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Antarvasna - मेरा नाम दीपक है। मेरी उमर इस समय 24 साल की है। शादी के 3 साल बाद ही एक रोड दुर्घटना में भैया का स्वर्गवास हो गया था। मैं भाभी के साथ अकेला ही रहता था। मेरी भाभी का नाम संध्या है। हमारा अपना खुद का बिजनेस था। भैया के स्वर्गवास होने के बाद मैं ही बिजनेस की देखभाल करता था।
भाभी बहुत ही खूबसूरत थी। वो मुझे दीपक कह कर ही बुलाती थी। पापा और मम्मी का स्वर्गवास बहुत पहले ही हो चुका था। मैं एक दम हट्टा कट्टा नौजवान था और बहुत ही ताकतवर भी था। भाभी उमर में मुझसे 1 साल की छोटी थी। वो मुझे बहुत प्यार करती थी।
भैया के गुजर जने के बाद मैं भाभी की पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी। मैं सुबह 10 बजे ही घर से चला जाता था और फिर रात के 8 बजे ही घर वापस आता था।
ये उस समय की बात है जब भैया को गुजरे हुये 6 महीने ही हुये थे। एक दिन मेरी तबियत खराब हो गयी तो मैने मेनेजर से दुकान सम्भालने को कहा और दोपहर के 1 बजे ही घर वापस आ गया।
भाभी ने पूछा- क्या हुआ दीपक?
मैने कहा- मेरा सारा बदन दुख रहा है और लग रहा है की कुछ फ़ीवर भी है।
मेरी बात सुनकर वो परेशान हो गयी। उन्होने मुझसे कहा, तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो।
मैने कहा, मैने मेडीकल स्टोर से कुछ मेडीसीन ले ली है। मुझे थोड़ा आराम कर लेने दो।
वो बोली, ठीक है, तुम आराम करो। मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूं।
मैने कहा, नहीं, रहने दो, मैं ऐसे ही ठीक हूं।
वो बोली, चुप चाप अपने क्मरे में जा कर लेट जाओ। मैं अभी तेल ले कर आती हूं।
मैं कभी भी भाभी की बात से इन्कार नहीं करता था।
मैं अपने कमरे में आ गया। मैने अपनी शर्ट और पेन्ट उतार दी और केवल बनियान और नेकर पहने हुये ही लेट गया। मेरा नेकर एक दम ढीला था और थोड़ा छोटा नेकर ही पहनता था।
भाभी तेल ले कर आयी। उन्होने मेरे सिर पर तेल लगाया और मेरा सिर दबाने लगी। उसके बाद उन्होने मेरे हाथ, सीने और पीठ पर भी तेल लगा कर मालिश किया। आखिर में वो मेरे पैर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी।
आखिर मैं भी आदमी ही था। उनके हाथ लगने से मुझे जोश आने लगा। जोश के मारे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मेरा नेकर तम्बू की तरह से उपर उठने लगा। धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरा नेकर एक दम तम्बू की तरह हो गया। मैं जानता था की नेकर के छोटा होने की वजह से भाभी को मेरा लण्ड थोड़ा सा दिखायी दे रहा होगा।
वो मेरे पैरों की मालिश करते हुये मेरे लण्ड को भी देख रही थी और उनकी आंखे थोड़ा गुलाबी सी होने लगी थी। उनके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी। मालिश करने के बाद वो चली गयी। उसके बाद मैं सो गया।
शाम के 6 बजे मेरी नींद खुली और मैं उठ गया। भाभी चाय लेकर आयी। मैने चाय पी। उसके बाद मैं बाथरूम चला गया। बाथरूम से जब मैं वापस आया तो भाभी ने कहा, अब लेट जाओ, मैं तुम्हारे बदन की फिर से मालिश कर देती हूं।
मैने कहा, अब रहने दो ना, भाभी।
वो बोली, क्या मालिश करने से कुछ आराम नहीं मिला।
मैने कहा, बहुत आराम मिला है। वो बोली, फिर क्यों मना कर रहे हो।
मैने कहा, ठीक है, तुम केवल मेरे पैर की ही मालिश कर दो।
वो खुश हो गयी। उन्होने मेरे पैर की मालिश शुरु कर दी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मेरा नेकर थोड़ा पीछे की तरफ़ खिसक गया था जिस से भाभी को मेरा लण्ड इस बार कुछ ज्यादा ही दिखायी दे रहा था। भाभी मेरे लण्ड को देखते हुये मेरे पैरों की मालिश करती रही। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे लण्ड को देख कर वो भी जोश मे अने लगी थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मालिश करती हूं तो तुझे क्या हो जाता है। मैं कहा, कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे। उन्होने मेरे लण्ड पर हलकी सी चपत लगते हुये कहा, फिर ये क्या है।
मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लिये तो मैं मना कर रहा था।
उन्होने जोश मे भर कर मेरे लण्ड पर फिर से चपत लगते हुये कहा, इसे काबू में रखा कर।
मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता।
वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो। मैं जब उनके पैर की मालिश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे।
मैने मजाक करते हुये कहा, फिर वो क्या करते थे।
वो बोली, बदमाश कहीं का।
मैने कहा, बताओ ना भाभी, फिर वो क्या करते थे। भाभी शरमाते हुये बोली, वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं।
मैने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिये थी। उन्होने पूछा, क्यों। मैने कहा, आखिर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी। वो बोली, परेशानी किस बात की, आखिर मेरा मन भी तो करता था।
मैने कहा, मेरा भी मन भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं।
वो बोली, शादी कर लो।
मैने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।
उन्होने मुस्कराते हुये कहा, फिर बाथरूम में जा कर मुठ मार लो।
मैने अनजान बनते हुये पूछा, वो क्या होता है।
वो बोली, क्या सच में तुझे नहीं मालूम है कि मुठ मारना किसे कहते हैं।
मैने कहा, नहीं।
उन्होने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा, इसे अपने हाथ में पकड़ कर अपना हाथ तेजी से आगे पीछे करना। थोड़ी ही देर में इस में से ज्यूस निकल जायेगा और ये शान्त हो जायेगा।
मैने कहा, तुम मुझे थोड़ा सा कर के बता दो।
भाभी जोश में तो आ ही चुकी थी। वो बोली, तू बहुत ही बदमाश है। अपने लण्ड को बाहर निकाल, मैं बता देती हूं की कैसे करना है। मैने कहा, तुम खुद ही लण्ड को बाहर निकाल कर बताओ की कैसे करना है। उन्होने शरमाते हुये मेरे लण्ड को पकड़ कर नेकर से बाहर निकाल लिया। जैसे ही मेरा 9″ लम्बा लण्ड बाहर आया तो वो बोली, बाप रे, तेरा तो बहुत ही लम्बा है और मोटा भी।
मैने पूछा, अच्छा नहीं है क्या।
वो शरमाते हुये बोली, बहुत ही अच्छा है। मैने पूछा, भैया का कैसा था। वो बोली, उनका भी अच्छा था लेकिन तेरे जैसा लम्बा और मोटा नहीं था। मैने कहा, अब बताओ की कैसे करना है। उन्होने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपना हाथ आगे पीछे करना शुरु कर दिया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। वो भी जोश में आने लगी।
2 मिनट मुठ मारने के बाद वो बोली, ऐसे ही कर लेना। अब जा बाथरूम में।
मैने कहा, बाथरूम में क्यों, अगर मैं यहीं कर लेता हूं तो इसमें क्या बुरायी है।
वो बोली, तेरा ज्यूस यहां गिरेगा और मुझे ही साफ़ करना पड़ेगा।
मैने कहा, मैं ही साफ़ कर दूंगा। वो बोली, ठीक है, यहीं कर ले। मैं जाती हूं। मैने उनका हाथ पकड़ कर कहा, तुम यहीं बैठो ना। वो बोली, तेरे लण्ड पर हाथ लगने से मुझे पहले ही थोड़ा सा जोश आ चुका है। अगर मैं तुझे मुठ मारते हुये देखूंगी तो मुझे और ज्यादा जोश आ जायेगा। फिर मेरे लिये बरदाश्त करना मुश्किल हो जायेगा। आखिर मैं भी तो औरत हूं और अभी जवान भी हूं। मैने कहा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करुंगा। वो बोली, मुझे पूरा भरोसा है तभी तो मैने तेरे लण्ड को पकड़ कर तुझे मुठ मारना बताया है। मैने पूछा, नेकर उतार दू या ऐसे ही मुठ मार लू। वो बोली, क्या नेकर भी खराब करेगा। उतार दे इसे।
मैने अपना नेकर उतार दिया और मुठ मारने लगा। भाभी मुझे मुठ मारते हुये देखती रही। मैं भाभी को देखता हुआ मुठ मार रहा था। धीरे धीरे वो और ज्यादा जोश में आ गयी। जोश के मारे मेरे मुह से आह… ऊह… की आवाज़ निकाल रही थी। वो मुझे और कभी मेरे लण्ड को देख रही थी। उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया और सहलाने लगी। मैने पूछा, क्या हुआ। वो बोली, तू मुझे एक दम पागल कर देगा। मैं जा रही हूं।
मैने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, बैठो ना मेरे पास। वो चुप चाप बैठ गयी। मैं मुठ मारता रहा। भाभी जोश के मारे पागल सी हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में उन्होने मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली, अब रहने दे, अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा है।
मैने पूछा, क्या हुआ। उन्होने अपना पेटीकोट उपर कर दिया और बोली, देख मेरी चूत भी एक दम गीली हो गयी। तूने तो मुझे पागल सा कर दिया है। अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तू मेरी चूत को सहला दे, मैं तेरा लण्ड सहला देती हूं। मैने कहा, केवल सहलना ही है या कुछ और करना है। वो बोली, अगर तेरा मन करे तो मेरी चूत को थोड़ा सा चाट ले जिस से मुझे भी थोड़ा आराम मिल जायेगा। मैने कहा, कपड़े तो उतार दो। वो बोली, तू खुद ही उतार दे।
मैने भाभी के कपड़े उतार दीये। अब वो एक दम नंगी हो गयी। उनकी चूत एक दम साफ़ थी।
मैने कहा, तुम्हारी चूत तो एक दम साफ़ है।
वो बोली, मुझे चूत पर बाल बिलकुल भी पसन्द नहीं हैं इसी लिये मैं इसे हमेशा ही साफ़ रखती हूं। तेरा भी तो एक दम साफ़ है।
मैने कहा, मुझे भी बाल पसन्द नहीं हैं।
वो लेट गयी तो मैने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरु कर दी।
वो बोली, ऐसे नहीं।
मैने कहा, फिर कैसे?
वो बोली, मुझे भी तो तेरा चूसना है। तू मेरे उपर उल्टा लेट जा और अपना लण्ड मेरे मुह के पास कर दे फिर चाट मेरी चूत को।
मैं भाभी के उपर 69 की पोजीशन में लेट गया। मैने उनकी चूत पर जीभ फिरना शुरु किया तो उन्होने मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी। मुझे खूब मज़ा आने लगा। भाभी भी जोश के मारे सिसकारियां भरने लगी।
मैने उनकी चूत की दरार को अपने होंठो से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने जोर की सिसकारी ली।
मैने पूछा, क्या हुआ।
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर जोर से दबा।
मैने उनकी चूत की दरार को और ज्यादा जोर से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने मेरा लण्ड अपने मुह में और ज्यादा अन्दर ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। मैने एक अंगुली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से ज्यूस निकाल आया।
वो बोली, चाट ले इसे। मैने उनकी चूत का सारा ज्यूस चाट लिया। थोड़ी ही देर में मेरे लण्ड का ज्यूस भी निकालने लगा तो भाभी सारा का सारा ज्यूस निगल गयी। उसके बाद मैं हट गया और उनके बगल में लेट गया।
भाभी मेरा लण्ड सहलने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली, आज तो वो हो गया जो कि नहीं होना चाहिये था।
मैने कहा, मैने ऐसा क्या कर दिया।
वो बोली, तूने मुझे अपना लण्ड दिखा कर आज मुझे पागल सा कर दिया।
मैने कहा, मैने तो नहीं दिखाया था।
वो बोली, तेरा नेकर ही इतना छोटा और ढीला था की मुझे तेरा लण्ड दिखायी दे गया। मैं अपने आप को काबू में नहीं रख पायी इसी लिये मैने तुझसे पैर की दोबारा मालिश करने के लिया कहा था। मैं तेरा लण्ड देखना चाह्ती थी क्यों की मुझे तेरा लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा दिख रहा था।
मैने कहा, अब तो देख लिया ना।
वो बोली, हा, देख भी लिया और पसन्द भी कर लिया।
मैने कहा, अब क्या इरादा है।
वो बोली, तू भी वही कर जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।
मैने कहा, ये ठीक नहीं है।
वो बोली, क्या ठीक है क्या नहीं, मैं कुछ नहीं जानती। अगर तू मेरे साथ नहीं करेगा तो मैं मर जाऊगी।
मैने पूछा, मैं तुम्हारे साथ क्या करूं। वो बोली, जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।
मैने कहा, मैने तो कभी देखा ही नहीं की भैया तुम्हारे साथ क्या करते थे। भाभी ने मेरे गालो को जोर से काट लिया और बोली, अब चोद दे मुझे।
मैने कहा, दर्द होगा।
वो बोली, तो मैं क्या करूं, होने दे। जो होगा देखा जायेगा।
मैने कहा, तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं?
भाभी का तो जोश के मारे बुरा हाल था। वो बोली, तू मुझे नहीं चोदेगा लेकीन मैं तो तुझे चोद सकती हूं।
मैने कहा, फिर तुम ही चोदो।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था। भाभी मेरे उपर आ गयी। उन्होने मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपनी चूत के बीच रखा और दबाने लगी। उनके चेहरे पर दर्द की झलक साफ़ दीख रही थी फिर भी वो रुकी नहीं। मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत में घुसता ही जा रहा था। उनकी चूत बहुत ही टाईट थी। उन्होने दबाना जारी रखा तो थोड़ी ही देर में उनकी आंखो में आंसू भी आ गये।
मैने पूछा, क्या हुआ।
वो बोली, दर्द बहुत हो रहा है।
मैने कहा, फिर रुक जाओ ना, क्यों इतना दर्द बर्दाश्त कर रही हो।
वो बोली, मैं पागल हो गयी हूं।
अब तक मेरा लण्ड भाभी की चूत में 7″ तक घुस चुका था। दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल हो रहा था। तभी वो अपने बदन का सारा जोर देते हुये अचनक मेरे लण्ड पर बैठ गयी। मेरा पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत में समा गया। उनके मुह से जोर की चीख निकाली। उनका सारा बदन थर थर कांपने लगा। उनके चेहरे पर पसीना आ गया। उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी।
वो मेरे उपर लेट गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी। मैं उनकी कमर और चूतड़ को सहलने लगा।
तभी मुझे बदमाशी सूझी। मैने उनकी गाण्ड के छेद पर अपनी अंगुली फिरानी शुरु कर दी तो उन्हें मज़ा आने लगा।
अचनक मैने अपनी अंगुली उनकी गाण्ड में डाल दी तो उन्होने जोर की सिसकारी ली और बोली, बदमाश कहीं का। पहले तो कह रहा था की तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं। अब मेरी गाण्ड में अंगुली डाल रहा है। क्या मैं अब तेरी भाभी नहीं रह गयी।
मैने कहा, बिलकुल नहीं, अब तो तुमने मेरा लण्ड तुमने अपनी चूत में डाल लिया है। अब तुम मेरी भाभी नहीं रह गयी हो।
वो बोली, फिर मैं अब तेरी क्या लगती हूं।
मैने कहा, बीवी।
वो बोली, फिर चोद दे ना अपनी बीवी को। क्यों तरसा रहा है मुझे।
अब तो मैने तेरा पूरा का पूरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर ले लिया है। मेरी अंगुली अभी भी भाभी की गाण्ड में थी। मैने फिर शरारत की और कहा, मैं तुम्हें एक ही शर्त पर चोद सकाटा हूं।
वो बोली, कैसी शर्त।
मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड भी मारुंगा। वो बोली, अपनी बीवी से भी पूछना पड़ता है क्या। मैने कहा, मुझे नहीं मालूम।
वो बोली, तेरे भैया ने तो मुझसे कभी नहीं पूछा, जब भी उनका मन किया उन्होने मेरी चुदायी की और जब उनका मन हुआ तो उन्होने मेरी गाण्ड भी मारी। मैने कहा, इसका मतलब तुम भैया से गाण्ड भी मरवा चुकी हो।
वो बोली, तो क्या हुआ, मज़ा तो दोनो में ही आता है। अब मुझे ज्यादा मत परेशान कर, चोद दे ना।
मैने कहा, थोड़ा सा तुम चोदो फिर थोड़ा सा मैं चोदुंगा। वो बोली, ठीक है, बाबा।
भाभी ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये तो उनके मुह से चीख निकालने लगी।
मैने पूछा, अब क्या हुआ। वो बोली, दर्द हो रहा है। मैने पूछा, क्यों, अब तो पूरा अन्दर ले चुकी हो।
वो बोली, अन्दर लेने से क्या होता है। मेरी चूत अभी तेरे लण्ड के साईज की थोड़े ही हुयी है।
मैने पूछा, मेरे लण्ड की साईज की कैसे होगी।
वो बोली, जब तू मुझे कई बार चोद देगा तब। वो धीरे धीरे धक्के लगाती रही।
मैने पूछा, तुम्हारी चूत को चौड़ा करने के लिये मुझे कितनी बार चोदना पड़ेगा।
वो बोली, ये तो तेरे उपर है की तू किस तरह से मेरी चुदायी करता है। मैने पूछा, क्या एक बार में भी हो सकता है।
वो बोली, बिलकुल हो सकता है, अगर तू मुझे पहली बार में ही कम से कम 1 घन्टे चोद सके तो। लेकीन मैं जनति हूं की तू ऐसा नहीं कर पयेगा।
मैने पूछा, क्यों।
वो बोली, तूने कभी किसी को पहले चोदा है।
मैने कहा, नहीं। वो बोली, तो फिर तू 10 मिनट से ज्यादा रुकेगा ही नहीं।
मैने कहा, रुकुनगा क्यों नहीं। वो बोली, तुझे मेरी चुदायी केरने में जोश ज्यादा आ जायेगा इस लिये।
भाभी को धक्के लगते हुये लगभग 10 मिनट हो चुके थे और वो इस दौरन 1 बार झड़ भी चुकी थी। तभी मेरे लण्ड का ज्यूस निकाल पदा और साथ ही साथ वो भी फिर से झड़ गयी।
वो मुस्कराते हुये बोली, क्या हुआ पहलवान। मैने कहा, वही हुआ जो तुम कह रही थी। वो बोली, मेरी चूत धीली करने के लिये तुझे कम से कम 1 घन्टे तक मेरी चुदायी करनी पदेगि। मैं ये भी जानती हूं की अगली बार तू ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट ही मुझे चोद पयेगा। इस तरह जब तू 3-4 बार मेरी चुदायी कर देगा तब कुल मिलकर 1 घन्टे हो जयेनगे और मेरी चूत ढीली हो जायेगी और तेरे लण्ड के साईज की हो जायेगी, समझ गये बच्चु। मैने कहा, बिलकुल समझ गया, मेडम।
भाभी ने मेरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर ही रखा और मेरे उपर लेट गयी। वो मेरे होंठो को चूमती रही और मैं उनकी चूंचियो को मसलता रहा। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड उनकी चूत में ही फिर से खड़ा होने लगा तो वो बोली, अब तुम मुझे चोदो। मैने कहा, जैसी आप की मरजी। वो मुस्कराते हुये मेरे उपर से हट गयी और लेट गयी। मैं उनके उपर आ गया। मैने उनकी चुदायी शुरु कर दी। मैं पूरे जोश में था और जोर जोर के धक्के लगाते हुये उनको चोद रहा था।
वो बोली, शाबाश बहादुर, बहुत ही अच्छी तरह से चोद रहे हो, चोदते रहो, रुकना मत, थोड़ा और जोर के धक्के लगाओ। मैने और ज्यादा तेजी के साथ धक्के लगने शुरु कर दिये। लगभग 15 मिनट की चुदायी के बाद मैं झड़ गया। भाभी भी इस चुदायी के दौरान 2 बार झड़ चुकी थी।
मैने उन्हें सारी रात खूब जम कर चोदा। वो भी पूरी तरह से मस्त हो गयी थी और मैं भी। सुबह तक मैं उ्न्हे 6 बार चोद चुका था। सुबह को मैने पूछा, तुम्हारी चूत मेरे लण्ड की साईज की हो गयी या नहीं।
वो बोली, जब तुमने मेरी 4 बार चुदायी कर दी फिर उसके बाद मैं चिल्लायी क्या। मैने कहा, बिलकुल नहीं। वो बोली, फिर समझ लो की मेरी चूत तुम्हारे लण्ड की साईज की हो गयी।
थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं एक बात तुमसे कहना चाहती हूं।
मैने पूछा, अब क्या है। वो बोली, मुझे तो तुम्हारा लण्ड बहुत पसन्द आ गया है। अगर तुम्हें मेरी चूत भी पसन्द आ गयी हो तो तुम मुझसे शादी कर लो। मैं तुमसे 1 साल छोटी भी हूं और जवन भी। मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूंगी और एक दम खुश रखूगी। अगर तुम मुझसे शादी नहीं करोगे तो मैं तो तुम्हारी रखैल बन कर रह जाऊगी। जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो मुझे कौन चोदेगा। भाभी खूबसुरत थी ही। मैं उन्हें बहुत प्यार भी करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी। उनकी बात सही भी थी क्यों की मुहल्ले के लोग बाद में उन्हें मेरी रखैल ही कहते।
मैने मजाक किया, अगर तुम मुझसे शादी करना चाहती हो तुम्हें एक काम करना पड़ेगा। वो बोली, मैं सब कुछ करने के लिये तैयार हूं। मैने कहा, तुमने उस पागल को देखा है ना जो हमारे मुहल्ले में घूमता रहता है। वो बोली, हां देखा है। मैने कहा, तुमने उसका लण्ड भी देखा होगा। वो बोली, देखा है। मैने पूछा, उसका लण्ड कैसा है। वो बोली, उसका तो तुमसे भी ज्यादा लम्बा और मोटा लगता है।
मैने कहा, मैं उसे एक दिन घर ले आता हूं, तुम उस से चुदवा लो।
वो बोली, ठीक है, ले आना। मैं तुमसे शादी करने के लिये कुछ भी कर सकती हूं। मैं उस पागल से भी चुदवा लूंगी।
मैने कहा, मैं तो मजाक कर रहा था।
वो बोली, तो क्या तुम समझी की मैं सच में ही उस पागल से चुदवा लूंगी।
मैने कहा, मैं तुमसे एक ही शर्त पर शादी करुंगा।
वो बोली, मैने कहा ना की मुझे तुम्हारी हर शर्त मनज़ूर है।
मैने कहा, सुन तो लो। वो बोली, फिर सुना ही दो। मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड मारुंगा तब ही तुमसे शादी करुंगा।
वो बोली, जब मैने तुम्हारा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लिया तब ही मैं तुम्हारी बीवी बन गयी थी, भले ही हमारी शादी नहीं हुयी थी। अपनी बीवी से ये बात पूछी नहीं जाती। अभी मार लो मेरी गाण्ड।
मैने कहा, फिर सुहागरात के दिन मैं क्या करुंगा।
वो बोली, फिर रहने दो, सुहागरात के दिन तुम मेरी गाण्ड चोद लेना।
मैने कहा, एक दिक्कत और है।
वो बोली- अब क्या है।
मैने कहा, तुमसे शादी करने के बाद मैं सारी जिन्दगी किसी कुवांरी चूत को नहीं चोद पाऊगा।
वो बोली, मैं तुम्हारे लिये कुंवारी चूत का इनतजाम भी कर दूंगी। मैने पूछा, वो कैसे। वो बोली, ये मुझ पर छोड़ दो। मैने कहा, फिर मैं पण्डित से पूछ लेता हूं की हमें शादी कब करनी चाहिये। वो बोली, पूछ लेना। मैने पण्डित से बात की तो उसने 3 दिन बाद का मुहुरत बताया। 3 दिनो तक मैने संध्या की खूब जम कर चुदायी की। अब उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा था।
संध्या चुदवाते समय मेरा पूरा साथ देती थी इस लिये मुझे भी खूब मज़ा आता था।
तीसरे दिन हम दोनो ने मन्दिर में शादी कर ली। रात में मैने संध्या की गाण्ड मारी। वो बहुत चीखी और चिल्लायी लेकिन उसने एक बार भी मुझे रोका नहीं। उसकी गाण्ड कई जगह से कट फ़ट गयी थी और उसकी गाण्ड की हालत एक दम खराब हो गयी थी। वो 2 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
मैने पूछा, मैं जब तुम्हारी गाण्ड मार रहा था और तुम्हें इतनी ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं। वो बोली, मैं अपने पति को कैसे मना करती। आखिर बाद में मुझे भी तो गाण्ड मारवने में मज़ा आया। मैने कहा, वो तो आना ही था। अब मेरे लिये कुंवारी चूत का इनतेजाम कब करोगी। वो बोली, बस जल्दी ही हो जायेगा।
शादी के 4 दिन के बाद जब मैं दुकान से घर आया तो घर पर एक लडकी बरतन साफ़ कर रही थी। उसके कपड़े थोड़ा गन्दे थे लेकीन वो थी बहुत ही खूबसुरत। उसकी उमर लगभग 18 साल की रही होगी। मैं सीधा अपने कमारे में चला गया। संध्या भी मेरे पीछे पीछे आ गयी।
मैने संध्या से पूछा, ये कौन है। वो मुस्कराते हुये बोली, मैने इसे घर का काम करने के लिये रखा है। इसका नाम रीना है। पसन्द है ना तुम्हें। मैं इसे तुम्हारे काम के लिये भी जल्दी ही तैयार कर लू्ंगी। मैने कहा, तुम्हारी पसन्द का तो जवाब नहीं है। कहां रहती है ये।
संध्या ने कहा, ये गावँ में रहती थी लेकिन अब यहीं रहेगी। मेरे भैया जब शादी में आये थे तो मैने उन से कहा था की मुझे घर का काम करने के लिये एक लड़की चाहिये। उन्होने ने ही इसे यहां पर भेजा है। ये हमारे साथ ही रहेगी। मैने कहा, जल्दी तैयार करो इसे। मैं इसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता हूं। वो बोली, थोड़ा सबर करो।
रीना बरतन साफ़ कर के कमारे में आ गयी। उसने संध्या से पूछा, मालकिन, मैने घर का सारा काम कर दिया है, और कुछ करना हो तो बता दो। संध्या ने कहा, तू तो मेरे गावँ की है, मुझे मालकिन मत कहा कर।
वो बोली, फिर मैं आप को क्या कह कर बुलाऊ। संध्या ने कहा, तू मुझे दीदी कहा कर और इन्हें जीजू। वो खुश हो गयी और बोली, ठीक है, दीदी। संध्या ने कहा, मेरी तबियत कुछ खराब रहती है इस लिये तू मेरे साथ ही सो जना। वो बोली, फिर जीजू कहन सोयेनगे। संध्या ने कहा, वो भी मेरे पास ही सोयेनगे। वो बोली, फिर मैं आप के पास कैसे सो पौनगि। संध्या ने कहा, मेरे एक तरफ़ तुम सो जाना दूसरी तरफ़ ये सो जायेगे। वो बोली, ये तो ठीक नहीं होगा।
संध्या ने कहा, शहर में सब चलता है। यहां ज्यादा शरम नहीं की जाती।
वो बोली, ठीक है, मैं आप के पास ही सो जाऊगी।
हम सब ने खाना खाया उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने के लिये आ गया। मैने केवल लुंगी ही पहन रखी थी। थोड़ी देर बाद संध्या और रीना भी आ गये। संध्या ने बरा और पेन्टी को छोड़ कर अपने बाकी के कपड़े उतार दिये। उसके बाद उसने मैक्सी पहन ली। संध्या ने रीना से कहा, अब तू भी अपने कपड़े उतार दे। मैं तुझे भी एक मैक्सी देती हूं, उसे पहन लेना।
वो बोली, नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूं। संध्या ने कहा, मैं जो कहती हूं, उसे मान लिया कर। सोते समय सारा बदन खुला छोड़ देना चाहिये। वो बोली, जीजू यहां हैं।
संध्या ने कहा, जीजू से कैसी शरम, ये तुझे पकड़ थोड़े ही लेंगे। उतार दे अपने कपड़े। रीना ने शरमाते हुये अपनी शलवर और कमीज़ उतार दी। उसका बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूंचिया अभी बहुत ही छोटी छोटी थी। संध्या ने उसे भी एक मैक्सी दे दी तो उसने वो मैक्सी पहन ली।
संध्या मेरे बगल में लेट गयी। रीना संध्या के बगल में लेट गयी। हम सब कुछ देर तक बातें करते रहे। उसके बाद सोने लगे। थोड़ी ही देर में रीना सो गयी तो संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम मेरी चुदायी करो।
मैने कहा, इसके सामने। वो बोली, मैं चाह्ती हूं की ये हम दोनो को देख ले, तभी तो मैं इसे तैयार करुंगी। तुम मुझे खूब जोर जोर से चोदना जिस से ये जाग जाये। मैने कहा, ठीक है।
मैने संध्या को जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया। सारा बेड जोर जोर से हिलने लगा। थोड़ी ही देर में रीना की नींद खुल गयी और वो उठ कर बैठ गयी। जैसे ही वो उठी तो मैने अपना लण्ड संध्या की चूत से बाहर निकाल लिया।
रीना ने जब हुम दोनो को देखा तो शरमा गयी। वो बोली, दीदी, मैं बाहर जा रही हूं।
संध्या ने कहा, क्यों, क्या हुआ।
वो बोली, मुझे शरम आती है।
संध्या ने कहा, पागली, इसमें शरमाने की कौन सी बात है। तू अपना मुह दूसरी तरफ़ कर ले और सो जा। रीना उठ कर जाना चाहती थी लेकीन संध्या ने उसका हाथ पकड़ लिया। रीना कुछ नहीं बोली।
वो संध्या के बगल में ही लेट गयी लेकिन उसने अपना मुह दूसरी तरफ़ नहीं किया। संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम अपना काम जल्दी से पूरा करो, मुझे नींद आ रही है।
मैने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। रीना तिरछी निगाहों से हम दोनो के देख रही थी।
15 मिनट की चुदायी के बाद जब मैं झड़ गया तो मैने अपना लण्ड संध्या की चूत से बाहर निकाला। संध्या उठ कर बैठ गयी और उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। रीना ने शरम के मारे अपनी आखे बन्द कर ली।
संध्या ने अपना मुह रीना की तरफ़ कर लिया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने कहा, दीदी, अपना हाथ हटा लो।
संध्या ने कहा, मुझे तो ऐसे ही सोने की आदत है। अब सो जा।
रीना कुछ नहीं बोली। उसके बाद हम सब सो गये।
सुबह हम सब उठ गये। रीना फ़्रेश होने चली गयी। संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम इसे बार बार अपना लण्ड दिखने की कोशिश करना लेकीन इसे हाथ मत लगाने देना। इसे ऐसा लगना चाहिये की जैसे तुम अपना लण्ड इसे दिखाने की कोशिश नहीं कर रहे थे। मैने कहा, ठीक है। रीना फ़्रेश हो कर आ गयी।
संध्या ने कहा- अब तू घर में झाड़ु लगा ले।
वो झाड़ु लगाने चली गयी।
संध्या ने मुझसे कहा- अब तुम जा कर फ़्रेश हो जाओ। आज से अपना टावेल साथ मत ले जना और एकदम नंगे ही नहाना, मैं रीना से तुम्हारा टावेल भेज दूंगी।
मैने कहा, ठीक है।
Antarvasna कहानी जारी रहेगी।
विधवा भाभी की चुदाई-2
दोस्तो, मैं अन्तर्वासना hindi Porn Stories का नियमित पाठक हूँ। सोचा आप लोगों को अपनी भी एक सच्ची कहानी बताऊँ।
मेरी शादी हुए 12 साल हो चुके है। शादी के समय मेरी उमर 25 साल की थी और मेरी पत्नी की 19 साल, लेकिन घर में वह सबसे बड़ी थी। मेरी दो सालियाँ हैं। बड़ी की उमर उस समय 16 की थी और छोटी की 12 साल। बड़ी साली का नाम पिंटी है। कद-काठी 5 फुट 2 इंच, रंग हल्का सांवला। फिगर 33-25-28। यह कहानी पिंटी की चुदाई की है।
10+2 पास करने के बाद जब पिंटी कालेज़ पहुँची तो उसे खुला माहौल मिलने के कारण उसके रंग-ढंग काफी बदलने लगे थे। हालांकि पहनती तो सूट-सलवार ही थी मगर कमीज़ की लम्बाई और फिटिंग दिन पर दिन टाईट होते जा रही थी। साथ ही साथ मेरे साथ अकेले में शरारत का कोई मौका वह हाथ से जाने नहीं देती थी। उसका सबसे पसंदीदा था गुदगुदी करना। शुरू में तो मैंने कोई जबाब नहीं दिया। लेकिन धीरे-2 मैं भी बराबरी करने लग पड़ा। पैरों के नीचे, पेट पर, बांहों के नीचे, गर्दन पर, मम्मों के आसपास या फिर जहाँ भी हाथ पड़ जाए। पर यह सब होता था जब आसपास कोई नहीं होता था, चाहे मैं ससुराल में होता या वो मेरे यहाँ आई होती।
एक बार कुछ काम से मैं अपने ससुराल गया था। शाम को वो रसोई में खाना बना रही थी तो मैं पानी पीने के बहाने रसोई में चला गया और पीछे से अपने दोनों हाथों से उसके मम्में बड़े आराम से पकड़ कर खड़ा हो गया। उसने मना नहीं किया और बड़े आराम से खड़ी रह कर अपना काम करती रही। धीरे-2 मैंने उन पर दबाब बढ़ाना शुरू किया और उसे गाल पर चूमना शुरू कर दिया, फिर गर्दन पर और मैंने उसका कान अपने मुँह में ले लिया तो वह कसमसा कर रह गई और कहा- क्या कर रहे हो जीजू! कोई आ जाएगा।
पर इस सबके कारण मेरा लण्ड खड़ा हो कर उसके चूतड़ों की दरार में लगने लग पड़ा था। तभी मेरी सास रसोई में आ गई और हम अलग खड़े हो बातें करने लग पड़े।
अगले दिन मैं अपने काम से बाहर गया। वापिस दोपहर को घर आया तो मेरी सास एक कमरे में तथा पिंटी और मेरा साला दूसरे कमरे डबल-बैड पर सोए हुए थे। मैंने पिंटी को उठाया तो वह ऊँ… कर के करवट बदल कर सो गई। मैंने फिर से उसे हिलाया मगर वो नहीं उठी और एक बार फिर से करवट बदल कर सो गई। लेकिन इस बार उसका मुँह मेरी तरफ हो गया। पिंटी बैड के किनारे की तरफ थी। बार-2 उठाने पर भी जब वो नहीं उठी तो लगा कि शायद वो सोने का नाटक कर रही है। मैंने धीरे से गले के ऊपर से उसकी कमीज़ में हाथ डाला लेकिन वह जरा भी नहीं हिली। कमीज़ टाईट होने के कारण मेरा हाथ ज्यादा अन्दर तक नहीं जा पाया। मैंने उसके मम्मों को सिर्फ ऊपर से ही छुआ और हाथ बाहर निकाल लिया। और फिर उसके पास बैठ कर उसके होंठ अपने मुँह में ले कर करीब 10 मिनट तक चूसता रहा। वो नींद से तो जग गई पर आराम से लेटी रही और इस सबके मज़े लेती रही। पर इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सका क्योंकि साला साथ ही सोया था और अगले दिन मैं वापिस आ गया। चलते वक्त वो बड़े प्यार से व जोर से जफ्फी डाल कर मिली और बोली- आई लव यू जीजू!
मैं समझ गया कि कल दिन में जो कुछ भी हुआ उसके बाद यह चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। मैंने भी उसे आई लव यू ट्ठू कहा और चला आया।
बी ए के प्रथम वर्ष की परीक्षा के बाद छुट्टियों में वह मेरे पास आई। मैं बहुत ही खुश हुआ। उसका बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया। वो पूरे एक महीने के लिए आई थी। मेरी पत्नी ने उस समय एक स्कूल में नौकरी कर ली थी। सुबह 8:40 पर वह स्कूल चली जाती थी। मेरी बेटी भी उसी के साथ जाती थी। मैंने 9:45 पर दफ्तर के लिए जाना होता था। यानि कि पूरा एक घंटा मैं और पिंटी घर पर अकेले होते थे।
एक-दो दिन तो सामान्य निकल गए। तीसरे दिन सुबह अभी 6:15 मेरी पत्नी छत पर कपड़े सुखाने के लिए चली गई। दरवाजे की आवाज से मेरी नींद भी खुल गई। मैं उठा और दूसरे कमरे में देखा साली अभी सोई थी। उसने नाईट सूट पहन रखा था जिसका टॉप थोड़ा छोटा और उसके आधे पेट तक उठा था। टॉप के ऊपर से साफ दिख रहा था कि उसने ब्रा नहीं पहनी है। मैं चुपचाप उसके पास लेट गया और अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया। फिर धीरे-2 टॉप के अन्दर से ऊपर को ले जाने लगा। पहले अपना हाथ उसके दाएँ नंगे मम्मे पर रखा और चुचूक को अपनी ऊँगलियों से पकड़ लिया। लेकिन वो नहीं उठी तो मैंने उसके मम्मे को जोर से दबाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और धीरे-2 चूसने लगा। तो उसकी नींद खुली।
उसने पूछा- जीजू यह क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा।
मैंने कहा- तेरी दीदी अभी छत पर गई है और भांजी सोई है, सो कोई डर नहीं है। तेरी दीदी आएगी तो दरवाजे की आवाज होगी तो हम ठीक हो कर बैठ जाएँगें।
यह सुन कर उसने अपना टॉप ऊपर कर दिया।
मैंने पूछा- पहले भी चुसवाएं हैं किसी से क्या?
तो वह बोली- बस एक बार! वो मैं और मेरी एक सहेली आपस में, बस!
मैं मम्मा चूस रहा था, फिर मैंने पूछा- चुदाई कराई है?
तो वह बोली- अभी नहीं।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि एक ताज़ी चूत चोदने को मिलेगी।
‘चुदाई कराओगी मुझसे?’
तो उसने अपना मुंह अपने हाथों से ढक लिया। मैं उसका इशारा समझ गया।
मेरी पत्नी अपने समय पर, बेटी को ले स्कूल चली गई। मैंने अखबार ली और पढ़ने बैठ गया। वह चुपके से आई और उसने मुझे गुदगुदी की। मैंने उसे कहा- मुझे अखबार पढ़ने दे।
लेकिन उसने कहा- क्या जीजू! मैं इतनी दूर से आप के पास आई हूँ और आप हैं कि अखबार में ही डूबे हुए हैं।
मैंने अखबार बंद कर दी और उसे पकड़ कर अपनी गोद में ही लिटा लिया। क्योंकि अब वो और मैं घर पर अकेले थे और किसी का डर नहीं था। वो मेरी गोद में जैसे ही गिरी मैंने उसे पकड़ कर गुदगुदी करनी शुरू कर दी। लेकिर बीच-2 में उसके मम्में भी दबा रहा था। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने उसे उठाया और अंदर बैड पर ला कर लिटा दिया। और फिर साथ लेट कर उसके होंठ पर चूमने लगा। धीरे-2 मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। वो बड़े आराम से इस सब का मजा ले रही थी।
मैंने उसका टॉप उतार दिया उसकी नंगी चूचियाँ अब बिल्कुल मेरे सामने थी। मैं पागलों की तरह उन्हें चूसने लगा और फिर सारे बदन पर चूमा-चाटी करने लगा। पिंटी भी मदहोश हो रही थी। मैंने अपना कुर्ता और बनियान उतार फैंकी और आधी नंगी पिंटी को नीचे लिटा कर खुद उसके ऊपर लेट कर उसके मम्मों को फिर से चूसने लग पड़ा।
वो बस आंखें बंद कर मजा ले रही थी और आह-ऊँह की आवाजें निकाल रही थी। ऊपर लेटे हुए ही मैंने अपना लण्ड उसकी फुद्दी पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे वह और भी ज्यादा पागल हो गई और अब अचानक ही वो एकदम से उठी और मुझे नीचे लिटा कर मेरे ऊपर आ गई। मेरे होंटों को चूसने लग पड़ी। लेकिन साथ ही साथ एक हाथ से मेरे लण्ड को भी मेरे पाजामे के ऊपर से ही सहला रही थी।
मैंने अपना नाड़ा खोला और पाजामा और कच्छा खोल दिया। मेरा लण्ड जो बुरी तरह से तन चुका था एक दम से बाहर निकल कर खड़ा हो सलामी देने लग पड़ा। पिंटी ने उसे अपने हाथों में सहलाना शुरू कर दिया और उसको सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। मैं तो बस स्वर्ग की सैर कर रहा था। धीरे-2 वो चाटना, चूसने में बदल गया। अब मेरा लण्ड उसके मुँह के अन्दर-बाहर हो रहा था और मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था। वो काफ़ी देर तक लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसती रही और चूस-2 कर उसने पहली ही बार मेरा लण्ड चूस कर सारा माल निकाल कर गटक लिया। यह देख कर मैं उत्तेजना से भर गया। मेरा लण्ड शांत हो चुका था। मैं कुछ देर यूँ ही लेटा रहा।
इस बीच उसने कब उठ कर अपनी सलवार खोल दी थी मुझे पता ही नहीं चला। वो सिर्फ पेंटी में ही मेरे सामने खड़ी थी। ये देख वासना एक बार फिर से सिर पर सवार होने लगी। मैंने उसे हाथ पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और बड़े प्यार से चूमने लगा। धीरे-2 मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी में डाला और उसकी फुद्दी को सहलाने लग पड़ा। उसकी फुद्दी बिल्कुल चिकनी थी।
मैंने पूछा- कब साफ करी थी?
तो वो बोली- परसों!
मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी पेंटी भी उतार दी। अब हम दोनों एकदम नंगे थे। मैं उसे पूरी तरह से नंगा देख बस देखता ही रह गया।
वो बोली – जीजू देखते ही रहोगे या…
यह सुन मेरी तंद्रा टूटी तो मैं बोला- पिंटी कद में तो तू कुछ छोटी ही है मगर सेक्सी तू बहुत है।
मैंने उसे सिर से पांव तक हर एक जगह पर चूमा और उसकी टांगें ऊपर उठा उसकी फुद्दी को अपने मुँह में ले लिया। उसकी सिसकारी निकल गई। फुद्दी मैंने जीभ से चाटनी शुरू कर दी। थोड़ी ही देर के बाद वो एक बार मेरे मुँह में ही झड़ गई। लेकिन मैंने चुसाई चालू रखी। इस बीच मेरी नज़र घड़ी पर पड़ी 10 बजने में सिर्फ 5 मिनट ही बचे थे। लेकिन उधर लोहा गर्म था। मैंने आफिस फोन किया कि मैं कुछ लेट आऊँगा थोड़ा काम है। यह सुन पिंटी बहुत ही खुश हुई। फिर मैंने उसकी फुद्दी में अपनी जीभ से चुदाई शुरू की।
वो पागलों की तरह कह रह थी- जीजू बस करो! अब चोद डालो अपनी साली को! पेल दो अपना लण्ड मेरी फुद्दी में! मुझे आज बस आधी से पूरी घरवाली बनालो! पूरी तरह से अपना बना लो!
लेकिन मैं कहाँ इतनी जल्दी निपटाने वाला था। उस दिन मैं लंच के बाद करीब 2 बजे दोपहर को आफिस गया। तब तक मैं उसे तीन बार चोद चुका था।
तो जीजाओ और प्यारी-2 सालियो, कैसा लगा अभी तक का किस्सा।
आगे की कहानी तभी, जब मुझे इस बारे में लिखेंगे और आगे की कहानी की मांग करेंगे। hindi Porn Stories
जमशेदपुर की Hindi Sex Stories स्वर्णलता लिखती है कि अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत रोचक होती हैं। पढ़ने के बाद दिल में कुछ कुछ होने लगता है।
आज वो 40 वर्ष की अधेड़ महिला है और अपने पति की मृत्यु के उपरान्त उसी कार्यालय में कार्य करती है।
उसकी यह कहानी उस समय की है जब वह 26 वर्ष की थी। उनके पास उस समय एक 9 माह की लड़की भी थी। उसके पति सरकारी दफ़्तर में ड्राईवर थे, जो अक्सर अपने बड़े साहब के साथ अधिकतर यात्रा पर ही रहते थे।
स्वर्णलता के शब्दों में :
हम पति पत्नी एक कस्बे में बड़े से मकान में किराये पर रहते थे। हम उस बड़े मकान की रखवाली भी करते थे। हमारी माली हालत भी अच्छी नहीं थी। किसी तरह से दिन गुजर रहे थे। मेरे पति राधेश्याम बहुत कम बोलने वाले व्यक्ति थे।
सेक्स में उनकी अधिक रुचि नहीं थी।
उन्हीं दिनों ऑफ़िस में एक नये अधिकारी का पदस्थापन हुआ था। वे बड़े साहब के सहायक थे। उनका नाम अनिल था।
नई भर्ती से आये थे, बहुत चुस्त, फ़ुर्तीले, मधुर स्वभाव के थे वो। उस समय लम्बे बालो का फ़ेशन था, उनके हल्के उड़ते हुये रेशमी बाल मुझे बहुत अच्छे लगते थे। अनिल को मेरे पति ने अपने बड़े मकान में एक हिस्सा दे दिया था।
अनिल बहुत हंसमुख स्वभाव के थे। मुझसे वो बहुत इज्जत से पेश आते थे। एक मन की बात कहूँ ! आप पाठकगण शायद हंसेंगे?
हम जैसी महिलाओं में अधिकतर यह दिली चाह होती है कि हमारा पति भी एक ऑफ़ीसर जैसा हो, उसका रुतबा हो ! और उसी स्वप्न में हम उसी स्टेण्डर्ड से रहने भी लग जाती हैं, अच्छे कपड़े पहनना, मंहगी वस्तुएँ खरीदना, और हां फिर उसे सभी को बताना। ये सभी कमियां मुझ में भी थी।
अनिल को हमारे साथ रहते हुये तीन चार माह बीत चुके थे। मैं उन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने देती थी, उन्हें खाना, चाय नाश्ता वगैरह उनकी पसन्द का ही देती थी, बदले में वो हमें जरूरत से अधिक पैसा देते थे। मैं अनिल के साथ बहुत घुलमिल गई थी। वो मेरे पति से अधिक बात नहीं करते थे, क्योकि शायद वो उनके भी ड्राईवर थे।
घटना की यूँ शुरूआत हुई …
एक शाम को हमारा एक पुरानी फ़िल्म देखने का कार्यक्रम बना। मुझे याद है वो दिलीप कुमार की पुरानी फिल्म देवदास थी।
किसी कारणवश मेरे पति को बड़े साहब के साथ यात्रा पर जाना पड़ा। मैं मन मसोस कर रह गई।
ऐसे में अनिल ने कहा कि वो मुझे फ़िल्म दिखा लायेगा।
शाम को 5 बजे के शो में हम दोनों चले गये।
मैनेजर ने अनिल को स्पेशल क्लास में बैठाया… मुझे भी बड़ा गर्व सा हुआ कि मैं किसी बड़े अधिकारी के साथ फ़िल्म देखने आई हूँ।
मैनेजर ने अपने नौकर से हमारी सेवा करने का आदेश दे दिया था, वो बीच में आ कर हमे कोल्ड ड्रिंक आदि दे जाता था।
फ़िल्म चल रही थी। मुझे अचानक अहसास हुआ कि अनिल ने जैसे मुझे छुआ था।
मुझे लगा कि यह सम्भव ही नहीं है। तभी दुबारा उसका हाथ मेरे हाथों से धीरे से टकराया।
मुझे झुरझुरी सी हुई, मैंने तिरछी आंखो से उन्हें देखा।
वो भी मुझे चुपके चुपके देख रहे थे।
मुझे लगा कि शायद वे मेरे अकेलेपन का फ़ायदा उठा रहे हैं।
मर्दों की एक फ़ितरत यह भी होती है कि एक बार कोशिश तो कर लो, क्या पता लड़की पट जाये… नहीं तो कुछ समय के लिये नाराज हो जायेगी और क्या?
नहीं… नहीं… ऐसा नहीं हो सकता… मेरे जैसी छोटे तबके वाली लड़की के साथ तो कभी नहीं… फिर ऐसा क्यूँ?
क्या मेरे रूप लावण्य के कारण, या मेरी सेक्स अपील के कारण।
फिर वो कुंवारा भी तो था … शायद जवानी के जोश में …
मुझे सावधान रहना था कि कहीं मुझसे कोई भूल ना हो जाये। पर फिर एक बार और उसकी अंगुलियों का स्पर्श मेरे हथेली पर हुआ … मैं तो जैसे जड़ सी हो गई …
मुझसे अपना हाथ हिलाने की शक्ति भी जैसे जवाब दे गई। मुझे यह मालूम हो गया था कि अनिल ये सब जानबूझ कर कर रहा है। मेरे चेहरे पर पसीना आ गया था।
वो मुझसे क्या चाहता है … क्या मालूम?
उसने जब मेरा विरोध नहीं देखा तो उसकी हिम्मत बढ़ गई।
उसकी अंगुलियां मेरी हथेली पर दबाव डालने लगी। मुझे जैसे लकवा मार गया था। मैं चाह कर भी अपना हाथ नहीं खींच पा रही थी।
अचानक उसका हाथ मेरे हाथों पर आकर ठहर गया और मेरे अंगुलियों को पकड़ने लगा।
मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा… मेरी जिन्दगी में किसी पहले पराये मर्द का स्पर्श मेरे मन में बेचैनी पैदा कर रहा था।
अब उसका हाथ मेरे हाथों को दबाने और सहलाने में लगा था।
मैंने हिम्मत बांधी और अपना हाथ खींच लिया।
मैं अपने पल्लू से माथे का पसीना पोंछने लगी।
उसका हाथ एक बार फिर मेरी जांघों से स्पर्श करने लगा।
मेरे तन में जैसे बिजलियाँ तड़क उठी। मैं कांप सी गई।
शायद मेरी ये कंपकंपी उसने भी महसूस की।
मुझे सामान्य महसूस कराने के लिये वो मेरे से बातें करने लगा।
उसका हाथ ज्योंही मेरे जांघो को सहलाने लगा, मुझे घबराहट होने लगी थी।
तभी मेरी बच्ची की नींद खुल गई। मैंने उसे जल्दी से अपनी गोदी में लिया।
उधर अनिल भी बेचैन सा होने लगा। कुछ ही देर में बच्ची फिर से सो गई। पर जाने क्यूँ अब मेरा दिल भी बेचैन सा होने लगा था।
मुझे अनिल के हाथों मे जादू सा लगा। मैंने सोच लिया था कि इस बार उसका हाथ मैं थाम लूंगी … और उसे भी अपनी दिलचस्पी दिखाऊंगी।
उसके बढ़ते हाथों का इस बार मैंने स्वागत किया और उसकी अंगुलियां मेरे हाथों में खेलते समय मैंने उन्हें थाम लिया।
मैंने अपनी मौन स्वीकृति दे दी थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सीट पर ले लिया था और उसे सहला रहा था।
एक बार तो उसने चूम भी लिया था।
मैंने धीरे से उसके कंधे पर अपना सर रख दिया। उसने अपना एक हाथ मेरे गले से लिपटा कर अपनी ओर मुझे खींच लिया।
आह… कितना प्यारा माहौल था … मुझे लगा कि जैसे मैं उसे प्यार करने लगी हूँ।
उसके होंठों ने मेरे गाल चूम लिये।
मैंने अपनी बड़ी बड़ी आंखें खोल कर उसे आसक्ति से निहारा।
उसका चेहरा मेरे होंठों की तरफ़ बढ़ने लगा। मेरे कोमल पत्तियों जैसे अधर कंपकंपा उठे … थरथरा उठे… और एक दूसरे से चिपक गये।
जाने कितनी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे … फिर एक दूसरे को प्यार से निहारते हुये अलग हो गये। सारी फ़िल्म में यही सब कुछ चलता रहा।
रात को नौ बजे फ़िल्म समाप्त हुई तो हम घर लौट आये। रास्ते भर मेरी नजरें शर्म से झुकी रही। अनिल तो बहुत खुश लग रहा था पर फिर भी चुप था। रास्ते भर कोई बात नहीं हुई।
रात का भोजन करने के बाद हम दोनों छत पर आ गये थे।
मैं अपनी साड़ी उतार कर मात्र पेटीकोट में थी, ब्रा भी हटा दी थी।
बच्ची सो चुकी थी। वो चांदनी रात में सफ़ेद पजामे में बड़ा ही मोहक लग रहा था।
काफ़ी देर तक तो हम चुपचाप खड़े रहे …
उसी ने चुप्पी तोड़ी- फ़िल्म कैसी लगी…?
‘जी फ़िल्म में तो जी ही नहीं लगा… मेरा ध्यान उधर नहीं था।’ मैंने अपनी सच्चाई बयान कर दी थी।
‘सच कहती हो, मन तो मेरा भी कही ओर था…’ वो हंस कर बोला।
‘हॉल में कोई देख लेता तो…’
‘कौन देखता भला, इतनी पुरानी फ़िल्म कोई नहीं देखता है… एक बात कहूँ?’
मैं एकदम घबरा सी गई। मुझे मालूम था कि वो कहने वाला है।
‘जी… जी… कहिये?’
‘मुझे नहीं कहना चाहिये लेकिन दिल से मजबूर हूँ… आप मुझे … ओह कैसे कहूँ !’
मैं शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी। मेरा दिल जैसे उछल कर गले में आ गया था।
‘जी … क्या कहना है?’
मैंने अपना मुख पीछे कर लिया। वो मेरे पीछे आ गये और मेरे कंधों पर हाथ रख दिया।
‘आ…आ… आप बहुत अच्छी हैं !’ उसकी आवाज में कम्पन था।
‘जी… जी…’ मैं हकला सी गई।
‘सोना, मैं आपसे… उफ़्फ़ कैसे कहूं !’
मैंने पलट कर अनिल को प्रेम से देखा और कहा- जी… आप क्या कहना चाहते है… कहिये ना … मैं इन्तज़ार कर रही हूँ।’
‘बस एक बार जैसे हॉल में किया था वैसे…’
‘क्या … कहिये ना…’
उसने असंमजस में मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया।
मैं थोड़ा सा कुलबुलाई और उसे दूर हटा दिया।
‘ये क्या कर रहे है आप…’ मैं शर्म से फिर से पानी पानी होने लगी थी।
मेरा मन उनकी बाहों में समाने को करने लगा था।
मैंने अपना दिल मजबूत कर लिया कि अगली बार उसने कुछ किया तो मैं स्वयं ही उससे लिपट जाऊंगी।
‘वही जो हॉल में किया था… बस एक बार !’ उसने फिर से मुझे अपनी बाहों में खींच लिया।
दिल तो पागल है ना… मचल उठा।
कैसे रोकूँ अपने आप को… मैं अपने दिल से बेबस हो गई।
मैं उसकी बाहों में झूल गई।
उसका मुख मेरे चेहरे के करीब आ गया।
मैंने अपनी आंखें बन्द कर ली। दोनों के तड़पते हुये अधर मिल गये।
मेरा शरीर विचित्र सी आग में जल उठा।
उसके हाथ मेरी पीठ पर गड़ गये और यहां-वहां दबाने लगे।
मेरे हाथ भी उसकी बनियान को जैसे हटा देना चाहते थे।
उसका बलिष्ठ शरीर दबाने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
तभी… हाय रे … ये क्या … उसका कड़क लण्ड मेरी योनि द्वार के समीप टकराने लगा। मुझे नीचे एक बहुत ही दिल को भाने वाली गुदगुदी सी हुई। वो मेरी चूत पर गड़ता ही गया…
मुझे लगा … कही ये मेरे शरीर में प्रवेश ना जाये।
‘अनिल … बस करो…’
‘एक बात कहूं … मानोगी?’
‘एक क्या, सौ बात कहो… सब मानूंगी !’ मैंने शर्माते हुये कहा।
‘हॉल में मैं कुछ करना चाहता था… पर नहीं कर पाया … प्लीज करने दो !’
‘क्या … बोलो ना !’
‘बस आप चुप हो जायें … मुझे करने दो।’
उसने मुझे दीवार से सटा दिया और धीरे से मेरे उन्नत उरोजों पर अपना हाथ रख दिया।
मेरा जिस्म कांप गया।
उसके हाथ मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही चूचियों को दबाने लगे। बटन एक के बाद एक खुलते गये।
उसने हाथ उरोजों पर गोल गोल घूमते रहे, सहलाते रहे, दबाते रहे … मेरी चूत में से ये सब बहुत तेजी से असर कर रहा था।
उसमें से प्रेम रस की बूंदें चू पड़ी थी।
चूत में गुदगुदी भरी मिठास तेज होने लगी थी।
मैं निश्चल सी बुत बनी हुई खड़ी रही।
उसका पजामा बाहर की ओर तम्बू सा तन गया।
मैं उससे लिपट पड़ी। मेरा हाथ अनजाने में ही उसके लण्ड की ओर बढ़ गया। आह … मेरे ईश्वर … कैसा लोहे जैसा कड़ा, जाने घुसने पर क्या कर डालेगा?
लण्ड दबते ही अनिल के मुख से आह निकल पड़ी।
‘सोना, कैसा लग रहा है ना … मुझे तो बहुत आनन्द आ रहा है।’
‘हाय रे … तुम कितने अच्छे हो अनिल … ‘
‘सोना, बस कुछ मत कहो … मुझे तो जैसे स्वर्ग मिल गया है।’
उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ फ़िराना चालू कर दिया, मेरे पीछे के उभारों को दबाने लगा, मेरे चूतड़ों के बीच की दरार में अपनी अंगुली घुसाने लगा।
उसके चूतड़ों को इस तरह से दबाने से मुझे बहुत आनन्द आने लगा।
मेरे चूतड़ को वो हाथ से पकड़ता और ऊपर नीचे हिला डालता था।
मुझे जिंदगी में मेरे पति ने कभी ऐसा कभी नहीं किया था।
वो अपना लण्ड भी मेरे गाण्ड में गड़ा देता था। उसके लण्ड के दबाव से मेरी खूत में खुजली उठने लग जाती थी।
‘सोना, देखो रात का समां है … कोई देखने, सुनने वाला नहीं है … प्लीज एक बार मेरा लण्ड थाम लो … प्लीज, मुझे बहुत आनन्द आयेगा !’
उसने अलग होते हुये अपने पजामे में से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
हाय रे … ये क्या … इतना सुन्दर … मैं उससे फिर लिपट गई और हाथ नीचे बढ़ा कर उसे थाम लिया।
उफ़्फ़्फ़ ! कितना गरम, कितना नरम और ये सुपाड़ा !!! मेरी जान ले लेगा … मैंने छत की पेरापिट की दीवार पर उसे टिका कर लण्ड को हाथ में लेकर उसकी चमड़ी डण्डे के ऊपर उघाड़ दी।
चांदनी रात में उसका सुपाड़ा चमक उठा।
मैंने उसे अपनी मुठ में भर लिया और धीरे धीरे उसका हस्त मैथुन करने लगी।
वो मस्ती में तड़प उठा। उसकी दोनों हाथों की मुठ्ठियां भिंच गई।
मैं उसके सामने खड़ी बड़े जोश से लण्ड मल रही थी। उसकी तड़प मेरे दिल को छू रही थी। उसके चूतड़ भी मुठ मारने से हिल हिल कर मेरा साथ दे रहे थे।
‘सोना … मार देगी रे तू तो आज…’
‘ये तो हम हॉल में नहीं कर सकते थे ना … वही तो कर रही हूँ… कैसा मजा आ रहा है … है ना?’ मेरे मुख से उसी की भाषा निकल पड़ी।
शेष कहानी दूसरे भाग में ! Hindi Sex Stories
हाय मेरा नाम विक्की है, मैं 26 साल Hindi Porn Stories का हूँ और मैं दिल्ली में रहता हूँ।
मैंने इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। मैं भी अपना एक अनुभव आपसे बताना चाहता हूँ।
यह बात आज से लगभग दो-ढाई साल पहले की है, हमारे घर में एक किरायेदार रहने आए। उनमें तीन लोग ही थे पति पत्नी और उनका छोटा भाई। मैं उनको भाई भाभी बोलता था। दोनों भाई ऑटो चलाते थे, दिन में बड़ा भाई और रात को छोटा भाई ऑटो चलाते थे।
एक रविवार, मेरी ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं अपने दोस्तों से मिलने निकल गया। शाम को जब में घर आया तो देखा कि एक लड़की मेरे घर के आँगन में मेरी मम्मी और बहन के साथ बैठ कर बात कर रही है।
मैंने सोचा कि बहन की कोई फ्रेंड होगी तो मैं सीधा बाथरूम में जाकर अपने हाथ मुँह धोकर आया। मैंने महसूस किया कि वो लड़की मुझे घूर घूर कर देख रही थी। मैं मम्मी की वजह से उसको नहीं देख रहा था। फ़िर वो उठ कर चली गई तो मैंने मम्मी से पूछा कि यह लड़की कौन है?
मम्मी ने बताया कि यह उन भइया की बहन संजू है।
यारों क्या मस्त माल थी वो ! लम्बाई 5.4′ भरा भरा बदन सांवला रंग एक दम ब्लैक ब्यूटी थी वो ! 2-3 दिन ऐसे ही निकल गए मैं कही भी जाता थो वोह मुझे घूर घूर कर देखती। उसकी आँखों में मुझे वासना दिखाई दी।
ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया और फ़िर से रविवार आ गया। उस दिन मेरी बहन कुछ चादर पर कुछ फूल पत्ती बना रही थी। मम्मी भी उसका साथ दे रही थी और वो लड़की संजू, वो चारपाई पर बैठी थी और मेरी बहन नीचे जमीन पर, मम्मी भी उसके साथ चारपाई पर ही बैठी थी।
मैं बाहर से घूम कर आया तो देखा कि सब बैठे हैं, मैं भी बैठ गया कुर्सी पर और मैंने अपने पांव चारपाई पर फैला दिए। तो चादर मेरे पांव के नीचे दब गई। मेरी बहन गुस्सा हो कर बोली कि चादर पांव के ऊपर कर ले नहीं तो गन्दी हो जायेगी।
मैंने ऐसा ही किया तो मेरा पाँव अचानक संजू के हाथ पर लगा। मैंने अपना पांव हटा लिया तो वो मेरी तरफ़ देखने लगी जैसे कह रही हो कि क्योँ हटा लिया। मैं मुस्करा दिया और दूसरी तरफ़ देखने लगा कि कहीं किसी का ध्यान मेरी तरफ़ तो नहीं, पर किसी ने नहीं देखा।
मुझे मजा आने लगा, मै धीरे से उसके कमर की साइड में अपनी पांव से सहलाने लगा। चादर पांव के ऊपर होने से किसी को कुछ पता नहीं चला और उसने भी कुछ नहीं कहा। मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं पांव की उँगलियों से उसकी बाजू पर और पेट पर चिकोटी काटने लगा उसने कुछ नहीं कहा।
तभी मेरे पापा आ गए और सब लोग उठ गए। फ़िर तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं जब उसको अकेले देखता तो कभी उसकी चूची दबा देता कभी उसकी गांड में ऊँगली करता और वोह कुछ नहीं कहती।
एक दिन मैं घर पर ही था और वो भी अकेली थी। मेरी मम्मी मार्केट गई थी। मुझे मौका मिल गया। मैं उसके कमरे में गया और उसको पकड़ लिया और जल्दी से उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी। वो कुछ नहीं बोली। फ़िर मैंने उसको किस करना चालू कर दिया। वो भी साथ देने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, मैं तो पागल ही हो गया।
उसकी कठोर चूचियों को देख कर मैंने उनको खूब चूसा और दबाया।
वो बोली- जल्दी करो अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।
मैं उसकी चूत में ऊँगली डालकर चोदने लगा। उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी और मजा ले रही थी अपनी कमर को उठा उठा कर। तभी जोर से चिल्लाई और झड़ गई। मैंने उसका सारा रस चाट कर साफ़ किया और फ़िर अपना 6′ लंबा और 3.5′ मोटा लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा। फ़िर उसको मजा आने लगा और वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी।
मैं समझ गया कि अब उसको मजा आने लगा है। मैंने अपनी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसको तेज तेज चोदने लगा। 10 मिनट बाद वो मुझसे लिपट गई और मुझे नोचने लगी। मैं समझ गया कि इसका पानी निकलने वाला है। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और 5 मिनट बाद ही हम दोनों ने अपना रस छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया, उसकी आंखे बंद थी, उसके चहरे से पता लग रहा था कि वो पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी है।
तभी डोरबेल बज उठी। मैं जल्दी से उठा और अपना लोअर पहन कर दरवाजा खोला, तो मम्मी थी। उस दिन तो बच गए। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चली गई। फ़िर उसके बाद उसके भाई ने भी घर खाली कर दिया और मेरा उसके साथ कोई लिंक नहीं रहा।
तो दोस्तो, यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव. मैं आजकल अकेला हूँ, Hindi Porn Stories
सेक्सी कॉलेज गर्ल्स चुदाई की कहानी तीन सगी बहनों की है. तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ती हैं. तीनों सेक्स की प्यासी हैं मगर उनके चाचा के दबदबे के कारण कोई उनकी ओर नहीं देखता.
यह पूर्व प्रकाशित कहानी है जिसे पुनः सम्पादित करके प्रकाशित किया गया है.
हैलो फ्रेंड्स, ये सेक्सी कॉलेज गर्ल्स स्टोरी एक जागीरदार परिवार की तीन सुंदर सेक्सी लड़कियों की कुंवारी चुत चुदाई की कहानी है.
भानुप्रताप सिंह की हवेली में हर समय तीन खूबसूरत हसीन बहनों की हंसी मजाक की आवाजें सुनाई पड़ती थीं.
ये तीनों हसीन बहनें भानुप्रताप सिंह के स्वर्गीय भाई का निशानी थीं.
लेकिन इन तीन लड़कियों का बाप भानुप्रताप सिंह ही था.
इन तीन हसीन बहनों का नाम सोनम (24 साल), मीनाक्षी (22 साल) और डिंपल (20 साल) था.
तीन बहनों की फिगर बहुत ही सेक्सी थी. उनकी चूचियों और चूतड़ों का आकार बहुत फूला हुआ था.
किसी भी मर्द को उनको देख कर अपने आपको रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाता था.
इन तीनों के असली बाप और चाचा भानुप्रताप सिंह का शहर में बहुत दबदबा था और इसलिए कोई लड़का इनकी तरह अपनी आंख उठा कर देखने की भी जुर्रत नहीं करता था.
ये तीनों बहनें अभी तक कुंवारी ही थीं और अपनी वासना खत्म करने का काम अपनी चुत में उंगली या बैगन खीरा मूली गाजर आदि डालकर चलाती थीं.
वे सब एक दिन कार में सवार होकर कॉलेज जा रही थीं. कार की ड्राइविंग सीट पर मीनाक्षी बैठी थी और वो मस्ती से कार चला रही थी.
अचानक एक जोरदार ब्रेक लगने के साथ कार एक झटके से रुक गयी.
पीछे बैठी सोनम और डिंपल ने उसी समय हलकान होते हुए मीनाक्षी की तरफ देखा.
सोनम ने पूछा- क्यों क्या हुआ … तुमने अचानक कार क्यों रोक दी?
मीनाक्षी बोली- चिल्ला क्यों रही हो … कार के सामने का नजारा तो देखो. कितना नशीला नजारा है.
अब सोनम और डिंपल ने सामने का सीन देखा कि कार के सामने बीच सड़क पर एक कुत्ता और कुतिया गांड से गांड मिला कर चिपके हुए थे. यानि कुत्ता और कुतिया चुदाई कर रहे थे और अपनी अपनी जीभ निकाल कर हांफ़ रहे थे.
सोनम और डिंपल चहक कर बोलीं- वाह … सच में क्या हसीन नजारा है.
मीनाक्षी बोली- हमसे तो ज्यादा किस्मत वाली ये कुतिया है. क्या मस्ती से अपनी चूत चुदवा रही है.
इस पर सोनम और डिंपल ने एक साथ कहा- हां, हमारे चाचा भानुप्रताप सिंह के डर के मारे कोई लड़का हमें घास भी नहीं डालता है. लगता है कि अपने नसीब में कुंवारी ही रहना लिखा है और हम तीनों को अपनी चूत की आग अपनी उंगलियों से ही बुझानी है.
ये ही सब बातें करते हुए उन तीनों के दिमाग में उसी समय चुदने के लिए एक आइडिया आया.
उन्होंने आपस में कुछ बात की और फैसला ले लिया.
तीनों के फैसला लेते ही मीनाक्षी ने कार को प्रोफेसर आलोक के घर की तरफ़ घुमा दी.
प्रोफेसर आलोक की उम्र उस समय लगभग 35 साल की थी और उसकी शादी अभी नहीं हुई थी. वो बहुत ही रंगीन मिजाज का था … मतलब वो एक बहुत चोदू किस्म का आदमी था. उसके लंड की लम्बाई 7 इंच और मोटाई 4 इंच की थी.
ये बात कॉलेज की लगभग सभी लड़कियां और मैडम लोग को मालूम थी.
प्रोफेसर आलोक को अपने नायाब लंड और अपनी चुदाई की कला पर बहुत गर्व था. पूरे कॉलेज की काफी सारी लड़कियां और मैडम उनसे अपनी चूत चुदवा चुकी थीं.
आलोक इन सब लड़कियों और मैडमों को बातों बातों में फंसा कर अपने घर ले जाया करता था और फिर उनको नंगी करके उनकी चूत चोदा करता था.
प्रोफेसर आलोक चोरी चोरी इन तीनों बहनों की जवानी को भी घूरा करता था … मगर वो भानुप्रताप सिंह के डर से इनसे दूर ही रहता था.
आलोक की नजरों में खुद के लिए वासना को देखना और ललचाने वाली बात इन तीनों बहनों को मालूम थी.
आज कुछ तय करके इन तीनों बहनों ने अपनी कार प्रोफेसर आलोक के घर के सामने जाकर रोक दी.
प्रोफेसर आलोक उस समय अपने घर पर ही था और एक लुंगी पहन कर अपना लंड सहलाते हुए एक ब्लू फिल्म देख रहा था.
प्रोफेसर आलोक ने इन तीन बहनों को कार से उतरते देखा तो जानबूझ कर टीवी ऑफ़ नहीं किया.
उसने ऐसा दिखाया कि उसे इन लोगों के आने की बात मालूम ही नहीं पड़ी.
टीवी पर उस समय एक गर्मागर्म चुदाई का सीन चल रहा था जिसमें एक आदमी दो लड़कियों को एक साथ मजा दे रहा था.
वो एक लड़की की चुत में अपने लंड को पेल रहा था और दूसरी लड़की की चुत को अपनी जीभ से चोद रहा था.
लड़कियां अपनी चूत चुदाई के समय अपनी अपनी कमर उछाल कर लंड और जीभ अपनी अपनी चूत में ले रही थीं.
ये तीनों बहनें सीधे प्रोफेसर आलोक के कमरे में पहुंच गईं.
प्रोफेसर आलोक इन तीन बहनों को देख कर घबराने का नाटक करने लगा.
फिर उसे रिमोट नहीं मिला तो उसने उठ कर टीवी ऑफ़ कर दिया.
मगर तब तक टीवी पर चल रही चुदाई की फिल्म पर इन तीनों चुदासी बहनों की नजर जा चुकी थी.
आलोक बोला- अरे … तुम लोग अचानक से यहां कैसे?
तीनों बहनों ने एक साथ प्रोफेसर आलोक से पूछा- सर, आप टीवी पर क्या देख रहे थे?
प्रोफेसर आलोक ने उन तीनों बहनों के चेहरे देख कर उनके मन की बात पहचान ली और उनसे पूछा- मैं जो कुछ टीवी पर देख रहा था … क्या तुम लोग भी देखना चाहोगी?
तीनों बहनों ने एक साथ अपनी मुंडी हिला कर हामी भर दी.
प्रोफेसर आलोक ने फिर से टीवी ऑन कर दिया और सब लोग पलंग और सोफ़ा पर बैठ कर ब्लू फिल्म देखने लगे.
आलोक एक सोफ़ा पर बैठा था और उसके बगल वाले सोफ़ा पर मीनाक्षी और डिंपल बैठी थीं … जबकि पलंग पर सोनम बैठी थी.
उधर प्रोफेसर आलोक ने देखा कि ब्लू फिल्म की चुदाई के सीन देख कर तीनों बहनों का चेहरा लाल हो गया था और उन तीनों की सांसें भी जोर जोर से चल रही थीं.
उनकी सांसों के साथ साथ उनकी चुचियां भी उनके कपड़ों के अन्दर उठ बैठ रही थीं.
क्या हसीन नजारा था. एक साथ तीन जोड़ी चुचियां आलोक की आंखों के सामने उठ बैठ रही थीं और सांसें गर्म हो रही थीं.
कुछ देर के बाद सोनम, जो कि इन बहनों में सबसे बड़ी थी, अपना हाथ अपने बदन पर और चूचियों पर फेरने लगी.
आलोक उठ कर सोनम के पास पलंग पर बैठ गया. उसने पहले सोनम के सर पर हाथ रखा और एक हाथ से उसके कंधों को पकड़ लिया.
इससे सोनम का चेहरा प्रोफेसर आलोक के सामने हो गया.
आलोक ने धीरे से सोनम के कानों के पास अपना मुँह रख कर पूछा- क्या तुमको बहुत गर्मी लग रही है, पंखा चला दूं क्या?
सोनम बोली- नहीं सर, ऐसे ही ठीक है.
फिर सोनम आलोक सर के चेहरे को आंखें गड़ा कर देखने लगी.
आलोक पलंग से उठ कर पंखा फ़ुल स्पीड में चला दिया.
पंखा चलते ही सोनम की साड़ी का आंचल उड़ने लगा और उसकी दोनों चूचियां साफ़ साफ़ दिखने लगीं.
अब आलोक पलंग पर ही सोनम के बगल में बैठ गया. उसने सोनम का एक हाथ अपने हाथ में ले लिया और धीरे से पूछा- क्या मैं तुम्हारे हाथ को चूम सकता हूँ?
ये सुनते ही सोनम ने पहले तो अपनी बहनों की तरफ़ देखा, फिर अपनी हथेली आलोक के हाथों में देकर अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.
आलोक ने भी फुर्ती से सोनम का हाथ खींच कर अपने मुँह के पास किया और उसकी हथेली पर एक चुम्मा रख दिया.
चुम्मा देकर वो बोला- बहुत मीठी है तुम्हारी हथेली … मुझे मालूम है कि तुम्हारे होंठों का चुम्मा इससे भी ज्यादा मीठा लगेगा.
यह कह कर आलोक सोनम की आंखों में देखने लगा.
पहले तो सोनम कुछ नहीं बोली, फिर उसने अपनी हथेली आलोक के हाथों से खींचते हुए अपने मुँह के पास रख लिया.
अब सोनम बोली- जब आपको मालूम है कि मेरे होंठों का चुम्मा और भी मीठा होगा … और आपको सुगर की बीमारी नहीं है, तो देर किस बात की है … जल्दी से और मीठा खा लीजिए.
उसकी बात सुनकर आलोक ने अपने होंठों को आगे बढ़ाया और सोनम के होंठों पर रख दिए.
सोनम ने भी अपने होंठों को ढीला छोड़ दिया और वो आलोक के होंठों से अपने होंठ मिला कर गर्म सांसों का अहसास करने लगी.
आलोक अपने होंठों से सोनम के होंठों को खोलते हुए उसका निचला होंठ चूसने लगा.
सोनम अपने होंठों की चुसाई से गर्म हो गई. उसने आलोक के कंधों पर अपना सिर रख दिया.
आलोक ने सोनम का ये हाल देख कर धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को पकड़ कर दबा दिया.
इससे सोनम के कंठ से मादक आवाज निकल गई और वो आलोक से और ज्यादा चिपक गई.
अब आलोक अपने एक हाथ से सोनम की एक चूची को सहला रहा था और अपने दूसरे हाथ को वो सोनम के चूतड़ों पर फेर रहा था.
सोनम उसकी इस हरकत पर पहले तो थोड़ा कसमसाई और अपनी बहनों के तरफ़ देखने लगी और अंततः उसने भी आलोक को जोर से अपने बांहों में भींच लिया.
आलोक ने अब सोनम के दोनों चूचों पर अपने दोनों हाथ जमा दिए और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा.
यह पहली बार था कि जब किसी मर्द का हाथ सोनम के शरीर को मसल रहा था.
वो जल्दी ही बहुत ज्यादा गर्मा गयी और उसकी सांसें जोर जोर से चलने लगीं.
आलोक सोनम की चूचियों को मसलते हुए उसके होंठों को चूमने लगा.
आलोक इधर सोनम को चोदने की तैयारी कर ही रहा था कि तभी उसने देखा कि सोनम की दोनों बहनें मीनाक्षी और डिंपल भी अपने अपने मम्मों को सहला रही हैं.
वो दोनों बड़ी गौर से आलोक और सोनम के बीच चल रही जवानी का खेल देख रही हैं.
आलोक समझ गया कि वो अब इन तीनों बहनों के साथ कुछ भी कर सकता है. ये तीनों बहनें अब उसके काबू में हैं और वो जो भी चाहेगा वो इनके साथ कर सकता है.
आलोक ने फिर से अपना ध्यान सोनम की शरीर पर डाल दिया.
उसने सोनम की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसे जोर से चूमा और अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के अन्दर ले गया. अब आलोक जोर जोर से सोनम की दोनों चुचों को पकड़ कर दबाने लगा. कभी कभी वो अपने दो उंगलियों के बीच सोनम के निप्पल को लेकर मींज रहा था और सोनम आलोक के कनधो से लिपटी हुई चुपचाप आंखें बंद करके अपनी चूचियों को मसलवा रही थी.
आलोक ने धीरे धीरे सोनम का ब्लाउज और उसकी टाईट ब्रा को खोल दिया और सोनम की कसी हुई चूचियों को मादक निगाहों से देखने लगा.
सोनम ने अपनी आंखें आलोक के आंखों में डाल कर पूछा- सर, कैसी है मेरी चूचियां … आपको पसंद आई या नहीं?
आलोक तो सोनम की गोल गेंदों सी चूचियों को देख कर पहले ही पागल सा हो गया था.
वो उसकी एक चूची को सहलाते हुए बोला- सोनम, तुम मेरी पसंद ना पसंद पूछ रही हो … जबकि आज तक मैंने इतनी शानदार चूचियां कभी नहीं देखी हैं. तुम्हारी चूचियां बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं सोनम रानी और यह मुझको पागल बना रही हैं. इनको देख कर मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा हूँ.
सोनम बोली- मेरी चूचियां देख कर आपको क्या कुछ हो रहा है?
आलोक ने बोला- हां मैं अब तुम्हारी इन रसभरी चूचियों को चूसना और काटना चाहता हूँ.
ये कह कर आलोक ने सोनम की एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और मज़े ले लेकर चूसने लगा.
अपनी चूची की चुसाई शुरू होते ही सोनम पगला सी गयी और अपने हाथ को बढ़ा कर आलोक का लंड उसकी पैंट के ऊपर से ही पकड़ कर मरोड़ने लगी.
सोनम की गर्मी देख कर आलोक ने अपने हाथों से अपना पैंट उतार दिया और फिर से सोनम की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
वो दूसरी चूची को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा.
सोनम भी अब अपने आपको रोक नहीं पाई और उसने अपने हाथ से आलोक का अंडरवियर उतार दिया.
आलोक का अंडरवियर उतरते ही उसका 7 इंच का मोटा लंड बाहर आकर अपने आप ऐसे हिलने लगा मानो वो इन हसीन बहनों को अपना सलाम बज़ा रहा हो.
तीनों बहनें आलोक का लम्बा और मोटा लंड देख कर हैरान हो गईं.
आलोक ने सोनम को अपनी गोद में उठाया और नीचे उतर कर फिर से पलंग पर किनारे से लिटा दिया.
सोनम को लिटाने के बाद आलोक ने सोनम की साड़ी को उसकी कमर से खींच कर निकाल दिया और अब वो पलंग पर सिर्फ पेटीकोट पहने चित लेटी हुई थी.
आलोक सोनम की बुर को उसके पेटीकोट के ऊपर से पकड़ कर दबाने लगा. सोनम की बुर को अपने हाथों से मसलते हुए उसने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया.
सोनम ने भी पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही अपनी कमर ऊपर कर दी, जिससे आलोक को उसके पेटीकोट को उसके चूतड़ों से नीचे खींचने में आसानी हो और वो पेटीकोट को निकाल सके.
आलोक ने सोनम का पेटीकोट उसके फूले फूले चूतड़ों के नीचे कर दिया और उसको सोनम के पैर से अलग करके पलंग के नीचे फैंक दिया.
अब सोनम आलोक के सामने अपने गुलाबी रंग की पैंटी पहन कर लेटी हुई थी.
आलोक ने 69 में आकर अपना मुँह सोनम की बुर के पास को किया और उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को चूमने लगा.
इधर आलोक सोनम को नंगी कर रहा था तो उधर सोनम भी चुप नहीं थी.
सोनम आलोक का लंड हाथ में लेकर ऊपर नीचे करने लगी और उसके लंड का सुपारा खोल कर उसको अपने मुँह में ले लिया और जीभ से चाटने लगी.
इससे आलोक का लंड अब और भी कड़क हो गया.
तब तक आलोक, सोनम की बुर को उसकी पैंटी के ऊपर से ही अपने नाक लगा कर सूंघ रहा था और चूम रहा था.
चुदाई की कहानी के अगले भाग में इन तीनों चुदासी बहनों की चुदाई के रस को आगे लिखूंगा. सोनम को अपनी कुंवारी बुर में आलोक के लंड से कैसा मजा आया … इसका पूरा वर्णन लिखूंगा. आप सेक्सी कॉलेज गर्ल्स स्टोरी पर कमेंट्स करना न भूलें
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