि शायद आंटी को किसी प्रकार की मदद चाहिए।
मैं आंटी के पास पहुंचा तो आंटी ने पूछा,”लोगे?”
तब मुझे समझ में आया कि मैं किस गली में पंहुचा हूँ।
मैंने पूछा,”कितना ?”
तो उसने बोला,”१०० रुपए लड़की का और ५० रुपए मेरा !”
मैंने अपने सारे पैसे लगभग ख़त्म कर दिए थे इसलिए मैंने उस आंटी को पेलने का निश्चय किया। उसने मुझे कमरे में बुला लिया मेरा मन उस लड़की पर अटक गया था जो वहाँ थी, वो बिल्कुल जवान और पतली दुबली थी। अफसोस मुझे तो आज उस आँटी को पेलना होगा।
आंटी ने मुझे कपड़े उतारने को कहा तो मैंने तुंरत ही सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल ही नंगा होकर खड़ा हो गया लेकिन मेरा लिंग जैसे तैयार नहीं था, बिल्कुल मायूस था। मानो जब किसी बच्चे की कोई बात न मानने पर मायूस हो कर बच्चे एक तरफ खड़े हो जाते हैं।
फिर उस आंटी ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मेरे लिंग को रगड़ना चालू किया जब बात नहीं बनी तो हस्त मैथुन पे चालू हो गई । जैसे ही लिंग में थोड़ा सा कड़कपन आया तो उस पर कंडोम पहनाने लगी। कंडोम पहनाने के बाद आंटी बिस्तर पर जा कर लेट गई और इशारे से मुझे बुलाया।
मैं पैसे वसूल करने के लिए उस पर चढ़ बैठा और पेलना शुरु करा। आंटी के स्तन काफी मोटे व बड़े थे। मैं उन्हें दबाये जा रहा था और हौले हौले पेल भी रहा था। अचानक आंटी को गुस्सा आ गया- यह क्या कर रहे हो?
मैंने सोचा आंटी न जाने किस बात से नाराज हो गई।
आंटी ने फिर कहा,”जोर लगा के पेलो !”
मैं समझ गया कि आंटी को मैं संतुष्ट नही कर पा रहा था और उनका योनि तो घाट घाट का पानी पिया हुआ है। अब मैंने जोर जोर से धक्का मारना शुरु करा तो मेरे लिंग में भी कड़कपन बढ़ गया। मैं लगातार वार पे वार किए जाने लगा अब आंटी को भी मज़ा आने लगा। बैटिंग में लगातार छक्के-सिक्सर मार के अपने-आप को धोनी या युवराज से कम नही समझ रहा था।
और फिर मैं कैच आउट हो गया। और मेरा लिंग पवेलियन लौटने लगा यानि सुकड़ने लगा जैसे कि जब कोई बैटसमैन शतक बनाकर आउट होता है तो उसे खुशी भी रहती है और आउट होने के अफ़सोस में सर नीचे कर पवेलियन जाता है।
उस आंटी ने तो मेरा ही बाज़ा ही बज़ा दिया था।
आप के जीवन में ऐसी आंटी आए तो क्या होगा। Hindi Sex Stories
Xx हिंदी चुदाई कहानी में मेरे साथ एक लड़की काम करती थी. उसका उसके पति से झगड़ा हो गया तो उसे सेक्स की कमी लगने लगी. तब हम दोनों ने आपस में सेक्स करके मजा किया.
दोस्तो, मैं राजेंद्र कोटा से!
मेरी पिछली कहानी थी:
प्यासी विधवा मकान मालकिन की चूत चुदाई
आज मैं फिर से आपके लिए अपने जीवन की एक सच्ची सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.
यह Xx हिंदी चुदाई कहानी करीब 10 साल पुरानी है.
उस समय मैं एक कॉलेज में लैब असिस्टेंट था.
मेरे साथ एक मैडम थी, वह भी लैब असिस्टेंट थी.
उस मैडम का नाम सीमा था.
हम दोनों का काम स्टूडेंट्स को मदद करना होता था.
वह मैडम देखने में बड़ी हॉट थी और स्कूल के कई टीचर्स उसकी लेने की फिराक में रहते थे.
लेकिन वह किसी को भाव ही नहीं देती थी.
जबकि वह हंसमुख बहुत ही ज्यादा थी.
उसकी इसी आदत के चलते मैं उससे काफी मजाक करता रहता था.
मेरी हमेशा मज़ाक करने की आदत भी थी, इसी वजह से मैं हमेशा कह देता था कि मैडम क्या डेट पर चलोगी?
वह मुस्करा देती थी.
उसने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा कि आप मुझसे ऐसी बात नहीं किया करो या कुछ भी गुस्सा वाली बात नहीं दिखाई दी थी.
यदि वह मुझसे एक बार भी कह देती कि आप मुझसे यह सब नहीं कहा करो तो मेरी उसके साथ मजाक करने की कभी हिम्मत ही न होती.
हालांकि मेरे मन में कुछ गलत नहीं था, बस इतना कहने का मन करता था और मैं हमेशा ही ऐसा कहकर उसको छेड़ देता था.
जब स्टूडेंट्स की और टीचर्स की छुट्टियां भी हो जाती थीं, तब भी हम दोनों की ड्यूटी होती थी क्योंकि हम दोनों टीचिंग स्टाफ में नहीं थे.
धीरे धीरे हम दोनों काफी नजदीक आते गए.
साथ में टिफिन शेयर करना, एक दूसरे के काम कर देना, यही सब चलता रहता था.
वह मेरे खाने की बड़ी तारीफ करती थी और मैं उसके हाथ के बने खाने की तारीफ करता था.
मैं रोजाना उसकी आदतों को लेकर तारीफ करता रहता था तो वह कहती- आप झूठे हो, मुझे यूं ही बनाते हो.
मैं भी कह देता- चलो झूठ को ही सच मान लो, क्या घट जाएगा!
इस पर वह हंस पड़ती थी.
एक बार उसने मेरे सामने अपना दुखड़ा रोया कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया और वह काफी अकेला महसूस कर रही है.
मैं समझ गया कि इसको क्या अकेलापन लग रहा है.
मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा- तुम मुझसे अपने दिल की बात कह कर अपना मन हल्का कर लिया करो.
उसने मेरी तरफ देखा और वह मेरे कंधे से सर लगा कर लंबी लंबी सांसें लेने लगी.
इसी तरह से वह मेरे साथ काफी क्लोज हो गई थी.
गर्मी की छुट्टी में हम दोनों रोजाना कॉलेज जाते थे और लैब में ही होते थे.
उस दौरान टाइम निकालना मुश्किल होता था क्योंकि हमारे पास कोई काम तो होता नहीं था, बस यूं ही बैठ कर समय गुजार देते थे.
एक दिन सीमा मैडम ने कहा- सर आप रोज मुझे कहते हो कि डेट पर चलो, डेट पर चलो. आज बोलो कहां चलना है!
मैं उसकी इस बात को सुन कर एकदम से स्तब्ध रह गया.
मैंने उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखा.
तो वह बोली- ये बात किसी से नहीं कहना, मैं सच में आपके साथ चलूँगी.
यह कहती हुई वह मेरे पास आकर बैठ गयी.
वह मेरे काफी करीब बैठी थी, बोली- आपने ही तो कहा था कि अपने दिल की बात मुझसे कह कर अपना मन हल्का कर लिया करो!
मैंने उसकी आंख में आंख डालकर देखा और पूछा- क्या सच में डेट पर चलना है?
वह बोली- हां!
मैंने कहा- मालूम है कि डेट पर चलने का अर्थ क्या होता है?
वह हंस दी और बोली- नहीं मालूम है … आप बताओ कि डेट पर चल कर क्या होता है?
जबाव में मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा, तो उसने भी मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया.
मुझे समझ आ गया कि आज यह मुझसे कुछ चाह रही है.
मैंने उसे चूमा, तो वह उठकर गेट के पास गयी और इधर उधर देख कर वापस आ गयी.
आते ही वह मेरी गोद में बैठी और कुछ सेकंड के बाद उठ गयी.
वह वापस दरवाजे के पास चली गयी.
दुबारा से उसने इधर उधर झांक कर देखा और फिर से मेरे पास आकर बैठ गयी.
मैंने उसके गाल पर उंगली फिराई, वह शांत रही.
मैंने उंगली ऊपर से नीचे उसके 36 साइज के मम्मों पर फेरना चालू की, तब भी वह चुप रही.
तब मैंने उसके एक दूध को कसके पकड़ लिया.
उसने एक गहरी सांस ली और हवस भरी निगाहों से मुझे देखने लगी.
अब तक मेरे भी तन बदन में आग लग चुकी थी.
मेरा लंड फनफना रहा था, मेरी भी सांसें तेज हो चुकी थीं.
मैं बार बार लंड पर हाथ रख रहा था.
वह यह नजारा देख रही थी.
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गया.
जैसे ही उसने मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर हाथ रखा, वह ऊपर से नीचे तक सिहर गयी.
उसने अपने होंठों को दांत से काटना शुरू कर दिया और आंख बंद करके लंड को सहलाने लगी.
मैं भी उसकी चूचियों को दबाता हुआ सहला रहा था.
उस दौरान वह अपने होंठों को अपने दांतों से काटती गयी.
उसने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जाता!
मैंने कहा- अभी इधर ही डेट पूरी कर लें?
उसने हां में सर हिला दिया.
मैं झट से उठ कर फिर से दरवाजे पर आया और देखा कि बाहर कोई है तो नहीं.
उधर कोई नहीं था.
मैं वापस आया.
वह खड़ी थी.
मैंने पीछे से उसे पकड़ा और उसकी दोनों चूचियों को कस कसके दबाने लगा.
उसका हाथ मेरे हाथ के ऊपर था.
जब जब मैं उसकी मस्त चूचियों को दबा रहा था, वह इस्स्स आह की आवाज़ निकाल रही थी.
फिर वह झटके से मेरी तरफ घूम गयी और मुझे पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ ले आयी.
वह मुझे किस करने लगी.
उसका किस एकदम वाइल्ड किस था.
वह अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा रही थी, तो कभी हल्के से दांतों से काट रही थी.
उसके दोनों हाथ मेरे गाल पर आ गए थे और वह चुंबन का मजा ले रही थी.
मैंने भी अपने हाथ उसके पीछे किए और उसके दोनों उभरे हुए चूतड़ों को पकड़ कर जोर से दबाया. ताकि उसकी चूत मेरे लंड के करीब आ जाए.
जैसे ही वह मेरे लौड़े से चूत रगड़ने लगी, मैं जोर जोर से धक्का लगाने लगा.
हम दोनों की बेचैनी बढ़ रही थी, क्योंकि अभी तक हमारे जिस्म से जिस्म मिले नहीं थे. कपड़ों के ऊपर से ही ये सब हो रहा था.
उसने कहा- अब आगे बढ़ो न!
मैंने कहा- आगे बढ़ने के लिए कपड़े हटाने पड़ेंगे … हटा दूँ?
वह कुछ कहती कि तभी कोई कॉरीडोर में आता दिखाई दिया.
मैंने उससे अलग होते हुए कहा- यहां कुछ भी करना ठीक नहीं है.
वह भी अपने कपड़े ठीक करने लगी.
हम दोनों अलग अलग होकर बैठ गए और वह कुछ करने लगी, मैं किताब पढ़ने लगा.
थोड़ी देर बाद ही छुट्टी हो गयी थी.
उस दिन इससे अधिक कुछ भी नहीं हो पाया था.
बस यह था कि वह अपनी प्यास मुझसे बुझवाना चाहती थी, यह बात खुल कर सामने आ गई थी.
उसके बाद शाम को करीब 5 बजे सीमा का फ़ोन आया- सर, क्या कल आप छुट्टी कर सकते हो, मैं भी कल ऑफिस नहीं जाऊंगी … दोनों मिलकर कहीं चलते हैं.
मैंने कहा- हां ठीक है. मैं ऑफिस के लिए ही निकलूंगा, पर ऑफिस नहीं आऊंगा.
सीमा बोली- ठीक है, मैं भी वही करूंगी.
हम दोनों ने प्लान बनाया और एक जगह पर मिलने का तय किया.
मैं बाइक से उसी जगह पर पहुंच गया.
वह वहीं पर दुपट्टा से चेहरा ढक कर खड़ी थी.
फिर हम दोनों एनसीआर में एक होटल में गए.
उधर करीब 11 बजे पहुंच गए थे.
कमरा बुक किया.
हम दोनों जैसे ही कमरे के अन्दर पहुंचे, पागलों की तरह एक दूसरे को चाटने लगे.
एक एक करके सारे कपड़े उतार दिए.
अब वह सिर्फ पैंटी में थी और बेड पर लेटी नशीली आंखों से मुझे निहार रही थी.
क्या खूब लग रही थी.
फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को मसलने लगा, उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
हम दोनों के होंठ और गाल लाल हो गए थे.
मैंने उसके होंठों पर जीभ को फिराना शुरू किया और मम्मों से होते हुए नाभि पर, फिर पैंटी के पास पहुंच गया.
फिर एक गहरी सांस लेकर मैंने पैंटी को सूंघा तो मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी.
मेरा तो लंड खड़ा हो गया था, लौड़े के ऊपर से थोड़ा लसलसा सा पानी भी निकलने लगा था.
मैंने उसकी पैंटी खोली तो देखा उसकी चूत भी पानी पानी हो चुकी थी.
उसकी चूत को मैंने थोड़ा फैला कर देखा तो एकदम टाइट चूत थी.
अन्दर का रंग एकदम गुलाबी था.
मैंने जीभ को लगाया तो वह सिहर गयी और गांड हिलाने लगी.
मैं उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा.
वह अपने दोनों हाथ ऊपर करके तकिए को अपनी मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश कर रही थी.
फिर कुछ देर बाद वह अपनी चूत को उछालने लगी.
मैं एक उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
वह काफी ज्यादा कामुक हो चुकी थी, उसके माथे से पसीना निकलने लगा था.
वह कहने लगी- अब बर्दाश्त के बाहर है, मुझे चोद दो … मेरी वासना की पूर्ति कर दो … मेरा मन भर दो … चोद दो मुझे … आज मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ.
तब वह मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
वह ऐसे लंड चूस रही थी कि न जाने कितनी प्यासी हो.
मेरे भी तन बदन में आग लग चुकी थी.
मैं उसकी ज्वाला को शांत करने के लिए तैयार था.
जैसे ही उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला, मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी चूत पर लंड का सुपाड़ा रख दिया और एक ही झटके में अन्दर घुसा दिया.
वह ‘आआ अह मर गई …’ की आवाज़ निकालने लगी.
मैं झटके पर झटके दे रहा था और कुछ ही देर में वह भी मजा लेने लगी.
वह कभी अपने बूब मसलती तो कभी मेरे बालों में उंगली फिराती.
इस तरह से मैंने उसे काफी देर तक चोदा और झड़ कर हम दोनों निढाल होकर सो गए.
करीब एक घंटा बाद जब हम दोनों उठे तो एक दूसरे को चूम कर मुस्कुराने लगे.
बहुत तेज भूख लग आई थी.
फिर नीचे जाकर हम दोनों ने खाना खाया और मैंने वहीं मेडिकल स्टोर से सेक्स समय बढ़ाने वाली दवा ले ली.
अब तो हमारे बीच सेक्स और भी ज्यादा वाइल्ड और हार्डकोर हो गया था.
मैंने उसे हचक कर चोदा. उसकी चूत का सत्यानाश कर दिया.
शाम को ऑफिस के टाइम पर ही होटल से अपने अपने घरों को निकल गए.
उसके बाद मैंने कई बार सीमा को चोदा. कई बार उसके घर जाकर भी उसे चोदा.
कमरे में घुसते ही राम Hindi Sex Stories ने कहा, “सिमरन ये मैं क्या देख रहा हूँ?”
“ओह गॉड! मेरे पति कि आवाज़ है! मुझे जाने दो”, सिमरन अपने आपको जय से छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
“चुप हो जाओ रानी, मैं तुम्हें तभी जाने दूँगा जब मेरा काम हो जायेगा”, जय ने हँसते हुए अपने लंड की रफ़्तार और तेज कर दी।
“राम मुझे जाने दो! नहीं…. मैं तुम्हें नहीं करने दूँगी!” अंजू ने विरोध करते हुए कहा, लेकिन ज़मीन पर कार्पेट पे लेट कर अपनी टाँगें फैला दी।
“अंजू तुम्हें क्या हुआ?” जय ने पूछा।
“आहहहह!!! राम ने अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया है और मुझे चोद रहा है”, अंजू ने जवाब दिया।
“चोदने दो! मैं भी तो उसकी बीवी की गाँड मार रहा हूँ”, जय ने हँसते हुए कहा।
“ओहहहहहहह नहीं!!! मुझे नंगा मत करो प्लीज़, नहीं…. तुमने तो अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया है”, मंजू सिसकी।
“अब तुम क्यों चिल्ला रही हो?” विजय ने पूछा।
“श्याम मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद रहा है”, मंजू ने जवाब दिया।
“चढ़ा रहने दे, मैं भी तो उसकी बीवी पर चढ़ा हुआ हूँ, मजे लो!” विजय ने साक्षी की गाँड में धक्का मारते हुए कहा।
चारों जोड़े चुदाई में मस्त थे। दो बिस्तर पर और दो ज़मीन पर। ऐसा सामुहिक चुदाई का नज़ारा देखने लायक था। थोड़ी देर बाद सब थक कर चूर हो चुके थे। जय और विजय खड़े होने लगे।
“तुम कहाँ जा रहे हो? अभी मुझे और चुदाना है!” साक्षी ने विजय का हाथ पकड़ते हुए कहा।
“नहीं, मैं थक चुका हूँ! अब मुझसे नहीं होगा”, विजय ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम्हें अब मैं चोदूँगा”, राम ने कहा।
“हाँ राम! तुम मुझे चोदो”, साक्षी बोली।
“चोदूँगा जरूर! लेकिन तुम्हें नहीं सिमरन को, तुम्हें श्याम चोदेगा”, राम ने कहा।
“हाँ राम! मुझे चोदो प्लीज़….!” फिर दोनों ने अपने-अपने पति के लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
“अब चलो यहाँ से….. मुझसे सहा नहीं जा रहा है, देखो मेरी चूत कितनी गीली हो गयी है”, प्रीती मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरूम में ले आयी।
वहाँ वो चुदाई में मस्त थे और मैं अपनी प्रीती की जम कर चुदाई कर रहा था। उसके मुँह से सिसकरियाँ फूट रही थीं, “ओहहहहहह हाँ!!!! जोर से!!! ओहहहह तुम्हारे लंड की तो मैं दीवानी हो गयी हूँ!!!! कितने लौड़ों से चुदवा चुकी हूँ पर तुम्हारे लंड का जवाब नहीं।”
थोड़ी देर में हम झड़ कर अलग हुए ही थे कि चुदाई पार्टी हमारे कमरे में आ गयी।
“कैसे रहा तुम लोगों के साथ?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत अच्छा रहा! सिमरन और साक्षी की चूत और गाँड सही में लाजवाब हैं”, जय बोला।
“और तुम दोनों की चूत की खुजलाहट कैसी है?”
“पहले से ठीक है पर अब भी खुजला रही है”, सिमरन ने जवाब दिया।
“जाओ जा कर स्नान कर लो….. ठीक हो जायेगी”, प्रीती ने कहा, “सब लोग तैयार हो जाओ… फिर पिक्चर देखने चलते हैं।”
हम सब लोग तैयार होकर पिक्चर देखने गये और एक अच्छे रेस्तोरां में खाना खाया। घर पहुँचते हुए काफी देर हो चुकी थी। घर पहुँच कर हम सब ड्रिंक्स पीने बैठ गये। बाद में जब सब सोने की तैयारी करने लगे तो प्रीती बोली, “सिमरन और साक्षी तुम आज रात सुनील के साथ सोओगी, और राम और श्याम, अंजू और मंजू के साथ!” प्रीती ने कहा।
“तो हम लोग किसके साथ सोयेंगे?” जय ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम दोनों आज मेरे साथ सोओगे”, प्रीती बोली। प्रीती की आँखों में वासना भरी थी और उसकी आवाज़ नशे में बहक रही थी।
बेडरूम में मैंने जब अपने कपड़े उतारे तो सिमरन सिसकी, “साक्षी! देख तो जीजाजी का लंड कितना लंबा और मोटा है!”
“हाँ यार! ये तो काफी मोटा और लंबा है, सुना है… मोटा लंड चुदाई में ज्यादा मज़ा देता है”, साक्षी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी, “पहले मैं चुदवाऊँगी।”
“नहीं पहले मैं चुदवाऊँगी, पहले मैंने देखा है”, सिमरन बोली। वो दोनों भी नशे में थीं। उन्होंने पहले कभी शराब पी नहीं थी और आज प्रीती के जोर देने पर दोनों ने एक-एक पैग पिया था और उसमें ही दोनों को अच्छा खासा नशा हो गया था।
“झगड़ा मत करो, पूरी रात पड़ी है”, मैंने दोनों को शाँत करते हुए कहा, “सिमरन बड़ी है इसलिये मैं पहले सिमरन को चोदूँगा।”
पूरी रात मैं दोनों को बारी-बारी से चोदता रहा।
सुबह जब मैं उठा तो दोनों लड़कियाँ गहरी नींद में सोयी पड़ी थी। बिना आवाज़ किये मैं कमरे से बाहर आ गया और देखा कि किचन में प्रीती नंगी ही चाय बना रही थी।
“रात कैसी गयी?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत शानदार, दोनों की चूत वाकय में बहुत टाइट है।”
“हाँ मैं जानती हूँ! उनकी शादी हुए ज्यादा अरसा नहीं हुआ है, और तुम्हारे मोटे लंड के लिये तो चुदी हुई चूत भी टाइट है”, प्रीती बोली।
“गुड मोर्निंग भाभी!” अंजू किचन में आते हुए बोली।
“आप दोनों नंगे क्यों हैं? क्या सुबह-सुबह चुदाई कर रहे थे?” मंजू ने हमें नंगा देख कर कहा।
“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, हमने वैसे आज से फैसला किया है कि घर में सब नंगे ही घूमेंगे, कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा”, मैंने कहा।
“अगर ऐसी बात है तो ठीक है”, दोनों ने अपने-अपने गाऊन उतार दिये और नंगी हो गयी।
“हाँ… उम्मीद है कि बाकी भी सब मान जायें”, अंजू ने हँसते हुए कहा, “कितना अच्छा लगेगा जब सब मर्द अपना लंड हवा में उठाये घूमेंगे”, अंजू बोली।
“और हम चूज़ भी कर सकते हैं कि किससे चुदवाना है!” मंजू ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“भाभी! आपने हमारे पतियों के साथ क्या किया है जो अभी तक सो रहे हैं?” अंजू ने पूछा।
“कुछ ज्यादा नहीं किया….. सिर्फ़ उनके लंड से उनके पानी की एक-एक बूँद निचोड़ ली!” प्रीती खिलखिलाती हुई बोली, “अब वो आराम से सो रहे हैं।”
“आओ मंजू देखते हैं, उनका लंड कितना सूखा हुआ है”, अंजू उसे बेडरूम की ओर घसीटती हुई बोली।
आधे घंटे बाद वो दोनों लौटीं, “भाभी! उनके लंड में अभी थोड़ा पानी बचा था जो हमने चूस के निकाल दिया”, मंजू जोर से बोली और बाकी सब को उठाने चली गयी।
हम सब लोग नंगे ही नाश्ता कर रहे थे। “जय और विजय कहाँ हैं?” मैंने पूछा।
“हम यहाँ हैं भैया।” दोनों किचन में नंगे आते हुए बोले। फिर जय और विजय ने राम और श्याम की ओर घूरते हुए कहा, “तो वो तुम दोनों ही हो जिन्होंने हमारी बीवियों का कुँवारापन लूटा था।”
“हाँ लूटा था! तो क्या कर लोगे?” राम भी अकड़ कर बोला। मैं घबरा रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाये। मैंने अंजू और मंजू की ओर देखा।
“सॉरी भैया, भाभी! इन्होंने चालाकी से हमारे मुँह से उगलवा लिया”, मंजू बोली।
इतने में जय बोला, “करेंगे क्या!!! हमने भी तो तुम्हारी बीवियों की चूत और गाँड मारी है”, और हंसने लगा।
माहोल शाँत होते देख मेरी जान में जान आयी। अब तो घर में सब नंगे ही रहते और जो मन में आता उसे पकड़ कर चुदाई करने लगते। सारा दिन शराब और चुदाई चलती…. कौन किसे और कहाँ चोद रहा है कोई परहेज नहीं था। ऑफिस से लौटने के बाद मैं भी शामिल हो जाता था।
एक दिन ऑफिस से लौटा तो देखा कि अंजू के बेडरूम से आवाज़ें आ रही है। सभी लोग वहाँ थे सिवाय राम के।
“प्रीती! राम के साथ बेडरूम में कौन है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम्हारी पहली कुँवारी चूत….. रजनी, आयी थी, टीना की बर्थडे पार्टी के बारे में बात करने, लेकिन इतने सारे खड़े लंड देख कर अपने आप को रोक नहीं सकी और पिछले चार घंटे से सबसे बारी-बारी से चुदवा रही है।” प्रीती ने जवाब दिया। थोड़ी देर बाद राम और रजनी बेडरूम से बाहर आये। “प्रीती! अब मैं चलती हूँ, कल मम्मी के साथ आऊँगी, फिर हम सब फायनल कर लेंगे”, रजनी ने कहा।
“मेरी जान! तुम ऐसे कैसे जा सकती हो? सुनील अभी तो आया है और तुमने उससे चुदवाया भी नहीं है”, प्रीती हँसते हुए बोली।
“सॉरी सुनील… आज नहीं! आज मेरी चूत और गाँड इतनी सुजी हुई है कि अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी, फिर कभी!” ये कहकर वो चली गयी।
सभी लोग रजनी और टीना के बारे में जानना चाहते थे। प्रीती ने पूरी डीटेल में सब कुछ उन्हें बता दिया। दो दिन के बाद योगिता और रजनी आयीं। चार नौजवान और खड़े लंडों को देख कर योगिता के मन में चुदवाने की इच्छा जाग उठी।
“मम्मी! जो काम की बात हम करने आये हैं….. पहले वो पूरा कर लेते हैं, बाद में हम दोनों मिलकर इन सबके लंड का पानी निचोड़ लेंगे”, रजनी ने कहा।
मैंने उन दोनों के लिये ड्रिंक्स बनाये और फिर हमने तय किया कि टीना का जन्मदिन कैसे मनाया जाये। तय ये हुआ कि हम लोग एक पार्टी रखेंगे और योगिता की जवाबदारी होगी कि वो टीना और उसके माता-पिता को पार्टी में लेकर आये।
“अगर एम-डी रीना को भी साथ ले आया तो?” मैंने पूछा।
“तुम उसकी चिंता मत करो, रीना नहीं आयेगी! कारण ये कि आज शाम को वो अपनी मौसी से मिलने जा रही है और टीना के जन्मदिन के बाद ही लौटेगी”, प्रीती ने कहा।
“प्रीती! मुझे लगता है कि तुम्हें खुद सुनीलू और मिली को पार्टी में इनवाइट करना चाहिये”, योगिता बोली।
“ठीक है! मैं ही फोन किये देती हूँ!” प्रीती ने फोन उठा कर एम-डी का नंबर मिलाया।
“एम-डी बोल रहा हूँ”, दूसरी तरफ से आवाज़ सुनाई दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“सर, मैं प्रीती बोल रही हूँ, मैं आपको और मिली को शनिवार की शाम पाँच बजे मेरे घर पर कॉकटेल पार्टी की दावत देने के लिये फोन किया है।”
“शनिवार को हम नहीं आ सकते, उस दिन टीना का जन्मदिन है और मैंने उसे प्रॉमिस किया है कि उसे किसी स्पेशल जगह लेकर जाऊँगा”, एम-डी ने कहा।
“सर! ये तो ठीक नहीं होगा! मेरी दोनों ननदें यहाँ आयी हुई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं”, प्रीती ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा।
“ये तो बहुत अच्छी बात है, मैं भी एक बार फिर उन्हें चोदना चाहता हूँ, लेकिन तुम ये कैसे कर पाआगी?” एम-डी ने कहा।
“सर! उस दिन की पार्टी को आप टीना की बर्थडे पार्टी समझ लिजिये। इससे एक पंथ दो काज़ पूरे हो जायेंगे”, प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए कहा।
“हाँ! ये ठीक रहेगा। हम लोग शनिवार की शाम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे”, एम-डी दूसरी तरफ से बोला।
“तो ठीक है सर! मैं शनिवार को आपका इंतज़ार करूँगी, और हाँ सर टीना और रीना को लाना मत भूलना”, कहकर प्रीती ने फोन रख दिया।
“प्रीती! तुम तो कमाल की चीज़ हो, अब अंकल जरूर आयेंगे”, रजनी ने कहा।
“अब काम खत्म हो गया है, चलो अब मस्ती की जाये”, योगिता अपना ब्लाऊज़ उतारते हुए बोली।
“हाँ मम्मी, चलो चुदाई की जाये!” रजनी बोली। दोनों माँ बेटियाँ शराब के नशे में चूर थीं और उनकी आँखों में वासना लहरा रही थी।
“चलो लड़कों इनकी कपड़े उतारने में मदद करो, और इन्हें कमरे में ले जाकर इनकी सामुहिक चुदाई करो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “ऐसा कम बार होता है कि माँ बेटी साथ में चुदाई करवा रही हों।”
चारों ने मिलकर उनके कपड़े उतारे और दोनों नंगी माँ-बेटी सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने नशे में झूमति हुईं उन चारों के सहारे बेडरूम में चली गयीं। ।
“क्या सोच रहे हो भैया?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“शनिवर का दिन और टीना की कुँवारी चूत के बारे में ही सोच रहा होगा और क्या सोचेगा”, प्रीती ने अपना ग्लास हवा में झुलाते हुए कहा। वो भी नशे में धुत्त थी।
“तुम हमेशा की तरह सही कह रही हो प्रीती”, मैंने कहा और सिमरन और साक्षी को बाँहों में भर लिया। “आओ तुम दोनों मुझे शनिवार की थोड़ी सी प्रैक्टिस करा दो।”
सिमरन और साक्षी को चोदने के बाद मैं शनिवार का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। ऐसा लग रहा था कि समय जैसे थम सा गया हो। जैसे तैसे शनिवार का इंतज़ार खत्म हुआ।
शनिवार की सुबह मैं सोकर उठा तो देखता हूँ कि हॉल का सारा फर्निचर फिर से सजाया हुआ था और बीच में एक बेड बिछा दिया गया था। चारों लड़के नंगे उस पर ताश खेल रहे थे।
“प्रीती कहाँ है?” मैंने उनसे पूछा।
“वो किचन में शाम के लिये नश्त बाना रही है”, राम ने जवाब दिया।
मैं किचन में पहुँचा तो देखा कि वो पाँचों भी सिर्फ सैंडल पहने नंगी ही काम कर रही हैं। “क्या हो रहा है?” मैंने पूछा।
“तुम्हारी स्पेशल दवाई से नाश्ता बना रही हूँ, याद है ना आज तुम्हें टीना की कुँवारी चूत फाड़नी है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“वो तो मुझे याद है, पर हॉल के बीच में ये बेड क्यों बिछाया हुआ है, क्या शाम को कोई शो होने वाला है?” मैंने पूछा।
“हाँ! शो ही तो होने वाला है, हम सब तुम्हें टीना की चूत फाड़ते हुए देखना चाहते हैं, तुम्हें अकेले ही मज़ा नहीं लेने देंगे”, प्रीती ने कहा।
“हाँ! हम सब भी देखना चाहते हैं”, सभी ने मिलकर कहा।
“तो तुम सब मुझे टीना की चूत फाड़ते देखना चाहते हो?” मैंने कहा।
“तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?” प्रीती ने पूछा।
“मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर टीना को शरम आयी और वो ना मानी तो?” मैंने कहा।
“टीना अगर नहीं मानी तो उस समय सोचेंगे, अब तुम जा कर तैयार हो जाओ। रजनी टीना को लेकर आती ही होगी”, प्रीती बोली। मैं नहा धोकर तैयार हो बाहर आया कि दरवाजे पर घंटी बजी। प्रीती ने अपना हाऊज़ कोट पहन कर दरवाजा खोल दिया।
दरवाजे पर रजनी और टीना थी। “थैंक गॉड! तुम लोग आ गये, आओ अंदर आओ…… मैं तो समझी कि कहीं एम-डी को भनक तो नहीं लग गयी”, प्रीती ने रजनी से कहा।
प्रीती उन्हें लेकर हॉल में आयी। टीना बहुत ही सुंदर लग रही थी, उसका चेहरा गुलाब की तरह खिला हुआ था और उसके गुलाबी होंठ…… जी कर रहा था कि अभी आगे बढ़ कर उन्हें चूम लूँ।
टीना ने जब सबको नंगा देखा तो शरमा गयी और अपनी गर्दन झुका कर बोली, “रजनी दीदी! ये सब नंगे क्यों हैं? “
“ये नंगे नहीं हैं, आज ये सब जनब अवस्था में तुम्हारा जन्मदिन स्पेशल तरीके से मनायेंगे”, प्रीती बोली, “आओ आज मैं तुम्हें अपने हाथों से तैयार करती हूँ”, कहकर प्रीती टीना को बेडरूम में ले गयी।
“प्रीती इसकी चूत के बाल साफ करना मत भूलना”, रजनी ने कहा।
“मुझे याद है! नहीं भूलूँगी!” प्रीती बेडरूम में जाते हुए बोली।
“इतनी देर कहाँ लगा दी?” मैंने रजनी से पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“शुक्र करो कि हम लोग पहुँच गये, वर्ना अंकल ने तो सब प्लैन चौपट कर दिया था”, रजनी अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
“अच्छा!!! ऐसा क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“क्या तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगे?” रजनी बोली।
“मैं बाद में उतार दूँगा, मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पहले तुम बताओ क्या हुआ?” मैंने फिर पूछा।
हाई पेन्सिल हील के सैंडलों के अलावा अपने सब कपड़े उतार कर रजनी नंगी हो गयी और उसने बताया:
मैं और टीना तैयार हो कर अंकल के कमरे में पहुँचे और उनसे जाने की इजाज़त मांगी तो वो बोले कि “ऐसी भी क्या जल्दी है, तुम लोग रुको और हमारे साथ ही चलना।”
मुझे काटो तो खून नहीं फिर भी मैं हिम्मत कर के बोली कि “लेकिन अंकल क्यों, हम दोनों जाने के लिये तैयार हैं और आपको अभी कम से कम आधा घंटा लगेगा। हमें जाने दीजिये ना।”
इतने में मिली आँटी हमारे बचाव में आ गयी और बोली कि “जब बच्चे तैयार हैं तो तुम क्यों उन्हें रोक रहे हो, रजनी सही कह रही है हमें अभी आधा घंटा लगेगा, इनके जल्दी जाने में बुराई क्या है?”
अंकल ने कहा कि “तुम सुनील को नहीं जानती, वो मौका मिलते ही टीना की कुँवारी चूत चोद देगा।”
टीना बोली कि “पापा…. ऐसे कैसे चोद देगा, मैं क्या बच्ची हूँ कि जिसका मन जब चाहा मुझे चोद देगा।”
अंकल ने कहा कि “मुझे यही तो डर है कि तुम अब बड़ी हो गयी हो।”
मेरी मम्मी बोली कि “तुम बेकार ही सुनील पर शक कर रहे हो….. जब उसका घर उसके मेहमानों से भरा पड़ा है तो वो टीना की चूत कैसे फाड़ेगा? फिर तुम भी तो वहाँ जा ही रहे हो।”
अंकल बोले कि “ठीक है! जाओ बच्चों इंजॉय करो और सुनील से कहना कि हम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे।”
मैंने रास्ते में टीना से पूछा कि “क्या तुम अपनी चूत चुदवाने के लिये तैयार हो”, तो उसने हाँ में जवाब दिया।
रजनी की बात सही थी। प्रीती और टीना ने हॉल में कदम रखा। दोनों ने सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहन रखे थे, बाकी बिल्कुल ही नंगी थीं। टीना ने अपने हाथों से अपनी सफ़ाचट चूत छुपा रखी थी।
“अपनी गोरी और प्यारी चूत को मत छुपाओ टीना, इन सबको तुम्हारी चूत देखने दो”, रजनी बोली।
उसकी गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड में तनाव आ गया। जैसे ही मैं अपने कपड़े उतार कर नंगा हुआ, मेरा लंड तन कर आसमान की तरफ खड़ा हो गया। मेरे लंड का सुपाड़ा एक नयी चूत की तमन्ना में और ज्यादा फूल कर लाल हो गया।
“वाओ!!!! क्या लंड है”, अंजू बोली।
“ये क्या बुरा है?” जय ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा।
“बुरा तो नहीं है पर छोटा है”, कहकर अंजू ने जय के लौड़े को चूम लिया।
प्रीती टीना को ले कर मेरे पास आयी और उसे मेरी और ढकेल कर बोली, “लो अब…. आज की बर्थडे गर्ल को संभालो और इसका अच्छी तरह से जन्मदिन मनाओ।”
मैं टीना को अपनी बाँहों में भर कर चूमने लगा। मेरे हाथ उसकी चूचियों को भींच रहे थे। मैंने उसे धीरे से गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके बगल में लेट गया। अब मैं उसके होंठों को चूस रहा था और हाथों से उसके मम्मे सहला रहा था।
कुछ देर तक तो टीना ने साथ नहीं दिया। फिर वो भी साथ देने लगी और वो भी मेरे होंठों का रसपान कर रही थी। वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरी जीभ से खेलने लगी।
पाँच मिनट बाद मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उसने अपनी टाँगें इकट्ठी की हुई थी। मैं जोर-जोर से उसके होंठों को चूसते हुए अपना लंड और जोर से रगड़ने लगा। “आआआआआहहहहहहह” कहकर उसने अपनी टाँगें थोड़ी खोल दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“सुनील अब प्लीज़!!!! मुझे इस तरह तरसाओ नहीं, मेरी चूत में अब लंड डाल दो ना….. मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर उसने अपनी टाँगें पूरी फैला दीं।
“थोड़ा सब्र करो मेरी जान!!! अभी घुसाता हूँ”, कहकर मैंने चारों तरफ देखा। प्रीती और रजनी हमें देख रही थी और बाकी सब एक दूसरे के शरीर को सहला रहे थे। इतने में दरवाजे की घंटी बजी।
“सब लोग ध्यान दो! अब चूत फटने की घड़ी आ गयी है”, प्रीती बोली और अपना हाऊज़-कोट पहनते हुए दरवाजा खोलने गयी।
मैं देख तो नहीं सकता था पर मुझे सुनाई दिया, “आइये सर, योगिता, मिली जी….. आप सब का हमारे घर में स्वागत है”, प्रीती ने उनका अभिवादन किया।
मैंने अपने लंड को टीना की चूत के छेद पर रख कहा, “थोड़ा सहन कर लेना डार्लिंग! शुरू में थोड़ा दर्द होगा।” उसने हिम्मत दिखते हुए सहमती में ‘हाँ’ कहा।
मैंने अपने लंड का जोर का धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया।
“आआआआआआआआआईईईईईई मर गयीईईई बहुत दर्द हो रहा है…..” टीना दर्द के मारे चींखी। मैंने अपना लंड धीरे- धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया।
“क्या बहुत दर्द हो रहा है?” मैंने उसकी चूचियों को सहलाते हुए कहा।
“हाँ थोड़ा हो रहा है पर तुम रुको मत और मुझे चोदते जाओ”, उसने अपने कुल्हे उठाते हुए कहा।
“ये कौन चींख रहा है?” एम-डी ने पूछा।
“मुझे तो टीना की आवाज़ लग रही है”, मिली बोली।
“हाँ वो टीना की आवाज़ ही है, मुझे लगता है कि सुनील ने टीना को उसके जन्मदिन का तोहफ़ा दे दिया है”, योगिता हँसते हुए बोली।
“ओह गॉड! सुनील ने मेरी टीना की चूत फाड़ दी!!!” कहते हुए एम-डी हॉल की ओर लपका। पीछे तीनों औरतें भी आयी।
मैं टीना की चूत में धीरे-धीरे धक्के मार रहा था और वो कमर उचका कर मेरा साथ दे रही थी।
“सुनील रुक जाओ!!! ये मेरी बेटी है!!!” एम-डी जोर से चिल्लाया।
“सुनील! ये तुम क्या कर रहे हो?” मिली ने बेवजह पूछा।
“मिली! क्या तुम अंधी हो गयी हो? देख नहीं सकती कि सुनील टीना की चुदाई कर रहा है”, योगिता जोर से हँसते हुए बोली।
“योगिता, जिस तरह से तुम हँस कर बोल रही हो उससे तो यही लगता है कि तुम पहले से जानती थी कि क्या होने वाला है?” एम-डी गुस्से में बोला।
“हाँ! मैं जानती ही नहीं थी बल्कि ये सब मैंने ही प्लैन किया था।”
“तुमने ऐसा क्यों किया योगिता, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?” एम-डी बोला।
“अपनी बे-इज्जती का तुमसे बदला लेने लिये”, योगिता बोली।
“तुम्हारी बे-इज्जती? मैंने कब तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार किया?”
“मुझे कब बे-इज्जत किया? भूल गये वो होटल शेराटन की शाम…. जब तुमने मेरी चूत को अपने बाप की जायदाद समझ कर सुनील को पेश की थी। मुझसे पहले पूछा भी नहीं और जब मैंने मना किया तो तुमने मुझे रजनी की चूत फाड़ देने की धमकी दी जबकि तुम उसको कुछ दिन पहले ही चोद चुके थे….” योगिता ने नफ़रत भरे शब्दों में कहा।
“क्या?? तुमने अपनी बेटी समान भतीजी को चोदा? मैंने तुमसे ज्यादा बेशर्म इंसान नहीं देखा!” मिली उसे घूरती हुई बोली।
“मिली डार्लिंग! इन लोगों ने मेरे साथ छल किया था, मुझे नहीं मालूम था कि वो रजनी है”, एम-डी ने धीरे से कहा।
“अब तुम कुछ भी कहो….. तुम इतने गिरे हुए इंसान हो कि कल अपनी बेटियों को भी चोदना चाहोगे!” मिली पलटते हुए नफ़रत से बोली।
“मेरा विश्वास करो मिली, ये सब प्रीती और सुनील की चाल थी।”
“ये सही है कि इसे पता नहीं था कि वो रजनी है पर इसे मेरे साथ ऐसा करने का क्या हक है? ” योगिता बोली।
“क्या तुम्हें सुनील के लंड से मज़ा नहीं आया?” एम-डी ऊँची आवाज़ में बोला।
“मज़ा आया तो क्या, सवाल हक का है”, योगिता भी ऊँचे स्वर में बोली।
इससे पहले कि बात झगड़े का रूप ले लेती, प्रीती बीच में बोली, “तुम लोग सब चुप हो जाओ….. प्लीज़ सब शाँत हो जायें।”
जब सब शाँत हो गये तो उसने पूछा, “क्या आप लोगों ने सुना टीना ने क्या कहा?” उन्होंने ना में गर्दन हिलायी।
“टीना! तुमने क्या कहा था…. जरा दोबारा तो कहना!” प्रीती ने टीना से कहा।
“ओह सुनील! तुम रुक क्यों गये, कितना अच्छा लग रहा था, और चोदो ना…..” टीना ने सिसकते हुए कहा।
“सॉरी मेरी जान! मैं थोड़ा भटक गया था”, कहकर मैं अपना लंड फिर अंदर बाहर करने लगा।
“जो होना था सो हो गया….. अब झगड़ने से कोई फ़ायदा नहीं है। टीना की चूत फट चुकी है और वो मज़े से चुदवा रही है। उसे मज़ा लेने दो और आप लोग भी मज़ा लो”, प्रीती ने कहा, “लड़कियों! यहाँ आओ।” जब लड़कियाँ नज़दीक आयीं तो उसने उनका एम-डी से परिचय कराया, “सर! ये सिमरन और साक्षी हैं, अंजू और मंजू से तो आप मिल ही चुके हैं।”
टीना और झगड़े को भूल कर एम-डी ने उनकी चूचियाँ दबाते हुए कहा, “काफी सुंदर और मस्त हैं।”
“ऊऊऊऊहहहह!” वे सिसकी।
“तो मेरी तितलियों….. बताओ तुम्हारी चूत कैसी है?” एम-डी ने उनकी चूत को रगड़ते हुए पूछा।
“भट्टी की तरह गरम!” सिमरन ने अपना पैग पीते हुए कहा।
“और आपके लंड की प्यासी……” साक्षी ने एम-डी के लंड को दबाते हुए कहा। बाकियों की तरह दोनों पर शराब का नशा सवार था।
“तो तुम दोनों में पहले कौन चुदवाना चाहेगा?” एम-डी ने पूछा।
“पहले मैं चुदवाऊँगी”, साक्षी एम-डी को पकड़ बोली।
“नहीं मैं बड़ी हूँ…… पहले मैं!” सिमरन बोली।
“अच्छा झगड़ा मत करो, बेडरूम में चल कर तय करेंगे कि कौन पहले चुदवायेगा”, कहते हुए एम-डी उन्हें ले कर बेडरूम में चला गया। नंगी अंजू और मंजू भी ऊँची ऐड़ी की सैंडल खटखटाती और नशे में झूमती उनके पीछे-पीछे चली गयीं।
“योगिता और मिली! ये चार तने-खड़े लंड तुम लोगों के लिये हैं, चाहे जैसे चुदवा सकती हो”, प्रीती ने चारों लड़कों की ओर इशारा करके कहा।
उनके खड़े लंड को देख कर मिली ये भूल चुकी थी कि उसकी बेटी की चूत अभी-अभी चुदी है और वो मज़े से चुदवा रही है। मैंने देखा कि योगिता और मिली ने मिल कर इतनी सी देर में व्हिस्की की एक पूरी बोतल पी ली थी और बाकी औरतों की तरह अपने हाई हील के सैंडलों के अलावा सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थीं।।
जय और श्याम के लंड पकड़ कर मिली बोली, “काफी मोटे और लंबे हैं, योगिता तुम बाकी दो को लेकर बेडरूम में आ जाओ हम दोनों मिलकर इनका सारा रस निचोड़ लेंगे।” मिली की आवाज़ नशे में बहक रही थी।
“ये चार लंड हैं, तुम दोनों भी हमारा साथ क्यों नहीं देती?” योगिता ने प्रीती और रजनी से कहा।
“नहीं हम लोग यहीं ठीक हैं…. सुनील टीना को चोदने के बाद हमारा खयाल रखेगा”, प्रीती ने कहा।
योगिता राम और विजय को लंड से पकड़ कर नशे में लड़खड़ाती हुई मिली के पीछे बेडरूम में चली गयी।
ये सब तो चल ही रहा था और मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
“ओहहहह सुनील हाँआंआं आऔर जोर से, चोदो मुझे…..” टीना सिसकी।
मैं और तेजी से धक्के मारने लगा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाँआआआआ ऐसे ही….ईईई……. कितना अच्छा लग रहा है!!!!” टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।
मैं उसे चोदते हुए उसके मम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को चूस रहा था। “ओहहहहहहह सुनील हाँ!!!!! ऐसे ही!!!!! ओहहहहह मेरा छूटने वाला है….. ओहहहह छूटा…आआआआ।” और इतने में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मुझे लगा जैसे किसी नदी पर बांध को खोल दिया हो।
मैंने अपने स्पीड और तेज कर दी। “ओहहह टीना तुम्हारी चूत कितनी प्यारी है… रानी!!!” कहते हुए मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में उढ़ेल दिया और उसे कस कर बाँहों में जकड़ लिया। मेरे लंड की पिचकारी ठीक उसकी बच्चे-दानी पर गिर रही थी। मैंने उसे चोदना चालू रखा।
“टीना! जब तुम्हारी चूत से पहली बार पानी छूटा तो तुम्हें कैसा लगा?” रजनी ने पूछा।
“दीदी! बहुत अच्छा लगा, ऐसा लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ….” टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।
“लगता है मेरा फिर छूटने वाला है”, कहते हुए टीना ने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ दीं। उसके सैंडलों की ऐड़ियाँ मेरी कमर पे खरोंच रही थीं। मुझे भी अपने लंड में तनाव सा महसूस हुआ। वो मुझे बाँहों में जकड़ कर जोर-जोर से चिल्ला रही थी, “हाँ हाँ सुनील!!!! और तेजी से धक्के मारो…..हाँ और जोर से!!!!” और उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। मेरा भी पानी छूट गया और हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में जकड़े अपनी साँसें संभालने लगे।
“ओह सुनील!!!! अब मुझे चोदो”, प्रीती बिस्तर पर धड़ाम से गिरते हुए बोली, “रजनी !अंदर से किसी लड़के को बुलाओ जो टीना की चूत को चोद सके।” प्रीती और रजनी भी नशे में धुत्त थीं।
जैसे ही मैंने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसाया तो मैंने देखा कि जय टीना पर चढ़ कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा रहा है।
“क्या ये भी मुझे चोदेगा?” टीना ने फूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ये ही नहीं बाकी सब भी तुम्हें चोदेंगे!” प्रीती बोली।
प्रीती को चोदने के बाद मैंने रजनी को भी चोदा। इतने में मैंने प्रीती को कहते सुना, “राम! तुम ये क्या कर रहो हो।“
“टीना की गाँड मारने की तैयारी कर रहा हूँ”, राम ने जवाब दिया।
“नहीं! टीना की गाँड मारने का पहला हक सिर्फ़ सुनील का है, तुम इसकी चूत चोदो जैसे औरों ने चोदा है….” प्रीती ने नशे में लड़खड़ाते से स्वर में जवाब दिया।
मेरे कहने पर राम ने टीना की चूत की चुदाई शुरू कर दी।
मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि एम-डी सिमरन की चुदाई कर रहा था और दूसरे कमरे में श्याम और विजय योगिता और मिली को चोद रहे थे। अंजू और मंजू भी एक दूसरे की चूत चाट रही थीं और कामुक्ता से कराह रही थीं। उन सबकी सिसकरियाँ और मादक चींखें बता रही थी कि उन्हें बहुत मज़ा आ रहा है।
“सुनील! क्या तुम टीना की गाँड मारने को तैयार हो?” प्रीती ने पूछा।
“एक दम डार्लिंग!” मैंने अपने खड़ा लंड दिखाते हुए कहा।
“तो फिर किसका इंतज़ार कर रहे हो? शुरू हो जाओ!” रजनी बोली।
मैं टीना के पास आकर उससे बोला, “चलो टीना! अब घोड़ी बन जाओ….. मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा।”
“नहीं सुनील! गाँड में नहीं!!!” टीना ने याचना भरे स्वर में कहते हुए प्रीती और रजनी की ओर देखा।
“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी!!!!” प्रीती बोली। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“नहीं दीदी! मैं मर जाऊँगी, सुनील का लंड कितना बड़ा और मोटा है”, टीना बोली।
“क्या मैं और प्रीती मर गये जो तू मर जायेगी, अब जैसा सुनील बोलता है वैसा कर”, रजनी बोली।
टीना घोड़ी बन गयी और मैंने थोड़ा थूक लेकर उसकी गाँड के भूरे छेद पर रगड़ दिया। अपने लंड को छेद पर रख कर थोड़ा जोर लगाया कि वो जोर से चिल्लायी, “ओहहहहह मर गयीईईई….. सुनील मेरी गाँड को बख्श दो!!!!”
“छोड़ो मुझे!!! उठो मेरे ऊपर से…… मुझे सुनील को टीना की गाँड मारने से रोकना है”, एम-डी की चिल्लाने की आवाज़ आयी।
“मारने दो उसकी गाँड!!!! इधर मेरा छूटने वाला है”, सिमरन ने एम-डी को पकड़ते हुए कहा।
एम-डी सिमरन को जबरदस्ती अलग करते हुए हॉल में दाखिल हुआ। उसके पीछे चारों लड़कियाँ भी नशे में झुमती हुई आयी। “रुक जाओ सुनील!!! टीना की गाँड मत मारना, मैं कहता हूँ रुक जाओ?” एम-डी जोर से चिल्लाया।
उसकी चिल्लाहट पर ध्यान ना देते हुए मैंने पूरे जोर से अपना लंड टीना की गाँड में घुसा दिया। जैसे ही लंड उसकी गाँड को चीरता हुआ अंदर तक गया तो टीना दर्द से छटपटाने और जोर से चिल्लाने लगी, “मर गयीईई, सुनील निकाल लो!!!! बहुत दर्द हो रहा है…. ऊऊऊऊईईईई माँआआआआ!”
एम-डी ने जब देखा कि मैं उसकी बातों पे ध्यान नहीं दे रहा तो वो दूसरे में कमरे में भागा, “मिली तू यहाँ चुदवा रही है और दूसरे कमरे में सुनील हमारी बेटी की गाँड मार रहा है।”
“किसे परवाह है….. मारने दो उसे उसकी गाँड, मुझे चुदवाने में मज़ा आ रहा है”, वो अपने कुल्हे उठा कर चुदवाते हुए बोली, “हाँ ऐसे ही…. और जोर से।” साफ ज़ाहिर था कि मिली को शराब और चुदाई के नशे में अपनी मस्ती के अलावा किसी भी बात की परवाह नहीं थी।
“सुनीलू अब कुछ नहीं हो सकता, सुनील का लंड उसकी गाँड को फाड़ चुका है। जाओ और जा कर चूत के मज़े लो… अगर तुम में ताकत बची हो तो….” योगिता जोर से हँसते हुए बोली।
“टीना की गाँड भी इसे चार चूतों को चोदने से नहीं रोक सकती….. जब तक कि इसमें ताकत ना रहे और ताकत के लिये ये अपनी दूसरी बेटी की चूत को भी चुदवा सकता है”, मिली जोर से बोली, “क्यों ठीक बोल रही हूँ ना डार्लिंग! जाओ और अब चुदाई के मज़े लो और हमें भी मज़े लेने दो…।”
एम-डी बिना एक शब्द कहे कमरे से बाहर आ गया और लड़कियाँ उसे लेकर वापस बेडरूम में घुस गयीं। जब मैं टीना की गाँड मार कर अलग हुआ तो रजनी ने उससे पूछा, “टीना! क्या गाँड मरवाने में मज़ा आया?”
“दीदी! शुरू में दर्द हुआ था लेकिन बाद में मज़ा आया”, टीना बोली।
“चलो लड़कों! अब तुम सब टीना की गाँड मार सकते हो”, प्रीती ने आवाज़ लगायी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
सभी ने फिर बारी-बारी से टीना की गाँड मारी। हम सब आराम कर रहे थे कि एम-डी की आवाज़ सुनाई दी, “बस लड़कियों! अब मेरे लंड में और ताकत नहीं है, मैं घर जाऊँगा।” एम-डी कपड़े पहन बाहर आया और मिली के पास पहुँचा।
“मिली! चलो घर चलो।”
“तुम्हें जाना है तो जाओ मेरा अभी हुआ नहीं है।” मिली अपने कुल्हे उछालती हुई बोली, “हाँआआआ राम और जोर से चोदो….. ओहहहह आआआहहह।”
“मैंने कहा ना कि चलो यहाँ से!!!! राम छोड़ो उसे, हमें घर जाना है”, एम-डी ने थोड़ा गुस्से में कहा।
राम ने उसकी बातों पे ध्यान दिये बिना दो चार धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
“योगिता! तुम भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती? सुनीलू के लंड में तो जान नहीं है…. शायद हम दोनों मिलकर कुछ कर सकें”, मिली लड़खड़ाते स्वर में बोली।
“ठीक है! चलती हूँ पर पहले मुझे खलास तो होने दो…” योगिता बोली, “हाँ श्याम चोदो मुझे जोर से….. और जोर से…… मेरा छूटने वाला है।”
श्याम भी छूटने के करीब था और दो चार धक्कों के बाद वो उसके बदन पर निढाल पड़ गया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“साथ में मिलकर कुछ करेंगे???” टीना ने पूछा।
“थोड़े दिनों में तुम सब जान जाओगी”, रजनी ने कहा।
थोड़ी देर बाद में योगिता और मिली ने नशे में झूमते हुए जैसे-तैसे अपने कपड़े पहने और एम-डी के साथ जाने के लिये तैयार हो गयीं। “टीना! कपड़े पहनो और हमारे साथ चलो”, एम-डी कड़क कर टीना से बोला। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
टीना सोच में पड़ गयी और चारों तरफ देखाने लगी पर उसकी मदद में कोई कुछ नहीं बोला। वो ही हिम्मत करके बोली, “पापा! आप लोगों को जाना है तो जाओ…. मुझे यहाँ अच्छा लग रहा है।” उसकी बातों को सुन हम सब ने ताली बजा कर स्वागत किया।
“सुनीलू!!! टीना इक्कीस की हो गयी है और वो जो चाहे कर सकती है, और वैसे भी सुनील उसकी गाँड और चूत दोनों फाड़ ही चुका है। वो और चुदवाना चाहती है तो उसे रहने दो”, मिली एम-डी को घसीटती हुई बाहर ले गयी। Hindi Sex Stories
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