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Local area of Puducherry (Pondicherry)

Massage Girl in Puducherry (Pondicherry): Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Puducherry (Pondicherry) who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Puducherry (Pondicherry) that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Puducherry (Pondicherry) massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Puducherry (Pondicherry) who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Puducherry (Pondicherry) massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Puducherry (Pondicherry) massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Puducherry (Pondicherry) who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Puducherry (Pondicherry) employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Puducherry (Pondicherry) helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Puducherry (Pondicherry)

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Puducherry (Pondicherry) at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रेषक: मनु Antarvasna Stories

मैं अन्तर्वासना का Antarvasna Stories नियमित पाठक हूँ। कुछ कहानियाँ मुझे झूठी लगती हैं तो कुछ सच्ची भी लगती हैं।

जब मैं बिहार में मोतिहारी में रहता था तब कॉलेज़ में था तब मेरे मकान मालिक की बहु जो बांझ थी उसका नाम प्रतिमा ठाकुर था। वो थी तो पतली दुबली मगर थी मस्त भौजाई! ऐसी भौजाई जिसका कोई जवाब नहीं है। यह तब की बात है जब मैंने अपने जीवन में सेक्स को महसूस किया था। मोतिहारी में स्कूल जाते वक्त मैं अक्सर बुकस्टाल पर रुकता था और वहां पर रखी किताबें देखता था। उसमें मुझे खासकर हिंदी में आज़ादलोक, अंगड़ाई, हवस की कहानियाँ, मस्तराम मौलाना, जैसी किताबें देखता था, कभी लेने की हिम्मत नहीं पड़ती थी।

मेरा एक दोस्त था संजय! उसके साथ एक बार मैं उसके घर गया। वहाँ उसने मुझे वो किताब पढ़ने को दी। मैंने उसको घर में छिप कर पढ़ी, मुझे अच्छी लगी, मेरा लंड खड़ा हुआ, दर्द हुआ और बहुत कुछ। कुछ दिनों में मैंने किताबें पढ़नी चालू कर दी और खरीदी भी। तब मुझे लंड, बुर, चूची, मम्मे, गाण्ड जैसे चीज़ें पता चली और मेरा औरतों और लड़कियों को देखने का नज़रिया बदला, क्योंकि इसके पहले सब बहनें ही बनाता था। बस यहीं से कहानी शुरू होती है।

हमारे घर में वीसीआर था और हमारे मकान मालिक के बड़े बेटे से खूब दोस्ती थी और वो हमारे घर में पिक्चर देखते थे।

एक दिन मैं एक पिक्चर लाया। अंग्रेज़ी फ़िल्म थी ‘स्पैस्म’! उसमें तीन नग्न दृश्य थे। मुझे मालूम था कि अंग्रेज़ी फ़िल्म में सेक्स और चुम्बन तो होता ही है पर प्रतिमा भाभी को नहीं पता था। मैं घर आया तो मम्मी नहीं थी घर की चाभी भाभी के पास थी। मम्मी बाज़ार गई थी। मैंने खाना लिया और वीसीआर पर पिक्चर लगाने लगा।

तब भाभी बोली- क्या लगा रहे हो मिंटु?
मैं- ईंगलिश पिक्चर है स्पैस्म! साँपों की पिक्चर है।
भाभी- नागिन जैसी है क्या?
मैं- नहीं भाभी, इसमें एक नाग है जिसके तीन फन हैं जो सबको मारता है।
भाभी- मैं भी देख लूं?
मैंने कहा- नहीं आप मत देखो! कहीं डर गई तो ? कभी कभी कुछ अनाप शनाप होता है।
भाभी बोली- जब तुम नहीं डरोगे तो मैं क्यों डरुंगी? चलो लगाओ।

मैंने फ़िल्म लगाई और खाना खाते हुए फ़िल्म देखने लगा। तभी फ़िल्म में एक बाथ सीन आया जिसमे एक लड़की नंगी नहा रही थी और साँप आता है और उसको मार देता है। उसमें सांप ने लड़की की चूची पर काटा है।

देख भाभी बोली- हटाओ गंदी फ़िल्म है!
मैंने कहा- नहीं भाभी! आप जाओ यह एडवेंचर मूवी है!
भाभी बोली- यह कैसी फ़िल्म है, जिसमें लड़की नहा रही है और नंगी?
मैंने कहा- भाभी जाओ यार! मुझे देखने दो!

भाभी गई नहीं और देखने लगी।
15 मिनट में फिर एक चुम्बन दृश्य आया, भाभी कुछ नहीं बोली और आधे घंटे में एक नग्न चुम्बन दृश्य आया। फिर भी भाभी ने पूरी फ़िल्म देखी।

अन्त में भाभी डर भी गई जब साँप को मारते हैं।

फ़िल्म देख के भाभी बोली- हाय मिंटु बाबु! कितनी गंदी फ़िल्म थी, ऐसी फ़िल्म मत देखा करो!

पर भाभी आँखें नहीं मिला रही थी। बात आई गई हो गई।

कभी कभी भाभी मुझे पढ़ाती भी थी, एक दिन बायोलोजी याद कर रहा था और फ़्रोग सेक्स चैप्टर था। भाभी पढ़ा रही थी और जो ब्लाउज पहने थी वो सफ़ेद रंग का था, बिल्कुल भाभी की तरह सफ़ेद, गोरा, उजला। ब्लाऊज़ पर चिकन कढ़ाई थी जिसमें छेद छेद होते हैं। वो नीचे ब्रा नहीं पहने थी और मुझे उसमें से उनके चुचूक दिख रहे थे।

मैंने भाभी से पूछा- भाभी, सेक्स माने क्या होता है और इससे मेंढक बच्चे कैसे पैदा कर देते हैं?

भाभी घबरा गई और संभल कर बोली- यह एक क्रिया है जो वो करते हैं जिसके बाद मेंढक अंडे देता है।

मैंने पूछा- यह कैसे होता है?
भाभी बोली- किताब में पढ़ो, सब लिखा है।
मैंने पूछा- क्या आदमी भी सेक्स करके अंडे देता है?

भाभी हँसी- नहीं पागल, औरतें बच्चे पैदा करती हैं और मेरे गाल पर नौच लिया, बोली- बड़े बेवकूफ़ हो यार।
मैंने कहा- भाभी, बताइये ना कि कैसे आदमी सेक्स करता है।
भाभी बोली- धत्त! यह भी पूछा जाता है ? जब तू बड़ा होगा तो तुझे पता चल जायेगा।

मैंने कहा- भाभी आप ने क्या सेक्स नहीं किया ? आपकी तो शादी हो चुकी है पर आपने बच्चा नहीं दिया है।

भाभी भौंचक्की रह गई और उनके चेहरे पर दुःख आ गया और वो नीचे चली गई।

मैंने उनको एक हफ़्ते नहीं देखा और जब पढ़ने गया तो उनके नौकर ने वापस कर दिया।

फिर एक दिन मैं एक फ़िल्म ‘नाईटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट’ लाया। मैंने भाई साहब को बुला लिया साथ में भाभी भी आई।

सर्दी के दिन थे हम सब बिस्तर में थे।

अलग पलंग पर सब थे, भाभी मेरे और भाईसाहब के बीच थी। हम सब फ़िल्म देख रहे थे और बीच में भाभी सो गई और रज़ाई में ही उनकी टांगों पर से साड़ी हट गई। मैं फ़िल्म देख रहा था, मैंने लेटे लेटे करवट ली तो देखा भाभी सो रही है। मैं नीचे हुआ, मेरा पैर भाभी के घुटने से लगा मुझे भाभी का नंगा शरीर का आभास हुआ। मैंने हिम्मत कर पैर ऊपर किया, जांघों तक साड़ी आ चुकी थी। मैं हाथ अंदर कर भाभी की जांघों को सहलाने लगा।

भाभी गहरी नींद में थी, उनको पता नहीं चला पर मैं उनकी रानें सहलाते सहलाते झड़ गया और उठ कर बाथरूम गया कि मैंने पेशाब कर दी है पर वहां मैंने कुछ और देखा। पर जब मुड़ा तो देखा भाभी खड़ी थी और मुझे घूर रही थी। मैं घबरा गया।

तब भाभी आगे आई और मुझसे बोली- क्यों क्या हो रहा था? क्या हो गया है?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी।

भाभी बोली- अभी मेरी टांगों पर सहला रहे थे, अभी तुम्हारी शिकायत करती हूं! चलो।

मैं रोने लगा माफ़ी मांगने लगा तो भाभी बोली- ठीक है आगे से ऐसा नहीं होना चाहिये। क्या बात है जो डर गये हो कुछ गड़बड़ है क्या?

मैंने कहा- भाभी मेरी पेशाब निकल गई है पर पता नहीं कैसी चिपचिपी है।
भाभी बोली- लाओ दिखाओ।
मैंने कहा- आपको कैसे दिखाऊं? मुझे शर्म आती है।

भाभी- जब टांगें सहला रहे थे तब शरमा नहीं रहे थे। अब शर्म आ रही है ? चल दिखा नहीं तो उनको बुलाऊं क्या?

मैंने तुरंत अपना अंडरवीयर उनको उतार कर दिखाया। भाभी ने हाथ लगाया और मेरा लंड पकड़ कर देखा, चिपचिपा था। तब भाभी ने उसको साफ़ किया और मेरा अंडरवीयर उतार कर धो दिया और मैं नीकर पहन कर वापस आ गया। थोड़ी देर बाद भाभी वापस आई। और मेरे पास लेट गई, पर अब जाग रही थी और मैंने उनको छुआ नहीं।

फ़िल्म खत्म हो गई और भाभी, भाई साहब चले गये।

अगले दिन भाभी ऊपर आई। मैं किताब पढ़ रहा था, भाभी ने देख लिया और पकड़ लिया और बोली- यह क्या पढ़ रहे हो भाई?

और मुझे डराने धमकाने लगी, मैं डर गया।

भाभी- बताओ और कितनी किताबें हैं कौन कौन सी हैं।

मैंने सब निकाल कर दिखा दी, भाभी ने सब ले ली और अपने कमरे में आ गई। फिर मैं डर के मारे सो गया कि अब मार पड़ने वाली है, भाभी मम्मी को बता देंगी और मेरी हड्डी तोड़ी जायेगी, मगर हुआ सब उल्टा, भाभी शाम को ऊपर आई और मुझे पास पढ़ने को बुलाया।

मैं डरते हुये नीचे गया, आज भाभी जरूरत से ज्यादा खुश थी और सुंदर लग रही थी। मैं गया और किताब खोल पढ़ने लगा, तो भाभी मेरे पास आई और बोली- क्या पढ़ रहे हो मिंटु?
मैंने कहा- साईंस।
भाभी बोली- और आज़ादलोक, अंगड़ाई कैसी लगती है?
मैं शरमा गया और बोला- अच्छी लगती है।

भाभी बोली- और जो मस्तराम है वो? और जिसमे फोटो हैं वो फोटो कैसी लगती है?
मैंने कहा- बहुत सुंदर और अच्छी लगती है खास कर वो जो पत्तों में फोटो है।

भाभी मुस्कुरा दी और बोली- बहुत आवाज़ निकल रही है साहब की? कल बंद हो गई थी आज़ खुल गई?
मैंने कुछ नहीं कहा।

भाभी बोली- मैं कैसी लग रही हूँ।
यह बिल्कुल अज़ीब सवाल था पर मैं बोला- भाभी आप बहुत अच्छी लगती हो और प्यारी भी!
भाभी बोली- क्या मेरे पैर सहलाना अच्छा लगता है?
मैंने कहा- हाँ!

भाभी ने अपनी साड़ी उठा दी और बोली- लो मिंटु सहलाओ!

और मेरा हाथ पकड़ कर टांगों पर रख दिया। मैं सहलाने लगा, दोनों टांगों को सहलाते हुये काफ़ी देर हो गई। भाभी मुस्कुरा रही थी मुझे मजा आ रहा था और मेरी तेज़ी बढ़ गई थी।

भाभी ने पूछा- क्युं मिंटु बाबु! कभी मन करता है कि अपनी भाभी को नंगी देखो।

मैंने जवाब दिया- भाभी करता तो है और कभी कभी आपको नहाते हुए जीने पर से झांक कर देखा है।

भाभी शरमा गई और बोली- हाय दैया! तुमने मुझे नंगी देखा है और मुझे मालूम नहीं चला? यह कैसे हुआ?
मैंने कहा- अरे, कुछ दिखा ही नहीं था! बस आप पेशाब के लिये बैठी और मैंने देख लिया ऊपर से कुछ नहीं दिखा था।

भाभी बोली- क्या तुम मुझे नंगी देखना चाहते हो सही में? तुम्हारी भाभी इतनी सुंदर है?
मैंने शरमाते हुये कहा- जी भाभी।
भाभी बोली- पहले मुझसे कहो तो कि भाभी आप मुझे अपना नंगा शरीर दिखा दो तो मैं दिखा देती तुम मेरा कुछ छीन थोड़े ही लोगे।

मैंने कहा- सच भाभी जी! क्या आप मुझे नंगी हो कर दिखा सकती हो? क्या आप अपने कपड़े मेरे सामने उतार देंगी? सही में प्लीज़ भाभी! मैं आपको नंगी देखना चाहता हूं, क्या मैं आपको नंगी कर सकता हूं ? प्लीज़ भाभी प्लीज़! मैं आपको नंगी करना चाहता हूँ।

भाभी खिलखिला का हँस दी और बोली- अरे मेरे भोले मिंटु देवर! तुम कहो तो लो टांगें छोड़ो! चलो करो अपनी प्रतिमा भाभी को नंगी।

बस इतना सुनना था कि मैं भाभी से लिपट गया और उनके सीने से चिपक गया। भाभी ने मुझे अपने सीने से चिपटा लिया और मेरा चेहरा अपने सीने में दबा कर बोली- जैसे चाहे भाभी को देखो और नंगी करो पर तुमको कसम है चोदना नहीं।
मैंने कहा- चोदना क्या होता है?
भाभी बोली- वो भी सिखाऊंगी! अभी सिर्फ़ नंगा करो और सहलाओ। बस और मज़ा लो।

मैंने भाभी की साड़ी उतार दी, भाभी ब्लाउज और पेटीकोट में थी। दूध सा सफ़ेद रंग और नीले पेटीकोट और ब्लाउज में भाभी मैचिंग में थी। फिर मैंने भाभी का ब्लाऊज का हुक खोला- एक, दो, तीन, चार, फिर आखरी पांचवां और मुझे बीच की लकीर दिखी। दो पहाड़ियों के बीच खाई मस्त लग रही थी। अंदर काली अंगिया नेट वाली थी जिसमें से चूचियाँ बाहर छलक रही थी। मस्त नज़ारा था! और खूबसूरती लाजवाब थी।

भाभी घूम गई और बोली- चलो, जल्दी से ब्रा का हुक तो खोलो।

और मैंने हुक खोल दिया। भाभी ने बिना घूमे ब्रा उतारी और मुझे दे दी। मैंने ब्रा पकड़ी और उसको टटोलने लगा। भाभी ने मुड़ कर देखा तो हँस पड़ी बोली- मेरे भोले राजा, इसमें कुछ नहीं है जो भी है मेरे पास है! लो देखो! आओ देखने की चीज़ है।

और मेरे सामने दो गोल गोल लडडू जैसे मस्त सफ़ेद सुंदर गोरे प्यारी चूची दिख रहीं थी जो कसी हुई थी और एकदम अकड़ी हुई थी, जरा भी लोच नहीं था। 35 साल की भाभी पूरी मस्त थी।

मैंने उनकी तरफ़ हाथ बढ़ाया तो भाभी बोली- नहीं पहले पेटीकोट तो खोलो यार।
मैंने पेटीकोट का नाड़ा बाहर निकाला जिसमें कुछ बाल खिंचे, भाभी बोली- आराम से निकाल! नहीं तो बाल टूट जायेंगे।

मैंने नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे फिसल गया और भाभी एकदम निर्वस्त्र मेरे सामने थी सामने से बाल ज्यादा थे और उनकी बुर नहीं दिख रही थी। भाभी एकदम दूध जैसी थी बस उनके चुचूक हल्के भूरे थे वरना बेदाग भाभी एकदम अंग्रेज़ी फ़िल्म की हीरोईन लग रही थी।

मेरा लंड एकदम तन चुका था, मैं अपना लंड कस के पकड़े था और दबा रहा था।
भाभी बोली- मेरे पास आओ।

मैं भाभी के पास गया तो भाभी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे नंगा कर अपने से चिपका लिया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मैं लेटा था कि मेरा लंड ने धार मार दी जो भाभी की झांटों पर गिरी।

भाभी बोली- लो, तुम तो अभी ही निकल लिये और जगह भी देख कर मारी है।

और भाभी अपने ब्लाऊज से मेरा लंड और झांटें साफ़ करने लगी और साथ साथ मेरा लंड दबा रही थी। अभी मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि भाभी ने मेरा लौड़ा पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया। मेरा पारा चढ़ गया और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। भाभी मेरा लंड चूसती रही, 15 मिनट 20 मिनट लगातार चूसते चूसते मेरा लंड एक बार फिर उनके मुँह में झड़ गया।

भाभी बोली- थोड़ा रोका तो करो सब मेरे मुँह में कर दिया।
मैंने कहा- भाभी, आप ऐसा कर रही हो, मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है! क्या मैं आपका लंड चूस सकता हूँ।

भाभी बोली- धत्त! औरतों के लंड नहीं बुर होती है! और उसको चूसना है तो लो चूस लो! पर पहले क्या मेरा दूध पियोगे?
मैंने शरमाते हुए कहा- हाँ।

फिर भाभी मेरे पास लेट गई और अपनी चूची मेरे मुँह में दे दी। मैं लगातार बड़ी बड़ी चूची चूसता रहा।
भाभी बोली- देवर जी, जरा मुझे सहलाओ तो!

और मैं उनके शरीर को अपने हाथों से रगड़ने लगा। मैं इतनी तेज़ी से दबा रहा था और सहला रहा था कि कभी कभी भाभी हिनहिनाने लगती- और तेज़ मिंटु और तेज़।

मैं लगातार उनकी चूची चूस रहा था कि भाभी ने मेरा हाथ अपनी बुर पर रखा और बोली- अब इसको रगड़ डालो!

मैं बुर रगड़ने लगा, भाभी मस्त होने लगी, आवाज़ें निकालने लगी आऽऽ आऽऽऽआ ऊऊऽऽऊऊ ईईईऽऽऽईईइ! मेरे उंगली करो! मिंटु उंगली डालो बुर बुर में! जल्दी करो! कस के करो ईईऽऽ॥ ईईईआआ आआअ ईईईईए! कस के रगड़ो! नोचो ना! काट डालो।

मैं लगातार उंगली कर रहा था और 15 मिनट की उंगली चुदाई ने उनको झाड़ दिया और मेरा हाथ उनके झड़ने से गीला हो गया। भाभी ने मेरे होंठों पर चूमा और पूछा- मज़ा आया?

मैंने कहा- बहुत ज़्यादा, भाभी क्या मैं आपकी पप्पी ले सकता हूँ?
भाभी बोली- और क्या ले लो! जितनी चाहे और जहाँ चाहे।

मैंने तुरंत भाभी के होंठों को चूमना शुरू किया लगातार उनको चूमता रहा। 15 मिनट में फिर एक बार झड़ गया और इस बार भाभी बोली- धत्त पगले! तू जब-तब धार मार देता है! तेरा इंतजाम करना पड़ेगा।

और भाभी बोली- जब भी किसी को किस करते हैं तो उसको चूस कर करते हैं!
और भाभी ने मेरे होंठों को दो मिनट चूसा और बोली- ऐसे!

तो मैंने कहा- मैं भी ऐसे पप्पी लूंगा!
और मैंने तुरंत भाभी के होंठों पर अधिकार किया और पूरा 5 मिनट चूसा। जब छोड़ा तो भाभी बोली- अबे, ऐसे नहीं किया करो, सांस रुक जायेगी!

मैंने कहा- पर भाभी मुझे अच्छा लगा है।
भाभी हँस दी और बोली- मज़ा आ गया। अब तो मुझे तंग नहीं करोगे? जब प्यार करना हो, दिन में आ जाना और मुझे नंगा कर प्यार करना! चलो अब पढ़ाई करते हैं।

मैंने कहा- भाभी यह तो बताइये कि चोदा कैसे जाता है?

तो भाभी बोली- यह जो बुर है इसमें जो ये लंड तुम्हारे पास है, उसको धक्के से अंदर किया जाता है और फिर लगातार धक्के मार कर जो धार तुम मारते हो उसको अंदर गिरा देते हैं उसको चोदना या चुदाई कहते हैं।

मैंने कहा- क्या भाई साहब भी ऐसे ही चोदते हैं?
भाभी बोली- और क्या।
मैंने कहा- भाभी, मैं भी तुमको चोदूँगा प्लीज़!
भाभी बोली- नहीं, अभी नहीं! अभी ऐसे ही प्यार से काम चलाओ! ऐसे मज़ा आता है या नहीं?
मैंने कहा- आता है!
तो भाभी बोली- बस लो बुर को चाटो और पढ़ो!

मैंने 5 मिनट बुर चाटी और फिर हमने कपड़े पहने और भाभी मुझको चूची चुसा चुसा के पढ़ाने लगी और मैं रोज़ उनसे ऐसे ही पढ़ने लगा। कभी चूची चूसते हुये, कभी सहलाते हुये, कभी बुर में उंगली करते हुये, कभी गांड़ में उंगली करते हुये कभी लंड चुसाते हुये, कभी किस करते हुये और मैंने एक दिन उनको चोदा भी! पर उस चुदाई को अगली कहानी में!

अभी सिर्फ़ मेरी शुरुआत को पढ़िये!

मैं आंटी और लौंडियों का दीवाना हूँ पर मस्त मोटी भाभी और आंटी मेरी कमजोरी है। मुझे दूध पीना और गाण्ड मारना अच्छा लगता है। Antarvasna Stories

Antarvasna

मैं जय कुमार कालबाय हूँ और एक बार फिर से नई Antarvasna कहानी लिख रहा हूँ जो एक हकीकत है, आप लोग मानो या ना मानो मुझको कोई फर्क नहीं पड़ता है।

मेरा परिचय एक बार फिर : नाम जय, रंग साफ, कद 5 फीट 8 इन्च, एकदम से स्लिम, दिल्ली में रहता हूँ।

एक बार मैं अपनी ड्यूटी खत्म करके कुन्डली (नरेला) से रात को 11 बजे घर वापिस आ रहा था तो अलीपुर से आगे (बाई पास की तरफ) मुझे एक गाड़ी खड़ी नजर आई। जैसे ही मैं गाड़ी के नजदीक आया तो मैंने आपनी बाइक धीरे की तो गाड़ी के साथ एक महिला खड़ी हुई नजर आई।

मैंने बाइक रोककर पूछा- मैडम, क्या हुआ?

तो उसने कहा- शायद गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया है।

मैंने कहा- यहाँ पर तो आसपास कोई पेट्रोल पम्प नहीं है, क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ?

तो वो कहने लगी- नहीं, आप जाओ, मैं किसी और से मदद ले लूँगी।

मैंने कहा- मैडम, इतनी रात को कौन आपकी मदद करेगा। और फिर यहाँ तो आसपास कोई भी नजर नहीं आता है बस ट्रकों के अलावा। फिर यहाँ सुनसान इलाका है।

तो वो बोली- कोई बात नहीं ! जो होगा सो देखा जायेगा।

मैंने कहा- नहीं, ऐसे कैसे हो सकता है मैडम।

तो वो कहने लगी- नहीं, कोई बात नहीं, आप जाओ, मैं कुछ ना कुछ कर लूंगी।

तो मैंने कहा- नहीं मैडम। पैट्रोल तो आपको यहाँ नहीं मिल सकता ! हाँ अगर आपके पास कोई बोतल हो तो वो मुझे दो, मैं कुछ इन्तजाम कर देता हूँ।

तो उसने कहा- हाँ, गाड़ी में पानी की बोतल है।

तो मैंने कहा- वो मुझे दे दो।

तो उसने गाड़ी से निकाल कर पानी की खाली बोतल मुझे दे दी और कहने लगी- आपको ज्यादा कष्ट करने की जरुरत नहीं, मैं अपने आप चली जाउँगी।

मैंने कहा- मैडम, इसमें कष्ट की क्या बात है? आदमी ही आदमी के काम आता है।

फिर मैंने उनसे पानी की खाली बोतल लेकर आपनी बाइक का नीचे से पेट्रोल का पाईप निकाल कर बोतल में पेट्रोल भरने लगा तो वो मेरे पास आकर कहने लगी- मैंने सोचा था कि आप पेट्रोल पम्प से पेट्रोल लेने के लिये जाओगे, इसलिये मैंने आपको मना कर दिया था। सॉरी !

मैंने कहा- कोई बात नहीं।

और मैंने पेट्रोल को बोतल में भरकर उनको कहा- आप अपनी गाड़ी का ढक्कन खोलो !

तो उसने गाडी के पेट्रोल टैक का ढक्कन खोल दिया और मैंने बोतल से उसकी गाड़ी में पेट्रोल डाल दिया और फिर दोबारा से बोतल में बाईक से पेट्रोल भरने लगा तो वो भी मेरे पास आकर बात करने लगी। उसने कहा- मेरा नाम वन्दना है !

मैंने अपना नाम जय बताया और बोतल में पेट्रोल भर कर गाड़ी में डाल दिया।

उसके बाद हम दोनों उसकी गाड़ी के पास खड़े होकर बात करने लगे। मुझे उसके साथ बात करते-2 वन्दना के मुँह से शराब की बू आई क्योंकि हम अब काफी नजदीक खड़े होकर बात कर रहे थे।

मैंने कहा- वन्दना जी, आप ड्रिन्क करती हैं क्या ?

तो वन्दना झेंप कर कहने लगी- नहीं तो !

मैंने कहा- फिर आपके मुँह से बू क्यों आ रही है।

वन्दना ने कहा- जय मैं अलीपुर शादी में आई थी और वहाँ अपने दोस्तों के कहने पर थोड़ी सी ले ली और कुछ नहीं।

मैंने देखा कि रात के 12 बज चुके हैं तो मैंने कहा- वन्दना जी, आप अब अपने घर जाइए, मैं भी अपने घर जाता हूँ।

वन्दना कहने लगी- ठीक है !

और मुझे पेट्रोल के पैसे देने लगी तो मैंने मना कर दिया।

तो वन्दना ने कहा- जय, आपके घर पर कौन-2 हैं ?

मैंने कहा- मैं अकेला ही रहता हूँ ! और आप वन्दना जी?

वन्दना ने कहा- जय, मैं रोहिणी में रहती हूँ और मेरे साथ मेरे पति रहते हैं वो ज्यादतर काम के कारण बाहर ही रह्ते हैं।

मैंने कहा- वन्दना जी अब घर चलते हैं !

तो वन्दना ने कहा- जय, अपना फोन नम्बर तो दे दो !

मैंने कहा- किसलिये ?

तो वन्दना ने कहा- क्यों? नहीं देना चाहते?

मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं ! और मैंने अपना फोन नम्बर वन्दना को दिया और हम दोनों चल दिये। बाई पास पहुँच कर हम दोनों ने एक दूसरे को बाय किया और अपने-2 घर चल दिये।

अगले दिन दस बजे वन्दना का फोन आया- जय कहाँ पर हो?

मैंने कहा- अभी तो घर पर हूँ !

वन्दना कहने लगी- आज मुझसे मिल सकते हो ?

तो मैंने कहा- नहीं, आज नहीं ! फिर कभी !तो वन्दना कहने लगी- नहीं, आज आप मेरे घर पर मिलो !

मैंने कहा- नहीं वन्दना जी ! आज मैं नहीं आ सकता !

तो वन्दना कहने लगी- नहीं जय ! आज आपको आना ही पड़ेगा !

मैंने कहा- नहीं वन्दना ! आज नहीं फिर कभी सही ! ओके ?

और मैंने फोन रख दिया। उसके बाद मैं नहाने के लिये चला गया और मैं 15 मिनट के बाद मैं जैसे ही देखता हूँ कि मेरे फोन पर 15 मिस काल हैं वन्दना जी की। मैंने जैसे ही काल किया तो वन्दना बोली- जय आप बात नहीं करना चाहते तो बोल देते !

मैंने कहा- वन्दना जी, मैं तो नहाने के लिये गया था ! तो फोन कैसे उठाता ? मैं तो अपने काम पर जाने के लिये तैयार हो रहा था। मैंने तो आपको पहले ही मना कर दिया था तो आप क्यों बार-2 फोन कर रही हैं?

यह कहकर मैंने फोन रख दिया।

मैं जैसे ही घर से निकला तो वन्दना का फिर से फोन आ गया।

मैंने झुंझलाहट मैं कहा- वन्दना जी, आपको मुझसे क्या चाहिये ? मैं तो आपसे परेशान हो गया ! बोलो, मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ ? बोलो ?

वन्दना कहने लगी- नहीं, आज ही मिलो !

तो मैंने कहा- ठीक है ! अपना पूरा पता दो ! मैं आपसे अभी एक घन्टे बाद आकर मिलता हूँ !

वन्दना ने अपना पता बताया। उसके बाद मैं थोड़ी देर के लिये अपने काए पर गया और उसके बाद रोहिणी, वन्दना के घर, पहुँचकर मैंने घण्टी बजाई तो वन्दना ने दरवाज़ा खोला और देखते ही बोली- जय, आप आ गये ! आओ अन्दर।

वन्दना ने दरवाज़ा बन्द किया और मैं भी वन्दना के साथ अन्दर आ गया।

उसने मुझे बैठने के लिये कहा और मेरे लिये पानी लेकर आई। मैंने पानी पीने के बाद कहा- वन्दना जी, आपको मुझसे क्या काम है जो आप इतना परेशान हैं?

वन्दना ने कहा- जय मैं अपने पति से खुश नहीं हूँ !

मैंने कहा- मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिये?

तो वन्दना ने कहा- मैं आपके साथ सेक्स करना चहाती हूँ !

मैंने कहा- मैं एक काल बोय हूँ और अपने काम की फीस लेता हूँ ! और अपने बारे में वन्दना को सब कुछ बताया तो वन्दना ने कहा- मुझे मन्जूर है, आप जो भी लोगे, मैं देने के लिये तैयार हूँ !

मैंने कहा- वन्दना जी, अब मैं चलता हूँ, ड्यूटी के लिये लेट हो जाउँगा !

तो वन्दना ने कहा- नहीं जय ! आज आप ड्यूटी मत जाओ ! मैं भी अकेली हूँ, दोनों मजा करते हैं !

मैंने कहा- नहीं !

तो वन्दना नाराज होने लगी, कहने लगी- जय, आप मेरे लिये एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकते ?

मैंने कहा- नहीं वन्दना जी ! ऐसी कोई बात नहीं ! मैं आपको रात को 10-30 बजे मिलता हूँ ! ड्यूटी खत्म करके आता हूँ !

मेरे इतना कहते ही वन्दना के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने भी उनका साथ देते हुए अपने होंठ वन्दना के होंठों पर रख दिये और एक लम्बा सा चुम्बन लिया और बाय करके ड्यूटी के लिये निकल गया।

उसके बाद मैं अपनी ड्यूटी जल्दी खत्म करके जल्दी से निकल गया क्योंकि मैंने अपने रिलीवर को जल्दी आने के लिये बोल दिया था। और मैं 9-00 बजे कुन्डली से निकल गया।

ठीक 9-25 पर मैंने वन्दना के घर पर घण्टी बजाईं तो वन्दना ने जल्दी से दरवाज़ा खोला और बहुत ही जल्दी से बन्द करके मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी।

मैं भी वन्दना का साथ देने लगा। बस फिर क्या था, तूफान तो दोनों तरफ उठ रहा था और हम दोनों इक-दूजे को मसलते रहे और चूमते रहे।

8 से 10 मिनट तक हम दोनों लगे रहे, उसके बाद मैंने कहा- वन्दना जी, कुछ खाने पीने के लिये तो होगा !

वन्दना ने कहा- जय आपने भी क्या बात कर दी? मैंने पहले से ही तैयारी करके रखी हुई है।

बस फिर टेबल पर वन्दना ने सारा समान तुरन्त ही लगा दिया और दो बहुत ही बड़े-बड़े पैग बनाये, हम दोनों ने चियर किया और अपना अपना पैग खत्म किया। दोनों ने एक दूसरे को चूमा और थोड़ा सा खाया जो भी खाने के लिये वन्दना ने रखा था।

और फिर हम दोनों आपस में लिपट गये और एक दूसरे के अंगों को मसलने लगे। 5 से 10 मिनट तक हम दोनों आपस में लिपटे रहे।

फिर मैंने कहा- वन्दना, एक-एक पैग और हो जाये ! पर हल्का-हल्का !

वन्दना बोली- जय यार, आप कम पीते हो क्या?

मैंने कहा- वन्दना, मैं बहुत ही कम लेता हूँ !

तो कहने लगी- ठीक है !

फिर वन्दना ने दो पैग बनाये और फिर वही बड़े-बड़े और हम दोनों ने खत्म किये।

मैं कहने लगा- वन्दना, मुझे बहुत भूख लगी है !

वन्दना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ।

और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया। Antarvasna

Antarvasna

भाभी मुझसे लगभग बारह Antarvasna साल बड़ी थी। मैं उस समय कोई 18-19 साल का था। घर पर सभी मुझे बाबू कह कर बुलाते थे।

भाभी की तेज नजरें मुझ पर थी, वो मेरे आगे कुछ ना कुछ ऐसा करती थी कि मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। वो शरीर में भरी पूरी थी और बदन गदराया हुआ था, उनके सुडौल स्तन बहुत ही मनमोहक थे और थोड़े भारी थे। मुझे भाभी के बोबे और मटके जैसे चूतड़ बहुत अच्छे लगते थे। मेरी कमजोरी भी यही थी कि जरा से भाभी की चूचियाँ हिली या चुतड़ लचके, बस मैं उत्तेजित हो जाता था और लण्ड को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था।
भाभी को भी यह बात शायद मालूम हो गई थी कि उनके कोई भी एक्शन से मेरा बुरा हाल हो जाता था।

आज भी कमरे में सफ़ाई कर रही थी वो… उसके झुकते ही उसके बोबे झूल जाते थे, और मैं उन्हें देखने में मगन हो जाता था। वो जान कर कर के उन्हें और हिलाती थी। मुझे वो तिरछी नजरों से देख कर मुस्कराती थी, कि आज तीर लगा कि नहीं।
वो अपने गोल मटोल चूतड़ मेरी तरफ़ करके हिलाती थी और मुझे अन्दर तक हिला देती थी।

आज घर पर कोई नहीं था तो मेरी हिम्मत बढ़ गई, सोचा कि अगर भाभी नाराज हुई तो तुरंत सॉरी कह दूँगा।
मैं कम्प्यूटर पर बैठा हुआ कुछ देर तक तो उनकी गोल गोल गांड देखता रहा। बस ऐसा लग रहा था कि उनका पेटीकोट उठा कर बस लण्ड गांड में घुसा दूँ।
बस मन डोल गया और मैंने आखिर हिम्मत कर ही दी।

“बाबू, क्या देख रहे हो?”
“भाभी, बस यूँ ही… आप अच्छी लगती हैं!”

वो मेरे पास आ गई और सफ़ाई के लिये मुझे हटाया।
मैं खड़ा हो गया। अचानक ही मेरे में उबाल आ गया और मैं भाभी की पीठ से चिपक गया और लण्ड चूतड़ों पर गड़ा दिया।
भाभी ने भी जान कर करके अपने चूतड़ मेरे लण्ड से भिड़ा दिया।

पर उनके नखरे मेरी जान निकाल रहे थे- बाबू, हाय! क्या कर रहा है!
“भाभी अब नहीं रहा जा रहा है!”
भाभी ने अपनी गांड में लण्ड घुसता महसूस किया और लगा कि उसकी इच्छा पूरी हो रही है। वो पलटी और और मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी भारी चूचियाँ मेरे शरीर से रगड़ दी।
“हाय, पहले क्यूँ नहीं किया ये सब?” और मुझे बेतहाशा चूमने लगी।

मुझे भी साफ़ रास्ता मिल गया। मेरी हिम्मत ने काम बना दिया- आप इशारा तो करती, मेरा तो लण्ड आपको देखते ही फ़ड़क उठता था, लगता था कि आपको नंगी कर डालू, लण्ड घुसा कर अपना पानी निकाल दूँ!
“कर डाल ना नंगी, मेरे दिल की निकाल दे, मुझे भी अपने नया ताजा लण्ड का स्वाद चखा दे रे!” भाभी का बदन चुदने के लिये बेताब हो उठा था।
“भाभी, तुम कितनी मस्त लग रही हो, अब चुदा लो ना, मेरा लण्ड देखो, निकालो तो सही बाहर, मसल डालो भाभी, घुसा डालो अपनी चूत में!” मेरा लण्ड तन्ना उठा था।

“बस बिस्तर पर आजा और चढ़ जा मेरे ऊपर, मुझे स्वर्ग में पहुंचा दे, बाबू चोद दे मुझे…” भाभी चुदने के लिये मचल उठी।
भाभी मुझसे ज्यादा ताकतवर थी। मुझे खींच कर मेरे बिस्तर पर लेट गई।
“पेटीकोट ऊपर कर दे, चाट ले मेरी चूत को!”

मैंने उसका कहा मान कर पेटीकोट ऊपर कर दिया, उसकी काली काली झांटों के बीच गीली चूत, गुलाबी सी नजर आ गई। मैंने झांटों को पकड़ कर चूत का द्वार खोला और मेरी लम्बी लपलपाती जीभ ने उसे चाट लिया।
रस भरी चूत थी। एक अन्दर से महक सी आई तो शायद उसके चूत के पानी की थी। उसका हाथ मेरे तन्नाये हुए लण्ड पर पहुंच गया और उसने जोश में उसे मुठ मारने लगी। उसके मुठ मारते ही मुझे तेज मजा आ गया मेरा शरीर एक दम से लहरा उठा। उसने कुछ ही देर मुठ मारा और मेरी जान निकल गई, मेरा यौवन रस छलक उठा, वीर्य ने एक लम्बी उछाल भरी और मेरा जिस्म जैसे खाली होने लगा।

“भाभी, ये क्या किया, मेरा तो रस ही निकाल दिया!” मैंने गहरी सांस ली।

“मजा आया ना? अभी तो और मजा आयेगा!” उसने मुझे सीधा किया और अपने से चिपका लिया, मुझे पलट कर अपने नीचे दबा लिया और अपना भारी बदन का वजन मेरे ऊपर डाल दिया, अपने होंठो से मेरे पूरे शरीर को गीला कर दिया।
भाभी के बदन से मुझे एक तरह की खुशबू आ रही थी तो मुझे मदहोश कर रही थी। मैं थोड़ा सा कसमसाया और अपने आप को एडजस्ट करने लगा।
पर भाभी ने मुझे और कस कर चारों और से एक बेबस पंछी की तरह से दबोच लिया।

“भाभी, भैया आपको…”
“बाबू, अभी नाम मत ले उनका, बस मुझे अपने मन की करने दे!” उसके बाल मेरे चेहरे पर फ़ैल गये थे, उसका नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म से रगड़ खा रहा था। उसके बोबे मेरी छाती को नरम नरम अहसास दे रहे थे।
“तुझे क्या अच्छा लगता है रे मुझ में?”
“आपके बड़े बड़े बोबे और… और…”
“हां, हां और… बता ना!”
“आपके खूबसूरत चूतड़, गोल-गोल, मस्त, बस लगता है चूतड़ो में लण्ड घुसेड़ दूँ!”

“चल अपनी इच्छा पूरी कर ले पहले, तू मस्त हो जा, देख मेरी पिछाड़ी मस्ती से चोदना!” और वो उठ कर घोड़ी बन बन गई।
उसकी जबरदस्त पकड़ से छूट कर मैंने एक गहरी सांस भरी।

उसकी गांड खुल कर सामने आ गई, दोनों गोल गोल चूतड़ अलग अलग खुल गये, दरार साफ़ हो गई, खूबसूरत सा प्यारा छेद सामने नजर आने लगा।
उसे देख कर सच में लण्ड उछल पड़ा, मस्ती में झूमने लगा। मेरे दिल की कली खिल गई, मन मुराद पूरी हो गई। कब से उनके चूतड़ों को देख कर मैं मुठ मारता था, उन्हें सपनों में देख कर उनकी गांड मारता था, झड़ जाता था, पर आज सच में हसरत पूरी हो रही थी।

“भाभी, तैयार हो ना?” मेरा लण्ड अपने आपे से बाहर हो रहा था, मुझे लगा कि कही झड़ ना जाऊँ।
“हां बाबू…. जल्दी कर, फिर चूत की बारी भी आनी चाहिये ना!” भाभी की भी तड़प देखते ही बनती थी, कितनी बेताब थी चुदाने को।

मैंने अपने लण्ड पर चिकनाई लगाई और उसकी गांड पर भी लगा दी और चिकना लण्ड का मिलाप चिकने छेद से हो गया। मैंने उसके झूलते हुए स्तन थाम लिये और उन्हें मसलना शुरू कर दिया। फिर दोनों ने अपना अपना जोर लगाया और भाभी के मुख से हाय की सिसकारी निकल पड़ी। चिकना लण्ड था इसलिये अन्दर सरकता चला गया।
“हाय रे मजा आ गया, तेरा मोटा है उनसे… चल और लगा!”
“दर्द नहीं हुआ भाभी…”
“नहीं मेरी गांड सुन्दर है न, वो भी अक्सर पेल देते हैं, आदत है मुझे गांड मरवाने की!”
“तो ये लो फिर… मस्त चुदो!” मैंने स्पीड बढ़ा दी.

भाभी की गांड सच में नरम थी और मजा आ रहा था। भाभी ने भी अपनी मस्त गांड आगे पीछे घुमानी शुरू कर दी। उसके गोल गोल चूतड़ के उभार चमक रहे थे, उसकी दरार गजब ढा रही थी। लटके हुए बोबे मेरे हाथ में मचल रहे थे, उसके निपल काले और बड़े थे, बहुत कड़े हो रहे थे। निप्पल खींचते ही उसे और मजा आता था और सिसक उठती थी।

“हाय रे भाभी, रोज़ चुदा लिया करो, क्या मस्ती आती है!” मेरे झटके बढ़ चले थे।
“तेरे लण्ड में भी जोर है, जो अभी तक छूटा नहीं, चोदे जा… मस्ती से… मुझे भी लगे कि मैं आज चुद गई हूं!” भाभी मस्त हो उठी, भाभी के मुख से सीत्कारें निकल रही थी।
“मस्त गांड है भाभी, रोज गांड देख कर मुठ मारता था, आज तो बस… गांड मार ही दी!”
“मन की कर ली ना बस… अब बस कर… कल चोद लेना… मेरी चूत पेल दे अब!” भाभी ने पीछे मुड़ कर नशीली आंखों से देखा।

मैंने अपना लण्ड भाभी की ग़ाण्ड से निकाला और पहले उसकी गीली चूत को तौलिये से पोंछ डाला, उसे सुखा कर लण्ड को चूत में दबा दिया। सूखी चूत में रगड़ता हुआ लण्ड भीतर बैठ गया।
“अरे वाह… मजा आ गया, कैसा फ़ंसता हुआ गया है!” भाभी हाय कह कर सिसक उठी।

मुझे उनकी चूत में घुसा कर मजा आ गया, मैंने उसकी कमर पकड़ कर लण्ड का पूरा जोर लगा दिया, मुझे फिर भी चूत ढीली लगी। मेरे धक्के ऐसा लग रहा था कि किसी नरम से स्पंज से टकरा रहे हैं।
“हाँ भाभी, चूत तो कितनी नर्म है, गर्म है, आनन्द आ गया!”
उसने अपनी चूत और बाहर निकाल ली और चेहरा तकिये से लगा लिया। पर मुझे कुछ ठीक नहीं लगा, मैंने उसे धक्का दे कर चित लेटा लिया और उनकी टांगें अपने कन्धों पर रख ली और चूत के निकट बैठ कर लण्ड चूत में डाल दिया।

भाभी ने मुझे पूरा अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टांगों के बीच में भींच लिया। मैं उनके बोबे पकड़ते हुए उस पर लेट गया, मेरा लण्ड भाभी की चूत की गहराइयों को बींधता चला गया। उसे शायद पता चल गया था कि उसकी चूत टाईट नहीं है, तो उसने अपनी चूत क कसाव बढ़ा दिया और चूत सिकोड़ ली।
मेरी कमर अब जोर से चल पड़ी।

चूत कसने से पहले तो वो दर्द से कुलबुलाई, फिर सहज हो गई- जड़ तक चला गया, साला, तेरा सच में थोड़ा बड़ा है, मजा बहुत आ रहा है!
उसकी कमर भी अब हौले हौले चलने लगी, मेरा पूरा लण्ड खाने लगी।
दोनों की कमर साथ साथ चलने लगी, मैं भी उनकी लय में लय मिलाने लगा। लण्ड में एक सुहानी सी मीठी सी मस्ती चलने लगी।

कुछ देर के बाद कमर की लय तोड़ते हुए भाभी ने मुझे दबा कर नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और तेजी से धक्के मारने लगी और उसके मुँह से तेज सीत्कारें निकलने लगी।
“साले बाबू… मर गई, तेरी तो… भेन चोद… मैं गई… आईईईइ ओह्ह्ह्ह्ह… बाबूऽऽ… मर गई…!” कहते हुए वो मेरे से चिपक गई और चूत का जोर मेरे लण्ड पर लगाने लगी, बार बार चूत दबा रही थी।
अचानक उसकी चूत टाईट हो गई और मैं तड़प गया और मेरा वीर्य निकल पड़ा और वो निढाल हो कर मुझे पर पसर गई। मैं नीचे से जोर लगा कर उसकी चूत में वीर्य निकाल रहा था। वो भी चूत को हल्का हल्का कस कर पानी निकाल रही थी। मेरे लण्ड पर उसका कसाव और छोड़ना महसूस हो रहा था।

कुछ ही देर में हम अलग अलग पड़े हुए गहरी सांसें भर रहे थे।

“भाभी, आप तो मस्त है, कैसी बढ़िया चुदाई करती हैं, मेरी तो माँ चोद दी आपने!”
भाभी ने तुरन्त मेरे मुँह पर अंगुली रख दी- नहीं गाली नहीं, मस्ती लो पर गाली मत देना भेन चोद!” भाभी ने मुझे फिर से एक बार और दबा लिया, और हंस पड़ी।

“चल हो जाये एक दौर और… अब तू मेरी माँ चोद दे, भेन के लौड़े!” और उसकी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर बढने लगा। जिस्म फिर से पिघलने लगे… भाभी का मस्त बदन एक बार फिर वासना से भर उठा था. Antarvasna

Antarvasna

अन्तर्वासना के एक एक Antarvasna पाठक को मेरी यानि कि गौरी का प्रणाम !यह मेरी आप सब के सामने पहली कहानी है, कहानी नहीं एक हकीकत है !

शादी से पहले से ही मेरा कई लड़कों के साथ अफेअर था और कई लड़कों से मैं चुदी थी। शादी हुई ससुराल चली गई, पहली रात निराशा हुई जब देखा पति का लौड़ा कोई खास नहीं था। दारु के नशे में था, मेरी चोरी पकड़ी नहीं गई थी, लेकिन वो मुझे ठंडी न कर पाया।

रोज़ रात को नशे में आता और पाँच-छह मिनट की चुदाई होती ! मुझे लौड़ा चूसना बहुत पसंद है लेकिन वो ज्यादा नहीं चूसने देता, जैसे ही खड़ा हो जाता, सीधा चूत में डाल देता। कुछ समय बाद उसने और ज्यादा पीनी शुरू कर दी, पीकर घर आकर वो मुझे पीट देता, गाली-गलौच करता। जिससे तंग आकर ससुर जी ने हमें अलग कर दिया। इस झटके से कुछ देर ठीक चला उसके बाद उसने फिर और ज्यादा पीनी शुरू कर दी।

मैं उससे बिल्कुल खुश नहीं थी। अब तो उनको उनके दोस्त घर छोड़ने के लिए आने लगे। उसको कोई होश ना रहती। उसको छोड़ने के बहाने वो मेरे दर्शन करने आते, मैं भी उनसे खुलने लगी। मुझे लौड़े के ज़रुरत थी।

वो तीनों बहुत हट्टे-कट्टे मर्द थे। उनके आने के समय पर मैं सेक्सी कपड़े पहनती, जिससे उनकी वासना भड़के। वो भी आने-बहाने मुझे छूने की कोशिश करते। मुझे देख तीनों के लौड़े खड़े हो जाते होंगे। मुझे उनमें से मनोहर जी सबसे अच्छे लगते। मैं उनकी ओर झुकने लगी, लेकिन वो जब भी आते तीनों इकट्ठे आते। मैं उन्हें हासिल करने के लिए मचलने लगी।

मेरी मुराद एक दिन पूरी होती दिखने लगी जब वो अकेले ही आये।

मैंने उसको बैठने को कहा और पानी देने के बहाने झुक कर अपने मम्मे दिखा दिए। उनकी नज़रें उनमें गड़ गई। मैं ग्लास रखने रसोई में गई, वो चाहते हुए भी कुछ नहीं बोल पाए, बस इतना कहा- मैं चलता हूँ भाभी !

वो मुड़े ही थे कि मैंने उनकी बांह पकड़ ली और बोली- बस ऐसे ही चले जाओगे? पहली बार अकेले मिले हो ! कह मैं उनसे लिपट गई।

उन्होंने भी मुझे कस कर बाँहों में भरते हुए कहा- मेरी जान ! मैं तो कई दिनों से इस पल के इंतजार में हूँ !

कहते ही उसने मुझे गोदी में उठाया और सीधा बिस्तर पे ले गए। वो मुझे जगह जगह चूमने लगे। एक एक करके हम दोनों नंगे हो गए उनका फौलादी लौड़ा देख मैं खुश हो गई। मैंने कहा- कुण्डी चढ़ा दो ! कहीं उनकी उतर गई और हम पकड़े गए?

मैंने उनके लौड़े को मुँह में भर लिया और पागलों की तरह चूसने लगी। वो आहें भर रहे थे। इतना मोटा लण्ड कसम से कभी नहीं पकड़ा था। कुछ देर में इतना सख्त हो गया कि चूसने में परेशानी होने लगी। फिर भी मैंने नहीं छोड़ा। उन्होंने तो मेरे मम्मों को मसल मसल कर चूस चूस कर लाल कर डाला फिर मुझे लिटा लिया और अपना फौलादी लौड़ा मेरी चूत में डालने के लिए चूत पे रख अन्दर किया।

दर्द से मैं कराहने लगी, इतने दिनों बाद इतना मोटा लौड़ा अंदर गया था। मैंने सब सहन कर लिया और देखते ही देखते उसने अपना नौ इंच का लौड़ा झड़ तक घुसा दिया।

हाय क्या माल हो भाभी जान !

फिर वो मुझे चोदने लगे।

हाय ! जोर से करो भाई साब ! फाड़ डालो ! कितने महीनों से आपसे चुदने को बेकरार थी, आज अपने नाकारा दोस्त की बीवी को अपनी रंडी बना कर चोदो ! मारो मेरी और जोर से मारो फाड़ डालो ! चूत फट जाने दो कामिनी को ! क्या मोटा लौड़ा है आपका !

ले कुतिया ! फाड़ डालूँगा ! कमीनी, तेरी माँ की चूत ! बहन की लौड़ी ! मादरचोद ! गली की कुत्तिया ! कुत्तों से चुद्वाऊंगा तुझे ! चल बहन चोद घोड़ी बन जा !

ले हरामी जात के ! बन गई घोड़ी ! घुसा दे अपना डंडा मेरे अन्दर !

ले साली !

दिल करता है एक साथ आगे से, पीछे से लौड़े ले लूँ !

बहन की लौड़ी ! तीन लौडे रोज़ तेरे पास आते हैं, पहले कहती तो रंडी, तुझे मिलकर चोद देते ! हाय !

मार अब !

आधे घंटे की चुदाई के बाद उसने अपने पानी को मेरे अन्दर डाल दिया। वो रात के तीन बजे तक मुझे चोदता रहा।

इस तरह मुझे लौड़ा मिल ही गया। कुछ दिन तक वो अकेला ही मेरी लेता रहा, लेकिन फिर मेरे कहने पर वो बाकी के दो को भी मेरे ऊपर चढ़ाने के लिए राज़ी हो गया और फिर एक रात ऐसी आई कि मेरे पति को उन्होंने सुला दिया फिर हम चारों ने दारु पी।

उसके बाद क्या हुआ?

वो आप सबके जवाब मिलने के बाद Antarvasna

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दोस्तो, आप ही की तरह मैं Hindi Porn Stories भी अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैंने अन्तर्वासना में बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं। इन कहानियों को पढ़ कर मैंने सोचा कि क्यूँ न मैं भी आपको अपने कुछ अनुभव बताऊँ !

मैं अपनी छुट्टियों में अपनी ससुराल या बड़ी साली के घर जाता था। वैसे एस साल भी गया हुआ था। उसी दिन ससुरजी का मेरी बीवी को फ़ोन आया कि किसी रिश्तेदार की मौत हुई है, तुम गीता के घर से यहाँ आ जाओ, हम लोग मिलकर जायेंगे।

मेरे बड़ी साली का नाम गीता है, उसके पति उदय जी आर्मी में हैं, साल में कभी कभार ही घर आते हैं। मेरी बड़ी साली को अभी कोई बच्चा नहीं था उनकी शादी को तब चार साल ही हुए थे लेकिन उदय जी शादी से पहले ही आर्मी में थे इसलिए गीता के साथ ज्यादा समय नहीं रह पाए थे।

पहले मैंने कभी गीता को ग़लत नजरों से नही देखा था, लेकिन एक दिन गीता बाज़ार गई हुई थी कि अचानक बारिश शुरू हो गई। मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़े से सेक्सी थे जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था। उस समय मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी। मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा।

तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मैं घबरा गया, मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो, लेकिन मुझे याद आया कि घर में तो कोई है ही नहीं, मैं बेकार में डर रहा था।

मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। बाहर गीता खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी। मैंने दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही पीछे मुड़ा तो मेरी नज़र गीता की कमर पर पड़ी जहाँ पर उनकी गुलाबी साड़ी के ब्लाऊज़ से उनकी काले रंग की ब्रा बाहर झांक रही थी।

गीता ने सामान सोफे पर रखा और मुझसे बोली- राजाजी, मेरा पूरा बदन भीग चुका है इसलिए आप मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो, मैं तौलिया ले आया तो गीता मुस्कुराते हुए बोली- सामान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?

मैंने पूछा- क्या काम है?

गीता बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?

मैंने कहा- क्यूँ नहीं?

गीता सोफे पर बैठ गई। मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके गोरे गालों पर बह रहा था। मैं गीता के पीछे बैठ गया, उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा। गीता का गोरा और भीगने के बाद भी गरम बदन मेरे पैरों में हलचल पैदा कर रहा था। बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। गीता ने कोई आपत्ति नहीं की। धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी।

तभी अचानक गीता कहने लगी- मेरे बाल सूख गए हैं, अब मैं भीतर जा रही हूँ।

वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई। मैंने सोचा कि शायद गीता को मेरे इरादे मालूम हो गए। कमरे में जाकर गीता ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए। जल्दी में गीता ने दरवाजा बंद नहीं किया वो बड़े शीशे के सामने खड़ी थी, उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतार दिया। मैंने देखा कि गीता बड़ी गौर से अपने बदन को ऊपर से नीचे तक ताक रही थी। मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम जैसे बाहर पड़ रही बूंदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी। अबकी बार गीता ने मुझे देख कर अनदेखा कर दिया. शायद ये मेरे लिए हरी झण्डी थी।

मैं कमरे में अन्दर चला गया। गीता बोली- अरे राजा, मैंने अभी कपड़े नहीं, पहने तुम बाहर जाओ !

मैं बोला- गीता, मैंने तुम्हें कपड़ो में हमेशा देखा, लेकिन आज बिन कपड़ों के देखा है, अब तुम्हारी मर्ज़ी है, तुम मेरे सामने ऐसे भी रह सकती हो!

और यह कहते हुए मैंने उनको बाहों में ले लिया। उन्होंने थोड़ी सी ना-नुकर की लेकिन मैंने ज्यादा सोचने का समय नही दिया और बिंदास उनको चूमना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि गीता ने आँखें बंद कर ली हैं। इसमें उनकी सहमति छुपी थी। मैं दस मिनट तक उसे चूमता रहा। इस बीच मेरे गरम होंट उसके गोरे बदन के ज़र्रे ज़र्रे को चूम गए।

अचानक गीता ने मुझे जोर से धक्का दिया और मैं नीचे गिर गया। एक बार को मैं फ़िर डर गया लेकिन अगले ही पल मैंने पाया कि गीता मेरे ऊपर आकर लेट गई और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। हम दोनों के बीच से कपड़ो की दीवार हट चुकी थी। मेरा लंड पूरी तरह तैनात खड़ा था। तभी उसने मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपने नरम होंटों से छुआ और अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे ऊपर इस तरह बैठी थी कि उसकी चूत बिल्कुल मेरे होंठों पर आ टिकी थी। मैंने चूत को बिंदास चाटना शुरू कर दिया। उसके मुँह से मेरा लण्ड आजाद हो गया था और आआहऽऽ …आआऽऽऽ …ऊऊऊऊ …….ऊओफ्फ्फ्फ़ की आवाज उसके मुँह से आने लगी थी।

तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो मुझसे बोली- ओह मेरी चूत तुम्हारे इस सुडौल लंड को लिए बिना नही रह सकती, प्लीज़ अपने इस खिलाड़ी को मेरी चूत के मैदान में उतार दो ताकि यह अपना चुदाई का खेल सके।

गीता अब मेरे लंड को लेने के तड़पने लगी थी। मैंने भी उसी वक्त गीता को बाहों में भरा और उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। गीता की चूत रसीली हो रखी थी, मैं गीता के ऊपर लेट गया, मेरा लंड गीता के चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। गीता ने चूत को अपने दोनों हाथों से खोल दिया और मैंने धीरे से गीता की चूत में अपना लंबा लंड डालना शुरू कर दिया। काफी दिनों से गीता की चुदाई नहीं हुई थी इसलिए गीता की चूत एक दम टाईट थी। मैंने जोर से झटका लगाया और लंड पूरी तरह चूत की आगोश में समां चुका था। गीता के मुँह से आआह्ह मार डाला की आवाज़ निकल गई और मुझे थोड़ी देर हिलने से मना कर दिया। कुछ देर बाद वो नीचे से हल्के-हल्के झटके लगाने लगी।

अब मुझे भी चूत का मजा आने लगा और मैंने गीता की चुदाई शुरू कर दी। जितने ज़ोर से मैं गीता की चुदाई करता, वो उतनी सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकालने लगी- आह्ह ….आह ……..ऊऊ ऊऊ …ईई ईशश्र्श्र्श्र ……….आआआआ …………..ऊऊओफ़ फफ ….ऊऊऊ फफ फ अआ ह्ह्ह . धीरे धीरे चूत ढीली होने लगी।

हम दोनों ने कम से कम आधे घंटे तक चुदाई की। आधे घंटे बाद अचानक गीता मुझसे जोर से लिपट गई और उसकी चूत थोड़ी देर के लिए कस सी गई। कुछ और झटके लगाने के बाद मेरे लंड ने अपना वीर्य चूत में छोड़ दिया और वो फ़िर से मुझे लिपट गई। मैं इसी तरह दस मिनट तक गीता के ऊपर लेटा रहा।

उस दिन की बरसात से लेकर और अब तक ये आपका राजा अपनी गीता के प्यासे बदन पर हर साल बरसता है। मैं कभी कभी मीटिंग के बहाने जाता हूँ या कभी कभी वो अपनी बहन से मिलने हमारे घर आती है तो उसे चोदता हूँ।

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