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मैंने अभी अभी 18वें वर्ष में कदम रखा है। antarvasna इतने सालों से मैं घर में माँ को ही देखते आ रही हूँ। मेर एक छोटा भाई भी है तो अभी सिर्फ़ 10 वर्ष का ही है। मेरी माँ की उमर लगभग 40 वर्ष की है। यूँ तो दिखने में वो आकर्षक लगती हैं, पर शायद अधिक काम की वजह से वो थकी हुई रहती है। मेरे पापा का देहान्त हुए 6 साल हो चुके थे। तब से मम्मी ही घर को सम्भालती आ रही है।
मुझे पता था कि माँ एक काल गर्ल के रूप में काम करती थी। अधिकतर वो जीन्स और शर्ट में रहती थी। और अपने आप को एक कम उम्र की लड़की बताया करती थी। पर अब लोगों की नजर मुझ पर भी पड़ने लग गई थी। उभरती जवानी की खुशबू फ़ैलने लगी थी। मैं भी अपनी माँ की तरह सुन्दर थी और मेरे नाक नक्शे और कट्स भी अच्छे थे। मैं अब कॉलेज जाने लगी थी। मुझे सेक्स का ज्ञान तो पहले से ही था। अब मुझे सहेलियों के द्वारा चुदाने और गाण्ड मरवाने की कहानियाँ भी सुनने को मिल जाती थी। चुदाने के बाद लड़कियाँ आई-पिल्स को भी बहुत काम में लाती थी। मेरे दिल में भी कभी कभी सेक्स की भावना जागृत हो उठती थी। पर मुझे इससे डर भी लगता था कि लड़के ना जाने क्या करते होंगे।
एक बार माँ रात को घर नहीं आई तो मैं घबरा उठी। मैंने बहुत बार मोबाईल पर सम्पर्क करने की कोशिश की पर फोन का स्विच ऑफ़ था। माँ के कॉल गर्ल होने के कारण, मैंने डर के मारे आस पास किसी की मदद भी नहीं ली। मैं आस पास धीरे धीरे सभी से पूछती रही, पर निराशा ही हाथ लगी।
फिर एक दिन एक पुलिस वाला घर आया और मुझे थाने में एक लाश की पहचान करनी थी। होस्पिटल में शव-गृह में एक बर्फ़ में रखी लाश को मैं पहचान गई। वो मम्मी ही थी, उनकी हत्या हुई थी। मुझे ये तो पता नहीं था कि क्या करना चहिये था पर डर के मारे मैंने मना कर दिया कि इसे मैं नहीं पहचानती हूँ। पर घर आ कर मैं बहुत रोई।
दिन ऐसे ही गुजरते गये, इस घटना को एक साल बीत गया। मेरा छोटा भाई भी बीमार रहने लगा था। अब मुझे पैसों से परेशानी आने लगी थी। हमें कभी खाना नसीब होता था कभी तो भूखे ही रहना पड़ता था।
माँ के मरने का प्रमाण पत्र मेरे पास नहीं था तो उनका पैसा भी मेरे काम नहीं आ सका। गरीबी मेरे सिर पर आ चुकी थी, मैंने एक घर में बर्तन और झाड़ू पोंछा का काम शुरु कर दिया था।
इस दिनों कॉलेज में मेरी एक लड़के कुलदीप से पहचान हो गई थी। बातों बातों में मेरे मुख से निकल गया कि इस बार पढ़ाई जैसे तैसे करके परीक्षा दे दूंगी पर आगे से तो ईशवर ही मालिक है।
वो लड़का एक बिजनेस मेन का लड़का था, शायद वो मुझे चाहता था, उसने अपने पापा से कह कर मुझे अपनी फ़ैक्टरी में लगवा दिया था।
अब मेरी मुश्किलें थोड़ी कम हो गई थी। उसके पापा रमेश चंद की बुरी नजरें मुझ पर पड़ चुकी थी।
एक दिन उन्होंने मुझे अपने दफ़्तर में बुला कर कहा कि यदि तुम अधिक पैसा कमाना चाहती हो तो तुम अपनी माँ का धन्धा अपना लो, मालामाल हो जाओगी। मैं घबरा उठी कि ये सब कैसे जानते हैं। पर जल्दी ही पता चल गया कि वो कॉल-गर्ल के शौकीन थे। शायद मेरी माँ उनके पास जाया करती थी। उनके पास दूसरी लड़कियाँ भी आती थी जिनके साथ वो मौज मस्ती करते थे।
एक बार उसने मुझे एक रात के लिये 1000 रु ऑफ़र किये। मैं चुप ही रही। पर पैसों की तंगी और पढ़ाई को देखते हुए एक बार मैंने यह निश्चय कर लिया कि जब मेरी माँ यह काम कर सकती थी तो मैं क्यों नहीं कर सकती हूँ। एक दिन मैंने उन्हें हिम्मत करके हाँ कर दी।
उन्होंने मुझे नई जीन्स और टॉप दिलाया। कई तरह की खुशबू और तरह तरह के कॉस्मेटिक्स दिलाये और रात को बुला लिया। यह वो घर नहीं था जहाँ वो रहते थे, इसे वो फ़ार्म हाऊस कहते थे। पूरा खाली था सिर्फ़ एक बड़ी उमर की औरत वहाँ काम करती थी। मैंने जिंदगी में पहली बार इतना मंहगा और स्वादिष्ट खाना खाया था।
बहुत देर तक तो वो मेरे से बातें करते रहे, फिर अपना फ़ार्म हाऊस घुमाया और अन्त में मुझे अपना बेड रूम दिखाया जहा मुझे उसके साथ खेल खेलना था।
खूबसूरत सा बेड रूम, नरम गद्दे, एयर कन्डीशन, कमरे में शानदार खुशबू, मन को खुश करने को काफ़ी था। उसे देख कर मैं अपने आप को बहुत छोटा समझने लगी।
उन्होंने मुझे कहा कि मैं अब आराम करूं, उन्हें कुछ काम करना है।
मैं बिस्तर पर लेटी तो जैसे स्वर्ग में आ गई। बदन को सहलाता नर्म गद्दा, और भीनी भीनी खुशबू ने मुझे कब सुला दिया मुझे पता ही नहीं चला।
पता नहीं कब, रात को मेरे बदन के अन्दर उनका हाथ रेंगने लगा। नींद में मुझे सपना जैसा लगा। मेरे बोबे में मिठास सी भरने लगी। इतना प्यारा सा अह्सास हुआ कि मैंने आंखे बन्द ही रहने दी और आनन्द लेने लगी।
मेरा टॉप ऊँचा हो गया, मेरी छातियाँ नंगी हो गई थी। मेरे निप्पल को होंठों से दबा कर चूसने लगा। मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। मैंने धीरे से अपनी आँखें खोली तो वो रमेश ही था। उसका नंगा बदन मेरे सामने था।
रमेश सेक्स के मामले में एक अनुभवी इन्सान था। उसने मुझे आहिस्ता से उत्तेजित किया और जब मैं वासना से भर गई तो उन्होंने मेरे कपड़े एक एक करके उतार दिये। मुझे उनका लण्ड बहुत प्यारा सा लगने लगा। मैं बार बार उसे पकड़ लेती थी और अपनी तरफ़ खींचती थी।
वो मेरे निप्पल को अपनी अंगुलियों से धीरे धीरे मसलने लगे। एक तीखा सा मजा आने लगा। मेरे उरोज को भी वो सहलाने और मसलने लगा। मेरे मुख से सिसकारियाँ निकल पड़ी, चूत गीली हो उठी, धीरे धीरे चिकना रस छोड़ने लगी।
उसका बलिष्ठ शरीर मेरे जिस्म से रगड़ खा कर गुलाबी सा मीठा सा मजा दे रहा था। मेरे अंग अंग को मसल कर वो मस्त किये दे रहा था।
मैं चुदने के लिये बिल्कुल तैयार थी। अब महसूस हो रहा था कि वो मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दे और बस अब चोद दे। बिना इस बात को जाने कि ये मेरी पहली चुदाई होगी और मेरी झिल्ली फ़ट जायेगी। चूत में एक अन्दर वासना युक्त मिठास भरने लगी थी। मुझे पहली बार ऐसे अनोखे आनन्द का मजा आ रहा था। सोचा कि लोग इसे बुरा क्यो कहते हैं? जिस काम से इन्सान मस्त हो जाये, असीम सुख मिले, उससे परहेज़ क्यूँ?
तभी उसने अपना लण्ड मेरे मुख के पास लाकर होंठों से सटा दिया। यह मेरा नया अनुभव था।
‘यह क्या कर रहे हो?’ एकाएक मुझे घिन सी आई।
‘इसे किस कर लो!’ रमेश ने कहा।
मैंने मजबूरी में उसे किस कर लिया।
‘ऐसे नहीं, मुँह में ले कर चूसो!’ उसने फिर से अपना मोटा सा लण्ड मेरे होंठों से छुला दिया।
‘हटो, ये नहीं करूंगी।’ मैंने घिन से अपना चेहरा घुमा दिया।
वो थोड़ा सा निराश हो गया।
मैंने ऐसा कभी नहीं किया था सो मुझे इस काम से और भी घिन आने लगी थी। मेरा सोचना था कि भला पेशाब करने की जगह को कौन मुँह में ले सकता है?
उसने कुछ नहीं कहा पर उसका चेहरा अब मेरी चूत पर झुक गया था और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया।
‘अरे ये क्या कर रहे हो,… ये तो पेशाब की जगह है छी:, हटो, जाने क्या कर रहे हो?’ मुझे उसकी ये हरकत बड़ी अजीब सी और घिनोनी लग रही थी कि ये पेशाब करने की जगह को ही क्यों मुख से लगा रहा है। बस लण्ड घुसेड़ना हो तो घुसेड़ दो, दोनों ही पेशाब करने जगह ही तो हैं…
‘अब तुम मुझे कुछ करने दोगी या नहीं…!!’ वो कुछ नाराज़ से लगे।
‘तो करो ना, चालू करो ना वो, यहाँ वहाँ गन्दी जगह मुँह मत लगाओ।’ मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा।
रमेश मुस्करा उठा, और मेरे ऊपर चढ़ गया।
‘क्या पहला मौका है?’ रमेश मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया, उसका लण्ड तन्ना रहा था.
मुझे भी चुदाई का आनन्द पहली बार मिलने वाला था। मेरी चूत की दरारों में उसने अपना लण्ड ऊपर नीचे घिसा। मेरा दाना फ़ड़क उठा, एक मीठी सी टीस उठी।
‘हाँ, यह पहला मौका है, पर जल्दी करो ना, घुसा डालो ना…!’
‘मजा आ रहा है ना?’
‘जी हाँ, बहुत मजा आ रहा है!’ मैंने हाँ में सर हिला दिया।
मुझे चुदाने के लिये उन्होंने एक हज़ार रुपये भी दिये थे, और स्वर्ग सा आनन्द भी मिल रहा था, सो मैंने अपनी टांगें ऊपर कर ली और अपनी चूत खोल दी।
‘तुम्हें डर नहीं लगता है ऐसे?’ मेरे होंठों को चूमते हुए बोले।
‘डर कैसा, आप तो मेरे दोस्त के पापा हो ना, आपके पास तो मैं बहुत सुरक्षित हूँ।’ मैंने भोलेपन से कहा।
‘तुम्हारा कुंवारापन चला जायेगा, फिर मैं जो करने वाला हूँ उससे सुरक्षित कैसे रहोगी?’
‘मैं पैसे के लिये यहाँ वहाँ भीख मांगती हूँ, मुझे कॉलेज छोड़ना पड़ेगा, अब मैं फ़ीस दे सकूंगी और परीक्षा दे सकूंगी, मेरी माँ नहीं है ना अब… घर में छोटा भाई भी है, भूख से बीमार रहता है। मुझे तो ये सब करना ही पड़ेगा ना। मेरी माँ भी यही करती थी ना।’
रमेश ने मुझे एक गहरी नजर से देखा, उनके चेहरे पर शर्मिन्दगी सी दिखी। उनका फूला हुआ लण्ड सिकुड़ता सा लगा। मैंने अपनी चूत का जोर उनके लण्ड पर लगाया, पर शायद वो मुरझा कर लटक गया था। मुझे लगा शायद ये कर नहीं पाते होंगे। पर ऐसा नहीं था।
‘तुम मेरे पास कैसे सुरक्षित हो, मुझे समझ में नहीं आया…!’ रमेश कुछ असमंजस में दिखा।
‘संदीप कहता है, आप बहुत अच्छे है, मुझे पता है आप ये सब करने के बाद मुझे पैसा देंगे।’ मैंने अपनी जरूरतें उसे बताई।
‘हाँ वो तो दूंगा ही!’ वो हैरान होता जा रहा था।
‘बस, तो मेरी कॉलेज की फ़ीस हो जायेगी, मेरे भाई को भी आगे पढ़ाऊँगी.’ मैंने सहजता से कहा।
वो बिस्तर छोड़ कर उठ खड़े हुए, कपड़े पहनते हुए बोले ‘उठो, और कपड़े पहन लो…! बस बहुत मजा कर लिया!’
मैं घबरा गई, और उनके पांव पकड़ लिये- नहीं नहीं जी, ये क्या… लाओ मैं चूस लेती हूँ, आप चाहे जो करो… पर प्लीज जाओ मत!’
‘दुनिया में यही सब कुछ नहीं है, बस अब नहीं… तुम इस काम के लिये फ़िट नहीं हो!’
मुझे अपने 1000 रुपए जाते हुए लगे। मेरी नजरों के सामने वही भूख और मजबूरियाँ नजर आने लगी। मुझे फिर वही अन्धेरे डराने लगे। मन में सोचा अरे मैंने यह क्या कर दिया… अब क्या होगा। इतना क्यूँ बोला मैंने… मैं रूआंसी हो उठी।
रमेश ने अपने पास बुलाया और मेरा टॉप मुझे पहना दिया, मेरी जीन्स उठा कर कहा- चलो पहनो इसे!
चेहरा उदास हो गया, जैसे मेरी जान निकल गई हो, मैंने जीन्स पहन ली और फ़फ़क के रो पड़ी ‘अब मैं परीक्षा नहीं दे पाऊँगी…’ रोते हुये हिचकी बंध गई।
रमेश ने मुझे गले से लगा लिया। उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था। शायद वो खुद पर शर्मिन्दा हो रहे थे।
‘मुझे माफ़ कर दो… इस उमर में भी मैं जाने क्या करता रहा हूँ, तुमने तो मेरी आंखें खोल दी… क्या मैं तुम्हें कॉल गर्ल बनाने जा रहा था।’ रमेश के चेहरे पर से वासना गायब हो चुकी थी। हाँ, मुख पर एक उजाला सा जरूर नजर आ रहा था। मैं उन्हें देखती रह गई।
उनकी छाती पर सर रखे मैंने विनती की- मुझे आप फ़ीस जमा कराने लायक पैसे दे दें तो मेरी तन्ख्वाह में से काट लेना, प्लीज… नहीं तो हमें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जायेगा।
‘मुझे माफ़ कर दो, अपने सीने में ये राज दबा लो कि मैंने तुम्हारे साथ ऐसा कुछ किया था, और मुझे नहीं पता कि मेरा तुम से क्या रिश्ता रहेगा, पर तुम मेरी दोस्त बन कर रहो, चाहे बेटी बन कर, चाहे जो रिश्ता बना लो, पर अब से तुम मेरे साथ ही रहोगी, मेरी फ़ैक्टरी में ऑफ़िस का सारा काम तुम ही सम्हालना… फिर से ध्यान रखना ये बात अपने दिल में ही रखना!’
‘जी… पर आप तो… आप अब मेरे साथ कुछ भी नहीं करेंगे… पर मुझे तो कुछ करने की लग रही है!’
‘अब चुप भी हो जाओ, ये उमर ही ऐसी होती है, शादी के बाद तो रोज ही करना… मुझे अब ये नहीं करना है बस!’
‘अंकल जी… मुझे नहीं पता है ये सब… पर मैं क्या कहूँ…’
‘कुछ नहीं कहो बस, मुझे मजबूरी, मासूमियत का फ़ायदा नहीं उठाना…!’ कहते हुए वो दूसरे कमरे में चले गये।
मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। ये सब कैसे हो गया, ये मेरे पर अचानक इतने मेहरबान कैसे हो गये। मेरी मजबूरी और सच्चाई जान कर क्या उनका दिल पिघल गया था। क्या सच में मेरे अच्छे दिन आने वाले थे।
मैं धीरे धीरे उसके कमरे में आ गई, वो खिड़की पर खड़े हुए थे, मैंने उनकी पीठ पर हाथ लगाया, जैसे उन्हें झटका लगा। तुरन्त उन्होंने मुड़ कर मुझे देखा। उनकी आंखों के आंसू छिप नहीं सके। मैंने धीरे से अपना सिर उनकी छाती पर रख दिया।
‘अंकल मुझे माफ़ कर देना, पैसों के लालच में मैं बहक गई थी, आप नहीं होते तो जाने क्या हो जाता, मेरी तो इज़्ज़त ही लुट जाती…! फिर मेरी शादी भी नहीं होती ना!’
रमेश ने मेरे सर में चूम लिया और अपनी बांहों में भर लिया।
मुझे भी शायद इसी प्यार की तलाश थी जिसे मैं वासना में खोज रही थी। मेरे दिल में ठण्डक आने लगी। सुकून सा आ गया। ऐसा प्यार मेरी आत्मा तक को छू रहा था।
रमेश ने मुझे देखा फिर अपनी पत्नी की तस्वीर को देखा और सर झुका कर मुझसे मुस्करा कर कहा- गुड नाईट, अब सो जाओ… मुझे अब इनसे भी माफ़ी मांगनी है।
कह कर उन्होंने अपनी पत्नी की तस्वीर की ओर देखा, फिर अपने बिस्तर की शरण ली और मुँह तक चादर ओढ़ ली।
मैंने कमरे की बत्ती बुझा दी और बाहर जाने लगी। फिर जाने क्या ख्याल आया, मेरे मन में उनके लिये प्यार उमड़ पड़ा। मैं भाग कर गई और उनकी चादर के अन्दर घुस गई और उनसे लिपट गई। मैं भावना में बह गई थी। उनके मुख पर चुम्बनों की बौछार कर दी और रो पड़ी। मुझे प्यार से उन्होंने एक तरफ़ लेटाया और मैं उनसे लिपट कर सो गई। मेरे प्यासे दिल को माँ-बाप जैसा प्यार मिल गया था। शायद बहुत दिनों बाद इतनी गहरी नींद, सुकून भरी नींद, प्यार भरी नींद आई थी।
सुबह उठी तो रमेश अंकल ने फ़ार्म हाउस की चाबी मुझे दे दी और अपने घर चले गये। मुझे वो सुबह एक नई सुबह लगी, शायद एक नई जिन्दगी की शुरुआत थी… तभी मुझे अपना भाई याद आया कि वो मेरी राह ताक रहा होगा और मैं अपने घर की ओर जल्दी जल्दी चल पड़ी! Antarvasna
मैं बिहार प्रान्त Antarvasna Stories के हाजीपुर जिले का रहने वाला हूँ। उम्र 25 साल होगी…
काम के सिलसिले में लुधियाना अक्सर जाना रहता था! वहीं कुकरेजा साहब को नौकर की ज़रूरत थी तो सोचा क्यों न मैं ही लग जाऊँ! साहब का बड़ा कारोबार था! वो अक्सर विलायत में रहते थे और मेमसाहब हमेशा पार्टी क्लब में रहती थी! उनकी एक बेटी थी .. बेटी क्या मानो अप्सरा .. जो जन्नत से उतरी हो…
हम प्यार से छोटी मेम कहते थे।
छोटी मेम हमेशा टीवी काम्पुटरवा में लगी रहती थी… ..और मैं अक्सर छोटी मेम का छुप छुप कर दीदार किया करता था…
छोटी मेम जूस पी लो…
ओह्ह हो! राजू सोने दे ना…
छोटी मेम हमेशा बड़ी बेखबर होकर सोती थी…
उस दिन भी… उनकी नायटी थोड़ी ऊपर थी और उनकी लातों के बीच गांड के दरार बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी, शायद अन्दर पैंटी नहीं पहनी है… उनकी गोरी गोरी .. भरी भरी जांघें .. उनकी गोल गोल अध-खिली चूचियाँ ..
ओह यह अमीरों के जिस्म भी ना! मानो क़यामत .. वरना हमरा गाँव की लड़कियाँ .. भूरी-काली टांगें! वो भी बालदार .. छोटी चूची.. मुरझाई सी गांड… राम राम लंड का इन्सल्ट हो समझो ..
राजू! नहाने का पानी दे दिया ..?
अभी देता हूँ मेम… कहकर मैं गरम पानी बाल्टी में ले जाने लगा… शुक्र है वो क्या कहत है गीजर ख़राब था…
मैंने देखा कि मेम काली ब्रा और पैंटी में बाथरूम में इन्तज़ार कर रही थी…
उनकी पतली पेट में वोह नाभि के पास जो तिल था मानो काला हीरा .. वो बार बार अपने चूची चू रही थी ..
मेरा लंड लुंगी के बाहर झांकना चाह रहा था…
चिकनी पीठ मानो मक्खन जैसे…
घुटने और पिंडलियाँ… यौवन की मलिका .. कामसूत्र की पहेली… लंड का पहला रस छुट गया मेरा!
राजू! बोलकर अन्दर आया करो ..! कहकर मेम ने तौलिया ओढ़ लिया।
जाओ अब ..! बेवकूफ कहीं का…!
मैं चुपचाप अपने कमरे में चला गया… मैंने अपना लंड निकला… खड़ा था और रस टपक रहा था।
चल बैठ जा ..मेरे लंड, तू गरीब है .. तेरे नसीब में वो कहाँ??
मेम नहा कर बाहर आई .. उजले कपड़ों में छोटी मेम का गीला गीला जिस्म साफ़ नज़र आ रहा था .. उनकी वो खुशबू पागल बना दे .. वो पंजाबी छरहरी बदन!
राजू मेरा जूस??
जूस पी पी कर उनके चूची भी जूस से भर गई थी…
साली को अपने बॉय फ्रेंड से मिलना था आज…
दोपहर का समय था .. बड़ी मेम बाहर गई थी .. तभी छोटी मेम का बॉयफ्रेंड आया ..
लम्बा चौड़ा .. पूरा पंजाबी .. चौड़ी छाती .. पता नहीं हरामी का लंड कितना बड़ा होगा??
मेरी नाजुक सी मेम को इतना दर्द देता होगा ..
कहाँ मेरा कद .. काले कावा की तरह ..
कमरे में क्या हुआ पता नहीं पर वो लौंडा चला गया और मेम जोर जोर से रोने लगी ..
मेम क्या हुआ?? मैं डरते हुए पूछा।
तभी मेम मुझसे चिपक कर रोने लगी ..
मेम की मुलायम चूची मुझे चुभने लगी ..
उनकी बुर को मेरा लौड़ा चूमने को तैयार होने होने लगा…
उनकी गुलाबी होंठ ने मेरे होंठो को चूमा…
राजू मुझसे कोई प्यार नहीं करता… मुझे कभी प्यार नहीं मिला??
मेरे तो परखचे उड़ गए…
मेम…
राजू मुझे प्यार करो ना… लव मी..
ओह! शायद अमीरजादे ने मेरी मेम का दिल तोड़ दिया…
मैंने अपनी मेम को बेड पर लेटा दिया और उनकी मस्त मस्त चूची दबाने लगा…
ओह्ह राजू धीरे धीरे से करो ..
मैंने मेम की सलवार को खोला और फिर क्या छोटी मेम नंगी लेट गई .. मैंने अपना लुंगी गंजी खोली और कूद पड़ा मैदान ऐ ज़ंग में…
मैंने जांघें फैलाई और देसी कुते के तरह विदेसी मेम को नोचने लगा ..
मैं उसकी गांड की छेद में अपने जीभ अन्दर बाहर करने लगा .. वो मस्त हो रही थी और बुर का पानी छुट रहा था .. अहह यह मत करो मेरी बम्स गन्दी है!
नहीं छोटी मेम! इससे तो खुस्बो आवत है…
फिर उसके छरहरी बदन में अपना लौड़ा रगड़ने लगा .. मेम जी आप भी इसे चूसो न..
मैंने उसके लाख मना करने पर अपने लंड उसके गरम होंठों के अन्दर ठूंस दिया- अहह मेम और चूसो न ..
बेचारी को शायद यह पसंद नहीं था…
फिर उसकी मचलती हुई बुर में अपना लौड़ा रखा और एक ही हचके में… फुस्स अन्दर घुस गया बिडू..
मेम चीख पड़ी… उई मम्मा उई आह अह… राजू नहीं राजू अहह
मैंने मेम की टांगों को अपने कंधो पर रखा और दे दना दन चोदने लगा .. उसकी बुर फट गई ..
बुर के होंठो पर लाली छा गई ..
अई जानवर कहीं के…
उसके भोसड़े तक मेरा मेरा टोपा तांडव करने लगा ..
अमीरों के कितने मज़े है रोज़ ऐसी मेम चोदने को मिलती होगी…
आज मेरे गरीब लंड का लोटरी लग गई
मैंने मेम को घोड़ी बना दिया और अपने पीछे से चढ़ गया..
उसके बालों को पकड़ा और धक्के मारने लगा ..
हरामी मुझे दर्द हो रहा है… बस भी कर .. अहह
आह, मैं स्खालित हो गया मेरा फव्वारा उसकी बुर में छुट पड़ा…
उई कितना गरम लावा है… मेरी फुद्दी जल जायेगी… आह
उसका जिस्म ठंडा हो गया और मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया…
यही फर्क है विदेसी माल में ..
देसी लौंडी रहती तो बार बार चुदवाती..
आप ठीक तो है न… मेम?
तेल लगा दूँ…?
वो पूरी रात मैं मेम की फटी हुई बुर पर तेल मालिश करता रहा…
मेम, एक बात कहूँ…
हाँ राजू बोलो!
कहकर अपनी टांगें जोड़ ली और मुझे बिस्तर में बैठा लिया…
छोटी मेम आइ लव यू… Antarvasna Stories
दोस्तो, मेरा नाम राजेश Antarvasna कुमार है, मैं आप सब प्यासी चूत वालियों का अपने 7′ के खड़े लंड से स्वागत करता हूँ। मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैं 24 साल का लड़का हूँ, मेरी ऊँचाई 175 सेमी और मेरा वजन 65 किलो है। मैंने बहुत साहस करके अपनी सच्ची कहानी लिखने की कोशिश की है। मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं एक नंबर का चूत का चुस्सू हूँ, मुझे चूत चूसने, चाटने और चूत का रस पीने में बड़ा मजा आता है, वैसे मैं एक कॉल बॉय बनना चाहता हूँ।
मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ और आजकल गांधीनगर (गुजरात) में रह रहा हूँ। गांधीनगर में एक सुरक्षा प्रदान करने वाली कम्पनी में काम करता हूँ और हर 3-4 महीने बाद घर जाता हूँ।
एक बार मैंनेट चैट कर रहा था तो मुझे अहमदाबाद रूम में एक आदमी मिला। मैं उससे बात करने लगा। उसका नाम केतन, उम्र 32 साल और उसकी पत्नी ललिता 30 साल की थी। केतन ने चैट के दौरान उसने बताया कि वो अपनी पत्नी को किसी और से चुदते देखना चाहता है और ललिता भी चाहती है कि दो मोटे लंड उसकी चूत और गांड में एक साथ घुसें।
तो मैंने कहा- यार, मेरे से ही चुदवा लो!
तो वो राजी हो गया।
मैंने केतन को बताया कि मैं एक कॉल-बॉय हूँ और दो घंटे के 10000 लेता हूँ। तो उसने कहा- तू पहले अपना लंड वेब कैमरे पर दिखा! यदि अच्छा लगा तो 12000 दूंगा।
मैंने उसे अपना लंड दिखाया, उसने कहा- तेरा तो बहुत मोटा है। तुझे मैं 15000 दूंगा।
और उसने कहा- यह सब संभव कैसे होगा?
तो मैंने कहा- मैं शनिवार को तेरे घर आता हूँ, तू अपनी पत्नी को बोलना कि यह मेरा दोस्त है और 1-2 दिन रुकेगा।
उसने कहा- ठीक है।
मैं शनिवार को दोपहर दो बजे उसके बताये पते पर गया। वो भावनगर का रहने वाला था। फिर मैंने उसको अपनी योजना समझाई, मैंने कहा- मैं तुझे शाम को एक गोली दूंगा जो तुम अपनी पत्नी को दे देना।
उसने कहा- ठीक है!
मैंने उसे पूरी योजना बता दी।
उसने शाम को वो गोली पीस कर मिठाई में मिला कर ललिता को दे दी। फिर ललिता ने खाना बनाया। फिर केतन और ललिता हॉल में आकर बैठ गए तो केतन मुझसे बोला- यार कौन सी मूवी देखोगे?
तो मैंने कहा- यार, आज तो कोई चुदाई वाली दिखा दो!
तो उसने कहा- यार, एक हिंदी की पोर्न मूवी है चला दूँ क्या?
मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ!
अब मैं आगे की कहानी सबकी जुबानी सुनाता हूँ।
अब केतन ने हिंदी पोर्न मूवी चला दी। मूवी में एक लड़की दो लड़कों के लंडों को चूस रही थी, दोनों के लंड बहुत मोटे थे। वो बारी-बारी से दोनों लंडों को चूस रही थी। कभी दोनों को एक साथ चूस रही थी।
राजेश : यार केतन यह देख! मूवी में लड़की क्या माल है बड़े मजे से चूस रही है दो -दो लंडों को!
केतन : हाँ यार बड़ी मस्त माल है!
यह कहते हुए केतन ललिता की चूचियों को जोर से मसलने लगा तो ललिता सिसकी लेने लगी और थोड़ी देर में वो भी केतन के लंड को पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगी। कमरे में सिसकारियों का माहौल हो गया।
केतन : यार बड़े मजेदार मूवी है! राजेश तुझे पता है ललिता भी दो लंडों से चुदवाने का सपना रोज देखती है।
ललिता : आःह्ह…केतन क्या बोल रहे हो तुम? मैंने तुमसे ऐसा कब कहा?
केतन : ललिता जब तुम और में परसों रात यही मूवी देखते हुए चुदाई कर रहे थे तो तुम कह तो रही थी कि काश मैं भी ऐसे ही दो लंडों को चूसती और दोनों लंडों से एक साथ चुदवाती!
अब तक मूवी में एक लड़का नीचे बैठ कर उसकी चूत चूस रहा था और दूसरा अपना लंड चुसवा रहा था। थोड़ी देर में एक लड़का सोफे पर बैठ गया और उसने उस लड़की की गांड में लंड डाल कर अपने ऊपर बिठा लिया और दूसरे ने उसकी चूत में लंड पेल दिया। इधर केतन ने ललिता को नंगा कर दिया और सोफे पर लेट कर उसकी चूत चूसने लगा और ललिता का मुँह मेरी तरफ था जहाँ में बैठा था वो केतन का लंड चूस रही थी इधर मैंने भी अपने कपड़े खोल दिए और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मुठ मारने लगा।
राजेश : यार केतन देख तो कैसे चुदवा रही है साली एक लंड गांड में और एक चूत में!
केतन : हाँ यार बड़ी मस्त चुदवा रही है और ललिता तू क्या कह रही थी कि तूने कब कहा था दो लंडों से चुदवाने के लिए? तो जब हम कल चुदाई करते हुए यह दृश्य देख रहे थे तब तूने कहा था कि काश ऐसे दो लंडों से मेरी भी चुदाई होती!
ललिता : हाँ साले कहा था! और आज दो लंड भी हैं आज तो मैं दो लंडों से ही चुदवाऊँगी! राजेश तुम वहाँ बैठे हुए क्यों मुठ मार रहे हो? मैं हूँ ना तुम दोनों की रंडी! मैं चूसूंगी तेरे लंड को!
केतन (मेरी तरफ आँख मारते हुए) : हाँ यार यह है न अपनी रांड! इससे चुसवा अपना लंड! जब तक मैं इसकी चूत चूसता हूँ! फिर इसकी चूत और गांड दोनों एक साथ चोदेंगे।
राजेश (ललिता के पास आकर अपना लंड ललिता के मुँह में ठूंसता हुआ) : ले साली रंडी! अब चूस दोनों लंडों को उस रंडी की तरह! (टीवी की तरफ इशारा करते हुए)
ललिता : आजा मेरे लौड़े राजा आज तो मेरी चूत और गांड दोनों की आग बुझ जाएगी और आज मेरा बहुत पुराना सपना भी पूरा हो जायेगा दो लंडों से चुदवाने का सपना! आऽऽह्ह… जोर से चूस केतन मेरी चूत को आह्ह… ओऽऽहऽ…
केतन : ओऽऽहऽ… जोर से ही तो चूस रहा हूँ! तू भी अपनी जीभ घुमा दोनों लंडों पर! मेरा निकलने को आ रहा है ओऽऽहऽ…आऽऽह्ह…
राजेश : केतन, यार कैसा स्वाद है ललिता की चूत का?
केतन : यार, यदि तूने चख लिया तो जिन्दगी भर तुझे ललिता की चूत ही नजर आएगी स्वाद के मामले में!
ललिता : राजेश, मैं तुझसे बाद में चुसवाऊँगी, पहले दोनों से एक साथ चुदवाऊँगी! आऽऽह्ह… मैं गई… ओऽऽहऽ… जोर जोर से… आऽऽह्ह… ऊह्ह्हह.. गई मैं!
ललिता केतन के मुँह में झड़ गई और केतन ललिता के मुँह में! अब केतन नीचे बैठ गया और ललिता ने उसके लण्ड पर अपनी गांड रख कर केतन का लंड अपनी गांड में ले लिया। अब मैंने भी अपना लंड ललिता की चूत पर रख कर एक ही झटके में पेल दिया। फिर दोनों मिलकर ललिता को चोदने लगे।
ललिता : सालो, आज तुम दोनों अपने लंड का कमाल दिखा दो और मेरी गांड और चूत को फाड़ दो आऽऽह्ह… ओह्ह्ह्हह जोर से केतन ओऽऽहऽ… राजेश तुम भी जोर से आऽऽह्ह… रेल की तरह दौड़ा दो अपने लंड को मेरी गांड और चूत में!
राजेश : ले मेरी रानी! केतन, आज की रात तो इसे चोद चोद के इसका हाल बुरा कर देंगे आऽऽह्ह…क्या कसी चूत है तेरी जब चूत ही इतनी कसी है तो गांड तो और भी तंग होगी।
केतन : हाँ, सही बोल रहा है राजेश यार! इसकी चूत और गांड दोनों ही कसी हैं। मेरा लंड तो इसकी गांड में बुरी तरह फंसा हुआ है। ले मेरी रंडी, दबा के चुदवा ले, आज तो तेरा बहुत पुराना सपना पूरा करने के लिए ही मैंने राजेश को बुलाया है।
ललिता : ओह! मेरे राजा तुम कितने अच्छे हो केतन कि तुम मेरे लिए एक मोटा और अपने जैसा ही लम्बा लंड ढूंढ कर लाये! आज तो मैं पूरी रात दबा कर अपनी चूत और गांड फड़वाऊँगी। आह्ह्ह्हह ह्ह्ह्ह… जोर से लंड देवताओ, जोर से! फाड़ दो मेरी चूत को! आःह्ह्ह्ह…
राजेश : आज तो हम दोनों तेरी चूत और गांड का कीमा बना देंगे। अब तो मैं रोज तुझे चोदने आया करूँगा, क्यों केतन?
केतन : हाँ यार, अब तो रोज चोदा करेंगे स्साली को मिलकर!
ललिता : अब तो राजेश तुम यहीं रहोगे और मेरी गांड और चूत का रोज मजा लोगे! केतन, इसको तुम अपनी कंपनी में जॉब दे दो और मेरे पास छोड़ दो, मैं रोज दिन में भी इससे चुदवाया करुँगी।
हमारी चुदाई 30 मिनट तक चली। इस बीच ललिता तीन बार झड़ गई थी और केतन ने उसकी गांड में अपना पानी छोड़ा और मैंने अपना पानी उसके मुँह में भर दिया। इस प्रकार केतन ने अपनी पत्नी ललिता को मुझसे चुदवाया और अब तो हम हर दूसरे तीसरे दिन उसकी चुदाई करते और वो मेरा नियमित ग्राहक भी बन गया है और मुझे हर बार के सात हज़ार रूपए देता है।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? Antarvasna
मैं एक बार फिर हाज़िर हूं Sex Stories आपकी सेवा में अपनी कहानी ले कर !
उम्मीद है कि आपको मज़ा आएगा। अगर कोई सुझाव हो तो वो अवश्य दें।
यार लड़कियाँ क्यों इतना शरमाती हैं मेल करने में?
कहानी पढ़ने में तो मज़ा आता होगा। बहुत सी तो अपनी चूत में कहानी पढ़ते-पढ़ते सचमुच में ऊँगली कर लेंगी लेकिन अगर कोई उन्हें अपना लण्ड देना चाहे तो वो इतने नखरे करेंगी कि उनका मन ही नहीं है चुदाई का !
मेरी आज की कहानी में भी कुछ इसी बात का ज़िक्र है।
हाँ तो दोस्तो ! जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया कि मैंने अपनी गर्लफ़्रेन्ड और उसकी सहेली की चुदाई की और मज़े किए। उसके बाद तो बस मुझे बस चुदाई का नशा ही छा गया था। छुट्टी के बाद स्कूल में मैंने सुधा जो कि मेरी गर्लफ़्रेन्ड है उससे मिलने के लिए कहा तो उसने कहा कि करिश्मा (जो कि उसकी दोस्त है) से पूछ के बताएगी।
उसने बताया कि करिश्मा की मम्मी अभी घर पे है और वो कही बाहर ही नहीं जाने वाले हैं, इसलिए जगह का इन्तजाम भी नहीं हो पा रहा है। करिश्मा का भी चुदाई का बहुत मूड था तो अब कमरे का इन्तजाम करने की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ पड़ी थी।
मेरा एक दोस्त, जिसका नाम रवि था, वो जम्मू का रहने वाला था और कमरा ले कर अकेले रहता था। मैंने उससे अपने चुदाई के किस्से बताये थे और उसका भी दोनों को चोदने का बहुत मन था, उससे कमरे के लिए कहा तो वो दोनों को अपने कमरे पे लाने के लिए कहने लगा।
हम लोग की परीक्षा भी करीब थी। लेकिन चुदाई का नशा भी ऐसा है कि बस और कुछ सूझता ही नहीं।
फिर मैंने सुधा से बताया कि कमरे का इन्तज़ाम हो गया है तो उसने पूछा- कहाँ?
तो मैंने उससे बता दिया कि रवि के कमरे पे. तब उसने वहाँ जाने से मना कर दिया और कहा कि नहीं मुझे नहीं जाना वहाँ ! वो बहुत रिस्की है ! और ना-नुकर करने लगी। लेकिन बाद में वो मान गई।
रविवार को मिलने का प्रोग्राम बना।
मैंने रवि से उसके कमरे की चाबी ले ले थी। सुधा ने घर पर ट्यूशन जाने का बहाना किया, हम लोग एक जगह मिले और रवि के कमरे पर आ गए। उसके कमरे पे कोई नहीं था। हम कमरे के अन्दर थे और आते ही सुधा मुझे पकड़कर चूमने लगी।
क्या मस्ती चढ़ी थी साली पर !
आज उसने जींस टॉप पहना था और कसम से क्या माल लग रही थी !
उसकी चुचियाँ अभी छोटी थी लेकिन अब मैं था ना उनको बड़ा करने के लिए !
साली चुचियो को जैसे ही छुआ, मुझको करंट लग गया। तनी, कड़ी और नुकीली चुचियों का मज़ा आ गया। हमने पहले आपस में खूब फ़ोर-प्ले किया। मैंने उसको खूब चूसा, चाटा और खूब उसका दूध पिया। मैंने उससे अपने लण्ड को चूसने के लिए कहा फिर हम ६९ पोसिशन में हो गए और मैंने उसका पानी निकल दिया। सुधा तड़प रही थी और उसको तड़पाने में मुझको मज़ा आ रहा था।
वो बार बार मेरे लण्ड को अपनी बुर में डालने के लिए कह रही थी। फिर मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा और उसकी चूत चोदने लगा।
वो अह्ह्ह्ह्ह् ! ह्ह्छ उ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्छ ! जैसी मस्त सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकल रही थी। फिर मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई। अब उसने मेरे लण्ड को पूरा अपनी बुर में ले लिया और कूदने लगी।
आह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह् ! कितना मज़ा आ रहा था ! लग रहा था कि अन्दर लण्ड से कुछ टकरा रहा है। लण्ड पूरा अन्दर तक चला गया था। वो भी ऊह आह करके खूब उछल रही थी। तभी मैंने उसे नीचे उतार दिया और ऊपर मैं आ गया और २०-२५ धक्के लगाने के बाद में झड़ गया, लण्ड उसकी चूत के ही अन्दर था।
क्योंकि मैंने कंडोम पहना था ही। फिर हम वही लेट गए, तब वो कहने लगी कि आते समय उसने करिश्मा को बता दिया था कि वो मुझसे मिलने आ रही है तो वो भी जिद्द कर रही थी। तो मैंने उससे कहा कि मैं वहाँ पहुँच के कॉल करुँगी। फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसे बुला लूँ?
मुझे और क्या चाहिए था !
मैंने कहा- बुला लो उसे !
मैं जाता हूँ और जहाँ मैं तुम्हें मिला था वहीं से उससे ले आता हूँ क्योकि उसने यह कमरा नहीं देखा है।
उसने कहा- ठीक है। फिर उसने करिश्मा को कॉल किया तो करिश्मा ने आधे घंटे में आने के लिए कहा।
तो मैंने उससे कहा- कह दो कि राहुल तुम्हें लेने जा रहा है।
तब तक मैंने सोचा कि अब सुधा की गाण्ड मार ली जाए !
फिर मैंने सुधा से कहा- तुमने मुझसे गाण्ड मरवाने का वादा किया था !
तो उसने कहा कि करिश्मा आ जाए तो उसकी भी साथ में मार लेना !
मैंने कहा- वो भी हो जाएगा ! लेकिन पहले तुम्हारी गाण्ड तो जरूर मारूंगा !
और मैंने उसको कुतिया स्टाइल में कर दिया, कमरे में पड़ी कोल्ड क्रीम उसके छेद पे और अपने लण्ड पे लगा दी और उससे कहा- थोड़ा दर्द होगा ! रोना नहीं ! बाद में मज़ा आ जाएगा !
और उसके छेद पर अपना लण्ड रख कर घुसाने लगा। लण्ड जैसे ही थोड़ा अन्दर गया वो दर्द से चिल्लाने लगी और गाण्ड मराने से मना करने लगी।
पर अब मैं कहाँ रुकने वाला था ! थोड़ा और अन्दर डाल दिया तो वो खूब जोर जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मैं डर गया कि कोई आ ना जाए ! और तुंरत अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया।
फिर क्या ! उसने मुझसे गाण्ड नहीं मरवाई। मैं उसको चुप कराने लगा और कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हुआ। फिर उसने जा कर करिश्मा को लाने के लिए कहा। मैं करिश्मा को लेने चला गया। जब मैं और करिश्मा आए तो दरवाज़ा बंद था तो मैं उसको खुलवाने के लिए आगे बढ़ा तो अन्दर से चूमने-चाटने की आवाज़ आ रही थी।
मैं चौंक गया !
शेष आगे के भाग में….Sex Stories
मैं 31 वर्ष का 6 फीट लंबा Antarvasna शादीशुदा पुरूष हूँ।मेरी सबसे बड़ी कमजोरी चोदने की मेरी तीव्र इच्छा है।
मेरी पत्नी भी इससे परेशान रहती है क्योंकि शायद ही कोई रात ऐसी होती है जिसमें मैं उसे चोदे बिना सोने देता हूँ।
उसके नहीं रहने पर मैं अपने कमरे में बैठ कर ब्लू फ़िल्म देखते हुए मुठ मार कर अपने 7 इंच मोटे लंड की तड़प शांत करता हूँ।
यह घटना पिछले महीने की है।
मेरी पत्नी मायके गई थी और रात में करीब 10 बजे मैं अपने बिस्तर पर लेटा डीवीडी में एक ब्लू फ़िल्म की सीडी डालकर अपने लंड को सहला रहा था।
फ़िर मैंने बगल में पड़ा मोबाइल उठाया और मेरी पत्नी सुनीता को फोन लगाने लगा।
सामने ब्लू फ़िल्म चल रही थी और उसमें एक मर्द एक औरत की चूत चाटने में लगा हुआ था।
मेरे कानों में उधर से रिंग होने की आवाज आ रही थी फ़िर उधर से आवाज आई- हेल्लो!
मैं मूड में बोलने लगा- सुनीता डार्लिंग! तुम वहां मायके में आराम से हो और यहाँ मेरा लंड तुम्हारे लिए बेकरार है। सामने ब्लू फ़िल्म में मस्त चुदाई का सीन चल रहा है और मैं अपने कड़कते लंड को सहला रहा हूँ। आओ न और अपने चूत में इसे लेकर इसकी तड़प को शांत कर दो।
इतना कहकर मैं सुनीता की आवाज सुनने को रुका.
पर उधर से कोई आवाज नहीं आई और तब मैंने मोबाइल को कान से हटा कर उसके स्क्रीन पर देखा और मेरे होश उड़ गए।
मैं सुनीता के नहीं बल्कि अपने पड़ोस में रहने वाले सुनील जी के घर के फ़ोन पर बातें कर रहा था और वह हेल्लो की आवाज सुनीता की नहीं बल्कि उनकी पत्नी रूबी की होगी जिन्हें मैं भाभी कहता था।
अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
मेरे लंड की उत्तेजना जा चुकी थी और मैंने डीवीडी बंद कर दिया।
मैंने फ़िर कुछ विचार करने के बाद पुनः सुनील जी के यहाँ फ़ोन किया, रूबी भाभी ने फ़ोन उठाया तो मैंने कहना शुरू किया- सॉरी भाभी, मैं सुनीता को फ़ोन लगा रहा था पर फ़ोन में सुनील जी और सुनीता का नम्बर आस पास होने के कारण आपका नम्बर लग गया और मैंने बिना ध्यान दिए उल-जुलूल बातें कह दी। प्लीज मुझे माफ़ कर दें!
रूबी भाभी ने कुछ नहीं कहा और फ़ोन रख दिया।
मैं चिंतित सा था और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ।
खैर मैंने सोने का निर्णय लिया पर नींद नहीं आ रही थी।
लगभग 10 मिनट बाद मेरा मोबाइल बज़ने लगा, वह सुनील जी का नम्बर था।
मैंने रिसीव किया, उधर से रूबी भाभी थी- देखो देवर जी, तुमने गलती तो की है और इसकी सजा भी भुगतनी पड़ेगी, तुम जरा मेरे घर में आओ अभी फ़िर मैं सोचती हूँ कि क्या सजा दूँ!
“अभी आया” मैंने इतना कहा ही था कि रूबी भाभी ने फ़ोन काट लिया था।
मैं गंजी और तौलिया में था सो मैं बिस्तर से बाहर आया और पजामा और टी-शर्ट निकाल कर पहनने लगा।
दोस्तो, अब जरा रूबी भाभी के बारे में बता दूँ।
सुनील जी मेरे पड़ोसी हैं और रूबी भाभी उनकी पत्नी हैं।
रूबी भाभी की उम्र 36-38 वर्ष होगी और वो एक 10 साल के बच्चे की माँ हैं।
उनका बेटा होस्टल में रहकर पढ़ाई करता है और यहाँ सुनील जी और रूबी भाभी रहते हैं।
मैं कभी-कभार उनके घर जाता था।
रूबी भाभी का कद ज्यादा नहीं है वो कुछ 5’3″ के आस पास होंगी पर उनकी चूचियां बहुत बड़ी थी और वो 38 या 40 साइज की ब्रा अवश्य पहनती होंगी।
उनकी फिगर लगभग 38-32-38 होगी।
ठंड के कारण मैंने ऊपर से जैकेट डाला और फ़िर अपने मकान का बाहरी दरवाजा बंद कर रूबी भाभी के मकान की ओर चल पड़ा।
मैंने वहाँ पहुँच कर देखा कि उनका दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था सो मैंने काल बेल न बजाकर धीरे से दरवाजा खटखटाया।
रूबी भाभी कि आवाज आई- आ जाओ!
मैं अन्दर गया।
रूबी भाभी सामने नाईटी के ऊपर शाल लपेटे खड़ी थी।
मैंने पूछा- सुनील जी कहाँ हैं?
तो उन्होंने बताया कि वो काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं और चार दिनों बाद लौटेंगे।
मैंने फ़िर कहा- भाभी! वो मैं सुनीता को फोन लगा रहा था पर गलती से!
रूबी भाभी ने मेरी बात काटते हुए कहा- चलो मान लिया! पर अब जब तुमने मुझसे इस तरह बात की तो इसकी तुम्हे कुछ तो सजा मिलेगी ही, तुम्हें मेरा एक काम करना होगा!
“क्या काम?” मैंने पूछा।
इस पर उन्होंने जबाब दिया- सुनीता ने मुझे बताया है कि तुम बहुत अच्छा मसाज करते हो, मेरा शरीर बहुत दर्द कर रहा है सो मुझे एक मसाज चाहिए!
मैं समझ गया कि रूबी भाभी मेरी बातों को फोन पर सुनकर उत्तेजित हो चुकी हैं और शायद चुदना चाहती हैं।
दरअसल मैं पत्नी के साथ सेक्स के दौरान नई-नई तरकीबें आजमाता रहता हूँ।
मसाज का तरीका भी एक है, बेबी आयल का प्रयोग कर मैं पीठ से मसाज प्रारम्भ कर फोरप्ले की शुरुआत करता हूँ।
मेरा लंड अब रूबी भाभी की चुदाई के बारे में सोच कर खड़ा हो चुका था।
“क्या सोच रहे हो? चलो बेडरूम में!” रूबी भाभी ने कहा और आगे बढ़ गई।
मैं पीछे चल पड़ा।
बेडरूम में पहुंचकर उन्होंने शाल हटा दिया और नाइटी के भीतर बिना ब्रा की बड़ी चूचियों का आभास मुझे हो गया।
मैंने भी जैकेट उतार दिया।
तब मैंने बेबी आयल के बारे में पूछा तो उन्होंने अपने ड्रेसिंग टेबल में से निकाल कर दिया।
कमरे में हीटर होने के कारण ठंड नहीं लग रही थी।
मैंने भाभी को पेट के बल लेटकर नाइटी को ऊपर करने को कहा।
उन्होंने ऐसा ही किया और उनकी चिकनी गोरी पीठ देखकर मेरी उत्तेजना बढ़ गई थी।
नीचे पेटीकोट उनके चूतड़ों को ढके जरूर था, पर उनकी गोलाई और बड़े आकार का स्पष्ट आभास हो रहा था।
खैर मैंने उनकी पीठ पर बेबी आयल डाला और धीरे-धीरे मसाज शुरू किया और कुछ ही मिनटों बाद उनके पेटीकोट के फीते को खोल दिया.
मसाज करते हुए ही पेटीकोट को आधे चूतड़ों तक खिसका दिया और उनके चूतड़ों के ऊपरी हिस्से का मसाज करने लगा।
पुनः अपने हाथों में तेल लेकर उनकी दबी हुई चुचियों के बाहर निकले हिस्से पर हाथ ले गया और रूबी भाभी ने अपने शरीर को हल्के से ऊपर उठा कर मेरे हाथ चूचियों तक पहुँचने दिया।
मैंने पीछे से ही उनकी चूचियों की मालिश शुरू की।
फ़िर नीचे आते हुए उनके पेटीकोट को धीरे से बाहर निकलने लगा तो उन्होंने चूतड़ों को ऊपर उठा कर पेटीकोट निकालने में मदद की।
मैंने भी अपना टी-शर्ट खोल दिया और अब पाजामा और बनियान में था और रूबी भाभी केवल नाइटी में जो ऊपर की ओर सिमटी थी और उनकी पीछे का सारा सेक्सी भाग मेरे सामने था।
अब मैंने उनके चूतड़ों के बीच की घाटी के ऊपरी छोर पर तेल की एक धार डाली और वह उनकी गांड की घाटी में बह चली।
मैंने अपनी दो उँगलियों को उस धार के साथ नीचे सरकाया तो उन्होंने पैरों को फैला कर रास्ता दिया।
मेरी उंगलियाँ तेल के साथ उनकी गांड के छेद को सहलाते हुए चूत की छेद तक पहुँच गई और इससे पहले कि मेरी उंगलियाँ कुछ छेड़-छाड़ करती रूबी भाभी पलट गई और उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ और हल्के झाँटों वाली चूत मेरे सामने थी।
वो बोली- क्या केवल पीछे ही मसाज करोगे या आगे भी?
मैंने धीरे से उनकी नाइटी खोल दी और अपने बनियान को भी!
तो वह पाजामा खोलने का इशारा करने लगी सो मैंने उसे भी खोल दिया और नीचे कुछ नहीं होने के कारण मैं भी नंगा हो चुका था।
रूबी भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथो में जोर से पकड़ कर दबाना शुरू किया और मेरा लंड अत्यन्त कठोर हो चुका था।
मैं उनकी निपल्स को उँगलियों से सहलाने लगा और वो एकदम कड़ी हो चुकी थी।
मैंने थोड़ा सा तेल उनकी चूचियों के बीच डाला और थोड़ा नाभि में और फ़िर एक हाथ से चूचियों का मसाज करना शुरू किया जबकि दूसरे हाथ की उंगली नाभि में डालकर धीरे से घुमा रहा था।
बेबी आयल की चमक से रूबी भाभी का गोरा शरीर दमक रहा था और मेरा मजा भी बढ़ता जा रहा था पर मुझे पता था कि सेक्स में धैर्य चुदाई के मजे को दूना-चौगुना कर देता है।
वह बीच-बीच में सिसकारी भी भर रही थी।
मैंने नाभि से उंगली निकाली और उनके चूत के बालों को सहलाने लगा।
और फ़िर अपने हाथ को और नीचे ले जाने लगा तो रूबी भाभी ने अपने पैरों को घुटने से मोड़ते हुए हल्का सा फैला लिया और उनकी फूली हुई रसदार चूत मेरे सामने थी।
मैंने चूत के बाहरी होठों को अपनी उंगली से रगड़ना शुरू किया और वो चूतड़ उचकाते हुए आह … सी … सी … की आवाज निकाल रही थी।
फ़िर मैं उनकी चूत के सामने बैठ गया और उनकी चूत में अपनी ऊँगली डालकर गोल-गोल घुमाने लगा।
चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
अब मैंने ऊँगली निकाली और बैठे हुए चूत के और करीब आया तथा लंड के सुपारे से रूबी भाभी की शिश्निका को रगड़ने लगा।
वो कह रही थी- आह! चोद दो मेरी चूत को अपने लंड से … प्लीज चूत में लंड डालो न!
मैंने लंड को चूत में डाला और उनकी कमर पकड़ कर अपनी ओर खींचा जिससे मेरा आधा लंड चूत में घुस चुका था और मैंने दोनों हाथों से उनकी चूचियां मसलना शुरू किया।
रूबी भाभी धक्का मरवाना चाहती थी पर मैंने धक्का नहीं दिया और उनकी पीठ के नीचे हाथ डालकर उन्हें सामने खींच कर बिठा दिया पर लंड को चूत में से निकलने नहीं दिया।
अब मैंने उनके निप्पल को चूसना शुरू किया।
एक निप्पल मुँह में और दूसरा मेरी उँगलियों में।
फ़िर अपनी जीभ को उनके मुँह में डाल दिया वो इसे चूसने लगी।
मैंने उनको अपनी बाँहों में भरा और मैंने पीछे की ओर लुढ़क गया नतीजा मैं नीचे था और रूबी भाभी ऊपर।
मैंने नीचे से धीरे धीरे चुदाई शुरू की तो उन्होंने भी ऊपर से अपने कमर को ऊपर नीचे करके साथ देना शुरू कर दिया।
इसी अवस्था में करीब 20-25 धक्कों के बाद मैंने रूबी भाभी को पकड़ा और करवट ले लिया।
अब मेरा लंड उनकी चूत से निकल चुका था और वो मेरे बगल में पड़ी थी।
वो बोली- आह, ये क्या किया चोदो ना!
मैंने कहा- भाभी, तुम बस मजे लेती रहो और मेरा जादू देखो!
और मैंने उठकर उनकी टांगों को घुटने से मोड़ दिया और उनकी चूत के होठों के फैला कर शिश्निका को अपने होठों से चूसने लगा।
वो छटपटाने लगी।
मैंने अपनी जीभ को चूत में घुसा दिया और गोल-गोल घुमाने लगा, वह अपने चूतड़ उचकाने लगी और चोदने के लिए गिड़गिड़ाने लगी।
मैंने उनकी जांघों के इर्द-गिर्द अपने बाजू कस लिए और चूत के बाहरी होठों के जोर जोर से चूसने लगा।
वह आह … आह … ससी. सी… कर रही थी.
चूत रस से लबालब भर चुकी थी चूत का रस चूत से लगातार बह रहा था।
फ़िर मैंने ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और बेड से उतर कर खड़ा हो गया।
रूबी भाभी को धीरे से खींच कर उनके चूतड़ों को बेड के किनारे पर लाया और उनके नीचे एक तकिया लगाया।
अब उनकी चूत मेरे लंड के सामने थी, उनके पैरों को अपने कंधे पर रखते हुए लंड उनकी चूत में अन्दर तक पेल दिया।
और वो एक बार तो चीख पड़ी पर साथ ही अपने गांड को हिलाने लगी तो मैंने धक्के देने शुरू कर दिए।
कमरे में फच फच की आवाज फ़ैल चुकी थी साथ ही भाभी की सीत्कार और आहों से कमरा गूंज रहा था।
थोड़ी ही देर में चुदाई के दौरान उन्होंने अपने पैरों को कंधे से उतार कर मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया और मेरे हाथों को पकड़ने के लिए अपने हाथ बढ़ाये।
मैं समझ गया कि अब वो चरम पर पहुँच चुकी हैं।
मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी और उनकी चूत में झड़ने लगा।
मैं झुका और उनकी निप्पल को चूसने लगा, हम दोनों झड़ चुके थे और अब मैं उनके मुख को चूम रहा था।
उन्होंने अपनी आँखें बंद की हुई थी पर हांफ रही थी और मैंने भी पसीने से तर हांफ रहा था।
लगभग दो मिनट बाद मैंने धीरे से लंड को चूत में से निकालना शुरू किया तो उन्होंने अपनी आँखें खोली।
मैंने धीरे से लंड बाहर निकाला और फ़िर तौलिया लेकर उनकी चूत से बह रहे अपने लंड और उनकी चूत के रसों के मिश्रण को धीरे-धीरे पौंछना शुरू किया तो उन्होंने भी अपने पेटीकोट से मेरे लंड को पौंछने का काम शुरू किया।
अगली बार नए तरीके से चुदाई की घटना!
अपनी राय मुझे अवश्य दें! Antarvasna
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