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Massage Girl in East Garo Hills: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in East Garo Hills who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in East Garo Hills that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The East Garo Hills massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in East Garo Hills who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your East Garo Hills massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This East Garo Hills massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in East Garo Hills who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in East Garo Hills employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in East Garo Hills helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in East Garo Hills

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in East Garo Hills at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

हेल्लो दोस्तो,मैं पिछले Hindi Sex Stories कई दिनों से अन्तर्वासना में कहानियाँ पढ़ता रहता हूँ। मुझे बहुत सी कहानियाँ अच्छी लगती हैं कुछ तो मुझे ठीक भी नहीं लगती हैं।
ये सब छोड़ो हम आते हैं अपनी बात पर !

आज मैंने भी सोचा कि क्यूँ न मैं भी एक कहानी लिखकर भेजूँ…मतलब अपना अनुभव…
इसीलिए दोस्तों मैं पहली बार अपनी ओर से कहानी भेज रहा हूँ उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आएगी !

सबसे पहले मैं अपने बारे में बता दूँ, मैं 23 साल का हट्टा कट्टा लौंडा हूँ कद 5’7′ है और दिखने न ही सलमान खान हूँ और न ही नाना पाटेकर मतलब आप लोग समझ ही गए होंगे कि मैं एक सामान्य सा दिखने वाला लड़का हूँ।
चलो हम कहानी पर आते हैं_

बात उन दिनों की है जब मैं होस्टल में पढ़ता था। हमारा स्कूल लड़के लड़कियों का था, सभी लोग होस्टल में रहते थे। जब मैं दसवीं कक्षा में प्रवेश किया तब हमें काम से बाहर जाना पड़ा मतलब दूसरे स्कूल में। वहां भी ऐसा ही सिस्टम था।

वहां एक हिन्दी की मैडम थी, बहुत ही सेक्सी थी। उसे मैं जब भी देखता था तो बस ऐसा लगता था कि बस ये मिल जाए…तो जिंदगी सँवर जाए… एक दिन लंच के बाद मैं मैडम के घर गया क्योंकि मुझे उनसे कुछ पूछना था।

मैंने दरवाजा खटखटाया लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं मिला और दरवाजा खुला था तो मैं अन्दर चला गया उस समय वो नहा रही थी। मैंने कहा की मैडम मुझे कुछ पूछना है तो उसने कहा कि बैठो मैं अभी आती हूँ।

फ़िर मैं बैठ गया वो अन्दर आई और कहा- हाँ अब बोलो !
मैंने कहा कि मैडम मुझे कुछ समझ आ नहीं रहा है क्या आप मेरी मदद करेगी?
वो उस समय तौलिये में ही थी ..बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
फ़िर उन्होंने कहा- चाय पियोगे?
मैंने कहा- ठीक है !

हम लोग हमारी बात करने लगे मैंने कहा- मैम आपकी शादी हो गई क्या?

उन्होंने कहा- हाँ शादी हुए 2 साल हो गए हैं।
मैंने कहा- फ़िर आप अकेली तो उन्होंने कहा कि मेरे पति मैं पसंद नहीं हूँ क्योंकि मैं उनको बच्चा नहीं दे सकती ना और वो रोने लगी।
मैंने कहा- नहीं मैडम आप तो इतनी सुंदर है बिल्कुल परी जैसी आप से तो कोई भी शादी कर सकता है…

फ़िर उसने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है सभी को बच्चे की चाहत रहती है… और वो और ज्यादा रोने लगी मैंने उन्हें बाहों में ले लिया और पीठ सहलाने लगा…फ़िर धीरे वो भी गर्म होने लगी उनको छूते ही मेरा सामान एक्शन में आ गया। बस फ़िर क्या था मैंने उनके गले में किस करना शुरू कर दिया इस पर उन्होंने कहा कि क्या कर रहे हो?

फ़िर मैंने कहा कि कुछ मत कहो बस करने दो, बहुत दिनों से तुम्हारे बारे में सोचता रहता हूँ…

वो भी बोली कि हाँ मैंने तुम्हें क्लास में भी देखा था… तो उसने कहा कि फ़िर देर क्यूँ कर रहे हो, मेरी प्यास को बुझा दो..

मैंने उसका तौलिया निकाल दिया। अन्दर का सीन देखकर तो मैं दंग रह गया क्योंकि अन्दर वो एकदम दूध जैसी सफ़ेद थी फ़िर मैं उसके बूब्स को दबाने लगा… वो सिसकियाँ लेने लगी और बोली और चूसो… आह्ह… आह्ह्ह… उम्म्म… काटो उसको काटो बहुत मजा आ रहा है…तुम कितने अच्छ्हे हो मुझे पहले पता होता तो मैं रोज़ तुम्हे बुला लेती ..

मैंने कहा कि मैं ख़ुद ही आ जाता नाह्ह्ह जानाह्ह …उम् …आह्ह्ह… आह्ह्ह्ह…

फ़िर उसने मेरे लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी…
आज इतना ही ..बाकि आपके उत्तर के बाद और हाँ एक बात और उसने मुझे 3000 भी दिए और बोली कि तुमने मुझे बहुत किया ये रख लो वैसे ये भी कम है जितना मुझे मिला है उसके मुकाबले…और उसके बाद से मैं ऐसे ही नाखुश को खुश करने लगा…सब बताऊंगा लेकिन जवाब के बाद… Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

अब बारी तृष्णा की Hindi Sex Stories थी, उसने विक्रम का अन्डरवीयर उतारा, अन्डरवीयर के उतरते ही मैं और तृष्णा विक्रम के लंड को देख कर आश्चर्यचकित हो गए, लगभग 8 या 9 इंच का लंड था। इतने बड़े लंड को देख के मेरी बीवी के चहरे पर ख़ुशी छा गई, वो इतने ही लम्बे लंड के साथ सम्भोग करना चाहती थी।

और फिर क्या! तृष्णा भी विक्रम के लंड पर इस प्रकार टूटी जैसे वो जन्मों-जन्मों की प्यासी हो। विक्रम के लंड को हाथों से सहला कर, आगे पीछे करके उसे जी भर कर देखने लगी। एक लम्बे लंड से चुदने की चाह आज उसकी पूरी हो रही थी। तृष्णा ने लंड के सुपारे को चूमा, अब उसने लंड को चूसना प्रारम्भ किया। कभी वो लंड को चूसती, कभी वो अण्डों को चूसती, उसके चूसने के तरीके ने मेरे लंड को भी खड़ा कर दिया।

मैंने भी अपने कपड़े निकाल कर उसके मुँह के सामने अपना लंड खड़ा कर दिया और बोला- लो! अब दो दो लंड को एक साथ चूसो!

दो लंड एक साथ देख कर उसको मजे आ गये और दोनों को एक एक हाथ में पकड़ कर बारी बारी से चूसने लगी। 15-20 मिनट चूसने के बाद विक्रम ने तृष्णा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगों को चौड़ा किया। दोनों टाँगों के चौड़ी होते ही तृष्णा की चिकनी चूत खुल गई और अन्दर का गुलाबी भाग दिखने लगा। अब तक तृष्णा की चूत बहुत सारा पानी छोड़ चुकी थी और अब वो चुदने के लिए तैयार थी।

विक्रम ने एक ऊँगली तृष्णा की चूत में डाली, ऊँगली के अन्दर जाते ही तृष्णा के मुँह से आह निकली। विक्रम अब तक तृष्णा के ऊपर आ चुका था और तृष्णा को अपने आगोश में लेने को तैयार था। उसने अपने लंड का मुँह चूत पर रखा और धीरे से एक धक्का मारा, जिससे विक्रम का आधा लंड तृष्णा की चूत में चला गया। लंड के अन्दर जाते ही तृष्णा ने जोरदार तरीके से सिसकारी भरी।

इस दृश्य को देखने में मुझे बड़ा मजा आया क्यूंकि इसी नज़ारे का मैं कितने दिनों से इन्तजार कर रहा था।
क्या शानदार नजारा था मेरे सामने!

एक लड़का मेरी ही बीवी को चोद रहा था और मैं दर्शक की तरह इस नज़ारे को देखते हुए अपने लंड को सहला रहा था। विक्रम तृष्णा के होठों का रसपान करते हुए चोदने की गति बढ़ा देता तो कभी धीरे धीरे चोदता। उसके स्तनों को चूसते हुए वो काम क्रीड़ा को चरम सीमा पर पहुँचाने में लग गया। मेरी बीवी के मुँह से आज अलग अलग सिसकारियों, आहों की आवाजें निकलने लगी। वो भी कामक्रीड़ा के सागर में गोते लगाने लगी।

15 मिनट के बाद दोनों के मुँह से सिसकारियों की आवाजें तेज होने लगी और दोनों ने एक लम्बी आह्ह्ह्ह हह्ह्ह्ह भरते हुए अपना अपना पानी छोड़ दिया। विक्रम निढाल होकर तृष्णा के नंगे जिस्म पर लेट गया। तृष्णा उसको धीरे धीरे प्यार करने, चूमने लग गई। विक्रम तृष्णा के ऊपर तब तक रहा जब तक उसका लंड नौ इंच से घट कर तीन इंच का नहीं रह गया। तृष्णा अभी भी बिस्तर पर लेटी हुई थी और इस नग्न अवस्था में बहुत कामुक और सुन्दर लग रही थी।

उसने लेटे लेटे ही एक नेपकिन से विक्रम के वीर्य को साफ़ किया और मुझे अपनी बाँहों में भरने के लिए इशारा करने लगी। मैं तृष्णा के पास पेट के बल लेट गया और उसके स्तन चूसने लगा।
मैं धीरे धीरे उसके जिस्म को चूमने लगा जिससे वो फिर गर्म हो गई और एक झटके से उसने मुझे बिस्तर पर गिराया और मेरे ऊपर आ गई।
मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रखा और एक हल्के धक्के से मेरे लंड को अपनी चूत में समाने लगी। पूरा लंड अन्दर जाने के बाद वो मुझसे चिपक गई। अब वो धीरे धीरे अपनी कमर चलाने लगी। कमर को चलाते हुए वो मेरे होठों को चूसती रही।

मैंने तृष्णा से धीरे से पूछा- मजा आया या नहीं एक पराये लंड की सवारी करके?

वो बोली- एकदम मजा आ गया! उसका लंड आपसे भी लंबा था। मेरी चूत को फाड़ते हुए वो चूत की अंतिम दीवार तक को ठोक रहा था।

वो बोली- विक्रम का लंड लम्बा है और आप का लंड मोटा है, दो अलग अलग लंड से चुदने में मजा आ गया।

बातें करते हुए वो गर्म होने लगी और अपनी कमर को तेज चलाने लगी। वो अब मेरे ऊपर बैठ कर आगे पीछे होने लगी जैसे घुड़सवारी कर रही हो।

मैं भी नीचे से हल्के हल्के धक्के मारने लगा। मैं उसके स्तनों को मसलने लगा। वो धीरे धीरे अपनी चरमसीमा पर पहुँचने लगी और एक जोरदार धक्के के साथ उसने अपना पानी छोड़ दिया। अब बारी मेरी थी, मैं उसे बिस्तर पर लिटा कर जोरदार पेलमपेल करने लगा और अंत में मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया।

दो बार झाड़ने के बाद वो भी निढाल होकर लेट गई। विक्रम ने हमें खाने को चिप्स और ज्यूस दिया। बीस मिनट के ब्रेक में हमने थोड़ी बातचीत की। विक्रम बातें करते हुए तृष्णा के वक्ष पर हाथ फेरता, कभी तृष्णा की गांड पर हाथ फेरता।

अब विक्रम का लंड तृष्णा के स्पर्श से फिर खड़ा हो गया और एक बार फिर तृष्णा की चूत में हंगामा मचाने लगा। तृष्णा दो बार चुद कर थोड़ी थक गई थी, फिर भी नए और लम्बे लंड का मजा लेने लगी।

इस बार चुदाई थोड़ी लम्बी चली। विक्रम ने अलग अलग काम आसनों के जरिये चुदाई की। लगभग आधा घंटे की पेलमपेल करने के बाद दोनों फिर झड़ गए। अब हम तीनों बेड पर पूर्ण-नग्न ही लेटे रहे।

आधा घंटा सुस्ताने के बाद हम उठे। तृष्णा ने विक्रम के लंड पर एक चुम्बन लिया और कहा- तुमको मैं कभी भूल नहीं सकूंगी।

हम तीनों ने अपने अपने कपड़े पहने। जाते हुए तृष्णा ने विक्रम को गले लगा कर चूम लिया और आगे भविष्य की अनिश्चिताओं को छोड़ते हुए मैंने और तृष्णा ने विक्रम को अलविदा कहा।

घर लौटते हुए मैं और तृष्णा मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। आज हमने उस काम को अंजाम दिया जिसकी हम कल्पना करते थे। आज मुझे विचार आ रहा था कि अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ सच भी हैं क्यूंकि अब एक कहानी मेरे पास भी थी।

दोस्तो, मेरी सच्ची घटना पर आधारित यह हिन्दी सेक्स स्टोरी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर जरूर बतायें। Hindi Sex Stories

Indian Sex Stories

दोस्तों, मेरा नाम अमन है, मैं दिल्ली Indian Sex Stories मैं नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र २४ वर्ष है, यानि कि जवान हूँ। मैं अपने बारे में कुछ बता देना चाहता हूँ। मैं सेक्सी दिखता हूँ, ग़लती से या सही से, भगवान ने मुझ ग़रीब को अच्छे व्यक्तित्व का मालिक बनाया है। मेरा क़द ५.७ फीट है, देखने में कोई बॉडी-बिल्डर तो नहीं पर एक अच्छे बद़न का मालिक ज़रूर हूँ। मैं अन्तर्वासना में प्रकाशित हुई लगभग सारी कहानियाँ पढ़ता रहता हूँ। यह साईट मुझे काफ़ी अच्छी लगती है। आज मैं भी आप लोगों को अपनी आपबीती में शामिल करता हूँ।

बात तब की है जब मैं अपने चाचा-चाची और भाई-भाभी के पास रहने और नौकरी तलाश करने के लिए दिल्ली आया था। उस समय मेरे चाचा के घर में किरायेदार के रूप में मेरे ही गाँव का एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक लड़की रेखा, जिसकी उम्र १८ वर्ष है और दूसरी उसकी छोटी बहन जो १० साल की है और उनके एक छोटा भाई है जिसका नाम अमित है और वह ६ साल का है।

बात रेखा की है, जो मुझसे प्यार करती थी, और मुझे पता भी नहीं था, पर एक दिन क्या हुआ… यह आप ख़ुद ही जान जाएँगे।

जब मैं रहने के लिए वहाँ गया था, तो शुरू-शुरू में तो वह मुझसे बात भी नहीं करती थी, सोचती थी मैं पहल करूँ। पर मैं तो ठहरा गाँव का आदमी, भला कहाँ से पहल करूँ? वैसे तो मुझे गाँव में काफी अवसर मिले पर मैं एक बार भी कर नहीं पाया क्योंकि डर रहता था कि अगर मैं कुछ ग़लत करता हूँ तो बद़नामी मेरे घरवालों की होगी। आप को तो पता ही होगा कि गाँव में अगर कुछ ग़लत करो तो बद़नामी घरवालों के सिर आती है। वैसे तो गाँव में मेरे काफी दोस्त ये सब काम मेरे सामने भी करते थे पर मैं मना कर देता था, इसलिए गाँव में काफी कम ही दोस्त थे। जो थे मेरी ही तरह के थे जो खीर देख तो सकते थे, पर खा नहीं सकते।

अब कहानी पर आता हूँ। तो दोस्तों काफी समय तक ना तो वो मुझसे कुछ कहती, ना ही मैं उसमें दिलचस्पी लेता, क्योंकि उस समय वहाँ कुछ बनने के लिए आया था। ऐसे ही दिन-महीने गुज़रते रहे। बात तो हो ही जाती पर कभी प्यार वाली बात नहीं होती। एक दिन शाम को मैं ऑफिस से घर आया और हाथ-पैर धोकर छत पर चला गया। वहाँ पर वह, उसका भाई और मेरी २ साल की भतीजी वहाँ खेल रहे थे। इतने में वे तीनों आकर मुझे च्यूँटी काटने लगे, तो मैंने भी रेखा की चुटकी ली। मेरे चुटकी काटने से वह रोने लगी और छत से नीचे चली गई। मैंने सोचा कि कहीं उसने नीचे जाकर सब को बता दिया तो मेरा जीना हराम हो जाएगा, क्योंकि मेरा भाई बड़ा हरामी है, साले ने मेरा जीना मुश्किल कर रखा था।

थोड़ी देर बाद वह फिर से ऊपर आई और आकर मेरे साथ खड़ी हो गई, तो मेरी जान में जान आई, वरना मैं तो सोच रहा था कि बेटा अमन, आज पिटने के लिए तैयार हो जा। कुछ ही देर बाद उस के मुँह से अपना नाम सुनकर मैं चौंक गया। उसकी वह आवाज़ आज भी मुझे याद आती है। आए भी क्यों नहीं, आख़िर पहली बार मैं किसी के मुँह से ‘आई लव यू’ सुन रहा था। मेरा तो माथा ही ठनक गया। और वह यह बोलकर चली गई, फिर मैं काफी देर तक सोचता रहा कि मैं क्या करूँ। अन्त में बिना किसी निर्णय पर आए हुए मैं भी नीचे आ गया।

रात को खाना खाकर सोने के लिए अपने बिस्तर पर चला गया। मैं जहाँ सोता था वहाँ पर बर्तन धोने जाने का रास्ता था। मैं सो रहा था या यों कहें कि मैं उसी के बारे में सोच रहा था कि तब तक वह हाथ में बर्तन लेकर धोने के लिए वहाँ आकर खड़ी हो गई और मुझे देखने लगी। मैं आँखें बन्द करके सोच रहा था, तो उसने आराम से बर्तन नीचे रखे और मेरे होठों को किस कर लिया, वह मेरा किसी लड़की द्वारा किया गया पहला किस था। तो मैं उठ पड़ा और सोचा कि अगर यह एक लड़की होकर इतना कर सकती है, तो मैं लड़का होकर क्यों शान्त सोया पड़ा हूँ। मैंने भी उसी स्टाईल में लगभग १५-२० मिनट तक उसे किस किया। फिर मैंने जाना कि किस क्या होता है। फिर वह वहाँ से चली गई। अब ना तो मैं ठीक से काम कर पाता था, ना ही ठीक से पढ़ पाता था, दिन-रात उसी के बारे में सोच-सोच कर मैं ५४ से ४८ किलो का हो गया था। मेरे चाचा-चाची कहते कि द़िल लगाकर पढ़ाई कर रहा है तो बीमार हो गया है, एक काम कर यो तो तू काम कर या पढ़ाई कर, थोड़ा बोझ हल्का हो जाएगा।

पर उनको तो पता नहीं था कि मेरा द़िल तो कहीं और ही लगा हुआ है, तो पढ़ाई में कहाँ से लगेगा। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैं जहाँ भी उसे अकेले में देखता था या पाता तो तुरन्त ही जाकर उसके होठों को चूमने लगता। वह भी मना नहीं करती, क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा था, तब तक होली भी नज़दीक आ रही थी। हमारे चाचा-चाची ने घर जाने का फैसला किया कि इस बार गाँव में ही होली मनाएँगे।

मैं तो जा नहीं सकता था। अगर मैं जाता तो मेरी कमाई, पढ़ाई, और चुदाई तीनों पर कोई और होली खेल जाता। तो वे लोग गाँव चले गए, घर में मैं रह गया, साथ में मैं मेरी भाई-भाभी और मेरी दो भतीजियाँ। और वह तो पहले से ही अपने पूरे परिवार के साथ वहाँ थी ही।

एक रात हम सब छत पर सो रहे थे कि तेज़ बारिश शुरू हो गई, सब नीचे भाग आए सोने कि लए। मौसम तो ऐसा था कि जिनकी शादी हो गई थी वो तो बीवी के साथ लगे होंगे, जिनकी नहीं हुई वह लण्ड पकड़कर सो रहे होंगे, मेरी तरह। उस रात मैं भगवान को कोस रहा था, आप को अगर पता न हो तो एक बात बता दूँ कि दिन में एक बार आप जो भी बोलते हैं, वह सच हो जाता है, शायद वही हुआ।

रात के लगभग २ बज रहे थे, मैं बरामदे में ही अकेला सो रहा था, भाई-भाभी अन्दर कमरे में कुण्डी लगाकर सो रहे थे। अचानक मुझे पायल की आवाज़ सुनाई पड़ी, मैंने आँखें खोली तो देखा कि बुलुबल आराम से नीचे उतर रही है। वह सीधा मेरे बिस्तर पर आई और मेरे साथ लेट गई। मैं तो अचानक हवा में उड़ने लगा, हे भगवान, आख़िर वह दिन आ ही गया ! मैंने उसकी तरफ मुँह किया और उसे किस करने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक किस किया, वह तो जाने कितने जन्मों की प्यासी लग रही थी पता नहीं।

जब मैं उसे किस कर रहा था तो इतने में उसने मेरा लण्ड पजामे में से बाहर निकाल लिया और हिलाने लगी। मैं तो हैरान रह गया, ये सब इसने कहाँ से सीखा? मैंने उसके होठों को जी-भर चूसा और लाल कर दिया। फिर उसकी शमीज खोलकर मस्त हो रहीं चूचियों को जी भरकर चूसा। उसकी ओओओओओओ… उउउउउउउ… आआआआआआ आआआआआआहहहह की आवाज़ मेरे जोश भर रही थी। मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूचियों को दबा व चूस रहा था। फिर मैं धीरे से एक ऊँगली उस कभी खत्म न होने वाली गहराई यानि उसकी योनि के ऊपर घुमा रहा था, अचानक वह ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी और कुछ देर बाद शान्त हो गई। फिर मैंने अपना लण्ड उस के मुँह में दे दिया और वह दनादन चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाट रहा था कि कहानी में ट्विस्ट आ गया।

मुझे लगा कि कोई अन्दर से कुण्डी खोल रहा है। हम शान्त हो गए। फिर धीरे-धीरे कुण्डी खुलने की आवाज़ हुई तो हमारी जान ही निकल आई, वह वहाँ से उठकर सीढ़ियों से ऊपर चली गई, और मैं शान्ति से सो गया। फिर पाया कि काफी देर तक कोई अन्दर कमरे से नहीं आया फिर भी कुण्डी जैसी कुछ आवाज़ रह-रहकर आतीं, तो मैंने ध्यान दिया तो पाया कि हवा के कारण गाँधी की तस्वीर दरवाज़े में रगड़ खाकर आवाज़ पैदा कर रही थी। मैंने मन ही मन सोचा क्या यार सही में तुम गाँधी हो, अच्छी खासी चुदाई में तुमने आन्दोलन कर दिया। मैं लण्ड पकड़कर सो गया। थोड़ी ही देर में वह आई और अपना दुपट्टा लेकर जाने लगी तो मैंने उसे ज़बरदस्ती लिटा लिया, वो मना करती रही फिर भी मैं नहीं माना और उसे फिर से नंगा कर दिया, फिर से उसको चूमा-चाटा फिर कुछ देर तक ना-ना करने के बाद वह मान गई और साथ देने लगी।

फिर मैंने उस को उसकी कच्छी उतारने के लिए कहा तो वो बोली- सब तो तुमने उतार ही दिया है, अब ये मैं क्यों उतारूँ, तुम ही उतार दो।

मैंने फिर वह भी उतार दी और अपनी छोटी ऊँगली को ओ बना के घुमाने लगा तो मुझे ऐसा लगा कि वह अभी मझे धक्का देकर गिरा देगी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे ही घुमाना उचित समझा और उसकी चूचियों को एक-एक करके चूसता भी रहा। फिर मैंने ऊँगली निकाल कर अँगूठा डाला और फिर ओ की तरह घुमाने लगा तो वह उछलने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी। अब ना तो मुझ से रहा जा रहा था ना ही उससे सहा जा रहा था।

मैंने उससे कहा- यार ! कब तक ये चूसते रहेंगे?

तो वह बोली- मैं तो कब से कहना चाह रही हूँ पर तुम हो कि चूस-चूस कर ही निकालते जा रहे हो।

तो मैंने कहा कि पहले बताना चाहिए था ना, मैं यह काम पहली बार कर रहा हूँ।

तो वह बोली- तो मैं कौन सी मास्टर हूँ, मेरा भी तो पहली बार ही है।

फिर मैं उसे चित लिटाकर उसके ऊपर आ गया और सारा काम अपने लण्ड के भरोसे छोड़ दिया। वह अन्दर जाने के लिए बेताब़ हो रहा था और रास्ता था कि लाख ढूंढने पर भी नज़र नहीं आ रहा था, फिर मैंने भी कोशिश की, पर बेकार। जब भी झटका मारता, लण्ड अन्दर जाने की बजाए पेट की तरफ निकल भागता।

फिर उसने कहा- कि किचन से थोड़ा तेल ले लो।

मैं किचन से तेल ले आया और उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब मालिश करवाई और की। फिर उसने लण्ड अपने हाथ में ले लिया और कहा- अबकी बार मैं कोशिश करती हूँ, पर धीरे-धीरे करना।

मैंने कहा- मुझे पता है जानम कि तुम और मैं दोनों ही नए हैं इस खेल में ! पर चिन्ता मत करो, मैं ख़्याल रखूँगा।

फिर उसने अपने हाथों से मेरा लण्ड अपने चूत की छेद के पास रखा और बोली- जानेमन थोड़ा रहम करना मेरे ऊपर और धीरे से धक्का लगाना !

तो मैंने पहला धक्का धीरे से लगाया, मुझे पूरा महसूस हो रहा था कि मेरे लण्ड का कितना हिस्सा बाहर है, और कितना अन्दर जा चुका है। मैंने अपने पहले ही झटके में अपना पूरा सुपाड़ा अन्दर पेल दिया तो वह तिलमिला उठी और अपने दाँतों को ज़ोर-जो़र से चबाने लगी फिर बोली- मुँह में कुछ दो नहीं तो मैं चिल्ला उठूँगी।

फिर मैंने अपनी जीभ उसे चूसने के लिए दी और वह चूसने लगी। इस बार मैंने एक और ज़ोरदार झटका मारा और मेरा आधा लण्ड अन्दर समा गया और वह इतनी ज़ोर से छटपटाई कि मैं घबरा गया, कि कहीं कुछ हो तो नहीं गया। उसने लाख़ छूटने का प्रयास किया पर मैंने छूटने नहीं दिया और फिर मैं वहीं रूक गया। उसकी जुबान को चूसने लगा, जब उसे थोड़ा आराम मिला तब उसने खुद ही कहा कि अब क्या चूस रहे हो, अब तो पूरा ही डाल दो, तो मैंने एक आख़िरी ज़ोरदार झटका मारा और वह उछल कर शान्त हो गई, फिर मैंने उसे हर कोण से चोदा और वह आ आआआआ आइ…. आआआआआ… आआआआआ उउउउउउ आआआहहह… उउउउभभभ… आआआआहहहह आआआआआ करती रही।

मैंने उसे अपने ऊपर आने के लिए कहा। यारों अगर आप चुदाई का असली मज़ा लेना चाहते हैं तो फिर आप ख़ुद लेट जाइए और उसे करने के लिए बोलें, फिर देखेंगे कि चुदाई क्या चीज़ होती है। और फिर वह मेरे ऊपर आकर पहले तो धीरे-धीरे फिर ज़ोर-ज़ोर से आटे की चक्की चलाने लगी। मेरा तो मत पूछिए, मैं तो जैसे हवाओं में था। तभी वह बोली- अब ज़रा ज़ोर-ज़ोर से कर दो, मैं आने वाली हूँ।

फिर मैंने उसे लिटा के जो झटके मारे, १०-१५ में ही उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मुझे भी एक ऐसी सुखदायक कँपकँपी लगी जैसे कोई मुझे स्वर्ग की सैर करवा रहा हो। फिर शुरू से लेकर अन्त तक कर मैंने उसके एक पल का भी मज़ा खराब न करके वो मुझमें और मैं उसमें समाने की कोशिश करते रहे और वह मेरा हौसला बढ़ाती रही। मैंने ज़ोरदार शाट्स मारे, फिर हम शान्त होकर वहीं पड़े रहे। १५ मिनट बाद हम उठे, बाथरूम में साथ-साथ गए, एक-दूसरे को साफ़ किया। उसने मुझे गुडनाईट किस दिया और चली गई।

१५ दिन बाद मेरी नौकरी फ़रीदाबाद में डेवेलपमेन्ट में एक कैड ऑपरेटर के रूप में लग गई और मैंने दिल्ली छोड़ दी।

उसके बाद आज तक कभी सेक्स करने का दुबारा मौका नहीं मिला, उसके बाद ना तो उसने कभी मुझे फोन किया, ना मैंने उसे ही। उसकी शादी हो चुकी है, और वह काफी खुश है। Indian Sex Stories

Antarvasna

आज मेरे पास कोई काम नहीं था. मैं यूँ ही साथ Antarvasna वाले घर में अपनी सहेली नीतू से मिलने चली गयी. मेरी इस कहानी की नायिका नीतू है. उसकी शादी हुए लगभग ५ महीने हो गए थे. वहां हम सभी ने यानि नीतू, उसके पति राहुल और मैंने सुबह का नाश्ता किया. बातों बातों में नीतू ने बताया कि राहुल ३ दिनों के लिए दिल्ली जा रहा है. उसने मुझे तीन दिनों के लिए अपने यहाँ रुकने के लिए कहा. मैंने उसे अपनी स्वीकृति दे दी.

शाम को ८ .३० पर राहुल की गाड़ी थी. हम दोनों राहुल को स्टेशन पर छोड़ कर ९ .३० तक घर लौट आयी. हमने घर आकर अपने रात को सोने के कपड़े पहने. और बिस्तर ठीक करने लगे. फिर हम दोनों ही बिस्तर पर लेट गए. नीतू मुझे अपनी शादी के बाद के उन दिनों के किस्से सुनाती रही. उन दोनों ने कैसे अपनी सुहाग रात मनाई और … उसके बाद की बातें भी बताई. मैं बड़े शौक से ये सब सुनती रही और रोमांचित होती रही. वो ये सब बताते हुए उत्तेजित भी गयी. मुझे इन सारी बातों का कोई अनुभव नहीं था. पर मान में ये सब सुन कर मुझे लगा की इसका अनुभव कितना सुखद होगा. ये सोचते सोचते मैं जाने कब सो गयी.

मेरी नींद रात को अचानक खुल गयी. मुझे लगा कि मेरे बदन पर नीतू के हाथ स्पर्श कर रहे थे. मैं उसके हटाने ही वाली थी कि मुझे लगा कि इसमे आनंद आ रहा है. मैं जान कर के चुपचाप लेटी रही. मैं रात को सोते समय पेंटी और ब्रा नहीं पहनती हूँ. इसलिए उसका हाथ जैसे मेरे नंगे बदन को सहला रहा था. उसका हाथ कपडों के ऊपर से ही मेरी चुन्चियों पर आ गया और हलके हाथों से वो सहलाने लगी. मुझे सिरहन सी उठने लगी. फिर उसका हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढने लगा. मैंने अपनी टांगे थोड़ी सी और चौड़ी कर दी. अब उसके हाथ मेरी चूत पर फिसलने लगे. मैं आनंद से काम्पने लगी. उसने धीरे से उठ कर मेरे होटों का चुम्बन ले लिया. उसका हाथ मेरी चूत को सहला रहे थे.

मैं कब तक सहती …मेरे बदन के रोगंटे खड़े होने लगे थे. उसने मेरी चूत को हौले हौले से दबानी चालू कर दी … आखिर मेरे मुंह से सिसकारी निकल ही पड़ी. हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

नीतू को मालूम पड़ गया की मेरी नींद खुल गयी है, लेकिन मेरे चुप रहने से उसकी हिम्मत और बढ़ गयी. उसने मेरा टॉप ऊपर करके मेरे उरोज दबाने चालू कर दिए. मेरे मुंह से सिसकी निकल पड़ी -“ नीतू … क्या कर रही है … सो जा न …”

“नहीं नेहा … मुझे तो रोज़ ही चुदवाने की आदत हो गयी है … करने दे मुझे ..प्लीज़ .”

मेरा मन तो कर रहा था कि वो मुझे खूब दबाये. ये सुन कर मैं भी उसे अपनी तरफ़ खीचने लगी – “ नीतू … मुझे पहले ऐसा किसी ने नहीं किया … अच्छा लग रहा है …”

“हाँ … स्वर्ग जैसा आनंद आता है … नेहा तू भी कुछ कर ना …”

मैं भी उस से लिपट गयी. उसकी चुंचियां दबाने लगी. उसके होंट अब मेरे होंट से जुड़ गए. वो मेरे निचले होंट को चूस रही थी और काट भी लेती थी. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी. एक अलग सा आनंद मन में भरने लगा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी. उसने मेरा टॉप उतार दिया, फिर मेरा ढीला सा पजामा भी उतार दिया. मैं उसे रोकती रही. पर ज्यादा विरोध नही किया. मुझे भी आनंद आने लगा था. मैं भी दूसरे के सामने नंगी होने का रोमांच महसूस करना चाहती थी. नीतू ने अपने कपड़े भी उतार दिए. अब हम दोनों बिल्कुल नंगी हो गयी थी. मेरे मन में हलचल होने लगी थी. मेरे स्तनों की नोकें कड़ी हो गयी थी.

नीतू बिस्तर पर लेट गयी और अपनी टांगें ऊपर कर ली. बोली,”नेहा अपनी दोनों उन्गलियां मेरी चूत में डाल कर मुझे मस्त कर दे…”

मैंने उसकी चूत में पहले एक उंगली डाली तो लगा- इसमें तो दो क्या तीन भी कम हैं।…मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी और गोल गोल घुमाने लगी। वो सिसकारियां भरती रही। मैंने अपने दूसरे हाथ की एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद पर रखी और उसे सहलाने लगी।

वो बोल उठी,”नेहा ! हाय राम ! गाण्ड में घुसा दे ! मज़ा आ जाएगा !”

अब मेरे दोनो हाथ चलने लगे थे। वो बिस्तर पर तड़प रही थी, और मेरा हाल उससे भी खराब था …

मुझे भी लग रहा था कि मेरे साथ भी वो ऐसा ही करे..

मैं उसके हर अंग को मसल रही थ.. चोद रही थी… और नीतू मस्ती से सिसकारियां भर रही थी। वो बोली,”बस अब रुक जा … अब तेरी बारी है … लेट जा … अब मैं तुझे मसलती हूं”

नीतू के ऐसे कहने भर से मेरी चूत में पानी भरने लगा … पहला अनुभव बड़ा रोमांचक होता है।

मुझे बिस्तर पर लिटा कर उसने मेरे स्तनों को मसलना चालू कर…पर उसका मसलने का प्यारा अनुभव था। वो जानती थी कि मज़ा कैसे आता है। उसने सबसे पहले मेरी गाण्ड में थूक लगा कर उसे चिकना किया और अपनी एक उंगली धीरे से घुसा दी… फ़िर उसने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। पहले तो मुझे अजीब सा लगा… पर बाद में मीठा मीठा सा मज़ा आने लगा। अब उसने मेरी गाण्ड में दो उंगलियां घुसा दी थी… और मेरी गाण्ड के छेद को घुमा घुमा कर चोद रही थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली।

अचानक मुझे लगा कि मेरी गाण्ड के छेद में लण्ड जैसा कुछ घुस गया है। मैंने तुरन्त सर उठा कर देखा… तो नीतू बोली,”लेटी रहो…ये किसी मर्द का लण्ड नहीं है … यह तो डिल्डो है…”

उसने लण्ड और अन्दर सरका दिया … मुझे दर्द होने लगा…” नीतू इस से तो दर्द होता है … निकाल दे इसे…”

” हां हां ..अभी निकालती हूं… पर पहले इसका मज़ा तो ले ले…”

” उसने मेरी गाण्ड के छेद में थोड़ा थूक लगाया, और फ़िर अन्दर बाहर करने लगी। चिकनाहट से मुझे थोड़ा आराम मिला… और धीरे धीरे मज़ा बढने लगा।

“नेहा अपनी चूत का हाल तो देख … पानी ही पानी…भीगी पड़ी है …”

मैं तो मदहोश हो रही थी… टांगें ऊंची कर रखी थी…” नीतू .. मुझे नहीं पता… बस करती रह …”

उसने मेरी गाण्ड से लण्ड निकाल लिया और मेरी चूत से उसे लगा दिया और बाहर से ही ऊपर नीचे घिसने लगी। मैंने नीतू का हाथ पकड़ कर डिल्डो को चूत में घुसा लिया और उछल पड़ी …”हाय नीतू यह तो बहुत मोटा है…”

“इसी से तो अभी गाण्ड चुदाइ है… वहां तो झेल लिया …यहां क्या हो गया…?”

“बहुत भारि लग रहा है…”

“अरे इसे झेल ले… यही तो मज़ा देगा…”

नीतू ने लण्ड अन्दर बाहर करना चलू कर दिया। मैं आनन्द से अपनी कमर उछालने लगी। उसका हाथ तेज़ी से चलने लगा। मैं आनन्द और मस्ती से इधर उधर करवटें बदलती रही… और चुदती रही।

‘ नीतू …हाय… तू कितनी अच्छी है रे… मज़ा आ गया … हाय रे जीजू से भी चुदवा दे… हाय …”

उसने मेरे होंठों पर उंगली रख दी – “रानी अभी तो चुदा लो… फ़िर देखेंगे तुम्हारे जीजू को भी…”

मैं जाने क्या क्या बोलती रही और सीत्कार भरती रही… मुझे खुद नहीं पता था… पर अब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूं…”हाय.. हाय… नीतू … हाय … मैं गई … मेरा निकला … नीतू … आऽऽऽऽ ईऽऽऽई … मैं गई … मर गई … मेरी मांऽऽऽ … हाय रे…। रे… ये… ये… गई …”

कहते हुए मैंने नीतू का हाथ पकड़ लिया… और मेरा पानी छूट गया… और पूरी झड़ गई…

पर अभी बस कहां…

नीतू मुझे छोड़ कर बिस्तर पर उल्टी लेट गई … “नेहा अब तू चालू हो जा…”

वो घोड़ी बन गई… मैंने डिल्डो उसकी गाण्ड के छेद पर रखा… और थोड़ा सा जोर लगाया…

वो तो सरसराता हुआ अन्दर ऐसे गया जैसे कि पहले से ही रास्ता जानता हो… वो आहें भरने लगी …

मैं जिस तरह पहले चुदी थी … उसी अन्दाज़ में उसे भी चोदती रही… फ़िर उसकी चूत में डिल्डो डाल कर उसकी मस्ती बढाने लगी … वो डिल्डो से चुदा कर शान्त हो गई। उसका मन अब भर गया था … वो सन्तुष्ट हो गई थी …

पर मैं … मुझे बहुत अच्छा लगा था… मैंने नीतू को प्यार किया …और कोशिश करने लगी कि मुझे नींद आ जाए…

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Antarvasna Stories

अहमदाबाद एक बहुत बड़ा Antarvasna Stories शहर है, साबरमती के कारण उसकी सुन्दरता और बढ़ जाती है। मैं बिजनेस के सिलसिले में यहा आया था। मेरे बिजनेस पार्टनर मोहित के यहां मैं रुका हुआ था। उनके घर में मियां बीवी के अलावा तीसरा कोई भी नहीं था। शाम को आठ बजे के बाद वह घर आ जाता था। फिर मोहित और उसकी पत्नी काफ़ी देर तक दोनों व्हिस्की पीते थे। साथ में अधिकतर वो कवाब और मुर्गा खाते थे। तो मोहित ने मुझे भी बुला लिया। हम तीनों लगभग एक ही उमर के हैं… बातों बातों में खूब हंसी ठिठोली होती थी… वेज और नॉन वेज चुटकुले भी खूब सुनाते थे। अन्त में उन दोनों की हालत यह हो जाती थी कि वे बड़ी मुश्किल से बिस्तर तक जा पाते थे।

मैंने आज दोनों की मदद करके उन्हें सुला दिया, पर कोमल को ले जाते समय उसकी चूंचियों और चूतड़ों पर मेरे हाथ पड़ ही गये। बिस्तर पर गिरते ही उसका पेटीकोट भी थोड़ा ऊपर उठ गया था। मन ललचा गया। मैंने सावधानी से उनका पेटीकोट उठा कर उनकी चूत के दर्शन कर लिये। क्लीन शेव चिकनी चूत थी… मैंने इधर उधर देखा और फिर पेटीकोट बिल्कुल ऊपर उठा दिया। मेरा लण्ड उसे देख कर सलामी देने लगा। तन कर खड़ा हो गया। दिल में शैतान उतर आया।

मैंने धीरे से उसके ब्लाऊज के हुक खोल दिये, नंगी चूंचियां चमकती हुई भरी हुई गोल गोल और उस पर से उसके भूरे भूरे निपल… मेरे मुख से आह निकल गई। हिम्मत करके मैंने उसकी एक निपल मुख में ले ली और थोड़ा सा चूस कर छोड़ दिया। तभी मोहित ने करवट ली।

मैं घबरा कर दूर हट गया। पर वो गहरे नशे में था। मैंने लाईट बंद की और कमरे से बाहर आ गया और अपने कमरे में आ गया। मेरे लण्ड का बुरा हाल था। मैं अपने लण्ड को मसले जा रहा था।

अन्त तो मुठ मार कर हुआ… अन्दर से सारा वीर्य बाहर आ गया तो शान्ति मिली। पर रात भर मै कोमल के बारे में ही सोचता रहा। उनका मद भरा जिस्म मेरी आंखो के सामने घूमता रहा।

सवेरे मोहित को बाहर जाने की तैयारी देख कर मेरा मन खुश हो गया। उसने बताया कि वो दो तीन दिन के लिये सूरत जा रहा है और घर पर उसकी पत्नी का और घर का ध्यान रखना है।

उसे मैं स्टेशन छोड़ने गया फिर अपने काम से शाम तक अपना बिजनेस का काम करता रहा।

शाम को लौटते समय मुझे ध्यान आया कि शाम को उनकी आदत कवाब और मुर्गा खाने की है सो मैंने रास्ते से ये सब पैक करा लिया।

घर पहुंच कर मैंने कोमल को वो सब थमा दिया तो वो बहुत हंसी,”अरे ये तो मै मोहित के साथ ही लेती हूं, आप तो यूं ही ले आये !”

मैं झेंप सा गया। पर उसने कहा कि अगर मुझे ये अच्छा लगता है तो वो साथ दे देगी। मैं नहा धो कर फ़्रेश हो गया, कोमल भी नहा ली और फ़्रेश हो गई।

रात को वो मेरे लिये व्हिस्की ले आई। मैं आज भी उसे पिला पिला कर मदहोश कर देना चाहता था। वही हुआ भी, मैं तो केवल दो पेग ही पीता था पर कोमल ने तो रोज़ की तरह खूब पी ली थी।

रात गहराती गई… नशा भी गहराता गया… और आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका मुझे इन्तजार था। उसके हाथ पांव ढीले पड़ने लगे। वो सोफ़े पर ढुलकने लगी।

जाने कब उसके ब्लाऊज का एक हुक खुल गया था और उसके सेक्सी उरोज की झलक नजर आने लगी थी। मैंने सोफ़े पर बैठते हुये उसके शरीर को सम्हाला और उसे आवाज दी, साथ में उसके ब्लाऊज का दूसरा हुक भी खोल दिया।

“कोमल जी… चलो बिस्तर पर लेटा दूँ …” पर उसकी आंखें भारी हो कर बंद हो रही थी।

“वि…वि… जय … मुझे उठा लो… और वहां… ले चलो… !” मौका था, उसका मैंने फ़ायदा उठा लिया। मैंने उसके स्तन धीरे से सहला दिये… और चूतड़ो को दबा कर उसे उठा लिया… मैंने अपना मुख नीचे करके उसकी नाभि को चूम लिया। उसके ब्लाऊज का अन्तिम हुक भी मैंने खोल दिया था।

उसकी मस्त चूंचियों पर से परदा हट चुका था। उसे गहरे नशे में देख कर मैंने उसकी एक चूंची मुख में भर ली और चूसने लगा। शायद उसे मजा आया होगा। उसकी भारी आंखें एक बार खुली फिर वापस बन्द हो गई।

मैंने उसे बिस्तर पर उसका पेटीकोट पूरा ऊँचा करके लेटा दिया। उसे आराम मिला और उसके मुख से खर्राटे निकलने लगे। मेरा लण्ड बेहद तन्ना रहा था और बेहाल हो रहा था।

मैंने अपनी पैण्ट खोल ली और उतार कर एक तरफ़ रख दिया। उसकी चूत गीली थी । मैंने उसका पेटीकोट पूरा उतार दिया।

इतने में वो बड़बड़ाई, “मुझे सू सू आ रही है… मोहित … वहाँ ले चलो…” मुझे कुछ समझ में नहीं आया तो मैंने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और बाथरूम में ले गया। पर बाथरूम में पहुंचते ही मेरी बाहों में उसने अपनी धार छोड़ दी।

“आह… आह … मोहित… अब आराम हो गया !” उसने ढेर सारी पेशाब निकाल दी फिर उसकी बेचैनी दूर हो गई। मेरी बांहो में ही वो सो गई।

मेरी टांगें उसके मूत्र से भीग गई थी। उसे फिर से बिस्तर पर लेटा दिया और मैं अपने चूतड़ों से लेकर नीचे तक पूरा नहा लिया और उसकी तौलिया से साफ़ कर लिया।

वो नंगी ही दूसरी करवट ले कर सो गई। मेरी हालत बुरी थी, लण्ड उबल रहा था पर मैं कुछ कर भी तो नहीं सकता था।

फिर मैंने एक हाथ से अपना लण्ड पर मुठ मारने लगा और दूसरे हाथ से कभी उसकी चूत मसलता और कभी उसकी चूंचियाँ … तभी वो कहने लगी,”मोहित आ जाओ ना… प्यार करो ना… !” वो नशे में मुझे अपना पति समझ रही थी।

मैंने सोचा कि इसे तो भरपूर नशा है इसे क्या पता चलेगा कि कौन चोद गया। मैं जल्दी से उसकी बगल में लेट गया और कोमल नशे में मुझसे लिपट पड़ी… मैं उसे चूमने लगा… मेरा लण्ड तड़प उठा।

मैं उसके ऊपर चढ़ गया और लण्ड को उसकी चूत पर दबा दिया। लण्ड भीतर घुस गया… और मैं धक्के मारने लगा। उसे भी नशे में चुदाई बहुत प्यारी लग रही थी। उसके मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थी। उसके चूतड़ अब नीचे से उछलने लगे थे।

मेरी हालत तो पहले ही खराब थी सो कुछ ही देर में मेरा वीर्य निकल गया। मेरा लण्ड बाहर आ गया था।

वो नशे में अभी भी अपनी चूत को उछाल रही थी। मैंने अपनी तीनों अंगुलियाँ उसकी चूत में घुसेड़ दी। कुछ समय बाद वो झड़ गई । नशे और थकान में उसने करवट ली और गहरी नींद में चली गई।

मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और कोमल को ठीक से कपड़े पहना दिये और अपने कमरे में चला आया। मेरा काम सफ़ल हो गया था। आज कोमल को चोदने की मेरी इच्छा भी पूरी हो गई थी।

सवेरे सब कुछ सामान्य था, कोमल की वही चिरपरिचित मुस्कान, वही बातचीत…

मैं निश्चिन्त हो गया कि रात गई बात गई … उसे कुछ याद नहीं था। मैंने नाश्ता किया और उसने मुझे फिर याद दिला दिया कि शाम को आओ तो कवाब और मुर्गा के साथ काजू भी लेते आना।

मुझे थोड़ी हैरत हुई फिर सोचा कि शायद मेरे लिये ही कह रही है।

शाम को फिर हम दोनों के बीच व्हिस्की आ गई… पर आज कोमल ने कहा कि व्हिस्की नहीं पियेगी पर मुझे अपने हाथों से पिलायेगी।

उसका कहना था कि वो रोज व्हिस्की नहीं पीती है, फिर कल मोहित के आने पर उसका साथ तो देना ही होगा। मुझे आज मेरी स्कीम फ़ैल होती दिखाई दी।

फिर ये सोच कर चुप रह गया कि साकी के हाथ से पीने का लुफ़्त भी उठाया जाये।

उसने मेरा एक पेग भरा और कहा कि “पास आओ… आज मैं आपको पिलाऊंगी…” और अपने हाथों से मुझे एक सिप दिया। कोमल उठ कर किचन में चली आई।

मैंने सोचा कि अधिक ना हो जाये तो फिर से मैंने उसे बिन में डाल दिया।

अब आलम यह था कि वो बार बार मुझे पिलाये और मैं उसे किसी ना किसी बहाने इधर उधर डाल दूं। मुझे अब ध्यान आया कि इसकी तरफ़ से तो मैं पांच पेग पी चुका हूँ सो मैंने भी बहकने का नाटक आरम्भ कर दिया।

अब मुझे शक हुआ कि वो मुझे जानबूझ कर के पिला रही थी … शायद उसे कल रात की घटना याद थी… मुझे लगा कि आज वही गेम मेरे साथ खेलना चाह रही है …

सो मैंने अब सोफ़े पर लुढ़कने का नाटक किया। मेरा शक सही था। उसने मुझे दो तीन बार हिलाया और पूछा। मैंने नशे में मदहोश होने का नाटक किया और कहा,”मुझे… हिच्च… मेरे कमरे तक … हिच्च … ले चलो…!” उसने मेरी एक बांह अपने कंधे पर डाली और मुझे उठाने के जोर लगाया।

मैं खुद ही उठ गया और जानबूझ कर के उसकी चूंचियों पर हाथ लगा दिया। मैं बिस्तर के पास आते ही ही लेट गया।

कोमल ने तुरन्त मेरे पजामे का नाड़ा खींच कर खोल दिया। मुझे आनन्द आ गया…

मैंने कल जो किया था वो कोमल आज कर रही थी… मेरा पजामा उसने नीचे खींच लिया।

मैं नंगा हो गया था। मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था। उसने मुझे आवाज दी… और मुझे हिलाया, मै बेसुध की भांति पड़ा रहा।

तब उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसका सुपाड़ा खींच कर बाहर कर लिया। मैं उसे बराबर उसे आंखें खोल कर चुपके से देख रहा था। बड़ी ललचाई नजर से उसने हौले से मुठ मारा और सुपाड़ा मुख में ले लिया। एक अद्भुत आनन्द … शरीर में बचैनी भरने लगी… वो मेरी गोलियों से भी खेलने लगी।

उसने मेरा लण्ड चूस कर फिर उसे अपनी चूंचियों से रगड़ने लगी। मैंने अपने आप को बहुत कंट्रोल में किया हुआ था कि कहीं वीर्य ना छूट जाये। अब उसने मेरे लण्ड पर थूक लगाया और मेरे ऊपर आकर पेटीकोट उठा कर अपनी चूतड़ों को खोल कर गाण्ड का छेद को लण्ड पर रख दिया।

उसने लण्ड पर जोर लगाया तो लण्ड सट से छेद में उतर गया। मैंने नशे में आंखे खोलने का प्रयत्न किया।

“कोमल जी… ये … आह… ये क्या कर रही हैं आप…?”

कोमल एक बार तो घबरा गई… फिर दूसरे क्षण लण्ड को गाण्ड में पा कर शरमा गई।

“विजय… हाय मैं तो मर गई… आंखे बंद कर लो ना…” लण्ड और भीतर उतर गया।

मैंने भी अपने लण्ड का जोर ऊपर लगा दिया।

“कोमल जी… … आप बहुत अच्छी हैं…” लण्ड गाण्ड में पूरा घुस चुका था।

वो इसी स्थिति में शरमा कर मुझसे लिपट गई।

“विजय … अच्छे तो आप है… हाय… मुझे ऐसे ना देखो… अब मै क्या करूं…!”

“मैं बताऊँ … अब शरम छोड़ो और जी भर कर चुद लो … शुरूआत आपने की है… वीर्य मुझे निकालने दो !”

“हाय जी… ऐसे ना कहो… आह सच है… चोद दो साजन मेरे…” कोमल मुझसे लिपटती गई। उसने अब सीधे बैठ कर ऊपर नीचे अपने चूतड़ों को धस्काते हुये गांड में लण्ड लेने लगी।

कुछ ही देर में उसने सिसकते हुये कहा,”अब मुझे नीचे दबा कर कल की तरह चोद दो…!” मुझे एक झटका सा लगा।

“तो कल का आपको सब याद है… आप बहुत शैतान हैं … मुझे तड़पा तड़पा कर मजा लिया है आपने ?”

कोमल हंस पड़ी। अपनी दोनों टांगें ऊपर उठाते हुए बोली,”लो जी अब तो लण्ड फ़ंसा दो अपना और चोद दो मुझे… मुझे तो परसों ही मालूम हो गया था जब आपने मेरी चूत की पप्पी ली थी… मेरी चूंची सहलाई थी…आज मन की निकाल लो मेरे सजना !”

“धत्त… साली… मुझे चूतिया बना दिया …” और लण्ड एक ही झटके में पूरा अन्दर तक पहुंचा दिया। मेरे लण्ड को सुकून मिल गया।

उसकी गरम गरम चूत मुझे बहुत भा रही थी। दोनों ने मस्ती से चुदाई का मजा लेना आरम्भ कर दिया… दोनों की कमर एक साथ चल रही थी। शरीर में मीठी सी कसक बढ़ने लगी थी।

कोमल के बोबे कड़क हो उठे थे। चूचक कड़े हो कर इठला रहे थे… बार बार मेरे मुख में चूचक लण्ड की तरह से घुस रहे थे। मेरी जीभ उसे जोर से रगड़ मार रही थी। धक्कों में तेजी आ गई थी। कोमल तो शादी शुदा और चुदी चुदाई थी… उसे बहुत मजा आ रहा था। शायद नये लण्ड के कारण।

मुझे तो बस हर धक्के में ऐसा ही लगता था कि अब झड़ा… और उसकी चुदाई चूत ने पूरी कर ली… एक दो झटकों की मार से वो चित्त हो गई और उसकी चूत ने मुह फ़ाड़ कर पानी उगल दिया।

वो मुझसे बेतहाशा लिपटने लगी। उसकी चूत में लहरें उठने लगी … तभी इसी सुहाने आनन्द को उठाते हुये मेरा वीर्य भी उसकी चूत में भरने लगा…।

मैं अपना लण्ड दबा दबा कर अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में निकाल रहा था। कोमल भी चारों खाने पसरी हुई थी… मैं भी उसके ऊपर उसे चूमता हुया लिपट गया। वो मुझे अब अलग करने लिये झटके मार रही थी… मैं पूरा झड़ने के बाद उठ गया।

“तो आपको नशा ही नहीं हुआ था… वैसे ही जैसे कल मुझे नहीं हुआ था…” और वो खिलखिला कर हंस पड़ी।

“हटो कोमल जी… आप ने तो मुझे बेवकूफ़ बना ही दिया !” पर मुझे तो कल भी चूत मिल गई थी और आज भी… भले ही बेवकूफ़ बन कर मिली।

“विजय… कल तो मोहित आ ही जायेंगे… अब देर ना करो … फ़टाफ़ट अपनी इच्छायें पूरी कर लें !”

“अरे तो फिर मोहित से कैसे चुदवाओगी?”

“वो मुझे चोदता ही कब है… बस दारू पिया और लुढ़क जाता है…!” उसके मन का दर्द उभर आया। मुझे इससे कोई मतलब नहीं था कि उसका पति उसके साथ क्या करता है… बस मेरा लण्ड खड़ा था और उसे वही एक रसीला खड्डा नजर आ रहा था। मन कर रहा था कि उसे चोद चोद कर सारी खुमारी एक बार में ही उतार लूँ।

अभी तो मुझे अर्जुन की तरह मछली की आंख ही नजर आ रही थी… हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुये फिर से अपना यौवन रस निकालने की तैयारी में लग गये … Antarvasna Stories

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