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जब मैंने मौसी की बेटी सोनू की चूत मारी और Antarvasna मुझको मज़ा आया तो मेरी और चूत मारने की इच्छा हुई पर क्या करता स्कूल भी तो था। इसीलिए मैं अपने घर पर ही रहता था। पर मन ही मन तड़पता था।
एक रात हमारे यहाँ मेरी छोटी बुआ आई। मुझे अगले दिन उसको लेकर एक गाँव की शादी में जाना था। वो मुझसे बहुत बड़ी थी पर लगती एक दम सोलह साल की जवान थी। जिसे देखकर किसी का भी मन डोल जाए। मेरी बुआ के लंबे बाल थे और रंग एक दम गोरा था। चूची भी बहुत बड़ी थी। वो अक्सर मेरे सामने ही कपड़े बदल लेती थी। उस दिन उसने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। वो टाइम गर्मी का था। घरवाले सभी शादी में जा चुके थे। मैं घर पर अकेला ही था।
वो जैसे ही घर पर आई तो बोली- आज गॅप गर्मी बहुत है जा तू घर का गेट बंद करदे और अपने कमरे का एसी चला दे। मैं गया और गेट बंद करके आया। मैंने अपने कमरे का एसी चला दिया। मेरी बुआ कमरे में आई और उसने एक दम अपना साडी का पल्लू हटा दिया। और कुर्सी पर बैठ गयी फिर उसने पूछा के मम्मी पापा कब गये?
पर मैं तो उसके ब्लाउज से उसकी चूची को देख रहा था। ब्लाउज इतना टाइट और हल्का था की उसकी सफेद ब्रा ब्लाउज के अंदर साफ दिख रही थी और चूची एक दम कसी हुई थी। मानो चूची ब्रा और ब्लाउज को फाड़ना चाहती हो। बुआ रात को भी ब्रा ही पहनकर सोती थी। बुआ मुझसे बोली तेरा ध्यान किधर है एक दम मैंने उनकी आँखो की तरफ देखा वो बोली मैं पूछ रही थी कि मम्मी पापा कब गये है? मैंने कहा- सुबह ही गये है।
बुआ बोली- अच्छा चल मैं तेरे लिए कुछ बना देती हूँ। और बुआ उठी और उसने अपनी साडी उतार दी। उस का ब्लू पेटीकोट भी एक दम टाइट ही था। अब बुआ मुझे बिना साडी के बहुत अच्छी लग रही थी वो केवल अब ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही थी। वो ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही रसोई में चली गई। और मेरे लिए खाना बनाने लगी मैं भी रसोई में आ गया और खड़ा हो कर उसे देखने लगा। वो इधर उधर काम करते हुए चलती तो कभी वो मुझसे टकरा जाती कभी उसकी गांड तो कभी उसकी चूत मेरे लंड से टकरा जाती। अब तो बस मेरे मन में यही था कि मैं अपनी बुआ को चोद डालूँ पर डर रहा था कि कही वो मुझे डांटे नही।
अब खाना तैयार था। वो खाना लेकर मेरे कमरे में आ गई और बोली- चल खाले। फिर मैं खाना खाने बैठ गया। बुआ मेरे सामने ही बैठ गयी और वो अपने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करने लगी। उसने अपना पेटीकोट घुटनो तक ऊपर किया और फिर नाड़ा खोल कर पेटीकोट टूंडी से नीचे करने लगी। पर उसने तो मेरी उम्मीद से ज़्यादा ही अपना पेटीकोट नीचे कर दिया था। अब मैं उसकी टूंडी और टूंडी से नीचे भी साफ देख सकता था। क्योंकि उसने पेटीकोट चूत से ऊपर ही कर रखा था। मुझे उसके चूत के ऊपर कुछ काला-काला सा नज़र आया। मैं समझ गया कि बुआ के भी बाल है पर उसने काट रखे है। और उसकी सोनू टांग भी सुन्दर दिख रही थी। जिन पर हल्के-हल्के बाल थे। फिर मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था।
मैंने खाना खाया तो वो बरतन लेने के लिए आगे झुकी तो मुझे उसकी बड़ी-बड़ी चूची के बीच की गहरी लाइन दिख रही थी। बस मैंने अपने मन पर काबू कर रखा था। फिर वो बर्तन लेकर रसोई मे गयी और मैं टी वी देखने लगा। बुआ वापस आई तो चाय बना कर लाई थी। एक कप चाय उसने मुझ को दी और दूसरे कप को लेकर मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई और बोली- आज तो गर्मी बहुत है तू इस एसी को ज़्यादा कूलिंग पर कर।
मैंने एसी की कूलिंग और कर दी। फिर बबुआ अपने ब्लू ब्लाउज के बटन खोलने लगी। मैं तो बस देख ही रहा था। मेरा लंड खड़ा होता गया। बुआ अपने ब्लाउज के बटन खोलकर हाथ ऊपर करके बैठ गई। अब मुझे उसकी ब्रा बिल्कुल साफ दिख रही थी। मेरी नज़र उसकी बगल पर पड़ी तो वहाँ पर बहुत छोटे-छोटे बाल थे। बुआ बोली चल सो जाएँ। और हम चाय खत्म करके बेड पर चले गये।
मैं बेड पर लेट गया और बुआ अपने ब्लाउज के बटन खुले ही छोड़ कर मेरे बराबर में लेट गयी। बुआ ने मुझसे पूछा कुछ परेशानी तो नही हो रही। मैंने कहा नही। मैंने बुआ से पूछा के घर भी आप ऐसे ही सोती हो। वो बोली कैसे? मैंने बुआ के ब्लाउज और ब्रा की तरफ इशारा किया।
बुआ बोली- हाँ जब घर पर कोई नही होता तो मैं अपने सारे कपड़े उतार कर सोती हूँ। फिर वो बोली यहाँ भी तो कोई नहीं है। मैं बोला मैं तो हूँ। वो बोली तू तो मेरा बेटा है। तुझसे कैसी शर्म। जब मैं तेरे सामने कपड़े बदल लेती हूँ तो अब क्या शर्म करो। फिर बुआ ने करवट बदली और दूसरी तरफ मुँह कर लिया।
अब बुआ की गाँड मेरी तरफ थी। बुआ की गाँड ब्लू पेटिकोट में बहुत सुन्दर लग रही थी। बुआ बोली- चल सो जा सुबहा जल्दी उठना है। मैं बस चुप होकर बुआ की गाँड देखता रहा। फिर करीब दस मिनिट बाद,मैंने धीरे से अपनी पैंट उतार दी और बुआ की तरफ मुँह करा और उसकी गाँड पर अपना लंड टेक दिया। बुआ ने भी अपनी गाँड और पीछे कर ली और उसकी गाँड के छेद मे मेरे लंड के कारण उसका पेटीकोट हल्का सा चला गया।
फिर मैं ऐसे ही धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा। फिर मैंने एक हाथ बुआ के पेट पर रखा और धीरे-धीरे उसके चूत के ऊपर के भाग पर और टूंडी के अंदर अपनी उंगलियाँ घूमने लगा। जिससे बुआ जाग गई। और लेटे-लेटे ही बोली क्या कर रहा है,पीछे होकर सो ना। मैं ऐसे हो गया जैसे मैंने सुना ही नही। फिर बुआ ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और सोने लगी।
मैंने फिर अपने हाथ से हरकत शुरु कर दी और बुआ के पीछे से धक्के लगाने शुरु कर दिए। बुआ बोली नही मानेगा। मैं फिर चुपचाप लेट गया। बुआ ने एक हाथ पीछे किया और अपनी गांड से मेरा लंड निकाला और अपनी गांड पर हाथ रख लिया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकर मे से निकाला और बुआ के हाथ पर रख दिया। बुआ ने उस पर हाथ रखा। फिर बुआ ने अपनी गांड से हाथ हटा लिया। शायद बुआ को मेरे लंड की लंबाई और मोटाई पसंद आ गयी थी। फिर मैंने धीरे से उनका पेटीकोट जाँघ तक ऊपर कर दिया ओर पीछे से पूरा कमर तक।
फिर मैंने अपना लंड उनकी गांड पर जैसे ही रखा तो बुआ ने भी पीछे को झटका दिया। मैं समझ गया कि बुआ अब गरम हो चुकी है। पर सोने का नाटक कर रही है। फिर मैंने अपने आपको पीछे किया और बुआ की दोनो जाँघो के बीच में थूक लगाया और दोनो जाँघो में अपना लंड फसा दिया। बुआ ने भी अपनी दोनो जाँघो को कसकर भींच लिया। अब मेरा लंड उनकी दोनो जाँघो को एक गांड की तरह ही चोद रहा था।
फिर मैंने एक हाथ बुआ के आगे से उसके पेटीकोट में डाल दिया। और उसकी चूत पर ले जाने लगा तो बुआ ने अपनी ऊपर की जाँघ को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया। फिर मैंने अपनी बुआ की चूत को छुआ तो उसमें से चिकना पानी निकल रहा था। फिर मैं ने बुआ की जाँघो में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहलाता रहा और उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलता रहा था।
अब बुआ को भी मज़ा आ रहा था। पर वो बोली नही और उसने अपनी टांग उठाकर मेरे पीछे रख दी। और मेरे लंड को हाथ से पकड़कर एक इशारा सा किया। और मेरा लंड उसकी चूत से चिपक गया पर अंदर नहीं गया। मुझे ऐसे ही मज़ा आ रहा था। इसी लिए मैंने कोशिश भी नहीं की उसकी चूत में लंड डालने की।
मैने चूत से लंड हटाकर उसकी गांड के बीच मे रख दिया और धक्के लगाने लगा। बुआ फिर पहले की तरह हो गई। मैंने फिर एक हाथ उसके आगे से उसके पेटीकोट में डाला और चूत की खाल पकड़ कर खींचने लगा। इससे बुआ को दर्द हुआ और वो बोली बहुत देर हो गई तुझे। तू अब सो जा, सुबह जाना नहीं है क्या? मैंने फिर अनसुना कर दिया। मैं अब की बार धक्के लगता रहा। फिर मैंने बुआ की चूत को टटोलना शुरू किया और उसकी चूत को चौड़ा करके सहलाना शुरू कर दिया। अब बुआ को बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि वो भी मेरे लंड पर अपनी गांड का ज़ोर लगा रही थी मानो वो मेरा लंड अंदर करना चाहती हो।
अब मैं झड़ने वाला था। तो मैंने कई झटके ज़ोर-ज़ोर से मारे और बुआ की चूत को ज़ोर से रगड़ने लगा। बुआ की चूत से एक दम गरम पानी सा निकाला और बुआ ने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया। जिससे मैं रुक जाऊं पर मैं रूका नहीं मैं उसकी चूत को कोशिश करके जब तक रगड़ता रहा जब तक के मेरा पानी उसकी गांड के बीच में ना निकल गया। और मैं धक्के मारता रहा, बुआ भी अब धक्के मार रही थी। जिससे मैं जल्दी झड़ जाऊं और उसे छोड़ दूँ। मैंने एक ज़ोर का झटका दिया। तो बुआ ने भी ज़ोर से झटका दिया। और मेरा सारा पानी उसकी गांड के
बीच में ही निकल गया। मैं थोड़ी देर रुका तो बुआ ने मेरा लंड हाथ से ऐसे निकाल दिया जिससे कि मुझे लगे कि उसे कुछ पता ही नही है। पर मैं समझ गया था कि बुआ को सब पता है।
मैं भी दूसरी तरफ मुँह करके लेट गया। फिर मैंने बुआ की साइड मुँह किया। तो मैंने देखा के बुआ का पेटीकोट पीछे से गांड से ऊपर है और आगे से जाँघ तक है। फिर मैं आँख खोलकर देखता रहा की बुआ क्या करेगी? क्योंकि वो शायद मेरे सोने का इंतज़ार कर रही थी। क्योंकि वो मेरे जगाने पर सही करती तो मुझको पता चल जाता की उसे सब पता है। इसीलिए,मैं चुपचाप उसकी तरफ मुंह करके पड़ा रहा जैसे मैं सच में सो गया हूँ। फिर कुछ देर बाद बुआ उठी और उसने मेरे सर पर अपना हाथ फेरा और बेड से खड़ी हो गई। फिर उसने अपना पेटीकोट नीचे किया और और पेटीकोट को देखने लगी। पेटीकोट उसके और मेरे पानी से बहुत गीला हो चुका था। और वो बाथरूम में चली गई जो मेरे कमरे में ही था।
उसने जैसे ही बाथरूम का गेट बंद किया। तो मैं भी बाथरूम के पास गया और गेट के एक छेद में से देखने लगा। मैंने गेट में एक छेद कर रखा था। जिससे की कोई लड़की या औरत मेरे बाथरूम का इस्तेमाल करे तो मैं उसे देख सकूं।
मैंने देखा बुआ अपने आप को देख रही थी। और अपनी चूची को ब्रा के ऊपर से मेरा नाम लेकर दबा रही थी। फिर उसने अपना पेटीकोट उठाया और गांड के पीछे हाथ लगाकर देखा। उसके हाथ पर मेरा पानी आ गया था। तो उसने हाथ को देखा और फिर उसे चाटा भी फिर उसने अपनी चूत से भी हाथ से अपना पानी लिया और उसे भी चाटा। फिर वो पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बैठ गयी। फिर उसने मग्गे में पानी लिया और अपनी चूत और गांड को धोया। फिर खड़ी होकर उसने अपने पेटीकोट मुंह से पकड़ा और और अपनी टांगों से मेरा और अपना पानी धोया। फिर उसने बाथरूम वाला एक टोवल लिया और अपनी चूत, गांड और टांग पूँछी। फिर उसने पेटीकोट नीचे किया और शीशे में देखने लगी। फिर वो बाहर आने के लिए चल दी।
मैंने घड़ी देखी रात का एक बज चुका था। और मैं बेड पर आकर लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। बुआ आई और मेरे बराबर में आकर लेट गई। मैंने देखा बुआ के ब्लाउज के बटन अभी भी खुले और पेटीकोट टूंडी से नीचे था। मैं बुआ की तरफ ही मुंह करके सो रहा था। बुआ ने भी मेरी तरफ मुंह कर लिया। तो उसके पेट से मेरा लंड अंडरवियर के अंदर से टकरया तो मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने फिर अपना लंड निकाला और उसके मुलायम और गोरे पेट पर रगड़ने लगा। बुआ बोली तेरे पास लेट कर तो मैं दुखी हो गयी। तू नहीं सोने देगा।
मैं चुप लेट गया। बुआ थोड़ी ऊपर को हो गई जिससे मेरा लंड उसकी गहरी टूंडी में चला गया। मैं बुआ का मतलब समझ गया था कि उसको मेरा लंड पसन्द आया और अब वो मुझसे फिर मज़ा लेना चाहती। यानी अपनी टूंडी और पेट को चुदवाना चाहती है।
मैं उसकी टूंडी में लंड और अंदर कर के धक्के मारने लगा। अबकी बार मैनें उसकी एक साइड की ब्रा भी ऊपर करदी। और उसकी चूची को मुंह से चूसने और चाटने लगा बीच में उसे काट भी लेता तो वो दर्द से आह सी भरती। फिर मैने पीछे हाथ करके उसके पेटीकोट में हाथ डाल दिया। और उसकी गांड को दबाने लगा। मैं अबकी बार जल्दी झड़ गया और सारा पानी मैंने बुआ की टूंडी में ही छोड़ दिया। जिससे बुआ का पेट गीला हो गया। फिर मैं सीधा हो कर लेट गया। और बुआ के पेट पर हाथ फेरने लगा। जिससे बुआ के पेट पर मेरा पानी सारे में फ़ैल गया।
फिर मैं चुपचाप लेट गया। बुआ ने सोचा मैं सो गया हूँ। तो उसने अपनी ब्रा ठीक की और सो गयी सुबह को जब मैं उठा तो बुआ घर की सफाई कर रही थी। उसने अपना ब्लाउज उतारा हुआ था। वो केवल ब्रा और पेटीकोट में ही थी। पर हम एक दूसरे से नज़र नही मिला पा रहे थे। फिर नहा कर हम शादी में चले गये। इसके बाद बुआ ने मुझे कई बार चोदा और मुझसे चुदवाया।
अगर आपको कहानी अच्छी लगी हो तो आगे लिखूंगा। Antarvasna
प्रेषिका : कार्तिक Antarvasna, हस्तमैथुन करना एक साधारण आदत है जिसे हर पुरुष पसंद करता है। छोटी अवस्था में ही उसे अपने लिंग की पहचान हो जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि घर की नौकरानी बालक को चुप करने के लिए उसके लिंग की मालिश कर देती है। बालक भी थोडा बड़ा होने पर अपने लिंग से खेलना सीख जाता है और आनंद उठाने के लिए अक्सर अपने लिंग को पकड़ कर सहलाता है। थोड़ा और बड़ा होने पर उसे चरम सीमा का आनन्द आने लगता है। कुछ लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं परन्तु जो लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं वे स्वयं भी इस का आनन्द लेते हैं। हाँ, किसी भी बात को अधिकता में करने से हानि होती है यह बात हस्तमैथुन के लिए भी लागू होती है।
वास्तव में हस्तमैथुन शारीरक और मानसिक तनाव को दूर करने का एक अनूठा साधन है। जो राहत हस्तमैथुन से प्राप्त होती है वह सम्भोग से भी प्राप्त नहीं होती। हस्तमैथुन कल्पनाओं की उड़ान पर आधारित होता है और आप कल्पनाओं में किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। आप की कल्पना में संसार के सबसे सुन्दर स्त्री या पुरुष आ सकते हैं, आप अपनी इच्छा से उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप का तीव्रता और धीमी गति पर नियंत्रण होता है। हस्तमैथुन में आपको अपने लिंग की क्षमता प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता नहीं होती। आप और आपका हस्तमैथुन करने का तरीका ही आपके आनन्द की सीमा को तय करते हैं।
हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।
हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।
कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !
हस्तमैथुन का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने हाथ और लिंग पर तेल या कोई चिकना पदार्थ लगा लें, फिर हल्के हाथ से लिंग की मालिश करें जब तक लिंग पूरी तरह से सख्त न हो जाये। लिंग-मुण्ड पर चिकनाई अच्छी तरह लगा कर उसे अपनी उंगली और अंगूठे के बीच प्रवेश कराएँ जैसे किसी योनि या गुदा में प्रवेश करा रहें हों या फिर चारों उँगलियों और अंगूठे को मिला कर गोलाई का रूप दें और उसमें अपने चिकने लिंग को ऐसे प्रवेश कराएँ जैसे किसी के मुख में प्रवेश करा रहें हों, मुखमैथुन मुद्रा में !
सख्त लिंग को कभी भी कस कर न पकड़ें ! चिकनाई के कारण घर्षण ऐसे करें जैसे सम्भोग किया जाता है। कल्पना करें कि आपका हाथ नहीं बल्कि वह आपकी प्रियतमा की योनि, मुख या गुदा है। यदि आप हस्तमैथुन को अधिक देर तक करना चाहते हैं तो बीच बीच में घर्षण क्रिया रोक कर अपने लिंग को सहलाएं या अपने अंडकोषों से खेलें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि दूसरे हाथ की एक उंगली में थोड़ा सा तेल कर उससे अपनी गुदा के चारों ओर और बीच में सहलाएँ। ध्यान रहे कि उंगली गुदा में प्रवेश न करे। ऐसे केवल स्लखित होते समय ही करें। स्लखित होते समय गुदा में उंगली के प्रवेश से आपका चरमसीमा का आनन्द दोगुना हो जायेगा, साथ ही साथ वीर्य निकलने की तीव्रता भी बढ़ जाएगी।
अब जब आपको लगने लगे कि वीर्य स्लखित होने वाला है तो घर्षण की तीव्रता की बढ़ा दें परन्तु हल्के हाथ से ! जोश और तनाव में सम्भव है कि आपकी पकड़ मजबूत हो जाये जिसके कारण नसों पर दवाब भी बढ़ जायेगा जो आगे चल कर हानिकारक हो सकता है।इस समय आपके लिंग में खून का प्रवाह तेज़ी से हो रहा होता है, कस कर पकड़ने से खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है।स्लखित होने से पहले लिंग की स्थिति को निर्धारित करें अर्थात ऊपर की ओर, नीचे की ओर, दायें या बाएं ! एक बार स्थिति बन गई तो फिर आप अपने वीर्य को निकलने दें।
स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग को न छोड़ें, उसे सामान्य स्थिति में आने तक हल्के हाथ से सहलाते रहें। स्लखित होने के बाद लिंग को निचोड़ें नहीं, ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होता। स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग पर ठंडा पानी न डालें। यदि आपको तुरंत साफ़ करने की आवश्यकता है तो गुनगुने पानी का प्रयोग करें या किसी साफ़ कपड़े से लिंग को पोंछ लें अन्यथा 15 मिनट तक लिंग व शरीर को ठंडा होने दें फिर स्नान किया जा सकता है।प्रेषिका : कार्तिक
हस्तमैथुन करना एक साधारण आदत है जिसे हर पुरुष पसंद करता है। छोटी अवस्था में ही उसे अपने लिंग की पहचान हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि घर की नौकरानी बालक को चुप करने के लिए उसके लिंग की मालिश कर देती है। बालक भी थोडा बड़ा होने पर अपने लिंग से खेलना सीख जाता है और आनंद उठाने के लिए अक्सर अपने लिंग को पकड़ कर सहलाता है। थोड़ा और बड़ा होने पर उसे चरम सीमा का आनन्द आने लगता है। कुछ लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं परन्तु जो लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं वे स्वयं भी इस का आनन्द लेते हैं। हाँ, किसी भी बात को अधिकता में करने से हानि होती है यह बात हस्तमैथुन के लिए भी लागू होती है।
वास्तव में हस्तमैथुन शारीरक और मानसिक तनाव को दूर करने का एक अनूठा साधन है। जो राहत हस्तमैथुन से प्राप्त होती है वह सम्भोग से भी प्राप्त नहीं होती। हस्तमैथुन कल्पनाओं की उड़ान पर आधारित होता है और आप कल्पनाओं में किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। आप की कल्पना में संसार के सबसे सुन्दर स्त्री या पुरुष आ सकते हैं, आप अपनी इच्छा से उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप का तीव्रता और धीमी गति पर नियंत्रण होता है। हस्तमैथुन में आपको अपने लिंग की क्षमता प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता नहीं होती। आप और आपका हस्तमैथुन करने का तरीका ही आपके आनन्द की सीमा को तय करते हैं।
हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।
हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।
कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !
हस्तमैथुन का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने हाथ और लिंग पर तेल या कोई चिकना पदार्थ लगा लें, फिर हल्के हाथ से लिंग की मालिश करें जब तक लिंग पूरी तरह से सख्त न हो जाये। लिंग-मुण्ड पर चिकनाई अच्छी तरह लगा कर उसे अपनी उंगली और अंगूठे के बीच प्रवेश कराएँ जैसे किसी योनि या गुदा में प्रवेश करा रहें हों या फिर चारों उँगलियों और अंगूठे को मिला कर गोलाई का रूप दें और उसमें अपने चिकने लिंग को ऐसे प्रवेश कराएँ जैसे किसी के मुख में प्रवेश करा रहें हों, मुखमैथुन मुद्रा में !
सख्त लिंग को कभी भी कस कर न पकड़ें ! चिकनाई के कारण घर्षण ऐसे करें जैसे सम्भोग किया जाता है। कल्पना करें कि आपका हाथ नहीं बल्कि वह आपकी प्रियतमा की योनि, मुख या गुदा है। यदि आप हस्तमैथुन को अधिक देर तक करना चाहते हैं तो बीच बीच में घर्षण क्रिया रोक कर अपने लिंग को सहलाएं या अपने अंडकोषों से खेलें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि दूसरे हाथ की एक उंगली में थोड़ा सा तेल कर उससे अपनी गुदा के चारों ओर और बीच में सहलाएँ। ध्यान रहे कि उंगली गुदा में प्रवेश न करे। ऐसे केवल स्लखित होते समय ही करें। स्लखित होते समय गुदा में उंगली के प्रवेश से आपका चरमसीमा का आनन्द दोगुना हो जायेगा, साथ ही साथ वीर्य निकलने की तीव्रता भी बढ़ जाएगी।
अब जब आपको लगने लगे कि वीर्य स्लखित होने वाला है तो घर्षण की तीव्रता की बढ़ा दें परन्तु हल्के हाथ से ! जोश और तनाव में सम्भव है कि आपकी पकड़ मजबूत हो जाये जिसके कारण नसों पर दवाब भी बढ़ जायेगा जो आगे चल कर हानिकारक हो सकता है।इस समय आपके लिंग में खून का प्रवाह तेज़ी से हो रहा होता है, कस कर पकड़ने से खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है।स्लखित होने से पहले लिंग की स्थिति को निर्धारित करें अर्थात ऊपर की ओर, नीचे की ओर, दायें या बाएं ! एक बार स्थिति बन गई तो फिर आप अपने वीर्य को निकलने दें।
स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग को न छोड़ें, उसे सामान्य स्थिति में आने तक हल्के हाथ से सहलाते रहें। स्लखित होने के बाद लिंग को निचोड़ें नहीं, ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होता। स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग पर ठंडा पानी न डालें। यदि आपको तुरंत साफ़ करने की आवश्यकता है तो गुनगुने पानी का प्रयोग करें या किसी साफ़ कपड़े से लिंग को पोंछ लें अन्यथा 15 मिनट तक लिंग व शरीर को ठंडा होने दें फिर स्नान किया जा सकता है। Antarvasna
हम दोनों आमने सामने Antarvasna Sex Stories ही खड़ी थी, जिमी ने बीच में वह डंडा फंसा कर उसका एक भाग अपनी चूत पर लगा कर और दूसरा मेरी चूत से सटा दिया।
यह नज़ारा बहुत ही रोमांटिक था, हम दोनों ने अपनी अपनी पोजीशन संभाल ली और एक दूसरे की चूचियाँ मसलते हुए अपनी कमर आगे झटकी, डंडे के दोनों सिरे हमारी आँखों से ओझल हो गए, मेरी उत्तेजना का कोई ठिकाना नहीं था, बस इसी तरह हम धीरे धीरे आगे बढ़ते गए और डंडा लुप्त होता गया, कुछ देर में हम दोनों के शरीर आपस में भिड़ गए।
जिमी का अंदाजा सही था, ठीक 6-6 इंच ही हम दोनों के हिस्से आया था, एक अजीब सी मस्ती हम दोनों पर छा गई, हम एक दूसरे की चूची मसलते हुए होंठ चूमने लगी, तभी दरवाजे पर आहट हुई।
‘लगता है बाबूलाल आ गया!’ मैंने खुश होकर कहा।
‘हाँ आहट तो उसी कमीने की है!’ कहते हुए जिमी ने एक झटके के साथ मुझे अपने शरीर से जुदा कर दिया, डंडा फिसलता हुआ मेरी चूत से बाहर हो गया मगर जिमी की चूत मे आधा वैसे ही फंसा था, मेरी आंखे फटी रह गई क्योंकि वह डंडा जिमी के शरीर का ही अंग लग रहा था, जिमी उसी हालत में अपनी चुचियाँ हिलाती हुई दरवाजे की तरफ बढ़ी।
जैसे ही दरवाजा खुला बाबूलाल लड़खडाता हुआ अंदर आ गया, उसकी आँखें सीधी उस डंडे पर जा टिकी- ऐसा लग रहा है यह तुम्हारा ही सामान है मैडम!
उसकी बात सुन कर मुझे हंसी आ गई।
‘अब जमाना आ गया है जब औरतों को डंडे लगवाने पड़ेंगे और तुम मर्दों को झुक कर खाने पड़ेंगे।’ जिमी ने दरवाजा बंद करते हुए कहा।
‘छोड़ो मैडम, यह जमाना अभी बहुत दूर है, आओ पहले तो हमी तुमको अपना डंडा खिलाते हैं।’ उसने अपना पजामा उतार कर एक तरफ रखते हुए कहा।
‘मैं तो बहुत बार खा चुकी हूँ, आज इसे खिलाना है, बेचारी बहुत दिनों से परेशान है।’ जिमी ने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा।
वो जैसे ही मेरी तरफ घूमा मेरा दिल जोर से धड़क उठा, उस समय उसके लंड में हल्की-हल्की उत्तेजना थी लेकिन आकार वही था जो जिमी ने बताया था। यह आदमी है या गधा, मैं यह सोचने को मजबूर हो गई।
‘यह हर परेशानी की दवा है मैडम!’ उसने अपना लंड मुझे दिखाते हुए हिलाया- अब यह आ गया है, सारी चिंता खत्म!
‘हूँ… पहले ही काफी देर हो चुकी है, चलो काम पर लगो!’ जिमी ने उसे मेरी तरफ धकेलते हुए कहा।
बाबूलाल एक ही झटके में मेरे पैरों पे आ गिरा, जिमी भी हंसती हुई मेरे पास आ खड़ी हुई, बाबूलाल औंधे मुंह गिरा था, जैसे ही उसने नजर उपर उठाई उसकी नजर सीधी मेरे चूत पर पड़ी- अरे… बाप… रे… इसमें से तो भाप निकल रही है मैडम!’
बाबूलाल चिल्लाया।
‘क्या मतलब है तेरा?’ जिमी ने अपने पैर से उसका सिर ऊपर उठाते हुए कहा।
‘मतलब साफ है मैडम, इसकी गर्मी से तो मेरा लंड पिघल जाएगा।’ वह हाथ झाड़ता हुआ खड़ा हुआ।
उसकी बात सुन कर मैं दंग रह गई, मैंने झुक कर अपनी चूत देखी मुझे तो कहीं भाप नहीं दिखी।
‘क्या बक रहा है तू?’ जिमी को गुस्सा आ गया, उसने बाबूलाल का लंड पकड़ कर इतनी जोर से झटका मारा कि बेचारा बाबूलाल दर्द से तड़प उठा- मईया… रे मैं तो जा रहा हूँ!
कह कर वो अपने कपड़े उठाने लगा।
उसे जाता देख मैं तो तड़प उठी- हाय… क्यों झगड़ा कर रही हो जिमी? वो जा रहा है!
‘अरे… मैं नहीं वो साला खुद झगड़ा कर रहा है, अगर भाप निकल रही है तो इसमे डरने की क्या बात है?’
‘ज़रा ऊँगली डाल कर देखो, खुद पता चल जाएगा कि मैं क्यों डर रहा हूँ!’
‘ठीक है इसका फैसला अभी हो जाता है!’ जिमी ने बाबूलाल की तरफ देख कर दांत भींचे- अगर तू यहाँ से भागा तो तेरी मूंछे उखाड़ कर तेरे पीछे घुसेड़ दूंगी!’ कहते हुए वो उसी कमरे में गई जहाँ से वो डंडा उठा कर लाई थी जो अब तक उसकी चूत में आधा फंसा हुआ था।
जब वह लौटी तो उसके हाथ में थर्मामीटर था जिससे डॉक्टर बुखार देखते हैं, जिमी ने मुझे बैठा कर मेरी जांघें फैलाई और थर्मामीटर मेरी चूत में आधा फंसा दिया, बाबूलाल भी आँखे फाड़े हुए सामने खड़ा हो गया, तभी एक अजीब बात हो गई, थर्मामीटर मेरी चूत से बाहर उछला और उसके टुकड़े टुकड़े हो गए, हम तीनों की आंखें फटी रह गई।
‘देख… क्या हाल हुआ है थर्मामीटर का! यही हाल इसका होने वाला था!’ बाबूलाल ने अपनी मोटे लंड की तरफ इशारा किया।
‘ओह्ह्ह… अब मेरा क्या होगा जिमी, मैं तो आज बड़ी आशा लेकर यहाँ आई थी यार!’ मैंने तड़प कर कहा।
‘मैंने तुझसे पहले ही कहा था पायल, यह पागल कुतिया की तरह लार टपका रही है।’
‘अब मैं क्या करूँ? कुछ सोच यार, नहीं तो मैं रो पडूँगी!’
‘नहीं…’ वो मेरा कन्धा पकड़ते हुए बोली- आज तुझे नहीं इस पगली को रोना पड़ेगा, इसके आंसू निकलवाना बहुत जरुरी हो गया है।’
उसने बाबूलाल की तरफ देख कर कहा- क्या बोलता है तू?
‘एक गाँधी का नोट और लगेगा मैडम!’ बाबूलाल बोला।
जिमी को गुस्सा आ गया। वो कुछ करती उससे पहले मैंने जिमी से कहा- तुम पैसे दे दो।
‘ठीक है बेटा ले ले तू पैसे, आज मैं भी तुझसे एक एक पैसे का हिसाब लेकर ही रहूंगी।’ जिमी अपने पर्स से रूपए निकाल कर उसे देती हुई बोली।
‘ठीक है.. ठीक है!’ कहता हुआ वह मेरी जांघों के नीचे फर्श पर बैठता हुआ बोला। उसने एक बार कुत्ते की तरह मेरी चूत को सुंघा फ़िर लम्बी जीभ निकाल कर चाटने लगा, उसका स्पर्श बेहद उत्तेजक था। मैं बिन पानी की मछली की तरह छटपटाने लगी।
जिमी मेरे पास बैठ गई, मेरी चूची दबाने लगी और होंठ और गाल चूमने लगी। फिर तो मैं आकाश में उड़ने लगी, मेरा अंग अंग झनझना उठा, मेरी चूत तड़पने लगी, वह मेरी चूत को हाथों से फैला कर चाट रहा था, जिमी ने मेरी चूचियाँ रगड़ डाली, वह उन पर उभरे निप्पल एक बच्चे की तरह चूसने लगी।
मैं मस्ती की वादियों में ऐसा खोई कि मैं अपना नाम पता तक भूल गई। पूरे बदन में मीठी मीठी गुदगुदी उठ रही थी जिसका अहसास मुझे पागल बना रहा था।
मैंने भी कसमसा कर जिमी की छातियों को रगड़ डाला।
उसने तड़प कर मेरे होंठ छोड़ दिये और मस्ती में कसमसा कर एक हाथ से डंडा हिलाने लगी जो बहुत देर से उसकी चूत में फंसा था।
देखते ही देखते आधे से ज्यादा डंडा उसकी चूत में घुस गया था, वह फिर भी उस डंडे को बहुत जोर जोर से हिला रही थी।
‘सी… ई… ई… क्या कर रही है पागल, ऐसे तो ये डंडा टूट जाएगा यार!’ मैंने उसके हाथों को पकड़ते हुए कहा।
‘हूँ… हाँ… छोड़ दे पायल, आज मैं इस डंडे को तोड़ कर ही दम लूंगी!’ उसने मेरा हाथ झटक दिया।
वासना का नंगा नाच शुरू हो चुका था, बाबूलाल ने मेरी चूत चाट चाट कर बहुत सारा रस निकाल दिया था, अब मुझे वहाँ कुछ ठंडक सी महसूस हो रही थी।
अब मैं चूत चटवाने से ऊब गई थी और बाबूलाल को वहाँ से हटा दिया, जब वह खड़ा हुआ तो उसका चेहरा देखने लायक था, उसके होंठ चिपचिपा रहे थे, उसकी मूंछें चूत के रस से भीग कर अकड़ गई थी।
‘हाँ… जी.. अब जरा इसका भी खयाल कर लो!’ वह अपने होंठ चाटता हुआ और अपना विकराल लंड हिलाता हुआ बोला।
‘अरे… इसे कौन छोड़ने वाला है!’ यह कह कर जिमी बेड से कूद गई, उसने इशारे से मुझे भी बुला लिया, मेरे होंठ तो पहले ही फड़फड़ा रहे थे क्योंकि मैंने तीन साल बाद लंड के दर्शन किये थे, हम दोनों पास पास बैठ गई और बाबूलाल का लंड बारी बारी से चाटने लगी।
मैं तो उसे अपने होंठ में दबा कर यह भी भूल जाती कि उसे छोड़ना भी है। जिमी जबरदस्ती खींच कर मेरे मुंह से निकालती।
पुच्च… पुच्च… की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी, बाबूलाल भी खुल कर मैदान में आ गया।
वह लंड चुसाई का भरपूर आनन्द उठा रहा था, 10 मिनट बाद वह बोला- बस करो मैडम, अब इसे छोड़ दो, इस पर रहम करो तो अच्छा है।’
मैं भी अब यही चाहती थी कि जल्द से जल्द चुदाई-लीला शुरु हो जानी चाहिए।
मैंने फर्श पर हथेलियाँ टिकाई और घुटने मोड़ कर एक पशु की तरह झुक गई, बाबूलाल मेरी गांड के पीछे आ खड़ा हुआ, वो अपने लंड के सुपाड़े को मेरी गांड और चूत पर रगड़ने लगा, हम दोनों की चुसाई के कारण उसका लंड एकदम चिकना हो रखा था, चूत पर लंड रगड़ने से मेरी चूत से भी चिकना रस निकलने लगा, तभी उसने एक झटका मारा कि उसका लंड मेरी चूत के छोटे से द्वार में आ फंसा, ऐसा झटका लगा कि मैं उछल पड़ी।
मैंने बाबूलाल से कहा- अरे… भैया, थोड़ा धीरे पेलो! यह जिमी की चालू मशीन नहीं है जिसमें रोज तेल जाता है, यह मशीन तीन साल से बन्द है, पहले इसे ढीला कर लो फिर जैसे मर्जी हो चलाना।
मैंने कराहते हुए कहा।
‘मैडम जी, आप की सहेली मुझे भैया कह रही है?’ बाबूलाल अपना लंड आगे पेलते हुए बोला।
‘तुझे भैया बोल रही है तो तू बन जा इसका सैयाँ! इसकी चूत में ऐसा लंड पेल कि हरामजादी चुदवाना भूल जाये, साली को बहुत खुजली होती है! मिटा दे सारी खुजली।’ जिमी ने उसे और जोश में लाने के लिए बोला।
अब तो बाबूलाल बंदर की तरह उछलने लगा, उसका लंड मेरी चूत की गहराई में उतर कर ऐसी तैसी कर रहा था, ऐसी तैसी तो कर रहा था लेकिन मजा इतना आ रहा था कि उसका बयाँ मैं यहाँ नहीं कर सकती, मेरे शरीर के साथ साथ मेरी चूचियाँ भी हवा में झूल रही थी, मेरे मुंह से ऐसे शब्द फुट रहे थे- हूँ… सा… आ… आ… ..बाश… बाबूलाल, सी… ई… सी… ई… बस ऊँ… आह… मुझे ऐसे ही झूले की तलाश थी रे…!’
बाबूलाल भी मेरी तरह पागल आदमी था, उसने तो मेरा एक एक पुर्जा खोल कर रख दिया, वह बुरी तरह हाँफता हुआ मुझे मस्ती का झूला झुला रहा था, बेचारी जिमी सामने बैठी अपनी चूत मे फंसा डंडा हिला रही थी, अचानक वह उठी और बाबूलाल के पीछे जा खड़ी हुई।
‘ठहर जा बेटा!’ उसने यह कह कर ढेर सारा थूक अपने डंडे पर लगाया और बाबूलाल की थिरकती गांड से सटा दिया- मैं भी अभी तेरी ऐसी तैसी करती हूँ साले…!’
‘आ… आई… मार… दिया बेचारे पापड़ वाले को साली!’
बाबूलाल की दर्द भरी चीख सुन कर मुझे पूरा अंदाजा हो गया कि जिमी ने बाबूलाल के साथ क्या हरकत की है। यह तमाशा सारी रात चलता रहा।
पता नहीं उस बुड्ढे में क्या जादू है। हर रात मैं उसके पास खिंची चली आती हूँ, जिमी भी हमारे साथ होती है, अब मेरी जिन्दगी बड़े आराम से चुदवाते हुए गुजर रही है। Antarvasna Sex Stories
तृतीय भाग से आगे : अगले Antarvasna दिन रविवार था। सभी लोग जल्दी ही उठ गए थे क्योंकि विशाल भैया लखनऊ मेल से सुबह आठ बजे ही आ गये थे। हम लोग विशाल भैया से कोई एक साल के बाद मिल रहे थे। विशाल भैया को मेरे इलाज के बारे में कुछ पता नहीं था। सभी लोग खुश थे, चाय नाश्ते के साथ हंसी मजाक चल रहा था। मैं कुछ जादा ही उत्साहित थी, यह सोच कर कि आज विशाल भैया मुझे चोदेंगे।
अचानक विशाल भैया मेरी तरफ देखते हुए मम्मी से बोले- लगता है रश्मि छोटी की छोटी ही रह जाएगी, बढ़ेगी नहीं।
इस पर मम्मी ने मेरे इलाज के बारे में विशाल भैया को विस्तार से, गम्भीरता से बताया।
ठीक है ! मैंने भी डाक्टर लाल का नाम सुना है काफी मशहूर हैं, उन्होंने जो राय दी है वह ठीक है। जब तक मैं यहाँ हूँ। मैं ही अपना वीर्य पिला दूंगा !
और फिर हंसी मजाक चलने, होने लगा।
विशाल भैया चाय नाश्ता करने के बाद मम्मी से बोले- बुआ जी ! मुझे नींद आ रही है मैं रात को सो नहीं पाया।
मम्मी बोलीं- ठीक है, तुम स्लीपिंग सूट पहन कर कुछ देर आराम कर लो, जब खाना तैयार हो जाएगा, तब मैं तुमको उठा दूंगी।
इसके बाद मेरे फूफा अपने काम से बाहर चले गए, मम्मी और मैं खाने की तैयारी में लग गए।
खाना एक बजे तैयार हो गया। मम्मी ने मुझ से कहा- जाकर विशाल को जगा कर खाने के लिए बुला लो।
मैं भैया को उठाने के लिए उनके कमरे में गई। विशाल भैया सो रहे थे लेकिन उसका लंड पजामे के अन्दर पूरी तरह से खड़ा दिख रहा था। तभी मेरे दिमाग में सुबह की डोज लेने का खयाल आया और मैं उनके लंड को पजामे के ऊपर से ही पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। इतने में भैया की आँख खुल गई हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ सामान्य तरीके से देखा।
मैंने अपना हाथ लंड पर से हटा लिया और बोली- आप जब सोए हुए थे तो आप का लंड पूरी तरह से खड़ा था, देखिए अभी भी खड़ा है ! यह बताइये कि आप सपने में किसको चोद रहे थे? इतने में मम्मी भी कमरे में आ गईं, उन्होंने मेरी बातें सुन ली और भैया के पजामे की तरफ देखने लगी जिसमें भैया का लंड अभी भी ठुनकी मार रहा था और भैया उसको बैठाने की कोशिश कर रहा था …
हाँ विशाल ! बताओ… कोई लड़की है जिसकी तुम लेते हो?
विशाल भैया थोड़ा सा शरमाते हुए बोले- रेनू ! मेरी क्लास-मेट है !
अच्छा तो तुम उसी को नींद में चोद रहे थे… मम्मी ने व्यंग्य में कहा।
भैया मुस्कराने लगा।
फिर मम्मी ने कहा- चलो, अभी तुम्हारा मूड है ! रेनू समझ कर अपनी फुफेरी बहन को सुबह की डोज दे दो फिर आकर खाना खा लेना।
यह कहते हुए मम्मी कमरे से बाहर निकल गई।
विशाल अभी भी लेटा था उसने मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखा और बोला- चल रश्मि पहली बार चुदने के लिए तैयार हो जा।
मैं बोली- मैं तो सुबह से ही तैयार हूँ…
तो आ जा ! मेरा लंड पजामे के बाहर निकाल ! इसने भी बहुत दिनों से चूत के दर्शन नहीं किये हैं, तेरी अनचुदी चूत को चोद कर यह मस्त हो जाएगा।
फिर मैने विशाल का पजामा पूरा उतार दिया. उसका लंड अभी भी खड़ा था, मैं गप्प से मुँह में ले कर चूसने लगी। भैया का लंड और कड़ा हो गया। मैं लंड के सुपारे को कस कर चूस रही थी, भैया मेरे मुँह को कायदे से चोद रहा था।
पांच मिनट के बाद वह बोला- तुम अपने सारे कपड़े उतार दो ! अब मैं तुम्हारी चूत को चोदूँगा।
मैंने सारे कपड़े उतार दिए। फिर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी टांगें फैलाई और फिर 69 की अवस्था में मेरी चूत को चाटने लगा। मैं उसके लंड को कस कर चूसने लगी। जैसे जैसे भैया मेरी चूत को चूस रहा था, वैसे-वैसे मेरी चूत में चुदाई की चाहत बढ़ती जा रही थी, मेरी चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ना शुरू कर दिया था। भैया का पूरा चेहरा मेरी चूत के पानी से भीग गया था।
भैया ने कहा- तुम तो बहुत जबरदस्त झड़ती हो ! लगता है तुम्हारी चूत अब चुदने के लिए तैयार है।
मैंने कहा- जी भैया… !
और फिर विशाल उठ कर बैठ गया और मेरी टांगें फैलाकर अपना फनफनाता हुआ लंड मेरी चूत के मुँह पर रख कर धीरे से अन्दर की तरफ ठेला।
हालांकि भैया का लंड थोड़ा पतला था लेकिन लम्बा था। फिर भी सुपारा घुसते ही मेरा चेहरा दर्द के मारे लाल हो गया।
भैया ने मेरी तरफ देखा और बोले- दर्द हो रहा है?
मैंने कहा- हाँ… बहुत दर्द हो रहा है।
भैया बोले- बस थोड़ा सा सह लो ! अभी यह दर्द मस्ती में बदल जएगा।
और भैया लगा कस कर पेलने।
भैया ने सही कहा था ! करीब 5मिनट के बाद मेरा सारा दर्द गायब हो गया था और मैं भैया से चिपटने लगी। विशाल मुझे कस कर चोदे जा रहा था !
मेरे मुँह से अनायास ही निकलने लगा- … ओह्ह्ह्ह्ह……आह्ह्ह्ह्… और कस कर चोदो मेरे अच्छे भैया… ओह माई गॉड प्लीज और अन्दर तक पेलो, मेरी बुर को चोद चोद कर भक्काड़ा कर दो प्लीज भैया… प्लीजऽऽऽ !
इस अलौकिक आनन्द से जैसे मैं पागल हुई जा रही थी और कई बार मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे बुर से पानी का फव्वारा निकला हो।
इतने में भैया ने झट से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मुझसे बोले- ले मेरे लंड को जल्दी से चूस ले ! माल निकलने वाला है !
मैंने तुरन्त उनका लन्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी ही देर में भैया का ढ़ेर सारा वीर्य मेरे मुँह में भर गया, मैं तुरन्त वीर्य को गटक गई भैया का वीर्य काफी स्वादिष्ट था।
इसके बाद हम लोग खाना खाने चले गए।
क्रमश: ………….. Antarvasna
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