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मैं भी अब अंतर्वासना की पक्की पाठक Antarvasna बन चुकी हूँ। यहाँ छपने वाली एक एक मन मोहित कर देने वाली कथा पढ़ कर काम-इच्छा जागना स्वाभविक है। आज मैं भी अपनी एक ऐसी चुदाई लेकर सबके सामने आई हूँ, मुझे आशा है कि मेरी इस मेहनत को दरकिनार नहीं किया जायेगा।
मैं पानीपत की रहने वाली एक महला हूँ, हम तीन भाई बहन हैं, सबकी शादी हो चुकी है, मैं सबसे छोटी हूँ। जैसे जैसे मैं बड़ी होती गई, जवानी मेरे जिस्म को सजाती गई और मेरी जवानी और ज्यादा कंटीली होती गई। यौवन के फूल जब खिलते हैं तो उनकी महक फिज़ा में फ़ैल जाती है और स्वाभाविक है कि इस महक से भंवरे इर्द गिर्द मंडराने लगते हैं।
मेरे पांव फिसलते देर नहीं लगी। देखते ही देखते मैं अपनी जवानी लुटाने लगी, कई भंवरों ने मेरा रसपान किया। यह देखते हुए माँ ने बीस साल की उम्र में ही मेरी शादी सोनीपत के एक घर में सर्वेश नाम के युवक से कर दी।
मेरे जैसी आग और कोमल लड़की से शादी करके सर्वेश अपने दोस्तों में फूला नहीं समाया। रात के ९ बजे मेरी ननद ने मुझे कपड़े बदलवा मुझे सुहाग-सेज पर बिठा दिया। गुलाब की मदहोश सुगंध से दिल मचलने लगा। करीब एक घंटे बाद सर्वेश अन्दर आया, दरवाज़ा बंद हुआ, यह मेरा पहली बार नहीं था फिर भी एक्टिंग तो करनी पड़नी ही थी, आते ही घूंघट उठाते ही उससे रुका नहीं गया।
मुझे बाँहों में लेकर चूमने लगा। उसकी ऐसी हरक़त से मैं बहुत खुश थी। देखते ही हम दोनों निर्वसन हो गए। वो तो जैसे चूम के सब-कुछ कर देना वाला था। कुछ पल में मैं उसके नीचे कसमसाने लगी। मेरे चरम-सीमा से पहले ही वो निढाल हो कर हांफने लगा। मेरे सपने टूट गए, सुहाग-सेज के गुलाब मुझे कांटे लगने लगे। पूरी रात मुझे अपने आशिकों की याद आती रही।
फिर मैंने सोचा कि शायद तजुर्बा न होने की वजह से या फिर एकदम से मेरी जैसे आग को देख उसका यह हाल हुआ है। लेकिन फिर मेरे अरमान रोज़ कुचले जाने लगे।
एक साल बाद ही मैंने बच्ची को जन्म दिया। मेरी सेक्स लाइफ अरमान बन रह गई। फिर एकदम से मेरे पति के बिज़नस में गिरावट आई और उसने सब कुछ समेट लिया और मुझे वहां बुलाने का वायदा कर शहर आ गया। यहाँ पर उसको एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई और उसने कम्पनी के दिए क्वाटर में मुझे बुलवा लिया। शहर आकर तो मेरी जवानी और निखरने लगी। लेकिन अब सेक्स-लाइफ और बदतर हो गई। थका आता, कभी चोदता कभी नहीं !
मेरी चूत शहर के मर्द देख और गीली होने लगी। अब मैं चुप नहीं रही और उसको उसकी कमजोरी पर ताने कसने लगी। उसको शराब की लत लग गई। उसके कुछ दोस्त घर आते और बैठ कर दारू पीते। एक दिन मेरा पति जॉब पर नहीं पहुंचा और सुबह ही शराब पीकर टुन्न होकर अपने किसी दोस्त के घर लुढ़क गया। आधे घंटे बाद उसका एक दोस्त अमित घर आया। मैंने कपड़े ही ऐसे डाले थे कि उसकी आंखें फटी रह गई। मैंने चुटकी बजाकर उससे कहा- क्या हुआ ?
उसको अन्दर बुलाया, उसने मुझे कहा कि सर्वेश को सुबह ही ज्यादा हो गई है, जॉब पर नहीं गया ! मेरे घर पड़ा है !
उसने मेरी इतनी तारीफ की। औरत तारीफ की भूखी होवे- सब जाने !
मैं उसके लिए चाय बनाने रसोई में गई, मेरे अरमान मचलने लगे। तभी उसने मुझे पीछे से दबोच लिया और एक साथ ही मुझपर चुम्बनों की बरसात कर दी।
यह क्या कर रहे हैं आप- मैंने दिखावे के लिए कहा।
भाभी पागल बना दिया तेरी जवानी ने ! कैसे काटती होगी ऐसे मर्द के साथ ?
मैंने पलटी खाई, चिपक गई उसके साथ। मैंने भी उसको चूम लिया। बहुत प्यासी हूँ मैं भाई साब !
ओह, मुझे मालूम है तुझ जैसी औरत की चूत वो ठंडी नहीं कर पाता होगा !
बिस्तर पर डाल उसने मुझे नंगी कर लिया और मेरा स्तनपान करने लगा- क्या छाती है तेरी !
ओह, अमित बहुत प्यासी हूँ इस आदमी की वजह से ! मैंने भी उसके फूले हुए हिस्से को मसलते हुए कहा और उसकी बेल्ट खोल दी। फिर उसका अंडरवियर उतार दिया। क्या लौड़ा था उसका ! पकड़ते ही आग लग गई ! मैंने झट से उसके लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और वो अपने लौड़े की चुसाई मेरे बालों में हाथ फेरते हुए देखने लगा।
लौड़ा है अमित आपका !
भाभी बहुत बड़ा है मेरा ! क्या करूँ !
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एक साल बाद मुझे असली लौड़ा मिला था और मज़बूत बाहें मिली थी। मैं कसमसाने लगी। मैंने मुँह से लौड़ा निकाल दिया और टांगें चौड़ी कर के लेट गई। उसने बीच में आकार अपना नौ इंच का लौड़ा मेरी चूत पे रखा तो मैं पागल हो कर गांड उठाने लगी। वो तड़पाने लगा, फिर उसने अपना लौड़ा घुसाना शुरू किया। कसी हुई चूत ऐसे लौड़े की आदत ही भूल चुकी थी।
भाभी ! सच में वाह ऐसी चूत ! वो भी इतनी कसी, बस डालते जाओ !
उसने मेरे दर्द को नज़र अंदाज़ करते हुए जड़ तक डाल दिया।
हाय ! हाय ! चोद मुझे मादरचोद ! और जोर से चोद मेरी चूत को !
यह ले साली कुतिया ! यह ले !
अह उह उह सी सी कर मैं उसको उकसाने लगी और वो और जोश से ठोकने लगता। मैं झड़ चुकी थी लेकिन वो अभी लगा था। उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी करीब बीस मिनट की ठुकाई से उसने अपना माल जब छोड़ा तो मेरी चूत की प्यास बुझ गई। उसके बाद पूरा दिन उसने मुझे कई बार ठोका और अब मौका मिलते ही मैं उसको बुला लेती। जिस दिन पति की रात की ड्यूटी होती वो दिन में करवा लेता और रात को उसको बुला लेती और वासना के खेल खेलते। लेकिन कुछ महीनों बाद ही उसका ऑस्ट्रेलिया का फ़ैमिली वीसा आ गया और वो चला गया।
उसके बाद अखिलेश नाम का उसका दोस्त मेरे पति को छोड़ने आता। मेरा उस पर दिल आने लगा। वो भी मुझे चाहता था लेकिन पहल नहीं कर पा रहा था, वो मैंने कर दी। उसके बाद मेरी जिन्दगी में क्या हुआ, अगले भाग में लिखूंगी।
गुरु जी ! प्लीज़ मेरी चुदाई ज़रूर छाप देना !
मैं जल्दी ही अखिलेश और उसके बाद जो हुआ सब लिखूंगी। Antarvasna
वर्जिन चूत गर्ल सेक्स का मजा मुझे मेरे पड़ोस की एक लड़की ने दिया. वह एकदम कुंवारी थी. हालांकि उसकी सहेली मेरी गर्लफ्रेंड थी, फिर भी वह वासना वश मुझसे चुद गयी.
दोस्तो, मेरा नाम राजू है और मैं महाराष्ट्र से हूँ.
मैं मुंबई में रह कर पढ़ाई और चुदाई दोनों काम करता हूँ.
मेरी उम्र 23 साल है और मैं 2 साल से सेक्स स्टोरी पढ़ता आ रहा हूं.
यह मेरी पहली और सच्ची सेक्स कहानी है वर्जिन चूत गर्ल सेक्स की.
इस सेक्स कहानी की नायिका मेरी गर्ल फ्रेंड की सहेली है.
वह मुझसे एक साल छोटी है. उसका नाम दिव्या है.
उसका रंग एकदम गोरा और भरा हुआ बदन है.
वह ऐसी मस्त माल है कि जो भी उसे एक बार देख भर ले, उसका लंड सलामी देने लग जाएगा.
मैं और दिव्या काफी अच्छे दोस्त हैं.
उससे मेरी दोस्ती मेरी गर्लफ्रेंड के बन जाने से भी पहले से है.
मेरे मन में दिव्या को लेकर अब तक कभी कोई भी गलत इरादा नहीं बना था.
पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
हुआ यूं कि जब लॉकडाउन लग गया था, तब मेरा और मेरी गर्लफ्रेंड का मिलना बंद हो गया था. लॉक डाउन के कारण में उससे मिल नहीं सकता था.
इधर मेरी चुदास बढ़ती जा रही थी.
काफी दिनों से मुझे हाथ से ही काम चलाना पड़ रहा था.
उन्हीं दिनों लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलना शुरू हो गई.
किसी कारण से दिव्या को अपनी फैमिली के साथ मेरे मुहल्ले में शिफ्ट होना पड़ गया.
दिव्या को मेरे घर वाले पहचानते थे और उसके घर वाले भी मुझे पहचानते थे.
अब दिव्या हर रोज मेरे साथ आकर टाइम पास करने लगी थी.
उसी दौरान हमारे मोहल्ले में कोरोना के मरीजों की तादाद बढ़ गई, जिसके कारण दिव्या के पूरे परिवार को कोविड सेंटर जाना पड़ा.
इधर मेरे गांव वाले दादा जी की तबियत भी खराब हो गई, जिसके कारण मां और पापा को गांव जाना पड़ा.
लॉक डाउन के कारण मुझे जाने का पास नहीं मिल सका था तो मैं घर पर अकेला ही रह गया.
अब इधर दिव्या भी घर में अकेली थी.
मैंने उससे कहा- तू पूरा दिन मेरे साथ ही रहा कर और रात को सोने के लिए अपने घर चली जाया कर.
उसने भी हामी भर दी.
दो दिन में सब सामान्य चलने लगा.
उसे भी मेरे घर में रहना अच्छा लगने लगा.
दिव्या हम दोनों के लिए खाना बनाती और हम दोनों दिन भर मजाक मस्ती करते.
रात को वह अपने घर सोने चली जाती.
कुछ दिन यूं ही चला.
एक दिन वह सुबह सुबह अपने घर से तैयार होकर आई तो मेरी नजरें उस पर टिक कर रह गईं.
वह बड़ी ही खूबसूरत लग रही थी.
उसने काले रंग का सलवार कमीज पहना था. उसमें से उसके वक्ष की गली साफ दिखाई दे रही थी और उसके गुलाबी होंठ कुछ ज्यादा ही चमक रहे थे.
मैं बस उसे देखते ही कहीं खो गया.
उसने मेरे पास आकर चुटकी बजाई, मुझे होश में लाई और पूछा- ऐसे क्या देख रहा है?
तो मेरे मुँह से निकल गया- तुम आज कयामत दिख रही हो यार!
इस पर वह इठलाती हुई बोली- अच्छा जी … आपको आज मैं कयामत लग रही हूँ. इतने दिनों से आपको अपनी वाली के सिवा कोई और नजर नहीं आती थी क्या?
पर मैंने उससे बोल दिया- सच में आज बहुत खूबसूरत दिख रही हो.
कुछ देर के बाद वह बोली- अच्छा ठीक है. अब चलो, मैं नाश्ता बनाती हूं.
फिर उसने नाश्ता बनाया.
मैं किचन में उसके पीछे खड़ा होकर उसे ही देखे जा रहा था.
उसकी 32-28-34 की फिगर मेरे दिमाग में उथल-पुथल मचा रही थी.
मेरा 6 इंच का लंड मेरी लोअर में टेंट की तरह बिल्कुल खड़ा हो चुका था, जिसको दिव्या ने भी तिरछी नज़र से देख लिया था.
लौड़े को देखते देखते उसने कब नाश्ता बना डाला पता ही नहीं चला.
उसके बाद हम लोग नाश्ता करने लगे.
उस वक्त वह जब झुक रही थी तो मुझे उसके बड़े बड़े बूब्स नजर आ जाते, जिन्हें मैं बड़े गौर से देखता.
उसने मुझे ऐसे देखते हुई देख लिया पर कुछ बोली नहीं.
नाश्ता होने के बाद हम दोनों सोफे बैठ कर बात करने लगे.
उसने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा कि कितने दिनों से तुम लोग नहीं मिले हो?
मैंने कहा- मिलना तो छोड़ो यार … उससे बात भी नहीं हो पा रही है.
वह बोली- क्यों?
मैंने बताया कि उसकी जॉइन्ट फैमिली होने के कारण हमारी बात बहुत कम हो पा रही थी.
बातों ही बातों में मैंने उसे यह भी बताया कि उधर वह भी चुदाई के लिए मरी जा रही थी और इधर मेरा भी बुरा हाल था.
इतनी बात सुनने के बाद दिव्या कुछ नहीं बोली.
मैंने दिव्या से कहा- क्या यार, तू भी कैसे हम दोनों की बेबसी के मजे ले रही है. जबकि तुझे सब पता है.
वह बोली- हां मैंने ऐसे ही पूछ लिया … शायद तुम्हारा कुछ पर्सनल मुझे पता ना हो.
यह कह कर उसने आंख दबा दी.
मैंने कहा- क्या पर्सनल यार … हाथ से काम चलाना पड़ रहा है.
इस पर वह जोर जोर से हंसने लगी.
वह बोली- अब बोरियत हो रही है, चल मूवी देखते हैं.
मैंने उससे कहा- यार टीवी में सब वही बकवास मूवीज चल रही हैं.
वह बोली- चल, फिर लूडो खेलते हैं.
उसने अपने मोबाइल में लूडो लगा दिया.
वह मेरे सामने आकर बैठ गई.
अब खेलते खेलते मुझे फिर से उस के आम दिखने लगे और मैं भी उन्हें देखने लगा.
वह भी यह नोटिस कर रही थी पर कुछ नहीं बोली.
हमारा एक गेम खत्म होने पर मैंने उससे कहा- मैं वाशरूम जाकर आता हूँ.
मैं फट से बाथरूम में आकर उसके नाम की मुठ मारने लगा.
क्योंकि इतनी सेक्सी लड़की सामने बैठी हो और उसमें भी 4 महीने से आपके लंड को किसी बुर में जाने का मौका ना मिला हो तो तूफान तो उठने वाला ही है.
मैं दिव्या की फिगर और उसके बूब्स को याद कर रहा था और मुठ मारे जा रहा था.
तभी मेरा वीर्य निकला और मैं शांत होकर बाहर आ गया.
दिव्या मेरी तरफ पीठ कर सोफे पर बैठी हुई थी और मोबाइल में कुछ देख रही थी.
मेरी तरफ उसका ध्यान नहीं था.
मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हुआ तो मैंने देखा कि वह एक ब्लू फ़िल्म देख रही थी और अपने होंठ दबा कर बड़े ही मस्त से अपनी चूत रगड़ रही थी.
तभी उसको मेरी आहट लग गई और उसने जल्दी से मोबाइल बंद कर दिया.
वह नीचे देखने लगी.
तो मैं उसके पास गया और बोला- अरे क्या हुआ, मुझे भी दिखाओ!
तो वह बोली- क्या?
मैं बोला- वही, जो तुम अभी देख रही थी?
वह बोली- मुझे शर्म आती है.
मैंने कहा- अबे इसमें शर्म कैसी! ये तो सब देखते हैं.
उसने मोबाइल दे दिया और मैं वीडियो देखने लगा.
वह भी मेरे पीछे से चुदाई देखने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने वीडियो बंद कर दी और खुल कर उससे पूछा- तुम्हें भी यह करने का मन होता है?
उसने हां बोल दी.
पर वह बोली- तुम्हें तो पता है कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं है और मैं अब तक कुंवारी हूँ.
यह सुन कर तो मैं पागल हो गया और अन्दर ही अन्दर ठान ली कि आज कुछ भी करके इसके कुंवारी चूत के मजे लेकर ही रहूंगा.
मैंने उससे कहा- तुम उंगली तो डालती हो होगी?
उसने कहा- नहीं, मुझे डर लगता है. चलो तुम वीडियो चलाओ. उसी से मन भरते हैं.
उसके कहने पर मैंने वीडियो फिर से लगा दिया.
वह मुझसे बिल्कुल सट कर बैठी थी.
वीडियो देखते देखते हम दोनों गर्म हो गए.
मुझे लगा कि आज कुछ नहीं किया तो ऐसे ही रह जाएगा. इसलिए मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा.
उस पर वह कुछ नहीं बोली.
उसकी सांसें भी भारी होने लगीं.
मैं उसके कान के लौ के पास अपनी गर्म सांस छोड़ने लगा.
इससे वह और भी ज्यादा तड़प उठी और उसने जल्दी ही मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
अब वह भूखी शेरनी की तरह मुझ पर टूट पड़ी और बड़बड़ाने लगी- राजू चोद दो मुझे … अब नहीं रहा जाता. मैं काफी दिनों से तुझसे चुदना चाहती थी … प्लीज राजू आज मेरी आग बुझा दे.
उसके मुँह से ये सब सुनते ही मैं तो बिल्कुल पागल हो गया और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
मैं एक एक करके उसके दोनों होंठों को चूसने लगा.
वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
कभी वह मेरा ऊपर वाला लिप्स सक करती, तो कभी नीचे वाला.
एक हाथ से उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लौड़ा लोवर को फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब हो गया और फूल कर रॉड की तरह ही गया.
मैंने उसे उठाया और अपने बेडरूम में ले जाकर पटक दिया.
खुद उसके ऊपर चढ़ कर फिर से उसके होंठों को चूसने लगा.
कुछ मिनट तक मैंने उसके होंठों को चूमा और फिर उसके मस्तक पर एक प्यारी सी किस दी.
दोस्तो, कभी भी सेक्स और प्यार करते वक्त आप अगर लड़की को माथे पर किस करोगे, तो इससे लड़की को आप पर यकीन भी होगा और वह अपने आप को सेफ भी महसूस करेगी.
मस्तक को किस करते करते मैंने उसे पलटा दिया और उसकी गर्दन के पीछे किस करने लगा.
इससे वह तड़प उठी.
फिर मैं उसके कान की लौ की चूसने लगा, जिससे उसकी आह निकल गई.
कान से होते हुए मैं उसके पीठ पर आ गया. उसकी पीठ को चूमते चूमते मैं उसकी कमर तक आया और उसे फिर से सीधा कर दिया.
अब उसने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और मेरा लोवर भी निकाल दिया.
मैंने भी उसकी सलवार कमीज उतार दी.
अब वह मेरे सामने रेड कलर की ब्रा और पैंटी में पड़ी थी.
वाह क्या फिगर थी उसकी … मक्खन जैसा गोरा और चिकना बदन!
उसके सख्त बूब्स मेरे सामने एकदम पत्थर लग रहे थे.
शायद उन्हें आज तक किसी ने छुआ भी नहीं था.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसके मम्मों के ऊपर टूट पड़ा.
मैं उसके दोनों बूब्स को बारी बारी से चूसने लगा. मैं उसके एक दूध को चूसता और दूसरे को दबाता.
कभी मैं निप्पल को मसल देता तो कभी निप्पल को होंठों में दबा कर खींच देता.
इस सबसे वह पागल हो गई.
वह ‘उह आह उह आह … फक मी फक …’ कहने लगी.
मेरे बालों में अपनी उंगलियां घुमाती हुई मेरे मुँह में अपनी चूचियाँ देती हुई कहने लगी- आह चूसो इन्हें … और चूसो … पी जाओ.
मैं और जोर जोर से उसके दूध चूसने लगा.
काफी देर तक मम्मों को चूसने के बाद अब मैं उसके पेट पर आकर किस करने लगा.
मैंने उसकी नाभि में जीभ डाली तो उसकी आह निकल गई.
शायद ये उसका हॉट-स्पॉट था.
मैंने लगातार जीभ की नोक से उसकी नाभि को कुरेदा तो वह एकदम पागल सी हो गई.
अब मैंने उसकी पैंटी उतार दी.
उसने भी अपनी दोनों टांगें हवा में उठा दीं और मैंने उसकी पैंटी को बाहर निकाल कर सूंघा.
पैंटी उसकी चूत के कामरस से भीग चुकी थी और बड़ी ही मादक खुशबू आ रही थी.
फिर मैंने जैसे ही उसकी चूत देखी तो समझो पागल ही हो गया. उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था. ऐसा लग रहा था जैसे वह आज ही बुर की झांटों को साफ करके आई हो.
मैंने उसकी तरफ वासना से देख कर इशारे से पूछा तो उसने मुस्कुरा कर कहा- हां मैंने आज ही शेविंग की है … और मुझे कुछ भी करके तुमसे बुर चुदवानी थी, इसलिए मैं घर पर अकेली बुर साफ करती रही.
मैंने कहा- चलो जान, आज तुम्हारी मनोकामना पूरी कर देता हूँ.
मैं उसकी जांघों को किस करने लगा.
वह कामातुर होकर ‘उह आह उह …’ करे जा रही थी.
उसकी दोनों जांघों को किस करने के बाद मैं उसकी चूत पर आ गया; उसकी गुलाबी चूत के मखमली होंठों को अलग किया और दोनों पुत्तियों को एक एक करके चूसने लगा.
वह बिन पानी की मछली की तरह तड़प उठी और मेरा सिर जोर से अपनी चूत में दबाने लगी.
मैं अन्दर तक अपनी जीभ डाल कर उसकी चूत को चोद रहा था.
कुछ ही पलों में उसने अपनी दोनों टांगों से और हाथों से मेरा सर अपनी चूत में दबा दिया और अपना पानी छोड़ दिया.
मैं उसका सारा नमकीन पानी पी गया.
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक कुंवारी लड़की का पानी कितना मजेदार लगता होगा.
मैं लगातार उसकी चूत चूसता रहा.
वह फिर से गर्मा गई.
अब मैं उठा तो उसने झट से मेरा अंडरवियर निकाल दिया.
जैसे ही मेरा 6 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लंड उसके सामने आया, वह हैरत से लंड को देखने लगी.
फिर धीरे से बोली- इतना बड़ा कैसे जाएगा मेरी चूत में?
मैंने कहा- जान तुम टेंशन मत लो, मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूंगा. पहली बार थोड़ा दर्द सबको होता है बस वो सहन कर लेना. अब पहले तुम इस लंड को प्यार करो.
यह सुन कर उसने एक प्यारी सी स्माइल दे दी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं तो जैसे जन्नत में था.
क्योंकि मेरी गर्लफ्रेंड को लंड चूसना पसंद नहीं था.
मैं भी उसे फोर्स नहीं करता था.
पर आज दिव्या मेरे लौड़े को किसी पोर्न स्टार की तरह चूस रही थी.
मैं स्वर्ग में था.
मैंने उसके मुँह की चुदाई चालू कर दी वह गप गप करके मेरा लंड को ले रही थी.
तभी मेरा वीर्य निकलने को आया और मैंने सारा माल उसके मुँह में ही छोड़ दिया.
वह भी माल पी गई और उसके बाद भी लंड को चूसती रही.
जिसकी वजह से मेरा लंड फिर से जोश में आकर खड़ा हो गया.
वह जब लंड चूस रही थी तो मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबाता और एक हाथ की उंगली उसकी चूत में डालकर उसे चोदता.
वह भी काफी गर्म हो गई और बोली- अब डाल दो इसे!
मैंने उसे लेटा दिया और एक तकिया उसकी कमर के नीचे लगा दिया.
उसने अपने पैर खोल दिए और मुझे चुदाई का निमंत्रण दिया.
मैंने उसके दोनों पैर हवा में उठाए और उसकी चूत के मुँह पर लंड सैट कर दिया.
लंड सैट करने के बाद मैंने एक बार उसकी तरफ देखा तो उसने मस्ती से अपनी कमर उठा कर इशारा दे दिया.
उसी पल मैंने धक्का दे दिया.
मेरा लंड पहले तो फिसल गया, उसकी चूत काफी टाइट थी.
मैंने उंगली डाल कर उसे थोड़ा चोदा, तो दिव्या आंखें बंद करके उह आह करती रही.
फिर मैंने छेद ढीला देख कर लंड का टोपा उसकी चूत में सैट करके जल्दी से अन्दर डाल दिया.
वह छटपटाने लगी.
मैंने अपने होंठों से उसकी आवाज दबा दी, उसकी आंखों में से आंसू आने लगे.
मैं रुक गया और उसके माथे पर चूमने लगा.
इससे वह दर्द भूल कर सामान्य हो गई.
मैंने और एक धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड उसकी चूत की सील तोड़ता हुआ अन्दर चला गया.
वह तेज स्वर में चिल्ला उठी. मैंने झट से उसका मुँह हाथ से बंद किया.
फिर देखा तो मुझे नीचे उसका रक्त दिखाई दिया, पर मैंने उसे बताया नहीं.
मैं इसके पहले भी दो सील तोड़ चुका था.
मैंने और एक धक्का लगाया.
अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था.
मैंने थोड़ी देर रुक कर उसको शांत होने दिया.
कुछ देर बाद वह खुद अपनी कमर उठा कर आगे पीछे करने लगी.
तब मैं समझ गया कि लड़की अब तैयार है.
मैं भी ऊपर से उस पर टूट पड़ा और जोर जोर से उसे चोदने लगा.
कुछ ही देर में मस्ती का आलम सर चढ़ कर बोल रहा था और वह बोल रही थी- आह फक मी … उह आह फक मी!
उसकी कामुक आवाजें पूरे रूम में गूंज रही थीं.
मैं उसे लगातार चोदे जा रहा था.
तभी वह एक बार झड़ गई और शांत हो गई.
अब मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा.
वह झट से घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड सैट कर दिया.
फिर लौड़ा पेल कर चोदने लगा.
वह फिर से गर्म हो गई.
मैंने उसे इसी तरह दस मिनट चोदा.
मैं जल्दी झड़ने वाला नहीं था क्योंकि मैंने मुठ मारी थी.
अब मैंने उसे दीवार से सट कर खड़ा होने को बोला.
वह हो गई.
मैंने उसका एक पैर बेड पर रखवा दिया और लंड पेल कर उसे दबादब चोदने लगा.
मैं उसे चोदे जा रहा था और वह बोल रही थी कि राजू मुझे पता नहीं था कि मेरी पहले चुदाई इतने अच्छे से होगी. आज से मैं तुम्हारी ही हो गई हूँ राजू. तुम जब चाहो मुझे चोद देना.
यह सुन कर मैंने भी जोश में आकर उससे अपने प्यार का इजहार कर दिया और उसे चोदने लगा.
अब मेरा पानी आने वाला था, तो मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और झटके लगाने लगा.
थोड़ी देर मैं वह तीसरी बार झड़ गई.
मैंने भी लंड निकाल कर उसके पेट पर अपना माल गिरा दिया.
उसने अपनी ब्रा से लंड की मलाई को साफ कर दिया.
वर्जिन चूत गर्ल सेक्स के पश्चात मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.
मैं हमेशा चुदाई के बाद लड़की को अपनी बांहों में लेकर उसे प्यार करता हूं, इससे लड़की को काफी सुकून मिलता है.
दोस्तो, फिर जब तक दिव्या की फैमिली कोविड सेंटर से वापिस नहीं आ गई, तब तक मैंने उसे हर रोज हर रात चोदा.
मैंने उसकी गांड भी मारी.
वह सेक्स कहानी कभी और लिखूंगा.
दिव्या ने मुझे कैसे अपनी और सहेलियों से मिलाया, मुहल्ले की एक भाभी को भी चुदवाया और उसने मुझे एक प्लेबॉय बना दिया.
तो दोस्तो, आपको मेरी वर्जिन चूत गर्ल सेक्स कहानी कैसी लगी, कृपया बताएं.
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सबसे पहले सभी Hindi Porn Stories प्यासी चूतों को मेरे लण्ड का सलाम !
मेरा नाम राजेश कुमार है, मैं आप सब प्यासी चूतवालियों का अपने ७ इंच के खड़े लण्ड के साथ आप लोगों का स्वागत करता हूँ !
मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैं २४ साल का नवयुवक हूँ मेरा कद १७५ सेमी और मेरा वजन ६५ किलो है और मैंने बहुत साहस करके अपनी खुद की वास्तविक कहानी आप लोगों का बता रहा हूँ।
वैसे आप सब लोगों को बता दूँ कि मैं एक नम्बर का चूत का चुस्सू हूँ, मुझे चूत चाटने, चूसने और उसका रस पीने में बड़ा मजा आता है। वैसे मैं एक कॉल बॉय बनना चाहता हूँ।
मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ और अभी गांधीनगर, गुजरात में रह रहा हूँ, गांधीनगर में मैं एक सिक्योरिटी कम्पनी में नौकरी करता हूँ और हर ३-४ महीने बाद घर जाता हूँ।
अभी मैं अपनी कहानी पर आता हूँ, मैं अपने परिवार के साथ गाँव में रहता था, मेरे घर के पिछवाड़े में एक परिवार रहता है। उस घर में एक बड़ी सेक्सी औरत रहती है, उसका नाम श्वेता है। उसका साईज ३६ इंच, ३२ इंच, ३८ इंच है।
उसका पति फौज में है, मैंने उस औरत को कैसे चोदा और कब चोदा इस कहानी में बताउंगा।
यह बात उन दिनों की है, जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ता था, तब मेरी उम्र १८ साल और ६ महीने थी।
जब मैं दोपहर को स्कूल से आता तो हमारे घर पर कोई नहीं होता था, एक दिन मैं स्कूल से जब घर आया तो मेरा घर बंद था तो मैं अपने पिछवाड़े की तरफ गया तो देखा कि श्वेता नीम के पेड़ के नीचे आधी नंगी होकर नहा रही है।
जैसे ही मैंने उसे देखा मेरा तो लंड उसकी ३६ इंच की चूची देख के खड़ा हो गया, हमारे पिछवाड़े में एक छप्पर है जिसमें हमारी भैंसें बंधती हैं, मैं उस छप्पर में घुस गया और उसकी तरफ देखा तो श्वेता मेरी तरफ ही देख रही थी। तो मैंने उसे दिखाते हुए अपनी पैन्ट उतारी और उसे नहाता देखते हुए मुठ मारने लगा, अब वो अपने बदन पर साबुन लगा रही थी और तिरछी नजर से मेरे ७ इंच लंड को मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी, लेकिन वो जैसे ही मेरी तरफ देखती, मैं छप्पर की दीवार कर आड़ में हो जाता। पर उसे पता था कि मैं उसे नहाते देख के मुठ मार रहा हूँ।
अब वो अपना पेटीकोट ऊपर करके अपनी जांघों पर साबुन लगा रही थी मुझे उसकी जांघें साफ दिखाई दे रही थी। मैं उसे नहाते हुए देख मुठ मार रहा था और वो कभी अपनी चूचियों को दबाती कभी अपनी जांघों को सहलाती और अचानक उसने अपना पेटीकोट ऊपर उठाया और अपनी चूत पर साबुन मलने लगी। अब मेरे हाथ की स्पीड बढ़ गई थी और मैं झड़ने लगा।
मैंने अपनी पैन्ट पहनी और छप्पर से बाहर निकल कर घर का पिछला दरवाजा खोल अन्दर जाते हुए उसे देखा तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी और मुझे अपनी ओर देखते हुए देख के मुस्करा गई।
अब तो मैं उसे रोज उसे नहाते देखता हुआ मुठ मारने लगा और अब मैं धीरे-२ खुल के मुठ मारते हुए नहाते देखता और वो मुझे देखती हुई नहाते हुए अपनी चूची दबाती।
एक महीने बाद मेरी माँ और मेरा छोटा भाई मेरे मामा के घर गये तो मेरी माँ श्वेता को मेरे खाने के बारे में बता के गई क्योंकि मुझे खाना बनाना नहीं आता था।
जब मैं स्कूल से घर आया तो श्वेता ने मुझे बताया कि मेरी माँ मेरे मामा के घर गई है और आज से वो मुझे खाना खिलायेगी।
तो मैंने कहा- ठीक है !
उसने कहा- तुम आज शाम ७ बजे खाना खाने आ जाना !
फिर मैंने खाना खाया और फिर पिछवाड़े में आ गया तो श्वेता ने कहा- मैं नहा लेती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है !
और मैं अपने छप्पर की ओर जाने लगा तो श्वेता ने कहा- वहाँ जाने की कोई जरूरत नहीं है, तुम यहीं बैठ के मुझे नहाते हुए देखो।
मैंने कहा- मैं तो कभी आपको नहाते हुए नहीं देखता !
तो वो बोली- मैं तुम्हें रोज देखती हूँ ! तुम रोज मुझे देखते हुए वहाँ छप्पर में मुठ मारते हो और अब झूठ बोल रहे हो !
तो मैंने कुछ नहीं कहा और वहीं बैठ गया, वो अपने कपड़े खोलने लगी और मुझसे पूछने लगी- तुझे मेरी कौन सी चीज बहुत अच्छी लगती है?
तो मैंने कहा- मुझे तो तेरी चूचियॉं बहुत अच्छी लगती हैं !
उसने कहा- तो फिर यहाँ आओ और इन्हें अच्छी तरह देखो !
मैं डरते हुए उसके पास गया और देखने लगा तो उसने डाँटते हुए कहा- इन्हें जोर-२ से दबाओ !
और मैंने उसकी दोनों चूचियों को जोर-२ से दबाना शुरू कर दिया।
फिर श्वेता ने मुझ से पूछा- राजेश क्या तूने कभी किसी को चोदा है या किसी को चुदाते हुए देखा है आज तक?
तो मैंने मना कर दिया।
तुम चुदाई के बारे में कुछ जानते हो क्या?
मैंने जवाब दिया- मैं चुदाई के बारे में कुछ नहीं जानता हूँ !
तो श्वेता कहने लगी- तुम आज रात हमारे घर ही सोना, आज मैं तुम्हें सब सिखाउंगी कि चुदाई कैसे करते हैं और चुदाई का कैसे मजा लेते हैं !
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि आज जमके चोदने को मिलेगा।
फिर मैं शाम को ७ बजे श्वेता के घर गया तो श्वेता सज धज के बैठी थी।
यारो, मैं तुम लोगों को बताना भूल गया था कि श्वेता के दो बच्चे भी हैं एक लड़का ३ साल का और एक लड़की १ साल की !
उसने पहले अपने बच्चों खिला के सुला दिया, फिर हम दोनों ने खाना खाया और टीवी देखने लगे। उस समय पर ये सीडी प्लेयर नहीं चले थे। श्वेता के घर में एक पुराना वीसीआर था तो श्वेता ने अपने वीसीआर में एक कैसेट लगाई और बोली- आज तुझे सब कुछ सिखा दूंगी !
थोड़ी देर में जब कैसेट चली तो उसमें दो लड़कियाँ एक लड़के को नंगा कर रही थी, एक ने उसकी शर्ट निकाली और एक ने पैन्ट ! जिस लड़की ने उसकी पैन्ट निकाली, उसने उसकी अण्डरवीयर निकाली और लण्ड पकड़ कर उसे चूसना शुरू कर दिया।
अचानक श्वेता ने मुझे खड़ा कर के मेरी भी पैन्ट निकाल के मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया तो मुझे ऐसे लगा जैसे मैं स्वर्ग में पहुंच गया हूँ और श्वेता मेरे हाथों को अपनी चूचियों पर लाकर बोली- अब इन्हें जोर-जोर से दबाओ और चूसो भी !
तो मैं उसकी चूचियों को दबाने और चूसने लगा। थोड़ी देर बाद हम एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। फिर श्वेता ने मुझे टीवी की ओर इशारा किया कि देखो वो लड़का कैसे उन लड़कियों की चूत चूस रहा है ! तुम भी मेरी चूत भी ऐसे ही चूसो !
फिर मैंने उसका पेटीकोट खोल दिया, मैंने देखा कि उसने नीचे कुछ नहीं पहना है और मुझे उसकी झाँटों से छिपी चूत नजर आने लगी। पहले मैंने उसकी चूत को चूमा और अपनी जीभ चूत के अन्दर डाल दी और चूसने लगा- वाह ! क्या स्वाद था उसकी चूत का ! थोड़ा नमकीन थोड़ा खारा ! मुझे तो मजा आ गया चूत चूसने में, श्वेता जोर-जोर से आ़ऽऽऽ….. और जोर सेऽऽ चूसोऽऽ ! और जोर….. से चूसो ….. बड़ा मजा आ रहा है ….. आह ….. ओह …… अब मैं झड़ने वाली हूँ ….. आह ……. ओर जोर से …….. आह …..मैं गई…..
और अचानक उसकी चूत का रस बुरी तरह बहने लगा तो श्वेता ने मुझसे कहा- मेरा रस पीओ !
तो मैं उसका पूरा चूत-रस पी गया, वो भी मेरा लण्ड बड़े प्यार से चूस रही थी।
श्वेता के झड़ने के थोड़ी देर बाद मेरा वीर्य भी निकलने लगा तो श्वेता मेरा पूरा वीर्य पी गई और कहने लगी- राजेश, मैंने आज तक तेरे वीर्य जैसा गाढ़ा और स्वादिष्ट वीर्य किसी का नहीं पिया !
फिर मैंने कहा- श्वेता, मुझे झांटों वाली चूत अच्छी नहीं लगती, और फिर टीवी की ओर इशारा करके बोला- मुझे उन लड़कियों की तरह सफाचट और साफ चूत पसंद है !
तो श्वेता बोली- मेरे राजा, तुम्हें थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, मैं शेविंग का सामान लाती हूँ ! तुम मेरी चूत की शेव कर दो ! फिर दबा के चोदना !
मैंने कहा- हाँ यह ठीक रहेगा !
फिर वो शेविंग का सामान ले आई।
मैंने उसकी उसकी चूत पे शेविंग क्रीम लगाई और ब्रश को रगड़ने लगा। ब्रश के मुलायम बाल जब चूत के अन्दर गुदगुदी करते तो श्वेता आह…… ओह …… करने लगती। फिर जब खूब झाग बन गये तो मैंने रेजर लिया और शेव करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद चूत चमकने लगी और मैं दोबारा चूत चाटने लगा तो श्वेता बोली- क्या चूत ही चाटते रहोगे या चोदोगे भी !
मैं बोला- मुझे तो चोदना आता ही नहीं है !
श्वेता बोली- चोदोगे तभी तो चोदना सीखोगे ! चूत ही चाटते रहोगे तो चाटना ही सीखोगे।
फिर श्वेता चारपाई पर लेट गई और बोली- मेरे राजा यहाँ आओ और अपना यह मूसलचंद मेरी इस ओखली में डाल के दबा के कुटाई करो !
तो मैं बोला- मेरी चुद्दो रानी ! मेरी तो कुछ समझ में नहीं आया कि तुम क्या बोल गई ?
तो वो हंस के बोली- मेरे बुद्धू चोदू राजा ! अपना यह लम्बा लण्ड मेरी इस में घुसा दो !
और उसने अपनी टाँगें फैला दी, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पे रख कर धक्का मारा तो लण्ड फिसल के साईड में चला गया तो श्वेता बोली- मेरे प्यारे चोदू राजा, यह ऐसे ही अन्दर चला जाता तो हर आदमी चोदू बन जाता !
और फिर अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगाया और बोली- अब मारो धक्का, जोर से मारना कि पूरा लण्ड एक ही झटके में चूत को फाड़ के अन्दर चला जाये और फिर धुँआधार झटके मारना, मेरे दर्द की परवाह मत करना !
फिर मैने एक जोर का झटका मारा और पूरा लण्ड एक ही झटके में चूत के अन्दर पेल दिया, श्वेता जोर से चिल्ला पड़ी- आह ……… थोड़े धीरे, साले मारेगा क्या ………..
मैंने कहा- तुम ही तो बोली थी कि जोर से पेलना !
इतने जोर से पेलने को थोड़े ही बोला था ?
तो मैं रुक गया।
वो बोली- रुक क्यों गया साले?
तो मैं बोला- साली कभी रुकने को बोलती है कभी चोदने को !
तो वो बोली- कि मैंने तुझे पहले कहा था कि मैं कुछ भी बोलूँ तू रुकना मत ! जोर-जोर से धक्के मारते रहना ! तो तू रुका क्यों? अब जोर -जोर से धक्के मारते हुए चुदाई कर !
और चूचियों को भी खूब दबा और चूस !
तो फिर मैंने राजधानी मेल की तरह धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी। ३० मिनट तक दबा के चुदाई चली। इस दौरान श्वेता ३ बार झड़ी और जब मैं झड़ने वाला थ तो मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है !
तो श्वेता बोली- राजा तुम अपना ये अमृत मुझे पिलाना ! मेरी चूत को मत पिलाना !
तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुंह में डाल दिया और वो मेरा पूरा वीर्य गटागट पी गई। उस रात उसने मुझे अलग-अलग आसनों से चोदना सिखाया और फिर हम रोज चुदाई करते ! जब उसका पति छुट्टी आता तो हम छुप के चुदाई करते।
फिर एक बार उसकी बड़ी बहन की लड़की उसके घर आई तो मैंने उसे भी चोदा ! उसका नाम बीरबती था, वो १९ साल की थी और उसके जेठ की लड़की विमला को कैसे चोदा और विमला की गांड कैसे मारी ये आपको अगली कहानी में बताउंगा !
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, कृपया मुझे मेल करें ! Hindi Porn Stories
मेरा नाम राहुल है। मैं Antarvasna गुड़गांव (हरियाणा- दिल्ली के पास) का रहने वाला हूँ। मेरी उमर 37 साल है। मेरी शादी को लगभग 12 साल हो गए। मेरा एक बेटा है जो लगभग दस साल का है। वो देहरादून बोर्डिग स्कूल में पढ़ता है।
मैंने बी.एस सी. (बायो) और फिर बी. फ़ार्मेसी किया। इस लम्बी पढ़ाई और कालेज की जिन्दगी के दौरान कई लड़कियाँ मेरी जिंदगी में आई। कई लड़कियॉ मेरी खास गर्लफ्रैंडस बनी। मैंने अपनी कालेज लाईफ में अपनी कई गर्लफ्रैंडस के साथ सैक्स के मज़े लिए।
सबसे पहले तनु मेरी जिंदगी में आई। फिर नीता, फिर रेनु, चाँद, नीना, शैलजा, कल्पना, मिनी, लीनू, रेखा और आखिर में सुमिता मेरी जिंदगी में आई। इन सभी के साथ में मैंने किसी के साथ एक बार, किसी के साथ दो बार तथा मिनी के साथ सबसे जयादा 19 बार सैक्स किया। बड़े मजे के दिन थे वो।
फिर 12 साल पहले शादी हो गई। शादी के बाद लगभग आठ साल तक अपनी पत्नी के साथ सैक्स का आनन्द लिया। लगभग 4 साल पहले मेरी वाईफ के गर्भाशय को बीमारी के कारण निकालना पडा।
इसके बाद सैक्स में उसकी रुचि लगभग खत्म हो गई। इसलिये हम महीने में लगभग एक या दो बार सैक्स करते।
अब मेरी पत्नी ने लगभग तीन साल से बुटीक का काम शुरु कर रखा है। वो सारा दिन उसमें व्यस्त रहती है। शाम को लेट हो जाती है और काफी थकी भी होती है। इसलिये अब हम महीने में लगभग मुश्किल से एक बार ही सैक्स कर पाते हैं। खैर छोड़िये…
शादी के बाद भी कुछ लड़कियाँ मेरी जिंदगी में आई जिनके साथ मैंने सैक्स किया।
सबसे पहले मेरी साली रजनी उर्फ ‘बेबो’ मेरी जिंदगी में आई।
फिर मेरे पड़ोस की प्रिया, फिर मेरे दोस्त देवेन्द्र की दोस्त पायल और आखिर में मेरी पत्नी की सहेली… उसका नाम मैं अभी नहीं बताऊँगा क्योंकि उससे मेरा रोमांस अभी चल रहा हैं, मेरी जिंदगी में आई।
इन सभी के साथ में मैंने कई बार सैक्स किया हैं।
इनमें से मैंने अपनी साली रजनी उर्फ ‘बेबो’ के साथ सबसे जयादा 17 बार सैक्स किया। हर एक के साथ सैक्स की अपनी अलग और एक मजेदार कहानी हैं। काश स्टिरियो की तरह से जिंदगी में भी रिवाइन्ड बटन होता तो मैं इन कहानियों को फिर से रिवाइन्ड करके देखता और आप लोगों को भी बताता। पर ऐसा नहीं हो सकता। इसलिये मैं अपनी कुछ खास घटनाएं आपके साथ बांट रहा हूँ।
छुट्टी वाले दिन पत्नी तथा बेटे के ना होने की वजह से मैं जब भी फ्री होता हूँ तो इंटरनेट से गर्म और सेक्सी चित्र, अंग्रेज़ी और हिन्दी की कहानियाँ डाऊनलोड करता हूँ और अन्तर्वासना हिंदी कहानियाँ जरूर पढ़ता और डाऊनलोड करता हूँ।
आज मेरे पास ऐसे चित्रों तथा ऐसी कहानियों का बहुत बड़ा संग्रह है। अन्तर्वासना की ज्यादातर कहानियाँ बहुत अच्छी तथा दिल को छू लेने वाली और अपनी सी लगती हैं। इन्हीं सब कहानियों से प्रेरणा पाकर मैं भी अपनी कुछ कहानियाँ लिख रहा हूँ। ये सारी कहानियाँ बिल्कुल सच्ची हैं, आप मानो या न मानो। खैर …
अब मैं आपको अपनी पहली सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। जल्दी ही और भी कहानियाँ आपके सामने आने वाली हैं। तो मज़े लो दोस्तो, पर पढ़ने के बाद मुझे मेल जरूर करना।
मेरे माता-पिता दोनों टीचर थे। मेरी एक बड़ी बहन है। लगभग 18 साल तक किराए के मकान में रहने के बाद मम्मी-पापा ने सैक्टर में मकान बना लिया। जब हम उस मकान में गए तब मेरी उमर लगभग 18 साल थी। मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ता था।
मेरा मकान उन दिनो में शहर के सबसे अच्छे सैक्टर में था। कार्नर का मकान था।
मुझे बचपन से सैक्सी किताबें पढ़ने तथा सैक्सी तस्वीरें व पोस्टर देखने का बड़ा शौक था। इसी वजह से मैं वक्त से पहले ही सैक्स के बारे में सब कुछ जान गया था।
मेरे अगले तथा साथ वाले मकान में तनु अपने माता-पिता और एक छोटे भाई के साथ रहती थी।
तनु के पिता मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी थे।
तनु भी मेरी तरह ग्यारहवीं क्लास में मगर किसी दूसरे स्कूल में पढ़ती थी। वो थोड़े लम्बे कद की, पतले और नाजुक जिस्म की तथा बड़े-बड़े स्तनों वाली बहुत सुंदर लड़की थी। मुझे उससे पहली ही नजर में प्यार हो गया था।
पड़ोस का मकान होने की वजह से हम अकसर रोज ही मिलते तथा बात करते थे। मैं और तनु कभी-कभी किताबें या नोट्स लेने के बहाने एक-दूसरे के घर आने-जाने लगे।
एक दिन तनु अपने गेट पर खड़ी होकर अपनी सहेली नीता से बात कर रही थी। वो दोनों कुछ अजीब सी बातें कर रही थी। फिर एक में तीन, एक में जीरो कह कर हंसने लगी।
तनु की सहेली के जाने के बाद मैंने तनु से पूछा- एक में तीन, एक में जीरो क मतलब क्या था?
तनु ने नहीं बताया। मेरे काफी जिद्द करने के बाद उसने बताया कि लड़कियों के नीचे से महीने में दो-तीन दिन खून निकलता है। एक में तीन एक में जीरो का मतलब कल तो तीन बार खून निकला था। मगर आज एक बार भी नहीं निकला।
मैं समझ गया कि वो मासिक-धर्म के बारे में बात कर रही थी क्योंकि मैंने इस बारे में पढ़ा और दोस्तो से सुना था। फिर भी मैंने अनजान बन कर तनु से पूछा- ऐसा क्यों होता है?
तनु बताना नहीं चाहती थी मगर मेरे काफी जिद्द करने के बाद उसने बताया कि जब लड़कियाँ जवान होती हैं तो लड़कियों के नीचे से हर महीने में दो-तीन दिन खून निकलता है। फिर वो अपने आप बन्द हो जाता है। इसका मतलब अब लडकी माँ बन सकती है।
मैंने फिर अनजान बन कर तनु से पुछा कि ऐसा कैसे होता है? लडकी माँ कैसे बन सकती है?
तनु बताना नहीं चाहती थी मगर एक बार फिर मेरे काफी जिद्द करने के बाद उसने बताया कि जब लड़के और लड़कियों का मिलन होता है तो लडकी गर्भवती हो जाती है और उसके खून निकलना बन्द हो जाता है। फिर नौ महीने बाद बच्चा हो जाता है।
मैंने फिर अनजान बन कर तनु से पूछा कि लड़के और लड़कियों का मिलन कैसे होता है।
एक बार फिर मेरे काफी जिद्द करने के बाद तनु ने बताया कि जब लड़का अपने लिन्ग को लड़की की योनि के अन्दर डाल कर आगे-पीछे करता है। फिर उसके लिंग से शुक्राणु लड़की की योनि के अन्दर गिर जाते हैं और उससे लड़की गर्भवती हो जाती है।
मैंने इसी तरह से बहुत सी बातें तनु से पूछी और उसने बताई भी। फिर मैंने उससे पूछा कि उसे ये सब कैसे पता चला। तो उसने बताया कि उसके ताऊ जी की लड़की की शादी कुछ दिन पहले ही हुई है। उसी ने उसे ये सब कुछ बताया है।
इस तरह मैं और तनु काफी खुल गये थे। अब मैं अकसर उससे सैक्स की बातें करने लगा। फिर धीरे-धीरे उसको छेड़ने लगा। फिर हमारी छेड़-छाड़ चूमने तक, फिर होंठों पर होंठ का चुम्बन और आखिर में एक-दूसरे के अँगो को चूने, हाथ फिराने और दबाने तक पहुँच गई।
हम जब भी एकांत में होते तो एक-दूसरे से लिपट कर किस करते। मैं हाथों से तनु के बड़े-बड़े स्तन दबाता और वो हाथों से मेरा लण्ड दबाती। हम दोनों को ऐसा करना बहुत अच्छा लगता था। एक बार हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर होंठों का प्रगाढ़ चुम्बन कर रहे थे।
मैं किस करते-करते अपने हाथों से तनु के कुरते के ऊपर से उसके बड़े-बड़े स्तन दबा रहा था और वो अपने हाथों से पैंट के ऊपर से मेरा लण्ड पकड़ कर दबा रही थी।
मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया। मैंने पैंट की जिप खोल कर अपना लण्ड बाहर तनु के हाथ में पकड़ा दिया।
तनु ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया, वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी।
मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था।
तनु मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर उपर-नीचे और आगे-पीछे करने लगी। मैंने तनु की सलवार के अन्दर हाथ डाल दिया। फिर मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा।
कुछ देर बाद मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा।
फिर मैं तनु की चूत पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ तनु की चूत के अन्दर डाल दी। फिर ऊँगलियों से तनु की चूत के फाँको में डाल कर रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद तनु की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।
इतने में मेरी बहन कालेज से आ गई और हम अलग हो गये। हम सोफे पर आ कर बैठ गये।
मेरा लण्ड अभी तक खड़ा था, इसलिए मैं उसे अपनी टांगों के बीच में दबा कर बैठ गया। खैर उस दिन हम बच गये।
लेकिन तनु की की चूत से जो कुछ बहुत चिकना सा निकला था, उसकी वजह से मैं उसे चिकनी-चिकनी कह कर चिड़ाने लगा।
इस तरह हम दोनों काफी खुल गऐ थे और एकांत में अकसर ही ये सब करने लगे थे। हमें अकसर ही मौका भी मिल जाता क्योंकि मेरे मम्मी-पापा नौकरी से तथा बहन कालेज से शाम को 5-6 बजे तक आते थे। जबकि मैं और तनु दोनों ही लगभग 2 बजे स्कूल से आ जाते थे।
फिर तनु मेरे यहाँ ह्फ्ते में दो-तीन बार बुक्स य नोटस लेने के बहाने से आ जाती और हम एक-दूसरे को बाँहो में भर कर खूब प्यार करते। हाँ, सैक्स नहीं किया क्योंकि हमें कभी भी दो-तीन घंटे या ज्यादा समय नहीं मिला। बस एक दिन ऐसा समय मिला और उस ही दिन सब कुछ हो गया।
तनु की मेरी बहन से बहुत अच्छी दोस्ती हो ग़ई थी। शाम को अकसर तनु हमारे घर आ जाती। फिर वो और मेरी बहन दोनों पार्क में घूमने चले जाते।
हमारा परीक्षा परिणाम आ गया। हम दोनों बहुत अच्छे नम्बरों से पास हो गए। बारहवीं में बोर्ड के पेपर होने थे इसलिए पापा कहीं बाहर नहीं जाने देते थे। बस घर में रहो और पढ़ते रहो। मम्मी-पापा मार्केट भी अकेले जाते और हम दोनों भाई-बहन को घर ही छोड़ जाते।
एक दिन शाम को तनु घर आई तो मैं घर में अकेला था। मेरी बहन और मम्मी-पापा मार्केट गए थे। हम दोनों ड्राइंगरूम में बैठ कर बातें करने लगे। हमने कुछ देर बातचीत की। फिर तनु घर जाने के लिये खड़ी हो गई।
मैंने उससे कहा,’थोड़ी देर और रुकोगी नहीं? प्लीज़, कुछ देर और रुको ना।’
वो रुकी नहीं और जाने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। वो अपना हाथ छुड़ाने लगी। मैंने उसे धकेल कर दीवार से सटा दिया और उसके माथे को चूमा। फिर उसके गालों को चूमने लगा।
तनु के सर के पीछे स्विच-बोर्ड था। अचानक उसका सर स्विच पर लगा और लाईट बन्द हो गई। तनु एकदम अन्धेरा होने से डर गई और मुझसे लिपट गई।
मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया। मैंने अपने हाथो में तनु का चेहरा थाम लिया और फिर मैंने अपने जलते हुए होंठ तनु के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।
तनु ने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मैं तनु को किस करते-करते मैं उस के बालों में हाथ फिराने लगा, उसके गालों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा।
कुछ देर बाद मैं उसकी टी-शर्ट के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके वक्ष को दबाने लगा और उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा।
तनु बोली ‘क्या करते हो? दीदी और अंकल-आन्टी आने वाले होंगे।’
मैंने कहा,’चिंता मत करो। वो सब दो-तीन घंटे तक नहीं आँएंगे और जब आएँगे तो गाड़ी का हॉर्न बजा कर सामान ले जाने के लिये मुझे बुलाएँगे। जब मैं सामान लेने जाउँगा तब तुम कपड़े पहन कर पिछ्ले दरवाजे से घर चली जाना। किसी को पता भी नहीं चलेगा।’
हमारा मकान कॉर्नर का है, जिसका पिछला दरवाजा पीछे गली में खुलता है। तनु यह बात जानती थी। इसलिये वो कुछ नहीं बोली।
मैंने मुख्य दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर मैं तनु का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया और बेडरूम की फुट-लाईट जला दी। कमरा धीमी लाल रौशनी से भर गया। मैंने तनु को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।
तनु ने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया, मेरे हाथ तनु के जिस्म पर फिर रहे थे।
कुछ देर बाद मैंने तनु को बैड पर लिटा दिया, उसकी बगल में लेट कर उसके गालों को चूमने लगा।
फिर मैंने तनु की टी-शर्ट ऊपर करके उसके चिकने पेट पर अपने जलते हुऐ होंठ रख दिए और उसके नरम-नरम, गोरे-गोरे पेट को अपने होंठों से चूमने लगा। तनु के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।
मैं उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा तो तनु ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार कर बैड पर फैंक दी।
तनु के बड़े-बड़े ओर गोरे-गोरे स्तन सफेद ब्रा में फँसे थे। मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। तनु ने अपनी आंखें बंद कर ली। फिर मैं उसकी ब्रा के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी सख्त हो चुकी चूचियों को दबाने लगा।
कुछ देर बाद मैं उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा। फ़िर मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी और दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दिया और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा। साथ-साथ उसके गुलाबी चूचुकों को हल्के-हल्के मसलने लगा।
फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे स्तनों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। फिर मैं उसके पेट पर हाथ फिराते हुऐ उसकी लोअर के अन्दर ले गया और उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा।
फिर कुछ देर तक उसकी चूत पर हाथ फेरने के बाद मैं अपनी हथेली से उसकी चूत को दबाने लगा। वो बहुत गरम हो चुकी थी और मेरे सर पर हाथ फेर रही थी, अपने होंठ चूस रही थी।
मैं उसके लोअर को खींच कर उतारने लगा।
तनु बोली ‘प्लीज़! इसे मत उतारो। कोई आ जाएगा।’
मैंने कहा ‘ओफोह तनु, चिंता मत करो, कोई नहीं आँएंगा।’
तनु बोली ‘प्लीज़! मुझे डर लगता है।’
मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु डरने की क्या बात है। मेरे होते हुऐ तुम चिंता मत करो। कोई नहीं आँएंगा। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ! बहुत प्यार करता हूँ! तुम मेरी हो! प्लीज़! मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ! प्लीज़! तनु, मैं आज तुम्हें अपने सामने नंगी देखना चाहता हूँ! प्लीज़!’
तनु यह बात सुनकर कुछ नहीं बोली। मैं फिर उसके लोअर को उतारने लगा। अब तनु ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसका लोअर उतार कर फेंक दिया। तनु ने लाल पैन्टी पहनी हुई थी। फिर मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिये और सिर्फ चड्डी में तनु से लिपट गया।
फिर मैं उसकी पैन्टी के उपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा। तनु ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी। फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी पैन्टी को खींच कर उतारने लगा।
तनु बोली ‘क्या कर रहे हो। प्लीज़! इसे मत उतारो। कोई आ जाएगा। मुझे शरम आ रही है।’
मैंने कहा ‘अपनी आँखें बन्द कर लो। नहीं आएगी।’
तनु बोली ‘प्लीज़! इसे मत उतारो। मुझे डर लगता है।’
मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु डरने की क्या बात है।’
तनु बोली ‘प्लीज़! राज़, मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं लेकिन यह ठीक नहीँ है! प्लीज़! इसे मत उतारो। मुझे बहुत ही गलत लग रहा है।’
मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु, इसमें कुछ गलत नहीं है। प्यार में कुछ गलत नहीं होता। प्लीज़! तुम अपनी आँखें बन्द कर लो और मुझ पर भरोसा रखो।’
तनु बोली ‘प्लीज़! मुझे डर लगता है।’
मैंने कहा ‘प्लीज़! तनु कुछ करेंगे नही। बस कपड़े उतार कर नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटेंगे और खूब प्यार करेंगें।’
यह कह कर मैंने लगभग जबरदस्ती ही उसकी पैन्टी उतार दी। तनु का नंगा बदन लाल रोशनी में नहाकर लाल हो गया।
मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और चड्डी फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था। मैंने चड्डी उतार कर फेंक दी। फिर मैं तनु से लिपट गया।
मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया और एक हाथ उसके वक्ष पर रख कर उसे दबाने लगा। वो और गरम होने लगी थी।
फिर मैंने तनु को अपने साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड तन कर तनु की चिकनी टांगों से टकरा रहा था।
मैं तनु की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। वो सिस्कारियाँ लेने लगी।
मौके की नज़ाकत को समझते हुए मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगली तनु की चूत के अन्दर डाल दी। फिर ऊँगलियों से तनु की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगा। Antarvasna
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