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Local area of South Goa

Massage Girl in South Goa: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in South Goa who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in South Goa that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The South Goa massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in South Goa who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your South Goa massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This South Goa massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in South Goa who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in South Goa employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in South Goa helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in South Goa

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in South Goa at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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हेलो दोस्तो, Antarvasna Stories

मैं सुरेश यादव लुधियाना से हूँ Antarvasna Stories पर मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हूँ। मैं अन्तर्वासना पर रोज कहानियाँ पढ़ता हूँ। मेरे मन में विचार आया कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के सामने रखूँ और आपके प्यारे विचार जानूँ !

मेरी साथ वाली गली में मेरा दोस्त सुयश रहता है। जनवरी २००९ में उसकी शादी हो गई। मेरे दोस्त सुयश की बीबी और मेरी भाभी सोनिया जो नई नई शादी करके आई थी, थी बड़ी सेक्सी ! क्योंकि मुझे शादीशुदा औरतें अच्छी लगती हैं, इसलिए मैं उसको देखने सुयश के घर जाया करता था। पर मुझे नहीं पता था कि मैं सोनिया को देखने जाता हूँ और सुयश की बहन नीलम मुझे देखती थी।

यह सब दो महीने चलता रहा पर एक दिन नीलम ने मुझे पकड़ के बोली- १ ४ ३

मैं बोला- यह क्या ?

तो बोली- मैं तुमसे प्यार करती हूँ !

मैं बोला- तेरी भाभी घर में है, अगर सुन लिया तो ?

वो बोली- कोई बात नहीं, भाभी के भी तो पुराने यार हैं, भाभी ने ही बताये हैं, भाभी मेरे से सारी बात कर लेती है तुम न डरो ! भाभी ने बोल दिया है !

चलो फिर मेरा तो काम बन गया- भूखे को चाहिए रोटी !

मैं तो खुश हो गया पर नीलम ने हाथ भी नहीं लगाने दिया !

बोलती है शादी के बाद !

मैंने सोचा- चलो कोई बात नहीं, मैं इससे शादी करा लूंगा क्योंकि वो है बड़ी प्यारी ! खैर मैं भी नीलम से प्यार करने लगा, नीलम तो मेरे से प्यार करती ही थी।

इसके दो महीने बाद मेरी और उसकी शादी की बात चली पर नीलम के घरवाले नहीं माने और उसकी शादी जालंधर में पक्की कर दी। मैं और नीलम दुखी हो गये और आत्महत्या के बारे में सोचने लगे।

पर सोनिया भाभी ने बोला- जिन्दगी जीने का नाम है, कभी भी जिन्दगी से हारना नहीं !

इसलिए हमने मरने का विचार छोड़ दिया पर नीलम बोलने लगी- मैंने सुहागरात तो तुम्हारे साथ ही मनानी है !

तो भाभी बोली- चलो, मैं यह काम करा दूँगी !

मेरा दिल नहीं मान रहा था पर हम जिससे प्यार करते है उसकी ख़ुशी के लिए तो कुछ भी कर सकते हैं।

खैर धीरे-धीरे शादी का दिन भी आ गया। भाभी ने अपनी जान पहचान वाली का ब्यूटी-पार्लर बुक कर लिया और उसको पैसे दे कर बोल दिया कि हमने यहाँ क्या क्या करना है !

खैर भाभी ११ बजे नीलम को ले करके ब्यूटी-पार्लर आ गई और एक बजे मुझे बुला लिया। जब मैं पार्लर के भीतर गया तो नीलम क्या गजब की लग रही थी ! लाल रंग का लहंगा-चोली पहन रखी थी, हाथों में लाल रंग का चूडा, मेहंदी लगाई हुई थी, बाल खुले थे, लाल रंग की लिपस्टिक लिप लाइनर के साथ में, नाक में नथ पहन रखी थी, आँखों में काजल और आई-शैडो, कुल मिला के बहुत प्यारी लग रही थी। फिर भाभी मुझे अन्दर के कमरे में ले गई जहाँ पर बेड सजाया था।

फिर भाभी वहीं पर बैठ गई और बोली- तुम लग जाओ ! कोई परेशानी होगी तो मैं यहीं पर हूँ !

फिर मैंने बोला- हमें तो पता नहीं कि कैसे करते हैं !

तो भाभी बोली- इसीलिए तो मैं यहाँ हूँ !

फिर भाभी बोली- की तुम इसके मम्मे दबाते-दबाते और चूमते-चूमते कपड़े उतारो, और नीलम तुम भी लंड को पकड़ो और कपड़े उतारो !

इस तरह करीब १५ मिनट चूमा-चाटी करने के बाद हमने एक दूसरे को नंगा किया। फिर भाभी ने बेड पर नीचे मुझे और ऊपर नीलम को लिटा के मुझे उसकी चूत और उसको मेरा लंड चूसने को कहा जब तक कि पानी ना निकल जाये।

नीलम को तो मेरा लंड चूसने से उल्टी भी आ गई पर वो नहीं मानी, जब तक मेरा पानी नहीं निकल गया !

मैं भी जोश में आ गया और नीलम की चूत चूसने लगा। चूत चूसने से नीलम काफी गरम हो गई और उसको हिचकियाँ आने लगी। मैं रुक गया पर नीलम ने रुकने नहीं दिया और फिर नीलम का शरीर अकड़ गया और नीलम ने पानी छोड़ दिया। मैं सारा पानी चाट गया जो कि थोड़ा नमकीन और कुछ खट्टा सा लगा।

फिर भाभी ने चुदाई करने को कहा।

हम थोड़ी देर तक एक दूसरे के जिस्म से खेलते रहे, इस तरह से फिर गर्मी चढ़ गई। फिर मैं नीलम की टांगों के बीच में आ गया, अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और मम्मे को मुँह में ले के चूसता रहा। यह करने को भाभी ने ही बोला था। इस तरह से करीब ५ मिनट में नीलम चीखने लगी।

तब भाभी ने बोला- अब लंड डाल दो ! और एक बार में ही डालना !

मैंने ७ इंच का लंड चिकनी चूत में एक बार में ही डाल दिया पर मेरी भी जान निकल गई और नीलम की भी !

मेरी भी सील टूट चुकी थी और नीलम की भी !

बड़ा दर्द हो रहा था, भाभी दोनों को हौंसला दे रही थी !

खैर थोड़ी देर बाद चुदाई शुरु हुई। फिर तो मुझे भी बड़ा मजा आया और नीलम को भी !

इस तरह से हमने सुहागदिन मनाया !

यह मेरी चुदाई की कहानी थी, हमें इतना मजा आया कि अब मैं खोज रहा हूँ कि कोई मिले पर कोई मिलती नहीं !

मुझे मेल करें ! Antarvasna Stories

Antarvasna Stories

शर्मा जी और हम पास पास ही Antarvasna Stories रहते थे। दोनों के ही सरकारी मकान थे। मेरे पति और शर्मा जी एक ही कार्यालय में कार्य करते थे। शर्मा जी का भाई पास ही में एक किराये के मकान में रहता था और एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता था।

पति के ऑफ़िस जाते ही शर्माजी की पत्नी मेरे घर या मैं उसके घर आते जाते थे। शादी के बाद हम बीवियाँ पति से तो चुदती ही रहती हैं, पर मन तो करता है ना कि कोई नया लण्ड भी तो चूत में घुसे।

शादी यानी कि लण्ड के चूत में घुसाने का लाईसेन्स… चूत का पर्दा तो चुदते ही फ़ट जाता है फिर चाहे कोई भी लण्ड हो, उसका स्वागत कर सकते हो। यानि हम बीवियो को शादी के बाद लण्ड लेने में छूट मिल जाती है।

शर्मा जी का भाई पप्पू… शर्मा जी के जाते ही आ जाता था फिर वो काफ़ी देर तक वहीं रहता था। उसकी ड्यूटी दिन को दो बजे से चालू होती थी, सो खाना उन्हीं के यहाँ खाता था।
पप्पू मुझे बहुत ही पसन्द करता था, करेगा क्यो नहीं… मैं भरपूर जवान जो थी… दुबली पतली, लम्बी, सुन्दर सी थी। मैं अधिकतर घर पर ढीला ढाला सा पजामा पहना करती थी और ऊपर एक कुर्ता।
मेरे उत्तेजना से भरपूर दोनों गोल गोल सुन्दर चूतड़ पप्पू को बहुत ही भाते थे। पप्पू का काम था कि पीछे से मेरे उभरे हुए चूतड़ो की चाल देखना और बस मेरे कुर्ते में झांकते रहना और उसकी भरपूर कोशिश यही रहती थी कि मेरे कहीं से भी चूंचियों के दर्शन हो जाये।

मैं यह सब समझती थी और उसका मनोरंजन उसे अपनी चूंचिया दिखा कर करती थी। इससे मेरा भी मनोरंजन हो जाता था। शरम तो बहुत आती थी पर क्या करुँ यह चूत है ही ऐसी चीज़ कि कोई लण्ड जहाँ नजर आया और फ़ड़क उठी।

मुझे अब धीरे धीरे पप्पू और नीता पर शक होने लगा था कि उन दोनों के बीच चुदाई का सम्बन्ध है… पर उन्हें कैसे पकड़ें…
एक बार उन्हें पकड़ लिया तो मैं अपने आप को चुदा लूँ ।

मैं एक बार पप्पू के आते ही चुपके से उसके घर में चली आई और बेडरूम वाली खिड़की से अन्दर का जायजा लिया। मेरा शक एकदम सही निकला। दोनों आलिंगनबद्ध थे और एक दूसरे को चूम रहे थे।

मेरे जिस्म में झुरझुरी सी आ गई। दिल में वासना जागने लगी। मैं आवाज लगाती हुई अन्दर चली गई, वो दोनों ही दूसरे काम में लग गये थे। मैंने भी अब अपने जलवे दिखाने की सोची और पप्पू को अपने लिये भी पटाने था, उसकी योजना बनाने लगी। आज मैंने उसे अपने चूतड़ भी उभार कर दिखाये, चूंचियो के दर्शन भी करा दिये और बड़ी समझदारी से उसे एक इशारा भी दिया कि मुझे पटा लो। पता नहीं मेरे इशारे ने कितना काम किया?

अगले ही दिन मैंने नीता और पप्पू को अपने ही घर की खिड़की से उन्हें लिपटे हुए देख लिया, मैंने खिड़की के पास जाकर और गौर से देखा, पप्पू नीता के बोबे दबा रहा था। मेरी चूत एकाएक फ़ड़क गई। लगा शायद मुझे ही दिखाने के लिये ये सब किया था।

मैं उत्साहित हो गई। मुझे लगा कि मुझे वहाँ जाकर मुझे कोशिश करनी चाहिये, शायद काम बन जाये। मैंने घर का काम जल्दी से समाप्त किया और नीता के घर में आ गई।

नीता से बातचीत में मैंने उससे कहा- नीता, यार आजकल मेरा मन बहुत ही भटक रहा है, दिल को चैन नहीं आ रहा है !’ मैंने उसे अपने मन की बात खोलने की कोशिश की।

‘मुझे पता है, ऐसा जब होता है जब मन में कोई इच्छा होती है !’ नीता ने मुझे उकसाया, मैं उत्साहित हो गई।

‘हाँ, मुझे ऐसा लगता है कि कोई बस आकर मेरे ऊपर चढ़ जाये और बस मेरा कल्याण कर दे !’ उसे मैंने एक स्पष्ट इशारा दिया।

‘ओह हो… यानि नीचे की बैचेनी है… अनिल है तो सही…!’ उसने इशारा समझा और मुझे परखने लगी।

‘नहीं कोई और चाहिये… नया !’ मैंने उसे इशारा किया।

वो सब समझ चुकी थी, सीधे मेरे दिल पर चोट की- पप्पू चलेगा क्या…?’

उसने ज्यों ही पूछा, मैंने अपनी निगाहें शरमा कर झुका ली, हाँ में सर हिलाया।

‘अरी मुँह से तो बोल ना मोना… ‘ मैं शरमा कर भाग गई।

दिन को मैं वापस गई… तो सोफ़े पर पप्पू नीता की चूंचियों से खेल रहा था, उसके कुर्ते का एक भाग ऊपर करके उसे दबा रहा था। नीता का मुँह मेरी तरफ़ था।

मैं जैसे ही दरवाजे पर आई नीता में मुझे देख लिया और हाथ से इशारा कर दिया, कि बस देख लो। पप्पू को नहीं बताया कि मैं दरवाजे पर हूँ।
उसने पप्पू का सर अपनी चूंचियो पर दबा लिया और मुझे देख कर मुस्करा उठी और अपनी चूंचियाँ भचक भचक करके उसके मुँह में मारने लगी। जैसे पप्पू दूध पी रहा हो। अचानक पप्पू ने मेरी तरफ़ देखा।

‘क्या हो रहा है जनाब… ‘मैंने कटाक्ष किया।

‘ये पप्पू मुझे प्यार बहुत करता है ना, इसलिये मुझसे चिपका ही रहता है।’ नीता ने बनावटी हंसी हंस दी।

‘पप्पू जी, हमें भी तो कभी करके देखो ना… ‘मैंने पप्पू को सीधे कहा।

‘मोना जी… आप तो मजाक करती हैं !’

‘ना जी, मजाक कैसा… अच्छा एक बार और नीता को प्यार करके दिखा दो ना !’ मेरी नजरें जैसे उसे न्योता दे रही थी।

नीता मुस्करा उठी और उसने पप्पू को प्यार से चूम लिया। पप्पू ने भी नीता को चुम्मा दिया और फिर पप्पू के होंठ नीता के होंठ से मिल गये। पप्पू का एक हाथ नीता के स्तनों पर आ गया और दूसरा उसकी सेक्सी जांघ पर आ गया।

मैं यह सीन देख कर पसीने पसीने हो गई। मुझे उम्मीद नहीं थी, मुझे खोलने के लिये वो मेरे सामने ही मस्ती करने लगेगी। मेरे हाथ पांव जैसे कांपने लगे। वासना के डोरे मेरी आखो में खिंचने लगे।

नीता ने अब मेरे सामने ही पप्पू का लण्ड पेण्ट के ऊपर से थाम लिया। उसके मोटे लण्ड का शेप उसके हाथों में नजर आने लगा।

‘पप्पू , बस भई बहुत प्यार हो गया… अपनी दूसरी भाभी को भूल गया क्या…?’ मेरी आवाज वासना से भर उठी थी।

‘देख ना मोना, मुझसे कितना प्यार करता है ये… बस मुझे छोड़ता ही नहीं ‘नीता ने मुझे आंख मारी, और उसका सलोना लण्ड हाथों में कस लिया। मैं तो वैसे भी पिघलती जा रही थी।

‘मुझे भी तो एक बार प्यार कर ले ना !’ मेरे मुख से निकल पड़ा… बिल्कुल ऐसे ही…

‘मोना भाभी… आप तो बहुत ही नाजुक हैं, आओ यहाँ बैठो… प्यार करने से तो दिल खुश हो जाता है !’उसे मेरा हाल मालूम हो चुका था।

मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैं उसके पास बैठ गई। वो मेरे पास आ गया और गहरी नजरों से मुझे निहारने लगा, आंखो आंखो में सेक्सी इशारे होने लगे, मैं कभी तिरछी नजर से उसे देखती कभी लण्ड की ओर इशारा करती। कभी चूंची उभारती और कभी आंख मारती।

हमारी हालत देख कर नीता कह उठी- अच्छा मैं चाय बना कर लाती हूं… पप्पू मेरी सहेली है ये ! प्यार अच्छे से करना… !’
नीता ने मेरे हाथ दबाते हुये कहा।

यानि अब मुझे एक नया, ताज़ा लण्ड मिलने वाला था। नीता ने मुझे बहुत ही प्यार से पप्पू को मेरे लिये तैयार कर लिया था।

पप्पू की बाहें अब मेरे गले और कमर के इर्द गिर्द लिपट गई। मेरा जिस्म डोल उठा। चूंचियाँ दबने के लिये मचल उठी। मेरे और उसके होंठ चिपक गये। उसके होंठो पर प्यार करने का अन्दाज बड़ा मोहक था। कुछ क्षणो में मेरे बोबे दब गये। मेरे मुख से आह निकल गई। जिस्म में वासना का उबाल आ रहा था।

उसके हाथ मेरे कुर्ते के अन्दर पहुंच गये थे। मेरी चूंचियो के निपल को उसने अपनी अंगुलियो से मलना चालू कर दिया। मैंने उसका लण्ड पेण्ट के ऊपर से थाम लिया। उसकी पेण्ट की ज़िप खींच कर खोल दी और उसका कड़कता लण्ड खींच कर बाहर निकाल दिया। उसका सुपाड़ा को चमड़ी खींच कर बाहर निकाल दिया।

‘चाय आ गई है… चलो नाश्ता कर लो… अरे ये क्या… प्यार करने को कहा था… मोना ये क्या करने लगी… ‘ पप्पू के सुपाड़े को देख कर नीता ने अपना व्यंग का तीर छोड़ा।

मैं तुरन्त सम्भल कर बैठ गई, शरमा कर नीची नजरें कर ली, मैंने धीरे से नीता की ओर देखा और मुँह छुपा लिया।

‘बस बस , चाय मैं दे देती हूँ… ‘नीता ने हंस कर चाय दे दी।

‘पप्पू अपने छोटे पप्पू को तो भीतर कर लो…!’
पप्पू हंस पड़ा और मैं शर्म से झेंप गई।

मैंने जल्दी से शरम के मारे चाय समाप्त ही और उठ कर जाने लगी। नीता ने मुझे पकड़ लिया बोली- कहाँ चली गोरी, तेरी चूत में तो आग लगी थी ना… आजा अब मौका है तो बुझा ले… तुझे एक बात बताऊँ !’

मैंने प्रश्नवाचक निगाहो से उसे देखा।

‘तुझे जब से पप्पू ने देखा है ना, तब इसका लन्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा है, यानि तूने मुझे कहा, उससे भी पहले !’

‘चल हट… झूठ बोलती है !’

‘हाँ री… तेरे को पटाने के लिये हम ऐसे ही एक्शन करते थे कि तुझे शक हो जाये… और तू हमें छुप छुप कर देखे !’

‘हाय रे ! मुझे तो तुम दोनों ने बेवकूफ़ बनाया… !’ मुझे उसके दिमाग की तारीफ़ करनी पड़ी।

‘जब तेरी चूत में आग लग गई तो तुझे चोदना और भी आसान हो गया और देख अब तू चुदने वाली है !’

मैंने भागने की सोची पर पर पप्पू ने मुझे दबोच लिया और बिस्तर पर पटक दिया।
मैं बिना वजह उसकी बाहों में कसमसाने लगी। दिल तो कर रहा कि हाय जालिम, इतनी देर क्यूँ लगा रहे हो? चोद डालो ना।

‘हाय पप्पू, मुझे अब चोद डालोगे…?’ मेरे मुख से दिल की बात निकल पड़ी।

‘हाँ मेरी मोना भाभी… मुझसे रहा नहीं जा रहा है…! आपकी जगह नीता भाभी को चोद चोद कर उनकी चटनी बना डाली थी… अब तुम मिल ही गई हो… तो कैसे छोड़ दूं?’ उसका शिकायती स्वर था।

नीता ने लपक कर मेरे हाथ पकड़ लिये। पप्पू ने मेरे बोबे भींच दिये, और मेरे ऊपर चढ़ गया।

‘मोना… बुझा ले अपनी प्यास मोना… नये लण्ड से… मुझे तो ये पप्पू रोज ही जम कर चोदता है !’ नीता वासना से भरे हुये स्वर में बोली। उसकी आंखो में भी गुलाबी डोरे उभर आये थे।
‘नीता… हाय रे ! मुझे बहुत शरम आ रही है… तू जा ना यहाँ से… मैं चुदा लूंगी !’ मैंने मुँह छुपाते हुये कहा।

‘ना… ना रे… मुझे भी तो चुदना है ना… पप्पू अपना लौड़ा निकाल ना… चोद डाल मेरी सहेली को !’ नीता की आवाज वासना में डूबी हुई थी।

‘हाथ छोड़, मैं निकाल लूंगी इसका लौड़ा… ‘ मैंने अपना हाथ नीता से छुड़वाया और उसकी पेण्ट का हुक खोल दिया। पप्पू ने अपनी पेण्ट उतार दी।

मैंने उसका लण्ड पकड़ कर अपने मुँह तक खींचा, उसने अपना कड़क लण्ड आगे आ कर मेरे मुँह में डाल दिया।
‘तू उधर देख ना नीता… मुझे मन की करने दे ना… !’

‘कर ले ना यार… लण्ड चूसना है ना, तो चूस ले… मैं तेरी चूत का मजा ले लेती हूँ…’

‘नहीं, मत कर नीता… प्लीज…!’

नीता ने मेरी एक नहीं सुनी और जल्दी ही मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। मैंने अपने पांव चौड़ा दिये और चूत खोल दी। मेरी छाती पर पप्पू बैठा था और मेरे मुँह में उसका लण्ड घुसा था।
उधर मेरी चूत नीता के कब्जे में आ चुकी थी। वो मेरे चूत के दाने को जीभ से चाट चाट कर मुझे मदहोश कर रही थी।

अचानक नीता ने अपनी एक अंगुली मेरी गान्ड में घुसेड़ दी। मुझे असीम आनन्द आने लगा।

पप्पू के लण्ड के सुपाड़े के छल्ले को मैंने कस के चूस लिया और वो एक बारगी तो तड़प उठा। सुपाड़ा फूल कर लाल टमाटर की तरह हो गया था। उसने नीता को हटाया और स्वयं मेरे ऊपर लेट गया। उसका फ़ूला हुआ सुपाड़ा मेरी चूत पर रेंगने लगा था। मेरी चूत ऊपर उठ कर लण्ड को लीलना चाह रही थी।

ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा मुझे… वो अपने आप निशाने पर मेरी चिकनी चूत से टकरा गया… और हाय रेऽऽऽऽऽ… उसका मोटा लण्ड मेरी चूत में घुस पड़ा। मैं सिसक उठी। चूत और ऊपर उठ गई। मेरा बदन कसक उठा। शरीर में एक मीठी सी लहर दौड़ गई।

‘मेरे भगवान… आह… कितना मजा आ रहा है… और मैंने भी अपनी चूत को ऊपर उठा कर पूरा जोर लगा दिया। लण्ड सभी हदों को पार करता हुआ… मेरे चूत की तलहटी तक पहुंच गया था। लण्ड को मेरी चूत ने पूरा लील लिया था।

अब मैं कुछ देर तक इसी तरह रह कर लौड़े का पूरा आनन्द लेना चाहती थी। सो मैंने उसे उसकी कमर को कस कर जकड़ लिया। लण्ड ने एक ठोकर और मारी और मेरी आंखे मस्ती में बंद हो गई। वो अपने लण्ड को जोर से चूत की गहराई में गड़ाने लगा था।

मेरी चूत अपने आप अब थोड़ी थोड़ी लण्ड को घिसने लगी थी। तेज मीठी जलन होने लगी थी। जैसे चूत में आग लग गई हो। मेरी सिसकारियाँ उभरने लगी। मुझे गाण्ड में कुछ मोटा मोटा सा लण्ड जैसा लगा,… आह रे ये क्या… नीता ने मेरी गाण्ड में तेल लगा डिल्डो घुसा दिया था।

‘रानी अब पूरा मजा ले… ये तेरी गाण्ड में सुरसुरी करेगा… चूत में लण्ड मजा देगा !’नीता ने मुझे पूरी तरह से अपने वश में कर लिया था।

‘हाय मेरी नीता… तूने तो आज मेरा दिल जीत लिया है… तेरी जो मर्जी हो वो कर… मुझे चाहे मार डाल… !’ मैं स्वर्गीय आनन्द से विभोर हो उठी, मेरी चूत जल उठी, बदन वासना की तेज तरंगों में नहा उठा। जिस्म का कोना कोना मीठी सी वासना से जल उठा।

मेरी गाण्ड में नीता बड़ी मेहनत के साथ डिल्डो पेल रही थी। मुझे दोनों ही पूरा शारीरिक वासना का सुख देने की कोशिश कर रहे थे। अब मैंने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया और धक्कों का मजा लेना चाहती थी।

पप्पू की कमर को छोड़ते ही उसके चूतड़ उछल पड़े और मेरी ढीली चूत पर जम कर लण्ड को ठोकने लगा। साला लण्ड पूरी गहराई तक घुसता और बाहर आ जाता था। सुख से मैंने आंखें कस कर बंद कर ली।

मेरी चूत भी फ़्री स्टाईल में उछल उछल कर उसका साथ देने लगी। जितनी जोर से वो धक्के मारता, मैं भी जवाब उतने ही जोश से तेज धक्का मार देती। इसी चक्कर में मेरे नसें खिंचने लगी… जिस्म ऐंठने लगा… सभी कुछ जैसे चूत से बाहर आ जाना चाहता हो… मीठी सी जलन अब आग सी हो गई… मैं झुलसने लगी… जैसे जल गई…

‘आह पप्पू… हरामी साला… चुद गई ! हे मेरे मालिक… गई मैं तो… जोर लगा रे…!’

उसके एक झटने ने अब मेरी आखिरी सांस भी निकाल दी… ‘ईईई… आह्ह्ह्ह्… निकला मेरा… ऊईईईई… पप्पू… बस ऐसे ही चोदता रह… मेरा पूरा निकल जाने दे…!’

पर कहाँ… वो तो धक्के मारते मारते… खुद ही ढेर हो गया। और उसका माल निकल पड़ा। उसका वीर्य मेरी चूत में भरने लगा।

नीता ने डिल्डो मेरी गान्ड से बाहर निकाल लिया। मैंने दोनों हाथ बिस्तर पर फ़ैला लिये और जोर जोर से अपनी फ़ूली हुई सांसो को नियंत्रित करने लगी।

पप्पू मेरे ऊपर से हट गया और नीता अब मुझे प्यार करने लगी… ‘मोना मेरी… नये लण्ड का पूरा मजा आया ना… मेरे पप्पू ने तुझे आनन्द दिया ना… ‘नीता मुस्कराने लगी।

‘नहीं नीता… तेरा नहीं नहीं, अब तो वो मेरा भी पप्पू है’ मैंने भी अपनापन दिखाया।

पप्पू अब नीता के कपड़े उतारने में लगा था।
‘हाय, मोना अब ये मुझे भी नहीं छोड़ने वाला है… अब मैं चुदीऽऽऽऽ… हाय !’ नीता के मुँह से वासनाभरी आह निकल गई।

मैंने पप्पू की गाण्ड सहलाते हुये उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया। वो नीता की चूंचियाँ मसलने में लगा था।

मेरी इच्छा अभी बाकी थी… मेरी गाण्ड उदास हो चली थी कि अब ये नीता को चोदेगा तो वो दो बार झड़ जायेगा, फिर मेरी गाण्ड मारने जैस उसके लौड़े में दम रहेगा या नहीं।

कुछ ही देर में पप्पू का लण्ड चूसने से वो फिर से तन्ना उठा, जैसे पप्पू मेरे मन की बात जान गया गया था। बोला- नीता भाभी, मोना जी का काम तो निकल गया अब तो चली जायेगी, मेरा काम तो हुआ ही नहीं !’

‘अच्छा, चल तू अपना काम पूरा कर ले… फिर बाद में मुझे चोद देना… बस..!’

‘क्या बात है? कौन सा काम नीता…?’ मैंने जैसे अनजान बनते हुये कहा।

‘बात ये है कि तेरे चूतड़ इसे बहुत पसन्द हैं… तू जैसे ही मुड़ती है इसका लण्ड खड़ा हो जाता है…!’
‘हाय राम… ऐसा मत कहो…’

‘हाँ सच… अब ये तेरी गाण्ड मारना चाहता है… प्लीज, चुदवा ले अपनी गाण्ड… ‘नीता ने पप्पू की तरफ़ से कहा।

‘मैं कैसे मानूं कि सच बोल रही है… पप्पू ने तो कुछ कहा ही नहीं !’ मैंने शिकायत की।

‘सच, मोना जी… देखना मेरा लण्ड देखना आपकी गाण्ड में घुस कर कैसा खुश हो जायेगा।’

‘तो चल खुश हो कर बता…’

‘आप कुतिया की तरह झुक जाईये फिर देखिये मैं कुत्ते की तरह आपकी गाण्ड मारूंगा !’

‘हाय राम… अच्छा ये देखो… !’ मैं कुत्ते की तरह बिस्तर पर झुक गई। मेरे दोनों चूतड़ कमल की तरह खिल गये।
मेरी गोरी गोरी गाण्ड देखते ही उसके लण्ड ने सलामी मारी। दरार के बीच मेरे गाण्ड का कोमल फूल चमक उठा। जो पहले ही लण्ड खाने की लालसा में अन्दर बाहर सिकुड़ रहा था।

पास पड़ी तेल की बोतल से पप्पू ने मेरे दरार के बीच नरम फ़ूल पर तेल की बूंदे टपका दी। उसका लाल सुपाड़ा गाण्ड के फ़ूल पर टिक गया और हल्के से जोर से ही गप से अन्दर घुस पड़ा।

‘साली क्या गाण्ड है…! घुसते ही लण्ड पानी छोड़ने लगता है !’ पप्पू ने एक आह भरी।

‘नीता, हाय कितना नरम और प्यारा लण्ड है। तूने मुझे काश पहले बताया होता तो मैं इतना तो ना तरसती…!’

‘मोना, मेरी सहेली… अब लण्ड खा ले… देर ही सही, चुदी तो सही… मजा आया ना !’नीता भी चुदासी सी मुझे देख रही थी। उसे भी चुदाने की लग रही थी।

अब पप्पू का सब्र का बांध टूट चुका था, वो मेरी चूतड़ों पर मरता था… उसका डण्डा मेरी गाण्ड को कस कर पीटना चाहता था, सो उसने अपनी कलाबाज़ी दिखानी चालू कर दी। उसका लम्बा लण्ड गाण्ड की गहराईयों को नापने लगा।

मेरी गाण्ड में जबरदस्त झटके मारने लगा। मुझे तरावट आने लग गई। हल्की सी मीठी सी गुदगुदी एक बार फिर मुझे रंगीनियों की ओर ले चली। मेरे बोबे मसले जाने लगे।

नीता चुदाई की प्यास की मारी अपनी चूत को मेरे सामने ले आई और कातर नजरों से विनती की। मैंने उसकी टांगें मेरे मुँह के पास खींच ली और अपना मुँह उसकी चूत से चिपका लिया। मैं उसके बोबे पकड़ कर मसलने लगी।

आलम ये था कि तीनो एक दूसरे पर दुश्मन की तरह जुटे हुये वो सब कुछ कर रहे थे कि किसी का माल बाहर निकल जाये। मेरी गण्ड पर लण्ड ऐसे मार रहा था कि जैसे उसका लण्ड किसी मोरी में सफ़ाई कर रहा हो। लण्ड जोर जोर से घुसेड़ कर वो मेरी गाण्ड चोद रहा था। गाण्ड में सुरसुरी से मीठी मीठी असहनीय सी गुदगुदी चलने लगी थी, अगर मेरी गाण्ड चूत की तरह झड़ जाती तो कितना मजा आता।

पर हुआ उल्टा ही… मुझे पकड़ कर वो वासना भरी सीत्कार भरता हुआ गाण्ड के भीतर ही झड़ने लगा। मुझे निराशा सी होने लगी, शायद समझी थी कि ऐसे ही जिन्दगी भर गाण्ड चुदती रहे और मैं मस्ताती रहूँ।

उधर नीता भी वासना की मारी झड़ने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। पप्पू ने अपनी सारी मलाई मेरी गाण्ड में निकाल दी। उसका लण्ड सिकुड़ कर स्वत: ही बाहर निकल आया। वो वहीं बैठ गया और मैं चित्त पांव पसार कर औंधी लेट गई।

पप्पू भी अपनी बिखरी हुई सांसे समेटने लगा और सोफ़े पर जाकर धम से बैठ गया। मेरा काम हो चुका था। मैं आगे और पीछे से चुद चुकी थी। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को तंग कर सिकोड़ लिया और झट से पजामा और टॉप पहन कर अपने घर भाग आई। नीता मुझे आवाज देती ही रह गई।

घर आकर मैं लेट गई और उसका वीर्य गाण्ड में रहे इसलिये उल्टी लेट गई। मेरे पजामें में वीर्य के धब्बे उभर आये थे। गाण्ड चिकनी और लसलसी हो गई थी पर मुझे एक अनोखा आनन्द आ रहा था। इसी आनन्द का लुफ़्त लेते हुये मेरी आंख जाने कब लग गई। पर नीता ने मुझे जगा दिया।

‘ये क्या, जरा तेरा पजामा तो देख नीचे से पूरा गीला हो रहा है…’

‘ये पप्पू का वीर्य है रे… जरा मजा तो लेने दे…’

‘उनके आने का समय हो रहा है… मरना है क्या…?

मैं चौंक गई, देखा तो पांच बज रहे थे… ना तो खाना बनाया था और ना ही चाय… नहाया धोया भी नहीं था… सब कुछ छोड़ कर मैं नहाने भागी… सोचा चुद तो कल लेंगे

… ये आनन्द तो रोज ले सकते हैं। पर कहीं उनको इसकी भनक भी लग गई तो फिर… Antarvasna Stories

Hello , mera naam vishal hai ,mei kolkata ka rahne wala hoon , ye meri khani hai. Too baat hai jab mei kolkata mei college mei tha , 1 st year mei taab mei college bike se jata tha. Mei Kolkata mei akele rahta tha kyu ki humara ghar siliguri thi but mei studies ke leye kolkata mei ek flat mei rent pe rahta tha . Too jaab mei college ke 2 nd year mei paucha , taab humare flat mei ek family shift howi uss mei ek husband tha ek wife thi aur ek unkka chota ladka tha 5-6 saal ka . Jaab woo log shift howe , taab humhari pheli baar mulakat howi , woo husband ka naam yha Rahul , aur wife ka naam tha sheetal , too mei kada taar college mei classes subha taak karke dopeher taak flat laut aata tha , aur fir din bhar flat pe game kehlta tha , ek din jaab mei flat pe tha taab , door beel baji jaise mene khola , wahi bhabhi thi . 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हैलो Sex Stories

मेरा नाम सुनील है और मैं Sex Storiesआगरा से हूँ। हमारे पड़ोस में एक आँटी रहती हैं जिनकी एक लड़की है जो कि बहुत ही ख़ूबसूरत होने के साथ-साथ बहुत ही सेक्सी भी है। उसकी फिगर ३६-२४-३४ है। जिसका नाम सोनिया था। उसकी नशीली आँखें हमेशा मुझसे कुछ कहतीं थीं। लेकिन मैं समझ नहीं पाया कि आख़िर वो क्या चाहतीं हैं। वाऊ, क्या फिगर है उसकी, जो देखे मुट्ठ मारे बिना नहीं रह सकता। उसकी चूचियाँ ऐसी हैं जैसे किसी दूध की नदी में उसने छलाँग लगाई हो। उसकी गाँड ऐसी है जैसे किसी झील में घुसे जा रहे हैं।

बात उन दिनों २००१ की है जब मैं हाई स्कूल के पेपर की तैयारी कर रहा था। हमारा इंग्लिश का पेपर था और मैं घर पर ख़ूब पढ़ रहा था। रात के ११ बजे बेल बजी तो मैं चौंक गया कि कहीं मेरा दोस्त तो नहीं आ गया, पेपर आउट करने के लिए।

जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने आँटी और उनकी बेटी शब़नम खड़ी थीं। उन्होंने मुझसे कहा कि इसे भी पेपर के बारे में थोड़ा-बहुत समझा दो। उसके बाद आँटी चलीं गईं, तो मम्मी ने पूछा कि कौन है, तो मैंने तुरन्त उत्तर दिया कि सोनिया आई है पढ़ने के लिए। तो वो अपने कमरे में वापस चली गईं।

मेरे मन में कोई भी ग़लत विचार नहीं थे। आधे घण्टे के बाद शबनम कहने लगी कि उसे नींद आ रही है, और वह थोड़ी देर सोना चाहती है। मैंने कहा, ठीक है थोड़ी देर सो लो। उसने मिनी-स्कर्ट और टी-शर्ट पहन रखी थी, वह सो गई। उसके सोने के बाद मैंने देखा कि उसकी स्कर्ट ऊपर उठ गई थी, और उसकी चिकनी-चिकनी जाँघें और गाँड दिख रहीं थीं। मेरा ७ इंच का लण्ड एकदम खड़ा हो गया और मेरे मन में गन्दे विचार आने लगे।

मैंने धीरे-धीरे उसकी टाँगों को सहलाना शुरु कर दिया, फिर हाथ हाथ ऊपर की ओर ले जाकर उसकी पैन्ट में उँगली करने लगा। तभी वह जाग गई और पूछने लगी कि क्या कर रहे हो। मैंने पलट कर पूछा “तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा था?”

“मज़ा तो आ रहा था, लेकिन अगर कुछ हो गया तो?”

“कुछ नहीं होगा।”

फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उसके बाद वह गरम होने लगी। धीरे-दीरे मैंने अपना हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिया और टी-शर्ट उतार दी। उसकी चूचियाँ ऐसे बाहर आईं जैसे दो पहाड़ो को आज़ादी मिल गई हो।

क्या दूध थे उसके, गज़ब के, एकदम टाईट और तरो-ताज़ा माल। फिर हम दोनों किस करते हुए बिस्तर पर आ गए। मैंने उसकी स्कर्ट उतार दी। अब वह केवल पैन्टी में थी। मैंने अपनी पैन्ट उतारी और जैसे ही अपना लंड निकाला तो वह एकदम डर गई। इतना बड़ा लंड….

उसने मेरे लण्ड को सहलाना शुरु कर दिया। जैसे-जैसे वह सहलाती जा रही थी, मेरा लंड भी वैसे-वैसे ही बड़ा और कड़क भी होता जा रहा था। फिर हम दोनों 69 की स्थिति में आ गए। वह मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसकी गाँड में ज़ुबान डालकर खूब मज़े ले रहा था।

१५ मिनट बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गई। मैंने उसे ऊपर उठाया और उसकी दोनों टाँगें फैला कर मैंने अपना लंड उसकी बुर में डालने की कोशिश की, लंड अन्दर जा ही नहीं पा रहा था। मैंने फिर से ज़ोर लगाकर किसी तरह अपना लंड उसकी बुर में घुसेड़ा तो वह दर्द के मारे चीख उठी और कराहने लगी। मैंने उसे समझाया कि शुरु में दर्द होता है लेकिन बाद में मज़ा आएगा। मैंने दुबारा झटकों के साथ जैसे ही ताक़त लगाई तो मेरा लंड पूरा-का-पूरा अन्दर चला गया।

मैंने उसे जी भरकर चोदा। लगभग आधे घण्टे के बाद मैंने अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ दिया और इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी। उसकी बुर से खून बह रहा था। वह डर गई, तो मैंने समझाया कि यह पहली बार होता है। उसके बाद मैंने उसे कुतिया बनाया और उसकी गाँड में लंड डालने लगा तो मना करने लगी। पर मैं भी कहाँ मानने वाला था। मैंने क्रीम ली और उसकी गाँड और अपने लंड पर लगाई और पेल दिया लंड को… पर ये क्या लंड तो जा ही नहीं रहा था, बहुत टाईट गाँड की छेद थी साली की।

मैंने ज़ोर लगा कर जैसे ही दुबारा झटका मारा तो मेरा आधा लंड उससकी गाँड में घुस गया। वह चिल्लाने लगी। मैंने कहा “मम्मी आ जाएगी,” और उसका मुँह अपने हाथ से बन्द कर दिया। और फिर एक ज़ोर का झटका लगाते ही मेरा लंड पक्क से पूरा का पूरा उसकी गाँड की छेद में पेवस्त हो गया। कम से कम आधे घण्टे तक हमने गाँड-चुदाई का आनन्द लिया फिर निढाल होकर बिस्तर पर ढेर हो गए।

फिर वह अपने घर चली गई। उस दिन के बाद जब भी मुझे मौक़ा मिलता, मैं उसकी जमकर चुदाई करता।

मुझे मेल करें। Sex Stories

प्यासी भाभी की गर्मी यानि अन्तर्वासना ने उसे गैर मर्द की तरफ जाने को मजबूर कर दिया क्योंकि उसके पति में उसे खुश करने की ताकत नहीं बची थी. भाभी ने अपने पति के दोस्त की ओर कदम बढ़ाया.

‘आह उफ्फ जान … तेज आहहह और तेज.’
दीपिका के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं.

अचानक सुभाष का शरीर ढीला पड़ गया.
तो दीपिका बोली- क्या हुआ?
सुभाष झिझकते हुए बोला- मेरा पानी निकल गया.
दीपिका गुस्से से बोली- अभी तो मजा आना शुरू हुआ था और आपका निकल गया!

सुभाष उदास हो गया और दीपिका की चूत से सुभाष का सिकुड़ा हुआ लंड बाहर निकल गया.

सुभाष लंड का पानी निकल जाने पर सुस्त होकर सो गया.
दीपिका अभी भी वासना की आग में जल रही थी. प्यासी भाभी की गर्मी अभी ठण्डी नहीं हुई थी.

उसकी चूत को‌ कम से कम 15 मिनट चुदाई चाहिए होती थी और सुभाष ज्यादा से ज्यादा दो या तीन मिनट तक ही चूत में लंड रख पाता था.
रोज रात को यही होता.

आईए अब सेक्स कहानी की तरफ़ चलते हैं.

पंजाब के एक छोटे से शहर के रहने वाले सुभाष की उम्र लगभग 50 साल की है और दीपिका की उम्र 39 साल.
शादी के समय तो कुछ महसूस नहीं हुआ पर समय के साथ उम्र की ये असमानता दीपिका और सुभाष दोनों को महसूस होने लगी.

हालांकि दोनों की शादी को 21 साल हो गए थे और दोनों बच्चे भी काफी बड़े थे.
पर उम्र के मुताबिक दीपिका की शरीर की जरूरत को सुभाष अब अपनी उम्र के चलते पूरी नहीं कर सकता था.

खैर … रोज रात की तरह सुभाष लंड का पानी निकल जाने पर सो गया और दीपिका भी अपनी गर्म चूत को सहलाती हुई कब सो गई, उसको भी पता नहीं चला.

सुबह दोनों बच्चे स्कूल चले गए और सुभाष अपनी दुकान पर जाने के लिए तैयार हो गया.

जाते जाते सुभाष ने दीपिका को जल्दी दुकान आने को कहा क्योंकि उसको किसी जरूरी काम से जाना था.

सुभाष की शहर के प्रमुख चौराहे पर दवाईयों की दुकान थी.
अकेले होने के कारण दीपिका को भी दुकान पर बैठना पड़ता था.

करीब दो घंटे रोज दीपिका अकेले दुकान संभालती थी.
दीपिका ने घर के काम निपटाए और नाश्ता करने के बाद वह दुकान की तरफ़ चल दी.

दुकान पर जाने के बाद सुभाष अपने काम से निकल गया और दीपिका को बता गया कि उसे आने में देर लग सकती है.
सुभाष के जाने के बाद दीपिका के दिमाग में रात वाली बात चल पड़ी और वह बेचैन हो गई.

तभी दुकान पर सुभाष का दोस्त अनिल खन्ना आ गया और दीपिका उसके साथ बातचीत करने लगी.
रोजाना यही होता … अनिल खन्ना सुभाष का खास दोस्त था इसलिए दीपिका भी उसके साथ खुलकर हंसी मजाक कर लेती थी.

अनिल भी करीब 50 साल की उम्र का बंदा था.
उसके दो बेटे दूसरे शहरों में नौकरी करते थे और अनिल खन्ना को काफी पैसा खर्च के लिए भेजा करते थे. इस वजह से अनिल खन्ना को कोई काम करने की जरूरत नहीं थी.

दीपिका अनिल की तरफ़ आकर्षित हो गई थी.

दीपिका के दिल की बात अनिल समझता था पर वह ये भी समझ सकता था कि ये आकर्षण किस कारण से है.
वह खुद को इस लायक नहीं समझता था कि दीपिका की जरूरत पूरी कर सके इसलिए वह दीपिका से दूरी बना कर रखता था.

उस दिन अनिल ने दीपिका को उदास देख पूछा कि क्या हुआ उदास क्यों हो?
तो दीपिका बोली- ऐसा कुछ नहीं!

खन्ना ने कहा कि नहीं, कुछ तो बात है?
दीपिका बोली- अनिल जी, सच में कोई बात नहीं है.

अनिल ने कहा- नहीं बताना चाहती हो, तो जोर नहीं दूंगा. पर बताने से ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.
दीपिका बोली- समस्या ही ऐसी है कि जिसका कोई समाधान नहीं है.

अनिल बोला- दीपिका, दुनिया में हर समस्या का समाधान हो सकता है, बस जरूरत होती है सही सलाह लेने की. तुम अपनी समस्या मुझे बताओ, मैं समाधान करने की कोशिश करूंगा.

दीपिका बोली- मेरी और सुभाष की उम्र में असमानता को अब मैं महसूस करने लगी हूं.
अनिल ने कहा- तो इसमें क्या समस्या है …. कोई हम उम्र दोस्त बना लो. जो तुझसे तेरे मुताबिक प्यार की बातें कर सकता हो और कभी कभी बिस्तर पर भी तुम्हारे अरमान पूरे कर दे.

दीपिका ने अनिल की तरफ़ हैरान होकर देखा.
तो अनिल बोला- दीपिका, इसमें गलत क्या है … और आजकल तो पति खुद पत्नी की मदद करता है!

तब दीपिका हंसती हुई बोली- तो आप बन जाओ ना मेरे दोस्त!
अनिल ने कहा- दीपिका, तुमसे प्यार करने वाला दोस्त तो मैं बन‌ने के लिए तैयार हूं … पर बिस्तर पर मैं भी सुभाष की तरह कामयाब नहीं हो सकता क्योंकि इस उम्र में तुम्हारी छलकती हुई जवानी के उफान को मैं शायद नहीं सम्भाल सकता.

दीपिका बोली- अनिल जी, आपने तो मुझे दोराहे पर खड़ा कर दिया. मैं तो आपको पसंद करने लगी हूं.
तब अनिल ने कहा- दीपिका, मैं झूठ नहीं बोल सकता. जो बात सच है, मैं वही कह रहा हूँ.

दीपिका बोली- आपकी इस सच्चाई ने तो मेरे दिल में आपके लिए इज्जत पहले से भी ज्यादा हो गई. अब आप ही कहो मुझे क्या करना चाहिए. मैं आपको भी नहीं खोना चाहती पर …
अपनी बात को अधूरा कहकर दीपिका चुप हो गई.

अनिल ने कहा- दीपिका इसका एक और तरीका भी है.
दीपिका ने कहा- क्या तरीका है?

अनिल बोला- तुम बिस्तर पर संतुष्टि के लिए एक और दोस्त बना लो.
दीपिका थोड़े गुस्से में बोली- क्या मुझे हर बात के लिए अलग अलग दोस्त बनाने होंगे?

अनिल ने मुस्कुरा कर कहा- एक इंसान में सभी गुण नहीं होते मेरी जान … और तुम्हारी दो अलग-अलग इच्छाओं के लिए दो दोस्त बनते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है.

दीपिका कुछ सोच कर बोली- अब जब मैंने आपके सामने अपने दिल की बात खुलकर बता दी, तो अब आप ही मेरी मदद भी करो.
अनिल मुस्कुरा कर बोला- जब बंदा आपसे प्यार करने लगा है, तो मैं आपकी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करूंगा मेरी जान. मैं सोच कर बताता हूं कि कौन हमारे लिए ठीक रहेगा!

दीपिका मुस्कुरा कर बोली- हां, अब ये आपकी ही जिम्मेदारी है.

तभी सुभाष को आते देख कर दोनों चुप हो गए.
अनिल कुछ समय सुभाष के साथ बातचीत करने के बाद दुकान से चला गया.

दीपिका खुश हो गई कि उसकी चिंता करने वाला एक अच्छा दोस्त मिल गया.

तभी दीपिका के मोबाइल पर अनिल का मैसेज आया कि मुझसे मिलो.
दीपिका ने रिप्लाई किया- कहां?

‘चिमन दर्जी की दुकान पर.’
दीपिका ने रिप्लाई किया कि वह 10 मिनट में पहुंच जाएगी.

दीपिका सुभाष से घर जाने के लिए कहकर दुकान से चल पड़ी और चिमन दर्जी की दुकान पर पहुंच गई.

वहां अनिल और चिमन दर्जी ही थे.
उन दोनों के अलावा ना कोई ग्राहक था और ना चिमन की दुकान पर काम करने वाले कारीगर थे.

अनिल दीपिका को देख कर कहा- लो चिमन भाई, आप नाप ले लो.
दीपिका मुस्कुरा कर बोली- नाप किस लिए?
अनिल बोला- आपके लिए कपड़े सिलवाने हैं.
दीपिका मुस्कुरा दी.

चिमन दर्जी ने दीपिका को एक भरपूर नजर से देखा और दीपिका का नाप लेने लगा.

दीपिका का सपाट पेट और कमर को देख चिमन दर्जी बोला- भाभी जी आप अपने शरीर पर बहुत अच्छे से ध्यान देती हो. आपका शरीर देखकर तो आपकी उम्र का अंदाजा लगाया नहीं जा सकता है.

ये सुनकर दीपिका खुश हो गई.

नाप लेने के बाद चिमन ने अनिल से कहा- हो जाएगा अनिल जी.
अनिल बोला- ठीक है, मैं बात करके बताता हूं. कब तक काम हो सकता है?

चिमन बोला- आप जब कहोगे.
अनिल बोला- ठीक है.

ये कहकर अनिल दीपिका को चलने के लिए बोला.

दीपिका और अनिल दुकान से बाहर निकल घर की तरफ़ चल पड़े.
अनिल ने अब दीपिका से पूछा- कब का प्रोग्राम बनाना है?

दीपिका ने पूछा- किस बात का प्रोग्राम?
तो अनिल बोला- तेरी चुदाई का!

दीपिका हैरान होकर बोली किस के साथ?
अनिल ने कहा- चिमन के साथ.

दीपिका अचकचा कर बोली- नहीं नहीं … चिमन के साथ कैसे कर सकती हूं?
अनिल ने कहा- क्यों नहीं कर सकती हो?

दीपिका बोली- अरे चिमन को मैं जानती भी नहीं. उसके साथ ये सब कैसे कर सकती हूं?
तब अनिल मुस्कुरा कर बोला- तब तुम कोई अपना कोई जानकार बताओ जो तुझे चोद ले!

दीपिका बोली- क्या चिमन पर भरोसा किया जा सकता है?
अनिल बोला- तुम मेरे पर विश्वास कर सकती हो या नहीं?

दीपिका बोली- आप पर तो पूरा यकीन है मुझे!
अनिल बोला- ठीक है. मुझे उन लोगों पर यकीन है कि ना केवल वे तुम्हें अच्छी तरह से चोद कर संतुष्ट कर सकते हैं बल्कि उनके माध्यम से किसी दूसरे को ये बात कभी भी पता नहीं चलेगी.

दीपिका बोली- उन लोगों का क्या मतलब?
अनिल ने मुस्कुरा कर बताया- चिमन दर्जी और जुम्मन कसाई.

दीपिका ये सुनकर बहुत हैरानी से अनिल की तरफ़ देख कर बोली- ये आप क्या कह रहे हैं. मैं दो लोगों से कैसे कर सकती हूं.
अनिल बोला- क्यों नहीं कर सकती हो. तुम्हारी सोच जैसे दोस्त मिल जाएं तो दोनों को दोस्त बनाने में क्या समस्या है?

दीपिका के पास अनिल की बात का फिर से कोई जवाब नहीं था.

तो दीपिका बोली- मैं दो दोस्तों के लिए समय कैसे निकाल सकती हूं?
अनिल मुस्कुरा कर बोला- जैसे एक के लिए निकालोगी वैसे ही.

दीपिका बोली- वह कैसे?
अनिल बोला- एक बार मैं, जुम्मन और चिमन दर्जी दिल्ली गए थे. वहां हमारा दिल चूत चोदने का हुआ. हम तीनों ने एक कालगर्ल को बुलाया. उसके लिए 7000 तय हुए.

दीपिका- फिर?
‘फिर पहले मैंने उसको चोदा और बाहर आ गया. उसके बाद चिमन अन्दर गया. थोड़ी देर बाद जुम्मन के मोबाइल पर फोन आया और जुम्मन भी अन्दर चला गया.’

एक पल के लिए अनिल ने रुक कर दीपिका को देखा.
फिर उसने आगे कहना शुरू किया- करीब दो घंटे बाद दोनों बाहर आकर मेरे पैसे जो मैंने अपने हिस्से के दिए हुए थे, वो उसने मुझे वापस दे दिए.

मैंने पूछा- ये कैसे हुआ?
तब जुम्मन कसाई बोला- हमारी चुदाई से खुश होकर कालगर्ल ने सारे पैसे वापस कर दिए.

ये छोटी सी घटना सुनने के बाद दीपिका हैरानी से अनिल का मुँह देखने लगी.

अनिल बोला- दीपिका मैं चाहता हूं कि दोनों की जोड़ी तुझे एक साथ चोदे. ताकि तुम पूरी तरह से संतुष्ट हो जाओ.

दीपिका बोली- कोई समस्या तो नहीं होगी ना?
अनिल बोला- कोई समस्या नहीं होगी मेरी जान, मुझे पर यकीन करो.

तभी अनिल के मोबाइल पर चिमन दर्जी की कॉल आई.
अनिल ने फोन पर ‘हां, ठीक है. मैं बात करके बताता हूं.’ कहकर फोन काट दिया.

दीपिका ने पूछा- क्या हुआ कुछ बात हुई चिमन दर्जी से?
अनिल बोला- जुम्मन तुम्हें देखना और मिलना चाहता है.

दीपिका बोली- आप उन्हें शाम को दुकान पर बुला लो.
तो अनिल ने कहा- नहीं, दुकान पर ठीक नहीं होगा. तुम्हारे घर पर ठीक रहेगा.

तो दीपिका बोली- ऐसे सबके सामने कैसे घर पर बुला सकती हूं?
अनिल बोला- उसका भी एक उपाय है मेरे पास!

दीपिका बोली- क्या उपाय है?
अनिल बोला- जुम्मन कबाड़ का काम भी करता है. तुम घर का कुछ कबाड़ निकाल कर रखो, बाकी काम मेरा है.

दीपिका समझ गई कि क्या करना होगा.
उसके पास चुदाई का ये बेहतरीन मौका था क्योंकि उसके दोनों बच्चे गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा के घर गए हुए थे और मकान मालिक का बेटा बहू भी बाहर घूमने गए थे.

घर पर मकान मालिक और उनकी पत्नी ही थे जो काफी बूढ़े थे.
ये मकान मालिक दरअसल अनिल खन्ना के बड़े भाई और भाभी ही थे.

इधर एक बात और बता दूँ कि अनिल का मकान भी बाजू में ही लगा हुआ था, दोनों घरों की छतें आपस में मिली हुई थीं.
दीपिका मकान के ऊपर वाले हिस्से में किराए पर रहती थी.

तब दीपिका ने अनिल से कहा- मैं घर जा रही हूँ. आप शाम को दुकान पर पहुंच जाना.
अनिल हंसते हुए बोला- ठीक है मेरी जान.

फिर दीपिका घर पर आकर सीधे स्टोर में गई और काफी कबाड़ निकाल कर बाहर रख लिया.
शाम को दीपिका जब दुकान पर पहुंची तो देखा अनिल आया हुआ था.

दीपिका अपने पति सुभाष से बोली- जी, घर पर काफी कबाड़ इकट्ठा हो गया है, आप कोई कबाड़ी को बुला लो तो सारे कबाड़ को बेच देते हैं.
सुभाष बोला- अब एकदम से कबाड़ी को कैसे बुलाऊं?

उसी वक्त अनिल बोला- अरे यार क्यों चिंता करते हो, जुम्मन कबाड़ी मेरा ख़ास दोस्त है. उसको कहे देता हूं, वह घर पर आकर सारा सामान देख लेगा.
सुभाष बोला- हां ये बात ठीक है. तुम उसको फोन कर दो … वह कल सुबह आकर सब देख लेगा.

अनिल ने तुरंत जेब से फोन निकाला और जुम्मन को फोन करके कहा- जुम्मन भाई, हमारे भाई सुभाष के घर पर आपके लिए कुछ सामान है, कल सुबह आकर आप देख लो.
जुम्मन कसाई ने जवाब दिया- हां ठीक है कल सुबह 8 बजे आ जाता हूं.

अनिल ने सोचा कि 8 बजे तो सुभाष भी घर पर होता है. उसने फोन पर ही बात को सम्भालते हुए कहा- ठीक है जुम्मन भाई, आप कल 11 बजे आ जाना … पक्का!
जुम्मन बात को समझते हुए बोला- ठीक है, मैं 11 बजे आ जाऊंगा.

अनिल ने फोन काट दिया और दीपिका से कहा- भाभी, वह 11 बजे आ जाएगा. आप सारा सामान निकाल कर रखना.

सुभाष दीपिका और अनिल की बातों से अनजान सरल भाव से बोला- मैं तो उस समय दुकान पर रहूँगा दीपिका. तुम ही दिखा देना.
अनिल बोला- सुभाष यार भाभी अकेली क्यों‌ होंगी … मैं साथ रहूंगा ना!

फिर कुछ देर बातचीत करने के बाद अनिल सुभाष की दुकान से चला गया.
अगले दिन सुबह सुभाष अपनी दुकान पर चला गया और दीपिका उसके जाने के बाद सारे काम निपटा कर नाश्ता कर नहाने जाने लगी.

उसके दिमाग में ख्याल आया कि क्या कपड़े पहनना चाहिए.
उसने सोचते हुए अपनी अल्मारी खोली और उसमें कपड़े देखने लगी.

तभी उसके सामने एक हल्के हरे रंग की चिकन कपड़े की कुर्ती आई, जिसको पहली बार पहनने पर ही सुभाष ने दीपिका को ये पहनने से मना कर दिया था क्योंकि ये कुर्ती काफी पारदर्शी कपड़े की थी.

इस कुर्ती में आगे की तरफ 3 बटन लगे थे और बटन के दोनों तरफ और कन्धे वाली जगह पर हल्की कशीदाकारी ने कुर्ती को काफी आकर्षक बना दिया था.

दीपिका ने उसी कुर्ती को पहनने का सोच लिया और उसके साथ एक काले रंग की सिल्क की पजामी अलमारी से बाहर निकाल ली.
साथ पहनने के लिए दीपिका ने एक गुलाबी रंग की ब्रा और कच्छी निकाल ली.

तभी कुछ सोच कर दीपिका के होंठों पर एक मुस्कान आई और दीपिका ने गुलाबी ब्रा वापस रख एक सफेद रंग की ब्रा निकाल ली.
ये ब्रा आगे हुक वाली थी.

दीपिका मन ही मन खुश हो बाथरूम में जाकर नहाने लगी.
आगे होने वाले घटनाक्रम के सुखद विचार आने से दीपिका की चूत रसीली होकर पानी पानी हो रही थी.

दीपिका ने खुद को खुशबूदार साबुन से खूब रगड़ कर साफ किया और नहाकर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गई.
कमरे का दरवाजा बंद कर आईने के सामने खड़ी होकर उसने तौलिया हटा दिया.

उफ्फ … क्या मदमस्त जवानी है दीपिका की … सपाट पेट के कुछ ऊपर 36 साईज की नुकीली चूचियां, बलखाती पतली कमर और 38 साइज़ के बड़े बड़े चूतड़.
हल्की सांवली, लेकिन खुद की रसभरी जवानी को देख दीपिका खुद शर्मा गई.

तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी, तो दीपिका जैसे नींद से जागी.
उसने फोन देखा तो अनिल का फोन आया था.

फोन उठाने पर अनिल ने पूछा- क्या कर रही हो?
दीपिका खुद को शीशे में देख शर्मा गई और बोली- बस तैयार हो रही थी.

अनिल बोला कि जुम्मन कसाई और चिमन थोड़ी देर में आने वाले हैं. मैं साथ आऊंगा. उनके सामने आराम से आना, घबराने की कोई बात नहीं है.
दीपिका बोली- आप साथ रहोगे तो घबराहट नहीं होगी.

अनिल बोला- तुम कहो तो उन्हें अभी बुला लेता हूं. उनका तो फोन आया था … आने को कह रहे थे. मैंने सोचा पहले तुमसे पूछ लूं!
दीपिका बोली- हां बुला लो आप!

अनिल बोला- ठीक है, हम सब 15 मिनट में आते हैं.
दीपिका बोली- ठीक है जी.

ये सुनकर अनिल ने फोन काट दिया और दीपिका जल्दी से कपड़े पहनने लगी.

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