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अंधेरे में एक साया एक घर Antarvasna Sex Stories के पास रुका और सावधानी से उसने यहाँ-वहाँ देखा। सामने के घर की छोटी सी दीवार को एक फ़ुर्तीले और कसरती जवान की तरह उछल कर फ़ांद गया और वहाँ लगी झाड़ियों में दुबक गया।
कमरे में रीना बिस्तर पर लेटी हुई कसमसा रही थी, उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे अचानक लगा कि उसके घर में कोई कूदा है। वह दुविधा में रही, फिर उठ कर खिड़की के पास आ गई। उसे एक साया दिखा जो झाड़ियों के पास खड़ा था।
वो साया दबे पांव अन्दर की ओर बढ़ रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि मुख्य दरवाजा खुला हुआ था। वो तेजी से अन्दर आ गया और सीधे मौसी के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। रीना का दिल धक-धक करने लगा, पर उसे ताज्जुब हुआ कि वो मौसी के कमरे में ना जाकर ऊपर सीढ़ियों पर चला गया।
उसने अंधेरे में तुरंत अपना मोबाईल निकाला और अपनी पड़ोसन शमा आण्टी को फोन किया,”आण्टी, हमारे घर में कोई चोर घुस आया है।”
” क्या… क्या … कहाँ है वो अभी ?”
“वो ऊपर गया है”
“रूपा कहाँ है…।”
“शायद सो रही है…”
“ओह्ह्… तुम सो जाओ वो चोर नहीं है ?”
“तो आण्टी ???”
“वो दिल का चोर है… तुम्हारी आन्टी भी ऊपर ही है… सो जाओ !” शमा की खनकती हंसी सुनाई दी ।
रीना ने फोन बन्द कर दिया। ओह्ह्… तो यह बात है… यह मौसी का यार है !!! अरे ये वही तो नहीं है जो सवेरे चाय पी रहा था। इसका मतलब यह रात भर मौसी के साथ रहेगा। मौसा अक्सर बिजनेस यात्रा पर चले जाते थे।
“तो क्या मौसी … छी … छी … ऐसा नहीं हो सकता। मैं ऊपर जाकर देखूँ? हाँ यह ठीक रहेगा।” रीना ने धीरे से दरवाजा खोला और नंगे पांव सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ गई। मौसी के कमरे की लाईट जल रही थी। मतलब वो अभी तक सोई नहीं थी। वो चुपचाप सीढियाँ चढ़ गई। सारी खिड़कियाँ बन्द थी। पर हां खिड़की के पास एक पत्थर की बेन्च थी, उसके ऊपर ही एक खुला रोशनदान था। रीना बेन्च पर चढ़ गई।
जैसे ही अन्दर झांका तो जैसे उसके दिल की धड़कन रुक गई। वो लड़का वही था… उसका नाम आशू था। वो बिल्कुल नंगा खड़ा था और उसका लण्ड लम्बा सा और मोटा सा था। उसका सीधा खड़ा और तन्नाया हुआ लण्ड बड़ा ही मनमोहक लग रहा था।
मौसी बस एक पेटीकोट में थी, उनका ब्लाऊज उतर चुका था। उनकी दोनों चूचियां खूबसूरत थी, गोल गोल, भूरे भूरे निपल, आशू ने मौसी को प्यार से चूम लिया और बदले में मौसी में उसके फ़डकते हुये लण्ड को अपनी मुठ्ठी की गिरफ़्त में ले लिया। उसे प्यार से सहलाते हुये उसके लण्ड अपना हाथ आगे पीछे चलाने लगी।
रीना का दिल कांप उठा। धड़कन बढ़ गई। उसके मन में वासना जाग उठी।
“आशू, मस्त लण्ड के मजे कुछ ओर ही होते हैं… हैं ना…?”
“रूपा, और मस्त चूत भी कमाल की होती है… जैसे आपकी है !”
“कल तो तू बड़ा रीना की चूत मारने की बात कर रहा था…?”
“वो तो नई चूत है ना … अभी तक चुदी नहीं होगी… आप आदेश दे तो उसे भी सेट करें?”
“अभी तो मेरी चूत कुलबुला रही है… चल अपना लौड़ा अब चूत में घुसा डाल… रीना को तो पटा ही लेंगे… अब बेचारी के पास चूत है तो लण्ड तो चाहिये ही ! है ना?”
आशू हंस पड़ा और रूपा से लिपट गया। कुछ देर तक तो वो कुत्ते की तरह लण्ड चूत पर मारता रहा फिर चूत के द्वार पर अपने आप ही सेट हो गया और चूत के पट खोलता हुआ अन्दर घुस गया। रूपा आशू से लिपट गई और एक टांग उठा कर आशू की कमर में डाल दी और लण्ड को अपनी चूत में सेट कर लिया।
रीना का बदन पसीने से भीग गया, सांस फ़ूलने लगी। उसकी चूत भी रिसने लगी और गीली हो उठी। अपने चुदने की बात से उसे अपनी पहली चुदाई याद हो आई। दोनों की कमर धीरे हिलने लगी और रूपा चुदने लगी। दोनों के मुख से वासना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी।
“हाय रे आशू, भगवान ने भी क्य मस्त चीज़ें बनाई हैं… धरती पर ही स्वर्ग का आनन्द ले लो !”
“हां देखो ना आपके अधर रस से भरे, आंखों में जैसे शराब भरी हुई है, गुलाबी गाल को सेब की तरह काटने को मन करता है… चल बिस्तर पर चुदाई करते हैं !”
” नहीं रे अभी नहीं … अभी थोड़ा सा गाण्ड को भी तो मस्ती दे यार !” और उसका लण्ड बाहर निकाल कर पीछे घूम गई और घोड़ी बन कर चूतड़ उभार दिये…
जैसे ही आशू का लण्ड गाण्ड के छेद रखा… रीना सिहर गई। रीना का मन उनकी पूरी चुदाई देखने को हो रहा था, और अब तो ये हालत थी कि उसकी चूत भी फ़डफ़डा उठी थी। उसने अपनी चूत को अपने हाथ से हौले से दबा दी। उसकी चड्डी बाहर तक गीली हो गई थी और चिपचिपापन बाहर से ही लग रहा था। उसके सारे शरीर में एक वासना भरी कसक भर उठी थी। रूपा की ग़ाण्ड के दोनों गोल गोल उभरे हुये चूतड़ किसी का भी लण्ड खड़ा कर सकते थे।
आशू ने हल्का सा ही जोर लगाया और उसका लोहे जैसा डण्डा उसकी गाण्ड के छेद में उतर गया। दोनों ही एक साथ सिसक उठे। उन दोनों का रोज का ही गाण्ड मराने का और फिर चुदाने का दौर चलता था।
सो रूपा की गाण्ड तो लण्ड ले ले कर मस्त हो चुकी थी। उसे दोनों ही छोर से चुदाने में मजा आता था। आशू ने रूपा के मस्त बोबे पकड़े और मसलने लगा। साथ ही साथ जोश में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। दोनों मस्ती के माहौल में डूबे हुये थे … हौले हौले सिसकी भरते हुये रूपा चुद रही थी। रीना की आंखें मदहोशी में डूबने लगी थी। उसका सारा शरीर पसीने से भीग उठा था। उसकी आंखों के कटोरे नशे से भर गये थे, नयन बोझिल हो गये थे। उसका बदन जैसे आग में जलने लगा था। उसकी नस नस में वासना की कसक भर चुकी थी। ऐसे में उसे यदि कोई मिल जये तो उसको जी भर के चोद सकता था। रूपा की गाण्ड चुद रही थी। आशू का लण्ड भी फ़ूलता जा रहा था।
उसे भी स्वर्ग का आनन्द आ रहा था। दोनों ही दीन दुनिया से बेखर जन्नत में विचरण कर रहे थे। रीना का मन सकता जा रहा था। उसकी चूत भी चुदाई करने जैसी हालत में आगे पीछे चलने लगी थी। जाने कब उसकी एक अंगुली उसने अपनी चूत में घुसा ली और चूत को शान्त करने की कोशिश करने लगी।
तभी आशू ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और रूपा झट से बिस्तर पर आ गई और उसने अपनी टांगें लेटे हुये ऊपर की ओर उठा ली। अपनी चूत को लण्ड को घुसेड़ने के लिये खोल दी। आशू भी उछल कर रूपा पर सवार हो गया। उसे अपने बदन के नीचे दबा लिया।
उसका लण्ड उसके मुख्य द्वार में घुस गया और अन्दर उतरता चला गया। दोनों ही एक बार फिर से सिसक उठे। दोनों के होंठ मिल गये और फिर दोनों के चूतड़ एक दूसरे दबाते हुये लण्ड को घुसाने लगे। दोनों एक लय में, एक ताल में चलने लगे और चुदाई आरम्भ हो गई। दोनों की वासना भरी चीखें कमरे में गूंजने लगी।
उस कामुकता भरे वातावरण में रीना का मन डोल उठा और उसने चुदाने की सोच ली।
पर अभी चुदाई चल ही चल ही रही थी… उसे देखने का लोभ वो छोड़ ना सकी। रुपा की चुदाई के बाद वो भी कमरे में घुस कर चुदवाना चाहती थी। रीना की चूत मारे गुदगुदी के बेहाल हो रही थी। बार बार अपनी अंगुली चूत में घुसा लेती थी।
तभी रूपा की चीख निकल पड़ी और वो झड़ने लगी। आशू भी साण्ड की तरह अपना मुँह ऊपर करके जोर लगा कर झड़ने की तैयारी में ही था। कुछ ही क्षणों में उसने अपना चेहरा ऊपर करके हुन्कार भरी और लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य उसकी उसके बदन पर बिखेरने लगा। रीना ने देखा कि मामला तो अब शान्त हो चुका है, बड़े बेमन से वो पत्थर की बेंच पर से उतरी और दबे पांवो से सीढ़ियाँ उतर गई।
उसकी चूत की हालत यह थी कि उसकी चड्डी सामने से गीली हो चुकी थी। कमरे में घुसते ही उसने मोमबत्ती ली और बिस्तर पर लुढ़क गई। अपनी चूत को मोमबत्ती से शान्त किया, फिर वो निद्रा में लीन हो गई। सुबह तक उसकी चड्डी सूख कर कड़क हो गई थी। उसकी चूत का पानी भी यहां वहां फ़ैल कर जांघ से चिपक गया था। उसने अपनी फ़्रॉक को नीचे खींचा और कमरे से बाहर निकल आई। उसने अपने खुले टॉप की तरफ़ भी ध्यान नहीं दिया। उसने बाहर आकर दोनों हाथों को उठाकर और आंखे बंद करके एक मदमस्त अंगड़ाई ली, पर आँखें खुलते ही उसने देखा कि आशू सामने खड़ा था। वो उसे आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर यूं घूर रहा था जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो।
रीना ने उसे देखा और घबरा कर वापस अपने कमरे में आ गई। आशू भी मुस्कुरा पड़ा और रीना भी कमरे में मुस्कुरा उठी।
वो तुरंत बाथरूम में जाकर नहा धो कर फ़्रेश हो गई। उसने रूपा के कमरे में जैसे ही कदम रखा तो उसे आशू वहाँ नहीं मिला। वो जा चुका था।
रात को खाना खाने के बाद रूपा अपने कमरे में आराम करने लगी, तभी रीना भी वहाँ पर आ गई।
“मौसी, मैं भी आपके पास लेट जाऊं?”
मौसी एक तरफ़ खिसक गई। रीना उनके पास लेट गई।
“मौसी, एक बात पूछूँ… ये आशू क्या करता है…?” रीना ने धीरे से पूछा।
रूपा ने उसकी तरफ़ करवट ली और कहा,”क्यूं क्या बात है … है ना सुन्दर लड़का…?”
“हां मौसी, सुन्दर तो है, पर मेरे से वो बात ही नहीं करता है…” रीना अपनी चूंचियां रूपा की बांह से दबाती हुई बोली। रुपा को रीना की बैचेनी का अहसास हो गया था। उसने अपनी बांह को उसकी चूंचियों पर और दबाते हुए कहा,”अरे, वो तो तुम्हारी ही बात करता है … कहो तो उससे दोस्ती करा दूँ…!”
रीना को अपनी चूंची पर दबाव महसूस हुआ तो उसके मन में तरगें फ़ूट पड़ी।
“सच मौसी, मान जायेगा वो…आप कितनी अच्छी हैं…!” रीना ने अपनी चूची को उनकी बांह पर पूरा दबाते हुये उन्हें चूम लिया।
“लगता है तेरा मन भटक रहा है… अब तेरी शादी करा देनी चाहिये !” मौसी ने मन की बात पढ़ ली थी।
“मौसी, शादी तो करा देना… पर मन को तो हल्का कर दो… !” रीना की आवाज में कसक थी। रूपा ने उसकी बैचेनी को देखते हुये अपने हाथों में रीना की दोनों चूंचियां भर ली।
“मेरी रीना, अभी तो ये ले … फिर समय आने दे… आशू भी मिल जायेगा…!”
रीना सिसक उठी और रूपा से लिपट गई। रूपा ने भी मौके का पूरा फ़ायदा उठाया और अपनी एक चूंची उसके मुँह से रगड़ दी। रीना ने भी रूपा को पटाना उचित समझा और उसके ब्लाऊज को ऊपर खींच कर उसकी चूंची को अपने मुँह में भर लिया। रुपा भावना में बह चली। दोनों ही वासना में लिप्त हो कर एक दूसरे के बदन से खेलने लगी थी। अंधेरा बढ़ चला था। तभी आशू ने हौले से कमरे के भीतर कदम रखा। रीना चौंक गई, वो भूल गई थी कि आशू के आने समय हो चुका है।
रूपा तो रीना को बहला कर बस आशू के आने का ही इन्तज़ार कर रही थी। रीना तो लगभग नंगी ही थी, पर रुपा ने अभी भी पेटीकोट पहना हुआ तो था पर वो पूरा ही ऊपर उठा हुआ था।
“रीना, देख आशू आया है…”
” मौ… मौसी, मैं तो मर गई, कुछ दो ना… मुझे शरम लग रही है !” रीना हड़बड़ा गई।
“शरमा मत … ये तो मुझे रोज रात को चोदता है… चल आज तू चुदवा ले …” रूपा ने उसे धीरज बंधाते हुये कहा।
” रूपा जी आपने तो अपना वादा पूरा कर दिया … वाह … रीना जी यदि कहेंगी तो ही कुछ करने का मजा आयेगा… “
“आशू जी, आप तो अपने कपड़े उतारो … रीना आपका स्वागत करेगी… रीना कुछ तो कहो !”
“जी मैं क्या कहूँ… मुझे तो बहुत लज्जा आ रही है…” रीना ने मुँह छुपा रखा था। आशू रीना के और नजदीक आ गया था।
” आपके मुख के पास कुछ है… रीना जी… मुख खोलो तो…” आशू ने कहा।
रीना ने अपना मुख खोल दिया… और आशू ने अपना कोमल, नरम चमड़ी वाला कठोर लण्ड उसके होंठो से सहला दिया। रीना के शरीर में सनसनी फ़ैल गई। उसने धीरे से हाथ बढ़ा कर उसका लण्ड पकड़ लिया,”हाय राम… इतना बड़ा…?” रीना की भारी आंखे आशू की ओर उठ गई और उसे प्यार से निहारने लगी। वो एक दम नंगा उसके सामने खड़ा था। रूपा रीना की ओर देख-देख कर मुस्करा रही थी। उसने प्यार से रीना के सर पर हाथ फ़ेरा और आशू के लण्ड को उसके सर को दबा कर रीना के मुँह में प्रवेश करा दिया। रीना ने सारी शरम छोड़ कर आशू के चूतड़ पकड़ लिये और अपने मुँह में उसे भींच लिया।
रूपा ने आशू को चूम लिया और उसकी गाण्ड में अंगुली डालने लगी। आशू झुक कर रीना के सर को पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।
आशू को रूपा की अंगुली अपनी गाण्ड में बहुत भली लग रही थी। आशू जैसे रीना का मुख चोद रहा था। अब आशू ने रीना को लेटा दिया और उसकी चूंचियों को दबाने और मसलने लगा। उसके चुचूक जो बेहद कड़े हो चुके थे, उन्हें हौले हौले से सहलाने और अंगुलियों से खींचने लगा।
“आह मौसी, ऐसा मजा तो कभी नहीं आया… आशू जी, अब नहीं रहा जाता … प्लीज आ जाओ ना…”
“अभी से कहाँ रीना जी… जवानी का मजा तो लो अभी …” अब आशू के हाथ उसकी चूत की पंखुड़ियो के आस पास सहला रहे थे। बीच बीच में चूत के ऊपर रीना की यौवन-कलिका को भी सहला देता था। उसे हिला हिला कर रीना को असीम आनन्द दे रहा था। रीना की दोनों टांगें ऊपर उठने लगी थी। नतीजा यह हुआ कि उसकी गाण्ड का भूरा-भूरा कमल भी नजर आने लग गया था। आशू पंजों के बल बैठा था, सो रूपा भी आशू का आनन्द ले रही थी। कभी वो उसके लण्ड को मसल देती थी, कभी उसकी गोलियों को सहला देती थी, तो कभी उसकी गाण्ड में अपनी एक अंगुली घुसा देती थी। आशू भी थूक लगा कर रीना की गाण्ड में अंगुली घुसाने लगा था। उसकी गाण्ड के छेद को बड़ा कर रहा था, पर इस क्रिया में रीना मस्ती में बेहाल हुई जा रही थी। उसके मुख से सिसकारियाँ जोर से निकल रही थी, कभी कभी तो मस्ती में चीख भी उठती थी। आशू की अंगुलियाँ चूत में भी कमाल कर रही थी।
रूपा का दिल भी मचल उठा और जान करके उसने आशू का कड़कता लण्ड रीना की गाण्ड में रख दिया और आशू को कुछ कहा।
आशू मुस्कुरा उठा और उसने लण्ड का जोर गाण्ड के छेद पर लगा दिया। लण्ड रीना की गाण्ड में घुसता चला गया। रीना की गाण्ड तो कितनी बार उसके दोस्तो ने चोद रखी थी, सो लण्ड सरकता हुआ भीतर बैठने लगा। रीना ने भी अपनी गाण्ड थोड़ी ऊपर उठा दी। रूपा ने जल्दी से तकिया नीचे लगा दिया। रूपा ने आशू की गाण्ड में अपनी अंगुली फ़ंसाते हुये कहा,”आशू चोद दे साली को, ये तो पहले से ही खुली हुई है… लगा धक्के साली की गाण्ड में…”
“आह्ह्ह, आशू जी, जोर से चोद दो ना इसे … बहुत दिन हो गये इसे चुदवाये … आह्ह… लगा और जोर से…” रीना सीत्कार भरने लगी।
रीना की गाण्ड चुदने लगी … रीना को आनन्द आने लगा।
अब रुपा रीना के पास आ गई और उसके स्तन मुँह में भर कर चूसने लगी, कभी कभी वो उसके मुख को भी जोर से चूस लेती थी। कुछ देर तक यही दौर चलता रहा, फिर आशू ने अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया। रीना के मुख से आनन्द की जोर से आह निकल गई। तभी आशू ने रूपा की चूत में भी अपनी अंगुली प्रवेश करा दी। वो भी चिहुंक उठी। अब आशू का लण्ड रीना की चूत में घुस चुका था। रीना को लगा कि हाय, स्वर्ग है तो बस चूत में ही है…
रुपा भी अपनी चूतड़ आशू की तरफ़ उठाये थी और वो उसमें अपनी अंगुली फ़ंसाये हुये था। अब तो रीना की कमर और आशू की कमर बराबरी से चल रही थी। मस्त चुदाई का माहौल बना हुआ था। तीनों नशे में झूम रहे थे।
रीना तो जबरदस्त चुदाई मांग रही थी,”आशू, प्लीज ! मुझे जोर से चोदो ना… जल्दी जल्दी करो ना … मेल इंजन की तरह …”
आशू ने रुपा को एक तरफ़ किया और अपनी पोजिशन को फिर से सेट की और उसके पांव खींच कर पलंग के किनारे कर दिया और खुद खड़े हो कर पोजीशन बना ली। अब उसका लण्ड उसकी चूत के बिल्कुल सामने था।
“तो रीना रानी, चूत फ़ाड़ चुदाई के लिये तैयार हो…?”
“हां जी… अब देर ना लगाओ … मेरी तो अब फ़ाड़ दो आशू राजा !”
“लगता है पहले से मस्त चुदी चुदाई हो…!”
“आशू जी। आप भी तो मस्त चोदते हो ना… पुराने खिलाड़ी हो ना।”
तीनों ही हंस दिये। आशू ने अपना लण्ड पहले तो अपना लण्ड भीतर घुसा कर सेट कर लिया, फिर बोला,”हां जी… तैयार हो जाओ…” और कहते हुए उसने पूरा लण्ड निकाल कर पूरा ही जोर से धक्के के साथ घुसा डाला। रीना के मुख से खुशी की एक तेज चीख निकल गई। जल्दी ही दूसरा धक्का लगा जो जड़ तक चीर गया। फिर धक्के पर धक्के भीतर तक, चूत को फ़ाड़ देने वाले धक्के चलने लगे। रीना तेज धक्कों से प्रसन्न हो उठी। और उसे और तेज धक्कों के लिये प्रोत्साहित करने लगी। उसके मुख से आनन्द भरी चीखें वातावरण को और वासनामय बना रही थी। अब तो रीना के चूतड़ भी उछल उछल कर लण्ड भीतर तक लेकर चुदवा रहे थे। दोनों के दिल की धड़कनें तेज हो गई थी। पसीना छलक उठा था। रूपा दोनों का इस प्रकार का रूप देख कर विचलित हो रही थी और सोच रही थी कि आशू ने मेरी चुदाई तो कभी भी इस तरह से नहीं की थी। वो मन ही मन जल उठी।
तभी एक तेज चीख ने रूपा का ध्यान भंग कर दिया। रीना झड़ रही थी। उसका यौवन रस निकल पड़ा था। रीना अपना यौवन रस अपनी चूत लण्ड पर दबा कर निकाल रही थी। आशू को लगा जैसे कि रीना की चूत ढीली पड़ गई थी, उसमें पानी भरा हुआ था और लण्ड अब फ़च फ़च की आवाज कर रहा था। तभी रूपा ने अपने आप को आशू के सामने पेश कर दिया…
“उसका काम तो हो गया, आशू जी, मेरी ओर तो देखो, यहाँ तो आपको फिर से बेकरार एक चूत मिलेगी… उठो और मेरे से चिपक जाओ !” रूपा ने आशू को अपनी ओर खींचा। आशू का कड़कता लण्ड रीना की चूत से बाहर गया जो कि रस से नहाया हुआ था। रीना बिस्तर पर ही लोट लगा कर एक किनारे हो गई और रूपा को चुदने के लिये जगह दे दी। कुछ ही पलों में आशू का लण्ड रूपा की चूत में घुस चुका था। इस बार रुपा की बारी थी सिसकारी भरने की। पर आशू तो रीना को ही चोद कर झड़ने के करीब आ चुका था, सो रुपा को चोदते हुये कुछ देर में अपने आप को सम्हाल ना पाया और अपना वीर्य छोड़ने लगा। दोनों ही अब आशू से लिपट पड़ी और उसे अपने चुम्बनों से बेहाल कर दिया। रीना तो आशू का लण्ड मुँह में भर कर बचा खुचा वीर्य भी चट गई। रूपा और रीना भी आपस में लिपट कर एक दूसरे को प्यार करने लगी……
शेष दूसरे भाग में ! Antarvasna Sex Stories
मैं अभी सेकेण्ड ईयर बी एस सी Hindi Porn Stories में हूँ। मेरे पापा ने एक छात्र अमन को तीसरी मंज़िल पर एक कमरा किराये पर दे रखा था। ऊपर बस दो ही कमरे थे। एक खाली था और एक में अमन रहता था। दोनो कमरों के बीच एक खुली छत थी। मैं खाना खा कर कभी-कभी छत पर टहलती थी।
ऐसी ही एक रात थी… मैं छत पर टहल रही थी। अमन अपने दोस्त के साथ था। मेरे बारे में उन्हें नहीं पता था कि मैं रात को अक्सर छत पर टहलती हूँ। मैंने यूँ ही एक बार खिड़की से उसके कमरे में झाँका। अमन और उसका दोस्त कमल नीचे बैठे दारू पी रहे थे। सामने टीवी चल रहा था। पाजामे में से अमन का लण्ड खड़ा साफ़ ही दिख रहा था। कमल उसे बार-बार देख रहा था। अचानक मैं चौंक गई। कमल का हाथ धीरे से अमन की जाँघ पर आया और धीरे से उसके लण्ड की तरफ़ आ गया। अमन ने तिरछी नज़रों से उसके हाथ को देखा, पर कहा कुछ नहीं। अब कमल का हाथ उसके लण्ड पर था। अमन के जिस्म में थोड़ी कसमसाहट हुई। कमल ने अब उसका लण्ड अपने हाथों से दबा दिया। अमन ने उसकी कलाईयाँ पकड़ लीं पर लण्ड नही छुड़ाया।
“ अमन कैसा लग रहा है…?”
“हाय… बस पूछ मत… दबा यार और दबा !” अमन ने भी अपना हाथ उसके लण्ड की तरफ़ बढ़ा दिया। अमन ने भी उसका लण्ड पकड़ लिया। अब दोनों एक दूसरे का लण्ड दबा रहे थे और धीरे-धीरे मुठ्ठ मार रहे थे। मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी… ये क्या कर रहे हैं… क्या होमो कर रहे हैं…।
तभी कमल ने पाजामे का नाड़ा खोल दिया और अमन का लण्ड बाहर निकाल लिया। हाय रे… इतना बड़ा लण्ड…! मेरा जी धक् से रह गया। मेरा मन वहाँ से हटने को नहीं कर रहा था।
कमल ने धीरे से अमन के सुपाड़े की चमड़ी ऊपर खींच दी। अमन भी उसके पाजामे के अन्दर हाथ डाल कर कुछ कर रहा था। कुछ ही देर में वो नंगे हो गये। दोनों शरीर से सुन्दर थे, बलिष्ठ थे, चिकना जिस्म था। मेरी भी इच्छा होने लगी कि अन्दर जा कर मैं भी मज़े करूँ। वो दोनों एक-दूसरे से लिपट गये और कुत्ते की तरह से कमर हिला हिला कर लण्ड से लण्ड टकराने लगे।
“कमल… चल लेट जायें… और लण्ड चूसें…” अमन ने अपने मन की बात बताई।
दोनों ही बिस्तर पर लेट गये और और करवट लेकर उल्टे-सुल्टे हो गये। अब दोनों का लण्ड एक-दूसरे के मुँह के सामने थे। दोनों ने एक दूसरे का लण्ड अपने-अपने मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया। मैंने तो पहले ऐसा ना सुना था ना ही देखा था। मैंने अपनी चूत दबा ली… और पैन्टी के ऊपर गीला और चिपचिपापन आ गया था। मन में मीठी सी चुभन होने लगी थी।
दोनों की कमर ऐसे चल रही थी जैसे एक दूसरे के मुँह चोद रहे हों। दोनों ने एक-दूसरे के गोल-गोल चूतड़ों को दबा रखा था। पर अमन ने अब कमल की गाँड में अपनी ऊँगली घुसा डाली। और थूक लगा कर बार-बार ऊँगली को गाँड में डाल रहा था। अचानक अमन उठा और कमल की गाँड पलट कर उस पर सवार हो गया। उसने कमल की चूतड़ों को चीर कर अलग किया और अपना लण्ड उसकी गाँड में घुसाने लगा। मुझे लगा कि उसका लण्ड अन्दर घुस गया था। कमल ने अपनी टाँगें फ़ैला दी थीं। अमन के बलिष्ठ शरीर के मसल्स उभर रहे थे। कमर ऊपर-नीचे चल रही थी। कमल की गाँड़ चुद रही थी।
अब अमन ने कमल को उठा कर घोड़ी बना दिया और उसका लम्बा और मोटा लण्ड अपने हाथ में भर लिया। अब उसे शायद धक्के मारने में और सहूलियत हो रही थी। उसका लण्ड अमन की मुठ्ठी में भिंचा हुआ था। वह उसकी गाँड़ मारने के साथ-साथ उसके लण्ड पर मुठ्ठ भी मार रहा था। दोनों सिसकियाँ भर रहे थे। इतने में अमन ने जोर लगाया और उसका वीर्य छूट पड़ा। अमन ने उसे जकड़ लिया और मुठ्ठ कस-कस के मारने लगा। इससे कमल का वीर्य भी जोर से पिचकारी बन कर निकल पड़ा। दोनों के मुख से सिसकारियाँ फूट रही थीं… पूरा वीर्य निकल जाने के बाद वो वहीं बैठ गये और सुस्ताने लगे।
शो समाप्त हो गया था सो मैं धीरे से वहाँ से हट गई। मैं छत से नीचे आ गई। दोनो के मांसल शरीर मेरे मन में बस गये थे। मेरी इच्छा अब उनसे चुदने की हो रही थी। चाहे अमन हो या कमल… दोनों ही मस्त चिकने थे…। मैंने फ़ैसला किया कि चूँकि अमन यहीं रहता है, इसलिये उसे पटाना ज्यादा सरल है, फिर कमल भी तो सेक्सी है। यही सोचती हुई मैं सो गई। दूसरे दिन अमन कहीं बाहर से घूम कर आया तो मैंने उसे अपने प्लान के हिसाब से रोक लिया।
“ अमन अभी क्या कर रहे हो…? मुझे तुमसे कुछ काम है…।”
“तुम ऊपर आ जाओ… खाना खाते हुए बात करेंगे…!” कह कर वो ऊपर चला गया
मैं भी ऊपर आ गई… उसका टिफ़िन आ गया था। मैंने उसका खाना थाली में लगा दिया और सामने बैठ गई।
“हां बोल… क्या बात है…?”
“यार मुझे फ़िज़िक्स पढ़ा दे… तेरी तो अच्छी है ना फ़िज़िक्स…”
“ठीक है, कॉलेज के बाद मैं तुझे बुला लूंगा…” ये कह कर वो वापिस चला गया।
मैं भी कॉलेज रवाना हो गई। कॉलेज से आने के बाद मैं अमन का इन्तज़ार करने लगी। उसके आते ही मैं बुक्स ले कर ऊपर उसके कमरे में आ गई।
उसने किताब खोली और कुर्सी पर बैठ गया, उसकी बगल में मैं भी कुर्सी लगा कर टेबल पर बैठ गई। मेरा इरादा पढ़ने का नहीं था… उसे पटाना था। मैं उसे बीच-बीच में कुछ चॉकलेट भी देती जा रही थी। मैंने धीरे से उसके पाँव पर पाँव रख दिया। फिर हटा दिया। वह थोड़ा सा चौंका… पर फिर सहज हो गया। कुछ देर बाद मैंने फिर पाँव मारा… उसने इस बार जान कर कुछ नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ी… मैंने उसका पाँव दबाया।।
अमन ने मुझे देखा… मैं मुस्करा दी। उसकी बाँछें खिल उठी। हँसी तो फँसी मान कर उसने भी एक कदम आगे बढ़ाया। उसने अपना दूसरा पाँव मेरे पाँव पर रगड़ा। मैंने शान्त रह कर उसे और आगे का निमंत्रण दिया। उसने मुझे फिर से देखा… मैंने फिर मुस्करा दिया।
अचानक वो बोला,”दिव्या… तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो…”
“क्या… कह रहे हो… अच्छे तो तुम भी हो…” मैंने उसे काँपते होठों से कहा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचा। मैं जान करके उसके ऊपर गिर सी पड़ी। उसने तुरन्त मौके का फ़ायदा उठाया। और मेरी चूँचिया दबा दीं।
“हाय क्या करते हो…! कोई देख लेगा ना…!”
“कौन यार… उसने मुझे खींच कर गोदी में बैठा लिया। उसका लण्ड खड़ा हो चुका था। वो मेरी गाँड में चुभने लगा था।
“उफ़्फ़्…नीचे कुछ चुभ रहा है…”
“मेरा लण्ड है…” कह कर उसने और चूतड़ में चुभाने लगा।
“क्या है?”
“मेरा लौड़ा…” मैं जान करके शरमा उठी। मेरे चूतड़ की गोलाइयों के बीच लण्ड घुसने लगा। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।
“मार डालोगे क्या… पूरा ही घुसा दोगे…” मेरी चुदने की स्कीम सफ़ल होती नजर आ रही थी। मुझे ये सोच के ही कंपकंपी आ गई।
“रुको… मेरी स्कर्ट तो ऊपर कर लो… ” मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये और स्कर्ट ऊपर करके पैन्टी नीचे खींच दी। उसने भी अपनी पैन्ट नीचे खींच ली। उसका लण्ड फुँफकारता हुआ बाहर आ गया। उसने मुझे धीरे से चूतड़ ऊपर उठा कर लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और फिर मुझसे कहा कि धीरे से घुसा लो। उसका लण्ड मेरी चूत में फ़िसलता हुआ अन्दर बैठ गया। मैं आनन्द से भर गई।
तभी नीचे से पापा की आवाज आई। मैं चिढ़ गई। ये पापा भी ना… मैंने लण्ड धीरे से बाहर निकाला और कपड़े ठीक किये।
“ये दरवाजा खोल कर रखना रात को… मैं यहीं से आऊंगी… ! “
“पर ये तो बाहर से बन्द है ना…”
“अरे मैं खोल दूँगी… ये छत पर खुलता है…” कह कर मैं नीचे भाग आई। मेरा काम तो हो चुका था… बस चुदना बाकी था। मन ही मन मैं बहुत खुश थी, जैसे मैदान-ए-जंग जीत लिया हो। मैं रात होने का इन्तज़ार करने लगी।
मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था… मम्मी-पापा नीचे बेडरूम में सोते थे… मैं खाना खा कर अपने कमरे में आ गई। लगभग 9 बजे जब सब शान्त हो गया, मैं छत पर आ गई। मैंने तुरन्त अमन का दरवाजा खोला तो दिल धक् से रह गया… अमन और कमल दोनों ही वहाँ थे… बिल्कुल नंगे खड़े थे और गाँड मारने की तैयारी में थे।
मैं वापस जाने लगी तो अमन ने कहा…”जाओ मत दिव्या… सॉरी हम ऐसी हालत में हैं… मुझे ऐसा लगा कि तुम नही आओगी !”
मुझे लगा कि एक की जगह दो दो… मेरा मन मचल उठा…दो दो से चुदवाने को ! मैं रूक गई।
“पर दोनों नंगे हो कर ये क्या कर रहे हो…” मुझे पता था फिर भी अन्जान बनने का नाटक किया फिर अन्दर आ कर जल्दी से दरवाजा बन्द कर लिया।
“देखो किसी से कहना मत… हम रोज होमो करते हैं… कभी ये मेरी गाँड मारता है और कभी मैं इसकी गाँड चोदता हूं”
“मजा आता है ना…”
“हाँ… पर कुछ अलग सा…”
“क्या बात है यार… तुम भी ना…”
“थैंक्स दिव्या… देखो तुम यहाँ बैठो और बस देखो… हम तुम्हारे साथ कुछ नही करेंगे…” अमन और कमल दोनो ही एक तरह से विनती करने लगे।
“अरे तो मैं क्या तुम्हारी शकल देखूँगी… बस देखो!!! … मुझे भी तो मज़ा दो…” सुनते ही दोनों ही खुश हो गये। कमल को तो शायद पहली लड़की को चोदने का मौका मिल रहा था।
दोनो ने प्यार से मेरे कपड़े उतार दिये और अब हम तीनो नंगे थे। कमल तो मुझे ऐसे देख रहा था जैसे उसे कोई खज़ाना मिल गया हो… दोनों के लण्ड मुझे देख कर ९० का नहीं १२० डिगरी का ऐंगल बना रहे थे। मुझे ये जान कर सनसनी और मस्ती चढ़ रही थी कि मुझे दो-दो लण्ड खाने को मिलेंगे।
अमन मेरे आगे खड़ा हो गया और कमल मेरी गाँड से चिपक गया। अमन बोला,” दिव्या दोनो ओर से यानि चूत और गाँड में लण्ड झेल लोगी…?”
मैं सिहर उठी। मेरे मन में खुशियाँ हिलोरें मारने लगीं।
मैंने कुर्सी पर एक टाँग ऊपर रख दी और गाँड का छेद खोल दिया और इशारा किया- “लग जाओ मेरे हीरो… कमल तुम मेरी गाँड मारो, अमन ये चूत तुम्हारी हुई…!”
मैंने नशे में अपनी आँखे बन्द कर लीं। दोनों ही मेरे आगे-पीछे चिपक गये… मुझे दोनों का चिकना शरीर मदमस्त किये दे रहा था… मेरी एक टाँग कुर्सी पर ऊपर थी इसलिये गाँड और चूत दोनो ही खुली थी… पहल कमल ने की, मेरी गाँड पर तेल लगाया… और छेद में अपना लण्ड जोर लगा कर घुसा दिया।
अब अमन की बारी थी… उसने अपना लण्ड मेरी चिकनी और पनीली चूत में डाल दिया।
दोनों के मोटे और लम्बे लण्ड का भारीपन मुझे महसूस होने लगा। चूत लप लप कर लण्ड निगलने को तैयार हो गई थी। अब दोनों चिपक गये और हौले-हौले से कमर हिलाने लगे। दोनों ओर से लण्ड घुस रहे थे। मेरे आनन्द का कोई पार नहीं था। मेरे शरीर में तरंगें उठने लगीं। लण्ड मेरे दोनों छेदों में सरलता से आ जा रहे थे। पहली बार मैं आगे और पीछे से एक साथ चुद रही थी। दोनो के लण्ड फुफकार मार-मार कर डस रहे थे…
मैं वासना की गुड़िया बनी जम कर चुदवा रही थी। मस्तानी हो कर झूम रही थी। चुदाने का पहले का तज़ुर्बा काम में आ रहा था। दोनों ओर की चुदाई के कारण मैं कमर हिला नही पा रही थी… पर धक्के अब जोरदार लग रहे थे और मेरे चूत और गाँड में गजब की मिठास भर रहे थे। मेरी गाँड और चूत एक साथ चुदी जा रही थी।
कमल के दोनों हाथ मेरी चूचियों पर थे और मसलने में कोई कसर नही छोड़ रहे थे। उसे तो शायद पहली बार बोबे दाबने को मिले थे… सो जम कर दाब रहा था… लग रही थी, पर आनन्द असीम था… मेरी चूत और गाँड में तेज़ गुदगुदी और सनसनाहट हो रही थी… उन दोनों के लण्ड अन्दर आपस में टकराने का अह्सास भी करा रहे थे।
अचानक दोनों की ही बाँहों ने मुझे भींच लिया… दोनों के लन्डों का भरपूर दबाव चूत पे आने लगा। भींचने के कारण मेरी चूत में रगड़ लगने लगी और मैं अपनी सीमा तोड़ कर झड़ने लगी… “हाय रे… मैं तो गई…”
पर दोनों के बाँहों की कसावट बढ़ने लगी। अमन ने अपना लण्ड चूत में दबाया और अपना वीर्य छोड़ दिया… और ज़ोर लगा कर बाकी का वीर्य भी निकालने लगा। मेरी चूत से वीर्य निकल कर मेरे पाँवों पर बह चला।
इतने में कमल ने भी अपनी पिचकारी गाँड़ में उगल दी। दोनों ही कुत्ते की तरह कमर को झटका दे देकर वीर्य निकाल रहे थे। मेरी टाँग दोनो के वीर्य से चिकनी हो उठी। दोनों ने मुझे अब छोड़ दिया।
दोनों के मुरझाये हुए लण्ड लटकने लगे। अब मुझे अपने बिस्तर पर लिटा कर दोनों ही अपने मन की भड़ास निकालने लगे और बाकी की चूमा चाटी करने लगे। काफ़ी देर प्यार करने के बाद उन दोनों ने मुझे छोड़ा। मैंने उन दोनो को इस डबल मज़े के लिये धन्यवाद कहा और कल और चुदाने का वादा करके मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे से निकल कर छत पर आ गई। धीरे से नीचे आकर अपने कमरे में आ गई।
आज मेरा मन सन्तुष्ट था। आज मेरी चूत और गाँड दोनों की प्यास बुझ गई थी। मैं अब सोने की तैयारी करने लगी…… Hindi Porn Stories
हाय मैं सीमा, आप लोगो को मेरी पहली कहानी Antarvasnaअच्छी लगी जानकर खुशी हुई.
आज मैं जो कहानी आप लोगो को सुनाने जा रही हूं वो 2-3 साल पहले की घटना है. तब मैं एक फ़्लैट में रहती थी. और मेरे बगल वाले फ़्लैट में एक बंगाली फ़ैमिली रहती थी. उनकी फ़ैमिली में चार मेम्बर थे. हस्बेंड, वाइफ़ उनकी एक 14 साल का लड़का सुनील और 18 साल की एक लड़कीसीता. मैं उन दोनों को भैया भाभी बुलाती थी. भैया और भाभी दोनों ही काम करते थे.
भाभी दिखने में बहुत खूबसूरत थी. 36सी साइज़ का बूब्स सुराहीदार गर्दन. ऊपर से उन्होंने अपनी नाभि को छिदवा कर उसमें एक रिंग पहना करती थी. मैंने कई बार उनकी साथ लेस्बियन सेक्स करनी की बात सोची थी. मैंने कई बार भाभी के बूब्स को उनकी नाइटी के ऊपर से देखा है. वो घर में कोई ब्रा नहीं पहनती थी और उनकी नाइट ड्रेस भी बहुत पारदर्शी है जिसमें से उनकी भूरे निप्पल टाइट बूब्स दिखाई देते थे. मैंने कई बार भाभी से बात करते हुए उनके मुलायम पेट को छुआ भी है.
एक बार भैया और भाभी किसी रिश्तेदार को दिखने के लिये बाहर जा रहे थे और मेरे पास आके बोले कि ‘नमिता और सुनील एक दिन के लिये अपने पास रखना सीमा’.
मैंने कहा ‘कोई बात नहीं.
वो लोग शाम कोसीता और सुनील को मेरे पास छोड़ कर निकल गये.
मेरे फ़्लैट में दो कमरे हैं एक में मैं सोती हूं. दूसरे कमरे में मैंनेसीता और सुनील का सोने का इन्तेजाम कर दिया. घर में मैं सिर्फ़ शोर्ट्स और एक टी-शर्ट पहनती हूं, खास करके गर्मियों में.
रात का खाना खाने के बाद हम तीनो टीवी देखने बैठे.सीता मेरी बगल में बैथी थी, थोड़ी देर बाद वो मेरी गोद में सर रख के सो गयी. मेरी टी-शर्ट थोड़ी ऊपर की तरफ़ उठ गयी थी और मेरा पेट उसे साफ़ नजर आ रहा था.
नमिता ने अचानक मुझसे पूछी- आंटी आप मम्मी की तरह नाभि में छल्ला क्यों नहीं पहनती, आपको बहुत सूट करेगी. आपकी नाभि कितनी सुन्दर है.
उसने फिर मुझसे पूछि क्या मैं आपकी नाभि में एक किस कर सकती हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
उसने मेरी नाभि में एक किस किया.
फिर उसने मेरा हाथ अपने पेट के ऊपर रख दिया. उसने एक पिंक कलर का टोप और नीला शोर्ट स्कर्ट पहना हुआ था. मेरा हाथ उसके पेट के ऊपर रखते ही उसने अपना तोप थोड़ा और ऊपर उठा लिया.
मैंने अपना हाथ उसके पेट पे फिराते हुए उसको बोली ‘तुम्हारी नाभि भी तो बहुत अच्छी है तुम क्यों कोई रिंग नहीं पहनती’.
उसने कहा ‘मम्मी ने कहा है अगले साल मेरी नाभि छिदवा देंगी फिर मैं उसमे रिंग पहनुंगी’.
थोड़ी देर बाद मुझे ख्याल आया सुनील क्या कर रहा. मैं मुड़ के सोफ़े पे देखा तो देखा कि सुनील गहरी नींद में है. मैं उठी और सुनील को गोद में उठा दूसरे कमरे में बेड पर लिटा दिया. और वापस आ गयीसीता के पास जो कि तब भी टीवी देख रही थी. मैं जब उसके पास आयी तो देखा के उसने इतने में अपनी स्कर्ट उतार कर सिर्फ़ पेंटी पहन के बैठी थी. पिंक रंग की टोप और पिंक रंग की पेंटी में बहुत सुन्दर लग रही थी. मेरे बैठते ही उसने फिर से मेरी गोद पे सर रख कर सो गयी.
थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा- आंटी आप मेरे बदन पे थोड़ा सा हाथ फिरा देंगी?
मैंने कहा- क्यों नहीं.
तो उसने उठ कर अपनी टोप भी उतार दी. उसने अन्दर और कुछ नहीं पहना था. उसके स्तन (बूब्स) निम्बु जैसे थे और निप्पल हल्के गुलाबी रंग के थे.
मैं उसके बदन पर आहिस्ता आहिस्ता हाथ फिराने लगी. उसने अचानक मुझसे पूछा ‘आंटी क्या आप ऐसे ही सोती हैं मतलब पूरे कपड़े पहन कर.
मैंने कहा- क्यों तुम कैसे सोती हो?
उसने कहा मैं तो सिर्फ़ पेंटी पहन के कभी कभी तो ज्यादा गर्मी में बिल्कुल नंगी सोती हूं.
मैंने कहा तुम अपने भाई के साथ नंगी सो जाती हो.
उसने कहा तो क्या वो भी तो नंगा ही सोता है. और वैसे भी बचपन से हम कितनी बार एक दूसरे को नंगे देख चुके हैं.
मैंने कहा बचपन की बात अलग है, लेकिन आब तुम बड़ी हो गयी हो. क्या भैया भाभी कुछ नहीं कहते.
नमिता ने कहा नहीं वैसे भी वो लोग खुद अपने कमरे में नंगे ही सोते है. मैंने दो तीन बार देखा है. और आप भी तो घर में कभी कभी नंगी ही रहती हैं.
मैंने कहा तुम कैसे जानती हो.
उसने कहा एकबार मैं घर में सुबह दूध के बारे में पूछने आयी थी. आपका दरवाज़ा बंद नहीं था अन्दर आके देखा तो आप नंगे ही किचन में नाश्ता बना रही थीं.
मैंने कहा तुमने मुझे आवाज क्यों नहीं दि.
उसने कहा तब मैंने सोचा के आप मुझे डातोगी.
मैंने कहा क्यों डातुंगी क्या तुमने कोई गुनाह किया था.
नमिता ने कहा अगर आप नाराज़ न हों तो क्या आप मुझे अपने स्तनो दिखाएंगी.
मैं हंस पड़ी अपनी छोटी लेस्बियन को देख कर. और अपनी टी-शर्ट और शोर्ट उतार कर बिल्कुल नंगी होकर बैठ गयी. उसने भी अपनी पेंटी उतार दी उसकी बिना बालों वाली चूत एकदम चमक रही थी. मेरी चूत भी एकदम साफ़ थी.
उसने मेरी चूत पे एक प्यारी सी किस की. मेरे बदन में करेंट सा दौर रहा था, वो जैसे रियेक्ट कर रही थी मुझे लग रहा था वो इस तरह का सेक्स पहले कर चुकी है.
मैंने उससे पूछा क्या तुम ऐसे प्यार के बारे में जानती हो.
उसने कहा हाँ इसे लेस्बियन सेक्स कहते हैं.
मैं चौंक गयी और पूछा तुम्हे कैसे पता.
उसने कहा मेरी एक दोस्त है शालिनी एकबार मैं जब उसके घर गयी थी तब उसकी बड़ी दीदी, शालिनी और मैं हम तीनो ने ऐसे किया था. तब उसकी दीदी ने मुझे बताया था. और एकबार शालिनी जब हमारे घर में आयी थी तब भी हमने ऐसे सेक्स किया था और वो भी रजा के सामने.
मैंने कहा मतलब सुनील भी तुम्हारे इस सेक्स के बारे में जानता है.
हाँ लेकिन आंटी सुनील सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानता. अच्छा आंटी सुनील तो सेक्स के बारे में अभी कुछ नहीं जानता फिर भी जब भी मैं जब भी उसके लंड के साथ खेलती हूं तो उसका लंड एकदम टाइट और खड़ा हो जाता है.
मैंने पूछा क्या तुम सुनील के लंड के साथ खेलती हो?
उसने कहा हाँ रात में सोते वक्त कभी कभी मैं उसके लंड को और वो मेरी चूत को सहलाता है. और उसके लंड से कभी कभी कुछ चिपचिपा सा लिक्विड निकल आता है.
मैंने उससे कहा ये लड़कों के लंड का धर्म है. और वो चिपचिपा सा जो निकल आता है उसे सीमेन कहा जाता है.
मैन एक टीनऐज लड़की की बातें सुनकर हैरान भी हो रही थी और खुश भी हो रही थी एक टीनऐज लेस्बियन पार्टनर पा कर.
रात भी बहुत हो चुकी थी मैंनेसीता से कहासीता अब चलो सो जाओ कल मेरी छुट्टी है कल सुबह हम बात करेंगे.
उसने कहा आंटी आप भी हमारे साथ सो जाइये न.
मैंने कहा ठीक है.
हम तीनो एक ही कमरे में सो गये.
सुबह मैं जब उठी तबसीता और सुनील सो रहे थे. दिन के उजाले मेंसीता के गोरे नंगे बदन एकदम एंजल की तरह लग रही थी.
मैं फ़्रेश हो कर नाश्ता बनायी, इतने में सुनील औरसीता भी जग गये थे. मैं एक टी-शर्ट और पेंटी पहनी हुई थी.
मैंनेसीता से कहा ‘तुम भी फ़्रेश हो कर कुछ कपड़े पहन लो.
तो उसने कहा क्यों यहाँ कौन आने वाला है, मैन आज नंगी ही रहूंगी. और आप भी. मुझे आपका नंगा बदन बहुत अच्छा लगता है.
तब सुनील ने कहा दीदी आज क्या तुम और आंटी वैसा खेल खेलोगी जैसे शालिनी दीदी के साथ खेलती थी.
नमिता ने कहा हाँ.
सुनील ने कहा तब तो बड़ा मजा आयेगा. लेकिन दीदी आज मैं भी तुम लोगों के साथ खेलूंगा.
नमिता ने कहा ठीक है.
मैं भीसीता के साथ लेस्बियन सेक्स के लिये तड़प रही थी. हम तीनो नंगे हो कर मेरे बेडरूम चले गये. मैंनेसीता से कहा तुम अपनी टांग फैला कर बिस्तर में बैठो और सुनील का लंड को चूसो. मैं अपना मुंहसीता की चूत पे लगा कर उसे चाट चाट कर गीली की और दोनों हाथों से उसकी छोटी छोटी बूब्स को मसलती रही. फिर अपने एक हाथ से उसकी चूत को और फैलाई और दूसरे हाथ की दो ऊँगलियाँ उसकी चूत के अंदर धीरे धीरे घुसाने लगी.
शुरु शुरु में उसकी चूत टाइट होने के कारण घुसाने में तकलीफ़ हुई वो मुंह से आवाज़ भी निकल रही थी बाद में मैंने अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगी और वो जोर जोर से सुनील के लंड को चूसने लगी. थोड़ी ही देर में उसकी चूत से पानी निकलने लगा. मैंने अपना मुंह उसकी चूत पे लगा कर उसे चाटना शुरु कर दिया.
इधर सुनील के लंड से भी सीमेन निकलना शुरु हो गया था वो अपनी दीदी के मुंह में ही अपना पूरा सीमेन झड़ दिया. अब मैंनेसीता सा कहा तुम अब मेरी चूत को इसी तरह सहलाओ. उसने मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा कर अन्दर बाहर करने लगी. बीच बीच में अपना मुंह मेरी चूत पे लगा कर चाटने भी लगी. कुछ समय बाद मेरी चूत से भी पानी निकलना शुरु हो गया तोसीता और सुनील दोनों ने मिलकर मेरी चूत को चाट कर साफ़ करने लगा.
हुम तीनो थक कर लेट गये.सीता ने कहा आंटी आज हम लोगों ने जो मजा किया वो जिंदगी भर नहीं भूलेंगे.
उस दिन पूरा समय हम तीनो नंगे रहे. जब तक भैया भाभी आकरसीता और सुनील को घर न ले गये. उस दिन के बाद जब कभी भीसीता मेरे पास आती थी तब हम ऐसे सेक्स करते थे.
एक बार शालिनी भी उसके साथ अयी थी. वो दूसरि घटना है जो मैं आप लोगों को बाद में बताऊँगी. Antarvasna
मैं जब हॉस्टल में आई तो मैंने देखा वहाँ पर रूम बड़े अच्छे और सभी सामान के साथ थे. एम ए की पढाई करने वालों के लिए सिंगल रूम था. रूम देख कर मैं बहुत खुश थी. हॉस्टल में आते ही जो अनुभव मुझे हुआ वो मैं आपको बताती हूँ।
शाम को हॉस्टल में सभी नए और पुराने स्टुडेंट डिनर के लिए मेस में जा रहे थे. रूम के बाहर ही मुझे तीन सिनियर लड़कियां टकरा गयी. उन्होंने मुझे देखा. मैंने उन्हें गुड इवेनिंग कहा. वो आगे निकल गयी, उनमे से एक मुड़कर वापस आयी और कहा – “क्या नाम है…”
“अंजू शर्मा ..”
“डिनर के बाद 10 बजे रूम नम्बर 20 में मिलो…”
“कोई काम है दीदी ..”
“नई आयी हो… सभी को तुम्हारा स्वागत करना है ..”
“जी…अच्छा…”
वो मेस में चली गयी. मुझे पसीना छूटने लग गया. मैं समझ गयी थी की अब मेरी रागिंग होगी .
मेस में मुझसे खाना भी ठीक से खाया नही गया .जैसे तैसे मैंने खाना पूरा किया और अपने रूम में आ गयी. घबराहट में मुझे कुछ सूझ नही रहा था कि मैं क्या करूं। समय देखा तो रात के 10 बजने वाले थे. मन मजबूत करके 10 बजे में उठी और रूम नम्बर 20 के आगे जाकर खड़ी हो गयी. मैं दरवाजा खटखटाने ही वाली थी की वो सीनियर लड़की मेस से आती हुयी दिखायी दी. आते ही बोली- “आ गई… कामिनी…”
“जी हाँ…” मैंने सर झुकाए कहा .
“मेरा नाम सोनाली है…पर तुम मुझे दीदी कहोगी “उसने दरवाजा खोलते हुए कहा -“आ जाओ अन्दर ..”
मैं उसके कमरे में आ गयी. उसने मुझे बैठने को कहा .
“पहली बात सुनो…जब कोई सीनियर तुम्हे नज़र आए तो तुम उसे विश करोगी…”वो मुझे नियम समझती रही. फिर बोली- “अच्छा अब तुम स्वागत के लिए तैयार हो ..”
मैं चुप ही रही…पर पसीना आने लग गया था ..
“घबराओ मत… सिर्फ़ स्वागत ही है…”
“…जी. ..”
“खड़े हो जाओ…और अपना सीना आगे को उभारो ”
मैंने अपना हाथ पीछे करके अपना सीना आगे उभार दिया ..
“शाबाश… अच्छे है… अब अपना टॉप उतार दो ..”
“नही दीदी…शर्म आती है…”
“वोही तो दूर करना है ”
“कोई देख लेगा…दीदी… और सीनियर भी तो आने वाली है…”
“अब उतारती हो या मैं उतारूं ”
मैंने अपना टॉप उतार दिया. उसने ब्रा भी उतारने को कहा. थोड़ा झिझकते हुए मैंने ब्रा भी उतार दी .
“यहाँ पास आओ ”
मैं दीदी के पास गयी. सोनाली ने खड़े हो कर पहले मुझे पास से देखा. फिर मेरे स्तनों पर हाथ लगाते हुए कहा -“सुंदर है…” फिर मेरी छातियों को सहलाना शुरू कर दिया. मुझे सिरहन होने लगी. उसने मेरी चुन्चियों को हौले से दबा कर घुमाया .. मेरी सिसकारी निकल गयी. वो जो कुछ कर रही थी…मुझे डर तो लग रहा था… पर उसकी हरकतों से मजा भी आ रहा था. फिर वो पीछे गयी और मेरे चूतड़ों को निहारा. अपने हाथों से उसे सहलाने लगी और दबा दिया.
“किस करना आता है…”
मैंने कहा- “जी हाँ ..आता है ”
“मेरे होंट पर किस करो ..”
मैंने धीरे से किस कर दिया. वो बोली – “किस ऐसे नही करते हैं ”. उसने मेरे नरम होंट अपने होंट से भींच कर चूसना चालू कर दिया .बोली- “ऐसे समझी… अब अपनी स्लैक्स उतारो ”
” दीदी ऐसे तो मैं नंगी हो जाऊँगी…”
“वो तो स्वागत में सबको नंगी होना पड़ता है ..”
मैंने अपनी स्लेक्स उतार दी और सीधी खड़ी हो गयी ..”
सोनाली ने पास आकर मेरा बदन सहलाया ..और मेरी चूत पर हाथ फेरना चालू कर दिया. बीच बीच में वो मेरे चुतड़ भी सहलाती और दबाती जा रही थी…
“दीदी अब कपड़े पहन लूँ…दूसरे सीनियर्स आ जायेंगे ..”
“वो देर से आयेंगे… अब तुम मेरे कपड़े उतारो ” सोनाली थोड़ा मुस्कराते हुए बोली .
मैंने उसका कुरता उतार दिया. उसने ब्रा नही पहनी थी. उसके बूब्स उछल कर बाहर आ गए .
“…हाँ अब मेरा पजामा भी उतार दो…और मुझे अपने जैसी नंगी कर दो .”
मैंने सोनाली को पूरी नंगी कर दिया .
“अब तो खुश हो न… अब तुम्हे शर्म तो नही आ रही है…”
मैंने सर झुका कर मुस्करा कर कहा- “नही दीदी… अब तो आप भी ..”
” अच्छा अब बताओ…इसे क्या कहते हैं…”
“स्तन या बोबे ..”
“देसी भाषा में बताओ ..”
“जी…चूचियां…”
“गुड…अब बताओ नीचे इसे क्या कहते हैं…”
“जी…चूत…” मैं शरमा कर बोली .
“वाह तुम तो सब जानती हो…आओ गले लग जाओ ..”
सोनाली ने मुझे गले लगा लिया… उसका हाथ मेरी चूतडों पर चला गया…और उन्हें मसलने लगा. अब मुझे लग रहा था कि रैगिंग तो बहाना था…वो मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी. सोनाली गरम होने लगी थी. उसने कहा-
“कामिनी…तुम भी ऐसे ही कुछ करो…”
मैंने उसके बूब्स सहलाने चालू कर दिए. उसके मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी ..
“हाँ जोर से मसलो… चुचियों को खेंचो…”
मैं उसकी चुन्चियों को खीचने मसलने लगी. अचानक मैंने महसूस किया कि उसने एक उंगली मेरी चूत में घुसा दी है. मैं चिहुक उठी.
“हाय…दीदी… मैं मर गयी…”
“अच्छा लग रहा है ना…”
“हाँ दीदी…”
मैं भी उसकी चूत में अपनी उंगली और अन्दर घुमाने लगी…
“अब…बस…” कह कर सोनाली दूर हट गयी .”कपड़े पहन लो ..”
हम दोनों ने कपड़े पहन लिए… वो अलमारी में से मिठाई निकाल कर लाई… और मेरे मुंह में एक टुकडा डालते हुए कहा -“मुंह मीठा करो…तुम्हारा स्वागत पूरा हो गया… स्वागत से डर नही लगा ना…”
“नहीं दीदी…मुझे बहुत मजा आया…”
“धन्यवाद कामिनी… मजा मुझे भी आया .”
मैं अचानक सोनाली से लिपट गयी ..- “दीदी आज रात में तुम्हारे साथ रह जाऊँ ”
दीदी ने प्यार से मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा- “क्यों… क्या इरादा है…”
” दीदी अब मैं रात भर सो नहीं सकती… मुझे शांत कर दो. ..”
“तुम्हे जाने कौन देगा… मुझे भी तो पानी निकलना है…”
हम दोनों फिर से कपड़े उतार कर अब बिस्तर पर आ गये .
लेटे लेटे मैंने सोनाली से पूछा –“वो और सीनियर लड़कियां अभी आएँगी तो…”
“कोई नहीं आयेगा…”
“पर आप तो कह रही थी…कि सभी आएँगी ”
उसने मेरे मुंह पर उंगली रख दी.
“मैंने तुम्हे देखा था तो मुझे लगा था कि तुम्हें पटाया जा सकता है…इसलिए मैं वापिस आयी और तुम्हें बुलाया…उन लड़कियों को नहीं मालूम है .”
कहते हुए उसने अपनी नंगी जांघ मेरी कमर में डाल दी. और अपने होंट मेरे होटों पर रख दिए. धीरे से उसने मेरा एक बूब सहलाना चालू कर दिया। मैंने भी उत्तर में उसे अपने ऊपर खींच लिया. मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी. उसके होंट मैंने अपने होटों में दबा लिए. वो मेरे ऊपर चढ़ कर मुझसे जोर से लिपट गयी. और मेरे होटों को चूसने लगी. मैं उसके स्तनों को दबाने, मसलने लगी. उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. हम दोनों मस्ती में डूब गए थे. उसने अब अपनी चूत मेरे चूत से मिला दी और लड़कों की तरह मेरी चूत पर अपनी चूत पटकने लगी .
“ हाय रे…कितना मज़ा आ रहा है ..” सोनाली सिसक के बोली .
“ हाँ दीदी बहुत मज़ा आ रहा है…मेरी चूत तो गीली हो गयी है ..” मैंने कहा
“मेरे चुतड पकड़ के दबा दे…हाय ..” अपनी चूत घिसती हुयी बोली. मैं उसकी गोलाईयां दोनों हाथो से दबाने लगी… उसका एक हाथ मेरी चूत पर पहुँच गया और सोनाली ने दो उंगलियाँ मेरी चूत में घुसा दी. मैं सिस्कारियां भरने लगी…
“दीदी और जोर से उंगली घुमाओ… ”हाय…मजा आ रहा है… दीदी लंड होता तो कितना मज़ा आता…”
“ हाँ… लंड तो लंड होता है… सुन मेरे पास है…तुझे उस से चोदुं ..”
मैं उस से लिपट गयी… “हाँ…हाँ सोनाली जल्दी से लाओ ..
सोनाली ने तकिये के नीचे से चुपचाप लंड निकाल लिया. मुझे पता ही नहीं चलने दिया कि उसके हाथ में लंड है ..
बोली – “अपनी टाँगे ऊपर कर लो… ”
“पहले लंड लाओ तो सही…”
“नहीं पहले टाँगे ऊपर उठा लो…मुझे तुम्हारी चूत देखनी है…”
मैंने अपनी दोनों टाँगे ऊपर कर ली. दीदी ने प्यार से चूत सहलाई और लंड को चूत पर रख दिया और धीरे से अन्दर घुसा दिया .
“हाय दीदी…ये क्या…लंड अन्दर कर दिया ..” मुझे मोटा लंड, अपनी चूत में घुसता महसूस हुआ. “दीदी अब देर नहीं करो… हाथ चलाओ… चोद दो दीदी ..”
सोनाली धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगी…
“हाय रे दीदी…मज़ा आ गया… लगा ..और लगा ..”
वो अपना हाथ तेजी से चलाने लगी. मैं भी आनंद के मारे इधर उधर लोटने लगी… करवटें बदलने लगी. पर सोनाली भी मेरी करवटों के साथ साथ कस कस के अन्दर बाहर लंड को चलने लगी. उसने चोदना चालू रखा. मैं जोश के मारे करवटें बदल कर उलटी हो गयी। पर सोनाली ने लंड नहीं निकलने दिया और अपने दूसरे हाथ का सहारा लेकर लंड को अन्दर बाहर करती रही. मैं आनंद के मारे घोडी बन गयी. अपने चूतडों को दीदी के सामने कर दिया. पर उसने लंड नहीं छोड़ा और हाथ चलता ही गया.
“हाय दीदी… मेरा निकाल जाएगा…अब लंड निकाल दो ..”
“झड़ने वाली है तो झड़ जा…अब निकल जाने दे…छोड़ दे अपना पानी…चल निकाल दे…”
“दीदी अभी तो इस से मुझे गांड भी चुदवानी है ना…फिर मज़ा नहीं आयेगा…”
“अच्छा तो ये ले…” उसने मेरी चूत से लंड निकाल दिया. और अब मेरी चूतडों की दोनों फाकें सहलाने लगी और उसे खींच कर फैला दी. मेरा गांड का छेद खुल गया. मेरी गांड के छेद में उसने थूक लगाया और फिर उस पर लंड रख दिया. सोनाली बोली – “अब चालू करें…”
“ हाँ दीदी… घुसा दो ..”
दीदी ने लंड को अन्दर ठेल दिया. फिर और अन्दर घुसाया. फिर हलके से बाहर निकाल कर अन्दर डाल दिया. मुझे मीठा मीठा सा मज़ा आने लगा। सोनाली की स्पीड बढती गयी. मुझे मज़ा आने लगा… उसी समय दीदी ने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और अन्दर घुमाने लगी. चूत से पानी तो पहले ही निकल रहा था. अब दोनों तरफ़ से डबल मज़ा आने लगा. अब मेरे से सहन नहीं हो रहा था…
“दीदी क्या कर रही…आह्ह ह्ह्ह…मज़ा आ रहा आया है… दीदी… हाय रे… मुझे ये क्या हो रहा है…दीदी…मैं मर जाऊँगी…ऊओई एई…सी…सी… अरे…अरे…मैं गयी… निकला… निकला… दीदी…गयी मैं तो दीदी… हाय…हाय… ऊऊह ह्ह्छ…अआया आई ईई .”
कहते हुए मैं बिस्तर पर घोडी बनी हुयी एक तरफ़ लुढ़क गई. मैं हाँफ रही थी .
सोनाली कह रही थी – “कैसा लगा… मज़ा आया ना…”मैंने आँख बंद किए ही सर हाँ में हिलाया. फिर मैं उठी .
सोनाली ने कहा – “अब मेरी बारी है…हाथ चलते ही रहना मैं चाहे कितना ही करवटें बदलूं या उछल कूद मचाऊँ. लंड बाहर नहीं निकलना चाहिए…जैसे कि मैंने नहीं निकलने दिया था…ऐसे में पूरा मजा आता है .”
“दीदी तुम्हें तो बहुत अच्छा अनुभव हो गया है…इस लंड से चोदने का ..”
“अच्छा तो चालू हो जाओ…”
मैंने भी उसकी लंड से चुदाई चालू कर दी… वो भी तरह तरह से चुदवाती रही…फिर उसका भी पानी निकाल दिया. हम दोनों फिर दूर हो गयी और टांगे फैला कर नंगी ही लेट गयी. जाने कब धीरे से नींद ने आ घेरा और मैं गहरी नींद में सो गयी. सवेरे उठी तो देखा दीदी ने मुझे एक चादर ओढा दी थी. उसने मुझे मुस्करा कर देखा और झुक कर किस किया. और कहा – “कामिनी…थंक यू ..”
ये मेरा हॉस्टल का अनुभव है जो मैं आप तक पहुँचा रही हूँ. अपने कमेन्ट जरूर भेजे. Hindi Sex Stories
मैं अन्तर्वासना का Antarvasna बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ। आज मैं आप लोगों को अपनी पहली सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मुझे यकीन है कि आप सबको यह बहुत पसंद आएगी। कृपया अपने विचार मुझे मेल करें। अब आपका ज्यादा वक्त न लेते हुए मैं अपनी कहानी पर सीधे ही आ जाता हूँ।
मेरी उम्र बत्तीस साल है और मैं शादीशुदा हूँ। फ़िर भी मेरी यह अभी की घटना है जो आप लोगो को लंड और चूत को खुजलाने के लिए मजबूर कर देगी।
मैंने अहमदाबाद में नया रेस्तराँ खोला था जहाँ पर वो आया करती थी।
उसकी उम्र करीब 19 साल के रही होगी और वो एक छरहरे बदन वाली पतली और लम्बी सी लड़की थी।
वो हमेशा बहुत उदास लगती थी और बड़ी मुश्किल से उसके चेहरे पर हंसी देखने मिलती थी।
एक दिन वो अकेली ही आई और रोने लगी तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके पास गया।
मैंने उससे उसका नाम पूछा और उसके रोने की वजह भी।
तब तक मेरे मन में उसके लिए कोई सेक्स के विचार नहीं थे, मैं तो बस इंसानियत के नाते ही उसकी मायूसी की वजह पूछने यूं ही उसके पास चला गया था।
मेरे पूछने पर उसने अपना नाम झलक बताया और वो मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने उसे तब तो दूर हटा दिया लेकिन फ़िर उसे बाहर बुलाकर अपनी गाड़ी में बिठाकर उसके रोने की वजह पूछी तो उसने बताया कि किसी जॉनी नाम के लड़के ने उसका दिल दुखाया था जिससे वो कभी बहुत प्यार करती थी।
जबकि वो लड़का अब दूसरी लड़की के साथ घूम रहा है, जो उससे बर्दास्त नहीं हुआ और वो उस दिन से उदास रहने लगी थी।
मुझसे उसका रोना नहीं देखा गया तो मैंने ऐसे ही उसे कह दिया कि वो दुखी न हो और जो हुआ उसे भूल जाए क्योंकि आगे भी बहुत लम्बी जिंदगी पड़ी है, उसकी किस्मत में कोई और अच्छा लड़का लिखा होगा।
मैंने गाड़ी में ही उसका बदन सहलाया और उसे सांत्वना देने लगा।
अनजाने में ही मेरा हाथ उसकी पीठ पर चला गया जहां पर उसके ब्रा की पट्टी मेरे हाथों को छू रही थी।
वो मुझे कहने लगी- आप बहुत अच्छे हैं ! मुझे आपकी कंपनी बहुत अच्छी लगती है।
तो मैंने उसे कहा- जब भी मायूसी महसूस हो तो मुझसे फ़ोन पर कर लिया करना।
और हम दोनों ने अपने फ़ोन नंबर का आदान प्रदान किया।
अब वो मुझे अक्सर फ़ोन करने लगी और मैं भी उसे बच्ची समझ कर उसे खुश रखने के चक्कर में उससे बातें करने लगा।
एक दिन मैं उसे फ़िल्म दिखने ले गया जिसका नाम था किलर।
इमरान हाशमी के चुम्बन दृश्य देखकर मैं पलभर के लिए भूल गया कि वो मेरे सामने एक छोटी बच्ची है और मुझे उस नजर से नहीं देखती।
पर मुझसे नहीं रहा गया और मैंने उसे बाहों में लेकर उसके होठों का गहरा सा चुम्बन ले डाला।
तो वो मुझसे नाराज हो गई और कहने लगी- आप मुझसे उम्र में बहुत बड़े है और मैं आपकी बहुत इज्जत करती हूँ, ऐसी गिरी हुई हरकत की मैंने आपसे उम्मीद नहीं की थी।
तो मैं सकते में आ गया और पूरी मूवी उससे एक निश्चित अन्तर बनाकर बैठा रहा और उससे कोई बात नहीं की।
फ़िल्म ख़त्म होते ही मैंने उसे गाड़ी में बिठाया और एक बार सॉरी बोलकर फ़िर उसके साथ कोई बातचीत नहीं की।
पूरे रास्ते हम चुप ही रहे।
मैंने उसे उसके घर उतरने के समय पर फ़िर एक बार सॉरी कहा और सोचने लगा कि मुझसे ऐसी छोटी हरकत कैसे हो गई।
मुझे उसका चुम्बन याद आने लगा।
दो दिन तक उसका फ़ोन नहीं आया तो मैं समझा कि झलक मुझसे उस दिन की बात को लेकर नाराज़ हो गई है और मुझसे रिश्ता तोड़ दिया है, लेकिन फ़िर एक दिन वो मेरे रेस्तराँ पर आई और मेरे पास बैठ गई।
मैं उसे देखकर बहुत खुश हुआ लेकिन बहुत ही सावधानी बरतने लगा कि कहीं फ़िर से कोई गलती ना हो जाए ताकि वो मुझसे फ़िर से नाराज ना हो जाए।
अचानक वो बोली- क्या मुझे अपनी कार में लॉन्ग ड्राइव पर नहीं ले जाओगे?
मैंने हाल ही में एक नई इम्पोर्टेड कार ली थी सो उसे ले गया।
बारिश का मौसम था और वो मेरी ड्राइविंग सीट के बाजू में बैठी थी, उसने मुझसे कहा- उस दिन की घटना के बारे में मैंने बहुत सोचा और फ़िर मुझे लगा कि तुमने कोई गलती नहीं की थी और काफ़ी सोचने के बाद मुझे सिर्फ़ आपका मेरे लिए प्यार ही दिखाई दिया।
मैं यह भूल गई हूँ कि तुम मुझ से उम्र में इतने बड़े हो, मैं भी अब तुमसे प्यार करने लगी हूँ।
बातों बातों में ही वो आप से तुम पर उतर आई थी, यह मुझे अच्छा लगा और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और जोर से उसे चूमने लगा।
इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि मेरा साथ देने लगी।
मैंने बहुत ही लड़कियाँ चोदी थी लेकिन उसके जैसा चुम्बन का मज़ा मुझे कभी भी नहीं आया था सो मैं उसे करीब बीस मिनट तक चूमता रहा।
कार एक साइड पर रुकी हुई थी और बारिश की वजह से हाइवे पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था तो मैंने उसे कार की पिछली सीट पर जाने को कहा और मैं भी पीछे चला गया।
इम्पोर्टेड कार की पिछली सीट एक बड़ा सा बेड बन जाती है सो मैंने उसे बड़ा करके उसे अपनी बाँहों में ले लिया और फ़िर उसके होंठ चूसने लगा।
इस बार उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे बेसब्री से चूमने लगी।
मेरे हाथ धीरे-धीरे उसके बदन पर रेंगने लगे थे।
मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर उठा दी और उसके स्तन एक हाथ से दबाने लगा तो वो मेरे और भी करीब आ गई, उसके मुँह से अब आहें निकलने लगी थी, उसका मुँह लाल हो गया था, उसकी आंखें बंद हो गई थी और वो मुझसे ऐसे लिपट गई थी जैसे कि कोई बेल पेड़ से लिपटी हो।
आखिर मैंने उसकी टी-शर्ट और ब्रा दोनों निकाल दिए। ओह माय गोड ! उसके स्तन क्या खूबसूरत थे ! छोटे से लेकिन बहुत ही ठोस !
अब उससे भी सब्र नहीं हो रहा था तो वो मुझे कहने लगी कि उसे कुछ हो रहा है।
उसका यह पहली बार था तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है।
मेरा भी वैसे तो इतनी कम उम्र की लड़की के साथ यह पहली बार ही तो था।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया जो फ़ूल कर एक सख्त लोहे की छड़ जैसा हो गया था।
पहले तो उसने उसे पकड़ने से मना किया लेकिन बाद में वो मान गई और उस पर हाथ लगाया।
लेकिन वो अभी भी शरमा रही थी और हाथों को कोई हरकत नहीं दे रही थी।
सो उसकी शर्म दूर करने के लिए मैंने आखिर में अपनी पैंट और अन्डरवीयर खोल कर पूरा लंड निकाल कर उसके हाथ में दे दिया जो कि अब तन कर करीब साढ़े सात इंच का हो गया था और फ़ूल कर तीन इंच के लोहे के पाइप जैसे सख्त भी हो गया था।
वो अभी भी हिचकिचा रही थी सो मेरे लंड पर हाथ रखकर बैठी रही।
अब मैंने देर न करते हुए उसकी जींस उतार दी।
उसने थोड़ी सी ना-नुकुर की, बाद में सहमत हो गई तो मैंने उसकी अन्डरवीयर भी निकाल दी।
अब हम दोनों नंगे थे।
मैंने उसके ठोस स्तनों को चूसना शुरू किया।
अचानक मैंने अपने लंड पर उसके हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
मैंने उसकी चूत के दर्शन करने के लिए अपना सर नीचे किया- क्या चूत थी उसकी ! हल्के से सुनहरे रोएँ ही आए थे उसके ऊपर ! और इतनी कसी हुई थी की मुश्किल से मेरी एक उंगली भी उसमें न जा सके।
मैंने उसकी चूत को एक हाथ से रगड़ना शुरु किया तो दूसरे हाथ से उसके स्तन दबाने लगा और मेरे होंठ अभी भी उसके होठों को चूस रहे थे।
वो भी मुझे बराबर का साथ दे रही थी।
उसकी आंखें नशे में बंद हो गई थी और वो बेसब्री से मेरे लंड को हाथों मे लिए अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
मैंने लंड को चूत से छूने दिया तो मुझे वहाँ पर गीलापन महसूस हुआ।
मैंने उंगली से देखा तो उसकी चूत पानी छोड़ कर एक दम चिकनी और मस्त हो गई थी।
मैंने अब देर न करते हुए उसे लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया।
मैंने उसे पूछा- कभी सेक्स किया है?
तो उसने मुझे ना कहा।
मैंने अब हल्के से अपने लंड का सुपारा उसकी चूत में घुसेड़ा तो वो दर्द के मारे तिलमिला उठी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी।
लेकिन मैंने उसे ठीक से पकड़ रखा था इसलिए वो हिल नहीं सकी।
अब मैं ज्यादा लंड अन्दर करने की बजाये उतना ही डाले हुए उसके स्तन दबाने लगा, साथ में उसे चूमने लगा।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत के पानी की वजह से लंड के सुपारे ने उसकी चूत में जगह बना दी तो वो नीचे से अपने कूल्हे ऊपर नीचे करने लगी। अब मेरे तर्जुबे ने मुझे कहा कि चूत तैयार है, पेल दो।
तो मैंने हल्का सा धक्का मारा और मेरा आधा लंड उसकी पनियाई चूत में घुस गया और वो जोर से चिल्लाई।
मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत की ज़िल्ली फट गई थी और उसमें से खून की दो बूंदे छलक आई थी।
पर मैंने उसका मुँह अपने होठों से फ़िर एक बार बंद किया और आधा ही लंड उसकी चूत में डाले फ़िर से अपने मोटे लंड के लिए जगह बनाने लगा।
उफ़ क्या कसाव था उसकी चूत में ! ऐसा लगता था कि मेरा लंड छिल जाएगा। एकदम कस के उसकी चूत की दोनों फ़ांकों ने उसे जकड़ रखा था।
उसकी चूत बुरी तरह से चौड़ी होकर फ़ैल गई थी और वो मेरे बाहों में से निकलने के लिए छटपटा रही थी लेकिन मैं कहाँ उसे छोड़ने वाला था अब।
आहिस्ता से उसके प्यारे और मासूम से चेहरे पर से दर्द की लकीरें कम होने लगी और वो अपनी गांड उछाल बैठी तो मैंने कस के जो एक धक्का मारा कि मेरा पूरा लंड उसकी चिकनी चूत में समां गया और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया।
उसने फ़िर एक बार चिल्लाने की कोशिश की लेकिन मेरे होठों ने उसे रोक दिया।
अब मैं उसके ऊपर बिना कोई हरकत किए पड़ा रहा।
थोड़ी देर के बाद जब वो सामान्य हुई तो मैंने धक्के मारने चालू किए।
वो भी अब अपने दांतों को अपने होठों से भींच कर होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने लगी।
फ़िर उसे दर्द का एहसास कम हुआ तो उसने अपना मुँह खोल दिया और अपनी आंखें बंद कर ली और प्यार से अपनी गांड उचकने लगी।
अब मैंने भी धक्के थोड़े से तेज कर दिए थे।
थोड़ी देर में ही उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और गहरी सांसें लेने लगी तो मुझे पता चला कि उसका पानी निकल गया है।
उसे उसकी चूत मे बुरी तरह से फंसे मेरे मोटे लंड का एहसास फ़िर एक बार होने लगा और वो मुझसे अपना लंड निकालने को कहने लगी।
मैंने उसे ढांढस बंधाया कि थोड़ा सा दर्द होगा, पहली बार है इसलिए, लेकिन फ़िर मज़ा आएगा।वो बहुत छटपटा रही थी लेकिन मैंने उसे कस के रखा हुआ था जिससे वो निकल नहीं सकती थी।
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में बहुत कस के आ-जा रहा था।
इतनी टाइट चूत मुझे बहुत अरसे के बाद मिली थी और इधर मेरा लंड था कि पानी छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
इधर झलक की हालत बहुत ही ख़राब हो रही थी। मैंने अब जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।
मेरे धक्कों से वो और मेरी कार दोनों बुरी तरह से हिल रहे थे।
60 से 70 धक्कों के बाद आखिर में मेरे लंड ने पानी उगलना शुरू किया तो जैसे कि उसकी चूत में सैलाब ही आ गया।
मेरे लंड ने इतना सारा पानी छोड़ा कि उसकी टाइट चूत से भी रिस कर बाहर आकर उसकी गांड के ऊपर से बहने लगा।
मेरा लंड अभी भी टाइट था और सिकुड़ने का नाम नहीं ले रहा था…
आगे की कहानी दूसरे भाग में,
आपको मेरी और झलक की कहानी कैसी लगी, जरुर बताइयेगा। Antarvasna
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