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मैंने बताया था कि मैं जल्दी ही अपनी आगे की कहानी बताऊंगा, परन्तु अपने बिजनेस में व्यस्त होने के कारण यह कहानी लिखने में थोड़ी देरी हो गयी.
उसके लिए आपसे माफी चाहता हूँ.
वैसे आप सभी मुझसे पहले ही परिचित हैं.
नए पाठक मुझसे वाकिफ़ नहीं होंगे, तो मैं उन्हें एक बार बता देता हूं कि मैं राज शर्मा इंदौर में एक बिजनेसमैन हूं. मेरी उम्र ज्यादा नहीं है लेकिन हां मेरा अच्छा खासा काम है.
मैंने पिछली सेक्स कहानी में नहीं बताया था परंतु मेरी उम्र अभी 24 वर्ष की है और मेरी बहन की उम्र 22 वर्ष की है.
हम दोनों के बीच में जब पहली घटना हुई, तब वह 19 वर्ष की थी और उसी कहानी को अब मैं आगे बताना चाहता हूं.
मुझे उम्मीद है कि आपको यह Xxx पुसी लिक स्टोरी पसंद आएगी और मेरी यह कहानी शत-प्रतिशत सही है. इसमें किसी प्रकार का कोई झूठ नहीं है.
लंड पसंद करने वाले लड़के लड़कियों की जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि मेरे लंड का साइज अभी 7 इंच लंबा है और यह ढाई इंच मोटा है.
मेरा लंड किसी को भी पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकता है. यह जानकारी इसलिए बताई है ताकि कहानी में थोड़ा सा स्वाद बढ़ाया जा सके.
उस दिन जब मेरी बहन ने मुझसे कहा- भैया, अभी यहां पर कुछ नहीं करना. घर चल कर कुछ करेंगे.
हम शाम को 7:30 बजे घर पहुंच गए.
मां ने खाना तैयार रखा था, हम लोगों ने खाना खाया.
लगभग 8:30 बजे पापा भी आ गए थे.
हम सभी ने मिलकर कुछ बातें की.
मैंने देखा कि रितिका जो मेरी छोटी बहन है, बार-बार मुझे देखकर एक कटीली मुस्कान दे रही थी.
कुछ समय बात करने के बाद हम दोनों भाई बहन अपने अपने रूम में ऊपर आ गए.
वैसे मम्मी पापा के रूम नीचे ही बने थे और मेरा और मेरी छोटी बहन का रूम ऊपर मेरे रूम से अटैच था.
मेरी बहन अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में.
मैं बहुत थक गया था तो मेरी गहरी नींद लग गई.
लेकिन 11:30 बजे मेरे मोबाइल की रिंगटोन बजी और मेरी नींद खुल गई.
मैं सोच रहा था कि इस वक्त कौन?
यह कॉल मेरी छोटी बहन रितिका का था.
मैंने तुरंत कॉल रिसीव किया और पूछा- क्या हुआ?
वह गुस्सा होकर बोली- भैया, मेरे बिना आपको नींद कैसे आ गई?
मैंने उससे सॉरी कहा.
उसने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. आप अभी मेरे कमरे में आ सकते हैं … या मैं आऊं?
मैंने कहा- मैं आ रहा हूं.
मैंने अपना दरवाजा खोला और जैसे ही उसके दरवाजे पर हाथ लगाया, दरवाजा खुला था.
अन्दर पिंक कलर की लाइट और मोमबत्तियां जल रही थीं.
रितिका मुझे देख कर बोली- भैया जल्दी से दरवाजा बंद कर दो.
मैंने दरवाजा बंद किया.
और जैसे ही मेरी नजर मेरी बहन पर पड़ी … मैं वह नजारा देखता ही रह गया.
मेरी बहन दुल्हन के जोड़े में मेरे सामने बिस्तर पर बैठी थी.
मैं कुछ समय के लिए बस उसे देखता ही रह गया.
उसने कहा- भैया कहां खो गए!
तब मुझे होश आया और मैंने कहा- कहीं नहीं!
मैं उसके पास गया.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी बहन मेरे लिए शादी के जोड़े में बैठी है.
परंतु मैं समझ गया था जब उसने ऑफिस में कहा था कि अभी यहां पर कुछ नहीं … घर चल कर कुछ करेंगे.
पर मुझे इतना नहीं पता था कि इतना कुछ करेंगे!
मैं उसे देख रहा था कि मैं मेरी बहन बोली- भैया दूर क्यों खड़े हो, पास आओ ना!
तो मैं पास गया और किस करने लगा.
हम दोनों के होंठ आपस में ऐसे जुड़ गए जैसे बरसों के बिछड़े हुए प्रेमी हों.
दोनों ने लगभग 20 मिनट तक एक दूसरे को इतना किस किया कि दोनों के होंठ पूरे लाल हो चुके थे.
कभी मैं उसके मुँह में मेरी जुबान दे देता तो कभी वह मेरे मुँह में अपनी जुबान दे देती.
हम दोनों ने काफी देर तक किस की.
उसके बाद मैं किस करते हुए उसकी गर्दन पर आ गया और उसको झटके से अपने आगे ले लिया.
उसके बालों को एक तरफ करके उसकी गर्दन पर … और पीछे से उसके कानों पर किस करने लगा. जिससे उसकी ‘आह … अहह …’ निकलने लगी.
धीरे धीरे मेरा हाथ उसके पेट से होते हुए उसके मम्मों पर आ गया.
उसने दुल्हन वाला लहंगा ब्लाउज पहना था, अन्दर उसने शायद गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी.
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा और उसकी गर्दन और कान पर किस करता रहा.
मेरी बहन गर्म होती जा रही थी और पीछे से मेरा लंड भी उसकी गांड में घुसने के लिए बेताब हो रहा था.
मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोले और ब्लाउज को निकाल दिया.
फिर उसको मेरी तरफ घुमा कर मेरे सामने कर लिया.
इस बार उसने मुझ पर हमला बोल दिया और वह भूखी बिल्ली सी मुझ पर टूट पड़ी.
उसने मेरी टी-शर्ट निकलवाई और बनियान भी. वह मेरे पूरे सीने पर किस करने लगी और धीरे धीरे मेरी नाभि की तरफ बढ़ी.
नीचे आकर उसने पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ा और किस करने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको ऊपर की तरफ खींच कर एक झटके में उसको अपने नीचे ले गया.
अब मैं पूरे जोश के साथ उस पर टूट पड़ा.
मैंने रितिका को नीचे खींचा कर अपने एक हाथ से उसके एक दूध को दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसके दूसरे दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
अब मेरी बहन छटपटा रही थी लेकिन मैं उसके मम्मों को चूसता ही रहा.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
लगभग 10 मिनट तक दूध पीने के बाद मैं उसकी नाभि पर आ गया और उसकी नाभि पर किस करने लगा.
मेरी बहन रितिका की सांसें बहुत तेज चल रही थीं और वह अपनी मस्ती में बोले जा रही थी- हां भैया और जोर से आहह … आहह … करते रहो उम्म … और मस्ती से … आह और करो … आज मैं आपकी बहन नहीं हूं … मैं आपकी बीवी हूं … आपको आज की रात जो भी करना है, करो … और मेरे साथ पूरी सुहागरात मनाओ उम्मम!
वह ऐसी बातें कहती हुई अपने मुँह से मादक सीत्कारें भी निकाल रही थी ‘आह …… उम्म …’
मैं उसे चुप रह कर बस चूसता जा रहा था.
वह कहने लगी- भैया, मैं तो हमेशा आपके पास ही रहने वाली हूं. पर आज जल्दी से मेरी चुदाई करो.
यह सुनते ही मैंने उसको उल्टा किया और पीछे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिया.
उसके बूब्स आजाद हो गए.
मैंने दोनों हाथों में एक एक दूध को पकड़ा और जोर जोर से मसलने लगा.
वह दर्द से तिलमिला गई और बोली- भैया, धीरे आपकी छोटी बहन हूँ, कोई रंडी नहीं … प्लीज धीरे करो ना … ऐसे क्यों दबा रहे हो! अब तो हर रोज आपको ये आम चूसने को मिलेंगे.
उसकी इस बात पर मुझे उस पर और भी प्यार आ गया.
मेरी छोटी बहन सोनाली बेंद्रे जैसे दिखने वाली इतनी हॉट सिस आज मेरे बिस्तर पर मेरी दुल्हन बनकर मेरा लंड लेने के लिए बेताब हो रही है.
अब मैंने उसको सीधा लिटा दिया, उसके लहंगे को उठाया, उसकी जांघों पर किस किया और आगे बढ़ता गया.
मैं धीरे धीरे उसकी पैंटी पर आ गया.
उसने पिंक कलर की नेट वाली पैंटी पहनी थी.
मैं उसके ऊपर से उसको किस करने लगा.
फिर मैंने उसको एक बार खड़ा किया और उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया जिससे उसका लहंगा नीचे गिर गया और वह मेरे सामने पैंटी में आ गई.
फिर वह नीचे बैठी और उसने मेरे लोवर को पूरा निकाल दिया.
हम दोनों भाई बहन अब एक जैसी दशा में थे … हम दोनों अपने-अपने पैंटी व निक्कर में थे.
वह घुटने के नीचे बैठ गई और मेरा निक्कर नीचे करते हुए निकाल दिया.
उसने मेरे लंड पर हमला बोल दिया और मेरा लंड चूसने लगी.
मैं उस समय स्वर्ग की अनुभूति कर रहा था.
जरा सोचिए दोस्तो, आपकी बहन सोनाली बेंद्रे जैसी हॉट हो और आपके साथ बिस्तर में हो … और आपका लंड चूस रही हो, तो आप कैसा फील करेंगे!
या फिर सोचिए बहनो … कि आपका भाई, जिसे आप बहुत चाहती हों, वह आपकी चूत के साथ ऐसा करे तो आपको कैसा लगेगा.
अभी बहुत सारी बहनें सोच रही होंगी कि काश हमारी किस्मत भी रितिका जैसी होती कि हम भी अपने भाई के लंड को चूस सकते.
तो मेरी चुदक्कड़ बहनों मैं आपको बता देना चाहता हूं कि दुनिया में किसी के साथ भी इतना सेक्स करने का मजा नहीं है, जितना भाई-बहन के बीच में है.
अगर आपको बुरा लगा हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा, परंतु मैंने यही अनुभव किया है.
रितिका मेरे पूरे लंड के ऊपर से नीचे तक जीभ घुमा रही थी. वह लंड को मुँह में लेती और जितना अन्दर तक ले पा रही थी, वह ले रही थी. लंड को चूस रही थी.
फिर उसने मेरे लंड की चमड़ी को नीचे कर दिया, जिससे ऊपर का हिस्सा खुल गया.
सुपारे पर वह प्यार से अपने गुलाबी होंठों से किस कर रही थी और जीभ घुमा रही थी.
जिसने भी अपने सुपारे पर जीभ फिरवाने का यह रंगीन अनुभव किया है, वही इस आनन्द को समझ सकता है.
मेरी बहन मेरा लंड चूस रही थी और मैं थोड़ा झुक कर उसके बूब्स को दबा रहा था.
मैं जितनी जोर से उसके बूब्स मसलता, वह मेरा लंड उतना ही मुँह के अन्दर ले रही थी.
करीब दस मिनट तक उसने मेरा लंड उसी पोजिशन में चूसा.
फिर मैंने उसे 69 में आने को कहा, तो वह लेट गयी.
मैंने भी उसके ऊपर उसके मुँह में लंड देकर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर किस किया.
इससे वह सिहर गयी.
फिर मैंने उसकी पैंटी को उसकी चूत के मुहाने से अलग किया और एक उंगली डाल दी.
उसको इस अचानक हमले की आशा नहीं थी. वह उचक गयी और उसने मेरा पूरा लंड मुँह में ले लिया.
वह कुछ कहना चाह रही थी, पर उसकी आवाज नहीं निकली.
फिर मैंने उंगली को बाहर किया और उसके ऊपर से उठ गया. मेरा लंड भी उसके मुँह से निकल गया.
मैं खड़ा हो गया. वह सवालिया नजरों से देखने लगी.
वह कुछ कहती, उसके पहले ही मैंने उसे खड़ा होने को कहा.
वह जैसे ही खड़ी हुई, मैंने उसकी पैंटी खींच कर निकाल दी और उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी.
उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी, जिसका स्वाद मैं आपको शब्दों में नहीं बता सकता.
फिर मैंने खड़े खड़े ही उसके एक पैर को उठाया, जिससे उसकी चूत खुल गई.
मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी चूत की फांकों के बीच घुसा दी और Xxx पुसी लिक का मजा लेने लगा.
वह मेरा सर पकड़ कर चूत पर दबाव बनाने लगी- उम्म म्म भैया … और अन्दर तक डालो … आप इतने रोमांटिक हो, मैंने सोचा भी नहीं था … आह बहुत मज़ा आ रहा है भैया … ओहह … उम्म … यस भैया मेरी जान अपनी छोटी की चूत और जोर से पियो … चूस लो इसे पूरी!
तभी मैंने अपना मुँह अचानक से हटा लिया.
वह तड़फ कर कहने लगी- आह भैया, प्लीज ऐसा मत करो … चूसो ना … मुझे यह मजा ओर लेना है … बदले में जो करना चाहो, कर लेना … पर प्लीज मेरी चूत चूसो न प्लीज.
मुझे भी जाने क्या खुराफत सूझी, मैंने बोल दिया- छोटी, मैं तेरी गांड में भी लंड डालना चाहता हूँ.
उसने कुछ सोचा और बोली- ठीक है, पर आप पहले मेरी चूत में अपनी जीभ डालो … और जब तक मेरी ये मुनिया बह ना जाए, जीभ को निकालना मत.
मैंने उसको बेड के किनारे पर लिटाया ओर उसके दोनों पैरों को खोल दिया.
खुद नीचे बैठ कर और अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत में डाल दी.
हाय मैं आरती फिर से Sex stories आपकी सेवा में हूँ. आपको कैसा लग रहा है.. मुझे तो मजा आ रहा है. आपको आ रहा है.. जरूर आ रहा होगा. आपको शायद यकीन नहीं होगा कि घर में आज कोई नहीं है. इसलिए यह वाली कहानी मैं बिल्कुल नंगी होकर लिख रही हूँ और इस दौरान मैं अपनी चूचियों को भींच भींच कर तथा अपनी चुत और गांड में पेन को डालकर सेक्स करूँगी. क्या करूँ शादी नहीं हुई न.. इसलिए चूत को शांत करने के लिए ऐसा करना पड़ता है. अभी तो पेन या पेन्सिल से ही काम चलाना पड़ेगा.
चलो आगे बढ़ते है. कम्पनी के प्रेसिडेंट के यहां से चुद कर आने के बाद मैं आते ही सो गई. क्या करूँ बहुत थक जो गई थी. इतनी बार चुदी थी कि मेरी चुत और गांड दोनों में बहुत दर्द हो रहा था.
फिर मैं अगले दिन सुबह उठी और नाश्ता करने के लिए गई. अबकी बार मैंने एक छोटी सी निक्कर पहन रखी थी.. और उसके ऊपर टाईट सा टॉप डाला हुआ था, जिसमें से मेरे चूचे कहर बरपा रहे थे. नीचे मामा जी थे जिनको मैं अंकल कह कर बुलाती थी
मैं अंकल को अपनी गांड दिखाते हुए बैठ गई. मैं साफ़ देख रही थी कि अंकल का लंड खड़ा हो चुका था. हम लोग उस दिन सोफ़े पर बैठ कर नाश्ता कर रहे थे. तभी मनीष ने कहा कि वो आज दिल्ली से बाहर जा रहा है, कल तक आ पाएगा.
कुछ देर बाद मनीष चला गया. अंकल वहीं पर बैठे हुए थे और चोरी चोरी कभी मेरी तरफ़ देखते, तो कभी मेरी चूचियों की तरफ़ देख रहे थे. जो कि मेरी टी शर्ट मैं उभरी हुई थीं. मैंने मन ही मन सोचा कि चलो क्यों न आज कुछ मजे ही ले लिए जाएं. उस वक्त अंकल ने एक ढीला सा पजामा ही पहन रखा था. मैंने चुपके से अपनी निक्कर की ज़िप खोल ली और धीरे धीरे अपनी टांगें ऊपर की ओर टेबल पर इस तरह से रख लीं कि मेरी चुत हल्की से दिखने लगे. इसके बाद मैंने वहीं रखा हुआ अखबार उठा कर पढ़ने की एक्टिंग करने लगी. मैं चुपके से देखने लगी कि अंकल मेरी हल्की सी दिखती हुई चुत की तरफ़ देख कर अपना लंड मसल रहे थे. फिर थोड़ी ही देर मैं उनका पजामा गीला सा हो गया और लंड नीचे बैठ गया. मैं समझ गई कि उन्होंने माल छोड़ दिया था.
मैंने अंकल से पूछा- अंकल क्या हुआ अभी आपका पजामा एकदम से ऊपर को उठा हुआ था.. फिर गीला हुआ और फिर नीचे बैठ गया.
अंकल मेरी बात सुनकर हंसने लगे और बोले- अरे ये तो नेचुरल है.
ये कहते हुए ही अंकल ने एकदम से अपने लंड को पजामे से बाहर निकाला जो गीला था.
अंकल ने कहा- ये बेचारा भी क्या करे.. बार बार तुम्हें देख कर खड़ा होता है और पानी छोड़ कर बैठ जाता है.
मैंने हंस कर कहा- अब क्या होगा?
तो उन्होंने कहा- कुछ नहीं.. इसका इलाज़ है… लेकिन अभी नहीं रात को होगा.
फिर वो उठे और मेरी गांड को दबा कर ऑफिस जाने के लिए तैयार होने चले गए. मैं समझ गई कि अंकल आज मेरी चुदाई करने के मूड में हैं.
मैंने मन में कहा कि यार जब रात को मजा लेना ही है तो क्यों न अभी से तैयारी कर ली जाए.
फिर मैं बाजार गई और वहां से एक नाईट सूट लेकर आ गई. इसी के साथ एक सेक्सी सी ब्रा पेंटी और स्विमिंग के समय पहनने वाली बिकनी भी ले आई. इन तीनों ही आइटम की ये खासियत थी कि ये सब पारदर्शी थे. नाईटी एक बेबी डॉल किस्म की थी, जो सिर्फ मेरे घुटनों तक आती थी. मैंने ब्रा की सजावटी लेस को कैंची से काट कर इतना छोटा कर लिया था कि वो अब मेरे मम्मों को हल्का सी ही ढँक पा रही थी. साथ ही पेंटी को मैंने चूतड़ की तरफ़ से काट कर एक डोरी नुमा बना दिया था. इस डोरी से बस मेरी गांड का छेद ही छुप रहा था. लेकिन मैंने चुत की तरफ़ से कुछ नहीं किया था.
फिर रात को खाने पर मैं जब इसी बिकनी में पहुँची तो अंकल मुझे देखते ही रह गए.
मैंने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
अंकल ने मुझे घूरते हुए कहा- बहुत ही नंगी लग रही हो.. इतने कम कपड़े अगर पहन ही नहीं रखे होते तो और भी मजेदार लगती, आरती तुम इतने कम कपड़े क्यों पहनती हो.
मैंने कहा- पता नहीं अंकल जब मर्द नीचे मेरी चुत और गांड को, ऊपर मेरे मम्मों को घूरते हैं.. तो मुझे बहुत मजा आता है.
अंकल मुस्कुरा दिए. फिर हम लोग खाना खाने लगे.
अंकल बोले- आरती तुम्हें याद है कि जब तुम छोटी थीं.. तब तुम कैसे मेरी गोद मैं बैठ कर खाना खाती थीं.. आज भी वैसे ही खा ना!
मैंने कहा- अभी लो..
मैं लपक कर उनकी गोद में जा कर बैठ गई. मैं जानबूझ कर इस तरह से बैठी कि मेरी गांड का छेद उनके लंड के ठीक ऊपर आ जाए. मैं अंकल के लंड की सख्ती को फ़ील कर सकती थी कि मेरे बैठते ही कैसे अंकल के लंड का साइज़ बढ़ने लगा था.
फिर थोड़ी के बाद अंकल ने जानबूझ कर मेरे ऊपर दाल गिरा दी और कहा- अरे सॉरी.. लाओ मैं साफ़ कर देता हूँ.
फिर मेरे मम्मों के ऊपर से मेरे मम्मों को दबा दबा कर साफ़ करने लगे.
फिर मैंने अपनी नाईटी को देखते हुए कहा- अरे यह तो अभी भी गंदी है.. इसे उतार देती हूँ.
ये कह कर मैंने अपनी नाईटी को उतार दिया और मेरा गोरा बदन अंकल को साफ़ दिखने लगा.
तभी अंकल खड़े हुए और बोले- आरती तेरे कंधे पर एक तिल था.. मुझे वो याद है.. और हां एक तिल तो शायद तुम्हारे मम्मों पर भी तो था. तभी तो देख कितने बड़े मम्मे हो गए हैं. ज्योतिषी सही कहते हैं, जिस लड़की के मम्मों के ऊपर तिल होता है. उसके मम्मे जरूर पीने चाहिए, खूब दबाने चाहिए.. और चूसने चाहिए.
मैंने कहा- सॉरी अंकल.. लेकिन मेरे मम्मों पर तो कोई तिल नहीं है.
अंकल ने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता.. लाओ मुझे देखने दो
अंकल मेरे पास आए और मेरी ब्रा फाड़ कर फेंक दी. फिर अंकल मेरे मम्मों को दबा दबा कर देखने लगे. मैंने मस्ती से आँखें बंद कर लीं और अंकल के हाथों से अपने मम्मों को दबवाने का मजा लेने लगी. मेरे आँखें बंद करते ही अंकल ने चुपके से पेन से मेरे मम्मे पर एक तिल का निशान लगा दिया.
फिर अंकल बोले- देखो मैंने कहा था न.. तेरे मम्मे पर तिल का निशान है.
यह बोल कर वो मेरे मम्मों को चूसने लगे.. उन्हें भर भर के दबाने लगे.
फिर खड़े हुए और बोले- वैसे जहां तक मुझे याद है कि एक तिल तुम्हारी चुत पर भी है.
मैंने कहा- नहीं है.
उन्होंने कहा- दिखाओ.
मैंने कहा- हां देख लीजिएगा.
उन्होंने मुझे टेबल पर लिटा दिया और मेरी टांगें फैलाते हुए नीचे को कर दीं, जिससे मेरी चुत ऊपर को उठ गई. फिर अंकल ने मेरी पेंटी हटाने का कहते हुए पेंटी को फाड़ कर हटा दिया.
अब मेरी गोरी गोरी चुत उनके सामने थी. वे मेरी चुत को देखने लगे और बोले- आरती मालूम है.. जिसकी चूत में तिल होता है.. उसे हर रोज़ इसे चुसवाना चाहिए और इसके अन्दर लंड डलवाना चाहिए.
मैंने कुछ नहीं कहा बस आँख बंद करके अंकल के सामने अपनी चुत की प्रदर्शनी लगाए मजा लेती रही. अंकल ने पहले की तरह मेरी चुत पर चुपके से तिल बना दिया… और बोले- देखो मैंने कहा था कि तेरी चुत पर भी एक तिल है.
मैंने कहा- अजीब बात है.. मैंने तो कभी नहीं देखा.
अंकल ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और मेरी चूत को चूसने लगे. थोड़ी देर बाद हम फिर से खाना खाने के लिए आ गए. इस वक्त मैं बिल्कुल नंगी थी. मैं फिर से अंकल की गोद में जाकर बैठ गई.
मैंने पूछा- अंकल यह क्या है.. जो मुझे बहुत देर से चुभ रहा है.
अंकल ने मुझे गोद से हटाया और नंगे होकर कहा- देख ले ये और कुछ नहीं.. मेरा लंड है. मैंने कहा था कि मेरा लंड तुम्हारी चुत देख कर ही खड़ा हो जाता है.
मैंने कहा- प्लीज़ अंकल इसका कुछ करो न.. मैं इससे बहुत परेशान हो रही हूँ.
अंकल चेयर पर बैठ गए और बोले- अच्छा दो मिनट रुको.. तुम एक काम करो कि तुम यहां पर आओ.
मैं उनके करीब चली गई. अंकल ने मेरी गांड को दोनों हाथों से खोला और मेरे छेद को चौड़ा करके अपने लंड पर रखते हुए कहा- अब तू झटके से लंड पर बैठ जा.
मैं अपने छेद को अंकल के लंड पर टिकाते हुए बैठ गई. बस देखते ही देखते उनका आठ इंच लम्बा लंड मेरी चुत में घुस गया. लंड बहुत ही मोटा था, मेरी चूत सहन नहीं कर पाई और मैं चिल्ला उठी. मैंने बोला- बहुत दर्द हो रहा है अंकल.
तो अंकल ने लंड घुसेड़ते हुए कहा- चुप हो जा साली कुतिया.. अभी दो मिनट बाद बहुत मजा आएगा.
फिर उन्होंने मेरे मम्मे अपने हाथों में थामे और बैठे बैठे ही नीचे से मेरी चुत में अपने लंड से धक्के लगाने शुरू कर दिए. कुछ ही पलों बाद मैं भी अपनी गांड उछालने लगी.
फिर उन्होंने अपना मूसल मेरी चूत मैं पूरा ठोक दिया.
इसके बाद अंकल खड़े हुए और मुझे गोद में उठा कर मुझे यूं ही लंड फंसाए हुए कमरे में ले गए.
अंकल ने मुझे बिस्तर पर पटक कर चोदना शुरू कर दिया. मैंने भी अपनी चूत की पूरी खुजली मिटवा कर ही दम लिया.
जब अंकल झड़ने को हुए तो मैंने उनसे कहा- मुझे मम्मी न बना देना.
अंकल ने हंसते हुए लंड को चूत से खींचा और मेरे मुँह में लगा दिया. मैंने अंकल के लंड का पूरा माल चूस लिया.
अब हम दोनों नंगे चित्त पड़े थे. बड़ी थकान हो गई थी. हम दोनों ही एक दूसरे से बाते करने लगे.
अंकल ने कहा- चल आरती मेरे पूरे बदन पर तेल से मालिश कर दे.
मैंने कहा- क्यों?
अंकल बोले- इस तरह से ही तो मेरे लंड का इलाज होगा.
मैंने- अंकल क्या इलाज होना है इस लंड का.. अच्छा ख़ासा तो चुदाई कर लेता है.
अंकल बोले- अरे यार इलाज का मतलब ये है कि अब तुम मालिश करोगी तभी तो ये दुबारा से खड़ा होकर चूत की चुदाई कर पाएगा.
मैंने अंकल के लंड की मालिश करनी शुरू कर दी. फिर अंकल मुझे अपने चूतड़ दिखाए और बोले- यहां पर भी कर.
मैं अंकल के चूतड़ों पर मालिश करने लगी.
फिर अंकल ने एक दूसरा तेल निकाला और बोले- इस तेल को मेरे लंड पर मल दो.
मैंने कहा- अंकल मेरी चूत का भी ख्याल करो.
अंकल बोले- हम्म.. ऐसा करो अपनी गांड को मेरे मुँह के पास लेकर आराम से लेट कर मालिश करो, मैं तेरी गांड को भी मजा दे दूंगा. लेकिन प्लीज़ मुझे आधे रास्ते में मत छोड़ देना.
मैंने हंस कर कहा- ओके डार्लिंग..
फिर मैं बैठ कर उसी तरह से मालिश करने लगी और लंड को बड़ा होते हुए देखने लगी.
अंकल के लंड ने खड़ा होने में कुछ देर लगाई.. इसके बाद क्या हुआ मेरी गांड का कचूमर निकला या चुत का भोसड़ा बना.. Sex stories
मेरा नाम कुसुम है, मैं पंजाब की Indian Sex Stories रहने वाली हूँ। मैं एक बहुत धनी परिवार से ताल्लुक रखती हूँ। मेरे पापा एक नामी बिज़नेस-मैन हैं और उनका एक दोस्त है जिनको मैं बड़े काका कहती हूँ। वैसे तो अमरीका में ही उनका सारा बिज़नेस है, उनका परिवार भी वहीं है, वो बिज़नस के सिलसिले में ही भारत आते।
इस बार वो आए तो वो पापा को चौंका देना चाहते थे तो वो बिना पापा को बताये ही भारत आ गए। मुंबई में अपनी मीटिंग में होकर कर के वो सीधा अमृतसर चले आए। हवाई अड्डे से बाहर निकल वहां से टैक्सी कर वो सीधा हमारे घर आ गए। पापा और माँ दोनों मेरी मासी की बेटी की शादी में पठानकोट गए हुए थे।
नौकर ने दरवाज़ा खोला और वो उनको अन्दर ले आया। मेरे पेपर चल रहे थे इसीलिए मैं और दादी घर रुक गए। दादी से मिलने के बाद उन्होंने जब पूछा- मां जी ! पुरुषोत्तम कहाँ है?
दादी ने बताया कि वो शादी में गए हैं। इतने में मैं भी बाहर आ गई, उनको देख मैं बहुत खुश हुई। मैंने उन्हें कमरा दिखाया और फ्रेश होने के बाद चाय वगैरा पिलाई।
बातों में समय क्या हो गया, पता ही नहीं चला। मां जी उनको बचपन से जानती थी। मुझे भी मालूम था कि वो विह्स्की के शौकीन हैं, आज पापा नहीं थे तो मैंने नेपाली को विह्स्की सर्व करने के लिए कह दिया।
काका बोले- तू कितनी बड़ी हो गई है !
दादी हंसने लगी और बोली- मैं बाथरूम जा कर आई !
तभी अंकल ने पैग पीते हुए कहा- तू भी बड़ी हो गई है और ऊपर से नीचे तक हर चीज़ में परफेक्ट निकली है !
उनकी यह बातें सुन मेरी चूत में कुछ होने लगा, मैं थोड़ा शरमा गई।
दादी बोली- भाई, में खाना लगवा रही हूँ!
मुझे तो खाना खा कर सोना है, तुम बातें करो !
अंकल की नज़रें बार बार मेरी चूचियों पे अटक जाती थी।
तीन पैग पीने के बाद अंकल ने कहा- कम्पनी नहीं दोगी?
नहीं अंकल ! मैं नहीं पीती !
आज पी लो थोडी !
नहीं अंकल ! मुझे पढ़ना है !
तभी उनका सेल बजा, वो फ़ोन पे बातें करने लगे। इस बीच दादी बोली- बेटा मुझे सुबह उठना है, मैं सोने चली ! तू खाना खा ले !
अंकल ने अपना पाँचवां पैग बनाया और इस बार मेरे साथ सोफ़े पे बैठते हुए बोले- लो ना एक पैग ! प्लीज़ ! कम ओन ! तुम जवान हो चुकी हो !
उनके ज़ोर देने पे मैंने ग्लास पकड़ा और एक दम सारा ख़त्म कर दिया। उन्होंने पास में पड़े चिप्स का टुकड़ा मेरे मुँह में डाल दिया।
कैसा लगा?
वो उठे और अब दो पेग बना लाये। मेरे मना करने पे अब वो बिल्कुल मेरे साथ सट कर बैठ गए, अपना हाथ मेरी जांघ पे रख दिया और अपने हाथ से पैग पिला डाला।
मुझे नशा होने लगा ! फ़िर अपना पैग भी मुझे पिला डाला !
मुझे नशे में करना उनका मकसद था। अब हाथ मेरी कमर से लिपट लिया दूसरे हाथ से मेरी छाती को दबा दिया। मैं गरम हो गई वहां से उठी, जल्दी से मेज़ पे बैठ थोड़ा खाना खाया और अपने कमरे में भाग आई। मैंने किताबें बंद कर साइड पे रख बत्ती बुझा कर चादर ले सोने की कोशिश करने लगी। अंकल की कामुक हरक़तें मुझे नींद नहीं आने दे रहीं थी।
१० मिनट बाद दरवाज़ा खुला अंकल अन्दर आए, बिजली का बटन ढूंढने लगे, तभी ट्यूब-लाईट जला कर उन्होंने कुण्डी लगा ली। मैं सोने की एक्टिंग कर रही थी। बेडलाइट जला कर, ट्यूब बुझा कर वो मेरे बिस्तर पर आए, मेरे ऊपर से चादर हटा कर बोले- जग जाओ कुसुम ! मुझे मालूम है कि तुम सो नहीं रही हो !
जब मैं कुछ न बोली तो उन्होंने अपने हाथ से मेरा पजामा खींच उतार डाला, फ़िर मैं पासा पलट के सो गई। वो मेरी पैन्टी के ऊपर से मेरे दोनों नितम्ब मसलने लगे। मुझे नितम्ब मसलवाने में बहुत मजा आ रहा था। अंकल ने मेरी पैंटी खींच के उतारी तो मैं उठ गई और उनके साथ लिपट गई।
उन्होंने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए। दूसरे हाथ से मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगे।
ओह्ह्ह यसऽऽ ! अंकल ! छोड़ो ! कुछ कुछ होता है ! प्लीज़ ! आप मुझसे कितने बड़े हो ! छोड़ दो मुझे ! मेरा दिल घबरा रहा है !
साली जवान हो गई है तू ! कह कर अंकल ने मेरी ब्रा ऊपर सरका दी और वो मेरे चूचुक चूसने लगे।
हाय ! क्या कर रहे हो अंकल !
अंकल बोले- मजा आया?
मैंने उनकी छाती में मुँह छुपा लिया, मैं शरमा गई।
अब मेरी ब्रा खोल फेंकी और खुले मैदान पर आराम से हाथ फेरते, सहलाते मेरा पूरा मम्मा अपने मुंह में डाल लिया।
तू अपनी माँ पे गई है ! वो बहुत सॉलिड माल है ! अभी पिछले दिनों जब अमरीका आई थी तो जम के चोदा था !
हाय अंकल ! मुझे छोड़ दो !
वो दबा दबा के मम्मे चूसते हुए मेरे निप्पल को काट देते।
अंकल बोले- रुक !
बाहर पड़ी बोतल में बची दारू ग्लास में डाल लाये और बोले- यह लवली-लवली होगा !
आधे से ज्यादा मुझे पिला दिया और ६९ की हालत में आ कर मेरी चूत चाटने लगे। मैंने भी अब शर्म छोड़ दी, खुलके उनका लौड़ा अपने मुंह में डाल लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।
हाय अंकल ! बहुत सॉलिड लण्ड पाल रखा है ! कितना बड़ा है !
बेटा, यह ९ इंच का होगा ! तू चूसती जा !
तेरी मां बहुत मजे देती है साली ! मुझे क्या पता था माँ की जगह बेटी मिलेगी ! हाय और चूस ! जुबान से चाट इसके सर को ! जुबान से चाट कमीनी ! कुतिया बन ! हाय !
मैं अब नशे में थी और कौन सा मैं पहली बार चूस रही थी। मेरा अंदाज़ देख कर अंकल बोले- लगता है तू माहिर है ! साली तेरी चूत भी बजी हुई है।
मुझे गरम करने के लिए ऐसी बातें करते हए बोले- कितनों से चुदी हो ?
अंकल ! तीन लड़कों से !
गाजर, मूली कितनी लेती हो?
कभी कभी !
अब उन्होंने मुझे सीधा लिटा कर मेरी जांघों के बीच में बैठ अपने लण्ड का अग्र भाग मेरी चूत के मुँह पे रख कर धक्का मारा, लेकिन उनका लण्ड इतना मोटा था कि अन्दर नहीं गया। वैसे भी मैंने साँस थोड़ी अन्दर खींच कर चूत को कस डाला ताकि उनको जोर लगाना पड़े।
वो बोले- चल साली साँस छोड़ ! तेरा बाप हूँ मैं ! मुझे बनाएगी !
फ़िर उन्होंने एक ज़ोर का झटका मार पूरा लण्ड मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और तेजी से चुदाई करने लगे। इतनी तेज चुदाई इतनी उमर में !
लगता था सेक्स के मास्टर हों !
ओह ! ओह ! कर वो मेरे दोनों मम्मे दबा दबा के मेरी चूत मारने लगे। मैं नीचे से अपने कूल्हे उठा-उठा के उनका साथ दे रही थी। अंकल ! तेज ! बहुत अच्छा है आपका लण्ड ! आज तक मेरी ऐसे चुदाई नहीं हुई !
बोले- आ गई न रांड जुबान पे ! ले खा !
हाय ! खा जाउंगी !
फ़िर एकदम से लण्ड बाहर निकाल, मुझे उल्टा कर पीछे से मेरी चूत में डाल दिया और तेजी से चोदने लगे। साथ में अपनी ऊँगली मेरी गाण्ड में डाल गोल गोल घुमाने लगे। मैं चुदाई में इतनी दीवानी हो चुकी थी कि कब अंकल ने दो ऊँगलियाँ अन्दर डाल दी।
फ़िर अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया, मुझे उठाया, लण्ड सीधा खड़ा था, अंकल बोले- गोदी में आजा बेटे ! हमारी गोदी में खेल कर ही तू बड़ी हुई है !
उन्होंने मुझे अपनी जाँघों पर बैठाया और पदाच की आवाज़ के साथ लण्ड पूरा मेरी चूत में घुस गया, मेरे दोनों कूल्हों को नीचे से पकड़ के गोल गोल घुमाते हुए उछालने लगे। मेरे दोनों मम्मे बिल्कुल उन्के चेहरे पर के घिस रहे थे। उनके हाथ नीचे थे।
मैंने एक हाथ उनकी गर्दन मे डाल रखा था, दूसरे हाथ से ख़ुद अपना मम्मा पकड़ उनके होंठो से लगाते हुए उनके मुँह में डाल दिया। वो पूरा मम्मा चूसते, मैं ख़ुद बारी बारी दोनों मम्मों को चुसवा रही थी।
बहुत एक्सपर्ट है बेटी !
अंकल अब तेजी से उठा उठा के मारने लगे मेरी चूत। मम्मे मुँह में ले कर निप्पल पर काट देते !
अह ऽऽआह ! मैंने अब दूसरी बार पानी छोड़ दिया।
अंकल ने बिना लण्ड निकाले एक दम से ऐसी करवट ली कि मैं नीचे आ गई और वो फ़िर ऊपर !
फ़िर अंकल ज़ोर ज़ोर से हांफने लगे ! उनकी तेजी बढ़ गई ! तेज तेज धक्कों में एक दम स्टाप लग गया और उनका गरम माल मेरी कोख में छुटने लगा, जैसे कोई नहर बह रही हो ! पूरी चूत गीली करके भर दी ! अंकल मेरे ऊपर लुढ़क गए। मैंने जल्दी से लण्ड निकाला और घुटनों के पास बैठ कर मुँह में ले लिया, मुझे लण्ड का पानी पीना, चाटना पसंद है।
अंकल बोले- पहले कहती तो सारा मुँह में झाड़ देता !
मैंने चाट चाट के लण्ड साफ़ कर दिया और अंकल मेरे अंगों से खेलने लगे, बोले- कुसुम ! कहीं दारू पड़ी हो तो ला !
मैंने चादर लपेटी और लॉबी में बार से बोतल निकाल ली। हम दोनों ने दो दो मोटे पैग लगाये, मैं फ़िर से उनका लण्ड चूसने लगी। ६९ में आकर अबकी बार वो मेरी गांड चाटने लगे थूक डाल डाल के मेरी गाण्ड के छेद को ढीला करते हुए। उनका लण्ड तन के खड़ा मेरे मुँह में मस्ती कर रहा था। मैं ख़ुद उठ कर अंकल की जाँघों पर बैठ गई। पहले तो अपनी चिकनी गोरी जांघें उनकी जांघों से रगड़ने लगी, तभी ख़ुद ही उनके लण्ड को गांड के छेद पे रखते हुए उस पर बैठ गई और पूरा लण्ड अन्दर ले गई।
वो हैरानी से देख रहे थे, बोले- माल है तू ! घोड़ी बन जा !
इतना कह वो मेरे ऊपर छा गए, ताबड़तोड़ वार से मेरी गांड फाड़नी चालू की। मैंने रोका मगर वो नहीं रुके और फाड़ डाली मेरी गांड !
इस तरह झटकों से इस बार झड़ने के करीब आए तो मुंह में डाल दिया। मैंने मुठ मारते हुए उनका सारा माल अपने मुँह में ले लिया। उसके बाद उन्होंने पूरी रात मुझे ४ बार चोदा।
मैंने कहा- माँजी पॉँच बजे उठ जायेंगी !
ठीक साढ़े चार बजे वो अपने कपड़े पकड़ चादर लपेट गेस्ट रूम में चले गए। आंख खुली तो दोपहर के १२ बजे थे अंकल भी अभी तक सोये हुए थे। माँजी बोली- चाय दे आ अपने अंकल को !
मैं चाय देने गई, अंकल को उठाया, चाय साइड पे रख वो मुझे अपनी ओर खींचने लगे और गरम करने लगे।
दादी बाहर है !
अंकल बोले- चूस दे थोड़ा बस ! कपड़े नहीं उतारना ! नाड़ा खोल कर सलवार घुटनों तक सरका के डाल लूँगा। देखना डर की चुदाई में अलग ही मजा आता है ! रानी जब डर सा लगा हो तब !
उनकी बात सही थी, कपड़े पहने ही मुझे अलग फीलिंग आ रही थी। मैंने नाड़ा खोल कर सलवार घुटनों तक उतार दी। उन्होंने लोअर की जिप खोल लण्ड मुझे पकड़ा दिया। मैं सहलाने लगी, दो चार चूपे मारे और मुझे बेड के कोने पे ला उन्होंने डाल दिया और १० मिनट चोदने के बाद सारा माल निकाल दिया और एक दूसरे को चूमने चाटने लगे।
बाद में अंकल माँ जी से बोले- माँ जी ! अब मैं होटल रह लूँगा !
माँ जी बोली- बिल्कुल नहीं ! अगर पुरुषोत्तम को मालूम हुआ न तो वो हम दोनों की वाट लगा देगा ! तू अपना काम कर ! तू रात को घर आयेगा।
रात को अंकल ने ८ बजे मां जी को कहा कि वो आज लेट हो जायेंगे, खाना बाहर से ही खा के आएंगे, आप सो जाना, मैं ख़ुद दरवाज़ा खोल लूँगा।
मैं अंकल के कमरे में लेट गई और सिप कर कर के दारू पी रही थी। इंतजार में मैंने ३ पेग डाल लिए। तभी अंकल को कोई कार से छोड़ने आया, दोनों बातें करते हुए गेट बंद कर अन्दर आ गए। मैंने सोचा कि अंकल अकेले आयेंगे इसलिए मैं सिर्फ़ पैंटी टी-शर्ट में थी। अंकल बोले- यह मेरा पार्टनर है, बहुत बढ़िया चोदेगा।
वो दोनों मेरी तरफ़ बढ़े, बेड पे एक एक ओर से, दूसरा दूसरी ओर से।
अंकल मेरी जांघें सहलाते हुए बोले- इतनी खूबसूरत हसीन लड़की क्या चीज़ है यार गुप्ता ! अपनी माँ से ज्यादा आग लिए घूमती है।
ओह वो मेरे होंठ चूसने लगा। पास में बोतल देख अंकल बोले- पी ली?
चल एक एक पैग लगायें !
नशे मे मैंने कब उनका लण्ड निकाल चूसना शुरू कर दिया.
उसके बाद क्या क्या हुआ, जरूर बताऊंगी, अगर मेरी यह चुदाई अन्तर्वासना वाले छापते हो तब !
दोस्तों ! चुदाई का किस्सा जारी रहेगा।
उम्मीद है इस बार अन्तर्वासना अपनी इस नियमित पाठक को नजरअंदाज़ नहीं करेगी !
बाय बाय ! Indian Sex Stories
इससे पहले मैं अपनी कुछ कहानियाँ Hindi Sex Stories भेज चुका हूँ। मेरी एक कहानी का नाम था “कैसे मैं बन गया गांडू “
चलो खैर दोस्तो ! वो सब कुछ मैंने बता दिया था कि किस तरह बचपन से लड़की होने के लिए भगवान् को कोसता रहा और आखिर भगवान् ने वो तो नहीं लेकिन लड़की जैसा जिस्म दे डाला। मेरी छाती और शरीर की बनावट काफी हद तक लड़कियों जैसी है, पोले पोले मम्मे आकर्षक निप्पल गोल-मोल गांड !
आज मैं आपको एक और नवीनतम लौड़े के बारे बताऊंगा।
हुआ यूँ कि मैं याहू पर चैट कर रहा था। मैंने एक लड़की का आईडी बना रखा था। उस पे मैं कई मर्दों से बातें करता रहता। एक दिन मुझे अपने ही शहर का एक मर्द मिला जिससे खूब चैट की मैंने ! उससे पूछा कि कभी अपनी पत्नी की गांड मारी है?
वो बोला- मेरी घरवाली गांड पे लौड़ा तक नहीं रखने देती, लेकिन मुझे गांड मारने में बहुत मजा आता है।
वो बोला- क्या हम मिल सकते हैं?
उसने मेरा मोबाइल नंबर माँगा।
मैंने कहा- मेरे पास है ही नहीं मोबाइल ! अपना दे दो !
उसने अपना नंबर दे दिया। मैंने कोई कॉल नहीं की।
अगले दिन वो फिर जब चैट पर आया, उसने कहा- आपने फ़ोन नहीं किया?
मैंने कहा- नहीं हो सका, सॉरी !
कोई बात नहीं- वो बोला- आज मेरी पत्नी और बच्चे घर में नहीं हैं, वो अपने मायके गई है। मुझे मिल सकती हो ?
मेरा भी नया लौड़ा लेने का दिल था, आखिर कितने दिन से मेहनत की थी। लेकिन क्या करता ! था तो गांडू ! लड़की नहीं !
मैंने अपना वेबकैम लगाया, सबसे पहले अपनी गाण्ड दिखाई। मेरी गाण्ड देख किसी का भी लौड़ा खड़ा जाता। मैंने वेबकैम के सामने गाण्ड गोल-गोल मटका के दिखाई और फिर अपना ऊपर का हिस्सा छाती !
वो बोला- चूत दिखाओ !
मैंने कहा- वो है ही नहीं !
क्या ?
मैं गांडू हूँ !
बोला- नहीं ऐसी गांड, मम्मे किसी लड़के के नहीं हो सकते ! क्यूँ मज़ाक करती हो?
मैंने उसको चेहरा दिखाया और बोला- मेरी गांड मारनी हो तो बोल दो, अभी आ जाऊंगा।
तू बी-ब्लाक मार्केट में गुरु नानक बेकरी के बाहर आ जा ! मैं काले रंग की लैंसर में आऊंगा ! ठीक है?
मैं बहुत गर्म था, जल्दी से पैन्ट डाली, टीशर्ट पहनी और वहां जा खड़ा हो गया।
उसके वहां आते ही मैं गाड़ी में बैठ गया। उसने बरमूडा पहना हुआ था, बोला- बेफकूफ बनाया मुझे इतने दिन से?
सब शिकायेतें दूर कर दूंगा बिस्तर में !
बहुत चिकना है तू यार !
मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरते हुए बरमूडा में हाथ डाल लिया- हाय ! क्या लौड़ा मिला है !
वो बोला- एक बार टीशर्ट उतारो !
मेरी ब्रेस्ट देख बोला- तू माल कमाल का है, कितनों से चुदा है?
वो कार चलाता रहा, मैंने नीचे जाकर, बाहर निकाल, लौड़ा मुँह में ले लिया। वह ओह यार !
जुबां से चाट कर उसको गर्म किया, इतने में घर आ गया। सीधी कार अन्दर ! मुझे अपने बेडरूम में ले गया, दो ग्लास ठंडी बियर के ले आया। मैं एक बार में ही पी गया। ऐसे तीन मग पीने के बाद सरूर आने लगा।
उसने मुझे नंगा कर दिया और मेरे निपल चूसने लगा। मैं उसके लौड़े को हाथ में लिए मुठ मार रहा था। मैंने फिर उसका लण्ड मुँह में लिया और चूसने लगा।
वाह राजा ! ऐसी तो कोई लड़की नहीं मिली जो तुम कर रहे हो ! लड़की भी नहीं करती और चूस ! चूस ! छूटने वाला हूँ ! अह अह अह करते हुए उसने सारा पानी मेरे मुहं में निकाल दिया।
मैंने चाट कर उसका लौड़ा साफ़ किया।
कैसा लगा माल?
बहुत स्वादिष्ट !
वो मेरी गांड से खेलने लगा। मैंने फिर से मुँह में लिया, वो मेरी गांड में जुबान डाल कर चाटता !
अब चोदो !
पास में पैन्ट से उसको कंडोम दिया, अपने हाथ से चढ़ा दिया, दोनों टांगें चौड़ी करते हुए उसको इशारा किया, उसने धक्का मारा, बहुत मोटा था पर मैंने सह लिया। ऐसे करते करते पूरा घुस गया और वो रफ़्तार पकड़ने लगा।
और चोद मुझे ! अह अह और फाड़ मेरी ! तेरी रांड बन कर रोज़ चुदने आउंगी ! अह अह !
उसने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से मारने लगा।
हाय राजा ! क्या चोदता है तू ! उई फाड़ डाल !
बीस मिनट वो अलग तरीकों से चोदता हुआ झड़ गया। मैंने कंडोम खोल उसका लौड़ा मुँह में डाल लिया, गांड से निकल कर आया था, बहुत गर्म था।
वाह मेरे राजा ! मेरा बच्चा ! कल सुबह आना वहीं ! ठीक है?
अगले दिन जाकर फिर चुदा।
उसके बाद उसको जगह नहीं मिल रही थी।
एक दोस्त के घर लेकर गया, वहां क्या हुआ, वो सब अगली बार ! Hindi Sex Stories
हाय दोस्तो, मैं मुकेश, मैंने पहले भी एक Hindi Porn Stories बार एक कहानी “चुदाई या छुप्पम-छुपाई” लिखी थी। मुझे कुछ लोगों के उत्तर भी मिले थे पर उतने अधिक नहीं। हो सकता है कि शायद ज्यादा लोगों को मेरी कहानी पसन्द नहीं आई हो, अगर आज की कहानी अच्छी लगे तो कृपया अवश्य लिखें।”
बात उन दिनों की है जब मैं बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में पढ़ता था। एक बार मैं अपने मामा के सेब के बगीचे में गया जो कि हिमाचल में है। मेरे सबसे बड़े मामा और उनका परिवार भी वहीं रहते हैं। उनका लड़का बाहर पढ़ता था। मामी, मामा, और उनकी लड़की सभी सरकारी नौकरी में हैं। मैं अक्तूबर के महीने में उन लोगों के पास गया था, यानि की बात अक्तूबर माह की है। उस समय अभी बर्फ नहीं गिरी थी, तो पालतू जानवरों के लिए घास काटकर सुखा ली जाती है जो बर्फ गिरने के समय जानवरों को खाने के लिए दी जाती है। वास्तव में बर्फबारी के बाद हरी घास नहीं मिल पाती है इसलिए पहले ही काट कर जमा कर ली जाती है।
मामी ने विद्यालय से छुट्टी ले रखी थी, और हमारे माली की घरवाली यानि मालिन भी उन के साथ घास काट रही थी। उसका नाम स्वाति था। मैंने जब मालिन को देखा तो देखता ही रह गया… यार क्या बताऊँ, क्या सॉलिड माल थी। उम्र तकरीबन २६-२६ की थी और एकदम मस्त फिगर, काम वगैरह करते रहने की वजह से उसकी डील-डौल एकदम कमाल की थी, और बदन कसा हुआ था। ठीक से तो नहीं बता सकता पर शायद ३६-२६-३४ की फिगर रही होगी, जिसे याद कर के आज भी मुझे बहुत मज़ा आता है। जब मैंने उसे देखा तो मैंने सोचा कि अगर इसकी मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
इस चक्कर में मामी के मना करने के बावज़ूद भी उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। घास काटने का काम ८-१० दिनों तक चलना था और उस दिन तो पहला ही दिन था, और मेरे कॉलेज में छुट्टियाँ भी थीं तो मैंने सोचा, अभी तो काफी समय है, मुझे प्रयास करना चाहिए, शायद किस्मत मेहरबान हो जाए।
मैं ज्यादातर उसके आस-पास ही काम करता रहता था। मैं घास को इकट्ठा कर के उस को बाँधता था। जब वह घास काटने के लिए झुकती तो उस के मम्मे उस की कमीज के ऊपर से दिख जाते। पहाड़ों में काम करते समय, औरतें ज्यादातर ब्रा नहीं पहनतीं। तो बार-बार देखने पर कभी-कभी मुझे उसके निप्पल भी दिख जाते, कसम से मेरा एकदम खड़ा हो जाता था। मैं बड़ी मुश्किल से उसे छुपाता था। डरता था कहीं मामी को पता न चल जाए। मैं इसलिए उनसे दूर ही रहता था।
मालिन ने मुझे कई बार घूरते हुए देख लिया था और शायद उसने पैन्ट के अन्दर मेरे खड़े लण्ड को भी देख लिया था। इसलिए वह कभी-कभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देती थी। मैंने धीरे-धीरे उससे बात करनी शुरू कर दी और वह भी मुझसे बात करने में खुलने लगी। जब शाम हुई तो मामी कहने लगी कि मैं घर जाकर कुछ खाने के लिए बनाती हूँ, तुम लोग थोड़ी देर बाद आ जाना। और वह वहाँ से चलीं गईं।
अब मैं और वह अकेले रह गये, तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा पति कहाँ रहता है, तो उसने बताया कि उसकी ननद बीमार है और अस्पताल में भर्ती है, जो यहाँ से करीब ४० किलोमीटर दूर है। और मैंने उसके बच्चों के बारे में पूछा तो बोली कि दो हैं, एक लड़का ४ साल का, और लड़की २ साल की, वे उसकी सास के पास रहते हैं। उनका घर भी वहीं पर थोड़ी सी दूरी पर था, मतलब मामाजी के घर से दिख जाता था। और मैं उससे ऐसे ही इधर-उधर की बातें करता रहा, वो भी मेरे बारे में पूछती रही। समय हो गया और हम दोनों वापस मामा के घर आ गए, जहाँ मामी ने कुछ खाने के लिए बना रखा था। और वह उस दिन मेरे लण्ड को खड़ा ही छोड़कर चली गई। अब मुझे जल्दी से अगले दिन का इन्तज़ार था कि कब सुबह हो और वह आए।
अगले दिन वह फिर आई और मैं उस दिन भी उस के साथ काम कर रहा था, मैं कभी उस के मम्मे देखता और कभी उस के पीछे जा कर उसकी गाँड देखता। तभी उसके हाथ में काँटा चुभ गया और वह दर्द की वजह से हल्के से चिल्लाई। मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो उसने जवाब दिया कि हाथ में काँटा चुभ गया। तब मैंने उसका काँटा निकालने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया और काँटा निकालने लगा। धीरे-धीरे उस के बाज़ू को सहलाने लगा, मगर वह काँटा इतनी जल्दी नहीं निकल रहा था, मैंने उसे कहा कि इसे पकड़ कर बाहर खींचना पड़ेगा, तो वह बोली, कैसे खींचें, यहाँ तो कुछ भी नहीं है। तभी मैंने उसका अँगूठा अपने मुँह के पास लाया और अपने दाँतों से उसे निकालने लगा, मगर वह इतनी आसानी से नहीं निकल रहा था, थोड़ी मेहनत करने के बाद वह निकल गया। मगर उस के हाथ से खून बहने लगा, तो मैंने उसका अँगूठा चूस लिया, तो वह बोली, छोड़ दो, कोई देखेगा तो जाने क्या समझेगा। हालाँकि वहाँ कोई और नहीं था पर मैंने फिर भी छोड़ दिया। ओर हम फिर से काम करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- स्वाति एक बात बताऊँ?
तो वह बोली- क्या?
मैंने कहा- यार तुम बड़ी टेस्टी हो !
तो वह बोली- क्या मतलब?
तो मैंने कहा- मतलब कि तुम्हें खाने में बहुत मज़ा आएगा !
वह मेरा मतलब समझ गई और बोली- “धत्त” ! अपना काम करो।
तो मैंने कहा- नहीं सच में तुम बहुत ख़ूबसूरत हो, और टेस्टी भी हो, तुम्हें खाने में सही में बहुत मज़ा आएगा।
तो वह बोली- सही में मुझे खाना चाहते हो?
तो मैंने कहा- चाहता तो मैं बहुत कुछ हूँ पर…। और मैं चुप हो गया तो वह बोलने लगी- क्या चाहते हो बताओ?
मैंने कहा- कल बताऊँगा, तो वह बोली- नहीं अभी बताओ।
हम बातें कर ही रहे थे कि मामी आ गईं और बोलीं- चलो काफी शाम हो गई है। और हम तीनों वापिस घर आ गए।
फिर अगले दिन मामी को स्कूल जाना था और पीछे हम दोनों ही रह गये थे और हम दोनों साथ-साथ काम कर रहे थे और वह मुझसे पूछने लगी कि हाँ अब बताओ कि क्या चाहते हो।
तो मैंने कहा- छोड़ो तुम बुरा मान जाओगी।
इस पर वह बोली- नहीं तुम बताओ मैं बुरा नहीं मानूँगी।
तो मैंने कहा- मेरा दिल तुम्हें चूमने का करता है।
वह थोड़ी देर खामोश बैठी मेरी तरफ देखती रही और मैं डर गया कि शायद यह कहीं मेरी शिकायत न कर दे। पर थोड़ी देर बाद वह बोली कि ऐसा नहीं बोलती, तब मैं थोड़ा सामान्य हुआ फिर कहा- तुम ही बार-बार पूछ रही थी, तो मैंने बता दिया।
उसके बाद वह कुछ चुपचाप रहने लगी, और मैंने सोचा सारा खेल ही खराब हो गया। हम पूरा दिन थोड़ी-बहुत बात करते रहे, शाम के समय वह ऊपर वाले खेत पर जा रही थी, और मैं ठीक उस के पीछे था। उसका पैर फिसला और वह गिरने लगी, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया, और मेरा एक हाथ उसकी कमर में और दूसरा उसकी दाईं चूची पर आ गया। मैं भी ठीक से संतुलन नहीं बना पाया, और हम दोनों ही नीचे वाले खेत में गिर गये, मैं नीचे और वह मेरे ऊपर।
हम थोड़ी देर यूँ ही रहे और फिर वो और मं जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने तब भी उसका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ रखा था और उसकी गाँड बिल्कुल मेरे लण्ड पर थी, मैंने पतले से सूट के अन्दर उसकी निप्पल पकड़ ली और मसलने लगा। वह फिर भी हँसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाल पर चूम लिया, मैं गरम हो चुका था। तब वह हँसते-हँसते उठ गई। मैं भी उठ गया और उससे कहने लगा कि मेरे पीठ में जलन हो रही है, वास्तव में खेत में पत्थरों पर गिर पड़ा था और थोड़ी बहुत खरोंच भी लग गई थी।
उस पर वह बोली- दिखाओ !
मैंने कहा- मुझे टी-शर्ट उतारनी पड़ेगी, अगर किसी ने देख लिया तो…?
वह बोली- उधर घने पेड़ों के बीच चलते हैं, वहीं देखते हैं। तो मैं और वह घने पेड़ों के बीच चले गये और मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मेरी पीठ पर रगड़ लगी थी, और वह बोली कि थोड़ा सा छिल गया है, अब यहाँ तो कोई क्रीम भी नहीं है, उसने बताया कि उसकी बाँह भी थोड़ी सी छिल गई है, तो मैंने कहा कि तुम्हारी बाँह के लिए क्रीम तो है, पर निकालनी पड़ेगी, वह थोड़ी देर से समझी और फिर हँसने लगी।
मैंने उससे कहा कि मेरे ज़ख्म ठीक हो सकते हैं, अगर तुम थोड़ा चूम लो तो। वह बोली ठीक है, और मेरी पीठ पर २-३ जगह चूम लिया। मैंने कहा कि मेरे होठों पर भी रगड़ लगी है, यहाँ भी चूम लो ना… तब वह बोली, आज नहीं, आज बहुत देर हो गई है, फिर कभी… मगर मैं मान नहीं रहा था, मैंने ग्रीन सिग्नल तो देख लिया था इसलिए उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। वह भी गरम हो गई थी और मेरा साथ देने लगी।
तब मैंने उसका मोम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। वह उम्म्म्म… आआआहहहह हह… की आवाज़ों में सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी कमीज़ ऊपर कर दी और उसका एक मम्मा चूसने लगा और दूसरी हाथ से दबाने लगा। मैं बारी-बारी से उस के दोनों मम्मे चूस रहा था। तभी मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत थोड़ी गीली हो गई थी। पर मेरी किस्मत खराब थी कि मामी हम दोनों को जोर-जोर से आवाज़ लगा रही थी। और हम दोनों को जाना पड़ा। तो मैंने उसे कहा कि बाकी का कल करेंगे, तो उसने कहा कि अब तो यह बस होता ही रहेगा। और हम दोनों वापिस घर आ गये।
कुछ खाने के बाद मामी ने कहा कि जा इसे इसके घर छोड़ दे। आज थोड़ी देर हो गई है, जल्दी ही अँधेरा हो जाएगा तो मैं उसे उस के घर छोड़ने चल पड़ा। हम रास्ते में भी खूब चूम्मा-चाटी करते रहे और मैंने उसके मम्मे चूसे। वो रात मेरी बहुत मुश्किल से कटी।
मैं सुबह ही उठ गया और उसका इन्तज़ार करने लगा। मामा-मामी सुबह ७ बजे ही स्कूल निकल जाते थे। वह तकरीबन ९:०० बजे आई और हम दोनों फिर बगीचे में चले गये। बगीचे के साथ-साथ एक दूसरे गाँव का रास्ता भी जाता है, इसलिए वहाँ सुबह थोड़ी चहल-पहल होती है तो हम सिर्फ बातें ही करते रहे। उसने बताया कि उसके पति ने कभी भी उसके निप्पलों को नहीं चूसा, वह सिर्फ मम्मे ही दबाता है। अब तो वह सेक्स भी हफ्ते में शायद एक बार ही करता है। और रोज़ शाम को देसी दारू पी लेता है और सो जाता है।
वह बोली कि मैं सारी रात तुम्हारे बारे में सोचती रही और सो नहीं पाई। दोपहर के समय हम दोनों फिर घने पेड़ों में गये और मैंने उसे जाते ही चूमना शुरू करक दिया। और मैंने उसके मम्मे दबाने और कमीज़ के ऊपर से ही चूसने शुरू कर दिये, वह केवल सिसकारियाँ भर रही थी, और मेरे सिर को अपने मम्मों के बीच दबा रही थी। मैं सच में उस वक्त ज़न्नत में था।
मैंने उसको ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी सलवार खोल दी, उसकी चूत एकदम गोरी-चिट्टी ती। उसपर थोड़े बाल भी थे, मैंने हाथ से बाल हटाकर देखा, उसकी चूत अन्दर से गुलाबी थी। मैंने उसमें अपनी एक ऊँगली डाल दी। वह एकदम गीली और चिकनी थी, मैं ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा और उसके मम्मे चूसने लगा। वह उफ्फ्फ्फ… आआआहह हह… उईईई मममाँआआ की आवाज़ें निकाल रही थी। बीच-बीच में उसे चूम भी रहा था।
मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा, तो वह बोली- नहीं यह गन्दा होता है। पर मैंने उसे काफी प्रयास करने के बाद मना लिया, फिर वह मेरा लण्ड चूसने लगी। उसने थोड़ी देर चूसा और मैं फिर से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और मम्मे चूसने लगा। अब मैंने अपनी दो ऊँगलियाँ उस की चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।
वह ज़ोर-ज़ोर से हम्म्म… आआ आआहह हहह… उउफ्फ्फ्फ… आआआहहह… करने लगी और जब वह अपनी दोनों टाँगें इकट्ठी करने लगी तो मैं रूक गया। मैं समझ गया कि वह पूरी तरह तैयार हो गई है। तभी मैंने अपनी पैंट की जेब से कोहिनूर कंडोम निकाला और लण्ड पर चढ़ा लिया, जो कि लोहे की तरह सख्त हो रहा था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत के मुहाने पर लगाई और हल्का सा झटका दिया। वह दर्द से आआआआह हहहह… करने लगी, तो मैंने कहा तुम्हें अब भी दर्द हो रहा है?
तो वह बोली- तुम्हारा मेरे पति से मोटा है, और लम्बा भी। तभी बातें करते-करते मैंने दूसरा ज़ोर का झटका दिया और अपना सारा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और वह दर्द से उफ्फ्फ करने लगी। और मैंने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी सी रफ्तार बढ़ा दी। वह आँखें बन्द करके मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी। मैंने ७-८ मिनट बाद उसे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के लगाने लगा और उसे ऊपर-नीचे होने को कहा। अब वह ऊपर-नीचे हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और एक पेड़ से उसकी पीठ लगा दी और उसकी दोनों टाँगें हाथ में उठा लीं और उसे हवा में उठाकर चोदने लगा। मैं बहुत ज़ोर से धक्के लगा रहा था और मैंने फिर उसे नीचे लिटा दिया और धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी थी। उसने एकदम अपनी टाँगें सिकोड़ लीं, मैं समझ गया कि वह छूट गई है, मैं फिर भी धक्के लगा रहा था। थोड़ी देर बाद जब मैं छूटने वाला था तो वह बोली कि मैं दुबारा छूटने वाली हूँ, और थोड़ी देर में हम दोनों शान्त हो गए।
मैंने उससे पूछा कि मज़ा आया या नहीं? तो वह कहने लगी कि आज पहली बार यह हुआ कि मैं दो बार छूटी हूँ, और ऐसे तरह-तरह से पहली बार चुदी हूँ। उसके बाद हम दोनों फिर काम पर लग गए। फिर तो हम दिन में कम से कम ३-४ बार कर ही लेते थे।
तो यह थी मेरी कहानी। कैसी लगी दोस्तों, ज़रूर बताना, मैं इन्तज़ार करूँगा। अगर आपलोगों ने उत्तर दिये तो मैंने मालिन की जेठानी को कैसे चोदा, इसकी कहानी भी लिखूँगा।
एक ज़रूरी बात मैं और कहना चाहता हूँ कि कृपा करके दोस्तों, किसी पराई-स्त्री के साथ सेक्स करते समय अच्छी क्वालिटी का कॉण्डोम ज़रूर लगा लें, क्योंकि दोस्तों “जान है तो जहान है”। अलविदा दोस्तों, मेरे पास बहुत से किस्से हैं, समय मिला तो ज़रूर सुनाऊँगा। Hindi Porn Stories
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