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मैं दो हफ्ते के लिए मौसी के घर आई थी.
इस दौरान रोज रात को सर का कॉल आता और वे मुझसे सेक्सी बातें करते.
मैं सारी बातें उसकी बहन को भी बताती और समीर को भी ऑडियो सेंड कर देती थी.
एक दिन सर ने वीडियो कॉल किया और मेरे सामने नग्न हो गए.
मैंने भी उनको अपने बूब्स दिखाए और हम दोनों ने वीडियो कॉल पर अपना अपना पानी निकाल दिया.
यह सब मैंने समीर को और सुमन को बताया.
बाद में मैं वापिस आई तो कॉलेज गई.
उस दिन मैंने जानबूझ कर जांघों तक आने वाला स्कर्ट और टाइट शर्ट पहनी थी.
जब सर ने मुझे देखा तो आखिरी वाले पीरियड में मुझे लैब में बुला लिया.
मैंने सुमन से कहा- तेरे भैया ने मुझे लैब में बुलाया है.
वह हंस कर बोली- हां, चली जा न और भैया के साथ मजा कर!
मैं वहां गई तो लैब खाली थी, बस सर थे.
सर ने जाते ही गले लगा लिया और कहने लगे- अरे मेरी मेघा रानी, कहां थी तू … तेरे बिना मैं कितना बेचैन था!
यह सब कह कर वे मुझे किस करने लगे.
‘उम्म स्स्स …’ की आवाजें आने लगीं.
‘सर, कोई आ जाएगा!’
‘अरे इस टाइम यहां कोई नहीं आएगा.’
यह कह कर सर ने मेरे बूब्स पकड़ कर मरोड़ दिए.
‘आआह सर आराम से … ये संतरे आपके लिए ही हैं उम्म स्स्स्स धीरे मसलो न!’
यही सब कहते हुए मैंने सर का लंड पकड़ लिया.
उनका लंड एकदम टाइट था.
मैं- क्या बात है सर ये छोटे नवाब कैसे अकड़ कर खड़े हैं!
मैं कुर्सी पर बैठ गई.
सर मुझे किस करते रहे और उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए.
मेरे बूब्स ब्रा में कैद थे.
वे ब्रा को ऊपर करके मेरे एक दूध को चूसने लगे और दूसरे को मसलने लगे.
सर चूस कम रहे थे, काट ज्यादा रहे थे.
मैं दर्द से कराह उठी- आह इस्स्स्स आह … काटो मत जानू … आह लगती है.
पर वे कहां कुछ सुनने वाले थे.
उनका एक हाथ मेरी पैंटी में घुस गया और मेरी रस छोड़ती चूत में उंगली जाने लगी.
मैंने भी अपनी दोनों टांगें खोल दीं और मजा लेने लगी.
कुछ देर बाद उन्होंने मेरी टांगों को चिपकाया और पैंटी खींच कर नीचे कर दी.
वे कुर्सी के सामने बैठ गए और मेरी चूत में जीभ डाल कर चूसने लगे.
‘अअह उम्म … सर बहुत अच्छा लग रहा है और चाटो आह … म्मम्म सर जल्दी से मेरी चूत बस झड़ने वाली ही है … मुझे चुदाई के बिना आराम नहीं मिलेगा. आज रात को मैं आपको अपनी चूत के साथ एक सरप्राइज भी दूंगी … अभी बस झाड़ कर छोड़ दो … अभी इतना काफी है.’
मैं कुछ ही देर में झड़ गई तो सर से अलग होने लगी.
‘जान मेरा लंड अभी भी खड़ा है, उसका क्या करूँ?’
‘मैं हूँ न!’
मैंने खड़े होकर सर की पैंट नीचे की और उनके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
‘उम्म आह मेघा मेरी जान … चूस लो आह इतना मिस किया तुझे!’
मैं बिना कुछ सुने सर का लंड चूसे जा रही थी.
थोड़ी देर में उन्होंने अपने लंड का पानी छोड़ दिया तो मैंने हाथ पर वीर्य लेकर अपने मम्मों पर मसल लिया.
फिर सर ने मुझे छोड़ दिया और मैं अपने कपड़े पहन कर वापस क्लास में आ गई.
मैं सुमन के साथ बैठ गई.
सुमन ने पूछा- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं, तेरे भैया का पानी चूस कर निकाल दिया. आज रात तेरे घर आऊंगी, तो हमारी चुदाई लाइव देख लेना और रिकॉर्ड भी कर लेना.
वह- ठीक है.
फिर शाम को मैं सुमन के घर चली गई और हमने डिनर किया.
रात को सर आए तो मुझे आया देख कर खुश हो गए.
जब सुमन किचन में थी, तो सर ने पूछा- सुमन का क्या करेंगे?
मैंने कहा- मैंने सब सोच लिया है. रात को चाय बनाएंगे, तो उसे नींद की गोली दे देंगे.
सर राजी हो गए.
मैंने तो सुमन को अपना प्लान पहले ही समझा दिया था.
रात को मैंने चाय बनाई और सुमन ने चाय पीने के बाद सोने का नाटक करना शुरू कर दिया.
फिर ग्यारह बजे मैंने सुमन से कहा- मैं जा रही हूँ, तू खिड़की से देख लेना और रिकॉर्ड भी कर लेना.
उसने कहा- ठीक है.
मैं सर के कमरे में गई तो सर मुझे आया देख कर खुश हो गए.
मैंने चादर से अपना सारा बदन ढक रखा था.
‘ये चादर क्यों ओढ़ रखी है?’
‘इसमें खजाना है.’
वे बोले- मैं लूटूँगा उस खजाने को!
मैंने चादर छोड़ दी. मैं अन्दर से एकदम नंगी थी.
वे मुझे देखते ही रह गए.
अगले ही पल वे मेरे पास आकर मुझे चूमने लगे.
मैंने उनको बिठाया और उनके कपड़े उतारे. उनका लंड पकड़ कर मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
‘ऊऊह ओह मेघा कितना अच्छा चूसती हो यार … कितनी ऑसम हो! अच्छा लग रहा है … चूसती रहो!’
मैं उनका लंड पूरा मुँह में लेकर अन्दर बाहर कर रही थी और उनके बॉल्स भी चूस रही थी.
सर मेरे निप्पल पकड़ना चाह रहे थे, पर मैंने उनके साथ साइड में झटक दिए.
‘सर इस सुहाने पल को आंखें बंद करके महसूस कीजिए बस.’
तब सर ने अपना हाथ मेरे सिर पर रखा और मेरे मुँह में लंड को अन्दर बाहर करने लगे.
‘अअह मेघा रानी मेरा पानी निकल जाएगा!’ वे कॉलेज गर्ल की सेक्स की हवस का मजा ले रहे थे.
‘निकल जाने दीजिए … मैं हूँ न दुबारा से आपका लंड खड़ा कर दूँगी.’
बस यह सुनते ही सर ने हथियार डाल दिए.
उनके लंड से एक तेज पिचकारी मेरे गले में आ लगी.
अब सर ने आंखें खोल दीं.
‘सर अच्छा लगा आपको!’
‘बहुत अच्छा जान.’
‘दो हफ्ते से आपसे दूर थी, आज उसकी पूरी भरपाई कर रही हूँ. अब आप अपनी जीभ का कमाल दिखाइए.’
सर ने मेरे होंठ चूमे, फिर गर्दन चूमते हुए मेरे बूब्स पर पहुंच गए.
‘उम्मम्म … अच्छे से चूसिए … आपके लिए ही हैं. कितने दिन से अपने ये आम आपसे चुसवाने को तड़प रही थी.’
सर मेरे एक दूध के निप्पल मरोड़ रहे थे और दूसरे को मुँह में लेकर चूस रहे थे.
फिर वे पहला निप्पल चूसने लगे और दूसरा मरोड़ने लगे.
उसके बाद वे मेरी नाभि चाटने लगे और दोनों हाथों से मेरे दोनों निप्पल मरोड़ने लगे.
उसके बाद सर नीचे आ गए और चूत पर किस करके उसे चाटने लगे.
‘अआ अह स्स्स्स सर … बहुत प्यासी है मेरी चूत … आह खा जाओ इसे … जीभ डालो न चूत में आह.’
सर जीभ चूत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगे.
मेरा रस छूटने लगा और थोड़ी देर बाद मैंने अपने शरीर को समेटना शुरू कर दिया.
मेरा सारा पानी सर ने चाट लिया था.
अब हम दोनों साथ में लेट गए.
सर मेरे मम्मों से खेलने लगे और वे मुझे किस करते रहे.
‘जब दो हफ्ते तक तुम नहीं थी तो रोज रात को याद करते हुए लंड हिलाता था.’
‘सच में सर … तभी उस दिन वीडियो कॉल पर इतना सारा पानी निकला था आपका. अभी तो आपको मजा आ रहा है न!’
‘अरे बहुत, इतना मजा कभी नहीं आया.’
थोड़ी देर के बाद हम दोनों 69 में आ गए और सर ने मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया.
वे अपनी जीभ को चूत में अन्दर बाहर करने लगे.
मैंने भी उनका लंड और बॉल्स चूसना शुरू कर दिया था.
लगातार चुसाई के कारण हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे.
‘सर अब रहा नहीं जाता, इस चूत को अपने हथियार से चोद कर ठंडी करो न!’
सर ने मुझे गोद में बिठाया और होंठ चूसने लगे. वे लंड से चोदने लगे.
मैं मादक आवाजें निकाल रही थी.
‘स्स्स्स उम्म …’
सर ने मेरे मुँह में जीभ डाल दी और मुँह को भी चोदने लगे.
उसके बाद वे मेरी जीभ चूसने लगे.
बीच बीच में मेरे निप्पल मसल देते गांड पर हाथ फेरते हुए लगातार चूत चुदाई तो चल ही रही थी.
करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद उनका पानी निकलने वाला हो गया था.
मेरा पानी दो बार निकल चुका था.
मैंने उनका लंड अपने मुँह में लेकर पानी निकलवाया, फिर साथ में लेट कर सो गए.
वह मेरी तारीफ करते रहे और हम दोनों नंगे ही सो गए.
रात को तीन बजे सर ने मुझे उठाया- मेघा उठो!
‘क्या हुआ सर?’
‘मुझे तुम्हें और चोदना है.’
‘सर सारी रात से चोद रहे हो, अभी मन नहीं भरा क्या?’
‘तेरे से मन कहां भरता है!’
‘तो अब नंगी पड़ी हूँ, जो चाहे कर लो.’
‘ओह मेरी जान कितनी प्यारी है.’
‘सर, एक मिनट रुको, मैं वॉशुरूम जाकर आती हूँ.’
मैं बाहर गई नंगी ही और सुमन को उठाया.
मैं बोली- सुमन उठ.
‘क्या हुआ और तुम नंगी क्यों हो?’
‘तेरा भाई मुझे दोबारा चोदेगा, चल.’
वह भी तैयार हो गई.
मैं वापिस गई तो जाकर सर का लंड मुँह में ले लिया.
थोड़ा बहुत वीर्य अभी लंड पर चिपका हुआ था.
मैंने अच्छे से लंड चूसा.
फिर सर ने मेरे होंठ चूसे गर्दन चूमी, बूब्स चूसे, आर्मपिट, नाभि चाटी, जाँघें चाटी और चूत भी चाटी.
उसके बाद लंड को झटके से पेल दिया.
न जाने क्यों इस बार मेरी चीख निकल गई- आआह सर बस करो!
सर नहीं रुके और धकापेल चोदते रहे.
काफी देर तक जबरदस्त चुदाई के बाद उन्होंने मेरे मम्मों पर पानी छोड़ दिया.
उसके बाद सर कपड़े पहन कर सो गए और मैं सुमन के साथ आकर लेट गई.
सुबह जब मैं उठी तो मैंने कह दिया- मेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं कॉलेज नहीं जाऊंगी.
सुमन भी बोली- हां भैया, मैं भी नहीं जाऊंगी.
मैंने सर से धीमे से कहा- शायद नींद की गोली से ऐसा हुआ होगा!
वे हां में सर हिलाने लगे.
उसके बाद सर कॉलेज चले गए तो हम दोनों घर पर अकेली रह गई थीं.
सर के जाने के बाद हमने बातें की और साथ में बैठ कर रात की चुदाई देखी.
चुदाई देखते देखते सुमन गर्म हो गई और उसने मेरी जांघ पर हाथ रखा और मुझे किस किया.
मैंने भी उसको किस में पूरा साथ दिया.
उसने टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे दूध मसले और मुझे लिटा दिया.
साथ ही उसने अपनी टी-शर्ट और पजामा उतार दिया.
फिर मेरी टी-शर्ट उतार कर मुझे भी नंगी कर दिया.
वह मेरे बूब्स चूसने लगी और मैं उसके बूब्स मसलने लगी.
मैं कुछ देर बाद उसकी चूत पर आ गई और चाटने लगी, चूत में उंगली डालनी शुरू कर दी.
हम दोनों 69 में आ गई और एक दूसरी की चूत चाटने लगी.
बूब्स और चूत चाट कर एकदम गीली कर दी.
फिर सुमन ने मेरे बैग से डिल्डो निकाला और मुझे पकड़ा दिया.
अपनी कमर में डिल्डो बांध कर मैंने उसकी चुदाई की.
वह सारी रात की चुदाई देख देख कर बहुत ज्यादा गर्म थी.
डिल्डो से चुदाई करके मैंने उसका पानी निकाला और ये सब हमने रिकॉर्ड भी किया.
चुदाई करके हम दोनों नंगी ही सो गईं.
फिर जब मैं उठी तो सुमन सो रही थी.
मैंने टी-शर्ट पहन ली और किचन में आकर चाय बनाने लगी.
थोड़ी देर बाद सुमन भी आ गई.
वह अभी नंगी थी.
उसने पीछे से आकर मुझे चूम लिया- उम्म्म्म …
उसने मेरे मम्मों पर दोनों हाथ रखे और सहलाने लगी.
मेरी टी-शर्ट ऊपर करके गांड पर हाथ फेरने लगी और चूमने लगी
उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी और गांड चाटने लगी.
हम दोनों किचन में ही एक दूसरे को चूमने लगीं.
फिर कमरे में आकर मैंने सुमन की चूत में उंगली की और दोनों ने चूत रगड़ी, एक दूसरे के चूत से निप्पलों पर काटा, मैंने उसके निप्पल रगड़े.
फिर दोबारा डिल्डो बांध कर सुमन को चोदा और उसकी चूत का पानी निकालने के बाद उसने मेरा पानी चाट कर निकाला.
हम दोनों एक साथ लेट कर एक दूसरी के शरीर को सहलाते रही.
‘सुमन तू और तेरा भाई दोनों मेरी लेते हो. मेरा फिगर तो तुम लोगों के कारण ही बढ़ रहा है!’
‘अब क्या करें मेरी बन्नो, तू है ही इतनी मस्त माल!’
यह बोल के- वह मुझे किस करने लगी और हम दोनों नंगी ही सो गईं.
फिर जब सुमन उठी तो मैं सो रही थी.
वह मेरे दूध सहलाने लगी और चूसने लगी.
इससे मेरी नींद खुल गई- क्या हुआ मेरी जान, मन नहीं भरा तेरा!
वह मेरे होंठों को चूमने लगी- उम्मम्म स्स्स!
मैं भी उसे चाटने लगी और हमारी जीभ आपस में कुश्ती लड़ने लगीं.
मैंने पुनः डिल्डो कमर पर बांधा और उसकी चुदाई करना शुरू कर दी.
चुदाई के बाद हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए.
सुमन और मैं बहुत खुश थे.
सारा दिन हम ऐसे ही किस वगैरह करते रहे.
शाम को सर आ गए और सुमन कोचिंग चली गई.
सर आए और नंगे हो गए और वे मुझे किस करने लगे.
मैं स्कर्ट टॉप पहनी थी.
सर ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी टांगें नीचे करके खोल दीं.
वे पैंटी के ऊपर से ही चूत चाटने लगे.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
‘सर लगता है, दो हफ्ते का मजा एक ही दिन मैं ले लोगे!’
वे कुछ नहीं बोले.
उन्होंने बस मेरी पैंटी निकाल दी और चूत चाटने लगे.
मैं अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो गई.
सर ने मेरे मुँह में लंड देकर चुसवाया.
और जब उनका लौड़ा एकदम कड़क हो गया तो मुझे गोदी में बिठा कर मेरे बूब्स मुँह में लेकर चूसते हुए चोदने लगे.
‘अअह स्स्स्स सर आराम से चूसो न .. आराम से चोदो.’
‘कैसे आराम से चूसूँ और कैसे आराम से चोदूं … साली तू है ही बहुत मस्त चीज.’
यह कह कर सर आधा घंटा तक अलग अलग पोजीशन में मुझे चोदते रहे.
फिर जब सर का पानी निकल गया, तब हम दोनों ने कपड़े पहने और बैठ गए.
थोड़ी देर बाद सुमन आ गई.
सर ने कहा- मैं तुमको घर छोड़ आता हूँ.
मैंने कहा- हां ठीक है.
रास्ते भर सर ने ब्रेक लगा लगा कर मेरे मम्मों को अपनी पीठ पर रगड़वाया.
मैं भी अपना हाथ आगे करके उनका लंड सहला रही थी.
कुछ देर बाद हम दोनों घर आ गए.
रात को समीर ने हमारी चुदाई देखी.
मेरा नाम राहुल है। यह मेरी Hindi Porn Stories पहली कहानी है। मैं ईजिन्यीरिंग के तीसरे सेमिस्टर में हूँ। यह कहानी तब की है जब मैं दूसरे सेमिस्टर में था।
मुझे होस्टल में रहना पसंद नहीं था, इस वजह से मैं एक घर में पी जी बन कर रहता था। मेरा कमरा पहले माले पे था। मैं खाना उसी घर में खाता था। उस मकान मालिक की 18 साल की लड़की थी। उसका नाम कोमल था। वो आर्ट कोलेज में पढ़ती थी। मेरी उसपर पहले से ही बुरी नजर थी। मैं उससे बात करने का एक भी मौका छोड़ता नहीं था। वो मुझसे काफ़ी घुल-मिल गई थी। मैं कई बार उसके बदन को जानबूझ कर छूता था, फ़िर भी वो कोई प्रतिकार नहीं करती थी। शायद वो भी मुझसे चुदवाना चाहती थी।
एक बार मकान मालिक के दूर के रिश्तेदार की शादी थी। मुझे खाने की परेशानी न हो इस बहाने कोमल घर पर ही रुक गई।
मैं समझ चुका था कि कोमल मुझसे चुदवाने के लिए ही रुकी थी।
शाम 4:00 बजे मकान मालिक, उसकी बीवी और बेटा निकल गये। अब कोमल उसके कमरे मे अकेली थी। मैं उसके कमरे में गया तो उसने कहा कि मैं खाना बना देती हूं, आज हम जल्दी खाना खायेंगे।
मेरे मन में लड्डू फ़ूट रहे थे। फिर भी मैं अपने लंड पे काबू रखे था। शायद मैं ग्रीन सिगनल की राह देख रहा था।
5:00 बजे हम दोनों खाना खाने बैठे। जब वो मुझे खाना दे रही थी तब मैंने कहा- बस ! ज्यादा नहीं !
तब उसने कहा- खा लो ! पूरी रात गुजारनी है।
यह सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने मेरे लंड की ओर देखा फ़िर वो मुस्कुराई और खाना खाने लगी। खाना खाने के बाद वो सीधा किचन में जाकर बर्तन धोने लगी।
मैं फ्रेश होने के बहाने बाथरुम में गया और जानबूझ कर अपना तौलिया भूलने का नाटक किया। थोड़ी देर बाद मैंने कोमल को आवाज लगाकर तौलिया दे जाने को कहा। जैसे ही उसने तौलिया देने के लिये हाथ बढ़ाया, मैंने फिल्मी हीरो की तरह उसका हाथ पकड़ कर उसे बाथरुम में खींच लिया और खुद दरवाजे के सामने खड़ा रह गया ताकि वो भाग न सके।
वो मुझे सिर्फ अंडरवीयर में देखकर शरमा गई। शावर चालू होने की वजह से वो पूरी भीग गई थी। उसका ड्रेस उसके बदन से चिपक गया था। उसकी काली ब्रा साफ दिखाई दे रही थी। मैंने अपने हाथ उसके चूतड़िं पर रख कर उसे अपनी और खींचा। वो मुझसे आकर कस कर लिपट गई। उसकी धड़कनें तेज हो चुकी थी। मैंने उसका कुर्ता निकाल दिया। मैं आगे बढ़ा और उसके दोनों हाथों को पकड़ के उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमने लगा। एक हाथ से मैं उसकी चूत पायजामे के ऊपर से सहलाने लगा, दूसरे हाथ से ब्रा के हुक खोल दिये। उसके गोरे स्तनों के चुचूक मुँह में लेकर चूसने लगा। कई बार मैं चुचूकों को काट देता था और उसके मुँह से ऊऊउ….ह की आवाज आती थी। उसने अपना पायजामा और पेन्टी भी निकाल दी।
हम दोनों बाथ-टब में बैठे। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ों के बीच सेट कर दिया और दोनों हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा। वो भी अपने चूतड़ों को मेरे लंड पे रगड़ने लगी।
जैसे ही कोमल मेरे पेट पर बैठ गई, तभी मेरा लँड उसकी जांघों के बीच खड़ा हो गया। वो मेरे लंड को सहलाने लगी। हम दोनों एंजोय कर रहे थे।
मैं उसे उठा कर बेडरुम में ले गया। हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। मैं उसकी टांगों के बीच बैठ के चूत में उँगली डालने लगा। उसके मुँह से आआआ….ह,ऊ उ…ह की आवाजें आ रही थी। चूत में मुझे चिकनाई सी महसूस हुई। वो पूरी गरम हो चुकी थी। मैं उसके उपर लेट गया और उसे एक लम्बा चुम्बन किया।
मैंने उसको बेड के किनारे लेटाया और उसकी टाँगों को अपने कंधो पर रख लिया। अभी उसका शील भंग नहीं हुआ था। उसकी चूत फ़ूल चुकी थी। चूत में से पानी निकल कर बेड पर टपक रहा था। मैं चूत पे अपना लंड रख के धीरे से अंदर धकेलने लगा, मगर थोड़ा ही अंदर जा पाया। मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ के जोर से धक्का लगाया, मेरा पूरा लँड अंदर चला गया। वो जोर से चिल्लाई। मैंने उसके सर को पकड़ के उसके होंठों पर लम्बा चुम्बन किया ताकि वो फ़िर से चिल्ला न सके। मुझे लँड पर कुछ गरम महसूस हुआ, चूत में से खून निकल रहा था।
थोड़ी देर बाद मैं लंड को अंदर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मजा आ रहा था, वो अपनी कमर हिला कर मेरा साथ दे रही थी। दस मिनट बाद मैं झड गया, अब तक वो 3 बार झड़ चुकी थी।
वो उठ कर बाथरूम गई और अपनी चूत धो कर आई, मैं बैड पर नंगा लेटा हुआ था। वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी। उसके छूते ही मेरा लंड फ़िर से खड़ा हो गया। वो डोगी स्टाईल में बैठ गई। उसकी गाण्ड का छेद साफ दिखाई दे रहा था। मैंने उसके चूतड़ों को सहलाते हुए लँड को उसकी गाण्ड में डाला। बहुत मुश्किल से अंदर गया, वो चिल्ला उठी। मैंने लंड को धीरे से बाहर निकाला। मेज़ पर हेयर-ऑयल की बोतल थी, मैंने लंड पर तेल लगा लिया। अबकी बार लंड आसानी से अंदर चला गया।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
उसके मुँह से आअऊउ…ह, ओओ….ह की आवाजें निकल रही थी। मैंने अपना सारा माल उसी में छोड़ दिया।
वो सीधा लेट गई। मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल के उसे बाहों में ले लिया। हम दोनों काफ़ी थक चुके थे। हम वैसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
सुबह 6:00 बजे मेरी आंख खुली, तब वो सो रही थी। मैंने उसे जगाया और उसे एक लम्बा चुम्बन किया। हम दोनों साथ में बाथरूम में नहाने गये। वहाँ मैंने उसकी दो बार गाण्ड मारी।
नाश्ते के बाद मैंने उसकी 10:00 बजे से ले कर 12:00 बजे तक दो घंटे जमकर चुदाई की।
शाम 4:00 मकान मालिक और उसका परिवार वापस आ गये।
दो महीने बाद कोमल की शादी हो गई। मैंने भी वो घर छोड़ दिया। Hindi Porn Stories
मैं अपना परिचय Antarvasna दे दूँ, मेरा नाम सुरेश खुराना है, उम्र ५२ साल, कद ५’-१०”, रंग गोरा और बदन गठीला है। मैं स्टेट बैंक में मैनेजर हूँ, मेरे घर में मेरी पत्नी और दो बेटे हैं, जो कक्षा ८ और १० में पढ़ते हैं।
बात लगभग एक साल पहले की है जब मेरा तबादला आगरा से जयपुर हुआ तो पत्नी और बच्चों को आगरा में ही छोड़कर मैं अकेले जयपुर आ गया। जयपुर में मैंने जो मकान किराये पर लिया उसके मालिक का नाम था मूल चंद मनवानी, उसकी उम्र लगभग ५४ साल, कद ५’-६”, रंग गोरा और बदन ढीला ढाला, पेशा जूते की दुकान। उसके घर में उसकी पत्नी सीमा, उम्र लगभग ५० साल, कद ५’-५”, रंग गोरा और बदन भरा-पूरा। खंडहर बताते थे इमारत कभी बुलंद थी। इनकी एक लड़की पायल थी जिसकी उम्र करीब अट्ठारह-उन्नीस साल, कद ५’-५”, रंग गुलाबी और बदन अपनी मां की तरह भरापूरा था, एक नज़र में फिल्म स्टार ममता कुलकर्णी लगती थी।
मैं सुबह नहा धोकर निकलता, रेस्तरां में नाश्ता करता और बैंक चला जाता, दोपहर का खाना टिफन वाला बैंक में दे जाता और रात को होटल में खाता था।
इस तरह दिन कट रहे थे कि एक दिन मूल चंद जी बोले- खुराना साब, क्यूँ होटल बाज़ी करते हैं, यहीं घर में खाया कीजिये।
मेरे मना करने पर बोले- जो मुनासिब हो, पैसे दे दिया करिए, यानी आप किरायेदार से पेइंग गेस्ट बन जाइए। मुझे भी ठीक लगा और मैं उनके घर मैं खाने लगा। उनके घर खाना खाने से हुआ यह कि मैं सीमा की तरफ आकर्षित होने लगा और उसको चोदने की सोचने लगा।
एक दिन मैंने बैंक से छुट्टी ली और सिरदर्द का बहाना बनाकर घर मैं लेटा रहा।
जब नाश्ता करने उनके घर नहीं गया तो मूल चंद और पायल के जाने के बाद सीमा आई और पूछा- आज आप नाश्ता नहीं करेंगे क्या?
मैंने बताया- तबियत खराब है !
तो बोली- मैं चाय बनाकर लाती हूँ !
मैंने कहा- चाय ना लाइये, कोई बाम हो तो ले आइये !
वो गई और बाम ले आई तथा मेरे कहने पर मेरे माथे पर मलने लगी। दोनों के शरीर करीब आये साँसे मिलने लगीं तो मैंने पहल की और उसने भी विरोध नहीं किया, हम दोनों नंगे हो गए और मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया। उस दिन से लगभग रोज़ हमारा प्रोग्राम बन जाता।
एक दिन मैं उसको चोद रहा था, कमरे का दरवाजा बंद था, खिड़की का पर्दा लगा था, मुझे एहसास हो गया कि पायल आ गई है और खिड़की के बाहर से अन्दर के माहौल का अंदाज़ लगा रही है।
उसको सुनाने के उद्देश्य से मैंने सीमा से पूछा- सीमा जब मेरा लंड तुम्हारी चूत के अन्दर बाहर होता है तो मज़ा आता है?
तो बहुत सेक्सी आवाज में सीमा ने कहा- राजा इतना मज़ा इससे पहले कभी नहीं आया !
सीमा को चोदते हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि उसकी बेटी पायल यह जान गई थी कि मैं उसकी माँ सीमा को चोदता हूँ। हालाँकि सीमा को यह नहीं मालूम था कि पायल यह सब जानती है। मेरा ध्यान अब कच्ची कली को फूल बनाने पर लगा हुआ था। जल्दी ही भगवान ने मेरी सुन ली, सीमा का मायका अलवर में था और उसकी माँ की तबियत खराब होने की खबर आई तो वह एक हफ्ते के लिए अलवर चली गई, जाते समय मुझसे बोली- तुम्हें बहुत मिस करूंगी !
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मैं भी !
उसके जाने के बाद मैं नाश्ता करने गया तो पायल से इधर उधर की बातें होने लगीं। मैं उसकी झिझक दूर करना चाहता था। बातों बातों में उसने बताया कि परसों मेरा जन्मदिन है और मैं १८ साल की हो जाऊंगी।
मैंने पूछा- तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हें क्या तोहफ़ा दूं ?
बोली- कुछ नहीं !
मैं जानता था कि मूल चंद बहुत कंजूस टाइप का आदमी है और परिवार पर ज्यादा खर्च नहीं करता है। मैंने कहा- रात को जब तुम्हारे पापा आ जायेंगे तो उनसे बात करूंगा और कल तुमको मार्केट ले जाऊंगा, एक सुन्दर सा सूट दिलाऊँगा।
मेरी बात सुनकर बहुत खुश हो गई। मैं नाश्ता कर चुका था इसलिए उठा और बैंक चला गया। रात को खाने के समय मैंने मूल चंद से कहा- परसों पायल का जन्मदिन है और मैं इसे एक सूट उपहार में देना चाहता हूँ, अगर आपकी इजाज़त हो तो कल इसको मार्केट से दिलवा दूं?
मूल चंद लालची तो था ही, हल्की सी मनाही के बाद बोला- जो आपकी मर्ज़ी !
खाना खाकर मैं अपने कमरे में आ गया और आगे की योजना बनाने लगा। सुबह मूल चंद के जाने के बाद मैं नाश्ता करने गया तो मैंने पायल से कहा- ११ बजे तक तैयार हो जाना, मार्केट चलेंगे, पिक्चर देखेंगे और वहीं खाना खायेंगे ! पायल के चेहरे और मेरे लंड की रौनक देखने लायक हो रही थी।
मैं बैंक गया और बहाना बनाकर ११ बजे वापस आ गया, पायल तैयार थी, गज़ब ढा रही थी। हम लोगों ने पहले सूट ख़रीदा, फिर उसकी झिझक खोलते हुए उसको ब्रा और पैंटी भी दिलवा दी। इसके बाद हम लोग पिक्चर देखने लगे। इंटरवल तक हम लोग आराम से बैठे रहे, इंटरवल में पोपकोर्न लिए, खाते खाते पिक्चर शुरू हो गई। अब पोपकोर्न लेने के चक्कर में हमारे हाथ छुए तो शुरुआत हो गई। पोपकोर्न खत्म होने के बाद मैंने उसका हाथ पकड़ा, कुछ नहीं बोली तो मैंने उसका हाथ सहलाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में मेरा लंड एकदम टाइट हो गया तो मैंने पायल का हाथ अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा तथा सहलाने लगा।
मैंने उससे कहा- तुम भी सहलाओ ! तो वह मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी। मैंने अपना दूसरा हाथ उसके मम्मे पर रखा और हल्के-हल्के दबाने लगा। इसी समय पिक्चर खत्म हो गई और हम खाते पीते घर आ गए। आज पहला दिन था और उसे खाना भी बनाना था, इसलिए घर आकर हमने कुछ नहीं किया। वह अपने घर चली गई और मैं अपने कमरे में ! मैंने बाथरूम जाकर मुठ मारी, अपने लंड को ठंडा किया और सो गया।
रात को करीब १० बजे मूल चंद की आवाज से नींद खुली, सबने एक साथ खाना खाया। खाने के दौरान पायल की भूखी प्यासी आँखें मुझे और मेरी आँखें उसे देखती रहीं। मूल चंद तो १५००/- का सूट देखकर गीला हो गया था।
अगले दिन सुबह सोकर उठा तो पहला काम पायल को फ़ोन करके हैप्पी बर्थडे कहा।
बोली- थैंक्यू !
तो मैंने कहा- पायल, आई लव यू !
शर्माते हुए बोली- आई लव यू टू !
रास्ता साफ़ था, बस मूल चंद के दुकान जाने की देर थी, मुझे मालूम था कि आज १८ साल की नई नवेली चूत मिलने वाली है, मैं भी डाबर शिलाजीत गोल्ड के २ कैप्सूल खाकर अपनी जवानी में चार चाँद लगा चुका था। मूल चंद को दुकान गए १० मिनट हो गए तो मैं पायल के कमरे की तरफ गया, कमरा अन्दर से बंद था, आवाज़ देने के २ मिनट बाद दरवाज़ा खुला तो मैं गश खाकर गिरने वाला था, मेरी दुल्हन पायल मनवानी गुलाबी रंग के नए सूट में बिजली गिरा रही थी। मैं कमरे के अन्दर गया तो उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने अपनी बाहें फैलाईं तो चली आई।
मैंने कहा- पायल आज तुम १८ साल की हो गई हो और १८ साल की लड़की को सरकार इजाज़त देती है वह जो चाहे कर सकती है, वह चाहे तो नया सूट पहन सकती है और चाहे तो सूट दिलाने वाले को सूट उतारने का मौका दे सकती है, क्या तुम मुझे ये मौका दोगी कि मैं देख सकूं कि तुम नई ब्रा और पैंटी में कैसी लगती हो ?
कुछ नहीं बोली, बस सीने से लग गई, मैंने उसका सूट उतारा फिर थोड़ी देर तक चूमने चाटने के बाद ब्रा और पैंटी भी उतार दी, उसे गोद में उठाया और बेड पर ले आया। बेड पर लिटाते ही अपने होंठ उसकी चूत पर रखे तो उसे करंट सा लगा, मुझे लगा लोहा गरम है, अपने कपड़े उतारे, जेब से कंडोम निकालकर अपने तन्नाये हुए लंड पर चढ़ाया और लंड को उसकी चूत के मुंह पर रखते हुए कहा- पायल डार्लिंग ! यह रहा तुम्हारा असली बर्थडे गिफ्ट !
पहले झटके में आधा और दूसरे झटके में पूरा लंड उसकी चूत में समा गया, थोड़ा सा कसमसाई लेकिन झेल गई।
अब मेरा लंड उसकी चूत में था और उसका एक मम्मा मेरे मुंह में तथा दूसरा मेरे हाथ में था। आधे घंटे से ज्यादा देर तक चोदने के बाद जब मेरे लंड से पिचकारी छूटी तो भूचाल आ गया। अपना लंड जब उसकी चूत से निकाला तो चादर पर फैला खून देखकर एक बार तो मैं घबरा गया लेकिन पायल का सुकून भरा चेहरा देखकर राहत की सांस ली। हम दोनों बाथरूम गए मिलकर नहाए और बेड पर आ गए।
कुछ देर बाद मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके होठों को चूसना शुरू किया और उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया जिसे वह सहलाने लगी। थोड़ी देर में लंड खडा हो गया तो मैंने पोजीशन बनाकर लंड उसके मुंह में दे दिया. कुछ देर बाद उसने मुंह से मेरा लंड निकाला और मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया, मैं समझ गया चुदासी है !
मैंने जेब से दूसरा कंडोम निकाला, लंड पर चढ़ा कर लंड उसके हाथ में दे दिया, उसने लंड को अपनी चूत पर रखा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। उस दिन मैंने उसको चार बार चोदा और सीमा के आने तक यह कार्यक्रम चलता रहा।
सीमा के आने के बाद कहानी में कहाँ मोड़ आया, यह अगले भाग में…. Antarvasna
दोस्तो, मेरा नाम लक्ष्य है Sex Stories और एक बार फिर से अन्तर्वासना पर अपनी अगली चुदाई की दास्तान के साथ आप सब के सामने हाज़िर हूँ।
दोस्तो, प्रेम अंकल से चुद चुद कर मुझे लौड़े का चस्का लग गया। मुझे गांड मरवाने का नवाबी शौक पड़ गया और मुझे यह नवाबी शौक लगाकर अंकल खुद बंगाल जा बैठे। मैं उनके लौड़े के बिना तड़फने लगा, मचलने लगा। समझ में न आता कि गांड की प्यास किस तरह, किस से बुझवाऊं।
तभी याहू चेटरूम से मुझे कुछ गुर मिले और मैंने उन गुरों का इस्तेमाल करने की सोची।
एक दिन जब सभी घर से चले गए, मैं स्कूल से फूट कर घर वापस आ गया। गर्मी बहुत थी, जब दोपहर हुई, सोचा, कोई सेल्समेन आ जाये या फिर कोई और। तभी रददी वाले की आवाज़ सुन झट से उठा रूम का ए.सी ओन किया और गेट की तरफ गया। मैंने देखा, एक हट्टा कट्टा आदमी था, रंग में भले सांवला था।
“मुझे रददी बेचनी है!”
“हाँ जी! लाओ!”
मैं उसको अपने साथ अन्दर ले गया और उसको स्टोर में से अखबार उठाने को कहा। वो अखबार उठा कर ले गया। सोचा, कैसे शुरुआत करूँ?
वह रद्दी बाहर छोड़ कर वापस आया।
खाली बोतलें भी हैं और कुछ पुरानी किताबें।
किताबें उतारने के लिए मैं उसको अपने कमरे में ले गया। ए.सी की ठंडक से उसका पसीना उड़ने लगा। मैंने उसको अलमारी के ऊपर से किताबें उतारने को कहा, अपने होंठों को चबाते हुए कहा।
वो मुड़ा ही था कि मैंने अपना पजामा उतार दिया। मैं सिर्फ फ्रेंची में था, सिर्फ लौड़ा ढका हुआ था और मेरे गोरे रंग के भरे भरे चूतड़ किसी का खड़ा करने को काफी थे। अपनी टी-शर्ट भी उतार दी। वो स्टूल पर पैर रखने लगा था कि मैं पीछे से उसके साथ लिपट गया।
एकदम से ऐसा करने से वो घबरा गया। मैंने हाथ सीधा उसके लौड़े पे डाला और मसलने लगा और उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया, उसका पजामा नीचे गिर गया। वो मेरी तरफ मुड़ा और जब उसने मुझे आधा नंगा देखा, वो भी बहकने लगा।
मैंने उसकी तरफ अपनी पीठ करके घोड़ी की तरह झुकते हुए अपने चूतड़ हिलाए, मटकाए। उसने झट से हाथ मेरी गोरी गांड पे रख दिया और फेरने लगा।
मुझे मस्ती आने लगी। मैंने जल्दी उसके कच्छे को नीचे कर उसके मोटे लौड़े को पकड़ लिया। उसका लौड़ा प्रेम से ज्यादा बड़ा था।
अँधा क्या ढूंढे, दो आँखें!
ठंडा कमरा, ऊपर से प्यासी गांड! सहला कर मैंने उसका खड़ा कर दिया। उसको बिस्तर पे धक्का दिया और उसके लौड़े को मुंह में भर लिया। उस बेचारे ने कभी किसी से चुसवाया नहीं था, उसको मजा सा आया।
उसका काला लौड़ा मेरे गुलाबी होंठों में सुन्दर लग रहा था। मुझे लौड़ा चूसना बहुत पसंद है, एक हाथ से में अपनी गांड के छेद में ऊँगली कर रहा था। जब उसने मुझे देखा वो खुद अपनी उंगली मेरी गाण्ड में डालने लगा।
बहुत लम्बा लौड़ा था।
अब मेरी गांड जवाब देने लगी थी कि मानो कह रही हो कि मुझमें लौड़ा डाल दो!
मैंने मुँह से लौड़े को निकाल लिया और कोल्ड क्रीम लगा कर उसके लौड़े को अपनी गाण्ड के छेद पे टिकाते हुए उसको डालने का इशारा कर दिया। उसका लौड़ा मोटा था इसलिए घुस ना पा रहा था। मैंने उसको सीधा लेटने को कहा। उसका लौड़ा अब कुतब मीनार की तरह अकड़ा हुआ था। मैं उसके ऊपर से आते हुए उसके लौड़े को ठीक छेद पर रखते हुए धीरे धीरे उस पर बैठता गया, तकलीफ सहते हुए जड़ तक अन्दर ले लिया और फिर उछल उछल कर चुदने लगा।
वो भी नीचे से कूल्हे उठा उठा के गांड मारने लगा, बोला- आज तक किसी की गांड नहीं मारी थी।
वो मुझे अपने नीचे लिटाते हुए दोनों टांगें खोल कर चोदने लगा।
“मेरे आका! फाड़ डाल! मेरी भोसड़ी को ले!”
“बहनचोद! फाड़ने के लिए तो कर रहा हूँ!”
और तेजी से आगे पीछे करने लगा, एकदम से मुझे जकड़ लिया और अपनी पिचकारी मेरी गांड में छोड़ दी, बोला- ओये होए! साले! क्या माल है तू! इतनी आग लड़की में न होगी!
उसने खुद बाहर नहीं निकाला, खुद ही सोते हुए बाहर निकला।
ऐसे ही दोनों चिपके रहे, उसको मेरा जिस्म बहुत पसंद आया।
इस तरह पूरी दोपहर में उसने मुझे दो बार ठोका और चला गया।
जाते हुए बोला- मैं दो दिन बाद आता हूँ!
लेकिन अगले दिन जब स्कूल से आया तो मुझे एक और लौड़ा मिल गया।
अगली कहानी में बताऊंगा कि वो कौन था। Sex Stories
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